राष्ट्रीय
मथुरा, 28 सितम्बर (आईएएनएस)| श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक मामले को लेकर दाखिल याचिका पर अब 30 सितंबर को सुनवाई होगी। सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन याचिकाकर्ता अदालत नहीं पहुंचे। श्रीकृष्ण विराजमान, स्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि और कई लोगों की ओर से पेश किए दावे में कहा गया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (जो अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना जाता है) और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरीशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने मथुरा की सीनियर सिविल जज छाया शर्मा की अदालत में याचिका दाखिल की है। भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से दाखिल की गई इस याचिका में न्यायालय से 13.37 एकड़ की जन्मभूमि का मालिकाना हक मांगा गया है। भक्तों ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच पांच दशक पूर्व हुए समझौते को अवैध बताते हुए उसे निरस्त करने और मस्जिद को हटाकर पूरी जमीन मंदिर ट्रस्ट को सौंपने की मांग की है। लखनऊ की रहने वाली रंजना अग्निहोत्री और अन्य कई लोगों ने मिलकर मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को जमीन देने को गलत बताते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में दावा पेश किया।
अधिवक्ता द्वारा शुक्रवार को मथुरा की अदालत में दायर की गई याचिका में कहा गया था कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच हुआ समझौता पूरी तरह से गलत है और भगवान कृष्ण एवं उनके भक्तों की इच्छा के विपरीत है। हालांकि 12 अक्तूबर 1968 को कटरा केशव देव की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सोसाइटी द्वारा किया गया। जिसके तहत 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई। याचिका में डिक्री को खारिज करने की मांग की गई है।
कोर्ट को यह तय करना था कि इस याचिका को स्वीकार किया जाए या नहीं, लेकिन सुनवाई को 30 सितंबर तक के लिए टाल दिया गया। ज्ञात हो कि याचिका में श्री कृष्ण जन्मभूमि के 13.37 एकड़ के स्वामित्व और शाही ईदगाह के निर्माण पर सवाल उठाए गए हैं।
भोपाल, 28 सितम्बर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कथित तौर पर पत्नी की पिटाई करने का वीडियो वायरल होने पर पुलिस महानिदेशक स्तर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा को संचालक लोक अभियोजक संचालनालय के पद से हटा दिया गया है। वहीं शर्मा ने पत्नी से हुए विवाद को पारिवारिक विवाद बताया है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शर्मा का अपनी पत्नी से विवाद हो रहा है और वे कथित तौर पर पिटाई करते हुए भी नजर आ रहे हैं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए शर्मा को लोक अभियोजक संचालनालय के संचालक पद से हटा दिया। उन्हें गृह मंत्रालय में उपस्थिति दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है।
राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि अगर वीडियो सही है तो मामला गंभीर है और निश्चित रुप से कार्रवाई होनी चाहिए।
वीडियो वायरल होने के बाद शर्मा ने सफाई दी है और इसे पारिवारिक विवाद बताते हुए कहा, मैंने कोई क्राइम नहीं किया है। ये मेरे और मेरी पत्नी के बीच का यह पारिवारिक मामला है। अगर वह मुझसे इतने नाराज हैं तो मेरे साथ क्यों रहती हैं। मेरे पैसे का इस्तेमाल क्यों करती हैं? मेरे पैसों पर विदेश यात्राएं क्यों करती हैं? यह मेरा पारिवारिक मामला है, इसे मैं खुद सुलझा लूंगा, मैं मेरी पत्नी से लगातार संपर्क में हूं, मैं पूरी कोशिश कर रहा हूं कि यह मामला सुलझा लिया जाए।
यह सेल्फ डिफेंस के तहत झूमा-झटकी का मामला है। मैंने कोई मारपीट नहीं की है, सिर्फ धक्का-मुक्की और झूमा झटकी हुई है।
नई दिल्ली, 28 सितम्बर (आईएएनएस)| केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सोमवार को युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा कृषि कानूनों के विरोध में इंडिया गेट के पास एक ट्रैक्टर को आग के हवाले करने की घटना को लेकर हमला बोला। जावडेकर ने कहा, "कांग्रेस बेनकाब हो गई है और किसानों को गुमराह कर रही है। वे किसानों के नाम पर नाटक और राजनीति कर रही है।"
उन्होंने 'घोषणापत्र में कुछ कहने और सिर्फ इसके विपरीत करने के लिए' कांग्रेस की खिंचाई की।
जावडेकर ने ट्वीट भी किया, "कांग्रेस के कार्यकर्ता ट्रक में ट्रैक्टर लाए और इंडिया गेट के पास जलाया। यही है कांग्रेस का नाटक। इसलिए कांग्रेस को लोगों ने सत्ता से बेदखल किया।"
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया और कहा, "कृषि कानून हमारे किसानों के लिए मौत की सजा है। संसद और बाहर उनकी आवाज को कुचल दिया जाता है।"
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा कृषि विधेयकों पर हस्ताक्षर करने और उन्हें कानून बनाने के एक दिन बाद, पंजाब युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को उच्च सुरक्षा वाले इंडिया गेट इलाके में एक ट्रैक्टर को आग के हवाले कर अपना विरोध जताया। दिल्ली पुलिस ने घटना में शामिल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।
क्रांतिकारी भगत सिंह की जयंती पर सुबह लगभग 7.15 बजे विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए पंजाब युवा कांग्रेस के लगभग 10-15 कार्यकर्ता एक ट्रक से राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे।
कार्यकर्ताओं ने ट्रक से एक ट्रैक्टर को उतारा और उसमें आग लगा दी।
आईवाईसी ने एक ट्वीट में भगत सिंह की कही बात को उद्धृत करते हुए कहा, "अगर बहरों को सुनाना है, तो आवाज बहुत तेज होनी चाहिए : भगत सिंह।"
ट्वीट में कहा गया, "शहीद भगत सिंह की स्मृति के सम्मान में, पंजाब युवा कांग्रेस ने इंडिया गेट पर एक ट्रैक्टर को जलाकर किसानों के प्रति भाजपा सरकार के उदासीन रवैये का विरोध किया। सोते हुए सरकार को जगाओ। इंकलाब जिंदाबाद।"
इसने इस घटना का एक वीडियो भी अटैच किया।
श्रीनगर, 28 सितंबर (आईएएनएस)| दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के सिरहामा में शुक्रवार को मुठभेड़ स्थल पर एक जिंदा ग्रेनेड के अचानक फटने से घायल हुए एक व्यक्ति ने दम तोड़ दिया। यह जानकारी अधिकारियों ने सोमवार को दी। मिली जानकारी के अनुसार, मुठभेड़ स्थल पर गोलीबारी खत्म होने के बाद वहां गए यासीन अहमद राथर, एक जिंदा ग्रेनेड के अचानक फटने से घायल हो गया था।
अनंतनाग के एसएसपी संदीप चौधरी ने आईएएनएस को बताया, "आतंकवादियों ने तीन ग्रेनेड दागे थे। दो विस्फोट हुए, जबकि तीसरे को मलबे से बरामद नहीं किया जा सका। घायल व्यक्ति को वह ग्रेनेड मलबे से मिला था और वह उठाते समय फट गया।"
वह गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसके बाद उसे श्रीनगर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
यह मुठभेड़ शुक्रवार को हुई थी और इसमें लश्कर के दो आतंकवादी मारे गए थे।
जयपुर, 28 सितम्बर (आईएएनएस)| राजस्थान पुलिस ने सोमवार को पुष्टि की है कि पिछले चार दिनों में हिंसा की आग में जल रहे डूंगरपुर में हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई है और अन्य दो घायल हो गए हैं। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) भूपेंद्र सिंह ने कहा, "पिछले चार दिनों में उदयपुर-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर भड़की हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई और दो गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। रविवार रात से अतिरिक्त पुलिस बल और रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती की गई है।"
