अंतरराष्ट्रीय
ओशकोश (अमेरिका), 30 जुलाई। अमेरिका के विस्कॉन्सिन राज्य में हवा में दो विमानों की भिडंत में दो लोगों की मौत हो गयी तथा दो अन्य घायल हो गए है।
प्राधिकारियों ने बताया कि ओशकोश में विट्टमैन क्षेत्रीय हवाई अड्डे पर शनिवार अपराह्न बाद एक रोटरवे 162एफ हेलीकॉप्टर तथा एक ईएलए एक्लिप्स 10 जाइरोकॉप्टर की भिडंत हो गयी।
ये विमान ‘एक्सपेरिमेंटल एयरक्राफ्ट ऐसोसिएशन’ के वार्षिक कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे लोगों के थे।
एसोसिएशन ने विनेबागो काउंटी शेरिफ के कार्यालय के हवाले से बताया कि हादसे में दो लोगों की मौत हो गयी है तथा दो अन्य घायल हो गए हैं। घायलों को एक स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया और उनकी हालत स्थिर है।
राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड हादसे की जांच कर रहा है।
शेरिफ के कार्यालय के अनुसार, इससे पहले शनिवार को ही ओशकोश के समीप लेक विनेबागो में एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिससे दो लोगों की मौत हो गयी थी।
एपी गोला शोभना शोभना 3007 0904 ओशकोश (एपी)
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ शांति वार्ता को लेकर एक अहम बात की है. उन्होंने कहा कि वे इस विचार को खारिज नहीं करते हैं.
सेंट पीटर्सबर्ग में अफ्रीकी नेताओं से मुलाकात के बाद बोलते हुए उन्होंने कहा कि अफ्रीकी शांति पहल के साथ-साथ चीनी पहल भी इसके लिए आधार बन सकती है.
राष्ट्रपति पुतिन ने यह भी कहा कि जब यूक्रेनी सेना मोर्चे पर लड़ रही थी तो युद्ध विराम लागू करना कठिन था.
यूक्रेन और रूस पहले ही कह चुके हैं कि वे पहले से तय कुछ शर्तों के बिना बातचीत करने के लिए नहीं बैठेंगे.
यूक्रेन चाहता है कि उसकी सीमाएं 1991 की तरह बहाल की जाएं, जिसका रूस विरोध करता है.
रूस का कहना है कि बातचीत के लिए यूक्रेन को अपने देश की नई क्षेत्रीय वास्तविकता को स्वीकार करना होगा. इसका मतलब है कि उसे अपने कई क्षेत्रों को छोड़ना होगा.(bbc.com/hindi)
सिएटल, 29 जुलाई। अमेरिका के सिएटल में शुक्रवार को पार्किंग क्षेत्र में हुई गोलीबारी में पांच लोग घायल हो गए, जिनमें से दो की हालत गंभीर है। शहर के पुलिस प्रमुख ने यह जानकारी दी।
सिएटल पुलिस ने रेनियर एवेन्यू साउथ के 9200 ब्लॉक में रात करीब नौ बजे हुई गोलीबारी का जवाब दिया।
सिएटल के पुलिस प्रमुख एड्रियन डियाज ने घटनास्थल पर कहा कि गोलाबारी पार्किंग क्षेत्र में हुई, जिसे पहले किंग डोनटस कहा जाता था।
डियाज ने कहा कि पांच लोग घायल हो गए, जिनमें से दो की हालत गंभीर है और तीन की स्थिर है। चार घायलों को सिएटल में हार्बरव्यू मेडिकल सेंटर ले जाया गया और पांचवें का उपचार घटनास्थल पर ही किया गया।
डियाज ने कहा, “हमें पता चला है कि वहां दर्जनों गोलियां चलाई गईं।”
उन्होंने कहा कि पुलिस को गोलीबारी की मंशा पता नहीं चल पाई है। (एपी)
लंदन, 29 जुलाई भारत के चार युवाओं के नाम इस वर्ष के राष्ट्रमंडल युवा पुरस्कार के लिए अंतिम सूची में शामिल किए गए हैं। ये पुरस्कार राष्ट्रमंडल देशों में सामाजिक उद्यम, पर्यावरण, नवाचार तथा मानवाधिकार के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाले युवाओं को दिए जाते हैं।
राष्ट्रमंडल युवा पुरस्कारों के लिए सूची में चार भारतीयों सहित कुल 50 लोगों के नाम हैं। 15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग वाले ये लोग सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में योगदान देने संबंधी पहलों में शामिल हैं।
भारत के अक्षय मकर को एसडीजी13 जलवायु परिवर्तन, सौम्या डाबरीवाल एसडीजी 5 लैंगिक समानता, कौशल शेट्टी एसडीजी 11 टिकाऊ शहर तथा समुदाय और श्रुतिका सिलस्वाल एसडीजी 4 गुणवक्तापरक शिक्षा के लिए चयनित किया गया है।
राष्ट्रमंडल महासचिव बैरोनेस पेट्रीसिया स्कॉटलैंड ने कहा, ‘‘प्रत्येक वर्ष, मैं उन नवोन्मेषों तथा परिवर्तनकारी कार्यों से अभिभूत होती हूं जो ये लोग हमारे लिए एक बेहतर दुनिया बनाने के वास्ते कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं खासतौर पर इस बात पर गर्व महसूस कर रही हूं कि इन 50 युवाओं को सम्मानित किया जा रहा है। मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि युवाओं को विकास के लिए आगे आना चाहिए। जिन लोगों के नाम अंतिम सूची में शामिल किए गए हैं उन्होंने साबित किया है कि युवा केवल तमाशबीन नहीं हैं जो यह सोचते हों कि भविष्य में क्या होगा, बल्कि वे बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहे हैं।’’
भारत के अक्षय मकर ‘क्लाइमेटेंज़ा सोलर’ कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, जो औद्योगिक क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में काम करती है और यह कंपनी कोका-कोला, टाटा ग्रुप तथा यूनिलीवर जैसी प्रमुख वैश्विक कंपनियों के साथ काम कर रही है।
अक्षय मकर का लक्ष्य अगले पांच वर्ष में 273 मेगावाट क्षमता का निर्माण करना है जिससे 6,50,000 टन से अधिक कार्बन उत्सर्जन कम होगा।
सौम्या डाबरीवाल एक व्यवसायी हैं। उन्होंने वारविक विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया है। घाना में स्वयंसेवा के दौरान उन्होंने देखा की लड़कियां प्रत्येक माह मासिक धर्म के दौरान तीन दिन स्कूल नहीं जातीं और इस दौरान वे ऐसी चीजों का इस्तेमाल करती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
डाबरीवाल ने इसे देखते हुए बाला अभियान की शुरुआत की जिसके तहत बच्चियों को दोबारा इस्तेमाल लायक पैड मुहैया कराए जाते हैं और उन्हें जागरूक करने के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं।
कौशल शेट्टी गैर-लाभकारी संगठन ‘नोस्टोस होम्स’ के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। यह संगठन प्राकृतिक आपदाओं के कारण विस्थापित हुए लोगों के लिए स्थायी आपातकालीन आश्रयों का निर्माण करता है।
श्रुतिका सिलस्वाल ‘दलाई लामा फेलो’ हैं, और उत्तराखंड में ‘सिंपल एजुकेशन फाउंडेशन’ में कार्यक्रम प्रमुख हैं। यह संगठन सरकारी स्कूलों के बच्चों की सहायता करता है।
राष्ट्रमंडल युवा पुरस्कारों के लिए चयनित 50 युवाओं में से 20 को विजेता चुना जाएगा। ये युवा 14सितंबर को लंदन में पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल होंगे। प्रत्येक विजेता को एक ट्रॉफी, प्रमाणपत्र आदि प्रदान किया जाएगा।
आम तौर पर 20 नाम चुने जाते थे जिनमें से पांच क्षेत्रीय विजेता चुने जाते थे, लेकिन इस वर्ष राष्ट्रमंडल युवा कार्यक्रम के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 50 युवाओं के नाम शामिल किए गए हैं। (भाषा)
सूखे की वजह से इराक के ग्रामीण इलाकों के लोग काम के लिए शहरों का रुख कर रहे हैं. शहरों में इसका एक नतीजा संघर्ष और हिंसा के रूप में सामने आ रहा है. जलवायु परिवर्तन के इस असर के बारे में किसी ने नहीं सोचा था.
डॉयचे वैले पर कैथरीन शेअर की रिपोर्ट-
इराक की राजधानी बगदाद में लंबे समय से रहने वाली माराबा हबीब (बदला हुआ नाम) कहती हैं कि आम तौर पर बहस की शुरुआत किसी छोटी बात को लेकर होती है और बाद में झगड़ों में बदल जाती है. हबीब मूल रूप से करबला के समीप एक छोटे शहर की रहने वाली पत्रकार हैं. फिलहाल, वह बगदाद से सटे इलाके कराड़ा में रहती हैं.
