राष्ट्रीय
चेन्नई, 29 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोनावायरस पॉजिटिव पाए गए 48 वर्षीय मरीज के गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त फेफड़ों को चेन्नई के अस्पताल में डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक बदल दिया है। निजी अस्पताल ने अपने बयान में दावा किया है कि यह कोविड -19 पॉजिटिव मरीज के फेंफड़ों के प्रत्यारोपण का एशिया का पहला ज्ञात मामला है। वहीं लॉकडाउन होने के बाद अस्पताल में किया गया दूसरा फेफड़ा प्रत्यारोपण है।
अस्पताल ने कहा है कि दिल्ली का कोविड-19 मरीज फेफड़ों के गंभीर संक्रमण से पीड़ित था। कोविड -19 से संबंधित फाइब्रोसिस के कारण उनके फेफड़े गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए थे।
एमजीएम हेल्थकेयर के अनुसार मरीज का कोविड परीक्षण 8 जुलाई को पॉजिटिव आया था और उसके फेफड़ों का केवल एक छोटा हिस्सा ही काम कर रहा था। हालत बिगड़ने पर उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। बाद में उसे 20 जुलाई को गाजियाबाद के एमजीएम हेल्थकेयर से एयरलिफ्ट करके चेन्नई ले जाया गया।
वहां एक महीने से अधिक समय तक उसे ईसीएमओ सपोर्ट पर रखागया। बाद में डॉक्टरों ने उसके फेंफड़ों का प्रत्यारोपण करने का फैसला किया। 27 अगस्त को किए गए ट्रांसप्लांट का नेतृत्व कार्डियक साइंसेज के अध्यक्ष और निदेशक डॉ.के.आर. बालकृष्णन ने किया।
एमजीएम हेल्थकेयर ने कहा है, "ट्रांसप्लांट के बाद मरीज अच्छा है और वह अभी आईसीयू में है। उसके प्रत्यारोपित किए गए फेंफड़े अच्छे से काम कर रहे हैं।"
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोना काल के बीच देश में कई मुद्दों की भरमार के कारण इस बार संसद का मानसून सत्र हंगामेदार हो सकता है। विपक्ष सरकार की घेराबंदी करने की तैयारी मैं है तो सत्तापक्ष भी अलर्ट है। भाजपा मानसून सत्र को लेकर खास रणनीति बनाने में जुटी है। संसद सत्र के दौरान विपक्ष को बढ़त हासिल करने का भाजपा को कोई मौका नहीं देना चाहती। 14 सितंबर से शुरू होने जा रहे मानसूत्र सत्र को लेकर जल्द ही पार्टी कुछ बैठकें कर विपक्ष के संभावित हमलों को लेकर अपनी फुलप्रूफ रणनीति तैयार करेगी। यह जानकारी पार्टी सूत्रों ने दी है।
कोरोना, आर्थिक संकट, रोजगार, चीन से टकराव, बिहार में बाढ़, सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण, आगामी विधानसभा चुनाव सहित राजस्थान आदि कुछ राज्यों के सियासी घटनाक्रमों पर विपक्ष सरकार पर हमलावर हो सकता है। भाजपा भी मानसून सत्र में उठने वाले संभावित मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रही है। पार्टी के वे नेता इन विषयों पर पूरा होमवर्क करने में जुटे हैं, जो आमतौर पर भाजपा की तरफ से लोकसभा और राज्यसभा में मुखर होकर बोलते हैं। जिस तरह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के मसले पर पिछले साल सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने कांग्रेस पर करारा हमला बोला था, उस तर्ज पर मानसून सत्र में भी पार्टी विपक्ष पर हमला बोलने के लिए कुछ नए चेहरों को भी मौका दे सकती है।
भाजपा के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी और सांसद ने आईएएनएस से कहा, "हम तो चाहते ही हैं कि संसद में देश के सभी ज्वलंत मुद्दों पर बहस हो। कुछ नए सुझाव सामने आएं, जिससे देश की जनता के लिए संसद की उपयोगिता साबित हो। लेकिन, विपक्ष को किसी मुद्दे पर हंगामा करने की जगह विषयों पर सकारात्मक चर्चा पर ध्यान केंद्रित करना होगा, तभी संसद की बैठकों का अच्छा परिणाम सामने आ सकता है। जो भी मुद्दे उठेंगे, भाजपा पूरी तैयारी से उसका जवाब देगी।"
कांग्रेस भी मानसून सत्र को लेकर खास तैयारी में जुटी है। संसद के मानसून सत्र से पहले कांग्रेस की निवर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से लोकसभा और राज्यसभा के लिए पार्टी नेताओं की गईं नई नियुक्तियों से इसके संकेत मिलते हैं। सोनिया गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश को जहां राज्यसभा में मुख्य सचेतक नियुक्त किया है, वहीं गौरव गोगोई को लोकसभा में पार्टी का उपनेता और लुधियाना से सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को सचेतक बनाया है। हालांकि, पहले की तरह अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में और गुलाम नबी आजाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने रहेंगे।
कोरोना के कारण संसद का मानसून सत्र इस बार देरी का शिकार हुआ है। 14 सितंबर से एक अक्टूबर तक लगातार सत्र चलाने की तैयारी है। कोरोना के कारण विशेष इंतजामों के बीच मानसून सत्र का संचालन होगा। बताया जा रहा है कि सुबह और शाम की शिफ्टों में सत्र का संचालन हो सकता है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद भवन परिसर में आने वाले सभी सांसदों, उनके स्टाफ आदि का कोरोना टेस्ट भी अनिवार्य कर दिया है।
मुंबई, 29 अगस्त (आईएएनएस)| बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती मुंबई में अपने घर के बाहर शुक्रवार को हुए हो हल्ला के बाद सुशांत सिंह राजपूत मामले में दूसरे राउंड की पूछताछ के लिए शनिवार को सीबीआई के पास मुंबई पुलिस की सुरक्षा में पहुंची। उनसे शुक्रवार की देर रात तक सीबीआई ने करीब 10 घंटे तक पूछताछ की थी और अगले दिन फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया था।
जब वह शुक्रवार को अपनी पहली पूछताछ के लिए जा रही थी, तब वह बड़ी संख्या में मीडियाकर्मियों से घिर गई थीं, इस दौरान एक कांस्टेबल भी घायल हो गया।
इसके बाद रिया ने मांग की थी कि उनके और उनके परिवार को सांताक्रूज पूर्व में स्थित डीआरडीओ-आईएएफ कार्यालय परिसर और अपने सांताक्रूज जुहू स्थित घर के साथ अन्य स्थानों पर पीछा कर रहे पापराजी से पुलिस सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
एहतियात के तौर पर मुंबई पुलिस ने रिया को एक टीम मुहैया कराई है, ताकि वह सीबीआई टीम तक सुरक्षित रूप से पहुंच सके।
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)| साल 2007 में ग्लासगो हवाईअड्डे पर हुए हमले के संबंध में एनआईए के हाथ एक बड़ी सफलता लगी है। जांच एजेंसी ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक आतंकी को उस वक्त गिरफ्तार किया जब उसे सऊदी अरब से भारत लाया गया। अधिकारियों ने शनिवार को इसकी जानकारी दी।
जांच से जुड़े एनआईए के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, शबील अहमद को शुक्रवार देर रात भारत लाया गया।
एनआईए के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, अहमद साल 2010-11 में बेंगलुरु से सऊदी अरब चला गया था। साल 2007 में उसे इस हमले के सिलसिले में गिरफ्तार भी किया गया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
अधिकारी ने बताया कि अहमद ब्रिटेन एयरपोर्ट पर हुए हमले के मास्टरमाइंड काफिल अहमद का चचेरा भाई है।
एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि इसके अलावा साल 2015 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा दर्ज एक मामले में भी अहमद वांछित था और 12 जुलाई, 2016 को दिल्ली की एक अदालत द्वारा अपराधी घोषित किया गया था।
अगस्त 2017 में, भारतीय एजेंसियों द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप में मौजूद अलकायदा के संगठन (एक्यूआईएस) के एक अन्य सदस्य सैयद मोहम्मद जीशान अली को सऊदी अरब से यहां लाया था। यह माना जाता है कि उसकी शादी अहमद की ही बहन से हुई है।
अधिकारी ने कहा कि दिसंबर, 2015 में कटक के मौलवी अब्दुल रहमान संग कई अन्यों की गिरफ्तारी के साथ एक्यूआईएस के एक प्रमुख नेटवर्क का भंडाफोड़ स्पेशल सेल ने किया जिसके बाद भारत में अहमद की भूमिका की खबर लगी।
एजेंसी के अधिकारियों के मुताबिक, रहमान ने कथित तौर पर पुलिस को बताया था कि साल 2009 में अहमद संग बेंगलुरू में उसकी मुलाकात उस वक्त हुई थी जब वह ब्रिटेन से सजा काटकर लौटा था।
अधिकारी ने कहा कि अहमद को दिल्ली के एक अदालत में इसी दिन पेश किया जाएगा। उसे ट्रांजिट रिमांड पर आगे की जांच के लिए बेंगलुरु सहित अन्य स्थानों पर ले जाया जाएगा।
