राष्ट्रीय
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता रहने के लिए देश में सबसे सुरक्षित महानगर है. इसके बावजूद इसके राज्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध चिंता का विषय बन गए हैं.
डॉयचे वेले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट
नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी वर्ष 2020 के आंकड़ों से यह बात सामने आई है. इसमें कहा गया है कि दिल्ली, मुंबई और चेन्नई के मुकाबले कोलकाता में वर्ष 2020 में आपराधिक मामलों में काफी कमी आई है.
एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि 20 लाख से ज्यादा आबादी वाले 19 शहरों में से 129.5 के स्कोर के साथ कोलकाता लगातार तीसरे साल भी सबसे सुरक्षित महानगर के तौर पर सामने आया है. 129.5 प्रति एक लाख लोगों पर दर्ज होने वाले अपराधों का आंकड़ा है.
इस सूची में 233 के स्कोर के साथ हैदराबाद दूसरे और 318.5 के साथ मुंबई तीसरे नंबर पर है. 1608.6 के स्कोर के साथ राजधानी दिल्ली सातवें स्थान पर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोलकाता में बीते छह वर्षों यानी वर्ष 2014 से आपराधिक मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है. वर्ष 2014 में महानगर में जहां 28,226 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे वहीं 2020 में यह आंकड़ा 18,277 है.
इस दौरान महानगर में हत्या के महज 53 मामले सामने आए. इसके अलावा हत्या के प्रयास के 121 मामले सामने आए जबकि वर्ष 2018 में ऐसे क्रमशः 55 और 143 मामले दर्ज किए गए थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षित राज्यों की सूची में बंगाल आठवें स्थान पर है. राज्य में अपराध की दर 186.6 है जो राष्ट्रीय औसत 478.4 से काफी कम है.
सबतोअच्छानहीं
हालांकि एनसीआरबी रिपोर्ट में बंगाल के लिए सब कुछ अच्छा ही नहीं है. इसमें कहा गया है कि राज्य में बीते तीन वर्षों के दौरान बच्चों के खिलाफ आपराधिक मामलों में काफी तेजी आई है और वर्ष 2019 के 6,191 मामलों के मुकाबले यह आंकड़ा 10,284 तक पहुंच गया है.
17,008 मामलों के साथ मध्य प्रदेश इस मामले में पहले स्थान पर है. उसके बाद क्रमशः उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र का स्थान है. हालांकि कई अन्य राज्यों की तुलना में बंगाल में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध की दर कम है. राज्य में तीन करोड़ बच्चे हैं और उनके खिलाफ अपराध की दर 34 है.
इसी तरह महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के मामलों में भी वृद्धि हुई है. बीते एक साल के दौरान जहां दिल्ली और उत्तर प्रदेश में ऐसे मामलों में कमी आई है वहीं बंगाल और ओडीशा में ये बढ़े हैं. बंगाल में वर्ष 2019 में ऐसे 29,859 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2020 में यह आंकड़ा बढ़ कर 36,439 तक पहुंच गया है. वैसे, इस दौरान सिर्फ नौ महिलाओं की ही हत्या हुई.
महिलाओंकेखिलाफअपराध
रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ दर्ज होने वाले कुल मामलों में से 19,962 यानी आधे से ज्यादा पति के हाथों उत्पीड़न और घरेलू हिंसा से संबंधित हैं. महिला कार्यकर्ताओं का कहना है कि राज्य में महिलाओं के जागरूक होने की वजह से ऐसे अधिक से अधिक मामले पुलिस के सामने आ रहे हैं. यही वजह है कि इन आंकड़ों में वृद्धि दर्ज की गई है.
वर्ष 2020 के दौरान राज्य में बलात्कार के 1128 मामले दर्ज होने के बावजूद यह देश के शीर्ष दस राज्यों की सूची में शामिल नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 76.2 है जो तेलंगाना, राजस्थान, हरियाणा, असम और ओडीशा के मुकाबले बहुत कम है.
राज्य में हत्या के प्रयास के मामले में भी बंगाल शीर्ष पर है.यहां इस दौरान ऐसे 14,751 मामले दर्ज किए गए, पुलिस का कहना है कि अपराधियों के खिलाफ इस आरोप में मामला दर्ज करने का मकसद समाज को एक मजबूत संदेश देना है ताकि ऐसे मामलों पर अंकुश लगाया जा सके.
आखिरयहविरोधाभासक्यों?
कोलकाता के लगातार तीसरे साल भी सबसे सुरक्षित महानगर के तौर पर सामने आने के बावजूद राज्य में खासकर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले आखिर क्यों बढ़ रहे हैं? विशेषज्ञों में इसकी वजहों पर आम राय नहीं है.
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लीना गांगुली कहती हैं, "लॉकडाउन के नकारात्मक पहलुओं के असर से पूरी दुनिया जूझ रही है. बंगाल कोई अपवाद नहीं है. प्रशासन और सरकार पर भरोसा होने की वजह से ही अधिक से अधिक महिलाएं अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों और अपराधों की शिकायत लेकर सामने आ रही हैं."
उनका कहना है कि बीते साल के दौरान ऐसे मामले तेजी से बढ़े हैं. पहले इसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती थी. लॉकडाउन में पति, पत्नी और घर के बाकी सदस्य ज्यादातर समय एक साथ गुजारते हैं. ऐसे में मतभेद और टकराव बढ़ना स्वाभाविक है.
महिला कार्यकर्ता शाश्वती घोष कहती हैं, "कोई भी महिला सहनशक्ति खत्म होने के बाद ही ऐसे मामलों की शिकायत लेकर सामने आती है. इसकी वजह यह है कि एक बार पुलिस में शिकायत करने के बाद किसी भी महिला के लिए ससुराल के दरवाजे बंद हो जाते हैं. मुझे लगता है कि यह महज लॉकडाउन का असर नहीं है. अत्याचार तो पहले से ही होते रहे थे. अब अधिक से अधिक महिलाएं शिकायत लेकर सामने आ रही हैं."
उधर, कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त प्रसून मुखर्जी कहते हैं, "ये आंकड़े सामाजिक पतन का प्रतीक हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए था. लेकिन लंबे लॉकडाउन के दौरान घर में ही बंद रहना भी इसकी एक प्रमुख वजह हो सकती है." (dw.com)
अभिनेता सोनू सूद से जुड़े ठिकानों पर आयकर विभाग ने और ऐक्टिविस्ट हर्ष मंदर से जुड़े ठिकानों पर ईडी ने छापे मारे हैं. सवाल उठ रहे हैं कि क्या एक बार फिर जांच एजेंसियों का राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ऐक्टिविस्ट हर्ष मंदर के नई दिल्ली स्थित घर पर, उनकी संस्था सेंटर फॉर एक्विटी स्टडीज के दफ्तर पर और उनके द्वारा चलाए जाने वाले एक बाल गृह पर छापे मारे हैं. ईडी ने अभी तक इस बारे में कोई बयान नहीं दिया है. ये छापे मंदर की अनुपस्थिति में मारे गए.
वो गुरुवार की सुबह ही अपनी पत्नी के साथ एक फेलोशिप के लिए जर्मनी रवाना हो गए थे. मंदर पूर्व आईएएस अधिकारी और जाने माने ऐक्टिविस्ट हैं. उन्हें आरटीआई, भोजन का अधिकार, सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों की मदद, नागरिकता कानून का विरोध और तालाबंदी के दौरान प्रवासी श्रमिकों की मदद जैसे अभियानों के लिए जाना जाता है.
वो यूपीए सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य भी थे. भोजन का अधिकार विषय पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें विशेष आयुक्त के रूप में भी नियुक्त किया था. उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस के मुखर आलोचक के रूप में भी जाना जाता है.
2020 में राष्ट्रीय बाल आयोग ने मंदर से जुड़े दो बाल गृहों पर छापे मारे थे. आयोग का आरोप था कि वहां इंफ्रास्ट्रक्चर, फंडिंग और लाइसेसं से जुड़ी कई अनियमितताएं पाई गईं. आयोग के मुताबिक इन केंद्रों पर कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन भी नहीं हो रहा था.
आयोग ने यह आरोप भी लगाया कि इनमें से एक केंद्र पर बच्चों का यौन शोषण भी किया गया था. आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूंगो ने यह आरोप भी लगाया कि इन बाल गृहों से बच्चों को नागरिकता कानून के विरोध में आयोजित किए गए प्रदर्शनों में भी ले जाया गया था.
आयोग की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की थी और इस मामले पर फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस सुनवाई के दौरान दिल्ली बाल अधिकार आयोग ने अदालत में एक हलफनामा दायर कर कहा कि उसने राष्ट्रीय आयोग की शिकायतों पर जांच की थी लेकिन कुछ कमियों के अलावा किसी भी शिकायत का सबूत नहीं मिला.
