अंतरराष्ट्रीय
तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रमुख मांगों में से एक को लागू करने के लिए एक समयसीमा की घोषणा की है. उसने कहा है कि उम्मीद है कि मार्च के बाद देशभर में लड़कियों के स्कूल खुल जाएंगे.
पिछले साल अगस्त के मध्य में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से देश के अधिकांश हिस्सों में लड़कियों को सातवीं कक्षा के बाद स्कूलों में जाने की इजाजत नहीं है. तालिबान ने 20 साल पहले अपने शासन में महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को डर है कि तालिबान एक बार फिर इसी तरह के कदम उठा सकता है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अभी तक अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय जोर देकर कहता आया है कि तालिबान देश में एक व्यापक सरकार स्थापित करने के अलावा महिलाओं को भी अधिकार दें. तालिबान के संस्कृति और सूचना उप मंत्री जबीउल्लाह मुजाहिद ने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि शिक्षा विभाग अफगानिस्तान में 21 मार्च से सभी लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा देने पर विचार कर रहा है.
"हम शिक्षा के खिलाफ नहीं"
मुजाहिद ने कहा कि लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा "सरकार की क्षमता का सवाल है." साथ ही उन्होंने कहा कि स्कूलों में लड़कियों और लड़कों को पूरी तरह से अलग रखना होगा. उन्होंने कहा, "हमारे लिए अब तक की सबसे बड़ी बाधा लड़कियों के लिए छात्रावास ढूंढना या बनाना है. घनी आबादी वाले इलाकों में लड़कियों के लिए हॉस्टल बनाने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं है जिससे वे स्कूल आसानी से जा सके."
तालिबानी नेता मुजाहिद ने कहा, "हम शिक्षा के खिलाफ नहीं हैं." तालिबान के इस दावे के बावजूद कि महिलाओं की शिक्षा एक बाधा नहीं है, लड़कियों को देश के 34 प्रांतों में से 10 को छोड़कर सातवीं कक्षा से आगे की कक्षाओं में जाने की इजाजत नहीं है. हालांकि राजधानी काबुल के निजी विश्वविद्यालयों और हाई स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियां हमेशा की तरह चल रही हैं, जहां लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग क्लासरूम बनाए गए हैं.
वादा निभाएगा तालिबान?
मुजाहिद ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नए साल (नौरोज) की शुरुआत तक इन मुद्दों को सुलझा लिया जाएगा, ताकि स्कूल और विश्वविद्यालय खोले जा सकें. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की स्थिति यह है कि वह तालिबान को उनकी घोषणाओं और वादों के बजाय उनके कार्यों के आधार पर परखेगा. अंतरराष्ट्रीय समुदाय महिलाओं की शिक्षा और तालिबान के अन्य दावों पर संदेह करता रहा है.
साथ ही समुदाय मानवीय तबाही को रोकने के लिए अरबों डॉलर देने से भी हिचक रहा है, जबकि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने चेतावनी दी है कि लाखों अफगानों की जान खतरे में पड़ सकती है. भीषण ठंड ने लगभग 30 लाख अफगानियों को बुरी तरह प्रभावित किया है जो युद्ध, सूखे, गरीबी या तालिबान के डर के कारण अपने घर छोड़कर भाग गए हैं और अपने ही देश में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं. इस महीने की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान को 5 अरब डॉलर की सहायता देने का ऐलान किया था.
एए/सीके (एपी, रॉयटर्स)
दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन में दशकों तक एक ही बच्चा पैदा करने की इजाजत थी. जरूरत पड़ने पर यह नीति खत्म की गई, लेकिन जन्मदर अब भी चीन की चिंता बढ़ा रही है.
चीन में साल 2021 में जन्मदर में रिकॉर्ड स्तर पर कमी आई है. सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि यह दर इतनी कम हो गई है कि पिछले साल चीन को अपने यहां जोड़ों को तीन बच्चे तक पैदा करने की इजाजत दे दी. चीन में दशकों तक एक ही बच्चा पैदा करने की नीति लागू रही, जिसका उल्लंघन करने पर लोगों को तमाम पाबंदियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन साल 2016 में यह नीति खत्म कर दी गई थी.
2016 में यह फैसला लेने के पीछे चीन की तेजी से बूढ़ी होती आबादी थी. चीन इसका आर्थिक खामियाजा नहीं भुगतना चाहता था, लेकिन शहरी इलाकों में महंगी होती रोजमर्रा की जिंदगी के चलते भी लोग एक ही बच्चा पैदा करते थे. चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में प्रति हजार लोगों पर जन्मदर 7.52 रही, जो 1949 के बाद से सबसे कम है.
इन आंकड़ों के जारी होने के बाद अधिकारियों पर लोगों को और बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने का दबाव और बढ़ गया है. डेटा के मुताबिक चीन की आबादी की प्राकृतिक वृद्धि दर 2021 में सिर्फ 0.034 फीसदी थी, जो 1960 के बाद से सबसे कम है. इस दर में प्रवासन शामिल नहीं है.
ये नीतियां अपना रहा है चीन
पिनपॉइंट एसेट मैनेजमेंट के मुख्य अर्थशास्त्री झीवी झांग कहते हैं, "जनसांख्यिकी की चुनौती किसी से छिपी तो है नहीं. हां, आबादी जरूर अनुमानों के मुकाबले कहीं तेजी से बूढ़ी हो रही है. यह बताता है कि हो सकता है कि चीन की आबादी 2021 में अपने चरम पर पहुंच गई हो. इससे यह भी पता चलता है कि चीन की संभावित वृद्धि अपेक्षा से ज्यादा तेजी से धीमी हो सकती है."
इस समस्या से निपटने के लिए चीन लोगों को तीन बच्चे पैदा करने की इजाजत देने के साथ ही ऐसी नीतियां अपना रहा है, जिससे लोगों के लिए बच्चे पालना आर्थिक रूप से बोझ न बन जाए. जैसे पिछले साल ही चीन ने स्कूल से इतर पैसे देकर कोचिंग पढ़ाने पर प्रतिबंध लगाया है, जो चीन में एक बड़ा उद्योग था. चीन में कामकाजी लोगों की आबादी पहले ही घट रही है, जिसका असर देश की भुगतान करने की क्षमता और बूढ़ी होती आबादी की देखभाल पर पड़ेगा.
विशेषज्ञों की क्या है सलाह
आंकड़े बताते हैं कि 2021 में 1.06 करोड़ बच्चों ने जन्म लिया, जबकि 2020 में यही संख्या 1.20 करोड़ थी. बीजिंग स्थित सेंटर फॉर चाइना ऐंड ग्लोबलाइजेशन के जनसांख्यिकी विशेषज्ञ हुआंग वेन्झेंग कहते हैं कि अगर नीतियों में और बदलाव नहीं किए गए, तो जन्मदर में और कमी आने से पहले यह संख्या एक करोड़ की सीमा तक बढ़ या घट सकती है.
हुआंग कहते हैं, "हालांकि, दूर की सोचें, तो नीतियों से जन्मदर के मामले में मदद मिलेगी. करियर में आगे बढ़ने को बच्चे पैदा करने से जोड़ा जा सकता है. आर्थिक रूप से प्रोत्साहन दिया जा सकता है या लोगों को बच्चों का पालन-पोषण करने में मदद करने के लिए सीधे खाते में पैसा दिया जा सकता है." साल 2020 में प्रति हजार लोगों पर जन्मदर 8.52 थी.
अर्थव्यवस्था से अच्छी खबर
हालांकि, अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर चीन बेहतरीन प्रदर्शन करता दिख रहा है. आंकड़े बताते हैं कि 2021 में चीन की अर्थव्यवस्था में 8.1 फीसदी की दर से वृद्धि दर्ज की गई है. यहां तक कि चीन ने अनुमानों से उलट 2021 में रिकॉर्ड ट्रेड सरप्लस भी दर्ज किया. दिसंबर महीने और पूरे साल 2021 में रिकॉर्ड ट्रेड सरप्लस दर्ज किया.
वैसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने पिछले साल के दूसरे हिस्से में अपने बड़े रियल एस्टेट उद्योग को बढ़ते कर्ज को घटाने का दबाव डाला था, जिसकी वजह से साल के आखिरी छह महीने में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर कुछ धीमी रही, लेकिन महामारी के असर से चीन की अर्थव्यवस्था जिस तरह से उबरी है, वह कई विशेषज्ञों के लिए हैरान करनेवाला साबित हुआ है.
वीएस/एमजे (रॉयटर्स, एपी)
लंदन, 17 जनवरी | इंग्लैंड के पूर्व सलामी बल्लेबाज जेफ्री बॉयकॉट ने हाल ही में समाप्त हुई एशेज सीरीज के दौरान जो रूट की टीम की आलोचना करते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलियाई धरती पर बल्लेबाजों का शर्मनाक प्रदर्शन रहा। इंग्लैंड का निराशाजनक प्रदर्शन के कारण ऑस्ट्रेलिया ने एशेज सीरीज को 4-0 से जीत लिया। इंग्लैंड की टीम अंतिम और पांचवें मैच के तीसरे दिन 68/0 रहने के बाद 124 रनों पर ऑल आउट हो गई।
सोमवार को द टेलीग्राफ में बॉयकॉट ने लिखा, "ऑस्ट्रेलियाई धरती पर इंग्लैंड के बल्लेबाजों का शर्मनाक रहा है। यह पूरी श्रृंखला बल्लेबाजी तकनीक के खराब स्तर, फुटवर्क की कमी, ऑफ स्टंप के आसपास निर्णय के बारे में रही है कि किस गेंद को खेलना है और किसे छोड़ना है। उनके पास धैर्य की कमी है और मुकाबला करने की क्षमता भी उनमें देखने को नहीं मिली।"
एशेज से सकारात्मकता के बारे में बात करते हुए बॉयकॉट ने तेज गेंदबाज मार्क वुड और बल्लेबाज जाक क्रॉली का उल्लेख किया। वुड ने दूसरी पारी में 6/37 के करियर के सर्वश्रेष्ठ स्पेल से होबार्ट में ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों को परेशान किया।
उन्होंने आगे कहा, "मार्क की गति ने कई ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को परेशान किया है। उन्होंने उन्हें जल्दी आउट कर पवेलियन भेजा था। अगर वह अपने फिटनेस पर ध्यान देते हैं, तो उन्हें आने वाले दिनों में बहुत अधिक सफलता मिलेगी।"
क्रॉली ने सिडनी में अपनी दूसरी पारी में 76 रन की पारी खेली और होबार्ट में दूसरी पारी में 36 रन बनाए। (आईएएनएस)
सियोल, 17 जनवरी | दक्षिण कोरिया में एक अंतर्राष्ट्रीय मैरिज एजेंसी के साथ विवाद के बाद गुस्से में आकर खुद को आग लगाने वाले व्यक्ति की हालत गंभीर है। ये जानकारी सोमवार को अधिकारियों ने दी।
द्वीप पर पुलिस और अग्निशमन अधिकारियों के अनुसार, 64 वर्षीय व्यक्ति ने रविवार को दोपहर करीब 12.56 बजे दक्षिणी द्वीप जेजू में मैरिज एजेंसी के कार्यालय में खुद को आग लगा ली ।
समाचार एजेंसी योनहाप की रिपोर्ट के अनुसार, एजेंसी के प्रमुख के साथ बातचीत के दौरान, व्यक्ति ने अचानक अपने ऊपर पेट्रोल की एक बोतल डाल दी और एक लाइटर से आग लगा ली।
एजेंसी के प्रमुख ने उस पर पानी फेंका और आग बुझा दी, लेकिन वह आदमी पहले से काफी जल गया और अस्पताल में भी बेहोश है ।
एक प्रारंभिक पुलिस जांच के अनुसार, वह व्यक्ति इस आधार पर उसके लिए अंतर्राष्ट्रीय विवाह की व्यवस्था करने से एजेंसी के इनकार से परेशान था कि वह कानूनी रूप से अयोग्य है।
आव्रजन नियमों के तहत, एक दक्षिण कोरियाई नागरिक वैवाहिक उद्देश्यों के लिए देश में किसी विदेशी के पिछले निमंत्रण के बाद पांच साल के लिए एक नए विवाह वीजा के लिए एक विदेशी पति या पत्नी के लिए अर्हता प्राप्त नहीं कर सकता है।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि नियमों के तहत, आदमी अपात्र था क्योंकि उसकी पिछली अंतर्राष्ट्रीय शादी 2017 में हुई थी। जैसे ही वह होश में आएगा, मामले में आगे की जांच की जाएगी। (आईएएनएस)
दक्षिण कोरिया और जापान ने कहा है कि उत्तर कोरिया ने दो और संदिग्ध मिसाइलें समुद्र में दागी हैं. इसी के साथ दो सप्ताह के अंदर उत्तर कोरिया द्वारा दागी गई मिसाइलों की संख्या चार हो गई है.
