राष्ट्रीय
हैदराबाद, 29 जुलाई (आईएएनएस)| कोविड-19 महामारी की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनी से नौकरी गंवाने के बाद सब्जी बेचने को मजबूर एक महिला इंजीनियर की मदद के लिए कई लोग सामने आए हैं। बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने उनादादी शारदा को एक नौकरी की पेशकश की है, जबकि तेलंगाना इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी एसोसिएशन (टीआईटीए) ने भी उनकी कहानी जानने के बाद मदद का हाथ बढ़ाया है।
इस मामले में अभिनेता का ध्यान आकर्षित करने वाले एक ट्विटर यूजर को जवाब देते हुए सोनू सूद ने ट्वीट में कहा था, "मेरे अधिकारी ने उनसे मुलाकात की। साक्षात्कार हो चुका है। नौकरी का पत्र पहले ही भेजा जा चुका है।"
महिला, जिनका नाम शारदा है, उन्होंने कहा कि वह सोनू सूद की पेशकश से खुश हैं। हालांकि महिला ने पेश की गई नौकरी की प्रकृति का खुलासा नहीं किया, लेकिन कहा कि वह अपने परिवार के सदस्यों से सलाह लेने के बाद फैसला लेंगी।
महिला(26) पिछले कुछ दिनों से हैदराबाद की श्रीनगर कॉलोनी में सब्जी बेच रही है।
उनादादी शारदा एक अमेरिकी सूचना प्रौद्योगिकी सेवा कंपनी में कार्यरत थीं। उन्होंने कहा कि उन्हें झूठी प्रतिष्ठा पर विश्वास नहीं था और इसलिए उन्होंने अपने परिवार की मदद करने के लिए सब्जियां बेचऩी शुरू कर दी।
उनका दिन सुबह चार बजे शुरू होता है, जब वह थोक बाजार में सब्जियां खरीदने के लिए जाती हैं और उसके बाद बिक्री के लिए सड़क किनारे अपनी दुकान पर ले जाती हैं। उन्हें लगता है कि वह जो कर रही हैं, उसमें कोई शर्म नहीं है।
लॉकडाउन शुरू होने के बाद कंपनी ने उन्हें सूचित किया कि वह उन्हें आधा वेतन भी नहीं दे पाएगी। इससे उनके माता-पिता दुखी थे, हालांकि उन्होंने घर पर बैठकर इंतजार नहीं करने का फैसला किया।
उन्होंने कहा, "मुझे यह तय करने में देर नहीं लगी कि मुझे इस स्थिति में क्या करना चाहिए। मैंने सब्जियां बेचकर अपनी और परिवार की मदद करने का फैसला किया।"
सॉफ्टवेयर पेशेवरों की एक उद्योग संस्था टीआईटीए भी उनकी मदद के लिए आगे आई है। टीआईटीए के ग्लोबल अध्यक्ष सुदीप कुमार मुक्ताला जल्द ही नौकरी के प्रस्ताव के साथ उनसे मिलेंगे।
जयपुर, 29 जुलाई (आईएएनएस)| राजस्थान में चल रहे राजनीतिक संकट में एक और दिलचस्प मोड़ आ गया है। सचिन पायलट खेमे के विधायक भंवरलाल शर्मा ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे द्वारा जारी किए गए टेप मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने की मांग की है। फिलहाल स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) इस मामले की जांच कर रहा है। शर्मा ने मंगलवार को राजस्थान पुलिस के एसओजी से एनआईए को जांच ट्रांसफर करने की मांग करते हुए अदालत का रुख किया।
एसओजी ने 17 जुलाई को कांग्रेस के मुख्य सचेतक (व्हिप) महेश जोशी की शिकायत पर शर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत देशद्रोह (124 ए) और आपराधिक साजिश (120 बी) के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी।
एसओजी की टीम अक्सर आरोपी विधायकों के आवाज के नमूने लेने के लिए हरियाणा के होटलों की तलाशी ले रही है।
यह शिकायत तीन ऑडियो टेपों के सामने आने के बाद दर्ज की गई थी, जिसमें से एक में कथित तौर पर शर्मा की आवाज सुनी गई थी, जिसमें वह केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ विधायकों की खरीद-फरोख्त के जरिए गहलोत सरकार को गिराने की योजना के बारे में बात करते सुने जा रहे हैं।
पटना, 29 जुलाई (आईएएनएस)| बिहार में दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के पिता के के सिंह द्वारा सुशांत आत्महत्या मामले में पटना के एक थाने में मामला दर्ज कराए जाने के बाद इस मामले को लेकर बिहार में सत्ता और विपक्ष एक साथ खड़ी नजर आ रही है। दोनों पक्षों ने इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की है। भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत एक 'ब्रिलियंट', 'टैलेंटेड' और 'इंटेलेक्च ुअल' अभिनेता थे। सुशांत की संदेहास्पद मृत्यु ने दुनिया भर में लोगों को मर्माहत किया है।
उन्होंने कहा, 'सुशांत के परिवार द्वारा दर्ज मामले का समर्थन है, हमसब परिवार के साथ हैं। जीवन के सभी क्षेत्रों के महत्वपूर्ण लोगों ने इसमें सीबीआई जांच की मांग की है।"
उन्होंने आगे कहा, "सुशांत मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए, जिससे बिहार के बेटे को न्याय मिले। बलीवुड का माफिया, हवाला, एंटी नेशनल क्रिमिनल गठजोड़ सबके सामने आए।"
इधर, कांग्रेस ने भी इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग दोहराई है। बिहार प्रदेश युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने कहा कि सुशांत के पिता द्वारा पटना के राजीव नगर में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर कहा जा सकता है कि सुशांत की मौत में कई 'राज' छिपे हैं। इन सवालों के जवाब उनके प्रशंसकों को मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच सीबीआई से होनी चाहिए, जिससे इस मामले की हकीकत सबों के सामने आ सके।
ललन पूर्व में भी राज्यपाल को एक पत्र देकर सीबीआई जांच की गुहार लगा चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि इस मामले को लेकर मंगलवार को लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्घव ठाकरे से फोन पर बात की थी। चिराग ने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत मामले में बिहार पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस गंभीरता से पड़ताल कर रही है, मगर आत्महत्या की गुत्थी को सुलझाने के लिए सीबीआई को जांच सौंपना बेहतर है।
उल्लेखनीय है कि बॉलीवुड के उभरते अभिनेता सुशांत ने अपने मुंबई के बांद्रा स्थित फ्लैट पर 14 जून को कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। सुशांत के पिता ने 25 जून को पटना में सुशांत की दोस्त रिया और उनके परिजनों के खिलाफ भादवि की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज करवाया है।
बैतूल 29 जुलाई (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश महेंद्र कुमार त्रिपाठी एवं उनके युवा पुत्र अभिनय राज मोनू की मौत फूड पॉइजनिंग से नहीं बल्कि जहर से हुई है। इस मामले की साजिश में एक महिला के शामिल होने का शक है, पुलिस ने महिला सहित पांच लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें एक तांत्रिक भी है। ज्ञात हो कि एडीजे महेंद्र कुमार त्रिपाठी (50) और उनके पुत्र अभिनय राज (25) की संदिग्ध हालत में मौत हुई थी।
शॉर्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि दोनों की मौत की वजह जहर है। यह जहर खाने की रोटियों में था। जहर कौन सा साथ था, इसकी जांच के लिए आटे को राज्य स्तरीय खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला भेजा गया है। उसकी रिपोर्ट आने पर ही इस बात का खुलासा हो सकेगा।
अंबाला (हरियाणा), 29 जुलाई (आईएएनएस)| हरियाणा के अंबाला शहर में एक हवाई अड्डे पर पांच राफेल विमानों के उतरने से कुछ घंटे पहले स्थानीय प्रशासन ने प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया। इसमें वायुसेना संपत्ति और राफेल हवाई जहाजों की फोटोग्राफी पर प्रतिबंध लगा दिया गया, साथ ही सुरक्षा को भी बढ़ाया गया। ये निषेधात्मक आदेश पूरे दिन लागू रहेंगे। यहां तक कि मीडियाकर्मियों के लिए राफेल विमान के वीडियो और तस्वीरें लेने को भी वर्जित किया गया है।
