राष्ट्रीय
चेन्नई, 31 अगस्त (आईएएनएस)| तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी के लिए केंद्र सरकार का राज्यों को मुआवजा देना नैतिक और कानूनी दायित्व है। पलानीस्वामी ने मोदी से वित्त मंत्रालय को एक ऐसे तंत्र से सहमत होने का निर्देश देने का आग्रह किया, जिसके तहत केंद्र सरकार आवश्यक धनराशि को ऋण के रूप में उठाए और इसे भविष्य के उपकर रिसिप्ट के खिलाफ जीएसटी मुआवजा कोष में उधार दे, ताकि 2020-2021 में राज्यों को जीएसटी मुआवजे का पूरा भुगतान किया जा सके।
मोदी को लिखे एक पत्र में, जिसे यहां मीडिया में जारी किया गया है, उसमें पलानीस्वामी ने कहा है, "हमारा रुख लगातार यह रहा है कि भारत सरकार का नैतिक और कानूनी दायित्व है कि वह जीएसटी संग्रह में कमी के लिए मुआवजे का भुगतान करे।"
पलानीस्वामी ने अपने पत्र में इस बात पर भी जोर दिया है कि भारत सरकार ऐसे आवश्यक फंड की तलाश करे, जिससे राज्यों के नुकसान की भरपाई की जा सके।
उन्होंने कहा कि अधिकांश राज्य और विशेष रूप से तमिलनाडु, जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए सहमत हैं और केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को किसी भी राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए दी गई असमानता के आधार पर कानून का समर्थन करते हैं।
पलानीस्वामी ने कहा, "101 वें संविधान संशोधन अधिनियम में और जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) अधिनियम, 2017 में इस तरह के मुआवजे का स्पष्ट रूप से आश्वासन दिया गया है।"
पलानीस्वामी के अनुसार, तमिलनाडु के राजस्व संग्रह में कमी के कारण कुल मुआवजा 12,250.50 करोड़ रुपये बनता है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि 27 अगस्त को हुई 41वीं जीएसटी परिषद की बैठक में राज्य के मत्स्य मंत्री डी. जयकुमार द्वारा दिया गया सुझाव एक उचित और व्यावहारिक था और लगभग सभी राज्यों द्वारा इस पर सहमति व्यक्त की गई थी।
परिषद की बैठक में जयकुमार ने सुझाव दिया था कि केंद्र सरकार संसाधनों को जुटा सकती है और जीएसटी क्षतिपूर्ति निधि के लिए आवश्यक धनराशि उधार दे सकती है और 2021-22 से परे कुछ वर्षों के लिए जीएसटी उपकर के विस्तार के माध्यम से ऋण लिया जा सकता है।
पलानीस्वामी ने जोर देकर कहा है कि सुनिश्चित किया जाए कि राज्यों को चालू वित्तवर्ष में ही मुआवजे का पूरा बकाया मिल जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि वित्त मंत्रालय को एक औपचारिक और स्पष्ट आश्वासन देना चाहिए कि देय मुआवजे के किसी भी पिछले जमा स्टॉक (स्पिलओवर) का भुगतान 31 मार्च, 2022 के बाद की अवधि में किया जाएगा और साथ ही राज्यों को आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत उधार लेने की अनुमति देने की शर्तों में छूट दी जाएगी।
पलानीस्वामी के अनुसार, इन उपायों से यह सुनिश्चित होगा कि राज्यों के साथ उचित और निष्पक्ष व्यवहार हुआ है और आवश्यक व्यय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए 2020-21 में पर्याप्त धनराशि भी मिली है। इस प्रकार यह अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में प्रभावी रूप से योगदान दे सकते हैं।
लखनऊ, 31 अगस्त।उत्तर प्रदेश के बहराइच में सोमवार को गोंडा हाईवे पर एक ट्रैवलर वाहन पीछे से ट्रक में जा घुसा। हादसे में 5 मजदूरों की मौत हो गई। जबकि 11 लोग लोग घायल हो गये हैं। अतरिक्त पुलिस अधीक्षक ज्ञानंजय सिंह ने बताया कि गोंडा-बहराइच राजमार्ग पर पयागपुर थाना क्षेत्र के चौराहे के पास खड़े ट्रक से एक ट्रैवलर की टक्कर हो गई, जिसमें 5 की मौत हो गयी और 11 लोग घायल हो गये। सभी मजदूर थे। वो बिहार से अंबाला जा रहे थे। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ट्रैवलर की रफ्तार इतनी तेज थी कि किसी को संभलने का मौका नहीं मिला। अभी मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। हादसे में टक्कर की आवाज इतनी तेज थी कि आस पास के गांवों के तमाम लोग मौके पर जमा हो गए। घटना की सूचना पाकर प्रशासन के तमाम आला अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंच गये। घटनास्थल पर ही मरने वाले दो लोगों के चेहरे तक पहचान में नहीं आ रहे थे।
हादसे में जिन लोगों की मौत हुई है उनकी पहचान जितेंद्र गिरी पुत्र रघुनाथ निवासी लालगढ़ जनपद सिवान बिहार, पवन कुमार पुत्र राम चन्द्र निवासी सुलैहिया थाना कौड़िया जनपद गोंडा उत्तर प्रदेश, संजय प्रसाद पुत्र प्रभु प्रसाद निवासी बैरिया थाना सिधौलीया गोपालगंज बिहार, कंचन राम पुत्र जगदीश जगजीवन राम निवासी मेड़वार जामा बाजार सिवान बिहार, बसंत प्रसाद पुत्र सीताराम प्रसाद निवासी मेघवार थाना जामौ बाजार सिवान बिहार के रूप में हुई है। (navjivan)
नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायधीशों वाली एक संविधान पीठ ने सोमवार को कहा कि इसे सामान्य नियम के रूप में नहीं लिया जा सकता कि नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट (एनडीपीएस अधिनियम) के तहत एक अभियुक्त केवल इसलिए बरी किए जाने का हकदार है, क्योंकि शिकायतकर्ता और जांच अधिकारी एक ही व्यक्ति है। अदालत ने माना कि केवल इसलिए कि मुखबिर और जांच अधिकारी एक ही व्यक्ति हो तो यह नहीं कहा जा सकता कि जांच पक्षपातपूर्ण है और मुकदमा भंग हो गया है।
न्यायाधीश अरुण मिश्रा, इंदिरा बनर्जी, विनीत सरन, एम.आर. शाह और एस. रवींद्र भट की सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सोमवार को उस मामले में फैसला सुनाया, जिसमें ये तय करना था कि नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम के तहत जांच अधिकारी और शिकायतकर्ता यदि एक ही व्यक्ति है, तो क्या मुकदमा भंग हो जाएगा।
पीठ ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह ऐसा नियम नहीं हो सकता, जो सभी पर लागू हो, बल्कि इसके बजाय ऐसे मामलों को केस-टू-केस (हर मामले की अलग परिस्थिति) के आधार पर तय करना होगा।
साल 2018 में शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने माना था कि यह जरूरी है कि सूचनाकर्ता और जांचकर्ता को एक ही व्यक्ति नहीं होना चाहिए। इस निर्णय पर मुकेश सिंह बनाम राज्य (दिल्ली की नारकोटिक्स शाखा) के मामले में अपनी असहमति व्यक्त की थी। इसके बाद इस मामले को विचार के लिए संविधान पीठ के समक्ष रखा गया।
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ , 31 अगस्त (आईएएनएस)| मेडिसिनल केमेस्ट्री के प्रसिद्घ वैज्ञानिक प्रो. राम शंकर उपाध्याय का मानना है कि कोरोनावायरस से ठीक हो रहे लोगों में से अधिकांश के दिल, फेफड़े और नर्वस सिस्टम पर संक्रमण का असर दिख रहा है। उन्होंने कहा कि संक्रमित लोगों के स्वस्थ होने के बाद भी शरीर के अंगों पर कोराना का प्रभाव दिखाई देना चिंता का विषय है। इसके बारे में भी सोचना होगा।
