राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने कृषि विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह मंडियां तोड़ने और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) समाप्त करने की कोशिश है। भाकियू समेत कई किसान संगठनों की ओर से भारत बंद के आह्वान पर जगह-जगह किसान सड़कों पर उतरे हैं। इन विधेयकों का विरोध सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा के किसान कर रहे हैं। हरियाणा में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष गुराम सिंह ने पंचकुला जिला स्थित पिंजोर में किसानों को संबोधित किया। इस मौके पर मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, इन विधेयकों के जरिए इन्होंने (केंद्र सरकार) मंडियां तोड़ने और एमएसपी समाप्त करने का ढांचा खड़ा कर रखा है। उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि बिहार में किसानों को एमएसपी का फायदा नहीं मिल पाता है और आगे चलकर पंजाब और हरियाणा का भी वैसा ही हाल होगा। उन्होंने कहा कि एमएसपी पर अनाज नहीं बिकने से किसान तबाह हो जाएंगे।
भाकियू नेता ने यह बात बिहार सरकार द्वारा 2006 में समाप्त किए गए कृषि उपज विपणन समिति कानून का जिक्र करते हुए कही। गुराम सिंह ने कहा कि शुक्रवार के भारत बंद को किसान का पूरा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कृषि विधेयक का विरोध करते हुए कहा, इससे मंडी के आढ़ती, छोटे कारोबारी, किसान और मजदूर सभी प्रभावित होंगे और चंद लोगों को इसका फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने का काम किया है।
पंजाब में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष अजमेर सिंह लखोवाल ने आईएएनएस से कहा कि केंद्र सरकार अगर किसानों के हितों में सोचती तो विधेयक में सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का प्रावधान किया जाता। किसानों के किसी भी उत्पाद (जिनके लिए एमएमपी की घोषणा की जाती है) की खरीद एमएसपी से कम भाव पर न हो। उन्होंने कहा कि विधेयक में कॉरपोरेट फॉमिर्ंग के जो प्रावधान किए गए हैं उससे खेती में कॉरपोरेट का दखल बढ़ेगा और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फायदा मिलेगा।
कृषि विधेयक के विरोध में उत्तर प्रदेश और बिहार समेत अन्य राज्यों में भी भाकियू समेत दूसरे किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। खासतौर से विपक्षी दलों से जुड़े किसान संगठन इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं।
कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को भी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे।
नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)| भारत में शुक्रवार को बीते 24 घंटों में 86,052 नए कोविड-19 मामले सामने आए हैं और इसी अवधि में और 1,141 लोगों की मौतें दर्ज की गई हैं। यह जानकारी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने दी। मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि मिजोरम एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां से कोविड-19 से किसी भी मौत की सूचना नहीं मिली है। वहीं खुलासे के अनुसार, कोविड-19 से हुई 92,290 मौतों में से 70 प्रतिशत से अधिक मृतकों को अन्य बीमारियां भी थी।
महाराष्ट्र कोरोनावायरस संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है। यहां पिछले 24 घंटों में 459 मौतें दर्ज की गई हैं। राज्य में अब तक कुल मृत्यु संख्या 34,345 है। राज्य में 2,75,404 सक्रिय कोविड-19 मामले हैं और अब तक कुल 9,73,214 लोग संक्रमण से उबर चुके हैं। पिछले 24 घंटों में 17,184 लोगों को पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद क्वारंटाइन सेंटर और अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई।
कर्नाटक में पिछले 24 घंटों में 65 मौतों की सूचना मिली है, जिसके बाद मृत्यु की कुल संख्या 8,331 हो गई है। राज्य में 95,568 सक्रिय कोविड मामले हैं। पिछले एक दिन में राज्य में 6,748 लोग इस संक्रमण से उबर चुके हैं, जिसके बाद राज्यभर में ठीक हो चुके लोगों की कुल संख्या 4,44,658 हो गई है।
लद्दाख में पिछले 24 घंटों में कोविड संक्रमण से तीन मौतों की सूचना मिली है। केंद्र शासित प्रदेश में कुल 54 लोग जानलेवा वायरस के शिकार हुए हैं। वहीं वर्तमान में 1,022 सक्रिय मामले हैं। लद्दाख में अब तक 2,893 लोग वायरस से उबर चुके हैं और पिछले 24 घंटों में कुल 49 लोगों को अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटर से छुट्टी दे दी गई।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देशभर में पिछले 24 घंटों में विभिन्न अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटर्स से कुल 81,177 लोगों को छुट्टी दी गई है। अब तक कुल 47,56,164 लोग घातक वायरस के संक्रमण से उबर चुके हैं।
भारत में कोरोनावायरस की रिकवरी दर 81.74 प्रतिशत के साथ दुनिया में सबसे अधिक है। देश में वर्तमान में 9,70,116 सक्रिय मामले हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, देश में गुरुवार को कोविड के लिए कुल 14,92,409 लोगों का टेस्ट किया गया। संस्थान ने कहा कि अब तक परीक्षण किए गए कुल नमूनों की संख्या 6,89,28,440 हैं।
भोपाल, 25 सितंबर। पिछले दिनों ग्वालियर दौरे पर आए ने पुलिस की गाड़ी प्रयोग किया था। इसे लेकर महाराष्ट्र के एक व्यक्ति ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी। आयोग ने शिकायत के बाद गृह विभाग से जवाब मांगा था। गृह विभाग ने चुनाव आयोग को जवाब दे दिया है, जिसमें माना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सरकारी गाड़ी का प्रयोग किया था।
सूत्रों ने बताया कि गृह विभाग ने चुनाव आयोग को जवाब देते हुए कहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया सरकार के प्रतिनिधि हैं और सरकारी कार्य के लिए उन्होंने सरकारी वाहन का उपयोग किया है। गाड़ी पर किसी पार्टी का झंडा और चुनाव चिह्न नहीं था। साथ ही यह राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था।
दरअसल, 16 सितंबर को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने शिकायत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के मामले में गृह विभाग से जवाब मांगा था। व्यक्ति ने शिकायत की थी कि 14 सितंबर को डबरा में चुनाव प्रचार के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पुलिस की गाड़ी का इस्तेमाल किया था।
यह शिकायत महाराष्ट्र निवासी साकेत गोखले ने की थी। इसके बाद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने गृह विभाग से जवाब मांगा था। वहीं, राज्य सरकार ने गरीब कल्याण योजना को लेकर भी सफाई दी है। साथ ही कहा है कि यह नई योजना नहीं है। (exposescoop)
मुम्बई, 25 सितंबर। बॉलीवुड दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच से जुड़े ड्रग्स एंगल में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है। आज एनसीबी अभिनेत्री रकुलप्रीत सिंह से पूछताछ कर रही हैं, तो वहीं कल यानी शुक्रवार को बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण से सवाल-जवाब किए जाएंगे। ऐसे में दीपिका के पति और बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह ने एनसीबी से एक खास अनुरोध किया है।
ऑनलाइन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रणवीर सिंह ने एनसीबी से पूछा है कि क्या वह बॉलीवुड ड्रग्स मामले में पूछताछ के दौरान अपनी पत्नी दीपिका के साथ उपस्थित हो सकते हैं। रणवीर का कहना है कि दीपिका कभी-कभी घबरा जाती हैं, इसलिए वह पूछताछ के दौरान उनके साथ रहना चाहते हैं।
रणवीर ने एनसीबी से अनुरोध करते हुए कहा है कि दीपिका पादुकोण कभी-कभी घबरा जाती हैं और चिंता से ग्रस्त हो जाती हैं, इसलिए उन्हें उनके साथ रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह कानून का पालन करने वाले एक नागरिक हैं और जानते हैं कि वह दीपिका से पूछताछ के समय उपस्थित नहीं हो सकते, लेकिन उनका अनुरोध है कि एनसीबी दफ्तार के अंदर उन्हें जाने की अनुमति दी जाए।