एक आदेश में कहा गया है, "वायु सेना स्टेशन के आसपास के इलाकों में असामाजिक त त्वों की आवाजाही और इस इवेंट के दौरान आसपास के गांवों के घरों से तस्वीरें लेने वाले मीडियाकर्मियों से इंकार नहीं किया जा सकता है। यह सुरक्षा को खतरे में डाल देगा।"
राफेल विमान के यहां आने के दौरान अंबाला वायुसेना स्टेशन की सुरक्षा सुनिश्चित करना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
आदेश में कहा गया है कि एयर बेस धुलकोट, बलदेव नगर, गरनाला और पंजोखरा और राष्ट्रीय राजमार्ग 1-ए सहित गांवों से घिरा हुआ है।
जिला मजिस्ट्रेट द्वारा हस्ताक्षर किए गए आदेश में लिखा है, "दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 के आधार पर मुझमें निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, मैं 29 जुलाई को वायुसेना स्टेशन अंबाला की किसी भी संपत्ति की फोटोग्राफी को तत्काल प्रभाव से सुबह से शाम तक के लिए प्रतिबंधित करता हूं।"
रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि राफेल के अधिस्थापन के औपचारिक समारोह की योजना बाद में बनाई जाएगी।
बयान में आगे कहा गया, "आज (29 जुलाई) की आवश्यकता यह सुनिश्चित करना है पायलट और ग्राउंड क्रू पूरी तत्परता से जल्द से जल्द इस पूरे एयरफोर्स ऑपरेशन के लिए साथ हो जाएं।"
बयान में कहा गया, "यह देश के हित में है। इसमें भारतीय वायुसेना और चालक दल शामिल हैं और फिलहाल इसे मीडिया की चकाचौंध से दूर रखा गया है।"
उन्होंने कहा, "यह जरूरी है कि लड़ाकू विमानों के साथ-साथ सहायता दल भी तेजी से और सुरक्षित तरीके से अपने काम करे, इसके लिए स्टेशन अधिकारियों को अपना पूरा ध्यान मिशन में लगाना आवश्यक है।"
बैतूल की पुलिस अधीक्षक सिमाला प्रसाद ने संवाददाताओं केा बताया है कि एडीजे और उनके पुत्र की मौत के मामले में शॉर्ट पीएम रिपोर्ट में जहर होने की पुष्टि हुई है। मामला बेहद गंभीर है। एक महिला सहित पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है और पूछताछ जारी है।
जज त्रिपाठी के बेटे आशीष राज त्रिपाठी ने संवाददाताओं को बताया कि संध्या सिंह उसके पिता से बीते 10 वषरे से संपर्क में थी। उक्त महिला ने ही इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए पिता को एक पाउडर दिया था। साथ ही आटा भी संध्या सिंह लेकर आयी थी। आशीष के मुताबिक उसके पिता ने पाढर अस्पताल जाते समय उसे संध्या सिंह द्वारा पाउडर एवं आटा देने की बात बताई थी। पाउडर को आटे में मिलाकर बनाई गई रोटियां खाने से पिता सहित दोनों भाईयों की हालत बिगड़ी थी।
पुलिस ने रीवा व छिंदवाड़ा से एक महिला सहित पांच लोगों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। शुरुआत में पता चला है कि एक महिला त्रिपाठी की संपर्क में थी और उसने एक पुड़िया में कोई सामग्री भेजी थी। उस सामग्री को आटे में मिलाकर खाने केा कहा गया था। उक्त महिला जो एक एनजीओ की संचालिका भी है और त्रिपाठी को समस्याओं के निदान के लिए तंत्र-मंत्र और पूजा पाठ का परामर्श देती रहती थी।
सूात्रों के अनुसार पुलिस द्वारा हिरासत में ली गई एनजीओ संचालिका महिला की कार बरामद की गई है और कार में रखे बैग जप्त कर उनकी तलाशी ली गई। कार में रखे पर्स में से पुलिस को तंत्रमंत्र की सामग्री की कुछ पुड़ियाा भी मिली है। हिरासत में लिए गए पांच लोगों में एक तांत्रिक भी है। एडीजे एवं उनके युवा बेटे की संदिग्ध मौत के मामले में तांत्रिक क्रिया एवं जहरीला पदार्थ खिलाकर हत्या करने की आशंका जताई जा रही है।
ज्ञात हो कि पिता-पुत्र व परिवार ने 20 जुलाई को रात में भोजन किया था। उसके बाद उनकी हालत बिगड़ी । मजिस्ट्रेट और उनके दो पुत्रों ने चपाती खाई थी। जबकि पत्नी ने चपाती नही चावल खाया था। जिसके कारण वे पाइजनिंग का शिकार नही हुई। वहीं एक बेटे की बाद में तबीयत सुधर गई थी।
मनोज पाठक
गोपालगंज (बिहार), 29 जुलाई (आईएएनएस)| बिहार के उत्तरी हिस्से के करीब 12 जिलों में आई बाढ़ ने कई लोगों की गृहस्थी उजाड़ दी। इस साल बिहार का शोक कहे जाने वाली नदी कोसी अब तक अपने रौद्र रूप में नहीं आई है, लेकिन नारायणी कही जाने वाली गंडक ने तो गोपालगंज और चंपारण जिले में कहर बरपा दिया है। लोगों की बसी-बसायी गृहस्थी उजड़ गई है, अब इन्हें भगवान (नारायण) पर भरोसा है।
इनके घर में पानी में डूब गए हैं और नारायणी की तेज धार में लोगों के चप्पल, झोले, लिपस्टिक के डब्बे, बच्चों के कपड़े तथा कई खाली डब्बे बह रहे हैं। लोग-बाग अपने घर को छोड़ शिविरों में जाना तो नहीं चाहते थे, लेकिन अपनी जिंदगी बचाने के लिए उन्हें उंचे स्थानों या सरकार द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में पनाह लेना पड़ रहा है।
गोपालगंज के सदर प्रखंड, कुचायकोट, मांझा, बरौली, सिधवलिया, बैकुंठपुर प्रखंड में गंडक का पानी तबाही मचा रहा है। इन प्रखंडों के गांव के लोग पलायन कर गए हैं। अपने घर को छोड़ने का दर्द और अपनों से बिछुड़ने का गम इन लोगों के चेहरे पर साफ झलकता है, लेकिन अब इन्हें 'नारायण' पर भरोसा है।
मानिकपुर उच्च विद्यालय के बाढ़ राहत शिविर में अपनी नन्हीं सी बिटिया को कलेजे से चिपकाए एक गांव की रहने वाली सुषमा कहती हैं कि वे लोग अपना घर नहीं छोड़ना चाहते थे, लेकिन स्थानीय लोग उन्हें यहां ले आए। उनके पति अपने घर को छोड़ना नहीं चाहते थे। वे घर की देखभाल के लिए घर में ही रहना चाहते थे, लेकिन लोगों की जिद के कारण उन्हें भी यहां आना पड़ा।
वे कहती है, "नारायणी ने सबकुछ डूबा दिया अब नारायण पर ही भरोसा है। भगवान ने जन्म दिया है तो खाने की भी व्यवस्था भी वही करेंगे।"
गोपालगंज जिलाधिकारी अरशद अजीज कहते हैं कि जिले के 14 पंचायत पूरी तरह पानी में डूबे हुए हैं, जबकि 37 पंचायत आंशिक रूप से प्रभवित हैं। उन्होंने बताया कि 1़ 78 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है।
इधर, प्यारेपुर गांव की हालत बहुत खराब है। गांव पूरी तरह पानी में डूबा हैं। लोग सड़कों के किनारे या राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। प्यारेपुर के रहने वाले केश्वर अपने परिवार के साथ सड़क के किनारे तंबू लगाकर अपना जीवन गुजार रहे हैं। वे कहते हैं कि कहीं कोई सरकारी सहायता नहीं है। सामुदायिक रसोई घर खुले हैं, लेकिन बच्चों को तो बराबर खाना चाहिए।
वे कहते हैं, "मेरा तो सबकुछ उजड़ गया है। घर में पानी घुसा और सबकुछ तबाह। कच्चा का मकान था वह भी होगा या नहीं भगवान ही मालिक।"
वे कहते हैं कि आंखों के सामने उनके आशियाने को गंडक में आई बाढ़ ने उजाड़ दिया। शायद कुछ बच जाए जो भविष्य की नींव रखने के काम आए लेकिन अब शायद तिनका भी नहीं बचा होगा।
गोपालगंज के जिलाधिकारी कहते हैं कि बाढ़ प्रभावित इलाकों से 1़ 33 लाख लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। उन्होंने कहा कि अभी भी बाढ़ प्रभावित इलाके में राहत और बचाव कार्य चल रहा है। जिले में 13 राहत शिविर केंद्र चलाए जा रहे हैं, जिसमें 5100 से ज्यादा लोग रहे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिले में 112 सामुदायिक रसोईघर चलाए जा रहे हैं।
