अंतरराष्ट्रीय
सियोल, 20 अक्टूबर | दुनिया में 5जी नेटवर्क से डाउनलोड की सबसे ज्यादा तेज स्पीड सऊदी अरब की है और उसके बाद दक्षिण कोरिया की है। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दक्षिण कोरिया में औसत स्पीड 336.1 मेगाबिट्स प्रति सेकंड (एमबीपीएस) तक पहुंच गई है। इंडस्ट्री ट्रैकर ओपनसिग्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब में 5जी डाउनलोड की औसत स्पीड 377.2 एमबीपीएस है। इस कंपनी ने 15 देशों में 1 जुलाई से 28 सितंबर के बीच डेटा ट्रैक कर यह सर्वे किया है।
वहीं दक्षिण कोरिया ने अपनी औसत 5जी डाउनलोड स्पीड 4जी की 60.5 एमबीपीएस की औसत स्पीड से 5.6 गुना बढ़ा ली है।
योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ओपनसिग्नल की अगस्त की रिपोर्ट में दक्षिण कोरिया की 5जी नेटवर्क के लिए स्पीड 312.7 एमबीपीएस थी। इसके अलावा दक्षिण कोरियाई 5जी उपयोगकर्ताओं के खर्च को लेकर भी इसमें खुलासे हुए हैं। उपयोगकर्ताओं का नेटवर्क से जुड़ा खर्च पिछली रिपोर्ट के दौरान सामने आए 20.7 प्रतिशत से बढ़कर 22.2 प्रतिशत हो गया है।
कई देशों ने 5जी नेटवर्क शुरू कर दिया है, जिनमें दक्षिण कोरिया भी शामिल है। हालांकि अभी वह नॉन-स्टैंडअलोन मोड पर नेटवर्क सर्विस दे रहा है, जिसके लिए उसे 4जी नेटवर्क के सपोर्ट की जरूरत होती है।
देश में अगस्त में 8.7 मिलियन (87 लाख) मोबाइल अकाउंट थे, जो उसके पिछले महीने से 8 लाख अधिक थे।
--आईएएनएस
काले धन से जुड़े पनामा पेपर्स लीक के केंद्र में रही कंपनी मोसैक फॉन्सेका के दोनों संस्थापकों के खिलाफ जर्मनी ने अंतरराष्ट्रीय अरेस्ट वारेंट निकाला है. इस समय विश्व के 79 देशों में इससे जुड़ी जांच हो रही है.
जर्मन मीडिया में आई खबर के अनुसार जर्मनी ने काला धन मामले के केंद्र में रही मोसैक फॉन्सेका के संस्थापकों युर्गेन मोसैक और रामोन फॉन्सेका के खिलाफ गिरफ्तारी का अंतरराष्ट्रीय वारेंट निकाल दिया है. इन दोनों पर टैक्स चोरी करने और अपराधियों के साथ मिलीभगत करने का आरोप है.
जर्मन अखबार 'जुडडॉयचे साइटुंग' ने खबर छापी है कि वारेंट जारी होने के कारण अब इनमें से किसी को भी यूरोपीय संघ के किसी देश में प्रवेश करते ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. अप्रैल 2016 में मोसैक फॉन्सेका के गोपनीय दस्तावेजों से बहुत बड़े स्तर पर टैक्स की चोरी और काले धन को दूसरे देशों में छुपाने के मामले का खुलासा हुआ था.
घोटाले की विश्वस्तरीय जांच
अमेरिकन सेंटर फॉर पब्लिक इंटेग्रिटी के अनुसार, इस समय विश्व के 79 देशों में पनामा पेपर्स लीक से जुड़े करीब 150 मामलों की जांच चल रही है. जांचकर्ताओं को उम्मीद है कि कंपनी के एक संस्थापक युर्गेन मोसैक आत्मसमर्पण कर सकते हैं. ऐसी उम्मीद इसलिए लगाई जा रही है कि अगर मोसैक अधिकारियों के सामने खुद को पेश करने और जांच में सहयोग देने के लिए तैयार हो जाते हैं तो वह अपनी सजा कम करने की मांग कर सकेंगे और अमेरिकी आरोपों से बचने की भी स्थिति बन सकती है. मोसैक का परिवार अब भी जर्मनी में ही रहता है.
सन 2018 में मोसैक फॉन्सेका कंपनी ने अपनी साख को "अपूरणीय क्षति" पहुंचने के कारण कामकाज बंद करने की घोषणा कर दी थी. उधर पनामा की सरकार अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करती आई है कि उसे टैक्स चोरी के अहम ठिकाना मानने वाली सूची से बाहर निकाला जाए. घोटाले के इन दोनों आरोपियों के पास पनामा का पासपोर्ट है और फिलहाल वे कैरिबियाई द्वीपसमूह में कहीं रहते हैं. यह द्वीपसमूह उनके लिए सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है क्योंकि इनकी किसी भी अन्य देश के साथ कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है.
जर्मनी से जुड़े हैं तार
कथित घोटाले की खबरों के सामने आने के समय यह भी पता चला था कि खुद जर्मनी के कम से कम 28 बैंकों ने भी इस फर्म की परामर्श सेवाएं ली थी. दूसरी तरफ विवादों के केंद्र में फंसी फर्म ने हमेशा कहा है कि वह किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं रही है और उसने अपने ग्राहकों के लिए तमाम सही वजहों के कारण कई ऑफशोर कंपनियां स्थापित की थीं.
2016 में मीडिया इंटरनेश्नल कंसॉर्शियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म और कुछ अन्य मीडिया संगठनों ने मिलकर पनामा स्थित कानूनी कंसल्टेंसी कंपनी मोसैक फॉन्सेका से संबंधित दस्तावेज लीक किए थे. यह खबर भी सबसे पहले जर्मन अखबार 'जुडडॉयचे साइटुंग' में ही प्रकाशित हुई थी. बताया गया था कि इस समूह ने विश्व भर के कई मशहूर और अमीर लोगों का टैक्स बचाने में उनकी मदद करने वाली इस कंपनी के करीब एक करोड़ 15 लाख दस्तावेजों की कई महीनों तक पड़ताल की और फिर अपने नतीजों को सार्वजनिक किया, जिसे पनामा लीक्स के नाम से जाना गया.
इस घोटाले में शामिल कई विश्वप्रसिद्ध प्रसिद्ध हस्तियां खुद भी अपने अपने देशों में कर चोरी के मामलों की जांच झेल रहे हैं. कंपनी पर आरोप है कि उसने टैक्स चोरी करते हुए कई नई कंपनियां बनाकर 'टैक्स हेवन' देशों में पैसा जमा करवाया था. अब तक की जांच में दुनिया भर के करीब 140 नेताओं के नाम सामने आए हैं जिसमें से दर्जन भर राजनेता तो अलग अलग देशों के पूर्व या मौजूदा प्रमुख हैं. कई बड़े व्यवसायियों के अलावा इसमें खेल और मनोरंजन जगत के भी कई मशहूर लोगों का नाम आया था.
आरपी/एमजे (डीपीए)
ब्रसेल्स, 20 अक्टूबर| बेल्जियम के स्वास्थ्य मंत्री फ्रैंक वैंडेनब्रुक ने चेतावनी देते हुए कहा कि देश की राजधानी ब्रसेल्स में कोविड-19 की स्थिति सुनामी की तरह है क्योंकि यहां पुष्ट नए मामलों की संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है। मंगलवार को सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टीवी पर दिए अपने एक साक्षात्कार में वैंडेनब्रुक ने कहा कि "वालोनिया और ब्रुसेल्स में स्वास्थ्य स्थिति सबसे ज्यादा खराब है और यह पूरे यूरोप में सबसे खतरनाक है।"
यूरोप में महामारी के पहले चरण में बेल्जियम सबसे प्रभावित देशों में से एक रहा। यहां अब तक कोरोनावायरस के 230,480 मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 10,443 लोगों ने अपनी जानें गंवा दी है।
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि, "महामारी किसी की गलती नहीं है, लेकिन स्थिति में सुधार लाना हमारे हाथों में है।" उन्होंने देश में लोगों को कोरोनावायरस से संबंधित सुरक्षा मानकों का पालन करने और खुद को वायरस से बचाए रखने की अपील की है। (आईएएनएस)
कराची, 20 अक्टूबर| पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने दावा किया है कि उनके पति और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दामाद रिटायर्ड कैप्टन मोहम्मद सफदर को गिरफ्तार करने के पीछे का मकसद सरकार विरोधी गठबंधन को तोड़ना है। द ट्रिब्यून के मुताबिक, मरियम ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "मेरे परिवार और मेरे करीबी लोगों को निशाना बनाकर मुझे ब्लैकमेल मत करें।"
उनकी टिप्पणी सोमवार सुबह तड़के यह ट्वीट करने के बाद आई कि सफदर को कराची में एक होटल से गिरफ्तार किया गया था।
उन्होंने दावा किया कि पुलिस उनके पति को गिरफ्तार करने तब पहुंच गई जब वह सो रही थीं।
डॉन न्यूज के मुताबिक, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के दूसरे पावर शो से पहले रविवार को सफदर द्वारा मुहम्मद अली जिन्ना की मकबरा पर सरकार विरोधी नारे लगाए जाने के एक दिन बाद उनकी गिरफ्तारी हुई।
मकबरे की पवित्रता का उल्लंघन करने के लिए मरियम नवाज, सफदर और 200 अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
हालांकि, उन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
संवाददाता सम्मेलन में मरियम नवाज ने आगे कहा कि संघीय सरकार ऐसा दिखाने की कोशिश कर रही थी कि गिरफ्तारी के पीछे सिंध सरकार थी, "लेकिन बिलावल (भुट्टो-जरदारी) ने मुझे फोन किया और वह बहुत गुस्से में थे।"
सिंध के मुख्यमंत्री ने भी मुझे फोन किया और कहा कि उन्होंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि मेरे साथ ऐसा कुछ होगा।
मरियम ने कहा, " मैंने कभी भी एक पल के लिए भी नहीं सोचा था कि पीपीपी इसके पीछे है .. उन्होंने (पीटीआई) सोचा था कि वे हमारे बीच फूट डाल सकते हैं। हमें पता है कि इस तरह की चीजें होंगी, हम भी तैयार हैं।"
पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष ने यह भी दावा किया कि सफदर को पिछले कुछ समय से मौत की धमकी मिल रही हैं, जो कि उच्च स्च्तर पर बैठे कुछ लोगों से आ रही है।
उन्होंने कहा, "अगर वे मानते हैं कि धमकी नवाज शरीफ या मरियम नवाज को चुप करा सकती है, अगर वे मानते हैं कि वो पीडीएम में दरार पैदा कर सकते हैं या इसकी एकता को कमजोर कर सकते हैं, तो वे गलत हैं।" (आईएएनएस)
निखिला नटराजन
न्यूयॉर्क, 20 अक्टूबर| चुनाव को 14 दिन बाकी हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2016 की अपनी हिट प्लेलिस्ट से शब्द चुन-चुनकर इस बार फिर से उपयोग कर रहे हैं। जैसे बाइडन के लिए ट्रंप ने वैसे ही 'लॉक हिम अप' कहा, जैसे पिछले चुनाव में हिलरी क्लिंटन के लिए 'लॉक हर अप' कहा था।
हाल ही में ट्रंप ने कॉन्फ्रेंस कॉल पर अपने कैंपेन के सहयोगियों से कहा, "लोग फौची और इन सभी बेवकूफों को सुनकर थक गए हैं। हर बार जब वह टेलीविजन पर जाता है, तो उसके पास हमेशा एक बम होता है। लेकिन अगर आप उसे हटा दें तो उससे भी बड़ा धमाका होगा। फौची एक आपदा (डिजास्टर) की तरह है।"
