राष्ट्रीय
नई दिल्ली , 27 नवंबर । अंतर-संसदीय संघ आईपीयू की 143वीं असेम्बली बैठक में बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार से जुड़े मुद्दे पर भारतीय महिला संसदों के दल ने हिस्सा लिया। स्पेन के मैड्रिड में आईपीयू की 143वीं असेंबली के दौरान आयोजित महिला सांसद पूनम बेन मादाम और दीयाकुमारी के फोरम के 32वें सत्र को संबोधित किया।
इस दौरान सांसद दीयाकुमारी ने कहा कि जहां सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) अवसरों के नए रास्ते खोलती है, वहीं वे बच्चों के यौन शोषण और दुर्व्यवहार सहित चुनौतियों, खतरों और हिंसा के नए रूपों को भी जन्म देती हैं। भारत में ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार से निपटने के लिए कड़े उपाय हैं।
सांसद दीया ने कहा कि भारत ने वर्ष 2000 में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम बनाया था और समय-समय पर इसमें संशोधन किया है। यह अश्लील सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित करने और प्रसारित करने पर रोक लगाता है और अधिनियम के विभिन्न वर्गों में उल्लंघन के लिए दंडात्मक प्रावधान भी निर्धारित करता है। उन्होंने आईटी इंटरमीडियरीज गाइडलाइंस रूल्स, 2011 के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट पर भी विचार व्यक्त किये।
भारतीय दल ने कहा कि केवल कानूनी प्रावधान और उनका सख्ती से क्रियान्वयन ही काफी नहीं है, ऑनलाइन यौन शोषण से बच्चों को बचाने के लिए विशेष नीतियों की आवश्यकता है।
सांसदों ने लड़कियों और लड़कों की विभिन्न जरूरतों को समझने के महत्व पर भी विस्तार से बताया। इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में युवा लड़कियों की अनूठी स्थिति के प्रति हमारा ²ष्टिकोण संवेदनशील होना चाहिए। बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता तथा घर और स्कूलों दोनों जगह पर जागरूकता पैदा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अ²श्य दुश्मन से उनकी रक्षा के लिए नए सहयोगी ²ष्टिकोण तैयार किए जाने चाहिए।
बैठक से पूर्व भारतीय राजदूत द्वारा आयोजित शिष्टाचार भोज में भी दोनों सांसद शामिल हुईं। इस दौरान अंतर-संसदीय संघ आईपीयू की 143वीं असेम्बली बैठक के लिए स्पेन पहुंची सांसद दीयाकुमारी के साथ ही भारतीय संसदीय दल के स्वागत में भारतीय राजदूत संजय वर्मा एवं संगीता माता वर्मा के द्वारा असेम्बली बैठक से पूर्व शिष्टाचार रात्रि भोज आयोजित किया गया।
भारतीय दल में सांसद दीयाकुमारी, भर्तुहरी महताब, संजय जायसवाल, पूनम बेन मादाम, विष्णु दयाल राम एवं शश्मित पात्रा भी मौजूद रहे।
गौरतलब है कि अंतर-संसदीय संघ राष्ट्रीय संसदों का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इसका मूल उद्देश्य अपने सदस्य देशों के मध्य लोकतांत्रिक शासन, जवाबदेही और सहयोग को बढ़ावा देना है। अन्य मामलों में विधायिकाओं के बीच लैंगिक समानता को आगे बढ़ाना, राजनीतिक क्षेत्र में युवाओं की भागीदारी को सशक्त बनाना और सतत विकास कार्य शामिल हैं। ( आईएएनएस )
नई दिल्ली, 27 नवंबर | अफगानिस्तान के पश्चिमी हेरात प्रांत में गुरुवार को तालिबान सुरक्षाकर्मियों ने एक युवा डॉक्टर की हत्या कर दी।
पीड़ित के परिवार के सदस्यों ने स्थानीय मीडिया एजेंसियों से बात करते हुए दावा किया कि हेरात शहर में एक 33 वर्षीय डॉक्टर अमरुद्दीन नूरी की तालिबान सुरक्षा सदस्यों ने उस समय हत्या कर दी जब वह हेरात में एक पुलिस सुरक्षा चौकी पर नहीं रुके।
रिपोर्ट में कहा गया कि नूरी का एक छोटा निजी मेडिकल क्लिनिक था और उन्होंने हाल ही में शादी की थी।
हेरात में सुरक्षा अधिकारियों ने तालिबान सदस्यों द्वारा पीड़ित की हत्या को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि उनके साथ ऐसी कोई घटना दर्ज नहीं की गई है।
हाल की रिपोर्टें अफगानिस्तान में अपराध दर में बढ़ोतरी का संकेत देती हैं, हालांकि, ऐसी ज्यादातर घटनाओं की सूचना तक पहुंच की कमी के कारण मीडिया द्वारा रिपोर्ट नहीं की जाती है। (आईएएनएस)
लिस्बन, 27 नवंबर | पुर्तगाली संसद ने सरोगेसी को अधिकृत करने वाले कानून को मंजूरी दे दी है, जो एक वाणिज्यिक अनुबंध है जिसमें एक महिला को गर्भवती होने और एक बच्चे को जन्म देने की अनुमति है।
नए कानून को नेशनल काउंसिल फॉर मेडिकली असिस्टेड प्रोक्रिएशन और पुर्तगाली सोसाइटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन से सकारात्मक राय मिली, जिसमें प्राकृतिक नागरिकों या पुर्तगाल के स्थायी निवासियों के लिए इस अधिकार को सीमित करने वाला एक लेख लिखा गया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को स्वीकृत कानून के अनुसार, किराए पर लेने वाली गर्भवती महिला पहले से ही अपने एक बच्चे की मां होनी चाहिए।
यह भी तय किया गया कि अनुबंध को नेशनल काउंसिल फॉर मेडिकली असिस्टेड प्रोक्रिएशन से पूर्व प्राधिकरण प्राप्त करना चाहिए, जो कि पूरी प्रक्रिया की देखरेख करने वाली पुर्तगाली यूनिट है।
कानून यह प्रावधान करता है कि बच्चे को ले जाने के लिए किराए पर ली गई गर्भवती महिला बच्चे के पंजीकरण के समय तक बच्चे को छोड़ और रख सकती है, जो जन्म के 20 दिन बाद तक होनी चाहिए।
यह शर्त पुर्तगाली संवैधानिक न्यायालय के एक अनुरोध के जवाब में है, जिसने पिछले प्रस्ताव को खारिज कर दिया था जो केवल प्रक्रिया की शुरूआत में वापस लेने का अधिकार सीमित करता था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 नवंबर | विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को तकनीकी सलाहकार समूह की बैठक के बाद इस सप्ताह दक्षिणी अफ्रीका में पाए गए नए कोविड वेरिएंट को 'चिंता के वेरिएंट' के रूप में वर्गीकृत किया है। वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने एक बयान में कहा, "कोविड-19 महामारी विज्ञान में एक हानिकारक परिवर्तन के संकेत प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर, टीएजी-वीई ने डब्ल्यूएचओ को सलाह दी है कि इस वेरिएंट को चिंता के एक वेरिएंट के रूप में नामित किया जाना चाहिए और डब्ल्यूएचओ ने बी.1.1529 को वीओसी के रूप में नामित किया है, जिसका नाम 'ओमाइक्रोन' है।"
बी.1.1.529 वेरिएंट के बारे में पहली बार 24 नवंबर, 2021 को दक्षिण अफ्रीका से डब्ल्यूएचओ को सूचित किया गया था।
डब्ल्यूएचओ ने देशों से सर्कुलेटिंग सार्स-सीओवी-2 वेरिएंट को बेहतर ढंग से समझने के लिए निगरानी और अनुक्रमण प्रयासों को बढ़ाने और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटाबेस में संपूर्ण जीनोम अनुक्रम और संबंधित मेटाडेटा प्रस्तुत करने के लिए कहा है। डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 के अपने जोखिम को कम करने के उपाय करने के लिए याद दिलाया है, जिसमें सिद्ध सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपाय जैसे कि अच्छी तरह से मास्क पहनना, हाथ की स्वच्छता, शारीरिक दूरी, इनडोर स्थानों के वेंटिलेशन में सुधार, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना और टीकाकरण शामिल है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस वेरिएंट में बड़ी संख्या में म्यूटेशन हैं, जिनमें से कुछ चिंता का विषय हैं।
डब्ल्यूएचओ ने कहा, "प्रारंभिक साक्ष्य अन्य वीओसी की तुलना में इस वेरिएंट के साथ पुन: संक्रमण के बढ़ते जोखिम का सुझाव देते हैं। दक्षिण अफ्रीका के लगभग सभी प्रांतों में इस प्रकार के मामलों की संख्या बढ़ती दिख रही है। वर्तमान सार्स-सीओवी-2 पीसीआर डायग्नोस्टिक्स इस प्रकार का पता लगाना जारी रखते हैं। कई प्रयोगशालाओं ने संकेत दिया है कि एक व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले पीसीआर परीक्षण के लिए, तीन लक्ष्य जीनों में से एक का पता नहीं चला है और इसलिए इस परीक्षण को इस प्रकार के लिए मार्कर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।" (आईएएनएस)
रांची, 27 नवंबर | रांची के डोरंडा थाना क्षेत्र में फेरी लगाकर गर्म कपड़े बेचने वाले पांच-छह कश्मीरी युवकों के साथ शनिवार को लगभग 11 बजे कुछ लोगों ने मारपीट की। इस घटना के विरोध में कश्मीरी युवकों और स्थानीय लोगों ने लगभग 20 मिनट तक डोरंडा में सड़क जाम कर दी। घटना के विरोध में बड़ी संख्या में लोग डोरंडा थाने पहुंचे और कश्मीरी युवकों से मारपीट करनेवालों की गिरफ्तारी की मांग की। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मारपीट के आरोपी तीन लोगों को पकड़ा है। पिछले बीस दिनों के अंदर यह दूसरी बार है, जब रांची में गर्म कपड़े बेचनेवाले कश्मीरी युवकों से मारपीट की गयी है। मो. बुरहान, मो. तनवीर, मो. सरताज, मो. रियाज और गुलाम नबी का आरोप है कि वे कपड़े बेचने जा रहे थे, तब कडरूपुल के पास बीस की संख्या में बदमाशों ने उनपर हमला किया और उनके कई सामान लूट लिये। मारपीट करनेवालों ने उनपर धार्मिक नारे लगाने का भी दबाव दिया। इस घटना के बाद कश्मीरी युवकों और स्थानीय लोगों ने करीब 20 मिनट तक सड़क जाम कर दिया।