अयोध्या, 29 जुलाई (आईएएनएस)| केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने राज्य पुलिस को अगले सप्ताह अयोध्या में राम मंदिर के 'भूमिपूजन' समारोह को बाधित करने और हमला करने के संभावित प्रयासों के मद्देनजर सचेत किया है। भूमिपूजन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेने वाले हैं। उत्तर प्रदेश में कानून प्रवर्तन से जुड़ीं सभी एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। राज्य सरकार के साथ साझा किए गए इंटेल नोट की जानकारी में कहा गया है कि पाकिस्तान के आईएसआई समर्थित आतंकवादी संगठन द्वारा पांच अगस्त को हमले को अंजाम देने की कोशिश की जा रही है। आईएसआई ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के शीर्ष नेतृत्व को हमला करने का आदेश दिया है।
यह आतंकी हमला भीड़-भाड़ वाली जगह पर हो सकता है। ह्युमन इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रॉनिक इंटरसेप्ट्स के आधार पर यह संदेह जताया जा रहा है कि आतंकवादियों का एक छोटा समूह देश में घुसपैठ कर सकता है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 'भूमिपूजन' समारोह के लिए सुरक्षा-व्यवस्था उच्चस्तर पर होगी। संयोगवश इसी दिन कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की पहली वर्षगांठ भी है। सुरक्षा अलर्ट 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस तक रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा भाजपा के कई शीर्ष नेता जिनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और आरएसएस के कई अन्य नेताओं के भी कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है। इस अवसर पर देश के शीर्ष उद्योगपति और नौकरशाहों की उपस्थिति भी दर्ज हो सकती है।
साकेत महाविद्यालय का क्षेत्र, जहां प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर उतरेगा और जहां से वह राम जन्मभूमि स्थल तक पहुंचेंगे, उसकी घेराबंदी कर दी गई है, साथ ही पास के रामकोट इलाके के निवासियों को आवागमन के लिए पास जारी कर दिए गए हैं।
वहीं नियमित सुरक्षा जांच की जा रही है और डोर-टू-डोर चेकिंग भी की जा रही है।
अयोध्या में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा कर्मियों को छतों पर तैनात किया जाएगा और ड्रोन कैमरे से इस क्षेत्र की निगरानी की जाएगी।
सभी होटल, लॉज, गेस्टहाउस का सत्यापन चल रहा है और धार्मिक शहर में प्रवेश द्वारों को सील किया जा रहा है।
नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)| दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को खारिज कर दिया। पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वकीलों का पैनल नियुक्त करने को लेकर मंगलवार को दिल्ली कैबिनेट की बैठक हुई। दिल्ली सरकार का मानना है कि दिल्ली दंगों के संबंध में दिल्ली पुलिस की जांच को कोर्ट ने निष्पक्ष नहीं माना है। ऐसे में दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी देने से केस की निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है।
हालांकि दिल्ली सरकार उप राज्यपाल की इस बात से सहमत है कि यह केस बेहद महत्वपूर्ण है। इस कारण दिल्ली सरकार ने गृह विभाग को निर्देश दिया है कि दिल्ली दंगे के लिए देश के सबसे बेहतरीन वकीलों का पैनल बनाया जाए। साथ ही यह पैनल निष्पक्ष भी होना चाहिए।
दिल्ली सरकार ने अपने आधिकारिक वक्तव्य में कहा, "मंगलवार शाम को हुई दिल्ली कैबिनेट की बैठक में दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव के साथ दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के सुझाव पर विचार किया गया। इस दौरान यह तय हुआ कि दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा पैदा करने के लिए जो भी दोषी हैं, उन्हें सख्त सजा मिलनी चाहिए। साथ ही यह भी तय हुआ कि निर्दोष को परेशान या दंडित नहीं किया जाना चाहिए। इस कारण दिल्ली कैबिनेट ने दिल्ली सरकार द्वारा वकीलों के पैनल की नियुक्ति से सहमति जताई। साथ ही दिल्ली पुलिस के वकील पैनल को मंजूरी देने के उपराज्यपाल के सुझाव को अस्वीकार कर दिया।"
कैबिनेट के मुताबिक इसके पीछे का कारण यह है कि दिल्ली पुलिस की जांच पर विभिन्न न्यायालय की ओर से पिछले दिनों उंगली उठाई गई है।
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुरेश कुमार ने दिल्ली दंगे के संबंध में दिल्ली पुलिस पर टिप्पणी की थी, "दिल्ली पुलिस न्यायिक प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कर रही है।" सेशन कोर्ट ने भी दिल्ली पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए थे। इसके अलावा कुछ मीडिया रिपोर्ट में भी दिल्ली पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए गए थे। इस स्थिति में दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को मंजूरी देने से दिल्ली दंगों की निष्पक्ष जांच पर संदेह था।
दिल्ली सरकार की कैबिनेट का मानना है कि दिल्ली पुलिस दिल्ली दंगों की जांच एजेंसी रही है, ऐसे में उनके वकीलों के पैनल को मंजूरी देने से निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
इसके अलावा दिल्ली सरकार की कैबिनेट का मानना है कि वकील पैनल का फैसला करने के मामले में उपराज्यपाल का बार-बार हस्तक्षेप करना दुर्भाग्यपूर्ण है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया है कि उपराज्यपाल अपने अधिकार का इस्तेमाल सिर्फ दुर्लभ मामलों में कर सकते हैं। उप राज्यपाल ने दिल्ली सरकार की तरफ से गठित पैनल पर असहमति जताते हुए, कैबिनेट में निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया था।
भोपाल, 28 जुलाई (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश की राजधानी में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है और उनके संपर्क में आए कुछ लोगों को संस्थागत क्वारंटीन सेंटर रास नहीं आ रहे हैं। लिहाजा, जिला प्रशासन ने निजी होटलों को चिह्न्ति किया है, जहां लोग स्वेच्छा से स्वयं भुगतान कर क्वारंटीन हो सकेंगे। राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए लोगों को सरकारी स्तर पर क्वारंटीन करने के लिए कई सेंटर बनाए हैं और वहां सुविधाएं भी हैं, मगर कुछ लोगों को वह रास नहीं आ रहा है। इसके चलते भोपाल में होटलों को क्वारंटीन सेंटर में बदला जा रहा है। इनमें रहने के लिए शुल्क का भुगतान स्वयं संबंधित व्यक्ति को करना होगा।
भोपाल के जिलाधिकारी अविनाश लवानिया ने बताया है कि जो लोग अपनी सुविधा अनुसार निजी होटल में क्वारंटीन होना चाहते हैं, वे स्वयं के व्यय पर चिह्न्ति होटल में क्वारंटीन हो सकते हैं। वे इसके लिए एसडीएम से संपर्क कर सकते हैं, जिनके पास निजी होटलों की सूची उपलब्ध है। इनका किराया और व्यवस्थाओं का शुल्क भी निर्धारित है, जिसका भुगतान संबंधित को स्वयं करना होगा।
आनंद सिंह
नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)| भले ही भारतीय रेल ने 2021-22 तक 44 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन सेट या ट्रेन 18 ट्रेन सेट का उत्पादन पूरा करने का दावा किया है, लेकिन चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ने एक आंतरिक आकलन में कहा है कि यह 2027 से पहले पूरा नहीं हो सकता।
आईसीएफ के मुख्य योजना अभियंता ने 14 जुलाई को अपने पत्र में मैकेनिकल इंजीनियरिंग (प्रोडक्शन यूनिट) के निदेशक से कहा है, व्यावसायिक सेवाओं के रैक बनाने के लिए रेल सेटों के प्रोटोटाइप बनाने में कम से कम 28 महीने का समय लगेगा।
