राष्ट्रीय
नयी दिल्ली 02 अगस्त (वार्ता)। राजधानी में कोरोना वायरस को लेकर रविवार हर मोर्चे पर राहत नजर आई।
नये मामले एक हजार से कम रहे और रिकवरी दर 89.56 प्रतिशत पहुंच गई जबकि निषिद्ध क्षेत्रों की संख्या घटकर 496 रह गई।
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से रविवार को जारी बुलेटिन के मुताबिक पिछले 24 घंटों में 961 नये मामलों की पुष्टि हुई और संक्रमितों का आंकड़ा 1,37,677 हो गया।
दिल्ली में कुल मरीजों में से 89.56 प्रतिशत अर्थात 1,23,317 संक्रमित ठीक हो चुके हैं। आज कोरोना को 1186 मरीजों ने शिकस्त दी।
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्रालय के बुलेटिन अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान 15 और मरीजों की मौत से मृतकों की कुल संख्या चार हजार को पार कर 4004 हो गई।
राजधानी में सक्रिय मामले 10,356 हैं जिसमें से 5663 होम आइसोलेशन में हैं और 2886 अस्पताल में भर्ती हैं। अस्पतालों के 13,578 बेड्स में 10,692 खाली हैं।
पिछले 24 घंटों में 12,730 कोरोना जांच हुई । दिल्ली में कुल जांच 10,63,669 हो चुकी है। दस लाख की आबादी पर जांच का औसत 55,982 है।
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 2 अगस्त (आईएएनएस)| राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभुनंदन गिरि के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संत दलित नहीं होता है। ट्रस्ट में दलित के शामिल करने की बात पर उन्होंने कहा, "मैं दलित हूं और मुझे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का सदस्य बनाया गया है।"
दरअसल, प्रयागराज के महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि ने हाल में आरोप लगाया था कि राम मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को हो रहे भूमि पूजन अनुष्ठान में दलित संतों की उपेक्षा की जा रही है। समारोह में उन्हें नहीं बुलाया जा रहा है। स्वामी कन्हैया का यह भी आरोप था कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में किसी दलित को सदस्य नहीं बनाया गया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस मुद्दे पर नाराजगी व्यक्त की थी।
इस संबंध में आईएएनएस से विशेष वार्ता में ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने कहा कि आरोप लगाने के पीछे कहीं न कहीं आत्मविश्वास की कमी है। महामंडलेश्वर कोई खुद नहीं बन सकता है। इस पद पर नियुक्ति अखाड़ा परिषद द्वारा होती है। यह चुनाव मेधा के अनुसार होता है। अखाड़ा परिषद किसी संत को जाति देखकर नहीं बल्कि गुण के आधार पर महामंडलेश्वर के पद पर अभिषेक करता है। अब सन्त होने के बाद दलित वाली बात कहां से आ गयी।
चौपाल ने कहा कि समाज के अंदर से भेद हटाने के लिए ही विहिप का उदय हुया। एक फरवरी 1989 में संतों का धर्म संसद प्रयाग में हुआ था। उसमें एक लाख संत थे। उस समय निर्णय हुआ था कि रामजन्मभूमि का शिलान्यास किसी न किसी समाज के पीछे पंक्ति के व्यक्ति से करवाया जाएगा। उस समय अनसूचित जाति से शिलान्यास मैंने किया था। उसका किसी धर्माचार्य ने विरोध भी नहीं किया था।
उन्होंने बताया कि ट्रस्ट बनने के बाद यह तय किया गया कि जब तक राम की मान्यता रहेगी तब तक एक अनुसूचित जाति का व्यक्ति उसमें रहेगा। हालांकि, ट्रस्ट जाति के आधार पर नहीं बनते हैं। उन्होंने कहा कि महामंडलेश्वर को इस तरह नहीं सोचना चाहिये। यह अपरिपक्व शिकायत है। उनका यह बयान पूर्वाग्रह से ग्रसित है। उन्होंने कहा कि भूमि पूजन के लिए मेहमानों की सूची जब किसी को पता नहीं है। फिर आप आरोप कैसे लगा सकते हैं कि किसे नहीं बुलाया गया।
यह पूछने पर कि क्या राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में आपसी संवादहीनता है क्योंकि राम मंदिर के नींव में आपने कैप्सूल डालने की बात कही और महासचिव ने उसे खारिज कर दिया। इस पर चौपाल ने कहा, "ऐसा नहीं है, ट्रस्ट में सभी को अपनी बात रखने की आजादी है। हर मुद्दे पर गहन चिंतन और खुलकर चर्चा होती है। कैप्सूल की बात हमने भविष्य को देखते हुये कहा था जिससे इतिहास संरक्षित रहे। ट्रस्ट के महासचिव चाहते हैं इसमें और बृहद बात की जाये। सब कुछ खुलकर सामने आए। अभी इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी। हमारे यहां सब कुछ लोकतांत्रिक ढंग से होता है। यह कोई विवाद का विषय नहीं है। पहले मंदिर के मॉडल में कोई बदलाव न करने की बातें आई थीं, लेकिन उस पर भी चर्चा होकर अब बदलाव किया जा रहा है। इसमें कोई हार जीत नहीं होती है।"
अयोध्या आंदोलन के अगुआ रहे आडवाणी, जोशी और कटियार को ट्रस्ट में जगह न मिलने का कारण पूछने पर चौपाल ने कहा कि यह बात मेरे दायरे के बाहर है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर सरकार ने ट्रस्ट बनाया है। जब यह पूछा गया कि क्या ऐसा नहीं लगता है कि ट्रस्ट को मातृ शक्ति से दूर रखा गया है?
इस पर उन्होंने कहा कि पहले अनसूचित, पिछड़े, फिर सामान्य भी सोचेंगे कि हमें नहीं लिया गया है। अब आप मातृ शक्ति की बात कर रहे हैं। दरअसल यह काम लाभ का नहीं, त्याग का है। यहां समर्पण की बात है। अगर रामायण देखें तो पता चलता है कि किसी को लंका मिली और किसी को अन्य चीजें, लेकिन हनुमान को कुछ नहीं मिला। फिर भी उनकी पूजा हर जगह हो रही है। मंदिर बनने के लिए भक्ति की जरूरत है। अभी ट्रस्ट से सभी संतुष्ट हैं। सभी केवल यही चाहते हैं कि वहां जल्द से जल्द भव्य मंदिर बने।
यह पूछने पर कि ट्रस्ट में मना करने के बावजूद लोग चांदी सोना दे रहे हैं ऐसा क्यों, उन्होंने कहा कि हमारे यहां बहुत पारदर्शिता है। चांदी और अन्य धातु दान देने वालों से अपील की जा रही है कि वे सीधे कैश दें और अकॉउंट में जमा कराएं। अब तो ऑनलाइन भी पैसा दे सकते हैं। हम आह्वान कर रहे हैं, लोग सामथ्र्य के अनुसार दान दें।
अब प्रधानमंत्री के भूमि पूजन और शिलान्यास करने आने की संभावना है। इससे पहले आप शिलान्यास कर चुके हैं। आपको कैसा लग रहा है। इस सवाल के जवाब में चैपाल ने कहा कि शिलान्यास बहुत पहले हो चुका है। अब केवल भूमि पूजन है। ट्रस्ट के अध्यक्ष भी इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं।
उन्होंने कहा, "1989 में जब हमने शिलान्यास किया था वह संघर्ष का दौर था। उस समय वहां बाबरी मस्जिद का ढांचा खड़ा था जो 1992 में ध्वस्त हुआ। इतने वर्षो तक ऐसे ही रहा। इसलिये शुद्धिकरण के लिए भूमि पूजन होना जरूरी है। मेरा योगदान जैसे रामसेतु में गिलहरी की तरह माने। लेकिन प्रधानमंत्री के हाथों से भूमि पूजन होना गौरव की बात है, क्योंकि वह देश के सर्वमान्य नेता हैं। मैं तो शिलान्यास करके गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।"
एक दूसरे सवाल के जवाब में चौपाल ने कहा कि ट्रस्ट चाहता है कि रामजन्मभूमि पर जल्द से जल्द मंदिर बनवाकर जनता को सौंप दिया जाये। मंदिर निर्माण की कमेटी बन गई है। हर विषय के विशेषज्ञ तैनात किए गए हैं।
भूमि पूजन कार्यक्रम में विपक्षी दलों के लोगों को न बुलाये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, "मंदिर निर्माण से पहले हम लोग कई बार विपक्षी दल के लोगों से धर्म संसद में आने का आमंत्रण देते थे, लेकिन वोट बैंक के चक्कर में वे लोग आते नहीं। ये लोग बुलाने पर भी नहीं आएंगे। जब बंगाल में जय श्रीराम कहने पर लाठियां चल रही हैं तो इससे अंदाजा लगा लें। वैसे भी कोरोना के चलते कार्यक्रम बड़ी सीमित दायरे में आयोजित किया जा रहा है।"
राहुल कुमार
नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)| पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में सिखों को डराने-धमकाने जैसी घटनाएं देखने को मिली हैं। पाकिस्तान में सिख लड़कियों का अपहरण करके उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराने के मामले भी सामने आए हैं। विडंबना यह है कि यह ऐसे समय में हो रहा है, जब पाकिस्तान सरकार ने सिखों को लुभाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करते हुए उनके लिए करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के द्वार खोल दिए हैं। यह घटनाएं ऐसे समय में हो रही हैं, जब पाकिस्तान खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने के लिए उसे प्रोत्साहित कर रहा और उसे धन मुहैया करा रहा है।
सहिष्णुता के मुद्दे पर भारत को पाठ पढ़ाने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान अपने ही देश के कट्टरपंथियों के सामने हथियार डाल चुके हैं। हाल ही में लाहौर में स्थानीय लोगों ने व्यस्त नौलखा बाजार में गुरुद्वारा शहीदी स्थान को एक मस्जिद में बदलने की धमकी दी है।