पुलिस के मौके पर पहुंचने और कार्रवाई के आश्वासन के बाद उन्होंने सड़क जाम हटाया। इसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने डोरंडा थाना पहुंचकर घटना का विरोध जताया। पुलिस ने कहा है कि मामले की जांच की जा रही है। मारपीट का आरोप लगानेवाले कश्मीरी युवकों का बयान दर्ज किया जा रहा है। आरोप सही पाये जाने पर पकड़े गये लोगों को जेल भेजा जा सकता है। मारपीट करने और सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। इधर मारपीट के आरोप में पकड़े गये तीनों युवकों ने खुद को निर्दोष बताया है।
बता दें कि इसके पहले भी 11 नवंबर को डोरंडा थाना क्षेत्र के हाथीखाना पत्थर रोड में कुछ लोगों ने चार कश्मीरी युवकों के साथ मारपीट की थी और उनसे जबरन कुछ नारे दोहराने को कहा था। पीड़ित युवक बिलाल अहमद, शब्बीर अहमद, वसीम अहमद की शिकायत पर एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया था। (आईएएनएस)
बेतिया, 27 नवंबर | बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को सरकारी अधिकारियों,कर्मचारियों को यह सोचकर शराब नहीं पीने की शपथ दिलवाई थी कि शपथ लेने के बाद ये लोग शराब का सेवन नहीं करेंगे। लेकिन, शपथ लेने के कुछ ही घंटों के बाद एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक शराब पीने दूसरे राज्य के मयखाने पहुंच गए। हालांकि शराब के नशे में उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि शुक्रवार की शाम करीब आठ बजे पश्चिम चंपारण के पिपरासी में श्रीपतनगर के प्राथमिक विद्यालय, कांटी टोला के प्रधानाध्यापक (हेडमास्टर) कुंदन कुमार गोंड़ को शराब के नशे में पकड़ा गया। बाद में इनकी चिकित्सकीय जांच की गई जिसमें उनके शराब पीने की पुष्टि हुई है।
बगहा के पुलिस अधीक्षक किरण कुमार गोरख जाधव ने बताया कि मेडिकल जांच के बाद आई रिपोर्ट के अनुसार शिक्षक पर अन्य विभागीय कार्रवाई की भी अनुशंसा की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को राज्य के मुख्यमंत्री ने सभी सरकारी कर्मियों को जीवन भर शराब सेवन नहीं करने और किसी अन्य को शराब नहीं पीने देने की शपथ दिलवाई थी। इसमें सभी विद्यालय में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार शिक्षक शराब नहीं पीने की शपथ लेने के बाद पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश पहुंच गए थे और रात वे वहां से शराब पीकर वापस अपने घर लौटने लगे। इस दौरान बिहार पुलिस बार्डर पर ही तैनात थी। बिहार की पिपरासी थाने की पुलिस ने बॉर्डर पार करते ही हेडमास्टर को पकड़ लिया। (आईएएनएस)
भोपाल, 26 नवंबर | मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पिपलानी इलाके में कथित तौर पर आर्थिक तंगी और कर्ज के चलते एक परिवार के पांच सदस्यों ने जहर खा लिया। इनमें से एक की मौत हो गई है, जबकि अन्य की हालत गंभीर है। सभी का एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार पिपलानी थाना क्षेत्र के आनंद नगर में रहने वाला संजीव जोशी कार मैकेनिक है। उसकी पत्नी अर्चना जोशी किराना दुकान चलाती है। बीती रात संजीव,उसकी पत्नी अर्चना और मां नंदिनी के अलावा दो बेटियों ने जहर खा लिया। गंभीर हालत में उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पिपलानी पुलिस के अनुसार, जहर खाने वाले पांच में से एक की मौत हो गई है, वहीं चार की हालत गंभीर बनी हुई है। सभी का इलाज जारी है।
जोशी परिवार के जहर खाने की वजह आर्थिक तंगी और कर्ज बताया जा रहा है। पड़ेासियों का कहना है कि गुरुवार को एक महिला ने आकर परिवार के सदस्यों के साथ अभद्रता की थी। सूत्रों के मुताबिक पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला है। जिसमें भी कथित तौर पर आर्थिक तंगी का जिक्र किया गया है । फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 26 नवंबर | भाजपा ने शुक्रवार को संसद के केंद्रीय कक्ष में 'संविधान दिवस' समारोह का बहिष्कार करने के लिए विपक्ष पर निशाना साधा और इसे संविधान के मुख्य निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर का 'अपमान' करार दिया। इससे पहले कांग्रेस ने 14 नवंबर को देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती मनाने के लिए संसद में आयोजित समारोह में भाग नहीं लेने के लिए भाजपा नेताओं की निंदा की थी।
कांग्रेस समेत करीब 14 विपक्षी दलों ने 'संविधान दिवस' कार्यक्रम का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।
भाजपा के राष्ट्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने ट्वीट किया, "कांग्रेस, वाम, टीएमसी, राजद, एसएस, एनसीपी, एसपी, आईयूएमएल और डीएमके सहित 14 दलों ने सेंट्रल हॉल में 'संविधान दिवस' समारोह का बहिष्कार किया।"
नेहरू जयंती कार्यक्रम के दौरान हंगामा करने वाली कांग्रेस बहिष्कार का नेतृत्व कर रही है। यह डॉक्टर अंबेडकर का अपमान है।
14 नवंबर को, राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि भारत के पहले प्रधान मंत्री नेहरू की जयंती के अवसर पर संसद में पारंपरिक समारोह के दौरान, लोकसभा अध्यक्ष, सभापति आरएस और केंद्रीय मंत्री अनुपस्थित थे।
एक दिन बाद, राज्यसभा सचिवालय ने एक जवाब जारी किया और कहा कि उपराष्ट्रपति कभी भी ऐसे आयोजनों में शामिल नहीं होते हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 26 नवंबर | भारत के प्रमुख उद्योगपति, परोपकारी और वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल को एशियन बिजनेस अवार्डस 2021 में स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, स्वच्छता, कौशल विकास और सतत आजीविका पर केंद्रित मानवतावाद पहल में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए परोपकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
उनके परोपकारी कार्य उनकी धर्मार्थ फाउंडेशन, अनिल अग्रवाल फाउंडेशन दुनिया भर में एक प्रेरणा है, जिसने वेदांता की कई देखभाल पहलों के साथ ग्रामीण भारत में एक अनुकरणीय सामाजिक प्रभाव पैदा किया है। इसने स्वच्छ गोवा अभियान, नंद घर सहित इन पहलों ने 4.23 करोड़ से अधिक लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद की है। सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ एकीकृत सतत और समावेशी विकास लाने के लिए, समूह ने वर्ष 2020-21 में 331 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं।
एशियन बिजनेस अवार्ड, जो अब अपने 23वें वर्ष में है, उसकी मेजबानी हर साल ब्रिटेन के सबसे अधिक बिकने वाले अंग्रेजी भाषा के एशियाई समाचार पत्र, ईस्टर्न आई द्वारा की जाती है। यह पुरस्कार एशियाई उद्यमिता और व्यावसायिक सफलता का जश्न मनाने के लिए जाना जाता है, जिसमें विजेताओं को यूके के सबसे धनी और सबसे सफल व्यवसायियों और महिलाओं की वार्षिक सभा में सम्मानित किया जाता है। 19 नवंबर को लंदन में आयोजित इस वर्ष के सम्मानित सम्मेलन ने अग्रवाल को वंचित समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में उनके असाधारण योगदान के लिए सम्मानित किया गया। समाज को वापस देने के उनके सार्वभौमिक मिशन ने उन्हें दुनिया भर में कई लोगों के लिए एक जीवित प्रेरणा बना दिया है।
अपनी हालिया उपलब्धि के बारे में अपने विचार साझा करते हुए, अग्रवाल ने कहा, "मैं इस पुरस्कार को प्राप्त करने के लिए बेहद विनम्र हूं। इसने मुझे देश के ग्रामीण समुदायों को स्थायी रूप से मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए और उत्साहित किया है। मुझे अपने 'गिविंग' को जीने पर गर्व है। इस साल वेदांता ने अपनी सामाजिक पहल के तहत 331 करोड़ रुपये खर्च किए हैं और 5000 करोड़ रुपये और खर्च करने की प्रतिबद्धता जताई है। परोपकार ने मेरे जीवन को और अधिक अर्थ दिया है, और मुझे समाज को वापस देने में बहुत संतुष्टि मिलती है।"
अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के सीईओ, भास्कर चटर्जी ने अग्रवाल के प्रयासों की अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृति और सम्मानजनक विशिष्टता पर बहुत खुशी व्यक्त की।