ईडी की इस कार्रवाई की कई लोगों ने आलोचना की है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर छापों की निंदा की.
उधर 15 सितंबर को आयकर विभाग ने मुंबई और लखनऊ में सोनू सूद से जुड़े छह ठिकानों पर "सर्वेक्षण" किया. सूद के खिलाफ छापों को हाल ही में उनके दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मंच साझा करने से जोड़ कर देखा जा राजा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सूद के समर्थन में ट्वीट किया.
16 सितंबर को भी सूद के घर और दफ्तर पर विभाग की कार्रवाई जारी रही. इस पूरी कार्रवाई पर विभाग ने कोई बयान नहीं दिया है लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि विभाग को सूद की एक कंपनी और लखनऊ स्थित एक कंपनी के बीच हुए जमीन के सौदे में कर चोरी की शिकायत मिली थी. इन "सर्वेक्षणों" में विभाग को कुछ बरामद नहीं हुआ.
कुछ ही दिनों पहले दो मीडिया संस्थानों न्यूजक्लिक और न्यूजलॉन्ड्री के दफ्तरों पर भी आयकर विभाग ने इस तरह के "सर्वेक्षण" किए थे.
(dw.com)
मुंबई, 16 सितम्बर | भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा ने गुरुवार को कहा कि मई से भारत की महंगाई दरों में गिरावट आई है। सीआईआई के वित्तीय बाजार शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा, मई के झटके से मुद्रास्फीति कम हो रही है, लेकिन मुख्य मुद्रास्फीति अभी भी ऊंचे स्तर पर बनी हुई है।
पात्रा के अनुसार, 'जब तक आवश्यक' आवास की मौद्रिक नीति का रुख प्रणाली में पर्याप्त तरलता में परिलक्षित होता है, जिसमें आरबीआई द्वारा दैनिक आधार पर 9 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध अधिशेष को अवशोषित किया जाता है।
हालांकि, बाजार आने वाले डेटा के साथ इस रुख का लगातार पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं और नीति के भविष्य के पाठ्यक्रम पर निश्चित आश्वासन मांग रहे हैं।
इसके अलावा, उन्होंने एमपीसी के आकलन की ओर इशारा किया कि मुद्रास्फीति के दबाव बड़े पैमाने पर आपूर्ति के झटके से प्रेरित होता हैं।
हालांकि इस प्रकार के झटके आम तौर पर क्षणिक होते हैं, झटके की बार-बार होने वाली घटनाएं मुद्रास्फीति को एक स्थिर चरित्र दे रही हैं। मुद्रास्फीति में योगदान माल के एक संकीर्ण समूह से निकल रहा है - सीपीआई के लगभग 20 प्रतिशत का गठन करने वाली वस्तुएं मुद्रास्फीति का 50 प्रतिशत से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि एमपीसी मूल्य स्थिरता के अपने प्राथमिक जनादेश के लिए प्रतिबद्ध है, जिसे संख्यात्मक रूप से 4 प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है, इसके चारों ओर प्लस या माइनस 2 प्रतिशत का सहिष्णुता बॉन्ड है।
विकास और मुद्रास्फीति के ²ष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए और अवस्फीति की अंतर्निहित उत्पादन लागत को ध्यान में रखते हुए, एक ग्लाइड पथ की परिकल्पना करना व्यावहारिक है। जिसके साथ एमपीसी भविष्य में मुद्रास्फीति के मार्ग को आगे बढ़ा सकता है।(आईएएनएस)
मघेपुरा, 16 सितम्बर | बिहार के मधेपुरा जिला के चौसा थाना क्षेत्र में गुरुवार को एक तालाब में डूबने से पांच बच्चों की मौत हो गई। इन बच्चों की उम्र 10 से 12 वर्ष के बीच बताई जाती है। सभी शवों को तालाब से बाहर निकाल लिया गया है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मनोहरपुर गांव के रहने वाले पांच बच्चे गुरुवार की दोपहर गांव के ही एक तालाब में कमल फूल तोड़ने गए थे। इसी दौरान तालाब में एक बच्ची का पैर फिसल गया और वह गहरे पानी में चली गई। उसे बचाने को लेकर अन्य बच्चे भी गहरे पानी में उतर गए, जिससे सभी पांच बच्चों की मौत हो गई।
तलाब में स्नान कर रहे अन्य बच्चों के शोर मचाए जाने के बाद आसपास के लोग जमा हुए और तालाब से सभी बच्चों को निकाला गया, लेकिन तब तक सभी की मौत हो चुकी थी।
घटना की सूचना मिलने के बाद पहुंची पुलिस ने सभी शवों को अपने कब्जे में लेकर उसे पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया है।
चौसा के थाना प्रभारी रवीश रंजन ने आईएएनएस को बताया कि मृतकों में नैंसी कुमारी, लक्ष्मी कुमारी, ललिता कुमारी, अस्मिता कुमारी और कृष्णा कुमार शामिल हैं। सभी मनोहरपुर गांव के ही रहने वाले हैं और सभी की उम्र 10 से 12 वर्ष के बीच है। उन्होंने कहा कि पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है।
एक साथ पांच शव देख गांव में कोहराम मच गया है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। (आईएएनएस)
संजीव शर्मा
नई दिल्ली, 16 सितम्बर | तालिबान के अफगानिस्तान के उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने अपने ठिकाने को लेकर भारी दबाव और सवालों के बीच अब एक वीडियो संदेश जारी किया है।
एआरवाई न्यूज ने बताया बरादर ने वीडियो में कहा, "मेरे स्वास्थ्य और मृत्यु के बारे में मीडिया में खबरें आई थीं। पिछली कुछ रातों से मैं यात्राओं पर गया हूं। इस समय मैं जहां भी हूं, हम सब ठीक हैं, मेरे सभी भाई और दोस्तों।"
"मीडिया हमेशा नकली प्रचार प्रकाशित करता है। इसलिए, उन सभी झूठों को बहादुरी से खारिज करें और मैं आपको 100 प्रतिशत पुष्टि करता हूं कि तालिबान के रैंक में कोई समस्या नहीं है और हमें कोई समस्या नहीं है।"
कतर के विदेश मंत्री की हाल की यात्रा पर, जहां वह अनुपस्थित थे। बरादर ने कहा कि वह यात्रा पर आए कतर के गणमान्य व्यक्ति से मिलने में असमर्थ थे, क्योंकि वह यात्रा पर थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कतर के विदेश मंत्री के अचानक अफगानिस्तान दौरे की सूचना मिली।
डेली मेल ने पहले बताया कि बरादर के भाग्य के बारे में अटकलें तेज हो गईं, जब तालिबान नेताओं ने रविवार को काबुल में कतर के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की, जिसमें वह स्पष्ट रूप से अनुपस्थित थे।
सोमवार को, तालिबान को इस बात से इनकार करने के लिए मजबूर किया गया था कि बरादर के मारे जाने की अफवाहें सामने आने के बाद कि वह अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ गोलीबारी के दौरान मारा गया था।
तालिबान ने जोर देकर कहा कि बरादार कंधार प्रांत में समूह के सर्वोच्च नेता मावलवी हिबतुल्ला अखुंदजादा के साथ देश के भविष्य पर चर्चा करने के लिए बैठक कर रहे हैं, अब अमेरिका वापस ले लिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, लेकिन सोशल मीडिया अफवाहों का मानना है कि वह वास्तव में काबुल के राष्ट्रपति महल में एक बंदूक की लड़ाई में मारा गया था, जो शक्तिशाली और क्रूर हक्कानी परिवार के साथ एक बैठक के दौरान छिड़ गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हक्कानी परिवार के तीन सदस्य कतर के प्रतिनिधियों के साथ नई अफगान सरकार के अन्य सदस्यों के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोहम्मद हसन अखुंद के नेतृत्व में शिखर सम्मेलन में थे।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह अफगानिस्तान में समूह की नई सरकार के गठन को लेकर तालिबान के नेताओं के बीच एक बड़ा विवाद छिड़ गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बरादर और एक कैबिनेट सदस्य के बीच राष्ट्रपति भवन में बहस हुई।
हाल के दिनों में बरादर के गायब होने के बाद से तालिबान के नेतृत्व में असहमति की अपुष्ट खबरें आई हैं।
तालिबान के एक सूत्र ने बीबीसी पश्तो को बताया कि बरादर और खलील उर-रहमान हक्कानी, शरणार्थियों के मंत्री और आतंकवादी हक्कानी नेटवर्क के भीतर एक प्रमुख व्यक्ति ने कड़े शब्दों का आदान-प्रदान किया था, क्योंकि उनके अनुयायी एक-दूसरे के साथ विवाद कर रहे थे।
तालिबान के सूत्रों ने बीबीसी को बताया कि बरादर ने काबुल छोड़ दिया था और विवाद के बाद कंधार शहर की यात्रा की थी।(आईएएनएस)
अगरतला, 16 सितम्बर | माकपा के त्रिपुरा राज्य सचिव और वरिष्ठ पत्रकार गौतम दास का गुरुवार को कोलकाता के एक अस्पताल में कोविड से मौत हो गई, डॉक्टरों और पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी। वह 70 वर्ष के थे। दास के परिवार में बेटी स्वागत दास और पत्नी तापती सेन हैं। दास का पार्थिव शरीर वापस अगरतला लाया जाएगा और शुक्रवार को यहां अंतिम संस्कार किए जाने की संभावना है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी की एक केंद्रीय समिति के सदस्य, दास ने पिछले महीने कोरोना से संक्रमित हुए थे और अगरतला में इलाज के बाद उन्हें कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भेज दिया गया, जहां उन्होंने गुरुवार की सुबह अंतिम सांस ली।
