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गौतमबुद्धनगर, 30 जुलाई (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के नोएडा मेंसेक्टर-78 स्थित शियाना टावर महागुन मॉडर्न में गुरुवार सुबह 65 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला ने 19वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या करली। थाना सेक्टर-49 के एसएचओ धर्मेंद्र कुमार शर्मा ने बताया, "बुजुर्ग महिला काफी दिनों से मानसिक रूप से परेशान थी। उसका एक निजी अस्पताल में डिप्रेशन का इलाज चल रहा था। आज सुबह उसने 19वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या करली।"
जिले में हाल के दिनों में खुदकुशी के कई मामले सामने आए हैं। ज्यादातर मामलों में लोगों ने मानसिक तनाव के चलते ये आखिरी कदम उठाए हैं। हालात ये हो गए हैं कि जिले में आए दिन लोग मानसिक तनाव के कारण खुदखुशी करके अपना जीवन समाप्त कर रहे हैं।
अगर हाल के दिनों में हुईं आत्महत्याओं के आंकड़ों की बात करें तो जिले में 23 से 30 जुलाई तक 6 लोग आत्महत्या कर चुके हैं।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि बिना जानवरों को मारे या फिर बिना फसलों के नुकसान पहुंचे मानव-पशु संघर्ष का एक समाधान खोजना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को फसलों को हो रही क्षति को रोकने के लिए बड़ी संख्या में नील गायों को मारने की इजाजत देने पर नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति एस.ए.बोबडे और न्यायमूर्ति ए.एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमनियन की पीठ ने राज्य सरकारों और याचिकाकार्ता-बीजू जनता दल के सांसद अनुभव मोहंती से इस समस्या का सामाधान खोजने के लिए कहा।
प्रधान न्यायाधीश ने पाया कि जानवरों को भी नहीं मारा जाना चाहिए और न ही फसलों को क्षति पहुंचनी चाहिए।
पीठ ने कहा, "हमें निश्चित ही इसका हल निकालना होगा कि कैसे मानव-पशु संघर्ष और फसलों की क्षति को रोका जाए।"
याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि राज्य सरकारों ने नील गाय की हत्या की इजाजत दी है, जिसका नतीजा है कि रोज कम से कम 50 जानवरों को मारा जा रहा है। पीठ ने पाया कि इस याचिका को केरल में एक हथिनी की दर्दनाक मौत के मामले की याचिका के साथ आगे बढ़ाया जाएगा।
मोहंती ने शीर्ष अदालत का रूख देश में जंगली जानवरों की हत्या को रुकवाने और जंगली जानवरों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर दिशनिर्देश जारी करने के लिए किया था।
मोहंती की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि वन्यजीव क्षेत्रों में इंसानी गतिविधि की वजह से समस्या उत्पन्न हो रही है।
नई दिल्ली, 30 जुलाई| भारत में डिजीटल भुगतान प्रणाली की रीढ़ समझे जाने वाले नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) में 40 से भी ज्यादा सुरक्षा संबंधी कमजोरियां हैं, जिनमें से कुछ तो भारी जोखिम वाली हैं.
यह तथ्य सामने आए हैं एनपीसीआई के एक सरकारी ऑडिट में, जिस से संबंधित एक आंतरिक दस्तावेज की जानकारी रॉयटर्स को मिली है. ऑडिट नवंबर 2018 से फरवरी 2019 तक चला था और उसमें नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) में निजी डाटा के एन्क्रिप्शन की कमी को विशिष्ट रूप से दर्शाया गया. एनपीसीआई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बढ़ावा दिए जाने वाले रुपे कार्ड को चलाता है.
मार्च 2019 के इस सरकारी दस्तावेज के अनुसार 16 अंकों के कार्ड नंबर और ग्राहकों के नाम, खातों के नंबर और राष्ट्रीय पहचान नंबर इत्यादि जैसी निजी जानकारी का कुछ डाटाबेस में प्लेन टेक्स्ट में, यानी बिना कोड किए, भंडारण पाया गया. ऐसे में अगर प्रणाली में किसी ने सेंध लगाने की कोशिश की तो यह डाटा एकदम असुरक्षित होगा. इस ऑडिट की जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है.
एनपीसीआई ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से एक वक्तव्य में कहा कि संस्थान का ऑडिट नियमित रूप से होता रहता है और प्रबंधन में वरिष्ठ अधिकारी ऑडिट के सभी नतीजों की समीक्षा करते रहते हैं और फिर ऑडिट करने वालों की संतुष्टि के अनुसार उपचारात्मक कदम भी उठाए जाते हैं. वक्तव्य में यह भी बताया गया, कि इस प्रक्रिया में वो नतीजे भी शामिल हैं जिनके बारे में रॉयटर्स ने बताया है.
भारत में डिजिटल भुगतान का प्रचलन बढ़ रहा है.
भारत के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा संयोजक राजेश पंत के कार्यालय ने ऑडिट का संयोजन किया था. पंत ने एक वक्तव्य में रॉयटर्स को बताया, "पिछले साल की रिपोर्ट में जितने भी बिंदु सामने लाए गए थे एनपीसीआई ने उनके समाधान की पुष्टि कर दी है."
पंत ने यह भी कहा कि साइबर हमलों को कम करने के लिए ऑडिट सबसे अच्छा तरीका है और सभी उपक्रम समय समय पर ऑडिट कराते रहते हैं. यह ऑडिट इसलिए किया गया था ताकि प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को साइबर हमलों के खिलाफ एनपीसीआई की तैयारी के बारे में बताया जा सके. प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय ने टिप्पणी के लिए रॉयटर्स के अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
ऑडिट के नतीजे एनपीसीआई के सामने डाटा सुरक्षा की चुनौतियों को रेखांकित करते हैं. एनपीसीआई इंटर-बैंक ट्रांसफर, एटीएम लेन-देन और डिजीटल भुगतान जैसी सेवाओं के जरिए रोजाना अरबों डॉलर की धनराशि संसाधित करता है. ये एक गैर लाभकारी कंपनी है जिसका गठन 2008 में किया गया था. मार्च 2019 तक 56 बैंक इसके शेयरधारक थे, जिनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सिटीबैंक और एचएसबीसी जैसे बैंक शामिल हैं.
रुपे को विशेष रूप से प्रधानमंत्री मोदी ने काफी उत्साहपूर्वक ढंग से समर्थन दिया है और उसके इस्तेमाल राष्ट्रीय कर्त्तव्य के जैसा बताया है. अक्टूबर 2019 तक भारत में जारी होने वाले करीब 90 करोड़ डेबिट और क्रेडिट कार्डों में से लगभग दो-तिहाई कार्ड रुपे कार्ड ही थे.
कोलकाता, 30 जुलाई| उत्तर 24-परगना ज़िले के बनगाँव में 62 साल के कोरोना संक्रमित एक व्यक्ति को स्थानीय सरकारी अस्पताल से कोलकाता के बड़े अस्पताल में भेजने के दौरान किसी ने एंबुलेंस पर चढ़ने में मदद नहीं की.
पीपीई किट पहन कर ड्राइवर दूर से खड़ा तमाशा देखता रहा. मरीज़ की पत्नी सहायता की गुहार लगाती रही. लेकिन कोई भी मदद के लिए सामने नहीं आया. नतीजतन मौक़े पर ही उस व्यक्ति की मौत हो गई. अब तीन-सदस्यीय टीम मामले की जाँच कर रही है.
कोलकाता के बेहला इलाक़े में एक वयस्क व्यक्ति की मौत के बाद 15 घंटे तक शव घर में पड़ा रहा. बार-बार सूचना देने के बावजूद न तो पुलिस मौक़े पर पहुँची और न ही स्वास्थ्य विभाग के लोग.
सरकार की नाक के नीचे राजधानी कोलकाता से लगभग रोज़ाना सामने आने वाली ऐसी खबरें अब शायद कहीं किसी को परेशान नहीं करतीं. जब राजधानी का यह हाल है तो राज्य के बाकी ज़िलों की हालत का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल नहीं है.
