अंतरराष्ट्रीय
सऊदी अरब सरकार ने बताया है कि सोमवार को मक्का में देश के दो लोगों को मौत की सज़ा दी गई है.
ये सज़ा भाई-बहन को दी गई है. दोनों को अपने मां-पिता और भाई-बहनों की हत्या मामले में दोषी पाया गया था.
अल-अरबिया की ख़बर के मुताबिक़, अब्दुल्ला अजीज़ बिन फाहेद बिन गज़ाया अल हरेथी और उनकी बहन ओहूद ने अपने मां और दो भाइयों के खाने में नींद की गोली मिला दी थी.
इसके बाद दोनों भाई-बहन ने अपनी मां और एक भाई को सोते हुए में ही गोली मार दी. अगले दिन दूसरे भाई को भी गोली मार दी गई.
सऊदी सरकार ने बताया है कि अपराध के बाद दोनों मिलकर शवों को एक जगह ले गए, फिर वहां अपने पिता को बुलाकर उन्हें भी गोली मारी.
सऊदी ने बताया कि इन भाई-बहन ने पूरे घर को आग लगा दी ताकि ये कहा जा सके कि गैस लीक के कारण आग लगी और ये सब लोग मारे गए.
सऊदी सरकार ने कहा है कि सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं और ऐसे अपराध करने वालों को सज़ा ज़रूर मिलेगी. (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 24 जुलाई । पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक साल में 666 आतंकवादी हमले हुए। स्थानीय पुलिस की एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है।
रविवार को खैबर पख्तूनख्वा पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, इस आंकड़े में 18 जून, 2022 से 18 जून, 2023 की अवधि के दौरान 382 गोलियों से हमले, 107 ग्रेनेड विस्फोट, 145 आईईडी विस्फोट, 15 रॉकेट हमले, 15 आत्मघाती बम विस्फोट और दो कार बम हमले शामिल हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने कहा कि अफगानिस्तान की सीमा से लगा प्रांत का उत्तरी वजीरिस्तान आदिवासी जिला सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र था, जहां आतंकवादियों ने 140 आतंकी गतिविधियां कीं।
पुलिस रिपोर्ट में यह खुलासा नहीं किया गया कि इन हमलों के दौरान कितने लोगों की जान गई और कितने घायल हुए। (आईएएनएस)।
काबुल, 24 जुलाई । अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में आई विनाशकारी बाढ़ में कम से कम 31 लोग मारे गए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, काबुल में एक संवाददाता सम्मेलन में तालिबान के आपदा प्रबंधन मंत्रालय के प्रवक्ता शफीउल्लाह रहीमी ने रविवार को कहा कि 74 लोग घायल हुए हैं और कम से कम 41 लोग लापता हैं।
रहीमी ने कहा, अफगानिस्तान के सात प्रांतों में भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ से 606 आवासीय घरों के साथ-साथ सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि आंशिक या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है।
सीएनएन रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने कहा, "रक्षा मंत्रालय, लोक कल्याण मंत्रालय, रेड क्रिसेंट, प्रांतों के अधिकारियों और अन्य अधिकारियों की टीमों के साथ मंत्रालय की टीमें बाढ़ प्रभावित जगहों पर पहुंचीं और बचाव अभियान चलाया।"
तालिबान के आपदा प्रबंधन राज्य मंत्रालय ने भी रविवार को एक बयान में कहा कि 2023 की शुरुआत के बाद से, विभिन्न प्रांतों में प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लगभग 100,000 परिवारों को भोजन और नकद सहायता मिली है।
इसमें कहा गया है कि पिछले चार महीनों में प्राकृतिक आपदाओं में कम से कम 214 लोग मारे गए हैं, जिनमें बाढ़ से हुई मौतें भी शामिल हैं। (आईएएनएस)।
सैन फ्रांसिस्को, 24 जुलाई । मेटा के स्वामित्व वाला मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सऐप वीडियो कॉल के लिए लैंडस्केप मोड सपोर्ट, साइलेंट अननोन कॉलर ऑप्शन और बहुत कुछ आईओएस पर व्यापक रूप से रोल आउट कर रहा है।
कंपनी ने आधिकारिक चेंजलॉग में उल्लेख किया है, "वीडियो कॉल अब लैंडस्केप मोड को सपोर्ट करते हैं।"
इसके अलावा, यूजर्स सेटिंग्स के प्राइवेसी में जाकर कॉल के ऑप्शन पर क्लिक कर साइलेंट अननोन कॉलर को चुन सकते हैं।
प्लेटफॉर्म किसी नए डिवाइस पर स्विच करते समय फुल अकाउंट हिस्ट्री को मूल रूप से ट्रांसफर करने की क्षमता भी पेश कर रहा है। इस कार्यक्षमता को सेटिंग्स के चैट में जाकर ट्रांसफर चैट पर क्लिक कर आईफोन में नेविगेट कर एक्सेस किया जा सकता है।
बेहतर नेविगेशन के साथ रिडिजाइन की गई स्टिकर ट्रे और अधिक अवतारों सहित स्टिकर का एक बड़ा सेट भी नए अपडेट के साथ जारी किया जा रहा है।
कंपनी ने कहा कि ये सभी फीचर्स आने वाले हफ्तों में शुरू हो जाएंगे।
इस महीने की शुरुआत में, मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्यापक रूप से एक संशोधित इंटरफेस पेश कर रहा है, जिसमें आईओएस पर ट्रांसलूसेंट टैब बार और नेविगेशन बार का फीचर है।
मेटा के स्वामित्व वाला प्लेटफ़ॉर्म आईओएस पर एक रिडिज़ाइन किया गया स्टिकर और ग्राफिक पिकर भी जारी कर रहा है।
इस बीच, पिछले हफ्ते, यह बताया गया था कि कंपनी आईओएस बीटा पर एक फीचर ला रही है, जो यूजर्स को 15 लोगों के साथ ग्रुप कॉल शुरू करने की अनुमति देती है। नई फीचर के साथ, बीटा यूजर्स अब 15 लोगों तक ग्रुप कॉल शुरू कर सकते हैं।
इस महीने की शुरुआत में, कंपनी कथित तौर पर आईओएल बीटा पर एक फीचर ला रही थी, जो यूजर्स को हाई क्वालिटी वाले वीडियो भेजने की अनुमति देता है। (आईएएनएस)।
चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक़, एक स्कूल के जिम की छत गिरने से अब तक कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई है.
ये हादसा चीन के उत्तरी-पूर्वी इलाक़े में बारिश के कारण हुआ है.
अधिकारियों का कहना है कि जब छत गिरी तब 19 लोग अंदर मौजूद थे.
चश्मदीदों ने मीडिया को बताया है कि मरने वालों में बच्चे भी शामिल हैं. हालांकि इस बारे में औपचारिक तौर पर अभी कुछ नहीं बताया गया है.
पुलिस ने इस इमारत के इंचार्ज को हिरासत में ले लिया है. अधिकारियों ने बताया है कि जैसे ही हादसा हुआ, चार लोग घटनास्थल से बचकर निकलने में सफल रहे. (bbc.com/hindi)
ईरान में हिजाब कानून लागू कराने के लिए ‘नैतिकता पुलिस’ यानी ‘मोरैलिटी पुलिस’ की गश्त फिर शुरू कर दी गई है. हिजाब कानून के तहत महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर ढीले कपड़े पहनने होते हैं और अपने बालों को ढक कर रखना होता है.
डॉयचे वैले पर मोनीर गाएदी की रिपोर्ट-
पिछले साल हुए देशव्यापी प्रदर्शन और बड़ी संख्या में महिलाओं द्वारा हिजाब पहनने से इनकार करने के बाद ‘नैतिकता पुलिस' एक तरह से ईरान की सड़कों से गायब ही हो गई थी. लेकिन अब अधिकारियों ने इस कानून के प्रवर्तन के लिए नया अभियान शुरू कर दिया है. रविवार को ईरानी पुलिस के एक प्रवक्ता सैयद मोंतजिर अल अहमदी ने इस बात की पुष्टि कि जल्दी ही गश्त के लिए वाहनों और पैदल सिपाहियों को तैनात किया जाएगा. ईरान की सरकार समाचार एजेंसी इरना ने उनके हवाले से लिखा है कि पुलिस शुरुआत में बात न मानने वाली महिलाओं के खिलाफ चेतावनी जारी करेगी और जो लोग कानून तोड़ेंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
पिछले साल सितंबर में, 22 वर्षीय कुर्द महिला महसा जिना अमीनी को ‘मोरैलिटी पुलिस' ने गलत तरीके से हिजाब पहनने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. तीन दिन बाद ही अस्पताल में उनकी मौत हो गई. कथित तौर पर दुर्व्यवहार के चलते हुए उनकी मौत के विरोध में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन होने लगे और कई महीने तक ईरान में अस्थिरता बनी रही. बेहद सख्ती से इस विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने के चलते सैकड़ों लोगों की मौत हो गई. इसके बावजूद बड़ी संख्या में महिलाओं ने झुकने से इनकार कर दिया और विरोध और गुस्से में सार्वजनिक रूप से बिना सिर ढके प्रदर्शन में हिस्सा लेने लगीं. दिसंबर में अधिकारियों ने दावा किया कि इस पुलिस को भंग करदिया गया है.
लेकिन पिछले कुछ दिनों से ऐसी खबरें मिल रही हैं कि इसकी वापसी हो गई है. इस बारे में कई पत्रकारों की रिपोर्ट् और सोशल मीडिया में भी लिखा जा रहा है, न सिर्फ राजधानी तेहरान में बल्कि दूसरे शहरों में भी. रविवार को सोशल मीडिया पर उत्तरी शहर रश्त का एक वीडियो प्रसारित होना शुरू हुआ जिसमें ‘मोरैलिटी पुलिस' वाले तीन महिलाओं को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रहे हैं और दर्जनों स्थानीय लोग उसका विरोध कर रहे हैं.
एक विफल परियोजना'
समाजशास्त्री अजादेह कियान-शिबू कहती हैं कि ईरानी शासन इस्लामिक गणराज्य की अनिवार्य हिजाब नीति को लागू कराने के बारे में काफी सख्त रहा है. उनके मुताबिक, यह नीति उस क्रांति का एक अहम हिस्सा रही है जिसकी वजह से वे सत्ता में आए हैं. वो कहती हैं कि शासन की इस नीति को लेकर जब उन्हें जनता के असंतोष का सामना करना पड़ा तो उन्होंने प्रवर्तन के नए रास्ते ढूंढ़ने शुरू कर दिए. पिछले कुछ महीनों में सरकार ने सार्वजनिक परिवहन पर चेहरे पहचानने वाली तकनीक का उपयोग करना शुरू किया है. साथ ही, उन शॉपिंग मॉल्स, कैफे और रेस्त्रां को बंद करा दिया है जहां बिना हिजाब के महिलाओं को जाने की अनुमति दी गई है. अधिकारियों ने टैक्सी ड्राइवरों पर भी सख्ती की है कि वो उन महिलाओं को अपनी गाड़ी में न बैठाएं जो हिजाब नहीं पहनतीं.
लेकिन कियान-थिबौत कहती हैं कि सरकार की इन कोशिशों और सख्ती के बावजूद महिलाओं ने हिजाब पहनने से इनकार करना नहीं छोड़ा है. वो कहती हैं, "अनिवार्य हिजाब एक विफल परियोजना है. ईरानी महिलाओं ने इसे खारिज कर दिया है और पुरुष उनका समर्थन कर रहे हैं.” कियान-थिबौत कहती हैं कि यदि ‘मोरलिटी पुलिस' सड़कों पर लौटती और सरकार महिलाओं को हिजाब पहनने को लेकर सख्त होती है तो इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हो सकती है और तनाव बढ़ सकता है. वो कहती हैं कि ईरान की मौजूदा कट्टरपंथी सरकार ‘ईरान के आधुनिक, वैविध्यपूर्ण और जटिल समाज' पर अपना शासन थोप नहीं पाएगी, भले ही ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अली खमेनेई और उनके कट्टरपंथी समर्थक अनौपचारिक कपड़ों को पश्चिम के ‘सांस्कृतिक आक्रमण' का संकेत मानते हों.