दास, जो अगरतला प्रेस क्लब के संस्थापक सदस्य थे, माकपा के मुखपत्र 'डेली देशेर कथा' के संस्थापक (1979) संपादक थे और उन्होंने 2015 तक इस पद पर रहे।
माकपा पोलित ब्यूरो ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एक बयान में कहा कि दास अपने स्कूली दिनों से ही त्रिपुरा में छात्र आंदोलन के तहत राजनीति में सक्रिय थे। 2018 में, दास सीपीआई-एम के राज्य सचिव बने और सांस्कृतिक आंदोलन में भी बहुत सक्रिय थे और वाम समर्थित साहित्यिक-सांस्कृतिक निकाय त्रिपुरा संस्कृति समन्वय केंद्र के संस्थापक सचिव थे।
दास 1968 में पार्टी में शामिल हुए और 1986 में त्रिपुरा राज्य समिति के सदस्य बने और 2015 में पार्टी की 21वीं कांग्रेस में केंद्रीय समिति के लिए चुने गए।
माकपा ने एक बयान में कहा कि उनके परिवार की जड़ें चटगांव में हैं और उन्हें बांग्लादेश से बहुत लगाव है। इससे उन्हें माकपा की ओर से पड़ोसी देश के राजनीतिक दलों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने में मदद मिली।
भाकपा- एम पोलित ब्यूरो के बयान में कहा गया है, "दास ने एक बहुत ही सादा जीवन बिताया और पार्टी के लिए उच्च निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथी थे। ऐसे समय में उनका जाना, जब पार्टी त्रिपुरा में शातिर और हिंसक हमलों का सामना कर रही है, एक बड़ी क्षति है।"(आईएएनएस)
चेन्नई, 16 सितम्बर | सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (डीवीएसी) ने गुरुवार को अन्नाद्रमुक के पूर्व मंत्री और झोलारपेट के विधायक के.सी. वीरमणि से जुड़े 28 ठिकानों पर छापे मारे। यह डवलपमेंट हाल ही में अन्नाद्रमुक के पूर्व मंत्रियों - एम.आर.विजयभास्कर और एसपी वेलुमणि के परिसरों पर छापेमारी के बाद सामने आया है।
डीवीएसी के अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि वे 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2021 तक की अवधि की जांच कर रहे हैं।
एआईएडीएमके नेता 2013 से 2016 की अवधि के दौरान स्कूल, शिक्षा, पुरातत्व, खेल और युवा कल्याण के साथ-साथ तमिल भाषा और तमिल संस्कृति मंत्री थे। एआईएडीएमके के 2016 में लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता संभालने के बाद, वीरमणि को वाणिज्य कर एवं पंजीकरण विभाग मंत्री के पद पर तैनात किया गया था।
छापेमारी के दौरान सूत्रों ने बताया कि डीवीएसी ने 2016 से पूर्व मंत्री की संपत्ति में वृद्धि से संबंधित कई दस्तावेजों का खुलासा किया है।
एजेंसी ने यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज की है कि पूर्व मंत्री ने 28 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की है, जिसका कोई हिसाब नहीं है।
प्राथमिकी में कहा गया है, "के.सी. वीरमणि भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल थे और उन्होंने जानबूझकर उसे अवैध रूप से समृद्ध किया और उसके नाम पर संपत्ति और आर्थिक संसाधन हासिल किए जो उसकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक हैं।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 16 सितम्बर | दक्षिण कोरियाई गेम डेवलपर कंपनी क्राफ्टन ने गुरुवार को घोषणा की कि पब्जी-न्यू स्टेट ने पिछले महीने 28 देशों में अपने दूसरे अल्फा टेस्ट के बाद गूगल प्ले और ऐप स्टोर पर आधिकारिक तौर पर 40 मिलियन से अधिक प्री-रजिस्ट्रेशन हासिल किए हैं। कंपनी ने एक बयान में कहा कि क्राफ्टन ने हाल ही में भारत में प्री-ऑर्डर खोले हैं, जिससे प्री-रजिस्ट्रेशन में बढ़ोतरी हुई है।
पब्जी: न्यू स्टेट के कार्यकारी निर्माता मिंक्यू पार्क ने कहा, हम वैश्विक स्तर पर प्रशंसकों के उत्साह और पब्जी स्टूडियो में उनके विश्वास के कारण सफलता के इस स्तर को हासिल करने में सक्षम हुए हैं।
पार्क ने कहा, हम अब पब्जी- न्यू स्टेट का दूसरा अल्फा टेस्ट कर रहे हैं और इस साल के अंत में इसके आधिकारिक लॉन्च से पहले गेम को पॉलिश करने के दौरान प्राप्त मूल्यवान फीडबैक लेने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
कंपनी ने यह भी घोषणा की कि वह औपचारिक रूप से पब्जी न्यू स्टेट की आधिकारिक लॉन्च तिथि अक्टूबर में तय करेगी।
पब्जी स्टूडियोस द्वारा विकसित, पब्जी न्यू स्टेट 2021 में एंड्रॉयड और आईओएस पर एक फ्री-टू-प्ले अनुभव के रूप में लॉन्च होगा।
कंपनी ने कहा कि पब्जी न्यू स्टेट ने पब्जी बैटलग्राउंड का ऑरिजिनल बैटल रॉयल अनुभव को फिर से बनाया है, जो इसे मोबाइल पर सबसे रियलिस्टिक बैटल रॉयल गेम बनाता है। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 16 सितम्बर | हैदराबाद में 6 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या के एक हफ्ते बाद गुरुवार को तेलंगाना के दो मंत्रियों ने उसके माता-पिता से मुलाकात की और 20 लाख रुपये का चेक दिया। गृह मंत्री मोहम्मद महमूद अली और महिला एवं बाल कल्याण मंत्री सत्यवती राठौर ने गुरुवार सुबह सैदाबाद क्षेत्र के सिंगरेनी कॉलोनी में पीड़ित परिवार से मुलाकात की।
मंत्रियों के दौरे के कुछ घंटे बाद पुलिस को आरोपी पल्कोंडा राजू (30) का शव जंगांव जिले के घनपुर स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर मिला।
मंत्रियों ने परिवार को ढांढस बंधाया और उन्हें दो-बेड रूम का घर आवंटित करने का भी वादा किया। उन्होंने पीड़िता के माता-पिता को आश्वासन दिया कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।
कुछ स्थानीय निवासियों ने बिना किसी पूर्व सूचना के मंत्रियों द्वारा पीड़ित परिवार से मिलने के तरीके पर अपना विरोध दर्ज कराया।
सेवा लाल बंजारा संघम के नेताओं ने मंत्रियों के दौरे को बाधित करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया।
बाद में, पीड़ित परिवार के सदस्यों ने कहा कि वे सरकार को चेक लौटा देंगे क्योंकि वे केवल न्याय चाहते हैं। लड़की के पिता ने संवाददाताओं से कहा कि मंत्री चेक को उनके घर पर छोड़ गए। उन्होंने कहा, "हमें चेक नहीं चाहिए। हम न्याय चाहते हैं।"
6 साल की बच्ची के पड़ोसी ने राजू ने 9 सितंबर को उसका यौन उत्पीड़न किया था और उसकी हत्या कर दी थी। इस घटना से लोगों में आक्रोश फैल गया।
राज्य सरकार मामले को संभालने के लिए विपक्ष की आलोचना के घेरे में आ गई थी। पीड़ित के घर का दौरा करने वाले विपक्षी नेताओं ने मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और उनके कैबिनेट सहयोगियों के परिवार से नहीं मिलने के लिए दोष पाया।
भगोड़े के लिए एक बड़े पैमाने पर तलाशी शुरू की गई थी और हैदराबाद पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए किसी भी जानकारी के लिए 10 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की थी।
आरोपी जंगांव जिले में रेलवे ट्रैक पर मृत पाया गया था। पुलिस ने दावा किया कि उसने खुद को ट्रेन के नीचे आकर आत्महत्या कर ली। शरीर की पहचान हाथों पर टैटू के निशान से हुई है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 16 सितम्बर | केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा और पोंटा साहिब में कथित रूप से 16 बैंको को 1,528 करोड़ की हानि पहुंचाने के आरोप में एक निजी कंपनी, उसके अधिकारियों और अन्य के परिसरों पर छापे मारे। एजेंसी के अनुसार, दिल्ली स्थित निजी फर्म इंडियन टेक्नोमैच, उसके सीएमडी, अन्य निजी व्यक्तियों और लोक सेवकों ने बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 16 बैंकों के एक कांस्टोरियम को 1,528.05 करोड़ रुपये का चूना लगाने की साजिश रची।