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)| राष्ट्रीय खेल दिवस पर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने देश की जनता से स्वस्थ रहने के लिए खेल और फिटनेस व्यायाम को अपने दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाने की भी अपील की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज, राष्ट्रीय खेल दिवस पर, हम मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि देते हैं, जिनकी हॉकी स्टिक के जादू को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। हमारे प्रतिभाशाली एथलीटों की सफलता के लिए परिवारों, कोच और सहयोगी कर्मचारियों के उत्कृष्ट सहयोग की सराहना करने का भी यह दिन है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, "भारत सरकार खेल को लोकप्रिय बनाने और भारत में खेल प्रतिभाओं को समर्थन देने के लिए कई प्रयास कर रही है। साथ ही, मैं सभी से खेल और फिटनेस व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने का आग्रह करता हूं। ऐसा करने के कई फायदे हैं। हर कोई खुश और स्वस्थ हो सकता है।"
भारतीय हाकी टीम के कप्तान रहने के दौरान ओलंपिक में देश को गोल्ड मेडल दिलाने वाले मेजर ध्यानचंद को इस खेल का जादूगर कहा जाता है। 29 अगस्त को हर साल उनकी जयंती देश में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस दौरान खेल जगत में मेजर ध्यानचंद के योगदान को याद किया जाता है।
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएएस)। आंध्र प्रदेश में सत्ता में आने के लिए अभिनेता पवन कल्याण की पार्टी जनसेना के साथ मिलकर बीजेपी काम करने में जुटी है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ शुक्रवार को हुई बैठक में अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को जनसेना पार्टी के साथ तालमेल कर काम करने पर जोर दिया। राष्ट्रीय महासचिव राम माधव, आंध्र प्रदेश के सह प्रभारी और नेशनल सेक्रेटरी सुनील देवधर, राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव आदि नेताओं के साथ दिल्ली में हुई बैठक में पार्टी को आंध्र प्रदेश में मजबूत करने पर चर्चा हुई।
नेताओं ने कहा कि आंध्र प्रदेश की जनता तेलगुदेशम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस की परिवारवाद और भ्रष्टाचार की राजनीति से ऊब चुकी है। जनता को बीजेपी ही नया विकल्प दे सकती है।
इस साल जनवरी में अभिनेता पवन कल्याण की नई पार्टी जनसेना के साथ बीजेपी ने गठबंधन किया था। बीजेपी को उम्मीद है कि जनसेना के साथ पार्टी का गठबंधन गुल खिलायेगा और पार्टी सत्ता में आने में सफल होगी। राज्य में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव 2024 में होने हैं।
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)| राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार को कहा कि उसने गुजरात में एक संदिग्ध के घर पर तलाशी ली, जिसने पाकिस्तानी जासूस को 5,000 रुपये पेटीएम किया है। एनआईए के प्रवक्ता ने यहां बताया कि एजेंसी ने गुरुवार को गुजरात के कच्छ जिले के निवासी रजकभाई कुंभार के घर पर तलाशी ली।
यह मामला उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के निवासी मोहम्मद राशिद की गिरफ्तारी से संबंधित है।
एनआईए ने इस साल 6 अप्रैल को भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।
प्रवक्ता ने कहा कि जांच के दौरान, यह पता चला कि आरोपी राशिद पाकिस्तान में रक्षा/आईएसआई संचालकों के संपर्क में था और दो बार पाकिस्तान का दौरा भी कर चुका था।
उसने भारत में कुछ संवेदनशील और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की तस्वीरें और आईएसआई संचालकों को सशस्त्र बलों के आवागमन की गुप्त जानकारी साझा की थी।
प्रवक्ता ने कहा, "जांच से पता चला है कि कुंभार रिजवान नाम के खाते में 5000 रुपये ट्रांसफर किया गया, जिसे बाद में राशिद को भेजा गया।"
एनआईए के प्रवक्ता ने कहा, आरोपी राशिद और कुंभार आईएसआई एजेंटों के निर्देश पर उन्हें जानकारी साझा करते थे।
कुंभार के घर पर तलाशी के दौरान एनआईए को एक संदिग्ध कागजात हाथ लगे हैं, जिन्हें जब्त कर लिया गया है।
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)| राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल अभियान को कुछ राज्यों में मुकाम नहीं मिल पा रहा है। इन्हीं राज्यों में नागालैंड शामिल है, जहां घरों को नल का कनेक्शन देने का टारगेट न तो पूरा हो सका है और न ही बजट खर्च हो पाया है। इस पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शुक्रवार को समीक्षा बैठक के दौरान नाराजगी और चिंता जताई। कोविड पॉजिटिव होने के कारण केंद्रीय मंत्री शेखावत ने अस्पताल से ही वर्चुअल मीटिंग में हिस्सा लिया। इस बैठक में नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो भी शामिल हुए।
समीक्षा बैठक के दौरान पता चला कि नागालैंड को वर्ष 2019-20 के लिए 56.49 करोड़ रुपये का बजट मिला था, मगर अब तक राज्य इस धनराशि का पूरी तरह उपयोग नहीं कर पाया है।
राज्य अपने हिस्से में से सिर्फ 4.67 करोड़ रुपये व्यय कर सका, जबकि राज्य के लिए अपने अंश में से 5.65 करोड़ रुपये खर्च करना जरूरी था।
चौंकाने वाली बात रही कि इस साल अभी तक 1.47 लाख कनेक्शन के लक्ष्य की तुलना में सिर्फ 2,950 घरों को ही नल कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं।
राज्य में योजना की धीमी प्रगति पर और बजट के कम खर्च पर केंद्रीय मंत्री ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने योजना में तेजी लाने की बात कही। जिस पर मुख्यमंत्री ने राज्य के ग्रामीण घरों को तेजी से नल कनेक्शन उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया।
15वें वित्त आयोग अनुदान के तहत नागालैंड को 125 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, इसमें से 50 प्रतिशत धनराशि पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता पर उपयोग करना जरूरी है।
यदि किसी स्थानीय निकाय ने अपनी एक श्रेणी की आवश्यकताओं को पूरा कर लिया है, तो वह कोष को किसी अन्य श्रेणी में इस्तेमाल कर सकता है। नागालैंड के कुल 3.68 लाख घरों में से सिर्फ 18,826 घरों यानी सिर्फ 5.1 प्रतिशत में नल कनेक्शन हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने मिशन मोड में काम करने का निर्देश दिया है।
भोपाल, 29 अगस्त (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उपचुनावों में मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार बनने लगे हैं क्योंकि बहुजन समाज पार्टी ने भी उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का फैसला कर लिया है।
राज्य में अब तक हुए उपचुनाव पर नजर दौड़ाएं तो एक बात साफ हो जाती है कि अब तक उप-चुनाव में मुकाबला सीधा भाजपा और कांग्रेस के बीच रहा है, मगर इस बार बसपा ने अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने का फैसला करके मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के संकेत दे दिए हैं।
बसपा ने उपचुनाव के लिए आठ उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। यह सभी आठ उम्मीदवार ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से हैं। राज्य में जिन 27 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव होने वाले हैं उनमें 16 विधानसभा सीटें इसी अंचल से आती हैं और बसपा का वोट बैंक भी है।
बसपा की ओर से यही कहा जा रहा है कि पार्टी सभी 27 सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतारेगी और अभी सिर्फ आठ उम्मीदवारों का ही फैसला हुआ है। बाकी स्थानों के लिए उम्मीदवारों का जल्दी ही फैसला कर लिया जाएगा।
ज्ञात हो कि बसपा ने जौरा विधानसभा क्षेत्र से सोनेराम कुशवाहा, मुरैना से रामप्रकाश राजौरिया, अम्बाह से भानुप्रताप सिंह संखवार, इसी तरह मेहगांव से योगेश मेघ सिंह नरवरिया, गोहद से जसवंत पटवारी, डबरा से संतोष गौड़, पोहरी से कैलाश कुशवाहा और करैरा से राजेंद्र जाटव को उम्म्मीदवार बनाया गया है ।