युवा पीढ़ी के बीच यह एक सच है. डीडब्ल्यू ने शिराज शहर में 25 साल की एक छात्रा से संपर्क किया जो मंदाना नाम के एक छद्म नाम से बाहर जाती थी और करीब दो साल पहले उसने उन ‘सुरक्षित क्षेत्रों' में बिना हिजाब पहने जाना शुरू किया था जहां पुलिस की मौजूदगी नहीं रहती थी. नवंबर में उसने स्कार्फ पहनना पूरी तरह से बंद कर दिया, यहां तक कि अब वो अपने बैग में भी स्कार्फ नहीं रखती. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती है, "मैं आज घर से बाहर जाने के मूड में नहीं थी लेकिन जब मैंने सुना कि मोरलिटी पुलिस फिर से आ गई है तो मैंने अपना विचार बदल दिया. नियम के उल्लंघन के तौर पर मैं एक गश्ती दल के करीब से बिना हिजाब के गुजरी. अधिकारी वहां खड़े रहे और उन्होंने सिर्फ मौखिक रूप से मुझे अपने बालों को ढकने की चेतावनी दी. इससे ज्यादा और वो कुछ कर भी नहीं सकते थे क्योंकि उन्हें पता है कि हम विरोध में फिर उठ खड़े होंगे.” हिजाब कानून की आलोचना कुछ सांसदों, राजनेताओं और यहां तक कि धार्मिक नेताओं ने भी की है जिनका मानना है कि हिजाब पहनने या न पहनने का फैसला व्यक्ति की निजी पसंद का मामला होना चाहिए.
अशांति और विद्रोह की अनवरत स्थिति'
कियान-शिबू कहती हैं कि यह स्पष्ट है कि ईरान की मौजूदा सरकार के प्रति लोगों के समर्थन में कमी आई थी और ईरान ‘अशांति और विद्रोह की अनवरत स्थिति' में था. वो कहती हैं कि सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी बढ़ाने में बढ़ती कीमतें, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और सीमित सामाजिक आजादी ने भी अहम भूमिका निभाई. उनका सुझाव है कि इसीलिए सरकार के पास हिजाब को अनिवार्य बनाने के अलावा अति रूढ़िवादी अल्पसंख्यक समुदाय की मांगों को पूरा करने के लिए दूसरा कोई विकल्प नहीं था जो अभी भी उसका समर्थन करते हैं.
कियान-शिबू भी लगभग वही बातें कह रही हैं जो सोशल मीडिया में तमाम लोग लगातार कह रहे हैं. तेहरान में रहने वाली एक पत्रकार मोस्तफा अरानी ट्विटर पर लिखती हैं, "ईरान पिछले दो दशक से गंभीर प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. भोजन की कीमतें अस्थिर बनी हुई हैं. देश में विरोध प्रदर्शन हुए जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए. और पुलिस को यह काम सौंपा जाता है कि वो आधी आबादी से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान की गर्मी में सिर पर स्कार्फ बांध कर चलने को कहे. ऐसा इसलिए क्योंकि इस देश के कानून धर्म की उस व्याख्या पर आधारित हैं जो अल्पसंख्यकों ने की है.”
भ्रष्टाचार के घोटालों से ध्यान भटकाना
मोरैलिटी पुलिस की वापसी ईरानी पत्रकारों द्वारा की गई कुछ खोजी रिपोर्ट्स के बाद हुई है जिनमें कई बड़े धर्मगुरुओं का नाम आर्थिक भ्रष्टाचार और जमीन हड़पने के मामलों में आया है. ये खबरें ईरान के प्रिंट और ऑनलाइन मीडिया में सुर्खियों में रही हैं. इन धर्मगुरुओं में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के ससुर आयतुल्ला अहमद अलम अल-होदा का नाम भी शामिल है जो कि अपने कट्टरपंथी विचारों के लिए जाने जाते हैं. लंदन में रहने वाले पत्रकार हुमायूं खेरी ट्विटर पर लिखते हैं, "ऐसा नहीं है कि ‘मोरलिटी पुलिस' की वापसी का संबंध भ्रष्टाचार की खबरों के उजागर होने से है. इस अक्षम सरकार के समर्थकों को आर्थिक और सांगठनिक रूप से धार्मिक व्यवस्था का समर्थन प्राप्त है, जिसका देश को अस्थिर करने का इतिहास ही रहा है. कानून प्रवर्तन बल भी आर्थिक रूप से विवश हैं और इस तरह की चीजों से निपटने का कौशल हासिल करने के लिए पैसा लगाना पड़ता है.” (dw.com)
बैक्टीरियोफेजस ऐसे वायरस हैं जो बैक्टीरिया को मारते हैं. एंटीबायोटिक दवाइयों के खिलाफ इंसानी शरीर में पैदा हुई प्रतिरोधक क्षमता का मुकाबला करने में इनका इस्तेमाल करना चाहते हैं.
एंटीबायोटिक दवाओं के असर में आती कमी को देखते हुए वैज्ञानिक मानते हैं कि बैक्टीरिया का शिकार कर उन्हें खत्म करने वाले बैक्टीरियाफेज यानी जीवाणुभोजी वायरस, बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमणों का उपचार कर सकते हैं. यह वायरस हैं तो सूक्ष्म लेकिन इंसानों पर उनकी बहुत बड़ी मार पड़ी है. चेचक, जुकाम-नजला, एचआईवी और कोविड-19 जैसी वायरल बीमारियों के प्रकोप से अरबों लोग मार गए हैं और इन बीमारियों ने समूचे मानव इतिहास में समाजों के आकार में बुनियादी बदलाव किए हैं. हालांकि सभी वायरस जानलेवा नहीं होते. बैक्टीरिया की ही तरह कुछ "अच्छे" या "दोस्ताना" वायरस सेहत के लिए फायदेमंद भी हो सकते हैं.
वैज्ञानिक अब एक वायरोम की चर्चा करने लगे हैं. ये वे बिल्कुल ही अलहदा किस्म के वायरस हैं जो हमारे शरीरों में मौजूद होते हैं और स्वास्थ्य में योगदान देते हैं, बहुत कुछ माइक्रोबायोम बैक्टीरिया की मानिंद. ये वायरोम विशाल आकार का है. फिलहाल आपके शरीर पर या उसके भीतर 380 खरब वायरसों का निवास है– बैक्टीरिया की संख्या से 10 गुना ज्यादा तादाद में.
ये वायरस हमारे फेफड़ों और खून में छिपे रहते हैं, त्वचा पर जीवित रहते हैं और हमारी आंतो के जीवाणुओं के भीतर पड़े रहते हैं. सारे के सारे वायरस बुरे नहीं. ऐसे भी वायरस होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं को खत्म करते हैं और ट्युमर को विखंडित करने में मदद करते हैं, कुछ ऐसे भी हैं जो हमारी प्रतिरोध प्रणाली को प्रशिक्षित कर उन्हें रोगाणुओं से लड़ने में मदद करते हैं. और कुछ तो गर्भावस्था में जीन व्यवहार को भी नियंत्रित करते हैं.
बैक्टीरियाफेजः बैक्टीरिया निरोधी गश्ती दल
हमारे भीतर बड़े पैमाने पर मौजूद अधिकांश वायरस, बैक्टीरिया को हजम कर जाने वाले यानी बैक्टीरियाफेज होते हैं- यानी वह वायरस जो हमारे माइक्रोबायोम में बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं. बैक्टीरीअफेज को फेज भी कहा जाता है. वे मानव कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचाते क्योंकि उन्हें वह अपने शिकार के तौर पर नहीं पहचानते हैं. वह बैक्टीरिया को खोज कर उनका शिकार करते हैं, बैक्टीरिया की कोशिका की सतह से जुड़ जाते हैं. और उसके बाद उस कोशिका में अपनी डीएनए सामग्री पहुंचा देते हैं.
वायरल डीएनए फिर बैक्टीरिया के भीतर रेप्लीकेट करता है, कभी-कभार बैक्टीरिया का अपना डीएनए रेप्लीकेशन का साजो सामान अपने काम में ले आता है. एकबारगी बैक्टीरिया की कोशिका में पर्याप्त मात्रा में नये वायरस बन जाते हैं तो कोशिका फट जाती है और नये वायरल कण निकल जाते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में सिर्फ 30 मिनट लगते हैं. मतलब एक वायरस दो घंटो में बहुत सारे वायरसों में तब्दील हो सकता है.
फेज थेरेपीः एक संक्षिप्त इतिहास
बैक्टीरिया को चट कर जाने वायरसों की इसी क्षमता ने 20वीं सदी की शुरुआत में वैज्ञानिकों को सोचने पर मजबूर किया कि क्या उनका इस्तेमाल बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों में किया जा सकता है. लेकिन जब पेनिसिलिन जैसी एंटीबायोटिक दवाएं आ गईं तो वो रिसर्च भी पीछे छूट गई. लेकिन बैक्टीरिया के कई स्ट्रेन यानी स्वरूप एंटीबायोटिक निरोधी हैं और उनकी संख्या बढ़ने लगी है, जानकार कहते हैं कि वैश्विक समुदायों के सामने एंटीबायोटिक प्रतिरोध सबसे बड़ी मेडिकल चुनौतियों में से एक है.
नतीजतन, अब वैज्ञानिक एंटीबायोटिक एजेंटों के नये रूपों की तलाश में जुट गए हैं. इसी सिलसिले में जीवाणुभोजी वायरस भी बैक्टीरिया जनित संक्रमणों से निपटने की लड़ाई के तहत उनकी सूची में लौट आए हैं. येना यूनिवर्सिटी अस्पताल में इन्स्टीट्यूट फॉर इंफेक्शियस मेडिसन एंड हॉस्पिटल हाइजीन के निदेशक माथियस प्लेत्स कहते हैं, "बैक्टीरिया खाने वाले वायरसों के लाभ, प्रत्येक बहु-प्रतिरोधी रोगाणु के खिलाफ उनकी प्रभाविता में निहित हैं."प्लेत्स ये भी बताते हं कि ये वायरस, बैक्टीरिया के सभी रूपों को खत्म करने के मामले में कतई अचूक होते हैं. इतनी सफाई से अपना काम करते हैं कि आंतों के माइक्रोबायोम को बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुंचाते, जैसा कि एंटीबायोटिक दवाएं कर डालती हैं. सैद्धांतिक तौर पर लगता यही है कि ये वायरस एंटीबैक्टीरियल प्रतिरोध के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक बड़ा भारी वरदान हो सकते हैं, लेकिन वास्तव में साक्ष्य क्या कहते हैं?
बैक्टीरियाभोजी वायरस सोवियत दवा थी
ये वायरस हर जगह से इस्तेमाल से बाहर नहीं हो गए. सोवियत दौर के रूस में एंटीबायोटिक्स की कमी के चलते, इनका इस्तेमाल बैक्टीरिया जनित संक्रमणों के इलाज में होता था. जॉर्जिया, यूक्रेन और रूस में दशकों से ये इस्तेमाल जारी रहा. फेज टूरिज्म का हॉटस्पॉट है- जॉर्जिया. दुनिया भर से मरीज वहां इलाज के लिए जाते हं. उन्ही क्लिनिकों से मिले परिणामों के आधार पर ही कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि पारंपरिक बैक्टीरिया निरोधी एजेंटों के खिलाफ प्रतिरोध विकसित कर चुके संक्रमणों से निपटने में इन वायरसों के योगदान के अच्छे सबूत मौजूद हैं.
जॉर्जिया फेज थेरेपी के एक प्रमुख वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित हो चुका है. उसके पास उपचार के लिए दुनिया में बैक्टीरियाभोजी वायरसों के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है. लेकिन बेल्जियम और अमेरिका जैसे देश, विशेषीकृत थेरेपी केंद्रों में भी असाधारण मामलों के लिए फेजों का इस्तेमाल करने लगे हैं. जर्मनी भी फेज थेरेपियों में दिलचस्पी लेने लगा है. 18 जुलाई को प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट में नीतिनिर्माताओं को ये सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया कि बैक्टीरिया खाने वाले वायरसों को बेहतर ढंग से खंगाला और इस्तेमाल में लाया जाए, न सिर्फ दवा के रूप में बल्कि खाद्यजनित संक्रमणों के खिलाफ और फसल सुरक्षा के उपाय के रूप में भी.