इस कांस्टोरियम में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, कॉपोर्रेशन बैंक, एचडीएफसी बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, सारस्वत को-ऑपरेटिव बैंक, स्टेट बैंक पटियाला, यूको बैंक, इलाहाबाद बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और डीबीएस बैंक शामिल हैं।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि लौह और अलौह धातु के निर्माण में लगी निजी कंपनी ने 2008 से 2013 तक 16 राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों के कांस्टोरियम से ऋण सुविधाएं और ऋण प्राप्त किए।
बयान में कहा गया है, "आरोपी ने कथित कृत्यों के माध्यम से बैंकों को धोखा देने और ऋण खाते से धन निकालने के इरादे से कथित रूप से साजिश रची और इस तरह बैंकों के उक्त कांस्टोरियम को 1,528.05 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।"
खाते को मार्च 2014 से बैंक ऑफ इंडिया के में एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया था, फिर बैंक द्वारा रेड फ्लैग किया गया और फरवरी 2016 में धोखाधड़ी घोषित की गई थी।(आईएएनएस)
बेंगलुरु, 16 सितम्बर | केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने तटीय जिलों के घने जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में संदिग्ध आतंकी गतिविधियों का पता लगाने के बाद कर्नाटक के 225 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र में रेड अलर्ट जारी किया है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने कारवार, दक्षिण कन्नड़ और चिकमगलूर जिलों में कई स्थानों से कॉल किए जाने का पता लगाया है, जो आतंकवादी और नक्सल गतिविधियों के लिए लंबे समय से खुफिया एजेंसियों के रडार पर हैं।
संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए जिलों के पहाड़ी और घने वन क्षेत्रों को शेल्टरों के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, पिछले सप्ताह कर्नाटक में इन स्थानों पर विदेशी स्थानों से कॉल किए गए थे।
कॉल लोकेशन को ट्रैक किया जा रहा है और जांच से पता चला है कि कॉल नापाक गतिविधियों को अंजाम देने के मंसूबों को अंजाम देने के लिए की जा रही हैं। सूत्र इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि क्या इन जगहों पर स्लीपर सेल विदेशी तत्वों द्वारा सक्रिय किए जा रहे हैं।
केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में चेतावनी दी है कि श्रीलंका के कम से कम 12 संदिग्ध आईएस आतंकवादी मछुआरों की आड़ में राज्य के तटीय जिलों में घुस आए हैं। इसी को देखते हुए तटीय क्षेत्रों में रेड अलर्ट की घोषणा की गई है।
सूत्रों का कहना है कि ये कॉल संदिग्ध आतंकियों की ओर से किए गए थे। यह भी संदेह है कि ये कॉल कर्नाटक के स्लीपर सेल से किए गए थे। खुफिया एजेंसियों को संदेह है कि संदिग्ध आतंकवादी थुरया सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं जो 2012 से भारत में प्रतिबंधित हैं।
खुफिया एजेंसियों ने पिछले महीने कर्नाटक और केरल में कई जगहों पर छापेमारी की थी। उन्होंने आतंकवादियों से संबंध रखने और भारत विरोधी दुष्प्रचार करने के आरोप में दो लोगों को हिरासत में भी लिया था।
मोहम्मद अहमद सिद्दीबप्पा उर्फ यासीन भटकल आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) का संस्थापक नेता था। उसे राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी (एनआईए) की मोस्ट वांटेड सूची में भी सूचीबद्ध किया गया था और वह कर्नाटक के तटीय शहर भटकल का रहने वाला था। (आईएएनएस)
रामपुर 16 सितम्बर | यूपी में एक नाबालिग दलित लड़की ने दो दिन पहले एक मृत बच्ची को जन्म दिया था। बच्चे के शव को दफनाने के बाद, पुलिस ने हाल में ही शव को फिर से बाहर निकाला, और उससे डीएनए लेकर सैंपलिंग के लिए भेजा है। डीएनए पुलिस को यह पता लगाने में मदद करेगा कि क्या आरोपी वास्तव में नाबालिग दलित लड़की का रेपिस्ट था, जिसका कथित तौर पर उसके द्वारा कई बार रेप किया गया था।
16 वर्षीय लड़की के परिवार के सदस्यों ने उस व्यक्ति, उसके चचेरे भाई और एक पड़ोसी पर उसके साथ बार-बार रेप करने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया कि लड़की के मृत बच्चे को जन्म देने के बाद, उन्होंने लड़की को कुछ लोगों की तस्वीरें दिखाईं और उसने बार-बार उस आदमी की ओर इशारा किया।
पुलिस ने कहा कि फिलहाल फरार आरोपी का डीएनए टेस्ट भी उसके पकड़े जाने के बाद किया जाएगा।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
परिवार की शिकायत के बाद पुलिस ने उस व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (रेप के लिए सजा) और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था।
अजीम नगर पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) रवींद्र कुमार ने कहा कि अभी तक, आरोपी फरार है और उसे पकड़ने के प्रयास जारी हैं। लड़की की मानसिक स्थिति को देखते हुए, हम उसके बयान पर भरोसा नहीं कर सकते। इसलिए, हम डीएनए परीक्षण कर रहे हैं। बच्चे का नमूना, जिसका शरीर से एकत्र कर लिया गया है।
दुष्कर्म पीड़िता ने दो दिन पहले सात माह की मृत बच्ची को जन्म दिया था।
परिवार ने दावा किया कि उन्हें उसकी गर्भावस्था के बारे में पता नहीं था। उन्हें इस बात का पता तब चला जब लड़की ने शनिवार की रात पेट में तेज दर्द की शिकायत की और फिर घर में मृत बच्चे को जन्म दिया। (आईएएनएस)
चंडीगढ़ : पंजाब में फाजिल्का जिले के जलालाबाद में बुधवार शाम को मोटरसाइकिल का पेट्रोल टैंक फट जाने के कारण मोटरसाइकिल सवार गंभीर रूप से ज़ख्मी हो गया है. यह जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि फिलहाल विस्फोट की वजह का पता नहीं चल पाया है.
पुलिस के अनुसार, मामले की तफ्तीश जारी है. मिली जानकारी के मुताबिक, घटना बुधवार शाम को उस वक्त हुई, जब मोटरसाइकिल सवार पुरानी सब्ज़ी मंडी से बैंक रोड की तरफ जा रहा था.
पुलिस ने बताया कि जब मोटरसाइकिल सवार बैंक शाखा के निकट पहुंचा, मोटरसाइकिल की पेट्रोल की टंकी फट गई, जिससे सवार ज़ख्मी हो गया. मोटरसाइकिल सवार को तुरंत ही अस्पताल पहुंचाया गया.
टाटा संस और स्पाइसजेट ने एयर इंडिया की बिक्री के लिए आधिकारिक तौर पर अपनी-अपनी बोलियां जमा कर दी हैं. बोली प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है.
डॉयचे वेले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट
टाटा संस और स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह ने राष्ट्रीय एयरलाइन में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए अपनी अंतिम बोलियां जमा की हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घरेलू विमानन कंपनी स्पाइसजेट के प्रमोटर सिंह ने कुछ अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर एयरलाइन के लिए एक संयुक्त बोली लगाई है.
टाटा की वर्तमान में दो एयरलाइनों में हिस्सेदारी है- एयरएशिया इंडिया, जो एक कम लागत वाली एयरलाइंस है और दूसरी फुल सर्विस एयरलाइन विस्तारा है. इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि बोली के लिए दो एयरलाइन कंपनियों में से कौन सी वाहन होगी. केंद्र सरकार एयर इंडिया में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाहती है. एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की समय सीमा बुधवार को समाप्त हुई.
विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहले ही साफ कर दिया था बोली लगाने की समय सीमा आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. एयर इंडिया की बिक्री में एआई एक्सप्रेस लिमिटेड में एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड की 50 फीसदी हिस्सेदारी शामिल है.
सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांता पांडे ने ट्विटर पर कहा कि विनिवेश प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "एयर इंडिया के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां लेनदेन सलाहकार को मिलीं. प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है."
टाटा की बोली बहुप्रतीक्षित थी, क्योंकि उसका नाम पिछले कुछ समय से चर्चा में था. वित्तवर्ष 2021-22 के बजट भाषण के दौरान, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सभी प्रस्तावित निजीकरण की प्रक्रिया वित्तीय वर्ष के अंत तक पूरी हो जाएगी, जिसमें एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश में बहुत देरी भी शामिल है.
