मनोरंजन
लॉस एंजेलिस, 8 फरवरी | भारतीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'राइटिंग विद फायर' को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर कैटेगरी के तहत ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया है।
ऑस्कर नामांकन पाने वाली यह पहली भारतीय डॉक्यूमेंट्री फीचर बन गई है।
इस भारतीय डॉक्यूमेंट्री को 'द वाशिंगटन पोस्ट' ने सबसे प्रेरक पत्रकारिता फिल्म बताया है, जबकि 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने भी इसे सराहा है।
निर्देशक रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष द्वारा निर्देशित राइटिंग विद फायर दलित महिलाओं द्वारा संचालित भारत के एकमात्र समाचार पत्र 'खबर लहरिया' के उदय के इतिहास पर आधारित है।
यह बिहार के सीतामढ़ी और यूपी के बांदा जिले में हाशिए पर रहने वाले समुदायों की महिलाओं द्वारा संचालित सामुदायिक समाचार पत्र 'खबर लहरिया' की प्रेरक कहानी का दस्तावेज है।
पिछले साल सनडांस फिल्म फेस्टिवल में शीर्ष पुरस्कार जीतने वाली 'राइटिंग विद फायर' की कहानी अखबार की प्रिंट से डिजिटल माध्यम तक की यात्रा का पता लगाती है, जिसमें महिलाएं साहसी स्मार्टफोन पत्रकार बन जाती हैं।
सनडांस इंस्टीट्यूट द्वारा समर्थित, डॉक्यूमेंट्री को अखबार के मुख्य रिपोर्टर और क्राइम रिपोर्टर के रास्तों का अनुसरण करते हुए पांच वर्षों में शूट किया गया था, क्योंकि वे देखते हैं कि कभी-कभी उनके जैसी महिलाओं के लिए एक कठिन और खतरनाक दुनिया क्या हो सकती है।
खबर लहरिया चलाने वाले और प्रिंट से डिजिटल में इसके बदलाव की देखरेख करने वाले सिटीजन जर्नलिस्ट्स की कहानी को संयुक्त राज्य में लगभग हर फिल्म ट्रेड मैगजीन ने खास प्रशंसा के साथ बधाई दी है।
भारतीय सिनेमा के लिए एक बार गर्व करने वाला पल आया है और दुनिया के सबसे बड़े अवॉर्ड समारोह में भारत ने एक बार फिर अपनी जगह बना ली है। इस डॉक्यूमेंट्री की चहुंओर सराहना की जा रही है।(आईएएनएस)
दूरदर्शन पर प्रसारित बीआर चोपड़ा के सीरियल महाभारत में भीम का किरदार निभाने वाले अभिनेता प्रवीण कुमार का निधन हो गया है. वह 74 साल के थे.
महाभारत धारावाहिक के अलावा उन्होंने कई दूसरे धारावाहिकों और बॉलीवुड फ़िल्मों में भी भूमिकाएं निभाई थीं.
उनके निधन पर धारावाहिक में युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले गजेंद्र चौहान ने ट्वीट कर शोक ज़ाहिर किया है. उन्होंने लिखा है- आज सुबह ही एक और दुःखद समाचार मिला. मेरे 'महाभारत के भाई' प्रवीण कुमार जी हम सबको छोड़कर अनंत यात्रा पर चए गए. विश्वास नहीं हो रहा. पा जी, आप हमेशा हमारी यादों में रहेंगे. (bbc.com)
मुंबई, 6 फरवरी | मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने दिग्गज गायिका लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी है, जिनका रविवार को 92 साल की उम्र में मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। अभिनेता ने अपने निजी ब्लॉग पर लता मंगेशकर को लाखों सदियों की आवाज के रूप में वर्णित किया।
उन्होंने लिखा, "वह हमें छोड़ गई हैं .. एक लाख सदियों की आवाज हमें छोड़ गई है .. शांति और शांति के लिए प्रार्थना।"
सिने आइकन के अलावा, कई बॉलीवुड हस्तियों अक्षय कुमार, सलमान खान, कंगना रनौत, अजय देवगन, काजोल, रणवीर सिंह, अनुष्का शर्मा, परिणीति चोपड़ा, प्रियंका चोपड़ा, करीना कपूर ने भारत की राग रानी को श्रद्धांजलि दी।
लता मंगेशकर ने 28 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद रविवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में दम तोड़ दिया। (आईएएनएस)
मुंबई, 6 फरवरी | फ्ऱैंका पोटेंटे ने बॉलीवुड अभिनेत्री तापसी पन्नू के लिए एक विशेष संदेश साझा किया है।
पोटेंटे ने तापसी और फिल्म की टीम के लिए एक वीडियो संदेश भेजा। बॉलीवुड अभिनेत्री ने इंस्टाग्राम पर क्लिप साझा की।
वीडियो में, पोटेंटे कहती हैं, नमस्कार दोस्तों, मैं फ्रेंका है। मुझे लगता है कि यह रोमांचक है कि आप इतने सालों के बाद 'रन लोला रन' के रीमेक की शूटिंग कर रहे हैं। मैं गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा है।
"तापसी को शुभकामनाएँ। मुझे यकीन है कि आप अद्भुत होंगे और मैं फिल्म देखने के लिए और इंतजार नहीं कर सकती।"
तापसी ने क्लिप को कैप्शन दिया, यह इसे कई बार खास बनाता है! धन्यवाद, फ्रेंका।
'रन लोला रन' 1998 में आई जर्मन एक्सपेरिमेंटल थ्रिलर है। यह लोला (फ्रैंका द्वारा अभिनीत) नाम की एक महिला का अनुसरण करती है, जिसे अपने प्रेमी मन्नी को बचाने के लिए 20 मिनट में 100,000 डीमार्क की आवश्यकता होती है।
आकाश भाटिया द्वारा निर्देशित 'लूप लपेटा' में तापसी के अलावा ताहिर राज भसीन भी हैं।
यह नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी है। (आईएएनएस)
मुंबई, 5 फरवरी | फिल्मकार बोनी कपूर, अजित अभिनीत फिल्म की शूटिंग नौ मार्च से शुरू करेंगे। एक सूत्र ने कहा, "पांच फिल्मों को महामारी के बीच खत्म करने के बाद, बोनी कपूर 9 मार्च को अजित के साथ तमिल फिल्म की शूटिंग शुरू करेंगे।"
सूत्र ने आगे कहा, "फिल्म के लिए सेट पहले से ही बनाया जा रहा है। ठेठ बोनी कपूर शैली में, यह फिल्म भी बड़े पैमाने पर स्थापित की जा रही है!"
महामारी के बीच में शूटिंग शुरू करने और खत्म करने वाली बोनी की फिल्मों में अजित-स्टारर 'वलीमाई', अजय देवगन-स्टारर 'मैदान', उदयनिधि स्टालिन की 'नेन्जुकु निधि', वीतला विशेषंगा और जान्हवी कपूर की 'मिली' हैं।
तमिल में अजित 'वलीमाई' के साथ उनकी दूसरी फिल्म 24 फरवरी को रिलीज हो रही है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 4 फरवरी| इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या सेंसर बोर्ड ने फिल्म 'पृथ्वीराज' की रिलीज के लिए सर्टिफिकेट दिया है।
अदालत का यह आदेश गुरुवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर आया, जिसमें फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
अदालत ने मामले की सुनवाई 21 फरवरी से शुरू होने वाले सप्ताह में तय की है।
न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति एन.के. जौहरी ने यह आदेश करणी सेना की उपाध्यक्ष संगीता सिंह की जनहित याचिका पर पारित किया।
याचिका में फिल्म की रिलीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि यह एक हिंदू सम्राट पृथ्वीराज की 'गलत और अश्लील' तस्वीर पेश कर रही है और इसलिए इससे भावनाओं को ठेस पहुंची है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि फिल्म के प्रीव्यू से ही पता चलता है कि यह विवादास्पद है।
'पृथ्वीराज' अक्षय कुमार स्टारर हिंदी फिल्म है।
यह दूसरी बार है जब करणी सेना किसी फिल्म की रिलीज का विरोध कर रही है।
साल 2017 में करणी सेना ने संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित और दीपिका पादुकोण अभिनीत 'पद्मावती' का कड़ा विरोध किया था।
राष्ट्रव्यापी विरोध के कारण फिल्म की रिलीज में देरी हुई और निर्माताओं ने शीर्षक को 'पद्मावती' से बदलकर 'पद्मावत' कर दिया था। (आईएएनएस)
मुंबई, 4 फरवरी| लोकप्रिय टेलीविजन अभिनेता करण पटेल आगामी वेब सीरीज 'रक्तांचल 2' के साथ वेब स्पेस में अपनी शुरूआत करने के लिए तैयार हैं।
'ये है मोहब्बतें' फेम अभिनेता ने कहा, "लंबे समय तक टेलीविजन उद्योग में काम करने के बाद, मैं ओटीटी स्पेस का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक था, लेकिन मैं सही अवसर का इंतजार कर रहा था। डिजिटल कंटेंट मजबूत और रोमांचक है। ऐसी कहानी जो अभिनेताओं को अपनी बहुमुखी प्रतिभा दिखाने के साथ-साथ दिलचस्प पात्रों के साथ खुद को चुनौती देने के कई अवसर देती है।"
शो में करण हिमांशु पटनायक नाम के एक पुलिस अफसर का किरदार निभा रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा, "जब मैंने सीरिज की कहानी पढ़ी, तो ये मुझे बहुत पसंद आई। इसने मुझे एक अभिनेता के रूप में खुद को बेहतर बनाने में मदद की। यह हमारे शो के कलाकारों के साथ काम करने का एक शानदार अनुभव रहा है!"