आईएएनएस से विशेष बातचीत में प्रो़ उपाध्याय ने कहा कि दुनिया भर में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या करोड़ों में होने वाली है। उन्होंने बताया कि लैनसेट में हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के इलाज के बाद 55 फीसद रोगियों में नर्वस सिस्टम की शिकायतें मिलीं हैं। इसी तरह जर्मनी में हुए एक अध्ययन में संक्रमण से बचने वाले 75 फीसद लोगों के दिल की संरचना में बदलाव दिखा। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि इसका संबंधित लोगों पर भविष्य में क्या असर होगा। इसका असर कैसे न्यूनतम किया जाए, इस पर भी फोकस करने की जरूरत है। साथ ही यह मानकर भी काम करना होगा कि कोविड-19 अंतिम नहीं है। आगे भी ऐसे हालात आ सकते हैं। तैयारियां इसके मद्देनजर भी होनी चाहिए।
कोरोना के बचाव और इलाज के बारे में पूछने पर मेडिसिनल केमेस्ट्री के वैज्ञानिक ने कहा कि इस रोग के लिए टीका और स्पेसिफिक दवा के लिए जो काम हो रहा है उसके अलावा जरूरत इस बात की है कि पहले से मौजूद फार्मुलेशन के कंबीनेशन से संक्रमण रोकने और संक्रमण होने पर कारगर दवा की तलाश को और तेज किया जाय। उन्होंने बताया कि अब तक कैंसर की करीब 15 दवा और दर्जन भर एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाएं कोविड के लक्षणों के इलाज में उपयोगी पायी गई हैं। इन पर और काम करने की जरूरत है।
भारत की दवा इंडस्ट्री के बारे में उन्होंने कहा, जिन ऐक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स (एपीआई) से दवाएं बनती हैं, वे 75 से 80 फीसद तक चीन से आती हैं। कुछ तो 100 फीसद। मैं चाहता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए ये एपीआई भारत में ही बनें। इनकी मात्रा भरपूर हो ताकि इनसे तैयार दवाओं के दाम भी वाजिब हों। चूंकि मैं उत्तर प्रदेश का हूं। लिहाजा ऐसा कुछ करने की पहली प्राथमिकता उप्र ही रहेगी। इसके लिए प्रारंभिक स्तर पर सरकार से बातचीत भी जारी है।
उप्र में आगरा के मूल निवासी प्रो़ उपाध्याय लेक्साई लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) और अमेरिका के ओम अन्कोलजी के मुख्य वैज्ञानिक हैं। एक दशक से अधिक समय तक वह स्वीडन (स्टकहोम) के उपशाला विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे हैं। इसके अलावा वह मैक्स प्लैंक जर्मनी (बर्लिन) और मेडिसिनल रिसर्च कउंसिल ब्रिटेन (लंदन), रैनबैक्सी, ल्यूपिन जैसी नामचीन संस्थाओं में भी काम कर चुके हैं। कई जरूरी दवाओं की खोज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इनमें से करीब 20 पेटेंट हो चुकी हैं। अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में उनके दो दर्जन से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। वह लेक्साई और सीएसआईआर (कउंसिल अफ साइंटिफि क एंड इंडस्ट्री रिसर्च) से मिलकर कोविड की दवा खोजने पर भी काम कर रहे हैं। फि लहाल अमेरिका, यूरोप एवं स्कैंडिनेवियन देशों में कंपनी के विस्तार के लिए वह स्टकहोम में रह रहे हैं। वह अपने राज्य उत्तर प्रदेश के लिए भी कुछ करना चाहते हैं।
रायबरेली (यूपी), 31 अगस्त (आईएएनएस)| रायबरेली जिला के लालगंज थाने में रविवार रात एक 19 वर्षीय दलित लड़के की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। लड़के की मौत के बाद स्थानीय लोगों और मृतक के परिजनों ने पुलिस पर अत्याचार का आरोप लगाते हुए सड़क जाम कर पुलिस के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
जिला प्रशासन ने घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं।
इस बीच, लालगंज पुलिस स्टेशन के एसएचओ को निलंबित कर दिया गया है।
पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्वप्निल ने इस घटना को लेकर विभागीय जांच का भी आदेश दिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बेहता कलां गांव के रहने वाले मोहित और उसके भाई सोनू को पुलिस ने शुक्रवार को वाहन चोरी के संदेह में गिरफ्तार कर लालगंज पुलिस स्टेशन हिरासत में रखा था।
परिवार के सदस्यों का कहना है कि हिरासत में ले जाने के कुछ घंटों के बाद सोनू को रिहा कर दिया गया, जबकि मोहित को पुलिस कर्मियों ने हिरासत में कथित रूप से प्रताड़ित किया, जहां हालत बिगड़ने पर उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
एसपी ने पत्रकारों से कहा, "हमें मृतक के परिवार के सदस्यों से एक शिकायत मिली है जिसमें उन्होंने कथित रूप से दो उप-निरीक्षकों पर अत्याचार का आरोप लगाया हैं। शिकायत का सत्यापन किया जा रहा है जिसके आधार पर हम एक प्राथमिकी भी दर्ज करेंगे।"
पुलिस अधीक्षक ने कहा, सबसे पहले हमने एसएचओ लालगंज, हरी शंकर प्रजापति को पुलिस स्टेशन पर 24 घंटे से अधिक गैरकानूनी हिरासत में रखने का आरोपी पाया, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया है।"
रायबरेली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है।
नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)| भारत ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो क्षेत्र में यथास्थिति बदलने के लिए चीनी सेना द्वारा की जा रही घुसपैठ को नाकाम कर दिया है। हालांकि दोनों पक्षों की ओर से सैनिकों के हताहत होने की पुष्टि होनी बाकी है। मुद्दे को हल करने के लिए चुशुल में एक ब्रिगेड कमांडर-स्तर की मीटिंग चल रही है। बता दें कि यह घटना शनिवार और रविवार की रात की है। अब चीन और भारत पूर्वी लद्दाख में विवादित सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य वार्ता में लगे हुए हैं।
भारतीय सेना द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है कि 29 अगस्त और 30 अगस्त, 2020 की रात पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में पिछली आम सहमति का उल्लंघन किया और उसने यथास्थिति को बदलने के लिए सैन्य घुसपैठ भी की।
सेना ने कहा, "भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग झील के पास पीएलए की गतिविधि को नाकाम कर दिया। साथ ही हमारी स्थिति मजबूत करने और चीनी इरादों को विफल करने के लिए भी उपाय किए।"
भारतीय सेना ने यह भी कहा कि वे बातचीत के माध्यम से शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए भी वे समान रूप से ²ढ़ हैं।
वहीं, चीन ने पैंगोंग सो के उत्तर में अपनी वर्तमान सैन्य स्थिति से पीछे हटने से इनकार कर दिया है। साथ ही पैंगॉन्ग सो में चीन ने फिंगर -5 और 8 के बीच अपनी स्थिति को मजबूत किया है। जबकि पीएलए मई के शुरूआत से ही फिंगर -4 से लेकर फिंगर -8 तक के कब्जे वाले 8 किलोमीटर के क्षेत्र में पीछे हटने से इनकार कर चुका है।
जबकि भारत ने चीन से कहा है कि वह पैंगोंग सो से अपने सैनिकों को पूरी तरह से हटा ले।
दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लगभग चार महीने से गतिरोध बना हुआ है। कई स्तरों की बाचतीच के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली और अब भी यहां गतिरोध जारी है।
भारत को यह भी पता चला है कि चीनी पक्ष ने एलएसी - पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) और पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश) के तीन क्षेत्रों में सेना, तोपखाने और ऑर्मर का निर्माण शुरू कर दिया है।