(dw.com)
दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ ने कहा कि उत्तर ने दोनों कम दूरी तक वार करने वाली मिसाइलों को सुनान नाम के इलाके से दागा, जहां पर प्योंगयांग का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है. दक्षिण कोरिया ने अभी तक यह नहीं बताया है कि ये मिसाइलें कितनी दूर गई थीं.
जापान ने भी कहा कि उसे भी इस लॉन्च की जानकारी मिली थी और प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने इन मिसाइलों के बारे में जानकारी हासिल करने के सभी प्रयास करने के निर्देश दिए हैं. रक्षा मंत्री नोबुओ किसी ने बताया कि मिसाइलें जापान के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र के बाहर गिरीं.
उत्तर कोरिया की रणनीति
जापान के तट रक्षक दल ने जापान के इर्द-गिर्द समुद्र में यात्रा कर रही नौकाओं और जहाजों को गिरते हुए अंशों के बारे में सतर्क रहने को कहा. हालांकि किसी भी नाव या हवाई यान को किसी भी तात्कालिक नुकसान की खबर नहीं मिली है.
जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव हीरोकाजु मात्सुनो ने कहा, "हम उत्तर कोरिया के इन सभी कदमों की कड़ी निंदा करते हैं जिनसे जापान की, इस प्रांत की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की शांति और सुरक्षा को खतरा होता है."
पिछले दो हफ्तों से भी कम में उत्तर कोरिया ने तीन और मिसाइल परीक्षण किए हैं, जो कि इस तरह की गतिविधियों की एक असामान्य संख्या है. इनमें से दो बार एक-एक "हाइपरसॉनिक मिसाइल" दागी गई थीं जो तेज गति और परिवर्तनशीलता के लिए सक्षम हैं."
बीते कुछ महीनों में उत्तर कोरिया ने ऐसी नई मिसाइलों के परिक्षण को बढ़ा दिया है जो प्रांत में मिसाइल सुरक्षा प्रणालियों पर भारी पड़ सकती हैं.
चीन का हाथ
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि देश के नेता किम जोंग उन आजमाई हुई रणनीति की तरफ वापस जा रहे हैं जिसके तहत मिसाइलें दाग कर और धमकियां दे कर देश अमेरिका और इस प्रांत के पड़ोसी देशों पर पहले दबाव बनाने की कोशिश करता है और उसके बाद बातचीत की पेशकश करता है.
सियोल के हैंकुक यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन अफेयर्स के प्रोफेसर मेसन रिची कहते हैं कि इस तरह के परीक्षणों की गति और विविधता से लगता है कि उत्तर कोरिया के पास परीक्षण, प्रशिक्षण और प्रदर्शन पर खर्च करने के लिए पर्याप्त मिसाइलें हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह अपनी मिसाइलों की संख्या को दिखा कर उत्तर कोरिया इसका प्रतिवारक की तरह इस्तेमाल करना चाहता है.
इन मिसाइलों का छोड़ा जाना ऐसे समय पर आया है जब उत्तर कोरिया सीमा पर से चीन के साथ व्यापार शुरू करने की कोशिश कर रहा है.
सियोल की एव्हा यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर लीफ-एरिक-ईसली कहते हैं, "ये दोनों बातें एक समय पर होना इस बात का संकेत हैं कि प्योंगयांग के उकसाने वाले कदमों के पीछे बीजिंग चीन की मिलीभगत है. चीन उत्तर कोरिया को आर्थिक रूप से समर्थन दे रहा है और उसके साथ सैन्य रूप से संयोजन भी कर रहा है."
सीके/एए (एपी, रॉयटर्स)
ऑस्ट्रेलिया ने आखिरकार टेनिस सुपरस्टार नोवाक जोकोविच को वापस भेज दिया है. ऑस्ट्रेलिया के इमिग्रेशन मंत्री ने विशेष शक्तियों के तहत उनका वीजा रद्द कर दिया जिसके बाद उन्हें देश छोड़ना पड़ा.
करीब दस दिन तक चली कानूनी मशक्कत के बाद दुनिया के नंबर एक टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच ने आखिरकार ऑस्ट्रेलिया को विदा कह दिया. देश के इमिग्रेशन मंत्री एलेक्स हॉक ने रविवार को अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जोकोविच का वीजा रद्द कर दिया जिसके बाद रविवार देर शाम इस टेनिस खिलाड़ी को डिपोर्ट कर दिया गया.
सर्बिया के नोवाक जोकोविच ने कोविड वैक्सीन नहीं लगवाई है और ऑस्ट्रेलिया में बिना पूरी खुराक लिए आने की इजाजत नहीं है. नोवाक जोकोविच ने ऑस्ट्रेलियन ओपन टेनिस प्रतियोगिता में खेलने के लिए विशेष इजाजत के तहत वीजा हासिल किया था. यह विशेष इजाजत उन्हें इस आधार पर मिली थी कि उन्होंने टीका इसलिए नहीं लगवाया क्योंकि दिसंबर में उन्हें कोविड हो गया था.
दस दिन पहले जब जोकोविच मेलबर्न पहुंचे तो ऑस्ट्रेलिया की सीमा पुलिस ने उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक लिया और उनका वीजा यह कहते हुए रद्द कर दिया कि उन्हें मिली छूट वैध नहीं है. जोकोविच ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दी और अदालत ने उनके हक में फैसला देते हुए उनका वीजा वैध माना. लेकिन रविवार को केंद्रीय मंत्री हॉक ने अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जनहित को आधार बताते हुए जोकोविच का वीजा रद्द कर दिया.
वैक्सीन विरोध के "नायक"
नोवाक जोकोविच ने कई बार वैक्सीन के विरोध में बयान दिए हैं. इसीलिए इस मुद्दे पर आमराय काफी विभाजित है. उनके देश सर्बिया में उन्हें भरपूर समर्थन हासिल है. देश के राष्ट्रपति ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने अपने आपको ही शर्मिंदा किया है. उन्होंने लोगों से भारी संख्या में पहुंचकर जोकोविच का स्वागत करने का आग्रह किया. वैक्सीन का विरोध करने वाले लोग नोवाक जोकोविच को अपना हीरो बताते रहे हैं. रविवार को नीदरलैंड्स में हुई एक रैली में उनके पोस्टर लिए लोग नजर आए.
फ्रांसीसी टेनिस खिलाड़ी एलिजे कॉरनेट ने हालांकि जोकोविच से सहानुभूति जताई. उन्होंने ट्विटर पर कहा, "मुझे पूरे मामले की इतनी जानकारी नहीं है कि कोई फैसला सुना सकूं. मैं इतना जानती हूं कि नोवाक खिलाड़ियों के लिए सबसे पहले खड़े होते हैं लेकिन हममें से किसी ने उनका साथ नहीं दिया.”
बाकी प्रतियोगिताओं पर नजर
लेकिन ग्रैंड स्लैम जीतने का नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के कगार पर खड़े जोकोविच की आलोचना करने वालों की संख्या भी काफी बड़ी है. इटली के सबसे महान टेनिस खिलाड़ियों में से एक आड्रियानो पनाटा ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया से उन्हें निकाला जाना "इस पूरे मामले का सबसे प्राकृतिक पटाक्षेप था.”
इटली की समाचार एजेंसी ला प्रेसे को पनाटा ने बताया, "मुझे समझ में नहीं आता कि ऑस्ट्रेलिया ने वीजा दिया ही कैसे. उसने बड़ी गलतियां की थीं. उसने ऐसा अंतरराष्ट्रीय मामला खड़ा कर दिया जिसकी जरूरत नहीं थी.”
ब्रिटिश खिलाड़ी एंडी मर्रे ने उम्मीद जताई कि अगले टूर्नामेंट में ऐसी स्थिति दोहराई नहीं जाएगी. अब मई-जून में फ्रेंच ओपन होना है, जहां मौजूदा नियमों के मुताबिक नोवाक जोकोविच हिस्सा ले सकते हैं. फ्रांस की खेल मंत्री रोक्साना मारासिनॉनू ने इस बात की पुष्टि की है.
यही बात विंबलडन के लिए भी सही है क्योंकि इंग्लैंड में खिलाड़ियों को कई नियमों के तहत वैक्सीन से छूट दी है. अमेरिकी ओपन कराने वाली यूएस टेनिस एसोसिएशन ने कहा है कि वह केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए नियमों का ही पालन करेगी.
वीके/एए (एपी, रॉयटर्स)
बहुत सारे मानवीय संकट ऐसे होते हैं जिन पर मीडिया का ध्यान कम ही जाता है और दुनिया के बहुत से लोगों की अनदेखी के साए में वे संकट घिरते जाते हैं. नतीजा होता हैः जरूरतमंदों के प्रति हमदर्दी और समर्थन में आती कमी.
डॉयचे वैले पर राल्फ बोजेन की रिपोर्ट-
जाम्बिया के दक्षिण में स्थित विक्टोरिया फॉल, पानी के एक विशाल पर्दे की तरह दिखता है. यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल, 1700 मीटर (एक मील से ज्यादा) की चौड़ाई वाला, ये दुनिया का सबसे चौड़ा जलप्रपात है. जाम्बेजी नदी का पानी नीचे 110 मीटर गहरी खाई में गिरता है और उसकी फुहारें इतनी शक्तिशाली और विशाल हैं कि नजदीकी वर्षावन भीग उठता है. यग एक अद्भुत कुदरती नजारा है लेकिन शेष जाम्बिया की तस्वीर, पानी के इस विशाल जखीरे से काफी अलग है.
दक्षिणी अफ्रीका के कई अन्य देशों की तरह जाम्बिया पर भी लंबी लंबी अवधि वाले सूखे की मार पड़ती है. फसलें सूख जाती हैं. कुपोषण चौतरफा है और देश के एक करोड़ 84 लाख निवासी बेहाल हैं.
डीडबल्यू से इंटरव्यू में केयर संगठन की जर्मन इकाई में संचार निदेशक साबीने विल्के कहती हैं, "जाम्बिया में 12 लाख लोग भुखमरी के शिकार हैं और 60 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है. हम इसे एक खास तरह के स्थायी संकट की तरह देखते हैं.” विल्के बताती हैं कि कोई युद्ध या भूकंप होता "तो हम कहते कि उनकी वजह से ये संकट पैदा हुआ था. जाम्बिया एक ऐसा देश है जहां हम जलवायु परिवर्तन के नाटकीय प्रभाव देखते हैं- बार बार पड़ता और बहुत गंभीर सूखा. लोग सूखे के असर से उबर ही नहीं पाते और लगातार मानवीय सहायता के मोहताज बने रहते हैं.”
जाम्बिया में हालात भले ही कितने चिंताजनक या नाटकीय क्यों न हो, अंतरराष्ट्रीय मीडिया में उसकी कवरेज बहुत ही कम होती है. इस तरह ये उन संकटों में से एक है जो बड़े पैमाने पर अनदेखे, उपेक्षित रह जाते हैं और जिन्हें केयर ने अपने अध्ययन "सफरिंग इन साइलेंसः द मोस्ट अंडर-रिपोर्टेड ह्युमैनिटेरियन क्राइसेस ऑफ 2021” (एक खामोश यातनाः 2021 के सबसे कम चर्चित मानवीय संकट) में जगह दी है. छठी बार ऐसा हुआ है कि सालाना मीडिया विश्लेषण ने ऐसे दस संकट सूचीबद्ध किए हैं, जिनमें से हर एक संकट का असर कम से कम दस लाख लोगों पर पड़ा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन मीडिया में जिसकी ना के बराबर रिपोर्टिंग हुई है.
मानवता का संकेत
रिपोर्ट के प्राक्कथन में केयर यूके के सीईओ लॉरी ली ने लिखा है कि "जलवायु संकट की तीव्रता ने दुनिया भर में कई सारी आपात स्थितियों को भड़का दिया है. इस रिपोर्ट में दर्ज 10 में से सात संकट उसी से उभरे हैं. और इसके केंद्र में है एक गहरी नाइंसाफी. दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब लोग, जलवायु परिवर्तन की सबसे ज्यादा मार झेल रहे हैं- गरीबी, पलायन, भुखमरी, लैंगिक असमानता, और सिकुड़ते जाते संसाधन- जबकि जलवायु परिवर्तन के लिए वे कतई जिम्मेदार नहीं हैं.”