राज्य में तेज़ी से बढ़ते कोरोना संक्रमण ने स्वास्थ्य विभाग के आधारभूत ढाँचे, इस महामारी से निपटने की सरकारी तैयारियों और दावों की पोल खोल दी है.
आलम यह है कि निजी और सरकारी अस्पतालों में भर्ती नहीं हो पाने की वजह से हर सप्ताह कई मरीज़ असमय ही दम तोड़ रहे हैं. इनमें आम लोग ही नहीं, डिप्टी मजिस्ट्रेट जैसे सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं.
संक्रमण पर काबू पाने के लिए सरकार ने अब हर सप्ताह दो दिनों के सख़्त लॉकडाउन का एलान किया है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अब पानी सिर के ऊपर से बहने लगा है. ऐसे में दो अलग-अलग दिन के लॉकडाउन का कोई ख़ास फ़ायदा नहीं होगा. अब सरकार ने भी मान लिया है कि राज्य के कुछ इलाक़ों में कोरोना का कम्यूनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है.
धराशायी होते नए-नए दावे
कोरोना से निपटने के लिए सरकार रोज़ाना नए-नए दावे कर रही है. वह अस्पतालों में बेड की तादाद बढ़ाने पर भी ज़ोर दे रही है. लेकिन एक महीने में अगर बेड की संख्या एक हज़ार बढ़ती है, तो रोज़ाना औसतन 2400 मरीज़ आ रहे हैं.
बेड की क़िल्लत की वजह से सरकार अब हल्के या बिना लक्षण वाले मरीज़ों को होम आइसोलेशन की सलाह दे रही है. लेकिन अव्यवस्था और बेक़ाबू होती परिस्थिति की एक कड़वी मिसाल यह है कि कोरोना के मरीज़ों को महज पाँच छह किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए भी नौ हज़ार रुपए से ज़्यादा का भुगतान करना पड़ रहा है.
इसी तरह कुछ निजी अस्पताल पीपीई किट के लिए ही एक लाख या इससे ज़्यादा की रक़म वसूल रहे हैं. बीते सप्ताह एक मामले में तो हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप कर एक निजी अस्पताल को पीपीई के मद में वसूली गई डेढ़ लाख रुपए की रक़म लौटाने का निर्देश दिया था.
कई निजी और सरकारी अस्पतालों में तो कोरोना के मरीज़ के बगल वाले बेड पर सामान्य मरीज़ या फिर किसी के शव को पूरी रात रखने की शिकायतें, तस्वीरें और वीडियो अक्सर सामने आ रहे हैं.
आइसोलेशन वार्ड में रख रहे शव
बीते सप्ताह नदिया ज़िले में कल्याणी स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती एक मरीज़ के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल (जेएनएम) अस्पताल के एक आइसोलेशन वार्ड में शिफ़्ट किया गया था. लेकिन, वहाँ उस मरीज़ के बेड के सामने वाले बेड पर एक शव पड़ा था.
लगभग चौबीस घंटे तक शव वहीं पड़ा रहा. अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर अभिजीत मुखर्जी का कहना है कि संसाधनों की कमी की वजह से शवों को मुर्दाघर पहुँचाने में देरी हो रही है. इसी वजह से शव को आइसोलेशन वार्ड में रखना पड़ा. फ़िलहाल इस मामले की भी जाँच हो रही है.
कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बाद अब कई सरकारी और निजी अस्पताल भी बेड ख़ाली नहीं होने की बात कर ऐसे मरीज़ों से कन्नी काटने लगे हैं.
इसे देखते हुए सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर किसी ने ऐसा किया, तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. सरकारी अस्पतालों के मामले में सख़्त कार्रवाई करने की भी बात कही गई है. लेकिन बावजूद इसके ऐसी घटनाएँ थमने का नाम नहीं ले रही हैं.
स्वास्थ्य विभाग के आँकड़ों के मुताबिक़, पूरे राज्य में 80 कोविड-19 अस्पतालों में 10,862 बेड हैं. इनमें से कोलकाता में 2,062 बेड हैं. महानगर के निजी अस्पतालों में 1,414 बेड हैं. इसके अलावा उत्तर 24-परगना ज़िले के तमाम अस्पतालों में 336 बेड हैं.
बावजूद इसके रोज़ाना कई मरीज़ों को बेड की कमी की वजह से अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. कलकत्ता मेडिकल कॉलेज अस्पताल, केपीसी मेडिकल कॉलेज और बेलेघाटा स्थित संक्रामक बीमारियों के अस्पताल जैसे कोविड अस्पतालों में कभी कोई बेड ख़ाली नहीं रहता.
दिलचस्प बात यह है कि ऑनलाइन अपडेट में कई अस्पतालों में ख़ाली बेड की तादाद तो नज़र आती है, लेकिन वहाँ पहुँचने पर बेड ख़ाली नहीं होने की बात कह कर मरीज़ों को टरका दिया जाता है.
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, "राज्य के सरकारी अस्पतालों में कोरोना के मरीज़ों के लिए 10 हजार बेड हैं. लेकिन निजी अस्पतालों में दो हज़ार से भी कम बेड हैं. तेज़ी से बढ़ते संक्रमण की वजह से बेड तुरंत भर जाते हैं. सरकार अब बेड की संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रही है."
उस अधिकारी ने बताया कि सरकार ने हल्के या कम लक्षण वाले मरीज़ों को होम क्वारंटीन सुविधा के लिए 106 सेफ़ हाउस बनाए हैं. उनमें छह हज़ार बेड हैं.
सरकारी अस्पतालों से उठा भरोसा
वेस्ट बंगाल डॉक्टर्स फ़ोरम के डॉ. कौशिक लाहिड़ी कहते हैं, "सरकारी अस्पतालों से लोगों का भरोसा ख़त्म हो चुका है. यही वजह है कि लोग निजी अस्पतालों की शरण में जा रहे हैं. वहाँ उनसे मनमानी रक़म वसूली जाती है. लेकिन सरकार सब देखते हुए भी चुप्पी साधे बैठी है."
वह बताते हैं कि राज्य में आईसीयू में महज 948 बेड और 395 वेटिंलेटर हैं. बार-बार कहने के बावजूद सरकार इनकी संख्या बढ़ाने में नाकाम रही है.
मरीज़ों की लगातार बढ़ती तादाद को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार अब स्टेडियम, लॉज, स्कूलों और ज़िलों में बने नाइट शेल्टर को भी अस्थायी अस्पताल बना रही है.
हाल में ईडेन गार्डेन में पुलिस वालों के लिए ऐसा ही एक अस्थायी अस्पताल बनाया गया है. लेकिन डॉ. लाहिड़ी कहते हैं कि इन अस्पतालों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों, आईसीयू और वेटिंलेटरों की व्यवस्था नहीं होने तक इनसे कोई फ़ायदा नहीं होगा.
सरकार ने जिन निजी अस्पतालों में कोविड-19 वार्ड बनाए हैं, उनमें ऑक्सीजन और दूसरी ज़रूरी सुविधाओं का अभाव है. नतीजतन कोरोना के मरीज़ वहाँ नहीं जा रहे हैं. मरीज़ों के स्वस्थ होने में अब पहले के मुक़ाबले ज़्यादा समय लग रहा है. इस वजह से बेड लंबे समय तक ख़ाली नहीं हो पाते. इससे स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंतित है.
सरकार की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति लगातार इन अस्पतालों के दौरे कर रही है. लेकिन समस्या जस की तस है. समिति को कोरोना मरीज़ों के इलाज के प्रोटोकॉल में गड़बड़ी की भी शिकायतें मिली हैं. इससे ऐसे मरीज़ों की मौत के मामले बढ़े हैं, जो कोमार्बिडिटी यानी दूसरी गंभीर बीमारियों के शिकार नहीं थे.
बढ़ानी होगी टेस्ट
सरकार की विशेषज्ञ समिति के सदस्य डॉ. अभिजीत मित्र कहते हैं, "कोरोना के मरीज़ों की रिकवरी रेट बेहतर बनाने के लिए हम समय-समय पर ज़रूरी दिशा-निर्देश जारी करने के साथ ही नई रणनीति भी बना रहे हैं. रिकवरी रेट में गिरावट के बारे में मरीज़ों का इलाज करने वाले डॉक्टरों से बातचीत की जा रही है."