रीतम श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित, 'रक्तांचल 2' 9 एपिसोड की सीरीज है जिसमें निकितिन धीर, क्रांति प्रकाश झा, माही गिल, आशीष विद्यार्थी और सौंदर्या शर्मा भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
यह शो 11 फरवरी को एमएक्स प्लेयर पर रिलीज होगा। (आईएएनएस)
वंदना
बात जुलाई 1972 की है जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो भारत आए थे और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ शिमला में अहम बातचीत चल रही थी.
कोई 19 साल की रही बेनज़ीर भुट्टो भी अपने पिता के साथ भारत आई थीं. अचानक उन्होंने फ़िल्म पाकीज़ा देखने की ख़्वाहिश ज़ाहिर कर डाली. कुछ महीने पहले ही 4 फ़रवरी 1972 को पाकीज़ा रिलीज़ हुई थी.
पूर्व आईएएस अधिकारी एमके कॉ ने अपनी किताब 'एन आउटसाइडर एवरीवेयर' में लिखा है, "मैंने शिमला के डिप्टी कमिश्नर से तुरंत बात की. बेननज़ीर के लिए रिट्ज़ सिनेमा में विशेष शो रखवाया गया. हॉल में बस तीन लोग थे."
ये छोटा सा किस्सा बताता है कि कैसा था 50 साल पहले 4 फ़रवरी 1972 को रिलीज़ हुई कमाल अमरोही और मीना कुमारी की फ़िल्म पाकीज़ा का जादू.
फ़िल्म के एक सीन से इस जादुई फ़िल्म की रूह को समझने की कोशिश करते हैं.
"कल हम एक मुजरे में जा रहे हैं..एक दिन के लिए तुम्हारी तक़दीर हमें चाहिए, परसों लौटा देंगे."
फ़िल्म में सामने वाले कोठे के छज्जे से जब वो तवायफ़ मीना कुमारी यानी साहिबजान से ये अलफ़ाज़ कहती है तो आप समझ जाते हैं कि दुनिया की नज़रों में साहबिजान की तक़दीर बुलंदियों पर है. सबको उससे रश्क़ है.
लेकिन कोठे पर बैठी साहिबजान (मीना कुमारी) एक अजीब सी बेरुख़ी से जवाब देती हैं, "हाँ हाँ ज़रूर ले जाना (तक़दीर), फिर चाहे वापस भी मत करना."
फ़िल्म पाकीज़ा में साहिबजान बनी मीना कुमारी के ये अलफ़ाज़ साहिबजान की ज़िंदगी, उसके जज़्बात, उसकी कश्मकश, उसकी बेबसी सब कुछ बयां कर देते हैं.
वैसे बारीकी से देखेंगे तो पाकीज़ा की कहानी कई बार कही जा चुकी है. एक तवायफ़, एक 'इज़्ज़तदार' घराने का लड़का और उनकी प्रेम कहानी.
कहानी शायद कुछ ख़ास अलग तो नहीं है पर ये जिस तरह से कही गई है वही पाकीज़ा को ख़ास बनाती है.
ये एक तवायफ़ साहिबजान (मीना कुमारी) और सलीम (राज कुमारी) की दास्तां है- रात में ट्रेन के एक डिब्बे में इश्क़ की ऐसी कहानी जहाँ सलीम ने बस साहिबजान के हसीन पैर देखे हैं.
और साहिबजान ने सिर्फ़ चंद अल्फ़ाज़ों वाली वो चिट्ठी पढ़ी है जिसे सलीम चुपके से उसके लिए छोड़ गया है- "आपके पाँव देखे बहुत हसीन हैं, इन्हें ज़मीन पर मत उतारिएगा मैले हो जाएँगे."
लेकिन दो लोगों की प्रेम कहानी से परे ये दरअसल साहिबजान की जद्दोजहद, ख़्वाहिश और तड़प की कहानी है- तड़प कि वो जैसी है, उसका माज़ी जो भी है, क्या समाज उसे उसी हाल में स्वीकार करेगा या उसे नकार देगा?
और यही सवाल निर्देशक कमाल अमरोही की फ़िल्म पाकीज़ा को टाइमलेस भी बनाता है क्योंकि पाकीज़ा एक ऐसे इंसानी जज़्बात को छूकर जाती है जिससे इंसान कभी न कभी जूझता ही है- स्वीकारे जाने का सवाल.
राज कुमार का वो डायलॉग -इन्हें ज़मीन पर मत...
फ़िल्म में हर रात मीना कुमारी ट्रेन की आवाज़ सुनती है और उस अनजान शख़्स को याद करते हुए कहती है- "हर रात तीन बजे एक रेलगाड़ी अपनी पटरियों से उतर कर मेरे दिल से गुज़रती है...और मुझे एक पैग़ाम दे जाती है."
एक तवायफ़ की ये तड़प उस ग़ुमनाम इंसान के लिए है जो उसके पैरों के नाम एक हसीन प़ैगाम लिख गया है. वो पैर जो सिर्फ़ औरों के लिए शामों को थिरकते रहे हैं.
लेकिन कोठो में रहने वाली साहिबजान (मीना कुमारी) की दोस्त उसे हक़ीकत का एहसास दिलाती है - "ये पैग़ाम तेरे लिए नहीं है. उस वक़्त तेरे पैरों में घुँघरू बंधे हुए नहीं होंगे. अगर घुँघरू बंधे हुए होते तो कैसे कोई कहता कि इन पैरों को ज़मीं पर मत रखना. ये पैग़ाम तो है लेकिन भटक गया है."
पाकीज़ा जज़्बातों की कहानी है, तवायफ़ों और कोठों की कहानी है, मुस्लिम समाज को दर्शाती एक दास्तां है लेकिन सबसे ख़ूबसूरत बात है कि ये औरत के नज़रिए से ही कही एक औरत की कहानी है जो अमूमन कम देखने को मिलता है.
मीना कुमारी की बेमिसाल अदाकारी
यूँ तो पाकीज़ा में कई किरदार हैं मसलन राज कुमार, अशोक कुमार, पर फिल्म की जान मीना कुमारी ही हैं.
अपनी अदायगी से मीना कुमारी ने एक औरत के सपनों और एक तवायफ़ की कश्मकश को बड़ी संजीदगी और कोमलता से निभाया है.
दुनिया के लिए साहिबजान कोठे पर बैठी सिर्फ़ एक तवायफ़ है.
फ़िल्म में मीना कुमारी की आँखों का वो दर्द सच्चा मालूम होता है जब टूटी हुई साहिबजान कहती है-"ये हमारे कोठे, हमारे मक़बरे हैं जिनमें मुर्दा औरतों के ज़िंदा जनाज़े सजा कर रख दिए जाते हैं. हमारी कब्रें पाटी नहीं जातीं, खुली छोड़ दी जाती हैं. मैं ऐसी ही किसी खुली हुई क़ब्र की बेसब्र लाश हूँ."
राज कुमार यानी सलीम से दुनिया जहाँ की मोहब्बत मिल जाने के बाद भी साहिबजान (मीना कुमारी) अपने आपको इस 'अपराध बोध' से आज़ाद नहीं कर पाती कि वो आख़िर है तो एक तवायफ़ ही.
या कहें कि समाज उसे कभी ये भूलने ही नहीं देता. उस वक्त वो समाज से नहीं, ख़ुद से भी लड़ रही होती है.
मीना कुमारी और कमाल अमरोही के टूटे रिश्तों की कहनी
इस फ़िल्म को बनाना मीना कुमारी और कमाल अमरोही दोनों के लिए ही आसान नहीं था.
फ़िल्म के बनने की कहानी दिलचस्प और उतार-चढ़ाव वाली है. पाकीज़ा कमाल अमरोही का आलीशान ख़्वाब था. 1954-1955 के आसपास इस फ़िल्म की शूटिंग शुरु हुई.
मीना कुमारी और कमाल अमरोही का इश्क़ अपने उफ़ान पर था और दोनों का निकाह भी हो चुका था.
लेकिन धीरे-धीरे मीना कुमारी और कमाल अमरोही में दूरियाँ बढ़ने लगीं और 1964 के बाद दोनों अलग-अलग रहने लगे.
फ़िल्म पर दम तोड़ते रिश्तों की धूल जमती रही और फ़िल्म का काम पूरी तरह बंद हो गया.
इस बीच मीना कुमारी बहुत बीमार रहने लगीं. फ़िल्मी दुनिया की शिखर पर बैठी मीना शराब की आदी हो गईं. इलाज के लिए वो विदेश चली गईं. उनके चेहरे और शरीर में कई बदलाव आ चुके थे.
बीमार मीना कुमारी की जगह बॉडी डबल...
दिलों में बैठ चुकी सख़्ती को कुछ वक़्त ने कम किया तो कुछ हालातों ने. सब कुछ एक तरफ़ रखते हुए मीना कुमारी और कमाल अमरोही ने 1968 में फिर से फ़िल्म पर जी जान से काम शुरु किया.
फ़िल्म पाकीज़ा के गाने और मुजरे इस फ़िल्म की आत्मा हैं. लेकिन जब फ़िल्म दोबारा शुरु हुई तो मीना कुमारी की सेहत ऐसी नहीं थी कि वो कठिन डांस स्टेप्स कर सकें.
इसलिए फ़िल्म में कुछ चुनिंदा जगह बॉडी डबल का इस्तेमाल किया गया है. मेघनाद देसाई ने अपनी किताब में इसका ज़िक्र किया है.