"सफरिंग इन साइलेंस” की सह-लेखिका साबिने विल्के कहती हैं, "हम ये संकेत देना चाहते हैं कि मानवाधिकार संकट सिर्फ अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता या मीडिया में अपनी उपस्थिति से ही ध्यान न खींचे, कितने लोग कहां और कैसे ये बर्बादी झेलने को विवश हैं इसे छोड़, दुनिया को उनकी ओर देखना चाहिए.”
संयुक्त राष्ट्र, मानवीय संकटों का विश्लेषण करने वाले एनजीओ एकेप्स (एसीएपीएस), मानवीय सूचना पोर्टल रिलीफवेब और अपनी खुद की सूचना से मिले डाटा के आधार पर केयर ने उन देशों की शिनाख्त की जहां कम से कम दस लाख लोग संघर्ष या जलवायु की तबाहियों से प्रभावित थे. 40 प्रमुख संकटों की एक आखिरी सूची तैयार की गई और फिर जनवरी 2021 से सितंबर 2021 के दरमियान अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, अरबी और स्पानी भाषा में प्रकाशित 18 लाख ऑनलाइन लेखों के आधार पर उनका मीडिया विश्लेषण किया गया है. केयर की रिपोर्ट में उन दस संकटों के बारे में बताया गया है जिन्हें मीडिया में बिल्कुल भी तवज्जो नहीं मिली.
रिपोर्ट के मुताबिक जाम्बिया इस सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद यूक्रेन, मलावी, द सेंट्रल अफ्रीकी रिपब्लिक, ग्वाटेमाला, कोलम्बिया, बुरुंडी, नाइजर, जिम्बाव्वे और होंडुरास के आपतकालों का उल्लेख है. केयर की 2020 की लिस्ट में मेडागास्कर का नाम सबसे ऊपर था.
यूक्रेन पर किसी का ध्यान नहीं
वैसे तो भुला दिए गए संकटों में यूक्रेन का नंबर दूसरा है, लेकिन हैरानी हो सकती है कि अपनी सीमा पर रूसी सेना के जमावड़े की खबरों से इधर वो काफी सुर्खियों में आ गया है. लेकिन ये भी सच्चाई है कि ये संघर्ष सितंबर 2021 में खड़ा हुआ था.
केयर की शोधकर्ता विल्के के मुताबिक, "यूक्रेन को नवंबर और दिसंबर में कहीं ज्यादा तवज्जो मिली थी खासकर यूरोपीय मीडिया में. और अब वो शायद इस साल लिस्ट में नहीं दिखेगा जैसे कि पहले दिखता था.”
केयर के पूर्व विश्लेषणों में सबसे ज्यादा विस्मृत संकटों का केंद्र अफ्रीका है. 2021 में छह थे, और जाम्बिया और द सेंट्रल अफ्रीकी रिपब्लिक के साथ मलावी का नाम भी था. अपने यहां जारी गृहयुद्ध की वजह से उसका नाम इस सूची में था. मलावी में हर रोज दस लाख से ज्यादा लोग भूखे रह जाते हैं.
पांच साल से कम उम्र के 39 फीसदी बच्चे कुपोषण की वजह से अविकसित हैं. करीब आधे बच्चे प्राइमरी स्कूल के चार साल भी पूरे नहीं कर पाते. देश में कोविड टीकाकरण अभियान की रफ्तार सुस्त है. एचआईवी संक्रमण की ऊंची दर ने देश के स्वास्थ्य सिस्टम पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया है. करीब 10 फीसदी आबादी संक्रमित है जिनमें बहुत से बच्चे हैं.
होंडुरास में स्त्री हत्याएं
संकटों से सबसे ज्यादा यातना सहते हैं स्त्रियां और बच्चे. केयर के शोधकर्ताओं ने ये पाया है, खासकर होंडुरास में. एक करोड़ में से करीब एक तिहाई आबादी मानवीय सहायता पर निर्भर है. नौकरियों की कमी और बढ़ते अपराधों के अलावा भ्रष्टाचार की वजह से युवा पीढ़ी विदेशों का रुख कर रही है. केयर रिपोर्ट के लेखकों के मुताबिक, "होंडुरास में लोग अक्सर यही कहते हैं कि गरीबी भी यहां ऐसे ही रह गई है जैसे कि यहां अधिकांश महिलाएं बच्चों के साथ घरों में अकेली रह जाती हैं.”
रिपोर्ट के मुताबिक कोविड महामारी की शुरुआत से महिलाओं के खिलाफ हिंसा की दर में भी तीव्रता आई है. होंडुरास में 2021 के आंकड़ों के मुताबिक हर 29 घंटे में एक औरत मारी जाती है. यहां महिलाओं की हत्या की दर, लातिन अमेरिका के किसी भी हिस्से से 50 फीसदी ज्यादा है.
विस्मृत संकटों की सुर्खियां बहुत ही कम बनती हैं, इस तथ्य की आंशिक वजह तो ये हो सकती है कि संकटग्रस्त इलाकों का जर्जर बुनियादी ढांचा रिपोर्टरों के लिए सुगम नहीं होता है. ये बात भी है कि लोगों में दूर जगहों की अपेक्षा अपने घर के करीब की खबरों को पढ़ने-देखने के लिए ज्यादा उत्सुकती पाई जाती है.
सहायता की संयत दलील
केयर शोधकर्ता कहते हैं, "हम लोग वैश्विक मीडिया की बनाई प्राथमिकताओं पर हैरान हैं. उदाहरण के लिए, प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन का ओप्रा विनफ्रे के साथ इंटरव्यू हुआ तो इस बारे में ऑनलाइन मीडिया पर 3,60,000 से ज्यादा खबरें छपीं. दूसरी तरफ सिर्फ 512 खबरें ही ये बता पाईं कि जाम्बिया के दस लाख से ज्यादा लोग भुखमरी के शिकार हैं.
अक्सर मीडिया में आने से संकटग्रस्त देशों में फौरी नतीजे देखने को मिल जाते हैं. इससे जिंदगी और मौत का अंतर पता चल सकता है. केयर की संचार निदेशक विल्के कहती हैं, "जब संकटों पर मीडिया का ध्यान जाता है, तो उन्हें राजनीतिक तवज्जो भी मिलती है.”
विल्के के मुताबिक यूरोपीय आयोग जैसी सहायता एजेंसियां और दाता संगठन, ज्यादा हाई-प्रोफाईल संकटों पर ध्यान देते हैं. "लेकिन हम बार बार यही नोट करते हैं कि जब हम इन डोनर्स यानी दाताओं से बात करते हैं, तो हमें पहले समझाना पड़ता है, जाम्बिया क्यों. इस साल तो हमने उसके बारे में कुछ नहीं सुना- ऐसा कहा जाता है. तो ये एक बिल्कुल सीधा जुड़ाव हैः कम ध्यान दिए जाने का मतलब कम फंडिंग मिलना, और इसका मतलब है तकलीफें कम करने के मौके और कम होते जाना.” (dw.com)
वाशिंगटन, 17 जनवरी | दुनिया भर में कोरोनावायरस के मामले बढ़कर 32.57 करोड़ से ज्यादा हो गए हैं। इस महामारी से अब तक कुल 55.3 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई हैं, जबकि 9.62 अरब से ज्यादा का वैक्सीनेशन हुआ हैं। ये आंकड़े जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने साझा किए हैं। यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने सोमवार सुबह अपने नए अपडेट में बताया कि वर्तमान वैश्विक मामले, मरने वालों और टीकाकरण की कुल संख्या बढ़कर क्रमश: 327,729,989 , 5,539,053 और 9,620,454,823 हो गई है।
सीएसएसई के अनुसार, दुनिया के सबसे ज्यादा मामलों और मौतों 65,698,495 और 850,605 के साथ अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित देश बना हुआ है।
कोरोना मामलों में भारत दूसरा सबसे प्रभावित देश हैं, जहां कोरोना के 37,122,164 मामले हैं जबकि 486,066 मौतें हुई है, इसके बाद ब्राजील में कोरोना के 23,015,128 मामले हैं जबकि 621,327 मौतें हुई है।
सीएसएसई के आंकड़े के अनुसार, 50 लाख से ज्यादा मामलों वाले अन्य सबसे प्रभावित देश यूके (15,316,457), फ्रांस (14,283,514), रूस (10,621,410), तुर्की (10,459,094), इटली (8,706,915), स्पेन (8,093,036), जर्मनी (7,991,373), अर्जेटीना (7,094,865), ईरान (6,218,741) और कोलंबिया (5,543,796) हैं।
जिन देशों ने 100,000 से ज्यादा मौतों का आंकड़ा पार कर लिया है, उनमें रूस (314,838), मेक्सिको (301,334), पेरू (203,376), यूके (152,483), इंडोनेशिया (144,167), इटली (141,104)), ईरान (132,044), कोलंबिया (130,996), फ्रांस (127,957), अर्जेटीना (118,040), जर्मनी (115,624), यूक्रेन (104,663) और पोलैंड (102,305) शामिल हैं।(आईएएनएस)
वाशिंगटन, 16 जनवरी| दुनिया भर में कोरोनावायरस के मामले बढ़कर 32.57 करोड़ से ज्यादा हो गए हैं। इसी के साथ अब तक 55.3 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है जबकि 9.60 अरब से ज्यादा का वैक्सीनेशन हुआ है। ये आंकड़े जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने साझा किए हैं।
रविवार की सुबह अपने नए अपडेट में, यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने बताया कि वर्तमान वैश्विक मामले, मरने वालों और टीकाकरण की कुल संख्या बढ़कर क्रमश: 325,725,055, 5,534,775 और 9,603,435,894 हो गई है।
सीएसएसई के अनुसार, दुनिया के सबसे ज्यादा मामलों और मौतों 65,402,606 और 849,994 के साथ अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित देश बना हुआ है।
कोरोना मामलों में भारत दूसरा सबसे प्रभावित देश है, जहां कोरोना के 36,850,962 मामले हैं जबकि 485,752 मौतें हुई है, इसके बाद ब्राजील में कोरोना के 22,981,851 मामले हैं जबकि 621,233 मौतें हुई हैं।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, 50 लाख से ज्यादा मामलों वाले अन्य सबसे प्रभावित देश यूके (15,246,110), फ्रांस (14,005,385), रूस (10,592,433), तुर्की (10,404,994), इटली (8,549,450, स्पेन (8,093,036), जर्मनी (7,946,157), अर्जेटीना (7,029,624), ईरान (6,218,741) और कोलंबिया (5,511,479) हैं।
जिन देशों ने 100,000 से ज्यादा मौतों का आंकड़ा पार कर लिया है, उनमें रूस (314,166), मेक्सिको (301,107), पेरू (203,265), यूके (152,395), इंडोनेशिया (144,167), इटली (140,856)), ईरान (132,044), कोलंबिया (130,860), फ्रांस (127,859), अर्जेटीना (117,989), जर्मनी (115,599), यूक्रेन (104,663) और पोलैंड (102,270) शामिल हैं। (आईएएनएस)
एडन, 16 जनवरी | सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन ने यमन के विभिन्न क्षेत्रों में हाउति मिलिशिया के खिलाफ अपनी हवाई बमबारी तेज कर दी है। एक सैन्य अधिकारी ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ को यह जानकारी दी। स्थानीय सैन्य सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पिछले घंटों के दौरान शबवा और मारिब के यमनी तेल समृद्ध प्रांतों में हाउतियों के खिलाफ सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन के युद्धक विमानों द्वारा सैकड़ों हवाई हमले किए गए।
उन्होंने कहा कि तीव्र हवाई बमबारी ने बड़े पैमाने पर दक्षिणी जायंट्स ब्रिगेड को जमीन पर सैन्य प्रगति हासिल करने में मदद की और मारिब के हरिब जिले पर कब्जा करने में कामयाब रहे।
सूत्र ने उल्लेख किया कि सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने यमनी लोगों से यात्रा करने से बचने का आग्रह किया क्योंकि आगामी घंटों के दौरान तीव्र हवाई बमबारी अभियान जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि हाउतियों ने हवाई हमले से बचने का भी प्रयास किया और अपने सैन्य स्थलों की ओर हथियारों को स्थानांतरित करने के लिए नागरिक वाहनों का सहारा लिया।
इससे पहले शनिवार को, गठबंधन के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल तुर्क अल मलिकी ने घोषणा करते हुए कहा था कि गठबंधन के नेतृत्व ने यमनी नागरिकों और यात्रियों से कहा है कि वे मारिब और अल-बायदा प्रांतों से हरीब, ऐन, बेहान और उस्यालान जिलों की यात्रा न करें।