चटर्जी ने कहा: "हम इस पुरस्कार को प्राप्त करने के लिए बेहद विनम्र और सम्मानित हैं। हम हमेशा समाज के उत्थान और एक अधिक समतावादी सामाजिक संरचना बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जहां जीवन की बुनियादी आवश्यकताएं सभी के लिए सुलभ हो। अनिल अग्रवाल फाउंडेशन की स्थापना टिकाऊ सुविधा के लिए की गई थी। इस तरह के एक प्रतिष्ठित पुरस्कार ने समाज की सेवा करने की दिशा में हमारे प्रयासों को जारी रखने की हमारी भावना को बढ़ावा दिया है और हमें और अधिक और बेहतर करने के लिए प्रेरित किया है।"
यह पहली बार नहीं है जब उनकी परोपकारी ²ष्टि ने ध्यान आकृष्ट किया, क्योंकि उन्हें एडेलगिव हुरुन इंडिया परोपकारिता सूची 2020 में भी चित्रित किया गया था। सूची ने उन्हें देश के शीर्ष पांच परोपकारी लोगों में स्थान दिया। 2020 के महामारी-विहीन वर्ष में, मानवीय पहल के लिए अग्रवाल का योगदान पिछले वर्ष की तुलना में 90 प्रतिशत बढ़ा है। कोविड -19 संक्रमण के प्रभाव को कम करने के लिए, फाउंडेशन ने ग्रामीण समुदायों को एक मजबूत स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद करने के लिए 5,000 करोड़ रुपये का सामाजिक प्रभाव कार्यक्रम 'कोविड मुक्त गांव' शुरू किया। पिछले साल अकेले, वेदांता ने कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए सरकार द्वारा अनिवार्य 2 प्रतिशत से अधिक योगदान दिया। यह समूह हर साल जमीनी स्तर पर अपने परिवर्तन कार्य के साथ खुद को आगे बढ़ाता है।
वेदांता की प्रमुख पहलों में से एक, 'स्वस्थ गांव अभियान', 12 राज्यों के 1,000 गांवों में शुरू से अंत तक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है, जिससे 20 लाख से अधिक लोगों के जीवन में सुधार होता है। इसके अलावा, फाउंडेशन 'नंद घर' नामक अपनी अत्याधुनिक आंगनवाड़ी परियोजना को भी महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा रहा है। महिला सशक्तिकरण और बाल विकास पर मुख्य ध्यान देने के साथ, फाउंडेशन पूरे देश में 2400 से अधिक नंद घरों का संचालन कर रहा है। इनका उद्देश्य प्रौद्योगिकी के साथ संचालित आंगनवाड़ियों को फिर से बनाना है, विशेष रूप से महामारी से प्रेरित चुनौतियों को पार करने के लिए, बच्चों के लिए ई-लनिर्ंग की स्थापना के साथ-साथ उनके दरवाजे पर पोषण भोजन और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना इसका उद्देश्य है। टीकाकरण वायरस के खिलाफ सबसे महत्वपूर्ण ढाल होने के कारण, वेदांता ने 1.2 लाख कर्मचारियों, उनके परिवारों और व्यावसायिक भागीदारों को कवर करते हुए एक मेगा टीकाकरण अभियान चलाया। अग्रवाल के मार्गदर्शक प्रकाश में, फाउंडेशन विभिन्न समुदायों के जीवन की गुणवत्ता को ऊपर उठाकर एक बेहतर दुनिया बनाने की दिशा में काम करना जारी रख रहा है।
अग्रवाल ने अपनी परोपकारी प्रतिबद्धता पर खरा उतरते हुए इस साल मार्च में 'गिविंग प्लेज' लिया और अपनी 75 प्रतिशत संपत्ति ग्रामीण समुदायों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए देने की शपथ ली। गिविंग प्लेज एक ऐसा आंदोलन है जिसमें वैश्विक परोपकारी लोग शामिल हैं, जिसमें दुनिया के बड़े-बड़े लोग अपनी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा परोपकारी कार्यक्रम के लिए दान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। (आईएएनएस)
लखनऊ, 26 नवंबर | बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने संविधान दिवस के मौके पर समाजवादी पार्टी पर हमला बोला और कहा कि समाजवादी पार्टी से दलित सावधान रहें, वह दलितों का विकास नहीं कर सकती है। इन वर्गों के लोगों को सपा जैसी पार्टियों से जरूर सावधान रहना चाहिए।
मायावती शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि " समाजवादी पार्टी से दलित सावधान रहें वह दलितों का विकास नहीं कर सकती है। इन वर्गों के लोगों को सपा जैसी पार्टियों से जरूर सावधान रहना चाहिए जिसने एससी और एसटी सम्बंधित बिल को संसद में फाड़ दिया था और षड्यंत्र तहत पास भी नहीं होने दिया था। अर्थात सपा जैसी पार्टियां कभी भी इन वर्गों का उत्थान एवं विकास नहीं करना चाहती है।"
उन्होंने कहा कि "देश में गरीबी बढ़ रही है और खासतौर से मध्यम व गरीब लोग बहुत दुखी हैं। केंद्र व राज्य सरकारों को इस पर ध्यान देना चाहिए। दोनों ही इसके प्रति गंभीर नहीं है।"
मायावती ने कृषि कानूनों पर बोलते हुए कहा कि "तीन कृषि कानून वापस कर लिए गए हैं जो बहुत उचित कदम है, लेकिन किसानों की अन्य जरूरी मांगों को भी पूरा कर लेना चाहिए ताकि किसान अपने घरों को खुशी-खुशी वापस लौट सकें।"
मायावती ने कहा कि चूंकि दलितों के विकास पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है इसलिए उन्होंने संविधान दिवस पर होने वाले कार्यक्रम से भी दूरी बनाई है ।
उन्होंने कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी और राज्य सरकारें इस बात की गहन समीक्षा करें कि क्या यह पार्टियां संविधान का सही से पालन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह लोग इसका सही से पालन नहीं कर रहे हैं, इसलिए हमारी पार्टी ने केन्द्र और राज्य सरकारों के संविधान दिवस मनाने के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है।
बसपा मुखिया ने कहा कि परम पूजनीय डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने भारतीय संविधान में देश के कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों को विशेषकर शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों आदि में आरक्षण एवं अन्य जरूरी सुविधाओं का प्रावधान किया है। उसका पूरा लाभ इन वर्गों के लोगों को नहीं मिल पा रहा है, जिसको लेकर इन वर्गों के लोग और हमारी पार्टी बहुत ज्यादा दुखी है। केंद्र और राज्य की सभी सरकारें इस वर्ग पर जरूर ध्यान दें यह बीएसपी इनको सलाह देती है।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि एससी, एसटी तथा ओबीसी वर्ग का ज्यादातर विभागों में आरक्षण का कोटा अधूरा पड़ा है। एससी एसटी और ओबीसी वर्गों का सरकारी विभागों में अभी भी कोटा अधूरा पड़ा है। शोषित,वंचित एवं गरीब वर्गों के लोगों का आज भी अपने हक के लिए सड़कों पर धरना प्रदर्शन जारी है।
कहा कि प्राइवेट सेक्टर में भी इन वर्गों के लिए आरक्षण देने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। केंद्र और राज्य सरकारें प्राइवेट सेक्टरों में आरक्षण के मामले को लेकर तैयार नहीं है। क्या केंद्र और राज्य सरकारें संविधान का पालन कर रही है? ऐसी सरकारों को संविधान दिवस मनाने का कतई भी नैतिक अधिकार नहीं है। ऐसी सरकारों को आज इस मौके पर इन वर्गों के लोगों से माफी मांगना चाहिए।
मायावती ने विधायक उमाशंकर सिंह को बसपा दल का नेता बनाने की घोषणा की। दरअसल, गुरूवार को बसपा के विधानमंडल दल नेता गुड्डू जमाली ने बसपा से अपना नाता तोड़ लिया है। (आईएएनएस)
रांची, 26 नवंबर | माओवादी नक्सलियों ने गुमला के कुरुमगढ़ थाने के नवनिर्मित भवन के एक हिस्से को विस्फोट कर उड़ा दिया है। हालांकि इस भवन में थाना अभी शिफ्ट नहीं हुआ था। घटना गुरुवार रात की है। पुलिस शुक्रवार को घटनास्थल पर पहुंची है।
बता दें कि नक्सलियों ने अपने शीर्ष नेता प्रशांत बोस एवं उनकी पत्नी शीला मरांडी की गिरफ्तारी के खिलाफ 22 से 25 नवंबर तक चार राज्यों में बंद बुलाया था। बंद के आखिरी दिन उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है। माओवादियों ने भवन के पास एक पर्चा भी छोड़ा है, जिसमें लिखा गया है कि पोलित ब्यूरो सदस्य किशन दा और नारी मुक्ति संघ की नेत्री शीला दी सहित अन्य साथियों की गिरफ्तारी के विरोध में यह प्रतिशोधात्म क कार्रवाई की गयी है। बताया गया है कि गुरुवार की देर रात 50-60 की संख्या में नक्सली यहां पहुंचे थे। इसके पहले 20 नवंबर को भी नक्सलियों द्वारा बुलाये गये बंद के दौरान बरकाकाना-लातेहार रेलखंड और टाटा-चक्रधरपुर रेलखंड में कुछ रेल पटरियां उड़ा दी गयी थीं।
पुलिस और अर्धसैनिक बलों की सतर्कता और चौकसी से नक्सलियों के चार दिनों के बंद का चाईबासा, गुमला, लोहरदगा, पलामू सहित कुछ जिलों के ग्रामीण इलाकों को छोड़ बाकी जगहों पर कोई असर नहीं दिखा। लंबी दूरी की बसें कम संख्या में चलीं। सीसीएल की मगध और आम्रपाली परियोजनाओं में कोयला उत्पादन और ट्रांसपोटिर्ंग भी प्रभावित हुई। (आईएएनएस)
सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना वायरस के एक नए वेरिएंट को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. इस वेरिएंट में कई म्युटेशन हैं और इनकी वजह से वायरस के काम करने के तरीके में बड़े बदलाव आ सकते हैं.