उन्होंने कहा कि पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने और सार्वजनिक संपत्ति और लोगों की जान बचाने के लिए शनिवार को फायरिंग करनी पड़ी जिसमें दो की मौत हो गई और दो घायल हो गए। उन्होंने कहा कि घायल खतरे से बाहर हैं।
उन्होंने कहा कि कुल 24 मामले दर्ज किए गए हैं और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की दो कंपनियों और राजस्थान आर्म्ड कांस्टेबुलरी (आरएसी) की छह कंपनियों की तैनाती की गई है।
अधिकारी सभी घटनाक्रमों पर नजर बनाए हुए हैं।
पिछले हफ्ते, शिक्षक भर्ती परीक्षा के हजारों अभ्यर्थी सड़कों पर उतर आए और एनएच-8 पर पथराव किया और वाहनों को आग लगा दी।
उन्होंने एसटी अभ्यर्थियों द्वारा सामान्य श्रेणी के लिए आरक्षित 1,000 से अधिक रिक्त पदों को भरने की मांग की। गुरुवार शाम से राजमार्ग लगभग 10 किलोमीटर तक अवरुद्ध रहा। हिंसा में कई पुलिस वाहनों को आग लगा दी गई और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।
संभल (उत्तर प्रदेश), 28 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के एक पुलिस स्टेशन में एक व्यक्ति अपने गले में तख्ती लटकाए हुए आया, जिसमें लिखा था, "मुझे संभल पुलिस से डर लगता है। मैं अपनी गलतियों को स्वीकार करता हूं। मैं आत्मसमर्पण कर रहा हूं। कृपया गोली मत चलाइए।" यह घटना नखासा पुलिस स्टेशन में रविवार को घटित हुई। 15 हजार इनामी नईम, जिस पर गैंगस्टर्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था, उसने आत्मसमर्पण करने के दौरान तख्ती के माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि उसे मुठभेड़ में न मारा जाए।
स्टेशन हाउस के अधिकारी धर्मपाल सिंह ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि एक अपराधी ने पुलिस के सामने दया करने के अनुरोध के साथ आत्मसमर्पण किया है। अमरोहा और कानपुर में अपराधियों ने इसी तरह आत्मसमर्पण किया है।
यहां तक कि तीनों अवसरों पर अपराधी अपने साथ स्थानीय मीडिया के लोगों को 'उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने' के लिए साथ लाए। कानपुर में बिकरू घटना के बाद अपराधी मीडिया और तख्ती की रणनीति अपना रहे हैं। गौरतलब है कि बिकरू कांड में अपराधी विकास दुबे और उसके गिरोह के छह सदस्यों को मुठभेड़ों में मार गिराया गया है।
गुना, राज्य ब्यूरो। मुंबई से एक गैंगस्टर को गिरफ्तार कर लखनऊ ले जा रही यूपी पुलिस की निजी गाड़ी मप्र के गुना जिले में पाखरिया पुरा टोल के पास रविवार सुबह पलट गई। आरोपित फिरोज अली की हादसे में मौके पर मौत हो गई, जबकि एक सब इंस्पेक्टर व सिपाही समेत चार लोग घायल हो गए। घायलों को ब्यावरा अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ठीक ऐसे ही 10 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी विकास दुबे को उज्जैन से लाते समय कानपुर से पहले यूपी पुलिस की गाड़ी पलट गई थी। बाद में घटनास्थल से भागते समय विकास दुबे का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था। इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इस घटना ने विकास दुबे कांड को फिर से याद दिला दिया।
मुंबई से आरोपित को गिरफ्तार कर लखनऊ जा रहे थे
पुलिस के अनुसार, 58 वर्षीय फिरोज उर्फ शमी बहराइच जिले के थाना कोतवाली के दरगाह शरीफ घंटाघर का रहने वाला था। लखनऊ के ठाकुरगंज थाने में वर्ष 2014 में उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज था। तभी से वह फरार था। उसे गिरफ्तार करने के लिए सब इंस्पेक्टर जगदीश प्रसाद पाण्डेय, कांस्टेबल संजीव सिंह और आरोपित के साढ़ू भाई अफजल पुत्र मुन्ना खान निवासी लखनऊ के साथ मुंबई गए थे।
फिरोज मुंबई के नाला सोपारा इलाके की झुग्गी बस्ती में रह रहा था। मुंबई से फिरोज की गिरफ्तारी के बाद पुलिस टीम शनिवार को लखनऊ के लिए रवाना हुई। रविवार सुबह साढ़े छह बजे हादसा हो गया। हादसे में फिरोज की मौत हो गई। अफजल खान का हाथ फ्रैक्चर हुआ है। पुलिसकर्मी संजीव, जगदीश प्रसाद व वाहन चालक सुलभ मिश्रा को भी चोटें आई हैं। जगदीश प्रसाद ने गुना के पुलिस अधिकारियों को बताया कि सड़क पर अचानक गाय सामने आ गई थी। उसे बचाने में वाहन पलट गया। यह भी आशंका जताई जा रही है कि चालक को झपकी आने के कारण हादसा हुआ है।
दो पुलिसकर्मियों सहित चार लोग घायल
गुना के पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह ने कहा कि वाहन पलटने से उसमें सवार आरोपित की मौत हो गई है। पुलिसकर्मियों समेत अन्य लोग घायल हुए हैं। मामले की न्यायिक जांच के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश से निवेदन किया गया है।(jagran)
केंद्र सरकार के नए किसान अध्यादेशों को राष्ट्रपति ने भी कल मंजूरी दे दी. लेकिन कई पार्टियों और किसान संगठनों की तरफ से इनका जमकर विरोध किया जा रहा है. कल कांग्रेस ने ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में इस बारे में खुलासे से कहा. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा और पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने अपने-अपने प्रदेश का राजनीतिक और किसानी पक्ष सामने रखा.
कुमारी सैलजा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि जैसा कि सभी जानते हैं कि पिछले अर्से से जबसे भारतीय जनता पार्टी ये काले कानून लाने की तैयारी थी, पहले ये अध्यादेश लेकर आई, अब उसके बाद संसद में जिस तरह से इनको पास किया गया, सारे देश ने देखा, दुनिया ने देखा कि लोकतंत्र का भारतीय जनता पार्टी सरकार के लिए कोई मायने नहीं, ना संसदीय प्रणाली के कोई मायने, अपनी रुढ़ मिज्योरिटी का इस्तेमाल कर इन्होंने लोकतंत्र का गला घोंटा है। ना केवल लोकतंत्र का गला घोंटा है, लेकिन हमारे हमारा किसान, मजदूर, आढती जो कि हमारी कृषि क्षेत्र की रीड्ड की हड्डी है, उन्होंने आज इनकी कमर तोड़ कर रख दी है। आप पिछले अर्से से देख रहे हैं, पिछले दिनों में, हफ्तों में, महीनों में राहुल जी के नेतृत्व में इन तीनों अध्यादेशों का पहले से ही, पहले दिन से ही विरोध किया और उसके बाद लगातार हम किसान के साथ खड़े होकर लड़ाई लड़ रहे हैं, संघर्ष कर रहे हैं। किसानों के सैंकड़ों-सैंकड़ों संगठन देशभर में सड़क पर आए, उन्होंने अपना विरोध जताया, अपनी बात रखनी चाही, लेकिन इस सरकार के कान पर जूं तक ना रेंगी, ना कोई बातचीत में, कोई दिखावा भी नहीं किया। एक दिन थोड़ी सी बात करते थोड़ा सा दिखावा किया कृषि मंत्री जी ने। मैं आपको याद दिलाना चाहूंगी कि कृषि मंत्रालय का पूरा नाम क्या है– कृषि और किसान कल्याण। अब किसान कल्याण का काम ये निजी कंपनियों के हाथों में छोड़ना चाहते हैं। कल्याण का काम अगर सरकार ही नहीं करना चाहेगी, अगर अपनी जिम्मेदारी से पीछे भागेगी औऱ छोड़ देगी निजी हाथों के रहमों कर्मों पर, बड़े-बड़े कोर्पोरेट के रहमों कर्मों पर, तो हमारा अन्नदाता, हमारा मजदूर, हमारा कृषि क्षेत्र बिल्कुल जो चरमरा चुका है, वो बिल्कुल आखिरी सांस लेने पर मजबूर हो जाएगा।