गठबंधन के प्रवक्ता के अनुसार, इन रास्तों का उपयोग नहीं करने का अनुरोध स्थानीय समयानुसार दोपहर 3 बजे से अगली सूचना तक प्रभावी रहेगा।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 16 जनवरी| जब तालिबान ने पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया, पड़ोसी पाकिस्तान में सरकारी अधिकारियों, सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों और कट्टर मौलवियों ने आतंकवादी समूहों की सत्ता में वापसी का जश्न मनाया। यह बात आरएफई/आरएल की खबर में कही गई। पर्यवेक्षकों ने चेतावनी दी थी कि तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर जबरन कब्जा करना पाकिस्तान को हिंसक विद्रोह के लिए प्रेरित कर सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उन आशंकाओं को अब महसूस किया गया है, क्योंकि तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), जिसे पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है, ने हाल के महीनों में अपने हमले तेज कर दिए हैं।
इस्लामाबाद को एक और झटका देते हुए अफगान तालिबान एक करीबी वैचारिक और संगठनात्मक सहयोगी टीटीपी पर नकेल कसने को तैयार नहीं है। 2014 में एक बड़े पाकिस्तानी सैन्य हमले ने देश की कबायली पट्टी से कई आतंकवादियों को सीमा पार से अफगानिस्तान की ओर खदेड़ दिया।
विश्लेषकों का कहना है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे ने टीटीपी को और मजबूत किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी ने इस क्षेत्र में अमेरिकी हवाई हमलों को काफी कम कर दिया, जिससे कि टीटीपी अधिक स्वतंत्र रूप से संचालित हो सके।
टीटीपी लड़ाकों ने अमेरिका निर्मित आग्नेयास्त्रों सहित परिष्कृत हथियार भी प्राप्त किए हैं, जिन्हें उनके अफगान सहयोगियों ने अफगानिस्तान की पराजित सशस्त्र बलों से जब्त कर लिया था।
वार्ता विफल होने के बाद से टीटीपी ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के खिलाफ घातक हमलों को अंजाम दिया है। आतंकवादी समूह ने 30 दिसंबर, 2021 को उत्तरी वजीरिस्तान कबायली जिले में चार पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या की जिम्मेदारी ली थी। एक दिन पहले, उसी जिले में एक पुलिस अधिकारी को मोटरसाइकिल सवार सशस्त्र आतंकवादियों द्वारा मार दिया गया था।
पाकिस्तान के सुरक्षा विशेषज्ञ अब्दुल बासित का कहना है कि टीटीपी इस्लामाबाद को संकेत दे रहा है कि वह मजबूत स्थिति में है।
बासित का कहना है कि टीटीपी ज्यादातर पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को निशाना बनाता है और वैश्विक से स्थानीय जिहादी घटनाओं की तरफ बढ़ गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "समूह का फोकस और बयानबाजी में बदलाव टीटीपी को पाकिस्तान के लिए एक दीर्घकालिक खतरा बनाता है।"
क्षेत्र में आतंकवादी समूहों पर नजर रखने वाले स्वीडन के एक शोधकर्ता अब्दुल सईद का कहना है कि अफगान तालिबान इस्लामाबाद की इस मांग के आगे झुकेगा, इसकी संभावना नहीं है। वह टीटीपी को निष्कासित कर सकता है या उसे पाकिस्तान में हमले करने के लिए अफगान क्षेत्र का उपयोग करने से रोक सकता है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि टीटीपी को पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी और क्षेत्र में अमेरिकी ड्रोन हमलों की कम संख्या से भी बढ़ावा मिला है। वर्षो से अमेरिकी हवाई हमले लगातार टीटीपी नेताओं और कमांडरों को नष्ट करने में सफल रहे हैं। (आईएएनएस)
बीजिंग, 15 जनवरी | चीनी कस्टम द्वारा 14 जनवरी को जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में चीन का आयात-निर्यात 60 खरब 50 अरब डॉलर दर्ज हुआ, जो एक नया ऐतिहासिक रिकार्ड है।
पिछले साल चाहे कोविड की रोकथाम व नियंत्रण हो या आर्थिक विकास ,चीन विश्व में अग्रसर रहा। उत्पादन और उपभोग की स्थिरता ने विदेश व्यापार की वृद्धि के लिए मजबूत नींव डाली। पिछले दो साल के आंकड़ों से यह साबित हुआ है कि चीनी अर्थव्यवस्था के लंबे समय तक अच्छे होने की बुनियाद में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
उधर वैश्विक अर्थव्यवस्था बहाल हो रही है और बाहरी मांग निरंतर बढ़ रही है ,जो चीनी विदेश व्यापार की वृद्धि के लिए अनुकूल भी है। उल्लेखनीय बात है कि चीनी औषधियों के निर्यात में 101.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इसने कोविड रोधी लड़ाई में बड़ी भूमिका निभायी।
विदेश व्यापार की सरगर्म चीन सरकार द्वारा उठायी गयी नीतियों से अलग नहीं हो सकती । इधर के कुछ सालों चीन ने विनिर्माण उद्यमों के वित्त पोषण और वाणिज्य वातावरण का सुधार किया और सीमा पार व्यापार के सरलीकरण और मुक्त व्यापार परीक्षात्मक क्षेत्र के सृजन को बढ़ावा दिया।
वर्ष 2021 में चीन और मुख्य व्यापार साझेदारों के आयात-निर्यात में स्थिर वृद्धि देखी गयी है। बेल्ट एंड रोड देशों के साथ चीन के आयात व निर्यात की वृद्धि दर 23.6 प्रतिशत रही।(आईएएनएस)
रामल्लाह, 15 जनवरी (आईएएनएस)| वेस्ट बैंक में इजरायली सैनिकों के साथ संघर्ष के दौरान दर्जनों फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारी घायल हो गए हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, फिलिस्तीनी चिकित्सकों ने कहा कि रबर-लेपित धातु की गोलियों से कम से कम 15 प्रदर्शनकारी घायल हो गए और शुक्रवार को नब्लस और कल्किल्या शहरों के पास इजरायली सैनिकों द्वारा दागे गए आंसू गैस में सांस लेने के बाद दर्जनों का दम घुट गया।
चश्मदीदों के अनुसार, फिलिस्तीनियों द्वारा यहूदी राज्य के निपटान विस्तार योजनाओं और वेस्ट बैंक में भूमि की जब्ती के खिलाफ दो साप्ताहिक विरोध प्रदर्शनों के आयोजन के बाद दर्जनों प्रदर्शनकारियों और इजरायली सैनिकों के बीच झड़पें हुईं।
उन्होंने कहा कि नब्लस के पूर्व में बेत दजान गांव में संघर्ष भयंकर थे और फिलिस्तीनियों ने सैनिकों पर पत्थर फेंके, जिन्होंने उन्हें तितर-बितर करने के लिए रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले दागे।
इस बीच, कल्किल्या के पूर्व कफ्र कद्दूम गांव में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान छह अन्य फिलिस्तीनी घायल हो गए।
झड़पों के संबंध में इजरायली सेना की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
काबुल, 15 जनवरी| अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार ने ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) की एक नई रिपोर्ट का खंडन किया है, जिसमें कहा गया है कि देश के नए शासन के बाद से मानवाधिकार संकट और मानवीय तबाही तेज हो गई है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के उप प्रवक्ता बिलाल करीमी ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि देश में पिछले वर्षों की तुलना में मानवाधिकार की स्थिति बेहतर हुई है।
करीमी ने कहा, "हम इसका खंडन करते हैं क्योंकि जब से इस्लामिक अमीरात सत्ता में आया है, महिलाओं के अधिकारों को बनाए रखा गया है। ये रिपोर्ट झूठी सूचनाओं के आधार पर प्रकाशित की जाती हैं।"
एचआरडब्ल्यू ने गुरुवार को जारी अपनी विश्व रिपोर्ट 2022 में कहा कि 15 अगस्त, 2021 को अफगानिस्तान में राजनीतिक परिवर्तन ने अफगानिस्तान में मानवाधिकार संकट और मानवीय तबाही को तेज कर दिया।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 2001 के बाद की दो सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियां - महिलाओं के अधिकारों में प्रगति और एक स्वतंत्र प्रेस - तालिबान के कब्जे के बाद वापस ले ली गई थी।
रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, एक महिला अधिकार कार्यकर्ता, नवीदा खुरासानी ने कहा, "इस्लामिक अमीरात ने कई महिला श्रमिकों के काम पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। तो, अब उन महिलाओं को क्या करना चाहिए जो परिवार में एकमात्र कमाने वाली हैं?"
मीडिया और पत्रकारों के संचालन के लिए जगह का संकुचित होना राजनीतिक परिवर्तन के परिणामस्वरूप एचआरडब्ल्यू द्वारा उजागर किया गया एक और बिंदु है, जिसमें कहा गया है कि इससे स्व-सेंसरशिप और देश में कई मीडिया आउटलेट बंद हो गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, "कई मीडिया आउटलेट्स ने अपनी रिपोटिर्ंग को बंद कर दिया या बहुत कम कर दिया, क्योंकि कई पत्रकार देश छोड़कर भाग गए हैं।"
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पूर्व सरकार के पतन और उसके बाद के राजनीतिक विकास ने अफगानिस्तान में मानवीय संकट को और गहरा दिया, क्योंकि देश की केंद्रीय बैंक की संपत्ति विदेशों में फ्रीज है, विकास सहायता काट दी गई थी और बैंकिंग प्रणाली बाधित हो गई थी।
रिपोर्ट ने अफगानिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति को संकट के रूप में वर्णित किया है। (आईएएनएस)
अंकारा, 15 जनवरी | तुर्की ने 2016 में तख्तापलट की साजिश रचने के आरोप में एक नेटवर्क से कथित जुड़ाव को लेकर 19 संदिग्ध पूर्व पुलिस प्रमुखों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यह जानकारी राजधानी अंकारा के मुख्य अभियोजक कार्यालय ने दी। ऑपरेशन 'गुलेन आंदोलन' के खिलाफ शुक्रवार को 12 प्रांतों में जांच की गई है, जिस पर तुर्की सरकार राज्य की नौकरशाही में घुसपैठ करने और फिर 15 जुलाई, 2016 को तख्तापलट का प्रयास करने का आरोप लगा रही है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, बयान में कहा गया कि सभी संदिग्ध पूर्व प्रथम श्रेणी के पुलिस प्रमुख थे, जिन्हें सार्वजनिक सेवा से बर्खास्त कर उनसे उनका पद छीन लिया गया था।
अभियोजक ने यह भी कहा कि साक्ष्यों की उपस्थिति से पता चलता है कि वे संगठन के सदस्य थे।
राज्य द्वारा संचालित टीआरटी ब्रॉडकास्टर ने शुक्रवार को बताया कि उत्तर-पश्चिमी बालिकेसिर प्रांत पर आधारित एक अलग ऑपरेशन में, समूह के कथित लिंक वाले 16 अन्य संदिग्धों को हिरासत में लिया गया था।(आईएएनएस)
ब्रिटेन की ख़ुफ़िया और सुरक्षा एजेंसी MI5 का कहना है कि ब्रिटेन में लॉ फर्म चलाने वाली चीनी मूल की क्रिस्टिन ली ने ब्रिटिश संसद में लॉबिंग के लिए सांसदों को पैसे दिए. लेकिन चीन का कहना है कि ऐसे आरोप ब्रिटेन में रह रहे चीनियों को बदनाम करने की कोशिश है.
ब्रिटेन की राजनीति में दखलंदाजी के आरोप से चीन में खलबली है. ब्रिटेन की खुफिया और सुरक्षा एजेंसी MI5 ने हाल में ही कहा था कि चीनी एजेंट ने ब्रिटिश पार्लियामेंट में घुसपैठ कर ली है. MI5 ने कहा है कि चीनी मूल की क्रिस्टिन चिंग कुई ली ने ब्रिटेन के मौजूदा सांसद और संसद में एंट्री की हसरत पाले नेताओं से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के संपर्क बनाने में मदद की है.