इस नए वेरिएंट का का औपचारिक नाम B.1.1.529 है. दक्षिण अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिसीसेज (एनआईसीडी) ने अभी तक इसके 22 मामले सामने आने की पुष्टि की है. संस्थान ने यह भी कहा है कि जीनोमिक विश्लेषण चल रहा है और संभव है कि और भी मामले सामने आएं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन इस वेरिएंट को "निगरानी में डाले गए वेरिएंट" की श्रेणी में डाल चुका है. संगठन ने कहा है कि इसके सबसे शुरुआती सैंपल नवंबर में कई देशों में मिले थे. संगठन की कोविड-19 तकनीकी टीम की प्रमुख मारिया वान करखोव ने बताया कि वेरिएंट का दक्षिण अफ्रीका में पता लगाया गया और इस समय इसके 100 से भी कम पूरे जीनोम सीक्वेंस उपलब्ध हैं.
और जानकारी की जरूरत
अभी इसके बारे में और जानकारी हासिल करने में कुछ सप्ताह और लग जाएंगे और तब जाकर यह फैसला लिया जा सकेगा कि इसे "वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट" घोषित किया जाए या "वेरिएंट ऑफ कंसर्न." उसके बाद ही उसे डेल्टा जैसा कोई यूनानी नाम भी दिया जा सकेगा.
वान करखोव ने माना कि इस वेरिएंट में बहुत बड़ी संख्या में म्युटेशन हैं और इस वजह से इस वायरस का व्यवहार बदल सकता है. लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसके मौजूदा टीकों और दवाओं की गुणकारिता के लिए क्या मायने हैं. करखोव का कहना है, "जो भी बाहर हैं उन्हें यह समझने की जरूरत है कि यह वायरस जितना फैलेगा उतना ही इसे बदलने का मौका मिलेगा और उतने ही म्युटेशन सामने आएंगे."
नए वेरिएंट के मामले बोत्सवाना और हांग कांग में भी पाए जाने की खबर है. पूरे अफ्रीका में सिर्फ 6.6 प्रतिशत आबादी को पूरी तरह से टीके लगे हुए हैं और कई देशों में महामारी की चौथी लहर फैल रही है.
कई देशों ने उठाए कदम
अफ्रीकी संघ के अफ्रीका सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के जॉन केंगासॉन्ग ने जोर दे कर कहा कि जो डाटा सामने आ रहा है उसके पड़ताल की जाएगी और मूल्यांकन किया जाएगा.
उन्होंने कहा, "हमें अभी और अध्ययन करने की जरूरत है, अभी भी इस वायरस के बारे में ऐसा बहुत कुछ है जो हम नहीं जानते." लेकिन दुनिया के कई देशों में सरकारें सावधान हो गई हैं और कई कदमों की घोषणा कर रही हैं. इस्राएल और ब्रिटेन ने कई अफ्रीकी देशों पर यात्रा प्रतिबंध लागू कर दिए हैं. ब्रिटेन दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, लेसोथो, बोत्सवाना, एस्वतीनी और जिम्बाब्वे से उड़ानें निलंबित कर रहा है.
इस्राएल इन सभी देशों और मोजाम्बिक से विदेशी नागरिकों के आगमन पर रोक लगा रहा है. इन देशों से लौटने वाले इस्राएली नागरिकों को क्वारंटाइन में समय बिताना होगा. भारत में भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना और हांग कांग से आने वाले यात्रियों की सख्ती के साथ जांच करें.
सीके/एए (डीपीए,एएफपी)
नई दिल्ली : भारतीय खगोलविदों ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए दो महत्वपूर्ण खोज की हैं. उन्होंने बृहस्पति ग्रह की तुलना में 1.4 गुणा बड़ा एक्सोप्लैनेटऔर सूर्य की भी अधिक गर्म, दुर्लभ श्रेणी का रेडियो स्टार खोज निकाला है. पहली खोज अहमदाबाद की फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (PRL) ने की है. टीम ने हाल ही में हाल ही में एक एक्सोप्लैनेट की खोज की है जो बृहस्पति की साइज से करीब 1.4 गुना बड़ा है जो एक काफी पुराने तारे की परिक्रमा कर रहा है. यह हमारे सूर्य से 1.5 गुना बड़ा है और 725 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. नया एक्सोप्लैनेट, जिसे TOI 1789b कहा जाता है, की खोज प्रोफेसर अभिजीत चक्रबर्ती और उनकी टीम ने एडवांस्ड रेडिकल वेलोटिक अबू स्काई सर्च ऑप्टिल फाइबर फेडस्पेक्ट्राग्राफ का इस्तेमाल करके की जो भारत में अपनी तरह का पहला है. पीआरएल का 1.2 मीटर का यह टेलीस्कोप इसकी माउंट आबू आब्जर्वेटरी में है.
एक्सोप्लैनेट का द्रव्यमान, बृहस्पति ग्रह का करीब 70 फीसदी पाया है जबकि इसका आकार बृहस्पति ग्रह की तुलना में 1.4 गुणा अधिक है. शोधकर्ताओं ने यह खोज PARAS का उपयोग करके की जो एक्सोप्लैनेट के द्रव्यमान को मापने में समर्थ है. मेजरमेंट यानी माप दिसंबर 2020 और मार्च 2021 के बीच लिए गए. TOI 1789bअपने सूर्य की परिक्रमा केवल 3.2 दिन में पूरी करता है.दूसरी खोज, पुणे के निकट स्थित खगोलविदों के एक समूह ने वृहत मीटरवेव रेडियो दूरदर्शी (जीएमआरटी) का इस्तेमाल करते हुए की, इन्होंने दुर्लभ श्रेणी मैन-सीक्वेंस रेडियो पल्स या एमआरपी उत्सर्जकों के आठ तारों की खोज की है.प्रमुख अनुसंधान संस्थान एनसीआरए ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. पुणे स्थित राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र के खगोल विज्ञानियों के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक समूह ने रेडियो तारों की दुर्लभ श्रेणी का पता लगाया जो असामान्य शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्रों के साथ सूर्य से भी गर्म होते हैं. NCRAने प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि इस दल ने जीएमआरटी का उपयोग करके पहले भी ऐसे तीन तारे खोजे हैं. विज्ञप्ति के अनुसार अब तक ऐसे कुल 15 एमआरपी का पता चला है जिनमें से 11 जीएमआरटी की मदद से खोजे गये हैं. इनमें से आठ 2021 में ही खोजे गये हैं.
विज्ञप्ति में बताया गया कि उन्नत जीएमआरटी की अधिक बैंडविड्थ और उच्च संवेदनशीलता इसमें मददगार रही.इसमें कहा गया, ‘‘ये खोज जीएमआरटी के साथ जारी एक सर्वेक्षण के परिणामस्वरूप सामने आई हैं. सर्वेक्षण की शुरुआत एमआरपी के रहस्य को सुलझाने के लिहाज से विशेष रूप से हुई थी.'' संस्थान ने कहा कि एमआरपी सूर्य से अधिक गर्म तारे होते हैं. शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और अधिक मजबूत स्टेलर विंड के कारण वे प्रकाशपुंज की तरह चमकते रेडियो कंपन उत्सर्जित करते हैं.सबसे पहले एमआरपी की खोज 2000 में की गयी थी, लेकिन उन्नत जीएमआरटी के कारण ही पिछले कुछ सालों में इनकी अधिक संख्या में खोजा सका. (भाषा)
नई दिल्ली, 24 नवंबर | दिल्ली विधानसभा का सत्र शनिवार (26 नवंबर) से शुरू होगा। दिल्ली सरकार के बुलेटिन के अनुसार, सदस्यों को सूचित किया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सातवीं विधान सभा के दूसरे सत्र का तीसरा भाग शुक्रवार, 26 नवंबर, 2021 को सुबह 11.00 बजे विधानसभा हॉल, पुराने सचिवालय में शुरू होगा।
विधानसभा ने विधायकों से सभी कोविड -19 मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन करने के लिए मास्क पहनकर और सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए कहा है। विधायकों से भी अनुरोध किया गया है कि वे अपना पहचान पत्र ले जाएं, जिसे उन्हें प्रवेश द्वार पर दिखाना होगा।
उन्हें अपना अंतिम कोविड -19 टीकाकरण प्रमाण पत्र या सत्र शुरू होने से 48 घंटे से पहले की निगेटिव रिपोर्ट लाने के लिए भी कहा गया है। विधानसभा सचिवालय में रैपिड एंटीजन टेस्ट की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
एक अधिकारी ने मीडिया को बताया, सीटें सीएम, डिप्टी सीएम, मंत्रियों, डिप्टी स्पीकर, मुख्य सचेतक और विपक्ष के नेताओं के लिए आरक्षित होंगी।
उन्होंने यह भी कहा कि महामारी के कारण, विधानसभा में बाहर के लोगों को अनुमति नहीं दी जाएगी।
बरहाल, जरुरत पड़ने पर इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। विधानसभा का एकदिवसीय सत्र निर्धारित कार्य समाप्त होने तक जारी रहेगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 नवंबर | केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कुछ राज्यों में कोविड परीक्षण के घटते रुझानों पर चिंता व्यक्त की। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोविड टेस्टिंग में कमी समुदाय के भीतर फैले वास्तविक संक्रमण का पता लगाने में बाधा उत्पन्न करेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सर्दियों की शुरूआत और कुछ राज्यों में बढ़ते प्रदूषण के साथ, आईएलआई-एसएआरआई के प्रसार और श्वसन संकट के लक्षणों की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए। इसके अलावा, समय पर निगरानी और शुरूआती हॉटस्पॉट पहचान के लिए मामलों की क्लस्टरिंग के लिए नियमित रूप से परीक्षण किए जाने चाहिए।
राज्यों को लिखे पत्र में मंत्रालय ने कहा कि पर्याप्त परीक्षण के निरंतर स्तर के अभाव में, किसी भूगोल में फैले संक्रमण के वास्तविक स्तर को निर्धारित करना बहुत मुश्किल है। अधिकांश देशों में हाल के दिनों में कोविड के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है और कुछ विकसित देशों को कोविड के टीकाकरण के उच्च स्तर के बावजूद चौथी और पाँचवीं लहर का सामना करना पड़ रहा है। इस बीमारी की अप्रत्याशित और संक्रामक प्रकृति को देखते हुए निरंतर सतर्कता की आवश्यकता है।
मंत्रालय ने आगे कहा कि अब तक किए गए लाभ को बनाए रखने और देश भर में कोविड -19 परि²श्य को बिगड़ने से रोकने के लिए सभी प्रयासों को लागू किया जाना चाहिए।