इतना ही नहीं चीन ने उत्तराखंड के लिपुलेख र्दे के पास भी अपने सैनिक इकट्ठे कर लिए हैं, जो कि भारत, नेपाल और चीन के बीच कालापानी घाटी में स्थित है। भारत ने चीन से पैंगोंग झील और गोगरा से सेनाएं हटाने का आग्रह किया था, जो उसने अब तक नहीं माना है। चीनी सैनिक डेपसांग में भी मौजूद हैं।
चीन ने एलएसी पर विभिन्न स्थानों पर स्थिति बदली है और वह भारतीय क्षेत्र के अंदर की ओर बढ़ रहा है। भारत ने इस पर आपत्ति जताई है और इस मामले को सभी स्तरों पर उठा रहा है।
बात दें कि इससे पहले 15 जून को, गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन ने अपने हताहतों की संख्या नहीं बताई है।
चीनी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर और विशेष रूप से गलवान घाटी में 5 मई से ही चढ़ाई करनी शुरू कर दी थी।
मनोज पाठक
मुजफ्फरपुर, 31 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार में बाढ़ प्रभावित इलाकों में नदियों का पानी कम होने तथा गांवों से पानी की निकासी के बाद लोग अब अपने घरों को लौटने लगे हैं, लेकिन उनकी मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। कई क्षेत्रों में अभी दुर्गंध आ रही है तो कई इलाकों में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। इस बीच लोगों को अब कोरोना सहित अन्य बीमारियों का डर सताने लगा है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों का कहना है कि इन इलाकों में घरों के साथ शौचालय भी पानी में डूबे रहते हैं। लोग विभिन्न इलाकों में शरण लिए हुए रहते हैं और खुले में शौच करते हैं। बाढ़ उतरने के बाद बीमारी के फैलने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
मुजफ्फरपुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता पंकज कुमार कहते हैं कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ में खुले में शौैच का पानी भूमिगत जल में मिल जाता है, जिससे बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
चिकित्सकों का भी मानना है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बीमारियों की आशंका बनी रहती है। पटना के जाने माने चर्मरोग विशेषज्ञ डॉ़ अमित कुमार कहते हैं कि बाढ़ के दौरान गंदे पानी में बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जिस कारण लोगों को कई प्रकार के त्वचा रोग हो जाते हैं। उन्होंने पानी को उबालकर पीने की सलाह दी है और कहा कि नीम में पत्ती डालकर उसे उबाल लें और फिर उस पानी से स्नान करें। उन्होंने कहा कि नारियल पानी या स्वच्छ पानी का उपयोग कर सकते हैं।
मुजफ्फरपुर के चिकित्सक डॉ़ आरोही कुमार कहते हैं कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पानी उतरने के बाद बीमारियों की आशंका बनी रहती है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में सफाई व स्वच्छता के अभाव में डायरिया और विभिन्न संक्रामक रोगों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। इस समय स्वच्छ, उबला हुआ पानी पीकर बीमार होने से बचा जा सकता है।
उन्होंने कहा, "बाढ़ से उबरे क्षेत्रों में गैस्ट्रोइंट्रोटाइटिस, मलेरिया, टाइफाइड, डायरिया, नेत्र और चर्मरोग जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं।"
इस बीच स्वास्थ्य विभाग भी बीमारी की आशंका को देखते हुए एहतियाती कदम उठा रहा है। बाढ़ प्रभावित मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि मच्छरजनित बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए फॉॅगिंग शुरू करा दी गई है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में हेल्थ चेकअप शिविर लगाए जा रहे हैं तथा ओआरएस का वितरण किया जा रहा है।
इधर, बाढ़ प्रभावित गोपालगंज जिला के स्वास्थ्य विभाग के योजना प्रबंधक धीरज कुमार ने आईएएनएस को बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में चूना, ब्लीचिंग पाउडर डाला जा रहा है तथा सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ब्लीचिंग पाउडर, बैमेक्सिन, चूना और जरूरी दवाएं स्टॉक की गई हैं।
उन्होंने कहा कि ओआरएस और जिंक का वितरण किया जा रहा है। साथ ही बाढ़ के दौरान सभी इलाकों में हेल्थ शिविर गए गए थे।
उल्लेखनीय है कि बिहार के मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गोपालगंज, खगड़िया सहित 16 जिलों में नदियां उफान पर रहीं और 130 प्रखंड बाढ़ प्रभावित हुए।
नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)| पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की सोमवार को तबीयत और बिगड़ गई। आर्मी रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल ने कहा है कि फेफड़ों के संक्रमण के कारण वह सेप्टिक शॉक में हैं। मुखर्जी पिछले 21 दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। ब्रेन सर्जरी के बाद से ही उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।
अस्पताल के अधिकारियों ने कहा, "कल से प्रणब मुखर्जी की चिकित्सा स्थिति में गिरावट आई है।"
डॉक्टरों ने आगे बताया कि वह फेफड़ों में संक्रमण के कारण सेप्टिक शॉक में हैं। विशेषज्ञों की एक टीम लगातार उनकी निगरानी कर रही है।
अधिकारियों ने आगे कहा, "वह डीप कोमा में हैं और वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।"
मुखर्जी की स्वास्थ्य की स्थिति में पिछले हफ्ते थोड़ा सुधार हुआ था लेकिन फेफड़े में संक्रमण होने के बाद उनकी स्थिति फिर बिगड़ गई।
मुखर्जी को जब 10 अगस्त को एक इमरजेंसी सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तब उनका कोविड-19 परीक्षण भी पॉजिटिव आया था। तब से उसकी स्वास्थ्य स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।
नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)| राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को कहा कि इसने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंजेलीजेंस (आईएसआई) के लिए काम करने वाले एक शख्स को गुजरात के कच्छ से गिरफ्तार किया है। एनआईए के एक प्रवक्ता ने यहां कहा कि उन्होंने रविवार को उत्तर प्रदेश के एक रक्षा/आईएसआई मामले की जांच के सिलसिले में आरोपी व्यक्ति रजक भाई कुंभार को पश्चिम कच्छ से गिरफ्तार किया। एनआईए द्वारा उसके घर की तलाशी लेने के चार दिन बाद उसकी गिरफ्तारी की गई।
एनआईए के प्रवक्ता के अनुसार, कुंभार मुंद्रा डॉकयार्ड में सुपरवाइजर के रूप में काम करता था, जब उसे आईएसआई के लिए काम करते पाया गया। यह मामला उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के निवासी मोहम्मद राशिद की गिरफ्तारी से संबंधित है।
एनआईए ने इस साल 6 अप्रैल को भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। प्रवक्ता ने कहा कि जांच के दौरान, यह पता चला कि आरोपी राशिद पाकिस्तान में रक्षा/आईएसआई संचालकों के संपर्क में था और दो बार पाकिस्तान का दौरा कर चुका था।
राशिद ने भारत के कुछ संवेदनशील और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की तस्वीरें भी ट्रांसमिट की थीं और पाकिस्तान के आईएसआई संचालकों के साथ सशस्त्र बलों की गतिविधि के बारे में जानकारी साझा की थी।