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राकेश अचल का कहना है कि उप-चुनाव में बसपा के उम्मीदवार उतारने से भाजपा केा लाभ होने वाला है, क्योंकि यह बसपा के उम्मीदवार कांग्रेस के वोट काटने से ज्यादा कुछ नहीं करने वाले। वास्तव में इस अंचल में भाजपा की नाक दांव पर है, लिहाजा यह सियासी गुणा-भाग के चलते बसपा के उम्मीदवार मैदान में उतारे जा रहे हैं।
उनका आगे कहना है कि बसपा केाई विचारधारा वाला राजनीतिक दल तो है नहीं यह तो पूरी तरह अवसरवाद पर चलता है। इस समय जब कांग्रेस संकट में है और बसपा प्रमुख मायावती उलझी हुई है, लिहाजा उन्हें भाजपा की मदद करना पड़ रही है। बसपा का इस क्षेत्र में जनाधार है और उसके उम्मीदवार अपरोक्ष रुप से भाजपा की मदद करेंगे, क्योंकि बसपा का वोट भाजपा को मिलने वाला नहीं है, यह वोट कांग्रेस को जा सकता है, इसलिए कांग्रेस को वोट न मिले इस रणनीति के तहत बसपा अपने उम्मीदवार मैदान में उतार रही है।
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)| कुछ राजनीतिक दलों की ओर से दलित-मुस्लिम एकता के लिए चलाए गए 'जय मीम-जय भीम' के नारे के जवाब में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने 'जय वाल्मीकि-जयश्रीराम' का नारा दिया है।
हरियाणा से इस अभियान की विश्व हिंदू परिषद ने बड़े पैमाने पर शुरूआत की है। हरियाणा के गोहना में विहिप की कोशिशों के बाद स्थानीय वाल्मीकि समाज के लोगों ने सामाजिक समरसता भवन भी बनाकर तैयार किया है।
विश्व हिंदू परिषद के विहिप कार्याध्यक्ष आलोक कुमार के मुताबिक, अनुसूचित जाति के लोग हिंदू समाज के अटूट अंग हैं। कोई भी साजिश उन्हें अलग नहीं कर सकती।
केंद्रीय संयुक्त महासचिव डॉ. सुरेंद्र कुमार जैन का कहना है कि, "डॉ. अंबेडकर ने संघ के द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी को कहा था कि यदि हिन्दू संत घोषित कर दें कि छुआछूत हिंदू समाज का हिस्सा नहीं है, तो छुआछूत की भावना मिट सकती है। जिसके बाद विश्व हिंदू परिषद के 1969 में उडुपी के सम्मेलन में समाज से ऊंच-नीच का भेदभाव मिटाने का प्रस्ताव पास किया था। तब से विश्व हिंदू परिषद देश से छुआछूत के खात्मे के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य कर रही है।"
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने आईएएनएस को बताया कि हरियाणा के गोहोना में बीते 23 अगस्त को हुए एक आयोजन में वाल्मीकि समाज के कुल 104 युवकों ने नीला पटका छोड़कर भगवा पटका धारण किया। तहसील के हर गांव से दो-दो युवकों को इस आयोजन में बुलाया गया था। चंद्रशेखर रावण के संगठन को छोड़कर सभी वाल्मीकि समाज के युवाओं ने हिंदू एकता के लिए विहिप के साथ मिलकर सनातन धर्म की थाती को संभालने का संकल्प लिया।
उन्होंने बताया कि विश्व हिंदू परिषद के सामाजिक समरसता अभियान के तहत दलित समाज के लोगों को मुख्यधारा में लाने की कोशिशें लगातार चल रहीं हैं। हरियाणा में विश्व हिंदू परिषद के प्रांत उपाध्यक्ष और सेवानिवृत्त न्यायाधीश पवन कुमार के नेतृत्व में वाल्मीकि समाज के युवाओं को विहिप से जोड़ने का अभियान चल रहा है।
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि "एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता दलितों को बरगलाने की कोशिश करते हुए 'जय भीम-जय मीम' का नारा लगाते हैं। उन जैसे नेताओं को हरियाणा के वाल्मीकि समाज के युवाओं ने एक ही नारा एक ही नाम, जय बाल्मीकि जय श्री राम के जरिए मुंहतोड़ जवाब दिया है।"
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| आवास और शहरी कार्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने रेहड़ी-पटरी वालों के लिए प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) का शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये ऑनलाइन डैशबोर्ड प्रारंभ किया। आवास और शहरी कार्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा,ऑनलाइन डैशबोर्ड गतिशील है, संवादमूलक है और शहर के स्तर तक प्रधानमंत्री स्वनिधि की प्रगति की जानकारी और उसकी निगरानी करने वाले सभी हितधारकों को एक जगह पर समाधान प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री स्वनिधि पोर्टल पर 2 जुलाई, 2020 को ऑनलाइन आवेदन जमा करने की शुरूआत के बाद से, 7.15 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। साथ ही विभिन्न राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में 1.70 लाख से अधिक को मंजूरी दी गई है।
प्रधानमंत्री स्वनिधि की शुरूआत रेहड़ी-पटरी वालों को सस्ती कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करने के लिए मंत्रालय द्वारा 1 जून, 2020 को की गई थी ताकि वे अपनी आजीविका फिर से शुरू कर सकें।
कोविड-19 लॉकडाउन के कारण इनकी आजीविका प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई। इस योजना से उन 50 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों को लाभ मिलेगा जो 24 मार्च, 2020 को या उससे पहले परिनगरीय (पेरी-अरबन) ग्रामीण इलाकों सहित शहरी इलाकों में माल बेच रहे थे।
इस योजना के तहत, विक्रेता 10,000 रुपये तक के कार्यशील पूंजी ऋण का लाभ उठा सकते हैं जो एक वर्ष के कार्यकाल में मासिक किस्तों में चुकाया जा सकता है। ऋण की समय पर जल्दी अदायगी करने पर, तिमाही आधार पर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिये लाभार्थियों के बैंक खातों में प्रति वर्ष 7 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी जमा की जाएगी।
ऋण की जल्दी अदायगी करने पर कोई जुर्माना नहीं होगा। यह योजना प्रति माह 100 रुपए कैश-बैक प्रोत्साहन के माध्यम से डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देगी। विक्रेता ऋण की समय पर अदायगी करने पर ऋण सीमा बढ़ाने की सुविधा का लाभ उठाकर आर्थिक सीढ़ी चढ़ने की अपनी महत्वाकांक्षा को हासिल कर सकते हैं।
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोना महामारी के बीच हो रही जेईई परीक्षाओं के दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली छात्रों की मदद करेगा। आईआईटी दिल्ली ने अपने छात्रों और पूर्व छात्रों से अपील की है कि वे सितंबर में होने वाली परीक्षा में छात्रों की मदद करें। आईआईटी ने छात्रों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने में मदद करने की अपील की है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि परीक्षाएं होना आवश्यक है। आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. वी रामगोपाल राव ने कहा, नीट और जेईई-2020 को होने देना चाहिए, यह छात्रों के भविष्य का सवाल है।
आईआईटी के पूर्व छात्रों की काउंसिल के रवि शर्मा ने कहा, इसमें किसी को बाधा नहीं बनना चाहिए। एक न एक दिन सबकुछ सामान्य होना है। आखिर कब तक छात्रों को घर बिठाकर रखा जा सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक परीक्षा के साथ साथ इन परीक्षाओं का मूल्यांकन भी एक चुनौती बन सकता है।
गौरतलब है कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा जेईई, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है।
सितंबर में होने वाली जेईई दस अलग-अलग शिफ्ट में करवाई जाएगी। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन किया जा सके और छात्रों को कोरोना संक्रमण का खतरा ना रहे।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए के महानिदेशक विनीत जोशी ने कहा,जीईई की परीक्षाएं करवाने के लिए हमने 10 शिफ्ट तय की हैं। प्रत्येक शिफ्ट के लिए 615 केंद्र बनाए गए हैं। यह परीक्षाएं देश भर के 234 शहरों के 234 शहरों में आयोजित की जा रही हैं। परीक्षाएं सुचारू रूप से चलाने के से चलाने के लिए प्रत्येक शहर में सिटी कोऑर्डिनेटर बनाए गए हैं। यह सिटी कोऑर्डिनेटर इलाके की पुलिस एवं प्रशासन से के साथ संपर्क में रहेंगे ताकि परीक्षा केंद्र पर किसी भी प्रकार की भीड़ या अन्य कोई अव्यवस्था ना हो।
जेईई की ही परीक्षा के लिए ऑड- इवन फार्मूला भी तय किया गया है। इस फामूर्ले के तहत परीक्षा केंद्रों में आने वाले छात्रों को दो पालियों में कंप्यूटर आवंटित किए जाएंगे। इसके साथ ही जेईई और नीट परीक्षाओं के दौरान एक परीक्षा कक्ष में अधिकतम 12 छात्र ही बैठ सकेंगे।
चंडीगढ़ : क्वारंटाइन सेंटर नहीं, इसे तो नकारात्मकता का केंद्र कहें!