उन्होंने कहा- आपने देखा कि जो तमाशा हो रहा है, वैसे सुनील जाखड़ जी उसके बारे में ज्यादा बेहतर बताएंगे, पिछले दिनों में आपने देखा कि इनके साथी अकाली दल ने क्या ड्रामा रचा है। पहले कुछ बोले नहीं, दिखावा तक नहीं कर पाए, लेकिन जब किसान सड़क पर उतरे, अपनी बात रखी और देशभर में विरोध हुआ, पंजाब में इतना विरोध हुआ तब इन अकालियों ने ड्रामा रचा है और अब एनडीए छोड़ने की बात कर रहे हैं। खैर उनके बारे में विस्तार से जाखड़ साहब बताएंगे। मैं ये कहना चाहूंगी पर देश में एनडीए के साथ और भी बहुत से सहयोगी दल हैं। आज समय आ गया है, हम आह्वान करते हैं उन सभी दलों से जो बेशक बाहर रहकर इनका सहयोग करते रहे संसद में, इनकी पॉलिसी को सपोर्ट करते रहे हैं, चाहे वो बीजेडी हो, चाहे वो टीआरएस हो, चाहे वो वाईएसआरसीपी हो, ये सभी इनके सहयोगी दल बाहर से रहकर इनको जब जरुरत पड़ती है भाजपा का ना जाने क्या दवाब इन पर पड़ता है, ये उनकी मदद करते हैं। लेकिन आज जब हमारे किसान और मजदूर की बात आ जाती है तो हम चाहेंगे, हम आह्वान करेंगे कि आप अपनी, गरीबों की, किसानों की आवाज सुनिए। आप अपनी आवाज बंद मत कीजिए, जो देश में उफान उठ रहा है, आप भी बता दीजिए भाजपा सरकार को, इस एनडीए सरकार को कि कल को जब देश में उफान आएगा, तब जवाबदेही उनकी होगी, ना कि उन सहयोगी दलों की। तो समय रहते इनको सोच लेना चाहिए और साथ में जो एनडीए का हिस्सा है, बेशक अकाली दल अपनी ऊंगली काट कर शहीद होना चाहता है, लेकिन बाकी के भी तो लोग हैं, बाकी की ना जाने कितनी पार्टियां हैं, बिहार में आप देख लीजिए, बिहार में जेडीयू है, एलजेपी है, इनको भी समय रहते सोचना चाहिए, चुनाव आ गया है, लोग इनसे जवाब मांगेगे, जो बिहार का किसान पहले ही मारा गया है। एक्सपेरिमेंट किया गया था 2006 में कि बिहार का किसान देशभर में कहीं भी अपनी उपज बेच सकता है, आज उनकी क्या बदहाली हो गई है, मत भूलिए बिहार के लोगों। मत भूलिए कि जब नील की खेती होती थी, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग होती थी, अंग्रेजों के सामने हमारे किसान खडे हुए थे, गांधी जी ने किसानों का साथ दिया था, कांग्रेस पार्टी ने किसानों का साथ दिया था। अब फिर समय आ गया है, फिर उसी तरह का संघर्ष करने का समय आ गया है। बिहार में देखा कि किसान मजदूर बनकर रह गया है। फिर से जैसा कि हमारी पार्टी, हमारे नेता राहुल जी ने कहा, प्रियंका जी ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का मतलब क्या है - मजदूरी, केवल मजदूरी और बंधक मजदूर, किसानों को बंधक मजदूर बना दिया जाएगा, जैसा बिहार में हुआ है।
कुमारी सैलजा ने कहा- तो हम चाहेंगे कि जेडीयू भी अपनी आंखे खोले, एलजेपी भी अपनी आंखे खोलें, इनके दूसरे सहयोगी दल भी अपनी आंखें खोलें और लोगों की आवाज सुनें कि आज लोग, किसान, मजदूर क्या चाहता है, जो एक्सपेरिमेंट बिहार में फेल हुआ, अब सारे देश में आप किसानों को बंधवा मजदूर बनाना चाहते हैं। ये देश माफ नहीं करेगा। साथ में कितने सहयोगी दल हैं इनके, चाहे एआईएडीएमके है, चाहे एजीपी है, चाहे अपना दल है और राजस्थान में, राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, उन्हें भी सोचना चाहिए कि क्या हो रहा है देश में, किसान और मजदूरों के साथ।
उन्होंने कहा- मैं कहना चाहूंगी कि मेरे अपने राज्य में, मेरे अपने राज्य हरियाणा में दो पार्टियां भारतीय जनता पार्टी, जिन्हें पूर्ण बहुमत तो मिला नहीं, लेकिन एक पार्टी है जजपा पार्टी और जजपा पार्टी ने चुनाव के समय एक साल भी नहीं बीता है, बहुत गालियां दी थी भाजपा को और इनकी नीतियां हैं, जन विरोधी नीतियां और ना जाने क्या-क्या वायदा किया और जैसे ही चुनाव के नतीजे सामने आए, भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, कहाँ 75 पार का नारा था, उस समय सबसे पहले उनकी गोद में जाकर कौन बैठा, जजपा पार्टी। मैं चाहूंगी कि दुष्य़ंत चौटाला जी देखें, वो भी अपनी आंखे खोलें, मत इंतजार कीजिए, आप कहते हैं कि हम इंतजार करेंगे कि एमएसपी कब बंद होगा, फिर हम अपना सहयोग वापस लेंगे, देश आपको देख रहा है, हमारा राज्य, एक-एक हरियाणावासी आपको देख रहा है। दुष्यंत जी, आपने जो ये अनहोली अलायंस किया है, आज जो किसान सड़कों पर मर रहा है, उस पर लाठियां बरसाई जा रही हैं, तब आप कैसे चुप बैठ सकते हैं? कैसे इस सरकार के साथ आप सहयोग कर सकते हैं? हरियाणा का किसान, हरियाणा का मजदूर आपसे सवाल पूछ रहा है, क्या आपको उनकी आवाज, उनका दर्द, उनकी पीड़ा सुनाई नहीं दे रही? जजपा पार्टी, दुष्यंत जी, आप सुन लीजिए, लोगों की आवाज को सुन लीजिए, समय है इस सरकार से, भाजपा की जो किसान विरोधी नीति है, जो ये एमएसपी को खत्म करना चाह रहे हैं, जो हमारे आढतियों और किसान का आपसी रिश्ता है, उसको खत्म करना चाह रहे हैं, जो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से किसानों को मजदूर बनाना चाहते हैं और केवल ये नहीं बड़े-बड़े घरानों के आगे लोगों को गिरवी रख रहे हैं, किसानों को, मजदूरों को गिरवी रख रहे हैं। आखें खोलिए, कान खोलिए, ये समय है जब किसानों की चीख-पुकार को सुनना पड़ेगा। तो मैं चाहूंगी, हम चाहेंगे, हमारी मांग है कि हरियाणा में भी जो किसान सड़कों पर उतर रहा है, उनकी आवाज को सुनना चाहिए औऱ ये जो 3 काले कानून ये सरकार बनाने जा रही है, उन पर हम आग्रह करेंगे माननीय राष्ट्रीयपति महोदय जी से भी कि वो कृपा अपने गरीब किसान, अपने देश के नागरिक की सुनें और उनपर हस्ताक्षर ना करें, ये कानून ना बनें और ये भाजपा पार्टी ने जो फैसला कर लिया है कि देश की अर्थव्यवस्था को, देश के हर सेक्टर को निजी हाथों में बेच दें और निजी हाथ में चंद ऐसे लोग, कॉर्पोरेट के जो साथी हैं, इनकी जान-पहचान के लोग हैं, क्रोनी जो हैं इनके, उनके हाथों में देश को आप बेचने की भूल ना करें। ये देश के साथ, गरीब किसान, गरीब मजदूर के साथ इतना घोर अन्याय नहीं होना चाहिए।
कुमारी सैलजा ने कहा-साथ में मैं एक और बिंदु पर आपकी नजर डलवाना चाहूंगी कि जहाँ एक और हमारे गेहूं की, कनक की कीमत केवल 50 रुपए बढ़ी है, जो सुनने में आ रही है कि इनको डीएपी और जो खाद है हमारी, उनकी कीमत बढ़ाने जा रहे हैं। डीएपी की कीमत 1200 हो जाएगी, आप समझ लीजिए कि 62 रुपये 62 पैसे के करीब प्रति बोरी की कीमत बढ़ जाएगी। अब आने वाले समय में और एनपीके जो कि 12/16 जो हम कहते हैं खाद उसकी कीमत बढ़ रही है 1728 रुपए 57 पैसा प्रति मैट्रिक टन और हर बोरी की कीमत बढ़ जाएगी 86 रुपए 42 पैसे। एनपीके 1175 रुपए प्रति बोरी और डीएपी 1200 रुपए प्रति बोरी हो जाएगा। ये इस तरह के काम जो ये सरकार करेगी, तो हमारा किसान और मजदूर बिल्कुल कंगाली के हालात में आ जाएगा, एमएसपी का भी दिखावा किया जा रहा है, क्योंकि सीजन में अभी किसान सड़क पर आ गया है, तो केवल इस बारे में सीधा दिखावा कर रहे हैं और जो कह रहे हैं कि तीन दिन पहले खरीद शुरु कर देंगे, ये केवल और केवल दिखावा है, इससे ज्यादा कुछ नहीं है। आने वाले समय में इनका असली चेहरा सामने आ जाएगा और ये जो भाजपा पार्टी की सरकार है, मोदी जी की सरकार है, किसान विरोधी, मजदूर विरोधी सरकार है, इनकी असलियत सामने आ जाएगी। हमारी मांग है, कांग्रेस पार्टी की मांग है कि आप ये तीनों काले कानूनों को वापस लीजिए।
पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा –सैलजाजी ने बड़े विस्तार से आपने बताया पर कुछ बातें पंजाब से जो ताल्लुक रखती हैं, उन पर मैं कुछ कहना चाहूँगा। बिल्कुल आपने सही कहा, प्रणव जी ने भी फरमाया कि ये इस्तीफा दिया नहीं गया, इस्तीफा लिया गया था और आज गठबंधन छोड़ा नहीं है, आज गठबंधन छुड़वाया गया है। अकाली साथियों की पोजीशन वो थी जो दो घोड़ों पर सवारी करते हैं। वो अपने बीजेपी आकाओं को भी खुश रखना चाहते थे, क्योंकि जब से ऑर्डिनेंसेज आए हैं, तब से लेकर लोकसभा सत्र तक यही बीजेपी के नेता थे, जो इन्हीं काले कानूनों को किसान हितैषी बता रहे थे, परन्तु किसानों के गुस्से में फंसे हुए एक तरफ किसानों का गुस्सा, दूसरी तरफ सत्ता का अहंकार, इन दो पाटों के बीच में फंसकर अकाली दल के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं बचा, पंजाब में घुसने का अगर लाइसेंस उन्हें चाहिए था क्योंकि बसों का काम करती है, अकाली दल की लीडरशिप, उनको एक परमिट लेना पड़ा पंजाब में घुसने के लिए इस्तीफा देकर, वरना अकाली दल, जो अपने आप को किसान नेता होने का दावा करते हैं, उनको पंजाब के किसान गांवो में घुसने नहीं दे रहे थे। परन्तु दूसरी तरफ उन्होंने दोगुली नीति चलाते हुए मोदी साहब को खुश रखने का प्रयास किया, इस्तीफे के बाद भी गठबंधन नहीं छोड़ा, इस उम्मीद के साथ कि शायद मोदी साहब उनसे बात करेंगे, उनको मनाने का प्रयास करेंगे या 23 साल का जो संबंध रहा है, उसकी कद्र करते हुए कम से कम उनके आँसू जरुर पोंछेंगे, परन्तु ये अकालीदल के नेता भूल गए कि ये पुरानी बीजेपी नहीं है, ये वाजपेयी साहब की बीजेपी नहीं है, जिन्होंने खुद कहा था कि गठबंधन का भी एक धर्म होता है। गठबंधन का धर्म छोड़कर राजधर्म, जो सत्ता में बैठी बीजेपी पार्टी भूल चुकी है, उनके अहंकार ने मजबूर किया कि इस्तीफा देने से पहले, इस्तीफा देने के बाद और आज तक उनके चीखने चिल्लाने के बाद में, न तो प्रधानमंत्री ने अकाली दल लीडरशिप को कोई समय दिया मिलने के लिए, प्रधानमंत्री तो दूर बीजेपी के नेता तक उनसे मिलने के लिए तैयार नहीं थे। ये मैं इसलिए कहना चाहता हूँ कि ये अहंकार, जो है, सत्ता का अहंकार, जिसे जेटली साहब ने कहा था Arrogance of majority, ये समझता हूँ, अकेले कांग्रेस के लिए नहीं है, हमारे सभी जितने भी अलायंस के इनके आउट साइड सपोर्ट या जो आज उनको इशूबेस्ड सपोर्ट देने की बात करते हैं, जितनी भी रीजनल पार्टियाँ है, ये उनके लिए आँख खुलना चाहिए, क्योंकि अकालियों की आँखे तो किसानों ने खोल दी। आज जरुरत है साथियों, किसानों के साथ मिलकर बीजेपी की सरकार जो सत्ता के अहंकार में आज एक मदमस्त हाथी की तरह चल रही है, उसकी आँखे खुलने के लिए हम सबको जुड़ना चाहिए।
उन्होंने कहा- मैं इतना निवेदन करूंगा, क्योंकि एक भ्रांति फैलाई जा रही है कि पंजाब और हरियाणा के किसान इससे ज्यादा प्रभावित हैं, क्योंकि जो ज्यादातर एमएसपी पर सरकारी खरीद है, वह पंजाब और हरियाणा में हो रही है। ये कुछ हद तक सही है, आज अपने मध्यप्रदेश में भी होने लगी, कुछ यूपी में भी हो रही है, लेकिन ये बिल्कुल सही है कि ये जो एमएसपी रिजीम था, It was tailor-made for Punjab and Haryana because there was no green revolution at that time. ग्रीन रेवोल्यूशन को लाने में सबसे बड़ा काम जो था, वो किया ये सरकारी गारंटी थी कि किसान सिर्फ उगाए और उगाने की जिम्मेदारी किसान की है और सरकार उसे तयशुदा कीमत के ऊपर खरीदेगी, मार्केटिंग की जिम्मेदारी, कीमत की जिम्मेदारी सरकार की थी।
सुनील जाखड़ ने कहा –आज सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है, तो साथियों ये मत भूलिए कि जहाँ पर मंडीकरण की बात ये खत्म करने की कर रहे हैं, जहाँ पर ये लोग आज साहूकारों को एक खुली छूट दे रहे हैं, मैं बार-बार दोहराता हूँ, आज फिर निवेदन करूँगा कि जिस आजादी की बात बीजेपी सरकार कर रही है, किसान को देने की कि उसे अपनी फसल बेचने की आजादी मिल जाएगी। आजादी तो इस सरकार ने दी है, लेकिन किसान को नहीं, इन्होंने आजादी दी है साहूकारों को किसान को लूटने की। किसान के पास किसी किस्म का कोई सुरक्षा कवच नही हैं, इस कानून को लागू होने के बाद स्टेट् गवर्मेंट की जो भी रेगुलेशन, मॉनीटरिंग, सुपरविजन, जो भी था, इन काले कानूनों में स्टेट गवर्मेंट को बाहर कर दिया गया है और ये जो बड़े कॉर्पोरेट हाउस हैं, ये अपनी मनमानी करके किसानों को लूटेंगे, किसानों को उनकी दया दृष्टि के ऊपर छोड़ दिया गया है।
उन्होंने कहा- मैं कहना चाहता हूँ सभी रीजनल पार्टियां है, अपने-अपने मुद्दों को लेकर वो खड़े हैं, उनकी मजबूरियाँ भी मैं समझता हूँ, आज इतने अहंकार में सरकार खड़ी हैं, मैं समझता हूँ, उनकी मजबूरियाँ हैं, वो चाहकर भी नहीं बोल सकते पर मैं इतना जरुर कहना चाहूँगा कि जैसे एक दार्शनिक ने कहा था, “First they came for the Jews- I did not speak out, then they came for my neighbor- I did not speak, and then they finally came for me—and there was nobody left to speak for me.” आज अगर ये पंजाब के किसान के पीछे डांग लेकर पड़े हैं या हरियाणा के किसान और यूपी के और मध्य प्रदेश के किसान को उजाड़ने की तैयारी इस बीजेपी सरकार ने की है, तो ये मत भूलिए कि आने वाला समय बिहार या ओडिशा, या आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु कहीं का भी हो सकता है।
मुंबई : शिवसेना सांसद संजय राउत और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के बीच शनिवार को हुई मुलाकात के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में जो हलचल मची है, उसे रविवार को कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने और तेज कर दिया। इस मुलाकात को निरुपम ने राजनीतिक व्यभिचार करार देते हुए आशंका जताई है कि कांग्रेस ने अपने विचार, धर्म, व्यवहार सबकुछ छोड़कर सत्ता के लिए जिसके साथ भागीदारी की है, वह शिवसेना कांग्रेस को कभी भी धोखा दे सकती है।
निरुपम ने कहा, ‘कांग्रेस इस सरकार में आकर फंस गई है। शिवसेना के साथ ज्यादा नहीं चलेगी। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए वे निजी स्वार्थ के साथ आए हैं।’ निरुपम ने कहा, ‘मोदी सरकार के किसान बिल का संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस और एनसीपी ने विरोध किया है। मगर शिवसेना प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इसका समर्थन किया है।’ बता दें कि मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम शुरू से ही शिवसेना के साथ मिलकर कांग्रेस की सरकार बनाने के फैसले के खिलाफ रहे हैं।
कांग्रेस में आने से पहले निरुपम शिवसेना में ही थे, लेकिन अब वह शिवसेना के खिलाफ काफी आक्रामक हैं। बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी सरकार बनने के बाद देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना सांसद संजय राउत के बीच शनिवार को मुलाकात हुई। दोनों की मुलाकात मुंबई के एक होटल में हुई थी, जिसके बाद से राज्य की सियासत में हलचल मच गई।(navbharattimes)
नई दिल्ली, 28 सितंबर (आईएएनएस)| राज्यसभा में दो कृषि विधेयक पारित किए जाने के दिन हुए शोर-शराबे और हंगामे के बीच उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कड़ा रुख अपनाया था। उन्होंने उस दिन के घटनाक्रम का सिलसिलेवार ब्योरा दिया है। विपक्ष का आरोप था कि मत-विभाजन के उसके अनुरोध को दरकिनार कर दिया गया। सिंह की सफाई एक खबर के संदर्भ में आई है, जिसमें कहा गया है कि सिंह ने मत-विभाजन के लिए सदस्यों के बैठने की व्यवस्था जिस तरह से करवाई थी, वह पूर्व प्रायोजित थी।
सिंह ने कहा, "वैधानिक प्रस्ताव अध्यादेश को नामंजूर करता प्रतीत हो रहा था और के.के. राजेश ने विधेयक में संशोधन के लिए उसे सलेक्ट कमेटी में भेजे जाने की बात कही थी, जिसे सदन ने 1.07 बजे ध्वनिमत से नकार दिया था। श्री राजेश सदन के वेल में चले गए थे। उस समय वह गैलरी की अपनी सीट पर नहीं थे। वीडियो में देखा जा सकता है कि उन्हें अपना संशोधन प्रस्ताव पेश करने को कहा जा रहा है, मैंने गैलरी की तरफ देखा, लेकिन वह वहां नहीं थे।"
सिंह ने आगे कहा कि तिरुचि सिवा ने दोपहर से पहले बिल को सलेक्ट कमिटी को भेजे जाने के संदर्भ में अपनी सीट से अपने संशोधन प्रस्ताव पर मत-विभाजन की मांग की थी, लेकिन उन्होंने यह कहकर बचाव किया, "आप वैसा ही वीडियो दोपहर एक बजे देखेंगे, जिसमें एक सदस्य रूलबुक को फाड़ते और मेरी ओर फेंकते नजर आ रहे हैं। वह मुझसे पेपर छीनने की कोशिश कर रहे थे, उसी समय कुछ सदस्यों ने मुझे चारों तरफ से घेरकर बचाया।" उन्होंने यह बात तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओ'ब्रायन के संदर्भ में कही।