एक स्वास्थ्य अधिकारी बताते हैं, "राज्य में कोरोना के तेज़ी से बढ़ते मामले चिंता का विषय बन गए हैं. इस पर अंकुश लगाने का सबसे बढ़िया तरीक़ा जाँच की संख्या बढ़ाना और आधारभूत ढाँचे को दुरुस्त करना है. हमने बंगाल के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में कोविड-19 यूनिट स्थापित करने की योजना बनाई है."
सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़, जुलाई के दौरान संक्रमण के 82 प्रतिशत और मौतों के 90 प्रतिशत मामले सिर्फ़ दक्षिण बंगाल के पाँच ज़िलों से ही आए हैं. इनमें भी कोलकाता, उत्तर 24-परगना और हावड़ा ज़िले कोरोना का केंद्र बन गए हैं.
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी बताते हैं, "फ़िलहाल बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले कई मरीज़ होम क्वारंटीन में रह रहे हैं. लेकिन आने वाले दिनों में किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए दक्षिण बंगाल में बेड की संख्या जितनी संभव हो, बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है."
मशहूर चिकित्सक कुणाल सरकार कहते हैं, "फ़िलहाल अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाना सबसे ज़रूरी है. अगर हम संक्रमण के नए मामलों पर अंकुश नहीं लगा सकते, तो बेड की संख्या तो जल्दी बढ़ा ही सकते हैं. बिना इसके मौतों पर क़ाबू पाना मुश्किल होगा."
वह कहते हैं कि जाँच के मामले में बंगाल अब भी ज़्यादातर राज्यों से बहुत पीछे है. इसे तेज़ी से बढ़ाना होगा. सरकार अब रोज़ाना 25 हजार मामलों की जाँच की बात कह रही है. लेकिन इसके लिए आधारभूत सुविधाओं की कमी है.
एक अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर श्यामाशीष बनर्जी कहते हैं, "आम लोगों की लापरवाही की वजह से इस महीने संक्रमण तेज़ी से बढ़ा है."
लोगों में बढ़ रहा डर
निजी अस्पतालों के संगठन एसोसिएशन आफ हॉस्पीटल्स आफ ईस्टर्न इंडिया के अध्यक्ष रूपक बरूआ का कहना है कि कई लोग आतंकित होकर कोरोना की जाँच कराने के लिए आ रहे हैं. इससे जांच केंद्रों पर दबाव बढ़ रहा है. डॉक्टरों की सलाह के बिना जाँच कराने की ज़रूरत नहीं है. ऐसे लोगों की वजह से असली मरीज़ों को परेशानी हो रही है.
गृह सचिव आलापन बनर्जी ने बीते सप्ताह स्वीकार किया था कि राज्य के कई इलाक़ों में कोरोना का कम्यूनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है. उनके मुताबिक़, सप्ताह में दो दिन के लॉकडाउन से प्रशासन को कुछ हद तक हालात पर क़ाबू पाने में सहायता मिलेगी.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को आधारभूत ढाँचे को दुरुस्त करने के साथ ही मरीज़ों और उनके परिजनों की दुर्दशा पर भी ध्यान देना चाहिए. जिससे की न तो किसी व्यक्ति को इलाज के लिए अस्पतालों का चक्कर नहीं लगाना पड़े और न ही किसी का शव अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतज़ार करता रहे.
इसके लिए संबंधित सरकारी कर्मचारियों को मानवीय व्यवहार भी अपनाना होगा. स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सुकांत चक्रवर्ती कहते हैं, "कहीं किसी को इसकी चिंता नहीं नज़र आ रही है. सरकार रोज़ाना आँकड़े जारी कर और स्वस्थ होने वाले मरीज़ों की संख्या बढ़ने का दावा कर अपनी पीठ थपथपाने में ही जुटी है. लेकिन परिस्थिति धीरे-धीरे गंभीर होती जा रही है."
वेस्ट बंगाल डॉक्टर्स फ़ोरम के सचिव कौशिक चाकी कहते हैं, "सरकार के लिए अकेले इस महामारी से लड़ना संभव नहीं है. आम लोगों में और जागरुकता बढ़ानी होगा. अब भी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं. लॉकडाउन के अगले दिन बाज़ारों और सार्वजनिक स्थानों पर उमड़ने वाली भीड़ इसका सबूत है."(bbc)
कानपुर, 30 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक लैब टेक्नीशियन की अपहरण के बाद हत्या मामले में मृतक के पिता चमन सिंह ने बेटे का शव न सौंपे जाने पर अपने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या करने की धमकी दी है। इस मामले ने पुलिस महकमे पर भी सवाल खड़ा कर दिया है।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने पुलिस को बताया था कि उन्होंने 22 जून को संजीत यादव को फिरौती के लिए अगवा किया था और फिर 26-27 जून को उसकी हत्या कर दी थी।
अपराधियों ने कहा कि उन्होंने संजीत का शव पांडु नदी में फेंक दिया था।
कानपुर पुलिस 23 जुलाई से ही संजीत के शव का पता लगाने की कोशिश कर रही है, लेकिन उन्हें इस मामले में सफलता नहीं मिली है।
चमन सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि वह और उनका परिवार पहले अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने की कोशिश करेंगे।
सिंह ने कहा, "अगर मुख्यमंत्री से मिलने के बाद भी हमें न्याय नहीं मिला तो हम लखनऊ में विधानसभा के सामने खुद को आग लगाकर आत्महत्या कर लेंगे।"
चमन सिंह ने आगे कहा, "सिर्फ शरीर ही नहीं, पुलिस ने उसके एटीएम कार्ड सहित अन्य सामान भी बरामद नहीं किए हैं। पुलिस ने सिर्फ उसकी बाइक बरामद की है।"
बीते 22 जून को संजीत का अपहरण कर लिया गया था। बाद में अपहर्ताओं ने परिवार से 30 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी। पुलिस ने परिवार को पैसे की व्यवस्था करने कहा था। पुलिस का कहना था कि फिरौती की रकम लेने आने पर वे अपहर्ताओं को पकड़ लेंगे।
परिवार ने पुलिस की मौजूदगी में निर्देश के अनुसार एक फ्लाईओवर के ऊपर से पैसे भरे बैग को एक सड़क पर फेंक दिया, लेकिन इससे पहले की पुलिस उन्हें पकड़ पाती अपहर्ता बैग लेकर भाग गए।
संजीत की मां और बहन ने कहा कि उन्होंने फिरौती की रकम की व्यवस्था करने के लिए गहने और संपत्ति बेच दी थी।
इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि मुख्यमंत्री योगी ने कानपुर एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु को स्थानांतरित कर दिया, जबकि चार अन्य को निलंबित कर दिया गया।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)| देश में लॉकडाउन लगाए जाने के चलते आपूर्ति में दिक्कत आने और घरेलू उत्पादन में कमीं आने के बावजूद भी जून की तिमाही के दौरान भारत आए हर चार में तीन स्मार्टफोन चीन के बने हुए थे। गुरुवार को एक नई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। सीएमआर इंडिया के मोबाइल हैंडसेट मार्केट रिव्यू के मुताबिक, चीनी स्मार्टफोन ब्रांडों के सामने आने वाली चुनौतियों का का तत्काल लाभ सैमसंग को मिला जिसके पास यहां एक कुशल आपूर्ति श्रृंखला थी और इसी के साथ सैमसंग इस दूसरी तिमाही में अपने गिरते बाजार दर को बेहतर बनाने और मार्केट शेयर में 24 फीसदी तक सुधार करने के काबिल रहा।
सीएमआर के इंडस्ट्री इंटेलिजेंस ग्रुप के मैनेजर अमित शर्मा ने बताया, "यह देखना अभी बाकी है कि क्या आने वाले तिमाहियों में सैमसंग बाजार में अपनी परफॉर्मेंस को बनाए रख पाएगा, उपभोक्ताओं की मांग की पूर्ति कर पाएगा, चीनी स्मार्टफोन ब्रांडों के प्रभुत्व को चुनौती देकर उनके खिलाफ लड़ पाएगा।"
इन सारी चीजों का असली परीक्षण तीसरी तिमाही में ही होगा।
दूसरी तिमाही के दौरान चीनी स्मार्टफोन ब्रांडों की संचयी बाजार हिस्सेदारी 73 फीसदी तक गिर गई जो कि साल 2019 की तीसरी तिमाही में आखिरी बार देखे गए स्तर के समान है।
राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते जून की तिमाही में भारत में स्मार्टफोन की कुल शिपमेंट में 41 फीसदी (तिमाही दर तिमाही) और 48 फीसदी (वर्ष-दर-वर्ष) तक की गिरावट आई है।
शीर्ष तीन की सूची में शाओमी (30 फीसदी), सैमसंग (24 फीसदी) और वीवो (17 फीसदी) शामिल है।