आपके सामने तीन कहानियां हैं। इनके अनुभवों से साफ है कि सरकार वह केंद्र की हो या राज्य की, सिर्फ ताली-थाली पिटवाने में ही व्यस्त हैं।क्वारंटाइन सेंटरों का जो हाल है और कोविड संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती होने के लिए 24-24 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है.
मेरे पति को चंडीगढ़ के सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में इलाज कराना था और इसी कारण मैं उना से निकलकर पति के साथ चंडीगढ़ आ गईं। इसी दौरान मुझे कुछ लक्षणों से कोरोना होने का संदेह हुआ और जब जांच कराई तो मैं वाकई पॉजिटिव थी। मैंने वापस उना आने का फैसला किया और कार चलाकर लौट गई। फिर प्रशासन को अपने पॉजिटिव होने की जानकारी दी और क्वारंटाइन सेंटर चली गई। क्वारंटाइन सेंटरों में घूम-घूमकर संक्रमित लोगों की मदद करने के दौरान मैं अक्सर रोगियों के लिए खाना वगैरह लेकर यहां आती रही थी लेकिन कभी अंदर नहीं गई थी। बहरहाल, वहां की स्थिति का अंदाजा मुझे अंदर जाने के बाद ही हुआ। सबसे पहली बात यह है कि ऐसे सेंटरों में जबर्दस्त नकारात्मकता होती है। पहले से ही आर्थिक दुश्वारियों का सामना कर रहे लोग अपने आपको एकदम निरीह समझने लगते हैं। इसमें भी वैसे उम्रदराज लोगों को ज्यादा परेशानी होती है जो स्मार्ट फोन चलाना नहीं जानते। ऐसे लोगों के लिए तीन बार खाने के अलावा करने को कुछ नहीं होता। दूसरी बात है सफाई की।
यह समझने की बात है कि सोडियम हाइपो क्लोराइट का जरूरत से ज्यादा छिड़काव ठीक नहीं क्योंकि कई लोगों को इससे एलर्जी होती है। इस काल में समाज का व्यवहार भी अजीब हो गया है। मेरे मामले में पड़ोसियों ने मेरी बेटी की भी कोई मदद नहीं की। गांवों और गरीब इलाकों में स्थिति और बुरी है। लोग इससे जुड़े कलंक के कारण लक्षण उभरने के बाद भी जांच नहीं कराते। आधी-अधूरी जानकारी के कारण लोग ढेर सारा काढ़ा पीते रहते हैं जिससे कई दूसरी समस्याएं उभर जाती हैं। गांव के प्रधान समेत पंचायत सदस्यों को वैसे लोगों से मिलना चाहिए जो कोविड-19 के संक्रमण से ठीक हो गए हों। जब इन लोगों का भ्रम दूर होगा, तभी गांव के आम लोगों में फैली भ्रांतियां दूर होंगी। तेल-साबुन के प्रचार में जुटे स्टार्स को चाहिए कि वे कोरोना को लेकर लोगों में अकारण भय को दूर करने में मदद करें
लखनऊ : 24 घंटे इंतजार कराने के बाद हृदय रोगी को बेड
आपके सामने तीन कहानियां हैं। इनके अनुभवों से साफ है कि सरकार वह केंद्र की हो या राज्य की, सिर्फ ताली-थाली पिटवाने में ही व्यस्त हैं।क्वारंटाइन सेंटरों का जो हाल है और कोविड संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती होने के लिए 24-24 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है.
सुशांतो कुमार सेन 62 साल के हैं। वह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से रिटायर हुए हैं। कोरोना के फैलने के बाद से उन्होंने बाजार जाना छोड़ दिया है। वह कहते हैं: “ मैं सप्ताह में एक बार जाकर राशन-हरी सब्जी वगैरह ले आता हूं और उसके अलावा घर में ही रहता हूं। जानता हूं, स्थिति बुरी है। कुछ नहीं पता कि बाजार में आप जिससे बात कर रहे हैं, वह संक्रमित है या नहीं। इससे अच्छा तो घर में रहो।”
जुलाई के पहले सप्ताह में उनका टेस्ट पॉजिटिव आया। सेन कहते हैं, “पहले तो मैं निश्चिंत था कि यह भी और वायरल संक्रमण की तरह है और जल्द ही अच्छा हो जाऊंगा। लेकिन चरमराती सरकारी व्यवस्था के बारे में जब खबरें आने लगीं तो मैं घबरा गया। मैंने सुना कि अस्पतालों में रोगियों की भरमार है, बेड की मारामारी है। यहां तक कि कोविड वार्ड में काम करने वाले अस्पताल के कर्मचारियों को भी संक्रमित होने के बाद बेड के लिए 24-24 घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। सैकड़ों कॉल करने और 24-48 घंटे के बाद एंबुलेंस आ रही हैं। स्थिति भयावह है।”
इंदिरा नगर इलाके में अपने घर में बैठे सेन उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, “मैंने सोचा था कि चूंकि मैं सीनियर सिटिजन हूं और हृदय रोगी भी, तो मेरे साथ ऐसा नहीं होगा। वैसे भी डॉक्टर भी कहते रहे थे कि चूंकि मुझे पहले से गंभीर बीमारी है तो मेरी खास देखभाल करनी होगी।” लेकिन उनका सारा भ्रम जाता रहा। वह कहते हैं: “19 जुलाई को मेरा रिजल्ट पॉजिटिव आया और मैंने तत्काल चीफ मेडिकल ऑफिसर के कार्यालय को जानकारी दे दी। उधर से जवाब मिला- एंबुलेंस आपको लेने आ रही है। तीन घंटे... छह घंटे.. 12 घंटे बीत गए। कई बार सीएमओ ऑफिस फोन किया। हर बार पूरी कहानी बताई लेकिन वही जवाब मिलता- एंबुलेंस आपको लेने आ रही है। उस रात सो नहीं सका, एंबुलेंस का इंतजार करता रहा।” आखिरकार 20 घंटे के बाद एंबुलेंस आई। दरवाजा खुला हुआ था और सेन को उसमें बैठ जाने को कहा गया, “एंबुलेंस की ओर जाते हुए मैंने मुड़कर देखा तो पड़ोसी अजीब नजरों से देख रहे थे। नजरें बचाता हुआ एंबुलेंस में जा बैठा। ग्लानि से भरा हुआ था क्योंकि पता था कि अब मोहल्ले को कंटेनमेंट जोन बना दिया जाएगाऔर लोग कहेंगे कि यह सब सेन के कारण हुआ।”
सबसे पहले सेन को राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया। ड्राइवर के साथ वाले व्यक्ति (संभवतः वार्ड ब्याय ) ने कहा- अंकल, यहीं बैठो, अभी आया। वह करीब 15 मिनट बाद आया और जानकारी दी- इंचार्ज ने इंतजार करने को कहा है। सेन एंबुलेंस में बैठे रहे। एक घंटा बीत गया। अब सेन की तबियत कुछ बिगड़ती लगी। उन्होंने पूछा- कब तक इंतजार करना है? जवाब मिला- उन्होंने कहा है कि वे बताएंगे, लेकिन एंबुलेंस से नीचे नहीं उतरें। सेन कहते हैं, “ मैं चुप बैठ गया। मेरा तापमान बढ़ता महसूस हो रहा था और बोलने का मन नहीं हो रहा था। करीब चार घंटे के इंतजार के बाद कहा गया कि अस्पताल में कोई बेड नहीं है और हमें महानगर के किसी अस्पताल में जाना चाहिए। प्रशासन को कोविड संक्रमण के बारे में जानकारी दिए 24 घंटे से ज्यादा समय हो रहा था और अब तक मुझे किसी अस्तपताल में भर्ती तक नहीं कराया जा सका था।”
उसके बाद सेन को महानगर के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया जहां उन्हें कोविड वार्ड की डॉर्मेट्री में भर्ती कराया गया।
पटना : घर पर पोस्टर चिपकाकर लोगों को बना रहे ‘अछूत’
आपके सामने तीन कहानियां हैं। इनके अनुभवों से साफ है कि सरकार वह केंद्र की हो या राज्य की, सिर्फ ताली-थाली पिटवाने में ही व्यस्त हैं।क्वारंटाइन सेंटरों का जो हाल है और कोविड संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती होने के लिए 24-24 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है.