मामूली फेर-बदल के साथ ट्रंप 2020 में भी तकरीबन 2016 जैसी ही बातें कह रहे हैं।
2016 में ट्रंप के हारने की भविष्यवाणी करने वाले स्कॉट एडम्स के लिए उन्होंने एनबीसी पर कहा था, "कोई भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेता है। उनके पास सिर्फ हंसाने वाला सामान है, जो कोई मायने नहीं रखता है।"
डॉ. एंथोनी फौची को 'आपदा' और वैज्ञानिकों को 'बेवकूफों का समूह' कहने के बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया पर अपनी शिकायतों को लेकर भी लिखा।
यहां तक कि ट्रंप के ईमेल भी आश्चर्यजनक तौर पर 2016 जैसे लग रहे हैं। उधर व्हाइट हाउस के अधिकांश अकाउंट्स को लेकर ट्रंप अभियान का मानना है कि 270 इलेक्टोरल कॉलेज वोटों के लिए एक संकरा रास्ता है। केवल एक ही पोलस्टर - ट्राफलगर है जिसने ट्रंप को बाइडन से कम से कम तीन राज्यों में आगे रखा है।
ट्रम्प न केवल वैज्ञानिक और डॉक्टर बिरादरी को निशाना बना रहे हैं, बल्कि ऐसे समय पर बना रहे हैं, जब अमेरिका के 50 राज्यों में से 37 में और वाशिंगटन डी.सी. में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं। दुनिया में कोरोनावायरस मामलों और मौतों में अमेरिका पहले नंबर पर है। (आईएएनएस)
वाशिंगटन 20 अक्टूबर (स्पूतनिक) अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में तीन करोड़ से अधिक अमेरिकी नागरिक मतदान कर चुके हैं, जो 2016 में वोटिंग से पहले पड़े मतों से पांच गुना ज्यादा है।
यह आंकड़ा सरकारी वेबसाइट पर सोमवार को डाला गया है। वेबसाइट के अनुसार अब तक 30,242,866 मतदाताओं ने मतदान किया है। फ्लोरिडा विश्वविद्याल के प्रो. मिशेल मैकडोनाल्ड ने बताया है कि 2016 में लगभग 50.90 लाख मतदाताओं ने वोटिंग तिथि से पूर्व वोट डाले थे।
वाशिंगटन 20 अक्टूबर (वार्ता) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में विदेश नीति पर फाइल प्रेसिडेंशियल डिबेट की मांग की है।
इस सिलसिले में श्री ट्रम्प के प्रचार अभियान के प्रमुख बिल स्टेपियन ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है और विदेश नीति के मुद्दे पर फाइनल प्रेसिडेंशियल डिबेट कराने की मांग की है। उन्होंने पत्र में कहा, "प्रचार की अखंडता और अमेरिकी नागरिकों की भलाई के लिए हम आप से 22 अक्टूबर को होने वाले अंतिम प्रेसिडेंशियल बहल को विदेश नीति पर कराने की अपील करते हैं। इसी मुद्दे पर बहस की सहमति बनी है और पिछले प्रचारों में यही परंपरा रही है। "
श्री स्टेपियन ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि मॉडरेटर क्रिस्टेन वेल्कर ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई,अमेरिकी नागरिक , रेस इन अमेरिका, जलवायु परिवर्तन, राष्ट्रीय सुरक्षा, नेतृत्व और विदेश नीति जैसे कुछ मुद्दों की घोषणा की है, जिनमें से ज्यादातर मुद्दों पर पहली बहस के दौरान चर्चा हो चुकी हैं। उन्होंने बहस के दौरान उम्मदवारों के फोन को बंद कराने की मांग की है।
इस्लामाबाद, 20 अक्टूबर | पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश के कुछ हिस्सों में कोरोनावायरस के नए मामलों के फिर से उभरने के कारण आने वाले महीनों में कोरोना की दूसरी लहर आने की आशंका जताई है। डॉन न्यूज के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा, "मुझे आशंका है कि शहरों में कोरोवायरस मामलों में फिर से वृद्धि हो सकती है, जहां अक्टूबर और नवंबर में प्रदूषण की दर बढ़ जाती है।"
स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा पंजाब प्रांत, खासकर लाहौर में बढ़ रहे मामलों की चेतावनी के बाद एक दूसरी लहर की आशंका सामने आई है, जबकि कराची में भी कोरोना पॉजिटिव मामलों की दर में वृद्धि हुई है।
हालांकि, महामारी के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए उपायों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया था, खान ने कहा कि अभी भी अपेक्षित दूसरी लहर का मुकाबला करने के लिए सावधानियों का पालन करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, "मुझे डर है कि अक्टूबर और नवंबर, इन दो महीनों में फैसलाबाद, लाहौर, कराची, पेशावर और गुजरांवाला जैसे शहरों में जहां प्रदूषण अधिक है, कोरोनोवायरस मामलों की दूसरी लहर देखने को मिल सकती है।"
इमरान ने कहा कि मामले धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं और हमें उम्मीद है कि वे जल्दी नहीं बढ़ेंगे। हम इसकी निगरानी कर रहे हैं।
डॉन न्यूज के अनुसार, योजना एवं विकास मंत्री असद उमर ने घोषणा की थी कि हाल में ताजा मामलों में वृद्धि के कारण देश में कोरोना पॉजिटिविटि दर 2.37 प्रतिशत है जो कि 50 दिनों में सबसे ज्यादा है।
पाकिस्तान में कोरोना के अब तक 323,452 ममाले सामने आ चुके हैं, जबकि 6,659 लोगों की मौत हो चुकी है।(आईएएनएस)
अमेरिका के अलास्का में 7.5 तीव्रता का भूकंप आया है, जिसके बाद सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। साथ ही पूरे शहर को खाली कराने का आदेश जारी कर दिया गयाहै। सुनामी चेतावनी केंद्र के अधिकारी स्कॉट लेंगली ने बताया है कि इस दौरान तटीय इलाकों में सवा मीटर से ऊंची लहरों बनने लगी है। अभी तक सुनामी की दो लहरें आ चुकी हैं।
अधिकारी ने बताया कि इतना भीषण तूफान आने के बाद इलाके को खाली भी कराने की कोशश की जा रही है।
सुनामी की चेतावनी के इलाके में पुलिस गाड़ियों के सायरन ही सुनाई दे रहे थे और लोगों में घबराहट थी। कई स्कूलों से लोगों को बाहर निकालते देखा गया था।(navjivan)
वाशिंगटन, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का देश में कोविड-19 महामारी की परिस्थितियों के बारे में 'झूठ बोलना' जारी है। द हिल न्यूज वेबसाइट ने रविवार को बताया कि बाइडेन ने नॉर्थ कैरोलाइना में एक रैली में कहा, "दूसरी रात, ट्रंप ने अपनी एक रैली में कहा, हमने हालात में सुधार किया है।"
पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, "सुधार हुआ? हालात बदतर हो रहे हैं। वह परिस्थितियों के बारे में हमसे झूठ बोल रहे हैं।"
विस्कॉन्सिन के जनेस्विल में एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने कहा था, "हम सुधार कर रहे हैं। टीके अविश्वसनीय हैं। हमारे पास अविश्वसनीय टीके जल्द ही आ रहे हैं और थेरप्यूटिक्स अविश्वसनीय हैं।" ट्रंप के इस बयान के बाद बाइडेन का यह बयान आया है।
पिछले महीने, फ्लोरिडा के जैक्सनविल में एक रैली में इसी तरह की टिप्पणी करते हुए, ट्रंप ने कहा था, "हम हालात में सुधार ला रहे हैं। मेरे नेतृत्व में समृद्धि बढ़ेगी।"
अमेरिका वर्तमान में वैश्विक स्वास्थ्य संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है, जहां कोरोना के सबसे अधिक मामले हैं और सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, सोमवार सुबह तक देश में कोरोना के कुल मामलों की संख्या 8,152,093 थी और वायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर 219,669 तक पहुंच गई।
वाशिंगटन, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 4 करोड़ से अधिक हो गई है, जबकि घातक संक्रमण से हुई मौतों की संख्या 1,113,750 से अधिक हो गई है। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने सोमवार को दी। विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि सोमवार की सुबह तक संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 40,063,546 हो गई थी और मृत्युदर बढ़कर 1,113,750 हो गई।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका कोविड-19 से दुनिया का सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश है, जहां 8,154,936 मामले और संक्रमण से 219,674 मौतें दर्ज की गई हैं।
भारत 550,273 संक्रमित लोगों की संख्या के हिसाब से दूसरे स्थान पर है, जबकि देश में मरने वालों की कुल संख्या 1,14,610 हो गई।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, अधिक मामलों वाले अन्य शीर्ष 15 देश हैं ब्राजील (5,224,362), रूस (1,406,504), अर्जेंटीना (989,680), कोलंबिया (959,572), स्पेन (936,560), फ्रांस (938,606), पेरू (868,675), मेक्सिको (851,227), ब्रिटेन (725,292), दक्षिण अफ्रीका (703,793), ईरान (530,380), चिली (491,760), इराक (426,634), इटली (414,241) और बांग्लादेश (388,569)।
वहीं संक्रमण से हुई मौतों के मामले में ब्राजील 153,675 मौतों के साथ दूसरे नंबर पर है।
कोविड-19 से होने वाले 10,000 से अधिक मौतों वाले देश मेक्सिको (86,167), ब्रिटेन (43,736), इटली (36,543), स्पेन (33,775), पेरू (33,759), फ्रांस (33,499), ईरान (30,375), कोलंबिया (28,970), अर्जेंटीना (26,267), रूस (24,212), दक्षिण अफ्रीका (18,471), चिली (13,635), इंडोनेशिया (12,511), इक्वाडोर (12,387), बेल्जियम (10,413) और इराक (10,254) है।
इस्लामाबाद, 19 अक्टूबर | पुलिस ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दामाद और उनकी पीएमएलएन पार्टी के नेता मोहम्मद सफ्दर को गिरफ्तार कर लिया है. शरीफ की बेटी मरयम नवाज ने ट्वीट कर के बताया कि वो कराची में जिस होटल में ठहरी हुई हैं पुलिस उस में घुस आई, उनके कमरे का दरवाजा तोड़ दिया और वहां से सफ्दर को गिरफ्तार कर लिया. सफ्दर के खिलाफ इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्नाह की कब्र पर राजनीतिक नारे लगाने के आरोप लगाए थे, जो गैर-कानूनी है.