एनआईए के प्रवक्ता ने कहा कि जांच में पता चला है कि कुंभार ने आईएसआई एजेंट के रूप में काम किया और पेटीएम के माध्यम से 5,000 रुपये की राशि एक शख्स रिजवान के खाते में ट्रांसफर की जिसे आगे मुख्य आरोपी राशिद को सौंप दिया गया। अधिकारी ने कहा, "यह राशि राशिद द्वारा आईएसआई एजेंटों को दी गई जानकारी के एवज में आईएसआई संचालकों के निर्देश पर रजकभाई कुंभार द्वारा राशिद को ट्रांसफर की गई।"
एनआईए ने 27 अगस्त को कुंभार के घर की तलाशी ली थी और कई दस्तावेजों को जब्त किया गया था।
नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भगोड़े कारोबारी टाइकून विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। माल्या ने साल 2017 के फैसले, जिसमें उन्हें कोर्ट की अवमानना के लिए दोषी ठहराया गया था, उसकी समीक्षा के लिए याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अवमानना का दोषी ठहराया था, क्योंकि माल्या ने अपनी संपत्ति का सटीक हिसाब नहीं दिया था और पैसे अपने बच्चों को ट्रांसफर कर दिया था।
माल्या को अपने खाते से चार करोड़ डॉलर निकाल कर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने का भी दोषी पाया गया है। गौरतलब है कि कोर्ट के आदेश के अनुसार माल्या पर पैसों की निकासी को लेकर प्रतिबंध लगाया गया है।
कोर्ट में सोमवार को न्यायाधीश यू.यू. ललित और विनीत सरन की पीठ ने समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश माल्या द्वारा 14 जुलाई, 2017 के फैसले के खिलाफ दायर एक समीक्षा याचिका पर आया है। माल्या को बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद बैंकों को 9,000 करोड़ रुपये का भुगतान न किए जाने का अवमानना का दोषी पाया गया था।
वहीं 19 जून को सुप्रीम कोर्ट ने माल्या की अपील के संबंध में उसकी रजिस्ट्री से स्पष्टीकरण मांगा था।
पीठ ने कहा कि इससे पहले के रिकॉर्ड के अनुसार, समीक्षा याचिका पिछले तीन सालों से कोर्ट में सूचीबद्ध नहीं थी।
नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)| भारत की पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट एस. पद्मावती का कोरोनावायरस के कारण निधन हो गया है। वह 103 साल की थीं। पद्मावती बीते 11 दिनों से कोरोना से लड़ रहीं थी लेकिन अंतत: वह हार गईं। दिल्ली के नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के सीईओ ओपी यादव ने एक बयान में रविवार को कहा, "हमारी अपनी मैडम पद्मवती अब हमारे बीच नहीं रहीं। उन्होंने कोरोना से बहादुरी से लड़ाई की लेकिन वह 29 अगस्त को रात 11.09 बजे हमें छोड़कर चली गईं।"
नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट द्वारा जारी एक अन्य बयान के मुताबिक पद्मावती को बुखार और सांस लेने की तकलीफ के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था।
देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान-पद्मविभूषण से नवाजी जा चुकीं मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट पद्मावती ने ऑल इंडिया हार्ट फाउंडेशन के नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट की स्थापना की थी। उन्होंने लम्बे समय तक इस इंस्टीट्यूट के निदेशक और अध्यक्ष पद पर काम किया।
20 जून, 2017 के म्यांमार में जन्मीं पद्मावती ने रंगून मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री ली थी। दूसरे विश्व युद्ध के कारण उन्हें देश छोड़ना पड़ा था और इसके बाद वह भारत में बस गईं।
पद्मावती ने अपना पोस्ट ग्रेजुएट ब्रिटेन से किया और स्वीडन तथा जॉन्स हापकिंस हॉस्पीटल तथा हावर्ड यूनिवर्सिटी में कॉर्डियोलॉजी की पढ़ाई की।
भारत आने के बाद पद्मावती ने मेडिसीन के लेक्चरर के रूप में नई दिल्ली स्थित लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज ज्वाइन किया और फिर प्रोफेसर तथा हेड ऑफ डिपार्टमेंट बनीं।
इसके बाद वह मौलाना आजाद कॉलेज की निदेशक प्रींसिपल बनीं और फिर गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग में कन्सल्टेंट और निदेशक रहीं।
1967 में पद्म भूषण पाने के अलावा 1992 में पद्मावती को पद्मविभूषण मिला। 2003 में पद्मावती को हावर्ड मेडिकल इंटरनेशनल अवार्ड मिला। इससे पहले 1975 में उन्हें बीसी रॉय अवार्ड दिया गया था।
नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर एक बार फिर तीखा हमला बोला है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने पिछले छह वर्षों में देश की असंगठित अर्थव्यवस्था पर हमला किया है और लोगों को गुलाम बनाने की कोशिश की है। उन्होंने अपने तर्क को स्पष्ट करने के लिए तीन उदाहरण सामने रखे, जिसमें नोटबंदी, त्रुटिपूर्ण जीएसटी और कोविड के कारण लागू किया गया लॉकडाउन शामिल है और साथ ही कहा कि इन तीनों फैसलों का उद्देश्य 'इनफॉर्मल सेक्टर्स को खत्म करना' था।
गांधी ने 'अर्थव्यवस्था की बात' के एक नई वीडियो सीरीज में कहा, "भाजपा सरकार ने पिछले छह वर्षों में असंगठित अर्थव्यवस्था पर कई बार हमला किया है और आपको गुलाम बनाने का प्रयास किया जा रहा है।"
करीब 3 मिनट, 38 सेकंड के वीडियो में गांधी ने पिछले 45 वर्षों की तुलना में वर्तमान में बेरोजगारी दर को सबसे अधिक बताया। वीडियो में वह बोल रहे हैं, "अनौपचारिक क्षेत्र (इनफॉर्मल सेक्टर्स) में 40 करोड़ से अधिक मजदूर अत्यधिक गरीबी में फंसे हुए हैं। पिछले चार महीनों में करीब दो करोड़ लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं।"
50 वर्षीय नेता ने कहा, "अनौपचारिक क्षेत्र में लाखों और करोड़ों रुपये हैं, जिन्हें वे छू भी नहीं सकते। वे इसे तोड़ कर और अंदर घुसकर पैसा निकालना चाहते हैं। इसका परिणाम यह होगा कि भारत रोजगार सृजन नहीं कर पाएगा, क्योंकि 90 प्रतिशत रोजगार अनौपचारिक क्षेत्र में ही सृजित होते हैं।"
गांधी ने कहा कि जिस दिन अनौपचारिक क्षेत्र खत्म हो जाएगा, भारत रोजगार सृजन नहीं कर पाएगा। उन्होंने आगे कहा, "आपके (लोगों से) खिलाफ एक साजिश रची जा रही है। आपको गुलाम बनाने के लिए आपको धोखा दिया जा रहा है। पूरे देश को इसके खिलाफ लड़ना होगा।"
उन्होंने आगे कहा कि, साल 2008 में जब सभी देश मंदी के दौर से गुजर रहे थे, तब भारत को इससे परेशानी नहीं हुई थी, क्योंकि तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी।
भोपाल, 31 अगस्त (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने चुनाव में ईवीएम के उपयोग पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि अगर मतपत्र की तरफ वापस नहीं लौटे तो वर्ष 2024 में होने वाला संसद का चुनाव आखिरी चुनाव हो सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने सोमवार को ट्वीट करते हुए ब्रिटिश लेखक केरोल जेने केडवाल्डर के बयान पर सहमति जताते हुए कहा, आप बिलकुल सही कह रही हैं मैडम, भारत में ईवीएम टेक्नोलॉजी के माध्यम से संसद चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली करके भारतीय लोकतंत्र को नष्ट किया जा रहा है। वर्ष 2024 के संसद (लोकसभा) का चुनाव भारत का आखिरी चुनाव हो सकता है। अगर हम भारतीय, मतपत्र के लिए वापस जाने के लिए नहीं उठते हैं।