पटना : घर पर पोस्टर चिपकाकर लोगों को बना रहे ‘अछूत’
निवेदिता पत्रकार हैं और उनके पति शकील डॉक्टर। दोनों वामदल के कार्यकर्ता हैं। निवेदिता सीपीआई की महिला शाखा- बिहार महिला समाज की कार्यकारी अध्यक्ष हैं जबकि उनके पति सीपीआई की प्रदेश परिषद के सदस्य हैं। शकील अपने एक मित्र डॉ. ए के गौड़ के साथ मिलकर जरूरतमंद लोगों के लिए गैरलाभकारी अस्पताल, पॉलीक्लीनिक चलाते हैं। निवेदिता को उनके परिवार, दोस्तों और डॉक्टरों ने तो कोरोना वायरस के जबड़े से सुरक्षित निकाल लिया लेकिन सरकारी अधिकारी संक्रमित लोगों के साथ जिस तरह का बर्ताव करते हैं, यह देखकर वह सदमे-सी स्थिति में हैं।
निवेदिता कहती हैं, “दोस्तों, रिश्तेदारों और डॉक्टर-नर्सों का लाख-लाख शुक्र है कि मैं ठीक हो गई लेकिन अगर सरकारी अमला संक्रमित लोगों के प्रति इतना अमानवीय और लापरवाह नहीं होता तो मेरे लिए यह लड़ाई ज्यादा आसान होती।” वह कहती हैं: “मेरा बेटा पुश्किन लॉकडाउन लगने से कुछ ही दिन पहले 22 मार्च को दिल्ली से आया। कुछ ही दिन बाद हमने घर की दीवार पर एक पोस्टर चिपका पाया जिसमें लोगों को हमसे मिलने-जुलने से सावधान किया गया था।” बाद में पुश्किन का कोविड टेस्ट हुआ और वह निगेटिव निकला। लेकिन हमारी दीवार पर वह पोस्टर लगा ही रहा।
शकील ने पुलिस वालों से पोस्टर हटाने के लिए काफी कहा लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी। अंततः शकील ने स्वास्थ्य सचिव से बात की, तब जाकर उस पोस्टर को हटाया गया।
उनके लिए 23 जुलाई से एक अजीब-सा दौर शुरू हुआ। डॉ. ए के गौड़ पॉलीक्लीनिक में रोगियों को देख रहे थे जब उन्हें कोरोना के कुछ लक्षण महसूस हुए। सरकारी अस्पताल से एंबुलेंस नहीं आने पर डॉ. शकील अपनी कार से डॉ. गौड़ को पटना एम्स ले गए। डॉ. गौड़ को अस्पताल पहुंचाने के बाद डॉ. शकील ने एहतियातन अपना टेस्ट कराया तो वह पॉजिटिव निकले। बाद में निवेदिता का भी रिजल्ट पॉजिटिव आया और उनकी हालत ज्यादा गंभीर हो गई क्योंकि वह पहले से ही अस्थमा की रोगी थीं। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी और डॉ. शकील ने उन्हें अपने दोस्त डॉक्टर डॉ. सत्यजीत सिंह के रुबन अस्पताल में भर्ती करा दिया जहां उन्हें ऑक्सीजन, ड्रिप वगैरह चढ़ाया गया।
निवेदिता कहती हैं, “उनदो नर्सों- रोजी और प्रतिमा को नहीं भूल सकती। उन्होंने अपने परिवार के सदस्य की तरह मेरी देखभाल की। एक बार प्रोटेक्टिव किट पहनने के बाद आठ घंटे तक वे न तो वे खा सकती थीं, न पी सकती थीं और नही टॉयलेट जा सकती थीं। फिर भी वे अपना काम हंसते-हंसते कर रही थीं। लेकिन मुझे सरकारी अधिकारियों की लापरवाही समझ नहीं आती जो रोगी और डॉक्टर, दोनों को भगवान के भरोसे छोड़ देते हैं।”
शकील कहते हैं, “प्रदेश और केंद्र- दोनों सरकारों में इस महामारी से निपटने की न तो इच्छाशक्ति है और न ही दृष्टि। लॉकडाउन घोषित होने के बाद के पांच महीनों के दौरान इन दोनों सरकारों ने कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए कुछ नहीं किया। सरकार ने लॉकडाउन को ही महामारी का समाधान मान लिया। जबकि होना तो यह चाहिए था कि इस समय का इस्तेमाल मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में किया जाता। इसका नतीजा सामने है- बड़ी तेजी से स्थिति नियंत्रण के बाहर होती जा रही है।”
जामिया छात्रों को जिहादी कहा था
दिल्ली हाईकोर्ट ने सुदर्शन टीवी पर प्रस्तावित विवादित कार्यक्रम पर रोक लगा दी है, साथ ही इस कार्यक्रम को अगले 8 दिन तक प्रसारित न करने का आदेश देते हुए चैनल के एडिटर से जवाब तलब किय है। यह कार्यक्रम आज यानी शुक्रवार को रात 8 बजे प्रसारित होना था। कार्यक्रम के प्रोमो में यूपीएससी परीक्षाओं पर सवाल उठाते हुए जामिया के जिहादी नाम दिया गया था।
हाईकोर्ट के जस्टिस नवीन चावला ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व और मौजूदा छात्रों की ओर से दायर याचिका पर केन्द्र सरकार, संघ लोक सेवा आयोग, सुदर्शन टीवी और उसके प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई सितंबर में करने का आदेश दिया है। याचिका में कहा गया था कि प्रस्तावित कार्यक्रम का मकसद जामिया मिल्लिया इस्लामिया और मुस्लिम समुदाय को बदनाम करना और उनके खिलाफ नफरत फैलाना है।
दरअसल, सिविल सेवाओं में बड़ी संख्या में मुस्लिमों के आने संबंधी एक टीवी चैनल के कार्यक्रम की प्रचार क्लिप पर बृहस्पतिवार को विवाद खड़ा हो गया था। जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) और सेवारत तथा सेवानिवृत्त नौकरशाहों समेत अनेक लोगों ने अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर इस तरह की रिपोर्ट की निंदा की। आईपीएस एसोसिएशन ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘सुदर्शन टीवी धर्म के आधार पर सिविल सेवाओं में चयनित अभ्यर्थियों को निशाना बनाते हुए खबर चला रहा है। हम सांप्रदायिक और गैरजिम्मेदाराना पत्रकारिता की निंदा करते हैं।’ वहीं भारतीय पुलिस फाउंडेशन ने इसे ‘जहर’ की संज्ञा दी थी। साथ ही बीएसपी सांसद कुंवर दानिश अली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर तथा ट्विटर इंडिया से चव्हाणके के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया।
जामिया मिलिया इस्लामिया के जनसंपर्क अधिकारी अहमद अजीम ने कहा, ‘‘हमने शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी है और उनसे उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें बताया है कि सुदर्शन चैनल ने न केवल जेएमआई और एक समुदाय विशेष की छवि खराब करने की कोशिश की, बल्कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की छवि को भी खराब करने का प्रयास किया है।’’(navjivan)
नई दिल्ली, 28 अगस्त। विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा के आयोजन सितंबर माह में कराने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। फैसले के मुताबिक फाइनल ईयर की परीक्षा होगी। कोर्ट ने 30 सितंबर तक परीक्षा कराने के यूजीसी के सकरुलर को सही ठहराया। विश्वविद्यालय परीक्षा के नियम तय करने वाली यूजीसी कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर आरसी कुहाड़ ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत किया है। कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच देशभर के सभी विश्वविद्यालयों में परीक्षा कैसे हो, छात्रों को शिक्षा कैसे दी जाए, विश्वविद्यालयों का नया सत्र कैसे और कब शुरू किया जाए, इसका समाधान यूजीसी की विशेषज्ञ कमेटी ने निकाला है। यूजीसी की इस कमेटी के अध्यक्ष हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आर. सी. कुहाड़ हैं।