मुंबई, 30 जुलाई (आईएएनएस)| मुंबई में एक पुलिसकर्मी का एक साहसी रूप देखने को मिला। यहां बोरीवली के पास मिठी नदी में लगभग 30 फीट गहरे पानी में डूबती हुई महिला को बचाने के प्रयास में पुलिसकर्मी ने नदी में छलांग लगा दी। अधिकारियों ने इसकी जानकारी गुरुवार को दी। यह घटना पूर्वान्ह करीब 11.30 बजे हुई जब कुछ राहगीरों ने अलार्म बजाया कि संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के पास एक महिला नदी में गिर गई है।
एक एसओएस संदेश कस्तूरबा रोड पुलिस स्टेशन को मिला, जिसमें कहा गया कि लगातार बारिश के बीच महिला नदी में गिर गई है। वायरलेस द्वारा यह संदेश दौलत नगर पुलिस चौकी को दिया गया।
वहां ड्यूटी पर मौजूद सिपाही अभिमान मोर (नंबर 3483) घटनास्थल पर पहुंचे, जहां उन्होंने डूबती महिला को बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी और उस महिला को तैर कर पकड़ लिया।
वह महिला को सफलतापूर्वक नदी के किनारे ले आए, जहां तब तक मुंबई फायर ब्रिगेड की एक टीम पहले ही पहुंच चुकी थी और उन्होंने दोनों को रस्सियों और सीढ़ी के माध्यम से बाहर निकाला।
महिला की पहचान 21 वर्षीय स्नेहल कामशेरकर के रूप में हुई, उसे तत्काल पूर्व-बोरीवली के निजी मोहित अस्पताल में ले जाया गया और बाद में छुट्टी दे दी गई।
कस्तूरबा रोड पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर (इन-चार्ज) प्रमोद तावड़े ने अभिमान के इस बहादुरी की प्रशंसा की, जिससे एक महिला की जांच बच गई।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस जनहित याचिका(पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले को पुलिस से सीबीआई को ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इस बाबत बांबे उच्च न्यायालय का रूख करने को कहा।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)| मणिपुर के चंदेल क्षेत्र में बुधवार रात भारत-म्यांमार सीमा के पास आईईडी विस्फोट में असम राइफल्स के तीन जवान शहीद हो गए और पांच अन्य घायल हो गए। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि 15 जवानों का एक समूह चंदेल क्षेत्र के खोंगतल से वापस आ रहा था और समूह आईईडी की चपेट में आ गया।
उसके बाद घात लगाए उग्रवादी समूहों ने समूह पर भारी गोलीबारी शुरू कर दी।
उन्होंने कहा, "29 जुलाई 2020 को, खोंगतल में सांय करीब 6.45 बजे एक पेट्रोल पार्टी वापस आने वक्त उग्रवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले की चपेट में आ गई।"
घटना भारत-म्यांमर सीमा से करीब 3 किलोमीटर दूर घटी। असम राइफल्स की टुकड़ी अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास तीन दिनों के अभियान के बाद वापस अपने पोस्ट लौट रही थी।
शहीद जवानों की पहचान हवलदार प्रणय कलिता, राइफलमैन वाई.एम. कोनयक और राइफलमैन रतन सलीम के रूप में हुई है। वहीं मामूली रूप से घायल पांच जवानों को सेना के अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।
सरकार ने बताया है कि अभी तक किसी भी उग्रवादी समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, "स्थानीय प्रशासन और खुफिया एजेंसी उग्रवादी समूह की पहचान करने के लिए कार्य कर रही है, जिसने पट्रोलिंग पार्टी पर हमले किए हैं।"
अयोध्या, 30 जुलाई (वार्ता)। अयोध्या में श्री राम के जन्मस्थान पर बनने वाले भव्य मंदिर के पांच अगस्त को होने वाले भूमि पूजन में 51 नदियों का जल और तीर्थस्थलों की मिट्टी उपयोग में लाई जाएगी ।
रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के मंदिर निर्माण को लेकर पांच अगस्त के भूमि पूजन के लिए लगातार डाक सेवा के माध्यम से विभिन्न प्रांतों से नदियों व पवित्र तीर्थों के जल व मिट्टी यहां आ रही है। कुछ संस्थायें कलश में भर कर जल और मिट्टी ला रहे हैं और रामजन्मभूमि ट्रस्ट के अघ्यक्ष नृत्य गोपाल दास को सौंप रहे हैं । राजधानी लखनऊ के ऐतिहासिक ऐशबाग की रामलीला की मिट्टी भी कल यहां आयी। तीन साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दशहरे के दिन यहां राम और लक्ष्मण का तिलक किया था।
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कार्यालय के अनुसार बुधवार तक आठ अलग-अलग सांगठनिक राज्यों से मिट्टी व जल यहां आया। इन राज्यों में मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, असम, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक व बंगाल शामिल है। अब तक 51 नदियों व पवित्र तीर्थों की मिट्टी यहां पहुंच गयी है जिसे कार्यालय में सुरक्षित रखा गया है।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (वार्ता)। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सांसद बेनी प्रसाद वर्मा और केरल से राज्यसभा सदस्य एमपी वीरेंद्र कुमार के निधन के कारण रिक्त हुई दो सीटों पर उपचुनाव 24 अगस्त को होंगे ।
चुनाव आयोग ने गुरुवार को यहां जारी विज्ञप्ति में कहा है कि इन दोनों सीटों के उपचुनाव के लिए छह अगस्त को अधिसूचना जारी की जाएगी जबकि 13 अगस्त को नामांकन पत्र दाखिल किए जाएंगे और नामांकन पत्रों की जांच 14 अगस्त को होगी। इसके बाद 17 अगस्त तक नामांकन पत्र वापस लिए जा सकेंगे ।
विज्ञप्ति के अनुसार उपचुनाव के लिए मतदान 24 अगस्त को होगा और मतगणना 24 को शाम 5 बजे शुरू होगी तथा चुनावी प्रक्रिया 26 तक समाप्त हो जायेगी।
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा का इस वर्ष 27 मार्च को निधन हो गया था जबकि श्री एमपी वीरेंद्र कुमार का निधन 28 मई को हो गया था। श्री वर्मा का कार्यकाल दो अप्रैल 2022 तक था जबकि श्री कुमार का कार्यकाल चार जुलाई 2022 तक था।
झाबुआ, 30 जुलाई। यहां पर महिला से अमानवीय व्यवहार करने का मामला सामने आया है। दरअसल एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में एक महिला किसी शख्स को अपने कंधे पर बैठाकर घुमा रही है।
बताया जा रहा है कि जिस शख्स को महिला ने अपने कंधे पर बैठाया है, वह उसका पति है। घटना पारा चौकी क्षेत्र के छापरी रनवास गांव की है। बताया जा रहा है कि यहां पर एक माह के भीतर महिला से दुव्र्यवहार करने की यह दूसरी घटना सामने आई है। पीडि़त महिला की शिकायत पर पति सहित 7 लोगों पर झाबुआ कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
वायरल वीडियो में देख सकते हैं कि लोग महिला को धक्का भी दे रहे हैं, उसे मजबूर किया जा रहा है कि वह पति को कंधे पर बैठाकर घुमाए। यहां तक की उसके पति को धकियाकर मजबूर किया गया कि वह पत्नी के कंधे पर सवार हो।
गांववालों के दबाव में पति अपनी पत्नी के कंधे पर सवार हो जाता है। महिला पति को कंधे पर लेकर मेन रोड पर घुमती रही। जानकारी के अनुसार, भीड़ में से ही किसी ने घटना का पूरा वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
तीन बच्चों की मां
पारा चौकी प्रभारी केशरसिंह पांडव ने बताया कि घटना सोमवार की है। जब इसका वीडियो वायरल हुआ तो संज्ञान लेते हुए पुलिस गांव में पहुंची। हालांकि अभी किसी ने रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई है। पीडि़ता के घर जाकर उसके बयान लिए गए। अन्य ग्रामीणों से भी पूछताछ की गई।
खेड़ी में भी हुई थी ऐसी घटना
झाबुआ जिले में महिलाओं की प्रताडऩा का यह कोई नया मामला नहीं है। पिछले माह ही कल्याणपुरा पुलिस थाने के गांव खेड़ी में एक महिला को गांव वालों ने इसी तरह की अमानवीय सजा दी थी। इस पर प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तारी भी हुई थी। (bansalnews)
जब तक महिलाओं को रहने लायक समाज न दे पाएं तब तक सारे दावे बेकार हैं
— aditi rajput (@RajputAditi) July 30, 2020
इस मोर्चे पर एक समाज के तौर पर हम सब नाकाम हैं https://t.co/vzPHZlfYkD