सफ्दर की पत्नी और नवाज शरीफ की बेटी मरयम नवाज ने रविवार की रैली में सरकार के खिलाफ भाषण दिया था और प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया था कि उन्होंने, "लोगों से नौकरियां छीन ली हैं...और लोगों से दो वक्त की रोटी भी छीन ली है." बताया जा रहा है कि रविवार की रैली में विपक्ष के लाखों समर्थक मौजूद थे जो प्रधानमंत्री को हटाने का एक अभियान शुरू कर चुके हैं. उनका आरोप है कि खान को दो साल पहले चुनावों में धांधली कर के सेना ने प्रधानमंत्री बनवा दिया था.
कराची में हुआ यह प्रदर्शन विपक्षी पार्टियों के गठबंधन पाकिस्तानी डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) द्वारा तीन दिनों में आयोजित किया गया दूसरा प्रदर्शन था. पीडीम नौ मुख्य विपक्षी पार्टियों का गठबंधन है जिसने सरकार के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन शुरू करने की योजना बनाई है. खान के नेतृत्व में पाकिस्तान में मीडिया सेंसरशिप और मतभेदों, आलोचकों और विपक्ष के खिलाफ कठोर कार्रवाई बढ़ी है.
Pakistan Oppositionsparteien in Gujranwala (Tanvir Shahzad/DW)
विपक्ष ने पंजाब प्रांत में पीएमएलएन के गढ़ गुजरांवाला शहर में एक विशाल रैली आयोजित की थी जिसे लंदन से एक वीडियो लिंक के जरिए संबोधित करते हुए नवाज शरीफ ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा पर 2018 के चुनावों में धांधली करवाने का आरोप लगाया था.
लेकिन उनके खिलाफ जो अभियान छेड़ा गया है उसमें उनके अर्थव्यवस्था के प्रबंधन को केंद्र में रखा गया है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के आने से पहले ही नीचे गिर रही थी. रविवार की रैली में मरयम नवाज ने देश के एक और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी के साथ मंच साझा किया. कराची में जरदारी की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की ही सरकार है. रैली में अपने भाषण में उन्होंने कहा, " हमारे किसान भूखे हैं...हमारा युवा निराश हैं." यह संदेश देश में बढ़ती महंगाई और नेगेटिव आर्थिक विकास देख रहे उनके समर्थकों को लुभा गया.
63 वर्षीय विपक्षी नेता फकीर बलोच ने रैली में कहा,"महंगाई ने गरीबों की कमर तोड़ दी है और कइयों को अपने बच्चों का पेट भरने के लिए भीख मांगने पर मजबूर कर दिया है... इस सरकार के जाने का वक्त आ गया है." उनका भाषण सुन कर समर्थकों की भीड़ ने "जाओ इमरान जाओ" के नारे लगाए. पाकिस्तान में अगले आम चुनाव 2023 में होने हैं. शुक्रवार को विपक्ष ने पंजाब प्रांत में पीएमएलएन के गढ़ गुजरांवाला शहर में एक विशाल रैली आयोजित की थी.
लंदन से एक वीडियो लिंक के जरिए रैली को संबोधित करते हुए नवाज शरीफ ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा पर 2018 के चुनावों में धांधली करवाने का आरोप लगाया था. उन्होंने बाजवा ओर 2017 में उन्हें सत्ता से हटवाने का भी आरोप लगाया था. उन्होंने यह भी कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप मनगढंत हैं. सेना ने अभी तक शरीफ के आरोपों पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. खान ने इन आरोपों का खंडन किया है और सेना का समर्थन किया है. शनिवार को उन्होंने विपक्ष के नेताओं के खिलाफ और भी कठोर कार्रवाई की धमकी भी दी. (DW)
हनोई, 19 अक्टूबर| वियतनाम में पिछले 2 हफ्ते से हो रही लगातार बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन से कम से कम 90 लोगों की मौत हो गई और 34 लोग लापता हो गए। यह जानकारी आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, प्राकृतिक आपदा निवारण और नियंत्रण के लिए केंद्रीय संचालन समिति ने एक बयान में कहा कि सबसे ज्यादा मौतें क्वांग ट्राई, थुआ थिएन ह्यू और क्वांग नेम प्रांतों में हुई हैं।
सोमवार सुबह 6 बजे तक हा तिन्ह, क्वांग बिन्ह, क्वांग ट्राई और थुआ थिन ह्यू इलाकों के 1,21,280 लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाया जा चुका था। समिति ने कहा है कि करीब 1,21,700 घर अभी भी बाढ़ प्रभावित है। 6 अक्टूबर से अब तक 5,31,800 मवेशी और मुर्गे मारे गए हैं या बह गए हैं।
समिति ने कहा कि भारी बारिश के कारण कई राष्ट्रीय राजमार्ग और स्थानीय सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं।
वियतनाम न्यूज एजेंसी ने बताया कि मध्य नघे एन और हा तिन्ह प्रांतों के स्कूलों ने सोमवार से छात्रों को घर पर रहने के लिए कहा है।
बुधवार तक भी केंद्रीय इलाकों में भारी बारिश होने की संभावना है। इतना ही नहीं, कुछ क्षेत्रों में तो 600 मिमी से अधिक बारिश होने की संभावना है। रविवार को यहां लेवल-फोर अलर्ट जारी कर दिया गया है, जो चेतावनी का दूसरा सबसे बड़ा स्तर है। (आईएएनएस)
हमजा अमीर
इस्लामाबाद, 19 अक्टूबर | पाकिस्तान सरकार ने सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक की 551वीं जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए भारतीय सिखों को निमंत्रण भेजा है।
इंडियन सिख संगत के माध्यम से एडवांस रूप से भेजे गए निमंत्रण के विवरण के अनुसार, भक्तों को अनिवार्य कोविड-19 परीक्षण के बाद पाकिस्तान में प्रवेश करने और वहां ठहरने के लिए पांच दिन का वीजा दिया जाएगा।
वक्फ प्रॉपर्टी बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा, "बाबा गुरु नानक देव की जयंती के उत्सव में भाग लेने के लिए आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को अनिवार्य कोविड-19 टेस्ट का निगेटिव रिपोर्ट दिखाने के साथ भी अपने पूरे प्रवास के दौरान सभी कोविड-19 एसओपी का पालन करना होगा।"
इसके अलावा देश के वक्फ बोर्ड और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी शिरोमणि कमेटी ऑफ इंडिया सहित कई अन्य सिख समाजों को नियमित रूप से निमंत्रण भेजे हैं।
चल रहे कोविड-19 महामारी के कारण भारतीय सिखों को बिना किसी एक्सटेंशन के सीमित अवधि के लिए ही पाकिस्तान में रहने की अनुमति दी जाएगी।
गुरु नानक गुरपर्ब के रूप में जाना जाने वाला तीन दिवसीय उत्सव 27 नवंबर को ननकाना साहिब में शुरू होगा।
पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख सरदार सतवंत सिंह ने कहा, "पाकिस्तान में भारतीय सिखों के प्रवास के विकल्प पर भारत में बंद सीमा और बढ़ते कोरोनावायरस आंकड़ों के मद्देनजर विचार किया जाना था।"
उन्होंने आगे कहा, "यात्रा करने वाले भारतीय सिख तीर्थयात्रियों की संख्या पर कोई नया प्रतिबंध नहीं होगा।"
हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय समझौते के अनुसार, गुरदास समारोह के लिए विशेष रूप से 3,000 भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी।
वहीं इस बार तीर्थयात्रियों को ननकाना साहिब तक ही सीमित रखा जाएगा, इससे पहले उन्हें लाहौर में कई गुरुद्वारों, ननकाना साहिब, हसन अब्दल, करतारपुरा, रोहरी साहिब और फारूकबाद में जाने के लिए 10-दिवसीय वीजा का विकल्प दिया गया था।
पहली बार तीर्थयात्रियों के पास लाहौर में रहने या खरीदारी करने का विकल्प नहीं होगा।
सावंत सिंह ने कहा, "वाघा बॉर्डर पर 27 नवंबर को भारतीय तीर्थयात्रियों का स्वागत किया जाएगा, जहां से वे एक विशेष बस सेवा के माध्यम से वे ननकाना साहिब जाएंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "तीर्थयात्री ननकाना साहिब के विभिन्न गुरुद्वारों में जा सकते हैं और नगर कीर्तन में भाग ले सकते हैं।"
रिपोटरें के अनुसार, भारत में शिरोमणि समिति सहित कुछ सिख समाजों ने भारत सरकार से गुरु नानक जयंती के लिए भारत के करतारपुर कॉरिडोर को खोलने का आह्वान किया है।
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान देश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना चाहता है।
हालांकि, इस मामले पर भारत सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। (आईएएनएस)
डॉयचे वैले पर क्रिस्टॉफ हासेलबाख की रिपोर्ट-
ओईसीडी की नई रिपोर्ट से पता चला है कि कोरोना काल में पूरे विश्व में आप्रवासन घटा है. साथ ही लॉकडाउन और पाबंदियों के कारण खुद तमाम मुश्किलें झेलने वाले आप्रवासियों ने महामारी से निपटने में बेहद अहम भूमिका निभाई है.
पेरिस स्थित आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, ओईसीडी की ताजा रिपोर्ट इसका सबूत देती है कि कोरोना महामारी ने आम लोगों की तरह आप्रवासियों का भी जीवन काफी हद तक बदल दिया है. इसमें एक खास बात यह निकल कर सामने आई है कि ओईसीडी के कई सदस्य देशों में महामारी के दौरान स्वास्थ्य, रीटेल, डिलिवरी और कूरियर जैसी अतिआवश्यक सेवाओं में प्रवासियों ने उल्लेखनीय काम किया. सख्त लॉकडाउन में राष्ट्रीय सीमाओं के बंद होने के समय जर्मनी जैसे देशों तक में अपवाद के रूप में फसल की कटाई के लिए प्रवासियों को आने दिया गया था.