ब्रिटिश लेखक केरोल जेने केडवाल्डर के उस बयान को भी दिग्विजय सिंह ने टैग किया है जिसमें वे कह रही हैं कि फेसबुक एक घातक वैश्विक शक्ति है जो उदार लोकतंत्र को नष्ट कर रही है।
डालटनंगज, 31 अगस्त (आईएएनएस)| झारखंड के बरकाकाना-डालटनगंज रेलखंड के केचकी रेलवे स्टेशन के पास सोमवार को एक ट्रेन से टकराने से पांच हिरणों की मौत हो गई। सभी हिरण बेतला नेशनल पार्क के बताए जा रहे हैं। घटानास्थल पर पहुंचे बेतला नेशनल पार्क के सहायक निदेशक कुमार आषीष ने आईएएनएस को बताया कि सुबह साढे पांच से छह बजे के बीच बेतला नेशनल पार्क से कई हिरण केचकी रेलवे स्टेशन के पास पहुंच गए थे, उसी दौरान गुजरने वाली एक ट्रेन की टक्कर से पांच हिरणों की मौत हो गई।
उन्होंने बताया कि मृतक हिरणों में एक नर और चार मादा हैं, जिसमें एक नवजात हिरण भी शामिल है। उन्होंने कहा कि बेतला नेशनल पार्क के कोर इलाके से रेलवे लाईन गुजरती है, जिससे इस तरह की घटनाएं घटती रहती हैं।
उन्होंने बताया कि रेलवे से सुबह साढे पांच से साढे छह बजे के बीच इस क्षेत्र से गुजरने वाली सभी ट्रेनों का ब्योरा मांग गया है, जिसके मिलने के आधर पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी पहुंच गए हैं।
लखनऊ, 31 अगस्त (आईएएनएस)| कानपुर पुलिस ने राज्य में दो लोगों को 'लव जिहाद' मामले में गिरफ्तार किया है। रविवार की रात गिरफ्तार हुए दोनों लोगों की पहचान मोहसिन खान और आमिर के रूप में हुई है। पुलिस ने बताया कि मोहसिन खान ने खुद को समीर बताते हुए एक लड़की से दोस्ती की और फिर उससे शादी की।
वहीं, उसके दोस्त आमिर ने मोहसिन की पत्नी की छोटी बहन के साथ दोस्ती कर ली, लेकिन उस लड़की को उनकी योजना का अंदाजा हो गया। लिहाजा उसने आमिर से मिलना बंद कर दिया। जबकि आमिर से शादी न करने पर उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी तक दी गई थी।
लड़कियों के पिता ने इस मामले की जांच के लिए कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) मोहित अग्रवाल से संपर्क किया था। इसके बाद आईजी ने मामले की जांच के लिए दक्षिण के पुलिस अधीक्षक दीपक भुकर की अगुवाई में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया।
इस मामले में पनकी पुलिस स्टेशन में केस भी दर्ज किया गया और रविवार की शाम मोहसिन खान और आमिर को गिरफ्तार कर लिया गया।
आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि एसआईटी अब इसी तरह के अन्य मामलों की भी जांच करेगी। उन्होंने कहा, "एसआईटी ऐसे मामलों की एक सूची तैयार कर रही है, वो भी विशेष रूप से जूही क्षेत्र की। मोबाइल सर्विलांस के माध्यम से हम पता लगाएंगे कि क्या कोई गिरोह या संगठन है जो ऐसे मामलों के पीछे है। ऐसे मामलों को लेकर हम बहुत सख्त होने जा रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि उन्होंने छह कारों से शुरुआत की थी और इसे 100 कारों के कारोबार में बदल दिया, जो अब आग के हवाले हो चुकी हैं।
केनोशा न्यूज के अनुसार, परिवार के लिए गो फंड मी पर एक 'क्राउड सोर्सिग फंडरेजर' बनाया गया है, जहां जनता धनराशि दान दे सकती है।
यूपी में चल रही नियम संशोधन की तैयारी...
यूपी (UP) में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Election) को लेकर सूबे की योगी सरकार (Yogi Government) बड़ा फैसला कर सकती है. बताया जा रहा है कि ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के चनावों को लेकर योगी सरकार बड़ा संशोधन करने की तैयारी कर रही है. दरअसल, जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों के पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकती है. इसके साथ ही उम्मीदवारों के न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता भी निर्धारित करने की योजना पर काम किया जा रहा है. यूपी कैबिनेट के माध्यम से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी जा सकती है.
बता दें कि यूपी के पंचायती राज्य मंत्री खुद इसके पक्षधर हैं. इसके अलावा केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान समेत अन्य नेता भी इस बाबत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख चुके हैं. सूत्रों की मानें तो उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता को लेकर भी दिशा निर्देश तय किए जा रहे हैं, हालांकि इस मामले में आखिरी फैसला मुख्यमंत्री को ही लेना है. सूत्रों के मुताबिक पंचायत चुनावों के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता भी तय की जा सकती है. ग्राम पंचायत चुनाव में महिला और आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 8वीं पास हो सकती है. वहीं कम से कम 12वीं पास उम्मीदवार ही जिला पंचायत सदस्य का चुना लड़ सकेंगे.
जिला पंचायत के लिए महिला, आरक्षित वर्ग और क्षेत्र पंचायत के लिए न्यूनतम 10वीं पास होने पर सरकार में सहमति भी बन चुकी है. इसे लेकर पंचायती राज एक्ट में संशोधन के लिए बहुत जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जा सकता है. सूत्रों द्वारा आ रही जानकारी के मुताबिक, विधानसभा के अगले सत्र में पेश पंचायतीराज संशोधन कानून से संबंधित विधेयक पेश हो सकता है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में इसी साल दिसंबर में पंचायत चुनाव होने थे, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने इन्हें छह महीने के लिए आगे बढ़ा दिया है. अब अप्रैल 2021 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने है. इसी को देखते हुए सरकार ने नया कानून लागू करने की कवायद शुरू कर दी है.(catch)
श्रीनगर, 31 अगस्त (आईएएनएस)| श्रीनगर के बेमिना और जदीबाल क्षेत्रों में सुरक्षाबलों द्वारा मुहर्रम पर निकाले गए जुलूसों पर गोलियां चलाने और आंसू के गोले दागने के बाद कई लोगों के घायल होने की जानकारी सामने आई है। वहीं पुलिस का भी कहना है कि पत्थरबाजी में उसके 15 से अधिक कर्मी घायल हुए हैं। सोशल मीडिया पर पैलेट फायरिंग में घायल हुए कुछ लोगों की तस्वीरें काफी वायरल हो रही हैं।
बेमिना में घटित शनिवार की घटना में घायल एक व्यक्ति सुहैल ने कहा कि पुलिस ने शांतिपूर्ण जुलूस पर पैलेट फायरिंग की।
उन्होंने कहा, "जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से निकाला गया था। मैं भी पैलेट और रबर की गोली से घायल हुआ हूं।"
इसी बीच पुलिस ने रविवार को एक बयान में कहा कि श्रीनगर में दर्जनों स्थानों पर मुहर्रम के जुलूस निकाले गए और कोविड-19 महामारी के कारण जुलूसों की अनुमति नहीं होने की बात बताए जाने पर कुछ स्थानों पर जुलूस में शामिल लोगों ने पथराव भी किया।
पुलिस के अनुसार, इस तरह के अधिकांश जुलूस शांति से पीछे हट गए, लेकिन कुछ स्थानों पर लोगों ने पुलिस को धकेलना शुरू कर दिया और पथराव भी किया।
पुलिस ने कहा, "पथराव के दौरान 15 से अधिक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए, उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया है।"
पुलिस ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और जांच की जा रही है।
यूपी में चल रही नियम संशोधन की तैयारी...