कुहाड़ ने आईएएनएस से कहा, विद्यार्थियों के भविष्य और क रियर को ध्यान में रखते हुए हमने परीक्षा की अनिवार्यता पर जोर दिया है। क्योंकि परीक्षा के माध्यम से प्राप्त होने वाली डिग्री की स्वीकार्यता ग्लोबल स्तर पर होती है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी आज इस मूल भाव को समझते हुए अपनी बात में परीक्षा के महत्व को स्पष्ट किया है।
प्रो. आर. सी. कुहाड़ ने कहा, जहां तक बात महामारी के मुश्किल समय में स्वास्थ्य सुरक्षा की बात है, तो चाहे नीट हो या जेईई की प्रवेश परीक्षा, या फिर विश्वविद्यालय व अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों की अंतिम वर्ष व सेमेस्टर की मुख्य परीक्षाएं, सभी के स्तर पर सरकार व शिक्षण संस्थान सुरक्षा की ²ष्टि से आवश्यक उपायों को लेकर ²ढ़संकल्प है। हमारी समिति ने भी इस संबंध में शिक्षण संस्थानों से अपने स्तर पर विशेष ध्यान देने की सिफारिश की है।
कालेजों में अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएं नहीं कराई गई तो यूजीसी उनकी डिग्रियों को मान्यता नहीं देगी। यूजीसी के इसी निर्णय को देखते हुए अभी तक 600 से अधिक विश्वविद्यालयों ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं करवाने पर सहमति जताई है।
परीक्षाओं को लेकर अभी तक 818 विश्वविद्यालयों ने यूजीसी को अपना जवाब भेजा है। अपने जवाब में देशभर के 209 विभिन्न विश्वविद्यालयों ने बताया कि वे अपने संस्थानों में यूजीसी के दिशा निर्देश के अनुसार परीक्षाएं सफलतापूर्वक पूरी करवा चुके हैं।
इनके अलावा, 394 विभिन्न विश्वविद्यालय अगस्त और सितंबर में ऑनलाइन, ऑफलाइन एवं मिश्रित संसाधनों से परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। देशभर के लगभग सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं लिए जाने पर अपनी सहमति दी है।
उधर यूजीसी ने शुक्रवार को कहा, विश्वविद्यालयों की परीक्षा के लिए 6 जुलाई को निर्धारित किए गए दिशा-निदेशरें पर 51 केंद्रीय विश्वविद्यालयों से सकारात्मक जवाब मिला है। इनमें से कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने अंतिम वर्ष और अंतिम सेमेस्टर की ऑनलाइन परीक्षाएं पूरी करवा ली हैं जबकि शेष रह गए केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने 30 सितंबर से पहले इस प्रकार की परीक्षाएं करवा लेने का आश्वासन दिया है।(IANS)
पटना, 28 अगस्त। बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी वर्चुअल रैली को संबोधित करेंगे। कांग्रेस राज्य में 100 वर्चुअल महासम्मेलन आयोजित करेगी, जिसे 'बिहार क्रांति वर्चुअल महासम्मेलन' का नाम दिया गया है। ये वर्चुअल रैलियां 1 से 21 सितम्बर तक आयोजित की जाएंगी। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और बिहार विधानसभा चुनाव प्रभारी अजय कपूर ने शुक्रवार को 'सदाकत आश्रम' में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इसकी जानकारी देते हुए कहा कि कांग्रेस पूरे राज्य में 100 वर्चुअल महासम्मेलन आयोजित करेगी।
उन्होंने कहा कि 1 से 21 सितबंर के बीच होने वाले 'बिहार क्रांति वर्चुअल महासम्मेलन' को पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी संबोधित करेंगे।
राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर अजय कपूर ने दावा करते हुए कहा कि राज्य के लोग सरकार बदलना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, लोग एक ऐसी सरकार चाहते हैं जो विकास के लिए काम करे और लोगों के हितों की रक्षा करें। इसके लिए जनता कांग्रेस की तरफ देख रही है। इस बार कांग्रेस पार्टी का हर कार्यकर्ता मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगा और बिहार विधान सभा चुनाव में चौकाने वाले नतीजे सामने आएंगे।"
बिहार क्रांति वर्चुअल महासम्मेलन को संबोधित करने वाले नेताओं का जिक्र करते हुए कपूर ने बताया कि दिल्ली से दो नेता, 5 राज्य स्तरीय और जिला से 10 नेता रैली को संबोधित करेंगे।
उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत बेतिया जिले से होगी, इससे लोगों को जोड़ने के लिए पार्टी 'मिस्ड कॉल कैंपेन' चलाएगी।
चुनाव लड़ने के लिए सीटों की संख्या पर अजय कपूर ने कहा, पार्टी कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी इसका फैसला हाईकमान करेगा। राहुल गांधी जी स्वयं रूचि ले रहे हैं। हम एक सम्मानजनक संख्या पर चुनाव लड़ेंगे।"
इस मौके पर राज्य सभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह और बिहार विधान परिषद सदस्य समीर सिंह भी मौजूद थे।(IANS)
नई दिल्ली, 28 अगस्त। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान (एनसीएमईआई) अधिनियम, 2004 को चुनौती देते हुए दायर जनहित याचिका मामले में केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया है। याचिका में शैक्षणिक संस्थानों को संचालित करने के उद्देश्य से जनसंख्या के आधार पर राज्यों द्वारा अल्पसंख्यक स्थिति का निर्धारण करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 29-30 के तहत इन राज्यों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को राज्य में बहुसंख्यक समुदाय द्वारा अवैध रूप से छीना जा रहा है, क्योंकि केंद्र ने उन्हें एनसीएमईआई अधिनियम के तहत अल्पसंख्यक अधिसूचित नहीं किया है।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी निर्देश देने और यह घोषणा करने का आग्रह किया कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान अधिनियम 2004 की धारा 2 (एफ), मनमाना, तर्कहीन और संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 29 और 30 के खिलाफ है।
उपाध्याय ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, अजय रस्तोगी और अनिरुद्ध बोस की एक पीठ के समक्ष दलील दी कि 6 जनवरी, 2005 को अधिनियम जब एस 2 (एफ) के तहत शक्तियों का प्रयोग कर लागू हुआ, तब केंद्र ने मनमाने ढंग से राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक के रूप में 5 समुदायों को सूचित किया, जिसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी शामिल है, जो कि टीएमए पाई के शासन की भावना के खिलाफ है।
याचिका में कहा गया है, कार्रवाई की मांग आज तक जारी है, क्योंकि यहूदी धर्म, बाहिस्म और हिंदू धर्म के अनुयायी, जो लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, मणिपुर में वास्तविक तौर पर अल्पसंख्यक हैं, वे राज्य स्तर पर अपनी पहचान अल्पसंख्यक न होने के कारण अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और उसका लाभ नहीं उठा सकते हैं, इस प्रकार अनुच्छेद 29-30 के तहत उनके मूल अधिकार खतरे में है।