इसके बाद लंदन में चीनी दूतावास ने इन आरोपों का जवाब देते हुए उल्टे MI5 को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की. उसने कहा कि MI5 ब्रिटेन के चीनी समुदाय को बदनाम करने और उसके मामले में दखलदांजी की कोशिश कर रही है.
चीनी दूतावास की वेबसाइट पर जारी बयान में उसके प्रवक्ता की ओर से कहा गया है कि चीन हमेशा से किसी दूसरे देश के आतंरिक मामलों में दखल देने की नीति से बचता रहा है.
बयान में कहा गया है, "हम किसी भी देश में पैसे देकर वहां की संसद को न तो प्रभावित करने की कोशिश करते हैं और न ही हमें इसकी जरूरत है. हम ब्रिटेन में रह रहे चीनी लोगों को बदनाम करने और उनके मामलों में दखलदांजी जैसी चालाकियों का पुरजोर विरोध करते हैं."
MI5 का कहना है कि लंदन और बर्मिंघम में लॉ फर्म चलाने वाली चीनी मूल की क्रिस्टिन ली लेबर पार्टी के सांसद बेरी गार्डिनर समेत कई राजनेताओं को डोनेशन दिए हैं. इन लोगों को कम से कम चार लाख बीस हजार पाउंड दिए गए हैं.
MI5 ने जो अलर्ट जारी किया है, उसके मुताबिक क्रिस्टिन ली का दावा है ब्रिटेन की पार्लियामेंट से उनका जुड़ाव यहां रह रहे चीनियों का प्रतिनिधित्व करने और विविधता बढ़ाने के मकसद की वजह से है.
लेकिन MI5 का कहना है कि वह चुपचाप चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट के साथ मिलकर काम कर रही थीं.
ब्रिटिश संसद को प्रभावित करने के लिए किए जा रहे इस काम के लिए उन्हें चीन और हॉन्गकॉन्ग में रह रहे विदेशी नागरिकों से फंडिंग हो रही थी.
यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट पर आरोप है कि यह ब्रिटिश राजनीति के नामचीन चेहरों से संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है. उसका मकसद यहां चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पक्ष में माहौल तैयार करना है ताकि पार्टी पर मानवाधिकार उल्लंघन समेत दूसरे तमाम तरह के आरोप लगाने वालों को चुनौती दी जा सके.
ब्रिटिश सुरक्षा एजेंसी का कहना है कि ली के ब्रिटिश संसद में मौजूद सभी पार्टियों के नेताओं से संपर्क रहे हैं. इनमें वो सर्वदलीय संसदीय समूह भी है, जिसे 'चाइनीज इन ब्रिटेन' कहा जाता है. इस पर अब पाबंदी लगा दी गई है.
MI5 ने चेतावनी दी है कि ली ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए संसदीय ग्रुप बनाने की उम्मीदें पाल रखी हैं. ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने कहा कि यह बेहद चिंता की बात है. यह जानना बेहद परेशान करने वाला है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से कोई जानबूझकर सांसदों को फांसने की कोशिश कर रहा था.
हालांकि उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के पास ऐसे विदेशी दखलंदाजियों का पता लगाने का पैमाना मौजूद है.
गार्डिनर को ली की लॉ फर्म क्रिस्टिन ली एंड कंपनी से 2014 के अंत में पैसा मिलना शुरू हुआ था. ली के बेटे लेबर पार्टी के इस सांसद के वॉलेंटियर थे. बाद में उनकी गार्डिनर के डायरी मैनेजर के तौर पर नियुक्ति की गई. गार्डिनर लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन के शैडो मिनिस्ट्री के सदस्य थे. उनका कहना है कि वह ली के लिए सुरक्षा सेवाओं के अंदर लायजनिंग करते रहे हैं.
गार्डिनर ने कहा कि उनके लिए जो रिसर्चर निुक्त किए गए थे उसमें ली की ''कोई भूमिका '' नहीं थी. ली ने जो भी डोनेशन दिया उसकी बाकायदा रिपोर्टिंग हुई है.
मिलीभगत के आरोपों पर गार्डिनर ने स्काई न्यूज से कहा, "मेरा मानना है कि ली ने जो पैसा दिया है वह संसद में मेरे काम को बेहतर बनाने के लिए था. मैं अपने इलाके में औैर बेहतर काम कर सकूं इसके लिए यह पैसा काम आया है. यह पैसा सीधे रिसर्चरों को दिया गया है. मेरे निजी लाभ के लिए यह पैसा नहीं था.
लिबरल डेमोक्रेट नेता सर एड डेवी को 5 हजार पाउंड मिले हैं. ये पैसे उन्हें तब मिले, जब वह ऊर्जा मंत्री थे. लेकिन उन्होंने कहा कि यह पैसा उनके स्थानीय एसोसिएशन ने लिए थे.(bbc.com)
ब्रिटेन के प्रिंस एंड्र्यू पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला ने क्या बताया है
ब्रिटेन की महारानी एलिज़बेथ द्वितीय के बेटे प्रिंस एंड्र्यू यौन हमले के आरोपों की वजह से एक बार फिर चर्चा में हैं. उनके ख़िलाफ़ अब उन आरोपों को लेकर अमेरिका में मुक़दमा चल सकता है जिन्हें वो लगातार ग़लत बताते रहे हैं.
प्रिंस एंड्र्यू पर यौन शोषण का आरोप अमेरिका की वर्जीनिया रॉबर्ट्स ज्यूफ्रै ने लगाया है. उन्होंने पिछले दिनों एक अमेरिकी अदालत में कहा कि जब वह 17 साल की थीं तो प्रिंस ने उनका यौन शोषण किया था. इसके बाद एक अमेरिकी अदालत ने प्रिंस के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाज़त दे दी है.
जज की ओर से मुकदमा चलाने की मंज़ूरी मिलने के साथ ही इस हाई प्रोफाइल अदालती लड़ाई की चर्चा तेज हो गई है और वर्जीनिया ज्यूफ्रै एक बार फिर पूरी दुनिया की मीडिया की निगाहों में आ गई हैं. इस बात का ज़िक्र हो रहा है आखिर वह कौन हैं और उनके आरोप क्या हैं?
लोगों की दिलचस्पी अब यह जानने में भी है कि प्रिंस एंड्र्यू अपने खिलाफ मुकदमे का सामना करने के लिए क्या करने जा रहे हैं?
जब 'छिन गया' उनका बचपन
वर्जीनिया ज्यूफ्रै पहले वर्जीनिया रॉबर्ट्स के नाम से जानी जाती थीं. उनका जन्म 1983 में कैलिफोर्निया में हुआ था. वर्जीनिया का परिवार बाद में फ्लोरिडा चला गया. वर्जीनिया का कहना है कि सात साल की उम्र में एक पारिवारिक दोस्त ने उनका यौन शोषण किया था और इसके साथ ही उनका ''बचपन एक झटके में छिन'' गया.
उन्होंने 2019 में बीबीसी पैनोरामा से इस घटना का जिक्र करते हुए कहा था, " इतनी छोटी उम्र में इस हादसे से मैं अंदर ही अंदर बुरी तरह डर गई थीं. मैं किसी तरह इस हालात से भाग खड़ी हुई''.
बाद में अपने बचपन के दिनों में वह फोस्टर केयर होम्स के बाहर-भीतर होती रहीं. 14 साल की उम्र तक आते-आते उन्होंने खुद को सड़क पर पाया. वह कहती हैं, " वहां उनके लिए भूख, दर्द और पहले के मुकाबले ज्यादा शोषण के अलावा कुछ नहीं था."
अपनी जिंदगी को समेटने की जद्दोजहद में 2000 में उनकी मुलाकात ब्रिटिश सोशलाइट गिसलेन मैक्सवेल से हुई.
वर्जीनिया ज्यूफ्रै
ज्यूफ्रै उन दिनों पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मार-ए-लैगो रेजॉर्ट में लॉकर रूम अटैंडेंट के तौर पर काम कर रही थीं. उसी दौरान मैक्सवैल ने उनसे कहा कि वह उन्हें मसाज थेरेपिस्ट की ट्रेनिंग दिलाने में मददगार एक इंटरव्यू का मौका दिला सकती हैं.
इस वाकये को याद करती हुईं वर्जीनिया कहती हैं, " मैं दौड़ कर अपने पिता के पास पहुंची, जो उन दिनों मार-ए-लैगो के टेनिस कोर्टों में काम किया करते थे. उन्हें पता था कि मैं अपनी जिंदगी को संवारने की कोशिश में लगी हूं. इसलिए उन्होंने मुझे रेज़ॉर्ट में काम दिलाया था. इस ऑफर को लेकर मैं बेहद खुश थी. मैंने उनसे कहा- पिताजी आप विश्वास नहीं करेंगे कि मुझे कितना बड़ा मौका मिल रहा है. "
जब ज्यूफ्रै पाम बीच पर जैफ्री एप्सटीन के घर पहुंचीं तो देखा कि वह बगैर कपड़े के लेटे हुए थे. जैफ्री अमेरिका के एक अमीर अमरीकी फाइनेंसर थे, जिन्होंने 2019 में खुदकुशी कर ली थी. मैक्सवैल ने उन्हें बताया कि उन्हें एप्सटीन की कैसे मालिश करनी है.
वह कहती हैं, " पूरे वक्त वे मेरे बारे में पूछते रहे कि मैं कौन हूं. कहां रहती हूं, वगैरह-वगैरह."
ज्यूफ्रै ने बीबीसी से कहा, " वे मुझे अच्छे लोग लगे इसलिए मैंने उन पर भरोसा कर लिया. मैंने उन्हें बताया कि मैं किस मुश्किल दौर से गुजरी हूं. मैंने बताया कि मैं घर से भाग गई थी. मेरे साथ यौन दुर्व्यवहार हुआ. मेरा शारीरिक शोषण हुआ. अपने बारे में जो सबसे खराब बात थी वह मैंने बता थी. इससे उन्हें पता चल गया कि मैं कितनी कमज़ोर हूं. "
ज्यूफ्रै जिस जॉब इंटरव्यू की उम्मीद बांधे हुई थीं, वो कभी नहीं हुआ. एप्सटीन से मुलाकात के बाद उनके शोषण के दिन शुरू हो गए.
अदालत में ज्यूफ्रै का जिक्र कई बार हुआ है लेकिन केस में जिन चार महिलाओं की गवाहियाँ ली गई थी, उनमें वह शामिल नहीं थीं. मैक्सवैल ने कहा था कि उसने कभी भी ज्यूफ्रै पर हमला नहीं किया.
2015 में ज्यूफ्रै ने मैक्सवैल पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था. मैक्सवेल ने उन पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था. इस केस में बाद में समझौता हो गया था.
प्रिंस पर क्या हैं आरोप ?
ज्यूफ्रै ने कहा कि वह एप्सटीन की ओर से यौन शोषण की शिकार होने के बाद उनके ताकतवर सहयोगियों के बीच परोसी जानी लगीं. उन्हें फलों की प्लेट की तरह उनके आगे किया जाता रहा. " इस दौरान वह पूरी दुनिया में प्राइवेट जेट से ले जाई जाती रहीं.
2001 में जब वह सिर्फ 17 साल की थीं तो एप्सटीन उन्हें लंदन ले गए. वहां उन्होंने ज्यूफ्रै की मुलाकात प्रिंस एंड्रयू से करवाई. उस दौर की एक तस्वीर में प्रिंस एंड्र्यू ज्यूफ्रै को बाँहों में समेटे दिख रहे हैं, जबकि मैक्सवैल पीछे खड़ी मुस्कुराती दिख रही हैं. यह तस्वीर एक नाइट शो के दौरान ली गई थी.
ज्यूफ्रै बताती हैं कि एक नाइटक्लब में पहुंचने के बाद मैक्सवैल ने कहा कि उन्हें प्रिंस एंड्र्यू के साथ वही सब करना होगा जो वह जैफ्री के साथ करती हैं.
ज्यूफ्रै ने बीबीसी से कहा यह वाकई में उनके लिए बेहद डरावना वक्त था. मैं किसी सिंक से बंधी हुई नहीं थी लेकिन ये ताकतवर लोग मेरी जंज़ीर बन गए थे.