मंत्रालय ने राज्यों से कहा कि 22 नवंबर को समाप्त सप्ताह तक नागालैंड ने 342 औसत दैनिक परीक्षणों की सूचना दी है। यह 23-29 अगस्त के बीच में किए गए 1,250 औसत दैनिक परीक्षणों के उच्च के विपरीत है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि राज्य ने 22 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 1.5 प्रतिशत की सकारात्मकता रिकॉर्ड की है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने नागालैंड, सिक्किम, महाराष्ट्र, केरल, गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और लद्दाख राज्यों को पत्र लिखे हैं।
मंत्रालय ने इन राज्यों को महामारी की स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए गति बनाए रखने और अब तक की गई प्रगति पर निर्माण करने का निर्देश दिया है। (आईएएनएस)
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 24 नवंबर | उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आगामी विधानसभा चुनाव कानून व्यवस्था के मुद्दे पर लड़ना चाहती है। पिछले कई माह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री योगी से लेकर पार्टी के सभी छोटे बड़े नेताओं के बयान कुछ इसी दिशा में संकेत दे रहे हैं। जिस तरह से कानून व्यवस्था को सरकार की उपलब्धि बताकर विपक्ष को भाजपा घेर रही है, उससे यह लग रहा है कि यही मुद्दा चुनाव में उसका हथियार बनेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपनी कई जनसभाओं में इस बात पर खास जोर देते हैं कि 2017 के पहले यूपी की कानून व्यवस्था बद से बदतर थी। महिलाओं का घर से बाहर निकलना भी दूभर था, लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार आते ही सूबे में कानून का राज स्थापित हो गया। इसके लिए यह सभी नेता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खुलकर तारीफ करते हैं।
13 नवम्बर को वाराणसी, आजमगढ़ और बस्ती के अपने कार्यक्रमों में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कानून-व्यवस्था और विकास के मुद्दे पर ही विपक्ष को घेरा। उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश में पुलिस पहले माफिया को देखकर डरते थे। अब माफिया पुलिस को देखकर डरते हैं। कहते हैं कि मुझे गोली मत मारो। मैं आत्मसमर्पण करता हूं। यही नहीं एक कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा था कि अब उत्तर प्रदेश में दूरबीन लेकर देखने पर भी माफिया नहीं दिखते।
इससे पहले केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महराजगंज स्थित चैक के एक कार्यक्रम में कहा था कि योगीजी के नाम से माफिया थर-थर कांपते है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करने पहुंचे वहां भी उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों को कानून व्यवस्था के नाम पर घेरा। उन्होंने कहा कि यूपी में जिस तरह से राजनीति हुई, जिस तरह से लंबे समय तक सरकारें चलीं, उन्होंने यूपी के सर्वांगीण विकास पर ध्यान ही नहीं दिया। यूपी का यह क्षेत्र तो माफियावाद और यहां के लोगों को गरीबी के हवाले कर दिया गया था। कौन भूल सकता है कि यूपी में कानून व्यवस्था की क्या हालत थी। प्रधानमंत्री मोदी ने बुंदेलखंड के दौरे में कहा कि बुंदेलखंड के संसाधनों को लूटने वालों पर बुल्डोजर चल रहा है तो कुछ लोग हायतौबा मचा रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने भी कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री योगी की तरीफ गोरखपुर और कानपुर में की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत सुधरी है और योगी आदित्यनाथ प्रदेश में कानून का राज लेकर के आए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था को लेकर यकीन दिलाया कि आज प्रदेश दंगा मुक्त है, जबकि 2017 से पहले यहां हर तीसरे-चौथे दिन दंगा होता था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जहां कभी माफिया का आंतक सिर चढ़कर बोलता था, गरीबों की जमीन पर कब्जा होता था, उसी उत्तर प्रदेश में अब माफिया की संपत्ति पर बुलडोजर चल रहा है। वह प्रदेश छोड़कर भाग रहे हैं। बुलडोजर से वह लोग भी डर रहे हैं, जो माफिया के सरपरस्त थे।
माफिया की छाती पर बुलडोजर चलाने वाली सरकार बताने पर मुख्यमंत्री को खूब मिली तालियां भी यह जता रही है कि चुनाव में कानून-व्यवस्था का मुद्दा भी अहम रोल अदा करेगा।
उत्तर प्रदेश की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि कानून व्यवस्था यूपी की राजनीति में एक बहुत बड़ा विषय रहा है। मुलायम सिंह की सरकार 2007 इसी विषय पर गिर गई थी, जिसे मायवती ने भुनाया और सरकार भी बनाई। 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार में आने के बाद वह कानून व्यवस्था को लेकर काफी संजीदा रहे। एंटी रोमियों स्क्वॉड जैसे तमाम योजनाओं को लागू किया। पश्चिमी यूपी में लव जिहाद, महिलाओं से छेड़खानी, पूरब में मफिायाओं का सम्राराज्य था। इन चीजों को खत्म किया है।
आम लोगों को इससे सुकून महसूस हो रहा है। इस बात को प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, नडड इस बात को जानते है। मफिया अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी और मफियावाद की बात करते हैं, तो ध्रुवीकरण की राजनीति को बल मिलने से भाजपा को भी बल मिलेगा।
रांची, 24 नवंबर | झारखंड में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्र-छात्राओं को लिपकीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सरकार की ओर से सभी जिलों में विशेष कोचिंग के केंद्र खोले जायेंगे। सरकार के श्रम एवं नियोजन मंत्रालय ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि इन कोचिंग केंद्रों में प्रतियोगी परीक्षार्थियों को सामान्य ज्ञान, जेनरल इंग्लिश, न्यूमेरिकल एबिलिटी, शॉर्टहैंड और टाइपिंग स्किल की तैयारी करायी जायेगी। 11 महीने की कोचिंग के लिए इच्छुक छात्र-छात्राओं से 1200 रुपये का शुल्क लिया जायेगा। इन सभी केंद्रों पर विशेषज्ञों की सेवाएं ली जायेंगी। बताया गया कि राज्य में शुरू किये जानेवाले सभी 24 केंद्रों में 60-60 परीक्षार्थियों को दाखिला मिलेगा।
बता दें कि झारखंड राज्य आदिम जाति कल्याण मंत्रालय ने यूपीएससी पीटी की परीक्षा में उत्तीर्ण एससी, एसटी परीक्षार्थियों को मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए एकमुश्त एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता की योजना भी शुरू की है। इसके तहत पिछले महीने योग्य उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किये गये थे। इन आवेदनों की स्क्रूटनी की प्रक्रिया चल रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 नवंबर | अत्यधिक संक्रमित कोरोना डेल्टा वेरिएंट उन व्यक्तियों को भी संक्रमित कर सकता है, जिन्हें वायरस के खिलाफ पूरी तरह से टीका लगाया गया है। ये जानकारी एक अध्ययन से सामने आई है। ये अध्ययन भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और दिल्ली के दो अस्पतालों में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने आयोजित किया गया था।
अध्यन में यह पता चला कि टीकाकरण अस्पताल में भर्ती होने और संक्रमण की गंभीरता से बचाता है लेकिन बहुत कमजोर व्यक्तियों को यह संक्रमित कर सकता है।
आईएनएसएसीओजी और सीएसआईआर के शोधकर्ताओं ने कम्प्यूटेशनल दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए महामारी विज्ञान और वायरस जीनोम अनुक्रम डेटा से एक संभावित संचरण नेटवर्क का निर्माण करके स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के बीच 113 संक्रमण पर डेटा का विश्लेषण किया।
अध्ययन ने पूरी तरह से टीकाकरण वाले लोगों के बीच भी संक्रमण नियंत्रण उपायों की आवश्यकता पर जोर है।
इसने उन व्यक्तियों के बीच संभावित वायरस संचरण की उच्च संभावना के बारे में भी बताया, जिन्होंने टीकों की दोनों खुराक प्राप्त की है।
इस बीच, आईएनएसएसीओजी ने अपने आखिरी बुलेटिन में कहा कि डेल्टा स्ट्रेन भारत में चिंता का कारण (वीओसी) बना हुआ है।
"डेल्टा (बी.1.617.2 और एवाई.एक्स) भारत में मुख्य वीओसी बना हुआ है। कोई नया वीओआई या वीओसी नोट नहीं किया गया है और डेल्टा के अलावा अन्य वीओसी और वीओआई अब भारत से डेटा अनुक्रमित नहीं हैं।" (आईएएनएस)
जम्मू, 24 नवंबर | रामबन जिले में जवाहर सुरंग के पास जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़क दुर्घटना में एक टैंकर चालक की मौत हो गई। ये हादसा मंगलवार देर शाम हुआ।
पुलिस ने कहा कि जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर जवाहर सुरंग के पास एक टैंकर चालक के नियंत्रण से बाहर हो गया।
टैंकर 400 फीट गहरी खाई में लुढ़क गया। कठुआ जिले के ईशर दास के रूप में पहचाने जाने वाले चालक की मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक रिपोटरें से पता चलता है कि चालक लापरवाही से गाड़ी चला रहा था, जिससे ये हादसा हुआ। (आईएएनएस)
भारत सरकार निजी क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक बिल पेश करने जा रही है. सरकार ने कहा है कि केंद्रीय रिजर्व बैंक के समर्थन वाली डिजिटल करंसी के लिए दिशा-निर्देश तय किए जाएंगे.