पाकीज़ा के आख़िर में एक मुजरा है जो फ़िल्म को क्लाइमेक्स तक ले जाता है.. जब साहिबजान अपने ही प्रेमी सलीम की शादी पर मुजरा कर रही हैं- 'आज हम अपनी दुआयों का असर देखेंगे, ज़ख्मे जिगर देखेंगे'. इस मुजरे में अभिनेत्री पदमा खन्ना को डबल के तौर पर इस्तेमाल किया गया था.
मीना कुमारी की सेहत के हिसाब से बने कपड़े
फ़िल्म का एक और ख़ूबसूरत गाना है 'मौसम है आशिक़ाना'. फ़िल्मफेयर मैगज़ीन को दिए एक इंटरव्यू में मीना कुमारी के सौतेले बेटे ताजदार अमरोही अपनी छोटी अम्मी को याद करते हुए बताते हैं, "जब पाकीज़ा की शूटिंग दोबारा शुरु हुई तो 'मौसम है आशिक़ाना' गाना शूट हो रहा था. बाबा (कमाल अमरोही) ने उस गाने में छोटी अम्मी को कुर्ता और लुंगी पहनवाई क्योंकि लिवर की बीमारी की वजह से उनका पेट फूल चुका था. बाद में वो ट्रेंड बन गया. ख़राब सेहत की वजह से वो काफ़ी थक जाया करती थीं पर शॉट शुरू होते ही फिर जोश मे आ जातीं.
"फ़िल्म के आख़िरी मुजरे में उन्हें तेज़ और गोल-गोल घूमना था और फिर गिर जाना था, लेकिन सेहत को देखते हुए उनके क्लोज़-अप बैठी हुई मुद्रा में ही लिए गए. जब राज कुमार के साथ निकाह के समय वो सीढ़ियों पर दौड़ते हुए भाग जाती हैं, वहाँ भी बॉडी डबल का इस्तेमाल किया गया. 'चलो दिलदार चलो' गाने में भी उनके चेहरे पर ज़्यादा फ़ोकस नहीं रखा गया."
लेकिन इन तमाम दिक़्क़तों के बावजूद न मीना कुमारी का हौसला डिगा न कमाल अमरोही का.
ब्लैक और व्हाइट में शूट हुआ 'इन्हीं लोगों ने..
वैसे टूटते रिश्तों की दरारों के बीच अटकी इस फ़िल्म को दोबारा शुरु कराने का श्रेय नरगिस को भी दिया जाता है.
मेघनाद देसाई अपनी किताब 'पाकीज़ा -एन ओड टू ए बाइगॉन वर्ल्ड' में लिखते हैं कि एक बार नरगिस और सुनील दत्त ने पाकीज़ा के शुरुआती प्रिंट देखे और देखकर कमाल अमरोही से कहा कि इस फ़िल्म को पूरा होना ही चाहिए.
यूट्यूब पर 1956 में ब्लैक और व्हाइट में शूट हुआ 'इन्हीं लोगों ने ले लीना' का एक क्लिप भी आपको मिल जाएगा जिसमें मीना कुमारी थिरकती नज़र आती हैं.
छह महीने में बना बाज़ार-ए-हुस्न का सेट
पाकीज़ा जितनी अपनी अदाकारी और निर्देशन के लिए जानी जाती है, उतनी ही दूसरी चीज़ों के लिए भी, मसलन फ़िल्म के सेट की वजह से.
दिल्ली और लखनऊ के कोठों की दुनिया को कमाल अमरोही ने अपनी कल्पना के मुताबिक़ बख़ूबी ढालने की कोशिश की.
बाज़ार-ए-हुस्न का सेट जहाँ 'इन्हीं लोगों ने' शूट किया गया था, उसे बनाने में कोई छह महीने लगे.
जेवर जयपुर से मंगवाए गए और शूटिंग के दौरान साहिबजान (मीना कुमारी) के कमरे में बेहतरीन और असली इत्र की शीशियाँ रखी जाती थीं.
मीना कुमारी ने कॉस्ट्यूम डिज़ाइन का ज़िम्मा ख़ुद संभाला था और फ़िल्म क्रेडिट से ये ज़ाहिर भी होता है.
पाकीज़ा एक तवायफ़ की कहानी है और इसका संगीत और एक-एक गाना इस कहानी की रूह है. फ़िल्म शुरू ही होती है घुँघरुओं की थाप से और आप समझ जाते हैं कि सफ़र संगीत से भरा होने वाला है.
ग़ुलाम मोहम्मद यूँ तो सम्मानित संगीतकार थे, लेकिन उस वक़्त दूसरे संगीतकारों का बोलबाला था. लेकिन कमाल अमरोही की ज़िद थी कि संगीत ग़ुलाम मोहम्मद ही देंगे. 12 धुनों में से 6 धुनें कमाल अमरोही ने रखीं और एक एक गाना आज की तारीख़ में नगीना माना जाता है.
जब मीना कुमारी ग़ुलाबी रंग के लिबास में ये मुजरा कर रही होती हैं तो आप बैकग्राउंड में अलग-अलग कोठों पर कोई 10-12 तवायफ़ों को नाचते हुए देख सकते हैं. कमाल अमरोही ने सिनेमास्कोप मे ये गाना बहुत ख़ूबसूरती से शूट किया था.
संगीतकार की तरह ही जर्मन सिनेमेटोग्राफ़र जोसेफ़ वर्शिंग का भी बीच फ़िल्म में ही निधन हो गया था और कई सिनेमेटोग्राफ़रों ने मिलकर इस फ़िल्म का काम पूरा किया.
परफ़ेक्शनिस्ट थे कमाल अमरोही
वैसे 'इन्हीं लोगों ने' वाला गाना हिंदी सिनेमा में कई बार फ़िल्माया जा चुका है. चाहे वो 1941 में फ़िल्म 'हिम्मत' के लिए शमशाद बेग़म का गाया गाना हो या फिर 'आबरू' में याकूब का गाया वर्ज़न.
फ़िल्म से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा मेघनाद देसाई अपनी किताब में बयां करते हैं. वो लिखते हैं, "कमाल अमरोही ने फ़िल्म के लिए विदेश जाकर लेंस ख़रीदे, लेकिन तब लेंस कैमरे में लगे हुए नहीं आते थे. उन्हें फ़िट करना जटिल काम था. ख़ैर अमरोही ने लेंस से शूटिंग की. लेकिन कुछ दिन बाद उन्होंने कहा कि सब कुछ आउट ऑफ़ फ़ोक्स है. कोई विशेषज्ञ मानने को तैयार नहीं था."
"आख़िकर एमजीएम कंपनी लंदन में टेस्ट करवाने को राज़ी हुई. फिर हॉलीवुड लैब में भी टेस्ट हुआ तो पता चला कि 1000र केएकवें हिस्से के मार्जिन से लेंस ऑफ़ फ़ोकस था. इस हद तक अमरोही परफ़ेक्शनिस्ट थे."
संगीत और गीत भी बेजोड़
दूसरे पहलूओं की बात करें तो पूरी फ़िल्म में साउंड का कमाल का प्रयोग हुआ है- रात के सन्नाटे को बार-बार चीरती रेल की वो सीटी जो साहिबजान को उस अनजान शख़्स की याद दिलाती है जिसने तवायफ़ की पहचान से परे उसे देखा और साहिबजान के मन में उम्मीद जगाई.
और दूसरा लता की आवाज़ में वो आलाप जो हर बार सुनाई देता है जब भी साहिबजान गहरी उदासी में होती है.
मजरूह सुल्तानपुरी (ठाड़े रहिओ), कैफ़ी आज़मी (चलते चलते यूँ ही कोई..), कैफ़ भोपाली (चलो दिलदार चलो) जैसे दिग्जग गीतकारों के बोल इस फ़िल्म में हैं. मौसम है आशिक़ाना के बोल तो ख़ुद कमाल अमरोही ने लिखे हैं.
पाकीज़ा को मिले थे ख़राब रिव्यू
फ़िल्म का संगीत हो या बोल या इसके संवाद ...हर पहलू में एक नफ़ासत झलकती है. मसलन एक रईस, तवायफ़ साहिबजान को अपने साथ रात बिताने शिकारे पर ले जाता है.
लेकिन साहिबजान तो एक अनजान शख़्स के प्यार में ग़ुम हो चुकी है. ख़्यालों में खोई हुई साहिबजान को देखकर वो रईस कहता है- "तुम्हें ख़रीदा तो था पर नुक़सान हो गया. दिल कहता है तुम कोई चुराई हुई चीज़ हो, जिसे ख़रीदना जुर्म है."
ये फ़िल्म जब 4 फ़रवरी 1972 को रिलीज़ हुई तो अपने वजूद में आने के क़रीब 15 साल बाद पर्दे पर आ रही थी. सिनेमाप्रेमी अमिताभ बच्चन की दुनिया में क़दम रख चुके थे.
धीमी और शायराना अंदाज़ से बनी इस फ़िल्म को पहले दिन क्रिटिक्स से बहुत ख़राब रिव्यू दिया.
विनोद मेहता ने अपनी किताब में 'मीना कुमारी दि क्लासिक बायोग्राफ़ी' में लिखा था, "उस वक़्त टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने पाकीज़ा को लैविश वेस्ट करार दिया था यानी एक आलीशान बर्बादी. जबकि फ़िल्मफ़ेयर के क्रिटिक ने पाकीज़ा को सिर्फ़ एक स्टार दिया था."
लेकिन मराठा मंदिर में रिलीज़ हुई पाकीज़ा धीरे-धीरे अपना जादू बिखेरने लगी.