एक वीडियो में लाहौर निवासी सुहेल बट अत्तारी द्वारा लोगों को इसे ऐतिहासिक मस्जिद शहीदी गंज में परिवर्तित करने के लिए जुटने की कोशिश की गई है। यह एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। इसका निर्माण भाई तारु सिंह के बलिदान को याद करने के लिए किया गया था, जिन्होंने जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुगल शासकों से लोहा लिया था।
भारत में भी इस घटनाक्रम की नेताओं और राजनीतिक दलों द्वारा निंदा की गई है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "पाकिस्तानी उच्चायोग के समक्ष आज उस कथित घटना को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया गया कि पाकिस्तान के लाहौर के नौलखा बाजार स्थित भाई तारु सिंह जी की शहादत स्थल गुरुद्वारा 'शहीदी स्थान' को कथित तौर पर मस्जिद शहीद गंज स्थान होने का दावा किया गया है और उसे एक मस्जिद में तब्दील करने के प्रयास किए जा रहे हैं।"
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी पाकिस्तानी सिखों के धार्मिक अधिकारों पर इस हमले की कड़ी आलोचना की है। एक ट्वीट में उन्होंने कहा, "लाहौर में पवित्र श्री शहीदी स्थान गुरुद्वारे को मस्जिद में बदलने के प्रयासों की कड़ी निंदा करता हूं। यह स्थान भाई तारु सिंह जी की शहादत स्थली है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से अपील करता हूं कि वह पंजाब की इस चिंता को सख्ती से पाकिस्तान के समक्ष उठाते हुए सिखों के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहें।"
पाकिस्तान में अधिकारों से वंचित और अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हजारों सिख और हिंदू हर साल भारत में पलायन करते हैं। सत्ता में आने के तुरंत बाद भाजपा सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हिंदू और सिख शरणार्थियों को वीजा देने की प्रक्रिया को तेज कर दिया था। कुछ पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों पर बढ़ रहे जुल्म को देखते हुए भारत सरकार ने घोषणा की थी कि ऐसे सभी उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को फास्ट-ट्रैक भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी।
भारत के पश्चिमी पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न लगातार जारी है। पाकिस्तान में हाल ही में सिखों की सुरक्षा के बारे में चिंताएं बढ़ती नजर आई हैं। यहां जनवरी 2020 में लगभग 400 गुस्साए लोगों की भीड़ ने सिख विरोध नारे लगाते हुए लाहौर के पास गुरुद्वारा ननकाना साहिब पर हमला किया था।
इसी तरह मार्च 2017 में सिखों ने राष्ट्रीय जनगणना के रूप में एक धर्म के रूप में शामिल नहीं होने पर विरोध दर्ज कराया था। देश की अदालतों के विरोध और याचिका दायर होने के बाद जनगणना में अल्पसंख्यक समूह को एक अलग धर्म के रूप में जोड़ा गया। हालांकि जब कुछ साल बाद जनगणना जारी की गई, तो पाकिस्तान ने अपने अल्पसंख्यकों के लिए डेटा जारी नहीं किया।
अल्पसंख्यक विरोधी माहौल पूरे पाकिस्तान में व्याप्त है और यह अत्यधिक विषाक्त होता जा रहा है।
'छत्तीसगढ़' न्यूज डेस्क
नई दिल्ली, 2 अगस्त। मॉं-बाप लगातार खबरों में इतने अधिक रहते हैं कि बेटा 19 बरस का हो गया, अपने आपमें एक अच्छा फोटोग्राफर बन गया, और वन्यजीवन फोटोग्राफी में लगा हुआ है, लेकिन उसकी तरफ लोगों का अधिक ध्यान नहीं गया। प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा का बेटा रेहान कई बरस पहले एक चुनाव की जनसभा में मंच पर दिखा था। अब अभी हैदराबाद के अखबार डेक्कन क्रॉनिकल ने रेहान के बारे में एक बड़ा सा फीचर उसकी खींची हुई तस्वीरों के साथ छापा है जिसमें रेहान की बहन मिराया भी नजर आ रही है। यह फीचर परिवार पर फोकस नहीं है, और यह रेहान की वाईल्ड लाईफ फोटोग्राफी दिखा रहा है।
नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्र की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने कहा है कि यह नीति देश में डिजिटल विभाजन (डिजिटल डिवाइड) पैदा करेगी। पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री पल्लम राजू और कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि एनईपी 2020 में मानव विकास और ज्ञान के विस्तार का मूल लक्ष्य नदारद है।
पार्टी ने कहा कि एनईपी 2020 जिसका उद्देश्य 'स्कूल और उच्च शिक्षा' में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना है, उसमें स्पष्ट कार्यान्वयन रोडमैप और रणनीति का अभाव है, स्पष्ट रूप से इस बड़े विजन को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण रूप से वित्त पोषण आवश्यक है।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "एनईपी 'डिजिटल डिवाइड' बनाकर गरीबों और वंचितों को अलग-थलग रखने को बढ़वा देगा। हाशिए वाले वर्गों के 70 प्रतिशत से अधिक बच्चों को पूरी तरह से बाहर रखा जा सकता है, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं तक पहुंच के दौरान देखा जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अनुपस्थित या कम इंटरनेट कनेक्टिविटी/कंप्यूटर के उपयोग के कारण ग्रामीण बनाम शहरी विभाजन जैसी चीजें भी देखने को मिलेंगी।"
सुरजेवाला ने कहा कि एससी/एसटी/ओबीसी और वंचित वर्ग की कोई चर्चा नहीं है।
पार्टी ने शिक्षा पर जीडीपी के छह प्रतिशत खर्च करने की एनईपी की 2020 की सिफारिश पर सवाल उठाया और कहा कि भाजपा सरकार में बजट के प्रतिशत के रूप में शिक्षा पर खर्च 2014-15 में 4.14 प्रतिशत के मुकाबले घटकर 2020-21 में 3.2 प्रतिशत हो गया है।
पार्टी ने गुणवत्तापूर्ण 'प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा' (ईसीसीई) देने के लिए आंगनवाड़ियों पर एनईपी की निर्भरता पर भी सवाल उठाया।
पूर्व मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पहले से ही कई सार्वजनिक स्वास्थ्य और पोषण ड्यूटी के बोझ तले दबी हुई हैं और उन्हें 'नियमित कर्मचारी' के रूप में भी मान्यता प्राप्त नहीं हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायकों को क्रमश: 4,500 रुपये और 2,250 रुपये का मासिक मानदेय मिलता है।
उन्होंने कहा कि छह महीने के डिप्लोमा कोर्स के माध्यम से ईसीसीई मानकों को पूरा करने के लिए उन्हें प्रशिक्षित करना अपने आप में एक कठिन कार्य होगा।
रजनीश सिंह
नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)| भारत में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की तुलना में ठीक होने (रिकवरी) के बीच का अंतर महज 52 दिनों में ही 1,573 से बढ़कर 5,77,899 हो गया है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 10 जून को पहली बार ठीक हुए और सक्रिय रोगियों की कुल संख्या के बीच अंतर 1,573 बताया था। आंकड़ों से पता चलता है कि दो अगस्त को यह अंतर बढ़कर 5,77,899 हो गया है।
मंत्रालय ने कहा, "ठीक होने और सक्रिय मामलों के बीच अंतर में लगातार वृद्धि देखी गई है।"
इस बीच रविवार को भारत ने पिछले 24 घंटों में 51,255 रोगियों की एक दिन की सबसे अधिक रिकवरी दर्ज की, जबकि इस दौरान पिछले 24 घंटों में कुल 54,735 नए कोरोनावायरस मामले सामने आए। इसके साथ ही देश में अब तक कुल 17,50,723 मामले सामने आ चुके हैं।
पिछले 24 घंटे में 51,225 मरीज ठीक होने के साथ ही भारत में कोरोना से ठीक हुए लोगों की कुल संख्या 11,45,629 हो गई है।
पिछले 24 घंटों में ठीक हुए रोगियों का रिकॉर्ड स्थापित करते हुए रिकवरी दर में 65.44 की उच्च दर देखी गई है। इससे पता चलता है कि अधिक से अधिक कोविड-19 रोगी ठीक हुए हैं और उन्हें छुट्टी दे दी गई है।
वर्तमान में देश में सक्रिय मामलों की संख्या 5,67,730 है जो कि कुल मामलों का 32.43 प्रतिशत हैं जिसमें सभी अस्पतालों में या घर पर इलाज करा रहे लोग शामिल हैं।
मंत्रालय ने कहा कि यह केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों द्वारा कोविड-19 प्रबंधन रणनीति के समन्वित कार्यान्वयन का परिणाम है। इसके साथ ही सभी अग्रिम पंक्ति (फ्रंटलाइन) स्वास्थ्यकर्मी और कोविड-19 योद्धाओं के निस्वार्थ बलिदान ने भी यह सुनिश्चित किया है कि ठीक होने की दर लगातार बढ़ रही है।
मंत्रालय का कहना है कि प्रभावी नियंत्रण रणनीति, तेजी से किए जा रहे परीक्षण और संक्रमण से बचने के उपायों के सही पालन से निरंतर ठीक होने की दर बढ़ रही है।
