राष्ट्रीय
फतेहपुर (उप्र) 29 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में 18 फुट लंबे भारतीय अजगर ने नवजात 'नीलगाय' को निगल लिया। कटघन के ग्रामीणों ने रविवार की शाम को यह नजारा अपनी आंखों से देखा जब अजगर नवजात बछड़े को निगलने की कोशिश कर रहा था।
मामले की सूचना वन विभाग को दे दी गई थी लेकिन टीम के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले ही अजगर पास के जंगल में घुस गया।
वन अधिकारी सच्चिदानंद के अनुसार, यह एक रॉक पायथन था और बछड़े को निगलने के बाद उसके शरीर के बीच का हिस्सा फूला हुआ है, ऐसे में उसे रेंगने में खासी मुश्किल हुई होगी।
अधिकारी ने कहा, "हमने कई वीडियो में सांपों को खरगोश या चूहे को निगलते हुए देखा लेकिन अजगर द्वारा नील गाय के बछड़े को निगलने का मामला दुर्लभ है।"
भारतीय अजगर को खतरे की प्रजातियों वाली रेड लिस्ट में कम जोखिम वाली प्रजाति के तौर पर वर्गीकृ त किया गया है। यह सूची यह भी बताती है कि इसके विलुप्त होने का खतरा हो सकता है। इस प्रजाति का अजगर लगभग 20 फीट की लंबाई तक बढ़ सकता है।
बागपत, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के बागपत में एक अजीबोगरीब वाकया सामने आया है, जहां एक युवक ने अपने पड़ोसी के 11 कबूतरों को मार डाला। पड़ोसी ने उसे अपने घर के सामने थूकने से मना किया था जिसका बदला लेने के लिए उसने इन बेजुबानों की जान ले ली। खबरों के मुताबिक, राहुल सिंह अपने पड़ोसी धर्मपाल सिंह के घर की छत पर चढ़ गया, जहां उसने एक पिंजरे में रखे 11 कबूतरों को एक पत्थर से मार डाला।
बाद में धर्मपाल सिंह ने मृत कबूतरों का वीडियो बनाया और राहुल सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई, जो घटना के बाद से फरार है।
पत्रकारों से बात करते हुए, धर्मपाल सिंह ने कहा कि राहुल उनके घर के सामने थूका करता था और उन्होंने उससे ऐसा नहीं करने के लिए कहा था, क्योंकि महामारी में इस तरह से थूकना मना है।
'अपमान' का बदला लेने के लिए, राहुल ने सोमवार को धर्मपाल के कबूतरों को मार डाला।
बागपत के सर्कल अधिकारी ओमपाल सिंह ने कहा, "हमने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। हम जल्द ही युवक को गिरफ्तार करेंगे।"
संदीप पौराणिक
भोपाल, 29 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में तकरार तेज हो गई है। अब तो राष्ट्रवाद की भी एंट्री हो गई है और राजनीतिक दलों को राष्ट्रद्रोही और देशभक्त बताया जाने लगा है।
राज्य में 28 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव होना है और यह कांग्रेस और भाजपा के लिए जीने और मरने जैसी लड़ाई है। यही कारण है कि दोनों दल एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। एक तरफ जहां दल-बदल का दौर जारी है, वहीं दूसरी ओर एक दूसरे को घेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
एक तरफ जहां आम जनता से जुड़े किसान कर्ज माफी, बिजली बिल, मुआवजा जैसे मुद्दे राजनीतिक दल उठाने में लगे हैं, तो दूसरी ओर व्यक्तिगत हमले भी बोले जा रहे हैं। इन हमलों में अब तो बात गद्दार, बिकाऊ से आगे चलकर राष्ट्रवाद तक पहुंचने लगी है।
राज्य सरकार की मंत्री ऊषा ठाकुर ने तो भाजपा को राष्ट्रवादी और कांग्रेस को राष्ट्र विरोधी विचारधारा करार देते हुए कहा, भाजपा और कांग्रेस के बीच वैचारिक युद्घ है। ये देशभक्त और देशद्रोही के बीच का चुनाव है जिनको राष्टवादिता से प्रेम था, वे भाजपा के साथ हैं, जो राष्ट्रवाद से विमुख हुए वे कांग्रेस में चले गए।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने कहा है कि यह तो देश जानता है कि देशभक्त और देशद्रोही कौन है, वास्तविकता यह है कि भाजपा जनता का वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की बयानबाजी करती है। आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव में उसे हार नजर आ रही है, लिहाजा वे जनता का ध्यान बांटने के लिए स्तरहीन बयान दे रही है, जनता सब जानती है और उप-चुनाव में सबक मिलेगा भाजपा को।
राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि उप-चुनाव में तल्खी रहेगी, इस बात के संकेत तो अभी से बयानबाजी में ही नजर आ रहे है। कांग्रेस छोड़कर गए पूर्व विधायकों को जहां कांग्रेस बिकाऊ, गद्दार कह रही है, वहीं भाजपा भी नए नारों और मुद्दों को गढ़ेगी ही। कुल मिलाकर आने वाले दिनों में बहुत कुछ नया सुनने को मिलेगा, क्योंकि मतदाताओं को अपने जाल में फंसाना तो राजनीतिक दलों का लक्ष्य है।
ज्ञात हो कि राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव होने वाले हैं। इन चुनाव में भाजपा को जहां पूर्ण बहुमत पाने के लिए नौ स्थानों पर जीत हासिल करनी है, वहीं कांग्रेस को सभी 28 स्थानों पर जीत जरुरी है। विधानसभा में कुल सदस्य संख्या 230 की है, पूर्ण बहुमत के लिए 116 सदस्य होना जरुरी है। वर्तमान में भाजपा के पास 107 और कांग्रेस के पास 89 सदस्य ही हैं। वहीं चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा का विधायक है।
नई दिल्ली, 29 सितम्बर (आईएएनएस)| कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अलग-अलग केंद्रीय मंत्रालयों और प्रमुख सरकारी निकायों में सोमवार को संयुक्त सचिवों या इसके समकक्ष 16 नई नियुक्तियों को मंजूरी दे दी। 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी श्याम भगत नेगी को कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव नियुक्त किया गया है, जबकि 1992 बैच के आईआरएस अधिकारी अमिताभ कुमार को वाणिज्य विभाग में संयुक्त सचिव पद की जिम्मेदारी दी गई।
एम. अंगामुथु को कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) का अध्यक्ष बनाया गया जो वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत आता है। इस बीच, आशीष चटर्जी को प्रतिष्ठित नेशनल डिफेंस कॉलेज में नया सीनियर डायरेक्टिंग स्टाफ, एसडीएस (सिविल) बनाया गया।