कितने कारगर होंगे बैक्टीरिया खाने वाले वायरस?
क्या ये वायरस एंटीबैक्टीरियल प्रतिरोध की समस्याओं का जवाब हो सकते हैं? शायद हां, जानकार कहते हैं. लेकिन वे इसके लिए भी आगाह करते हैं कि व्यापक रूप से अमल में लाने की मंजूरी देने से पहले जान लेना चाहिए कि फेज थेरेपियों के नुकसान भी हैं जिन पर ध्यान देना होगा. जर्मनी के कोलोन स्थित यूनिवर्सिटी अस्पताल में संक्रामक बीमारी के विशेषज्ञ गेर्ड फैटकेनह्युअर कहते हैं, "मुख्य समस्या ये है कि थेरेपी का कोई मानकीकरण तो है नहीं. फेज थेरेपी ठीक-ठीक उसी बैक्टीरिया के खिलाफ की जानी चाहिए जो मरीज को संक्रमित करता है."
वो कहते हैं कि विभिन्न विशेषताओं वाले बैक्टीरिया से संक्रमण हो सकता है, तो थेरेपी के लिए आपको अलग अलग किस्म के फेजों का कॉकटेल चाहिए. इन वायरसों का ये मिश्रण, संक्रमण के बेकाबू होने से पहले ही, तत्काल रूप से उपलब्ध कराया जाना होगा क्योंकि बैक्टीरिया भी फेज थेरेपी के खिलाफ प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं. लेकिन फेज थेरेपी की सुरक्षा को लेकर अच्छा रिकॉर्ड है. प्लेत्स कहते हैं कि इंसान अपने खाने के जरिए ऐसे अरबों वायरस रोजाना हजम कर जाते हैं. इसके कोई उल्लेखनीय नकारात्मक प्रभाव भी नहीं होते. इसका मतलब हमारा शरीर फेज थेरेपी को भी भली-भांति बर्दाश्त करने लायक होना चाहिए.
जर्मन शोध ने सिफारिश की है कि अगले कदम के रूप में व्यापक पैमाने पर शोध कराए जाने चाहिए और क्लिनिकल प्रोजेक्ट चलाए जाने चाहिए जिससे अलग अलग किस्म के संक्रमणों के लिए असरदार फेज थेरेपियां चिन्हित की जा सकें. अभी के लिए, बैक्टीरिया खाने वाले वायरस (बैक्टीरीअफेज) एंटीबायोटिक्स की जगह लेने से तो रहे. लेकिन वैज्ञानिक आशावादी हैं कि मिलाकर इस्तेमाल करने से एंटीबायोटिक्स को ज्यादा असरदार बनाने में वे काम आ सकते हैं, खासतौर पर बैक्टीरिया के प्रतिरोधी रूपों (स्ट्रेन्स) के खिलाफ.
रूस के क़ब्ज़े वाले क्राइमिया में एक हथियार डिपो पर ड्रोन से हमला हुआ है.
रूस के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि हमले के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले नागरिकों को वहां से बाहर निकाला जा रहा है.
यूक्रेन की सेना ने इस हमले की पुष्टि किए बग़ैर गोदामों और तेल डिपो में विस्फ़ोट का एक वीडियो पोस्ट किया है.
वहीं रूस के नियंत्रण वाले क्राइमिया के गवर्नर सर्गेई अक्स्योनोव ने कहा है कि इस हमले के पीछे यूक्रेन का हाथ है, हालांकि उन्होंने इसके कोई सबूत नहीं पेश किए.
बीबीसी इस हमले के दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं कर सकी है.
सर्गेई अक्स्योनोव ने अपने टेलीग्राम पोस्ट में यह भी जानकारी दी कि "शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक अब तक जान माल के नुकसान की कोई ख़बर नहीं है."
अक्स्योनोव ने बताया कि विस्फ़ोट के बाद केर्च ब्रिज़ पर रेल सेवा निलंबित कर दी गई है. बड़ी संख्या में लोगों को वहां से बाहर निकालने के दौरान इलाके में यातायात व्यवस्था भी बाधित हो गई है.
रूसी अधिकारियों ने इससे पहले शनिवार को केर्च ब्रिज़ पर यातायात रोक दी थी लेकिन बाद में इसे कारों के आवागमन के लिए खोल दिया गया. हमला जहां हुआ है वो जगह इस पुल से क़रीब 160 किलोमीटर दूर है.
इस पुल को क्राइमिया पुल के नाम से भी जाना जाता है. 2014 में रूस ने क्राइमिया पर क़ब्ज़ा किया था. उसके बाद क्राइमिया तक अपनी पहुंच आसान बनाने के लिए इस पुल का निर्माण कराया गया था जिसे 2018 में यातायात के लिए खोला गया था.
यह पुल तब से क्राइमिया पर रूसी क़ब्ज़े का प्रतीक बन गया है और दक्षिण यूक्रेन में रूसी सेनाओं के लिए आपूर्ति पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिकी नौसेना का नेतृत्व करने के लिए एक महिला एडमिरल को चुना है. इनका नाम लिसा फ्रैंकेती है.
पहली बार किसी महिला को पेंटागन सैन्य सेवा शाखा के प्रमुख के लिए नामित किया गया है. उनके नामांकन पर अभी अमेरिकी सीनेट की मुहर लगनी बाकी है.
लिसा, दक्षिण कोरिया में अमेरिकी छठे बेड़े और अमेरिकी नौसैनिक बलों की प्रमुख रह चुकी हैं. उन्होंने एयरक्राफ्ट कैरियर स्ट्राइक कमांडर के तौर पर भी काम किया है.
अगर नौसेना प्रमुख के रूप में उनकी नामांकन पर मुहर लगती है तो वे जॉइंट चीफ़ ऑफ स्टाफ़ में जाने वाली पहली महिला होंगी.
फ़ोर स्टार एडमिरल रैंक हासिल करने वाली लिसा फ्रैंकेती केवल दूसरी अमेरिकी महिला हैं.
एक बयान में राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि उनके नाम पर मुहर लगने के बाद वे फिर से इतिहास बनाएंगी और उन्हें ऑपरेशनल और पॉलिसी, दोनों क्षेत्रों में महारथ हासिल है.
अमेरिकी मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक़ 38 वर्षीय एडमिरल फ्रैंकेती देश के रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन की पहली पसंद नहीं थीं. उन्होंने अगले नौसेना प्रमुख के रूप में सैमुअल पापारो की सिफारिश की थी.
हालांकि बाइडन ने पापारो का भी प्रमोशन करते हुए उन्हें प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य बलों का कमांडर बनने के लिए नामित किया है. (bbc.com/hindi)
वाशिंगटन, 23 जुलाई। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने शिकागो के अश्वेत किशोर एमेट टिल और उसकी मां मैमी टिल-मोबली की याद में इलिनॉइस और मिसिसिपी में तीन जगह पर राष्ट्रीय स्मारक स्थापित करने का फैसला किया है। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि एमेट पर 1955 में मिसिसिपी में एक श्वेत महिला को देखकर सीटी बजाने के आरोप लगे थे, जिसके बाद उसे अगवा कर प्रताड़ित किया गया था और उसकी हत्या कर दी गई थी।
व्हाइट हाउस के अधिकारी ने बताया कि बाइडन इलिनॉइस और मिसिसिपी में तीन जगहों पर एमेट टिल और मैमी टिल-मोबली की याद में राष्ट्रीय स्मारक बनाने संबंधी उद्घोषणा पर मंगलवार (25 अगस्त) को दस्तखत करेंगे। अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर यह जानकारी दी, क्योंकि व्हाइट हाउस ने राष्ट्रपति की योजना की आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं की है।
अधिकारी के मुताबिक, एमेट की याद में राष्ट्रीय स्मारक बनाने संबंधी उद्घोषणा पर दस्तखत के लिए 25 अगस्त की तारीख इसलिए चुनी गई है, क्योंकि अश्वेत किशोर का 1941 में इसी दिन जन्म हुआ था।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्मारक उन जगहों पर स्थापित किए जाएंगे, जहां एमेट ने अपनी जिंदगी के यादगार पल जिए थे, जहां उसके हत्यारों को दोषी ठहराया गया था और जहां उसकी मां ने अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए लंबा आंदोलन किया था।
एपी पारुल सिम्मी सिम्मी सिम्मी 2307 0837 वाशिंगटन (एपी)
यूक्रेन में शनिवार को एक रूसी पत्रकार की मौत और तीन अन्य के घायल होने के बाद दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है.
रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि पत्रकार की मौत यूक्रेन की ओर से क्लस्टर बम के ज़रिए किए गए हमले में हुई है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार एक अन्य मामले में जर्मन ब्रॉडकास्टर डॉयचे वेले ने कहा है कि एक रूसी हमले में यूक्रेन के अंदर उनके एक पत्रकार घायल हुए हैं. इस हमले में एक यूक्रेनी सैनिक की भी जान गई है. पत्रकार की जान अब ख़तरे से बाहर है.
इसी महीने यूक्रेन को अमेरिका से क्लस्टर बम की खेप मिली थी, जिसके बाद से ही ये चर्चा में है.
क्लस्टर हथियार बेहद खतरनाक होते हैं. ये लंबे समय तक बिना फटे पड़े रहते हैं. इन्हें नागरिकों के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है, इसलिए दुनिया के 100 से अधिक देशों में इस पर प्रतिबंध हैं.
हालांकि, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने ये भी स्पष्ट किया है कि शनिवार को हुए हमले में क्लस्टर हथियारों के इस्तेमाल की फिलहाल पुष्टि नहीं की जा सकती. लेकिन यूक्रेन और रूस दोनों युद्ध की शुरुआत से क्लस्टर बम का इस्तेमाल कर रहे हैं.
हमले में मारे गए रूसी पत्रकार की पहचान रोस्तिस्लव झुरावलेव के तौर पर हुई है. वह सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए के वॉर कॉरेसपॉन्डेंट के तौर पर काम कर रहे थे. उनके तीन सहयोगियों को यूक्रेन के दक्षिण-पूर्व ज़पॉरज़िया इलाके से हो रहे हमलों के बीच से सुरक्षित निकाला गया है.
रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खरोवा ने इस हमले की निंदा करते हुए इसे यूक्रेन का "आपराधिक आतंक" बताया है. उन्होंने कहा कि ये हमला यूक्रेन ने जानबूझकर किया, हालांकि इसे साबित करने के लिए कोई सबूत उन्होंने नहीं दिए.
ज़खरोवा ने कहा, "रूसी पत्रकार के ख़िलाफ़ क्रूर प्रतिशोध के लिए ज़िम्मेदार लोगों को सज़ा भुगतनी होगी. ये ज़िम्मेदारी उन्हें भी भुगतनी होगी जिन्होंने कीएव को क्लस्टर हथियारों की आपूर्ति की थी."
यूक्रेन ने अभी तक इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की है. (bbc.com/hindi)
ग्रीस के रोड्स द्वीप पर जंगलों की आग भड़कने की वजह से पर्यटकों सहित हज़ारों लोगों को बाहर निकाला गया है.
देश के दमकल विभाग ने इस आग को अब तक का सबसे मुश्किल दौर बताया है.
ऐसा अनुमान है कि 3500 से अधिक लोगों को ज़मीन और समुद्र के रास्ते सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है.
पूरे यूरोप के हीटवेव की चपेट में आने के बीच इस द्वीप के जंगलों पर पिछले मंगलवार से ही आग भड़क रही है. तेज़ हवाओं के कारण ये आग और तेज़ हो गई है.
ग्रीस के क्लाइमेट क्राइसिस और सिविल प्रोटेक्शन मिनिस्ट्री की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार अभी तक किसी के घायल होने की जानकारी नहीं है.
मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि रोड्स के होटलों में रह रहे पर्यटकों को भी सुरक्षित निकालकर दूसरे द्वीपों के होटलों में भेज दिया गया है.
फिलहाल इस इलाके में पाँच हेलीकॉप्टर और दमकल विभाग के 173 कर्मी काम कर रहे हैं. कियोत्री इलाके में आग से तीन होटल के क्षतिग्रस्त होने की भी खबर है. इसके अलावा लाएरमा, लारदोस और अस्कलीपियो इलाके भी प्रभावित हुए हैं.
मौसम विभाग के अनुसार ग्रीस में अभी गर्मी और बढ़ सकती है और इस सप्ताहांत में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो बीते 50 सालों के अंदर ग्रीस में जुलाई की सबसे अधिक गर्मी होगी.
(अनीसुर रहमान)
ढाका, 22 जुलाई। बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में शनिवार को एक बस के सड़क से फिसलकर तालाब में गिर जाने से कम से कम 17 यात्रियों की मौत हो गयी तथा एक दर्जन से अधिक अन्य यात्री घायल हो गये।
पुलिस ने बताया कि यह हादसा झालाकाठी जिले में तब हुआ जब बस 60 यात्रियों को लेकर भंडारिया उप जिले से दक्षिण-पश्चिमी संभाग के मुख्यालय बारिसाल जा रही थी।
उसने बताया कि चालक ने वाहन पर नियंत्रण खो दिया जिसके बाद बस फिसलकर तालाब में गिर गयी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ गोताखोरों ने 17 शव निकाले हैं और पुलिस क्रेन की मदद से बस को तालाब से निकालने का प्रयास कर रही है। भारी बारिश के कारण तालाब पानी से लबालब भरा है।’’
पुलिस उपनिरीक्षक गौतम कुमार घोष ने बताया कि मृतकों में आठ महिलाएं एवं तीन बच्चे शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि बचाव अभियान पूरा हो जाने के बाद बस के अंदर और शव मिल सकते हैं।
झालाकाठी के मुख्य सरकारी अस्पताल में 20 अन्य यात्रियों का इलाज चल रहा है। माना जा रहा है कि बस के अंदर 65 यात्री सवार थे।
हादसे में घायल 35 वर्षीय यात्री रूसेल मुल्लाह ने बताया, ‘‘ मैं चालक की सीट के बगल में बैठा था। बस चलाते समय संभवत चालक सचेत नहीं था।’’
उन्होंने कहा कि चालक लगातार अपने सहायक से बातचीत कर रहा था और उससे कह रहा था कि बस में और यात्रियों को चढाए।
इस हादसे में मुल्लाह के पिता की जान चली गयी जबकि उसका भाई अब भी लापता है। (भाषा)
मेक्सिको सिटी, 22 जुलाई । पश्चिमी मैक्सिकन राज्य मिचोआकन में एक ट्रक और बस के बीच आमने-सामने की टक्कर में छह लोगों की मौत हो गई और 53 अन्य घायल हो गए। स्थानीय अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने स्थानीय अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के हवाले से बताया कि यह दुर्घटना स्थानीय समयानुसारदेर रात लगभग एक बजे युरेकुआरो शहर के पास ला पिएदाद-विस्टा हर्मोसा राजमार्ग पर हुई।
बयान में कहा गया, "सैन क्विंटिन, बाजा कैलिफोर्निया से ओक्साका जा रहा एक यात्री ट्रक, किराने का सामान ले जा रहे बक्सों से भरे एक ट्रैक्टर-ट्रेलर से टकरा गया, इसके चलते आग लग गई।"
दोनों ड्राइवरों सहित छह लोगों की मौत हो गई, घायलों को पैरामेडिक्स की मदद से विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है।
पीड़ितों के शवों को पहचान के लिए फोरेंसिक सेंटर ले जाया गया। (आईएएनएस)।
तुर्की के राष्ट्रपति संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और कतर का दौरा करने वाले हैं. लंबे समय तक एक-दूसरे के विरोधी रहे ये चारों देश हाल में सहयोगी बन गए हैं. आखिर इनके संबंध इतने उलझे हुए क्यों हैं?
तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान अरब खाड़ी देशों के तीन दिवसीय दौरे पर जाने वाले हैं. वे सोमवार को सऊदी अरब, मंगलवार को कतर और बुधवार को संयुक्त अरब अमीरात में रहेंगे. उम्मीद जताई जा रही है कि अपने इस दौरे में राष्ट्रपति एर्दोवान अरबों डॉलर के सौदे पर समझौता करेंगे. इसमें तुर्की की सरकारी संपत्तियों के निजीकरण से लेकर प्रत्यक्ष निवेश, रक्षा उद्योग से जुड़े सौदे और व्यापार अधिग्रहण या अनुबंध तक सब कुछ शामिल हो सकते हैं.
एर्दोवान ने हाल ही में तुर्क मीडिया से कह, "इस यात्रा के दौरान हमें व्यक्तिगत रूप से उन कामों की समीक्षा करने का मौका मिलेगा जो ये देश तुर्की की सहायता के लिए कर रहे हैं. उन्होंने पहले ही यह जाहिर कर दिया है कि वे मेरी पिछली बातचीत के दौरान ही तुर्की में बड़ा निवेश करने के लिए तैयार हो गए थे. मुझे उम्मीद है कि इस यात्रा के दौरान हम इन समझौतों को अंतिम रूप देंगे.”
तुर्की के वरिष्ठ अधिकारियों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि एर्दोवान की यात्रा के तुरंत बाद खाड़ी देशों से लगभग 10 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष निवेश की पुष्टि होने की उम्मीद है. वहीं, लंबी अवधि के लिए यह निवेश बढ़कर 25 से 30 अरब डॉलर हो जाएगा. एर्दोवान की यात्रा से जुड़े आर्थिक पहलू तुर्की के लिए विशेष रूप से मायने रखते हैं. दरअसल, तुर्की की अर्थव्यवस्था कई वर्षों से खराब स्थिति में है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ऐसा एर्दोवान की अपरंपरागत नीतियों की वजह से हुआ है.
मौजूदा समय में देश में महंगाई चरम पर है. तुर्की लीरा का मूल्य निचले स्तर पर पहुंच गया है और सरकार का बजट घाटा बढ़ता चला जा रहा है. हालांकि, इन सब के बीच एर्दोवान फिर से बीते मई महीने में दोबारा राष्ट्रपति बनने में सफल रहे. ऐसे में अब देश की अर्थव्यवस्था और उनके नेतृत्व को मजबूत करने के लिए अमीर खाड़ी देशों के साथ तुर्की का संबंध बेहतर बनाना आवश्यक माना जा रहा है.
तेल समृद्ध खाड़ी देशों ने प्रत्यक्ष मुद्रा विनिमय समझौतों और सीधे तुर्की सरकार के खातों में धन जमा करके थोड़े समय के लिए तुर्की के विदेशी मुद्रा संकट को हल करने में मदद की है. कतर और यूएई ने तुर्की को मुद्रा विनिमय समझौते के तहत करीब 20 अरब डॉलर दिए हैं. मार्च में सऊदी अरब ने अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए तुर्की के केंद्रीय बैंक में 5 अरब डॉलर जमा किए.
हालांकि, बीते कुछ समय में खाड़ी देशों ने जिस तरह से तुर्की की मदद की है, हमेशा से ऐसा नहीं रहा है. ठीक तीन साल पहले, तुर्की और सऊदी अरब एक-दूसरे के साथ आयात का विरोध कर रहे थे और मीडिया घरानों पर प्रतिबंध लगा रहे थे. तुर्की का दक्षिण में अपने धनी पड़ोसियों के साथ लंबे समय तक बेहतर संबंध नहीं था. उनकी आपसी प्रतिद्वंद्विता चरम पर थी. उन्होंने अपने सभी संबंध तोड़ दिए थे. अब वे फिर से एक-दूसरे के नजदीक आए हैं और संबंध मैत्रीपूर्ण हुआ है.
कतर के साथ निजी हित की पूर्ति के लिए संबंध
इन तीन खाड़ी देशों में से, तुर्की के कतर के साथ सबसे अच्छे संबंध हैं. कतर लगभग एक दशक से तुर्की का सहयोगी है. 2014 में गंभीर राजनयिक संकट के दौरान तुर्की ने कतर का पक्ष लिया था. उस समय विदेश नीति को लेकर उपजे मतभेदों के कारण कतर को उसके बड़े पड़ोसियों सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने अलग-थलग कर दिया था. यह राजनीतिक संघर्ष चरम पर पहुंच गया था. 2017 से लेकर 2021 की शुरुआत तक हवाई, जमीन और समुद्र तीनों तरीकों से कतर की घेराबंदी की गई. इस दौरान तुर्की ने कतर में भोजन, पानी और दवाएं भेजीं. साथ ही, कतर के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाए रखा. यहां तक कि तुर्की अपने सैनिकों को भी वहां तैनात करने के लिए आगे बढ़ा.
कतर ने भी तुर्की के इस एहसान के बदले अंतरराष्ट्रीय मंच पर तुर्कों का समर्थन किया. उदाहरण के लिए, अरब लीग में उसने तुर्की का पक्ष लिया और देश में बड़ा वित्तीय निवेश किया. 2016 से 2019 के बीच तुर्की में कतर का निवेश 500 फीसदी बढ़ गया. हेग स्थित क्लिंगेंडेल इंस्टीट्यूट थिंक टैंक के शोधकर्ताओं ने 2021 की ब्रीफिंग में लिखा कि कतर और तुर्की के संबंधों के पीछे की वजह वैचारिक और राजनीतिक प्रेरणा बताई जाती है, लेकिन असल में यह ‘सामाजिक, राजनीतिक या आर्थिक लाभ के लिए की गई शादी' की तरह है. सामान्य शब्दों में कहें, तो अपने निजी हित की पूर्ति के लिए बनाए गए संबंध हैं. उन्होंने बताया, "तुर्की की सैन्य सहायता कतर को स्वतंत्र विदेशी नीति बनाए रखने के लिए जरूरी सुरक्षा उपलब्ध कराती है. इससे वह सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात के दबाव का सामना कर सकता है. जबकि तुर्की के लिए कतर के साथ बेहतर संबंध ‘सुन्नी दुनिया के नेतृत्व के लिए अपने दावे' को बढ़ावा देने का एक तरीका है.”
संयुक्त अरब अमीरात से आर्थिक दोस्ती
संयुक्त अरब अमीरात ने बीच का रास्ता अपनाया है. तुर्की के साथ इसके राजनयिक संबंध उस समय काफी ज्यादा तनावपूर्ण हो गए थे जब तुर्की ने खाड़ी देशों के विरोध में कतर का पक्ष लिया था. हालांकि, 2021 के आखिर में जैसे ही खाड़ी देशों के साथ कतर का राजनयिक संबंध बेहतर हुआ, तुर्की भी सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ अपने संबंधों को तेजी से बेहतर बनाने लगा.
मई में एर्दोवान की चुनावी जीत के तीन दिन बाद, तुर्की और यूएई ने अगले पांच वर्षों के लिए करीब 40 अरब डॉलर के व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए. दोनों देशों के बीच रक्षा के क्षेत्र में सहयोग और बिक्री बढ़ने की भी संभावना है. 2022 के आखिर में, संयुक्त अरब अमीरात तुर्की से 120 बायराक्तार टीबी2 ड्रोन खरीदने पर विचार कर रहा था. इस सौदे के तहत हर ड्रोन की अनुमानित कीमत लगभग 50 लाख डॉलर है. पिछले साल नवंबर महीने में 20 ड्रोन संयुक्त अरब अमीरात को सौंपे गए थे.