दुनियाभर में इस घातक वायरस के कारण कुल 6,84,111 लोगों की मौत हो चुकी है। केवल अमेरिका में ही 1,54,361 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि ब्राजील में 93,563 और मैक्सिको में 47,472 लोगों की संक्रमण की वजह से जान गई है।
भारत में महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य रहा है, जहां कुल मामलों की संख्या 4,20,000 पार कर गई है और 14,994 मौतें हुईं।
गंभीर स्थिति के बीच दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से अच्छी खबर है, जहां सक्रिय मामलों की संख्या में गिरावट देखी गई है।
शिवपुरी, 2 अगस्त (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले से अंगूरी देवी लगभग डेढ़ दशक पहले कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा चुनाव में उतरी थीं, मगर आज उनकी माली हालत बुरी है। गरीबी रेखा से नीचे का राशन कार्ड बनवाने के लिए वह दर-दर भटक रही हैं। उन्हें शिवपुरी जिले के कोलारस विधानसभा सीट से वर्ष 2003 में कांग्रेस से टिकट मिला था। वे चुनाव हार गई थीं। महिला नेत्री अंगूरी देवी राजे की आर्थिक हालत बेहद खराब है। महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष रह चुकीं अंगूरी देवी के पति की मौत हो चुकी है और बेटे का एक्सीडेंट हो गया, वह बिस्तर पर पड़ा है।
उन्होंने कहा, "घर में काम करने वाला कोई नहीं, मेरी उम्र 53 साल हो गई, अब काम मांगने कहां जाऊं ? कोरोना ने संकट और बढ़ दिया और घर में अनाज तक के लाले पड़े हैं।"
मदद की गुहार लगाने वाली महिला अंगूरी देवी का कहना है कि उनकी कोशिश है कि या तो बीपीएल कार्ड बन जाए या कोई ऐसी व्यवस्था हो जाए, जिससे उनका भरण-पोषण हो सके। इसके लिए कलेक्टर व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को वे कई बार आवेदन दे चुकी हैं, लेकिन कहीं उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
अंगूरी देवी का कहना है कि पूर्व में जब वे सक्रिय थीं, तब उन्होंने आम लोगों की समस्याएं उठाईं और जिलाधिकारियों से उनकी समस्याएं हल करवाईं, लेकिन आज वे खुद समस्याग्रस्त हैं तो उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहा है।
चेन्नई, 2 अगस्त (आईएएनएस)| तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे. जयललिता की संपत्ति का अधिग्रहण करने के खिलाफ उनकी भतीजी जे. दीपा ने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की संपत्ति को अधिग्रहित करने के लिए तमिलनाडु सरकार ने अध्यादेश जारी किया है। इसके अलावा जयललिता की सभी चल-अचल संपत्तियों को सूचीबद्ध किया गया है।
राज्य सरकार जयललिता के निवास स्थान वेदा निलयम को स्मारक बनाने जा रही है। इसी कारण से सरकार ने सभी संपत्ति को अधिग्रहित किया है, जिसमें जयललिता के कपड़े, किताबों के अलावा निजी उपयोग की कई बहुमूल्य वस्तुएं भी शामिल हैं। अब उनकी भतीजी दीपा ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
उन्होंने तमिलनाडु सरकार द्वारा जयललिता के पोएस गार्डन निवास वेदा निलयम के अधिग्रहण के कदम के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की है।
हाईकोर्ट ने हाल ही में दीपा और उनके भाई जे. दीपक को जयललिता की पैतृक और स्व-अर्जित संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित किया था। उन्हें जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारी के तौर पर माना गया है।
दीपा ने कहा कि पोएस गार्डन निवास को उनकी दादी एन. आर. संध्या उर्फ वेधा जयरामन ने वर्ष 1967 में खरीदा था।
निवास का वेदा निलयम नाम उनकी दादी के नाम पर ही रखा गया था।
दीपा ने यह भी कहा कि वेदा निलयम के अधिग्रहण से जयललिता की संदिग्ध मौत की जांच करने वाले जस्टिस अरुमुगास्वामी आयोग की कार्यवाही बाधित होगी।
दीपा ने अपनी याचिका में कहा, अधिग्रहण को तुरंत रोकना होगा, नहीं तो माननीय न्यायमूर्ति अरुमुगास्वामी आयोग के लिए जरूरी सबूत खत्म हो सकते हैं। राज्य सरकार दो रुख नहीं ले सकती। एक तरफ एक आयोग नियुक्त किया गया है और दूसरी तरफ अधिग्रहण की कार्यवाही हो रही है।
दीपा ने अपनी दलील में कहा कि राज्य सरकार का रवैया निश्चित रूप से इस तरह की किसी भी जांच को प्रभावित करेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि मरीना में स्मारक का निर्माण पूरा करने के बजाय तमिलनाडु सरकार उनकी पैतृक संपत्ति हासिल करने और इसे स्मारक के रूप में परिवर्तित करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने दलील पेश करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान वेदा निलयम को स्मारक के रूप में परिवर्तित करने के लिए कोई अध्यादेश लाने की कोई आवश्यकता नहीं है। दीपा ने कहा कि महामारी ने हमारे कानूनी विकल्पों और संपत्ति के मामलों और अदालती मामलों से संबंधित सभी कार्यों में बाधा डाली है।
दीपा ने अपनी याचिका में कहा, कपड़ों और गहनों सहित एक महिला के निजी सामानों को लेकर राज्य सरकार की ओर से यह एक बहुत ही शर्म की बात है। यह अनुचित और अश्लील है और एक महिला की गरिमा को नुकसान पहुंचाता है। मैं अपनी चाची के लिए इस तरह के कृत्यों के लिए किसी भी प्रकार के अपमान की अनुमति नहीं दे सकती, वह मेरी मेरे लिए एक मां की तरह थीं।
गौरतलब है कि दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता की चल संपत्तियों में 4.37 किलो सोना, 60.1.42 किलो चांदी, 162 चांदी की वस्तुएं, 11 टीवी सेट्स, 10 फ्रिज, 38 एयर कंडीशनर, 556 फर्नीचर के सामान, 6514 रसोई के बर्तन, 8,376 किताबें, 10,438 कपड़ें, मोबाइल फोन सहित 29 टेलीफोन आदि शामिल हैं।
इसके अलावा अचल संपत्तियों में दो आम के, एक कटलह, पांच नारियल और पांच केले के पेड़ शामिल हैं।
विशाखापत्तनम, 2 अगस्त (आईएएनएस)| आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में रविवार को एक सड़क दुर्घटना में तीन लोगों की मौत हो गई। तीनों विशाखापत्तनम में एक रिश्तेदार, जो शनिवार को हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के क्रेन दुर्घटना में मारा गया था, उसके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए निकले थे। वे जिस कार से जा रहे थे, वह श्रीकाकुलम जिले के कांची में दुर्घटनावश एक स्टेशनरी ट्रक में जा घुसी।
विशाखापत्तनम अपने दामाद पी. भास्कर राव को आखिरी बार देखने आ रहे नागमणि (48) और उनकी बहू लावण्या (23) और वाहन चालक रोउतु द्वारका (23) की दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
पुलिस ने बताया कि दुर्घटना तब हुई जब कार एक खड़े ट्रक में पीछे से जा घुसी।
नागमणि के बेटे ईश्वर राव और राजशेखर और एक अन्य बहू पितिली घायल हो गए हैं और उन्हें सोमपेटा के सरकारी अस्पताल भर्ती कराया गया। हालांकि बाद में उन्हें श्रीकाकुलम स्थित एक अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था। ईश्वर राव की हालत गंभीर बताई गई है।
परिवार पश्चिम बंगाल के खड़गपुर से तब चला जब एचएसएल में क्रेन दुर्घटना में उनके दामाद की मौत हो गई थी।
बीते शनिवार को एचएसएल में एक बड़ी क्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने से ग्यारह लोगों की मौत हो गई। मृतकों में एचएसएल के चार नियमित कर्मचारी और सात कॉन्ट्रैक्ट वाले कर्मचारी शामिल थे।
भास्कर राव (35) लीड इंजीनियर्स के लिए काम कर रहे थे, जो कि ग्रीनफील्ड कंपनी द्वारा किराए पर ली गई दो फर्मों में से एक था।
फिरोजाबाद (उप्र), 2 अगस्त (आईएएनएस)| फिरोजाबाद पुलिस ने शनिवार को आजमगढ़ के दो शूटरों को गिरफ्तार किया है। इन दोनों को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के भतीजे को खत्म करने का काम सौंपा गया था। वर्तमान में गोरखपुर जेल में बंद एक हिस्ट्रीशीटर देवेंद्र यादव ने राजनेता के भतीजे को खत्म करने के लिए 5 लाख रुपये में शूटरों आशीष यादव और संदीप यादव को भाड़े पर लिया था।
कांच फैक्ट्री चलाने वाला पीड़ित, अपनी फैक्ट्री के क्लर्क कुलदीप के परिवार को देवेंद्र के छोटे भाई शिवा के खिलाफ मुकदमा लड़ने में मदद कर रहा था। जिसने 2014 में क्लर्क की गोली मारकर हत्या कर दी थी और उससे 40 हजार रुपये लूट लिए थे।
दोनों शूटरों को विशेष ऑपरेशन ग्रुप टीम ने सिरसागंज से पकड़ा था, जिनके पास से एक हैचबैक और दो देसी पिस्तौल भी जब्त किए गए थे।