अनुराग बाजपेयी रक्षा उत्पादन विभाग के नए संयुक्त सचिव हैं। संजय लोहिया खनिज मंत्रालय में नए जेएस (संयुक्त सचिव) हैं और सुखेंदु ज्योति सिन्हा को नीति आयोग में सलाहकार बनाया गया है। पंचायती राज को रेखा यादव के रूप में एक नया जेएस भी मिला है, जबकि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को आशीष शर्मा और राहुल सिंह के रूप में दो संयुक्त सचिव मिले हैं।
नितिन गडकरी के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को महमूद अहमद के रूप में नया जेएस मिला है।
केसांग यांगजोम शेरपा को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद का सदस्य सचिव बनाया गया जो स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के अंतर्गत आता है। चेतन प्रकाश जैन वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) में नए जेएस और वित्तीय सलाहकार हैं।
1995 बैच के आईएएस अधिकारी एम. महेश्वर राव को बेंगलुरु में अंतरिक्ष विभाग में जेएस और वित्तीय सलाहकार बनाया गया। इस बीच, जी. जयंती संयुक्त सचिव के रूप में अंतरिक्ष विभाग में उनके साथ शामिल होंगी।
कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अदिति दास राउत को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव बनाया है।
देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बुरी खबर आई है। सोमवार को रेटिंग एजेंसी इक्रा (आईसीआरए) ने भारत की जीडीपी का नया अनुमान जारी किया। इसमें इक्रा ने भारत की जीडीपी में गिरावट को बढ़ाकर 11 फीसदी कर दिया है। पहले इक्रा ने भारत की पूरे साल की जीडीपी में 9.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था। लेकिन अब एजेंसी को लगता है कि हालात बहुत खराब हैं और पूरे वित्त वर्ष के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था को 11 फीसदी का नुकसान होगा।
हालांकि इक्रा ने इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था में होने वाले नुकसान का अनुमान 12.4 फीसदी ही रखा है। कई बिजनेस अखबारों और चैनलों के विशेषज्ञों के पोल में दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था को 8 से 15.6 फीसदी नुकसान का अनुमान लगाया गया था। ध्यान रहे कि इस साल की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था ने 23.9 फीसदी का गोता खाया था।
इक्रा की प्रधान इकोनॉमिस्ट अदिति नय्यर ने एक अखबार से बात करते हुए कहा कि, “भारत में कोरोना महामारी का असर बीते 6 माह से जारी है, हमें लगता है कि आर्थिक संकेतक अब इस संकट से निपटने लगे हैं, ऐसे में धीरे-धीरे हालात पटरी पर आएंगे लेकिन अब कोरोना बाद के दौर का एक नया नॉर्मल ही सामने आएगा।”
इक्रा ने इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद जताई है और तीसरी तिमाही के लिए अपने पूर्व के अनुमान -5.4 फीसदी को बढ़ाकर -2.3 फीसदी कर दिया है।(navjivan)
तिरुवनंतपुरम, 29 सितंबर (आईएएनएस)| केरल में दो महीने चलने वाला सालाना सबरीमला उत्सव का आयोजन इस बार भी होगा, लेकिन कोविड के प्रकोप को देखते हुए लागू प्रतिबंधों के कारण कम संख्या में श्रद्धालुओं को जुटने की अनुमति होगी। मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने यह बात सोमवार को कही। सबरीमला मंदिर परिसर में सालाना उत्सव 15 नवंबर से शुरू होगा। अत्यंत महत्वपूर्ण मकरविलाकु दिवस का आयोजन 14 जनवरी, 2021 को होगा।
पणजी, 29 सितंबर (आईएएनएस)| गोवा में 23 वर्षीय एक युवक ने रिलेशनशिप में रह रही गर्लफ्रेंड की हत्या कर खुद को फांसी लगा ली। पुलिस ने यह जानकारी सोमवार को दी। पुलिस अधीक्षक (दक्षिणी गोवा) पंकज कुमार सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि सर्वेश नामक युवक ने रविवार को कावरेम स्थित अपने घर में खुद को फांसी लगा ली। इससे पहले उसकी गर्लफ्रेंड अनीशा वेलिप (18) का शव कनकोलिम के तालाब में पाया गया।
उन्होंने कहा कि रविवार को अप्राकृतिक मौत के दोनों मामले अलग-अलग दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी गई है।
गुवाहाटी, 29 सितंबर (आईएएनएस)| असम में बाढ़ से बस्तियों के हालात सोमवार को और बिगड़ गए। राज्य के 13 जिलों में 3.18 लाख लोग बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। कई लोगों की मौत भी हो गई है। अधिकारियों ने यह बात कही। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों ने कहा कि कोविड-19 संकट के बीच तीसरी बार बाढ़ आई है। इससे 13 जिलों के 390 गांवों में 13,500 हेक्टर में लगी फसल डूब गई है।
उन्होंने कहा कि नागांव जिले में एक व्यक्ति की मौत हो गई है और धेमाजी जिले में एक व्यक्ति लापता है। राज्य में इस साल बाढ़ से अब तक 119 लोगों की मौत हो चुकी है।
बेंगलुरु, 29 सितंबर (आईएएनएस)| कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या के इस बयान को हल्के में लिया कि 'बेंगलुरु टेरर हब' (आतंकियों का गढ़) बन गया है। येदियुरप्पा ने सोमवार को कहा कि सूर्या ने किस संदर्भ में ऐसा बयान दिया है, उस पर गौर किया जाना चाहिए। हो सकता है, आतंकी गतिविधियों से उनका आशय कुछ और हो।
मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से बातचीत के दौरान यह बात कही।
वाराणसी, 29 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सोमवार को जिला न्यायाधीश अदालत में सुनवाई हुई। कोर्ट ने 3 अक्टूबर को अगली तिथि तय की है। इस दौरान सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के उस सिविल रिवीजन को विश्वनाथ मंदिर की ओर से चुनौती देते हुए बहस की गई, जिसमें मुस्लिम पक्षकारों ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत को मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार के प्रश्न पर आदेश को चुनौती दी थी।