अपने मुकदमे में ज्यूफ्रै ने आरोप लगाया है कि प्रिंस ने उनका तीन बार यौन शोषण किया. उस रात मैक्सवैल के लंदन वाले घर में फिर बाद में एप्सटीन के मैनहटन और वर्जिन आईलैंड के सेंट जेम्स में बने मकान में.
प्रिंस एंड्र्यू ने 2019 में बीबीसी न्यूज़नाइट में एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि उन्हें ज्यूफ्रै से मुलाकात की कोई याद नहीं है. उनसे पूछा गया ज्यूफ्रै ने कहा है कि आपने उनके साथ अमेरिका और ब्रिटेन में यौन संबंध बनाए. इस पर प्रिंस ने कहा- "ऐसा कभी नहीं हुआ था."
दलदल से कैसे निकलीं ज्यूफ्रै?
ज्यूफ्रै ने मयामी हेराल्ड अख़बार से एक बातचीत में कहा था कि 2003 तक आते-आते एप्सटीन ने उनमें दिलचस्पी खो दी थी क्योंकि उन्हें लगता था कि वह उम्रदराज़ हो गई हैं.
हालांकि उन्होंने एप्सटीनन को इस बात के लिए मना लिया कि वह प्रोफेशनल मसाजर बनने के लिए दिलाई जाने वाली ट्रेनिंग का पैसा उन्हें दे दें.
आखिर एप्सटीन ने थाईलैंड में उनकी ट्रेनिंग का इंतजाम कर दिया. लेकिन वह ज्यूफ्रै से इस बात की उम्मीद कर रहे थे कि वह वहां से एक थाई लड़की को ले आएं. थाई लड़की को अमेरिका लाने का इंतजाम भी एप्सटीन ने ही करवाया था.
लेकिन इस बीच, थाईलैंड के सफर में उनकी मुलाकात एक ऐसे शख्स से हो गई, जिनसे वह प्यार करने लगी थीं. दस दिन बाद ही दोनों ने शादी कर ली.
अपना वैवाहिक जीवन शुरू करने के लिए ज्यूफ्रै उस शख्स के साथ ऑस्ट्रेलिया चली गईं. ज्यूफ्रै अब पर्थ के तटीय इलाके में अपने पति और तीन बच्चों के साथ एक बड़े घर में रहती हैं.
उन्होंने अब एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन स्पीक आउट, एक्ट, रिक्लेम ( SOAR) की नींव रखी है. वह ट्रैफिकिंग की शिकार महिलाओं को जागरुक करने और उनकी आवाज उठाना का इरादा रखती हैं.
पिछले महीने मैक्सवैल के खिलाफ अदालती फैसला आने के बाद ज्यूफ्रै ने न्यूयॉर्क मैगज़ीन से कहा, " निश्चित तौर पर यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ." इस मामले में कई और लोग शामिल हैं. (bbc.com)
बर्लिन, 14 जनवरी | जर्मनी में कोरोना मामलों की संख्या बढ़कर 81,417 तक पहुंच गई है जिसने नया रिकॉर्ड बनाया है। यह एक हफ्ते पहले की तुलना में लगभग 17,000 से ज्यादा है। ये जानकारी संक्रामक रोगों के इंस्टीट्यूट (आरकेआई) के रॉबर्ट कोच ने दी। आरकेआई के अनुसार, देश की सात-दिवसीय कोरोना घटना दर भी गुरुवार को प्रति 100,000 निवासियों पर 427.7 मामले तक पहुंच गई, जो एक सप्ताह पहले 285.9 थी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, संघीय स्वास्थ्य मंत्री कार्ल लॉटरबैक ने गैर-टीकाकरण वाले लोगों से अपना पहला टीका लेने का आग्रह किया।
उन्होंने गुरुवार को बुंडेस्टाग (संसद के निचले सदन) को बताया, "जो कोई भी बूस्टर शॉट चाहता है, उसके लिए टीके उपलब्ध हैं।"
आरकेआई और स्वास्थ्य मंत्रालय (बीएमजी) द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बुधवार तक, देश की 72.3 प्रतिशत आबादी को कम से कम 3.75 करोड़ बूस्टर शॉट्स के साथ पूरी तरह से टीका लगाया गया है। हालांकि, जर्मनी में अभी तक 2.09 करोड़ लोगों को कोरना का टीका नहीं लगा हैं।
लॉटरबैक ने जर्मनी में अनिवार्य कोरोनावायरस टीकाकरण के लिए अपना समर्थन दिया, जिसे उन्होंने महामारी से बाहर निकलने का सबसे सुरक्षित और तेज तरीका बताया है।
टीकाकरण पर देश की स्थायी समिति (एसटीआईकेओ) ने गुरुवार को कहा कि "वर्तमान में कोरोना मामलों की संख्या में वृद्धि ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण हुई है। जर्मनी में स्वास्थ्य प्रणाली के लिए संभावित परिणामों के कारण टीकाकरण अभियान का विस्तार आवश्यक है।"
एसटीआईकेओ ने कहा, 12 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों को फाइजर या बायोएनटेक वैक्सीन बूस्टर शॉट प्राप्त करना चाहिए। तीसरे टीके की खुराक पिछले टीकाकरण के कम से कम तीन महीने बाद दी जानी चाहिए। (आईएएनएस)
एक नई तकनीक के इस्तेमाल से पाया गया है कि दुनिया के सबसे पुराने मानव अवशेषों में से एक 35,000 साल और पुराना हो सकता है. इस नई तकनीक के तहत ज्वालामुखी की राख की मदद से इस जीवाश्म की उम्र का अंदाजा लगाया गया.
ये अवशेष 1967 में इथियोपिया में पाए गए थे और इन्हें कीबिश ओमो प्रथम नाम दिया गया था. अवशेषों में सिर्फ हड्डियां और खोपड़ी के टुकड़े हैं जिनकी उम्र सीधे तौर पर निकालना मुश्किल था. लंबे समय से इनकी उम्र को लेकर विशेषज्ञों के बीच अलग अलग राय थी.
2005 में भूवैज्ञानिकों ने अवशेषों के ठीक नीचे के पत्थरों की परत का अध्ययन किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ओमो प्रथम कम से कम 1,95,000 साल पुराने हैं. उस समय ये सबसे पुराने होमो सेपियन्स अवशेष थे.
दो लाख साल से ज्यादा पुराने
लेकिन फिर भी इन्हें लेकर काफी अनिश्चितता थी. वैज्ञानिक पत्रिका नेचर में छपे ताजा अध्ययन की मुख्य लेखक सेलिन विडाल कहती हैं कि और ज्यादा ठोस तारीख निकालने के लिए अवशेषों के ऊपर पड़ी राख की मोटी परत का अध्ययन करना जरूरी था.
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में ज्वालामुखी विशेषज्ञ के तौर पर काम करने वाली विडाल ने बताया, "उस समय यह लगभग असंभव था क्योंकि राख बहुत बारीक थी, लगभग आटे जैसी. लेकिन आज इसके काफी विकसित तरीके उपलब्ध हैं जिनकी मदद से विडाल की टीम ने पता लगाया कि राख की उस परत का संबंध शाला नाम के एक ज्वालामुखी के विस्फोट से है.
इस अध्ययन के मुताबिक ओमो प्रथम जहां मिले थे वहां मिली राख की परत 2,33,000 साल पुरानी थी. इसमें 22,000 सालों की गलती की गुंजाइश भी है. अध्ययन के सह लेखक और पैलियोएंथ्रोपोलॉजिस्ट औरेलिएन मोनिएर ने बताया, "यह समय में एक बड़ी छलांग है."
आधुनिक मानव से संबंध
उन्होंने यह भी कहा कि ओमो प्रथम की जो नई न्यूनतम उम्र है वो मानव के क्रम विकास के सबसे ताजा सिद्धांतों से ज्यादा मेल खाती है. ये होमो सेपियन्स के उन अवशेषों की उम्र के भी और पास आ गई है जिन्हें आज सबसे पुराने अवशेषों के रूप में जाना जाता है.
इनकी खोज मोरक्को में 2017 में हुई थी और इनकी उम्र 3,00,000 साल है. मोरक्को के जेबेल इरहूद में मिले इन खोपड़ी और दांतों के अवशेषों ने लंबे समय से प्रचलित इस सिद्धांत की धज्जियां उड़ा दीं कि मानवों की उत्पत्ति पूर्वी अफ्रीका से हुई है.
लेकिन मोनिएर मानते हैं कि मोरक्को वाले अवशेषों की जो शारीरिक विशेषताएं हैं उनसे ज्यादा आज के मानवों से संबंध ओमो प्रथम का है. जेबेल इरहूद के अवशेषों का चेहरा तो आधुनिक है लेकिन दिमाग के खोल का आकार काफी पुराने जैसा है. मोनियर के मुताबिक ओमो प्रथम एकलौते ऐसे अवशेष हैं जिनमें आधुनिक मानव की सभी आकृतिक विशेषताएं हैं.
सीके/एए (एएफपी)
किसी वीडियो में नवजात बच्ची से बलात्कार है तो किसी चैट में बच्चों के साथ यौन अपराध के क्लिप्स. जर्मनी में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले में पुलिस ने 400 संदिग्धों की पहचान की है. इनमें पढ़े लिखे लोग भी शामिल हैं.
सदमा झेलते परिवार, मानसिक परेशानियों से जूझते पुलिस अधिकारी और चाइल्ड पोर्नोग्राफी रैकेट से बचाए गए 65 बच्चे. जर्मनी में दो साल से जारी चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले की जांच में अब कई तथ्य सामने आ रहे हैं. जांच कर रही कोलोन पुलिस की विशेष टीम ने अब तक 439 संदिग्धों की पहचान की है. जर्मनी में ही 27 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
पुलिस ने जिन 65 बच्चों को यौन शोषण के चंगुल से आजाद कराया है, उनकी उम्र चार से लेकर 17 साल के बीच है. जांच प्रक्रिया की अगुवाई करने वाले पुलिस अधिकारी मिषाएल एसर के मुताबिक एक मामले में तो तीन महीने के बच्ची के साथ हुए यौन दुर्व्यवहार की जांच कर रहे कुछ पुलिस अधिकारी घोर निराशा व घिन से भर गए और बीमार हो गए.
हर पोशाक में छिपे बच्चों से यौन दुर्व्यवहार करने वाले अपराधी
पुलिस के पास 4,700 डाटा कैरियर डिवाइसेज में सैकड़ों टेराबाइट डाटा है. हर एक केस की गहनता से जांच की जा रही है. मिषाएल एसर कहते हैं, "हमारे सामने हर तरह के पेशे से जुड़े संदिग्ध हैं. इसमें आम लोगों के साथ साथ बहुत ज्यादा कमाने वाले और बहुत ज्यादा पढ़े लिखे संदिग्ध भी शामिल हैं."
संदिग्धों की आम जिंदगी की जानकारी देते हुए लीड इनवेस्टीगेटर एसर ने कहा, "वे सामान्य तरीके से ही अपना काम करते रहे और उनके दफ्तर या कार्य क्षेत्र में इस बात का कोई संकेत नहीं मिला कि वे इस तरह की गतिविधियों का हिस्सा हैं."
कोलोन पुलिस के प्रेसीडेंट उवे याकोब कहते हैं, "हमने अब तक जो कुछ भी खोजा है वह सोच से भी परे है." पुलिस के मुताबिक ज्यादातर मामलों में महिलाओं को पता भी नहीं लगा कि पति, पार्टनर या परिचित उनके बच्चों के साथ क्या कर रहे हैं.
वो घर जिसने चाइल्ड पोर्नोग्राफी की परतें उखाड़ दी
21 अक्टूबर 2019 में जर्मन प्रांत नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया के एक शहर बैर्गिश ग्लाडबाख में एक रूटीन सर्च के दौरान चाइल्ड पोर्नोग्राफी का ये शर्मनाक मामला सामने आया. पुलिस संदिग्ध योर्ग एल. के घर पहुंची. पड़ोसियों से पूछताछ के दौरान सब सामान्य लगा. लेकिन जब पुलिस ने कंप्यूटर खंगालना शुरू किया तो जर्मनी में बच्चों के साथ यौन अपराध का सबसे बड़ा मामला सिर उठाने लगा.