यूपी (UP) में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Election) को लेकर सूबे की योगी सरकार (Yogi Government) बड़ा फैसला कर सकती है. बताया जा रहा है कि ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के चनावों को लेकर योगी सरकार बड़ा संशोधन करने की तैयारी कर रही है. दरअसल, जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों के पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकती है. इसके साथ ही उम्मीदवारों के न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता भी निर्धारित करने की योजना पर काम किया जा रहा है. यूपी कैबिनेट के माध्यम से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी जा सकती है.
बता दें कि यूपी के पंचायती राज्य मंत्री खुद इसके पक्षधर हैं. इसके अलावा केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान समेत अन्य नेता भी इस बाबत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख चुके हैं. सूत्रों की मानें तो उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता को लेकर भी दिशा निर्देश तय किए जा रहे हैं, हालांकि इस मामले में आखिरी फैसला मुख्यमंत्री को ही लेना है. सूत्रों के मुताबिक पंचायत चुनावों के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता भी तय की जा सकती है. ग्राम पंचायत चुनाव में महिला और आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 8वीं पास हो सकती है. वहीं कम से कम 12वीं पास उम्मीदवार ही जिला पंचायत सदस्य का चुना लड़ सकेंगे.
जिला पंचायत के लिए महिला, आरक्षित वर्ग और क्षेत्र पंचायत के लिए न्यूनतम 10वीं पास होने पर सरकार में सहमति भी बन चुकी है. इसे लेकर पंचायती राज एक्ट में संशोधन के लिए बहुत जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जा सकता है. सूत्रों द्वारा आ रही जानकारी के मुताबिक, विधानसभा के अगले सत्र में पेश पंचायतीराज संशोधन कानून से संबंधित विधेयक पेश हो सकता है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में इसी साल दिसंबर में पंचायत चुनाव होने थे, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने इन्हें छह महीने के लिए आगे बढ़ा दिया है. अब अप्रैल 2021 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने है. इसी को देखते हुए सरकार ने नया कानून लागू करने की कवायद शुरू कर दी है.(catch)
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की हत्या, उनकी असुरक्षा और बंदूक के स्वामित्व के आंकड़ों पर एक भाजपा विधायक के विधानसभा में पूछे एक प्रश्न के जवाब में उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को एक पत्र भेजकर हथियार लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवेदन करने वाले ब्राह्मणों की संख्या के बारे का विवरण मांगा था. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार राज्य के गृह विभाग के अंडर सेक्रेटरी प्रकाश चंद्र अग्रवाल द्वारा हस्ताक्षरित यह पत्र 18 अगस्त को भेजा गया था, जिसमें 21 अगस्त तक जिलों से यह विवरण देने को गया था.
पत्र में कहा गया है कि देवमणि द्विवेदी (सुल्तानपुर के लम्भुआ से बीजेपी विधायक) ने 16 अगस्त को यूपी विधानसभा के प्रधान सचिव (प्रदीप दुबे) को विधानसभा के नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार एक प्रश्न भेजा था. पत्र में गृह मंत्री से यह जानकारी मांगी गई है. द्विवेदी ने सरकार से पूछा था कि पिछले तीन सालों में राज्य में कितने ब्राह्मण मारे गए. कितने हत्यारे गिरफ्तार किए गए, कितने दोषी ठहराए गए और ब्राह्मणों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार की योजनाएं क्या हैं.
उन्होंने पूछा था कि क्या सरकार प्राथमिकता के आधार पर ब्राह्मणों को शस्त्र लाइसेंस प्रदान करेगी. कितने ब्राह्मणों ने शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन किया और उनमें से कितने को लाइसेंस जारी किया गया. रिपोर्ट के अनुसार संपर्क करने पर विधानसभा के प्रधान सचिव प्रदीप दुबे ने कहा "हमने सरकार से इस तरह की कोई जानकारी नहीं ली थी और ऐसा कोई सवाल स्वीकार नहीं किया गया था." द्विवेदी ने भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
पिछले महीने ब्राह्मण मुद्दे पर कई विपक्षी नेता राज्य सरकार के आलोचक रहे हैं. पिछले महीने कानपुर में गैंगस्टर विकास दुबे की 10 जुलाई को हुई हत्या के बाद इसे राजनीतिक गति मिली. घटना में दुबे के पांच सहयोगी मारे गए थे. राज्य के ब्राह्मण मतदाताओं का लगभग 10 फीसदी हिस्सा एक प्रभावशाली वोट बैंक का गठन करते हैं. सभी पार्टियां उन्हें लुभाने की कोशिश करती हैं. इस महीने की शुरुआत में बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि अगर वह सत्ता में होते तो उनकी पार्टी भगवान परशुराम के नाम पर अस्पतालों का निर्माण करेगी.
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी घोषणा की थी कि वह परशुराम की 108 फुट ऊंची प्रतिमा का निर्माण करेंगे. हाल ही में आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि ब्राह्मण राज्य में उत्पीड़न महसूस कर रहे हैं और सत्तारूढ़ भाजपा से संबंधित समुदाय के विधायक भी नाखुश हैं. नतीजतन, संजय सिंह के खिलाफ यूपी के कई जिलों में दुश्मनी को बढ़ावा देने और राज्य में शांति भंग करने की कोशिश के आरोप में एफआईआर दर्ज की गईं.(catch)
नई दिल्ली: सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर कहा है कि समिति जम्मू कश्मीर में इंटनेट सेवाओं से जुड़े मामलों को उठा सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि थरूर ने अपने पत्र में कहा है कि कश्मीर से जुड़ा इंटरनेट का मामला अब अदालत में लंबित नहीं है.
सूत्रों ने यह भी बताया है कि दो सितंबर को होने वाली समिति के बैठक के एजेंडे से जम्मू कश्मीर हटा दिया गया है, लेकिन समिति के सदस्य इस मामले पर भी चर्चा करेंगे.
इससे पहले 25 अगस्त को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला द्वारा संसदीय समितियों की बैठकों में न्यायालय में विचाराधीन मामलों को नहीं लेने का सुझाव दिए जाने के कुछ दिन बाद सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पर संसदीय समिति ने बीते शुक्रवार को अपने एजेंडे से जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सेवा के निलंबन के विषय को हटा लिया था.
सूत्रों के अनुसार, शशि थरूर ने बताया था कि इंटरनेट का मामला अब अदालत में लंबित नहीं है.