इस पत्र की एक प्रति आईएएनएस के पास है।
आईसीएफ के योजना अभियंता ने यह भी दावा किया कि ट्रेन सेट के प्रोटोटाइप बनाने के बाद परीक्षण करने में छह महीने और लगेंगे। पत्र में आगे कहा गया है कि इसके बाद वंदे भारत रेक का उत्पादन शुरू होगा और यह हर महीने 16 डिब्बों वाली एक रेक उपलब्ध करा सकेगा।
44 रैक के लिए आईसीएफ को 44 ट्रेन सेट के निर्माण में साढ़े तीन साल और लगेंगे। इस तरह देखें तो ट्रेन सेट तैयार होने की अनुमानित तारीख दिसंबर, 2027 है।
आईसीएफ के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने का अनुरोध करते हुए आईएएनएस को बताया कि अभी तक 'कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं है' कि हम कब वंदे भारत रैक देने की स्थिति में होंगे। उन्होंने कहा, "पहले निविदा को अंतिम रूप दिया जाना है और उसके बाद ही वंदे भारत रैक की आपूर्ति करने के लिए तिथि तय होगी।"
चेन्नई स्थित आईसीएफ ने ट्रेन 18 के लिए इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन किट खरीदने के लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं, जो बिना इंजन वाली देश की पहली स्व-चालित ट्रेन है।
ट्रेन 18 का निर्माण आईसीएफ द्वारा किया गया था, जिसका स्वामित्व भारतीय रेल के पास है, जिसमें 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री लगी है। इन्हीं ट्रेनों को बाद में नया नाम वंदे भारत ट्रेन दिया गया।
हैदराबाद, 28 जुलाई (आईएएनएस)| हैदराबाद रियासत के अंतिम शासक, निजाम मीर उस्मान अली खान की अंतिम जीवित पुत्री साहबजादी बशीरुन्निसां बेगम का यहां मंगलवार को निधन हो गया। वह 93 साल की थीं। उन्होंने मंगलवार सुबह पुरानी हवेली स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनके परिवार में उनकी इकलौती बेटी रशीदुन्निसां हैं।
निजाम के पोते और निजाम फैमिली वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब नजफ अली खान ने आईएएनएस को बताया, "साहबजादी बशीरुन्निसां बेगम साहिबा का निधन परिवार के लिए एक बड़ी क्षति है। वह हैदराबादी संस्कृति, परंपरा और मूल्यों का प्रतीक थीं।"
उन्हें हैदराबाद के पुराने शहर दरगाह हजरत याहिया पाशा में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। अंतिम संस्कार में निजाम के परिवार के कई सदस्य शामिल हुए।
बशीरुन्निसां बेगम का विवाह नवाब काजिम यार जंग से हुआ था, जिन्हें अली पाशा के नाम से जाना जाता था और जिनका 1998 में निधन हो गया।
अपने समय में दुनिया के सबसे अमीर शख्सियत माने जाने वाले मीर उस्मान अली खान का सन् 1967 में निधन हुआ था।
नई दिल्ली, 28 जुलाई। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे को लेकर हुए खुलासे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरा है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि बैंकिंग सिस्टम को ठीक करने के प्रयासों में उर्जित पटेल को नौकरी गंवानी पड़ी। राहुल गांधी ने पूछा कि आखिर पीएम क्यों नहीं चाहते थे कि विलफुल डिफॉल्टर्स को पकड़ा जाए? बता दें, उर्जित पटेल ने अपने किताब में खुलासा किया है कि दिवालिया कानून यानी इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड को लेकर उनके और केंद्र सरकार के बीच अचानक मतभेद हो गया था। उन्होंने साथ ही आरोप लगाया है कि सरकार ने इस कानून में डिफॉल्टर पर नरमी बरती थी, जिसके कारण खराब कर्ज के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम को धक्का लगा।
किताब में उन्होंने खुलासा किया है कि उस समय मोदी सरकार लोन न चुकाने वालों पर नरमी बरत रही थी और आरबीआई को भी नरमी से पेश आने के लिए कहा गया था। इतना ही नहीं आरबीआई ने डिफॉल्टर को लेकर जो सर्कुलर जारी किया था, उसे सरकार की ओर से वापस लेने को कहा गया था।
गौरतलब है कि मोदी सरकार के साथ विवाद के बाद उर्जित पटेल ने 2018 में आरबीआई गवर्नर के पद से इस्तीफा दे दिया था। इस दौरान भी राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला था।(navjivan)
लखनऊ, 28 जुलाई (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक योगेश धामा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर दावा किया है कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर सुनील राठी से उनकी (धामा) जान को खतरा है। राठी एक अन्य गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में जेल में है। धामा ने कहा कि गैंगस्टर ने बागपत की अदालत में मुन्ना बजरंगी मामले की सुनवाई के लिए आने पर उन्हें खुलेआम धमकी दी।
उन्होंने कहा, "इस क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिए वह मुझे जिम्मेदार मानता है। मेरे दो परिचितों को उसके आदमियों ने पिछले महीने मार डाला, जो साबित करता है कि मेरी जिंदगी को सच में खतरा है।"
विधायक ने दावा किया कि राठी एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे से बी ज्यादा खतरनाक है, जो (जुबे) कानपुर में इस महीने की शुरुआत में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी था।
बागपत के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अनित कुमार ने कहा, "धामा ने हमसे संपर्क नहीं किया है और हम उन्हें प्रोटोकॉल के अनुसार सुरक्षा मुहैया करा रहे हैं।"
एएसपी ने कहा कि झगड़ा तब शुरू हुआ, जब स्थानीय विधायक ने राठी के अवैध खनन कारोबार के खिलाफ शिकायत की। उन्होंने कहा, "वह अपने आदमी मनीष चौहान के माध्यम से ऐसा कर रहा था, जिसके पास रेत खनन का लाइसेंस था, लेकिन वह अनुमति सीमा से अधिक निकाल रहा था। जब विधायक ने मुद्दा उठाया, तो जिला प्रशासन ने उसका लाइसेंस रद्द कर दिया और उस पर 4 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।"
राठी के गुर्गो ने 7 जुलाई को राष्ट्रीय लोकदल के नेता देशपाल खोखर की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने गांव से बालू ले जा रहे ट्रकों के गुजरने पर आपत्ति जताई थी।
एएसपी ने कहा, "हमने रविवार को मुठभेड़ के बाद मामले के संबंध में राठी के दो शार्पशूटर को गिरफ्तार किया है।"
राठी के गुर्र्गो ने कथित रूप से हिस्ट्रीशीटर परमवीर तुगाना को भी मार डाला, जो योगेश धामा का करीबी बताया जाता है।
नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)| केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और निजी उद्योगों से संबंधित लगभग 80 विभागों की साइबर समस्या का समाधान देश के युवा छात्रों की एक टीम करेगी। साइबर समस्याओं का समाधान करने वाले ये युवा देशभर की अलग-अलग टेक्निकल यूनिवर्सिटी के छात्र हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल पर इन छात्रों को एक साझा प्लेटफार्म उपलब्ध कराया गया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा, "एक विशेष रूप से विकसित प्लेटफॉर्म पर देश भर के सभी भागीदारों को ऑनलाइन जोड़ा जाएगा। इससे विद्यार्थियों को सरकारी विभाग और निजी क्षेत्र के संस्थानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर काम करने का अवसर मिलता है, जिसके लिए वे आउट ऑफ द बॉक्स और विश्वस्तरीय समाधान की पेशकश कर सकते हैं।"