सऊदी अरब के साथ उतार-चढ़ाव वाला संबंध
जब खाड़ी देशों के साथ तुर्की के संबंधों की बात आती है, तो राजनयिक मामले में जितना बेहतर संबंध कतर के साथ है सऊदी अरब उसके ठीक विपरीत छोर पर है. कतर विश्वविद्यालय की शोधकर्ता सिनेम सेंगिज ने गल्फ इंटरनेशनल फोरम के लिए मई में एक विश्लेषण में लिखा, "तुर्की और सऊदी अरब ऐतिहासिक रूप से क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धी रहे हैं. वे अपने प्रभाव और नेतृत्व के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. इस सदी की शुरुआत के बाद से दोनों के संबंधों को ‘रोलर कोस्टर' के तौर पर बताया जा सकता है.”
2011 में अरब वसंत की क्रांति ने मध्य पूर्व में कई तानाशाहों को उखाड़ फेंका. इसकी वजह से कुछ देशों में लंबे समय तक संघर्ष और अस्थिरता का माहौल बना रहा. तुर्की के साथ-साथ कतर भी सीरिया जैसे देशों में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के साथ खड़ा दिखा. तुर्की की राजधानी अंकारा में टीओबीबी यूनिवर्सिटी ऑफ इकोनॉमिक्स एंड टेक्नोलॉजी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर सबन करदास ने 2021 के अंत में एक विश्लेषण में बताया था, "अन्य खाड़ी देशों को चिंता थी कि तुर्की के इरादे आक्रामक हो सकते हैं. वह अन्य देशों के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करना और अरब दुनिया में अपना प्रभाव बढ़ाना चाह रहा है.”
करदास ने आगे बताया, "खाड़ी देशों ने इसे एक तरह के नव-साम्राज्यवादी दृष्टिकोण के रूप में देखा और तुर्की को स्थिति को अस्थिर करने वाले देश के तौर पर नामित करने का फैसला किया.” 2018 में, सऊदी अरब के इस्तांबुल वाणिज्य दूतावास में सऊदी सरकार के आलोचक और पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद तुर्की और सऊदी के राजनयिक संबंध लगभग पूरी तरह खत्म हो गए थे. 2020 तक सऊदी कारोबारी तुर्की में बने सामानों का बहिष्कार करने की मांग कर रहे थे.
दोनों देशों ने उसी वर्ष एक-दूसरे के मालिकाना हक वाले मीडिया घराने पर प्रतिबंध लगा दिया था. सऊदी ने अंतरराष्ट्रीय विवादों में भी तुर्की का विरोध करना शुरू कर दिया था. उदाहरण के लिए, जब तुर्की और ग्रीस या मिस्र के बीच बहस की बात आई. तथ्य यह है कि तुर्की भी इस्लामी दुनिया के भीतर एक वैचारिक नेता बनता जा रहा था. इससे सऊदी परेशान था. दरअसल, पारंपरिक तौर पर वैश्विक जगत में सुन्नी मुस्लिम समुदाय का नेता सऊदी को माना जाता है.
लंबे समय से चली आ रही प्रतिद्वंद्विता के बावजूद, पिछले एक साल में यह दुश्मनी कुछ हद तक कम हो गई है. खाड़ी देशों में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक सऊदी अरब का तुर्की के साथ सामान्य आर्थिक संबंध बहाल हो गया है. इसमें दोनों देशों के अपने-अपने हित शामिल हैं.
तुर्की के साथ सऊदी का व्यापार सभी खाड़ी देशों की तुलना में सबसे तेजी से बढ़ा है. 2022 में दोनों देशों के बीच करीब 6.5 अरब डॉलर का कारोबार हुआ. 2023 के पहले छह महीनों में यह द्विपक्षीय व्यापार 3.4 अरब डॉलर का रहा. तुर्की की सरकारी अनादोलु एजेंसी ने 12 जुलाई को यह रिपोर्ट जारी की है. जून में, समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने बताया कि सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी आरामको ने अगले पांच वर्षों में 50 अरब डॉलर की संभावित परियोजनाओं पर काम करने के मकसद से अंकारा में तुर्की के 80 अलग-अलग ठेकेदारों से मुलाकात की.
विश्लेषकों का मानना है कि तुर्की के उभरते रक्षा क्षेत्र में भी सऊदी दिलचस्पी दिखा सकता है. उसने अभी तक तुर्की से एक भी बायराक्तार ड्रोन नहीं खरीदा है, लेकिन इसमें उसकी दिलचस्पी हो सकती है. साथ ही, यह भी सुझाव दिया गया है कि तुर्की सेना अपनी आधुनिक नौसेना के साथ तेल शिपिंग वाले रास्तों पर गश्त लगाने जैसे काम कर सकती है.
मशहूर जर्मन संगीतज्ञ बीथोफेन को मौत के बाद वियना में दफनाया गया था. उनके सिर के कथित अवशेष एक अमेरिकी व्यापारी को मिले जो उन्होंने दान कर दिए हैं.
पॉल काउफमान नाम के इस व्यक्ति को ये अवशेष विरासत में मिले थे. उन्होंने वियना की मेडिकल यूनिवर्सिटी को ये अवशेष दिए हैं जिन पर अब शोध करके बीथोफेन की बीमारी और मौत के कारणों का पता लगाया जाएगा. कॉफमैन ने पत्रकारों से कहा, यही इन हड्डियों का ठिकाना है. ऑस्ट्रियाई फॉरेंसिक विशेषज्ञ क्रिस्चियन रीटर ने बताया कि जो दस हिस्से मिले हैं वो "बहुमूल्य" हैं. उनमें सिर के पीछे और माथे के दाहिनी ओर के दो बड़े टुकड़े हैं. रीटर ने कहा, हमें यह बहुत ही कीमती चीज मिली है और हमें उम्मीद है कि अगले कुछ सालों तक हमारा शोध जारी रहेगा. यही बीथोफेन की भी इच्छा थी.
बीथोफेन की पूरी उम्र बीमारी से जूझते हुए गुजरी और उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि मौत के बाद उनका शरीर रिसर्च के लिए दिया जाए. अपने पियानो बजाने के हुनर और सिंफनी रचने के लिए बेशुमार शोहरत पाने वाले इस संगीतकार की मौत 1827 में हुई. 56 साल की उम्र जीने वाले बीथोफेन के बहरेपन और बीमारी के कारण का पता नहीं चल सका था.
वाकई बीथोफेन के हैं अवशेष?
रीटर के मुताबिक सिर के ये टुकड़े ही बीथोफेन के शरीर के आखिरी निशानी हैं. पॉल काउफमान जिन्हें यह निशानी मिली है, उनके यहूदी पूर्वजों को नाजियों के डर से जर्मनी छोड़ कर भागना पड़ा था. 1990 में उन्हें यह अवशेष फ्रांस के एक बैंक में अपने परिवार के एक डिपॉजिट बॉक्स में मिले. इस पर बीथोफेन खुदा था. ऐसा माना जा रहा है कि 19वीं शताब्दी के ऑस्ट्रियन डॉक्टर फ्रांत्स रोमियो जीलिखमान ने 1863 ये अवशेष अपने हाथ में लिए और वो काउफमान के रिश्तेदार थे. अब यह जांच की जाएगी कि यह टुकड़े वाकई बीथोफेन के सिर के हैं या नहीं हालांकि सुबूत इशारा करते हैं कि यह असली हैं.
मौत का रहस्य
2005 में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बीथोफेन के सिर के बाल और खोपड़ी के टुकड़ों का परीक्षण करने के बाद कहा कि उनकी मौत लेड यानी सीसे की वजह से हुई जो उनके बहरेपन का कारण भी हो सकता है. अमेरिका के इलियनॉय शहर की एक लैब में रिसर्चरों ने कहा कि हड्डियों को बहुत ही ताकतवर एक्स-रे मशीनों से गुजारा गया है जिसमें बड़ी मात्रा में सीसा मिला है. इससे पहले उनके बालों की जांच में भी सीसा मिला था. हालांकि यह पता नहीं चला है कि आखिर यह सीसा आया कहां से.
20 साल की उम्र में बीथोफेन के पेट में भयंकर दर्द शुरु हुए. हालत धीरे-धीरे बिगड़ती गई और डॉक्टर इलाज ढूंढते रह गए. इस साल मार्च में जिन डॉक्टरों ने उनके बालों के सैंपल की जांच की, उनका कहना था कि उनकी मौत का कारण शायद लिवर सिरोसिस या लिवर फेल होना था जो कई कारणों से हो सकता है. ज्यादा शराब पीना भी इसकी एक वजह हो सकती है.
एसबी/एनआर(एएफपी)
जिनेवा में एचआईवी से पीड़ित एक रोगी में इस बीमारी से उबरने के लक्षण दिखे हैं. इस रोगी को "जिनेवा रोगी" नाम दिया गया. ऐसा लग रहा है कि वह उन लोगों में शामिल हो जाएगा जो एचआईवी से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं.
इससे पहले भी पांच लोग एचआईवी से पूरी तरह 'ठीक हुए' माने गए हैं. इनमें बर्लिन, लंदन, ड्यूसेलडॉर्फ, न्यूयॉर्क और सिटी ऑफ होप, कैलिफोर्निया मरीज शामिल हैं. इन सभी रोगियों का अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण किया गया और इन्हे सीसीआर5 जीन के उत्परिवर्तन वाले लोगों से स्टेम कोशिकाएं भी प्राप्त हुई थीं. हालांकि रिसर्चरों ने गुरुवार को कहा कि "जिनेवा रोगी" को पिछले मामलोंकी तरह वायरस-अवरोधक जीन उत्परिवर्तन वाला प्रत्यारोपण नहीं मिला है. सीसीआर5 जीन का उत्परिवर्तन एचआईवी को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकने के लिए जाना जाता है.
एचआईवी वापस आ सकता है
2018 में जिनेवा के मरीज में ल्यूकेमिया के इलाज के लिए स्टेम सेल प्रत्यारोपण किया गया था. हालांकि इस बार जो प्रत्यारोपण हुआ, वह ऐसे डोनर से आया जिसमें सीसीआर5 उत्परिवर्तन नहीं था. इसका मतलब है कि वायरस अभी भी मरीज की कोशिकाओं में प्रवेश करने में सक्षम है. फ्रांसीसी और स्विस रिसर्चरों ने यह बात ऑस्ट्रेलियाई शहर ब्रिस्बेन में एक संवाददाता सम्मेलन में कही. ब्रिस्बेन में इस सप्ताहांत एड्स सम्मेलन शुरू होने वाला है.
रिसर्चरों ने कहा है कि एंटीरेट्रोवाइरल उपचार के बंद होने के 20 महीने बाद भी जिनेवा विश्वविद्यालय अस्पताल के डॉक्टरों को जिनेवा रोगी के सिस्टम में वायरस का कोई निशान नहीं मिला है. एंटीरेट्रोवाइरल उपचार, रक्त में एचआईवी की मात्रा को कम करता है. हालांकि रिसर्चर इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि रोगी में एचआईवी वापस आ जाएगा, उन्होंने ने कहा है कि वे उसे दीर्घकालीन सुधार में मानते हैं.
1990 में पता चला था एचआईवी का
जिनेवा के मरीज ने बयान जारी कर कहा, "मेरे साथ जो हो रहा है वह शानदार, जादुई है." इस रोगी में, 1990 में एचआईवी का पता चला था. वह नवंबर 2021 तक एंटीरेट्रोवायरल पर था. नवंबर 2021 में रोगी के डॉक्टरों ने उन्हें अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के बाद इलाज बंद करने की सलाह दी. बोस्टन के मरीज कहे जाने वाले दो मरीजों को भी उनके प्रत्यारोपण के दौरान सामान्य या "वाइल्ड प्रकार" की स्टेम कोशिकाएं दी गई थीं. लेकिन दोनों ही मामलों में एंटीरेट्रोवाइरल लेना बंद करने के कुछ महीनों बाद एचआईवी वापस आ गया था.
फ्रांस के पाश्चर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक असियर सैज-सिरियन ने ब्रिस्बेन में जिनेवा मरीज का मामला पेश किया था. उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि जिनेवा का मरीज एचआईवी मुक्त क्यों है, इसके लिए कुछ संभावित स्पष्टीकरण हैं. "इस विशिष्ट मामले में शायद प्रत्यारोपण ने प्रसिद्ध उत्परिवर्तन की आवश्यकता के बिना सभी संक्रमित कोशिकाओं को समाप्त कर दिया."