इस मामले पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद पीठ ने छह सप्ताह में नोटिस का जवाब देने का आदेश जारी किया है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि लक्षद्वीप (96.58 प्रतिशत) और कश्मीर (96 प्रतिशत) में मुसलमान बहुमत में हैं और लद्दाख (44 प्रतिशत), असम (34.20 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (27.5 प्रतिशत), केरल (26.60 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (19.30 प्रतिशत), बिहार(18 प्रतिशत) में उनकी काफी जनसंख्या है और वे अपनी पसंद के शिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का लाभ ले सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा, "नागालैंड (88.10 फीसदी), मिजोरम (87.16 फीसदी) और मेघालय (74.59 फीसदी) में ईसाई बहुसंख्यक हैं, और अरुणाचल, गोवा, केरल, मणिपुर, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी उनकी आबादी काफी है, वे भी स्थापना और प्रशासन भी कर सकते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "लद्दाख में हिंदू मात्र 1 प्रतिशत, मिजोरम में 2.75 प्रतिशत, लक्षद्वीप में 2.77 प्रतिशत, कश्मीर में 4 प्रतिशत, नागालैंड में 8.74 प्रतिशत, मेघालय में 11.52 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश में 29 प्रतिशत, पंजाब में 38.49 प्रतिशत, मणिपुर में 41.29 प्रतिशत हैं, लेकिन केंद्र ने उन्हें अल्पसंख्यक घोषित नहीं किया है, जिससे वे अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान की स्थापना नहीं कर सकते।"
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रार्थना करते हुए कहा, "वैकल्पिक रूप से आदेश देने की घोषणा करें कि यहूदी, बाहिस्म और हिंदू धर्म के अनुयायी, जो लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में अल्पसंख्यक हैं, वे अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और उनका प्रशासन कर सकते हैं।"(IANS)
नई दिल्ली, 28 अगस्त। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ऐसे कुछ राज्यों के संपर्क में बना हुआ है, जहां एक गिरोह केंद्रीय वित्तीय जांच एजेंसी के नाम पर फर्जी नोटिस जारी कर लोगों और बैंकों से जबरन वसूली के गोरखधंधे में लिप्त है।
ईडी कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली के लगातार संपर्क में है। एजेंसी का कहना है कि इन राज्यों में एक गिरोह सक्रिय है, जो लोगों को फर्जी तरीके से तलब करके और नोटिस जारी करते हुए धोखाधड़ी की कोशिशों में लगा है। यह गिरोह वित्तीय जांच एजेंसी की आड़ में बैंकों और व्यापारियों को नोटिस जारी करता है।
एजेंसी अन्य राज्य पुलिस बलों के साथ भी संपर्क में है, कि क्या उनके क्षेत्र में भी कोई ऐसा अपराध संज्ञान में आया है, ताकि निर्दोष लोगों को इन अपराधियों की करतूतों से बचाया जा सके। सभी राज्य पुलिसबलों के निदेशक जनरलों को एक लिखित संचार में ईडी ने उन्हें ऐसे गिरोह की गतिविधियों के बारे में सतर्क रहने को कहा है।
ईडी की जांच के अनुसार, गिरोह के सदस्यों ने निर्दोष व्यापारियों और व्यक्तियों के बैंक खातों को फ्रीज करने के निर्देश के साथ बैंकों को फर्जी नोटिस जारी किए। इसी तरह, गिरोह ने व्यापारियों और लोगों को फर्जी समन और पत्र भी जारी किए और उन्हें ईडी के कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा।
प्रारंभिक सत्यापन करने के बाद, ईडी ने संबंधित अधिकारियों की मदद से बैंकों को ऐसे फर्जी पत्रों के बारे में पुलिस शिकायत दर्ज करने के निर्देश के साथ स्पष्टीकरण जारी किया। ईडी ने भी फर्जी पत्रों और सम्मन के बारे में व्यक्तियों को इसी तरह के स्पष्टीकरण जारी किए।
हाल के दिनों में प्राप्त कई शिकायतों के बाद ईडी ने अपनी जांच शुरू की। एजेंसी के संज्ञान में आया कि ईडी के नाम से विभिन्न बैंकों और कुछ विशिष्ट व्यक्तियों को फर्जी पत्र भेजे गए। यह फर्जी नोटिस और पत्र कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली के व्यापारियों और लोगों को भेजे गए।
विशिष्ट इनपुट के आधार पर, ईडी ने पिछले सप्ताह दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को सतर्क किया, जो इस सप्ताह के शुरू में गिरोह से जुड़े पांच ऐसे अपराधियों को गिरफ्तार करने में सफल रही और उन्हें गुरुवार को दिल्ली की अदालत में पेश किया।
एजेंसी ने कहा, "गिरफ्तार गिरोह के सदस्यों की उम्र 24 से 35 वर्ष के बीच है और वे दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के हैं। वे जबरन वसूली और धोखाधड़ी के विभिन्न मामलों में शामिल हैं।"
केंद्रीय एजेंसी का कहना है कि गिरोह ने ईडी अधिकारियों के तौर पर व्यापारियों और अन्य व्यक्तियों को निशाना बनाया।
ईडी को इन अपराधियों के बारे में महाराष्ट्र के एक व्यक्ति से शिकायत मिली थी।(IANS)
नई दिल्ली, 28 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी ने एक आरटीआई के जरिए अरविंद केजरीवाल सरकार पर कोरोना काल के चार महीनों में 48 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर खर्च करने का दावा किया है। पार्टी का कहना है कि हर रोज 40 लाख रुपये विज्ञापनों पर खर्च करने के लिए केजरीवाल सरकार के पास धनराशि हैं, लेकिन कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं। दरअसल, आवेदक हरीश खुराना की ओर से आरटीआई से मांगी गई जानकारी से पता चला कि केजरीवाल सरकार ने जुलाई में सर्वाधिक 45.94 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर खर्च किए, वहीं जून में 1.81 करोड़ और अप्रैल में 66 लाख रुपये का विज्ञापन जारी किया गया।
इस मसले पर शुक्रवार को प्रदेश कार्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने कहा कि आरटीआई से जानकारी मिली है कि, कोरोना काल में प्रतिदिन 40 लाख के हिसाब से पिछले 4 महीने में केजरीवाल सरकार ने 48 करोड़ रुपये केवल विज्ञापन पर खर्च कर दिए। पिछले साल भी दिल्ली सराकर ने विज्ञापन पर 200 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे, जो कि 55 लाख रुपये प्रतिदिन बैठता है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि, " एक तरफ दिल्ली सरकार कहती है उनके पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन दूसरी तरफ हर रोज 40 लाख रुपये के विज्ञापन देने के लिए उसके पास पैसे हैं।"
उन्होंने कहा, "अगर इस पैसे का सही तरीके से दिल्ली सरकार इस्तेमाल करती तो, प्रतिदिन 2 लाख लोगों को मु़फ्त भोजन मिल सकता था, मतलब पिछले 5 महीने में 3 करोड़ लोगों को मु़फ्त भोजन मिल जाता। इन पैसों से दिल्ली में प्रतिदिन 26 वेंटिलेटर खरीदे जा सकते थे, यानी इन 5 महीनों में 3900 वेंटिलेटर खरीदे जा सकते थे।"
आदेश कुमार गुप्ता ने कहा कि "एक तरफ उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कल जीएसटी कॉउंसिल में दिल्ली के पास पैसा ना होने की बात करते हैं, वहीं दूसरी तरफ पिछले साल केजरीवाल सरकार ने 200 करोड़ और इस साल पिछले 4 महीने में 48 करोड़ झूठे विज्ञापनों में बर्बाद कर डाले।"
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल बताएं कि उन्होंने दिल्ली सरकार के फंड से इन पांच महीनों में कितने लोगों को मास्क, सैनिटाइजर, राशन किट, काढ़ा और खाना बांटा है।(IANS)