प्राचीन मूर्ति स्वयंभू लॉर्ड विश्वेश्वर ज्ञानवापी मामले में सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से जिला जज की अदालत में दाखिल निगरानी याचिका के मियाद अधिनियम के तहत देरी से देने के लिए माफी के मुद्दे पर सोमवार को विपक्ष की तरफ से बहस की गई। लॉर्ड स्वयंभू विश्वेश्वर की तरफ से अदालत में मियाद अधिनियम के तहत विलंब माफ किए जाने के विरोध में दलील दी गई।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई की अगली तारीख 3 अक्टूबर तय कर दी। सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने निगरानी याचिका में कहा है कि लॉर्ड स्वंयभू विश्वेश्वर ज्ञानवापी मामले की सुनवाई का अधिकार अवर न्यायालय को नहीं है, बल्कि लखनऊ स्थित सेंट्रल वक्फ बोर्ड को है।
काशी विश्वनाथ के अधिवक्ता व वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि इस पूरे मामले में वादी के तौर पर स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर काशी विश्वनाथ और प्रतिवादी प्रथम पक्ष अंजुमन इंतजामियां व द्वितीय पक्ष सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ है। सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड मामले की सुनवाई लखनऊ में चाहता है।
विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी के पुरातात्विक सर्वेक्षण को लेकर मुकदमा 1991 से स्थानीय अदालत मे चल रहा है। इसमें कहा गया है कि मस्जिद, ज्योतिर्लिग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है, जहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ, दर्शन और मरम्मत का अधिकार है। कोर्ट से ये मांग स्वयंभू ज्योतिर्लिग विश्वेश्वर के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास ने किया था।
मुकदमा दाखिल करने वाले दो वादियों डॉ़ रामरंग शर्मा और पंडित सोमनाथ व्यास की मौत हो चुकी है। इसके बाद वादी पंडित सोमनाथ व्यास की जगह पर प्रतिनिधित्व कर रहे वाद मित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थनापत्र में कहा है कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है। यह देश के बारह ज्योतिर्लिग में से एक है। बाद में मंदिर परिसर में मस्जिद बना दी गई।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)| संसद से पारित हुए नए श्रम कानूनों को लेकर उठते सवालों को श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने खारिज किया है। केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि जितनी भी आलोचना की जा रही हैं, वह सब निराधार है। उन्होंने बताया कि कामगारों के अधिकार, नोटिस अवधि के बदले में वेतन देने के बारे में कोई समझौता नहीं किया गया है। इसके अलावा, औद्योगिक संबंध संहिता में नवसृजित पुर्नकौशल निधि के तहत 15 दिनों के वेतन के समान अतिरिक्त आर्थिक लाभ की संकल्पना की गई है। ऐसा कोई व्यावहारिक ²ष्टांत नहीं है, जो यह दर्शाए कि नए कानून हायर एवं फायर को बढ़ावा देते हैं।
मंत्रालय ने यह भी कहा है कि आर्थिक सर्वेक्षण, 2019 में भारतीय कंपनियों की मौजूदा लघु संरचना की पीड़ा का विश्लेषण किया गया है। लघु संरचना से आशय उन कंपनियों से है जो 10 वर्षों से अधिक से चल रही हैं, लेकिन रोजगार में वृद्धि के रूप में उनमें कोई प्रगति नहीं हुई है। औद्योगिक विवाद अधिनियम के अंतर्गत 100 कामगारों की सीमा को रोजगार सृजन के अवरोधकों में से एक पाया गया है।
यह भी देखा गया है कि श्रम विधानों के अंतर्गत सीमा नकारात्मक प्रभाव डालती हैं, जिससे कि कंपनियां आकार में छोटी रह जाती हैं। राजस्थान में वर्ष 2014 के दौरान उन कंपनियों के मामले में जिनमें 300 से कम कामगार नियोजित हैं, उनमें सीमा को 100 से बढ़ाकर 300 किया गया था तथा छंटनी इत्यादि से पहले पूवार्नुमति की अपेक्षा को समाप्त कर दिया गया था।
केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने यह भी कहा कि नियत कालिक कर्मचारी को नियमित कर्मचारी के समतुल्य सभी लाभों और सेवा शर्तों का कानूनन पात्र बनाया गया है।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)| देश में किसानों से जुड़े तीन अहम बिलों का जब ड्राफ्ट तैयार हो रहा था, तब आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने देश के 15 हजार गांवों से प्रस्ताव पारित कर सुझावों का पुलिंदा कृषि मंत्रालय को भेजा था। तीनों किसान बिलों में इन 15 हजार प्रस्तावों की अनदेखी पर भारतीय किसान संघ ने गहरी नाराजगी जाहिर की है। कहा है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी प्रस्तावों पर सहमत थे, तो फिर क्यों मंत्रालय ने सुझाव नजरअंदाज किए। भारतीय किसान संघ के मुताबिक किसानों के बीच से आए सुझावों को नजरअंदाज करने से पता चलता है, कि कृषि मंत्रालय में नौकरशाह हावी हैं। भारतीय किसान संघ ने एमएसपी की गारंटी देने के लिए नया कानून लाने की सरकार से मांग दोहराई है।
संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण ने आईएएनएस से कहा कि, " देश में करीब 80 हजार गांवों में किसानों से जुड़ी समितियों की गठन हुआ है। भारतीय किसान संघ ने इनमें से 15 हजार गांवों की समितियों के जरिए कृषि बिलों को लेकर प्रस्ताव पारित किए थे। जिसे कृषि मंत्री से मिलकर उन्हें उपलब्ध कराया गया था। ऐसे सुझाव दिए गए थे, जिससे किसानों को सचमुच में फायदा होगा। कृषि मंत्री ने भी प्रतिनिधिमंडल से भेंट करते हुए सुझावों पर सहमति जाहिर की थी। लेकिन बाद में पता चला कि सुझावों का बिल में इस्तेमाल हुआ ही नहीं। इससे यही अंदाजा लगता है कि कृषि मंत्रालय में अफसर ज्यादा हावी हैं।
भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्रीनारायण ने सवाल उठाते हुए कहा कि देश के कई हिस्सों में प्राइवेट प्लेयर्स की धोखाधड़ी सामने आ चुकी है। शिमला में सेब खरीदने के नाम पर कई प्राइवेट प्लेयर्स लाखों का चूना किसानों को लगा चुके हैं, तो नासिक में भी धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ऐसे में अगर सरकार मंडियों के समानांतर व्यवस्था कर रही है, तो फिर किसानों को उचित मूल्य ही मिलेगा, इसकी क्या गारंटी है?