शिक्षा के विभिन्न ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल कर रहे हैं, देशभर के छात्र भी किसी प्रकार की साइबर धमकी या प्रताड़ना का शिकार न हो, इसके लिए एनसीईआरटी ने भी यूनेस्को के साथ मिलकर एक विशेष तैयारी की है। इसके तहत इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले छात्रों को ऑनलाइन साइबर सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
एनसीईआरटी और यूनेस्को की यह पहल छात्रों को सुरक्षित ऑनलाइन व्यवहार के तरीके बताए रही है। साथ ही छात्रों को यह भी बताया जा रहा है कि कैसे ऑनलाइन धमकियों एवं प्रताड़ना से अपना बचाव किया जाए। यह छात्रों को ऑनलाइन धमकी के खिलाफ सक्षम कार्यवाही का मार्गदर्शन भी देती है।
देश में साइबर सुरक्षा को मजबूती देने के लिए युवा आईटी प्रोफेशनल्स को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, ताकि भविष्य में साइबर हमलों की चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटा जा सके। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यूजीसी की मदद से साइबर सुरक्षा टेक्नोलॉजी पर एक विशेष ऑनलाइन कोर्स तैयार किया है।
यह कोर्स छात्रों को साइबर टेक्नोलॉजी के साथ-साथ वेब, ई-मेल और इंटरनेट से जुड़ी साइबर समस्याओं के समाधान में दक्ष बनाता है।
गौरतलब है कि आज के दौर में साइबर सिक्योरिटी एक अंतर्राष्ट्रीय विषय बन चुका है। यह कोर्स छात्रों को हैकर्स से बचाव, मोबाइल के ऑनलाइन एप्स को सुरक्षित बनाने के तरीके, मोबाइल सुरक्षा, ई-मेल को और अधिक सुरक्षित बनाने एवं उनकी तकनीक के बारे में जानकारी देगा। विश्वस्तरीय अध्यापक यहां छात्रों को ऑनलाइन माध्यमों से शिक्षित करेंगे।
नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)| प्रधान न्यायाधीश एस.ए.बोबड़े ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश प्रशासन पर बरसते हुए कहा कि राज्य इसलिए परेशानी में हैं क्योंकि वहां 64 मामलों वाला व्यक्ति जमानत पर रिहा था। प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी.रामासुब्रह्मण्यन की पीठ ने यही कहते हुए ऐसे आदमी को जमानत देने से इंकार कर दिया, जिस पर आठ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने विकास दुबे मामले का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता के वकील से कहा, "आपका मुवक्किल एक खतरनाक आदमी है। हम उसे जमानत पर रिहा नहीं कर सकते। देखिए दूसरे मामले में क्या हुआ।"
याचिकाकर्ता ने मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मांगी थी, क्योंकि वह कई बीमारियों से पीड़ित है।
अभियोजन पक्ष ने बताया कि उसके खिलाफ एक पुलिस स्टेशन में आठ आपराधिक मामले हैं और पीठ के समक्ष दलील दी गई कि ऐसी आपराधिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति जेल से कैसे रिहा हो सकता है।
विकास दुबे एनकाउंटर मामले में, शीर्ष अदालत ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति से यह जांच करने के लिए भी कहा है कि दुबे कैसे इतने मामलों में जमानत पर रिहा हुआ था।
उप्र सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि दुबे ने अपने गिरोह के 90 अपराधियों का इस्तेमाल कर आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या कर दी और फिर उनके शवों को क्षत-विक्षत कर दिया। दुबे आजीवन कारावास की सजा काट रहा था और दो जुलाई को जब उसने यह नरसंहार किया, तब वह पैरोल पर बाहर था।
20 जुलाई को, शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि वह चकित है कि विकास दुबे के खिलाफ इतने मामले होने के बावजूद उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया था और यह संस्था की विफलता को दर्शाता है कि वह ऐसे अपराधी को सलाखों के पीछे रखने में नाकाम रही।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "उप्र इसलिए दांव पर नहीं है कि वहां एक घटना हुई है, बल्कि पूरी प्रणाली दांव पर है। इसे याद रखें।"
यूपी पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पीठ के समक्ष कहा था कि "हम पुलिस बल का मनोबल नहीं गिरा सकते।" प्रधान न्यायाधीश बोबडे ने कहा, "कानून के शासन को मजबूत कीजिए और पुलिस बल का मनोबल कभी नहीं गिरेगा।"
नई दिल्ली, 28 जुलाई। उत्तराखंड हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने कहा है कि संविदा पर काम करने वाली महिला को भी बच्चे की देखभाल के लिए छुट्टी (सीसीएल) लेने का अधिकारी है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन, न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, सीसीएल प्रथमत: बच्चों की भलाई के लिए है। अगर किसी बच्चे की मां सरकार में संविदा के आधार पर काम कर रही है, तो उसके बच्चों की भी आवश्यकताएँ वही हैं जो दूसरे बच्चों की। अगर सरकार में संविदा की व्यवस्था के तहत काम करने वाले कर्मचारियों को सीसीएल नहीं दिया जाता है तो इसका अर्थ यह हुआ उसके बच्चे को इस अधिकार से वंचित करना। इस बच्चे को संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत यह अधिकार प्राप्त है।
पीठ ने इसके साथ ही यह भी कहा कि इस तरह के कर्मचारी को 31 दिनों का वेतन सहित सीसीएल दिया जा सकता है और इसकी सभी शर्तें वही होंगी जो अर्जित छुट्टी की होती हैं और जो 30 मई 2011 के आदेश के मुताबिक़ अन्य सरकारी कर्मचारियों को मिलती हैं। पूर्ण पीठ ने कहा, संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी का रोजगार सिर्फ एक साल के लिए होता है और और उन्हें 730 दिनों की छुट्टी नहीं दी जा सकती है। इस तरह के कर्मचारियों को उन्हीं सभी शर्तों और सिद्धांतों पर 31 दिनों की छुट्टी दी जा सकती है जो अर्जित छुट्टी के रूप में होगी जैसा कि 30 मई 2011 के सरकारी आदेश के अनुरूप होगा।
पृष्ठभूमि अदालत ने यह फैसला एक मां की याचिका पर दिया जो आयुर्वेदिक डॉक्टर के रूप में राज्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, उत्तराखंड में काम करती है। अपने मातृत्व अवकाश की अवधि पूरी करने के बाद याचिकाकर्ता तनुजा टोलिया ने सीसीएल के लिए आवेदन दिया जिसे आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाओं के निदेशक ने यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि सीसीएल की सुविधा संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों को उपलब्ध नहीं है।
याचिकाकर्ता के मामले की इसके बाद हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने सुनवाई की जहां उन्होंने कहा कि क़ानून में सीसीएल की इस सुविधा का प्रावधान विशेषकर महिला कर्मचारियों के लिए किया गया है और किसी की नौकरी की प्रकृति क्या है इस पर ग़ौर किए बिना यह सभी महिला कर्मचारियों को मिलना चाहिए। इस बारे में डॉक्टर शांति महेरा बनाम उत्तराखंड राज्य मामले में इस अदालत के फ़ैसले का हवाला दिया गया। उसमें यह भी कहा गया कि संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को 730 दिनों का सीसीएल दिया जा सकता है। खंडपीठ ने इस मामले की बड़ी पीठ से सुनवाई की अनुशंसा की। एक व्यक्ति जिसे 365 दिन का रोजगार मिला हुआ है, उसको 730 दिनों या दो साल का सीसीएल देने का मतलब यह है कि उसके कॉन्ट्रेक्ट को एक साल के लिए अपने आप आवश्यक रूप से बढ़ाया जाए। प्रतिवादियों ने कहा कि कर्मचारी के रोजग़ार की कुल अवधि 12 महीने की है यानी 365 दिनों की और इसलिए यह संभव नहीं है कि उसे 370 दिनों की सीसीएल छुट्टी दी जाए।