फ़िल्मफ़ेयर में पाकीज़ा को कई पुरस्कार मिलने की उम्मीद थी. लेकिन इस वक्त लोगों को काफ़ी हैरत हुई थी जब बेस्ट फ़िल्म, बेस्ट डायेरक्टर और बेस्ट संगीत का अव़ॉर्ड फ़िल्म 'बेईमान' को मिला.
प्राण को जब 'बेईमान' के लिए बेस्ट सहायक कलाकार का पुरस्कार मिला तो उन्होंने ये कहते हुए लेने से इनकार कर दिया था कि उनकी अपनी फ़िल्म 'बेईमान' की जगह 'पाकीज़ा' सर्वश्रेष्ठ संगीत के पुरस्कार की हक़दार है.
लेकिन इस सब से परे 'पाकीज़ा' कई मायनों में ख़ास रही. फ़िल्म 4 फ़रवारी 1972 को रिलीज़ हुई और 31 मार्च 1972 को मीना कुमारी ने दुनिया को अलविदा कह दिया. सिने प्रेमियों के लिए पाकीज़ा उनका आख़िरी तोहफ़ा था.
कमाल अमरोही ने अपनी ज़िंदगी में चार ही फ़िल्में बनाईं जिनमें से पाकीज़ा ने उन्हें हमेशा के लिए सिनेमाई इतिहास में दर्ज कर दिया.
फ़िल्म के आख़िर में एक सीन है जहाँ साहिबजान को सलीम (राजकुमार) की शादी पर मुजरे का न्योता मिलता है. सलीम से निकाह की पेशकश वो ख़ुद ही पहले ठुकरा चुकी है.
साहिबजान (मीना कुमारी) दिल खोल कर नाचती है और वहाँ टूटे काँच पर थिरकते हुए उसके पैर लहू लुहान हो जाते हैं. वही पैर जिसके लिए कभी राजकुमार ने कहा था कि इन्हें ज़मीन पर मत रखिएगा.
लेकिन इस फ़िल्म में आख़िरकर एक औरत ही औरत के लिए आवाज़ उठाती है. साहिबजान की मासी ख़ुद कोठा चलाती हैं और वो साहिबजान की माँ के साथ हुई नाइंसाफ़ी देख चुकी हैं. वो साहिबजान को आख़िरकर उसका हक़ दिलाती हैं.
फ़िल्म में मीना कुमारी का डबल रोल है- तवायफ़ माँ जो अशोक कुमार की बेटी यानी साहिबजान को जन्म देकर गुज़र जाती है.
यूँ तो ये फ़िल्म उस फ़्रेम पर ख़त्म हो सकती थी जब अंत में मीना कुमारी कोठे से दुल्हन के रूप में रुख़सत होती है और राज कुमार के साथ उसका निकाह होता है.
वो एक ख़ूबसूरत मंज़र होता, लेकिन कमाल अमरोही फ़िल्म 'पाकीज़ा' को उसी कोठे की एक अनजान तवायफ़ के चेहरे पर लाकर ख़त्म करते हैं- उसकी आँखों में भी वही तलाश, वही सवाल, वही तड़प होती है जो साहिबजान की आँखों में हुआ करती थी.
शायद एक और साहिबजान यहाँ से जन्म लेगी या फिर वहीं क़ैद होकर रह जाएगी.
बेमिसाल अदाकारी, ख़ूबसूरत लिबास, नक्काशी वाले आलीशान महल, क़ीमती ज़ेवर, दिलकश नज़ारों से सजा कैमरे का हर फ़्रेम, संगमरमर की तरह तराशा हुआ संगीत, शायरी में ढले संवाद और गीत- 'पाकीज़ा' देखने पर ये समझ पाना मुश्किल है कि आप किसके लिए ये फ़िल्म देखना चाहते हैं.
विनोद मेहता बकौल मीना कुमारी किताब में लिखते हैं - "पाकीज़ा एक ऐसा ख़्वाब था जिसके पीछे उनकी (कमाल अमरोही) रूह बरसों से भटकती रही है. ये वो महबूबा है जो उनकी कल्पना में न जाने कब से बसी हुई थी."
असल ज़िंदगी में मीना कुमारी और कमाल अमरोही की अधूरी प्रेम कहानी भले अधूरी रही, लेकिन दोनों ने मिलकर 'पाकीज़ा' का आलीशान सपना पूरा किया. (bbc.com)
सौरीश भट्टाचार्य
नई दिल्ली, 4 फरवरी| जब निखिल आडवाणी और सिद्धार्थ रॉय कपूर की 'रॉकेट बॉयज' का प्रीमियर शुक्रवार को सोनीलिव पर होगा, स्वतंत्र भारत के पहले दशक का एक गौरवशाली अध्याय उन प्रतिभाशाली पुरुषों और महिलाओं के सपनों और आकांक्षाओं के साथ जीवंत होगा, जिन्होंने इसे परिभाषित किया है।
यह हो सकता है कि वे हमारी सामूहिक स्मृति में फीके पड़ गए हों, लेकिन उनके प्रति हमारा कर्ज बहुत बड़ा है।
यह होमी जहांगीर भाभा (जिम सर्भ) और विक्रम साराभाई (इश्वाक सिंह) के जीवन को फिर से देखने में यह हमारी मदद करती है। कहानी है विशेषाधिकार प्राप्त परिवारों में पैदा हुए उन दो प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिकों की, जिन्होंने कैम्ब्रिज में शीर्ष शोध कार्य से वापस आकर भारत के परमाणु मिशन को आकार देने का विकल्प चुना। 'रॉकेट बॉयज' जवाहरलाल नेहरू के कुशल नेतृत्व में चलाए गए ऊर्जा और अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम को आकार देने वाले भारत के दो सबसे बड़े सफल व्यक्तियों की कहानियों का जश्न मनाती प्रतीत होती है।
अंबालाल साराभाई के पुत्र, दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के बाद गांधी के सान्निध्य का लाभ पाने वाले सबसे शुरुआती लाभार्थियों में से एक विक्रम साराभाई ने न केवल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को अपने शुरुआती वर्ष में चलाया, बल्कि वैज्ञानिकों की एक पीढ़ी का मार्गदर्शन भी किया, उनकी दृष्टि को आगे बढ़ाया। सन् 1971 में उनकी अकाल मृत्यु हो गई।
इनमें से एक युवा वैज्ञानिक हैं ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (थिएटर कलाकार अर्जुन राधाकृष्णन द्वारा अभिनीत), जो भारत के प्रसिद्ध 'मिसाइल मैन' और देश के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति बने।
कलाम ने अहमदाबाद में साराभाई की भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में नौकरी के लिए आवेदन किया था, जो देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नर्सरी थी। कलाम उन सभी संस्थानों की सूची साथ लेकर संभावित नियोक्ता से मिलने आए, जहां-जहां उन्होंने काम किया था। मगर नियोक्ता ने उन्हें नौकरी देने से मना कर दिया था।
वह सीरीज में कई बार दिखाई देते हैं। उन्होंने 'साउंडिंग' (अनुसंधान) रॉकेट, नाइक-अपाचे (नासा से कर्ज लेकर) का प्रक्षेपण 21 नवंबर, 1963 को तिरुवनंतपुरम के पास मछली पकड़ने वालों के एक पुराने गांव थुंबा से किया था। साराभाई को कलाम से मजाक में यह कहते हुए दिखाया गया है कि वह जो कर सकते थे, किया कि कम से कम इस अवसर पर अपने बाल कटवा लिए।
एक अन्य दृश्य में, जब नेहरू को यह सोचते हुए दिखाया गया है कि वह देश के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम को कैसे सही ठहरा पाएंगे, कलाम यह कहते हुए दिखते हैं कि प्रधानमंत्री हमेशा कहा करते हैं कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक था। कलाम आखिरी व्यक्ति थे, जिनसे साराभाई ने 30 दिसंबर, 1971 को निधन होने से पहले बात की थी।
इन ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के बावजूद, जो इसके फ्रेम के अंदर और बाहर चलते हैं, यह सीरीज भाभा और साराभाई का भौगोलिक विवरण प्रस्तुत करने से बहुत दूर है।
उदाहरण के लिए, यह ईमानदारी से विक्रम साराभाई की डांसर मृणालिनी साराभाई (रेजिना कैसेंड्रा) के साथ मुश्किल विवाह और कमला चौधरी (नेहा चौहान) के साथ उनके संबंधों पर रोशनी डालती है। वह अंतरिक्ष अग्रणी द्वारा बनाए गए कई संस्थानों में से एक आईआईएम-अहमदाबाद द्वारा नियुक्त किए गए पहले प्रोफेसर थे।
दिलचस्प बात यह है कि साराभाई की पहली मुलाकात तब हुई, जब मृणालिनी बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में परफॉर्म करने आई थीं, जिसके प्रमुख नोबेल पुरस्कार विजेता सी.वी. रमन थे। ब्रिटिश राज में प्रमुख अनुसंधान केंद्र को सहयोग देना वापस ले लिया, क्योंकि भाभा और साराभाई ने उसके परिसर में कांग्रेस का झंडा फहराया था।
एक प्रतिभाशाली भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी नर्तकी मृणालिनी साराभाई, जिनकी बहन लक्ष्मी सहगल थीं, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना की नेता थीं, ने अहमदाबाद में प्रसिद्ध प्रदर्शन कला अकादमी की स्थापना की। विक्रम साराभाई के साथ उनकी पहली मुलाकात में भाभा ने कामदेव की भूमिका निभाई थी।