अयोध्या, 30 जुलाई (आईएएनएस)| श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने कहा है कि वह आने वाले महीनों में अयोध्या में एक 'निर्माण यज्ञ' का आयोजन करेगा और इसमें भाग लेने के लिए सभी राम भक्तों को आमंत्रित करेगा। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि यह निर्णय इसीलिए लिया गया है क्योंकि भक्त महामारी के कारण 5 अगस्त को अयोध्या में होने जा रहे 'भूमिपूजन' समारोह के गवाह नहीं बन सकेंगे।
राय ने कहा, "ट्रस्ट ने भूमि पूजन के लिए देश भर से सभी रामभक्तों को अयोध्या में आमंत्रित करने की योजना बनाई थी। उनमें से कई ने 1984 से चल रहे मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और जाहिर है वे 5 अगस्त को होने जा रहे इस ऐतिहासिक समारोह का गवाह बनना चाहते थे, लेकिन महामारी के कारण इस योजना को टालना पड़ा। अब जैसे ही महामारी के कारण बने हालात सामान्य होंगे हम राम भक्तों के लिए एक 'निर्माण यज्ञ' आयोजित करेंगे।"
अभी ट्रस्ट ने 5 अगस्त के कार्यक्रम के लिए 200 लोगों की एक चुनिंदा सभा को आमंत्रित किया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वरिष्ठ भाजपा नेता एल.के.आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और आरएसएस के शीर्ष नेता शामिल हैं।
उन्होंने कहा, "सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए मेहमानों को ब्लॉक में बैठाया जाएगा।"
उन्होंने आगे कहा कि मंदिर का काम 'भूमिपूजन' के तुरंत बाद शुरू होगा और इसके अगले तीन वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है।
विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष राय ने सभी लोगों से अपील की है कि वे 'भूमिपूजन' के लिए अयोध्या न जाएं, बल्कि इस समारोह को टीवी पर लाइव देखें।
उन्होंने भारतीय नागरिकों के साथ-साथ प्रवासी भारतीयों को भी 5 अगस्त को सुबह 11.30 बजे से 12.30 बजे के बीच पूजा करने और उसके बाद शाम को दीये जलाने के लिए कहा है।
उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी क्षमता के अनुसार राम मंदिर के लिए दान करने का संकल्प लेना चाहिए।
इससे पहले राय ने स्वतंत्र भारत में राम मंदिर भूमिपूजन को सबसे महत्वपूर्ण अवसर करार दिया था।
वीएचपी ने अपने कैडरों को हर शहर और गांव में ऐसी व्यवस्था करने को कहा है जहां लोग कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए इकट्ठा हो सकें और इस ऐतिहासिक समारोह को टीवी पर लाइव देख सकें।
उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग करने के लिए भी कहा गया है ताकि यह समारोह हर घर में देखा जा सके।
प्रयागराज, 30 जुलाई (आईएएनएस)| अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए गुरुवार को गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम से मिट्टी और जल यहां पहुंचेगी। बुधवार को मंत्रों के जाप के बीच विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेताओं को मिट्टी और जल सौंप दिया गया।
विहिप के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल इस मिट्टी और जल को लेकर अयोध्या पहुंच रहे हैं।
गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर से मिट्टी भी भूमि पूजन के लिए अयोध्या भेजी गई है।
प्रयागराज में विहिप के प्रवक्ता अश्विनी मिश्रा के मुताबिक, "विहिप के धमार्चार्य संपर्क प्रमुख शंभू और प्रांत संगठन मंत्री मुकेश कुमार और मेजा निवासी अनुसूचित जनजाति के संजू लाल आदिवासी ने बुधवार को वैदिक परंपरा के माध्यम से पूजन करते हुए पवित्र मिट्टी और जल का संग्रह किया।"
मिट्टी और जल के साथ विहिप के नेता महावीर भवन (वीएचपी नेता स्वर्गीय अशोक सिंघल के निवासस्थल) गए और राम मंदिर के लिए सिंघल के योगदान और प्रयासों को याद किया।
तत्पश्चात विहिप के कार्यकर्ता पवित्र मिट्टी को लेकर विहिप कार्यालय केसर भवन ले गए।
विहिप नेता ने कहा, "संगम के पवित्र मिट्टी और जल के अलावा काशी विश्वनाथ की मिट्टी, श्रृंगवेरपुर के पानी सहित कई अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों की पवित्र मिट्टी व पानी का संग्रह कर 5 अगस्त से पहले अयोध्या पहुंचाया जाएगा जिनमें कबीर मठ, महर्षि भारद्वाज आश्रम और सीतामढ़ी शामिल हैं।"
तिरुवनंतपुरम, 30 जुलाई (आईएएनएस)| बेहद लोकप्रिय युवा संगीतकार बालाभास्कर की सड़क दुर्घटना में मौत के लगभग 22 महीने बाद सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। इसके लिए अब सीबीआई ने एक प्राथमिकी दर्ज की है। केरल सरकार ने उसके पिता द्वारा अनुरोध किए जाने के बाद पिछले साल दिसंबर में सीबीआई जांच की मांग की थी।
40 साल के बालाभास्कर अपनी पत्नी और दो साल की बेटी के साथ 25 सितंबर 2018 को त्रिशूर से राज्य की राजधानी की ओर यात्रा कर रहे थे। तब राजधानी शहर के बाहरी इलाके में उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया था।
दुर्घटना में बेटी की मौके पर ही मौत हो गई थीं वहीं 2 अक्टूबर को बालाभास्कर का निधन हो गया। दुर्घटना में उनकी पत्नी और ड्राइवर घायल हुए थे।
घटना के तुरंत बाद संदेह व्यक्त किया गया कि जब दुर्घटना हुई तक कार कौन चला रहा था। कुछ रिपोटरें में कहा गया कि ड्राइवर ही कार चला रहा था, जबकि कुछ अन्य रिपोटरें ने उल्लेख किया गया कि कार खुद संगीतकार चला रहे थे।
संयोग से इस मामले में पहला रहस्योद्घाटन कुछ दिनों बाद तब हुआ जब लोकप्रिय स्टेज कलाकार कलाभवन सोबी ने कहा कि यह दुर्घटना नहीं थी, क्योंकि उन्होंने दुर्घटना स्थल पर 'कुछ चीजों' पर ध्यान दिया था। दरअसल, घटना होने के तुरंत बाद वे घटनास्थल पर पहुंच गए।
इस नई सीबीआई जांच का एक कारण इस बात पर अधिक ध्यान आकर्षित करना होगा। जिसमें दुर्घटना के तुरंत बाद एक ऐसे व्यक्ति की कथित उपस्थिति होना जो अब सोने की तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया गया है।
संगीतकार के पिता सी.के. उन्नी ने पहले ही केरल क्राइम ब्रांच पुलिस की जांच को लेकर आशंकाएं जताईं थीं। उन्होंने महसूस किया था कि उनके अनुरोधों के बावजूद कुछ चीजों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
मुंबई, 30 जुलाई (आईएएनएस)| महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना संक्रमण का बढ़ता फैलाव रोकने के लिए पूर्णबंदी (लॉकडाउन) की अवधि 31 अगस्त तक बढ़ा दी है। मगर भरोसा दिया है कि 'मिशन फिर शुरू' के हिस्से के तहत धीरे-धीरे छूट दी जएगी। यह आधिकारिक घोषणा बुधवार की देर शाम में की गई। राज्य सरकार ने यह फैसला तब लिया, जब केंद्र सरकार ने अनलॉक 3.0 के लिए दिशानिर्देश जारी किए।
महा विकास अघाड़ी सरकार ने पहले से तय सावधानियां बरतना जारी रखने का फैसला लिया है। साथ ही इस महीने के दौरान प्रतिबंधों में धीरे-धीरे छूट देने की घोषणा की है।
नई दिल्ली, 29 जुलाई। विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के अनुरोध को लेकर राजस्थान के राज्यपाल और अशोक गहलोत सरकार के बीच चल रही तकरार के बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि इससे एक 'खतरनाक मिसाल' कायम हो सकती है। कलराज मिश्र का नाम लिए बगैर राजस्थान के राज्यपाल पर हमला बोलते हुए कांग्रेस के कोषाध्यक्ष ने कहा, "हमारे इतिहास में ऐसा शायद पहली बार देखने को मिल रहा है कि एक राज्यपाल निर्वाचित मुख्यमंत्री के अनुरोध और परामर्श के बावजूद विधानसभा का सत्र बुलने के इच्छुक नहीं हैं।"
पटेल ने चेताया कि इससे संवैधानिक गतिरोध पैदा हो सकता है और देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक बुरी मिसाल कायम हो सकती है।
उन्होंने एक बयान में कहा, "अगर ऐसी खतरनाक मिसाल कायम करने दी गई तो तब क्या होगा, अगर राष्ट्रपति केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश के बावजूद संसद का सत्र बुलाने से इनकार कर दें?"