भारतीय किसान संघ का मानना है कि सरकार चाहती तो बिल पर बेवजह हंगामा टाल सकती थी। सरकार को सिर्फ बिल में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देना था। अगर ऐसा होता तो फिर सरकार को अखबारों में विज्ञापनों के जरिए और पार्टी नेताओं को बार-बार एमएसपी को लेकर सफाई देने की जरूरत न पड़ती। राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण ने कहा कि जिस तरह से जल्द से जल्द तीनों बिल पास हुए और राष्ट्रपति ने भी उस पर मुहर लगा दी, उससे पता चलता है कि सरकार अब तीनों कानूनों के मसले पर जल्दी बैकफुट में आने के मूड में नहीं है। ऐसे में भारतीय किसान संघ एमएसपी की गारंटी देने वाले चौथे बिल की मांग करता है। अगर सरकार से उचित आश्वासन नहीं मिलता है तो फिर किसान संघ आगे की रणनीति तय करेगा।
अमरावती, 28 सितंबर (आईएएनएस)| आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने सोमवार को राज्य के किसानों के लिए 2,340 करोड़ की लागत की 2 लाख मुफ्त बोरवेल खोदे जाने की योजना का शुभारंभ किया। रेड्डी ने कहा, "हम उन किसानों के साथ खड़े हैं, जो अपने खेती में बोलवेल के माध्यम से सिंचाई करने में सक्षम नहीं हैं। सभी निर्वाचन क्षेत्रों में, हम 2 लाख बोरवेल ड्रिल करने की योजना चला रहे हैं, इतना ही नहीं, हम किसानों को केसिंग पाइप भी देंगे।"
उन्होंने कहा कि 'वाईएसआर जल कल' योजना चुनावी घोषणापत्र में था।
मुख्यमंत्री ने कहा, "इस योजना को लागू करके मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि मैं आंध्र प्रदेश के किसानों का भरोसा नहीं खोना चाहता। किसान बोरवेल लगवाने के लिए नि:शुल्क ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, या फिर अपने गांव में सचिव की सहायता से सकते हैं।"
राज्य के किसान बोरवेल लगवाने के आवेदन के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट वाईएसआर जलाकला डॉट एपी डॉट इन, वेबसाइट पर जा सकते हैं। किसान अतिरिक्त सहायता के लिए टोलफ्री नंबर 1902 पर भी संपर्क कर सकते हैं।
भोपाल 28 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कथित तौर पर पत्नी से पिटाई करने के आरोपों से घिरे पुलिस महानिदेशक स्तर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा का तबादला किए जाने के बाद गृह विभाग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। गृह विभाग ने पुरुषोत्तम शर्मा से पत्नी की पिटाई और एक अन्य वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद स्पष्टीकरण मांगा है। गृह विभाग के अवर सचिव अन्नू भलावी के हस्ताक्षर जारी स्पष्टीकरण आदेश में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर आपसे संबंधित दो वीडियो वायरल हुए हैं, जिसमें आपके द्वारा अनैतिक आचरण और पत्नी के साथ घरेलू हिंसा किया जाना, प्रथम दृष्टया परिलक्षित हो रहा है। यह कृत्य अनुशासनात्मक कार्रवाई का कारण बनता है। 29 सितंबर की शाम तक स्पष्टीकरण दें , समय सीमा में जवाब न दिए जाने पर एकतरफा कार्रवाई की जाएगी।
ज्ञात हो कि शर्मा से संबंधित दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। उसके बाद उन्हें संचालक लोक अभियोजक संचालनालय के पद से हटा दिया गया था और अब उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है।
नई दिल्ली, 28 सितम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली सरकार के मुताबिक अगले दो हफ्तों के दौरान दिल्ली में कोरोना संक्रमण के नए मामलों में कमी दर्ज की जाएगी। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि दिल्ली में कोरोना का डाउनट्रेंड शुरू हो चुका है। गौरतलब है कि दिल्ली में अभी तक कोरोना के कारण 5000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, "दिल्ली में कोरोना संक्रमण का डाउनट्रेंड शुरू हो गया है। इसके साथ ही दिल्ली में कोरोना के नए मामलों में भी कमी आने लगी है। दिल्ली में कोरोना के मामले दोगुने होने में अब 50 दिन का समय लग रहा है। कोरोना की पहचान और रोकथाम के लिए दिल्ली में प्रतिदिन 50 से 60 हजार टेस्ट करवाए जा रहे हैं।"
दिल्ली सरकार की तरफ से करवाए जाने वाले सीरो सर्वे की तारीख इस बार कुछ आगे बढ़ाई जा सकती है। दरअसल 30 सितंबर को दिल्ली सरकार कोर्ट के समक्ष सीरो सर्वे की रिपोर्ट पेश करेगी। इसी को देखते हुए अक्टूबर का सीरो सर्वे थोड़ा लेट हो सकता है। हालांकि दिल्ली सरकार के मुताबिक सीरो सर्वे लेट जरूर हो सकता है, लेकिन इसे टाला या रद्द नहीं किया जाएगा।
सीरो सर्वे के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि, दिल्ली में रह रहे कितने लोगों के शरीर में कोरोना से लड़ने वाला एंटीबॉडी तैयार हो चुका है।
दिल्ली में अभी तक 2,71,114 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 2,36,651 व्यक्ति कोरोना संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हो चुके हैं। वहीं 5235 लोगों की कोरोना से संक्रमित होने के बाद मृत्यु हो चुकी है। दिल्ली में फिलहाल 29,228 एक्टिव कोरोना रोगी हैं।
दिल्ली सरकार का यह भी मानना है कि दिल्ली में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आ चुकी है। साथ ही दूसरी लहर का पीक भी दिल्ली देख चुकी है। दिल्ली सरकार के मुताबिक अब कोरोना वायरस की दूसरी लहर का पीक धीरे-धीरे ढलान की ओर है। यानी आने वाले दिनों में दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी देखी जा सकती है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिल्ली में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आई थी और अब इसका पीक भी आ चुका है। ऐसा लगता है दूसरी लहर का पीक आने वाले समय में धीरे-धीरे कम होगा। मुझे उम्मीद है और सारे कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे कि तेजी से कंटेनमेंट जोन बनाना। 17 अगस्त तक दिल्ली में 550 कंटेनमेंट जोन थे, जिन्हें अब बढ़ाकर 2000 से अधिक कर दिया गया है।"
17 अगस्त से दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले बढ़ना शुरू हुए। 16 सितंबर को साढ़े चार हजार नए मामले सामने आए। हालांकि अब यह मामले कम होना शुरू हुए हैं। अब लगभग 3700 मामले सामने आ रहे हैं।
दिल्ली सरकार ने बीते कुछ दिनों में कोरोना टेस्टिंग में कई गुना इजाफा इजाफा किया है। फिलहाल दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 60,000 कोरोना टेस्ट किए जा रहे हैं।