यह सीरीज भाभा द्वारा नेहरू के समर्थन से चलाए गए परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के विरोध को भी उजागर करती है (वास्तव में, नेहरू की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी लाल बहादुर शास्त्री को परमाणु अभियान की भाभा की सक्रिय वकालत पर सवाल उठाते हुए दिखाया गया है)।
साराभाई, जैसा कि सीरीज में दिखाया गया है, भाभा के भारत के परमाणुकरण के सपने को लेकर भी उनके साथ मतभेद हो गए और उन्होंने परमाणु ऊर्जा आयोग छोड़ दिया।
रजित कपूर, जिन्हें 'द मेकिंग ऑफ द महात्मा' में गांधी की भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है, नेहरू की भूमिका निभाते हैं, जिन्हें भाभा 'भाई' कहते थे और जिन्होंने भारत के पहले परमाणु ऊर्जा रिएक्टर का नाम अप्सरा रखा था।
स्विट्जरलैंड में मोंट ब्लांक पर एक विमान दुर्घटना में भाभा का दुखद निधन, जब वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए वियना जा रहे थे। लंबे समय तक अफवाह थी कि यह सीआईए की करतूत थी।
अमेरिकी पत्रकार ग्रेगरी डगलस की सेवानिवृत्त सीआईए ऑपरेटिव रॉबर्ट क्रॉली के साथ बातचीत के प्रकाशन के साथ यह बात सामने आई कि एजेंसी भारत और विशेष रूप से भाभा से नाखुश थी। दुर्घटना इसलिए हुई, क्योंकि कार्गो होल्ड में एक बम लगाया गया था। बदकिस्मती से वह विमान एयर-इंडिया फ्लाइट 101 था।
क्रॉले ने सीआईए को बमबारी के अपराधी के रूप में नाम नहीं दिया, लेकिन उन्होंने निश्चित रूप से इसे निहित किया। संयोग से 24 जनवरी, 1966 को दुर्घटना होने के महीनों पहले भाभा ने ऑल इंडिया रेडियो पर घोषणा की थी कि भारत 18 महीनों में परमाणु बम बनाने में सक्षम हो जाएगा।
विडंबना यह है कि जिस दिन भाभा की मृत्यु हुई, उसी दिन इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने परमाणु कार्यक्रम को उस रास्ते पर स्थापित किया, जिस पर भाभा ले जाना चाहते थे। (आईएएनएस)
PRATIK SHEKHAR
हिंदी फिल्मों की सबसे हसीन अदाकारा मधुबाला को उनकी खूबसूरती के चलते ‘वीनस आफ हिंदी सिनेमा’ कहा जाता था. फिल्मी दुनिया में मधुबाला का सफर बहुत छोटा रहा और उन्होंने मात्र 36 साल की उम्र में 23 फरवरी 1969 को दम तोड़ दिया. मधुबाला हिंदी सिनेमा का ऐसा नाम है, जिसका जिक्र आते ही आंखों के आगे हसीन-जहीन चेहरा घूम जाता है, ऐसी खूबसूरती जिसे एक बार देख लिया जाए तो जेहन से निकालना मुश्किल है. उनकी खूबसूरती का डंका दुनियाभर में बजता था. वह 11 भाई-बहनों में पांचवें नंबर पर थीं.
वहीं, मधुबाला की 96 वर्षीय बहन कनीज बलसारा को लेकर एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है. ईटाइम्स ने अपनी एक एक्सक्लूसिव स्टोरी में बताया है कि कनीज बलसारा बिना किसी सहारे और पैसे के ऑकलैंड से मुंबई आ गई हैं. कनीज बलसारा को उनकी बहू समीना ने फ्लाइट में बिठाया. कनीज 29 जनवरी को रात 8 बजे मुबंई उतरी. मुंबई के बांद्रा इलाके में रहने वालीं कनीज की बेटी परवेज को समीना, नहीं बल्कि एक चचेरे भाई के माध्यम से सूचित किया गया था.
मधुबाला की भतीजी ने दी पूरी जानकारी
मधुबाला की भतीजी परवेज ने ईटाइम्स को बताया, ‘कनीज 17-18 साल पहले पति के साथ न्यूजीलैंड गई थीं क्योंकि वह अपने बेटे फारूक (मेरे भाई) से इतना प्यार करती थी कि वह उसके बिना नहीं रह सकती थी. मेरा भाई भी मम्मी से बहुत प्यार करता था. वह हमारे माता-पिता को न्यूजीलैंड ले गया जब वे वहां चले गए. वह बहुत सम्मानित व्यक्ति थे. न्यूजीलैंड में करेक्शन डिपार्टमेंट में काम कर रहा था, लेकिन मेरी भाभी समीना को हमारे माता-पिता पसंद नहीं थे.’
मधुबाला की छोटी बहन भी हुईं हैरान
उन्होंने आगे बताया, ‘उसने (कनीज की बहू समीना) कभी घर पर मेरे माता-पिता के लिए खाना नहीं बनाया. मेरे भाई फारूक को पास के एक रेस्तरां से मम्मी और डैडी के लिए खाना लाना पड़ता था. समीना की बेटी (कनीज की पोती) की अब ऑस्ट्रेलिया में शादी हो गई है, लेकिन उसने भी मेरी मां के साथ बुरा व्यवहार किया. इस साल 8 जनवरी को उनके भाई के निधन के बाद समीना की प्रताड़ना और तेज हो गई होगी. कल्पना कीजिए, मेरे भाई को हमें छोड़े एक महीना भी नहीं हुआ है.’ वहीं, मधुबाला की छोटी बहन मधुर भूषण ने ईटाइम्स को बताया, ‘मैं शब्दों से परे हैरान हूं कि मेरी बहन के साथ इस तरह का व्यवहार किया गया है.’
चेन्नई, 31 जनवरी| निर्देशक विनीत श्रीनिवासन की मलयालम फिल्म 'हृदयम', जिसे काफी तारीफ मिली है, न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी धूम मचाए हुई है। भारत में यहां फिल्म प्रेमियों और आलोचकों से काफी प्रशंसा बटोर रही इस फिल्म ने विदेशों में अपने दूसरे सप्ताह की जोरदार शुरुआत की है।
फिल्म विश्लेषक तरण आदर्श ने ट्वीट किया, मलयालम फिल्म ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड में शानदार शुरुआत की है। मलयालम फिल्म 'हृदयम' ऑस्ट्रेलिया- न्यूजीलैंड में धमाका मचा दिया है।"
फिल्म ने ऑस्ट्रेलिया में पहले सप्ताह में गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को शो से लगभग 54.55 लाख रुपये और इसी अवधि के लिए न्यूजीलैंड में 21.49 लाख रुपये कमाए।
दूसरे हफ्ते में फिल्म ने अकेले गुरुवार और शुक्रवार के शो से ऑस्ट्रेलिया में 28.22 लाख और न्यूजीलैंड में 13.48 लाख रुपये कमाए।
फिल्म अमेरिका और कनाडा में भी असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रही है। इसने अमेरिका और कनाडा में शुक्रवार को दिखाए गए शो से कुल 1.42 करोड़ रुपये की कमाई करते हुए दूसरे सप्ताह में मजबूत शुरुआत की।
प्रणव मोहनलाल, कल्याणी प्रियदर्शन और दर्शन राजेंद्रन की मुख्य भूमिकाओं वाली 'हृदयम' यूके में भी शानदार कारोबार कर रही है, जहां इसने पहले हफ्ते में 65.13 लाख रुपये कमाए हैं। (आईएएनएस)
मुंबई, 31 जनवरी| रियलिटी शो 'बिग बॉस' के मेजबान सलमान खान ने रविवार की मध्यरात्रि से पहले 16 सप्ताह से चल रहे ड्रामा और सस्पेंस को खत्म किया। ग्रैंड फिनाले में तेजस्वी प्रकाश को 'बिग बॉस 15' की विजेता घोषित किया गया। इंजीनियरिंग स्नातक से टेलीविजन अभिनेत्री बनीं तेजस्वी को कलर्स चैनल पर प्रसारित एकता कपूर के फंतासी नाटक 'नागिन 6' के चेहरे के रूप में जाना जाता है। उन्हें बिग बॉस ट्रॉफी और 40 लाख रुपये के चेक के साथ अपने घर जाने का मौका मिला है।
ट्रॉफी जीतने के करीब पहुंचे प्रतीक सहजपाल एमिटी लॉ स्कूल के पूर्व छात्र हैं और अब एक प्रेरक वक्ता और अभिनेता हैं, उन्हें उपविजेता स्लॉट से संतोष करना पड़ा। रोडीज के पूर्व 'गैंग लीडर' करण कुंद्रा, जिन्होंने बाद में क्राइम शो 'गुमराह' को होस्ट किया, तीसरे नंबर पर रहे।
कुंद्रा ने कहा कि वह निराश हैं कि शीर्ष 2 में जगह नहीं बना पाए।
सलमान ने यह कहते हुए शो को बंद किया कि वह अगले सीजन 'मेरे साथ या मेरे बिना' के लिए उत्सुक हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 जनवरी | सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर फिल्म 'व्हाई आई किल्ड गांधी' पर रोक लगाने की मांग की गई है, जो महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को विभिन्न ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली है।
याचिकाकर्ता सिकंदर बहल ने सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से विवादित फिल्म की सभी सामग्री (कंटेंट) को हटाने की मांग करते हुए किसी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म या किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर किसी भी तरह से फिल्म या इसकी किसी भी सामग्री के प्रदर्शन या प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने अधिवक्ता अनुज भंडारी के माध्यम से याचिका दायर की है।