लोकसभा ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि निजी क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक बिल लाया जाएगा. इस बिल में सभी तरह की निजी क्रिप्टोकरंसी को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव है. पिछले हफ्ते ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बिटकॉइन युवाओं के लिए खतरा पैदा कर रही हैं. उन्होंने कहा था कि अगर ये गलत हाथों में पड़ जाएं तो हमारे युवाओं को बर्बाद कर सकती हैं.
भारत क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध का ऐलान करने वाली दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है. इससे पहले सितंबर में चीन ने क्रिप्टोकरंसी में हर तरह के लेनदेन को अवैध करार दे दिया था.
निजी करंसी पर चिंता
भारत में पिछले एक साल में क्रिप्टोकरंसी का बाजार बहुत ज्यादा बढ़ा है. पिछले साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरंसी पर लगे प्रतिबंध के आदेश को पलट दिया था जिसके बाद लोगों ने बड़ी संख्या में इसमें निवेश किया. चेनालिसिस नामक संस्था के मुताबिक पिछले एक साल में क्रिप्टोकरंसी में निवेश 600 प्रतिशत बढ़ा है.
एक अनुमान के मुताबिक एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में क्रिप्टोकरंसी धारकों की संख्या डेढ़ से दस करोड़ के बीच हो सकती है. इसकी कीमत अरबों डॉलर में आंकी गई है. भारत सरकार के इस आदेश ने इन लोगों के निवेश को खतरे में डाल दिया है.
बीते जून में भारतीय रिजर्व बैंक ने ऐलान किया था कि वह अपनी डिजिटल करंसी लाने की योजना पर काम कर रहा है और इस साल के आखिर तक इसे पेश किया जा सकता है. बैंक ने बिटकॉइन, ईथीरियम और अन्य निजी करंसियों को लेकर चिंता भी जताई थी.
ससंदीय बुलेटिन के मुताबिक नए लोकसभा सत्र में लाए जाने वाले बिल में अपवाद के तौर पर कुछ विकल्प भी होंगे ताकि क्रिप्टो तकनीक को बढ़ावा दिया जाए. लेकिन इस बिल के बारे में कोई और जानकारी फिलहाल नहीं दी गई है.
निवेशकों की नींद उड़ी
इस प्रस्तावित बिल की भाषा ने करोड़ों निवेशकों की नींद उड़ा दी है. क्रिप्टो-एजुकेशन प्लैटफॉर्म बिटाइनिंग चलाने वाले काशिफ रजा कहते हैं, "भाषा ने लोगों को परेशान कर दिया है. उद्योग को उम्मीद थी कि हाल ही में सरकार से हुई बातचीत के बाद ज्यादा अनुकूल कदम उठाए जाएंगे.”
रजा ने बताया, "जाहिर है कि उद्योग तो पूरी तरह बंद हो जाएगा. धीरे-धीरे यह इंडस्ट्री अपनी मौत मर जाएगी. बौद्धिक संपदा कहीं और चली जाएगी. निवेशकों का नुकसान होगा.”
भारत में 2013 में क्रिप्टोकरंसी की शुरुआत हुई थी लेकिन तभी से इसे लेकर संदेह जाहिर किए जाते रहे हैं. मोदी सरकार द्वारा विवादास्पद नोटबंदी करने के बाद क्रिप्टोकरंसी के जरिए लेनदेन में धोखाधड़ी के मामले भी तेजी से बढ़े. इसके बाद 2016 में रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन दो साल बाद सुप्रीमकोर्ट ने उस प्रतिबंध को पलट दिया.
बीते कुछ महीनों में भारत में क्रिप्टोकरंसी के विज्ञापनों की बाढ़ आ गई थई. कॉइनस्विचकूबर, कॉइनडीसीएक् और अन्य घरेलू क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज टीवी चैनलों, वेबसाइटों और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों पर जमकर विज्ञापन दे रहे थे.
टैम स्पोर्ट्स के एक अनुमान के मुताबिक इन कंपनियों ने हाल ही हुए टी20 वर्ल्ड कप के दौरान विज्ञापनों पर 50 करोड़ रुपये खर्च किए. आलम यह था कि दर्शकों ने प्रति मैच क्रिप्टोकरंसी के औसतन 51 विज्ञापन देखे.
वीके/एए (रॉयटर्स)
एक नई वैश्विक रिपोर्ट ने दावा किया है कि दुनिया की लगभग आधी आबादी को खराब पोषण मिल रहा है. इसकी वजह से लोगों का स्वास्थ्य तो खराब हो ही रहा है, पृथ्वी पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है.
ये नतीजे ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट (जीएनआर) में जारी किए गए हैं. इनके मुताबिक दुनिया की लगभग आधी आबादी को पोषण ठीक से नहीं मिल पा रहा है, जिसका कारण या तो कम या ज्यादा मात्रा में खाना मिल पाना है.
ये जीएनआर का सालाना सर्वेक्षण है और इसमें पोषण और उससे संबंधित विषयों पर ताजा डाटा का विश्लेषण होता है. इस साल की रिपोर्ट में पाया गया कि पूरी दुनिया में 48 प्रतिशत लोग या तो बहुत ज्यादा खाना खा रहे हैं या बहुत काम, जिसकी वजह से या तो उनका वजन बहुत ज्यादा बढ़ रहा है या बहुत कम हो जा रहा है.
लक्ष्य हासिल करना मुश्किल
अगर यही हालात रहे तो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिए गए 2025 तक हासिल करने वाले नौ लक्ष्यों में से आठ हासिल नहीं हो पाएंगे. इन लक्ष्यों में लंबाई के हिसाब से दुबले बच्चों, उम्र के हिसाब से बहुत छोटे बच्चों और मोटापे वाले वयस्कों की संख्या में कमी लाना शामिल हैं.
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि पांच साल से कम उम्र के लगभग 15 करोड़ बच्चे उनकी उम्र के हिसाब से बहुत छोटे हैं, 4.5 करोड़ बच्चे उनकी लंबाई के हिसाब से दुबले हैं और लगभग चार करोड़ बच्चों का वजन ज्यादा है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वयस्कों में भी 40 प्रतिशत से ज्यादा (2.2 अरब) लोगों का या तो वजन ज्यादा है या वो मोटापे से पीड़ित हैं.
जीएनआर के स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष रेनाटा मीचा ने बताया, "खराब डाइट की वजह से जिन्हें होने से रोका जा सकता था ऐसी मौतों में 2010 के बाद से 15 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है. वयस्कों में करीब एक चौथाई मौतों के लिए खराब डाइट ही जिम्मेदार है."
हर जगह खराब भोजन
उन्होंने यह भी कहा, "हमारे वैश्विक नतीजे दिखाते हैं कि पिछले एक दशक में हमारी डाइट सुधरी नहीं है और अब यह लोगों के स्वास्थ्य और पृथ्वी के लिए एक बड़ा खतरा है." इस साल के सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनिया भर में लोगों को फलों और सब्जियों जैसा स्वास्थप्रद खाना नहीं मिल पा रहा है.
ऐसा विशेष रूप से कम आय वाले देशों में हो रहा है. अधिक आय वाले देशों में लाल मांस, दूध से बने उत्पाद और चीनी वाले पेय पदार्थों जैसी नुकसानदेह चीजों का सबसे ज्यादा सेवन हो रहा है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौजूदा वैश्विक पोषण लक्ष्यों में सोडियम को कम करने के अलावा डाइट का कोई जिक्र नहीं है. रिपोर्ट ने नए और पहले से ज्यादा व्यापक लक्ष्यों की अनुशंसा की है.
बढ़ाना होगा खर्च
मीचा ने बताया, "विज्ञान स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असर को मापने के लिए भोजन-आधारित दृष्टिकोण या डाइट-पैटर्न दृष्टिकोण का समर्थन करता है." जीएनआर ने यह भी हिसाब लगाया कि पूरी दुनिया में खाने की मांग से 2018 में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का करीब 35 प्रतिशत उत्पन्न हुआ.
रिपोर्ट के मुताबिक, "पशुओं से मिलने वाले भोजन का सामान्य रूप से पौधों से मिलने वाले भोजन से प्रति उत्पाद ज्यादा पर्यावरणीय पदचिन्ह होता है. परिणामस्वरूप वे भोजन से संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जमीन के अधिकांश इस्तेमाल के लिए जिम्मेदार पाए गए.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी दुनिया में पोषण बढ़ाने के लिए तुरंत फंडिंग की जरूरत है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि कोविड-19 ने अनुमानित 15.5 करोड़ लोगों को चरम गरीबी में धकेल दिया.
जीएनआर का अनुमान है कि 2030 तक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हर साल पोषण पर खर्च को लगभग चार अरब डॉलर से बढ़ाना होगा.
सीके/एए (एएफपी)
एनआईए ने कश्मीर के जाने माने मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज को गिरफ्तार कर लिया है. परवेज को 2016 में भी गिरफ्तार किया गया था और तब अदालत ने उन्हें रिहा करते हुए उनकी गिरफ्तारी को ही अवैध बताया था.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
परवेज एक जाने माने मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और मानवाधिकार संगठनों के संघ जेकेसीसीएस के कार्यक्रम संयोजक हैं. एनआईए के अधिकारियों ने सोमवार 22 नवंबर को श्रीनगर स्थित उनके निवास और जेकेसीसीएस के दफ्तर पर छापा मारा था और उसके बाद उन्हें पूछताछ के लिए ले गए.