उपसभापति ने हर मिनट का ब्योरा उपलब्ध करवाया है।
नई दिल्ली, 28 सितंबर (आईएएनएस)| धान की कटाई शुरू होने के साथ पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से देश की राजधानी दिल्ली के फिर गैस चैंबर के रूप में तब्दील होने की आशंका बढ़ गई है। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने पर रोक है और इसे सख्ती से लागू करने के लिए दोनों प्रदेशों की सरकार की ओर इस बार भी जरूरी कदम उठाए गए हैं। इसके बावजूद अगर किसान पराली जलाते हैं तो इसकी वजह जानना जरूरी है।
किसानों की मानें तो पराली जलाना उनकी मजबूरी है। हरियाणा के एक किसान ने बताया कि धान की कटाई के बाद गेहूं की बुवाई करने के बीच बहुत कम समय होता है जबकि धान की पराली का प्रबंधन इतने कम समय में करना मुश्किल होता है, लिहाजा किसान मजबूरी में पराली जलाते हैं।
हालांकि पराली के प्रबंधन के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनों पर किसानों को 80 फीसदी तक सब्सिडी दी जाती है और किसान इन मशीनों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं, लेकिन पराली जलाना उनके लिए आसान होता है, इसलिए वे ऐसा कदम उठाते हैं।
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि पराली जलाने और पराली का प्रबंधन करने को आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाता है। पराली जलाने में कुछ भी खर्च नहीं होता है और खेत भी आसानी से खाली हो जाता है, जबकि प्रबंधन में खर्च होता है और वह भी सभी किसानों के लिए मुश्किल होता है।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पराली प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार से 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों को मुआवजा देने की मांग की है, ताकि किसान पराली का पं्रबंधन आसानी से कर सकें।
कृषि वैज्ञानिक दिलीप मोंगा कहते हैं कि हैं कि जिस प्रकार कपास की फसल के अवशेष का इस्तेमाल ईंट-भट्ठे में होने लगा है, उसी प्रकार अगर पराली का इस्तेमाल पावर प्लांट में ईंधन के तौर पर या अन्य कार्यो के लिए उपयोग को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा, तब तक पराली जलाने की समस्या का स्थायी हल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को जब पराली की कीमत मिलने लगेगी तो वे जलाना बंद कर देंगे।
हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने भी कहा कि पराली का इस्तेमाल पावर प्लांट में करने का सुझाव उन्होंने दिया है। सिंह ने भी कहा कि धान की कटाई और अगली फसल की बुवाई के बीच समय बहुत कम होता है और किसान जल्दी खेत खाली करना चाहते हैं, इसलिए पराली जलाने को मजबूर होते हैं, हालांकि किसान भी पर्यावरण के प्रति जागरूक हैं और वे पराली के प्रबंधन का विकल्प अपनाने लगे हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण की समस्या पैदा होने की बात को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जा रहा है।
पंजाब सरकार ने पराली जलाने पर रोक लगाने को लेकर उठाए गए कतिपय उपायों के तहत गांवों में 8,000 नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई। जानकारी के अनुसार, पराली के प्रबंधन के लिए किसानों को 23,500 मशीनें भी दी गई हैं।
धान की पराली जलाने की घटनाएं पंजाब, हरियाण और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हर साल सामने आती हैं, जिसके चलते सर्दी का मौसम शुरू होते ही दिल्ली-एनसीआर गैस चैंबर में तब्दील हो जाता है। इस साल, आशंका जताई जा रही है कि पराली जलाने के चलते प्रदूषण बढ़ने से कोराना महामारी का प्रकोप गहरा सकता है।
मुंबई, 27 सितंबर (आईएएनएस)| शिवसेना ने रविवार को कृषि से संबंधित तीन बिलों के विरोध में भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से नाता तोड़ने के शिरोमणि अकाली दल के निर्णय का स्वागत किया। बीते एक साल में अकाली दल शिवसेना के बाद दूसरी पार्टी है, जिसने भाजपा का साथ छोड़ दिया। दोनों भाजपा की पुरानी सहयोगी थी।
शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, "दोनों पार्टियां (शिवसेना और अकाली दल) भाजपा के अच्छे-बुरे समय में साथ बने रहे, लकिन अन्य ने अपनी मुश्किल घड़ी में भाजपा का हाथ थामा। शिवसेना को बीते साल एनडीए छोड़ना पड़ा था और अकाली दल ने कृषि बिलों के विरोध में एनडीए का साथ छोड़ा है। हम इस डवलपमेंट से दुखी महसूस करते हैं।"
राउत ने कहा, "शिवसेना और अकाली दल एनडीए के स्तंभ थे, जो अब वहां नहीं रहे। इसलिए मौजूदा गठबंधन को एनडीए नहीं कहा जा सकता।"
राउत ने कहा, "यह अलग तरह का गठबंधन है। शिवसेना किसानों के हित में एनडीए से नाता तोड़ने के शिरोमणि अकाली दल के निर्णय का स्वागत करता है।"
नई दिल्ली, 27 सितम्बर (आईएएनएस)| पूर्व आईपीएस अधिकारी और पूर्व सांसद अजय कुमार ने आम आदमी पार्टी (आप) को छोड़कर दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए। उनका कहना है कि वह राहुल गांधी से प्रेरित हुए हैं। अजय ने कहा, "अन्याय और संस्थागत कब्जा के खिलाफ आवाज उठाता रहा हूं। मैं राहुल गांधी से प्रेरित था और आज कांग्रेस में वापस जाने का फैसला लिया हूं।"
पार्टी में वापसी को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट में लिखा, "अजय कुमार आपका स्वागत है। जहां तक मेरा मानना है आपने कांग्रेस को कभी नहीं छोड़ा था।"
इससे पहले कांग्रेस मुख्य सोनिया गांधी ने उनकी कांग्रेस में फिर से शामिल होने का आग्रह स्वीकार्य की।
अजय कुमार कभी राहुल गांधी के बेहद करीबी हुआ करते थे। उन्होंने कांग्रेस नेताओं के साथ मतभेद के कारण पार्टी को छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे।
अमरावती, 27 सितम्बर (आईएएनएस)| आंध्र प्रदेश के दस जिलों में पिछले चार महीनों में 26 सितंबर तक सबसे अधिक बारिश हुई है। यहां सिर्फ विशाखापत्तनम और विजयनगरम में सामान्य बारिश हुई, जबकि श्रीकाकुलम इकलौता ऐसा जिला रहा, जहां कम मात्रा में बारिश दर्ज की गई। 1 जून से 26 सितंबर तक की अवधि में मौसम विभाग द्वारा एकत्रित किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस दक्षिणी राज्य के पांच जिलों में सामान्य मात्रा से 60 प्रतिशत से अधिक बारिश हुई।
कडप्पा हुई बारिश के मामले में सबसे आगे रही, यहां 115 फीसदी अधिक बारिश हुई। इसके बाद क्रमश: अनंतपुर (83 फीसदी), चित्तूर और कुर्नूल (दोनों में 76 फीसदी) और नेल्लूर (66 फीसदी) शामिल रहे।
पांच तटीय जिलों में सामान्य की तुलना में 20 से 59 फीसदी तक अधिक बारिश दर्ज की गई। इनमें प्रकाशम (44 फीसदी), गुंटूर (55 फीसदी), कृष्णा (26 फीसदी), पश्चिम गोदावरी (41 फीसदी) और पूर्व गोदावरी (36 फीसदी) शामिल हैं।
आंध्र प्रदेश के उत्तर तटीय क्षेत्र में विशाखापत्तनम और विजयनगरम में सामान्य बारिश हुई, जबकि श्रीकाकुलम एकमात्र ऐसा जिला है, जहां उस वक्त 25 फीसदी की कमी के साथ बारिश हुई, जब राज्य के अधिकांश इलाकों में भारी बारिश हुई।
ग्वालियर, 27 सितंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश का ग्वालियर-चंबल वह इलाका है, जहां बीते कुछ चुनाव से जीत-हार भले ही भाजपा या कांग्रेस के हिस्से में आई हो, मगर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) परिणामों को प्रभावित करने में बड़ी भूमिका निभाती आई है। विधानसभा उपचुनाव में बसपा एक बार फिर बड़े दलों का सियासी गणित बिगाड़ दे तो किसी को अचरज नहीं होगा। राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों के उप चुनाव होने वाले हैं, इनमें से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल इलाके से आती हैं। यह इलाका उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है, लिहाजा यहां की राजनीति पर बसपा का भी असर है। इस इलाके की कई सीटें ऐसी हैं जहां बसपा के उम्मीदवार भी जीत चुके हैं।