पीठ ने स्पष्ट किया कि सीसीएल महिला का कोई अधिकार नहीं है बल्कि यह बच्चों के अधिकारों की स्वीकारोक्ति है। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम बनाम महिला कार्यकर्ता (मस्टर रोल) एवं अन्य (2000) 3 स्ष्टष्ट 224 मामले में अपने फैसले में कहा कि सभी तरह के रोजगारों में मातृत्व अवकाश देना अनिवार्य है और इसमें किसी निगम में मस्टर रोल पर काम करनेवाली महिलाएं भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, हमें इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि 12 महीनों के लिए काम पर रखे गए संविदा कर्मचारियों को भी सीसीएल प्राप्त करने का अधिकार है और इस अधिकार को 30 मई 2011 को जारी सरकारी आदेश में भी पढ़ा जा सकता है।
अदालत ने मोहिनी जैन बनाम कर्नाटक राज्य एवं अन्य (1992) 3 स्ष्टष्ट 666 मामले में आए फैसले पर भी भरोसा किया। इस फैसले में कोर्ट ने कहा, राज्य का यह संवैधानिक दायित्व है कि वह ऐसा माहौल बनाए कि संविधान के पार्ट 3 में नागरिकों को मौलिक अधिकारों की जो गारंटी दी गई है उसका लाभ सब को मिले। जिस महिला की नौकरी की कुल अवधि 365 दिनों की है उसको 730 दिनों का सीसीएल देने में जो विरोधाभास है, पीठ इससे पूरी तरह वाकिफ थी। इस विरोधाभास को दूर करने के लिए अदालत ने डोली गोगोई बनाम असम राज्य मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया।
इस मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने ठेके पर काम करनेवाले कर्मचारियों को सीसीएल देने की बात कही पर कहा कि यह सामानुपातिक (प्रो राटा) आधार पर होना चाहिए। इस आधार पर पीठ ने कहा, हमें कहा गया है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को एक साल में 31 दिनों का अर्जित अवकाश मिलता है। वही सिद्धांत यहां भी उन कर्मचारियों के संदर्भ में लागू होगा जिनकी रोजगार की पूरी अवधि एक साल की है बशर्ते कि वे 30 मई 2011 को जारी सरकार के आदेश के तहत अन्या अर्हता पूरी करते हों- मतलब यह कि जिनके दो बच्चे 18 साल से कम उम्र के हैं उन्हें भी सीसीएल का लाभ मिलेगा। अदालत ने कहा कि सीसीएल अधिकार नहीं है और कोई भी सरकारी आदेश के बिना सीसीएल पर नहीं जा सकता। (hindi.livelaw.in)
नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)| दिल्ली पुलिस के एक हेड कांस्टेबल ने खुद को गोली मार ली। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। दक्षिणी दिल्ली के साकेत थाने में तैनात हेड कांस्टेबल संजय (34) ने सर्विस पिस्तौल से खुद को गोली मार ली।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "हवलदार संजय अलवर का रहने वाला था। मामले की शुरुआती जांच में पता चला है कि वह लंबे अरसे से बीमार अपने बड़े भाई को लेकर तनाव में था।"
इससे पहले, 16 जुलाई को बुराड़ी इलाके में दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल परीक्षित ढाका (25) ने छत से लगे पंखे में फंदा डालकर आत्महत्या कर ली थी।
जमुई, 28 जुलाई (आईएएनएस)| बिहार के जमुई जिले के सिमुलतला थाना क्षेत्र में कथित रूप से मवेशी (पालतू जानवरों ) को चोरी करने के आरोप में दो लोगों को ग्रामीणों ने पीट-पीट कर मार डाला। पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि सोमवार की देर रात तिलौना गांव में दो लोग एक घर के बाहर बंधे बैल की चोरी कर ले जा रहे थे। बैल ले जाने के क्रम में ग्रामीणों ने चोर को रंगे हाथों पकड़ लिया और गांव में शोर मच गई। गांव के लेाग जुट गए और चोर की जमकर पिटाई कर दी, जिससे घटनास्थल पर ही दोनों की मौत हो गई।
ग्रामीणों के मुताबिक चोर एवं ग्रामीणों के बीच मारपीट के दौरान चोर ने भी जान बचने तक खूब संघर्ष किया।
मृतकों की पहचान चंद्रमंडी थाना के मानसिंघडी गांव के रहने वाले लालमोहन पासवान एवं नागेश्वर पासवान के रूप में हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि कई अन्य चोर भागने में सफल रहे।
सिमुलतला पुलिस देर रात्रि को घटना स्थल पर पहुंच कर शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के जमुई भेज दिया है।
जमुई के पुलिस अधीक्षक इनामुल हक ने मंगलवार को आईएएनएस को बताया कि दोनों मृतक पहले भी चोरी की घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं तथा इनका अपराधिक इतिहास रहा है।
उन्होंने कहा कि पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।
जयपुर, 28 जुलाई (आईएएनएस)| राजस्थान बसपा के कांग्रेस में विलय के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा भाजपा विधायक मदनलाल दिलावर की याचिका खारिज करने के एक दिन बाद मंगलवार को उन्होंने हाईकोर्ट में दूसरी याचिका दायर की। दिलावर ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के 24 जुलाई के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें दलबदल विरोधी कानून के तहत बसपा विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी गई।
दिलावर ने अपनी पहली याचिका में आरोप लगाया था कि बसपा विधायकों के दलबदल के संबंध में मार्च में उनकी शिकायत के बावजूद अध्यक्ष सी.पी. जोशी द्वारा पिछले कई महीनों में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
सितंबर 2019 में बसपा के छह विधायक संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेड़िया, लखन मीणा, राजेंद्र गुढ़ा और जोगिंदर सिंह अवाना कांग्रेस में शामिल हो गए थे और हाल ही में राज्यसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने कांग्रेस का समर्थन किया था।
दिलावर ने इस साल मार्च में विधानसभा अध्यक्ष को इस संदर्भ में एक शिकायत सौंपी थी, जिस पर 24 जुलाई तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया था।
सोमवार दोपहर के करीब, दिलावर ने विधानसभा सचिव पी. के.माथुर के कार्यालय के बाहर धरना दिया। दिलावर ने बाद में कहा, "सचिव ने मुझे बताया कि मेरी याचिका खारिज कर दी गई। उन्होंने मुझे बताया कि ईमेल पर एक विस्तृत आदेश प्रदान किया जाएगा। मैं इसका इंतजार कर रहा हूं।"
इस बीच, न्यायमूर्ति महेंद्र कुमार गोयल की एकल पीठ ने सोमवार को दिलावर की याचिका को खारिज कर दिया। एडिशनल अटॉर्नी जनरल आर.पी.सिंह ने कोर्ट को बताया कि विधानसभा अध्यक्ष शिकायत पर पहले ही 24 जुलाई को फैसला कर चुके हैं, जिसके बाद कोर्ट ने दिलावर की याचिका खारिज कर दी। वकील हरीश साल्वे ने दिलावर की ओर से पैरवी की।
आईएएनएस से बातचीत में दिलावर ने कहा, "हमने अदालत में नई याचिका दायर की है कि यह विलय गलत है। स्पीकर ने 130 दिनों के बाद भी मेरी याचिका का संज्ञान नहीं लिया। हालांकि, कांग्रेस द्वारा महेश जोशी के व्हिप के संबंध में उन्होंने तुरंत कदम उठाया, जिन्होंने 19 बागी विधायकों के खिलाफ शिकायत की थी। मैंने 18 जुलाई को विनम्रतापूर्वक स्पीकर से अपनी याचिका पर संज्ञान लेने का आग्रह किया था। हालांकि, मुझे अपना पक्ष रखने की अनुमति दिए बिना, मेरी याचिका उनके द्वारा खारिज कर दी गई।"
उन्होंने कहा, "जब मैं आदेश की प्रति मांगता रहा, यह मुझे नहीं दी गई, लेकिन सीधे हाईकोर्ट में पेश की गई और उसी आधार पर, कोर्ट में मेरी याचिका खारिज कर दी गई।"
नई दिल्ली, 28 जुलाई। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने कहा है कि जब तक जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता है, वो विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। अमर अब्दुल्लाह ने अंग्रेजी के अखबार इंडियन एक्सप्रेस में सोमवार (27 जुलाई) को एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने कई अहम बातों का जिक्र किया है।