अभी यह देखना होगा कि क्या एनसीबी रणवीर को दीपिका के साथ एनसीबी दफ्तर आने की इजाजत देता है या नहीं। फिलहाल, एनसीबी ने रणवीर के इस अनुरोध पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
2017 की एक ड्रग्स चैट में फंसी दीपिका
दीपिका अपनी कथित ड्रग्स चैट की वजह से फंसी हैं। एनसीबी को दीपिका और उनकी मैनेजर करिश्मा प्रकाश की एक ड्रग्स चैट मिली थी। यह ड्रग्स चैट 28 अक्टूबर, 2017 की है। इस चैट के अनुसार, दीपिका अपनी मैनेजर करिश्मा से हैश नाम की ड्रग्स मांग रही है। इसी मामले को लेकर एनसीबी ने दीपिका को बुलाया है।
दीपिका ड्रग्स मामले में उन ए लिस्टर अभिनेत्रियों में शामिल हैं, जिनका नाम रिया चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के बाद सामने आया है। ए लिस्टर में दीपिका के अलावा सारा अली खान, श्रद्धा कपूर और रकुलप्रीत शामिल हैं। सारा अली खान से एनसीबी कल पूछताछ करेगी। (tv9bharatvarsh)
चंडीगढ़, 25 सितंबर (आईएएनएस)| संसद के दोनों सदनों में पारित फार्म विधेयकों के खिलाफ शुक्रवार सुबह से पंजाब और हरियाणा में किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए दोनों राज्यों में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है।
यहां तक कि दोनों राज्यों के अधिकांश प्रमुख शहरों के दुकानदारों ने किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए अपनी दुकानें बंद रखी हैं।
पहली बार इतने बड़े पैमाने पर एकजुटता का उदाहरण देते हुए पंजाब के 31 किसान संगठनों ने संयुक्त विरोध की घोषणा की।
किसानों द्वारा बिल के खिलाफ तीन दिवसीय 'रेल रोको' अभियान शुरू करने के बाद से ही गुरुवार से कई ट्रेनों के परिचालन को निलंबित कर दिया गया है।
रेलवे के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि फिरोजपुर रेलवे डिवीजन ने यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर 26 सितंबर तक विशेष ट्रेनों के परिचालन को निलंबित करने का फैसला किया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे 'छोटे विचारों' से ऊपर उठकर राज्य के किसानों को नष्ट करने वाले 'विश्वासघाती' बिल के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए एक मंच पर आएं।
अमरिंदर सिंह ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इन विधेयकों को लाकर नए निम्नस्तर पर पहुंच गई है और वह भी बहुत ही अलोकतांत्रिक और असंसदीय तरीके से पारित किया गया है।" इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस राज्य इकाई द्वारा समर्थित उनकी सरकार न सिर्फ किसानों और राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के हित में पुरजोर विरोध करेगी।
उन्होंने किसानों से कानून और व्यवस्था को कड़ाई से बनाए रखने और सभी कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की है।
भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने विरोध के मद्देनजर राज्यव्यापी 'चक्का जाम' की घोषणा की है।
एसएडी सत्तारूढ़ भाजपा की लंबे समय से सहयोगी रही है। हालांकि एसएडी की लोकसभा सांसद और सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने 17 सितंबर को अपनी पार्टी द्वारा तीनों विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
दिलचस्प बात यह है कि कई पंजाबी गायकों ने किसानों द्वारा बुलाए गए 'बंद' का समर्थन किया है।
लोकप्रिय पंजाबी गायक और अभिनेता हरभजन मान ने एक ट्वीट में कहा कि वह कई अन्य कलाकारों के साथ विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे।
हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के कार्यकतार्ओं ने बर्खास्त शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षकों के साथ सोनीपत जिले के मुदलाना गांव में गुरुवार को कृषि मंत्री जे.पी. दलाल को काले झंडे दिखाए।
वहीं फार्म बिल को एक 'क्रांतिकारी कदम' बताते हुए हरियाणा भाजपा के राज्य प्रमुख ओ.पी. धनखड़ ने कहा कि इससे किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए कई विकल्प खुलेंगे।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)। संसद से पारित तीन कृषि विधेयकों को लेकर किसान संगठनों ने शुक्रवार को भारत बंद का एलान किया है। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा समेत देशभर के किसान कृषि से जुड़े इन विधेयकों के विरोध में लामबंद हो रहे हैं। सबसे ज्यादा विरोध पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हो रहा है। हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश अध्यक्ष गुराम सिंह ने अंबाला से फोन पर बताया कि पूरा हरियाणा बंद रहेगा। किसान अपने घरों से निकल चुके हैं और जगह-जगह सड़कों पर इकट्ठा होने लगे हैं। पंजाब में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष अजमेर सिंह लखोवाल ने भी बताया कि किसान अपने-अपने घरों से कूच कर चुके हैं और पूरे प्रदेश में करीब 400 जगहों पर लामबंद हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भी किसानों का सड़कों पर उतरना शुरू हो गया है। भारतीय किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र यादव ने बताया कि उनके संगठन से जुड़े किसान नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, बागपत समेत कई जगहों पर सड़क जाम करेंगे।
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आईएएनएस को बताया कि 11 बजे से पूरे देश में चक्का जाम है। हालांकि उन्होंने बताया कि यह बंद सिर्फ सड़कों पर रहेगा रेल रोको का कोई आयोजन नहीं है। टिकैत ने कहा, शहरों में प्रवेश करना या शहरों की दुकानों को बंद करने का प्रयास करना हमारे बंद के आयोजन में शामिल नहीं है। हम सिर्फ मुख्य मार्गों और गावों की सड़कों को जाम करके विधेयक पर अपना सांकेतिक विरोध जताएंगे।
उन्होंने कहा कि विचारधारा व दलों की राजनीति के दायरे से बाहर आकर किसानों के हितों के लिए काम करने वाले तमाम संगठनों से इस बंद का समर्थन करने की अपील की गई है और ज्यादातर संगठन इस बंद में शामिल हैं।
कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को भी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे।
लखोवाल ने आईएएनएस से कहा कि केंद्र सरकार अगर किसानों के हितों में सोचती तो विधेयक में सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का प्रावधान किया जाता कि किसानों के किसी भी उत्पाद (जिनके लिए एमएमपी की घोषणा की जाती है) की खरीद एमएसपी से कम भाव पर न हो। उन्होंने कहा कि विधेयक में कॉरपोरेट फॉमिर्ंग के जो प्रावधान किए गए हैं उससे खेती में कॉरपोरेट का दखल बढ़ेगा और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फायदा मिलेगा।
किसान संगठन विधेयक वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| देश में पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन जैसी चुनौती से निपटने के लिए मोदी सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की कोशिशें चल रहीं हैं। मोदी सरकार ने 'फेम इंडिया' के दूसरे चरण में महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और चंडीगढ़ के लिए 670 नई इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी है। वहीं मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, गुजरात और पोर्ट ब्लेयर में 241 चार्जिग स्टेशन को भी मंजूरी मिली है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि मोदी सरकार पर्यावरण अनुकूल पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर, खुद पिछले एक साल से इलेक्ट्रिक कार का इस्तेमाल कर रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर उनका अनुभव काफी अच्छा रहा है। उन्होंने दूसरों को भी ऐसी गाड़ियों के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया है।