तलाशी के दौरान पुलिस को योर्ग एल. के घर से चाइल्ड पोर्नोग्राफी की फिल्में और तस्वीरें मिलीं. इसके बाद संघीय जर्मनी के इतिहास में चाइल्ड सेक्स अब्यूज की सबसे बड़ी जांच शुरू हुई. एक कुक और होटल मैनेजर योर्ग एल. पर अपनी बेटी से बलात्कार करने का दोष साबित हुआ. बेटी 2017 में पैदा हुई. बेटी जब तीन महीने की थी, तब से ही योर्ग एल. उसके साथ यौन दुर्व्यवहार करने लगा. उसने कई बार बेटी से बलात्कार किया और अपनी इन करतूतों को फिल्माया व इंटरनेट पर चैट ग्रुप्स में भी शेयर किया. 2020 में अदालत ने योर्ग एल. को 12 साल जेल की सजा सुनाई.
वो जांच को इंसानियत से भरोसा उठा दे
चाइल्ड पोर्नोग्राफी के इस मामले की जांच 300 से ज्यादा पुलिस अधिकारियों की टीम कर रही है. पुलिस के मुताबिक संदिग्धों की संख्या 30 हजार के पार जा सकती है. कई सीक्रेट इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स, चैटिंग एप्स और डाटा ट्रांसफर या सेविंग क्लाउड्स की जांच की जा रही है. ज्यादातर मामलों में संदिग्ध फर्जी पहचान के जरिए फोटो या वीडियो शेयर करते हैं.
ऐसे वीडियो या तस्वीरों में मौजूद चेहरों को पहचाने की कोशिश करना, बच्चों की चीख के साथ मिली अपराधियों की आवाज और उसके लहजे को पहचानना, कमरे में मौजूद बाकी चीजों के आधार पर जानकारी जुटाना, आईपी एड्रेस और डिवाइस को ट्रेस करना, ये सब करने के लिए पुलिस अधिकारियों को मजबूरी में बार बार ये वीडियो देखने पड़ते हैं.
इस स्तर की आमानवीयता देखने का असर पुलिस अधिकारियों की सेहत पर भी पड़ता है. जांच से जुड़े कई और पुलिस अधिकारी भी मानसिक परेशानियों से गुजर रहे हैं. इन पुलिस अधिकारियों के लिए मनोचिकित्सक भी नियुक्त किए गए हैं. जर्मनी ने सख्त किए बाल पोर्नोग्राफी के कानून
मामले की जांच से जुड़ी एक पुलिस अधिकारी लीजा वागनर भी हैं. वागनर एक मां भी हैं. वागनर कह चुकी हैं कि ये मुश्किल जांच जर्मनी में बच्चों के साथ होने वाले यौन दुर्व्यवहार को रोकने की राह में एक बड़ा कदम है.
ओंकार सिंह जनौटी/आरपी (डीपीए, एएफपी)
जर्मन अदालत में यह केस 'यूनिवर्सल ज्यूरिस्डिक्शन' के तहत चलाया गया. इसके तहत किसी और देश में हुए संभावित युद्ध अपराधों में भी केस चलाया जा सकता है और दोषियों को सजा दी जा सकती है.
जर्मनी की एक अदालत ने सीरिया के एक पूर्व खुफिया अधिकारी को युद्ध अपराध का दोषी पाया है. दोषी अफसर को मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.
यह मुकदमा जर्मनी के कोब्लेंस शहर की हायर रीजनल कोर्ट में चला. यहां 58 साल के पूर्व सीरियाई अधिकारी अनवर आर पर 'यूनिवर्सल ज्यूरिस्डिक्शन' के तहत केस चलाया गया. इसके तहत, विदेश में हुए युद्ध अपराध से जुड़े मामलों में भी जर्मनी के भीतर मुकदमा चलाया जा सकता है. यह पहली बार था, जब दुनिया में कहीं पर सीरिया की बशर अल असद सरकार द्वारा प्रायोजित युद्ध अपराधों के खिलाफ मुकदमा चला.
जर्मनी की एक अदालत ने सीरिया के एक पूर्व खुफिया अधिकारी को युद्ध अपराध का दोषी पाया है. दोषी अफसर को मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.
यह मुकदमा जर्मनी के कोब्लेंस शहर की हायर रीजनल कोर्ट में चला. यहां 58 साल के पूर्व सीरियाई अधिकारी अनवर आर पर 'यूनिवर्सल ज्यूरिस्डिक्शन' के तहत केस चलाया गया. इसके तहत, विदेश में हुए युद्ध अपराध से जुड़े मामलों में भी जर्मनी के भीतर मुकदमा चलाया जा सकता है. यह पहली बार था, जब दुनिया में कहीं पर सीरिया की बशर अल असद सरकार द्वारा प्रायोजित युद्ध अपराधों के खिलाफ मुकदमा चला.
फैसले पर प्रतिक्रिया
अपने फैसले में अदालत ने कहा कि अभियुक्त को हत्या, यातना, बलात्कार, यौन उत्पीड़न और लोगों को उनकी आजादी से वंचित रखने का दोषी पाया गया है. उसे दो मामलों में लोगों को बंधक बनाने का दोषी भी पाया गया. साथ ही, कैदियों के यौन शोषण से जुड़े तीन मामलों में भी आरोप सिद्ध हुए.
ह्यूमन राइट्स वॉच ने इस अदालती फैसले को सीरिया में यातना का शिकार हुए लोगों के लिए महत्वपूर्ण बताया है. यूरोपियन सेंटर फॉर कॉन्स्टिट्यूशनल एंड ह्यूमन राइट्स के महासचिव वोल्फगांग कालेक ने फैसले पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा, ''अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल जस्टिस से जुड़ी सारी कमियों के बावजूद अनवर आर को सजा मिलना बताता है कि यूनिवर्सल ज्यूरिस्डिक्शन के सिद्धांत से क्या हासिल हो सकता है.''
क्या आरोप थे?
इस मामले का घटनाक्रम सीरियाई गृह युद्ध के शुरुआती सालों 2011-12 से जुड़ा है. उस समय अनवर खुफिया विभाग में कर्नल के पद पर था. उस पर कैदियों से पूछताछ की भी जिम्मेदारी थी. इल्जाम है कि उसकी निगरानी में राजधानी दमिश्क स्थित 'अल-खातिब डिटेंशन सेंटर' में बंद कम-से-कम चार हजार कैदियों को यातनाएं दी गईं. इनमें से कम-से-कम 30 कैदी मारे गए.
मुकदमे के दौरान अनवर ने अपने ऊपर लगे इल्जामों से इनकार किया था. उसका दावा था कि उसने कभी अमानवीय व्यवहार नहीं किया. अभियोजन पक्ष ने उसके लिए उम्रकैद की अपील की थी. अभियोजन पक्ष ने अदालत से यह भी मांग की कि अपराधों की गंभीरता देखते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि सजा के शुरुआती 15 सालों में उसे रिहाई न मिले. केस के मुख्य अभियोजक ने यह भी कहा था कि जर्मनी पर ऐसे अपराधों में न्याय तय करने की ऐतिहासिक जिम्मेदारी है.
इसी केस में पहले भी एक फैसला आ चुका है
अनवर 2012 में सीरिया से भागकर जर्मनी आया और यहां शरण ले ली. अप्रैल 2020 में उस पर मुकदमा शुरू हुआ. इस केस में अनवर के अलावा सीरियन सेना के एक और पूर्व सदस्य अयाद एल.जी पर भी आरोप थे. अयाद पर प्रदर्शनकारियों को पकड़ने में मदद करने और उन्हें डिटेंशन सेंटर लाने का आरोप था.
2021 में फैसला सुनाते हुए अदालत ने अयाद को मानवता के खिलाफ हुए अपराधों में मददगार माना. उसे साढ़े चार साल जेल की सजा सुनाई गई. यह पहली बार था जब असद सरकार द्वारा लोगों को यातना देने से जुड़े मामले में किसी को सजा मिली हो.
कैसी यातनाएं दी गईं?
मुकदमे के दौरान एक जर्मन जांचकर्ता ने अदालत को बताया कि अनवर ने 18 साल तक सीरिया के खुफिया विभाग में नौकरी की. रैंकिंग में ऊपर चढ़ते हुए वह आंतरिक खुफिया एजेंसी की इन्वेस्टिगेशन सर्विस का प्रमुख बनाया गया. प्रॉसिक्यूटरों के मुताबिक, उसकी निगरानी में कैदियों को यातनाएं दी गईं.
इनमें कैदियों के साथ बलात्कार, यौन शोषण, बिजली के झटके दिया जाना, कोड़े और घूंसों से पिटाई और सोने न देने जैसी यातनाएं शामिल थीं. इस मामले में करीब 80 गवाहों ने बयान दिया. इनमें यूरोपीय देशों में शरण लेने वाली कई सीरियाई महिलाएं और पुरुष शामिल थे. साथ ही, असद सरकार का साथ छोड़कर भागे 12 लोग भी गवाहों में शामिल थे.
गवाहों की आपबीती
मुकदमे के दौरान कुछ गवाहों ने यातनाओं का ब्योरा भी दिया. उन्होंने बताया कि कैदियों को कोड़े से पीटा जाता था, सिगरेट से जलाया जाता था, उनके जननांगों पर चोट पहुंचाई जाती थी. कुछ ने बताया कि उन्हें केवल हथेली के सहारे लटका दिया जाता था. लटके-लटके केवल उनके पांव का एक सिरा ही जमीन को छू पाता था.
एक शख्स ने अपने बयान में सामूहिक कब्रों की बात कही और बताया कि वह उन्हें सूचीबद्ध करने का काम करता था. कुछ गवाह अपना चेहरा छुपाकर या भेष बदलकर भी अदालत के सामने आए, ताकि उनकी गवाही के चलते सीरिया में रह रहे उनके रिश्तेदारों को निशाना न बनाया जाए.
और भी देशों में चल रहे हैं ऐसे केस
सीरियाई गृह युद्ध के दौरान और बाद के सालों में वहां के कई लोगों ने भागकर यूरोप में शरण ली. इनमें से कुछ शरणार्थियों ने गृह युद्ध के दौरान असद सरकार और सेना द्वारा किए गए युद्ध अपराध से जुड़े मामलों में जिम्मेदारी तय करने के लिए यूरोपीय देशों में लागू कानून व्यवस्था का रुख किया. इसके चलते ही जर्मनी में यह केस शुरू हो पाया. आने वाले दिनों में सीरिया के गृह युद्ध से जुड़े और भी कुछ केस जर्मनी में शुरू होने जा रहे हैं.
इनमें से एक प्रमुख केस में सीरिया के एक पूर्व डॉक्टर पर मानवता के विरुद्ध अपराध करने का आरोप है. यह मुकदमा अगले हफ्ते फ्रैंकफर्ट में शुरू होगा. जर्मन प्रॉसिक्यूटरों का कहना है कि आरोपी डॉक्टर ने युद्ध अपराध किए. उसने एक सैन्य अस्पताल में कैदियों को यातनाएं दीं. प्रॉसिक्यूशन के मुताबिक, आरोपी ने जहरीला इंजेक्शन लगाकर एक कैदी की जान भी ली.
जर्मनी के अलावा फ्रांस और स्वीडन में भी सीरियाई युद्ध अपराधों से जुड़े मुकदमे चल रहे हैं. कोब्लेंस में चले केस और उसमें सुनाए गए फैसले से जर्मनी में रह रहे करीब आठ लाख सीरियाई शरणार्थियों को उम्मीद मिलेगी. असद सरकार कैदियों को यातना देने और युद्ध अपराध करने के आरोपों से इनकार करती है. इस मामले में एक अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल बनाने की भी कोशिश हुई थी, जो नाकाम रही.
एसएम/ओएसजे (डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के क़ब्ज़े के बाद अर्थव्यवस्था की हालत और ख़राब होती जा रही है.
गिरती अर्थव्यवस्था के बीच परिवार चलाने, रोज़ी-रोटी के लिए बहुत से बच्चे काम ढूंढ रहे हैं और जूते पॉलिश करने जैसे काम कर रहे हैं.
अफ़ग़ानिस्तान में हज़ारों बच्चे पढ़ाई छोड़कर रोज़ी-रोटी के लिए दिनभर भटकते हैं. तालिबान के क़ब्ज़े के बाद अफ़ग़ानिस्तान को मिलने वाले विदेशी फ़ंड पर रोक लग गई है.