हबीब कहती हैं, "मैं जिस गांव से आती हूं वहां रहने वाले लोग यह नहीं चाहते कि कोई बाहरी व्यक्ति उनके घर के बाहर या उनकी दीवारों पर बैठे. जबकि, शहर में किसी के घर के बाहर बैठना सामान्य बात है. देश के किसान इस बात को नहीं समझते हैं और वे बाहर आकर बहस करने लगते हैं. मैंने लोगों को इस बात पर झगड़ते हुए देखा है.”
हबीब इराक में ग्रामीण और शहरी संस्कृति के बीच बढ़ते टकराव का एक और उदाहरण देती हैं. वह कहती हैं, "ग्रामीण संस्कृति के लोग महिलाओं को पश्चिमी शैली के कपड़े पहने हुए देखने के आदी नहीं हैं.” हबीब खुद धार्मिक हैं और सिर पर स्कार्फ पहनती हैं, लेकिन उनकी अलमारी में लंबी बाजू वाली शर्ट और जींस जैसे कपड़े भी हैं, जिन्हें बगदाद में पहनना सामान्य बात है.
हबीब कहती हैं, "जब किसान बगदाद आते हैं, तो उन्हें लगता है कि पश्चिमी कपड़े पहनने वाली महिलाएं सेक्सवर्कर हैं. इससे समस्याएं पैदा हो सकती हैं. मैं मूल रूप से गांव की हूं, इसलिए समझती हूं कि वे कहां से आ रहे हैं और मैं उन्हें समझाने की कोशिश करती हूं.”
बढ़ती हुई समस्या
इस प्रकार की सामाजिक समस्याएं इराक में और अधिक देखने को मिल सकती हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इराक जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित दुनिया के पांच देशों में से एक है. यहां की करीब 92 फीसदी जमीन के बियाबान में बदलने का खतरा है. दूसरी तरफ यहां तापमान वैश्विक औसत से सात गुना तेजी से बढ़ रहा है. इससे खेती करना मुश्किल होता जा रहा है. खेतिहर परिवार के लोग आखिरकार रोजी-रोटी की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं.
नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल (एनआरसी) के इराक कार्यालय के निदेशक जेम्स मुन्न ने डीडब्ल्यू को बताया, "लंबे समय से चल रहे संघर्ष के कारण इराक के ग्रामीण इलाकों में पहले से ही संसाधनों का अभाव है. नौकरियां कम हैं, जरूरत के मुताबिक कामकाजी बुनियादी ढांचा नहीं है, पानी की कमी है, स्कूलों और अस्पताल की संख्या भी काफी कम है.
आज जो संघर्ष और टकराव की स्थिति बढ़ी है उसकी मूल वजह यही है. ऐसे में जलवायु परिवर्तन उन सभी समस्याओं को और बढ़ा रहा है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग गांव से पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं.” इराक में संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) के एक प्रवक्ता ने डीडब्ल्यू को बताया कि जून 2018 से लेकर जून 2023 के बीच संगठन ने करीब 83,000 ऐसे लोगों की पहचान की जो मध्य और दक्षिणी इराक में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षति की वजह से विस्थापित हुए हैं.
आईओएम ने कहा, "ऐसे लोग अक्सर नजदीकी शहरों की ओर पलायन करते हैं.” प्रवक्ता ने पुष्टि की है कि शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने कहा कि इससे वहां तनाव बढ़ा है. जलवायु परिवर्तन की वजह से विस्थापित बहुत से लोग बड़े शहरों में और उसके आसपास झोपड़ीनुमा कस्बों या अनौपचारिक बस्तियों में रहने लगते हैं. आईओएम के प्रवक्ता ने कहा, "नए लोगों के आने से उन प्रणालियों पर बोझ बढ़ता है जिनका इस्तेमाल पहले से ही वहां के स्थानीय लोग कर रहे होते हैं.”
उन्होंने आगे कहा, "विस्थापित आबादी का अधिकांश हिस्सा अनौपचारिक क्षेत्र में कम वेतन वाली नौकरियों में भी कार्यरत है, जैसे कि दैनिक मजदूरी, छोटे व्यवसाय या कारखानों में. जबकि स्थानीय निवासियों में से ज्यादातर के पास सरकारी नौकरियां हैं.”
नए लोग पहले से ही विस्तारित बुनियादी ढांचे के लिए वहां लंबे समय से रह रहे निवासियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं और उन्हें परिवहन, स्वास्थ्य देखभाल या शिक्षा जैसी सुविधाओं को हासिल करने में कठिनाई हो सकती है. यहां तक कि सीवेज सिस्टम, स्वच्छ पेयजल, और सामाजिक सहायता भी मिलना मुश्किल हो सकता है. ऐसे में मानसिक बीमारी और मादक द्रव्यों के सेवन की संभावना बढ़ जाती है.
ग्रामीण-शहरी राजनीतिक विभाजन
निगरानी संगठनों और मीडिया, दोनों की हालिया रिपोर्टें बताती हैं कि ग्रामीण-शहरी विरोध बढ़ रहा है. किसी भी तरह की हिंसा या अपराध होने पर शहरी निवासी नए लोगों पर संदेह जताते हैं. स्थानीय राजनेता भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बलि का बकरा बनाने में लगे हैं.
ऐसा सिर्फ इराक में ही नहीं होता है. समाजशास्त्री लंबे समय से शहरी लोगों और ग्रामीणों के बीच राजनीतिक मतभेदों पर टिप्पणी करते रहे हैं. माना जाता है कि शहर के लोग अलग-अलग संस्कृतियों के प्रति ज्यादा उदार और सहिष्णु हो सकते हैं. वहीं, ग्रामीण आबादी को ‘गंवार' और ज्यादा रूढ़िवादी या धार्मिक माना जाता है.
बगदाद का विशाल उपनगर सदर शहर इसका अच्छा उदाहरण है. इसे 1950 के दशक में सूखे, गरीबी और बेदखली से भागकर आए ग्रामीण इराकियों को रहने के लिए बसाया गया था. वास्तुकला की प्रोफेसर हुमा गुप्ता ने अमेरिका स्थित क्राउन सेंटर फॉर मिडिल ईस्ट स्टडीज के लिए 2021 की ब्रीफिंग में लिखा, "समय के साथ ग्रामीण प्रवासियों और उनकी अगली पीढ़ियों ने इन बस्तियों को प्रदर्शन और विरोध वाली मुख्य जगहों में बदल दिया. इससे कम्युनिस्टों, राष्ट्रवादियों और बाद में शिया इस्लामवादियों को काफी समर्थन मिला.
गुप्ता ने तर्क दिया कि बगदाद में ग्रामीण प्रवासन ने मूल रूप से इराक की राजनीति की दिशा को बदल दिया.
मुख्य समस्या पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता
अब बड़ा सवाल यह है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले विस्थापन से जुड़ी चुनौती को ध्यान में रखते हुए इराकी सामाजिक एकजुटता बनाए रखने के लिए क्या किया जा सकता है? विशेषज्ञों ने संभावित समाधान पेश किए हैं.
इराक में आईओएम का सुझाव है, "देश की अखंडता से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए भविष्य की योजनाओं में उन क्षेत्रों में सामाजिक एकजुटता बनाए रखने पर ध्यान देना चाहिए जहां बड़ी संख्या में ऐसे प्रवासी रह रहे हैं. साथ ही, प्रवासियों और विस्थापित व्यक्तियों के अधिकारों का हमेशा ध्यान रखा जाना चाहिए.”
वहीं, अन्य विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि स्थानीय अधिकारी जागरूकता अभियान चला सकते हैं, नए लोगों के लिए बेहतर आवास का निर्माण किया जा सकता है या उन्हें रोजगार और अन्य सरकारी सेवाएं दिलाने में मदद की जा सकती है.
हालांकि, राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों के कारण इराकी सरकार सामान्य रूप से जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं को हल करने में नाकाम रही है. दक्षिणी इराक में रहने वाले पर्यावरण कार्यकर्ता अहमद सालेह नीमा ने डीडब्ल्यू को बताया, "कुछ एजेंसियां इस बारे में बात करती हैं, लेकिन सरकार के पास इन लोगों के लिए कोई योजना नहीं है. सरकार विस्थापन से जुड़े आंकड़ों को मानने से भी इनकार कर रही है. जहां तक अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का सवाल है, संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन अभी शोध ही कर रहे हैं और सहायता उपलब्ध कराने के तरीके पर काम कर रहे हैं.”
वहीं, आईओएम इस समस्या से पूरी तरह अवगत है. उसकी गतिविधियों से पता चलता है कि वर्तमान में उसके अधिकांश प्रयास जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे ग्रामीण समुदायों का समर्थन करने पर केंद्रित हैं. विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस विषय पर अभी और अध्ययन की जरूरत है. शोधकर्ताओं ने या तो इराक जैसे देशों में ग्रामीण इलाकों पर ध्यान केंद्रित किया है या जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली हिंसा पर. जबकि ‘पर्यावरण शरणार्थी' की अंतरराष्ट्रीय परिभाषा की अभी भी स्पष्ट तौर पर व्याख्या नहीं की गई है.
एनआरसी के मुन्न कहते हैं, "सरकार की मौजूदा स्थिति से ऐसा लगता है कि जलवायु संबंधी विस्थापन को स्वीकार करने के बजाय यह दावा करना आसान है कि यह पलायन आर्थिक वजहों से हो रहा है. जबकि हकीकत यह है कि गर्मी के मौसम में देश का बड़ा हिस्सा रहने लायक नहीं रहता, लेकिन जो लोग विस्थापित हो गए हैं उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया गया है.”
उन्होंने निष्कर्ष निकाला, "हमने एक समस्या के तौर पर इसकी पहचान की है और बारीकी से नजर बनाए हुए हैं. हालांकि, सामान्य तौर पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे लंबे समय तक उनकी मदद की जा सके. इसके अलावा, अभी तक इसे एक समस्या के तौर पर भी नहीं माना गया है.” (dw.com)
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के एक सलाहकार ने कबूल किया है कि ड्रोन के जरिए तस्कर सीमा पार ड्रग्स सप्लाई कर रहे हैं. भारत कई बार ड्रोन के जरिए ड्रग्स तस्करी के मुद्दे को पाकिस्तान के सामने उठा चुका है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
पाकिस्तानी तस्कर सीमा पार से भारत में ड्रग्स भेजने के लिए ड्रोन जैसे हाई टेक साधन का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसका खुलासा खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के विशेष रक्षा सलाहकार मलिक मोहम्मद अहमद खान ने एक टीवी इंटरव्यू में किया है.
खान ने पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर को दिए इंटरव्यू में इस बात को माना कि पाकिस्तान स्थित ड्रग्स तस्कर ड्रोन का इस्तेमाल कर भारत ड्रग्स भेज रहे हैं. खान ने यह इंटरव्यू भारत के पंजाब की सीमा के पास लगे कसूर शहर में दिया है. खान कसूर से प्रांतीय विधानसभा (एमपीए) के सदस्य भी हैं.
ड्रग्स तस्करी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल
पत्रकार हामिद मीर ने इस बातचीत का वीडिया खुद ट्विटर पर साझा किया और लिखा कि पीएम के सलाहकार ने माना है कि बाढ़ प्रभावित कसूर में तस्कर पाकिस्तान-भारत सीमा पर हेरोइन की तस्करी के लिए बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं.
इस वीडियो में मीर खान से कसूर में सीमा पार से हो रही ड्रग्स की तस्करी पर सवाल पूछते नजर आ रहे हैं, जिस पर खान सहमति जताते हुए कहते हैं, "हां और यह बहुत भयावह है."
मीर से बातचीत में खान ने बताया कि हाल ही में ऐसे दो मामलों में ड्रोन में 10-10 किलो हेरोइन बरामद की गई, जिसे बॉर्डर पार भेजा रहा था.
खान ने दावा किया कि एजेंसियां इस पर रोक लगाने की कोशिश कर रही हैं. खान के इस कबूलनामे से यह स्पष्ट है कि ड्रग्स की तस्करी पाकिस्तान से हो रही है और इसके लिए ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है और वहां की एजेंसियां इससे वाकिफ हैं.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में मीर ने कहा कि खान की तरफ से दिया गया बयान इस बात का पहला कबूलनामा है कि ड्रोन की मदद से पाकिस्तान से ड्रग्स की तस्करी की जा रही है. उन्होंने कहा कि खान की ओर से यह स्वीकार कर लेना बहुत महत्वपूर्ण है.
मीर ने कहा खान कसूर से एमपीए हैं और वो पाकिस्तान की सरकार और सेना के बेहद करीब हैं. उन्होंने कहा खान पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और सेना के मौजूदा बड़े अधिकारियों के भी काफी करीबी हैं.
नशे का कारोबार और आतंकवाद
भारतीय अधिकारियों का दावा है कि अवैध मादक पदार्थों के कारोबार से प्राप्त धन का इस्तेमाल पाकिस्तान द्वारा पंजाब के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में आतंकवादको वित्त पोषित करने के लिए किया जाता है.
जुलाई में पंजाब पुलिस की तरफ से बताया गया था कि अकेले फिरोजपुर जिले में जुलाई 2022 से 2023 तक एनडीपीएस एक्ट के तहत 795 एफआईआर दर्ज की गईं. आंकड़ों से पता चलता है कि ज्यादातर ड्रग्स पंजाब के उन जिलों से जब्त की गईं जो पाकिस्तान की सीमा से लगे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि बीएसएफ के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस साल अकेले पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों से 260 किलो हेरोइन, 19 हथियार, 30 मैगजीन, 470 राउंड गोलियां और 30 ड्रोन बरामद किए गए हैं.
इस साल मार्च में जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था, "हमें एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जहां पाकिस्तान से ड्रग्स और हथियारों की एक साथ तस्करी की जाती है. जबकि हथियार आतंकवादियों को पहुंचा दिए जाते हैं वहीं ड्रग्स से होने वाली आय का बड़ा हिस्सा संचालकों को सीमा पार पहुंचा दिया जाता है."
कश्मीर में ड्रग्स को लेकर बढ़ी चिंता
25 जुलाई को डीजीपी दिलबाग सिंह ने पत्रकारों से कहा कि पड़ोसी देश जम्मू-कश्मीर की युवा पीढ़ी को ड्रग्स की ओर आकर्षित करने के लिए पंजाब मॉडल का अनुसरण कर रहा है क्योंकि राज्य में आतंकवाद अपनी मृत्युशैया पर है.
दिलबाग सिंह ने कहा, "जब पंजाब में आतंकवाद खत्म हुआ, तो युवा और लोग ड्रग्स की ओर आकर्षित हुए. पंजाब में आतंकवाद खत्म हो गया, लेकिन ड्रग्स पीढ़ियों को नष्ट करने के लिए वहां मौजूद है. उसी मॉडल को पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में भी अपनाया जा रहा है. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अपनी मृत्युशय्या पर है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं. युवाओं को नशे की ओर आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है."
सिंह ने दावा किया कि राज्य के युवाओं को ड्रग्स से दूर रखने के लिए खेल व अन्य गतिविधियों में उन्हें शामिल किया जा रहा है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक पिछले एक साल के दौरान राज्य पुलिस ने 8 हजार किलो से अधिक नशीले पदार्थ बरामद किए हैं और तीन हजार से अधिक लोगों के खिलाफ दो हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
भारत कई बार ड्रोन के जरिए हथियार और ड्रग्स तस्करी का मुद्दा पाकिस्तान के सामने उठा चुका है लेकिन बावजूद इसके पाकिस्तान की ओर से इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.
(dw.com)
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर गुरुवार को नए आरोप लगे हैं. इनमें गोपनीय दस्तावेजों के दुरुपयोग की जांच में बाधा डालने के आरोप भी शामिल हैं.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी से उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल ट्रंप की मुसीबतें खत्म होती नहीं दिख रही हैं. ट्रंप पर लगे इन आरोपों में अहम गोपनीय दस्तावेजों के दुरुपयोग की जांच में बाधा डालने के प्रयास शामिल है. उन पर आरोप है कि उन्होंने बाधा डालने के लिए फ्लोरिडा में अपनी निजी आवास मार-ए-लागो के निगरानी कैमरों की फुटेज को डिलीट करने की साजिश की थी.
कई आरोपों से जूझ रहे हैं ट्रंप
नए आरोपों की जानकारी उसी दिन सामने आई है जिस दिन ट्रंप ने कहा कि उनके वकील न्याय विभाग के अधिकारियों से मिले. हालांकि यह मुलाकात दूसरे मामले से जुड़ी थी. वह मामला अमेरिका में 2020 के चुनाव के परिणाम को पलटने के उनके कथित आरोपों से जुड़ा था.
गोपनीय दस्तावेज के दुरुपयोग मामले में पहली बार पिछले महीनेट्रंप को आरोपी माना गया था. उन पर आरोप हैं कि व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद भी उन्होंने गुप्त परमाणु और रक्षा जानकारियों को अपने पास रखा. अभियोग के अनुसार, उनकी इस हरकत से राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ गई.
अभियोग में यह भी कहा गया है कि इन फाइलों में पेंटागन, सीआईए और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के दस्तावेज शामिल थे. ट्रंप ने ये फाइलें फ्लोरिडा में अपने घर में असुरक्षित तरीके से रखीं. साथ ही उन्होंने आधिकारियों के इन फाइलों के दोबारा प्राप्त करने के प्रयासों को विफल किया.
गुरुवार के अभियोग में ट्रंप पर इस मामले में अपने निजी सहयोगी वॉल्टाइन "वॉल्ट" नौटा के साथ काम करने के आरोप हैं. नौटा भी इस मामले में सह-अभियुक्त हैं. साथ ही उनके प्रॉपर्टी मैनेजर कार्लोस डी ओलिवेरा पर भी आरोप लगाया गया है. ऐसा आरोप है कि उन्होंने मिलकर मार-ए-लागो में सुरक्षा कैमरे के फुटेज को डिलीट किया है.
ट्रंप की मुश्किलें
ट्रंप पर पहले से ही "राष्ट्रीय रक्षा जानकारी को जानबूझ कर अपने पास रखने," न्याय में बाधा डालने की साजिश रचने, झूठे बयान देने और दूसरे आरोप हैं. इन सभी आरोपों पर उन्होंने पिछले महीने खुद को दोषी मानने से इनकार किया था.
नए अभियोग में डी ओलिवेरा और एक चौथे, अनाम कर्मचारी के बीच हुई बातचीत भी शामिल है. इसमें ओलिवेरा कह रहे हैं कि "बॉस" सर्वर को मिटाना चाहते हैं.
जैसे जैसे राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार अभियान की तारीखें नजदीक आ रही हैं ट्रंप की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. हालांकि ट्रंप इसे सिर्फ विरोधियों की साजिश करार दे रहे हैं. ट्रंप ने गुरुवार को फॉक्स न्यूज डिजिटल के साथ एक इंटरव्यू के दौरान नए आरोपों को "हास्यास्पद" बताया. उन्होंने अपने संभावित प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रपति जो बाइडेनऔर न्याय विभाग पर "अभियोजन पक्ष के कदाचार" का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "यह उच्चतम स्तर पर चुनावी हस्तक्षेप है."
एचवी/एनआर (एएफपी)
इस्लामाबाद, 29 जुलाई । पाकिस्तान के पूर्वी पंजाब प्रांत में पुलिस के आतंकवाद निरोधक विभाग (सीटीडी) ने खुफिया जानकारी के आधार पर चलाये गए अभियान के दौरान 17 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है।
सीटीडी पंजाब ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि पंजाब पुलिस के सीटीडी कर्मियों ने आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए प्रांत के विभिन्न जिलों में कई अभियान चलाए और 17 आतंकवादियों को पकड़ लिया।
सीटीडी के बयान में कहा गया है कि गिरफ्तार आतंकवादी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और इस्लामिक स्टेट सहित प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े थे। उन्होंने कहा कि वे प्रांत में मस्जिदों और विदेशी नागरिकों पर हमला करने की योजना बना रहे थे।
पुलिस ने ऑपरेशन के दौरान हथगोले, डेटोनेटर, विस्फोटक, प्रतिबंधित सामग्री और पर्चे सहित हथियारों का एक जखीरा भी जब्त किया।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं। आगे की जांच की जा रही है।
सीटीडी पंजाब ने कहा कि वह एक सुरक्षित और संरक्षित पंजाब चाहते हैं और आतंकवादियों और राज्य विरोधी तत्वों को न्याय के दायरे में लाने के अपने प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। (आईएएनएस)।
ब्रिस्बेन, 29 जुलाई । ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य सरकार ने 2024 से नए घरों में गैस कनेक्शन बंद करने के अपने फैसले की घोषणा की है।
विक्टोरियन सरकार ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, "1 जनवरी, 2024 से, नए घर और आवासीय उपखंड केवल इलेक्ट्रिक नेटवर्क से जुड़ेंगे।"
सभी नई सार्वजनिक इमारतें पूरी तरह से इलेक्ट्रिक होंगी। इसमें नए स्कूल, अस्पताल, पुलिस स्टेशन और अन्य सरकारी स्वामित्व वाली इमारतें शामिल हैं।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय दुनिया भर में गैस की कीमत बढ़ने और इसकी आपूर्ति की अनिश्चितता को लेकर किया गया है।
राज्य सरकार के मुताबिक विक्टोरिया में ऑस्ट्रेलिया में आवासीय गैस का सबसे अधिक उपयोग होता है, यहां लगभग 80 प्रतिशत घर इससे जुड़े हुए हैं, जबकि गैस क्षेत्र राज्य के उत्सर्जन में लगभग 17 प्रतिशत का योगदान देता है।
राज्य के मंत्री लिली डी'अम्ब्रोसियो ने कहा, "हम जानते हैं कि आने वाले हर बिल के साथ, गैस और अधिक महंगी होती जाएगी। यही कारण है कि हम और अधिक विक्टोरियन लोगों को उनके ऊर्जा बिलों पर सबसे अच्छा सौदा पाने में ऊर्जा और संसाधनों के लिए मदद करने को कदम उठा रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि 2045 तक राज्य के शुद्ध शून्य उत्सर्जन कटौती लक्ष्य को पूरा करने और अधिक विक्टोरियन लोगों को बिजली के उपकरणों पर लाने के लिए गैस पर निर्भरता कम करना महत्वपूर्ण है, इससे उनके पैसे की बचत होगी। (आईएएनएस)।
सैन फ्रांसिस्को, 29 जुलाई । मेटा के संस्थापक और सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा है कि वह वह एलन मस्क के साथ संभावित 'केज फाइट', जिसे सदी की लड़ाई भी कहा जा रहा है, को लेकर निश्चित नहीं हैं।
गिज़मोडो की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को मेटा में एक आंतरिक बैठक में, एक कर्मचारी ने जुकरबर्ग से पूछा कि प्रत्याशित केज फाइट कब होगी।
इस पर, ज़करबर्ग ने जवाब दिया: "मुझे नहीं पता। मेरे पास इस पर किसी भी तरह का आधिकारिक अपडेट नहीं है। मेरा मतलब है, जैसा कि आप सभी जानते हैं, मुझे लड़ना पसंद है। चीजों को बनाने से परे, यह शायद मेरे लिए दूसरे स्थान का शगल है, जहां चीज़ें बनाना मेरा नंबर एक प्यार है, वहीं लड़ना शायद नंबर दो है।"
उन्होंने कहा, "मैंने जिउ जित्सु प्रतियोगिताएं की हैं। मैं किसी समय एमएमए प्रतियोगिता करना पसंद करूंगा। मुझे उम्मीद नहीं थी कि यह वैसा होगा, जैसा मैंने किया। मुझे यकीन नहीं है कि यह एक साथ आने वाला है, लेकिन यह कुल मिलाकर एक महान खेल है।"
पिछले हफ्ते, जुकरबर्ग को कई वर्षों के प्रशिक्षण के बाद उनके कोच प्रोफेसर डेव कैमारिलो द्वारा ब्राजीलियाई जिउ-जित्सु में ब्लू बेल्ट से सम्मानित किया गया था।
लड़ाई की चर्चा शुरू में तब शुरू हुई जब मस्क ने पिछले महीने इस खबर के बारे में एक ट्वीट का जवाब दिया कि मेटा एक ट्विटर प्रतियोगी को रिहा कर रहा है।
इस पर एक यूजर ने जवाब दिया, 'बेहतर होगा सावधान रहें एलन मस्क, मैंने सुना है कि वह अब जिउ जित्सु करता है।'
मस्क ने जवाब दिया, "अगर वह हाहाकार मचाता है, तो मैं पिंजरे से मैच के लिए तैयार हूं।"
फिर, ज़करबर्ग ने टेस्ला सीईओ के ट्वीट का एक स्क्रीनशॉट पोस्ट किया, जिसका शीर्षक था "मुझे स्थान भेजें"।
बाद में दोनों को जिउ-जित्सु की ट्रेनिंग लेते देखा गया।
5 जुलाई को मेटा द्वारा थ्रेड्स लॉन्च करने के बाद मस्क जुकरबर्ग की आलोचना कर रहे हैं।
इस महीने की शुरुआत में, मस्क ने ज़करबर्ग का मज़ाक उड़ाया था और कहा था, "ज़क एक मूर्ख है।"
मस्क ने यह भी कहा, "प्रतिस्पर्धा ठीक है, धोखाधड़ी नहीं।"
साथ ही उन्होंने कहा था कि जुकरबर्ग को थ्रेड्स की कोई परवाह नहीं है।
मस्क ने पोस्ट किया, "इंस्टाग्राम पर दर्द छुपाने के लिए झूठी खुशी में शामिल होने की तुलना में ट्विटर पर अजनबियों द्वारा हमला किया जाना बेहतर है।" (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 29 जुलाई । भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (इंडिया) के 16 दलों के 21 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को हिंसा प्रभावित राज्य में जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए मणिपुर की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना हुआ।
प्रस्थान से पहले मीडिया से बात करते हुए, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "हम मणिपुर जा रहे हैं और हम दो समूहों में विभाजित होंगे और राहत शिविरों का दौरा करेंगे। हम उनसे आग्रह करते हैं कि वे हमें न रोकें।"
उन्होंने कहा कि राज्य में शांति और सामान्य स्थिति लौटनी चाहिए।
चौधरी ने कहा, ''सरकार को वहां शांति बहाल करने की कोशिश करनी चाहिए, जो हमारा मकसद है।'' उन्होंने कहा कि राज्य में मुख्य मुद्दा जातीय झड़पें हैं, न कि कानून-व्यवस्था।
उन्होंने कहा, "यह जातीय संघर्ष है, जिसके बारे में पूरी दुनिया बात कर रही है और सरकार को इसे कानून-व्यवस्था के मुद्दे से तुलना करके इस मुद्दे को भटकाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। मणिपुर में स्थिति की गंभीरता को सरकार द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।"
उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर राजनीति न करने का भी आग्रह किया।
"अभी तक प्रधानमंत्री ने मणिपुर जाने की कोशिश भी नहीं की है. आज विपक्ष के झटके के बाद केंद्र की नींद खुली है."
प्रधानमंत्री पर पलटवार करते हुए लोकसभा सांसद गौरव गोगोई ने कहा, "मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त हो गई है, लेकिन किसी कारण से प्रधानमंत्री इसे नहीं देख सकते।" (आईएएनएस)।
रोम, 29 जुलाई । इटली ने घोषणा की है कि वह तुर्की के साथ 2032 यूईएफए यूरोपियन फुटबॉल चैम्पियनशिप लीग की मेजबानी के लिए संयुक्त रूप से बोली लगाएगा।
दोनों देशों को संयुक्त रूप से मेजबानी मिलने की पूरी संभावना है, जबकि यूके और आयरलैंड टूर्नामेंट के 2028 संस्करण की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त हैं।
सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों संस्करणों के मेजबानों की घोषणा 10 अक्टूबर को की जाएगी।
इटली ने अप्रैल में 2032 टूर्नामेंट के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की, इसके तुरंत बाद तुर्की ने 2028 और 2032 दोनों आयोजनों के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की। तुर्की और चार यूनाइटेड किंगडम महासंघों और आयरलैंड की संयुक्त बोली 2028 टूर्नामेंट के लिए मुख्य दो उम्मीदवार थे, जबकि इटली और तुर्की 2032 चैंपियनशिप के लिए मुख्य उम्मीदवार हैं।
इटली और तुर्की के बीच समझौते का मतलब है कि तुर्की 2028 टूर्नामेंट के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस ले लेगा।
एक बयान में, यूईएफए ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के फुटबॉल संघों के साथ सहयोग करेगा कि उनकी बोली तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करती है।
शुक्रवार को यूईएफए के बयान में कहा गया, "यूईएफए अब एफआईजीसी (इतालवी फुटबॉल फेडरेशन) और टीएफएफ (तुर्की फुटबॉल फेडरेशन) के साथ काम करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी संयुक्त बोली के लिए जमा किए जाने वाले दस्तावेज बोली के लिए अनुरूप हैं।"
एफआईजीसी के अध्यक्ष गैब्रिएल ग्रेविना ने कहा कि यह कदम यूरोप में फुटबॉल को बढ़ाने के प्रयास में "एक ऐतिहासिक मोड़" है। (आईएएनएस)।
वाशिंगटन, 29 जुलाई। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने बेटे हंटर और अरकंसास की महिला लुंडेन रॉबर्ट्स की चार साल की बेटी को शुक्रवार को पहली बार सार्वजनिक तौर पर अपनी पोती स्वीकार किया।
बाइडन ने एक बयान में कहा कि हंटर और रॉबर्ट्स अपनी बेटी नेवी के सर्वोत्तम हित के लिए मिलकर काम कर रहे हैं और बच्ची की गोपनीयता को जितना संभव हो सके, उतना सुरक्षित रखा जा रहा है।
बाइडन ने इस बच्ची को सार्वजनिक तौर पर अपनी पोती के रूप में पहली बार स्वीकार किया है। उसके अलावा भी बाइडन के छह पोते-पोतियां हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है। यह पारिवारिक मामला है। जिल और मैं केवल वही चाहते हैं, जो नेवी सहित हमारे सभी पोते-पोतियों के लिए सबसे अच्छा हो।’’
रोबर्ट्स ने बच्ची के पालन-पोषण के लिए अदालत में मुकदमा किया था और डीएएन जांच में हंटर के बच्ची का पिता होने की बात साबित हुई थी। दोनों पक्षों ने बच्ची के पालन-पोषण संबंधी मसलों को हाल में सुलझा लिया है।
राष्ट्रपति के बेटे ने 2021 में प्रकाशित संस्मरण में रॉबर्ट्स के साथ अपनी मुलाकात के बारे में लिखा था। उन्होंने बताया था कि जब वह राबर्ट्स से मिले थे, तब वह मादक पदार्थ और शराब के नशे में थे।
हंटर ने कहा था, ‘‘मुझे हमारी मुलाकात के बारे में और कुछ याद नहीं है। मैंने गड़बड़ की, लेकिन मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं।’’
पोती को स्वीकार नहीं करने पर बाइडन को अपने राजनीतिक विरोधियों की आलोचनाएं झेलनी पड़ी थीं।
एपी सिम्मी शोभना पारुल पारुल पारुल 2907 1016 वाशिंगटन (एपी)
ब्रिस्बेन, 29 जुलाई। ऑस्ट्रेलियाई सेना का एक हेलीकॉप्टर क्वींसलैंड तट से दूर हैमिल्टन द्वीप पर जलक्षेत्र में उतरा गया, जिसके बाद से उसमें सवार चालक दल के चार सदस्य लापता हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स ने बताया कि ‘एमआरएच-90 ताइपन हेलीकॉप्टर’ को शुक्रवार रात करीब साढ़े दस बजे हैमिल्टन द्वीप के पास आपात स्थिति में जलक्षेत्र में उतारा गया।
अधिकारियों के मुताबिक, चालक दल के लापता सदस्यों की तलाश की जा रही है और उनके परिजनों को घटना के बारे में सूचना दे दी गई है।
बचाव अभियान में शामिल एक हेलीकॉप्टर ने शनिवार सुबह विटसंडे द्वीप समूह में डेंट द्वीप के पास मलबा दिखाई देने की सूचना दी है।
हेलीकॉप्टर ताइपन अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के द्विवार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा ले रहा था। ‘तलिस्मान सब्रे’ सैन्य अभ्यास अधिकतर क्वींसलैंड में होता है। इस वर्ष के अभ्यास में 13 देशों के 30,000 से अधिक जवान हिस्सा ले रहे हैं।
मार्ल्स ने बताया कि हेलीकॉप्टर को आपात स्थित में जलक्षेत्र में उतारा गया।
उन्होंने कहा, ‘‘रक्षा अभ्यास सैन्य बलों की तैयारियों के लिए बेहद अहम हैं। ये काफी मुश्किल होते हैं और इनमें काफी जोखिम भी होता है।’’
मार्ल्स के अनुसार, ‘‘हम अच्छी खबर की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन हम इस घटना की गंभीरता से भी अनजान नहीं हैं।’’
रक्षा बल के प्रमुख जनरल एंगस कैंपबेल ने बताया कि क्वींसलैंड राज्य के अधिकारी, जनता और अमेरिकी सैन्यकर्मी भी तलाश अभियान में जुटे हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इस वक्त हमारा पूरा ध्यान हमारे लोगों की तलाश करने और उनके परिवार व शेष टीम को सहयोग देने पर है।’’
एपी शोभना पारुल पारुल 2907 0923 ब्रिस्बेन (एपी)
नाटकीय तख्तापलट के बाद जनरल अब्दुर्रहमान त्चियानी ने खुद को नीज़ेर का नया नेता घोषित कर दिया है.
बुधवार को जनरल त्चियानी के नेतृत्व में सैनिकों ने तख्तापलट की कार्रवाई को शुरू किया और राष्ट्रपति मुहम्मद बज़ूम को बंदी बना लिया गया.
नीज़ेर, अफ़्रीका के साहेल क्षेत्र में गिने-चुने लोकतांत्रिक देशों में से एक था. अब अपने पड़ोसी देशों की तरह वहां भी सत्ता पर फौज क़ाबिज़ हो गई है.
पश्चिम में माली से लेकर पूरब में सूडान तक, अफ्रीका के एक बड़े इलाक़े में अब हुकूमत फौजी जनरलों के हाथों में है.
नीज़ेर फ्रांस का उपनिवेश रह चुका है. वहां, यूरेनियम के प्रचुर भंडार मौजूद हैं. नीज़ेर में फ्रांस और अमेरिका ने फौजी अड्डे बनाए हुए हैं.
वहां जैसे ही सैनिकों ने तख़्तापलट का एलान किया, तो फ्रांस और अमेरिका ने इसकी कड़ी आलोचना की.
पश्चिमी देशों को इस बात की फ़िक्र सता रही है कि नई हुकूमत के आने पर नीज़ेर, कहीं उनसे दूर होकर रूस के पाले में न चला जाए.
अगर नीज़ेर ऐसा करता है, तो वो भी उसी रास्ते पर चल रहा होगा, जिसे उसके दो पड़ोसी देश बुर्किना फासो और माली ने अपनाया है.
अपने यहां फौजी तख़्तापलट के बाद दोनों ही देशों ने रूस से नज़दीकी बढ़ा ली है. (bbc.com/hindi)
कुआलालंपुर, 28 जुलाई सिंगापुर में नशीले पदार्थों से संबंधित अपराधों के लिए मृत्युदंड को बंद करने के आह्वान के बावजूद सिंगापुर ने शुक्रवार को 19 वर्ष में पहली बार किसी महिला को मादक पदार्थों की तस्करी के अपराध में फांसी दी है। मादक पदार्थों की तस्करी के अपराध में इस सप्ताह यह दूसरी फांसी होगी।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि अन्य फांसी अगले सप्ताह दी जाएगी।
सिंगापुर के केंद्रीय स्वापक ब्यूरो ने कहा कि सरिदेवि दिजमानी (45) को 2018 में करीब 31 ग्राम डाईमॉर्फिन या विशुद्ध हेरोइन की तस्करी के अपराध में यह सजा सुनाई गई। इसके बयान में कहा गया कि ‘‘मादक पदार्थ की इतनी मात्रा एक सप्ताह तक 370 लोगों के नशे की लत को पूरा करने के लिए पर्याप्त’’ है।
सिंगापुर के कानून में 500 ग्राम से अधिक गांजा और 15 ग्राम से अधिक हेरोइन की तस्करी के दोषी व्यक्तियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है।
दिजमानी की फांसी से दो दिन पहले ही मोहम्मद अजीज हुसैन (56) को करीब 50 ग्राम हेरोइन की तस्करी के अपराध में फांसी दी गई थी। (एपी)
लंदन, 28 जुलाई । वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया भर में भीषण गर्मी के बीच जुलाई का महीना दुनिया का सबसे गर्म महीना होना लगभग तय है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भीषण गर्मी के कारण वैज्ञानिकों को लगता है कि 2019 का रिकॉर्ड टूट जाएगा। कुछ मौसम विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि यह जुलाई पिछले 120,000 वर्षों में सबसे गर्म महीना हो सकता है।
कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के अनुसार, दुनिया का सबसे गर्म दिन 6 जुलाई को था, और अब तक के सबसे गर्म 23 दिन इसी महीने में दर्ज किए गए। महीने के पहले 25 दिनों के लिए सर्विस प्रोविजनल एवरेज तापमान 16.95 डिग्री सेल्सियस है, जो पूरे जुलाई 2019 के 16.63 डिग्री के आंकड़े से काफी ऊपर है।
वैज्ञानिकों ने अतिरिक्त गर्मी के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग को जिम्मेदार ठहराया है। लीपज़िग विश्वविद्यालय के कार्स्टन हॉस्टीन ने गणना की कि जुलाई 2023 जीवाश्म ईंधन के व्यापक उपयोग से पहले दर्ज किए गए औसत जुलाई तापमान से 1.3 सी-1.7 डिग्री अधिक होगा।
बीबीसी ने एक बयान में हॉस्टीन के हवाले से कहा कि यह न केवल सबसे गर्म जुलाई होगा, बल्कि पूरे वैश्विक औसत तापमान के मामले में अब तक का सबसे गर्म महीना होगा। हमें अपने ग्रह पर समान गर्म स्थिति खोजने के लिए हजारों नहीं, हजारों वर्ष पीछे जाना पड़ सकता है।
लगभग 150 साल पुराने रिकॉर्ड के अनुसार, जुलाई सबसे गर्म होने की संभावना है, कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि अंतिम तापमान हजारों वर्षों में सबसे गर्म हो सकता है। (आईएएनएस)।
ग्लोबल वॉर्मिंग का दौर ख़त्म हो गया है और अब ग्लोबल बॉयलिंग का दौर शुरू हो गया है. ये कहना है संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश का.
जलवायु परिवर्तन से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी करते हुए गुटेरेश ने ये भी कहा कि इस साल का जुलाई महीना मानव इतिहास में दर्ज किया गया अब तक का सबसे गर्म महीना होने वाला है.
गुटरेश ने कहा कि जुलाई महीने के पहले तीन सप्ताह के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि ये महीना अब तक अभूतपूर्व रूप से गर्म रहा है. यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया में लू चलने के कारण वैश्विक औसत तापमान में बढ़ोतरी हुई है.
गुटेरेश ने कहा, "मानव इतिहास में जुलाई 2023 अब तक का सबसे गर्म महीना होने वाला है. इसके लिए हमें महीना ख़त्म होने का इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है. जारी किए गए ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि इस महीने इस महीने के तीन सप्ताह बेहद गर्म रहे हैं, इनमें से तीन दिन रिकॉर्ड गर्मी दर्ज की गई है और समंदर का तापमान भी बेहद अधिक रहा है."
"इसका नतीजा स्पष्ट है, ये त्रसादी है. मॉनसून की बारिश बच्चों पर कहर बनकर बरस रही है, परिवार के परिवार जंगल की आग से बचकर भाग रहे, कामगार तपती गर्मी से जूझ रहे हैं. पूरी धरती के लिए ये एक आपदा है."
उन्होंने कहा, "ग्लोबल वार्मिंग का दौर ख़त्म हो गया है और अब ग्लोबल बॉयलिंग का दौर शुरू हो गया है. हवा में सांस लेना मुश्किल है, गर्मी बर्दाश्त करना मुश्किल है और जीवाश्म ईंधन से मिलने वाले लाभ को देखते हुए जलवायु परिवर्तन रोकने की कोशिशें न करने को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता."
वहीं वर्ल्ड मेटेरोलॉजिकल ऑर्गेनाइज़ेशन ने कहा है कि हमें जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को जल्द से जल्द कम करने की बेहद अधिक ज़रूरत है. (bbc.com/hindi)
फरिश्तों का शहर कहे जाने वाले अमेरिका के लॉस ऐंजलेस के नाम पर एक जीव का नाम रखा गया है, लॉस ऐंजलेस थ्रेड मिलीपीड. यह अनूठा जीव दक्षिणी कैलिफॉर्निया में खोजा गया है.
अमेरिका के लॉस एंजेल्स में एक नया जीव खोजा गया है, जिसकी 486 टांगें हैं. यह जीव एक पेंसिल के लेड जितना पतला और पेपरक्लिप जितना लंबा है. यह जेलीफिश की तरह पारदर्शी है और जमीन से सिर्फ चार इंच नीचे रहता है.
दक्षिणी कैलिफॉर्निया में हाईवे के नजदीक एक स्टारबक्स कैफे के पास मिले इस जीव को दिखाई नहीं देता और यह अपने सींग जैसे एंटीना का इस्तेमाल गतिविधियों के लिए करता है.
जब वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप से देखा तो इस अनूठे जीव के हैरतअंगेज शारीरिक गुण सामने आए. वर्जीनिया पॉलिटेक्निक इंस्टिट्यूट के जीवविज्ञानी पॉल मैरेक कहते हैं कि यह जीव किसी हॉलीवुड फिल्म के दानवी जीव जैसा है.
उन्होंने बताया, "यह सोचना भी अद्भुत है कि लॉस एंजेल्स में हमारे पावों के नीचे दरारों में, पत्थरों के नीचे या मिट्टी के ढेर में ये मिलीपड रेंग रहे हैं.”
कितने सारे अनूठे जीव
इस खोज में वर्जीनिया पॉलिटेक्निक के अलावा वेस्ट वर्जीनिया और कैलिफॉर्निया विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिक भी शामिल थे. उन्होंने इस जीव का वैज्ञानिक नाम इलाकमे सोकैल रखा है. उनकी खोज के बारे में जूकीज (ZooKeys) नामक पत्रिका में एक शोधपत्र छपा है. मैरेक कहते हैं, "यह खोज दिखाती है कि जमीन के नीचे एक अनदेखा-अनखोजा ग्रह मौजूद है.”
2021 तक सबसे अधिक टांगों वाला जीव भी कैलिफॉर्निया में ही मिला था. वह भी एक कीट था जिसके 750 अंग थे. उसे सबसे अधिक टांगों वाला जीव करार दिया गया था. 1926 में वह जीव उत्तरी कैलिफॉर्निया में खोजा गया था. लेकिन 2021 में उसका सबसे अधिक टांगों वाले जीव का खिताब ऑस्ट्रेलिया में मिले एक कीट ने छीन लिया, जिसकी 1,306 टांगें थीं.
ये कीट जिन्हें मिलीपीड कहा जाता है, मृत ऑर्गैनिक कचरे के शरीरों को खाते हैं. मैरेक कहते हैं कि ये ना होते तो पृथ्वी पर ऑर्गैनिक कचरा इंसान की नाक तक जमा हो गया होता.
मैरेक कहते हैं, "चूंकि हम जानते हैं कि ये जीव कुदरत के चक्र में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं तो हम उनकी सुरक्षा करके अपने पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं.”
कैसे हुई खोज?
मैरेक की इस खोज का श्रेय आईनैचुरिलस्ट नाम की एक ऐप को जाता है, जहां आम कुदरत प्रेमी अनूठी चीजें साझा कर सकते हैं. चार साल पहले कैलिफॉर्निया की ऑरेंज काउंटी के पास पार्क में मिले एक जीव के बारे में प्रकृतिवादियों सेडरिक ली और जेम्स बेली ने कुछ जानकारी ऐप पर साझा की थी.
मैरेक और उनके दल ने उस जीव का डीएनए लिया और उसके अध्ययन से साबित किया कि यह एकदम नयी प्रजाति है जो पहले कभी नहीं देखी गयी.
ली कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे हैं. वह राज्य भर में 30 से ज्यादा जीव खोज चुके हैं. वह कहते हैं कि नयी प्रजातियों की खोज के दौरान अतिसूक्ष्म जीवों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन आम नागरिकों को भी अब ऐसे आधुनिक यंत्र उपलब्ध हैं जो कुदरत और प्रयोगशालाओं के बीच पुल का काम कर सकते हैं.
ली बताते हैं, "हमें नहीं पता कि क्या-क्या मौजूद है. हमारे पांवों के नीचे सच में ऐसी ही प्रजातियां सच में मौजूद हैं जिनके बारे में हम नहीं जानते.”
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि धरती पर करीब एक करोड़ जीव रहते हैं, जिनमें से सिर्फ दस लाख खोजे गये हैं.
वीके/सीके (एपी)
पश्चिमी अफ़्रीकी देश नीजेर में सैनिकों ने नेशनल टीवी पर तख्तापलट की घोषणा की है.
सैनिकों ने कहा है कि देश के संविधान को भंग कर दिया गया है, सभी सरकारी संस्थान और देश की सभी सीमाओं को बंद कर दिया गया है.
नीजेर के राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ूम को सैनिकों ने हिरासत में ले लिया है.
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिका का बज़ूम को समर्थन अटूट है.
वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने भी राष्ट्रपति बज़ूम से बात कर के उन्हें पूरा सहयोग देने की बात कही है.
राष्ट्रपति बज़ूम पश्चिमी अफ़्रीका में इस्लामी उग्रवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में पश्चिमी देशों के प्रमुख सहयोगी हैं.
टीवी पर घोषणा करते हुए कर्नल अमादू अब्दरामने नौ अन्य सैनिकों के साथ थे. इस दौरान उन्होंने कहा, “हमने, रक्षा और सुरक्षाबलों ने उस शासन व्यवस्था को खत्म करने का फ़ैसला किया है, जिसे आप जानते हैं. ये सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति लगातार खराब होने और बिगड़ती आर्थिक और सामाजिक प्रशासन का नतीजा है.”
उन्होंने कहा कि स्थिति स्थिर होने तक सीमा और हवाई सीमाएं बंद रहेंगे. वहीं अगले नोटिस तक रात दस बजे से सुबह पाँच बजे तक कर्फ़्यू जारी रहेगा. (bbc.com/hindi)
सैन फ्रांसिस्को, 26 जुलाई । ट्विटर को 'एक्स' के रूप में पुनः ब्रांड किया जा रहा है, इसके मालिक एलन मस्क ने बुधवार को कहा कि नया लोगो समय के साथ विकसित होगा।
एक यूजर ने पोस्ट किया, "एक्स लोगो अब अधिक बोल्ड और आकर्षक है।"
मस्क ने जवाब दिया, "मुझे थिकर बार पसंद नहीं हैं, इसलिए वापस लौट रहा हूं। लोगो समय के साथ विकसित होगा।"
एक अन्य ट्वीट के जवाब में उन्होंने कहा, "एक्स दुनिया में सबसे वैल्यूएबल ब्रांड बन जाएगा। मेरी बात पर यकीन रखिए।"
उन्होंने पोस्ट किया, "एक्स में बहुत सारे महान लोग हैं।"
मस्क ने रविवार को ट्वीट्स की एक सीरीज के साथ इस रीब्रांडिंग का संकेत देना शुरू कर दिया था, जिसमें से एक में कहा गया था, "जल्द ही हम ट्विटर ब्रांड और धीरे-धीरे सभी बर्ड्स को अलविदा कहेंगे।"
सोमवार को प्लेटफॉर्म के वेब वर्जन पर ट्विटर ब्लू बर्ड की जगह 'एक्स' लोगो ले लिया गया।
मस्क ने प्लेटफॉर्म पर तस्वीर के साथ कंपनी के आधिकारिक अकाउंट का नाम भी बदलकर 'एक्स' कर दिया।
इस बीच, कंपनी ने घोषणा की कि वह एक ऐसा फीचर ला रहे है, जो वेरिफाइड यूजर्स को कुछ वीडियो डाउनलोड करने की अनुमति देता है।
हालांकि, मंगलवार से पहले अपलोड किए गए वीडियो डाउनलोड नहीं किए जा सकते। यह फीचर वर्तमान में आईओएस पर उपलब्ध है, और जल्द ही एंड्रॉयड और वेब पर उपलब्ध होगी।
इसके अलावा, अगर यूजर्स नहीं चाहते कि उनका वीडियो किसी के द्वारा डाउनलोड किया जाए, तो वे अपना ट्वीट लिखते समय अपने वीडियो पर 'अलाउ वीडियो टू बी डाउनलोडिंग' ऑप्शन को डिसेबल कर सकते हैं।
मस्क ने मंगलवार को स्पष्ट किया, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और 'एक्स द एवरीथिंग ऐप' के लिए एक त्वरक के रूप में एक्स कॉर्प द्वारा ट्विटर का अधिग्रहण किया गया था। यह केवल अपना नाम बदलने वाली कंपनी नहीं है, बल्कि वही काम कर रही है।"
"ट्विटर नाम में केवल 140 अक्षरों के मैसेज होते थे, जो पक्षियों के चहचहाने की तरह आगे-पीछे तक ही सीमित होते थे, लेकिन अब आप कितना भी पोस्ट कर सकते हैं, जिसमें कई घंटों का वीडियो भी शामिल है।"
उन्होंने आगे कहा कि कंपनी व्यापक संचार और वित्तीय को संचालित करने की क्षमता जोड़ेगी। (आईएएनएस)।
सिंगापुर, 25 जुलाई । सिंगापुर में एक भारतीय मूल के पुलिसकर्मी की मौत के बाद, पुलिस कार्यस्थल पर भेदभाव के उसके आरोपों की फिर से समीक्षा करेगी और स्वतंत्र समीक्षा के लिए अपने निष्कर्षों को अटॉर्नी-जनरल को भेजेगी।
पुलिस की यह कार्रवाई गृह मामलों और कानून मंत्री के षणमुगम द्वारा सिंगापुर पुलिस बल (एसपीएफ) से सार्जेंट उवरजा गोपाल द्वारा किए गए कार्यस्थल पर भेदभावों के दावों की जांच करने के लिए कहने के बाद आई है, जिनकी पिछले सप्ताह मृत्यु हो गई थी।
एसपीएफ ने एक बयान में कहा कि निष्कर्षों की आगे समीक्षा की जानी चाहिए या नहीं, इस पर निर्णय लेने के लिए निष्कर्ष षनमुगम को भी सौंपे जाएंगे।
36 वर्षीय गोपाल, जो यिशुन में एक आवासीय ब्लॉक के नीचे बेसुध पड़ा हुआ पाया गया था, उसकी सेवा में 10 साल से अधिक का समय था, और वह आखिरी बार आंग मो किओ पुलिस डिवीजन में एक अधिकारी थे।
मरने से पहले, गोपाल ने एक फेसबुक पोस्ट में, कहा था कि उसे कार्यस्थल पर उसके वरिष्ठों द्वारा धमकाया गया था और उसकी टीम के सदस्यों द्वारा नस्लीय दुर्व्यवहार किया गया।
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने मदद मांगी, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली।
एसपीएफ ने एक बयान में संवेदना व्यक्त करते हुए और गोपाल के परिवार को उनकी सेवा के लिए धन्यवाद देते हुए कहा, " उनके द्धारा लगाए गए सभी आरोपों की जांच की जा रही है।"
पुलिस ने कहा कि गोपाल द्वारा 2015 में लगाए गए नस्लीय भेदभाव के आरोप "निराधार" लगे।
एसपीएफ़ के दृष्टिकोण से, गोपाल के वरिष्ठों ने आकलन किया था कि उन्हें "काम पर पर्याप्त चुनौतियों" का सामना करना पड़ रहा था, और उनके वरिष्ठों द्वारा उन्हें कई तरीकों से मदद की गई थी।
उनके प्रदर्शन के मुद्दों को हल करने के लिए उन्हें कोचिंग प्रदान की गई, उनके अनुरोध पर, नौ वर्षों में छह अलग-अलग कार्य इकाइयों में स्थानांतरण दिए गए, और उनके अनुरोध पर 2015 से उनको अतिरिक्त छुट्टी दी गई।
पुलिस ने कहा कि 2016 के बाद से गोपाल की सेवा के दौरान विभिन्न बिंदुओं पर परामर्श और मनोवैज्ञानिक सहायता की भी व्यवस्था की गई थी।
पुलिस साक्षात्कारों से यह भी पता चला कि दिवंगत सार्जेंट का अपने परिवार के साथ तनाव था।
पुलिस ने कहा कि गोपाल की मां ने उनके खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी और कहा था कि उसे अपनी सुरक्षा को लेकर डर है, इसके बाद उनकी भाभी ने पुलिस सहायता के लिए फोन किया।
एसपीएफ़ के बयान में कहा गया है, "पुलिस इन आरोपों की फिर से समीक्षा और जांच करेगी, और निष्कर्षों को अटॉर्नी-जनरल के चैंबर में भेजेगी।" (आईएएनएस)।
अमेरिका में जीन थेरेपी के आधार पर एक नेत्रहीन किशोर का इलाज किया गया और अब वह देख पा रहे हैं. इसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है.
अंटोनियो कारवयाल की आंखों की रोशनी लौट आई है. अपनी 14 साल की जिंदगी का अधिकांश भाग उन्होंने अंधेरे में बिताया है. लेकिन जीन थेरेपी ने उनकी जिंदगी को फिर से रोशन कर दिया है.
कारवयाल एक दुर्लभ जेनेटिक बीमारी डिस्ट्रोफिक एपिडर्मोलाइसिस बुलोसा के साथ जन्मे थे. इस बीमारी के कारण उनके पूरे शरीर पर फफोले हो गये थे. वे फफोले जब आंखों में पहुंचे तो उनकी आंखों की रोशनी चली गयी.
कहीं और इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था और तब वह एक क्लीनिकल ट्रायल में शामिल हुए. यह ट्रायल दुनिया में पहली बार टॉपिकल जीन थेरेपी का परीक्षण करने के लिए किया जा रहा था.
ट्रायल के दौरान कारवयाल की त्वचा पर मौजूद फफोले ठीक होने लगे तो उनके डॉक्टर अल्फोंसो साबाटेर को एक ख्याल आया कि क्यों ना दवा में ऐसे बदलाव किये जाएं कि कारवयाल की आंखों में उसे प्रयोग किया जा सके.
और फिर परीक्षण
उन्होंने आई ड्रॉप्स तैयार की और उसे कारवयाल की आंखों पर आजमाया. तरकीब काम कर गयी. ना सिर्फ कारवायल की आंखों की रोशनी लौट आई बल्कि उसके साथ लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण भी आयी. यह कामयाबी आंखों के बहुत से रोगों के इलाज की राह तैयार कर सकती है.
इस बात से भावुक अंटोनियो की मां यूनी कारवयाल भरी आंखों के साथ कहती हैं कि डॉ. साबाटेर ने उनका बहुत साथ दिया. मायामी यूनिवर्सिटी के पामर आई इंस्टिट्यूट में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, "ना सिर्फ वह अच्छे डॉक्टर हैं बल्कि अच्छे इंसान भी हैं और उम्मीद से भर देते हैं. वह कभी हार नहीं मानते.”
अंटोनियो कारवयाल को जो रोग है उससे दुनिया में करीब तीन हजार लोग पीड़ित हैं. इसमें जीन्स टूट जाते हैं. ये जीन कोलाजेन 7 नाम का प्रोटीन पैदा करता है जो त्वचा और कॉर्निया को जोड़कर रखता है. उस जीन के टूट जाने से कॉर्निया और त्वचा अलग हो जाते हैं.
डॉ. साबाटेर ने जो तरकीब अपनायी है उसे व्युवेक कहा जाता है. इसमें एक वायरस प्रयोग होता है जो जीन की नकल करता है. इस वायरस को आई ड्रॉप्स के जरिये आंखों में डाला जाता है.
कैसे हुआ इलाज?
दवा को पहले दो साल तक चूहों पर टेस्ट किया गया था. हालांकि यह दवा अभी इंसानों में प्रयोग के लिए उपलब्ध नहीं है लेकिन डॉ. साबाटेर और उनकी टीम ने अमेरिका की दवा नियामक एफडीए से विशेष इजाजत ली कि वे इसे अंटोनियो पर इस्तेमाल करना चाहते हैं.
पिछले साल अगस्त में अंटोनियो की दायीं आंख की सर्जरी हुई और उसके बाद उन्हें आई ड्रॉप्स दी जाने लगीं. डॉ. साबाटेर बताते हैं कि अंटोनियो की आंख सर्जरी से उबर आई, निशान चले गये और हर महीने उनकी हालत बेहतर होने लगी.
हाल ही में अंटोनियो की दायीं आंख की रोशनी की जांच की गयी और वह 20/25 पायी गयी. डॉ. साबाटेर कहते हैं कि यह ठीकठाक रोशनी है.
इसी साल अंटोनियो की बायीं आंख का इलाज शुरू हुआ है. बायीं आंख में ज्यादा समस्या है लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक सुधार हो रहा है.
अन्य डॉक्टर भी इस प्रगति से उत्साहित हैं. पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. एमी पाएन कहती हैं हैं कि अन्य कई रोगों में इसकी संभावना उत्साहजनक है. वह कहती हैं, "यह तरीका जीन थेरेपी को इस तरह इस्तेमाल करता है कि बीमारी की जड़ तक वार होता है.”
वीके/एए (एपी)
अल्जीयर्स, 25 जुलाई। अल्जीरिया के जंगलों में लगी आग में 25 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में आग बुझाने की कोशिश कर रहे 10 सैनिक भी शामिल हैं, जो तेज हवाओं और प्रचंड गर्मी के बीच आग की लपटों को नियंत्रित करने में जुटे थे।
आंतरिक मंत्रालय ने सोमवार को कोई विस्तृत जानकारी दिए बगैर कहा कि कम से कम 1,500 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है।
आंतरिक मंत्रालय ने जंगल में आग लगने से 15 लोगों की मौत होने और 24 अन्य के घायल होने की पुष्टि की। बाद में रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि राजधानी अल्जीयर्स के बेनी कसीला पूर्व के रिजॉर्ट क्षेत्र में आग बुझाने के प्रयास में जुटे 10 सैनिकों की मौत हो गई और 25 लोग घायल हो गए।
यह तुरंत स्पष्ट नहीं है कि लोगों की मौत कब हुई, लेकिन जंगलों में आग कई दिनों से लगी हुई है।
आंतरिक मंत्रालय ने बताया कि तेज हवाओं से जंगल में आग भड़क उठी और इसकी लपटें वन क्षेत्र से आगे खेतों की ओर फैलने लगीं।
मंत्रालय के मुताबिक, लपटें 16 क्षेत्रों में फैल गईं, जिससे उत्तर अफ्रीकी देश में आग लगने की 97 घटनाएं हुईं। अब तक की सबसे भीषण आग से अल्जीयर्स के पूर्व में स्थित कबीले क्षेत्र के बेजाईया और जीजेल तथा दक्षिण-पूर्व में स्थित बुइरा के कुछ हिस्से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।
आग बुझाने के लिए मौके पर 7,500 दमकलकर्मी और 350 ट्रक मौजूद हैं। साथ ही वायुसेना का भी सहयोग लिया जा रहा है।
अल्जीरिया में जंगल में लगने की घटना कोई नयी बात नहीं है।
पिछले साल अगस्त में ट्यूनीशिया की सीमा से सटी अल्जीरिया की उत्तरी सीमा के पास जंगलों में लगी आग में 37 लोगों की मौत हो गई थी।
एपी सुरभि पारुल पारुल 2507 1014 अल्जीयर्स (एपी)
माल्मो (स्वीडन), 25 जुलाई। स्वीडन की एक अदालत ने ग्रेटा थनबर्ग पर एक तेल टर्मिनल में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस की अवज्ञा करने को लेकर जुर्माना लगाया, जिसके कुछ ही घंटे बाद जलवायु कार्यकर्ता ने टर्मिनल तक सड़क मार्ग को फिर से अवरुद्ध करने का प्रयास किया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें वहां से हटा दिया।
इससे पहले, थनबर्ग (20) ने सोमवार को स्वीकार किया कि उन्होंने पुलिस की बात नहीं मानी, लेकिन उन्होंने स्वयं को निर्दोष बताया और कहा कि जलवायु संकट के मौजूदा वैश्विक खतरे के कारण जीवाश्म ईंधन उद्योग के खिलाफ लड़ाई आत्मरक्षा है।
उन्होंने अदालत के फैसला सुनाए जाने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम नियमों का पालन करके दुनिया को नहीं बचा सकते।’’
उन्होंने ‘‘निश्चित ही पीछे नहीं हटने’’ का संकल्प लिया।
अदालत ने थनबर्ग की दलीलों को खारिज कर दिया और उन पर 240 अमेरिकी डॉलर जुर्माना लगाया।
थनबर्ग और ‘रिक्लेम द फ्यूचर’ आंदोलन के कई अन्य युवा कार्यकर्ताओं ने 19 जून को दक्षिणी स्वीडिश शहर माल्मो में एक तेल टर्मिनल तक पहुंचने के सड़क मार्ग को अवरुद्ध करने के बाद पुलिस के वहां से हटने के आदेश को मानने से इनकार कर दिया था।
इस मामले में सजा सुनाए जाने के कुछ ही देर बाद थनबर्ग और ‘रिक्लेम द फ्यूचर’ के कार्यकर्ता दोपहर को फिर तेल टर्मिनल पहुंचे और उन्होंने सड़क अवरुद्ध कर दी। उन्हें अंतत: पुलिस ने वहां से हटाया।
एपी सिम्मी सुरभि सुरभि 2507 0857 माल्मो (एपी)