उमर ने लिखा, जहां तक मेरा सवाल है, मैं बिल्कुल स्पष्ट हूं कि जब तक जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, मैं विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ूँगा। इस धरती के सबसे शक्तिशाली विधानसभा का छह सालों तक सदस्य रहने और वो भी उसके नेता रहने के बाद मैं उस सदन का सदस्य नहीं रह सकता जिसके अधिकारों को इस तरह से छीन लिया गया हो।
पिछले साल (2019) पांच अगस्त को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने न केवल जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और 35्र को हटा दिया था, बल्कि जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था।
केंद्र सरकार के इस फैसले के कुछ ही घंटे पहले उमर अब्दुल्लाह, उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह, राज्य की एक और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत सैकड़ों नेताओं को नजरबंद या गिरफ्तार कर लिया गया था।
पहले बिना किसी आरोप के उन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन फरवरी 2020 में उमर अब्दुल्लाह, महबूबा मुफ्ती समेत कुछ और नेताओं पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगा दिया गया था। लेकिन सात महीनों के बाद 24 मार्च को उमर अब्दुल्लाह को रिहा कर दिया गया था। उसके एक हफ्ते पहले उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह को भी रिहा कर दिया गया था। लेकिन महबूबा मुफ्ती अब तक हिरासत में हैं और मई में उन पर दोबारा पीएसए लगाया गया था।
मार्च में रिहा होने के बाद उमर अब्दुल्लाह ट्विटर पर तो सक्रिय रहे हैं लेकिन पहली बार उन्होंने किसी अखबार में इतना लंबा लेख लिखा है। उमर के अनुसार 2019 में नरेंद्र मोदी के दोबारा जीत कर सत्ता में आने के बाद उन्हें और उनकी पार्टी को इस बात का तो अंदाजा था कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 और 35 को खत्म कर सकती है लेकिन उन्हें इसका कत्तई अंदेशा नहीं था कि राज्य को विभाजित कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील कर दिया जाएगा।
इस बारे में उमर लिखते हैं, मैंने अपनी पार्टी के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ पांच अगस्त से कुछ ही दिन पहले प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। उस मीटिंग को मैं इतनी जल्दी नहीं भूलूंगा। एक दिन मैं उसके बारे में लिखूँगा। फिलहाल मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि उस बैठक के बाद हमें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं हुआ था कि अगले 72 घंटों में क्या होने वाला है।
उमर आगे लिखते हैं, जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा जो कि जम्मू-कश्मीर के भारत के संघ में शामिल होने का सबसे महत्वपूर्ण और शायद अनिवार्य हिस्सा था, उसे खत्म कर दिया गया। सच कहूं तो, बीजेपी ऐसा करेगी, ये शायद उतना अचंभित करने वाला नहीं था, ये दशकों से बीजेपी का चुनावी एजेंडा था। जिसने हमलोगों को चकित किया, वो था, राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटकर हम लोगों को अपमानित किया जाना। पिछले सात दशकों में केंद्र शासित प्रदेशों को बढ़ाकर राज्य का दर्जा दिया गया है, लेकिन यह पहली बार हुआ था कि एक राज्य का दर्जा घटाकर उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया।
उमर ने लिखा है कि वह आज तक यह बात नहीं समझ सके हैं कि आखिर इसकी जरूरत क्या थी, सिवाए जम्मू-कश्मीर के लोगों को सजा देने और अपमानित करने के। वो लिखते हैं, अगर लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के पीछे ये तर्क था कि वहां की बौद्ध आबादी लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग कर रही थी, तो जम्मू के लोगों के लिए एक अलग राज्य की माँग तो बहुत पुरानी थी। अगर ये धर्म पर आधारित था तो इसने इस तथ्य को बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया कि लद्दाख के दो जिले लेह और कारगिल मुस्लिम बहुल हैं और कारगिल के लोग जम्मू-कश्मीर से अलग होने के विचार के बिल्कुल खिलाफ हैं।
उमर ने लिखा है कि जब भारतीय संसद में अनुच्छेद 370 हटाने के लिए मंजरी दी जा रही थी तो इसे खत्म करने के कई कारण बताए गए थे लेकिन कोई भी तर्क बुनियादी कसौटी पर भी खरा नहीं उतरता।
उमर के अनुसार ये आरोप लगाया गया था कि 370 के कारण राज्य में अलगाववादी सोच और चरमपंथी हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है और इसे हटा देने से राज्य में आतंकवाद खत्म हो जाएगा।
उमर सवाल करते हैं, अगर ऐसी बात है तो फिर 370 हटाने के करीब एक साल बाद उसी केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में क्यों कहने पर विवश होना पड़ा कि राज्य में हिंसा बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में गरीबी और निवेश की बात भी बेबुनियाद है। उन्होंने कहा कि देश के कई राज्यों की तुलना में जम्मू-कश्मीर में गरीबी बहुत कम है। उन्होंने कहा कि मानव विकास सूचकांक के मामले में भी जम्मू-कश्मीर गुजरात से बहुत बेहतर है। (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 28 जुलाई। केरल की विवादास्पद कार्यकर्ता रेहाना फातिमा, जिन पर अपने अर्ध-नग्न शरीर पर अपने बच्चों को पेंटिंग दिखाते हुए एक वीडियो पर मामला दर्ज किया गया, उन्होंने केरल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। केरल हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया था। रेहाना फातिमा की इस दलील को हाईकोर्ट ने नामंज़ूर कर दिया था कि यौन शिक्षा देने के लिए उन्होंने उस वीडियो को प्रकाशित किया जिसमें उनके बच्चे को उनके नग्न शरीर पर पेंटिंग करते दिखाया गया है। कोर्ट ने रेहाना को इस आधार पर अग्रिम ज़मानत देने से मना कर दिया।
केरल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि वह अपने 14 साल के बेटे और 8 साल की बेटी को जिस तरह से चाहें अपने घर के अंदर यौन शिक्षा देने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन इस बारे में कोई वीडियो जारी करना, जिसमें उनके बच्चे को उनके शरीर पर पेंटिंग करते दिखाया गया है, प्रथम दृष्टया बच्चों को अश्लील तरीके से पेश करने का अपराध है। फातिमा के वीडियो से काफी हंगामा मचा था और इस बारे में दो एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। उन पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 13, 14 और 15, सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 की धारा 67बी (डी) और जुवेनाइल जस्टिस (देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 75 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
रेहाना फातिमा ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दिया था और अपनी दलील में कहा कि उसका उद्देश्य बच्चों को शरीर और उसके विभिन्न अंगों के बारे में बताना था, ताकि वे शरीर को एक अलग नजरिए से देखें न कि सिर्फ यौन उपकरण के रूप में। उच्च न्यायालय के फैसले पर सवाल उठाते हुए रेहाना ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में तर्क दिया कि सिर्फ नग्नता को अपने-आपमें अश्लीलता नहीं माना जा सकता। इस संबंध में अवीक सरकार बनाम पश्चिम बंगाल राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया कि केवल सेक्स से संबंधित सामग्री उत्तेजक वासनापूर्ण विचार को ही अश्लील माना जा सकता है।