आगरा रेंज के आईजी सतीश गणेश ने कहा, "ये पूर्वी उप्र के ऐसे शूटर हैं जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है क्योंकि वे पुलिस के लिए कोई निशान ही नहीं छोड़ते हैं। वे एक जोड़ी जींस के लिए भी किसी को भी मार सकते थे। उनके काम में सफल होने के बाद उन्हें ट्रेस करना और सारे डॉट्स कनेक्ट करना हमारे लिए मुश्किल था।"
आईजी ने कहा कि पकड़े गए शूटरों में से एक इटावा में पॉलिटेक्निक का छात्र है। उन्हें शुरू में 5,000 रुपये का भुगतान किया गया था, लेकिन उन्हें 5 लाख रुपये देने का वादा किया गया था।
इन शूटरों को काम पर रखने वाले हिस्ट्रीशीटर देवेंद्र यादव ने अगस्त 2019 में भूमि विवाद को लेकर अनूप कुमार नाम के व्यक्ति की हत्या कर दी थी।
बाद में उस पर 50,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया था। उसे फरवरी 2020 में एसटीएफ गोरखपुर ने गिरफ्तार किया था।
उन्होंने आगे कहा, "देवेंद्र का मानना था कि देवेंद्र के छोटे भाई शिवा को जेल भेजने के लिए पीड़ित अपने मृतक क्लर्क के परिवार की मदद कर रहा था।"
ग्वालियर, 2 अगस्त (आईएएनएस)| देश के अग्रणी खेल शिक्षण संस्थानों में से एक-लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान (एलएनआईपीई) के कुलपति प्रो. दिलीप कुमार डुरेहा का मानना है कि एलएनआईपीइ और ऐसे अन्य शिक्षण संस्थानों के लिए नई शिक्षा नीति 2020 ने आगे बढ़ने की संभावनाओं के द्वार खोल दिये हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शारीरिक शिक्षा और खेलकूद को अब मुख्य विषय के रूप में मान्यता मिली है और यह प्राथमिक कक्षाओं से ही बच्चों को पढ़ाया जाएगा
कुलपति प्रो. डुरेहा ने एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई, जिसका विषय था नई शिक्षा नीति पर चर्चा। इस दौरान उन्होंने नई नीति के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को शुभकामनाएं दीं और बताया कि शारीरिक शिक्षा से जुड़े विशेषज्ञों द्वारा वर्षों से की जा रही कोशिश का नतीजा है कि नई नीति में इस विषय को भी स्थान मिला है
उन्होंने इस दौरान प्रमुख रूप से संस्थान के परीक्षा नियंता डॉ. जी. डी. घई के प्रयासों का भी उल्लेख किया। प्रो. घई ने एनसीईआरटी के लिए शारीरिक शिक्षा का नया पाठ्यक्रम बनाने पर काम किया है।
कुलपति ने बैठक के दौरान स्थानीय भाषा में पढ़ाई, विद्यार्थियों के बीच में कोर्स छोड़ने पर सर्टिफिकेट की व्यवस्था आदि के बारे में भी विस्तार से बताया। कहा कि 34 वर्ष बाद आई यह नई शिक्षा नीति पठन पाठन के क्षेत्र में क्रांति लाएगी। बजट बढ़ाने और क्षेत्रीय भाषा को महत्व देने के चलते अब देश के सुदूरवर्ती हिस्सों से भी मेधा सामने आएगी।
अब भी 11 लाख लोग प्रभावित
गुवाहाटी, 2 अगस्त (आईएएनएस)| असम के ज्यादातर जिलों में बाढ़ का पानी धीरे-धीरे घटने लगा है। बाढ़ के हालात में सुधार है, मगर अब भी 11 लाख लोग प्रभावित हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों के मुताबिक, 33 जिलों में से 20 जिलों के 11 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं। इनमें 8.30 लाख लोग राज्य के छह पश्चिमी जिलों- गोलपाड़ा, मोरीगांव, बोंगईगांव, बारपेटा, गोलाघाट, धुबरी और पूर्वी लखीमपुर के हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पिछले नौ दिनों से मॉनसूनी बारिश नहीं हुई है। इस कारण बाढ़ की स्थिति में सुधार आना तय है।
प्रभावित जिलों के 75,711 हेक्टेयर खेतों में लगी फसलें अब भी डूबी हुई हैं। पहले, 24 जुलाई को 122,573 हेक्टेयर में लगी फसलें डूब गई थीं।
एएसडीएमए के अधिकारियों के अनुसार, ब्रह्मपुत्र सहित नौ बड़ी नदियों कई जगहों पर उफना गई हैं। शोणितपुर, जहां ब्रह्मपुत्र और जिया भारती नदियां बहती हैं, दोनों खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, कांजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का 55 फीसदी हिस्सा डूब गया है। बाढ़ के कारण कम से कम 145 वन्यजीवों की मौत हो चुकी है।
बेंगलुरु, 1 अगस्त (आईएएनएस)| कोविड-19 महामारी के बीच यहां के चिड़ियाघर में 12 साल की एक हथिनी ने एक बच्चे को जन्म दिया। इस नए नर सदस्य के साथ इस चिड़ियाघर में हाथियों की संख्या 24 हो गई। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। बेंगलुरु बन्नरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क (बीबीबीपी) के कार्यकारी निदेशक वनश्री विपिन सिंह ने कहा, "यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि यहां रूपा नाम की हथिनी ने एक नर बच्चे को जन्म दिया है। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।"
संयोगवश, रूपा हथिनी दूसरी बार मां बनी है। इससे पहले, दिसंबर 2016 में रूपा ने एक मादा संतान को जन्म दिया था, जिसका नाम गौरी रखा गया। उस समय रूपा की उम्र आठ साल थी।
नागपुर, 1 अगस्त (आईएएनएस)| महाराष्ट्र के नागपुर स्थित मानस एग्रो इंडस्ट्रीज एंड शुगर लिमिटेड फैक्ट्री के बॉयलर में शनिवार अपराह्न् हुए एक भयानक विस्फोट में पांच लोगों की मौत हो गई। नागपुर ग्रामीण पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, यह घटना अपराह्न् लगभग 2.14 बजे घटी। विस्फोट से फैक्ट्री में आग लग गई, जिससे मजदूरों की जलने से मौत हो गई।
चीनी कारखाना मानस समूह का हिस्सा है, और पहले इसे पूर्ति पॉवर एंड शुगर फैक्टरी के रूप में जाना जाता था, जिसका स्वामित्व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के परिवार के पास रहा है।
पुलिस अधीक्षक राकेश ओला घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने आईएएनएस को बताया, प्रथम ²ष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़ित इस विशेष साइट पर कुछ वेल्डिंग कार्य कर रहे थे और कुछ गैस रिसाव के कारण विस्फोट हुआ हो सकता है। वास्तविक कारण संबंधित विभाग द्वारा जांच के बाद सामने आएंगे। हम मामले की जांच कर रहे हैं और आवश्यक शिकायतें दर्ज कर रहे हैं।
मृतकों की पहचान मंगेश प्रभाकर नाकेरकर (21), लीलाधर वामनराव शिंदे (42), वासुदेव लाडी (30), सचिन प्रकाश वाघमरे (24) और प्रफुल्ल पांडुरंग मून (25) के तौर पर हुई है और ये सभी वडगांव के रहने वाले थे। पुलिस को शवों की बरामदगी से पहले गुस्साई भीड़ को शांत करना पड़ा और इसके बाद ही मृतकों को घटनास्थल से निकाला जा सका।
वाघमारे संयंत्र में वेल्डर थे और अन्य उनके सहायकों की टीम थी। ये सभी विस्फोट के समय कुछ रखरखाव के काम में लगे हुए थे। घटना के समय फैक्टरी से आग और बड़ी मात्रा में धुआं निकल रहा था।
इस त्रासदी पर दुख व्यक्त करते हुए शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने घटना की गहन एवं समयबद्ध जांच की मांग की है।
तिवारी ने कहा, मारे गए सभी मजदूर दलित हैं और फैक्टरी प्रबंधन का यह दायित्व है कि वे पीड़ितों में से प्रत्येक के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा दें।
विस्फोट के बाद के कुछ वीडियो भी वायरल हुए हैं, जिनमें पता चला है कि विस्फोट में एक दोपहिया वाहन भी क्षतिग्रस्त हुआ है।
नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)| वरिष्ठ पत्रकार एन. राम, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अदालत की अवमानना कानून में धारा 2(सी)(आई) की वैधता को चुनौती दी है। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 19 और 14 का उल्लंघन करार दिया है। न्यायपालिका के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने और इसे तिरस्कार के दायरे में लाने के लिए भूषण के खिलाफ हाल ही में अवमानना की कार्यवाही को लेकर नोटिस जारी किया गया था। शीर्ष अदालत ने 22 जुलाई को भूषण और ट्विटर इंक को उनके विवादास्पद ट्वीट्स के लिए नोटिस जारी किया था।
दो दिन बाद न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने भूषण के खिलाफ 2009 के लंबित एक और अवमानना मामले पर सुनवाई शुरू करने का फैसला किया है। दोनों मामलों पर चार और पांच अगस्त को सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि यह उप-धारा असंवैधानिक है, क्योंकि यह संविधान की प्रस्तावना के मूल्यों और बुनियादी विशेषताओं के साथ असंगत है और इससे अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन भी होता है। उन्होंने दावा किया है कि उप-धारा असंवैधानिक और अस्पष्ट है।
अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2 (सी) (आई) किसी भी चीज के प्रकाशन 'आपराधिक अवमानना' के रूप में परिभाषित करती है - चाहे वह शब्दों द्वारा हो, बोला गया हो, लिखित या संकेतों के द्वारा ही क्यों न प्रकट किया गया हो।
याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से कहा है कि धारा 2 (सी) (आई) को संविधान के अनुच्छेद 19 और 14 का उल्लंघन करने वाला घोषित करना चाहिए।
याचिका में दलील दी गई है कि लागू उप-धारा असंवैधानिक है, क्योंकि यह संविधान की प्रस्तावना मूल्यों और बुनियादी विशेषताओं के साथ असंगत है।
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)| अयोध्या में भूमि पूजन की चल रही तैयारियों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह (महासचिव) सुरेश भैय्याजी जोशी ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि राम मंदिर का संकल्प किसी एक व्यक्ति या संगठन का नहीं है। उन्होंने मंदिर निर्माण को पूरे देश और समाज का संकल्प बताते हुए कहा है कि यह देश की ऊर्जा का केंद्र बनेगा।
राम मंदिर आंदोलन को धार देने वाले विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष स्व. अशोक सिंघल के नाम पर बने फाउंडेशन के कार्यक्रम में भैय्याजी जोशी ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। संघ में सर संघचालक मोहन भागवत के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण दायित्व संभालने वाले भैय्याजी जोशी ने कहा कि अयोध्या में अल्प समय में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार होगा।
उन्होंने शनिवार को कहा, "हिंदू समाज की आंतरिक शक्ति पर पूरा भरोसा है। जिस तरह से मंदिर निर्माण की अब तक सारी बाधाएं दूर हुईं हैं, उसी तरह से आगे भी कोई बाधा नहीं खड़ी होगी। हिंदू समाज सामथ्र्यवान और दानशील है। देश और समाज के संकल्प से राम मंदिर बनकर तैयार होगा।"
सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा, "राम मंदिर का निर्माण देश का संकल्प है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और राजस्थान की मरुभूमि से लेकर मणिपुर की पहाड़ियों तक यह संकल्प फैला हुआ है। भारत ही नहीं भारत से बाहर रहने वाले भगवान राम के अनुयायियों का यह संकल्प है। यह संकल्प न किसी व्यक्ति का और न ही किसी संगठन का है, यह समाज का संकल्प है।"
अशोक सिंघल को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में उनके योगदान को याद किया। सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि हमारा सैंकड़ों वर्षों का समृद्ध इतिहास रहा है। बाहरी आक्रमण के बावजूद हम हिंदू हैं-यह कहने वाले लोग बचे हैं। भक्ति मार्ग पर चलने वाले तमाम साधु-संतों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। तमाम महापुरुषों ने भी भूमि और समाज की रक्षा के लिए बलिदान दिए। ऐसे देश में अनगिनत बलिदानियों की श्रृंखला रही है। देश एक बार फिर से विश्व पटल पर गौरव प्राप्त करेगा।
तिरुवनंतपुरम, 1 अगस्त (आईएएनएस)| केरल सोना तस्करी मामले की कुछ केंद्रीय एजेंसियां भले ही जांच कर रही हैं। कांग्रेस ने शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से कुछ सवाल पूछे। इस मामले की जद में मुख्यमंत्री कार्यालय भी आ रहा है। विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने विजयन से कुछ सवाल पूछे और मुख्यमंत्री के सचिव एम. शिवशंकर और सोना तस्कर गैंग के बीच संबंधों का पता लगाने में उनकी विफलता पर निशाना साधा।
पूर्व आईएस अधिकारी शिवशंकर बीते 50 महीने से विजयन के साथ काम कर रहे थे। उनके पास आईटी सचिव का पद भी है।
सोना तस्करी मामला तब सामने आया था, जब यूएई वाणिज्य दूतावास के पूर्व कर्मचारी सरित को 5 जुलाई को कस्टम विभाग ने पकड़ा था। पकड़े जाने के समय वह दुबई से राज्य की राजधानी में 30 किलोग्राम के सोने की कूटनीतिक माध्यम से तस्करी कर रहे थे।
यह मामला तब और पेचीदा हो गया, जब यूएई दूतावास के पूर्व कर्मचारी का नाम इस मामले में आया, जो कि आयकर विभाग के साथ काम करता था।
शिवशंकर को पहले पद से हटा दिया गया और फिर सेवा से निलंबित कर दिया गया।
चेन्निथला ने कहा कि क्या मुख्यमंत्री को इनसब चीजों के बारे में पता नहीं है। वह इन सब चीजों के बारे में जानने के बाद भी चुप क्यों हैं।
यूएई वाणिज्यदूतावास से राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री के.टी. जलील के लगातार बातचीत के मामले को उठाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि विजयन को ऑफिस में हो रहे क्रियाकलापों का पता क्यों नहीं था।
हैदराबाद, 1 अगस्त। एनएमडीसी के सीएमडी एन बैजेन्द्र कुमार के रिटायर होने के बाद सुमित देब ने शनिवार को एनएमडीसी लिमिटेड के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक का कार्यभार ग्रहण किया। एनएमडीसी के सीएमडी पद पर कार्यग्रहण से पूर्व सुमित देब निदेशक( कार्मिक) पद पर थे। सुमित देब को इससे पूर्व आर आईएनएल औरं एनएमडीसी में कार्य का वृहद अनुभव रहा है। वह एनएमडीसी को सफलता के नए शिखर पर ले जाने की आकांक्षा रखते हैं।
सुमित देब ने वर्ष 2015 में एनएमडीसी के महाप्रबंधक (वाणिज्य) के रूप में कार्य ग्रहण किया था, उसके बाद अधिशासी निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) के रूप में पदोन्नत हुए। वर्ष 2019 में उन्होंने निदेशक (कार्मिक) का पदभार संभाला तथा वह कार्मिक एवं प्रशासन, मानव संसाधन विकास, विधि, नैगम संचार, सीएसआर, राजभाषा आदि विभागों के प्रमुख रहे। उन्होंने कंपनी के विजन एवं उद्देश्यों को एक नया आयाम प्रदान किया।
सुमित देब उडीसा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भुबनेश्वर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। एनएमडीसी से पूर्व वह राष्ट्रीय इस्पात निगम (आरआईएनएल ) में थे। उन्होंने प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में कार्य ग्रहण किया था तथा 25 वर्षों तक आरआईएनएल में कार्यरत होकर इस्पात उद्योग का वृह्द एवं बहुविध अनुभव प्राप्त किया। उन्होंने देश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया जिसमें विदेशी तथा देशी दोनों प्रकार के ग्राहकों के विविध वर्गों के साथ कार्य करने तथा मानव संसाधन, विपणन एवं वितरण जैसे कार्य क्षेत्रों का विशद अनुभव प्राप्त किया।
सुमित देब को मानव शक्ति तथा सक्शेसन योजना, प्रशिक्षण तथा विकास एवं मानव संसाधन के अन्य क्षेत्रों का विशद अनुभव है। उन्हें इस्पात एवं लौह अयस्क, स्पॉज ऑयरन, पैलेट्स तथा हीरे के विपणन एवं वितरण का भी अनुभव है। अपने कैरियर के दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण सफतलाएं अर्जित करते हुए उन्होंने अपनी क्षमता को सिद्ध किया है। उन्हें उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए वर्ष 2007-08 में जवाहर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
एन. बैजेन्द्र कुमार, आईएएस, ने एनएमडीसी में अपने कार्यकाल पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस गतिशील एवं जीवंत कंपनी का एक हिस्सा होने पर स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं जो कि विनिर्माण क्षेत्र में अपने कार्य का विस्तार करते हुए तथा कोयला, स्वर्ण आदि जैसे अन्य खनिजों में विविधीकरण करते हुए प्रगति के पथ पर अग्रसर है। मुझे विश्वास है कि सुमित देब के नेतृत्व में एनएमडीसी निश्चय ही तेजी से प्रगति करेगा।
सुमित देब ने कार्यग्रहण करते हुए कहा कि, एन.बैजेंद्र कुमार के मजबूत नेतृत्व में हमने एनएमडीसी को उद्योग के अगुआ संगठन के रूप में स्थापित किया तथा कंपनी को कार्यनीतिक विविधीकरण के लिए तैयार करते हुए लाभप्रदता के साथ प्रगति की। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे उनके साथ कार्य करने का अवसर मिला तथा सीखने के लिए यह एक बहुत अच्छा अनुभव था। हम एक अविश्वसनीय अवसर की स्थिति में हैं तथा मैं प्रगति एवं मूल्य सृजन पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं। इस नवरत्न कम्पनी का नेतृत्व करना सम्मान की बात है तथा हम अपनी कार्यनीतिक योजनाओं का निष्पादन करने एवं अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तत्पर हैं।
नई दिल्ली, 1 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने 38 साल पहले शुरू हुए एक आपराधिक मामले का अंततः निपटारा करते हुए मिलावटी हल्दी पाउडर बेचने के आरोपी को बरी कर दिया। कोर्ट ने अन्य चीजों के अलावा इस बात का उल्लेख किया कि इस मामले में सरकारी विश्लेषक ने इस बात का उल्लेख नहीं किया कि हल्दी पाउडर के नमूने में कीड़े लगे थे या वह मानव उपभोग के योग्य नहीं था। इस तरह के मंतव्य के अभाव में खाद्य अपमिश्रण निरोेधक कानून, 1954 की धारा 2(1ए)(एफ) के मानदंड पूरा किया हुआ नहीं कहा जा सकता।