जावडेकर ने शुक्रवार को फेम इंडिया के दूसरे चरण के बारे में जानकारी देते हुए कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का प्रचार और प्रसार बढ़ रहा है। मैं पिछले एक साल से इलेक्ट्रिक गाड़ी का उपयोग कर रहा हूं। इलेक्ट्रिक गाड़ी का बहुत अच्छा अनुभव है। एक रुपये किलोमीटर फ्यूल चार्ज है। एक यूनिट में ये गाड़ी दस किलोमीटर चलती हैं। अब बहुत सारी गाड़ियां आने लगीं हैं, जो सस्ती भी हैं और अच्छी भी हैं।
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने मोदी सरकार की ओर से फेम इंडिया कार्यक्रम के तहत इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के निर्णय को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों को पहले ही चार सौ से अधिक बसें दी जा चुकी हैं। उन्होंने कहा, मुझे खुशी हो रही है कि महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और चंडीगढ़ में 670 ई बसें मंजूर हुईं हैं। वहीं 241 चार्जिंग स्टेशन एमपी, तमिलनाडु, केरल, गुजरात और पोर्ट ब्लेयर के लिए मंजूर किए गए हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना आवश्यक है।
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने बताया कि कुल 670 में महाराष्ट्र को 240, गुजरात को 250, चंडीगढ़ को 80 और गोवा को 100 बसें देने का निर्णय लिया गया है। केरल सहित बाकी जगहों पर चार्जिंग स्टेशन शुरू कर रहे हैं। इसी तरह से देश में इलेक्ट्रिकल गाड़ियां बहुत बड़े पैमाने पर चलने लगेंगी। उन्होंने सभी से इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग करने की अपील की।
दरअसल, मोदी सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण और उनके तेजी से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए एक अप्रैल 2015 से फेम इंडिया योजना लागू की है। इस योजना का दूसरा चरण एक अप्रैल 2019 से अगले तीन वर्षों के लिए शुरू हुआ है। इस योजना पर 2021-22 तक कुल 10,000 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक और हाईब्रिड वाहनों के तेजी से इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। इसके लिए लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद में शुरूआती स्तर पर प्रोत्साहन राशि देने के साथ ऐसे वाहनों की चार्जिंग के लिए पर्याप्त आधारभूत ढांचा विकसित करना है। सरकार का मानना है कि यह योजना पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन सुरक्षा जैसी समस्याओं का समाधान करेगी।
लखनऊ, 25 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के जेलकर्मी भी जल्द बॉडी वार्न कैमरों से लैस होंगे। जेलकर्मियों के बॉडी वार्न कैमरे सुरक्षा के अलावा खास मकसद के लिए होंगे। इस कैमरे में बन्दियों की मनोस्थिति, अवसाद या जेल में होने वाले रचनात्मक कार्य भी कैद होंगे। इसमें विजुअल के साथ आवाज भी होगी। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उप्र समेत राजस्थान, तेलंगाना और पंजाब की जेलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत बडी वार्न कैमरा (बीडब्लूसी) प्रयोग किए जाने की मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार यूपी को इसके लिए 80 रुपये लाख देगी।
डीजी जेल आनन्द कुमार ने बताया कि पहले चरण में करीब 20 संवेदनशील जेलों में यह प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना है। उसके बाद दूसरे चरण में बची जेलो में इसे शुरू किया जाएगा। इनकी बैटरी का बैकअप 5 घंटे का होगा। इसके संचालन के लिए बंदी रक्षकों और अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। कैमरे के संचालन, मॉनिटरिंग, रिकडिर्ंग, स्टोरेज आदि के लिए एक कंट्रोल रूम जेल में होगा।
उन्होंने बताया कि जेलों में बंदियों के कार्यव्यवहार की रिकार्डिंग के लिए वीडियो कैमरे, डिस्प्ले यूनिट्स, वीडियो प्रोडक्शन करने के उपकरण, शर्ट वीडियो क्लिप बनाने और उनका विश्लेषण करने के लिए जरूरी उपकरण खरीदे जाएंगे।
मैनपुरी (उत्तर प्रदेश), 25 सितंबर (आईएएनएस)| मैनपुरी के एक 32 वर्षीय विवाहित व्यक्ति ने अपने कर्ज को चुकाने से बचने के लिए खुद के अपहरण का नाटक किया। व्यक्ति को राजस्थान के भिवाड़ी से गिरफ्तार किया गया है। उसे गुरुवार को गिरफ्तार किया गया। साजिश का हिस्सा होने पर व्यक्ति के भाई, दोस्त और एक ड्राइवर को भी गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस के अनुसार, सुलेमान अल्वी भवन निर्माण सामग्री का व्यवसाय करता है।
बीते 21 सितंबर को व्यक्ति के भाई सद्दाम हुसैन ने मैनपुरी के दानहर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि सुलेमान का चार अज्ञात हमलावरों ने अपहरण कर लिया है और अपहरण तब हुआ जब वह अपनी बोलेरो में घर लौट रहा था।
प्राथमिकी आईपीसी की धारा 364 के तहत दर्ज की गई थी।
हालांकि, जांच से पता चला कि सद्दाम की कहानी तथ्यों से मेल नहीं खा रही थी। यह खुलासा हुआ कि सद्दाम अपने भाई की योजनाओं के बारे में जानता था और उसने फर्जी शिकायत दर्ज कराई थी।
पुलिस को यह भी पता चल गया कि सुलेमान भिवाड़ी में है। बताए गए पते पर पुलिस की एक टीम भेजी गई, जहां पाया गया कि सुलेमान अपने दो बच्चों व एक महिला के साथ रह रहा था।
सुलेमान ने पुलिस को बताया कि वह पिछले आठ साल से महिला के साथ रिश्ते में था। उसने महिला के साथ रहने के लिए अपने अपहरण की योजना बनाई। इसके साथ ही उसके पास 12 लाख रुपये के कर्ज को चुकाने के लिए पैसे नहीं थे।
वहीं सुलेमान को जब गिरफ्तार किया गया, तब वह नेपाल जाने की व्यवस्था कर रहा था।
फर्जी अपहरण मामले को सुलझाने के लिए पुलिस महानिरीक्षक (आगरा रेंज) ए. सतीश गणेश ने पुलिस टीम को 40,000 रुपये का इनाम दिया है।
अगर आप उत्तर प्रदेश (UP ) में रहते हैं और मास्क (Mask) लगाना पसंद नहीं करते तो आपके लिए ये जरूरी खबर है. क्योंकि अब बिना मास्क के घर से बाहर जाने पर आपके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने निर्देश दिया है कि राज्य में कोई भी नागरिक (Citizen) घर से बाहर बिना मास्क के दिखाई नहीं देना चाहिए. कोरोना वायरस (Corona Virus) के लगातार बढ़ते प्रकोप को देखते हुए हाईकोर्ट (High Court) ने ये निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि घर से निकलने वाले हर व्यक्ति को ये सुनिश्चित करना होगा कि उसने अपना मुंह और नाक ढंका है या नहीं.
इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा है कि इस आदेश का उल्लंघन करने वाले पर मौजूदा कानून के तहत ही कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए हर जिले के प्रत्येक थाने में एक टास्क फोर्स गठित करने का निर्देश दिया है, जिसमें वर्तमान से ज्यादा संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी. जिससे आदेश का ठीक से पालन कराया जा सके. अदालत ने प्रशासन और पुलिस को इस बात के लिए भी आगाह किया है कि वह मास्क पहनना सुनिश्चित करने की नाकामी जनता पर नहीं थोप सकेंगे.
कोर्ट के इस निर्देश से ये निश्चित हो जाता है कि अब मास्क न पहनने पर आपको कानूनी कार्रवाई झेलनी पड़ सकती है. क्योंकि कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, पुलिस अपने सिर पर मास्क न पहनने वालों का बोझ नहीं लेगी और जनता पर सख्ती बरतेगी.
कोरोना संक्रमण की रोक थाम के प्रयासों की मॉनिटरिंग कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि मास्क न सिर्फ उनको संक्रमण से बचाएगा, बल्कि पूरे समाज को सुरक्षित करेगा. कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति मास्क नहीं पहनता है तो वह पूरे समाज के प्रति अपराध करेगा और समाज के प्रति अपराध करने वाले को दंडित किया ही जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि दुनिया भर के विशेषज्ञ इस बात को मान रहे हैं कि कोरोना से बचने के एक ही रास्ता है, शारीरिक दूरी और मास्क पहनना. यदि सभी लोग मास्क पहनने लगे तो इससे संक्रमण खुद ब खुद रुक जाएगा.