-- आईएएनएस
मुंबई, 28 सितंबर (आईएएनएस)| महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी ने अगस्त में ही विवादास्पद कृषि विधेयकों को लागू कर दिया था, जो अब सरकार के लिए बड़ी शर्मिदगी के तौर पर उभरकर सामने आया है।
गौरतलब है कि ये विधेयक पिछले सप्ताह संसद में पारित हुए हैं और राज्य सरकार ने इसके पारित होने से पहले इसे लागू कर दिया था। इन विधेयकों को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
मार्केटिंग के निदेशक सतीश सोनी द्वारा 10 अगस्त को जारी अधिसूचना में सभी कृषि उपज एवं पशुधन बाजार समितियों (एपीएमसी) और जिला कृषि सहकारी समितियों को राज्य में प्रस्तावित कानूनों पर तीन अध्यादेशों को 'सख्ती से लागू करने' का आदेश दिया गया था।
ये विधेयक, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 हैं।
एमवीए गठबंधन पार्टी यानी शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस नए कानूनों का कड़ा विरोध कर रही है, लेकिन वह केंद्र द्वारा कोई भी नियम, दिशानिर्देश या ढांचा जारी करने से पहले ही इसे राज्य सरकार आगे बढ़ा चुकी थी और उसके छह सप्ताह बाद संसद द्वारा इन विधेयकों को मंजूरी दी गई, जिसके बाद इसे लेकर विरोध प्रदर्शन किया जाने लगा।
इस संबंध में सोनी से संपर्क किए जाने पर भले ही उन्होंने अधिसूचना जारी करने की पुष्टि की, लेकिन वर्तमान में इस पर राजनीतिक रवैये को देखते हुए टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया। इससे साबित होता है कि महाराष्ट्र इन नए कानूनों को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता व मार्केटिंग मंत्री बालासाहेब शामरा पाटिल से इस पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर वह टालमटोल करने लगे।
पाटिल ने आईएएनएस से कहा, "आदेश जारी किया गया था, लेकिन अब उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के हालिया बयान के बाद स्थिति अलग है।"
हैरानी की बात यह है कि राज्य में इन विधेयकों के लागू होने के छह सप्ताह बाद भी अजीत पवार ने इस घटनाक्रम पर अनभिज्ञता जाहिर की। इसका पता तब चला, जब उन्होंने संकेत दिया कि राज्य इन कृषि विधेयकों को लागू नहीं करेगी।
उपमुख्यमंत्री ने 26 सितंबर को पुणे में मीडियाकर्मियों से कहा था, "राज्य और देशभर के किसान विरोध कर रहे हैं, ऐसे में सरकार कोई भी 'अंतिम निर्णय' लेने से पहले विशेषज्ञों से परामर्श करेगी।"
इस बीच, राज्य कांग्रेस प्रमुख और राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने सोमवार को दोपहर में राजभवन तक विरोध मार्च निकालने की योजना बनाई, जिससे पार्टी के लिए स्थिति और अपमानजनक हो गई।
मार्केटिंग विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने खुलासा किया कि अधिसूचना जारी करने का निर्णय केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल के निर्देशों के बाद लिया गया था, जिन्होंने राज्य को तुरंत ऐसा करने के लिए कहा।
आईएएस अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, "यह मामला लॉ डिपार्टमेंट के पास भेजा गया था, जिसने कहा कि हमारे पास इसे लागू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जिसके बाद संबंधित मंत्री (पाटिल) द्वारा इसे मंजूरी दे दी गई थी।"
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सलाहकार व वसंतराव नाइक शेट्टी स्वावलंबन मिशन (एमओएस रैंक) के अध्यक्ष किशोर तिवारी इस बात से सहमत थे और उन्होंने भी सवाल किया कि किसके इशारे पर नौकरशाहों ने आदेश जारी किए, जबकि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, केरल, ओडिशा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे कई अन्य राज्य इसका विरोध कर रहे हैं।
तिवारी ने आईएएनएस से कहा, "संबंधित विभाग के प्रमुख को मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री को अंधेरे में रखने के लिए बर्खास्त किया जाना चाहिए.. इससे राज्य सरकार के खिलाफ एक गहरी साजिश की बू आ रही है और एमवीए सहयोगियों को तुरंत इस बारे में चर्चा करनी चाहिए, जिससे किसानों का विश्वास उनमें बना रहे।"
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि यह दिलचस्प है कि तीनों दलों, शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के नेता 10 अगस्त की अधिसूचना से अनभिज्ञ लग रहे हैं, जबकि आधिकारिक रुख किसानों के विरोध को देखते हुए इन कानूनों का विरोध करना है।
इन दलों के नेताओं ने इस बात की ओर इशारा किया कि किस तरह इन कृषि विधेयकों के कारण भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने गठबंधन तोड़ लिया और भाजपा शासित राज्यों में भी सत्ताधारी पार्टी को किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है।
शिवसेना सांसद संजय राउत और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को एनडीए छोड़ने और 'मजबूती से किसानों के साथ' खड़े होने पर पंजाब के शिअद के फैसले का स्वागत किया था, जबकि उनके अपने महाराष्ट्र में उन्हें शर्मिदगी उठानी पड़ी।
इस नए खुलासे से राज्य के किसानों को आघात लगने की उम्मीद है, वहीं यह मुद्दा एमवीए के भीतर विवाद को जन्म दे सकता है, हालांकि राज्य में विपक्षी दल भाजपा के लिए यह खुश होने की बात है।
--आईएएनएस
नयी दिल्ली, 28 सितम्बर (वार्ता) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में संसद में पारित कृषि संबंधी विधेयक को लेकर मोदी सरकार पर फिर निशाना साधा और कहा कि उसने यह कानून लाकर किसानों के लिए मौत का फरमान जारी किया है।
श्री गांधी ने सोमवार को ट्वीट किया , “ कृषि संबंधी कानून हमारे किसानों के लिए मौत का फरमान हैं। उनकी आवाज संसद और संसद के बाहर दोनों जगह दबाई गयी। यह प्रमाण है कि भारत में लोकतंत्र खत्म हो गया है।”
इसके साथ ही उन्होंने एक अखबार में छपी एक खबर भी पोस्ट की है जिसमें कहा गया है कि राज्यसभा के उपसभापति कहते हैं कि विधेयक को पारित करते समय जब मत विभाजन की मांग की गयी तो विपक्ष अपनी सीटों पर नहीं था लेकिन राज्यसभा टीवी की तस्वीरें कुछ और ही दिखा रही है।
अभिनव टंडन
वार्ता
नयी दिल्ली, 28 सितंबर (वार्ता) ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ के रचयिता गीतकार अभिलाष का कल देर रात मुंबई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 74 वर्ष के थे।