चंडीगढ़/ अमृतसर/बटाला, 1 अगस्त। पंजाब के कई जिलों में जहरीली शराब पीने से मरने वांलों की संख्या 49 हो गई है। मरने वाले तरनतारन, अमृतसर और बटाला क्षेत्र के हैं। इससे पहले सात लोगों की मौत हो गई थी। आज 42 और लोगों ने दम तोड़ दिया। इससे हड़कंप मच गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पूरी मामले की जांच के आदेश दिए हैं। वीरवार को मारे गए पांच लोगों के परिजनों ने इस संबंध में पुलिस को बिना सूचना दिए शवों का अंतिम संस्कार कर दिया।
तरनतारन में सबसे ज्यादा 30, बटाला में आठ और अमृतसर में चार की जान गई
पंजाब में लॉकडाउन के दौरान अवैध शराब की बिक्री पर चल रही सियासी खींचतान के बीच शुक्रवार को तीन सीमावर्ती जिलों तरनतारन, अमृतसर और गुरदासपुर में जहरीली देसी शराब पीने से 42 लोगों की मौत हुई। तरनतारन में सबसे ज्यादा 30, बटाला (गुरदासपुर) में आठ और अमृतसर में चार लोगों की मौत हुई। वीरवार को अमृतसर में सात लोगों की जान गई थी। इस तरह दो दिन में तीन जिलों के 10 गांवों और दो शहरी इलाकों में 47 लोगों की मौत हुई है। कई लोगों की हालत अभी गंभीर है। मरने वाले लोग ज्यादातर मजदूर तबके के हैं।
तीन जिलों के 10 गांवों व दो शहरी इलाकों में हुई मौतें, कई लोगों की हालत अब भी गंभीर
वहीं, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जालंधर के डिवीजनल कमिश्नर को घटना की न्यायिक जांच करने के आदेश दिए हैं। इस जांच में ज्वाइंट एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर व संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षक भी शामिल होंगे। उधर, पंजाब पुलिस के डीजीपी दिनकर गुप्ता ने कहा है कि प्रारंभिक जांच में सामने आया कि सभी की मौत कच्ची लाहन यानी देसी शराब पीने से हुई।
गौरतलब है कि यह बेल्ट अवैध देसी शराब के लिए बदनाम है। यहां कई बार छप्पड़ों (छोटे तालाब) में अवैध शराब मिलने के मामले सामने आते रहे हैं। प्रारंभिक जांच में तीनों जिलों में हुई घटनाओं में कोई संबंध सामने नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि शराब में इस्तेमाल होने वाला केमिकल किसी एक जगह से खरीदा गया।
तरनतारन के डिप्टी कमिश्नर कुलवंत सिंह धूरी ने कहा, हम जांच कर रहे हैं कि एक साथ इतने गांवों में जहरीली शराब से इतनी मौतें कैसे हो गईं। शराब बनाने में किन केमिकल आदि का इस्तेमाल हुआ और इनकी सप्लाई कहां से हुई, इन सभी तथ्यों पर जांच की जा रही है।
तरनतारन में मरने वाले 30 लोग नौरंगाबाद, मल्लमोहरी, कक्का कंडियाला, भुल्लर, बचड़े, अलावलपुर, जवंदा, कल्ला व पंडोरी गोला के रहने वाले हैं। इनमें गांव मल्लमोहरी के पिता-पुत्र भी शामिल हैं। मृतकों में 22 वर्ष के युवक से लेकर 60 वर्ष तक के बुजुर्ग शामिल हैं। वहीं, अमृतसर में मुच्छल गांव और बटाला में हाथी गेट व कपूरी गेट में जहरीली शराब से मौतें हुई हैं। यह संख्या कल तक और बढ़ सकती है।
तरनतारन में छह हिरासत में
तरनतारन में छह लोगों को हिरासत में ले लिया है। मरने वाले अधिक लोगों के परिजनों ने पुलिस को सूचित किए बिना ही शवों का अंतिम संस्कार कर दिया। बटाला में चार परिवारों ने शवों का अंतिम संस्कार कर दिया है। बटाला व अमृतसर में दो-दो मरीजों की हालत खराब है। सिविल अस्पताल तरनतारन व गुरु नानक देव सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में इलाज के दौरान मरने वाले आठ लोगों के शव कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी गई है।
कुछ दिन पहले जिले के तरनतारन के रटौल गांव में तीन लोगों की मौत हुई थी, जबकि एक ग्रामीण की दोनों आंखों की रोशनी चली गई। बटाला के एसएसपी उपेंद्रजीत सिंह घुम्मण ने डीएसपी सिटी की अगुआई में जांच टीम गठित कर दी है। वहीं, एसएमओ डॉक्टर संजीव भल्ला का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारणों का पता चल पाएगा।
अमृतसर के तरसिका एसएचओ हिरासत में, महिला गिरफ्तार
अमृतसर के तरसिका थाने के निलंबित एसएचओ (थाना प्रभारी) विक्रम सिंह और शराब बेचने वाली महिला बलविंदर कौर को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी। एसएचओ पर शिकायत के बावजूद कार्रवाई न करने का आरोप है। शुक्रवार को पुलिस ने चार शवों को पोस्टमार्टम करवाकर वारिसों के सुपुर्द कर दिए हैं।
एसपी (डी) गौरव तूड़ा ने बताया कि शराब की सप्लाई करने वाले दो अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए एसआइटी के सदस्य कई जगहों पर छापे मार चुके हैं। मामले की जांच के लिए आइजी सुरिंदरपाल सिंह परमार के आदेश पर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) बनाई गई है।
इस मामले में मृतकों में गांव मुच्छल के मंगल सिंह, बलविंदर सिंह, दलबीर सिंह, गुरप्रीत सिंह, कश्मीर सिंह, काका सिंह, कृपाल सिंह, जसवंत सिंह , जोगा सिंह के अलावा कांगड़ा गांव के बलदेव सिंह शामिल हैं। बटाला शहर में बूटा राम, भिंडा , रिंकू सिंह, काला, कालू , बिल्ला और जितेंद्र की मौत हुई है।
इन लोगों की मौत देसी ढंग से घरों में तैयार की गई अवैध शराब पीकर हुई है। मारे गए लोगों में गांव नौरंगाबाद निवासी धर्म सिंह, साहिब सिंह, तेजा सिंह, हरबंस सिंह, सुखदेव सिंह, गांव मल्लमोहरी निवासी मिट्ठू सिंह, नाजर सिंह (पिता-पुत्र), जोधपुर निवासी मिट्ठू सिंह, भुल्लर निवासी प्रकाश सिंह, गांव बचड़े गुरमेल सिंह के अलावा तरनतारन निवासी रंजीत सिंह, हरजीत सिंह, हरजीत सिंह हीरा, भाग मल्ल सिंह, अमरीक सिंह शामिल है। डीसी कुलवंत सिंह धूरी का कहना है कि मामले की जांच के आदेश दिए गए है।
गांव मुच्छल के करीब तीस घरों में अवैध शराब का धंधा करते हैं लोग
जानकारी के अनुसार, गांव मुच्छल में वीरवार को जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत के बाद शुक्रवार को आसपास के गांव के 16 और लोगों ने दम तोड़ दिया। वीरवार को मरे लोगों की पहचान दलबीर सिंह, बलविंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, मंगल सिंह व बलदेव सिंह के रूप में हुई थी। इन पीडि़त परिवारों ने पुलिस को सूचित किए बिना ही शवों का अंतिम संस्कार कर दिया। साथ ही आरोप लगाया कि गांव के कई घरों में देसी शराब निकालकर बेची जाती है।
सब इंस्पेक्टर अनूप सिंह ने बताया कि पुलिस पीडि़तों के बयान ले रही है। मुच्छल गांव निवासी जागीर कौर ने बताया कि उसका बेटा गुरप्रीत सिंह पिछले तीन साल से शराब पी रहा था। मंगलवार को उसने काफी शराब पी। देर रात उसकी तबीयत बिगड़ गई। बुधवार को उसने दम तोड़ दिया।
वहीं मंगल सिंह, दलबीर सिंह, बलदेव सिंह और बलविंदर सिंह के स्वजनों ने बताया कि चारों ने मंगलवार को गांव में ही शराब पी थी। सभी की मौत बुधवार को हुई। पीडि़त परिवारों ने आरोप लगाया कि गांव में अवैध शराब का धंधा पुलिस की मिलीभगत से चल रहा है। यहां 30 से अधिक घर अवैध शराब का कारोबार कर रहे हैं। सस्ती शराब के चक्कर में युवाओं की जिंदगी से खेला जा रहा है। एसएसपी विक्रमजीत दुग्गल ने कहा कि मामले की पूरी जांच करवाई जाएगी।(jagaran)
मुजफ्फरपुर, 1 अगस्त। बिहार के कई जिलों में आई बाढ़ ने कई लोगों को बेघर कर दिया है। अपने आशियानों को पानी में डूबते दृश्यों को खुद निहार चुके लोग अब अपना आशियाना सड़कों के किनारे बना चुके हैं। कभी गांवों में शान से जीने वाले ये लोग आज अपने पालतू जानवरों के साथ सड़कों के किनारे रहने को विवश हैं।
बाढ़ के कारण तटबंधों और सड़क के किनारे तंबू और कपड़ा टांगकर रहने को विवश इन लोगों को ना अब प्रशसन से आस है और ना ही सरकार से। ये लोग बस गांव से पानी उतरने के इंतजार में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं कि पानी कम होगी तो ये गांव में पहुंचकर उजड़ चुकी गृहस्थी को फिर से बसाएंगे।
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 77 पर झोपड़ी बनाकर रह रहे गायघाट निवासी शंकर महतो ने कहा, "हमलोगों को प्रशासन और राजनीतिक नेताओं से अब आस नहीं है। हम बस बाढ़ के पानी के उतरने का इंतजार कर रहे हैं। अभी तक किसी ने भी सहायता पहुंचाने के लिए यहां नहीं आया है।"
सड़कों पर दिन और रात गुजार रहे कई लोग तो ऐसे हैं, जो बाढ़ की आशंका के बाद अपने घर से कुछ राशन जमा कर ली थी और बाढ़ आने के बाद उन राशनों को लेकर यहां अपना अशियाना बना लिया। लेकिन, कई लोग ऐसे भी हैं जो बाढ़ का पानी गांव में घुसते ही अपनी जान बचाकर भाग आए। ऐसे लोगों की परेशानी तो और बढ़ गई है। इन्हें पेट भरना भी मुश्किल हो रहा है। आने-जाने वाले वाहनों से कुछ मांगकर ये अपना काम चला रहे हैं।