एयर इंडिया पर भारी कर्ज
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अगर बोलियां सही पाई जाती हैं और प्रक्रिया सही ढंग से चलती है तो इस साल दिसंबर या अगले साल मार्च तक एयर इंडिया को उसका नया मालिक मिल जाएगा. एयर इंडिया पर करीब 43,000 करोड़ का कर्ज है, जिसमें से 22,000 करोड़ रुपये एयर इंडिया एसेट होल्डिंग लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिए जाएंगे.
टाटा ने ही की थी शुरूआत
टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की, जिसे बाद में 1946 में एयर इंडिया नाम दिया गया. सरकार ने 1953 में एयरलाइन का अधिग्रहण कर लिया था लेकिन जेआरडी टाटा 1977 तक इसके चेयरमैन बने रहे.
एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने का मौजूदा केंद्र सरकार का यह दूसरा प्रयास है. वर्तमान में एयर इंडिया देश में 4400 और विदेशों में 1800 लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट को नियंत्रण करती है. एयर इंडिया के विमान हर महीने 4400 घरेलू उड़ान भरते हैं. वहीं 1800 अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स भी उड़ान भरती हैं.
इस साल मई में एयर इंडिया के पास 173 विमानों का बेड़ा था, जिसमें 13 बोइंग 777-300 एक्सटेंडेड रेंज, तीन बोइंग 777-200 लॉन्ग रेंज, 27 बोइंग 787-800 और 27 एयरबस 321 न्यू इंजन विकल्प शामिल थे.
प्लांट बेस्ड पेय पदार्थों पर यह फैसला अचानक नहीं आया है. लंबे समय से भारतीय डेयरी उद्योग इसके लिए खाद्य नियामक पर दबाव डाल रहा था. वैसे 'असली दूध' को लेकर ऐसी ही कुछ लड़ाइयां यूरोप और अमेरिका में भी चली हैं.
डॉयचे वेले पर अविनाश द्विवेदी की रिपोर्ट
भारतीय फूड रेगुलेटर- फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने प्लांट बेस्ड पेय पदार्थों (बादाम का दूध, सोया मिल्क, अखरोट का दूध आदि) की कंपनियों को अपनी प्रचार सामग्री और लेबल से 'दूध' या 'मिल्क' शब्द हटाने को कहा है. ई-कॉमर्स कंपनियों से भी इन प्रोडक्ट्स को उनके दूध और डेयरी सेक्शन से हटाने के लिए कहा गया है.
इसका यह मतलब हुआ कि अब एमेजॉन इंडिया, फ्लिपकार्ट, बिगबास्केट और ग्रोफर्स जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डेयरी कैटेगरी में बादाम और सोया दूध जैसे पेय पदार्थ नहीं मिलेंगे. यह फैसला अचानक नहीं आया है, लंबे समय से भारत का डेयरी उद्योग इसके लिए खाद्य नियामक पर दबाव डाल रहा था. वैसे भी यह बहस सिर्फ भारत की न होकर दुनिया के कई देशों की है. यूरोप और अमेरिका में भी ऐसी लड़ाइयां चली हैं.
इनमें एक ओर 'वीगन मिल्क' रहे हैं और दूसरी ओर बड़ी डेयरियां. लड़ाई का केंद्र एक ही होता है- 'असल दूध क्या है?' और भारत में फिलहाल यह लड़ाई डेयरी उद्योग ने जीत ली है.
असल दूध क्या है
हैंडबुक ऑफ फूड केमिस्ट्री के मुताबिक दूध में वसा, प्रोटीन, एंजाइम्स, विटामिन्स और शुगर होते हैं और यह स्तनधारी जीवों में उनके बच्चों के पोषण के लिए पैदा होता है. वहीं भारत के खाद्य नियामक FSSAI का मानना है कि 'दूध' स्वस्थ स्तनधारी जानवरों (दुधारू मवेशियों) को पूर्ण रूप से दुहने से निकलने वाला एक साधारण स्राव है.
अलग-अलग जगहों पर भले ही दूध को अलग तरह से परिभाषित किया गया हो लेकिन एक बात पर सभी सहमत हैं कि दूध का स्तनधारी प्राणियों से सीधा जुड़ाव है. लेकिन पिछले एक दशक में कई सारे ऐसे उत्पाद 'दूध' या 'मिल्क' शब्द का उपयोग करते हुए बाजार में आ गए हैं, जिनका स्तनधारी जीवों से कोई लेना-देना नहीं है. ऐसे उत्पाद हैं- आमंड मिल्क, सोया मिल्क, वॉलनट मिल्क और ओट मिल्क आदि.
मेवों और अनाजों की प्रॉसेसिंग के जरिए बनाए गए ये एक तरह के तरल पदार्थ होते हैं, जो दूध जैसे लगते हैं. इस कड़ी में अब आलू जैसे प्रतिद्वंदी भी जुड़ गए हैं. ये सभी पौधों पर आधारित पेय हैं लेकिन लोग इन्हें गाय-भैंस के आम दूध के संभावित विकल्पों के तौर पर अपना रहे हैं. जाहिर सी बात है भारत का डेयरी उद्योग इससे खुश नहीं है.
ऐसे में नेशनल कॉपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया (NCDFI) और गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) की ओर से भारत के खाद्य नियामक के पास इनकी शिकायत की गई थी. GCMMF ही देशभर में अमूल के उत्पादों की सप्लायर है. ये संस्थाएं पिछले साल से ही यह कदम उठाए जाने की मांग कर रही थीं. डेयरी उद्योग से जुड़े लोगों का आरोप था कि 'दूध' या 'मिल्क' शब्द के प्रयोग से ग्राहकों को गुमराह किया जा रहा है.
दोनों ओर से दावे
डेयरी उद्योग से जुड़े लोग यह दावा भी कर रहे हैं कि प्लांट बेस्ड इन पेय पदार्थों में आम दूध जैसे पोषक तत्व नहीं होते. उनका एक आरोप यह भी है कि ये ब्रांड, किसानों की कई पीढ़ियों की मेहनत से बनी डेयरी मिल्क की पहचान का फायदा उठाने की कोशिश भी कर रहे हैं. मदर डेयरी के मैनेजिंग डायरेक्टर रहे संग्राम चौधरी कहते हैं, "मवेशियों और इंसानों के बीच का रिश्ता 10 हजार साल पुराना है. और दूध का मतलब सिर्फ दूध होता है. किसी अन्य उत्पाद को दूध कहकर नहीं बेचा जा सकता."
सफेद दूध का काला सच, तस्वीरों में
वहीं प्लांट बेस्ड दुग्ध उत्पाद बेचने वाली कंपनियां दावा करती हैं कि दूध का जानवरों से कोई लेना देना नहीं है. सालों से 'कोकोनट मिल्क' नाम का इस्तेमाल होता आ रहा है और आज भी इसे इसी नाम से जाना जाता है. हालांकि ऐसे तर्कों के बावजूद फिलहाल डेयरी इंडस्ट्री को जीत मिल चुकी है. नियामक ने भी दूध को लेकर चली बहस में उनका साथ दिया है.
डेयरी उद्योग का लंबा संघर्ष
ऐसी लड़ाई पहली बार हुई हो, ऐसा भी नहीं है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब वनस्पति तेल उत्पादकों ने इसकी मार्केटिंग 'वनस्पति घी' के तौर पर की थी, तब भी डेयरी उद्योग उनके खिलाफ खड़ा हो गया था. उनका दावा था कि घी को सिर्फ दूध में पाई जाने वाली वसा से ही निकाला जा सकता है. इसी तरह जब आइसक्रीम में दुग्ध उत्पादों की जगह वनस्पति तेल का प्रयोग शुरू हुआ, तब भी उन्होंने इस उद्योग पर ग्राहकों को गुमराह करने का आरोप लगाया.
यहां तक कि वे 'पीनट बटर' को भी निशाना बना चुके हैं, उनका तर्क है कि मूंगफली से मक्खन नहीं निकाला जा सकता. मतलब साफ है कि डेयरी उद्योग दुग्ध उत्पादों को बचाने के लिए सब कुछ करने को तैयार है. नियामक के फैसले के बाद GCMMF (अमूल) के मैनेजिंग डायरेक्टर आरएस सोढ़ी कहते हैं, "द फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स का 13वां सुधार कानून 1 जुलाई, 2018 से लागू है जो प्लांट बेस्ड पेय पदार्थों को डेयरी उत्पाद की कसौटी का उल्लंघन करने वाला मानता है. ऐसे में यह एक स्वागत योग्य कदम है."