श्री अभिलाष के एक परिवारिक मित्र विजय प्रभाकर नगरकर ने यहां बताया कि श्री अभिलाष ने मार्च में पेट के एक ट्यूमर का ऑपरेशन कराया था। तभी से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। गोरेगांव पूर्व के शिव धाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनका वास्तविक नाम ओमप्रकाश कटारिया था। उनका जन्म 13 मार्च 1946 को दिल्ली में हुआ। उनके परिवार में एक पुत्र है।
उन्होंने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने उन्हें कलाश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। सिने गीतकार अभिलाष का विश्व प्रसिद्ध गीत 'इतनी शक्ति हमें देना दाता' देश के 600 विद्यालयों में प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है। विश्व की आठ भाषाओं में इस गीत का अनुवाद हो चुका है और इसे प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है। इस गीत को वर्ष 1985 में फ़िल्म अंकुश के लिए संगीतबद्ध किया था। इस गीत को तकरीबन दो करोड माेबाइल फोन धारकों ने अपने कॉलर ट्यून बनाया है।
'इतनी शक्ति हमें देना दाता' गीत के अलावा श्री अभिलाष के लिखे साँझ भई घर आजा (लता), आज की रात न जा (लता), वो जो ख़त मुहब्बत में (ऊषा), तुम्हारी याद के सागर में (ऊषा), संसार है इक नदिया (मुकेश), तेरे बिन सूना मेरे मन का मंदिर (येसुदास) आदि गीत भी बेहद लोकप्रिय हुए। वह लगभग 40 सालों से फ़िल्म जगत में सक्रिय रहे। संवाद लेखन और गीत लेखन के लिए श्री अभिलाष को सुर आराधना अवार्ड, मातो श्री अवार्ड, सिने गोवर्स अवार्ड, फ़िल्म गोवर्स अवार्ड, अभिनव शब्द शिल्पी अवार्ड, विक्रम उत्सव सम्मान, हिंदी सेवा सम्मान और दादा साहेब फाल्के अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया है। वह स्क्रीन राइटर एसोसिएशन के संयुक्त सचिव और इंडियन परफार्मिंग राइट सोसाइटी के निदेशक का पद भी संभाल चुके हैं।
सत्या जितेन्द्र
वार्ता
नयी दिल्ली 28 सितम्बर (वार्ता) राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने छत्तीसगढ़,हरियाणा और तेलंगाना को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इस वर्ष खरीफ सत्र में धान की खरीद के लिए 19444 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी करने को मंजूरी दी है ।
कृषि मंत्रालय के अनुसार यह राशि इसलिए मंजूर की गई है ताकि राज्यों के मार्केटिंग महासंघों (फेडरेशनों )को अपने सहकारी संगठनों के जरिए समयबद्ध ढंग से धान की खरीद करने की प्रक्रिया में सहायता मिले। छत्तीसगढ़ के लिए सबसे अधिक 9000 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। हरियाणा के लिए 5444 करोड़ रुपये और तेलंगाना के लिए 5500 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी हैं।
कोविड महामारी के दौरान एनसीडीसी की ओर से उठाये गये इस कदम से इन तीनों राज्यों के किसानों को बेहद जरूरी वित्तीय सहायता प्राप्त होगी । उचित समय पर उठाए गए इस कदम से राज्यों की एजेंसियां तत्काल खरीद प्रक्रिया को शुरू कर सकेंगी। इससे किसानों को सरकार द्वारा अधिसूचित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपना उत्पाद बेचने में जरूरी सहायता मिलेगी।
अरुण सत्या
वार्ता
लखनऊ, 28 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में आठ सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं। तिथियां हालांकि अभी नहीं घोषित हुई हैं, फिर भी सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी विसात बिछानी शुरू कर दी है। कांग्रेस ने तो अपने दो सीटों पर उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं। बसपा ने सभी सीटों पर प्रभारी बना दिए हैं। वहीं आगे चलकर उम्मीदवार भी हो जाएंगे। भाजपा ने तो बहुत पहले से अपनी तैयारी तेज कर रखी है।
समाजवादी पार्टी ने जहां पर उपचुनाव होने हैं, वहां वर्चुअल बैठकें और प्रदेश अध्यक्ष ने दौरा भी शुरू किया है। कुछ पदाधिकारियों को जिम्मेदारी भी दी गई है।
उधर, भाजपा अपनी तैयारियों के लिए खुलकर मैदान में डटी है। हर सीट पर एक मंत्री और एक संगठन के पदाधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है। संगठन की ओर से स्थानों पर स्वयं प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव ने दौरा करना शुरू किया है, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जौनपुर, देवरिया, बांगरमऊ व उन्नाव खुद पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने योजनाओं की झड़ी लगाकर कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र भी दिया है। संगठन महामंत्री सुनील बसंल भी लगातर कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे हैं। संपर्क अभियान भी शुरू हो चुका है।
कांग्रेस ने रामपुर की स्वार सीट पर हैदर अली खां उर्फ हमजा को और उन्नाव की बांगरमऊ सीट से वाजपेयी को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया है। दोनों सीटों पर कांग्रेस ने अपने पुराने व दिग्गज राजनीतिक परिवारों पर भरोसा जताया है। आरती के दादा उमाशंकर दीक्षित गांधी नेहरू परिवार के काफी नजदीक थे। वे काफी कद्दावर नेता माने जाते थे। पार्टी ने इसी तरह रामपुर सीट पर मिक्की मियां की तीसरी पीढ़ी को मैदान में उतारा है। प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आठों सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ने के लिए बाकायदे प्रभारी भी घोषित किए हैं।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक पदाधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि पार्टी जिसे प्रभारी बनाती है, उसे ही अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया जाता है। बसपा ने सभी सीटों पर प्रत्याशी चयनित कर लिए हैं। उनकी घोषणा बाकी है। इस बार हर सीट पर जीतने वाले प्रत्याशी को मैदान पर उतारा जा रहा है। हर कैडर के हिसाब से रणनीति बनाई जा रही है।