मालूम हो कि न्यायालय ने 11 मई को जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने की याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार करते हुए इस मुद्दे पर विचार करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में ‘विशेष समिति’ के गठन का आदेश दिया था.
इसके बाद बीते 16 अगस्त को जम्मू कश्मीर के उधमपुर और गांदेरबल जिले में साल भर प्रतिबंध के बाद ट्रायल के आधार पर 4जी सेवा बहाल की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की ओर दबाव पड़ने के बाद थरूर को समिति की बैठक में बातचीत के एजेंडे में बदलाव कर जम्मू कश्मीर का नाम राज्यों की सूची से हटाना पड़ा, जहां से अधिकारियों को सबूत देने के लिए बुलाया जाना है.
सूत्रों ने बताया कि समिति गृह मंत्रालय के अधिकारियों से जम्मू कश्मीर में दूरसंचार और इंटरनेट सेवाओं के मुद्दे पर सबूत लेगी.
बहरहाल, लोकसभा सचिवालय द्वारा बीते शुक्रवार को जारी नए एजेंडे के अनुसार, कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति अपनी बैठक में बिहार और दिल्ली में दूरसंचार या इंटरनेट सेवाओं के निलंबन पर चर्चा करेगी. पहले के एजेंडा में इसमें जम्मू कश्मीर भी शामिल था.
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले ऐसे कई उदाहरण उपलब्ध हैं जहां संसदीय समिति ने 2जी स्पेक्ट्रम, कोयला खदान आवंटन, अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर जैसे मामलों को अदालत में लंबित होने के बावजूद इसे उठाया है और समिति में इस पर चर्चा की गई है.
जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन के विषय को लेने तथा और फेसबुक इंडिया के अधिकारियों को बुलाने के लिए समिति के भाजपा सदस्यों ने थरूर की आलोचना की है.
दरअसल बीते 14 अगस्त को वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में फेसबुक की दक्षिण और मध्य एशिया प्रभार की पॉलिसी निदेशक आंखी दास ने भाजपा नेता टी. राजा सिंह के खिलाफ फेसबुक के हेट स्पीच नियमों को लागू करने का विरोध किया था, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे कंपनी के संबंध भाजपा से बिगड़ सकते हैं.
टी. राजा सिंह तेलंगाना विधानसभा में भाजपा के एकमात्र विधायक हैं और वह अपने सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ बयानों के लिए जाने जाते हैं.
अमेरिकी अख़बार की इस रिपोर्ट में फेसबुक के कुछ पूर्व और कुछ वर्तमान कर्मचारियों के हवाले से कहा गया था कि आंखी दास ने अपने स्टाफ को बताया कि मोदी के नेताओं द्वारा नियमों का उल्लंघन करने पर उन्हें दंडित करने से भारत में कंपनी की कारोबारी संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि भारत में फेसबुक की शीर्ष अधिकारी ने भाजपा नेता के अलावा अन्य ‘हिंदू राष्ट्रवादी लोगों और समूहों’ की नफरत भरी पोस्ट को लेकर उन पर फेसबुक के हेट स्पीच नियम लगाए जाने का विरोध किया था.
इस दावे के बाद समिति ने फेसबुक के अधिकारियों को बुलाने का फैसला किया.
इस बीच समिति के सदस्य भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया था कि थरूर को समिति के अध्यक्ष पद से हटाया जाए और किसी अन्य सदस्य को मनोनीत किया जाए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)(thewire)
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर एक पति को अपने कारनामों पर भरोसा नहीं हुआ. यहां एक महिला अपने पति के पासपोर्ट पर अपने प्रेमी को घुमाने ऑस्ट्रेलिया के टूर पर लेकर चली गई. इसके बाद जब वह वापस लौटी तो पत्नी के इस कारनामे को जानकार पति सन्न रह गया.
दरअसल, जब पत्नी अपने प्रेमी को ऑस्ट्रेलिया के टूर पर लेकर गई तो दुनिया में सबकुछ ठीक था. दोनों मार्च में इंडिया वापस लौटने वाले थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण दुनियाभर में विमानों के संचालन पर पाबंदी लग गई. इसके बाद वह दोनों वहीं फंस गए और उनकी हरकत का खुलासा हो गया.
जहां वह मार्च में इंडिया वापस आने वाले थे. वह दोनों भारत सरकार द्वारा अगस्त में विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए विशेष उड़ानें शुरू करने के बाद 24 अगस्त को वापस देश लौटे. इसके बाद महिला के पति ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
पीलीभीत के दामगढ़ी गांव के रहने वाली महिला के पति पिछले 20 वर्षों से मुंबई में काम करते हैं. उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उनकी पत्नी संदीप सिंह नामक एक स्थानीय नागरिक के साथ उनके पासपोर्ट का इस्तेमाल करते हुए ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की.
पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी पीलीभीत में रहती है और उसका अक्सर गांव आना-जाना रहता है. लेकिन 18 मई को जब वह अपने घर पहुंचा तो पत्नी उसे घर में नहीं मिली. इसके बाद संदीप के परिजनों से पता चला कि दोनों ऑस्ट्रेलिया घूमने गए हैं. पति ने कहा कि जिसके साथ उसकी पत्नी गई थी उसके पास पासपोर्ट नहीं था.(catch)
नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)| एक नाबालिग लड़की के साथ ऑनलाइन हैरेसमेंट के मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने ट्विटर के रवैये पर नाराजगी जताई है। कई रिमाइंडर के बाद भी संतोषजनक जवाब न मिलने पर आयोग ने ट्विटर के सीनियर मैनेजर (पॉलिसी) को समन जारी कर 4 सितंबर को उपस्थित होने को कहा है।
उपस्थित न होने पर आयोग ट्विटर इंडिया के खिलाफ एकतरफा आर्डर पास कर कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है। आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो का कहना है कि चूंकि ऑनलाइन यौन उत्पीड़न का माध्यम ट्विटर बना है, इसलिए माइक्रो ब्लॉगिंग साइट इसमें जवाबदेह है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने रविवार को आईएएनएस से कहा, समन कर ट्विटर को जांच में सहयोग करने के लिए कहा गया है। अगर ट्विटर का कोई प्रतिनिधि 4 सितंबर को उपस्थित नहीं होता है तो फिर आयोग पूरे मामले की जांच कर एकतरफा कार्रवाई के लिए बाध्य होगा।
दरअसल, बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए आयोग को कई तरह के अधिकार मिले हैं। सिविल कोर्ट का पॉवर होने के कारण आयोग समन जारी कर सकता है।
कानूनगो ने बताया कि "अगर समन का कोई सम्मान नहीं करता है तो फिर आयोग जरूरत पड़ने पर धारा-16 का इस्तेमाल करते हुए मामले को संसद और सरकार को रिपोर्ट कर सकता है। इसके अलावा हाईकोर्ट को भी मामला भेजा जा सकता है। यहां तक कि आयोग सीआरपीसी 346 के तहत अभियोग चलाने के लिए मजिस्ट्रेट को भी केस भेज सकता है।
क्या है मामला?