याचिका में कहा गया है, यदि उक्त फिल्म की रिलीज और प्रदर्शन को नहीं रोका गया, तो यह राष्ट्रपिता की छवि को अपूरणीय रूप से खराब करेगा और सार्वजनिक अशांति, घृणा और वैमनस्य का कारण बनेगा।
इसमें ओटीटी प्लेटफार्मों के सामग्री विनियमन की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।
याचिकाकर्ता के अनुसार, फिल्म के दो मिनट बीस सेकेंड के ट्रेलर में, भारत के विभाजन और पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार के लिए महात्मा गांधी को दोषी ठहराने का प्रयास किया गया है और इस तरह महात्मा की हत्या को सही ठहराने का प्रयास किया गया है।
पिछले साल, शीर्ष अदालत ने नोट किया था कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्मों को अनियंत्रित और अनस्क्रीन देखना एक मुद्दा है। शीर्ष अदालत ने कहा, मौजूदा मामले के तथ्यों में से एक मुद्दा उन प्लेटफार्मों के नियंत्रण और विनियमन से संबंधित है, जिन पर वेब सीरीज जारी की जाती है।
हाल ही में फिल्म को लेकर एक बड़े विवाद ने जन्म ले लिया है और ऑल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन (एआईसीडब्ल्यूए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है। आरोप लगाया जा रहा है कि यह फिल्म गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करना चाहती है और अगर यह रिलीज हुई तो यह देश के लोगों को अंदर तक झकझोर देगी।
फिल्म में गोडसे की भूमिका में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सांसद अमोल कोल्हे हैं, जो पिछले कुछ दिनों से सत्ताधारी महा विकास अघाड़ी महागठबंधन के सहयोगी दलों शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच तनाव का कारण बने हुए हैं। (आईएएनएस)
मुंबई, 28 जनवरी | अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी 'इंडियाज गॉट टैलेंट' रियलिटी शो की मदद से देश भर में छिपी प्रतिभा को सामने लाने पर खुश हैं। प्रीमियर वीकेंड के बारे में बोलते हुए, शिल्पा ने कहा कि मैं छिपी हुई प्रतिभाओं को उजागर करने के लिए उत्साहित हूं, जो भारत के नुक्कड़ और आस पास छुपी हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यह देखकर भी खुशी हो रही है कि दर्शक 'इंडियाज गॉट टैलेंट' के इस सीजन का आनंद ले रहे हैं। किरणजी, बादशाह, मनोज और मैं शो की शूटिंग पर बहुत अच्छा समय बिता रहे हैं।
यह चौथी बार है जब शिल्पा किसी रियलिटी शो को जज करती नजर आ रही हैं। इससे पहले वह 'जरा नचके दिखा', 'नच बलिए' और 'सुपर डांसर' जैसे शो जज कर चुकी हैं।
'इंडियाज गॉट टैलेंट' सीजन 9 सोनी टीवी पर प्रसारित होता है। (आईएएनएस)
-सौतिक बिस्वास
नेटफ़्लिक्स ने साल 2018 में सेक्रेड गेम्स सिरीज़ आने के बाद भारत में धूम मचाई थी
फ़रवरी 2018 में नेटफ़्लिक्स के सीईओ रीड हेस्टिंग्स ने दिल्ली में आयोजित एक वैश्विक व्यापार सम्मेलन में कहा था कि अब स्ट्रीमिंग जगत के इस दिग्गज के लिए अगले 10 करोड़ ग्राहक भारत से आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि नेटफ़्लिक्स के विस्तार के साथ ही सस्ते हो रहे इंटरनेट की वजह से यह संभव होगा.
तीन साल बीत जाने के बाद, रीड हेस्टिंग्स भारत को लेकर उतने उत्साहित नहीं रहे हैं. पिछले हफ़्ते एक इनवेस्टर कॉल पर उन्होंने कैलिफ़ोर्निया स्थित अपनी कंपनी को भारत में मिली कम सफलता को लेकर निराशा ज़ाहिर की.
उन्होंने कहा, "अच्छी ख़बर यह है कि हर बड़े बाज़ार में हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन जो बात हमें निराश और परेशान कर रही है, वह यह है कि हम भारत में इस तरह की सफलता क्यों नहीं हासिल कर पा रहे." हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी भारत में निश्चित रूप से आगे बढ़ रही है.
मीडिया पार्टनर्स एशिया नाम की एक मीडिया कंसल्टेंसी के मुताबिक़, भारत का 2 अरब डॉलर का स्ट्रीमिंग मार्केट लगभग 10 करोड़ सब्सक्राइबर्स से भरा हुआ है. छह साल पहले भारत में लॉन्च होने के बाद से नेटफ़्लिक्स यहां धूम मचा रहा है.
अनुमान के मुताबिक़, नेटफ़्लिक्स के भारत में क़रीब 55 लाख पेइंग यानी भुगतान करने वाले सब्सक्राइबर हैं. हालांकि, इसके बावजूद दुनिया का सबसे बड़ा स्ट्रीमर नेटफ़्लिक्स भारत में अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वियों- डिज़नी+ हॉटस्टार (4.6 करोड़ सब्सक्राइबर) और अमेज़ॉन प्राइम वीडियो (1.9 करोड़ सब्सक्राइबर) से काफ़ी पीछे है.
भारत में नेटफ़्लिक्स ने साल 2018 में आई 'सेक्रेड गेम्स' सिरीज़ के बाद धूम मचाई थी. बॉलीवुड के जानेमाने अभिनेताओं और भारत के दो बेहतरीन फ़िल्म निर्माताओं की बनाई गैंगस्टरों पर आधारित इस थ्रिलर ने सबको आकर्षित किया और यह सिरीज़ रिलीज़ होने के तुरंत बाद ही ख़ूब वाहवाही बटोरने लगी. द इकोनॉमिस्ट मैगज़ीन ने कहा कि नेटफ़्लिक्स की पहली ओरिजनल सिरीज़ ने यह साबित कर दिया है कि भारत में "हिंदी सिनेमा के पुराने टैलेंट, हॉलीवुड के मूल्यों और सिलिकॉन वैली के अरबों रुपये के इस नए मेल का भविष्य है."
हालांकि, वास्तव में ऐसा साबित नहीं हुआ. भारत एक विशाल मनोरंजन बाज़ार है. यहां 20 करोड़ से अधिक घरों में टीवी सेट हैं और चार डॉलर (300 रुपये) से भी कम लागत से टीवी पर कई चैनल्स देखे जा सकते हैं. अधिकांश भारतीय उपभोक्ता मनोरंजन के लिए फ़िल्में, खेल और ख़बरें देखना पसंद करते हैं.
भारत में कंज़्यूमर्स ने अब सच्ची कहानियों पर आधारित शो देखने शुरू कर दिए हैं. मिसाल के तौर पर स्टॉक ट्रेडिंग पर आधारित थ्रिलर 'स्कैम 1992' बीते साल SonyLIV पर स्ट्रीम हुई और कुछ ही समय के अंदर यह एक बहुचर्चित सिरीज़ बन गई.
मार-धाड़ और गाली-गलौच से भरी डार्क हार्टलैंड थ्रिलर्स भी लोगों का ध्यान खींच रही हैं. लेकिन यह ऐसा है जो आमतौर पर भारतीय घरों में पूरे परिवार के साथ बैठकर टीवी पर नहीं देखा जाता. एबंडंटिया एंटरटेनमेंट नाम की एक प्रमुख कंपनी के सीईओ विक्रम मल्होत्रा कहते हैं, "उपभोक्ता पैसे और समय के बदले अच्छा कॉन्टेंट देखना चाहते हैं."
नेटफ़्लिक्स ने मोबाइल प्लान की क़ीमत 60 प्रतिशत तक घटाई
नेटफ़्लिक्स ने भारत में उपभोक्ताओं को लुभाने की काफ़ी कोशिश की है. इस कड़ी में कंपनी ने सिर्फ़ मोबाइल पर चलने वाले प्लान की क़ीमत में 60 प्रतिशत तक की कटौती करते हुए 149 रुपये प्रति माह तक कर दी. इसके अलावा कंपनी ने 50 से अधिक फ़िल्में बनाने के लिए 40 करोड़ डॉलर यानी 3 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा की रक़म ख़र्च की है. इनमें से 30 से अधिक हिंदी भाषा की फ़िल्में और शोज़ थे.
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि इनमें से अधिकांश फ़िल्में उम्मीद पर खरी नहीं उतर पाईं. मीडिया कंसल्टिंग फ़र्म ऑरमैक्स के मुताबिक़, बीते साल हिंदी भाषा में सबसे ज़्यादा देखे गए टॉप 15 स्ट्रीमिंग शोज़ में नेटफ़्लिक्स की सिर्फ़ एक ही सिरीज़ थी. इसका नाम कोटा फ़ैक्ट्री है, जो कि परेशान कॉलेज छात्रों की कहानी है.
हालांकि, रिएलिटी डेटिंग सिरीज़ इंडियन मैचमेकिंग और हाल ही में आई डीकपल्ड की चर्चा ज़रूर हुई, लेकिन नेटफ़्लिक्स अभी भी काफ़ी हद तक स्क्विड गेम, मनी हाइस्ट जैसी विदेशी कहानियों से जुड़ा हुआ लगता है. द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार की फ़िल्म समीक्षक शुभ्रा गुप्ता कहती हैं, "नेटफ़्लिक्स को अभी भी अमीरों की महंगी सर्विस के रूप में जाना जाता है. इसे अभी भी विदेशी की तरह देखा जाता है."