एचवी/एनआर (एएफपी)
अफ्रीकी देश कैमरून में खांसी की दवा के कारण छह बच्चों की मौत के बाद एक बार फिर डब्ल्यूएचओ ने भारतीय अधिकारियों से संपर्क किया है.
अफ्रीकी देश कैमरून में खांसी की दवा के कारण बच्चों की मौतों का मामला सामने आया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारतीय अधिकारियों से मदद मांगी है ताकि पता लगाया जा सके कि दवा कहां बनी.
यूएन के स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने बीते बुधवार को चेतावनी जारी की थी कि कैमरून में हाल ही में हुई छह बच्चों की मौतों का संबंध नेचरकोल्ड (Naturcold) नाम से बेची जा रही खांसी की दवा से हो सकता है. इस कफ सिरप में डाईइथाईलीन ग्लाकोल नामक जहरीले रसायन की भारी मात्रा पायी गयी है.
कहां बनी दवा?
दवा की बोतल पर निर्माता कंपनी का नाम फ्रैकन इंटरनेशनल (इंग्लैंड) लिखा है लेकिन युनाइटेड किंग्डम के स्वास्थ्य अधिकारियों ने डब्ल्यूएचओ को बताया है कि इस नाम की कोई कंपनी उनके देश में नहीं है.
इसके बाद डब्ल्यूएचओ ने भारतीय अधिकारियों से संपर्क किया है और अनुरोध किया है कि भारतीय दवा निर्माताओं से बात करें और पता लगाएं कि इस दवा को कहां बनाया जा रहा है. कई अन्य देशों से भी संपर्क किया गया है.
डब्ल्यूएचओ के एक प्रवक्ता ने बताया, "यह दवा कहां बनी है, इसके बारे में जांच जारी है. हो सकता है कि यह दवा अन्य देशों में भी बेची जा रही हो.”
कैमरून में स्वास्थ्य अधिकारियों ने अप्रैल में कहा था कि नेचरकोल्ड से छह बच्चों की मौत के मामले की जांच की जा रही है और विश्व स्वास्थ्य संगठन इस जांच में मदद कर रहा है. संगठन का कहना है कि दवा में डाईइथाईलीन ग्लाइकोल की मात्रा 0.1 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए लेकिन नेचरकोल्ड में इसकी मात्रा 28.6 फीसदी तक पायी गयी है.
जहरीली दवा का भारत से संबंध
पिछले कुछ महीनों में खांसी की दवाओं में जहरीले रसायनों के कई मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से कई मामलों में दवा भारत में बनी थी. 2022 में गांबिया, उज्बेकिस्तान और इंडोनेशिया में 300 से अधिक बच्चों की मौत खांसी की दवा के कारण होने की बात सामने आयी थी. अधिकतर मामलों में दवाएं भारतीय कंपनियों द्वारा बनायी गयी थीं.
भारत ने अपनी दवा कंपनियों पर अब सख्त नियम लागू कर दिये हैं. हाल ही में भारत सरकार ने आदेश जारी किया था कि निर्यात होने वाली खांसी की दवा को एक प्रमाणपत्र लेना होगा. यह प्रमाण पत्र कड़े परीक्षणों के बाद जारी किया जाएगा और यह जांच एक सरकारी प्रयोगशाला में की जाएगी. व्यापार मंत्रालय ने मई में यह यह निर्देश जारी किया था, जिस पर अमल पहली जून से लागू हुआ.
भारत में दवा निर्माण का 41 अरब डॉलर का उद्योग है और वह दुनिया के सबसे बड़े दवा निर्माताओं में से है. लेकिन पिछले कुछ महीनों से भारत का दवा उद्योग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादों से जूझ रहा है क्योंकि गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और अमेरिका में भी भारत में बनीं दवाओं के कारण लोगों की जान जाने की खबरें आईं.
इसी साल मार्शल आईलैंड्स और माइक्रोनीजिया में भी कुछ दवाओं में जहरीले तत्व पाये गये थे लेकिन वहां किसी की जान जाने का मामला सामने नहीं आया था. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि खतरा अभी भी बना हुआ है.
सस्ते जहरीले रसायन
ये सभी दवाएं अलग-अलग कंपनियों द्वारा बनायी गयी हैं लेकिन चार में से तीन मामलों में दवाओं का निर्माण भारत में हुआ है. इंडोनेशिया में जिस दवा से बच्चों की मौत हुई, वह वहीं की एक कंपनी ने बनायी थी.
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस चलन को देखते हुए भारतीय अधिकारियों के साथ काम करना जरूरी है ताकि कैमरून में पायी गयी घातक दवा के मूल का पता चल सके. यूएन एजेंसी दुनियाभर में खांसी की दवाओं की जांच कर रही है ताकि किसी भी तरह के खतरे का पता चल सके. हालांकि एजेंसी का कहना है कि भारतीय अधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि कई बार अपराधी तत्व प्रोपीलीन ग्लाइकोल की जगह डाईइथाइलीन ग्लाइकोल का इस्तेमाल करते हैं, जो सस्ता लेकिन जहरीला विकल्प है. इस रसायन के कारण पेट में दर्द, उलटी, दस्त और किडनी पर दुष्प्रभाव जैसी परेशानियां हो सकती हैं. कई मामलों में इनका असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है और मौत तक हो सकती है.
वीके/एए (रॉयटर्स)
वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग के दौरान पाया कि कुछ विशेष परिस्थितियों में धातुएं अपनी दरारों को खुद ही भर सकती हैं. कोल्ड-वेल्डिंग नाम की यह प्रक्रिया बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है.
क्या आपने टर्मिनेटर फिल्म देखी है? तब तो आपको वो सीन जरूर याद होगा जिसमें गोली लगने के बाद रोबोट का धातु से बना शरीर अपने आप भरने लगता है और वह फिर से भला-चंगा हो जाता है. 1991 में की गयी यह कल्पना अब सच होने जा रही है.
बुधवार को वैज्ञानिकों ने बताया कि उनका एक प्रयोग सफल रहा है जिसमें प्लैटिनम और तांबे में आईं दरारें कुछ ही पलों में अपने आप भर गईं. यह प्रयोग नैनोस्केल पर किया गया था जिसका मकसद यह अध्ययन करना था कि जब धातुओं को बहुत अधिक दबाव में रखा जाता है तो उनके अंदर दरारें क्यों पड़ती हैं.
बहुत काम की खोज
इस प्रयोग से उत्साहित वैज्ञानिकों का कहना है कि इन धातुओं का इस्तेमाल ऐसी मशीनें बनाने के लिए किया जा सकता है जो खुद ही भर जाएंगी और निकट भविष्य में मशीनों में टूट-फूट कम हो सकती है.
धातुओं में दबाव के कारण दरारें पड़ने की प्रक्रिया को अक्सर धातु-थकान कहा जाता है. मशीनों, वाहनों या ढांचों के पुर्जों में ये बेहद महीन दरारें आ जाती हैं. ऐसा तब होता है जब धातु पर बहुत लंबे समय तक लगातार दबाव रहता है या फिर वे लगातार गति में रहती हैं. ऐसा टूट-फूट के कारण भी हो सकता है. समय के साथ ये दरारें और ज्यादा बढ़ती जाती हैं.
धातु-थकान के कारण मशीनों को काफी नुकसान हो सकता है और वे बड़े हादसों की वजह बन सकती हैं. मसलन, जेट इंजन, इमारतों या पुलों आदि में लगी धातुओं में टूट के कारण बड़े हादसे हो सकते हैं.
अमेरिका के न्यू मेक्सिको में स्थित सैंडिया नेशनल लैब के शोधकर्ताओं ने अपने प्रयोग में एक तकनीक का इस्तेमाल किया. इस प्रयोग में धातु के टुकड़ों को 200 बार प्रति सेकंड के बल से खींचा गया. शुरुआत में तो दरारें पड़ीं और वे फैलती चली गईं. लेकिन प्रयोग के 40 मिनट के भीतर ही दरारें भरने लगीं.
क्या है कोल्ड-वेल्डिंग?
शोधकर्ताओं ने इसे ‘कोल्ड-वेल्डिंग' नाम दिया. नेचर पत्रिका में छपे अध्ययन में शोधकर्ता ब्रैड बॉयस कहते हैं, "कोल्ड-वेल्डिंग मेटलर्जी की प्रक्रिया है जिसमें धातु की दो मुलायम और साफ सतह जब पास आती हैं तो एटॉमिक बॉन्ड को फिर से बना लेती हैं.”
बॉयस बताते हैं कि टर्मिनेटर फिल्म के खुद से घाव भरने वाले रोबोट के उलट यह प्रक्रिया इतनी महीन होती है कि इंसान को नंगी आंखों से नजर नहीं आती. वह कहते हैं, "ऐसा नैनोस्केल पर होता है और हम इसे अभी तक नियंत्रित नहीं कर पाए हैं.”
वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोग में धातु के जो टुकड़े इस्तेमाल किये वे 40 नैनोमीटर मोटे और कुछ माइक्रोमीटर चौड़े थे. एक नैनोमीटर 0.000000001 मीटर के बराबर होता है. बॉयस के मुताबिक कोल्ड-वेल्डिंग की प्रक्रिया सिर्फ प्लैटिनम और तांबे में देखी गयी लेकिन कंप्यूटर सिमुलेशन ने दिखाया है कि अन्य धातुओं में भी ऐसा हो सकता है. वह कहते हैं, "यह पूरी तरह संभव है कि स्टील जैसे अलॉय भी ऐसा कर सकते हैं. यह भी संभव है कि धातुओं को इस तरह बनाया जाए कि वे इस प्रक्रिया का लाभ उठा सकें.”
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह जानकारी वैकल्पिक डिजाइन बनाने में इस्तेमाल की जा सकती है या इंजीनियरिंग के दौरान इसका प्रयोग किया जा सकता है ताकि धातु-थकान के खतरों को कम से कम किया जा सके. बॉयस कहते हैं, "यह नयी जानकारी मौजूदा ढांचों में धातु-थकान को समझने में, उनकी क्षमता को सुधारने में और खतरों का पूर्वानुमान लगाने में भी काम आ सकती है.”
दस साल का इंतजार
वैज्ञानिकों ने पहले भी कुछ खुद की मरम्मत करने वाले मटीरियल बनाए हैं, लेकिन वे ज्यादातर प्लास्टिक से बने हैं. ताजा शोध में शामिल रहे टेक्सस की ए एंड एम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल डेम्कोविच ने एक दशक पहले ही कोल्ड-वेल्डिंग जैसे गुण होने का पूर्वानुमान जाहिर किया था.
डेम्कोविच ने कहा था कि जिन धातुओं में टूट-फूट और ज्यादा खराब हो जानी चाहिए, विशेष परिस्थितियों में दबाव के दौरान उनमें उलटा असर हो सकता है. वह कहते हैं, "मेरा अनुमान है कि हमारी खोज को असल जिंदगी में इस्तेमाल करने में दस साल और लगेंगे.”
ताजा प्रयोग बहुत विशेष परिस्थितियों में किया गया और इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप नाम की एक मशीन का प्रयोग किया गया. अब वैज्ञानिकों के सामने सवाल यह है कि कोल्ड-वेल्डिंग खुली हवा में भी संभव है या नहीं. हालांकि बॉयस कहते हैं कि अगर वैक्यूम में भी यह प्रक्रिया काम कर रही है, तो भी काफी फायदेमंद हो सकती है.
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बार्बी से न तो प्यार करने वालों की कमी है और न ही उससे नफरत करने वालों की. हालांकि, यह सवाल जरूर है कि आखिर यह डॉल दुनिया में इतनी लोकप्रिय कैसे हुई? इसमें खास क्या है?