बाद में परवेज को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया और उनके परिवार को अरेस्ट मेमो पहुंचा दिया गया. मेमो के मुताबिक उनके खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं और यूएपीए के तहत आरोप दर्ज किए गए हैं. इनमें आतंकवादी संगठनों और गतिविधियों के लिए पैसे उपलब्ध कराने के आरोप भी शामिल हैं.
2016 में 'अवैध' गिरफ्तारी
एनआईए ने अक्टूबर 2020 में भी परवेज के घर और दफ्तर समेत कश्मीर में कई स्थानों पर छापे मारे थे. परवेज को इससे पहले भी एजेंसियों ने निशाना बनाया है. 2016 में उन पर जम्मू और कश्मीर के विवादास्पद कानून पीएसए के तहत आरोप लगाए गए थे और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.
76 दिनों की हिरासत के बाद उन्हें जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट के आदेश पर रिहा करना पड़ा था. उस समय अदालत ने उनकी गिरफ्तारी को ही "अवैध" बताया था और कहा था कि उनकी गिरफ्तारी का आदेश जारी करने वाले जिला मैजिस्ट्रेट ने अपनी शक्तियों का "दुरुपयोग" किया है. अदालत ने पुलिस की जांच और गवाहों पर भी सवाल उठाए थे.
लेकिन स्पष्ट है कि परवेज आज भी पुलिस और अन्य एजेंसियों के निशाने पर हैं. उनकी गिरफ्तारी का कई राजनेताओं, पत्रकारों और ऐक्टिविस्टों ने विरोध किया है. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर विशेष अधिकारी मैरी लॉलर ने एक ट्वीट में परवेज का समर्थन करते हुए लिखा कि "वो एक आतंकवादी नहीं बल्कि मानवाधिकारों के संरक्षक" हैं.
गिरफ्तारी का विरोध
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने ट्विटर पर कहा कि वो खुर्रम को जानते हैं और उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि उन्हें गिरफ्तार करने की सलाह सरकार को किसने दी.
परवेज सुरक्षाबलों के हाथों प्रताड़ित किए गए लोगों के लिए काम करने वाली संस्था एएफडी के प्रमुख भी हैं और लंबे समय से कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को ट्रैक करते रहे हैं.
2006 में उन्हें अंतरराष्ट्रीय रीबॉक मानवाधिकार पुरस्कार दिया गया था. 2004 में वो सिविल सोसायटी की तरफ से कश्मीर के लोलाब में चुनावों की निगरानी कर रहे थे जहां उनकी गाड़ी में हुए एक बम विस्फोट ने उनके एक सहयोगी और उनके ड्राइवर की जान ले ली. परवेज को भी उस धमाके की वजह से अपने एक टांग गंवानी पड़ी. (dw.com)
रिलायंस इंडस्ट्रीज की जियोमार्ट ऐप ने भारत के किराना बाजार को बुरी तरह हिला दिया है. छोटे-छोटे दुकानदार खुश हैं तो लाखों लोगों की रोजी-रोटी मुश्किल में पड़ गई है.
घरेलू चीजों के सेल्समैन विप्रेश शाह आठ दिन से डिटॉल साबुन की एक भी टिकिया दुकानदारों को नहीं बेच पाए हैं. ये वही दुकानदार हैं जो 14 साल से उनसे सामान खरीद रहे हैं.
महाराष्ट्र के सांगली के नजदीक वीटा में विप्रेश शाह ब्रिटेन की रैकिट बैंकाइजर कंपनी के आधिकारिक डिस्ट्रीब्यूटर हैं. वह बताते हैं कि उनके सबसे वफादार ग्राहक भी अब टूटने लगे हैं क्योंकि वे लोग जियोमार्ट पार्टनर ऐप की ओर जा रहे हैं.
विप्रेश कहते हैं कि सामान बेचने जाओ तो दुकानदार ऐप दिखा देते हैं जिस पर कीमतें 15 प्रतिशत तक कम हैं. वह बताते हैं, "रिकेट का डिस्ट्रीब्यूटर हूं तो कभी बाजार मैं राजा हुआ करता था. अब ग्राहक कहते हैं कि देखो तुमने हमें कितना लूटा है.”
31 साल के व्यापारी शाह कहते हैं कि जियोमार्ट जिस कीमत पर सामान दे रहा है उस पर सामान बेचने के लिए उन्हें अपनी जेब से लगभग डेढ़ लाख रुपये देने पड़े हैं. जियोमार्ट भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की ऐप है जिसके जरिए वह भारत के रीटेल सेक्टर में क्रांति लाना चाहते हैं.
भारत में वीटा जैसी ऐसी हजारों छोटी-छोटी जगह हैं जहां के छोटे-छोटे किराना दुकानदार अब थोक में सामान खरीदने के लिए जियोमार्ट के पास जा रहे हैं. ये छोटे किराना दुकानदार आज भी भारत के 900 अरब डॉलर के रीटेल बाजार के ज्यादातर हिस्से के मालिक हैं.
मुकेश अंबानी ने जिस तरह जियो के जरिए टेलीकॉम उद्योग को उथल-पुथल कर दिया था, कुछ वैसा ही काम अब रीटेल सेक्टर में हो रहा है. जियोमार्ट के जरिए वह अमेजॉन और वॉलमार्ट जैसी अमेरिकी कंपनियों को भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं और तेजी से भारत में पांव पसार रहे हैं.
कैसे मची उथल-पुथल
भारत में लगभग छह लाख गांव हैं. इनमें थोक सप्लाई के लिए लगभग साढ़े चार लाख डिस्ट्रीब्यूटर हैं. अब तक ये थोक व्यापारी 3-5 फीसदी के मार्जिन पर किराना दुकानदारों को सामान बेचते रहे हैं. यह व्यापार व्यक्तिगत रूप से होता है और किराना दुकानदार या खुद सामान ले जाते हैं या फिर व्यापारी उनके यहां सामान पहुंचा देते हैं.
लेकिन रिलायंस का मॉडल इस व्यवस्था में उथल पुथल मचा रहा है. जियोमार्ट ऐप पर किराना दुकानदार अपनी दुकान से ही ऑर्डर करते हैं और उन्हें 24 घंटे में डिलीवरी मिल जाती है. रिलायंस दुकानदारों को ट्रेनिंग भी देता है कि कैसे ऑर्डर करना है. इसके अलावा उधार और मुफ्त सैंपल जैसी सुविधाएं भी हैं.
इसका असर रैकिट, यूनिलीवर, कोलगेट पामोलिव जैसी कंपनियों के लाखों छोटे-छोटे डिस्ट्रीब्यूटर और सेल्समैन को झेलना पड़ रहा है. दर्जनों सेल्समैन, डिस्ट्रीब्यूटरों और एक ट्रेडर ग्रुप के लोगों से बातचीत में यह बात सामने आई कि इन लोगों का पूरा धंधा मुश्किल में पड़ गया है.
इन लोगों ने बताया कि ऐप आने के बाद 20-25 प्रतिशत तक कम हो गया है जिसके चलते बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी से निकालना पड़ है और वाहन तक बेचने पड़े हैं.
वीटा के डिस्ट्रीब्यूटर विप्रेश शाह ने बताया कि उनके पास आठ लोग काम करते थे जिनमें से चार को उन्होंने काम से हटा दिया है. उन्हें डर है कि 50 साल से चला आ रहा उनका खानदानी व्यापार छह महीने भी नहीं टिक पाएगा.
उग्र विरोध
इस उथल पुथल का असर कई जगह तो हिंसा के रूप में भी सामने आया है. महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कई जगहों पर जियोमार्ट की गाड़ियों का रास्ता रोका गया है. ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन में चार लाख एजेंट सदस्य हैं. इस संघ के अध्यक्ष धैर्यशील पाटील कहते हैं कि वह रिलायंस का विरोध जारी रखेंगे.
पाटील ने बताया, "हम तो गुरिल्ला तकनीक अपनाएंगे. हम आंदोलन जारी रखेंगे. हम चाहते हैं कि कंपनियां हमारी कीमत समझें.” हालांकि, रिलायंस पर इसका असर नहीं हो रहा है और 2018 में शुरू हुआ रीटेल वेंचर पूरे जोर से आगे बढ़ाया जा रहा है. रिलायंस ने इस बारे में सवालों के जवाब तो नहीं दिए लेकिन कंपनी से जुड़े एक स्रोत ने बताया कि किराना दुकानों को अपने नेटवर्क में शामिल करना जारी रखा जाएगा.
कोलगेट और यूनिलीवर ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जबकि रैकिट ने बस इतना कहा कि उसके ग्राहक और डिस्ट्रीब्यूटर उसके व्यापार का अहम हिस्सा हैं.
वीके/एए (रॉयटर्स)
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर करीब एक साल से चल रहे किसान आंदोलन की गूंज सोमवार को उत्तर प्रदेश के उस अवध इलाके में सुनाई दी जहां इतिहास का पहला बड़ा किसान आंदोलन हुआ था.
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट-
उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में करीब सौ साल पहले किसानों ने एका आंदोलन के जरिए अपनी ताकत दिखाई थी और स्थानीय ताल्लुकेदारों के अत्याचार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था. इस आंदोलन के बाद ही पहले अवध किसान सभा और फिर अखिल भारतीय किसान सभा का गठन हुआ. सोमवार को इसी अवध यानी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में देश भर से जुटे किसानों ने सरकार को अपनी ताकत का अहसास कराया.