प्रतिद्वंद्वी स्ट्रीमिंग सर्विसेज़ ने नेटफ़्लिक्स को पीछे छोड़ा
प्रतिद्वंद्वी स्ट्रीमिंग सर्विसेज़ ने नेटफ़्लिक्स को पछाड़ दिया है. डिज़्नी+ मुख्य रूप से अलग-अलग खेलों के प्रसारण की वजह से काफ़ी तेजी से आगे बढ़ा. दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट बाज़ार में, डिज़्नी के पास बड़े डिजिटल प्रसारण के अधिकार हैं जिसमें इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का प्रसारण भी शामिल है.
अमज़ॉन प्राइम वीडियो 10 भारतीय भाषाओं में प्रोग्रामिंग का एक बड़ा मंच देता है. इसका ऐक्शन-ड्रामा 'फ़ैमिली मैन' पिछले साल सबसे ज़्यादा देखा जाने वाला हिंदी स्ट्रीमिंग शो था. इसके अलावा गैंगलैंड ड्रामा 'मिर्ज़ापुर' भी देशभर में हिट रहा.
फ़िल्मों के लिए लालायित लोगों के लिए भी प्राइम बेहतरीन विकल्प है. ऑरमैक्स मीडिया के सीईओ शैलेश कपूर के मुताबिक़, भारतीय भाषाओं की क़रीब 40 प्रतिशत ब्लॉकबस्टर फ़िल्में प्राइम के अधीन हैं. इस साल से प्राइम पर न्यूज़ीलैंड में खेले जाने वाले क्रिकेट मैच का लाइव प्रसारण शुरू करने वाला है. प्राइम अपने मेंबर्स को यह सुविधा भी देता है कि वे एक सेवा के लिए भुगतान कर के आठ अन्य छोटी-छोटी स्ट्रीमिंग सर्विस का भी लुत्फ़ ले सकें.
इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का कहना है कि नेटफ़्लिक्स ने भारत में अपनी वैश्विक सफलता को दोहराने के लिए लाखों डॉलर ख़र्च किए और साथ में अपनी "इंटरनेशनल प्लेबुक" को भी अपनाया. कंपनी ने शो और फ़िल्मों के लिए बॉलीवुड के बड़े स्टूडियो और निर्माताओं के साथ साझीदारी भी की.
विशेषज्ञों का कहना है कि इसने सिर्फ़ सुर्ख़ियां बटोरीं और ज़्यादा कुछ नहीं. नाम न बताने की शर्त पर इंडस्ट्री के शीर्ष एग्ज़ीक्यूटिव ने बताया, "इनमें से किसी भी निर्माता के पास स्ट्रीमिंग शो बनाने का अनुभव नहीं था और इनमें से ज़्यादातर फ़्लॉप साबित हुए."
मीडिया पार्टनर्स एशिया के उपाध्यक्ष मिहिर शाह कहते हैं, "नेटफ़्लिक्स को अपने रीजनल कॉन्टेंट के लिए और गहराई में जाने की ज़रूरत है और साथ ही उसे यह सुनिचित करना होगा कि उपभोताओं को ताज़ा कॉन्टेंट मिलता रहे."
नेटफ़्लिक्स का कहना है कि साल 2016 में भारतीय बाज़ार में उतरने के बाद से उसने जो भी सामग्री पेश की है, उसपर कंपनी को गर्व है. कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा, "हम नाटक से लेकर कॉमेडी, थ्रिलर से रोमांस और फ़िक्शन से लेकर नॉन-फ़िक्शन तक सभी प्रारूपों में सर्वश्रेष्ठ कहानियों के साथ अपने सदस्यों का मनोरंजन करने पर ध्यान देते हैं."
भारत में हिट होने के लिए लोकल कॉन्टेंट पर करना होगा फ़ोकस
उन्होंने आगे कहा, "नेटफ़्लिक्स देश के सभी कोनों से अलग-अलग कहानियां लाने के लिए भी भारी निवेश कर रहा है, ताकि हमारे विभिन्न भाषा बोलने वाले सदस्यों को ख़ुश किया जा सके." बीते महीने, नेटफ़्लिक्स ने मलयालम भाषा की सुपरहीरो फ़िल्म 'मिन्नल मुरली' रिलीज़ की थी. एक समीक्षक के मुताबिक़, यह फ़िल्म मार्वल सुपरहीरो फ़िल्मों को टक्कर दे सकती है.
इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक़, भारत का स्ट्रीमिंग बाज़ार साल 2026 तक दोगुने से अधिक बढ़ जाएगा. लेकिन करोड़ों उपभोक्ताओं के जुड़ने का मतलब है कि नेटफ़्लिक्स को अब और भी बड़े पैमाने पर कॉन्टेंट देने की ज़रूरत होगी. दूसरे शब्दों में कहें तो नेटफ़्लिक्स को और लोकल होना पड़ेगा.
यह आसान नहीं होगा. भारत में पहले ही 75 से ज़्यादा स्ट्रीमिंग सर्विसेज़ मौजूद हैं. इनमें से कुछ ही हिट हुई हैं जबकि अधिकतर फ़्लॉप हैं. शैलेश कपूर कहते हैं, "बीते साल स्ट्रीमिंग सेवाओं पर भारतीय भाषाओं में लॉन्च हुए 225 शोज़ में से 170 हिंदी भाषा में थे. इनमें से सिर्फ़ 15-20 ही सफल रहे. हर कोई ज़्यादा से ज़्यादा कॉन्टेंट परोस रहा है और अलग-अलग प्रयोग में लगा है. लेकिन याद रहे कि भारत एक जटिल बाज़ार है." (bbc.com)
दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ़ से अभिनेत्री जूही चावला के लिए राहत भरी ख़बर है.
हाईकोर्ट ने गुरुवार को जूही चावला के ख़िलाफ उन टिप्पणियों को कार्यवाही से निकाल दिया है, जिसमें ये कहा गया था कि जूही ने पब्लिसिटी हासिल करने के लिए देश में 5जी वायरलेस नेटवर्क के ख़िलाफ अपील की थी.
अभिनेत्री ने अपनी अपील में स्वास्थ्य संबंधी ख़तरा बताकर 5जी वायरलेस नेटवर्क का विरोध किया था.
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने ये भी कहा कि जूही चावला ने 5G को मुद्दे को हल्के तौर पर नहीं लिया था. ऐसे में पीठ ने चावला पर लगे 20 लाख रुपए के ज़ुर्माने को घटाकर 2 लाख रुपए कर दिया है.
खंडपीठ ने जूही चावला की अपील को मंज़ूर कर लिया है. साथ ही 4 जून, 2021 के आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें चावला और दो दूसरे लोगों की अपील को ये कहते हुए ख़ारिज़ कर दिया गया था कि ये अपील "दोषपूर्ण" है, "कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग" है और "प्रचार हासिल करने के लिए" दायर किया गया था.
जूही की याचिका में क्या था?
देश में 5जी तकनीक के ख़िलाफ़ जूही चावला के साथ दो अन्य याचिकाकर्ता वीरेश मलिक और टीना वाच्छानी ने एक याचिका में अदालत से कहा था कि वो सरकारी एजेंसियों को आदेश दें कि वो जाँच कर पता लगाएँ कि 5जी स्वास्थ्य के लिए कितना सुरक्षित है.