असर पड़ना तय
आरएस सोढ़ी ने यह भी कहा, "यह कदम 10 करोड़ दूध उत्पादकों और किसानों के हितों की रक्षा करेगा. पौधों पर आधारित पेय पदार्थों का ज्यादातर कच्चा माल आयातित होता है. ऐसे में कड़े कानून न सिर्फ डेयरी किसानों की रक्षा करेंगे बल्कि ऐसे पदार्थों का निशाना बन सकने वाले ग्राहकों की भी."
हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि दूध के विकल्प के तौर पर नए उत्पादों को अपना रहे लोगों को शायद ही नाम बदलने से कोई खास फर्क पड़े. हां यह जरूर होगा कि अब इन पेय पदार्थों को ढूंढने में मुश्किल होगी क्योंकि यह वेबसाइट के डेयरी सेक्शन के बजाए पेय पदार्थों वाले सेक्शन में मिलेंगे. ऐसे में यह भी जाहिर है कि इससे ब्रांड पर लोगों का विश्वास कमजोर होगा, जिसका इनकी बिक्री पर असर होगा. यानी FSSAI का यह कदम फिलहाल प्लांट बेस्ड पेय पदार्थ बनाने और बेचने वालों के लिए बेहद बुरी खबर है. (dw.com)
नई दिल्ली, 15 सितम्बर : बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद (Sonu Sood) के ठिकानों पर आयकर 'सर्वे' की खबर को लेकर आम आदमी पार्टी( AAP) की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है. पार्टी नेता और सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh)ने कहा, 'मुझे यह जानकार हैरानी हो रही है कि जिस व्यक्ति ने कोरोना महामारी के दौरान दिन-रात लगकर लोगों के लिए काम किया, लोगों की जान बचाने के लिए काम किया, अपने घर के सामान को गिरवी रखकर लोगों की मदद की, उसके घर में इनकम टैक्स के छापे मारे जा रहे हैं. आखिर आप संदेश क्या देना चाहते हैं. इस देश में जिस व्यक्ति को सरकार को सम्मानित करना चाहिए, उसके यहां छापे पड़ रहे हैं.'उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जिनकी सरकारों में गंगा नदी में लाशें तैरती रहीं, चील-कौवे उन्हें नोचते नजर आए, और जो आदमी दिन-रात लोगों के लिए काम कर रहा है, मदद कर रहा है, उसके यहां आप छापे डलवा रहे हैं. ये बहुत ही शर्मनाक घटना है और मोदी सरकार की जितनी भर्त्सना की जाए, कम है.
जब संजय सिंह से पूछा गया कि क्या आम आदमी पार्टी (AAP) का ब्रांड एंबेसेडर बनने की वजह से सोनू सूद पर ये छापे पड़े हैं तो उनका कहना था कि जनता सब देख रही है. उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया ने तो 15 दिन पहले ही कह दिया था कि हमारे लोगों पर ईडी और इनकम टैक्स के छापे पड़ेंगे. लेकिन पूरे देश ने देखा है कि सोनू सूद ने कोरोना महामारी के दौरान कितना काम किया. मजदूरों, आम लोगों, कोरोना पीड़ितों की मदद की. बड़े से बड़े ऑपरेशन कराने और इलाज कराने में भी सोनू सूद का नाम आगे आता है. जब दिल्ली में हमारी सरकार ने ऑटो ऑक्सीजन की शुरुआत की थी तो सोनू सूद ने खुद फोन कर पूछा था कि इसमें वो किस तरह से मदद कर सकते हैं. ऐसे व्यक्ति को निशाना बनाकर और इनकम टैक्स का छापा डालकर आप क्या साबित करना चाहते हैं. क्या बहादुरी आप दिखाना चाहते है?
बता दें कि सोनू सूद दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के ‘देश का मेंटर' कार्यक्रम के ब्रांड अंबेसडर हैं. 27 अगस्त को खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसकी घोषणा की थी. इस कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों को उनकी पसंद का करियर चुनने के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा. केजरीवाल और सूद के बीच मुलाकात के बाद यह घोषणा की गई थी.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ये लोग हिंदू नहीं हैं, ये सिर्फ हिंदू धर्म का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कांग्रेस की महिला इकाई ‘अखिल भारतीय महिला कांग्रेस’ के स्थापना दिवस समारोह में दावा किया कि आरएसएस और बीजेपी के लोग ‘महिला शक्ति’ को दबा रहे हैं और भय का माहौल पैदा कर रहे हैं.
राहुल गांधी ने नोटबंदी और जीएसटी का जिक्र करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘लक्ष्मी की शक्ति’ और ‘दुर्गा की शक्ति’ पर आक्रमण किया है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘वे (आरएसएस और बीजेपी) अपने आपको हिंदू पार्टी कहते हैं और लक्ष्मी जी और मां दुर्गा पर आक्रमण करते हैं. फिर कहते हैं कि वे हिंदू हैं. ये लोग झूठे हिंदू हैं. ये लोग हिंदू नहीं हैं. ये हिंदू धर्म का इस्तेमाल करते हैं.’’
कांग्रेस नेता के मुताबिक, बीजेपी और आरएसएस के लोगों ने पूरे देश में डर फैलाया है, किसान डरे हुए हैं, महिलाएं डरी हुई हैं. उन्होंने कहा कि आरएसएस महिला शक्ति को दबाता है, लेकिन कांग्रेस का संगठन महिला शक्ति को समान मंच देता है.
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘अगर पिछले 100-200 साल में किसी एक व्यक्ति ने हिंदू धर्म को सबसे अच्छे तरीके से समझा और अपने व्यवहार में लाया, तो वह महात्मा गांधी हैं. इसे हम भी मानते हैं और आरएससस एवं बीजेपी के लोग भी मानते हैं... महात्मा गांधी ने अहिंसा को सबसे अच्छे तरीके से जिया. हिंदू धर्म की बुनियाद अहिंसा है. इसके बावजूद आरएसएस की विचारधारा द्वारा महात्मा गांधी को गोली क्यों मारी गई? इस बारे में आपको सोचना होगा.’’
उन्होंने कहा कि वह आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा के साथ कभी समझौता नहीं कर सकते. राहुल गांधी ने जोर देकर कहा, ‘‘देश में आरएससस और बीजेपी की सरकार है. इनकी विचारधारा और हमारी विचारधारा अलग अलग हैं. कांग्रेस की विचारधारा गांधी की विचारधारा है. गोडसे और सावरकर की विचारधारा और हमारी विचारधारा में क्या फर्क है, इसे हमें समझना होगा... हमें इनके खिलाफ प्रेम से लड़ना है. नफरत के जरिये हम नहीं लड़ सकते.’’
कोरोना महामारी के दौरान पूरे भारत में ढाई लाख लोगों को उनके घरों से बेदखल किया गया. अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि और तेजी से आर्थिक विकास के लिए अधिकारियों की नजर परियोजनाओं के लिए लाखों आवास को उखाड़ने पर है.
दिल्ली स्थित अधिकार समूह हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (HLRN) के मुताबिक मार्च 2020 से जुलाई 2021 तक अधिकारियों ने 43,000 से अधिक घरों को ध्वस्त किया. और हर घंटे लगभग 21 लोगों को उनके घरों से बेदखल किया जा रहा है.
नेटवर्क ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि लगभग सभी मामलों में अधिकारियों ने पर्याप्त नोटिस देने सहित उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया. बेदखल किए गए अधिकांश लोगों को सरकार से मुआवजा नहीं मिला है.
HLRN की कार्यकारी निदेशक शिवानी चौधरी के मुताबिक, "इस घातक महामारी के दौरान जब लोग जीवित रहने के लिए बहुत संघर्ष कर रहे थे तब आवास से बेदखली और तोड़फोड़ के कार्य ने गंभीर मानवाधिकार और मानवीय संकट में योगदान दिया है." हालांकि भारत में बेदखली पर कोई आधिकारिक डेटा नहीं है.
दिल्ली में जहां पिछले एक साल में हजारों लोगों के मकान उजड़ गए. दिल्ली विकास प्राधिकरण में भूमि प्रबंधन इकाई के निदेशक अमरीश कुमार के मुताबिक अधिकारियों ने केवल "अवैध अतिक्रमण" को ध्वस्त किया. कुमार के मुताबिक, "वे सरकारी जमीन पर मौजूद थे, जो जनता के लिए है."
संकट में गरीब
आवास विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया भर में बेघर लोग और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगाए प्रतिबंधों का खामियाजा भुगतना पड़ा है. ऐसे इलाकों में रहने वाले लोगों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. जुलाई में संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भारत सरकार को महामारी के दौरान बेदखली समाप्त करने के लिए अपील की थी.
आंकड़ों के मुताबिक भारत में 40 लाख से अधिक लोग बेघर हैं. लगभग साढ़े सात करोड़ लोग मलिन बस्तियों और शहरी बस्तियों में रहते हैं.