उन्होंने कहा कि वीडियो अपने बच्चों के लिए शरीर के महिला रूप को सामान्य बनाने और उनके दिमाग में व्याप्त विकृत विचारों को न आने देने के लिए एक संदेश फैलाने के इरादे से बनाया और अपलोड किया गया था। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने अर्ध-नग्न होते हुए अपने शरीर को अपने बच्चों को एक कैनवास के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति दी और एक विकृत मानसिकता के अलावा शायद ही और कोई व्यक्ति हो जो, जिसमें इस प्रकृति की कला को देखकर कामुक इच्छा से जागे।
हाईकोर्ट द्वारा पॉस्को की धारा 13 के आह्वान को चुनौती देते हुए याचिका में कहा गया है : इस मामले में किसी भी बच्चे का कोई अभद्र या अश्लील प्रतिनिधित्व नहीं किया गया है - वास्तव में, वे केवल एक बेतरतीब तरीके से पेंट कर रहे हैं क्योंकि बच्चे ऐसा करने के लिए अभ्यस्त हैं। इसलिए यह निष्कर्ष निकालना असंभव है कि यह किसी भी बच्चे का यौन संतुष्टि के लिए उपयोग किया गया था। रेहाना फातिमा के बच्चों की विशेषता वाला वीडियो - 14 साल की उम्र का एक लडक़ा और 8 साल की एक लडक़ी - ने व्यापक रूप से आक्रोश पैदा किया था, जिसके कारण बच्चों के अश्लील प्रतिनिधित्व के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी। याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संदर्भ में निम्नलिखित मुद्दे सामने आते हैं : महिला नग्नता (भले ही दिखाई न दे) अपने आप में अश्लीलता का गठन करती है। क्या माता के शरीर पर चित्रकारी करने वाले बच्चों को इन कड़े कानूनों के तहत यौन संतुष्टि और बाल शोषण के रूप में निष्कर्ष निकाला जा सकता है। (hindi.livelaw.in)
नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)| छोटे व मझौले के कारोबार (एसएमबी) का डिजिटलीकरण होने से 2024 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 216 अरब डॉलर का इजाफा हो सकता है, जिससे कोरोना महामारी के संकट से मिल रही आर्थिक चुनौतियों से देश को उबारने में मदद मिलेगी। यह बात मंगलवार को एक अध्ययन की रिपोर्ट में कही गई।
सिस्को इंडिया की 'एसएमबी डिजिटल मैच्युरिटी स्टडी-2020' रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 68 फीसदी छोटे व मझौले कारोबार में नए उत्पाद व सेवा बाजार में लाने के लिए डिजिटल बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है क्योंकि वे स्पर्धा में खुद को अलग देखनाचाहते हैं। वहीं, 60 फीसदी का मानना है कि प्रतिस्पर्धा भी बदल रही है और इस बदलाव की गति को बरकरार रखने की जरूरत है। अध्ययन के अनुसार, 50 फीसदी छोटे व मझौले कारोबार में ग्राहकों की मांग के अनुरूप डिजिटलीकरण की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
नैसकॉम के अनुसार, भारत में पंजीकृत व अपंजीकृत छोटे व मझौले उद्योगों की तादाद करीब 4.25 करोड़ है जोकि देश की कुल औद्योगिक कंपनियों का करीब 95 फीसदी है।
सिस्को इंडिया व सार्क के एसएमबी प्रबंध निदेशक पी के पनीश ने कहा, "इस कठिन समय में छोटे कारोबारी तरलता की कमी, बाधित सप्लाई चेन और कर्ज मिलने की चुनौतियों से जूझ रहे हैं। इस चुनौतियों से उबरने के लिए उनको जल्द अपने कारोबारी मॉडल में बदलाव करने और बदले हालात में अपनी भूमिका की पहचान करने की जरूरत है।"
ज्यादातर छोटे कारोबारी इस बात को समझ गए हैं कि उनको डिजिटलीकरण की जरूरत है। आईडीसी और सिस्को द्वारा पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में करवाए गए सर्वेक्षण पर आधारित इस अध्ययन में बताया गया है कि भारत में एसएमबी के लिए प्रौद्योगिकी निवेश की शीर्ष प्राथमिकता में क्लाउड है जोकि करीब 16 फीसदी है उसके बाद सुरक्षा पर 13 फीसदी और आईटी इन्फ्रास्ट्रक्च र सॉफ्टवेयर की खरीद व उसको उन्नत बनाने पर 12 फीसदी जोर है।
भुवनेश्वर, 28 जुलाई (आईएएनएस)| ओडिशा में बीते 24 घंटों में कोविड-19 के 1,215 नए मामले सामने आए, जिसके साथ संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 28 हजार को पार कर गया। स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को यह जानकारी दी। राज्य में लगातार सात दिनों से कोविड-19 के रोजाना 1,000 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।
वायरस के संक्रमण से बीते 24 घंटों में एक बच्चा सहित सात लोगों की मौत हो गई। इसके साथ राज्य में कोरोना से मरने वालों की कुल संख्या 154 हो गई।
गंजम में तीन, रायगदा में दो, कटक जिले में एक और एक बच्चे की मौत भुवनेश्वर में हुई है। पांच साल उम्र का यह बच्चा सेलेब्रल पैल्सी व सीज्योर डिसऑर्डर रोग से भी ग्रस्त था।
जो नए मामले सामने आए हैं, उनमें 753 मामले
क्वारंटाइन सेंटरों से और 462 स्थानीय संपर्को से हुए संक्रमण के मामले हैं।
संक्रमितों की संख्या गंजम में 332, खुर्दा में 312, गजापति में 89, क्योंझर में 77, कोरापुत में 73, कटक में 60, जगतसिंहपुर में 47, बालासोर में 29 और रायगदा में 24 है।
राज्य में सक्रिय मामले 10,545 हैं और अब तक 17,373 लोग उपचार के बाद संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं।
अयोध्या, 28 जुलाई (आईएएनएस)| भगवान राम, उनके भाई-लक्ष्मण, भरत एवं शत्रुघ्न पांच अगस्त को राम मंदिर के 'भूमिपूजन' के अवसर पर रत्नजड़ित पोशाक पहनेंगे। रामदल सेवा ट्रस्ट के अधय्क्ष पंडित कल्की राम ने भगवान की मूर्तियों पर ये पोशाक पहनाएंगे।
इन पोशाकों पर नौ तरह के रत्न लगाए गए हैं।
भगवान के लिए वस्त्र सिलने का काम करने वाले भगवत प्रसाद ने कहा कि भगवान राम हरे रंग की पोशाक पहनेंगे। भूमिपूजन बुधवार को होना है और इस दिन का रंग हरा होता है।
लखनऊ, 28 जुलाई (आईएएनएस)| कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में हो रही अपहरण की घटनाओं का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि प्रदेश की कानून व्यवस्था ठीक करें, जनता परेशान हैं। मुख्यमंत्री के नाम इस पत्र में महासचिव प्रियंका गांधी ने लिखा, "कानपुर, गोंडा, गोरखपुर की घटनाएं आपके संज्ञान में होंगी। मैं गाजियाबाद के एक परिवार की पीड़ा की तरफ आपका ध्यान खींचना चाहती हूं। मेरी इस परिवार से बात हुई है।"
उन्होंने आगे लिखा, "गाजियाबाद के व्यवसायी विक्रम त्यागी लगभग एक माह से गुमशुदा हैं। परिवार की आशंका है कि उनका अपहरण हो गया है। बार-बार आग्रह के बाद भी पुलिस-प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। दो दिन पहले हमारी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल उनके परिजनों से भी मिला था। वे बहुत ही चिंतित और परेशान हैं।"
उन्होंने पत्र में आगे लिखा है, "कृपया उनकी मदद करें और पुलिस अधिकारियों को सख्ती से निर्देशित करें कि पूरी तरह से उनकी सहायता की जाए।"
महासचिव ने पत्र में कहा कि उत्तर प्रदेश में अपहरण की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। कानून-व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। इस समय इन मामलों के प्रति पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि पूरी मुस्तैदी और दक्षता से कार्यवाही करें।