पटेल ने कहा कि अगर ऐसा होने दिया गया तो अराजकता पैदा होगी और राजस्थान के राज्यपाल के रवैये को लेकर केंद्र सरकार को चेताया।
कांग्रेस इस बात पर अड़ी है कि राज्यपाल को इस मामले में कोई अधिकार नहीं है। वरिष्ठ पार्टी नेता पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा था कि राज्यपाल को इस मामले में कोई 'अधिकार' नहीं है और सवाल यह है कि राज्यपाल ने जिस तरह अनुरोध को ठुकराया, वह अनुचित और उनके प्राधिकार से परे है।
राजस्थान कैबिनेट की मंगलवार को बैठक हुई थी, जिसमें जवाब का मसौदा तैयार किया गया और 31 जुलाई को सत्र बुलाने का अनुरोध करते हुए राज्यपाल को तीसरी बार पत्र भेजा है।
पटेल ने कहा, "सरकार का कहना है कि राज्यपाल इस पर सवाल नहीं कर सकते, फिर भी हम उनके सवालों के जवाब दे रहे हैं। जहां तक 21 दिनों के नोटिस का सवाल है, 10 दिन बीत ही चुके हैं, फिर भी राज्यपाल ने कोई तारीख जारी नहीं की है। अगर राज्यपाल इस समय हमारा प्रस्ताव स्वीकार नहीं करते हैं, तब स्पष्ट हो जाएगा कि देश का शासन संविधान से नहीं चल रहा है।"(ians)
नई दिल्ली, 29 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को याचिकाकर्ताओं को सेंट्रल विस्टा परियोजना को 17 जून को दी गई पर्यावरण मंजूरी (ईसी) को चुनौती देने की अनुमति दी, जिसमें एक नए संसद भवन का निर्माण शामिल है। न्यायाधीश ए. एम. खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान को बताया कि उनके ग्राहकों (क्लाइंट) को परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी को चुनौती देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक सप्ताह के भीतर याचिका दायर करने की अनुमति है।
शीर्ष अदालत ने याचिका दायर करने के एक सप्ताह के भीतर केंद्र से जवाब दाखिल करने को भी कहा।
मामले को आगे की सुनवाई के लिए 17 अगस्त से शुरू होने वाले सप्ताह में निर्धारित किया गया है।
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष दलील दी कि याचिकाकर्ताओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि केंद्र सरकार निजी उद्योग के लिए ऐसा नहीं कर रही है।
मेहता ने दीवान की दलीलों का विरोध करते हुए कहा, यह परियोजना राष्ट्रीय हित के लिए है। ऐसे फैसले हैं, जिनमें कहा गया है कि सार्वजनिक कानून के मुद्दे सार्वजनिक मामलों में लोगों द्वारा उठाए जा सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने दीवान को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में अपील दायर करने की अनुमति दी।
पीठ ने कहा, हम सबसे पहले यहां सुप्रीम कोर्ट में भूमि उपयोग के मुद्दे तय करेंगे और उसके बाद अगर पर्यावरण मंजूरी पर सवाल बना रहता है, तो एनजीटी इस पर गौर कर सकता है।
अदालत ने कहा कि अगर भूमि का उपयोग स्वयं करने की अनुमति नहीं है, तो ईसी को भी अनुमति नहीं है।
दीवान ने पीठ के समक्ष दलील दी कि ईसी की प्रक्रिया कई अवैधता है।
गौरतलब है कि सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक की इमारतें जैसी महत्वपूर्ण मंत्रालयों की इमारतें शामिल हैं। केंद्र सरकार एक नया संसद भवन और एक नया आवासीय परिसर बनाकर उसे फिर से विकसित करना चाह रही है, जिसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के अलावा कई नए कार्यालय भवन होंगे।
सेंट्रल विस्टा पर काम नवंबर 2021 तक पूरा होने की संभावना है।(ians)
नई दिल्ली, 29 जुलाई। कोरोना महामारी में मौजूदा संकट के दौरान आर्थिक तंगी की वजह से 21 फीसदी परिवार अपने बच्चों को बाल मजदूरी में झोंकने को मजबूर हैं। यह बात नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी की संस्था द्वारा बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट में लॉकडाउन के बाद बच्चों की तस्करी बढ़ने की भी आशंका जताई गई है।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन (केएससीएफ) की एक स्टडी रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान कुछ राज्यों में श्रम कानूनों के कमजोर पड़ने की समीक्षा की जानी चाहिए और उन्हें तत्काल रद्द कर दिया जाना चाहिए। रिपोर्ट में तर्क पेश किया गया है कि श्रम कानूनों के कमजोर पड़ने से बच्चों की सुरक्षा प्रभावित होगी, जिससे बाल श्रम में वृद्धि हो सकती है।
रिपोर्ट में यह बात सामने आया है कि कोरोना महामारी की वजह से उपजे आर्थिक संकट की वजह से 21 फीसदी परिवार आर्थिक तंगी में आकर अपने बच्चों को बाल श्रम करवाने को मजबूर हैं।
केएससीएफ की यह स्टडी रिपोर्ट भारत के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना महामारी से उपजे आर्थिक संकट और मजदूरों के पलायन आदि से बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कर तैयार की गई है।
'स्टडी ऑन इम्पैक्ट ऑफ लॉकडाउन एंड इकोनॉमिक डिस्रप्शन ऑन लो-इनकम हाउसहोल्डस विद स्पेशल रेफरेंस टू चिल्ड्रेन' के नाम से केएससीएफ की यह स्टडी रिपोर्ट र्दुव्यापार (ट्रैफिकिंग) प्रभावित राज्यों के 50 से अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं और 250 परिवारों से बातचीत के आधार पर तैयार की गई है।
रिपोर्ट में 89 फीसदी से अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं ने सर्वे में यह आशंका जाहिर की है कि लॉकडाउन के बाद श्रम के उद्देश्य से वयस्कों और बच्चों, दोनों के र्दुव्यापार की अधिक संभावना है। जबकि 76 प्रतिशत से अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं ने लॉकडाउन के बाद वेश्यावृत्ति आदि की आशंका से मानव तस्करी बढ़ने की आशंका जाहिर की है और यौन शोषण की आशंका से बाल तस्करी बढ़ने की आशंका जताई गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम जैसे र्दुव्यापार यानी तस्करी के स्रोत क्षेत्रों में दलालों के खतरों और उनके तौर-तरीकों से लोगों को जागरुक करने के लिए सघन अभियान चलाने की जरूरत है।
गौरतलब है कि केएससीएफ द्वारा बच्चों को शोषण मुक्त बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानव र्दुव्यापार विरोधी दिवस 30 जुलाई को राष्ट्रीय स्तर पर 'जस्टिस फॉर एवरी चाइल्ड'अभियान की शुरुआत की जा रही है। इस दिन '100 मिलियन फॉर 100 मिलियन' नामक कैम्पेन के माध्यम से तस्करी के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और भारत में सभी बच्चों को 12वीं तक मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की मांग की जाएगी।(ians)