ओईसीडी के सदस्य देशों में करीब 24 फीसदी डॉक्टर और 16 फीसदी नर्सें आप्रवासी हैं. यह वही लोग है जिन्होंने कोरोना वायरस से लड़ाई के दौरान सबसे आगे रह कर अपनी सेवाएं दी हैं. स्वास्थ्यकर्मियों के इस समुदाय को कोविड का संक्रमण भी बाकी समुदायों के मुकाबले कहीं ज्यादा झेलना पड़ा है क्योंकि संक्रमित लोगों के साथ नजदीकी उनके काम का हिस्सा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रवासियों पर बाकी आबादी के मुकाबले संक्रमित होने का दोगुना खतरा होता है. खासकर पूरे यूरोपीय संघ में हॉस्पीटैलिटी इंडस्ट्री में काम करने वालों में से एक चौथाई यूरोप के बाहर से आए प्रवासी हैं. ये लोग अकसर सीमित समय के कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं और मुश्किल घड़ी में सबसे पहले इनकी ही नौकरी से छंटनी की जाती है.
स्कूल बंद होने की सबसे ज्यादा मार भी प्रवासियों के बच्चों पर
जहां बाकी देशों में स्कूल बंदहोने पर बच्चों को घर में ही पढ़ाने के लिए होम-स्कूलिंग से लेकर ऑनलाइन क्लासेज की व्यवस्था की गई, वहीं तमाम प्रवासियों के बच्चों को कंप्यूटर तक पहुंच ना होने, छोटी जगहों में सिमट कर रहने और माता पिता से पढ़ाई में मदद ना मिल पाने के कारण काफी मुसीबत झेलनी पड़ी.
दुनिया के ज्यादातर स्कूल जाने वाले बच्चों को घर से ही पढ़ाई जारी रखनी पड़ी.
मोटे तौर पर अब तक के कोरोना काल में ओईसीडी सदस्य देशों में होने वाले आप्रवासन में नाटकीय रूप से कमी देखने को मिली. साल 2020 के पहले छह महीनों में इसमें पिछले साल की तुलना में करीब 50 फीसदी की कमी दर्ज हुई. इन महीनों में अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के बंद होने, यात्रा पर तरह तरह के प्रतिबंध होने और केवल गिने चुने विमान उड़ने के कारण यह गिरावट आई.
ओईसीडी रिपोर्ट के लेखकों का मानना है कि भले ही आर्थिक गतिविधियां फिर से जोर पकड़ लें लेकिन फिर भी आप्रवासन में जल्द ही कोई तेजी नहीं दिखेगी. उनका अनुमान है कि जिन लोगों ने दफ्तर के बजाए घर से काम करना शुरु किया था, वे आने वाले समय में भी उसे जारी रखेंगे. छात्र ऑनलाइन कक्षाएं और सेमिनार में शामिल होते रहेंगे और व्यापक तौर पर आम जनता कम से कम आवाजाही करना चाहेगी.
नस्लवादी हिंसा बढ़ने की संभावना
रिपोर्ट में कहा गया है कि ओईसीडी देशों में बेरोजगारी बढ़ने के कारण नस्लवादी हिंसा बढ़ने की भी संभावना है. स्थानीय लोग जब सीमित रोजगार के मौकों को देखते हुए आप्रवासियों को अपना दुश्मन समझने लगते हैं तो स्थिति खतराब होने लगती है. कई देशों में इस तरह की स्थिति पैदा होने की आशंका को देखते हुए पहले से ही ऐसी नस्लवादी धारणाओं को तोड़ने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं. रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि सभी सरकारें आप्रवासियों को समाज में जोड़ने को ऐसा दीर्घकालीन निवेश समझ कर काम करें जिसमें सबकी भलाई छुपी है. (dw.com)
आरपी/एनआर
(dw.com)
फ्रांस में दसियों हजार लोगों ने सड़कों पर उतर कर उस टीचर के लिए प्रदर्शन किया है जिसका सिर काट दिया गया. टीचर ने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून अपनी क्लास के छात्रों को दिखाया था.
राजधानी पेरिस समेत फ्रांस के कई शहरों में लोग प्रदर्शन करने निकले हैं. उनके हाथों में तख्तियां हैं जिस पर लिखा है, "आई एम ए टीचर" और "नो टू टोटैलिटेरियनिज्म थॉट(सर्वाधिकारवाद के विचार को ना है)." फ्रांस के प्रधानमंत्री ज्यां कास्टेक्स भी रविवार को प्रदर्शनों में शामिल हुए. उन्होंने ट्वीट किया है. "तुम हमें डरा नहीं सकते. हम नहीं डरते. तुम हमें बांट नहीं सकते. हम फ्रांस हैं." प्रधानमंत्री के साथ ही शिक्षा मंत्री और पेरिस के गृह राज्य मंत्री ने भी प्रदर्शनों में हिस्सा लिया. फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल माक्रों ने ऑनलाइन चरमपंथ के खिलाफ तुरंत कार्रवाई का वादा किया है.
प्रदर्शन कर रहे लोगों में से कुछ ने "आई एम सैमुएल" का भी नारा लगाया. पीड़ित शिक्षक का नाम सैमुएल पैटी है. 2015 में जब इस्लामी बंदूकधारियों ने शार्ली हेब्दो पत्रिका के दफ्तर पर हमला कर 12 लोगों की हत्या कर दी थी तब "आई एम शार्ली" का नारा बुलंद हुआ था. 2015 में हुए इस हमले से इस्लामी हिंसा तेज हो गई थी और तब फ्रांस में इस बात पर बहस शुरू हो गई कि एक धर्मनिरपेक्ष समाज में इस्लाम की स्थिति क्या हो. पत्रिका पर हमले के बाद पेरिस के प्लास दे ला रिपुब्लिक पर 15 लाख से ज्यादा लोग प्रदर्शन करने जमा हुए थे. पेरिस में इस बार भी प्रदर्शन की मुख्य जगह वही है.
रविवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कट्टरपंथी इस्लाम के ऑनलाइन दुष्प्रचार को रोकने के लिए तुरंत और "ठोस कार्रवाई" करने का आदेश दिया. छह मंत्रियों और एंटी टेरर प्रॉसिक्यूटर ज्यां फ्रांसोआ रिकार्ड के साथ बैठक में माक्रों ने कहा, "गणराज्य व्यवस्था का विरोध आयोजित करने वालों को कोई राहत नहीं मिलेगी." राष्ट्रपति के दफ्तर ने कहा है कि हमले का समर्थन करने वाले हर शख्स के खिलाफ कार्रवाई होगी. हालांकि इसके बारे में और ब्यौरा नहीं दिया गया. सोमवार को अधिकारियों ने कहा कि वे हमलावर के समर्थन में जारी 80 संदेशों के लेखकों के खिलाफ जांच करेंगे.
इस बीच फ्रांस की पुलिस ने दर्जनों इस्लामी "उग्रवादियों" के ठिकानों पर छापे मारे हैं. फ्रांस के गृहमंत्री ने बताया है कि फ्रांस में ऑनलाइन नफरत फैलाने के खिलाफ 80 मामलों की जांच चल रही है. अधिकारी इस बात की पड़ताल कर रहे हैं कि क्या किसी फ्रेंच मुस्लिम संगठन को इन आरोपों के लिए दोषी माना जा सकता है या नहीं. दोषी होने पर इन संगठनों को भंग किया जा सकता है.
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फ्रांस 231 लोगों को सरकार की निगरानी सूची से बाहर करने की तैयारी कर रहा था. ये लोग चरमपंथी धार्मिक आस्था की वजह से सरकार की निगरानी सूची में हैं. अभी यह साफ नहीं है कि क्या इनलोगों में से किसी का संबंध नई घटना से है या नहीं.
सैमुएल पैटी शुक्रवार की दोपहर जब स्कूल से अपने घर लौट रहे थे तभी उनकी हत्या कर दी गई. उनकी हत्या करने वाले 18 साल के चेचेन मूल के अब्दुल्लाख अनजोरोव की पुलिस कार्रवाई में मौत हुई. अब्दुल्लाख के फोन से टीचर की तस्वीर और उसके साथ ही एक संदेश भी था जिसमें सैमुएल की हत्या करने की बात कबूली गई थी.
चश्मदीदों का कहना है कि अब्दुल्लाख शुक्रवार को स्कूल के पास दिखा था और उसने छात्रों से पूछा था कि पैटी कहां मिलेंगे. टीचर की हत्या करने वाला शख्स रूस में पैदा हुआ और वह पेरिस के उत्तरपश्चिम में रहता था. इससे पहले उसके बारे में खुफिया विभाग को कोई जानकारी नहीं थी. शनिवार को एंटी टेरर प्रॉसिक्यूटर रिकार्ड ने कहा कि टीचर को ऑनलाइन धमकियां मिल रही थीं. उन्होंने नागरिक शास्त्र की कक्षा में छात्रों को पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दिखाए थे.
एनआर/आरपी(एएफपी, रॉयटर्स)
इक़बाल अहमद
पाकिस्तान से छपने वाले उर्दू अख़बारों में इस हफ़्ते इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ विपक्षी महागठबंधन की पहली रैली, और कोरोना से जुड़ी ख़बरें सुर्ख़ियों में थीं.
पाकिस्तान में इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष ने एक साथ मिलकर मोर्चा खोल दिया है.
20 सितंबर को पाकिस्तान की सभी विपक्षी पार्टियों ने इस्लामाबाद में मिलकर पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) का गठन किया था और इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ पूरे पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की थी.
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने विपक्षी पार्टियों की एकजुटता पर हमला करते हुए उन्हें 'डाकुओं की एकता' क़रार दिया था.
लेकिन विपक्षी पार्टियों ने शुक्रवार को (16 अक्टूबर) को पंजाब प्रांत के गुजरानवाला में एक शानदार रैली कर अपने सरकार विरोधी अभियान की शुरुआत की.
इस मौक़े पर पूर्व प्रधानमंत्री और मुस्लिम लीग (नून) के नेता नवाज़ शरीफ़ ने भी वीडियो लिंक के ज़रिए रैली को संबोधित किया.
नवाज़ शरीफ़ भ्रष्टाचार के मामले में दोषी क़रार दिए जा चुके हैं लेकिन इन दिनों अपनी ख़राब सेहत का इलाज कराने के लिए लंदन में हैं.
इमरान ख़ान और सेना प्रमुख पर निशाना
एक्सप्रेस अख़बार ने लिखा है, "विपक्षी महागठबंधन का सरकार विरोधी पहला पावर शो."
नवाज़ शरीफ़ पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तानी सेना पर जमकर हमले कर रहे हैं. इस्लामाबाद के भाषण में भी उन्होंने कहा था, "मेरी लड़ाई इमरान ख़ान से नहीं है, बल्कि उनको सत्ता में बिठाने वालों (सेना की तरफ़ इशारा करते हुए) से है."
शुक्रवार को गुजरानवाला में भी उन्होंने सेना पर निशाना लगाना जारी रखा.
नवाज़ शरीफ़ ने पाकिस्तान के स्थानीय समयानुसार रात के साढ़े ग्यारह बजे अपने भाषण की शुरुआत की लेकिन उस वक़्त भी गुजरानवाला का जिन्ना स्टेडियम लोगों से भरा हुआ था.