डॉयचे वैले पर सबीने कीजेलबाख,उलरिके सोमर की रिपोर्ट-
ग्रेटा गेरविग के निर्देशन में बनी नई फिल्म ‘बार्बी' ने काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इसके पहले टीजर ट्रेलर में, निर्देशक स्टेनली कुब्रिक की 1968 में रिलीज फिल्म "2001: ए स्पेस ओडिसी” के प्रतिष्ठित "डॉन ऑफ मैन” के शुरुआती सीक्वेंस की नकल की गई है. नई फिल्म में दिख रहा है कि बार्बी डॉल रेगिस्तान जैसे इलाके में एक बड़े पत्थर के सामने इस तरह खड़ी है, जैसे लगता है कि वह कोई मूर्ति, देवी या सुपरवुमन है.
गेरविग की फिल्म में युवा लड़कियां पुराने जमाने की बेबी डॉल्स के साथ खेलती दिखाई गई हैं, लेकिन फिर वे अपने पुराने खिलौनों को फेंक देती हैं. ऐसा तब होता है, जब वे एक लंबी, आकर्षक बार्बी को ऊंची एड़ी वाली सैंडल और धारीदार स्विम सूट पहने हुए देखती हैं. इसके बाद, बार्बी अपने सफेद फ्रेम और कैट आई वाले धूप के चश्मे को थोड़ा हटाकर दर्शकों को आंख मारती हैं. इस फिल्म में बार्बी का किरदार मार्गोट रोबी ने निभाया है.
यह टीजर ट्रेलर दिसंबर 2022 में वार्नर ब्रदर्स पिक्चर्स ने जारी किया है. इस टीजर को देखने पर तुरंत ही ‘स्पेस ओडिसी' फिल्म की याद आ जाती है. इसमें ना सिर्फ कुब्रिक के क्लासिक फिल्म की तरह शरारत भरे लहजे में आंख मारने जैसा दृश्य है, बल्कि यह बार्बी डॉल के बनाए जाने और इसकी सफलता के पीछे की कहानी को भी बयान करता है.
कहां से आई बार्बी डॉल
रूथ हैंडलर को "बार्बी की मां” के रूप में जाना जाता है. उनका जन्म 1916 में हुआ था और वह 2002 तक जीवित रहीं. वह अपनी बेटी और उसकी सहेलियों के लिए मां के रूप में उनकी भावी भूमिका के अभ्यास के लिए एक और डॉल नहीं बनाना चाहती थीं. रूथ हैंडलर की बनाई गई डॉल दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाले खिलौनों में से एक बन गई. इस डॉल में एक युवा महिला को दिखाया गया, जो आत्मविश्वासी, आकर्षक और कामकाजी थी.
अमेरिका में रहने वाली हैंडलर एक पोलिश-यहूदी प्रवासी परिवार से थीं जिसमें हर किसी को कमाना पड़ता था, चाहे वह पुरुष हो या महिला. अपने पति इलियट और एक दूसरे शख्स हेरोल्ड मैटसन के साथ मिलकर उन्होंने 1945 में एक गैरेज में मैटल कंपनी की स्थापना की थी. इन तीनों ने पिक्चर फ्रेम और गुड़िया घर फर्नीचर का निर्माण किया. गुड़िया घर का फर्नीचर काफी ज्यादा बिका, इसलिए उन्होंने कई तरह के खिलौने बनाने में विशेषज्ञता हासिल की. अब यह दुनिया की सबसे बड़ी खिलौना कंपनियों में से एक है.
बार्बी को करियर बनाने वाली यानी कामकाजी महिला के तौर पर डिजाइन किया गया था. सेक्रेट्री, डॉक्टर, पायलट, अंतरिक्ष यात्री और यहां तक कि अमेरिका की महिला राष्ट्रपति के रूप में भी बार्बी को डिजाइन किया गया. यह कुछ ऐसा है जो असल दुनिया में अब तक नहीं हुआ है. बार्बी डॉल को सभी तरह की कामकाजी महिलाओं के कपड़ों में डिजाइन किया गया. आज भी, खिलौने बनाने वाली इस कंपनी मैटल का कहना है कि बार्बी "हर लड़की को प्रेरित करती है कि उसमें असीमित क्षमता है.”
बार्बी की जानी-मानी प्रशंसक सुजैन शापिरो इस डॉल के पीछे के संदेश को लेकर कहती हैं, "आपको छोटे बच्चों की देखभाल करने वाली मां बनने की जरूरत नहीं है. आपको शादी करने की जरूरत नहीं है. आपको यह जरूरत नहीं है कि आपके पिता या पति आपकी सहायता के लिए हमेशा साथ खड़े रहें. आप अपनी मदद खुद कर सकती हैं. आप जो चाहें कर सकती हैं. आपके पास अपना करियर बनाने के लिए सैकड़ों विकल्प हैं. आप कुछ भी बन सकती हैं.”
बार्बी के पास अपना घर और अपनी कार है, जिसमें उसके वफादार साथी केन को 1961 से यात्री सीट पर बैठने की इजाजत है. हालांकि, बार्बी के ग्लैमर के सामने वह कभी नहीं टिक सका. बार्बी फिल्म में केन के किरदार के रूप में रयान गोसलिंग इस बात को लेकर दुखद गीत भी गाते हैं, "ऐसा लगता है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं क्या करता हूं. मैं हमेशा नंबर दो पर हूं... मैं सिर्फ केन हूं.”
नारीवादी प्रतीक या खूबसूरती का घातक पैमाना?
यह हकीकत है कि रूथ हैंडलर ने अपनी बेटी बारबरा के नाम पर एक डॉल बनाई थी. इस डॉल में आर्थिक रूप से स्वतंत्र और कामकाजी महिला को दिखाया गया. यह 1950 और 1960 के दशक की शुरुआत में रूढ़िवादी समाज में महिलाओं को प्रेरित करने वाली चीज थी.
इसके बावजूद, बार्बी को नारीवादी गलियारों में बदनामी का सामना करना पड़ा. अमेरिकी लेखिका और नारीवादी जिल फिलीपोविक के मुताबिक, बार्बी वास्तव में नारीत्व की एक गलत छवि बनाती है. क्या आकर्षक महिला होने का मतलब यह होता है कि वह एक अच्छी और काबिल महिला हो.
‘लंबे पैर, ततैया जैसी पतली कमर, सुगठित शरीर' बार्बी के साथ इस आदर्श को बच्चों के कमरों में ले जाया गया. सांस्कृतिक वैज्ञानिक एलिजाबेथ लेचनर ने डीडब्ल्यू से बार्बी के बारे में बात करते हुए कहा, "यह पूरी तरह जवान थी, गोरी थी, किसी तरह की शारीरिक कमी नहीं थी और यह पूंजीवादी दुनिया में प्रदर्शन के लिए तैयार थी.”
अध्ययनों से पता चलता है कि सुंदरता का एक संदिग्ध पैमाना लड़कियों में विकृत शारीरिक छवि को जन्म दे सकता है. मैटल ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी और अपने प्रॉडक्ट के रेंज का विस्तार किया. साथ ही, इसे अलग-अलग तरीकों से डिजाइन करते हुए ज्यादा विविधता वाला बनाया. अब अलग-अलग डिजाइन वाली बार्बी डॉल मौजूद हैं. उनके शरीर की बनावट अलग-अलग है. किसी में कृत्रिम पैर लगे हैं, तो कोई व्हील चेयर पर बैठी है. अब कीमोथेरेपी और डाउन सिंड्रोम वाली बार्बी डॉल भी है.
एलिजाबेथ लेचनर ने शरीर की छवियों और बॉडी पॉजिटिविटी को लेकर गहराई से अध्ययन किया है. उनके मुताबिक, अलग-अलग तरह के डॉल बनाने से मूल समस्या नहीं बदलती है. दरअसल, बॉडी पॉजिटिविटी एक अवधारणा है, जिसके तहत सभी तरह के शरीरों की स्वीकृति को बढ़ावा देने की बात की जाती है.
वह कहती हैं, "अब कई सारे ऐसे अध्ययन हैं जिनसे यह साबित होता है कि अगर किसी वस्तु को सकारात्मक नजरिए से भी डिजाइन किया जाता है, तो ये महिलाओं को याद दिलाते हैं कि ऐसा उनके शारीरिक संरचना और रूप-रंग के हिसाब से किया गया है.”
एक बार्बी के अनेक रूप
बार्बी डॉल में विविधता लाने के लिए पहला कदम 1960 के दशक में उठाया गया था, जब नस्लीय संघर्षों ने संयुक्त राज्य अमेरिका को हिलाकर रख दिया था. जिस वर्ष मार्टिन लूथर किंग की हत्या हुई थी, उसी समय बार्बी की दुनिया में पहली ब्लैक डॉल दिखी थी. उसका नाम क्रिस्टी था. निर्देशक लागुएरिया डेविस ने अपनी डॉक्युमेंट्री "ब्लैक बार्बी” में इसके बनाने के पीछे की कहानी की जानकारी दी है.
लागुएरिया डेविस की चाची बेउला मेई मिशेल जैसी कामकाजी अश्वेत महिलाएं ही थीं, जिन्होंने रूथ हैंडलर को इस विचार के लिए राजी किया था. डेविस ने कहा, "हमें एक ब्लैक खिलौना चाहिए था! हम एक ब्लैक डॉल चाहते थे! एक ऐसी डॉल जिससे अफ्रीकी अमेरिकी लड़कियों की पहचान हो सके.” हालांकि, 1980 तक इस ब्लैक डॉल को बार्बी कहने की अनुमति नहीं थी.
डेविस ने डीडब्ल्यू को बताया, "मैटल की कहानी से लगता है कि वे हमारे नजरिए से बार्बी के लिए एक ब्लैक दोस्त को पेश करने में काफी प्रगतिशील हैं. हालांकि, यह उनके लिए प्रगतिशील कदम लगता है, लेकिन हमारे नजरिए से कम प्रगतिशील है, क्योंकि 21 वर्षों तक बार्बी ब्रांड के लायक कोई ब्लैक फैशन डॉल नहीं थी.”
इसके बावजूद, उस समय बेउला मेई मिशेल की कई पीढ़ी की महिलाओं के लिए यह जीत थी. ब्लैक बार्बी यह सबूत है कि अफ्रीकी अमेरिकी महिलाएं सुंदर थीं और वे ग्लैमरस और सफल हो सकती थीं.
अफ्रीका से प्रतिस्पर्धा
इस बीच, अफ्रीकी महाद्वीप में ब्लैक बार्बी एक बड़ी प्रतिद्वंद्वी बन गई है. नाइजीरियाई कारोबारी ताओफिक ओकोया ने 2007 में बाजार में एक कमी देखी. यह बात उन्हें अपनी बेटी से बातचीत के दौरान पता चली. उनकी बेटी ने कहा कि वह ब्लैक की बजाय गोरी होना पसंद करेंगी, क्योंकि गोरा रंग ज्यादा खूबसूरत होता है. इसलिए उन्होंने एक ऐसी आकृति की तलाश की जिससे अफ्रीकी लड़कियां अपने रंग और शारीरिक बनावट पर गर्व महसूस कर सकें.
इस तरह से क्वीन्स ऑफ अफ्रीका अस्तित्व में आईं. हालांकि, ये वैश्विक स्तर के सौंदर्य के मानकों के मुताबिक सिर्फ गहरे रंग की त्वचा वाली छवियां नहीं हैं, बल्कि ओकोया की डॉल नाइजीरिया के कई जातीय समूहों की त्वचा के रंग, हेयर स्टाइल और कपड़ों पर आधारित हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "यह मेरी पहचान है. यह मैं हूं. और यही संदेश क्वीन्स ऑफ अफ्रीका का है.”
क्या बार्बी प्रासंगिक है?
यह डॉल किसी खिलौने की तुलना में ज्यादा मायने रखती है. यह एक बच्चे के लिए पहचान का प्रतीक हो सकती है. इससे कोई बच्चा अपने मन में यह छवि बना सकता है कि सुंदरता का पैमाना क्या होता है. इसलिए, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आज भी बार्बी डॉल महिला सशक्तिकरण, सौंदर्य के पैमाने और अपनी प्रासंगिकता को लेकर बहस का विषय बनी हुई है.