जिन आठ सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें जौनपुर की मल्हानी और रामपुर की स्वार सीटें सपा के पास थीं। बाकी 6 सीटें भाजपा के पास थीं। बसपा अगर एक भी सीट पर चुनाव जीतती है तो उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा। अभी तक जो नाम सामने आ रहे हैं, उनमें से कानपुर की घाटपुर सीट के लिए कुलदीप संखवार और देवरिया से अभयनाथ त्रिपाठी का प्रमुखता से हैं। हालांकि इसी प्रकार करीब सभी सीटों पर नाम तय हो गए हैं, लेकिन पार्टी की ओर से अभी कोई घोषणा नहीं की गई है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि आमतौर पर उपचुनाव सत्तारूढ़ दल का इम्तिहान माना जाता है। यूपी में विधानसभा चुनाव साल 2022 में होने हैं। ऐसे में इस उपचुनाव से आगे का रुख पता चलेगा। विपक्ष के लिए भी अपने को जनता के सामने कितना खरा साबित करने का यह यह बेहतरीन मौका होगा। उपचुनाव के परिणाम आगे आने वाले चुनाव के लिए बड़ा संकेत देगा।
--आईएएनएस
सतना/भोपाल 28 सितंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के सतना जिले के सिंहपुर थाने में थाना प्रभारी की सर्विस रिवाल्वर से चली गोली चोरी के संदेह में पकड़े गए व्यक्ति को लग गई, जिससे उसकी मौत हो गई। इस पर गुस्साई भीड़ ने जमकर हंगामा किया। इस इस घटना के बाद थाना प्रभारी और एक पुलिस जवान को निलंबित कर दिया गया है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। सिंहपुर थाने की पुलिस ने चोरी के संदेह में राजपति कुशवाहा को पकड़ा था। रविवार की रात को थाना प्रभारी विक्रम पाठक की सर्विस रिवाल्वर से राजपति को गोली लगी और उसकी मौत हो गई। इस घटना के सामने आने पर सोमवार को गांव के लोग सड़क पर उतर आए और उन्होंने प्रदर्शन किया। भीड़ पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज कर आंसूगैस के गोले छोड़ना पड़े।
पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल ने थाना प्रभारी विक्रम पाठक व एक आरक्षक आशीष को निलंबित कर दिया है। वहीं मुख्यमंत्री चौहान ने इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा, "शिवराज सरकार में ये कैसी कानून व्यवस्था है? सतना जिले के सिंहपुर थाने में पूछताछ के लाए गए राजपति कुशवाह नामक व्यक्ति को रात में लकअप में गोली मार दी गई। परिजन यह आरोप लगा रहे है।"
उन्होंने कहा, "परिजन व ग्रामीण शव लेने व घटना का विरोध करने जब थाना पहुंचे तो उन पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज किया गया, उन्हें शव भी नहीं दिया जा रहा है। मैं सरकार से मांग करता हूं कि वह इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराए, दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो, परिवार को इंसाफ मिले।"
इस घटना पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता अजय सिंह ने कहा कि थाना प्रभारी की सर्विस रिवाल्वर से किसी व्यक्ति की मौत हो जाना बेहद गंभीर मामला है, दोषियों पर मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 28 सितम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली में सीआर पार्क की दुर्गापूजा काफी फेमस है। हर साल यहां हजारों की तादाद में लोग दुर्गापूजा मनाते हैं। लेकिन कोविड 19 के चलते इस बार दुर्गापूजा भव्य तरीके से नहीं मनाई जाएगी। इस साल दुर्गापूजा को वर्चुअल तरीके से मनाए जाने की तैयारियां चल रही हैं, तो वहीं कुछ जगहों पर दुर्गापूजा नहीं मनाई जाएगी। सीआर पार्क में न सिर्फ पूजा बल्कि कल्चरल ऐक्टिविटीज भी होती हैं। वहीं बच्चों के लिए ड्रॉइंग, म्यूजिकल चेयर, सिंगिंग कॉम्पटीशन जैसी दिलचस्प ऐक्टिविटीज भी आयोजित की जाती हैं। लेकिन इस बार ये सभी एक्टिविटीज नहीं होगी, हालांकि कुछ जगहों पर इसे ऑनलाइन किया जाएगा।
दिल्ली में कुछ ही जगहों पर दुर्गापूजा भव्य रूप में मनाई जाती है, और इन जगहों में सीआर पार्क का जिक्र न हो यह असंभव है। सीआर पार्क को मिनी-कोलकाता के रूप में भी जाना जाता है।
चितरंजन पार्क काली मंदिर सोसाइटी के सेक्रेटरी सिरीबाश भट्टाचार्य ने आईएएनएस को बताया, "अभी हम लोगों को सभी चीजें क्लियर नही हुई हैं। लेकिन हमने सोचा है कि एक छोटी 4 फुट की मूर्ति बनाकर पूजा करें, लेकिन इसमें लोग शामिल नहीं होंगे, ये पूजा पूरी तरह ऑनलाइन होगी।"
"हमने इसके लिए लोकल टीवी से बात की है, जो इस पूजा का ऑनलाइन प्रसारण करेगा। हालांकि हम उसे इसके लिए पैसे देंगे, अभी फिलहाल चीजों पर चर्चा की जा रही है।"
उन्होंने बताया, "इस बार भोग (प्रसाद) नहीं होगा, कल्चरल प्रोग्राम ऑनलाइन किये जा रहे हैं। ल् मुख्य कार्यक्रम नहीं मनाए जाएंगे। सबकुछ सरकार की गाइडलाइंस के हिसाब से किया जाएगा। "
सीआर पार्क में कुछ ऐसे दुर्गा पंडाल लगाए जाते हैं, जो आपको कोलकाता की दुनिया में वापस ले जाते हैं। सिर्फ पंडाल ही नहीं, यहां आपको कोलकाता के स्ट्रीट फूड आइटम्स भी मिलते हैं।
सीआर पार्क में प्रसिद्ध गायकों और संगीतकारों को आमंत्रित करके सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी कराया जाता है। लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इस साल काफी पाबंदियों के बीच में दुर्गापूजा मनाई जाएगी।
चितरंजन पार्क दुर्गा समिति बी ब्लॉक ग्राउंड के जनरल सेक्रेटरी सुप्रकाश मजूमदार ने आईएएनएस को बताया, "इस बार कोई पूजा नहीं हो रही है, सिर्फ एक दिन के लिए होगी, जिसमें मूर्ति नहीं होगी, न ही पंडाल लगाया जा रहा है। हमने एक जगह चिन्हित की है, वहीं पूजा की जाएगी और उसमें 10 लोग शामिल होंगे।"
एकयन तरंग एक डांस ग्रुप है, जो हर साल दुर्गा पूजा पर डांस परफॉर्म करते थे। साथ ही सीआर पार्क के अलावा दिल्ली की और जगहों पर भी परफॉर्म करने जाते थे, लेकिन इस साल ग्रुप के सदस्यों में उदासी है। डांस ग्रुप की सदस्य अरुंधती बैनर्जी ने आईएएनएस को बताया, "हर साल दुर्गा पूजा होने के बाद, हम अगले साल की पूजा का इंतजार करते थे, लेकिन कोरोना की वजह से इस बार दुर्गा पूजा भव्य नहीं हो रही है।"
उन्होंने बताया, "ऑनलाइन प्रोग्राम के लिए काली मंदिर अपील कर रहा है, जिसका प्रसारण ऑनलाइन किया जाएगा। वहीं छोटे बच्चों के कॉम्पटीशन हो रहें हैं, लेकिन बस फर्क इतना है कि इस बार ऑनलाइन प्रसारण होगा। पहले कोलकाता से लोगों को बुलाया जाता था, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हो रहा है।"
--आईएएनएस
जबलपुर, 28 सितम्बर | मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ों का उपचार कर रहे अस्पतालों के रिसेप्शन पर उपचार शुल्क सूची लगाए जाने के पूर्व में दिए गए अपने आदेश के अनुपालन के संबंध में प्रदेश सरकार ने क्या कदम उठाए हैं, इस पर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है.