अख़बार के अनुसार नवाज़ शरीफ़ ने मौजूदा सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा पर बाज़ाब्ता नाम लेकर निशाना साधा.
उनका कहना था, "हमारी अच्छी भली चलती सरकार को आपने रुख़सत करवाया. मुल्क और क़ौम को अपनी इच्छाओं की भेंट चढ़ाया, सांसदों की ख़रीद-फ़रोख़्त आपने दोबारा शुरू करवाई, जजों से ज़ोर ज़बरदस्ती से आपने फ़ैसले लिखवाए."
जनरल बाजवा पर निशाना साधते हुए नवाज़ शरीफ़ ने कहा, "आप ने चुनाव में जनता के जनादेश को रद्द करके, अपनी मर्ज़ी के निकम्मे गिरोह को देश पर थोप दिया."
नवाज़ शरीफ़ ने मौजूदा सेना प्रमुख पर तो हमला किया ही, पूरी पाकिस्तानी सेना की संस्था और उसके इतिहास पर भी नवाज़ शरीफ़ जमकर बरसे.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सिविल सरकारों को अपना कार्यकाल पूरा नहीं करने दिया जाता और जनता के ज़रिए चुने गए नेताओं को 'ग़द्दार' कहा जाता है.
इस पर नवाज़ शरीफ़ ने कहा, "ढाका में जनरल नियाज़ी ने दुनिया की तारीख़ में पहली मरतबा खुले आम अपमानजनक तरीक़े से हथियार डाले, लेकिन ग़द्दार कौन है?
राजनेता. ग़द्दार कौन है? नवाज़ शरीफ़. ग़द्दार कौन है? बेनज़ीर भुट्टो. पाकिस्तान में देशभक्त वो लोग कहलाते हैं जिन्होंने संविधान के ख़िलाफ़ काम किया और देश तोड़ा."
इमरान ख़ान ने नवाज़ शरीफ़ के पहले दिए गए बयान पर कहा था कि नवाज़ शरीफ़ के सेना के ख़िलाफ़ बयान पर भारत में ख़ुशियां मनाई जा रहीं हैं.
विपक्षी गठबंधन के एक प्रमुख नेता मौलाना फ़ज़लुर्रहमान ने इमरान ख़ान के इस बयान का जवाब गुजरानवाला में दिया.
रैली को संबोधित करते हुए मौलाना ने कहा, "भारत ने उस वक़्त ख़ुशियां मनाई थीं, जब पाकिस्तान के चुनाव में धांधली हुई थी, जब एक नक़ली प्रधानमंत्री को देश पर थोपा गया था. आप पाकिस्तान के एजेंडे पर सत्ता में नहीं आए हैं, आप इसराइल या अमरीका के एजेंडे पर सत्ता में आए हैं."
इमरान ख़ान ने भी किया पलटवार
सेना के बारे में मौलाना फ़ज़लुर्रहमान ने कहा, "सेना से हमारी कोई लड़ाई नहीं है. लेकिन अगर आप देश की सरहदों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी से हटकर राजनीति में हस्तक्षेप करते हैं, संविधान के ख़िलाफ़ काम करते हैं, धांधलियां करवाते हैं तो फिर आपके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना हमारा नहीं तो फिर किसका काम है."
पीडीएम का दूसरा जलसा पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में रविवार (18 अक्टूबर) को होगा.
अख़बार जंग ने लिखा है, "पीडीएम का दूसरा पावर शो आज कराची में होगा."
इसके लिए सारी तैयारियाँ कर ली गईं हैं. नवाज़ शरीफ़ इस रैली को भी वीडियो लिंक के ज़रिए संबोधित कर सकते हैं लेकिन पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के आसिफ़ अली ज़रदारी बीमार होने की वजह से रैली में शामिल नहीं होंगे. हालांकि उनकी पार्टी ही इस रैली की मेज़बानी कर रही है.
इमरान ख़ान ने भी नवाज़ शरीफ़ पर पलटवार किया है.
उन्होंने कहा, "नवाज़ शरीफ़ एक गीदड़ की तरह दुम दबाकर भाग गया और वहां बैठकर सेना प्रुमख और आईएसआई (पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी) के ख़िलाफ़ बातें कर रहे हैं. नवाज़ शरीफ़ ने सिर्फ़ जनरल क़मर जावेद बाजवा पर नहीं, पूरी पाकिस्तानी फ़ौज पर हमला किया है."
इमरान ख़ान ने कहा कि नवाज़ शरीफ़ के इस भाषण के बाद आप एक नए इमरान ख़ान को देखेंगे.
अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार इमरान ख़ान ने कहा कि "कभी-कभी सोचता हूं, विपक्षी नेताओं को माफ़ कर दूं, मेरी ज़िंदगी आसान हो जाएगी. लेकिन ये पाकिस्तान के लिए तबाही का रास्ता है. ज़िंदगी में कभी-कभी मुश्किल फ़ैसले करने पड़ते हैं और वही फ़ैसले आपको ऊपर ले जाते हैं." (bbc.com)
सैन फ्रांसिस्को, 19 अक्टूबर| कैलिफोर्निया के ओकलैंड शहर में गोलीबारी की अलग-अलग घटनाओं में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और एक 13 वर्षीय लड़के सहित तीन अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी और कहा कि दोनों घटनाओं का आपस में लेना देना नहीं है। समाचार पत्र ईस्ट बे टाइम्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि रविवार को 90 मिनट के भीतर गोलीबारी की दो घटनाएं हुईं।
पुलिस ने कहा कि पहली वारदात में एक 56 वर्षीय व्यक्ति को शहर के इंटरनेशनल बुलेवार्ड के 8300 ब्लॉक में गोली मार दी गई। उसका एक शख्स के साछ झगड़ा हुआ था, जिसके बाद यह कांड हो गया।
व्यक्ति को अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
रविवार को दूसरी घटना में, मैकआर्थर बुलेवार्ड के 9900 ब्लॉक में एक आवास के अंदर एक 35 वर्षीय महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
ईस्ट बे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस को अभी तक इसके पीछे की वजह का पता नहीं चला है और दोनों घटनाओं में गिरफ्तारी होनी बाकी है।
इस बीच, कोर्टलैंड एवेन्यू के 2400 ब्लॉक में रविवार शाम को 13 वर्षीय लड़के को कई बार गोली मारी गई।
लड़के और दो अन्य घायलों की हालत स्थिर बताई जा रही है।
ओकलैंड के पुलिस और क्राइम स्टॉपर्स संदिग्धों की गिरफ्तारी की सूचना के लिए प्रत्येक हत्याकांड में 10,000 डॉलर तक और नॉन-फैटल घटना में 5,000 डॉलर तक का इनाम दे रहे हैं। (आईएएनएस)
पाकिस्तान में इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ 11 पार्टियाँ संयुक्त मोर्चे पीडीएम (ऑल पार्टीज़ डेमोक्रेटिक मूवमेंट) के तहत गुजरांवाला में हुए पहले बड़े प्रदर्शन के बाद रविवार को कराची के जिन्ना-बाग़ में जलसा कर रही हैं. इस रैली में शामिल होने मरियम नवाज़, बिलावल भुट्टो समेत अन्य कई नेता पहुंचे हैं.
मरियम नवाज़ पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की बेटी हैं और बिलावल भुट्टो पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के बेटे हैं.
बाग़-ए-जिन्ना में रैली की तैयारी करने वाली पाकिस्तान पीपल्स पार्टी का कहना है कि नवाज़ शरीफ़ के ऑनलाइन भाषण की तैयारियाँ भी पूरी कर ली गई हैं.
इस रैली में विशेष अथिति पीएमएल-एन (पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन) की नेता मरियम नवाज़ हैं जो सिंध में अपनी राजनीति की शुरुआत कर रही हैं.
मरियम नवाज़ हवाई मार्ग से कराची पहुँचीं और पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मज़ार पर भी गईं. पीएमएल-एन नेता और पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद ख़ान अब्बासी और पार्टी के अन्य नेता भी उनके साथ मौजूद रहे.
जनता का प्रतिनिधित्व ठीक से नहीं कर पाए: मरियम नवाज़
इससे पहले कराची के एक होटल में मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में मरियम नवाज़ ने कहा कि उन्हें कराची में जिस तरह से प्यार मिला वह याद रहेगा. उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि जनता महंगाई से परेशान है.
उन्होंने ये भी कहा, ''हम जनता का सही तरह से प्रतिनिधित्व नहीं कर सके.''
दो दिन पहले विपक्षी गठबंधन की पहली रैली गुजरांवाला में हुई थी जिसमें पीएमएल-एन के नेता नवाज़ शरीफ़ ने अपने भाषण में सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा पर अपनी सरकार को विदा करने और इमरान ख़ान की सरकार के लिए जोड़तोड़ करने का आरोप लगाया था.
इसी बीच पीडीएम के प्रमुख मौलाना फज़लुर्रहमान भी कराची पहुँचे हैं और उन्होंने एक निजी अस्पताल में भर्ती पूर्व राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी से भी मुलाक़ात की है.
पीडीएम की बैठक शुरू होने से पहले गठबंधन दलों की भी बैठक हुई है.
पीडीएम की पहली रैली में पश्तीन तहरीक आंदोलन के नेतृत्व को आमंत्रित नहीं किया गया था लेकिन इस दूसरी रैली में सांसद मोहसिन डावर भी हिस्सा लेंगे. वो कराची पहुंच चुकी हैं.
पीपीपी नेता नाज़ बलूच ने ट्विटर पर कार्यक्रम स्थल और अपने साथी नेताओं की तस्वीरें शेयर की हैं.
वहीं इमरान ख़ान की सरकार के मंत्रियों ने 11 पार्टियों के गठबंधन की रैली से पहले एक संवाददाता सम्मेलन में गठबंधन की आलोचना की है.
केंद्रीय मंत्री असद उमर ने कहा कि नवाज़ शरीफ़ संस्थाओं के साथ लड़ रहे हैं और ये लोकतंत्र के हित में नहीं हैं.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के नेता शहबाज़ गुल ने मरियम नवाज़ पर जिन्ना के मज़ार पर पहुंच कर राजनीतिक नारेबाज़ी करने का आरोप लगाया.
सेना प्रमुख नहीं सेना पर हमला कर रहे हैं विपक्षी: इमरान ख़ान
18 अक्तूबर का पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के लिए ऐतिहासिक महत्व भी है.
13 साल पहले इसी दिन पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के काफ़िले पर आत्मघाती हमला किया गया था जिसमें पार्टी के करीब 200 कार्यकर्ता मारे गए थे और 500 लोग घायल हो गए थे. उस वक़्त भुट्टो आठ साल के निर्वासन के बाद देश लौटीं थीं.