गैर-लाभकारी मीडिया आउटलेट द कन्वर्सेशन ने रिपोर्ट की है कि अमेरिकी रिसर्चरों ने पिछले साल यह पता लगाया था कि प्रत्येक डॉल के निर्माण से जलवायु पर कितनी लागत आती है. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रत्येक 182 ग्राम की प्लास्टिक बार्बी डॉल के उत्पादन, परिवहन वगैरह से करीब 660 ग्राम कार्बन का उत्सर्जन होता है.
पिछले छह दशकों से बार्बी सबसे ज्यादा बिकने वाले खिलौनों में शामिल है. इस दौरान इसे बनाने वाली कंपनी मैटल ने समय के मुताबिक अपनी मार्केटिंग रणनीति में बदलाव किया है. अब उसने फिर से इस्तेमाल की जा सकने वाली प्लास्टिक से बनी बार्बी भी लॉन्च की है. बार्बी संभवतः अब तक की "सामाजिक अन्याय और भेदभाव के प्रति जागरूक करने वाली डॉल” है. हालांकि, केवल एक ही चीज है जो उसकी कभी नहीं बदली. चाहे उसकी त्वचा का रंग काला हो या गोरा, वह ‘हमेशा जवान' बनी रहती है. उसकी उम्र कभी नहीं बदलती. (dw.com)
इस्लामाबाद, 21 जुलाई । राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने कहा कि 25 जून को मानसून का मौसम शुरू होने के बाद से पाकिस्तान में कम से कम 101 लोग मारे गए हैं और 180 अन्य घायल हुए हैं।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, एनडीएमए के अनुसार, पंजाब प्रांत 57 मौतों और 118 चोटों के साथ सबसे ज्यादा प्रभावित है।
गुरुवार शाम तक, भारी बारिश के कारण प्रांतीय राजधानी लाहौर सहित पंजाब में 53 घर भी नष्ट हो गए।
लाहौर में मूसलाधार बारिश को पंजाब के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मोहसिन नकवी ने "रिकॉर्ड तोड़" करार दिया, इससे शहर में बाढ़ आ गई, कई इलाके जलमग्न हो गए और सड़क यातायात घंटों तक बाधित रहा।
रावलपिंडी में भी बुधवार को 12 घंटे से अधिक समय तक भारी बारिश हुई, इसके परिणामस्वरूप नदियों और नालों में जल स्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ गया और स्थानीय नगरपालिका प्राधिकरण को किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने में मदद के लिए सेना बुलानी पड़ी।
बुधवार को शहर में भारी बारिश के कारण एक निर्माणाधीन पुल की दीवार अस्थायी तंबू में रह रहे मजदूरों पर गिर गई, इससे कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई।
जिला प्रशासन के प्रवक्ता के अनुसार, वर्षा मापक केंद्रों ने शहर के कई इलाकों में 200 मिमी तक बारिश दर्ज की, इससे शहरी बाढ़ और छत गिरने की घटनाएं हुईं।
एनडीएमए ने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बारिश से जुड़ी अलग-अलग दुर्घटनाओं में 25 लोगों की मौत हो गई और 41 अन्य घायल हो गए।
प्राधिकरण ने कहा कि मूसलाधार बारिश से प्रांत में 60 घर क्षतिग्रस्त हो गए और 43 पशुधन की मौत हो गई।
सिंध प्रांत में जून की शुरुआत में आए तूफान के दौरान एक घर पर बिजली गिरने से 10 लोगों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए।
एनडीएमए के आंकड़ों से पता चलता है कि दक्षिण पश्चिम बलूचिस्तान प्रांत में छह लोग मारे गए और 13 अन्य घायल हो गए, और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में तीन और लोगों की जान चली गई, जहां भारी बारिश के कारण पांच लोग घायल भी हुए।
उत्तरी गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र में एक व्यक्ति घायल हो गया, जहां भारी बारिश के कारण सात घर नष्ट हो गए और 15 पशुधन की मौत हो गई। (आईएएनएस)।
वाशिंगटन, 21 जुलाई । व्हाइट हाउस ने पुष्टि की है कि यूक्रेन अमेरिका द्वारा आपूर्ति किए गए विवादास्पद क्लस्टर हथियारों का "प्रभावी ढंग से" उपयोग कर रहा है।
गुरुवार को एक बयान में, व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा: "वे (यूक्रेन) उनका उचित और प्रभावी ढंग से उपयोग कर रहे हैं और वे वास्तव में रूस की रक्षात्मक संरचनाओं व रूस के युद्धाभ्यास पर प्रभाव डाल रहे हैं।"
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में यूक्रेन को अमेरिकी निर्मित क्लस्टर हथियारों की डिलीवरी मिली थी, जब कीव ने चेतावनी दी थी कि रूस के खिलाफ जवाबी हमले के दौरान उसके पास गोला-बारूद खत्म हो रहा है।
यूक्रेन ने भी वादा किया है कि बमों का इस्तेमाल केवल रूसी दुश्मन सैनिकों को हटाने के लिए किया जाएगा।
इन हथियारों का जब आबादी वाले इलाकों में इस्तेमाल किया जाता है, तो विस्फोटक सामग्री को बड़े क्षेत्रों में बिखेर देते हैं।
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, जो विस्फोट करने में विफल रहते हैं, वे वर्षों बाद विस्फोट कर सकते हैं, जिससे बारूदी सुरंगों के समान दीर्घकालिक खतरा पैदा हो सकता है।
16 जुलाई को, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी दी कि यदि क्लस्टर हथियारों का उपयोग हमारे खिलाफ किया जाता है, तो मास्को यूक्रेन के खिलाफ उसके इस्तेमाल पर विचार करेगा।
इस महीने की शुरुआत में सीएनएन से बात करते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बााइडेन ने कहा था कि यूक्रेन को क्लस्टर युद्ध सामग्री भेजने का निर्णय "बहुत कठिन" था।
लेकिन उन्होंने ऐसा करने का विकल्प चुना, क्योंकि रूसी सैनिकों को यूक्रेनी क्षेत्र से बाहर धकेलने की अपनी लड़ाई जारी रखने के लिए कीव को अधिक गोला-बारूद की आवश्यकता है।
मार्च में, संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि रूसी सेना ने फरवरी 2022 में आक्रमण शुरू करने के बाद से कम से कम 24 बार आबादी वाले क्षेत्रों में क्लस्टर हथियारों का इस्तेमाल किया है। (आईएएनएस)।
सना, 21 जुलाई । गृह युद्ध के चलते नौ साल से बंद यमन के पूर्वी प्रांत अल महराह में अल ग़ायदाह हवाई अड्डे को सरकार ने फिर से खोलने की घोषणा की है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा कि हवाई अड्डे को फिर से खोलना सऊदी अरब के किंग सलमान और पुनर्वास प्रयासों का नतीजा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस उपलब्धि को युद्धग्रस्त यमन में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो मौजूदा चुनौतियों के बावजूद बढ़ी हुई कनेक्टिविटी और आर्थिक अवसरों के लिए नई आशा प्रदान करता है।
गुरुवार को हवाई अड्डे के उद्घाटन समारोह के दौरान, परिवहन मंत्री अब्दुल-सलाम हुमैद ने कहा कि इसे फिर से खोलना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह सरकारी नियंत्रण में आने और उड़ानें फिर से शुरू करने वाला देश का चौथा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन गया है।
यमन 2014 से एक विनाशकारी गृहयुद्ध में उलझा हुआ है, जिसमें हौथी विद्रोही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार और उसके सहयोगियों, मुख्य रूप से सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन के खिलाफ लड़ रहे हैं। (आईएएनएस)।
लंदन, 21 जुलाई । ब्रिटेन पुलिस ने उस घटना की जांच शुरू कर दी है, जिसमें इंग्लैंड के लीड्स में एक सिख पवित्र पुस्तक को आग लगा दी गई थी और एक समुदाय के सदस्य के घर के बाहर कूड़ेदान में फेंक दिया गया था।
एक बुजुर्ग सिख व्यक्ति और उसकी बेटी को 12 जुलाई को सेंट ऐनीज़ रोड, हेडिंग्ले में अपने घर के बाहर जला हुआ और फटा हुआ गुटका साहिब मिला।
वे जले हुए धर्मग्रंथ को गुरुद्वारा साहिब मंदिर में ले आए, इसके बाद समुदाय के एक सदस्य ने स्थानीय पुलिस से संपर्क किया।
पुलिस ने कहा कि उन्हें शाम 5.03 बजे हेडिंग्ले इलाके में हुई एक घटना की रिपोर्ट 16 जुलाई को.मिली।
वेस्ट यॉर्कशायर पुलिस ने 18 जुलाई को साझा किए गए एक बयान में कहा, "स्थानीय सिख समुदाय के एक प्रतिनिधि ने बताया कि सेंट ऐनीज़ रोड में एक सिख समुदाय के सदस्य के घर के बाहर एक पवित्र पाठ क्षतिग्रस्त पाया गया था।"
पुलिस ने कहा कि नस्लीय या धार्मिक रूप से गंभीर आपराधिक क्षति के लिए अपराध दर्ज किया गया है और घटना की पूरी परिस्थितियों का पता लगाने के लिए पूछताछ जारी है।
लीड्स डिस्ट्रिक्ट कमांडर मुख्य अधीक्षक स्टीव डोड्स ने, "इस तरह का कोई भी अपराध, जिसे पीड़ित या कोई अन्य व्यक्ति अपनी जाति या धर्म के प्रति शत्रुता या पूर्वाग्रह से प्रेरित मानता है, उसे घृणा अपराध माना जाता है और हम इस प्रकृति की सभी घटनाओं को बहुत गंभीरता से लेते हैं।"
"सिख समुदाय के सदस्य के रूप में किसी को अपमानित करने के उद्देश्य से किसी के लिए जानबूझकर पवित्र ग्रंथ को नुकसान पहुंचाना अस्वीकार्य है।"
लीड्स जिला सीआईडी के जासूसों द्वारा जांच शुरू की गई है, जो घटना की पूरी परिस्थितियों और अपराध के पीछे के अपराधियों को स्थापित करने के लिए व्यापक पूछताछ कर रहे हैं।
पुलिस ने कहा कि वे प्रमुख सामुदायिक प्रतिनिधियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। (आईएएनएस)।
फीनिक्स, 21 जुलाई । अमेरिकी शहर फीनिक्स में हवाई अड्डे के पास कई प्रोपेन टैंकों में विस्फोट के बाद भीषण आग लग गई है।
फीनिक्स फायर डिपार्टमेंट के अनुसार, कर्मचारियों को शाम करीब 5 बजे 40वीं स्ट्रीट में बुलाया गया। फॉक्स10 फीनिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार शाम को प्रोपेन टैंकों में आग लगने की रिपोर्ट आई।
विभाग ने एक ट्वीट में कहा, "फीनिक्स फायरफाइटर्स घटनास्थल पर पहुंच गए हैं।
विभाग के अधिकारियों ने कहा कि कई प्रोपेन टैंकों में विस्फोट हुआ और कुछ कथित तौर पर घटनास्थल से सैकड़ों गज दूर जा गिरे।
सैकड़ों प्रोपेन टैंक इलाके में बिखरे हुए हैं, और चालक दल प्रोपेन टैंकों की गैस बंद कर रहे हैं।
इस बीच, फीनिक्स स्काई हार्बर हवाई अड्डे के अधिकारियों ने कहा कि आग से परिचालन प्रभावित नहीं हुआ है।
हवाईअड्डे ने एक ट्विटर पोस्ट में कहा, "कृपया ध्यान दें कि हवाईअड्डे के बाहर लगी आग से हमारे परिचालन पर कोई असर नहीं पड़ा है। हमारे टर्मिनल और रनवे खुले हैं। हालांकि फिलहाल कोई उड़ान प्रभावित नहीं हुई है।"
एरिजोना एनिमल वेलफेयर लीग से सभी कर्मचारियों और जानवरों को निकाल लिया गया है।
किसी के घायल होने की सूचना नहीं है और जांचकर्ता विस्फोटों के कारणों की जांच कर रहे हैं। (आईएएनएस)।