लखनऊ में सोमवार को आयोजित किसान महापंचायत, कृषि कानूनों को रद्द करने की प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद पहली महापंचायत थी और इस लिहाज से भी काफी अहम थी क्योंकि पहली बार ये उत्तर प्रदेश की राजधानी यानी राज्य के लगभग मध्य में हो रही थी. अभी तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ही अलग-अलग जगहों पर किसान महापंचायतों ने सुर्खियां बटोरीं, लेकिन अब उसका रुख पूरे यूपी और उत्तराखंड की तरफ हो गया है.
हालांकि इससे पहले भी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल के कई जिलों में राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चे के बैनर तले कई किसान महापंचायत कर चुके हैं.
युद्ध विराम एकतरफा है
लखनऊ के इको गार्डन में आयोजित इस महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि कृषि कानून वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री ने ऐलान भले ही कर दिया हो लेकिन किसानों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि संसद से इसे रद्द नहीं कर दिया जाता. उन्होंने कहा कि इस मामले में संघर्ष विराम की घोषणा प्रधानमंत्री ने की है, किसानों ने नहीं. उनके मुताबिक, "एमएसपी पर गारंटी के कानून समेत अभी कई मामले हैं जिनका हल निकलने के बाद ही आंदोलन समाप्त होगा.”
राकेश टिकैत और दूसरे किसान नेताओं ने प्रधानमंत्री की बात पर भरोसा न जताने की बात दोहराते हुए उन पर कई आरोप लगाए. राकेश टिकैत का कहना था, "उन्होंने यह कहकर किसानों को विभाजित करने की कोशिश की कि वे कुछ लोगों को इन कानूनों को समझाने में विफल रहे. प्रधानमंत्री के माफीनामे से नहीं बल्कि नीति बनाने से किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिलेगा. एमएसपी पर कोई समिति नहीं बनाई गई है. यह झूठ है."
किसान आंदोलन का दावा है कि वह राजनीतिक नहीं हैं और न ही इनके मंच पर किसी राजनीतिक दल के नेताओं को आने की अनुमति है, फिर भी इस आंदोलन के राजनीतिक मायनों को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार अनिल चौधरी कहते हैं, "आंदोलन को समर्थन दे रहे विपक्षी दलों और उसकी वजह से बीजेपी की संभावित हार के चलते ही प्रधानमंत्री ने तीनों कानूनों को वापस लेने की बात कही है, अन्यथा वे इसे एक साल पहले भी ले सकते थे. दूसरी ओर, आरएलडी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन को किसान यूनियन का अघोषित समर्थन हासिल है, यह किसी से छिपा नहीं है. हां, किसान यूनियन खुद चुनावी राजनीति में नहीं उतरेगी.”
बीजेपी को नुकसान की आशंका
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और किसान आंदोलन की वजह से बीजेपी को नुकसान की आशंका थी. कानून वापसी संबंधी फैसले के पीछे इसी नुकसान की आशंका को बताया जा रहा है. हालांकि बीजेपी के कई नेता ऐसा नहीं मानते लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीजेपी के नेता तो इसे स्वीकार भी करते हैं.
मुजफ्फरनगर बीजेपी के एक नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, "इस इलाके में जिस तरह से बीजेपी नेताओं का विरोध हो रहा था, उसे देखते हुए तो चुनाव में प्रचार करना तक मुश्किल हो जाता. कानून वापसी से कम से कम इतना तो हुआ कि अब नेता लोग क्षेत्र में प्रचार कर पाएंगे. हालांकि इससे नुकसान की भरपाई कितनी होगी, यह कहना मुश्किल है.”
आंदोलन में मौजूद सीपीआई और किसान नेता अतुल कुमार अंजान ने पूर्वांचल के वाराणसी इलाके में भी किसान महापंचायत आयोजित करने की मांग की. पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी और सुखदेव राजभर की पार्टी के साथ आ जाने के बाद जिस तरह से सपा लगातार इस इलाके में मजबूत हो रही है, राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, बीजेपी की स्थिति उतनी ही कमजोर हो रही है.
पूर्वांचल में भी असर
आंदोलन की खास बात यह रही कि इसमें बड़ी संख्या में पूर्वांचल, अवध और बुंदेलखंड के इलाकों के लोग शामिल हुए. अभी तक इन इलाकों में छिट-पुट तौर पर किसान संगठन आंदोलन जरूर कर रहे थे लेकिन आम किसानों की भागीदारी बहुत कम थी. किसान यूनियन के नेता इसे काफी सकारात्मक तरीके से ले रहे हैं.
प्रतापगढ़ से आए किसान वीरेंद्र मिश्र कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि इन इलाकों के किसान गाजीपुर बॉर्डर नहीं गए हैं. बल्कि सच्चाई यह है कि बड़ी संख्या में इस इलाके के लोग भी वहां मौजूद हैं. लेकिन वहां लोग इसलिए कम दिखते हैं क्योंकि एक तो वह दूर है और दूसरे, पुलिस किसानों को कदम-कदम पर रोक रही है. ऐसे में लोग वहां तक पहुंच नहीं पा रहे हैं.”राष्ट्रवादी किसान क्रांतिदल, अवध के क्षेत्र में सक्रिय एक किसान संगठन के अलावा राजनीतिक दल भी है. पार्टी के अध्यक्ष अमरेश कहते हैं कि क्रांतिदल शुरू से ही कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्षरत है और उनके समर्थक गाजीपुर बॉर्डर पर भी लगातार जाते रहे हैं.
अमरेश मिश्र के मुताबिक, "किसान आंदोलन से जुड़े लोगों को पहले तमाम आरोप लगाकर उन्हें खारिज करने की कोशिश की गई लेकिन पश्चिम बंगाल चुनाव और हाल ही में कुछ राज्यों में हुए उपचुनाव में जिस तरीके से बीजेपी की पराजय हुई है, उसे देखते हुए बीजेपी को सतर्क होना ही था. बीजेपी को पहले तो लगा कि पश्चिम में होने वाले नुकसान की भरपाई, यूपी के पूर्वांचल और मध्य भाग में ही कर लेंगे लेकिन सुभासपा जैसी पार्टियां जब सपा के झंडे के नीचे आने लगीं तो बीजेपी को हार का डर और ज्यादा सताने लगा. कानून वापस लेने के पीछे यही राजनीति है.”
26 नवंबर को किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर महापंचायत में गाजीपुर बॉर्डर पर जुटने की अपील की गई है और साथ ही यह भी कहा गया है कि संसद सत्र के दौरान किसान संसद की ओर कूच करेंगे. वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं, "यदि सरकार कृषि कानून पिछले साल ही वापस लेने की घोषणा कर देती, तो नुकसान की गुंजाइश कम थी लेकिन अब कुछ ज्यादा देर हो गई है. किसान भी समझ रहे हैं कि चुनाव से ठीक पहले इसे रद्द कर देना, हृदय परिवर्तन नहीं बल्कि राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति को ध्यान में रखकर किया गया फैसला है.” (dw.com)
मानव इतिहास के सबसे पुराने गहने उत्तरी अफ्रीकी देश मोरक्को के एक तटीय शहर में मिले हैं. पुरातत्वविदों के अनुसार ये लगभग 1,42,000 से 1,50,000 वर्ष पुराने हैं.
मोरक्को में पुरातत्वविदों ने ऐसे गहनों का पता लगाया है जिनके बारे में उनका दावा है कि यह मानव इतिहास में सबसे पुराने हैं. यह खोज मोरक्को के तटीय शहर एसेएयूरा में बिजमन गुफाओं में की गई थी. पुरातत्वविदों ने ऐसी सीप का पता लगाया है जिसका इस्तेमाल हार और कंगन में किया जाता था.
पुरातत्वविद् अब्दुल जलील बोउजुगर के मुताबिक, सीप लगभग 1,42,000 से 1,50,000 वर्ष पुराने हैं. उनके मुताबिक, "मानवता के इतिहास में इस खोज का अत्यधिक महत्व है." उनके अनुसार जेवर यह सुझाव देता है कि मालिक भाषा का उपयोग कर रहा था. बोउजुगर कहते हैं, "ये सभी प्रतीकात्मक वस्तुएं हैं और प्रतीकों के विपरीत उपकरणों का आदान-प्रदान केवल भाषा के माध्यम से ही संभव है."
मोरक्को के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए पुरातत्वविद् बोउजुगर ने कहा कि इसी तरह की कलाकृतियां मध्य पूर्व और अफ्रीका में पाई गई थीं, लेकिन उनकी उम्र 35,000 से 1,35,000 तक थी. उनके मुताबिक इतने बड़े क्षेत्र से एक ही प्रकार की सीपों की खोज से साबित होता है कि ये लोग कुछ जानते थे और यह कोई भी भाषा हो सकती है. बोउजुगर ने यह भी कहा कि विभिन्न स्थानों पर मिलने वाले आभूषणों की शैली से पता चलता है कि उन्होंने दूरदराज के इलाकों की यात्रा की.
मोरक्को में होमो सेपियन्स के पुरातात्विक अवशेष मिल चुके हैं. 2017 में चार लोगों के अवशेष मिले थे जिनकी मृत्यु 3,15,000 साल पहले हुई थी. बोउजुगर की टीम में मोरक्को के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्कियोलॉजी एंड कल्चरल हेरिटेज के शोधकर्ता, साथ ही अमेरिका में एरिजोना विश्वविद्यालय और फ्रांस में लामपिया रिसर्च सेंटर के शोधकर्ता शामिल हैं.
सितंबर में मोरक्को के पुरातत्वविदों ने 1,20,000 साल पुराने कपड़ा बनाने वाले उपकरण की खोज की थी, जो अब तक का सबसे पुराना है.
एए/सीके (एएफपी)