मामले में कोर्ट मित्र अधिवक्ता नमन नागरथ ने शनिवार को बताया कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस संजय यादव तथा जस्टिस बीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने बुधवार को यह निर्देश जारी किए हैं. याचिका पर अगली सुनवाई एक अक्टूबर को निर्धारित की गई है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, नागरथ ने कहा कि राज्य सरकार ने अदालत के 7 सितंबर के निर्देश के अनुपालन के बारे में स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसमें अस्पतालों में रिसेप्शन केंद्रों पर कोरोना वायरस रोगियों के लिए उपचार दरों की सूची लगाने के लिए कहा गया था.
अदालत ने कहा, ‘यद्यपि यह अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा कहा गया है कि आदेश का अनुपालन किया जा रहा है और 14 सितंबर को इस संबंध में स्थिति रिपोर्ट दायर की गई है लेकिन राज्य सरकार द्वारा निजी सहित हर अस्पताल के रिसेप्शन केंद्र पर कोविड-19 रोगियों के उपचार की दरें प्रदर्शित करने के संबंध निर्देश जारी करने की कार्रवाई का खुलासा नहीं करता है.’
अदालत ने आगे कहा, ‘न ही इसमें यह दिख रहा है कि राज्य ने उक्त आदेश के संबंध में अखबारों में बड़े स्तर पर विज्ञापन दिया है.’
गौरतलब है कि प्रदेश के शाजापुर जिले स्थित एक निजी अस्पताल के प्रबंधन ने बिल का भुगतान नहीं होने पर एक वृद्ध मरीज को बिस्तर से बांधकर रखा हुआ था. इस संबंध में अखबारों में फोटो सहित समाचार प्रकाशित हुए थे.
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने 11 जून को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को पत्र लिखा था. जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के महासचिव डॉ. अश्वनी कुमार द्वारा उक्त घटना का उल्लेख करते हुए शीर्ष न्यायालय को आठ जुलाई को एक पत्र लिखा था. जिसमें उक्त घटना को मानव अधिकारों का उल्लंघन बताया गया था.
खंडपीठ ने प्रदेश सरकार को निर्देशित किया था कि कोविड- 19 मरीजों के उपचार से संबंधित शुल्क सूची अस्पतालों में चस्पा की जाए. निर्धारित से अधिक राशि लेने पर पीड़ित पक्ष जिला प्रशासन तथा हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर शिकायत कर सकता है.(THEWIRE)
पटना, 25 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही पटना की सड़कों पर दो राजनीतिक दल -- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जन अधिकार पार्टी (जाप) के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए और जमकर लाठी डंडे चले। इस दौरान भाजपा कार्यालय के सामने की सड़क रणक्षेत्र में तब्दील हो गई। भाजपा के नेताओं का कहना है कि पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ता कृषि सुधार से जुड़े विधेयकों का विरोध करते हुए सडकों पर उतरे थे। इसी दौरान वे भाजपा के प्रदेश कार्यालय में दाखिल होने की कोशिश करने लगे, जिसका भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। इसी दौरान दोनों पक्षों के बीच विवाद शुरू हो गया। धीरे-धीरे इस विवाद ने मारपीट का रूप ले लिया।
आरोप है कि इसके बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं ने लाठी डंडों से जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं की पिटाई शुरू कर दी। इस दौरान सड़क रणक्षेत्र में तब्दील हो गई। किसी तरह मामला शांत करवाया गया।
कई किसान संगठनों ने कृषि विधेयकों के खिलाफ शुक्रवार को 'भारत बंद' का आह्वान किया था, जिसका बिहार में विपक्षी दलों ने भी समर्थन दिया।
इधर, भारतीय जनता पार्टी (भजपा) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि किसानों का शोषण कर अपनी राजनीति चमकाने वाले दल और उनके समर्थकों के प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर हमला कर कायरता का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि बिचौलियों की इस करतूत की जितनी निंदा की जाय कम होगी। इसका जवाब अगले माह होने वाले विधानसभा के चुनाव में राज्य के किसान देंगे।
इधर, जाप के प्रमुख पप्पू यादव ने भाजपा कार्यकर्ताओं पर गुंडगर्दी करने का आरोप लगाया है। पप्पू यादव ने कहा, "बिहार बंद के दौरान भाजपा के कार्यकर्ताओं की गुंडागंर्दी दिखी। शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे जाप के कार्यकर्ताओं पर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने हमला किया जिसमें जाप के कुछ सदस्य चोटिल हो गए।"
यादव ने कहा कि, पूंजीपतियों की समर्थक भाजपा किसानों की आवाज को दबाना चाहती है और पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती है।
लखनऊ, 28 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश की राजधानी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किसान बिल के विरोध व राज्य में अपराध बढ़ने समेत कई तरह के आरोप लगाते हुए जमकर प्रदर्शन किया। लखनऊ के परिवर्तन चौक पर बड़ी संख्या में कांग्रेसी जीपीओ की ओर बढ़े, जिनको चौक के पास ही रोक लिया गया। इस दौरान प्रदर्शन कर रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है। बिल के विरोध को लेकर जगह-जगह से कांग्रेस नेता हिरासत में लिए गए। कई को उनके घर में ही नजरबंद कर दिया गया है। सेवादल के कई कार्यकर्ता परिवर्तन चौक के पास पुलिस हिरासत में लिए गए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि प्रदेश में अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। विरोध की हर आवाज को दबाया जा रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू का कहना है कि यह बिल किसानों के लिए 'काला कानून' है। रविवार को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद पूरे देश का किसान खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। यह बिल किसान विरोधी है, जो आने वाले समय में खुद के खेत में ही किसान और अपने घर पालने के लिए बंधुआ मजदूरी करेगा। इसको केंद्र सरकार को वापस लेना चाहिए या इस बिल में एमएसपी तय किया जाना चाहिए।
उधर, कृषि बिल को लेकर कांग्रेस और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में विधानसभा का घेराव करने का ऐलान किया है। इसी कड़ी में सुबह अलग-अलग जगहों से दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता विधानसभा कूच करने लगे। इस दौरान पुलिस से भिड़ंत भी हुई। वहीं, प्रसपा कार्यकर्ताओं को कार्यालय के बाहर ही पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। रोके जाने से आक्रोशित हुए कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प हुई, जिस पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है।
किसान बिल के विरोध में प्रदर्शन करने से रोकने के लिए लखनऊ कमिश्नरेट के अफसरों ने बॉर्डर सील कर दिए थे। विधानसभा, मुख्यमंत्री और राजभवन के बाहर भारी पुलिस बल सुबह से ही तैनात है। चार कंपनी पीएसी समेत अतिरिक्त पुलिस फोर्स तैनात की गई है। शहर के करीब 14 स्थानों पर बैरिकेडिंग लगाई गई है।