औराई, मीनापुर प्रखंड के लोग एनएच-77 पर तो कई गांवों के लोग एनएच-57 पर झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। इनके बच्चे भी इनके साथ उन दिनों के इंतजार में हैं, जब उनके गांव से पानी निकल जाएगा।
औराई प्रखंड के बेनीपुर गांव के रहने वाले शंकर सिंह अपने पूरे परिवार के साथ अपनी झोपड़ी में पड़े हुए हैं। बाढ़ के पानी ने इनके जिंदगीभर की कमाई को तहस-नहस कर दिया। इनके पास तो अब बर्तन भी नहीं है, जिसमें वे खाना बना सकें।
उन्होंने बताया कि आसपास के लोगों से वे बर्तन मांगकर खाना बनाते हैं। बाढ़ में कुछ बचा ही नहीं, सबकुछ डूब चुका है। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि सामुदायिक रसोई खुलने के बाद राहत मिली है। लोग वहां जाकर खाना खा ले रहे हैं।
गोपालगंज में भी कई बाढ़ पीड़ित सडकों के किनारे आशियाना बनाकर जीवन गुजार रहे हैं। गोपालगंज में लोग सड़कों के किनारे दिन तो किसी तरह गुजार ले रहे हैं, लेकिन रात में इन्हें डर सताता है।
मुजफ्फरपुर जिले के जनसंपर्क अधिकारी कमल सिंह कहते हैं कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य चलाया जा रहा है। लोगों को सामुदायिक रसोईघर में खाना भी खिलाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरपुर के 13 प्रखंडों के 202 पंचायतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है, जिससे 11 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। जिला प्रशासन का दावा है कि 189 सामुदायिक रसोई घर चलाए जा रहे हैं। हालांकि इस जिले में अभी तक राहत शिविर नहीं बनाए गए हैं।
बिहार के 14 जिलों के 110 प्रखंडों की 45 लाख से ज्यादा आबादी बाढ़ से प्रभावित है।(ians)
भोपाल, 1 अगस्त। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित आईएएस अधिकारी रमेश थेटे ने अपने रिटायरमेंट के दिन अपना दर्द बयां किया। आईएएस अधिकारी होने के बावजूद पूरे करियर में कलेक्टर न बन पाने की कसक ने रमेश थेटे के दर्द को बयां कर दिया है। रमेश थेटे ने शुक्रवार को मीडिया को जारी अपने पत्र में सेवानिवृत होने से पहले प्रमुख सचिव पद पर पदोन्नति नहीं मिलने से वे काफी निराश हैं।
उन्होंने 25 जुलाई 2020 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिख कर प्रमुख सचिव के पद नियुक्त करने की मांग की थी। थेटे ने कहा है कि उनके साथ यह अन्यायपूर्ण व्यवहार अंबेडकरवादी होने के नाते किया गया है। उन्होंने कहा है कि एक आईएएस अधिकारी होने के नाते मैंने दबे और कुचले लोगों के लिए काम किया और बड़ी निर्भयता से फैसले भी लिए। लेकिन एक जातिवादी गीरोह ने हमेशा मुझे घेरा और मेरा शिकार किया।
रमेश थेटे ने मीडिया को जारी अपने बयान में कहा है कि उज्जैन के अपर आयुक्त रहते हुए जब मैंने किसानों की अन्यायपूर्ण तरीके से ली गई ज़मीन को मुक्त कराया तब जातिवादी लोकायुक्त नावेलकर ने उनके ऊपर 25 केस ठोक दिए। रमेश थेटे का कहना है कि उन्हें अंबेडकरवादी होने की कीमत चुकानी पड़ी है। सेवानिवृत होने से पहले रमेश अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में सचिव पद पर पदस्थ थे।
मेरी पदोन्नति रोकने के प्रयास किए गए
रमेश थेटे ने कहा है कि लोकायुक्त द्वारा मेरे जबलपुर के शासकीय निवास पर छापा मारा गया तब मेरे निवास पर उन्हें केवल 50 रुपए का नोट मिला जिसे ज़ब्त करने तक में उन्हें शर्म आने लगी। लेकिन इसके बावजूद मेरे खिलाफ एक साजि़श के तहत मामले दर्ज किए गए। लेकिन जब न्यायालय ने उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया तब भी उनके खिलाफ हथकंडे अपनाए जाते रहे। थेटे ने बताया कि उनकी पत्नी तक के खिलाफ मामले इसलिए दर्ज किए गए ताकि उनको पूरे प्रकरण में एक सहयोगी के तौर पर दिखा कर उनकी पदोन्नति रोक दी जाए।
मैं अब गुलामी से मुक्त हो गया हूं
आईएएस रमेश थेटे ने सिविल सेवाओं से सेवानिवृत होने के दिन अपने मन की बात ज़ाहिर करते हुए कहा है कि अब मैं गुलामी से मुक्त हो चुका हूं। तीन साल पहले तत्कालीन प्रमुख सचिव वीपी सिंह को उन्होंने यह वचन दिया था कि जब तक आईएएस की नौकरी करेंगे तब तक मीडिया से बात नहीं करेंगे। अब जब वे शुक्रवार को सेवानिवृत हो गए हैं तो उन्होंने कहा है कि ‘मैं अब गुलामी से मुक्त हो गया हूं।’ (हम समवेत)
नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'वन नेशन वन राशन कार्ड' के तहत शनिवार को संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के अलावा मणिपुर, नागालैंड और उत्तराखंड भी राशन काडरें की नेशनल पोर्टेबिलिटी से जुड़ गए। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, एक अगस्त, 2020 से 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना से कुल 24 राज्यों और संघ शासित प्रदेश जुड़ गए हैं जिससे देशभर में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम(एनएफएसए) के करीब 65 करोड़ लाभार्थी इसका लाभ उठा पाएंगे।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 'वन नेशन वन राशन कार्ड' विभाग की एक महत्वाकांक्षी योजना और प्रयास है, जिसका मकसद सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में 'सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकृत प्रबंधन (आईएम-पीडीएस)' के अंतर्गत नेशनल पोर्टेबिलिटी लागू करके राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) के तहत कवर किए गए सभी लाभार्थियों को, चाहे वे देश में कहीं भी रह रहे हों, उनकी खाद्य सुरक्षा पात्रताओं की डिलीवरी सुनिश्चित की जा सके।
मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने हाल ही में 'वन नेशन वन राशन कार्ड'योजना की प्रगति समीक्षा की थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, नागालैंड और उत्तराखण्ड की तकनीकी तैयारी अपेक्षित पाई गई। लिहाजा, विभाग ने इन्हें एक अगस्त से नेशनल पोर्टेबिलिटी कलस्टर में पहले से शामिल 20 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के साथ जोड़ दिया है।
इस प्रकार एक अगस्त, 2020 से अब 'वन नेशन वन राशन कार्ड' के तहत कुल 24 राज्य/संघ शासित प्रदेश आ गए हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड हैं।
मंत्रालय ने बताया कि राशन काडरें की नेशनल पोर्टेबिलिटी के माध्यम से कुल लगभग 65 करोड़ आबादी यानी एनएफएसए के कुल लाभाथिर्यों का तकरीबन 80 फीसदी अब इनमें से किसी भी राज्य/संघ शासित प्रदेशों में कहीं भी अपने हिस्से का अनाज ले सकते हैं।
इस प्रणाली के माध्यम से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रवासी लाभार्थी, जो अस्थायी रोजगार आदि की तलाश में अपना निवास स्थान बार-बार बदलते रहते है, उनके पास अब देश में अपनी पसंद की किसी भी उचित दर दुकान पर लगे इलेक्ट्रोनिक पॉइंट ऑफ सेल (ई-पीओएस) उपकरण पर बायोमेट्रिक/आधार कार्ड आधारित प्रमाणन द्वारा अपने उसी/मौजूदा राशन कार्ड का उपयोग करके अपने कोटे अनाज ले सकते हैं।
गणेश भट्ट
नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)| नई शिक्षा नीति में छात्रों को दो बार बोर्ड परीक्षा देने का मिलेगा मौका। हायर एजुकेशन में भी कई स्तरीय बदलाव होंगे। इसके अलावा बोर्ड परीक्षाओं की भी संरचना बदलेगी। और तो और इस क्रांतिकारी नई शिक्षा नीति में प्राथमिक कक्षाओं का स्वरूप भी बदल जाएगा। इसे समग्रता प्रदान किया जाएगा। साथ ही साथ सालों से एक ही ढर्रे पर चल रही इंजीनियरिंग और मेडिकल की शिक्षा में भी कई अहम बदलाव होंगे। ये सब बातें केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आईएएनएस के साथ विशेष साक्षात्कार में कहीं।
प्रस्तुत है केंद्रीय शिक्षा मंत्री का पूरा साक्षात्कार :
प्रश्न : 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं का स्वरूप क्या पहले जैसा होगा अथवा इन में कोई बदलाव होंगे?
उत्तर : नई नीति में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को आसान बनाया जाएगा। इन परीक्षाओं के माध्यम से कोचिंग और रटने के बजाय मुख्य रूप से क्षमताओं एवं योग्यताओं का आकलन किया जाएगा। बोर्ड परीक्षाओं के उच्चतर जोखिम पहलू को समाप्त करने के लिए सभी छात्रों को किसी भी स्कूल वर्ष के दौरान दो बार बोर्ड परीक्षा देनी की अनुमति दी जाएगी। एक मुख्य परीक्षा और यदि आवश्यक हो तो एक सुधार के लिए अनुमति मिलेगी।
प्रश्न: नई शिक्षा नीति का प्रभाव मेडिकल इंजीनियरिंग जैसे उच्च शिक्षण कार्यक्रमों पर कैसा रहेगा?