याचिकाकर्ताओं की माँग थी कि इस जाँच पर किसी भी निजी कंपनी, व्यक्ति का प्रभाव ना हो. याचिका में 5जी से पेश संभावित ख़तरों का ज़िक्र था. (bbc.com)
मुंबई, 27 जनवरी | बॉलीवुड अभिनेत्री माधुरी दीक्षित नेने नेटफ्लिक्स सीरीज 'द फेम गेम' के साथ डिजिटल डेब्यू करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। सीरीज 25 फरवरी को रिलीज होने वाली है।
'द फेम गेम' में संजय कपूर, मानव कौल, लक्षवीर सरन और सुहासिनी मुले, मुस्कान जाफरी भी हैं।
कहानी बॉलीवुड आइकन अनामिका आनंद के इर्द-गिर्द घूमती है, जिनके पास सब है।
'द फेम गेम' में माधुरी दीक्षित नेने ने सुपरस्टार अनामिका की भूमिका निभाई है। धर्मैटिक एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित, यह श्रृंखला उनके स्ट्रीमिंग डेब्यू का प्रतीक है। (आईएएनएस)
चेन्नई, 27 जनवरी | निर्देशक कार्तिक सुब्बाराज की आने वाली गैंगस्टर फिल्म 'महान' में सत्यवान नाम का किरदार निभाने वाले अभिनेता बॉबी सिम्हा का कहना है कि यह भूमिका उनकी सर्वश्रेष्ठ भूमिकाओं में से एक होगी। निर्देशक कार्तिक सुब्बुराज ने गुरुवार को फिल्म में सिम्हा का लुक सोशल मीडिया पर जारी किया।
इसके तुरंत बाद, सिम्हा ने अपना फस्र्ट लुक पोस्टर ट्वीट किया और कहा, "मेरे अब तक के सर्वश्रेष्ठ किरदार में से एक ! " 'महान' में पहली बार वास्तविक जीवन के पिता-पुत्र की जोड़ी विक्रम और ध्रुव विक्रम को एक साथ पेश करने के लिए ध्यान आकर्षित कर रही है।
फिल्म में बॉबी सिम्हा के अलावा सिमरन भी अहम भूमिका में हैं। फिल्म का प्रीमियर दुनिया भर में विशेष रूप से प्राइम वीडियो पर 10 फरवरी को होगा और यह मलयालम, तेलुगु और कन्नड़ में भी उपलब्ध होगा। (आईएएनएस)
चेन्नई, 26 जनवरी | निदेशक पी.एस. विनोथराज की 'कूझंगल' (पेबल्स) ने 20वें ढाका अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता है। बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के माध्यम से अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि शानदार शो के लिए डीआईएफएफ को धन्यवाद! खुशी है कि 'कूझंगल' ने ढाका अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता है। टीम 'कूझंगल' को बधाई।
निर्देशक विग्नेश शिवन ने भी सम्मान पर खुशी व्यक्त की।
भारतीय उच्चायोग के ट्वीट का हवाला देते हुए विग्नेश शिवन ने कहा, "सम्मान के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।"
इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ रॉटरडैम में प्रतिष्ठित टाइगर अवार्ड के विजेता के रूप में उभरी यह फिल्म एक शराबी की कहानी बताती है, जो अपने बेटे के साथ अपनी पत्नी की तलाश करता है, जो घर से भाग जाती है।(आईएएनएस)
मुंबई, 22 जनवरी | दिग्गज गायिका भारत रत्न लता मंगेशकर की सेहत में शनिवार को सुधार के संकेत दिख रहे हैं और उनका अभी भी एक प्रमुख निजी अस्पताल के आईसीयू में इलाज चल रहा है। अनुषा श्रीनिवासन अय्यर ने आईएएनएस को बताया, "उनकी हालत में पहले की तुलना में सुधार हो रहा है और वह डॉ. पी. समदानी के नेतृत्व में डॉक्टरों की अद्भुत टीम की देखरेख में हैं।"
उन्होंने कहा कि सभी प्रार्थना कर रहे हैं और लता दीदी के शीघ्र स्वस्थ होने और जल्द घर लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
92 वर्षीय मंगेशकर को कोविड -19 और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के साथ दक्षिण मुंबई में उनके घर के पास ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। (आईएएनएस)
मुंबई, 22 जनवरी ()| मशहूर फिल्म निर्माता सुभाष घई के साथ '36 फार्महाउस' के लिए दोबारा काम करने वाले मशहूर गायक सोनू निगम ने फिल्म निर्माता के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि शुरूआती दौर में उन्होंने मेरे संगीत करियर को आकार देने में मदद की। फिल्म में 'मोहब्बत' गाने को निगम ने अपनी आवाज दी है। इस गाने को घई ने कंपोज किया है, जो फिल्म में म्यूजिक डायरेक्टर के तौर पर डेब्यू किया।
प्रशंसित गायक ने पहले घई के साथ काम किया था और 'ताल' और 'परदेस' जैसी फिल्मों में सुपरहिट गाने दिए थे, इसलिए '36 फार्महाउस' को अपनी आवाज देना उनके लिए खास था।
निगम ने कहा, "सुभाषजी जो कुछ भी मांगते हैं, मैं उसे कभी भी 'ना' नहीं कह सकता। इस बार, उन्होंने गीत लिखने के अलावा, गीत भी बनाया है। मैंने संगीत निर्माता के रूप में मेघदीप बोस को उनके गीत को और अधिक अलंकृत करने की सिफारिश की और उन्होंने मेरी बात सुनी, क्योंकि उन्हें मुझ पर भरोसा है।"
उन्होंने आगे कहा, "यह बिना कहे चला जाता है कि सुभाषजी को हमेशा संगीत के लिए एक आदत थी। पहले भी, हर बार जब उन्होंने एक गीत के लिए अपने दो सेंट दिए, एक शब्द या एक पंक्ति जोड़ा, जो केंद्रीय बिंदु बन गया और मुझे यकीन है कि यह इसके लिए भी अलग नहीं होगा।"
निगम ने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त की, "सुभाषजी मेरे लिए परिवार की तरह हैं। जब भी वह मेरे आस-पास होते हैं तो मैं हमेशा उनसे प्यार और गर्मजोशी महसूस करता हूं। वह 'परदेस' के बाद से मेरे जीवन का हिस्सा रहे हैं और मैं महसूस कर सकता हूं कि वह आंतरिक रूप से मुझ में हैं और इस तथ्य पर गर्व है कि उन्होंने मेरे प्रारंभिक संगीतमय जीवन को आकार देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।"
राम रमेश शर्मा द्वारा निर्देशित, घई लिखी कहानी के साथ, '36 फार्महाउस' जी5 पर स्ट्रीमिंग कर रहा है। आईएएनएस
मुंबई, 22 जनवरी | पटकथा लेखक-निर्देशक जयदीप साहनी वाईआरएफ एंटरटेनमेंट के लिए एक्सक्लूसिव क्रिएटर होंगे। उन्होंने आदित्य चोपड़ा के साथ 'चक दे! इंडिया', 'रॉकेट सिंह : सेल्समैन ऑफ द ईयर', 'बंटी और बबली' और 'शुद्ध देसी रोमांस' में काम किया है। वाइआरएफ एंटरटेनमेंट, यश राज फिल्म्स का ओटीटी वेंचर है।
एक सूत्र ने बताया, "जयदीप साहनी को उनके द्वारा वाईआरएफ एंटरटेनमेंट के लिए एक विशेष निर्माता बनने के लिए चुना गया है। जयदीप ने हमेशा अपनी स्क्रिप्ट के साथ सभी को आकर्षित किया है और यह विकास दर्शाता है कि हम डिजिटल स्पेस में वाईआरएफ से कुछ बेहतरीन कंटेंट की उम्मीद कर सकते हैं।"
सूत्र ने कहा, "एकांतप्रिय, मनमौजी लेखक अपने सीने के पास कार्ड रखता है और ऐसा लगता है कि वह आने वाले वर्षों में कई कंटेंट-फॉरवर्ड प्रोजेक्ट तैयार करेगा।"
सूत्र के अनुसार, जयदीप वाईआरएफ एंटरटेनमेंट के लिए अपने पहले प्रोजेक्ट के साथ हिंदी कंटेंट स्पेस में अपनी खुद की एक शैली तैयार करेंगे, जो अगले साल की शुरूआत में शुरू होने वाली है।
वाईआरएफ एंटरटेनमेंट ने हाल ही में 1984 में देश को हिला देने वाली भोपाल गैस त्रासदी के अनकहे नायकों के बारे में अपनी पहली ओटीटी परियोजना 'द रेलवे मेन' की घोषणा की। (आईएएनएस)
मुंबई, 20 जनवरी | लोकप्रिय टेलीविजन अभिनेता शाहीर शेख के पिता का बुधवार को गंभीर कोविड संक्रमण से जूझने के बाद निधन हो गया। शहीर ने बताया था कि उनके पिता संक्रमण के चलते वेंटिलेटर पर है।
अभिनेता एली गोनी ने बुधवार रात ट्विटर पर अपना शोक व्यक्त किया और शहीर को मजबूत रहने के लिए कहा।
अली ने लिखा, "इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलैही रजी'उन। अल्लाह चाचा की आत्मा को शांति दे भाई शहीर मजबूत रहो।"
कुछ दिन पहले ही शहीर ने अपने पिता की एक पुरानी तस्वीर साझा की थी और सभी से उनके लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया था।
उन्होंने लिखा, "मेरे पिताजी गंभीर कोविड संक्रमण से पीड़ित वेंटिलेटर पर हैं, कृपया उनके लिए दुआ करें।"
शहीर जल्द ही 'पवित्र रिश्ता' के सीजन 2 में नजर आने वाले हैं।
दूसरा सीजन मानव के इर्द-गिर्द केंद्रित है, जिसे शहीर और अर्चना ने निभाया है।
जैसा कि ट्रेलर में देखा जा सकता है, सीजन 2 में मानव और अर्चना की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां से उनकी शादी खत्म हुई थी।
नंदिता मेहरा द्वारा निर्देशित, 'पवित्र रिश्ता, इट्स नेवर टू लेट' सीजन 2 का प्रीमियर 28 जनवरी को जी5 पर होगा। (आईएएनएस)
चेन्नई, 18 जनवरी | अभिनेता धनुष और निर्देशक ऐश्वर्या धनुष ने अपनी 18 साल की शादी को खत्म करने की घोषणा की है। सोमवार की देर रात, अभिनेता और निर्देशक दोनों ने अपने-अपने सोशल मीडिया हैंडल पर इसकी जानकारी दी। हाल ही में सारा अली खान के साथ 'अतरंगी रे' में नजर आए धनुष ने ट्विटर पर अपना लेटर शेयर किया, ऐश्वर्या ने इंस्टाग्राम पर लेटर शेयर किया।
अपनी टाइमलाइन पर पोस्ट किए गए पत्र में धनुष ने कहा, "दोस्त, कपल, माता-पिता के रूप में और एक-दूसरे के शुभचिंतकों के रूप में 18 साल का हमारा साथ रहा। यह यात्रा ग्रोथ, समझ, एडजस्टिंग और एडेप्टिंग की रही है।
"आज हम एक ऐसी जगह पर खड़े हैं जहां हमारे रास्ते अलग हो रहे हैं।
"ऐश्वर्या और मैंने एक कपल के रूप में अलग होने और हमें चीजों को समझने के लिए समय निकालने का फैसला किया है। कृपया हमारे फैसले का सम्मान करें और इसका सामना करने के लिए हमें आवश्यक निजता प्रदान करें। ओम नम: शिवाय! प्यार फैलाएं!"
इंस्टाग्राम पर लेटर पोस्ट करते हुए ऐश्वर्या ने कहा कि कोई कैप्शन की जरूरत नहीं है। केवल आपकी समझ और आपका प्यार जरूरी है!
धनुष, ऐश्वर्या के दो बेटे है। (आईएएनएस)