दरअसल, एक वेबसाइट से जुड़े मोहम्मद जुबैर नामक ट्विटर यूजर ने बीते सात अगस्त को एक तस्वीर ट्वीट की थी। जिसमें एक पिता और उसकी नाबालिग बेटी की तस्वीर थी। आरोप है कि तस्वीर के ट्वीट करने के बाद ट्रोलर्स ने नाबालिग लड़की को दुष्कर्म आदि की धमकी दी। जिससे नाबालिग ऑनलाइन हैरेसमेंट का शिकार हुई।
इस मामले में नाबालिग और उसके पिता की ओर से राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग में गुहार लगाई गई। इसके बाद आठ, 11 और 19 अगस्त को आयोग ने ट्विटर को पत्र लिखकर संबंधित कंटेंट को हटाने का आदेश देते हुए संबंधित ट्विटर यूजर के खिलाफ हुई कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी थी।
25 अगस्त को ट्विटर की ओर से भेजे गए जवाब को आयोग ने संतोषजनक नहीं पाया। जिस पर बीते 26 अगस्त को ट्विटर को समन जारी किया गया है। आयोग ने रायपुर के एसएसपी अजय कुमार यादव को भी इस मामले में समन जारी कर 4 सितंबर को नई दिल्ली के जनपथ स्थित कार्यालय पर तलब किया है। आरोप है कि एसएसपी ने आयोग के कहने के बावजूद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
भुवनेश्वर, 31 अगस्त (आईएएनएस)| ओडिशा में आई बाढ़ से 20 जिलों में 17 लोगों की मौत हो गई है, जबकि इस बाढ़ में लगभग 14 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। इसकी जानकारी राज्य सरकार ने शनिवार को दी।
विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) के कार्यालय ने कहा कि कुल 112 ब्लॉक, 896 ग्राम पंचायत, 3,256 गांव, 21 शहरी स्थानीय निकाय और 75 वार्ड बाढ़ की स्थिति से प्रभावित हुए हैं।
बाढ़ से 20 जिला प्रभावित हुए हैं, जिसमें अंगुल, बालासोर, बरगढ़, भद्रक, बौध, कटक, धेनकनाल, जगतसिंहपुर, जाजपुर, झारसुगुड़ा, केंद्रपाड़ा, क्योंझर, खोर्धा, मयूरभंज, नयागढ़, नुआपाड़ा, पुरी, संबलपुर, सोनेपुर और सुंदरगढ़ शामिल है।
राज्य में आई बाढ़ के कारण 340 गांवो के लोग असहाय हो गए हैं, जबकि इससे 10,382 घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 1,68,904 हेक्टेयर फसल नष्ट हो गई है।
एसआरसी कार्यालय ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में 45 डॉक्टर और 42 पशु डॉक्टर, 14 राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), 17 ओडिशा आपदा रैपिड एक्शन फोर्स (ओडीआरएएफ), 22 अग्निशमन दल और 254 नावें तैनात की गई हैं।
पटना, 30 अगस्त। बिहार में विपक्षी दलों के लिए मजदूरों का पलायन एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है। वहीं विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज्य में नौकरियां पैदा करने में असमर्थ होने का नारा देते हुए इसका संकेत दे दिया है। तेजस्वी ने आरोप लगाते हुए कहा, "नतीजतन, हजारों किलोमीटर पैदल चलने वाले मजदूर अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करने वाले राज्यों की ओर वापस लौटने लगे हैं।"
जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव द्वारा नीतीश कुमार को दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद तेजस्वी का बयान आया है।
तेजस्वी ने कहा, "बिहार का विकास वर्तमान में पटना हवाईअड्डे पर नजर आ रहा है, जहां सैकड़ों मजदूर वापस जाने के लिए उड़ान भरने के लिए एकत्र हो रहे हैं। विकास उन गांवों में भी दिखाई दे रहा है, जहां हमारे कुशल मजदूरों को लेने के लिए दूसरे राज्यों के काम देने वाले नियोक्ता बसें भेज रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान ये मजदूर अपने घर तक पहुंचने के लिए हजारों किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं। क्या वापस घर आने पर वे थोड़े सम्मान और नौकरी के लायक नहीं हैं? दूसरे राज्यों के नियोक्ता बिहार के मजदूरों के लिए हवाई टिकट और बसें भेज रहे हैं। यह बिहार सरकार के दृष्टिकोण की स्पष्ट छवि दिखा रहा है।"
तेजस्वी ने दावा किया है कि करीब 40 लाख प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के दौरान घर लौटे हैं।
उन्होंने कहा, "नीतीश कुमार सरकार ने हर मजदूर के खाते में 1,000 रुपये जमा करने की घोषणा की थी। उनमें से 50 प्रतिशत सरकारी सहायता से वंचित थे। बिहार में 'डबल-इंजन' की सरकार है, लेकिन न तो राज्य और न ही केंद्र ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है।"
तेजस्वी ने आरोप लगाया, "नीतीश कुमार एक सम्मानित व्यक्ति हैं। मैं उनका व्यक्तिगत तौर पर सम्मान करता हं। लेकिन यह भी सच है कि वे झूठे भी हैं। उन्होंने कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के वास्तविक आंकड़ों को छिपाया। बिहार के 16 जिलों में 84 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित थे। मैंने इसका जिक्र कई बार किया और मुख्यमंत्री ने मात्र दो बार हवाई सर्वेक्षण किया है।"(IANS)
नयी दिल्ली, 30 अगस्त। कोविड-19 और लॉकडाउन के कारण बच्चों की प्रतिरक्षण की गतिविधियां बाधित हुई हैं। आंशिक अनलॉक के बाद की परिस्थिति में टीकारण और प्रतिरक्षण को एक अनिवार्य आवश्यकता मानते हुए बच्चों को हरसंभव रूप से सुविधाएं बहाल करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए दिल्ली में हर महीने प्रतिरक्षण शिविरों के आयोजन किया जाएगा। दिल्ली सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने राजधानी में आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से टीकाकरण और चिकित्सा सेवाओं की सुविधा को प्रदान करने के विषय पर एक समीक्षा बैठक की। इस बैठक में दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक के उपरांत दिल्ली महिला और बाल विकास मंत्री ने कहा, "कोविड-19 के दृष्टिगत आज सभी को स्वयं की और अपने आस-पास दूसरे व्यक्तियों की सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है। इस समय सावधानी और पूर्व उपायों के प्रबंधन को सर्वाधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए, लेकिन बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षित भविष्य के लिए बाल टीकाकरण कार्यक्रम भी अनिवार्य आवश्यकता है।"
उन्होंने कहा, "इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग को आशा (प्रत्यायित सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सहायता से टीकाकरण और प्रतिरक्षण कार्यक्रम को सभी आवश्यक सावधानियों के साथ आरंभ करने का निर्देश दिया गया है।"
दिल्ली सरकार सितंबर में टीकाकरण और प्रतिरक्षण कार्यक्रम की शुरूआत करेगी। इस कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता टीकाकरण के अभियान में चिकित्सा कार्यकर्ताओं को सहयोग प्रदान करेंगे। जबकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनवाड़ी सहायक राजधानी में टीकाकरण शिविरों के आयोजन और समन्वय के कार्य में दाइयों (एएनएम) और मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) की सहायता करेंगे। प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र में एक महीने में एक बार टीकाकरण शिविर आयोजित होगा।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी सहायक अपने क्षेत्र में प्रत्येक बच्चे के टीकाकरण को सुनिश्चित करेंगे। वे टीकाकरण शिविर के दौरान ऐसे बच्चों को जुटाएंगे, जिन्हें टीका लगना है। प्रत्येक बच्चे को टीका लगने के समय एक परिचर की उपस्थिति को सुनिश्चित किया जाएंगा। टीकाकरण कार्यक्रम के समय सभी आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ उचित शारीरिक दूरी बरतने का भी ध्यान रखा जाएगा।(IANS)