भारत सरकार शहरी क्षेत्र के गरीब लोगों के लिए 2022 तक दो करोड़ और ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों के लिए तीन करोड़ आवास देने का लक्ष्य कर रही है.
एचएलआरएन के मुताबिक भारत में लगभग 1.6 करोड़ लोगों पर बेदखली और विस्थापित होने का खतरा है, जिसमें लगभग 20 लाख वे लोग शामिल हैं जिनके वन भूमि के दावों को खारिज कर दिया गया है.
एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
नई दिल्ली, 15 सितम्बर | ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट की संवैधानिक वैधता और रिक्तियों से संबंधित मामले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। देश भर के ट्रिब्यूनलों में रिक्तियों को भरने पर विवाद के बीच शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देश भर के न्यायाधिकरणों के लिए इसकी सिफारिशों में से मन मुताबिक चयन के लिए सरकार की आलोचना करते हुए पूछा कि शीर्ष अदालत के मौजूदा न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाले पैनल की सिफारिशों की पवित्रता आखिर क्या रह गई है, जब सरकार इस मामले पर अपनी पसंद के चयन कर रही है।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और एल. नागेश्वर राव के साथ ही प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से कहा कि जिस तरह से केंद्र ने ट्रिब्यूनल में नियुक्तियां की हैं, उससे वह बहुत नाखुश है।
इसने उन्हें स्पष्ट रूप से बताया कि वह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाली खोज-सह-चयन समितियों (एससीएससी) द्वारा की गई सिफारिशों के बाद नियुक्ति के लिए केंद्र के मन-मुताबिक नामों की सराहना नहीं करते हैं।
इस बात पर जोर देते हुए कि चयन पैनल द्वारा अनुशंसित नामों, जिसमें शीर्ष अदालत के न्यायाधीश और दो वरिष्ठ नौकरशाह शामिल थे, को गंभीरता से नहीं लिया गया, शीर्ष अदालत ने केंद्र को नियुक्तियों को सही करने और कारण प्रस्तुत करने के लिए अंतिम अवसर के रूप में दो सप्ताह का समय दिया।
प्रधान न्यायाधीश ने केंद्र से सवाल करते हुए कहा, जो हो रहा है उससे हम बहुत नाखुश हैं। एससीएससी द्वारा की गई सिफारिशों को क्यों स्वीकार नहीं किया गया। एससीएससी नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करता है और फिर इसे मंजूरी के लिए केंद्र को भेजता है।
पीठ ने कहा, सभी नियुक्तियां करें। हम आपको दो सप्ताह का समय देते हैं।
पीठ ने बताया कि एससीएससी ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के लिए नौ न्यायिक सदस्यों और 10 तकनीकी सदस्यों की सिफारिश की और जारी किए गए नियुक्ति पत्र से पता चला कि सदस्यों को अपने मन-मुताबिक चुना गया और कुछ को प्रतीक्षा में रखा गया।
पीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, हम चयनित उम्मीदवारों की उपेक्षा नहीं कर सकते और प्रतीक्षा सूची में नहीं जा सकते। यह किस प्रकार का चयन और नियुक्ति है?
पीठ ने कहा, सेवा कानून में आप चयन सूची को नजरअंदाज करके प्रतीक्षा सूची से नियुक्ति नहीं कर सकते। यह किस प्रकार का चयन एवं नियुक्ति है?
एजी ने पीठ के समक्ष तर्क दिया कि सरकार के पास सिफारिश को स्वीकार नहीं करने की शक्ति है। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने जवाब दिया कि लोकतंत्र में कोई यह नहीं कह सकता कि सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत के मौजूदा न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाले पैनल द्वारा की गई सिफारिशों की पवित्रता आखिर क्या है?
सीजेआई ने कहा, मैंने एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) की नियुक्तियों को देखा है .. काफी सिफारिशें की गई थीं। लेकिन नियुक्तियां मन-मुताबिक की गईं।
निर्णयों पर नाखुशी व्यक्त करते हुए, उन्होंने कहा, यह किस तरह का चयन है? आईटीएटी (आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण) के सदस्यों के साथ भी यही किया गया।
प्रधान न्यायाधीश रमना ने आगे कहा कि वह एनसीएलटी चयन समिति का भी हिस्सा हैं और उन्होंने बताया कि समिति ने 544 लोगों का साक्षात्कार लिया, जिनमें से 11 नाम न्यायिक सदस्यों और 10 तकनीकी सदस्यों के लिए दिए गए थे। उन्होंने कहा, इन सभी सिफारिशों में से केवल कुछ को ही सरकार ने नियुक्त किया है, बाकी नाम प्रतीक्षा सूची में डाल दिए गए। हमने अपना समय बर्बाद किया।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि लोग तब अधर में लटक जाते हैं, जब वे उच्च न्यायालयों में जाते हैं और उन्हें न्यायाधिकरणों में जाने के लिए कहा जाता है। उन्होंने कहा, लेकिन न्यायाधिकरणों में रिक्तियां हैं।
शीर्ष अदालत ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट, 2021 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं और विभिन्न ट्रिब्यूनल में रिक्तियों के मुद्दे को उठाने वाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 15 सितंबर | टाटा संस ने अन्य बोलीदाताओं के साथ एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोली जमा की है। टाटा संस के प्रवक्ता ने कहा, "टाटा ने एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोली जमा की है।"
दीपम के सचिव तुहिन कांता पांडे ने ट्विटर पर कहा कि विनिवेश प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है।
उन्होंने पोस्ट किया, "एयर इंडिया के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां लेनदेन सलाहकार को मिलीं। प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है।"
टाटा ने वित्तीय बोली में अपनी भागीदारी की पुष्टि की है। सूत्रों ने कहा कि घरेलू वाहक स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह ने भी कर्ज में डूबे वाहक के लिए बोली लगाई हो सकती है।
टाटा की बोली बहुप्रतीक्षित थी, क्योंकि उसका नाम पिछले कुछ समय से चर्चा में था।
सरकार ने देर से राष्ट्रीय वाहक के निजीकरण को तेजी से ट्रैक करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
हाल ही में, सरकार ने राष्ट्रीय वाहक से एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड, एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) को संपत्ति के हस्तांतरण पर कर माफ करने का निर्णय लिया।
अधिसूचना में कहा गया है, "केंद्र सरकार एतद्द्वारा निर्दिष्ट करती है कि केंद्र द्वारा अनुमोदित योजना के तहत एयर इंडिया एसेट होल्डिंग लिमिटेड को अचल संपत्ति के हस्तांतरण के लिए एयर इंडिया लिमिटेड को किए गए किसी भी भुगतान पर उस अधिनियम की धारा 194-आईए के तहत कर की कोई कटौती नहीं की जाएगी।"
इसके अलावा, सीबीडीटी ने पूर्व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के नए मालिकों को प्रस्तावित निजीकरण प्रक्रियाओं के लिए अधिक रुचि बढ़ाने के लिए भविष्य के मुनाफे के खिलाफ घाटे को आगे बढ़ाने और उन्हें बंद करने की अनुमति दी।
वित्तवर्ष 22 के बजट भाषण के दौरान, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सभी प्रस्तावित निजीकरण की प्रक्रिया वित्तीय वर्ष के अंत तक पूरी हो जाएगी, जिसमें एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश में बहुत देरी भी शामिल है।(आईएएनएस)
कोलकाता, 15 सितम्बर | पुलिस ने एक 38 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिसने छोटी यात्राओं पर जाने की अपनी मां की कथित तौर पर हत्या कर दी थी और उन्हें दो साल तक अपने कमरे के फर्श के नीचे दफना दिया था। पूर्वी बर्दवान जिले के हाटुडेवान पिरताला कैनाल क्रॉसिंग पर हुई घटना का पता तब चला, जब मंगलवार को उसकी पत्नी ने पूरे मामले का खुलासा पुलिस के सामने किया। पुलिस के अनुसार मृतक महिला 58 वर्षीय सुकरान बीबी अपने छोटे बेटे सहिदुल शेख उर्फ नयन के साथ रहती थी। 10 जनवरी, 2019 को शेख ने अपनी मां की हत्या कर दी, क्योंकि वह एक छोटी यात्रा पर जाना चाहती थी। शेख ने उनके सिर पर किसी नुकीली सामान से हमला किया और फिर उनका गला घोंट दिया।
बर्दवान पुलिस स्टेशन के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "हत्या के समय वहां कोई नहीं था, इसलिए उसने अपने शयनकक्ष का फर्श खोदा और उसे वहीं दफना दिया। तब से वह हर दिन उस जगह पर अगरबत्ती जलाता था, जहां उसकी मां को दफनाया गया था"