इस इलाके में बसपा का जनाधार बीते कुछ वर्षो में कम जरूर हुआ है, मगर उसका अपना वोट बैंक अब भी है। वर्ष 2018 के ही चुनाव पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि इस इलाके की पोहरी, जौरा, अंबाह, करैरा, गोहद, डबरा, दिमनी, मुरैना, सुमावली, मेहगांव और ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र है, जहां बसपा ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।
बसपा के इस क्षेत्र में प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस ने आगामी विधानसभा के उपचुनाव के लिए बसपा के पुराने नेता फूल सिंह बरैया, सत्य प्रकाश संखवार, प्रागी लाल जाटव को उम्मीदवार बनाया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ग्वालियर-चंबल इलाके में बसपा की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई सीटें ऐसी हैं, जहां पिछले चुनाव में बसपा के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे। वैसे बसपा उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारती थी, मगर इस बार वह आठ उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है, इसके चलते इतना तो तय है कि बसपा के उम्मीदवार जीतें भले ही नहीं, मगर नतीजों को प्रभावित करने में सक्षम है।
भोपाल, 27 सितंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है। इस सूची में नौ उम्मीदवारों के नाम हैं। कांग्रेस की ओर से आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी में बताया गया है कि राज्य के प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की है।
इसमें नौ उम्मीदवारों के नाम हैं। जो नाम तय किए गए हैं, उनमें जौरा से पंकज उपाध्याय, सुमावली से अजय कुशवाहा, ग्वालियर पूर्व से सतीश सिकरवार, पोहरी से हरि बल्लभ शुक्ला, मुंगावली से कन्हैया राम लोधी, सुरखी से पारुल साहू, मांधाता से उत्तम राज नारायण सिंह, बदनावर से अभिषेक सिंह टिक्कू और सुवासरा से राकेश पाटीदार का नाम शामिल है।
राज्य में 28 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस इससे पहले 15 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर चुकी है। इस तरह अब तक कांग्रेस की ओर से 24 उम्मीदवारों की सूची जारी की जा चुकी है।
लखनऊ, 27 सितंबर | यूपी के हाथरस जिले में हैवानियत का शिकार दलित लड़की जिंदगी और मौत से जूझ रही है। हैवानों ने गैंगरेप के बाद उसकी जीभ भी काट दी थी। उसके बाद वह एक हफ्ते से ज्यादा बेहोश रही थी। आरोप है कि 19 साल की दलित लड़की के साथ गांव के ही चार दबंग युवकों ने गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था। इस मामले में पुलिस का रवैया कठघरे में है। सवाल उठने के बाद तीन आरोपियों को आनन-फानन में गिरफ्तार किया जा चुका है।
मेडिकल परीक्षण में पता चला कि युवकों ने गैंगरेप के बाद पीड़िता की रीढ़ की हड्डी को तोड़ डाला था। पुलिस ने छेड़खानी के आरोप में इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। 21 सितंबर को किशोरी के होश में आने के बाद की गई डॉक्टरी परीक्षण के दौरान मेडिकल रिपोर्ट में गैंगरेप की पुष्टि हुई। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। पीड़िता ने होश में आने पर यह भी बताया था कि आरोपियों ने उसकी जीभ काट दी थी, जिससे वह लोगों को घटना के बारे में ना बता सके।
अब तक तीन आरोपी गिरफ्तार
हाथरस पुलिस ने तीन आरोपियों को अब तक गिरफ्तार किया है। पीड़िता पिछले 13 दिनों से जिंदगी और मौत के बीच अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में जूझ रही है। हालत बिगड़ने पर उसे आईसीयू में शिफ्ट करते हुए वेंटिलेटर पर रखा गया है। लगातार पीड़िता की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है।
14 सितंबर को रेप का आरोप
हाथरस के थाना चंदपा इलाके के गांव में 14 सितंबर को चार दबंग युवकों ने 19 साल की दलित लड़की के साथ बाजरे के खेत में गैंगरेप किया था। इस मामले में पुलिस ने लापरवाही भरा रवैया अपनाया। रेप की धाराओं में केस ना दर्ज करते हुए छेड़खानी के आरोप में एक युवक को हिरासत में लिया। इसके बाद उसके खिलाफ धारा 307 (हत्या की कोशिश) में मुकदमा दर्ज किया गया था।
घटना के 9 दिन बीत जाने के बाद पीड़िता होश में आई तो अपने साथ हुई आपबीती अपने परिजनों को बताई। जब पीड़िता का डॉक्टरी परीक्षण हुआ तो इसमें गैंगरेप की पुष्टि होने के बाद हाथरस पुलिस ने तीन युवकों को गिरफ्तार कर लिया है।
गांव में ठाकुरों की दबंगई: परिजन
पीड़िता के परिजनों ने बातचीत के दौरान बताया कि थाना चंदपा इलाके के इस गांव की जनसंख्या 450 के करीब है। इसमें 150 ठाकुर समाज के लोग और 150 के करीब ब्राह्मण समाज के लोग हैं। वहीं 150 के करीब अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग हैं। परिजनों का कहना है कि गांव के अंदर ठाकुरों की दबंगई है।
चारा काटते वक्त खेत में गैंगरेप
14 सितंबर को सोमवार सुबह साढ़े दस बजे दलित लड़की अपने मां और भाई के साथ पशुओं को चारा लेने के लिए खेतों पर घास लेने के लिए गई थी। उसी दौरान लड़की का भाई घास काटने के बाद चारा लेकर खेतों से घर चला गया था। इसके बाद पीड़िता की मां कुछ दूरी पर जाकर घास काटने लगी। उसी दौरान पीड़िता को अकेला पाकर गांव के रहने वाले चार युवक बाजरे के खेत में खींचकर ले गए।
जिला अस्पताल से अलीगढ़ हुई थी रेफर
गैंगरेप की घटना को अंजाम देते वक्त चिल्लाने की आवाज सुनकर मौके पर पहुंची मां को देखने के बाद आरोपी युवक फरार हो गए थे। पीड़िता की हालत नाजुक होने पर इलाज के लिए उसे परिजन जिला अस्पताल ले गए थे। डॉक्टरों ने पीड़िता की गंभीर हालत देखते हुए अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था।
पीड़िता के हाथ-पैर काम नहीं कर रहे: डॉक्टर
जेएन मेडिकल के डॉक्टरों का कहना है कि पीड़िता के दोनों हाथ और दोनों पैरों ने काम करना बंद कर दिया है। अब दलित लड़की की हालत बेहद ही नाजुक बनी हुई है। जेएन मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में वेंटिलेटर पर वह जिंदगी की जंग लड़ रही है। (nbt)
कोलकाता, 27 सितम्बर (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल के बीरभूम में माओवादियों के पोस्टर मिलने के बाद वहां रविवार को तनाव फैल गया। बीरभूम के बटिकर गांव में मिले माओवादियों के पोस्टर में त्रिणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के नाम पाए जाने के बाद ग्रामीणों ने इसके बारे में पुलिस को सूचना दी। बाद में पुलिस ने सभी पोस्टरों को फाड़ दिया और मामले की जांच शुरू कर दी।
यहां कुछ दिन पहले भी परुई इलाके में इसी तरह के पोस्टर मिले थे।
इससे पहले झारग्राम जिले में माओवादियों के कई पोस्टर देखे गए थे जिसके बाद प्रशासन को पश्चिम बंगाल के कुख्यात जंगलमहल में सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
नई दिल्ली, 27 सितंबर (आईएएनएस)। लद्दाख के वरिष्ठ नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने आगामी 16 अक्टूबर को तय किए गए लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल (एलएएचडीसी) के चुनावों के बहिष्कार के आह्वान को वापस लेने पर सहमति जताई है। यह फैसला उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद लिया। प्रतिनिधिमंडल ने इन चुनावों के सुचारु संचालन के लिए पूर्ण समर्थन का भी वादा किया है।
गृह मंत्रालय (एमएचए) के अधिकारी ने कहा, "प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया गया था कि लद्दाखी भाषा, जनसांख्यिकी, जातीयता, भूमि और नौकरियों से संबंधित सभी मुद्दों पर सकारात्मक रूप से विचार किया जाएगा और उनका ध्यान रखा जाएगा।"