नई दिल्ली, 29 जुलाई। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी नेताओं से कहा है कि वे कार्यकर्ताओं को बुलाकर नए बने कार्यालयों को दिखाएं तभी आधुनिक तकनीक से लैस इन कार्यालयों का सदुपयोग हो सकेगा। भाजपा ने अब तक देश भर में पांच सौ कार्यालय बनाए हैं, वहीं चार सौ और कार्यालयों को बनाने का काम चल रहा है। दो साल में इन कार्यालयों का भी निर्माण पूरा होने की उम्मीद है।
झारखंड के बाद बुधवार को हरियाणा के छह नए जिला कार्यालयों का राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने वीडियो कांफ्रें सिंग से उद्घाटन किया।
उन्होंने कार्यालयों की जरूरत बताते हुए कहा कि इससे कार्यकर्ताओं को संस्कार मिलता है। कार्यालय से कार्यपद्धति बनती है और कार्यकर्ताओं को कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।
उन्होंने पार्टी नेताओं को ऑफिस और कार्यालय का अंतर बताते हुए कहा कि ऑफिस टेन टू फाइव होता है, जबकि भाजपा का कार्यालय 24 घंटे सातों दिन काम करता है। कार्यालय में बहुत औपचारिक और अनौपचारिक संवाद से कार्यकर्ताओं के व्यक्तित्व का विकास होता है। इसलिए कार्यकर्ताओं को बुलाकर कार्यालय दिखाइए। अनफार्मल डिस्कशन से कार्यकर्ता का उत्थान होता है। कार्यकर्ताओं को बुलाकर कार्यालय दिखाइए।
उन्होंने कहा कि नए बने भाजपा कार्यालयों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था, ई लाइब्रेरी, आईटी सेंटर जैसी सुविधाएं हैं। हर तरह की आधुनिक तकनीकी सुविधाओं से लैस कार्यालय बने हैं। इससे भाजपा के कार्यकर्ता डिजिटल टूल के माध्यम से नीचे तक संगठन को मजबूत कर सकते हैं, तभी इन आधुनिक कार्यालयों का सदुपयोग हो सकेगा।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, "आज 11 करोड़ से बढ़कर पार्टी के पास 18 करोड़ सदस्य हो गए हैं। इनको कैसे कार्यकर्ता बनाएं, व्हाट्सअप ग्रुप बनाकर कैसे कंटेंट दिया जाए, इसकी चिंता कर सकते हैं।"
जेपी नड्डा ने कहा कि हरियाणा की धरती भाजपा के लिए हमेशा पवित्र मानी मानी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेवाड़ी से चुनाव अभियान की शुरुआत की थी। 2014 में मोदी जी के नेतृत्व में पहले देश में और फिर हरियाणा में भाजपा की विशुद्ध सरकार बनी थी। जेपी नड्डा ने कोरोना काल में हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार की सराहना की। नड्डा ने कहा कि हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार ने कोरोना से निपटने में अच्छा काम किया है।(ians)
नई दिल्ली, 29 जुलाई। केरल में त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड द्वारा संचालित स्कूलों में अरबी के शिक्षकों की कथित नियुक्तियों को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने बुधवार को केरल सरकार पर जमकर हमला बोला। विहिप का दावा है कि इस पर वामपंथी सरकार की छाप है। विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, "त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड त्रावणकोर कोचीन हिंदू धार्मिक संस्था अधिनियम, 1950 के तहत गठित किया गया है। इस बोर्ड में तीन सदस्य हैं, जिनमें से दो केरल के मंत्रिपरिषद के हिंदू सदस्यों और तीसरे सदस्य केरल विधान परिषद के हिंदू सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं। इस प्रकार तीनों सदस्य सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार हैं।"
कुमार ने कहा कि अरबी भारतीय भाषा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि यह भारत के संविधान में भारतीय भाषाओं की अनुसूची में नहीं है। उन्होंने कहा, "'इस भाषा का अध्ययन ज्यादातर पवित्र कुरान को पढ़ने, समझने और याद रखने के लिए किया जाता है।"
उन्होंने आगे कहा, "विद्यालयों में इस भाषा का शिक्षण मंदिरों में हिंदू भक्तों द्वारा दी जाने वाली धनराशि से प्रबंधित होता है, ऐसे में यह एक अनुचित खर्च है।"
विहिप ने इसे वापस लेने के लिए बोर्ड से आह्वान किया है और केरल के लोगों से भी इसके खिलाफ 'संघर्ष' करने को कहा है।
विहिप ने सुझाव दिया है कि संस्कृत भाषा भारतीय 'आध्यात्मिक विरासत' का भंडार है और इसका शिक्षण त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड द्वारा संचालित स्कूलों में अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए।(ians)
अगरतला, 29 जुलाई। त्रिपुरा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में उसने सुप्रीम कोर्ट से 10 हजार पोस्ट ग्रैजुएट, ग्रैजुएट और अंडर ग्रैजुएट टीचरों की फिर से नियुक्ति की मांग की है। ये 10,000 टीचर वे हैं, जिनकी नियुक्ति कोर्ट ने खारिज कर दी है। खास बात यह है कि यह पुन: नियुक्ति टीचरों के पद के लिए नहीं बल्कि चपरासी, गार्ड्स, माली, रसोइया और कनिष्ठ क्लर्क के पद की हैं।
2010 और 2014 में त्रिपुरा सरकार ने 1,035 पीजीटी, 4,666 टीजीटी और 4,612 यूजीटी की भर्तियां की थीं। ये भर्तियां 2003 की संशोधित रोजगार नीति के तहत मौखिक इंटरव्यू के जरिए हुई थीं। 7 मई 2014 को हाई कोर्ट ने संशोधित रोजगार नीति के अनुरूप की गई सभी टीचरों की भर्तियां निरस्त कर दी थीं। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। 29 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने 31 दिसंबर 2017 को आदेश दिया कि नई पॉलिसी बनाकर नई नियुक्तियां की जाएं।
2017 में बनी नई नीति
त्रिपुरा सरकार ने 2017 में नई नीति बनाई। इस दौरान राज्य सरकार ने बर्खास्त किए गए टीचरों को अडहॉक के आधार पर पदों पर बनाए रखा। सरकार ने बर्खास्त टीचरों को पदों पर बरकरार रखने के मामले में टीचरों की कमी बताई। इस दौरान नई नियुक्तियों के लिए विज्ञापन और परीक्षा प्रॉसेस होता रहा। 1 नवंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त टीचरों को अडहॉक बेस पर 31 मार्च 2020 तक बनाए रखने की अनुमति दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया अवमानना नोटिस
सु्प्रीम कोर्ट के आदेश के बाद त्रिपुरा सरकार ने बर्खास्त टीचरों की दूसरे पदों पर नियुक्ति करने का प्रस्ताव बनाया। सरकार ने राज्य में 12000 पदों पर भर्तियां निकालीं। इन 12000 पदों में स्कूलों में काउंसलर्स, लाइब्रेरी असिस्टेंट, शैक्षिक काउंसलर्स, हॉस्टल वॉर्डेन और स्कूल असिस्टेंट के थे। हालांकि इन पदों पर नियुक्ति को लेकर उम्र और शैक्षिक योग्यता को लेकर विवाद हुआ। मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आया तो सरकार को अवमानना नोटिस जारी हुआ। अवमानना नोटिस के बाद सरकार ने इन पदों पर नियुक्ति रोक दी।
ग्रुप सी और डी के पदों पर नियुक्ति की मांग