स्थानीय लोगों के अनुसार सुकरान बीबी के लापता होने के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी। उसके लापता होने के बाद पीड़िता के बड़े बेटे किस्मत अली ने बर्दवान थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस को महिला के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
हाल ही में, शेख और उसकी पत्नी के बीच एक विवाद पैदा हो गया और उसने पूर्वी बर्दवान जिले के भातर में अपने पिता के घर जाने का फैसला किया। समस्या के समाधान के लिए अली मंगलवार को शेख की पत्नी से मिलने गया और घटना की जानकारी ली। वह फौरन थाने पहुंचे और उन्हें सूचना दी।
घटना के छह महीने बाद उससे शादी करने वाली शेख की पत्नी ने पुलिस को बताया कि उसका पति उसे रोज शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता था और कभी-कभी उससे कहता था कि उसने अपनी मां को मार डाला और शव को बेडरूम में दफना दिया, वह उसे भी इसी तरह मार डालेगा और दफना देगा। शेख की पत्नी ने कहा कि वह डर के मारे अपने पति का घर छोड़ गई है।
हालांकि, पुलिस ने मंगलवार की रात शेख को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन शव को बरामद करने के लिए कमरे की खुदाई करने से पहले उन्हें अदालत के आदेश का इंतजार करना पड़ा। बुधवार को पुलिस ने आवश्यक अनुमति मिलने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने बेडरूम के फर्श की खुदाई की और वहां कुछ हड्डियां मिलीं। अधिकारी ने कहा, "शरीर के अंगों को फोरेंसिक जांच और शव पोस्टमार्टम के लिए प्रयोगशाला भेज दिया गया है। हत्या की पुष्टि होने के बाद हम आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेंगे।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 15 सितंबर | सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ओडिशा प्रशासनिक न्यायाधिकरण (ओएटी) को खत्म करने के खिलाफ दायर एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा। जस्टिस एल. नागेश्वर राव, संजीव खन्ना और बी.आर. गवई ने यह देखते हुए कि यह कानून का सवाल है, जिसे तय करने की जरूरत है, केंद्र को नोटिस जारी किया और आठ सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
इससे पहले, उड़ीसा उच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया था और केंद्र के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा 2 अगस्त, 2019 को ओएटी को समाप्त करने वाली अधिसूचना को बरकरार रखा था।
उड़ीसा प्रशासनिक न्यायाधिकरण बार एसोसिएशन ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया।
याचिका में कहा गया है, "मौजूदा मामले में केंद्र अप्रत्यक्ष रूप से ऐसा करने के लिए जीसीए की धारा 21 को लागू नहीं कर सकता, जो सीधे एटी अधिनियम के तहत निषिद्ध था। सरकार का अवैध और मनमाना फैसला बरकरार रखने के बजाय रद्द किए जाने योग्य है।"
याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने सत्ता के दुरुपयोग पर ध्यान नहीं दिया और निर्णय को केवल एक प्रशासनिक कार्रवाई करार दिया।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आत्माराम नाडकर्णी ने पीठ के समक्ष दलील दी कि यह एक गंभीर मुद्दा है, जिस पर विचार करने की जरूरत है।
उच्च न्यायालय ने पाया था कि राज्य के इस दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सामग्री थी कि ओएटी ने वादियों को त्वरित न्याय देने के उद्देश्य को पूरा नहीं किया है।(आईएएनएस)
छपरा, 15 सितंबर | बिहार के सारण जिले के भगवान बाजार थाना क्षेत्र से पुलिस ने एक एंबुलेंस से 280 लीटर देसी शराब लदी एक एंबुलेंस जब्त की है। यह एंबुलेंस सांसद राजीव प्रताप रूड़ी के सांसद मद से खरीदी गई थी और संचालन की जिम्मेदारी एक समिति को दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने एंबुलेंस चालक को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर श्यामचक मुहल्ले में एंबुलेंस की तलाशी ली गई जिसमें 280 लीटर देसी शराब बरामद की गई।
उन्होंने बताया कि इस मामले में एंबुलेंस चालक डोरीगंज थाना क्षेत्र के चकिया गांव निवासी राकेश राय को गिरफ्तार किया गया है जबकि शराब तस्करी में शामिल एंबुलेंस सवार एक तस्कर फरार हो गया।
भगवान बाजार के थाना प्रभारी मुकेश कुमार झा ने आईएएनएस को बताया कि इस मामले की एक प्राथमिकी भगवान बाजार थाने में दर्ज कर ली गई है। उन्होंने बताया कि इस मामले में चालक राकेश राय, तेलपा गांव निवासी के सुगू राय एवं सदर प्रखंड के कोटवां पटटी रामपुर के मुखिया जयप्रकाश सिंह को नामजद तथा एक अन्य अज्ञात को आरोपी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।
इधर, इस घटना के बाद सांसद राजीव प्रताप रूड़ी ने संचालन समिति पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इस कार्रवाई के लिए पुलिस टीम को भी बधाई दी है।
सांसद राजीव प्रताप रूडी ने बताया कि एंबुलेंस की खरीददारी कर उसके संचालन के लिए सदर प्रखंड के कोटवां पट्टी रामपुर पंचायत के मुखिया जयप्रकाश सिंह को सौंप दी गई थी। वे ही पंचायत स्तरीय संचालन समिति के अध्यक्ष हैं।
उन्होंने कहा कि एंबुलेंस से शराब बरामद होने की सूचना मिली है। उन्होंने संचालन समिति पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग करते हुए कहा कि लोगों की सहायता के लिए एंबुलेंस दी गई है न कि शाराब ढ़ोने के लिए।(आईएएनएस)
चेन्नई, 15 सितम्बर | तमिलनाडु सरकार जहां जूनियर कक्षाओं के लिए स्कूलों को फिर से खोलने पर विचार कर रही है, वहीं तिरुपुर के दो स्कूलों के 16 सीनियर छात्र कोरोना से संक्रमित हो गये हैं। स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि तिरुपुर के कॉपोर्रेशन हायर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा 12 के आठ लड़कों ने मंगलवार शाम कोरोना से संक्रमित मिले। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कक्षाओं को कीटाणुरहित करने के लिए स्कूल बुधवार से शुक्रवार तक बंद रहेगा और सोमवार से ही खुला रहेगा।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि छात्र को कम लक्षण हैं और घर से आइसोलेट हैं।
स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पल्लदम, तिरुपुर के एक निजी उच्च माध्यमिक विद्यालय के आठ छात्रों ने भी कोरोना से संक्रमित हो गये। अधिकारियों ने कहा कि कक्षा 12 की एक लड़की पॉजिटिव मिली और उसके बाद स्कूल के अधिकारियों और स्वास्थ्य अधिकारियों ने 1,100 छात्रों के नमूने लिए गये।
टेस्ट रिपोर्ट ने संकेत दिया कि कक्षा 11 और 12 के सात छात्रों ने सकारात्मक टेस्ट किया। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि छात्र को कम लक्षण थे और होम आइसोलेशन में हैं।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस सप्ताह स्कूल बंद रहेगा और कक्षाओं में कीटाणुनाशक का छिड़काव किया जाएगा।
स्वास्थ्य सेवा के उप निदेशक, तिरुपुर जिले, के जगदीश कुमार ने कहा कि कोई भी स्कूल जहां तीन से अधिक कोविड -19 मामले सामने आएंगे, उन्हें स्वच्छता के लिए बंद कर दिया जाएगा। तिरुपुर का चिकित्सा विभाग स्कूली छात्रों और शिक्षकों के स्वाब के नमूने इकट्ठे किये जा रहे हैं, ताकि यह जांचा जा सके कि कहीं प्रसार तो नहीं हुआ है।
तिरुपुर के मुख्य शैक्षिक कार्यालय, बी. रमेश ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "तिरुपुर जिले में अब कोविड -19 पॉजिटिव टेस्ट करने वाले सरकारी स्कूल के छात्रों की संख्या 11 है। मेदाथुकुलम ब्लॉक के नौ सरकारी स्कूल शिक्षकों और ब्लॉक शैक्षिक अधिकारी का पॉजिटिव मिले।"
तिरुपुर जिले के छात्रों द्वारा कोविड पॉजिटिव मामलों की रिपोर्ट करने के साथ, जूनियर कक्षाओं के लिए स्कूलों को फिर से खोलने पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के निर्णय में देरी होने की संभावना है।(आईएएनएस)
जम्मू, 15 सितम्बर | जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में बुधवार को 12 साल पहले एक फरार आतंकवादी को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने भगोड़े की पहचान राजौरी के बुधर बोंजवाह गांव के नजीर अहमद के रूप में की है।
अहमद एक हत्या के मामले (एफआईआर संख्या 187/2009) में वांछित था और पिछले 12 वर्षों से फरार था।
पुलिस की एक टीम ने विशेष सूचना के बाद उस जगह पर छापा मारा जहां वह छिपा हुआ था।
पुलिस ने कहा, "उसे जिला एवं सत्र न्यायाधीश किश्तवाड़ के समक्ष पेश किया गया, जिसके आदेश पर उसे न्यायिक हिरासत में रखा गया है।" (आईएएनएस)