उत्तर : मेडिकल एजुकेशन को पुनर्कल्पित किए जाने की आवश्यकता है। हमारे लोग स्वास्थ्य सेवा में बहुलतावादी विकल्पों का प्रयोग करते हैं। हमारी स्वास्थ्य शिक्षा प्रणाली को एकीकृत होना चाहिए। जिसका अर्थ है कि एलोपैथिक चिकित्सा शिक्षा के सभी छात्रों को आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी की बुनियादी समझ होनी चाहिए। ऐसा ही अन्य सभी प्रकार की चिकित्सा से संबंधित विद्यार्थियों के विषय में लागू होगा। वहीं इंजीनियरिंग भी बहु-विषयक शिक्षण संस्थानों और कार्यक्रमों के भीतर पेश की जाएगी और अन्य विषयों के साथ गहराई से जुड़ने के अवसरों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रीत किया जाएगा।
प्रश्न : नई शिक्षा नीति प्राथमिक स्तर के छात्रों के लिए क्या नया ले कर आई है?
उत्तर : नई शिक्षा नीति में प्रारम्भिक स्तर से ही छात्रों को लचीली, बहुआयामी, बहुस्तरीय, खेल आधारित, गतिविधि आधारित और खोज आधारित शिक्षा व्यवस्था से लाभान्वित किया जाएगा। इस नीति का समग्र उद्देश्य बच्चों का शारीरिक भौतिक विकास, संज्ञात्मक विकास, समाज संवेगात्मक नैतिक विकास, सांस्कृतिक विकास, संवाद के लिए प्रारम्भिक भाषा, साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान के विकास में अधिकतम परिणामों को प्राप्त करना है।
प्रश्न : नई शिक्षा नीति से स्कूल में पढ़ने और पढ़ाने की प्रक्रिया में क्या मूल बदलाव होंगे?
उत्तर : नई शिक्षा नीति में स्कूल पाठ्यक्रम के बोझ में कमी, बढ़े हुए लचीलेपन, रटकर सीखने के बजाय रचनात्मक तरीके से सीखने पर जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही स्कूल के पाठ्य पुस्तकों में भी बदलाव किया जाएगा। जहां संभव हो, शिक्षकों के पास भी तय पाठ्य पुस्तकों में अनेक विक्ल्प होंगे। उनके पास अब ऐसी पाठ्य पुस्तकों के अनेक सेट होंगे, जिसमें अपेक्षित राष्ट्रीय और स्थानीय सामग्री शामिल होगी। इसके चलते वे ऐसे तरीके से पढ़ा सके जो उनकी अपनी शिक्षण शास्त्रीय शैली और उनके छात्रों की जरूरत के मुताबिक हो।
प्रश्न : उच्च शिक्षा में अर्थात ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन में दाखिले की प्रक्रिया क्या रहेगी। कैसे अधिक से अधिक छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान की जा सकेगी?
उत्तर : विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा के लिए सिद्धांत समान होंगे। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) उच्चतर गुणवत्ता वाली सामान्य योग्यता परीक्षा, साथ ही विज्ञान मानविकी, भाषा, कला और व्यावसायिक विषयों में हर साल कम से कम दो बार विशिष्ट सामान्य विषय की परीक्षा लेना का कार्य करेगी। एनटीए उच्चतर शिक्षा संस्थानों में अंडर ग्रेजुएट और ग्रेजुएट में दाखिले और फैलोशिफ के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का कार्य करेगी।
यह निर्णय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर छोड़ दिया जाएगा कि क्या वह अपने यहां प्रवेश के लिए एनटीए प्रवेश परीक्षा को अपनाएं या नहीं।
प्रश्न : तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में नई शिक्षा नीति किस प्रकार से प्रभावी होगी?
उत्तर: समस्त मानवीय उद्यमों और प्रयासों पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव से तकनीकी शिक्षा और अन्य विषयों के बीच अंतर समाप्त होने की संभावना बढ़ती जा रही है। इस प्रकार तकनीकी शिक्षा भी बहु विषयक शिक्षण संस्थानों और कार्यक्रमों के भीतर पेश की जाएगी और अन्य विषयों के साथ गहराई से जोड़ने के अवसरों पर नए सिरे से जोड़ने पर ध्यान केंद्रीत करेगी। तकनीकी शिक्षा में डिग्री एवं डिप्लोमा कार्यक्रम शामिल हैं। उदाहरण के लिए इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी प्रबंधन, वास्तुकला, फार्मेसी, कैटरिंग आदि जो भारत के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न : नई शिक्षा नीति में अध्यापकों के लिए किस प्रकार के बदलाव किए जाएंगे?
उत्तर : नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को सुनिश्चित करने के साथ ही आध्यापक शिक्षा की गुणवत्ता, भर्ती, पदस्थापन, सेवा शर्तों और शिक्षकों के अधिकारों की स्थिति का आकलन किया गया है। शिक्षक पात्रता परीक्षा के साथ ही बीएड कार्यक्रम में विस्तार देकर बदलाव सुनिश्चित किया गया है। शिक्षकों की क्षमताओं को अधिकतम स्तर तक बढ़ाना इस नीति का महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित है।
शिक्षकों को पाठ्यक्रम और शिक्षण के उन पहलुओं को चयनित करने के लिए ज्यादा स्वायतता दी जाएगी। शिक्षकों को सामाजिक और भावनात्मक पक्षों को ध्यान में रखकर सर्वांगीण विकास की ²ष्टि से शिक्षण कार्य करना होगा। ऐसी विधि अपनाने पर सकारात्मक परिणाम आने की दशा में शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा। नई नीति के तहत शिक्षकों को सतत व्यवसायिक विकास के अवसर मिलेंगे।
प्रश्न : आपने कहा था नई शिक्षा नीति ज्ञान, संस्कृति और भारतीयता पर आधारित होगी आपने इसमें ऐसे क्या प्रावधान किए हैं।
उत्तर : यह नीति इस सिद्धांत पर आधारित है कि शिक्षा से न केवल साक्षरता और संख्या ज्ञान जैसी बुनियादी क्षमताओं के साथ-साथ उच्चतर स्तर की और समस्या समाधान संबंधी संज्ञानात्मक क्षमताओं का विकास होना चाहिए, बल्कि नैतिक, सामाजिक, भावनात्मक चरित्र का निर्माण भी आवश्यक है। ज्ञान, प्रज्ञा, सत्य की खोज को भारतीय विचार परंपरा और दर्शन में सदा सर्वोच्च मानवीय लक्ष्य माना जाता है।
प्राचीन भारत में शिक्षा का लक्ष्य पूर्ण आत्मज्ञान और मुक्ति के रूप में माना गया है। भारतीय संस्कृति और दर्शन का विश्व में बड़ा प्रभाव रहा है। वैश्विक महत्व की इस समृद्ध विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए न सिर्फ सहेजकर संरक्षित रखने की जरूरत है, बल्कि हमारी शिक्षा व्यवस्था द्वारा उस पर शोध कार्य होना चाहिए। उसे और समृद्ध किया जाना चाहिए एवं नए-नए उपयोग भी सोचे जाने चाहिए।
प्रश्न: नई शिक्षा नीति से कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में किस प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलेंगे?
उत्तर: नई शिक्षा नीति में विश्वविद्यालयों का स्वरूप बदल जाएगा। इस नीति के तहत विश्वविद्लाय को परिभाषित करें तो कई तरह के संस्थान होंगे, जो शिक्षण और शोध को बराबर महत्व देने वाले होंगे। प्राथमिक तौर पर स्वायत्त डिग्री देने वाला कॉलेज उच्चतर शिक्षा के एक बड़े बहु विषयक संस्थान को संदर्भित करेगा। वहीं कॉलेजों को ग्रेडेड स्वायत्तता देने के लिए एक चरणबद्ध प्रणाली स्थापित की जाएगी।कालांतर में धीरे-धीरे सभी महाविद्यालय या तो डिग्री प्रदान करने वाले स्वायत्त महाविद्यालय बन जाएंगे या किसी विश्वविद्यालय के अंग के रूप में विकसित होंगे।
विशाखापट्टनम, 1 अगस्त (बीबीसी)। आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में शनिवार दोपहर एक भीषण हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, ये हादसा विशाखापट्टनम में स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड में एक क्रेन गिरने से हुआ है।
विशाखापट्टनम के जिलाधिकारी विनय चंद ने इस मामले में 11 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है। अंग्रेजी अखबार द हिंदू में प्रकाशित खबर के मुताबिक, पर्यटन मंत्री एम श्रीनिवास राव ने स्थानीय प्रशासन से इस बारे में बात की है।
राव ने कहा है कि उनकी इस बारे में जि़लाधिकारी से बात हुई है और जि़ला प्रशासन की ओर से मौके पर एक टीम भेजी गई है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए ट्वीट किया है।
सीएम ऑफिस की ओर से कहा गया है कि मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने विशाखापट्टनम के जि़लाधिकारी और सिटी पुलिस कमिश्नर को इस मामले में तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
वहीं, जि़लाधिकारी विनय चंद ने कहा, ये हादसा एक नयी क्रेन को काम पर लगाने के दौरान हुआ है। इस क्रेन का ट्रायल रन किया जा रहा था ताकि इसे पूर्णतय: काम में लाया जा सके। हमने इस मामले में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड को जांच करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन को भी एक उच्च स्तरीय समिति से इस मामले की जांच कराने के आदेश दिए हैं।
विशाखापट्टनम में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के बाहर अपने परिजनों का हाल जानने की कोशिश करते हुए परिवार
द हिंदू की खबर के मुताबिक, इसी बीच कई परिवार हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड में काम करने वाले अपने परिजनों का हाल जानने के लिए मौके पर पहुंच चुके हैं।
इन लोगों का आरोप है कि स्थानीय पुलिस और कंपनी प्रबंधक कंपनी परिसर में मौजूद कर्मचारियों के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं।