अंतरराष्ट्रीय
ओटावा, 21 जुलाई । कनाडा के अलबर्टा प्रांत में जंगल की आग से जुझते हुए दुर्घटना में एक हेलीकॉप्टर पायलट की मौत हो गई। देश में रिकॉर्ड गर्मी के बीच होने वाली यह तीसरी मौत है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि पीस नदी क्षेत्र में मैनिंग शहर के दक्षिण-पूर्व में हुई दुर्घटना में घायल हुए 41 वर्षीय पायलट की मौत हो गई, हालांकि घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचे वनकर्मियों ने जान बचाने की कोशिश की थी।
बीबीसी ने कनाडा के परिवहन सुरक्षा बोर्ड (टीएसबी) के प्रवक्ता क्रिस क्रेपस्की के हवाले से बताया कि अधिकारियों को सबसे पहले गुरुवार शाम 6.15 बजे दुर्घटनास्थल पर एक इमरजेंसी बीकन से ट्रांसमिशन प्राप्त हुआ।
उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि हेलीकॉप्टर पायलट की किन चरणों में मौत हुई होगी, यह तब हुआ होगा जब वह पानी उठा रहा था या पानी छोड़ रहा था। हम यही पता लगाने की कोशिश करे रहे है।"
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्विटर पर कहा, "मुझे यह सुनकर दुख हुआ कि जंगल की आग से जूझ रहे एक और कनाडाई व्यक्ति की जान चली गई। हम अपने प्रांत और अपने देश के प्रति उनकी सेवा को कभी नहीं भूलेंगे।"
पिछले हफ्ते, ब्रिटिश कोलंबिया के रेवेलस्टोक के पास एक पेड़ गिरने से 19 वर्षीय फायरफाइटर डेविन गेल की मौत हो गई थी।
वर्तमान में, पूरे कनाडा में लगभग 900 आग की घटनाएं हुई हैं, जिनमें 553 ऐसी हैं जिन्हें "नियंत्रण से बाहर" माना जा रहा है।
देश ने एक साल में जंगल की आग से जलने वाले सबसे बड़े क्षेत्र के अपने रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है।
इस साल अब तक, जंगल की आग ने कनाडा में 24 मिलियन एकड़ से अधिक भूमि को नष्ट कर दिया है। यह क्षेत्र लगभग आइसलैंड या अमेरिकी राज्य इंडियाना के आकार का है।
आग से निकलने वाले धुएं के कारण अमेरिका के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता संबंधी सलाह दी गई है और लाखों अमेरिकियों को चेतावनियां दी गई हैं। (आईएएनएस)।
चीन में ऐसे जीवाश्म मिले हैं जिनसे छोटी चोंच वाले डायनासोर के कुछ स्तनधारी जीवों का भोजन होने के संकेत मिल रहे हैं. दोनों जीवों के एक दूसरे में लिपटे हड्डियों के ढांचे को देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है.
चीन का पॉम्पेई कहे जाने वाले उत्तर पूर्वी इलाके में यह जीवाश्म 2012 में एक किसान को मिला था. करोड़ों साल पहले इस क्षेत्र में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण पेड़-पौधे और जानवर जमीन में दब गए थे. साइटिंफिक रिपोर्ट नामक जर्नल में छपे आलेख के मुताबिक बैजर जैसे एक स्तनधारी जीव और डायनासोर के ये कंकाल करीब 12.5 करोड़ साल पुराने हैं. हालांकि स्तनपायी जीव का शरीर काफी छोटा है लेकिन रिसर्चरों का मानना है कि उसने डायनासोर पर हमला तब किया होगा जब दोनों ज्वालामुखी विस्फोट में फंसे थे. जो कंकाल मिला है उसमें यह जीव डायनासोर के जबड़े और पिछली टांगों के जोड़ पर पंजे गड़ाए खड़ा है जबकि उसके दांत डायनासोर की पसलियों के पास गड़े हैं.
अनोखा नजारा
कनाडा के म्यूजियम ऑफ नेचर में जीवाश्मविज्ञानी जॉर्डन मैलन इस रिसर्च रिपोर्ट के लेखक हैं. उनका कहना है, "मैंने ऐसा जीवाश्म पहले कभी नहीं देखा." मैलन ने बताया कि स्तनधारी जीव डायनासोर का मांस खाते हैं, यह पहले भी देखा गया है. इससे पहले ऐसे अवशेष मिले थे जिसमें एक स्तनपायी के पेट में डायनासोर के अंश मिले थे लेकिन यह नई खोज बताती है कि शायद ये जीव सिर्फ मरे हुए डायनासोर ही नहीं खाते थे बल्कि उनका शिकार भी करते थे. इसका मतलब ये है कि जिस वक्त में डायनासोर को सबसे बलशाली समझा जाता है, यह कहानी उस समझ को उलट देती है.
इस रिपोर्ट पर काम करने वाले रिसर्चर यह स्वीकार करते हैं कि चीन के इस इलाके में मिलने वाले जीवाश्मों के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं हुई हैं, जिसकी चिंता इस शोध में भी रही. हालांकि मैलन बताते हैं कि किसान को मिले कंकाल और पत्थरों का अध्ययन करने के बाद रिसर्चरों को पूरा भरोसा है कि यह जीवाश्म फर्जी नहीं है और इस बारे में आगे वैज्ञानिक शोध होनी चाहिए.
कौन है स्तनपायी जीव
जिस जीव के अवशेष मिले हैं, वह आकार में घरेलू बिल्ली की तरह है. मांस खाने वाला यह जीव वैज्ञानिक भाषा में रिपेनोमैमस रोबस्टस कहलाता है. डायनासोर की जिस प्रजाति का यह शिकार करता दिख रहा है, उसकी तोते जैसी चोंच है लेकिन वह एक मध्यम आकार के कुत्ते जितना बड़ा है. यह प्रजाति शाकाहारी थी जबकि दूसरे डायनासोर मांसाहारी भी थे. हालांकि डायनासोर तब भी स्तनापायी जीवों को ज्यादा खाते थे लेकिन अब यह भी साफ है कि वो छोटे जीव बिल्कुल बेबस नहीं थे.
एसबी/एनआर (एपी, एएफपी)
न्यूयॉर्क, 20 जुलाई । एक भारतीय-अमेरिकी जोड़े पर कई आरोप लगाए गए हैं जिसमें एक कर्मचारी के दस्तावेजों को जब्त करना, उसे न्यूनतम वेतन पर नौकरी पर रखना शामिल है।
रिचमंड में एक संघीय जूरी ने बुधवार को 30 वर्षीय हरमनप्रीत सिंह और 42 वर्षीय कुलबीर कौर के खिलाफ कुल छह आरोप लगाए।
आरोपों में जबरन श्रम कराने, वित्तीय लाभ के लिए विदेशी आश्रय, दस्तावेज़ जब्त करना सहित धोखाधड़ी के कई आरोप शामिल हैं।
अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, मार्च 2018 और मई 2021 के बीच, हरमनप्रीत और कुलबीर ने कथित तौर पर पीड़ित को अपने स्टोर पर श्रम और सेवाएं प्रदान करने के लिए मजबूर किया।
न्याय विभाग ने एक विज्ञप्ति में कहा, पीड़ित ने कैशियर के रूप में काम किया, भोजन तैयार किया, सफाई की और स्टोर को संभाले रखा।
अभियोग में आरोप लगाया गया कि दंपति ने पीड़ित के आव्रजन दस्तावेजों को जब्त कर लिया और उसका शारीरिक शोषण किया। उसे रहने की खराब स्थिति दी गई, और कम पैसे देकर लंबे समय तक काम करवाया।
अभियोग में आगे आरोप लगाया गया है कि प्रतिवादियों ने वित्तीय लाभ के लिए पीड़ित का वीजा समाप्त होने के बाद उसे शरण दी।
जबरन श्रम के आरोप में अधिकतम 20 साल की जेल का प्रावधान है।
एक संघीय जिला अदालत अमेरिकी दिशानिर्देशों और अन्य वैधानिक कारकों पर विचार करने के बाद सजा का निर्धारण करेगी। (आईएएनएस)।
टोरंटो, 20 जुलाई । टोरंटो और उसके आसपास करोड़ों डॉलर के ऑटो और कार्गो चोरी गिरोह में शामिल होने के आरोप में 15 भारतीय-कनाडाई लोगों को गिरफ्तार किया गया है, इनमें ज्यादातर ब्रैम्पटन के पंजाबी हैं।
गिरोह माल से भरे ट्रैक्टर ट्रेलरों को चुरा लेता था और चोरी किए गए उत्पादों को अनजान लोगों को बेच देता था।
गिरफ्ताार 15 आरोपियों बलकार सिंह (42), अजय (26), मंजीत पद्दा (40), जगजीवन सिंह (25), अमनदीप बैदवान (41), करमशंद सिंह (58), जसविंदर अटवाल (45), लखवीर सिंह (45), जगपाल सिंह (34), उपकरण संधू (31), सुखविंदर सिंह (44), कुलवीर बैंस (39), इदर लालसरन (39), शोबित वर्मा (23), और सुखनिंदर ढिल्लों (34 के पास से चोरी के 28 ट्रैक्टर-ट्रेलर बरामद किए हैं और चोरी किए गए माल के 28 कंटेनर जब्त किए हैं।
बरामद ट्रेलरों और कार्गो की कीमत 9.24 मिलियन डॉलर आंकी गई है।
पुलिस प्रवक्ता मार्क हेवुड ने कहा: “इस जांच के परिणामस्वरूप, जीटीए (ग्रेटर टोरंटो एरिया) के भीतर छह स्थानों को लक्षित किया गया और वारंट जारी किए गए। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि जांच के परिणामस्वरूप 6.99 मिलियन डॉलर मूल्य के चोरी हुए माल के 28 कंटेनर बरामद हुए। 2.25 मिलियन डॉलर मूल्य के 28 अतिरिक्त चोरी हुए ट्रैक्टर और ट्रेलर बरामद किए गए। कुल मूल्य: 9.24 मिलियन डॉलर के सामाान की बरामदगी की गई ।"
टोरंटो और आसपास के क्षेत्रों के पुलिस बलों द्वारा संयुक्त रूप से चलाए गए "प्रोजेक्ट बिग रिग" के तहत इंडो-कैनेडियन ऑटो चोरी गिरोह का भंडाफोड़ किया गया। (आईएएनएस)।
कुछ वक़्त पहले स्वीडन में इराक़ी मूल के एक व्यक्ति ने क़ुरान जलाई थी.
इस व्यक्ति ने तब क़ुरान फिर से जलाए जाने की धमकी दी थी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, क़ुरान फिर से जलाए जाने की आशंका के बीच इराक़ में स्वीडन के दूतावास पर सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने धावा बोला है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स लिखता है कि दूतावास के सभी स्टाफ़ सुरक्षित हैं. स्वीडन के विदेश मंत्रालय ने इस हमले की निंदा की है.
इससे पहले 29 जून को भी बग़दाद स्थित स्वीडन के दूतावास पर प्रदर्शनकारियों ने हमला बोला था.
स्वीडन में क़ुरान जलाए जाने की घटना की कई देशों ने निंदा की थी और स्वीडन सरकार से नाराज़गी जताई थी.
28 जून को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम की सेंट्रल मस्जिद के बाहर एक व्यक्ति ने क़ुरान की एक प्रति को फाड़ा और फिर उसे जला दिया था.
पुलिस ने जिस व्यक्ति को गिरफ़्तार किया था, उनका नाम सलवान मोमिका था.
सलवान की उम्र 37 साल है और ख़बरों की मानें तो वो कई साल पहले इराक़ से भागकर स्वीडन आ गए थे.
सलवान ने कहा था, ''मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अहमियत पर ध्यान दिलवाना चाहता था. ये लोकतंत्र है और अगर वो ये कहेंगे कि हम ऐसा नहीं कर सकते हैं तो ये ख़तरे में है.''(bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 19 जुलाई। इस्लामाबाद में भारी बारिश के बाद एक इमारत की दीवार गिरने से बुधवार को 11 श्रमिकों की मौत हो गई जबकि छह अन्य घायल हो गये। एक अधिकारी ने यहां इसकी जानकारी दी ।
स्थानीय पुलिस अधीक्षक (एसपी) खान जेब ने 11 श्रमिकों के मौत की पुष्टि की है । उन्होंने बताया कि मलबे से 11 शव बरामद किये गये हैं ।
पुलिस ने बताया कि हादसे के सभी छह घायलों को 'पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज' में भर्ती करवाया गया है, जहां वे सब खतरे से बाहर हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने घटना पर "गहरा दुख और शोक" जताया है ।
पाकिस्तान में पिछले कई दिनों से भारी बारिश हो रही है । (भाषा)
स्पेन के मायोर्का द्वीप पर सामूहिक बलात्कार के आरोप में पांच जर्मन युवकों को हिरासत में लिया गया है. इनमें से एक शख्स पर बलात्कार के दौरान महिला का वीडियो बनाने का भी आरोप लगा है.
आरोप लगने के बाद पांचों युवकों को पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. पुलिस के मुताबिक, बुधवार की रात जर्मनी से आए 21 से 23 साल की उम्र के बीच के 5 पर्यटकों ने 18 साल की पर्यटक को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया. स्पेन में आरोपियोंको सुनवाई से पहले लंबी हिरासत का सामना करना पड़ता है. अपराध साबित होने पर उन्हें 12 साल तक की जेल की सजा हो सकती है.
पांच आरोपी हिरासत में एक रिहा
जर्मन युवकों के समूह में शामिल छठे युवक को आजाद कर दिया गया है. पाल्मा की अदालत में सुनवाई के बाद इन्हें हिरासत में भेजने का आदेश दिया गया. अदालत के एक प्रवक्ता के अनुसार, न्यायाधीश ने पांचों संदिग्धों को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया. पुलिस के अनुसार, महिला की मुलाकात प्लाया डे पाल्मा समुद्र तट पर एक जर्मन व्यक्ति से हुई. जिसके बाद वह कमरे में आने के लिए तैयार हुई, लेकिन होटल ने इसके लिए मना कर दिया क्योंकि वह उनकी गेस्ट नहीं थी.
पुलिस ने बताया कि इसके बाद वे पास के एक दूसरे होटल में गए जहां उस व्यक्ति के पांच दोस्त ठहरे हुए थे. वे कमरे में आये, जिसमें से चार लोगों ने महिला पर सेक्स के लिए दबाव डाला. एक संदिग्ध ने अपने मोबाइल फोन से इसका वीडियो भीबनाया. पुलिस ने बताया कि इसके बाद महिला बाहर आने में कामयाब हो गई. वहां से, महिला ने होटल रिसेप्शनिस्ट की मदद से पुलिस को सूचना दे दी थी. जिसके बाद गुरुवार की सुबह होटल से पांच लोगों को और शुक्रवार को छठे आरोपी को गिरफ्तार किया. युवा जर्मनों में से एक ने महिला के सामने स्वीकार किया कि उन्होंने हद पार की थी.
जांच में लंबा समय लग सकता है
युवा जर्मन महिला को जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया. मौजूदा मामले में छह लोगों को शनिवार पाल्मा अदालत में लाया गया. स्पेन में जांच में अक्सर लंबा समय लग जाता है. प्री-ट्रायल हिरासत दो साल तक चल सकती है, जिसे जरूरत पड़ने पर बढ़ाया भी जा सकता है. सामूहिक बलात्कार को एक गंभीर अपराध है, जिसके लिए स्पेन में 12 साल तक की जेल की सजा मिल सकती है. स्पेन के मायोर्का द्वीप पर बड़ी संख्या में जर्मन लोग छुट्टियां बिताने जाते हैं. हालांकि इस तरह के अपराध की घटना कम ही सुनाई देती है.
पीवाई/एनआर (एपी, डीपीए)
बर्लिन के एक स्टार्ट अप ने ऐसा उपकरण बनाया है जिसमें लगे ताकतवर सेंसर इलेक्ट्रॉनिक नाक की तरह काम करते हैं. यह जंगल में आग लगने पर उसकी जानकारी देने में इस्तेमाल होगी.
मिनटों में जंगली आग सूंघने वाले इन सेंसरों का परीक्षण जर्मनी के ब्रांडनबुर्ग इलाके में चल रहा है जो सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र है. उत्तरपूर्व जर्मनी के एबर्सवाल्ड जंगलों में इस उपकरण के लिए पहुंचे हैं ड्राएआड नेटवर्क्स नाम के स्टार्ट अप के सह-संस्थापक युर्गेन मूलर. यह उपकरण दो साल पहले बनाया गया था. इसमें बेहद संवेदनशील सेंसर लगे हैं जिन्हें जर्मनी की इंजीनियरिंग फर्म बॉश ने बनाया है. मूलर बताते हैं कि यही सेंसर नाक की तरह काम करते हैं जिन्हें पेड़ों पर लगाया गया है. ये सेंसर तापमान, आर्द्रता और हवा के दबाव का भी पता लगाता है. मूलर ने बताया, "हम 10-15 मिनट में धधकती आग का पता लगा सकते हैं, इससे पहले कि वह फैल जाए."
कैसे काम करता है सेंसर
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से यह सेंसर जंगल में शुरूआती आग और दूसरी लपटों के बीच अंतर बता सकता है जैसे किसी डीजल ट्रक से निकली भभक. एबर्सवाल्ड में मौजूद अपनी लैब में मूलर इस उपकरण को अलग-अलग किस्म की जंगली आग के बीच भेद करना भी सिखा रहे हैं. इसके लिए वह कई तरह की लकड़ियों से निकलने वाले धुएं का इस्तेमाल करते हैं. इससे सेंसर को यह पता चलता है कि किस तरह की आग लगी है. जैसे ही आग का पता चलता है, डाटा एक क्लाउड मॉनिटरिंग सिस्टम में जाता है और स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना तुरंत मिलती है.
पायलट परियोजना के तहत एबर्सवाल्ड जंगलों में करीब 400 सेंसर लगाए गए हैं यानी हर एक हेक्टेयर पर एक उपकरण की व्यवस्था की गई है. ड्राएआड नेटवर्क्स का कहना है कि अमेरिका, ग्रीस और स्पेन समेत दुनिया भर के दस देशों में इस सेंसर का परीक्षण चल रहा है. कंपनी ने पिछले ही साल 10,000 सेंसर बेचे हैं.
बड़े काम की नाक
ब्रांडनबुर्ग जंगल में फॉरेस्ट फायर प्रोटेक्शन अधिकारी रायमुंड एंगेल का मानना है कि यह सेंसर जंगल में आग का पता लगाने का बेहतर माध्यम है. 105 टावरों के ऊपर लगे कैमरा 360 डिग्री घूम कर आस-पास की जमीन की निगरानी करते हैं जो पहले इंसानों का काम था. एंगेल इन कैमरों की मदद से निकली तस्वीरों को बहुत करीब से जांचते हैं और खतरे का पता लगते ही अलार्म बजाते हैं. 2022 में जंगलों में 521 आग के मामलों में ब्रांडेनबुर्ग सबसे ज्यादा बुरी तरह प्रभावित रहा. एंगले कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन की वजह से जंगलों वाले इलाकों में मौसम काफी हद तक भूमध्यसागरीय इलाकों की तरह है जहां तापमान 40 डिग्री तक पहुंच जाता है. जितनी जल्दी आग का पता चलेगा, हालात को उतनी जल्दी काबू में लाया जा सकता है.
एसबी/एनआर (एएफपी)
अमेरिकी कंपनी एली लिली ने अल्जाइमर की एक दवा बनाने में कामयाबी हासिल की है. अल्जाइमर के शुरुआती दौर से गुजर रहे 1200 लोगों पर इसका परीक्षण किया गया है.
क्लीनिकल ट्रायल्स के बाद सोमवार को संज्ञानात्मक गिरावट को धीमा करने वाली अल्जाइमर की दूसरी दवा के प्रभावकारी असर के बारे में अमेरिका के एक जर्नल में रिपोर्ट छपी है. यह दवा हर चार सप्ताह पर इंजेक्शन के रूप में ली जाती है. दवा बनाने वाली कंपनी एली लिली को उम्मीद है कि साल के आखिर तक अमेरिकी नियामक एजेंसी से इस दवा को मंजूरी मिल जाएगी. कई विशेषज्ञों ने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया है. हालांकि कुछ लोगों ने उच्च लागत और जानलेवा दुष्प्रभावों के जोखिमों को ध्यान में रखते हुए सावधानी बरतने को कहा है.
बीमारी के लक्षणों में 35 फीसदी की कमी
अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, अल्जाइमर रोग के शुरुआती चरण का सामना कर रहे लगभग 1,200 लोगों पर इस दवा के असर का विश्लेषण किया गया. डोनानेमब नाम की इस दवा ने प्लेसिबो की तुलना में 18 महीने की अवधि में लक्षणों की प्रगति को 35 प्रतिशत तक कम कर दिया. इस दौरान, लोगों के संज्ञानात्मक परीक्षणों के नतीजों और दैनिक कार्यों को पूरा करने की क्षमता को मापा गया था.
यूके डिमेंशिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के अंतरिम निदेशक जाइल्स हार्डिंगम ने एक बयान में कहा, "यह पहली जेनरेशन की दवाएं परिपूर्ण नहीं हैं, लेकिन एक महत्वपूर्ण सफलता भी हैं." उन्होंने आगे कहा कि यह समझना जरूरी है कि अल्जाइमर एक जटिल बीमारी है और इस बीमारी में अमाइलॉइड बीटा महज एक एलिमेंट है.
3 लोगों की मौत
नए परिणामों के साथ अमेरिकी मेडिकल एसोसएशन के जर्नल में लिखे एक संपादकीय में, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को के एरिक विडेरा और उनके सहयोगियों ने कहा कि यह घोषणा जल्दबाजी होगी कि नई दवाएं लंबे समय तक फायदेमंद होंगी.
उन्होंने कहा कि डोनानेमैब और लेकेम्बी अल्जाइमर का इलाज नहीं करते हैं. यह बस स्थिति को थोड़ा कम खराब करते हैं. डोनानेमब और लेकेम्बी के अध्ययन में तीन मौतें भी हुईं जो संभवतः उन उपचारों के कारण हुईं जिनसे मस्तिष्क में रक्तस्राव हुआ. इस दवा को आम लोगों के इलाज के लिए उतारने से पहले थोड़ी और जानकारी जुटानी होगी कि 18 महीने के मरीजों पर क्या असर हुआ. क्या उनकी संज्ञानात्मकता का धीमा होना जारी रहा या फिर मामला उलट गया.
अल्जाइमर के इलाज में 80 फीसदी खर्च मेडिकेयर से आता है लेकिन मरीजों को बाकी का खर्च खुद ही उठाना होता है जो हजारों डॉलर का होता है. इसदावा के परीक्षण में शामिल लोगों में 96 फीसदी गोरे थे. अल्जाइमर से पीड़ित लोगों में ज्यादा बड़ी संख्या काले और लैटिनो लोगों की हैं. इसका मतलब है कि परीक्षण के दौरान डेमोग्राफी का ध्यान नहीं रखा गया.
पीवाई/एनआर (एएफपी)
नया सितारा बृहस्पति से छोटा है और उसकी आंच चूल्हे से भी कम है. यह भूरा ड्वार्फ स्टार एक दुर्लभ खोज है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
सिडनी यूनिवर्सिटी के फिजिक्स विभाग से पीचएडी कर रहे कोवी रोज और उनके साथियों ने अब तक का सबसे ठंडा सितारा खोजा है, जो अभी भी रेडिएशन उत्सर्जित कर रहा है. कोवी रोज कहते हैं कि इस खोज से सितारों के विकास को समझने में मदद मिलेगी.
खगोलविदों ने जो नया सितारा खोजा है, वह एक भूरा ड्वॉर्फ स्टार है और इसका व्यास बृहस्पति से करीब दो तिहाई है. अनूठी बात यह है कि यह आज भी रेडिएशन छोड़ रहा है यानी इसकी आंच अभी पूरी तरह बुझी नहीं है.
चूल्हे जितना गर्म
शोध के मुताबिक यह बेहद ठंडा सिकुड़ता सितारा गैसों का एक गोला है जिसका तापमान 425 डिग्री सेंटिग्रेट के आसपास है, जो ठंडे होते एक चूल्हे का तापमान होता है. यह कितना ठंडा है इसका अनुमान सूरज की सतह से लगाया जा सकता है. सूरज एक परमाणु भट्टी है जिसका तापमान लगभग 5,600 डिग्री सेंटिग्रेट है.
द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में इस शोध के निष्कर्ष प्रकाशित हुए हैं. शोध कहता है कि ऐसा नहीं है कि यह अब तक का मिला सबसे ठंडा सितारा है लेकिन रेडियो एस्ट्रोनॉमी से विश्लेषित यह सबसे ठंडा सितारा है.
मुख्य शोधकर्ता कोवी रोज कहते हैं, "इतने ठंडे ड्वॉर्फ का रेडियोधर्मी विकिरण उत्सर्जित करना दुर्लभ होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि आमतौर पर ऐसे सितारों पर वो मैग्नेटिक फील्ड नहीं होता, जिसे धरती से आंका जा सके. इतने कम तापमान वाले बौने सितारे का रेडियो तरंगें छोड़ना एक अनूठी खोज है.”
रोज कहते हैं कि इस खोज से ठंडे होते सितारों के बारे में हमारी समझ बढ़ेगी और हम समझ पाएंगे कि सितारों का विकास कैसे होता है और वे मैग्नेटिक फील्ड कैसे पैदा करते हैं.
कैसे पैदा होती हैं तरंगें
इस बारे में अभी ज्यादा जानकारी हासिल नहीं है कि भूरे बौने सितारे कभी-कभी रेडियो तरंगें कैसे पैदा करते हैं. हालांकि खगोलविद जानते हैं कि सूर्य जैसे बड़े सितारे, जो अपने चरम पर होते हैं, वे मैग्नेटिक फील्ड और रेडियो तरंगें पैदा करते हैं. लेकिन इस बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं है कि 10 फीसदी से भी कम ड्वॉर्फ स्टार ही ऐसी तरंगें क्यों पैदा करते हैं.
माना जाता है कि इन सितारों का तेजी से घूमने की मैग्नेटिक फील्ड के पैदा होने में कोई भूमिका होगी. जब मैग्नेटिक फील्ड सितारे के वातावरण से भिन्न गति से घूमता है तो इससे विद्युतीय तरंगें पैदा हो सकती हैं.
ताजा खोज के मामले में माना गया है कि सितारे के ध्रुवीय क्षेत्र में चुंबकीय प्रभाव की ओर इलेक्ट्रॉन के बहाव के कारण रेडियो तरंगें पैदा हो रही हैं और सितारे की गति के कारण बार-बार रेडियो तरंगें बन रही हैं, जिन्हें पृथ्वी से भी आंका जा सकता है.
भूरे बौने सितारों को यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि उनमें बहुत कम ऊर्जा या प्रकाश होता है और वे इतने बड़े नहीं होते कि उनमें न्यूकलियर फ्यूजन हो सके, जैसा कि सूर्य में होता है.
रोज बताते हैं, "ये सितारे न्यूकलियर रिएक्शन में हाइड्रोजन जलाने वाले सबसे छोटे सितारों और गैसीय ग्रहों के बीच का वह अंतर है, जिसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है." (dw.com)
ऑस्ट्रेलिया में समुद्री तट पर एक 'रहस्यमयी अज्ञात चीज' नज़र आई है. इसे देखने के बाद से स्थानीय लोग हैरान हैं और इसे लेकर खूब चर्चा हो रही है.
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के ग्रीन हेड बीच पर दिखी सिलेंडर नुमा इस चीज को लेकर पुलिस भी हैरान है.
पुलिस इसकी जांच कर रही है और फिलहाल उनका मानना है कि यह किसी कॉमर्शियल विमान का हिस्सा नहीं है.
पुलिस अभी इसे 'जोखिम भरा' बता रही है और लोगों से अपील की गई है कि वो इससे दूरी बनाकर रहें.
संदिग्ध वस्तु की जांच में सेना और ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष एजेंसी भी जुटी है.
ऑस्ट्रेलिया की स्पेस एजेंसी ने कहा है कि यह किसी 'विदेशी अंतरिक्ष रॉकेट' का बेकार ईंधन सिलिंडर हो सकता है. वहीं, विशेषज्ञों ने कहा है कि अगर यह ईंधन सिलेंडर है तो इसमें विषैले पदार्थ हो सकते हैं और यह किसी भारतीय रॉकेट का हो सकता है. (bbc.com/hindi)
वाशिंगटन, 17 जुलाई । अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारतीय-अमेरिकी बिजनेस लीडर शमीना सिंह को राष्ट्रपति निर्यात परिषद में चुने जाने की घोषणा की है। परिषद अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संबंध में प्रमुख राष्ट्रीय सलाहकार समिति के रूप में कार्य करती है।
शमीना मास्टरकार्ड सेंटर फॉर इनक्लूसिव की संस्थापक और अध्यक्ष हैं। अपनी नियुक्ति पर उन्होंने कहा कि “मैं सम्मानित नेताओं के समूह में शामिल होकर बेहद सम्मानित महसूस कर रही हूं। अपने करियर के शुरुआती दिनों से, मेरा लंबे समय तक चलने वाले और समावेशी निर्माण करने में मदद करने वाले काम की तरफ झुुुुकाव रहा है।
उन्होंने कहा, "मैं परिषद में सेवा करने के लिए उत्सुक हूं। इससे दुुुुनिया के हित में अमेरिका की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का अवसर मिलेगा।” उनके नेतृत्व ने मास्टरकार्ड ने वैश्विक नेतृत्व में योगदान दिया है
2018 में, मास्टरकार्ड ने शुरुआती 500 मिलियन डॉलर के साथ मास्टरकार्ड इम्पैक्ट फंड बनाया। शमीना को इसका अध्यक्ष बनाया गया। सार्वजनिक सेवा के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध सिंह ने वरिष्ठ पदों पर कार्य किया है। वह राष्ट्रपति सलाहकार आयोग की प्रथम कार्यकारी निदेशक थीं। वह एंटी-डिफेमेशन लीग और एन रिचर्ड्स के बोर्ड में कार्यरत हैं
शमीना ने हार्वर्ड, येल, स्टैनफोर्ड और इंडियन स्कूल ऑफ से पढ़ाई की है। उन्होंने ओल्ड डोमिनियन यूनिवर्सिटी से विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की। लिंडन बी जॉनसन स्कूल ऑफ पब्लिक से पब्लिक अफेयर्स में मास्टर डिग्री की।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति की निर्यात परिषद समिति अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर प्रमुख राष्ट्रीय सलाहकार के रूप में कार्य करती है। परिषद राष्ट्रपति को सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों पर सलाह देती है। (आईएएनएस)।
काबुल, 17 जुलाई । पाकिस्तान में शरण लेने वाली प्रसिद्ध अफगान गायिका हसीबा नूरी की खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अज्ञात हमलावरों के हमले में मौत हो गई। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
अफगानिस्तान स्थित एएमयू टीवी ने बताया कि हत्या के पीछे का मकसद अज्ञात है।
सूत्रों ने रविवार को कहा कि पाकिस्तानी पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है।
नूरी के दोस्त और साथी गायक खोसबो अहमदी ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए नूरी की मौत की पुष्टि की।
हालाँकि, उनकी मृत्यु की परिस्थितियों के बारे में कोई और विवरण नहीं दिया गया।
एएमयू टीवी ने बताया, लगभग एक साल पहले अफगानिस्तान छोड़ने के बाद, नूरी को इस्लामाबाद में शरण मिल गई थी, जहां उसने धीरे-धीरे अपनी कलात्मक गतिविधियां फिर से शुरू कर दी थीं।
उन्हें आधुनिक शैली में प्रस्तुत पारंपरिक लोक गीतों की मनमोहक प्रस्तुतियों के लिए जाना जाता था। (आईएएनएस)।
हैम्पटन (अमेरिका), 17 जुलाई। अमेरिका के जॉर्जिया राज्य में गत सप्ताहांत चार लोगों की गोली मारकर हत्या करने का आरोपी पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया।
अधिकारियों ने बताया कि संदिग्ध को हिरासत में लेने की कोशिश के दौरान हुई मुठभेड़ में एक शेरिफ अधिकारी और दो पुलिस अधिकारी भी घायल हो गए।
उन्होंने बताया कि 40 वर्षीय आंद्रे लॉन्गमोर को पकड़ने के अभियान के दौरान वह मारा गया। उस पर शनिवार सुबह अटलांटा उपनगर में तीन पुरुषों तथा एक महिला की गोली मारकर हत्या करने का आरोप था।
क्लेटन काउंटी पुलिस ने बताया कि हेनरी काउंटी के शेरिफ अधिकारी ने वह कार देखी जिसे लॉन्गमोर ने चुराया था और उन्होंने उसका पीछा करना शुरू कर दिया।
क्लेटन पुलिस ने बताया कि लॉन्गमोर के साथ मुठभेड़ के बाद वह भाग गया। उसे आखिरकार एक हाई स्कूल के पास मार गिराया गया।
उन्होंने बताया कि लॉन्गमोर को गिरफ्तार करने की कोशिश में हेनरी काउंटी के शेरिफ अधिकारी और क्लेटन के दो पुलिस अधिकारी अलग-अलग स्थानों पर घायल हो गए।
क्लेटन काउंटी पुलिस के प्रमुख केविन रॉबर्ट्स ने बताया कि सभी तीनों अधिकारियों के स्वस्थ हो जाने की उम्मीद है।
हैम्पटन पुलिस प्रमुख जैम्स टर्नर ने बताया कि शनिवार को मारे गए चारों लोग डॉगवुड लेक्स इलाके के रहने वाले थे जहां लॉन्गमोर रहता था तथा वे सभी 10 मिनट के भीतर ही मारे गए।
एपी गोला सिम्मी सिम्मी 1707 0825 हैम्पटन (एपी)
कराची, 16 जुलाई। पाकिस्तान के सिंध प्रांत की राजधानी कराची में करीब 150 साल पुराने एक हिंदू मंदिर को पुराना और खतरनाक ढांचा बताते हुए ध्वस्त कर दिया गया।
मंदिर ध्वस्त किये जाने के बाद इलाके में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोग दहशत में हैं।
कराची के सोल्जर बाजार में स्थित मारी माता मंदिर को शुक्रवार देर रात भारी पुलिस बल की मौजूदगी में बुलडोजर की मदद से ढहा दिया गया।
क्षेत्र में हिंदू मंदिरों की देखभाल करने वाले रामनाथ मिश्रा महाराज ने कहा, "उन्होंने (अधिकारियों ने) देर रात मंदिर को गिरा दिया और हमें इसकी कोई जानकारी नहीं थी कि ऐसा होने वाला है।"
मिश्रा ने कहा कि अधिकारियों ने मंदिर के बाहरी दीवारों और मुख्य द्वार को बरकरार रखा, लेकिन उन्होंने अंदर की पूरी संरचना को ध्वस्त कर दिया।
उन्होंने कहा कि मंदिर करीब 150 साल पहले बनाया गया था और कहा जाता था कि मंदिर के प्रांगण में खजाना दबा हुआ था।
उन्होंने कहा कि मंदिर 400 से 500 वर्ग गज क्षेत्र में बना था और वर्षों से मंदिर की भूमि को हड़पने का प्रयास किया जा रहा था।
स्थानीय थाने के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया, क्योंकि इसे अधिकारियों द्वारा खतरनाक संरचना घोषित किया गया था।
उन्होंने बताया कि मंदिर कराची के मद्रासी हिंदू समुदाय द्वारा संचालित था और वे लोग इस बात से सहमत थे कि संरचना बहुत पुरानी और खतरनाक थी।
अधिकारी ने कहा कि मंदिर प्रबंधन ने भारी मन से देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को एक छोटे कमरे में स्थानांतरित कर दिया।
हिंदू समुदाय के स्थानीय नेता रमेश ने कहा कि मंदिर प्रबंधन पिछले कुछ समय से परिसर खाली करने के दबाव में था, क्योंकि मंदिर के जमीन को जाली दस्तावेजों के आधार पर एक ‘डेवलपर’ को बेच दिया गया था।
‘डेवलपर’ मंदिर जमीन पर एक व्यावसायिक इमारत बनाना चाहता है।
हिंदू समुदाय ने पाकिस्तान-हिंदू परिषद, सिंध के मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली शाह और सिंध पुलिस के महानिरीक्षक से तत्काल मामले का संज्ञान लेने की अपील की है।
पाकिस्तान की अधिकांश हिंदू आबादी सिंध प्रात में बसी है। यहां हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। (भाषा)
सिंगापुर, 16 जुलाई । म्यांमार की एक घरेलू नौकरानी, जिसने 2018 में अपने नियोक्ता के परिवार की 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला को 26 बार चाकू मारा था, को सिंगापुर में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
द स्ट्रेट्स टाइम्स की हाल की रिपोर्ट के अनुसार, जिन मार न्वे, जो अब 22 साल की है, उसे हाईकोर्ट ने इस साल मई में हत्या का दोषी पाया। उसने महिला के दुर्व्यवहार से तंग आकर और उसे म्यांमार वापस भेजने की धमकी देने के बाद यह खौफनाक कदम उठाया।
कोर्ट को बताया गया कि 25 जून 2018 को, दोनों महिलाएं फ्लैट में अकेली थीं, जब जिन ने रसोई से चाकू उठाया और बुजुर्ग महिला पर कई बार वार किए।
फिर वह कुछ कैश लेकर भाग गई और अपना पासपोर्ट मांगने के लिए एजेंसी में गई, जहां कुछ घंटों के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, गिरफ्तारी के बाद नौकरानी ने शुरू में पीड़िता को चाकू मारने से इनकार किया लेकिन बाद में स्वीकार कर लिया।
जिन ने कहा कि बुजुर्ग महिला ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया था।
उसने बताया कि बुजुर्ग महिला 26 मई, 2018 को अपने नियोक्ता के परिवार के साथ रहने के लिए आई थी। वह जिन को उसके सिर या पीठ पर मारती थी।
जिन ने कहा कि एक बार, जब वह बुजुर्ग महिला की मालिश कर रही थी, तो जरा सा दर्द होने पर उसने उसे थप्पड़ मार दिया। इसके बाद बुजुर्ग महिला ने जिन को वापस उसके देश भेजने की धमकी दी।
जिन के वकील क्रिस्टोफर ब्रिजेस ने तर्क दिया कि डॉक्टर टॉमी टैन की मनोचिकित्सक की राय पर भरोसा करते हुए उसे गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि उसने आवेश में ये कदम उठाया।
बचाव पक्ष को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति आंद्रे मनियम ने कहा कि जिन को पता था कि वह बुजुर्ग महिला को चाकू मार रही है।
न्यायमूर्ति मनियम ने कहा कि ज़िन को घटना का विवरण याद है और वह पुलिस को छुरा घोंपने की घटना का वर्णन करने में सक्षम थी, जिससे डॉ. टैन का यह निष्कर्ष कमजोर हो गया कि उसका दिमाग इस बात को लेकर सचेत नहीं था कि वह क्या कर रही थी। (आईएएनएस)।
हैम्पटन (अमेरिका), 16 जुलाई। अमेरिका के जॉर्जिया राज्य में प्राधिकारी एक व्यक्ति की तलाश कर रहे हैं जिस पर अटलांटा उपनगर में तीन पुरुषों तथा एक महिला की गोली मारकर हत्या करने का संदेह है।
हैम्पटन पुलिस प्रमुख जेम्स टर्नर ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि ऐसा माना जा रहा है कि संदिग्ध आंद्रे लॉन्गमोर (40) के पास हथियार है और वह खतरनाक हो सकता है।
गोलीबारी की यह घटना शनिवार सुबह हुई।
अधिकारियों ने हत्या के बारे में बहुत कम जानकारियां दी हैं। टर्नर ने बताया कि एक ही इलाके में एक के बाद एक चार शव मिले हैं। लॉन्गमोर हैम्पटन का रहने वाला है लेकिन उन्होंने इस घटना के पीछे के कारणों की जानकारी नहीं दी।
आरोपी हत्याओं के बाद से फरार है और प्राधिकारी उसकी तलाश कर रहे हैं। वे एक कार की भी तलाश कर रहे हैं जिसमें लॉन्गमोर हो सकता है। उसके बारे में सूचना देने वाले व्यक्ति के लिए 10,000 डॉलर का इनाम भी घोषित किया गया है।
आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में इस साल सामूहिक गोलीबारी की यह 31वीं घटना है और इनमें अब तक कम से कम 153 लोग मारे जा चुके हैं।
एपी गोला शोभना शोभना 1607 0829 हैम्पटन (एपी)
अमेरिका में पिछले 16 दिनों से भयंकर गर्मी पड़ रही है. पूरे दक्षिण-पश्चिम में लू के खतरनाक स्तर पर पहुंचने की चेतावनी जारी की गई है.
राष्ट्रीय मौसम सेवा ने शनिवार को चेतावनी देते हुए कहा कि गर्मी के प्रभाव को कम न समझें.
करीब एक तिहाई अमेरिकी (करीब 11 करोड़) इससे प्रभावित हैं. फ्लोरिडा से कैलिफोर्निया तक और अब वाशिंगटन भी लू की चपेट में है.
दुनिया के सबसे गर्म स्थानों में से एक कैलिफोर्निया की डेथ वैली में तापमान 53 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने का अनुमान है.
लास वेगास और नवादा जैसी जगहों पर कुछ दिनों में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है.
पड़ोसी देश कनाडा में अधिकारियों का कहना है कि औसत से अधिक तापमान के चलते जंगलों में आग लग रही है जिसने अमेरिका के कुछ हिस्सों को धुएं से ढक दिया है. इस आग से अब तक करीब 2.5 करोड़ एकड़ भूमि जल चुकी है.
अमेरिका में गर्मी से संबंधित कारणों के चलते हर साल करीब 700 लोगों की मौत होती है. देश में चिलचिलाती गर्मी के अगले हफ्ते तक बने रहने की उम्मीद है. (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 15 जुलाई। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शनिवार को दावा किया कि उनके देश में खून-खराबा करने वाले आतंकवादियों को पड़ोसी देश अफगानिस्तान में शरण मिल रही है और पाकिस्तान अब इसे सहन नहीं करेगा।
आसिफ ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान पड़ोसी देश होने का कर्तव्य नहीं निभा रहा है और दोहा समझौते का पालन नहीं कर रहा है। पचास से साठ लाख अफगानों को सभी अधिकारों के साथ पाकिस्तान में 40 से 50 वर्ष के लिए शरण प्राप्त है।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन इसके विपरीत पाकिस्तानियों का खून बहाने वाले आतंकवादियों को अफगानी धरती पर पनाह मिल सकती है। इस तरह की स्थिति अब और नहीं चल सकती। पाकिस्तान अपनी सरजमीं और नागरिकों की रक्षा के लिए अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल करेगा।’’
पाकिस्तानी सेना द्वारा अफगानिस्तान को आतंकवादियों को पाकिस्तान में हमलों के लिए अपनी सरजमीं का इस्तेमाल करने से रोकने की चेतावनी देने के एक दिन बाद रक्षा मंत्री ने यह बयान दिया है।
बलूचिस्तान में 13 जुलाई को दो आतंकवादी घटनाओं में 12 सैनिकों के मारे जाने के बाद पाकिस्तान में रोष है।
पाकिस्तानी तालिबान आतंकवादियों के एक समूह ने हमले की जिम्मेदारी ली है। (भाषा)
अबू धाबी, 15 जुलाई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की एक दिवसीय यात्रा पर शनिवार को अबू धाबी पहुंचे। उन्होंने कहा कि वह बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए अरब देश के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान से बातचीत को लेकर उत्साहित हैं।
मोदी का यहां हवाई अड्डे पर पहुंचने पर संयुक्त अरब अमीरात के शहजादे शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान ने गर्मजोशी से स्वागत किया। यह मोदी की संयुक्त अरब अमीरात की पांचवीं यात्रा है।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘अबू धाबी पहुंच गया हूं। मैं भारत-संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने के लिए शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान से मुलाकात करने को लेकर उत्साहित हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज हवाई अड्डे पर मेरा स्वागत करने के लिए शहजादे शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान का आभारी हूं।’’
मोदी फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा संपन्न करने के बाद अबू धाबी पहुंचे हैं। वह फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के साथ विशिष्ट अतिथि के रूप में बैस्टिल दिवस परेड में शामिल हुए थे और उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।
प्रधानमंत्री मोदी को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक एवं सैन्य सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ से नवाजा गया।
मोदी 2015 के बाद से यूएई के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान से वार्ता करेंगे। उन्होंने इससे पहले 2015, 2018, 2019 और 2022 में अरब देश की यात्रा की थी।
प्रधानमंत्री ने यूएई की यात्रा पर रवाना होने से पहले बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा था, ‘‘मैं अपने मित्र शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान से मुलाकात करने के लिए उत्साहित हूं।’’
उन्होंने कहा था, ‘‘दोनों देश व्यापार, निवेश, ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिक्षा, फिनटेक, रक्षा, सुरक्षा और लोगों के बीच परस्पर मजबूत संबंधों जैसे व्यापक क्षेत्रों में सक्रिय हैं।’’
संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा के दौरान मोदी वहां के शीर्ष नेतृत्व के साथ खासतौर पर ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा एवं रक्षा जैसे मुद्दों पर बातचीत कर सकते हैं। इस दौरान दोनों रणनीतिक साझेदार देश एक ऐतिहासिक व्यापार समझौते पर हुई प्रगति की समीक्षा भी करेंगे।
दोनों देशों के बीच आर्थिक भागीदारी को नयी गति देने वाले वृहद आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर कोविड-19 महामारी के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत, यूएई का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और द्विपक्षीय व्यापार 84 अरब डॉलर से अधिक का है। वहीं, यूएई, भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार और दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। यूएई 2022-23 में भारत के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का चौथा सबसे बड़ा स्रोत था।
वह भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए भी एक अहम साझेदार है। यूएई, भारत के लिए कच्चे तेल का तीसरा और एलएनजी एवं एलपीजी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।
संयुक्त अरब अमीरात में प्रवासी भारतीय समुदाय सबसे बड़ा जातीय समुदाय है और देश की कुल आबादी में उसकी तकरीबन 30 फीसदी हिस्सेदारी है। संयुक्त अरब अमीरात के रिकॉर्ड के अनुसार, 2021 में देश में प्रवासी भारतीय नागरिकों की संख्या लगभग 35 लाख थी। भारतीय सिनेमा और योग यूएई में काफी लोकप्रिय है। (भाषा)
भारत ने मणिपुर पर लाए गए यूरोपीय संसद के प्रस्ताव को "उपनिवेशवादी मानसिकता" करार दिया है.
पूर्वी फ्रांस के स्ट्रासबुर्ग में यूरोपीय संसद के सांसदों ने मणिपुर में हो रही हिंसा पर लाए गए प्रस्ताव को मंजूरी दी. प्रस्ताव कहता है कि यूरोपीय संसद, "मणिपुर में हिंसक कार्रवाई, जीवन की क्षति और संपत्ति के नुकसान की तीखी निंदा करती है. बीजेपी पार्टी के अग्रणी सदस्यों की राष्ट्रवादी टिप्पणियों को खारिज करती है."
प्रस्ताव में भारत सरकार और स्थानीय सरकार से पीड़ितों को बिना किसी बाधा के मानवीय मदद पहुंचाने की अनुमति देने की मांग की गई है. रिजोल्यूशन वहां जांच के लिए स्वतंत्र समीक्षकों की मांग भी कर रहा है. 11 जुलाई 2023 को लाए गए इस प्रस्ताव में हर पक्ष से भड़काऊ बयान न देने की मांग भी की गई है. प्रस्ताव के सातवें और आखिरी बिंदु के मुताबिक, "यूरोपीय संसद अपने अध्यक्ष को यह निर्देश देती है कि इस प्रस्ताव को ईयू संस्थानों, सदस्य देशों और भारतीय प्रशासन को भेजा जाए."
भारत का यूरोपीय संसद को जवाब
यूरोपीय संसद का यह प्रस्ताव भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पेरिस यात्रा से पहले आया है. नरेंद्र मोदी इस वक्त दो दिन के फ्रांस दौरे पर हैं. पेरिस में बैस्टील डे की परेड में वह मुख्य अतिथि हैं.
भारत ने मणिपुर के तनाव को अपना भीतरी मामला बताते हुए इस प्रस्ताव को खारिज किया है. गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "हमने देखा कि यूरोपीय संसद ने मणिपुर के घटनाक्रम पर बहस की और तथाकथित अर्जेंसी रिजोल्यूशन पास किया. भारत के अंदरूनी मामलों में ऐसा दखल अस्वीकार्य है और ये उपनिवेशवादी मानसिकता को दर्शाता है."
क्या हो रहा है पूर्वोत्तर भारत में
म्यांमार से सीमा साझा करने वाला भारत का मणिपुर राज्य दो महीने से भी ज्यादा समय से जातीय हिंसा की चपेट में है. मई का महीना शुरू होते मणिपुर से हिंसा की खबरें आने लगीं और फिर इसकी चपेट में म्यामार बॉर्डर से लगा मिजोरम भी आ गया.
भारतीय प्रशासन का आरोप है कि म्यांमार में इमरजेंसी लगने के बाद बड़ी संख्या में लोग भागकर इन राज्यों में आए. भारतीय अधिकारियों के मुताबिक इन आप्रवासियों ने जंगलों में कब्जा किया. अतिक्रमण हटाने के विरोध में तीन मई को कुकी समुदाय के लोगों के आदिवासी एकता मार्च के दौरान हिंसा शुरू हुई. बाद में इसने जातीय संघर्ष का रूप ले लिया.
हिंसा के कारण मणिपुर में अब तक 50 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़कर रिलीफ कैम्पों में शरण ले चुके हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मैती और कुकी समुदाय के संघर्ष में बदल चुकी हिंसा ने अब तक 120 से ज्यादा लोगों की जान ली है.
ओएसजे/एसबी (एएफपी, रॉयटर्स)
अंतरराष्ट्रीय यात्रा कितनी आसान या चुनौती भरी होगी, ये आपके पासपोर्ट के रंग पर भी निर्भर करता है. ऐसा क्यों है?
डॉयचे वैले पर बेंजामिन रेसल की रिपोर्ट-
इस अनुभव का आगाज वीजा एप्लिकेशन से ही शुरू हो जाता है. उदाहरण के लिए जर्मन पासपोर्टधारकों को ही लें, वे बहुत आसानी से कंबोडिया जा सकते हैं. अगर उनका पासपोर्ट अगले छह महीने के लिए मान्य हो तो वे बर्लिन में कंबोडिया के दूतावास में 40 यूरो की वीजा फीस जमाकर आराम से 30 दिन का टूरिस्ट वीजा हासिल कर सकते हैं. इसके ऑनलाइन सेवा भी मौजूद है, जहां 36 यूरो की फीस देकर तीन दिन के भीतर यही टूरिस्ट वीजा लिया जा सकता है. तीसरा रास्ता भी है और वो ये है कि जर्मन नागरिक सीधे कंबोडिया पहुंच जाएं और वहां एयरपोर्ट पर वीजा ऑन अराइवल ले लें.
लेकिन अगर कोई कंबोडियाई पासपोर्ट धारक जर्मनी आना चाहे तो ये तस्वीर अस्त व्यस्त हो जाती है. कंबोडियाई नागरिक को एक आमंत्रण पत्र की जरूरत पड़ती है, उसे पर्याप्त बैंक बैलेंस दिखाने के लिए छह महीने के बैंक स्टेटमेंट देने पड़ते हैं. साथ ही अन्य निजी दस्तावेजों के साथ साथ अपनी आय और संपत्ति का सबूत भी देना पड़ता है. वीजा एप्लिकेशन की फीस 80 यूरो है, वो भी कैश. ये रकम नॉन रिफंडेबल है यानि आवेदन रद्द हुआ तो पैसा भी गया. अपनी पहचान छुपाने की शर्त पर अरुण नाम के एक कंबोडियाई व्यक्ति ने कहा, "वे आपसे कुछ सवाल भी पूछते हैं और अगर उन्हें लगा कि आप भरोसेमंद है तो वे आपको वीजा दे देंगे." अरुण वीजा एप्लिकेशन प्रोसेस से गुजर चुके हैं.
ऐसे में ये सवाल जरूर उठता है कि अलग अलग पासपोर्टों की ताकत इतनी जुदा क्यों है? इसका एक जवाब है आर्थिक स्थिति.
पैसा बोलता है
हेनली एंड पार्टनर्स नाम की एक रेजीडेंस और सिटीजनशिप एडवाइजरी फर्म और इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) नियमित रूप से दुनिया के ताकतवर और कमजोर पासपोर्टों की रैंकिंग करते हैं. रैंकिंग के दौरान यह देखा जाता है कि किस पासपोर्ट के साथ कितने देशों में वीजा फ्री या वीजा ऑन अराइवल के तहत दाखिल हुआ जा सकता है.
इसकी ताजा रिपोर्ट में जी7 के देशों, जापान, जर्मनी, स्पेन, इटली, फ्रांस, ब्राजील, अमेरिका और कनाडा को दुनिया के सबसे ताकतवर पासपोर्टों की लिस्ट में रखा गया है. सबसे ऊपर जापान का पासपोर्ट है, जिसके साथ कम से कम 193 देशों में आसानी से जाया जा सकता है. दुनिया की पूरी जीडीपी में जी7 की हिस्सेदारी 40 फीसदी से ज्यादा है. इन्हीं देशों में से कुछ में जीडीपी प्रति व्यक्ति भी सबसे ज्यादा है. ये अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़े हैं.
हेनली एंड पार्टनर्स के मुताबिक, "अमीर देशों के नागरिकों के लिए दूसरे देश अपनी सीमाएं खोलने के ज्यादा इच्छुक दिखते हैं क्योंकि ऐसा करने से कारोबार, पर्यटन और निवेश के रूप में बड़े आर्थिक लाभ मिलने की संभावना रहती है."
हेनली एंड पार्टनर्स का कहना है कि इसके उलट, "ऊंची गरीबी दर और आर्थिक अस्थिरता वाले देशों के पासपोर्ट होल्डरों को, वीजा अवधि से ज्यादा समय तक रहने का जोखिम पैदा करने वालों की तरह देखा जाता है." इसी कारण उनके आगमन पर कई तरह की शर्तें और बंदिशें लगाई जाती हैं.
कंबोडियाई पासपोर्ट धारक अरुण कहते हैं, "कंबोडिया एक गरीब देश है, इसीलिए इसका यात्रा दस्तावेज भी कम शक्तिशाली है." हेनली एंड पार्टनर्स ने कंबोडिया के पासपोर्ट को दुनिया के सबसे कमजोर यात्रा दस्तावेजों में रखा है. इसके जरिए 50 से ज्यादा देशों में वीजा फ्री एक्सेस मिलती है.
रंग बदला, नजरिया बदला
मोहम्मद बर्लिन में रहने वाले एक पत्रकार हैं. वह डीडब्ल्यू से अपनी पूरी पहचान न जाहिर करने की दरख्वास्त करते हैं. मोहम्मद को कमजोर से ताकतवर पासपोर्ट तक का बदलाव महसूस करने का अनुभव है. पहले उनके पास दुनिया के सबसे कमजोर पासपोर्टों में शामिल पाकिस्तान का पासपोर्ट था. उससे वे करीब 32 देशों में वीजा फ्री एंट्री कर सकते थे. अब मोहम्मद जर्मन नागरिक बन चुके हैं.
मोहम्मद कहते हैं, "पाकिस्तानी पासपोर्ट के साथ मुझे हमेशा एक लंबी, जटिल वीजा प्रोसेस से गुजरना पड़ता था और वीजा एप्लिकेशन रद्द होने की संभावना हमेशा बनी रहती थी. इसके साथ ही, अगर आप कुछ देशों में जाते हैं, खासतौर पर मध्य पूर्व में तो, आपको अतरिक्त सवाल जवाब के लिए अलग लाइन में खड़ा होना पड़ता है."
लेकिन अब मोहम्मद के पास जर्मन पासपोर्ट है, "मैं जर्मन पासपोर्ट का अंतर साफ तौर पर देख पाता हूं. मुझे सिर्फ कुछ ही देशों के लिए वीजा आवेदन करना पड़ता है. मैं वीजा ऑन अरावल एंट्री से कई देशों में घूम सकता हूं."
पासपोर्ट की नीलामी
कुछ समय पहले तक यूरोपीय संघ के देश किसी तीसरे देश के नागरिक को ईयू पासपोर्ट खरीदने की छूट देते थे. लेकिन इसकी शर्त ये थी कि ऐसे लोगों को उस देश में अच्छा खासा निवेश करना होगा. राजनीतिक दबाव के कारण अब ऐसी स्कीमों को बंद कर दिया गया है. लेकिन यह ट्रेंड अब मध्य पूर्व के देशों शुरू हो चुका है और ऐसे करने वाले वे अकेले नहीं हैं.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के रोलांड पाप के मुताबिक यूरोपीय संघ के सदस्यों में शामिल माल्टा आज भी निवेश के बदले पासपोर्ट दे रहा है. अमीरों को यूरोपीय संघ का पासपोर्ट बेचने की यह रियायत हमेशा विवादों में रही है.
पाप कहते हैं कि जो लोग सामान्य तरीके से अपना पासपोर्ट बदलते हैं, उन्हें लंबी प्रशासनिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. वहीं दूसरी तरफ, "आपको ये सोचना होगा कि ये हमारे लोकतंत्र के बारे में क्या बताता है कि यहां कुछ अधिकार हैं, जैसे अगर आप पर्याप्त अमीर है तो आपको ये मिल जाएगा और अगर आप गरीब हैं तो आपको संघर्ष करना पड़ेगा." (dw.com)
फ्रांस के दौरे पर आए भारतीय प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन युद्ध पर भारत की पुरानी नीति पर ही अडिग रहे. उन्होंने बातचीत के जरिए इसका हल निकालने की बात कही.
डॉयचे वैले पर अविनाश द्विवेदी की रिपोर्ट-
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत रफाएल के जिक्र और शॉन-एलिजे पर भारतीय सेना की टुकड़ियों की परेड की तारीफ के साथ की. इसके साथ ही भारत के दूसरे सबसे बड़े रक्षा सहयोगी फ्रांस को उन्होंने रक्षा निर्माण में सहायक बनाने की ओर भी कदम बढ़ाया.
मोदी ने विश्वासपात्र रक्षा सहयोगीके तौर पर फ्रांस की तारीफ की और इस सहयोग को एक कदम आगे ले जाते हुए अब मोदी ने फ्रांस को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का अहम सहयोगी बताया. जाहिर है प्रधानमंत्री का इशारा फ्रांस की मदद से भारत में होने वाले रक्षा सामानों के उत्पादन की ओर है.
सौर और परमाणु ऊर्जा में बढ़ाएंगे सहयोग
मोदी ने कहा कि इंटरनेशनल सोलर अलायंस एक आंदोलन है. इंटरनेशनल सोलर एलायंस, कॉप 21 में शुरू हुई, भारत और फ्रांस की साझा पहल है. इसका मकसद दुनियाभर में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देना और सौर ऊर्जा पर आने वाले खर्च को घटाना है. भारत सरकार के मुताबिक 114 देशों ने इस पहल पर हस्ताक्षर किए हैं. लंबे समय के लिए फ्रांस और भारत की कंपनियों के बीच एलएनजी के आयात के समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं.
परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी दोनों देश सहयोग बढ़ाने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बताया कि भारत और फ्रांस छोटे और नई पीढ़ी के मॉड्यूलर रिएक्टर पर काम करेंगे.
हिंद-प्रशांत में सुरक्षा के लिए बना रहे रोडमैप
भारतीय प्रधानमंत्री ने एक बार फिर हिंद-प्रशांत के इलाके में स्थानीय शक्तियों के तौर पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की जिम्मेदारी को भी दोहराया. उन्होंने कहा कि हम इसके लिए एक रोडमैप पर काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री का इशारा इस इलाके में बढ़ती चीनी आक्रामकता की ओर था.
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड और यूक्रेन युद्ध का असर पूरी दुनिया पर हुआ है लेकिन ग्लोबल साउथ पर इसका खासा बुरा असर हुआ है. इसके बाद उन्होंने बातचीत और कूटनीति के जरिए यूक्रेन में रूसी घुसपैठ के मुद्दे का हल निकालने की बात कही.
नेशनल म्यूजियम को मशहूर लूव्र का साथ
फ्रांस, भारत के नए राष्ट्रीय संग्रहालय के विकास में भी सहयोग देगा. खबरों के मुताबिक दुनिया का सबसे मशहूर म्यूजियम पेरिस का लूव्र भारत के नये नेशनल म्यूजियम की डिजाइनिंग और प्लानिंग में मदद करेगा. मोदी ने फ्रांस के दक्षिणी शहर मर्साय में नया भारतीय कॉन्सुलेट खोलने की घोषणा भी की.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने अपने भाषण की शुरुआत भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट की तारीफ करते हुए की. माक्रों ने शिक्षा के क्षेत्र में भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया. इस मुद्दे पर फ्रांस को धन्यवाद कहते हुए मोदी ने भारतीय मूल के छात्रों को लॉन्ग टर्म वीजा दिए जाने के फैसला का स्वागत किया.
भारत से फ्रांस आने वाले छात्र मास्टर्स की डिग्री पूरी करने के बाद, फ्रांस में दो साल तक नौकरी की तलाश कर सकते थे. नए लॉन्ग टर्म वीजा के आने से अब वे अगले पांच साल तक नौकरी की तलाश कर सकेंगे. इससे भारतीय स्टूडेंट्स काफी खुश हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पेरिस में गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए राष्ट्रपति माक्रों को धन्यवाद भी दिया. भारतीय दल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा, फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची मौजूद थे. (dw.com)
इंडोनेशिया में रिवेंज पोर्न के एक मामले में अभियुक्त को छह साल की सज़ा हुई है.
हालांकि पीड़ित परिवार ने बीबीसी से बात करते हुए कहा है कि ये सज़ा काफ़ी नहीं है.
अभियुक्त अल्वी हुसैन मुल्ला को अदालत ने दोषी क़रार देते हुए छह साल की सज़ा सुनाई है. इसके अलावा अभियुक्त के इंटरनेट इस्तेमाल करने पर भी रोक लगा दी गई है.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पीड़िता के भाई ने बीबीसी से कहा, “इस घटना ने उस पर स्थायी प्रभाव छोड़ा है, सज़ा इतनी नहीं है जितनी पीड़िता की पीड़ा थी.”
ये मामला इंडोनेशिया के बैंटन प्रांत का है जहां सहमति के बिना युवती की अंतरंग तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई थीं.
पीड़िता के भाई ने बीबीसी को बताया कि वो पुलिस में नई रिपोर्ट देंगे और अभियुक्त के ख़िलाफ़ यौन हिंसा अधिनियम के तहत कार्रवाई की मांग करेंगे.
वहीं अदालत के फ़ैसले को ऐतिहासिक बताते हुए पुलिस आयुक्त अमीना टार्डी ने कहा है कि ये फ़ैसला अपने आप में बेहद अहम है और क़ानून की सफलता है क्योंकि शायद ही कभी इससे पहले किसी अभियुक्त के इंटरनेट अधिकार रद्द किए गए हों.
हालांकि पीड़ित परिवार का ये भी कहना है कि अभियुक्त को जो छह साल की अधिकतम सज़ा मिली है उसके पीछे सोशल मीडिया की भी भूमिका है क्योंकि इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी अभियान चला था.
पीड़ित के परिवार के आरोप
परिवार ने ये आरोप भी लगाया है कि अभियोजन कार्यालय ने पीड़िता की अनदेखी कि और आठ महीने तक उसका पक्ष नहीं सुना.
पीड़ित परिवार ने इस मामले को लेकर ट्विटर पर थ्रेड चलाया था जिसके बाद इंटरनेट पर लोगों ने इसे लेकर प्रतिक्रियाएं दी थीं और इंडोनेशिया में इस मामले पर बहस शुरू हुई थी.
अदालत ने इस मामले में गुरुवार को अभियुक्त को सज़ा सुनाई है. पीड़िता के भाई ने 26 जून 2023 को ट्विटर पर इस मामले को लेकर एक के बाद एक कई ट्वीट किए थे.
पीड़िता के भाई ने इस मामले के बाद अपनी पहचान सार्वजनिक करते हुए ट्वीट किए थे.
उन्होंने बीबीसी से कहा, “अपनी बहन के साथ हुई इस घटना के बारे में सार्वजनिक रूप से बात करना कोई सुखद अनुभव नहीं था. इससे मेरी बहन पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ा है.”
हालांकि पीड़िता के भाई इमान ज़नातुल हैरी का कहना है कि अपनी बहन के लिए इंसाफ़ पाने के लिए मेरे पास इस मामले को सोशल मीडिया पर वायरल करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था.
उन्होंने कहा, “अगर ये मामला वायरल नहीं होता और सामान्य क़ानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाता तो इसका नतीजा इतना अच्छा नहीं होता. इसलिए ही हमारे परिवार ने इसे वायरल करने का जोख़िम उठाया है.”
क्या हुआ था?
इमान ने सिलसिलेवार ट्वीट में बताया था कि उनकी बहन के साथ बलात्कार का वीडियो फैलाने की धमकी तीन साल से दी जा रही थी.
उन्होंने कहा कि इस दौरान उनकी छोटी बहन मानसिक पीड़ा से गुज़रती रही.
14 दिसंबर 2022 को पीड़िता को एक अनजान इंस्टाग्राम अकाउंट से एक मैसेज आया था जिसमें उनका बेहोशी की हालत में रिकार्ड किया गया एक वीडियो था.
इमान के मुताबिक उनकी बहन ने रोते हुए उन्हें सबकुछ बताया. इसके बाद परिवार ने पुलिस में मामला दर्ज कराने का फ़ैसला लिया.
लंबी जांच प्रक्रिया से गुज़रने के बाद आख़िरकार 21 फ़रवरी 2023 को अभियुक्त को गिरफ़्तार कर लिया गया.
इमान के मुताबिक़ इस दौरान उनका परिवार बहुत दबाव में था.
वो बताते हैं, “मेरी बहन को जबरन खींचा गया, पीटा गया, मुक्के मारे गए और सीढ़ियों में पीटा गया. अपराधी ने बार-बार मेरी बहन के गले पर चाकू रखा और उसे मारने की धमकी दी.”
इमान के मुताबिक़, “अभियुक्त वीडियो की धमकी देकर मेरी बहन पर बॉयफ्रेंड बनने का दबाव बना रहा था.”
इमान ने अपनी बहन के साथ हुई घटना के बारे में तीन हिस्सों में ट्वीट किए और इन्हें लाखों लोगों ने देखा.
इस मामले में अभियुक्त अल्वी हुसैन मुल्ला के ख़िलाफ़ कई आरोप तय किए गए थे जिनके तहत अधिकतम छह साल की सज़ा का ही प्रावधान था.
इमान दावा करते हैं कि मुक़दमे की पहली सुनवाई के बारे में उन्हें या उनके वकीलों को कोई जानकारी नहीं मिली थी.
दूसरी तारीख़ पर जब उनकी बहन को गवाही के लिए बुलाया गया तब उन्हें इसकी सुनवाई के बारे में पता चला.
इमान दावा करते हैं कि उनकी बहन पर अदालत में बार-बार अभियुक्त को माफ़ कर देने का दबाव बनाया गया.
इमान दावा करते हैं कि अदालत में उन्हें और कई तरह की चुनौतियां का सामना करना पड़ा. अभियोजक ने घटना के वीडियो में अपने लैपटॉप में खोलने तक से इनकार कर दिया था.
इमान ने ये दावा भी किया है कि उनकी बहन का पक्ष अदालत में लेने वाला अभियोजक उनकी बहन को ही डरा रहा था और सही से उसका प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा था.
अदालत ने अश्लील वीडियो के मामले में तो अभियुक्त को सज़ा दी लेकिन उस पर बलात्कार के आरोप तय नहीं किए.
इमान कहते हैं कि उनकी बहन का हमेशा से ये कहना रहा है कि उसके साथ बलात्कार हुआ है और इसलिए ही वो इस मामले में नई रिपोर्ट दर्ज कराएंगे.
पांडेलांग ज़िला न्यायालय में फ़ैसला सुनाते हुए जज ने कहा था कि अभियुक्त ने जानबूझकर आपत्तिजनक सामग्री इंटरनेट पर वितरित की.
इस मामले में छह साल की जेल के अलावा अभियुक्त को अगले आठ साल तक इंटरनेट के इस्तेमाल से प्रतिबंधित करने का दंड भी दिया गया है.
माना जा रहा है कि ये फ़ैसला इंडोनेशिया में एक मिसाल साबित होगा. ये पहली बार है जब किसी अभियुक्त के इंटरनेट अधिकार रद्द किए गए हैं. (bbc.com/hindi)
मास्को, 14 जुलाई। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि उन्होंने निजी सैन्य समूह ‘वैगनर’ के सैनिकों को एक ही अधिकारी के नेतृत्व में एक इकाई के रूप में काम करना जारी रखने का विकल्प दिया था।
उन्होंने कहा कि पिछले महीने समूह ने विद्रोह करने के पांच दिन बाद उनसे मुलाकात की थी और उस दौरान उन्होंने यह विकल्प दिया था।
पुतिन ने समाचार पत्र ‘कोमर्सेंट’ को 29 जून को हुए अपने उस कार्यक्रम के बारे में बताया जिसमें सैन्य समूह ‘वैगनर’ के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन सहित वैगनर के 35 कमांडर ने भाग लिया था।
पुतिन ने बताया कि उन्होंने उनसे यूक्रेन में उनकी कार्रवाई और उनके विद्रोह के बारे में बात की थी और उन्हें भविष्य की सेवा के लिए विभिन्न विकल्पों की पेशकश की थी।
उन्होंने कहा कि वे सभी एक जगह एकत्रित होकर अपनी सेवा दे सकते हैं।
पुतिन ने पहले कहा था कि ‘वैगनर’ सैनिकों को यह तय करना होगा कि वे रूसी रक्षा मंत्रालय के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करें, पड़ोसी देश बेलारूस चले जाएं या सेवानिवृत्त हो जाएं।
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अपना प्रस्ताव रखा था तो ‘‘कई लोगों ने इस संबंध में सहमति जताई थी’’ लेकिन प्रिगोझिन ने इस विचार को खारिज कर दिया था और कहा था कि ‘‘सैनिक इस तरह के फैसले से सहमत नहीं होंगे।’’
पुतिन ने कहा है कि निजी सैन्य समूह ‘वैगनर’ कानूनी इकाई के रूप में अस्तित्व में ही नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘निजी सैन्य संगठनों के संबंध में कोई कानून नहीं है। इसका अस्तित्व ही नहीं है।’’
वैगनर के सैनिकों ने 23 और 24 जून को 24 घंटे से भी कम समय तक विद्रोह किया था और इस दौरान वे दक्षिणी रूसी शहर रोस्तोव-ऑन-डॉन में घुस गये थे और वहां सैन्य मुख्यालय पर कब्जा कर लिया था।
रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को कहा था कि वैगनर सैनिक रूसी सेना को अपने हथियार सौंपने में लगे हैं। (एपी)