गुजरांवाला में हुई रैली में नवाज़ शरीफ़, मरियम नवाज़ और बिलावल भुट्टो ने इमरान ख़ान और सेना प्रमुख पर आक्रामक होकर हमला किया था.
शनिवार को इमरान ख़ान ने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि ये हमला सेना प्रमुख नहीं बल्कि सेना पर ही था.
क्या कराची में भी ऐसी ही तीख़ी बयानबाज़ी होगी?
पत्रकार मुबाशिर ज़ैदी का मानना है कि कराची में भी सरकार विरोधी भावनाएं हैं और यहाँ विपक्ष का हमला गुजरांवाला से भी ज़्यादा आक्रामक होगा.
वहीं, कराची यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर डॉक्टर जफ़र अहमद का कहना है कि कराची की राजनीति में सक्रिय एमक्यूएम और पीटीआई दोनों ही सत्ता के साथ हैं. महंगाई और दूसरे मुद्दे कराची में भी मौजूद हैं लेकिन किसी भी पार्टी ने अभी तक इस पर शोर नहीं मचाया है.
पिछले चुनावों में पीटीआई और एमक्यूएम ने कराची से सबसे ज़्यादा सीटें जीती थीं. दोनों पार्टियाँ अब केंद्र में सहयोगी हैं जबकि सिंध में वो विपक्ष की भूमिका निभा रही हैं.
पत्रकार मुबाशिर ज़ैदी का कहना है कि एमक्यूम का प्रदर्शन गिर गया है और पीटीआई ने भी मतदाताओं को निराश किया है. ऐसे में कराची का यह विरोध प्रदर्शन पीडीएम को फ़ायदा पहुँचाएगा.
जनता की सहानुभूति है लेकिन...
कराची में उर्दू भाषी आबादी पर अपना असर रखने वाले जमात-इस्लामी ने विपक्षी गठबंधन से ख़ुद को दूर कर लिया है.
वहीं, मुस्तफ़ा कमाल की पाक सरज़मीन पार्टी (पीएसपी) और अफ़क़ अहमद की एमक्यूएम वास्तव में गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं.
पीएमएल-एन ने 1990 के दशक में सिंध में दो बार प्रांतीय सरकार का गठन किया था. उसन पिछले स्थानीय निकाय के चुनावों में भी कई सीटें जीतीं.
प्रोफ़ेसर तौसीफ़ अहमद कहते हैं कि पंजाबी और हजारा लोगों के बीच पीएमएल-एन की सहानुभूति है लेकिन यह लामबंद नहीं हुआ है.
वहीं, डॉक्टर जाफ़र अहमद कहते हैं कि कुछ लोग हमदर्दी की वजह से मरियम नवाज़ को सुनने के लिए जा सकते हैं लेकिन सच तो ये है कि उन्होंने जनता के लिए ज़मीन पर कुछ ख़ास काम नहीं किया है.(bbc)
आर्मीनिया और अज़रबैजान ने विवादित क्षेत्र नागोर्नो काराबाख़ में एक दूसरे पर संघर्ष विराम तोड़ने के आरोप लगाए हैं. दोनों ही पक्ष शनिवार रात 12 बजे से संघर्ष विराम लागू करने पर राज़ी हो गए थे.
लेकिन अब आर्मीनिया के रक्षा मंत्रलाय की एक प्रवक्ता ने कहा है कि अज़रबैजान ने संघर्ष विराम लागू होने के चार मिनट बाद ही तोप के गोले और रॉकेट दागे हैं. वहीं, बाद में एक बयान में अज़रबैजान की ओर से कहा गया है कि आर्मीनिया ने दो मिनट बाद ही गोलीबारी शुरू कर दी थी.
दोनों ही देशों ने बीते शनिवार भी रूस की मध्यस्थता के बाद संघर्षविराम के लिए समझौता किया था. हालांकि उस समझौते के बाद भी लड़ाई जारी रही थी. बीते महीने दोनों देशों के बीच उस विवादित क्षेत्र को लेकर लड़ाई शुरू हो गई है जिसे अंतरराष्ट्रीय जगत अज़रबैजान का हिस्सा मानता है लेकिन जिस पर आर्मीनियाई लोगों का नियंत्रण है.
इस लड़ाई में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है. इस क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच छह साल लंबा चला युद्ध 1994 में समझौते के साथ समाप्त हो गया था. उसके बाद से ये अब तक का सबसे हिंसक संघर्ष है.
बीते सप्ताह जब रूस की मध्यस्थता में हुआ समझौता टूटा था तब भी दोनों देशों ने एक दूसरे पर पहले गोलीबारी करने के आरोप लगाए थे.
क्या है ताज़ा समझौता
दोनों ही देशों ने मानवीय समझौते की पुष्टि की है लेकिन इसके बारे में अधिक जानकारियां साझा नहीं की गई हैं. अज़रबैजान के विदेश मंत्रालय का कहना है कि ये फ़ैसला अमरीका, फ्रांस और रूस के राष्ट्रपतियों की ओर से जारी बयान पर आधारित है.
1992 में नागार्नो काराबाख़ विवाद के निपटारे के लिए ओएससीई मिंस्क ग्रुप की स्थापना की गई थी जिसके ये तीनों देश सदस्य हैं. आर्मीनिया के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता एना नाग़दालयान ने ऐसा ही बयान जारी करते हुए कहा है कि वो संघर्ष क्षेत्र में संघर्ष विराम के प्रयासों का स्वागत करते हैं.
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने शनिवार को दोनों ही देशों के विदेश मंत्रियों से चर्चा की है और कहा है कि उन्हें समझौते का कड़ाई से पालन करना होगा. सर्गेई लावरोफ़ की मौजूदगी में ही बीते शनिवार को समझौता हुआ था.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने कहा है कि उनके देश भी संघर्ष विराम पर नज़दीकी नज़र रखेगा.
ज़मीन पर ताज़ा स्थिति क्या है?
आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता शूशान स्टेपन्यान ने ट्विटर पर बताया है, "दुश्मनों ने 00.04 बजे से 02.45 बजे तक उत्तरी दिशा में तोपों से गोलाबारी की और 02.20 से 02.45 तक दक्षिणी दिशा में रॉकेट दागे."
उन्होंने बाद में बताया कि अज़रबैजान की ओर से नागोर्नो काराबाख़ के दक्षिणी इलाक़ों पर रविवार सुबह हमला किया गया. बीबीसी से बात करते हुए आर्मीनिया के विदेश मंत्री ज़ोहराब म्नातसाकान्यान ने कहा है कि संघर्ष विराम उल्लंघन के लिए उनका देश ज़िम्मेदार नहीं है.
उन्होंने अज़रबैजान पर तनाव कम करने में रूची ना लेने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, "अज़रबैजान की यही नीति है, दूसरे पर आरोप लगा दो और आक्रमण जारी रखो."
वहीं अज़रबैजान के राष्ट्रपति के विदेश मामलों के प्रमुख हिकमत हाजीयेफ़ का कहना है कि ताज़ा लड़ाई के लिए आर्मीनिया ही ज़िम्मेदार है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, 'आर्मीनिया मौजूदा संघर्षविराम का फ़ायदा अपनी स्थिति मज़बूत करने और अज़रबैजान के नए इलाक़ों पर क़ब्ज़ा करने के लिए उठा रहा है.'
उन्होंने कहा, 'कल उन्होंने अज़रबैजान की सेना पर घात लगाकर हमला किया और उन्हें मारने की कोशिश की. ये ऐसे सवाल है जिनका जवाब आर्मीनिया को देना चाहिए.'
अज़रबैजान ने आर्मीनिया पर मिसाइल हमला करने का आरोप लगाया है. शनिवार को हुए इस हमले में कम से कम 13 लोग मारे गए हैं और 45 घायल हैं. ये हमला गांजा शहर में हुआ है जो युद्ध क्षेत्र से काफ़ी दूर है.
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए एक और बयान में आर्मीनिया पर नागरिक इलाक़ों पर अंधाधुंध हमले करने के आरोप लगाए गए हैं.
आर्मीनिया ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए अज़रबैजान पर नागरिक इलाक़ों पर हमले करने के आरोप लगाए हैं.
स्टेपनयान ने फ़ेसबुक पर एक वीडियो जारी करते हुए नागार्नो काराबाख़ इलाक़े में हुई बर्बादी दिखाई है और अज़रबैजानी सैन्य बलों पर नागरिक इलाक़ों पर मिसाइल हमले करने के आरोप लगाए हैं.
अज़रबैजान का दावा, आर्मीनिया का लड़ाकू विमान दूसरी बार मार गिराया
अज़रबैजान की फ़ौज ने घोषणा की है कि उसने आर्मीनिया के दूसरे एसयू-25 विमान को जेबरैल के क्षेत्र में मार गिराया है. हालांकि उन्होंने सबूत के तौर पर कोई तस्वीर, वीडियो या फिर कोई दूसरा प्रमाण नहीं पेश किया है.
आर्मीनिया के रक्षा मंत्री ने दोनों ही बार विमान के मार गिराए जाने की बात से इनकार किया है. अज़रबैजान ने यह भी कहा है कि आर्मीनिया ने सीमा के उत्तरी हिस्से में उसके क्षेत्र में गोलीबारी की है. यह क्षेत्र तोवुज़ शहर के नज़दीक है.
हालांकि इस हमले की पुष्टि के तौर पर भी किसी ने कोई प्रमाण नहीं देखा है. आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा है किसी ने भी उस क्षेत्र में गोलीबारी नहीं की है.
आर्मीनियाई फ़ौज ने आरोप लगाया है कि शांति समझौते की शुरुआत होने से ठीक पहले रेड क्रॉस ने घायलों को लड़ाई के मैदान से हटाने का प्रस्ताव रखा था लेकिन अज़रबैजान ने इससे इनकार कर दिया.
दोनों ही तरफ से इस तरह की बयानबाजी हो रही है जिसकी कोई पुष्टि नहीं की जा सकती है. लेकिन समय समय इसके बारे में बताते रहना जरूरी है क्योंकि दोनों ही देश ना सिर्फ़ लड़ाई के मैदान में लड़ रहे है बल्कि वे हर संभव तरीके से सूचनाओं की लड़ाई (इनफॉरमेशन वार) में भी जुटे हुए हैं.
उधर, आर्मीनिया ने मरने वाले अपने जवानों की सूची में 40 नए नाम जोड़े हैं. अब आर्मीनिया के कुल 673 जवान मारे जाने वालों की सूची में शामिल हो गए हैं. वहीं दूसरी तरफ़ अज़रबैजान ने लड़ाई में मारे गए जवानों की अपनी सूची जारी नहीं की है.
अज़रबैजान और आर्मीनिया की जंग में पाकिस्तानी स्पेशल फोर्स
पाकिस्तान ने आर्मीनिया की ओर से लगाए इस आरोप को ख़ारिज कर दिया है कि पाकिस्तानी स्पेशल फोर्स अज़रबैजान की सेना के साथ मिलकर आर्मीनिया के ख़िलाफ़ लड़ाई में हिस्सा ले रही है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस मामले में स्पष्टीकरण दिया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान की टिप्पणी को 'आधारहीन और अनुचित' बताया गया है.