इसके अलावा कोर्ट ने प्रयागराज नगर निगम को भी निर्देश दिया कि वह कोरोना से संबंधित प्रगति की सूचना हर दिन हाईकोर्ट लीगल सेल को ई-मेल के माध्यम से दें. इसी प्रकार से वार्डों में नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर जोनल अफसरों को स्थिति से अवगत कराते रहें. कोर्ट ने होम आइसोलेशन वाले मरीजों के एक्स-रे और सीटी स्कैन के लिए हर जिले में एक अलग अस्पताल की व्यवस्था का निर्देश दिया है, क्योंकि कोरोना संक्रमित मरीजों का सीटी स्कैन और एक्सरे कोई अस्पताल नहीं कर रहा है.(catch)
नयी दिल्ली, 25 सितंबर (वार्ता) वैश्विक महामारी कोविड-19 के देश में लगातार हो रहे बड़े स्तर पर प्रसार की रोकथाम के लिए दिन प्रतिदिन इसकी अधिक से अधिक जांच की मुहिम में 24 सितंबर को एक दिन में रिकाॅर्ड 14 लाख 92 हजार से अधिक नमूनों की जांच की गयी।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों में बताया गया कि देश में 24 सितंबर को कोरोना वायरस के रिकार्ड 14 लाख 92 हजार 409 नमूनों की जांच की गई और कुल आंकड़ा छह करोड़ 89 लाख 28 हजार 440 पर पहुंच गया।
चौबीस सितंबर को एक दिन में रिकार्ड सर्वाधिक जांच की गई हैं। इससे पहले 20 सितंबर को एक दिन में 12 लाख छह हजार 806 नमूनों की रिकार्ड जांच की गई थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को ही देश में कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक में 30 सितंबर को अनलॉक-4 के खत्म होने के बाद वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उठाये जाने वाले कदमों पर चर्चा की।
श्री मोदी ने कहा कोरोना से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं को तो और मजबूत करना है। इसके अलावा ट्रैकिंग-ट्रेसिंग से जुड़ा नेटवर्क है, उनका बेहतर प्रशिक्षण भी करना है।
देश में कोरोना वायरस का पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था।
छह अप्रैल तक कुल जांच की संख्या मात्र दस हजार थी। इसके बाद वायरस के मामले बढ़ने के साथ ही नमूनों की जांच में भी तेजी आई। सात जुलाई को नमूनों की जांच संख्या एक करोड़ को छू गई और इसके बाद तेजी से बढ़ती गई और 17 सितंबर को छह करोड़ का आंकड़ा पर कर लिया।
इससे पहले देश में तीन सितंबर को आये आंकड़ों में रिकाॅर्ड 11 लाख 72 हजार 179 नमूनों की जांच की गई थी। यह देश में ही नहीं, विश्व में भी एक दिन में सर्वाधिक जांच का रिकार्ड था।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| कृषि बिलों के खिलाफ किसान संगठनों ने शुक्रवार को भारत बंद का ऐलान किया है। पंजाब, हरियाणा, यूपी, महाराष्ट्र समेत देश के अन्य राज्यों में कृषि से जुड़े विधयकों का विरोध सड़कों पर उतर आया है। भारतीय किसान यूनियन समेत अन्य किसान संगठन बिल के खिलाफ चक्का जाम कर रहे हैं। इधर, भारतीय किसान यूनियन (अंबावता) का कहना है कि वो 2 अक्टूबर को दिल्ली में लाल बहादुर शास्त्री की समाधि की ओर कूच करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे। भारत बंद ऐलान के बाद जगह जगह सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वहीं दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर भी दिल्ली पुलिस और सीआईएसएफ के जवान तैनात कर दिए गए हैं।
भारतीय किसान यूनियन (अंबावता) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषिपाल ने आईएएनएस को बताया, हमारे क्षेत्रों में लगभग सब कुछ बंद है। मथुरा और आगरा की ओर भी किसान भी सड़कों पर आ गए हैं। जब तक कानून वापस नहीं होगा तब तक हम आंदोलन करते रहेंगे। 2 अक्टूबर को दिल्ली में लाल बहादुर शाश्त्री जी की समाधि पर पूरे देश का किसान पहुंच रहा है।
यूपी-बिहार से लेकर पंजाब-हरियाणा और अन्य राज्यों में शुक्रवार को सड़क पर किसान उतर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत कह चुके हैं कि, चक्का जाम में पंजाब, हरियाणा, यूपी, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक समेत पूरे देश के किसान संगठन एकजुट होंगे। पंजाब में कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों का तीन दिवसीय रेल रोको आंदोलन भी जारी है।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| भारतीय निर्वाचन आयोग शुक्रवार को दोपहर साढ़े 12 बजे बिहार विधानसभा चुनाव का ऐलान कर सकता है। चुनाव आयोग की प्रवक्ता शेफाली शरण ने बताया कि आयोग की प्रेस कांफ्रेंस बिहार विधानसभा चुनाव के संबंध में शुक्रवार को आयोजित हो रही है। माना जा रहा है कि चुनाव कई चरणों में कराए जाएंगे। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में 28 सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव की भी घोषणा हो सकती है।
कोरोना के कारण सोशल डिस्टैंसिंग मेंटेन करने के लिए चुनाव आयोग विज्ञान भवन के हॉल नंबर पांच में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करेगा। सोशल डिस्टैंसिंग के मद्देनजर सिर्फ पीआईबी एक्रिडेटेड पत्रकारों को ही एंट्री मिलेगी। कोरोना काल में विधानसभा चुनाव कराने को लेकर आयोग पहले ही गाइडलाइंस जारी कर चुका है। हर मतदान केंद्र पर सिर्फ एक हजार मतदाता ही वोट देंगे। मतदान केंद्रों पर सैनिटाइजर से लेकर सभी तरह की व्यवस्थाएं रहेंगी।
बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होगा। 2015 में राजद और जदयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जिसके कारण भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था। तब राजद, जदयू, कांग्रेस महागठबंधन ने 178 सीटों पर बंपर जीत हासिल की थी। राजद को 80, जदयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिलीं थीं। जबकि एनडीए को 58 सीटें हीं मिली। हालांकि लालू यादव की पार्टी राजद के साथ खटपट होने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार चलाना शुरू किया। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार एनडीए का चेहरा हैं।
बिहार में पिक्षी पार्टियां कोरोना के चलते चुनाव टालने की मांग कर रही थी, लेकिन आयोग ने इस मांग को खारिज कर दिया।
वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है।
संसद के दोनों सदनों से पारित कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ आज किसान संगठन देशभर में चक्का जाम करेंगे.
सरकार ने इन विधेयकों को किसान हितैषी बताते हुए दावा किया है कि इनसे किसानों की आय बढ़ेगी और बाज़ार उनके उत्पादों के लिए खुलेगा.
वहीं किसान संगठनों का कहना है कि ये विधेयक कृषि क्षेत्र को कार्पोरेट के हाथों में सौंपने की कोशिशों का हिस्सा हैं.
इन विधेयकों के ख़िलाफ़ सबसे व्यापक प्रदर्शन पंजाब और हरियाणा में हो रहे हैं.
पंजाब में तो गुरुवार को ही रेल रोको अभियान भी चलाया गया है.
किसान संगठनों का कहना है कि शुक्रवार को पूरे देश में इन विधेयकों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन होगा.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने उत्तर प्रदेश में आज चक्का जाम करने की तैयारियां की हैं.
बीकेयू से जुड़े किसान नेता धर्मेंद्र सिंह ने बीबीसी से बात करते हुए कहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी ज़िलों में आज सुबह दस बजे से लेकर शाम चार बजे तक चक्का जाम किया जाएगा.
वहीं किसान संगठनों के संगठन अखिल भारतीय किसान आंदोलन समन्वय समिति ने आज देशभर में पूर्ण बंद का आह्वान किया है.
इस समिति में देश के 12 किसान संगठन शामिल हैं और ये किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ी है. यूपी, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा में इन संगठनों की व्यापक उपस्थिति है.
समिति की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शुक्रवार को होने वाले बंद में भारतीय किसान यूनियन, कर्नाटक राज्य किसान एसोसिएशन, तमिलागा विवासियगल संगम जैसे बड़े किसान संगठन शामिल होंगे.
राजनीतिक दल भी होंगे शामिल
सिर्फ़ किसान संगठन ही नहीं राजनीतिक दल भी अब इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं.
पंजाब में बीजेपी को छोड़कर बाकी सभी दल इन विधेयकों के विरोध में हैं. कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह किसानों के प्रदर्शन में शामिल होगी.
पार्टी प्रवक्ता रणदीव सुरजेवाला ने एक बयान में कहा है कि पार्टी के लाखों कार्यकता किसान संगठनों के साथ खड़े रहेंगे.
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी विधेयकों का विरोध कर रही है. पार्टी चक्का जाम में शामिल होगी.
समाजवादी पार्टी भी हर ज़िले में प्रदर्शन करेगी और ज़िलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौपेंगी. पार्टी के सांसदों ने संसद भवन के बाहर भी विधेयकों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया है.
पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, 'पार्टी सभी जनपदों में ज़िलाधिकारी के माध्यम से किसान विरोधी बिलों के ख़िलाफ़ ज्ञापन सौपेंगी.'
सबसे ज़्यादा प्रभावित होगा पंजाब
शुक्रवार को बंद का सबसे ज़्यादा असर पंजाब और हरियाणा में ही दिख सकता है जहां हाल के दिनों में किसानों ने कई बड़े प्रदर्शन किए हैं.
भारतीय किसान यूनियन की पंजाब ईकाई से जुड़े हरिंदर सिंह लखोवाल ने बीबीसी से कहा, "पंजाब में न रेल चलने दी जाएगी और ना ही बसे. सभी हाईवे पर चक्का जाम होगा. पूरे पंजाब में 200-250 जगह प्रदर्शन होंगे. जगह-जगह ट्रेन भी रोकी जाएगी.