रांची, 28 अगस्त। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आईआईटी-जेईई और नीट की परीक्षा को स्थगित करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को चिट्ठी लिखी है। पत्र में सोरेन ने लिखा है, "दोनों परीक्षा छात्रों के करियर के लिए अति महत्वपूर्ण है और ये परीक्षाएं छात्रों का भविष्य तय करेंगी। सभी परीक्षार्थी इसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं, इसलिए यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि छात्र स्वास्थ्य सुरक्षा और शांति के माहौल में परीक्षा दें।"
उन्होंने कहा, "देश के लोग कोरोना महामारी से लड़ रहे हैं, जिसने लाखों को प्रभावित किया है और इससे हजारों लोगों की मौत हो गई है। इस महामारी का आर्थिक क्षेत्र में भी नकारात्मक असर पड़ा है। स्वास्थ्य को लेकर डर और साथ ही आर्थिक व्यवधान की वजह से लोगों में तनाव व्याप्त है।"
उन्होंने कहा, "कोरोना रोकने की रणनीति के तहत, झारखंड सरकार ने अभी तक सार्वजनिक बस ट्रांसपोर्ट या फिर रेस्टॉरेंट को खोला नहीं है। इसलिए परीक्षार्थियों और अभिभावकों को गंभीर लॉजिस्टिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।"
सोरेन ने कहा, "कुछ छात्र कंटेनमेंट जोन में रहते हैं। फलस्वरूप क्षेत्र से निकलना उनके लिए मुश्किल होगा। यह भी हो सकता है कि परीक्षार्थी या उनके परिजन कोरोना संक्रमित हों। इनसब परिस्थितियों में ज्यादा परीक्षार्थियों का शामिल होना मुश्किल होगा।(IANS)
मुंबई, 28 अगस्त। टेलीवीजन चैनलों पर रिया चक्रबर्ती के दिए इंटरव्यू के एक दिन बाद सुशांत सिंह राजपूत के परिवार के वकील विकास सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक बयान जारी किया। विकास सिंह ने ट्वीट किया, मेरा दृढ़ विश्वास है कि जो लोग कानूनी प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं, उनकी मीडिया पब्लीसिटी पर रोक लगनी चाहिए। अगर वो निर्दोष हैं तो ये उनकी प्रतिष्ठा को खराब करता है, और अगर वो दोषी हैं तो अनुचित रू प से उन्हें कवरेज मिल जाता है।
विकास सिंह का ये ट्वीट रिया के टेलीविजन इंटरव्यू के एक दिन बाद आया जिसमें रिया ने सुशांत के परिवार वालों पर कई आरोप लगाए।
रिया के इसी इंटरव्यू के बाद सुशांत की बहन श्वेता सिंह कीर्ति ने ट्वीट किया, जैसा कि रिया ने अपने इंटरव्यू में आरोप लगाया कि हम अपने भाई से प्यार नहीं करते थे। हां, ये सही है! क्या मैं इसीलिए अमेरिका से भारत जनवरी में आई तब जब मुझे पता चला कि मेरा भाई चंडीगढ़ में है और उसकी तबीयत ठीक नहीं है। मैं अपना बिजनेस छोड़ कर वहां से भागी भागी आई थी।
श्वेता ने रिया के बारे में आगे लिखा, तुमको इतनी हिम्मत है नेशनल मीडिया पर आने और मेरे भाई की छवि बिगाड़ने की, वो भी उसके मरने के बाद। तुमको क्या लगता है कि भगवान ये सब नहीं देख रहे हैं। मैं देखूंगी कि भगवान तुम्हारे साथ क्या करते हैं।(IANS)
पटना, 28 अगस्त। जन अधिकार पार्टी (जाप) आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में 150 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। सीटों पर सामान्य विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन करेगी। इसकी घोषणा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने शुक्रवार को की। पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पप्पू यादव ने दावा करते हुए कहा कि "बिहार के हालात पर टीवी चौनलों के किए गए सर्वेक्षण के अनुसार जन अधिकार पार्टी बिहार की जनता की पहली पसंद है।" उन्होंने कहा कि पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में ये निर्णय लिया गया कि पार्टी 150 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
जाप अध्यक्ष ने कहा, "हम पटना की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। पटना के दोनों सांसद, अधिकतर विधायक, शहरी विकास मंत्री और मेयर भाजपा के हैं, लेकिन फिर भी पटना देश का सबसे गंदा शहर है। हम सत्ता में आए तो तीन साल के भीतर पटना को एशिया का सबसे स्वच्छ शहर बनाएंगे।"
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि "40 विधानसभा क्षेत्रों में हमारी मतादान केंद्र स्तर तक कमेटी तैयार हो गई है और अगले दो सप्ताह में 60 और विधानसभा क्षेत्रों में कमेटी तैयार हो जाएगी।"
उन्होंने कहा कि पार्टी अगले सप्ताह प्रतिज्ञा पत्र जारी करेगी और सितम्बर के अंतिम सप्ताह में उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी।
आगे उन्होंने कहा कि " हमारी पार्टी 80 टिकट युवाओं और 30 टिकट महिलाओं को देगी। उन्होने स्पष्ट करते हुए कहा कि पार्टी किसी अपराधी को टिकट नहीं देगी।
पप्पू यादव ने जेईई और नीट परीक्षा पर विपक्षी पार्टियों पर भी सवाल उठाए हैं।
इस दौरान पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अखलाक अहमद, राष्ट्रीय प्रधान महासचिव एजाज अहमद सहित कई नेता मौजूद रहे।(IANS)
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| सुदर्शन टीवी चैनल पर प्रसारित एक विवादित प्रोमो के मद्देनजर जामिया मिलिया इस्लामिया ने शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर इस मुद्दे की जानकारी दी है और उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। अपने पत्र में, विश्वविद्यालय ने कहा है कि सुदर्शन टीवी ने न केवल विश्वविद्यालय और एक विशेष समुदाय की छवि को धूमिल करने की कोशिश की है बल्कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की छवि को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है।
सुदर्शन टीवी के एडिटर-इन-चीफ सुरेश चव्हाणके के एंकरिंग वाले प्रोमो में, यूपीएससी परीक्षा के माध्यम से नौकरशाही में मुसलमानों के प्रवेश पर सवाल उठाते हुए देखा गया, जिसके बाद जामिया ने यह कदम उठाया है।
चव्हाणके ने 25 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस को टैग करते हुए प्रोमो भी ट्वीट किया और इसे 10 लाख से अधिक बार देखा गया।
नौकरशाही में मुसलमानों को 'घुसपैठियो' की संज्ञा देते हुए, उन्होंने यह भी सवाल उठाया था समुदाय के सदस्य प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा को बड़ी संख्या में कैसे पास कर रहे हैं। उन्होंने जामिया की आवासीय कोचिंग अकादमी के छात्रों को 'जामिया के जिहादियों' के रूप में बताया था।
ट्वीट को लेकर मीडिया यूजर्स ने तीखी प्रतिक्रिया दी और उनके अकाउंट को सस्पेंड करने और एफआईआर दर्ज करने की मांग की।
इस बीच, आईएएस एसोसिएशन ने भी चैनल की निंदा करते हुए ट्वीट किया है, "सुदर्शन टीवी द्वारा धर्म के आधार पर नागरिक सेवाओं में उम्मीदवारों को निशाना बनाने वाली एक खबर को बढ़ावा दिया जा रहा है। हम पत्रकारिता के सांप्रदायिक और गैरजिम्मेदाराना रूप की निंदा करते हैं।"