15 अक्टूबर को आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान ने रूसी समाचार एजेंसी रोसिया सेगोदन्या को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि तुर्की की सेना के साथ मिलकर पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स आर्मीनिया के ख़िलाफ़ नागोर्नो-काराबाख़ में जारी लड़ाई में शामिल है.
उनसे पूछा गया कि क्या उनके पास इस बात का कोई प्रमाण है कि अज़रबैजान की सेना को विदेशी सैन्यबलों का भी साथ मिल रहा है.
इस पर निकोल पाशिन्यान ने कहा कि "कुछ रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि जंग में पाकिस्तानी फौज का विशेष दस्ता भी शामिल है. मेरा मानना है कि तुर्की के सैनिक इस लड़ाई में शामिल हैं. अब ये बात जगज़ाहिर हो चुकी है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इस बारे में लिखा जा रहा है."
पाकिस्तान का खंडन
पाकिस्तान ने इस बात का खंडन करते हुए बयान दिया है कि आर्मीनिया इस तरह के ग़ैर-जिम्मेदाराना प्रोपेगैंडा के माध्यम से अज़रबैजान के ख़िलाफ़ अपनी ग़ैर-क़ानूनी कार्रवाई को छिपाने की कोशिश कर रहा है, इसे तुरंत रोका जाना चाहिए.
पाकिस्तान ने अपने बयान में कहा है, "अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने इस मसले पर साफ तौर पर कहा कि उनके देश की सेना अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए पर्याप्त तौर पर मज़बूत है और उसे किसी बाहरी सेना की जरूरत नहीं है."
हालांकि पाकिस्तान ने अपने बयान में यह साफ तौर पर कहा है कि वो अज़रबैजान को कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन देता रहेगा.
इससे पहले पाकिस्तान और तुर्की ने अज़रबैजान को नैतिक समर्थन देने की बात कही थी. वहीं, रूस दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कर शांति कायम करने की कोशिशों में लगा हुआ है.
आर्मीनिया और पाकिस्तान के बीच संबंध
अज़रबैजान और तुर्की के साथ पाकिस्तान से करीबी रिश्ते हैं. शायद इस कारण उसके आर्मीनिया के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं.
नागोर्नो काराबाख़ में जारी विवाद को लेकर पाकिस्तान मानता है कि आर्मीनिया ने अज़रबैजान के इलाक़े में कब्ज़ा किया है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुसार इस विवाद का निपटारा होना चाहिए.
वहीं, आर्मीनिया के विदेश मंत्रालय के अनुसार भी पाकिस्तान के साथ उनके कूटनीतिक रिश्ते नहीं है.
आर्मीनिया का दावा, अज़रबैजान का इनकार
आर्मीनिया ने इससे पहले यह भी दावा किया था कि तुर्की केवल कूटनीतिक समर्थन नहीं कर रहा है, बल्कि सैन्य सहायता भी दे रहा है.
आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान ने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के साथ एक बातचीत में दावा किया था कि तुर्की के सैनिक अफ़सर और इंस्ट्रक्टर काराबाख़ में अज़रबैजान की सेना को सलाह दे रहे हैं और तुर्की ने अपने लड़ाकू विमान एफ़-16 भेजे हैं.
उन्होंने कहा था, "तुर्की पूरी तरह से अज़रबैजान की सैन्य मदद कर रहा है. तुर्की इसमें शामिल है." लेकिन तुर्की ने भी सैन्य मदद की बात को नकारा था और केवल नैतिक समर्थन को स्वीकार किया था.
आर्मीनिया और अज़रबैजान दोनों ही देश सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके हैं. दोनों के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद एक बार फिर भड़क उठा है. ताज़ा विवाद की शुरुआत भी दोनों देशों की तरफ से एक-दूसरे हमला करने के दावे के साथ हुई है.
नागोर्नो-काराबाख़ के बारे में कुछ बातें
ये 4,400 वर्ग किलोमीटर यानी 1,700 वर्ग मील का पहाड़ी इलाक़ा है.
पारंपरिक तौर पर यहां ईसाई आर्मीनियाई और तुर्क मुसलमान रहते हैं.
सोवियत संघ के विघटन से पहले ये एक सवायत्त क्षेत्र बन गया था जो अज़रबैजान का हिस्सा था.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस इलाक़े को अज़रबैजान के हिस्से के रूप में मान्यता दी जाती है, लेकिन यहां की अधिकांश आबादी आर्मीनियाई है.
आर्मीनिया समेत संयुक्त राष्ट्र का कोई सदस्य किसी स्व-घोषित अधिकारी को मान्यता नहीं देता.
1980 के दशक से अंत से 1990 के दशक तक चले युद्ध में 30 हज़ार से अधिक लोगों की जानें गईं. उस दौरान अलगावादी ताक़तों ने कुछ इलाक़ों पर कब्ज़ा जमा लिया.
उस दौरान अलगावादी ताक़तों ने नागोर्नो-काराबाख के कुछ इलाक़ों पर कब्ज़ा जमा लिया. 1994 में यहाँ युद्धविराम की घोषणा हुई थी, उसके बाद भी यहाँ गतिरोध जारी है और अक्सर इस क्षेत्र में तनाव पैदा हो जाता है.
1994 में यहां युद्धविराम हुआ जिसके बाद से यहां गतिरोध जारी है.
तुर्की खुल कर अज़रबैजान का समर्थन करता है.
यहां रूस का एक सैन्य ठिकाना है.(bbc)
वाशिंगटन, रायटर। चीन सरकार ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि न्याय विभाग द्वारा चीनी सेना से जुड़े विद्वानों के खिलाफ मुकदमा चलाने के जवाब में वह अपने यहां अमेरिकी लोगों को हिरासत में ले सकता है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने मामले के जानकार लोगों के हवाले से कहा है कि चीनी अधिकारियों ने अमेरिका सरकार को कई चैनलों के जरिये यह चेतावनी दी है।
अखबार ने लिखा, चीन ने अमेरिका को संदेश भिजवाया है कि उसे अमेरिकी अदालत में चीनी विद्वानों पर मुकदमा चलाना बंद कर देना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर चीन में रह रहे अमेरिकियों पर चीनी कानून के उल्लंघन का मामला चलाया जाएगा। व्हाइट हाउस ने यह मामला विदेश विभाग के पास भेज दिया है, जिसने इस पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
न्याय विभाग ने भी इस संबंध में पूछे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने भी इस मामले में पूछे जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी विदेश विभाग ने 14 सितंबर को एडवाइजरी जारी कर अमेरिकियों को चीन की यात्रा नहीं करने की सलाह दी थी।
उसने कहा था कि चीन सरकार अमेरिका और अन्य देशों के नागरिकों को हिरासत में लेकर विदेशी सरकारों के साथ सौदेबाजी करना चाहती है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन चीन पर अमेरिका की तकनीकी, सैन्य और रणनीतिक सूचनाओं की जानकारी हासिल करने के लिए साइबर गतिविधियां चलाने और जासूसी करने का आरोप लगाता रहा है।
मौजूदा वक्त में चीन से दुनिया के तमाम देश परेशान हैं। दक्षिणपूर्व के समुद्री तट पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की गतिविधियां तेज हो गई हैं। चीन ने ताइवान के नजदीक अत्याधुनिक मिसाइल तैनात की हैं। हालांकि चीन का कहना है कि उसने ताइवान से हमले की आशंका में ही ये तैयारियां शुरू की हैं।
वहीं कनाडा की रक्षा एजेंसी ने दावा किया है कि चीन की गतिविधियां पहले की अपेक्षा दो गुना बढ़ गई हैं। चीन के मार्निग पोस्ट की खबर के मुताबिक यहां पर डीएफ 11 और डीएफ 15 मिसाइल दशकों से तैनात थीं, अब डीएफ 17 हाइपरसोनिक मिसाइल तैनात की जा रही हैं। ये मिसाइल लंबी दूरी तक मार करने और सटीक निशाना लगाने में सक्षम हैं।
कनाडा स्थित कांबा रक्षा केन्द्र के अनुसार उपग्रह से ली गई तस्वीरों में स्पष्ट हो रहा है कि फूजियान और ग्वांगडोंग में चीन नौसेना और मिसाइल की क्षमता को बढ़ा रहा है। यहां मिसाइलों की संख्या पिछले कुछ वर्षो में दो गुना हो गई हैं। ये सब ताइवान को निशाने पर रखकर किया जा रहा है। (jagran)
रियाद 19 अक्टूबर (स्पूतनिक) सऊदी अरब में मुस्लिम समुदाय का पवित्र तीर्थ स्थल मक्का मस्जिद को सात महीने बाद रविवार को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया।
यह मस्जिद वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण गत सात महीने से श्रद्धालुओं के लिए बंद थी।
सरकारी न्यूज एजेंसी एसपीए ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कोरोना वायरस को लेकर लागू पाबंदियों को हटाने के दूसरे चरण में अपने नागरिकों और निवासियों के लिए पवित्र शहर उमर तीर्थयात्रा को फिर से शुरू किया है और श्रद्धालुओं की क्षमता को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है।
एजेंसी ने बताया कि हज एवं उमराह मंत्री कोविड-19 की रोकथाम को लेकर सभी आवश्यक एहतियात को लागू करवाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। मस्जिद परिसर की सफाई के लिए लगभग 4,000 कर्मचारियों को लगाया गया है और मस्जिद परिसर को दिन में 10 बार कीटाणुशोधन किया जा रहा है।
हमजा अमीर, 19 अक्टूबर | पाकिस्तान में अधिकारियों द्वारा टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद चीनी कंपनी को इस्लामाबाद के इस फैसले पर बेहद पछतावा है। कंपनी ने इस ओर इशारा किया है कि अगर किसी वजह से इसे अनब्लॉक किया जाता है, जो इसके संसाधनों को एक नए सिरे से पेश करने की उम्मीद जताई जा सकती है। अपने एक बयान में टिकटॉक ने पाकिस्तान में इसके उपयोगकर्ताओं के प्रति खेद जताया है, क्योंकि वे पिछले करीब एक हफ्ते से इस एप की सेवा का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
टिकटॉक की मूल कंपनी बाइटडांस ने एक बयान में कहा, "हम इस वजह से दुखी हैं, क्योंकि पाकिस्तान में हमारे यूजर्स और क्रिएटर्स पिछले एक हफ्ते से अधिक समय से टिकटॉक का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण (पीटीए) ने हमारी सेवा पर रोक लगा दी है।"
बयान में आगे कहा गया, "टिकटॉक का मकसद रचनात्मकता और आनंद को बढ़ावा देना है और पाकिस्तान में हमने यही किया है। हमने एक समुदाय की रचना की है, जिनकी रचनात्मकता और जुनून ने पाकिस्तान के हर घर में खुशियों का संचार किया है और साथ ही यह असाधारण रूप से प्रतिभाशाली व्यक्तियों के लिए आय का स्रोत बनकर भी उभरा है।"
इसमें आगे यह भी कहा गया, "अगर भविष्य में पाकिस्तान हमारी सेवाओं के संचार को फिर से शुरू करता है, तो हम बाजार में अपने संसाधनों को नए सिरे से पेश करने पर विचार कर सकते हैं।"(आईएएनएस)
अज़रबैजान की फ़ौज ने घोषणा की है कि उसने आर्मीनिया के दूसरे एसयू-25 विमान को जेबरैल के क्षेत्र में मार गिराया है. हालांकि उन्होंने सबूत के तौर पर कोई तस्वीर, वीडियो या फिर कोई दूसरा प्रमाण नहीं पेश किया है.