उन्होंने कहा, "जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी के लिए क़ानून नहीं बनाया जाएगा, किसानों के प्रदर्शन जारी रहेंगे. आगे ये प्रदर्शन और तेज़ होंगे."
लखोवाल का कहना है कि पंजाब के गांवों में बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को न घुसने देने के तैयारी भी चल रही है और जल्द ही बीजेपी नेताओं का विरोध शुरू होगा.
भारतीय किसान यूनियन ने हरियाणा में भी चक्का जाम करने की तैयारियां की है. बीकेयू का कहना है कि प्रदेश में सभी किसान संगठन एकजुट होकर विरोध करेंगे.
विरोध कर रहे किसानों का तर्क है संसद में पारित विधेयक मंडी व्यवस्था को ख़त्म कर देंगे और किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे.
किसान संगठनों का ये भी कहना है कि सरकार इन विधेयकों के ज़रिए कृषि क्षेत्र को कॉर्पोरेट जगत को सौंपना चाहती है.
सरकारों ने भी की तैयारियां
हरियाणा सरकार ने बंद के दौरान क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयारियां की हैं. राज्य के गृहमंत्री अनिल विज ने गृह विभाग और पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की है.
सरकार ने पुलिस को संयम बरतने के निर्देश भी दिए हैं. पंजाब सरकार ने भी बंद के मद्देनज़र क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयारियां की हैं.
दिल्ली पुलिस भी अलर्ट पर है और हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से लगने वाली सीमाओं पर चौकसी बढ़ाई गई है. हालांकि किसान संगठनों ने दिल्ली कूच न करने का ऐलान किया है.(bbc)
नागपुर, 25 सितंबर (आईएएनएस)| एक महत्वपूर्ण फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने फैसला सुनाया है कि मार्च में दिल्ली स्थित तबलीगी जमात मरकज में शामिल होने वाले म्यांमार के नागरिकों का एक समूह कोविड-19 के प्रसार के लिए जिम्मेदार नहीं है। अदालत ने इसके साथ ही माना कि म्यांमार का यह समूह धर्म के प्रचार को प्रेरित करता हुआ भी प्रतीत नहीं हो रहा है।
यह जमातियों के मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट का दूसरा बड़ा फैसला है। जमातियों पर खिलाफ कोरोनावायरस फैलाने का आरोप है।
अदालत ने नागपुर पुलिस की ओर से तब्लीगी जमात के सदस्यों के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर अपनी टिप्पणी करते हुए माना कि जमात के सदस्यों के खिलाफ ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली है कि जिससे यह कहा जा सके कि वे धार्मिक विचारधारा का प्रचार कर रहे थे। न्यायमूर्ति वी.एम. देशपांडे और न्यायमूर्ति ए. बी. बोरकर ने यह फैसला सुनाया।
अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि चूंकि उनकी कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव थी, जिससे संक्रमण फैलने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि आरोपपत्र (चार्जशीट) में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है, जिससे यह बात प्रमाणित हो सके, जैसा कि पुलिस ने माना है।
अदालत ने कहा, "यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि आवेदक ऐसे किसी कार्य में लिप्त थे, जिससे कोविड-19 का संक्रमण फैलने की संभावना है।"
पीठ ने कहा, "जांच अधिकारियों ने प्राथमिकी दर्ज करने में क्षेत्राधिकार के बिना काम किया है।"
पिछले महीने, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कुल 29 विदेशी नागरिकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था, जिनके खिलाफ आईपीसी, महामारी रोग अधिनियम, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और विदेशी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
उन पर कथित तौर पर दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात में शामिल होकर अपने टूरिस्ट वीजा की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप था। एफआईआर को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि तबलीगी जमात के सदस्यों को 'बलि का बकरा' बनाया गया था। कोर्ट ने उनके खिलाफ किए गए 'मीडिया प्रचार' की आलोचना की थी।
जून में मद्रास हाईकोर्ट ने भी तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया था। जून में ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांग्लादेश के छह नागरिकों को अंतरिम जमानत दे दी थी।
कोलकाता, 25 सितंबर (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 22 से 26 अक्टूबर तक मनाए जाने वाले दुर्गा पूजा त्योहार के लिए गुरुवार को दिशा-निर्देशों की घोषणा की। ममता ने यहां नेताजी इंडोर स्टेडियम में राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस और पूजा समिति के आयोजकों से मुलाकात की।
कोविड-19 महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ममता ने पूजा आयोजकों को बताया कि राज्य सरकार इस साल अन्य मुफ्त सुविधाओं के साथ प्रत्येक पूजा समिति को 50,000 रुपये देगी। 2,500 से अधिक दुर्गा पूजन तो केवल कोलकाता पुलिस क्षेत्र में ही आयोजित किए जाते हैं। यह संख्या लोगों के घरों या परिसरों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों से अलग है।
ममता बनर्जी ने कहा कि इस साल कोरोनावायरस महामारी के कारण दुर्गा पूजा समितियों के लिए चंदा इकट्ठा करना मुश्किल होगा। दुर्गा पूजा के आयोजन में राज्य की पूजा समितियों को आर्थिक परेशानी नहीं हो, इसके लिए सरकार ने प्रदेश की सभी पूजा समितियों को 50-50 हजार रुपये देने का फैसला किया है।
ममता ने कहा, "हमने हर पंडाल में मुफ्त अग्नि-सुरक्षा व्यवस्था जैसी अन्य सुविधाओं के साथ प्रत्येक पूजा समिति को 50,000 रुपये देने का फैसला किया है। इस साल पूजा समितियों को नगर निगम और स्थानीय निकायों को कोई कर नहीं देना होगा।"
इसके अलावा ममता बनर्जी ने पंडालों को बिजली बिल में भी राहत दी है। ममता बनर्जी ने कहा कि इस साल पूजा समितियों को बिजली बिल में 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी।
त्योहार के दौरान कोविड-19 सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए राज्य के सभी निवासियों से अनुरोध करते हुए ममता ने कहा कि इस वर्ष समारोह अलग तरह से होंगे और लोगों को शारीरिक दूरी को लेकर वास्तव में सतर्क रहना होगा। उन्होंने हालांकि कहा कि उन्हें पंडाल जाने की अनुमति होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, "त्योहार मनाते समय हमें वास्तव में सावधान रहने की जरूरत है। मैं सभी आयोजकों से अनुरोध करती हूं कि वे अपने पंडालों को अलग-अलग प्रवेश और निकास बिंदुओं के साथ जितना संभव हो उतना खुला रखें।"
उन्होंने कहा कि पंडालों में प्रवेशद्वार पर सैनिटाइजर होना चाहिए और मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा। नए नियमों के मुताबिक, इस साल दुर्गा पूजा पंडाल में किसी भी तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं होगी। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी होगा। पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा में अब करीब एक महीने का समय बचा है। ऐसे में कोविड-19 महमारी के मद्देनजर सादगी से उत्सव मनाने की तैयारियां पूरे शहर में शुरू हो गई हैं।
बेंगलुरु, 25 सितंबर (आईएएनएस)| कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा की बेटी अरुणा उदयकुमार गुरुवार को अखिल भारत वीराशैवा महासभा की महिला शाखा की अध्यक्ष नियुक्त की गईं। अखिल भारत वीराशैवा महासभा लिंगायत समुदाय का प्रतिष्ठित संगठन है। इस समुदाय का राज्य की 150 विधानसभा सीटों पर दबदबा है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों के खिलाफ आज देश भर के किसानों ने भारत बंद का ऐलान किया है। पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार समेत तमाम राज्यों ने इस बंद को कामयाब बनाने के लिए कमर कस ली है। स्वराज इंडिया, भारतीय किसान यूनियन और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने दो दिन पहले ही 25 सितंबर को भारत बंद का ऐलान कर दिया था।
मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ और संसद में लाए गए कृषि विधेयकों के खिलाफ पहले से ही कई राज्यों में किसान सड़कों पर हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस बंद को समर्थन दिया है और देश भर में प्रदर्शन की योजना बनाई है। इस दौरान हरियाणा में पानीपत से दिल्ली जा रहे किसानों को सीमा पर ही रोका गया। इन्हें रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने बल प्रयोग किया और आंसू गैस के गोले छोड़े।
किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा लाये गये कृषि से संबंधित तीनों विधेयकों को खेती किसानी को बरबाद करने की साजिश करार दिया है।
इस बीच गुरुवार को कृषि विधेयकों के खिलाफ सैकड़ों किसानों ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में विरोध मार्च निकाला। टप्पल में एक चौराहे पर भारी संख्या में तैनात पुलिस प्रदर्शनकारियों को यमुना एक्सप्रेस-वे पर प्रवेश करने से रोक दिया।
वहीं समाजवादी पार्टी ने शुक्रवार को पूरे उत्तर प्रदेश में जिलाधिकारियों के माध्यम से राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सौंपने का ऐलान किया है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश के किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि कृषि विधेयकों के विरोध में पूरे देश में 25 सितंबर को चक्का जाम रहेगा। जिसके तहत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक समेत तकरीबन पूरे देश के किसान संगठन इस बंद को सफल बनाने का प्रयास करेंगे।(navjivan)
नयी दिल्ली, 24 सितंबर (वार्ता) देश में कोरोना वायरस के सक्रिय मामले गत छह दिन से लगातार कम हो रहे हैं और पिछले 24 घंटों के दौरान इन मामलों में 1,995 की कमी दर्ज की गयी जिससे मरीजों की कुल संख्या 9,66,382 रह गयी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 86,508 नये मामले सामने आये हैं जिससे संक्रमितों की कुल संख्या 57,32,519 पर पहुंच गयी है। इसी अवधि में 87,374 मरीज स्वस्थ हुए हैं जिसके साथ ही अब तक कोरोना मुक्त होने वालों की संख्या 46,74,988 हो गयी है। संक्रमण के नये मामलों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की संख्या अधिक होने से पिछले 24 घंटों में सक्रिय मामलों की संख्या में 1,995 की कमी आयी है। सक्रिय मामले शनिवार को 3790, रविवार को 3140, सोमवार को 7525, मंगलवार को 27,438 और बुधवार को 7,484 कम हुए थे। छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 2,348 और त्रिपुरा में सबसे कम 48 सक्रिय मामले घटे हैं।
इसी अवधि में 1,129 मरीजों की मौत हो गयी जिससे संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या 91,149 पर पहंच गयी है।
देश में सक्रिय मामले 16.86 प्रतिशत और मृत्यु दर 1.59 फीसदी रह गये हैं जबकि, रोगमुक्त होने वालों की दर 81.55 प्रतिशत हो गयी है।
कोरोना महामारी से सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र में सक्रिय मामले 1,074 बढ़कर 2,73,883 हो गये हैं जबकि 479 लोगों की और मौत होने से मृतकों की संख्या 33,886 हो गयी है। इस दौरान 19,476 लोग संक्रमणमुक्त हुए जिससे स्वस्थ हुए लोगों की संख्या बढ़कर 9,56,030 हो गयी।
दक्षिणी राज्य कर्नाटक में पिछले 24 घंटों के दौरान मरीजों की संख्या में 1,499 की वृद्धि हुई है और राज्य में अब 94,671 सक्रिय मामले हैं। राज्य में मरने वालों का आंकड़ा 8,266 पर पहुंच गया है तथा अब तक 4,37,910 लोग स्वस्थ हुए हैं।
आंध्र प्रदेश में इस दौरान मरीजाें की संख्या 1,108 कम होने से सक्रिय मामले 70,357 रह गये। राज्य में अब तक 5506 लोगों की मौत हुई है। वहीं कुल 5,70,667 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं।
यामिनी, रवि
जारी वार्ता
नई दिल्ली, 24 सितंबर | भारत में 1977 की इमरजेंसी से जुड़ा ये प्रसिद्ध क़िस्सा है. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने अपने फ़ेसबुक पर इमरजेंसी से जुड़े तीन पार्ट के ब्लॉग में साल 2018 में उस क़िस्से के बारे में लिखा भी था. उसी के तीसरे भाग का ये अंश है :
"बात 2 फ़रवरी 1977 की है. बाबू जगजीवन राम, हेमवंती नंदन बहुगुणा और नंदिनी सत्पथी ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था और 'कांग्रेस फ़ॉर डेमोक्रेसी' का गठन किया था. उन्होंने जनता पार्टी का साथ देने का फ़ैसला किया.
6 फ़रवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में जनता पार्टी ने एक रैली का आयोजन किया था. उस रैली को इन तीनों नेताओं ने भी संबोधित किया था. एक छात्र नेता के तौर पर और जनता पार्टी गठबंधन का युवा चेहरा होने के नाते, मैंने भी रैली को संबोधित किया.
मुझे रैली की शुरुआत में ही वहाँ आए लोगों में जोश भरने के लिए भाषण देने को कहा गया था. मेरे बाद जगजीवन राम और हेमवंती नंदन बहुगुणा ने भी भाषण दिया. मैंने अपने जीवन में इतने बड़ी भीड़ के सामने कभी भाषण नहीं दिया था.
इंदिरा गांधी ने जगजीवन राम पर धोखा देने का आरोप लगाया था. इंदिरा गांधी ने जगजीवन राम पर इमरजेंसी में क्या कुछ ग़लत हो रहा है, ये उनको नहीं बताने का आरोप लगाया. रामलीला मैदान में भाषण देते हुए जगजीवन राम ने कहा, "कैसे बता देते? बता देते तो जगजीवन कहीं होते और राम कहीं."
उस रैली में जितनी बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए, उससे पूरे देश में एक संदेश गया कि जनता पार्टी की लहर चल रही है. वीसी शुक्ल तब सूचना प्रसारण मंत्री थे. उन्होंने एक चाल चली. रैली के ठीक पहले उन्होंने एलान किया कि उस समय कि हिट फ़िल्म 'बॉबी' दूरदर्शन पर दिखाई जाएगी.
लेकिन पूरे देश में कांग्रेस विरोधी ऐसी लहर थी कि लोगों ने सुपरहिट फ़िल्म बॉबी को छोड़ कर रामलीला मैदान में रैली में हिस्सा लिया. लोग कई किलोमीटर पैदल चल कर रैली में पहुँचे, क्योंकि बस सेवा भी बंद थी.
इस क़िस्से का ज़िक्र कूमी कपूर की किताब "द इमरजेंसी: ए पर्सनल हिस्ट्री" में भी पृष्ठ संख्या 219 पर भी है.
संयोग या फिर प्रयोग का सवाल क्यों?
अब आप सोच रहें होंगे - इमरजेंसी का ये क़िस्सा मैं अब क्यों लिख रही हूँ? जवाब भी सुन लीजिए.
दरअसल फ़िल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने पूछताछ के लिए समन जारी किया है. इस सिलसिले में उन्हें 25 सितंबर यानी शुक्रवार को एनसीबी दफ़्तर जाना होगा.
दीपिका के अलावा अभिनेत्री श्रद्धा कपूर, रकुल प्रीत सिंह और सारा अली ख़ान को भी एनसीबी ने पूछताछ के लिए समन भेजा है. न्यूज़ एजेंसी एएनआई और पीटीआई ने इसकी पुष्टि की है. ये पूरा मामला अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जाँच से जुड़ा है.
लेकिन सोशल मीडिया पर दीपिका से एनसीबी की पूछताछ की टाइमिंग को लेकर कई लोग सवाल पूछ रहे हैं.
एनसीबी की दीपिका से पूछताछ की तारीख़ बुधवार को आई है. जबकि देश भर में नए कृषि बिल को लेकर किसान पिछले कुछ समय से आंदोलन कर रहे हैं. उसी कड़ी में किसान संगठनों ने 25 सितबंर को बड़े प्रदर्शन का एलान किया है.
दोनों की टाइमिंग का ज़िक्र करते हुए इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने बुधवार को एक ट्वीट किया और इस क़िस्से को दोहराया है. हालाँकि गुहा साल लिखने में थोड़ा ग़लती कर गए. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "मार्च 1975 में जब जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नीतियों के ख़िलाफ़ एक पब्लिक रैली का आयोजन किया जा रहा था, उस वक़्त सरकार ने दूरदर्शन को हिट फ़िल्म 'बॉबी' प्रसारित करने को कहा था."
यानी सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में बॉलीवुड का सहारा लेना कोई नया चलन नहीं है. कांग्रेस ने भी अपने ज़माने में ऐसा किया है.
इतनी ही नहीं, दीपिका को एनसीबी ने समन भेजा है, ये ख़बर भी उसी वक़्त आई जब बुधवार को विपक्षी पार्टी के नेता बिल के विरोध में राष्ट्रपति से मुलाक़ात करने के बाद प्रेस को संबोधित कर रहे थे.
लोग इसमें भी टाइमिंग को लेकर सवाल खड़ा कर रहे हैं. शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने ट्विटर पर लिखा है, "ये संयोग नहीं बल्कि प्रयोग है जो सरकार हर फंसाऊ मौक़े पर करती रहती है."
इसके अलावा पत्रकार राजदीप सरदेसाई, सबा नक़वी, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण जैसे कई दूसरे लोगों ने भी इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं.
एनसीबी का गठन
इसमें कोई दो राय नहीं कि ये एक महज़ इत्तेफ़ाक़ भी हो सकता है. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के 'संयोग और प्रयोग' वाले जुमले पर लोग चुटकी क्यों ले रहे हैं, इसके लिए एनसीबी को जानने की भी ज़रूरत है.
एनसीबी यानी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की स्थापना 1986 में हुई थी. ये भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है. इसका उद्देश्य समाज को ड्रग के चंगुल से आज़ाद कराना है, जिसके लिए एनसीबी 'न्यायपूर्ण' 'दृढ़' और 'निष्पक्ष' तरीक़े से काम करती है. एनसीबी की आधिकारिक बेवसाइट पर भी इस बात का ज़िक्र है.
एनसीबी के डीजी इस समय राकेश अस्थाना हैं. राकेश अस्थाना इससे पहले सीबीआई में भी रह चुके हैं और सीबीआई में नंबर एक की पोज़िशन के लिए आलोक वर्मा के साथ उनकी लड़ाई काफ़ी चर्चा में भी रही थी.
उनकी गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के क़रीबी नौकरशाहों में होती है.
राकेश अस्थाना ने अपने करियर में कई अहम मामलों की जाँच की है. इन मामलों में गोधरा कांड की जाँच, चारा घोटाला, अहमदाबाद बम धमाका और आसाराम बापू के ख़िलाफ़ जाँच शामिल है. ये है एनसीबी और उनके डीजी का छोटा सा परिचय.
वैसे इतिहास भी गवाह है, जैसे इमरजेंसी के समय लोगों ने 'बॉबी' फ़िल्म का मोह छोड़ कर सरकार के सामने विपक्ष का साथ दिया, वैसे आप भी किसान आंदोलन से जुड़ी ख़बर बीबीसी हिन्दी पर पढ़ सकते हैं.
25 सितंबर को किसान क्या करने वाले हैं?
अब बात किसान आंदोलन की. नए कृषि बिल का पूरे देश के कई हिस्सों में किसान विरोध कर रहे हैं और कई राजनीतिक पार्टियाँ भी इसके विरोध में हैं.
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने संसद से पास किए गए नए कृषि बिल के विरोध में 25 सितंबर को देश भर में विरोध सभाएँ, चक्का जाम और बंद का एलान किया है.
एआईकेएससीसी का दावा है कि उनकी संस्था के साथ देश भर के छोटे-बड़े 250 किसान संगठन जुड़े हैं. केवल पंजाब, हरियाणा ही नहीं उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और बिहार के किसान भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले हैं.
हर राज्य में किसान संगठन अपने हिसाब से तैयारी कर रहे हैं- कहीं चक्का जाम तो कही विरोध सभाएँ, तो कहीं रेल रोको आंदोलन होगा. लेकिन चक्का जाम का एलान पूरे देश के लिए किया गया है.
किसानों की माँग क्या है?
बीबीसी से बातचीत में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा, "9 अगस्त से ही हम इसका विरोध कर रहे हैं. पहले हमने संसद सत्र के पहले दिन पूरे देश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किए. उसके बाद भी संसद में बिल पास किया गया. हमारी बात बस इतनी सी है कि बिल में किसानों के प्रोटेक्शन की कोई बात नहीं है. इसके बाद हमने 25 तारीख़ का दिन विरोध प्रदर्शन के लिए 17 सितंबर को ही तय कर लिया था."
प्रधानमंत्री कह रहे हैं फ़सलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा. लेकिन आज भी धान 1000 रुपए में बिक रहा है जबकि एमएसपी 1855 रुपए है, मक्का भी 900 रुपए का बिक रहा है जबकि एमएसपी 1760 रुपए है. ये बिल आज नहीं आए हैं. 5 जून को आप अध्यादेश लेकर आए. तब से अब तक सरकार ने क्या किया? सरकार ने कितना ख़रीदा? फ़सल पैदा करने के लिए लगने वाले सामान जैसे डीज़ल, खाद, बीज सबकी क़ीमतें बढ़ती जा रही हैं.
ये नेताओं और पार्टियों की लड़ाई नहीं है. जो समर्थन देना चाहते हैं वो दे सकते हैं. लेकिन ये लड़ाई किसानों की है.
"हम चाहते हैं कि सरकार एमएसपी से कम पर ख़रीद को अपराध घोषित करें और एमएसपी पर सरकारी ख़रीद लागू रहे. बस मूलत: हमारी यही दो माँगें हैं."
इस बीच #25sep5baje25minute भी ट्विटर पर ख़ूब ट्रेंड कर रहा है. नए कृषि बिल के विरोध में किसानों का साथ देने के लिए लोग इस हैशटैग को ख़ूब ट्वीट कर रहे हैं.
ज़ाहिर है कल किसान आंदलोन कर रहे होंगे और टीवी पर ज़्यादातर जगह दीपिका के एनसीबी दफ़्तर जाने की ख़बरें चल रही होंगी. हालाँकि समन के बाद दीपिका की तरफ़ से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
दीपिका पादुकोण को समन और किसान आंदोलन एक दिन होने पर प्रतिक्रिया देते हुए वीएम सिंह ने कहा, "सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर मैं भी दुखी हूँ, मुझे भी इसका अफ़सोस है. लेकिन इसी देश में 42480 किसान मज़दूरों ने आत्महत्या की, एक साल में उसकी क्यों नहीं जाँच कराते? क्यों नहीं पता लगाते कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? जो किसान पूरे देश को खिला रहा है वो अब पीड़ा में है. पूरे देश को किसानों ने कोरोना में खिलाया है. आज देश के लिए एक इंसान ज़्यादा अहमियत रखता है या फिर वो किसान जो देश को खिलाता है, ये देश को तय करना है."(BBCNEWS)
भुवनेश्वर, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| ओडिशा में एक दिन में कोरोनावायरस के सबसे ज्यादा 4,340 नए मामले सामने आए, जिसके बाद यहां संक्रमितों की संख्या 1,96,888 हो गई है। राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने गुरुवार को ये जानकारी दी। राज्य में एक दिन में कोविड-19 से 16 मौतें हुई जिसके बाद कुल मौतों की संख्या 752 हो गई हैं।
राज्य में सक्रिय मामलों की संख्या 38,818 है, जबकि 1,57,265 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं।
राज्य के खोरधा जिले में सबसे ज्यादा पांच मौतें हुई, जबकि तीन मरीज भुवनेश्वर में कोविड-19 से जान गवां बैठे।
नए मामलों में 2,517 मामले क्वारंटीन सेंटर से पाए गए। पिछले 24 घंटों में 17 जिलों में 100 से ज्यादा मामले सामने आए हैं।
राज्य में अब तक 29.56 लाख नमूनों की जांच की गई है।
--आईएएनएस
पटना, 24 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल घटक दलों के सुर और ताल बदलने लगे हैं। गठबंधन के प्रमुख घटक दल राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) ने भी गुरुवार को बुलाई गई पार्टी की बैठक में राजद के एकतरफा फैसला लेने की निंदा की गई। बैठक में गठबंधन संबंधी फैसला लेने के लिए पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को अधिकृत किया गया है।
बैठक में कहा गया कि राजद के एकतरफा फैसले लेने के कारण महागठबंधन में शामिल दलों में नेतृत्व को लेकर भी मतभिन्नता बरकरार है। साथ ही सीट बंटवारे को लेकर भी अभी तक अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।
बैठक में यह भी कहा गया कि ऐसा कर परोक्ष या अपरोक्ष रूप से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को लाभ पहुंचाया जा रहा है।
राजद पहले ही तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव में जाने और मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर रखा है।
रालोसपा की इस बैठक में राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राज्य कार्यकारिणी के सदस्य तथा राष्ट्रीय, प्रदेश के सभी पदाधिकारी और जिला के अध्यक्षों ने भाग लिया।
बैठक में गठबंधन का फैसला लेने के लिए उपेंद्र कुशवाहा को अधिकृत किया गया है। बैठक में गठबंधन बचाने को लेकर किए गए प्रयासों की चर्चा भी की गई। बैठक में कहा गया कि लगातार कोशिशों के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल रहा है।
इससे पहले, रालोसपा के प्रधान महासचिव माधव आनंद ने कहा कि महागठबंधन आईसीयू में चला गया है। आईसीयू से निकालने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अब बातचीत भी सही से नहीं हो रहा है।
गौरतलब है कि राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन में कांग्रेस के अलावा रालोसपा और विकासशील इंसान पार्टी है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा महागठबंधन को छोड़कर राजग के साथ आ गई है।
उल्लेखनीय है कि रालोसपा भी पहले राजग का हिस्सा थी, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव से पहले यह महागठबंधन का हिस्सा बन गई।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस याचिकाकर्ता पर 10,000 का जुर्माना लगाया, जिन्होंेने आईआईटी कैंपस में आत्महत्या के बढ़ते मामलों की समस्या से निपटने के लिए एक कार्यक्रम तैयार करने और इसे लागू करने तथा इस बाबत केंद्र व आईआईटी को निर्देश देने की मांग की थी। न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन, नवीन सिन्हा और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि यह पूरी तरह से बेकार याचिका है। साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ता गौरव कुमार बंसल से पूछा, "हम आपपर कितना जुर्माना लगाएं?"