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि बर्खास्त टीचरों को नौकरी के दौरान का कोई लाभ नहीं दिया जाएगा। उन्हें इसका कानूनी अधिकार भी नहीं होगा अगर उन्हें चपरासी, नाइड गार्ड, माली, कुक, डे गार्ड, बागवानी कर्मचारी, आंगनबाड़ी सुपरवाइजर, लोवर डिविजनल क्लर्क, पंचायती सचिव, कृषि सहायक, जूनियर स्टोर कीपर और फिशरी असिस्टेंट के रूप में नियुक्त किया जाता है। सरकार ने विभिन्न विभागों में 10,618 पद निकाले हैं।
सुप्रीम कोर्ट में इन्होंने की बहस
सुप्रीम कोर्ट में बहस जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एमएम शांतानागोददार और जस्टिस विनीत सरन के सामने हुई। बर्खास्त टीचरों की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन, कोलिन गोनसाल्वे और जयदीप गुप्ता ने बहस की। (navbharattimes.indiatimes.com)
छतरपुर, 29 जुलाई (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के कोविड सेंटर में कोरोना पॉजिटिव मरीज ने पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। वहीं परिजनों ने मरीजों के प्रति उपेक्षा बरते जाने का आरोप लगाया है । नगर पुलिस अधीक्षक उमेश शुक्ला ने बुधवार को बताया है कि बीती रात महोबा रोड पर स्थित कोविड सेंटर के ऊपरी हिस्से में समीर (35) नामक युवक ने पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली है, और पुलिस घटना की जांच कर रही है।
समीर के परिजन और कांग्रेस नेता मोहम्मद करीम का आरोप है कि कोविड सेंटर में इलाज की कोई सुविधा नहीं मिली। उनका परिवार मरीज को भोपाल इलाज कराने ले जाना चाहता था, मगर मुख्य जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने अनुमति नहीं थी।
सूत्रों के अनुसार, दो दिन पहले ही समीर को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था और उसे महोबा रोड स्थित कोविड सेंटर में भर्ती कराया गया था। आदिम जाति कल्याण विभाग के शासकीय उत्कृष्ट सीनियर बालिका छात्रावास को कोविड सेंटर में बदला गया है।
मुंबई, 29 जुलाई (आईएएनएस)| मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की प्रेमिका अभिनेत्री रिया चक्रबर्ती कथित रूप से शहर में अपने आवास से गायब हैं। अभिनेत्री के खिलाफ सुशांत के पिता द्वारा पटना में एक प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद पुलिस ने रिया की तलाश शुरू कर दी है, जिसने पहले दिवंगत अभिनेता की प्रेमिका होने की बात कबूल की है।
दिवंगत अभिनेता के पिता कृष्ण कुमार सिंह द्वारा प्राथमिकी में किए गए दावों की जांच के लिए मंगलवार को पटना से चार सदस्यीय पुलिस दल मुंबई पहुंचा।
टाइम्स नाउ न्यूज डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, जब बिहार पुलिस की टीम रिया के आवास पर पहुंची, तो वह उन्हें वहां नहीं मिली।
राजीव नगर पुलिस थाना प्रभारी योगेंद्र रविदास ने मंगलवार को कहा कि सुशांत सिंह राजपूत के पिता के.के. सिंह ने रिया सहित छह लोगों पर सप्ताहांत में प्राथमिकी दर्ज कराई, और अपनी शिकायत (एफआईआर संख्या 241/20) में उन्होंने आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया है।
पटना सेंट्रल जोन के आईजी संजय कुमार ने संवाददाताओं को बताया, "सुशांत सिंह राजपूत के पिता द्वारा दायर कराई गई एफआईआर के बाद रिया चक्रबर्ती और पांच अन्य व्यक्तियों के खिलाफ धारा 340, 341, 380, 406, 420 और 306 के तहत आरोप लगाए गए हैं। मामले में आगे की जांच जारी है।"
रिपोटरें के अनुसार, अभिनेत्री संभवत: सुशांत के पिता द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर के खिलाफ अग्रिम जमानत याचिका दायर करने की योजना बना रही हैं, और इसलिए वह पुलिस के संपर्क में नहीं आ रही हैं।
रिया चक्रवर्ती बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के निधन के समय तक उन्हें डेट कर रही थीं। दोनों जल्द ही शादी करने की योजना बना रहे थे। हालांकि, सुशांत का 14 जून को निधन हो गया। अभिनेता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनकी मौत को आत्महत्या का मामला बताया गया है।
कोलकाता, 29 जुलाई। फ्रांस से भारत आ रहे राफेल जेट ने जब भारत सीमा में प्रवेश किया तो यह पल ऐतिहासिक बन गया। राफेल ने भारत की सीमा में प्रवेश से पहले अरब सागर में तैनात युद्धपोत आईएनएस कोलकाता से संपर्क साधा। इस पल को कैमरे में कैद किया गया है। राफेल के गु्रप कैप्टन और आईएनएस कोलकाता के बीच रोचक बातचीत का ऑडियो बड़ा ही मजेदार था। दोनों तरफ से मजेदार बातचीत सुन सभी गर्व की अनुभूति महसूस कर रहे हैं। राफेल विमानों का पहला बेड़ा कुछ देर में अंबाला हवाईअड्डे पर उतरने वाला है। ये विमान लगभग 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद बुधवार दोपहर अंबाला पहुंच रहे हैं।
जैसे ही राफेल ने भारतीय सीमा में प्रवेश किया, आईएनएस कोलकाता ने उनका स्वागत किया। आईएनएस कोलकाता ने कहा, आप गर्व के साथ आसमान की ऊंचाइयों को छुएं। हैपी लैंडिंग। राफेल को उड़ा रहे ग्रुप कैप्टन गुरकीरत सिंह ने कहा, हवाएं आपके माकूल रहें और हैप्पी हंटिंग...
5 विमानों में एक सीट वाले तीन और दो सीट वाले दो विमान हैं। अधिकारियों ने अंबाला सैन्य अड्डे के आसपास निषेधाज्ञा जारी कर तस्वीरें लेने और वीडियो बनाने पर रोक लगा दी है। अधिकारियों ने पहले बताया था कि अंबाला जिला प्रशासन ने निषेधाज्ञा जारी कर सैन्य अड्डे के तीन किलोमीटर के दायरे में निजी ड्रोन उड़ाने पर भी रोक लगा दी है।
#WATCH: Five #Rafale jets in the Indian airspace, flanked by two Su-30MKIs (Source: Raksha Mantri's Office) pic.twitter.com/hCoybNQQOv
— ANI (@ANI) July 29, 2020
धुलकोत, बल्देव नगर, गरनाला और पंजखोरा सहित सैन्य अड्डे से लगे गांवों में धारा 144 लागू कर चार या उससे अधिक लोगों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लगा दिया। अंबाला के उपायुक्त अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि इस निषेधाज्ञा लागू होने के दौरान सैन्य अड्डे की चाहरदीवारी और उससे लगे क्षेत्रों की तस्वीरें लेना और वीडियो बनाना प्रतिबंधित है।
इस बीच, हरियाणा पुलिस ने सैन्य अड्डे के पास स्थित आवासीय इलाकों में कई नाके बनाए हैं और कई पुलिस अधिकारी गश्त लगाते भी दिखे। लाउडस्पीकर से लोगों को छतों पर खड़े होकर तस्वीरें ना लेने और वीडियो ना बनाने की चेतवानी भी दी जा रही है। उन्होंने ऐसा करने वालों के खिलाफ कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। (navbharattimes.indiatimes.com)