अधिकारी ने आगे कहा, "छठी अनुसूची के तहत 'पीपुल्स मूवमेंट फॉर कॉन्स्टीट्यूशनल सेफगार्ड' के तत्वावधान में लेह और कारगिल जिलों के प्रतिनिधियों सहित बड़े लद्दाखी प्रतिनिधिमंडल और गृह मंत्रालय के बीच संवाद एलएएचडीसी चुनाव के समापन के 15 दिन बाद शुरू होगा।"
उन्होंने आगे कहा, "बातचीत के बाद कोई भी फैसला लेह और कारगिल के प्रतिनिधियों के परामर्श से लिया जाएगा।"
लद्दाख के लोगों की ओर से वरिष्ठ लद्दाखी नेताओं थिकसे रिनपोछे (पूर्व राज्यसभा सांसद), थुपस्टन छेवांग (पूर्व लोकसभा सांसद) और छेरिंग दोर्जी (जम्मू और कश्मीर के पूर्व मंत्री) ने शनिवार को शाह से यहां उनके आवास पर मुलाकात की।
गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी और युवा मामलों और खेल राज्यमंत्री किरेन रिजिजू भी इस दौरान मौजूद थे।
गृहमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार लेह और कारगिल के एलएएचडीसी को सशक्त बनाने और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, "वे इस उद्देश्य के लिए सभी रास्तों पर विचार करेंगे।"
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार लद्दाख के लोगों से संबंधित मुद्दों को देखते हुए भारत के संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत उपलब्ध संरक्षण पर चर्चा करने के लिए स्वागत करती है।
गौरतलब है कि इससे पहले लद्दाख ने इस क्षेत्र की जनसांख्यिकी, पर्यावरण और विविधता को सुरक्षित रखने के लिए एलएचडीसी चुनावों के बहिष्कार की घोषणा की थी।
सर्वोच्च निकाय 'पीपुल्स मूवमेंट फॉर सिक्स्थ शेड्यूल फॉर लद्दाख' के तहत यह निर्णय लिया गया कि एलएचडीसी चुनावों का बहिष्कार तब तक किया जाएगा, जब तक बोडो टेरिटोरियल काउंसिल की तर्ज पर छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा की रक्षा नहीं की जाती।
संविधान की छठी अनुसूची (अनुच्छेद 244 (2) और 275 (1)) आदिवासी आबादी की रक्षा करती है और स्वायत्त विकास परिषदों (एडीसी) के निर्माण के माध्यम से कमजोर समुदायों को काफी स्वायत्तता प्रदान करती है।
असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम के कुछ भाग इसके अंतर्गत आते हैं।
यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि ईसाइयों, मुस्लिमों और बौद्ध समुदायों से धार्मिक निकाय सहित सर्व-शक्तिशाली लद्दाख बौद्ध संघ ने विरोध को अपना समर्थन दिया था।
इस विशिष्ट मांग पर भारतीय जनता पार्टी सहित सभी राजनीतिक दल एक साथ आ गए थे।
पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त कर दिया और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के लिए जम्मू एवं कश्मीर राज्य का विभाजन कर दिया।
एक ओर जहां लद्दाखी खुश थे, वहीं वे दो कारणों से अपने भविष्य को लेकर आशंकित भी थे। सबसे पहला यह कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा एक विधायिका के बिना आया, जो इस क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए लोकतांत्रिक रूप से चुने गए एलएएचडीसी को प्रभावी ढंग से लेकर आया।
वहीं एक खतरा, आदिवासी के रूप में चिह्न्ति 97 फीसदी क्षेत्र में भूमि या रोजगार की गारंटी के बिना लद्दाखियों के अल्पसंख्यक में कमी आने का था।
दूसरा, केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की घोषणा के बाद, धार्मिक रूप से विविध लोग सांप्रदायिक विभाजन के बारे में आशंकित थे।
हालांकि उन्होंने इंतजार करने का फैसला किया कि सरकार क्या करेगी। भारत के पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ कोविड-19 महामारी और तनाव का सामना करने के बावजूद एलएएचडीसी चुनाव स्थगित नहीं किए गए थे। केंद्र सरकार ने लोगों की इच्छा की परवाह किए बिना चुनावों को आगे बढ़ाने का फैसला किया।
कालाबुर्गी, 27 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर कर्नाटक में कालाबुर्गी के बाहरी इलाके में रविवार तड़के एक एमयूवी के ट्रक से टकराकर खाई में गिरने से एक ही परिवार के 4 लोगों समेत 7 लोगों की मौत हो गई है और एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया है। पुलिस ने बताया कि मृतकों में एक गर्भवती महिला भी थी।
पुलिस महानिदेशक डीके बाबू ने फोन पर आईएएनएस को बताया, "यह दुर्घटना तब हुई जब एमयूवी सड़क किनारे खड़े एक ट्रक से टकराई और बारिश के पानी से भरी एक खाई में गिर गई, जिससे 7 लोगों की मौत हो गई।"
कालाबुर्गी इस दक्षिणी राज्य में बेंगलुरु से 630 किमी उत्तर में है।
हादसे में घायल एक पुरुष यात्री को इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया गया है।
बाबू ने कहा, "परिवार के 8 लोग एक गर्भवती महिला को प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने अपने गृहनगर अलंद से कलाबुर्गी जा रहे थे।"
जिला पुलिस ने रैश ड्राइविंग का मामला दर्ज किया है और सभी शवों को परीक्षण के लिए राजकीय अस्पताल भेज दिया है।
पटना, 27 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय रविवार को औपचारिक तौर पर जनता दल (युनाइटेड) में शामिल हो गए। गुप्तेश्वर पांडेय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। उन्होंने 23 सितंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया था।
भापुसे के 1987 बैच के अधिकारी पांडेय ने इससे पहले वीआरएस का आवेदन दिया था, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया था।
फिल्म अभिनेता और पटना के रहने वाले सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में पांडेय अपने बयानों को लेकर देशभर में खूब चर्चित हुए थे। तभी से यह कयास लगाया जाने लगा था कि पांडेय राजनीति में प्रवेश करेंगे और संभवत: इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी उम्मीदवार के तौर पर हिस्सा लेंगे।
नई दिल्ली, 27 सितम्बर (आईएएनएस)| मिठाई खरीदते समय अब आप दुकानों में मिठाइयों की सजी थालियों पर 'बेस्ट बिफोर डेट' जरूर चेक करें जो कि एक अक्टूबर 2020 से हलवाइयों के लिए लिखना अनिवार्य होगा। मतलब, मिठाई जिस समय तक खाने योग्य होगी, उसकी तारीख मिठाई की थाली पर अब लिखनी होगी। हालांकि मिठाई बनाने की तारीख थाली पर लिखना अनिवार्य नहीं होगा, क्योंकि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने इसे विनिमार्तों की इच्छा पर छोड़ दिया है। फेडरेशन ऑफ स्वीट्स एंड नमकीन मैनुफैक्चर्स (एफएसएनएम) डायरेक्टर फिरोज नकवी ने कहा कि इससे हलवाइयों को बड़ी राहत मिली है, लेकिन 'बेस्ट बिफोर डेट' लिखने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि यह व्यावहारिक नहीं है।
एफएसएसएआई ने 25 सितंबर के एक आदेश में मिठाइयों की खुली बिक्री के लिए दुकानों में मिठाइयों की थालियों पर 'बेस्ट बिफोर डेट' लिखना एक अक्टूबर से अनिवार्य कर दिया है, लेकिन मिठाई बनाने की तारीख लिखने की कोई बंदिश नहीं होगी। एफएसएसएआई ने आदेश में कहा है कि विनिर्माण की तिथि लिखना ऐच्छिक होगा।
फिरोज नकवी ने मुंबई से फोन पर आईएएनएस से बातचीत में कहा, ''एफएसएसएआई ने हमारी आधी बात को मान ली है कि अब हमारे लिए मन्युफैक्च रिंग डेट लिखना अनिवार्य नहीं है। मगर, बेस्ट बिफोर डेट अभी एक अक्टूबर से लागू होगा। हालांकि इस पर भी हमारी बातचीत चल रही है। हमने अपनी परेशानी एफएसएसएआई के सामने रखी है।''
उन्होंने कहा कि बेस्ट बिफोर डेट मिठाइयों की थालियों पर लिखना व्यावहारिक नहीं है क्योंकि मिठाइयों का एक बड़ा रेंज होता है जिस पर बार-बार तारीख बदलना मुश्किल होगा। उन्होंने बताया कि मिठाई की खुली बिक्री के संबंध में आदेश फरवरी में आया था जिसे कोरोना काल में दो बार बढ़ा दिया गया, लेकिन अब एक अक्टूबर से मिठाइयों की थालियों पर बेस्ट बिफोर डेट लिखना अनिवार्य कर दिया गया है।
एफएसएसएआई का यह आदेश मिठाइयों की सिर्फ खुली बिक्री के लिए है। नकवी ने बताया कि बिना पैकेट वाली मिठाइयों के लिए यह आदेश लागू होगा जबकि पैकेटबंद मिठाई, नमकीन जैसी खाद्य वस्तुओं के लिए विनिर्माण की तिथि और विनिर्माण की तिथि के बाद कब तक उपभोग के लिए उत्तम है, उसकी अवधि लिखना अनिवार्य है।
बरगढ़ (ओडिशा), 27 सितंबर। ओडिशा के बरगढ़ जिले से शुक्रवार को कोविड-19 का नकली टीका बनाने के आरोप में एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया। अधिकारियों ने शख्स के घर छापा मारा, जिसमें ‘कोविड- 19 वैक्सीन’ लेबल की कई शीशियां बरामद की गईं।
कोरोना की नकली वैक्सीन बनाने वाले शख्स ने खुद अधिकारियों को मेल भेजकर अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए लाइसेंस की मांग की थी, जिसके बाद छापेमारी कर नकली टीके की शीशियों को जब्त कर शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस और ड्रग एनफोर्समेंट अधिकारियों ने 32 साल के प्रहलाद बीसी को ओडिशा के बरगढ़ जिले के रुसुड़ा गांव में उसके घर पर छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया। जब ड्रग इंस्पेक्टर ने उससे नकली टीके के फॉर्मूले के बारे में पूछा तो उसने कुछ भी बताने से मना कर दिया। आरोपी ने कहा कि ये ‘टॉप सीक्रेट’ है।
बरगढ़ ड्रग इंस्पेक्टर सस्मिता देहरा ने कहा कि नकली टीके के बारे में हमें उसके भेजे मेल से पता चला, जिसमें वो अपने प्रोडक्ट (नकली वैक्सीन) को बेचने के लिए लाइसेंस की मांग कर रहा था। छापेमारी में हमने पाउडर, कुछ कैमिकल्स के साथ कई कांच की शीशियां बरामद की हैं, जिन पर ‘कोविड-19 वैक्सीन’ के स्टीकर लगे हैं।
उन्होंने कहा कि हमने आरोपी को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 की धारा 18(सी) के तहत गिरफ्तार किया है। हम जांच कर रहे हैं कि क्या शख्स इससे पहले इलाके में किसी तरह के ड्रग्स कारोबार में शामिल था।
कक्षा-7 तक पढ़े आरोपी ने अभी तक नकली टीका बेचना शुरू नहीं किया था। फेक वैक्सीन के अलावा अधिकारियों को उसके घर में बांझपन को ठीक करने की कुछ दवाइयां भी मिली हैं। (tv9bharatvarsh)
नई दिल्ली, 27 सितम्बर (आईएएनएस)| ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है तब टीआईईटी, पटियाला में तृतीय वर्ष के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र अभिषेक अग्रहरी ने इंग्लैंड और अमेरिका समेत शोध से जुड़ी कई इंटर्नशिप हासिल की है। उन्हें आईआईटी जैसे भारत के उच्च तकनीकी शिक्षा संस्थानों से भी जुड़ने का मौका मिला है। 20 वर्षीय अभिषेक के पास अभी 20 से अधिक रिसर्च इंटर्नशिप ऑफर है। लॉकडाउन और कोरोना संकटकाल के बीच भी अपनी रिसर्च में जुटे रहे अभिषेक अग्रहरी को यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड (इंग्लैंड,) पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी (अमेरिका), इलिनॉयस विश्वविद्यालय (अमेरिका), टेक्नीसीक यूनिवर्सिट म्यूनिख (जर्मनी), तेल अवीव विश्वविद्यालय, बीजिंग कम्प्यूटेशनल साइंसेज रिसर्च सेंटर (चीन), शंघाई जिया टोंग विश्वविद्यालय (चीन), ग्यांगसांग राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (दक्षिण कोरिया), एडिलेड विश्वविद्यालय, पेट्रोलियम का ऑस्ट्रेलियाई स्कूल, यूनिवर्सिडैड पोलिटेकिनिका डी मैड्रिड (स्पेन), हेरियट-वॉट यूनीवेरिस्टी (एडिनबर्ग), लिथुआनियाई ऊर्जा संस्थान, और एकक्टे-इंस्टीट्यूटो यूनिवर्सिटारियो डे लिस्बोआ (लिस्बन) से रिसर्च इंटर्नशिप के ऑफर हैं।
अभिषेक ने गैस टरबाइन इंजन पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ काम किया है। आईआईटी बॉम्बे में फ्लूड स्ट्रक्च र इंटरेक्शन पर और आईआईटी कानपुर में तरल पदार्थ की गतिशीलता पर भी काम किया है। उनके पास वर्तमान में आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी इंदौर और आईआईटी मद्रास से भी ऑफर है।
नई दिल्ली में मयूर विहार फेज 3 में रहने वाले अभिषेक अग्रहरी ने आईएएनएस के साथ विशेष रूप से बात करते हुए कहा, गैर-आईआईटीयन होने के नाते इन प्रस्तावों को हासिल करना बहुत मुश्किल है। यह सभी ज्ञान और प्रतिभा के बारे में है। मुझे व्यापक कार्य करना था। कभी-कभी प्रोफेसर और संबंधित संस्थान सभी खचरें को वहन करते हैं, लेकिन कभी-कभी ऐसा नहीं होता है।
अभिषेक अग्रहरी ने कहा, मैं द्रव यांत्रिकी के व्यापक क्षेत्रों में अनुसंधान में सक्रिय रहा हूं, विशेष रूप से द्रव-संरचना बातचीत सिद्धांत, प्लाज्मा भौतिकी, जल तरंग यांत्रिकी, गतिज सिद्धांत (गतिज समीकरण और मॉडल जैसे बोल्ट्जमान समीकरण, तरल पदार्थ गतिज युग्मित मॉडल), गणितीय सामान्य सापेक्षता। इसके अलावा ब्लैक होल, गैर रेखीय तरंगों और गेज सिद्धांत के अचानक गुरुत्वाकर्षण पतन के कारण ब्लैक होल का निर्माण।
अग्रहरी ने कहा, मैं अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रायोजकों की तलाश कर रहा है क्योंकि मैं एक ऐसे परिवार से हूं जो बहुत ही गरीबी के दौर से गुजर रहा है। मेरे पिता एक निजी फर्म में काम कर रहे थे, लेकिन अब वह कई महीनों से बेरोजगार हैं।
अभिषेक ने कहा,मैं अभी अमेरिका में होता, लेकिन कोरोना के कारण नहीं जा सका। कोरोना ने मुझे अपने मिशन में एक अस्थायी झटका दिया है। कई अन्य इंजीनियरिंग छात्र हो सकते हैं जो महामारी के कारण चूक गए हों। लेकिन मैंने सभी निराशा और हताशा को दूर करते हुए नए जोश के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है।
नई दिल्ली, 27 सितंबर। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना सांसद संजय राउत के बीच शनिवार को हुई मुलाकात के बाद महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में चर्चा छिड़ गई। वहीं अब संजय राउत ने फडण्वीस के साथ हुई उनकी मुलाकात को लेकर प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि यह पहले से तय मुलाकात थी। शिवसेना के मुखपत्र सामना को लेकर उन्होंने फडणवीस से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, ऐसे में वह उद्धव ठाकरे के नेता हैं। वह हमारे नेता भी हैं।
देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा, फडणवीस हमारे दुश्मन नहीं हैं, हमने उनके साथ काम किया है। उनसे मेरी मुलाकात सामना को लेकर हुई। इस मुलाकात के बारे में उद्धव ठाकरे को जानकारी है। हमारी विचारधारा में अंतर है, लेकिन हम एक-दूसरे के दुश्मन नहीं हैं। एनडीए से अकाली दल के अलग होने पर संजय राउत ने कहा कि यह बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। उन्होंने कहा कि शिवसेना और अकाली दल के बिना एनडीए अपूर्ण है। ये दोनों उसके मजबूत स्तंभ थे।
संजय राउत ने कहा, शिवसेना को मजबूरन एनडीए से बाहर निकलना पड़ा था। अब अकाली दल ने भी ऐसा ही किया। एनडीए को अब नए साथी मिल गए हैं। मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। जिस गठबंधन में शिवसेना और अकाली दल नहीं हैं, मैं उसे एनडीए नहीं मानता। संजय राउत ने एक होटल में फडणवीस से मुलाकात की थी। राउत पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता बंटवारे के फार्मूले को लेकर भाजपा विरोधी रुख के लिए सुर्खियों में थे।
महाराष्ट्र भाजपा के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने कहा कि इस मुलाकात के कोई राजनीतिक मायने नहीं है। शिवसेना और भाजपा ने पिछले साल विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था, लेकिन चुनाव के बाद सत्ता में साझेदारी को लेकर उद्धव ठाकरे नीत पार्टी बीजेपी का साथ छोड़ गई थी और एनसीपी व कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली थी।