आर्मीनिया के रक्षा मंत्री ने दोनों ही बार विमान के मार गिराए जाने की बात से इनकार किया है. अज़रबैजान ने यह भी कहा है कि आर्मीनिया ने सीमा के उत्तरी हिस्से में उसके क्षेत्र में गोलीबारी की है. यह क्षेत्र तोवुज़ शहर के नज़दीक है.
हालांकि इस हमले की पुष्टि के तौर पर भी किसी ने कोई प्रमाण नहीं देखा है. आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा है किसी ने भी उस क्षेत्र में गोलीबारी नहीं की है.
आर्मीनियाई फ़ौज ने आरोप लगाया है कि शांति समझौते की शुरुआत होने से ठीक पहले रेड क्रॉस ने घायलों को लड़ाई के मैदान से हटाने का प्रस्ताव रखा था लेकिन अज़रबैजान ने इससे इनकार कर दिया.
दोनों ही तरफ से इस तरह की बयानबाजी हो रही है जिसकी कोई पुष्टि नहीं की जा सकती है. लेकिन समय समय इसके बारे में बताते रहना जरूरी है क्योंकि दोनों ही देश ना सिर्फ़ लड़ाई के मैदान में लड़ रहे है बल्कि वे हर संभव तरीके से सूचनाओं की लड़ाई (इनफॉरमेशन वार) में भी जुटे हुए हैं.
उधर, आर्मीनिया ने मरने वाले अपने जवानों की सूची में 40 नए नाम जोड़े हैं. अब आर्मीनिया के कुल 673 जवान मारे जाने वालों की सूची में शामिल हो गए हैं. वहीं दूसरी तरफ़ अज़रबैजान ने लड़ाई में मारे गए जवानों की अपनी सूची जारी नहीं की है.
अज़रबैजान और आर्मीनिया की जंग में पाकिस्तानी स्पेशल फोर्स
पाकिस्तान ने आर्मीनिया की ओर से लगाए इस आरोप को ख़ारिज कर दिया है कि पाकिस्तानी स्पेशल फोर्स अज़रबैजान की सेना के साथ मिलकर आर्मीनिया के ख़िलाफ़ लड़ाई में हिस्सा ले रही है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस मामले में स्पष्टीकरण दिया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान की टिप्पणी को 'आधारहीन और अनुचित' बताया गया है.
15 अक्टूबर को आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान ने रूसी समाचार एजेंसी रोसिया सेगोदन्या को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि तुर्की की सेना के साथ मिलकर पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स आर्मीनिया के ख़िलाफ़ नागोर्नो-काराबाख़ में जारी लड़ाई में शामिल है.
उनसे पूछा गया कि क्या उनके पास इस बात का कोई प्रमाण है कि अज़रबैजान की सेना को विदेशी सैन्यबलों का भी साथ मिल रहा है.
इस पर निकोल पाशिन्यान ने कहा कि "कुछ रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि जंग में पाकिस्तानी फौज का विशेष दस्ता भी शामिल है. मेरा मानना है कि तुर्की के सैनिक इस लड़ाई में शामिल हैं. अब ये बात जगज़ाहिर हो चुकी है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इस बारे में लिखा जा रहा है."
पाकिस्तान का खंडन
पाकिस्तान ने इस बात का खंडन करते हुए बयान दिया है कि आर्मीनिया इस तरह के ग़ैर-जिम्मेदाराना प्रोपेगैंडा के माध्यम से अज़रबैजान के ख़िलाफ़ अपनी ग़ैर-क़ानूनी कार्रवाई को छिपाने की कोशिश कर रहा है, इसे तुरंत रोका जाना चाहिए.
पाकिस्तान ने अपने बयान में कहा है, "अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने इस मसले पर साफ तौर पर कहा कि उनके देश की सेना अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए पर्याप्त तौर पर मज़बूत है और उसे किसी बाहरी सेना की जरूरत नहीं है."
हालांकि पाकिस्तान ने अपने बयान में यह साफ तौर पर कहा है कि वो अज़रबैजान को कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन देता रहेगा.
इससे पहले पाकिस्तान और तुर्की ने अज़रबैजान को नैतिक समर्थन देने की बात कही थी. वहीं, रूस दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कर शांति कायम करने की कोशिशों में लगा हुआ है.
It is regrettable that leadership of #Armenia is resorting to irresponsible propaganda to cover up its illegal actions against #Azerbaijan . 1/2@AzerbaijanMFA @Ali_F_Alizada pic.twitter.com/TzSHLQGx72
— Spokesperson ???????? MoFA (@ForeignOfficePk) October 17, 2020
आर्मीनिया और पाकिस्तान के बीच संबंध
अज़रबैजान और तुर्की के साथ पाकिस्तान से करीबी रिश्ते हैं. शायद इस कारण उसके आर्मीनिया के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं.
नागोर्नो काराबाख़ में जारी विवाद को लेकर पाकिस्तान मानता है कि आर्मीनिया ने अज़रबैजान के इलाक़े में कब्ज़ा किया है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुसार इस विवाद का निपटारा होना चाहिए.
वहीं, आर्मीनिया के विदेश मंत्रालय के अनुसार भी पाकिस्तान के साथ उनके कूटनीतिक रिश्ते नहीं है.
I extend warmest felicitations to @presidentaz & fraternal people of #Azerbaijan on their Independence Day. We pay tribute to Azeri forces valiantly defending their territorial integrity.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) October 18, 2020
???????? stands with ???????? in its quest to resolve Nagorno-Karabakh issue as per UNSC resolutions
आर्मीनिया का दावा, अज़रबैजान का इनकार
आर्मीनिया ने इससे पहले यह भी दावा किया था कि तुर्की केवल कूटनीतिक समर्थन नहीं कर रहा है, बल्कि सैन्य सहायता भी दे रहा है.
आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान ने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के साथ एक बातचीत में दावा किया था कि तुर्की के सैनिक अफ़सर और इंस्ट्रक्टर काराबाख़ में अज़रबैजान की सेना को सलाह दे रहे हैं और तुर्की ने अपने लड़ाकू विमान एफ़-16 भेजे हैं.
उन्होंने कहा था, "तुर्की पूरी तरह से अज़रबैजान की सैन्य मदद कर रहा है. तुर्की इसमें शामिल है." लेकिन तुर्की ने भी सैन्य मदद की बात को नकारा था और केवल नैतिक समर्थन को स्वीकार किया था.
आर्मीनिया और अज़रबैजान दोनों ही देश सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके हैं. दोनों के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद एक बार फिर भड़क उठा है. ताज़ा विवाद की शुरुआत भी दोनों देशों की तरफ से एक-दूसरे हमला करने के दावे के साथ हुई है.
नागोर्नो-काराबाख़ के बारे में कुछ बातें
ये 4,400 वर्ग किलोमीटर यानी 1,700 वर्ग मील का पहाड़ी इलाक़ा है.
पारंपरिक तौर पर यहां ईसाई आर्मीनियाई और तुर्क मुसलमान रहते हैं.
सोवियत संघ के विघटन से पहले ये एक सवायत्त क्षेत्र बन गया था जो अज़रबैजान का हिस्सा था.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस इलाक़े को अज़रबैजान के हिस्से के रूप में मान्यता दी जाती है, लेकिन यहां की अधिकांश आबादी आर्मीनियाई है.
आर्मीनिया समेत संयुक्त राष्ट्र का कोई सदस्य किसी स्व-घोषित अधिकारी को मान्यता नहीं देता.
1980 के दशक से अंत से 1990 के दशक तक चले युद्ध में 30 हज़ार से अधिक लोगों की जानें गईं. उस दौरान अलगावादी ताक़तों ने कुछ इलाक़ों पर कब्ज़ा जमा लिया.
उस दौरान अलगावादी ताक़तों ने नागोर्नो-काराबाख के कुछ इलाक़ों पर कब्ज़ा जमा लिया. 1994 में यहाँ युद्धविराम की घोषणा हुई थी, उसके बाद भी यहाँ गतिरोध जारी है और अक्सर इस क्षेत्र में तनाव पैदा हो जाता है.
1994 में यहां युद्धविराम हुआ जिसके बाद से यहां गतिरोध जारी है.
तुर्की खुल कर अज़रबैजान का समर्थन करता है.
यहां रूस का एक सैन्य ठिकाना है.(BBCNEWS)
बीजिंग, 18 अक्टूबर | 17 अक्टूबर को गरीबी उन्मूलन अंतर्राष्ट्रीय दिवस था। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने भाषण देते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से महामारी के दौरान और बाद में गरीबी में फंसे लोगों के साथ खड़े होने और आवश्यक सहायता प्रदान करने का आह्वान किया। गुटरेस ने कहा: दुनिया के सबसे गरीब लोगों के लिए कोविड-19 महामारी एक दोहरा संकट है। सबसे पहले, गरीबों का वायरस से संक्रमित होने का उच्चतम जोखिम होता है और अच्छी गुणवत्ता वाली देखभाल पाने का कम से कम मौका होता है। दूसरा, ताजा अनुमान है कि इस वर्ष महामारी के कारण 11.5 करोड़ लोग गरीबी में फंसेंगे, जो हाल के दशकों में दुनिया में गरीब लोगों की संख्या में पहली वृद्धि है। महिलाओं के नौकरी खोने की अधिक संभावना है और सामाजिक गारंटी प्राप्त करने की कम संभावना है। इसलिए उनके सामने जोखिम और अधिक है।
गुटरेस ने कहा कि इस विशेष अवधि में दुनिया को गरीबी से लड़ने के लिए असाधारण प्रयास करने की जरूरत है। कोविड-19 महामारी के सामने विभिन्न देशों को मजबूत सामूहिक कार्रवाई करनी चाहिए, आर्थिक परिवर्तन को तेज करने के साथ-साथ हरित व निरंतर बहाली में निवेश करना चाहिए।
-- आईएएनएस-एसकेपी