पीठ ने पाया कि केंद्र स्थिति से अच्छी तरह से अवगत है और पूरे देश के आईआईटी कैंपसों में आत्महत्या का मामला उठाने वाली इस याचिका को खारिज कर दिया।
मामले पर सुनवाई के दौरान, बंसल ने कहा कि बीते 5 वर्षो में करीब 50 छात्रों ने आत्महत्या की है। उन्होंने इस मामले में शीर्ष अदालत को हस्तक्षेप करने और शिक्षा मंत्रालय व आईआईटी को छात्र कल्याण कार्यक्रम बनाने और इसे लागू करने के लिए निर्देश देने की मांग की। अदालत ने हालांकि मामले पर सुनवाई से इनकार कर दिया।
मामले में केंद्र की प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए, कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा प्रशासन के पास यह मामला संज्ञान में है।
पीठ ने कहा, "हम इसे खारिज करते हैं। साथ ही कानूनी सेवा प्राधिकरण को 10,000 रुपये देने का आदेश देते हैं।"
--आईएएनएस
दिल्ली दंगों की चार्जशीट में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, वकील प्रशांत भूषण और एक्टिविस्ट कविता कृष्णन समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के नाम सामने आए हैं। इन लोगों के नाम आरोपियों के बयानों के आधार पर शामिल किए गए हैं, लेकिन सिर्फ इस आधार पर इन्हें आरोपी नहीं बनाया जा सकता।
ऐशलिन मैथ्यू
नई दिल्ली, 24 सितम्बर। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, सीपीआई-एमएल की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, वकील प्रशांत भूषण, छात्र नेता कंवलप्रीत कौर और वैज्ञानिक और शायर गौहर रज़ा के नाम दिल्ली दंगों की चार्जशीट के उस हिस्से में शामिल किए गए हैं, जिसमें आरोपियों के बयानों का जिक्र है। दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट एफआईआर संख्या 59/2020 के तहत दाखिल की है। एफआईआर में यूएपीए भी आरोपियों पर लगाया गया है।
चार्जशीट के मुताबिक सलमान खुर्शीद और प्रशांत भूषण के नाम आरोपी खालिद सैफी और इशरत जहां के बयान के आधार पर शामिल किए हैं। प्रशांत भूषण और गौहर रजा के नाम खुरेजी में दिए गए एक भाषण के संदर्भ में शामिल हुए हैं। पुलिस के मुताबिक इन लोगों ने अपने भाषणों से कथित तौर पर भड़काव बातें कही थीं।
वहीं कंवलप्रीत कौर का नाम खालिद सैफी के 25 मई को दिए बयान के आधार पर सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि वह कंवलप्रीत और अन्य लोगों के संपर्क में रहते हुए आंदोलन की आगे की योजना बना रहे थे। इनपर अपने ट्वीट के माध्यम से भड़काव संदेश भेजने का आरोप है।
इसके अलावा एफआईआर में नामजद कुल 38 लोगों में से गिरफ्तार 15 आरोपियों में शामिल शादाब अहमद के बयान के आधार पर कविता कृष्णन, कंवलप्रीत कौर और उमर खालिद के पिता एस क्यू आर इल्यास के नाम भी चांदबाग के प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के तौर पर शामिल हुए हैं। कविता का नाम देवांगना कलिता और नताशा नरवाल के बयानों से भी लिया गया है। कलिता और नरवाल दोनों को ही इस एफआईआर में आरोपी बनाया गया है।
एक वादामाफ गवाह के बयान में कहा गया है कि गौहर रजा ने 'सीएए, एनआरसी और सरकार के विरोध में भाषण दिया और मुसलमानों को भड़काया।' गौर रज़ा का इस मामले पर कहना है कि वे आज भी सीएए का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि 'यह देश के संविधान पर हमला है। मैं हमेशा से किसी भी किस्म की हिंसा का विरोधी रहा हूं, ऐसे में मैं कभी भी किसी को किसी के खिलाफ नहीं भड़का सकता।'
हालांकि चार्जशीट में इनमें से किसी को भी अभी आरोपी नहीं बनाया गया है, लेकिन इन पर इस मामले में आरोपी बनने की तलवार तो लटक ही रही है क्योंकि धारा 120 बी के तहत इन पर साजिश रचने के आरोप लगा जा सकते हैं। चूंकि आरोपियों के बयानों को अदालत में पेश नहीं किया जा सकता है और इस विषय में कोई सबूत भी नहीं है, ऐसे में इन पर मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता।
दिल्ली पुलिस का आरोप है कि जो भी लोग सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे थे, वे आंदोलन को दिल्ली में दंगे भड़काने की योजना के लिए कर रहे थे।
खालिद सैफी के वकील हर्ष बोरा का कहना है कि आरोपियों के बयान अदालतम साक्ष्य के तौर पर पेश नहीं किए जा सकते क्योंकि हिरासत के दौरान आरोपी के बयान पुलिस के दबाव में दिए गए होते हैं। बोरा ने कहा कि 'वैसे भी ये आरोप झूठे हैं।'
वहीं प्रशांत भूषण ने भी इन आरोपों को गलत करार दिया है। उन्होंने कहा, “मेरे भाषण न तो भड़काऊ थे और न ही हिंसा के लिए उकसाने वाले थे। मैं सरकार की कड़ी आलोचना करता रहा हूं, लेकिन यह कोई हिंसक कदम नहीं है। यह सरकार उसके खिलाफ किए जाने वाले किसी भी आंदोलन का समर्थन करने वालों पर मुकदमा करना चाहती है।” कंवलप्रीत कौर ने भी अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद और झूठा करार दिया है।
चार्जशीट पर सवाल उठाते हुए कविता कृष्णन ने कहा, 'दिल्ली पुलिस दावा कर रही है कि दिल्ली में आमतौर पर होने वाले भाषण और सभाएं एक साजिश का हिस्सा है।' गौरतलब है कि चार्जशीट में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशासत्री जयति घोष, दिल्ली के प्रोफेसर अपूर्वानंद और फिल्म मेकर राहुल रॉय के नाम भी सामने आए हैं। (navjivanindia)
पलक्कड़ (केरल), 24 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रख्यात मलयालम कवि अक्खितम अच्युतन नंबूतिरी को गुरुवार को केरल के संस्कृति मंत्री ए.के. बालन द्वारा अपने निवास स्थान 'देवयानम' पर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राज्य सचिवालय में अपने कार्यालय से मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से 93 वर्षीय अक्किथम के जीवन और कार्यों की सराहना की।
अपने घर पर एक आरामकुर्सी में बैठे अक्किथम को यह पुरस्कार मिला और वो इस प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार से सम्मानित होने वाले छठे केरलवासी बन गए हैं।
अक्किथम की रचनाओं में इरुपथम नुट्टिंटि इतिहासम, बालीदरशणम और धर्म सूर्यन शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने 45 से अधिक कविताएं, नाटक और लघुकथा शामिल हैं।
ज्ञानपीठ सम्मान के लिए उनका चयन पिछले साल ही हुआ था।