इसकी वजह से यहां बेरोज़गारी और ग़रीबी बढ़ रही है. बीबीसी संवाददाता सिकंदर किरमानी ने काबुल में कुछ बच्चों के साथ दिन बिताया. देखिए उनकी रिपोर्ट. (bbc.com)
निहत्थे अफ्रीकी-अमेरिकी व्यक्ति की रहस्यमय परिस्थितियों में एक श्वेत पुलिस अधिकारी द्वारा गोली मारकर हत्या से उत्तरी कैरोलिना के फयेत्टविल में आक्रोश फैल गया.
फयेत्टविल में अफ्रीकी-अमेरिकी जेसन वॉकर की पुलिस अधिकारी जेफरी हैश द्वारा गोली मारकर हत्या करने के बाद स्थानीय लोगों ने इस सप्ताह कई छोटे प्रदर्शन किए. इस हत्याकांड ने उस बहस को वापस ताजा कर दिया है कि क्या पुलिस अमेरिका में अत्यधिक बल का प्रयोग करती है, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के खिलाफ.
जेफरी हैश शहर की पुलिस के साथ 2005 से नौकरी कर रहे हैं. शनिवार दोपहर को हुई वारदात के वक्त हैश ड्यूटी पर नहीं थे. हैश अपनी पत्नी और बेटी के साथ अपनी कार में यात्रा कर रहे थे, उस वक्त निहत्थे 37 वर्षीय अश्वेत वॉकर अपने माता-पिता के घर के पास सड़क पार कर रहे थे. कुछ पल बाद हैश ने वॉकर को गोली मार दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. वास्तव में क्या हुआ इस पर विवाद है.
अफसर ने क्यों मारी गोली?
एक राहगीर ने गोलीबारी के तुरंत बाद घटना का वीडियो बनाया और उसे ऑनलाइन पोस्ट कर दिया, जिसमें आरोपी पुलिस अधिकारियों को अपने सहयोगियों को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि वॉकर सड़क के बीच में कूद गया और उसने ब्रेक लगा दिया.
हैश के मुताबिक वॉकर खुद गाड़ी पर उछल गया, उसने एक विंडशील्ड वाइपर को तोड़ा और उससे विंडशील्ड को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. नतीजतन, हैश को अपनी पत्नी और बेटी को बचाने के लिए हथियार उठाना पड़ा. लेकिन चश्मदीदों का कहना है कि रुकने से पहले हैश ने पैदल चल रहे वॉकर को टक्कर मार दी.
एक चश्मदीद एलिजाबेथ रिक्स ने कहा, "मैंने देखा कि हैश ने जेसन वॉकर को मारा ... फिर उसका शरीर विंडशील्ड से टकराया." उसके बाद रिक्स ने गोलियों की आवाज सुनी. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि उसने पहली बार विंडशील्ड से पहली फायरिंग की और गाड़ी के बाहर तीन बार गोली चलाई."
छुट्टी पर भेजा गया आरोपी पुलिस वाला
पुलिस के मुताबिक हैश की काली पिकअप गाड़ी में टक्कर के कोई निशान नहीं थे, जबकि वॉकर के शरीर में गोली लगने के अलावा चोट के कोई निशान नहीं थे. आरोपी पुलिस अधिकारी को छुट्टी पर भेज दिया गया है लेकिन आरोपित या गिरफ्तार नहीं किया गया है. जांचकर्ताओं ने हत्या की जांच शुरू कर दी है.
इस बीच एक स्थानीय अदालत ने शूटिंग के बॉडी कैमरा वीडियो रिकॉर्ड जारी करने की अनुमति देने के उत्तरी कैरोलिना पुलिस प्रमुख के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. मानवाधिकार कार्यकर्ता बेंजामिन क्रंप ने कहा कि पीड़ित परिवार और फयेत्टविल में समुदाय इस सवाल का जवाब मांग रहे हैं कि ऑफ-ड्यूटी पुलिस अफसर ने "बेवजह गोली मारकर हत्या" क्यों की.
उन्होंने एक बयान में कहा, "हमारे पास यह मानने के लिए मजबूर करने वाले कारण हैं कि यह पहले गोली मारो, फिर पूछो का मामला है." क्रंप को पुलिस की बर्बरता के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले के तौर पर जाना जाता है.
जॉर्ज फ्लॉयड मामले में क्रंप ने उनके परिवार का प्रतिनिधित्व किया था. वह अब वॉकर का केस लड़ेंगे. क्रंप के मुताबिक, "अमेरिका में अश्वेत बच्चों के बिना पिता के बड़े होने के कई कारण हैं. लेकिन वह (शूटिंग) कारण स्वीकार्य नहीं है. हमारे लिए इन किशोरों को यह बताना अस्वीकार्य है कि उनके पिता को अनावश्यक, अन्यायपूर्ण और असंवैधानिक रूप से गोली मार दी गई थी. किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा जिस पर उनके पिता की रक्षा और सेवा करने की जिम्मेदारी थी."
अमेरिका में हर साल औसतन 1,000 लोग पुलिस अधिकारियों द्वारा मारे जाते हैं. मृतकों में ज्यादातर अश्वेत होते हैं. ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारी को कभी कभार ही सजा मिलती है. हालांकि, 2020 में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के मामले के बाद बड़े पैमाने पर नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनों के मद्देनजर अदालतों में कुछ बदलाव हो रहे हैं. कुछ मामलों में गलत काम करने वाले पुलिस अधिकारियों को दंडित किया गया है.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
लंदन. ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में डाउनिंग स्ट्रीट के गार्डन में पार्टी करने को लेकर उन पर इस्तीफे का दबाव बनता जा रहा है. विपक्ष जॉनसन से प्रधानमंत्री पद छोड़ने की मांग कर रहे हैं. इस बीच ब्रिटेन की एक प्रमुख सट्टा कंपनी ‘बेटफेयर’ ने दावा किया है कि संकट से घिरे बोरिस जॉनसन जल्द ही प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. इसके बाद भारतीय मूल के वित्त मंत्री ऋषि सुनक उनकी जगह ले सकते हैं.
‘बेटफेयर’ ने कहा है कि मई 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय डाउनिंग स्ट्रीट में हुई ड्रिंक पार्टी को लेकर हुए खुलासों के मद्देनजर 57 वर्षीय जॉनसन पर न केवल विपक्षी दलों बल्कि उनकी खुद की पार्टी की ओर से भी इस्तीफा देने का दबाव बढ़ रहा है. ‘बेटफेयर’ के सैम रॉसबॉटम ने ‘वेल्स ऑनलाइन’ को बताया कि जॉनसन के हटने की सूरत में ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने की सबसे अधिक संभावना है. इसके बाद लिज ट्रूस (विदेश मंत्री) और फिर माइकल गोव (कैबिनेट मंत्री) का स्थान आता है. हालांकि इस दौड़ में पूर्व विदेश मंत्री जेरेमी हंट, भारतीय मूल की गृह मंत्री प्रीति पटेल, स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद और कैबिनेट मंत्री ओलीवर डॉउडेन भी शामिल हैं.
क्या है मामला?
जॉनसन के प्रधान निजी सचिव मार्टिन रेनॉल्ड्स की ओर से कथित तौर पर कई लोगों को पार्टी के लिए मेल भेजा गया था. हालांकि उस समय देश में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए सार्वजनिक समारोह आयोजित करने पर पाबंदी लगी हुई थी. जॉनसन ने अब इस मामले में खेद जताते हुए पहली बार माना कि वह दावत में शामिल हुए थे. जॉनसन ने कहा कि उन्हें लगता था कि यह आयोजन उनके कामकाज से संबंधित आयोजनों के दायरे में है.
बोरिस जॉनसन ने मांगी थी माफी
प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट के गार्डन में आयोजित पार्टी के लिए ईमेल से भेजे गये निमंत्रण-पत्र के मीडिया में आने के बाद से जॉनसन पर विपक्षी लेबर पार्टी के साथ ही उनकी अपनी कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों की ओर से भी अत्यंत दबाव है. उन्होंने इस मामले में खेद जताते हुए पहली बार माना कि वह पार्टी में शामिल हुए थे. जॉनसन ने कहा कि उन्हें लगता था कि यह आयोजन उनके कामकाज से संबंधित आयोजनों के दायरे में है.
प्रधानमंत्री के साप्ताहिक प्रश्न सत्र से पहले संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में अपने बयान में जॉनसन ने कहा, ‘मैं माफी मांगना चाहता हूं. मुझे पता है कि इस देश में लाखों लोगों ने पिछले 18 महीने में असाधारण कुर्बानियां दी हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे पता है कि वे मुझे और मेरी अगुआई वाली सरकार को लेकर क्या महसूस करते हैं. जब वे सोचते हैं कि नियम बनाने वाले लोग ही डाउनिंग स्ट्रीट में नियमों का सही से पालन नहीं कर रहे हैं. मैं मौजूदा जांच के परिणामों को लेकर पूर्वानुमान नहीं व्यक्त कर सकता, लेकिन मुझे यह अच्छी तरह समझ में आया है कि हमने कुछ चीजों को सही से नहीं लिया और मुझे जिम्मेदारी लेनी चाहिए.’
जेनेवा, 13 जनवरी | विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक ट्रेडोस एडनॉम घेब्रेयेसिस ने कहा है कि कोविड के ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण विभिन्न देशों में कोविड संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन मृत्युदर स्थिर है। पिछले हफ्ते, दुनिया भर से डब्ल्यूएचओ को कोविड-19 के 1.5 करोड़ से अधिक नए मामलों की सूचना मिली थी, जो कि एक सप्ताह में अब तक के सबसे अधिक मामले हैं। हालांकि ये आधिकारिक अनुमान हैं और वास्तविक संख्या वास्तव में इससे कहीं अधिक हो सकती है।
घेब्रेयेसिस ने बुधवार को अपने प्रेस संबोधन में कहा, संक्रमण में यह विशाल स्पाइक (तेजी) ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण है, जो तेजी से लगभग सभी देशों में डेल्टा की जगह ले रहा है।
उन्होंने कहा, हालांकि, साप्ताहिक रिपोर्ट की गई मौतों की संख्या पिछले साल अक्टूबर से एक सप्ताह में औसतन 48 हजार मौतों के साथ स्थिर बनी हुई है। यह ओमिक्रॉन की कम गंभीरता और टीकाकरण या पिछले संक्रमण से व्यापक प्रतिरक्षा के कारण हो सकता है।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने चेताते हुए कहा, लेकिन जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है, उनके लिए ओमिक्रॉन एक खतरनाक वायरस बना हुआ है।
उन्होंने कहा, एक हफ्ते में लगभग 50 हजार मौतें बहुत अधिक हैं। इस वायरस के साथ जीना सीखने का मतलब यह नहीं है कि हम इतनी मौतों को स्वीकार कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जब दुनिया भर में इतने सारे लोग बिना टीकाकरण के रह रहे हैं, ऐसे में दुनिया इस वायरस को ऐसी ही फैलने नहीं दे सकती है।
उदाहरण के लिए, अफ्रीका में 85 प्रतिशत से अधिक लोगों को अभी तक टीके की एक भी खुराक नहीं मिली है। उन्होंने कहा, हम महामारी के तीव्र चरण को तब तक समाप्त नहीं कर सकते, जब तक हम इस अंतर को पाट नहीं पाएंगे।
घेब्रेयेसिस के अनुसार, दुनिया भर के अस्पतालों में भर्ती होने वाले अधिकांश लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है।
टीकाकरण गंभीर बीमारी और मृत्यु को रोकने में बहुत प्रभावी रहता है, मगर वह संक्रमण को फैलने से पूरी तरह से नहीं रोकता है।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने दोहराया है कि कोरोना महामारी को निश्चित रूप से हराया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि इसके खिलाफ दुनियाभर की सभी सरकारों और प्रोड्यूसर्स को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने इसके लिए दो तरीके बताए हैं, पहला है- कम कवरेज वाले जोखिम वाले देशों में वैक्सीन की आपूर्ति बढ़ाना और दूसरा- लोगों को टीका देने के लिए जरूरी संसाधनों की पर्याप्त पूर्ति की जाए। उन्होंने कहा कि जब तक हम हर जगह सुरक्षित नहीं हैं, तब तक हम कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं।
कोरोना महामारी के बीच स्वास्थ्यकर्मियों पर काफी दबाव है। पिछले साल प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि चार में से एक हेल्थ वर्कर ने महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव किया है। कई देशों के डेटा यह भी बताते हैं कि कई लोगों ने नौकरी छोड़ने पर विचार किया है या नौकरी छोड़ दी है।(आईएएनएस)