मनोरंजन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 21 मार्च। ‘बस्तर चो गीत’ वीडियो एल्बम सॉन्ग आरुग म्यूजिक के यूट्यूब चैनल पर लॉन्च किया गया है। इस गीत को रिलीज के पहले ही एक घण्टे में 7 हजार 7 सौ 27 लोग देख चुके हैं। इस वीडियो एल्बम में बस्तर की संस्कृति, परंपरा, कला, पर्यटन का फिल्मांकन किया गया है। इस गीत को एनएमडीसी के कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (सीएसआर) विभाग और बस्तर जिला प्रशासन के सहयोग से फि़ल्माया गया है।
आरुग म्यूजिक पर लॉच इस वीडियो एल्बम में बस्तरिया संस्कृति को बेहतरीन ढंग फि़ल्माया और बस्तर की कला, लोकजीवनशैली को अच्छी तरह से प्रतिबिंबित किया गया है। इस सॉन्ग के माध्यम बस्तरिया कला और संस्कृति प्रतिनिधि रूप में लोगों तक पहुंच रही है। बस्तर चो गीत में यहां की कला, संस्कृति, रहन-सहन और जनजीवन के पहलुओं को दर्शाने की कोशिश की गई है।
इस गीत में बस्तर के प्रमुख एवं उभरते पर्यटन स्थलों को पर्यटन के दृष्टिकोण से आकर्षक ढंग से दिखाया गया है, विशेषकर बीजाकासा और चित्रकोट का सौंदर्य देखते ही बन रहा है। गीत के बोल क्षेत्रीय रुचि के साथ सुलभ और आसानी से समझ में आने वाले हैं। इस गीत में बस्तर के प्राकृतिक और ऐतिहासिक महत्व को भी दिखाया गया है। उल्लेखनीय है कि बस्तर अपनी प्रकृति और संस्कृति के कारण विश्वविख्यात है, लेकिन अतिवाद के लिए भी चर्चित है, मुख्यत: बस्तर अतिवाद प्रभावित इलाका नहीं है।
प्रकृति से परिपूर्ण होने के कारण यहां अनेक जल प्रपात, गुफाएं, घाटियां हैं जो पर्यटको का मन मोह लेती हैं।
यहां की डोकरा आर्ट, बेलमेटल आर्ट, तुम्बा आर्ट का इस गीत में विशेष चित्राकंन हैं। इस गीत को.को सागर बोस, भुनेश्वर यादव ने लिखा है, जिसे राकेश तिवारी ने अपनी आवाज़ दी है, जबकि अंकित तिवारी ने अपने रेप से गाने में जान डाल दी है।
इस एल्बम का निर्माण लाइमलाइट प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले किया गया है, जिसमें छत्तीसगढ़ी के प्रतिभाशाली कलाकारों ने काम किया है, जो मॉडलिंग और अभिनय के क्षेत्र में देश में प्रदेश का नाम ऊंचा कर रही हैं। जिनमें अदिति तिवारी बिलासपुर, अलीशा चंद्राकर दुर्ग, कनिका ध्रुव बस्तर ने अभिनय किया है। इस गीत को आप सभी आरुग म्यूजिक के युट्यूब चैनल पर देख एवं सुन सकते हैं।
कोलकाता, 20 मार्च । ‘जॉय फिल्मफेयर अवॉर्ड्स बांग्ला 2021’ में बांग्ला फिल्मों ‘बोरुनबाबुर बंधु’ और ‘टॉनिक’ को ‘सर्वश्रेष्ठ फिल्म चुना गया। आयोजकों ने एक बयान में यह जानकारी दी।
निर्देशक अनिक दत्ता को शुक्रवार रात एक भव्य समारोह में सौमित्र चटर्जी अभिनीत फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक चुना गया। फिल्म निर्माता अतनु घोष की ‘बिनीसुतोय’ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म (आलोचक) के पुरस्कार के लिए चुना गया, जबकि दिग्गज अभिनेता परन बंद्योपाध्याय को ‘टॉनिक’ में उनकी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। ‘बिनीसुतोय’ के लिए अहसान को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया।
अर्पिता चटर्जी को ‘अब्यक्तो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (आलोचक) चुना गया, जबकि सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (आलोचक) अर्जुन चक्रवर्ती को ‘अविजातिक’ के लिए और अनिर्बान भट्टाचार्य को ‘द्वितियो पुरुष’ के लिए चुना गया। फिल्म ‘प्रेम तामे’ के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत एल्बम का ताज शांतनु मोइत्रा, अनुपम रॉय, प्रसनजीत मुखर्जी और शिबब्रत बिस्वास के नाम रहा।
‘गोलपो होलेओ सोट्टी’ में ‘मायर कंगल’ गीत के लिए ईशान मित्रा को सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक, जबकि लगनजीता चक्रवर्ती को फिल्म ‘एकन्नोबोर्ति’ में उनके गाने ‘बेहया’ के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका के पुरस्कार के लिए चुना गया। युवा निर्देशक अर्जुन दत्ता को ‘अब्यक्तो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ मूल कहानी का पुरस्कार मिला।
निर्देशक ध्रुबो बनर्जी और श्रीजीत मुखर्जी दोनों को क्रमशः ‘गोलोंदाज’ और ‘द्वितियो पुरुष’ के लिए सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखक के रूप में सम्मानित किया गया। युवा फिल्म निर्माता अविजीत सेन को ‘टॉनिक’ के लिए सर्वश्रेष्ठ नवोदित निर्देशक का पुरस्कार दिया गया, जबकि सुप्रियो सेन को ‘तंगरा ब्लूज’ के लिए पुरस्कृत किया गया।
वयोवृद्ध अभिनेता रंजीत मलिक को अपने पांच दशक लंबे करियर में 100 से अधिक फिल्मों में अभिनय करने के लिए ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ दिया गया, जिन्होंने सत्यजीत रे और मृणाल सेन जैसे निर्देशकों के साथ काम किया था। (भाषा)
मुंबई, 19 मार्च । अभिनेता अक्षय कुमार की एक्शन कॉमेडी फिल्म 'बच्चन पांडे' ने रिलीज के पहले दिन 13.25 करोड़ रुपये की कमाई की है। फिल्म के निर्माताओं ने शनिवार को यह जानकारी दी।
फिल्मकार साजिद नाडियाडवाला की प्रोडक्शन कंपनी नाडियाडवाला ग्रैंडसन के बैनर तले बनी ‘बच्चन पांडे’ शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई। फिल्म में अक्षय ने एक गैंगस्टर की भूमिका निभाई है।
नाडियाडवाला ग्रैंडसन के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट ने एक पोस्टर साझा किया, जिसमें बॉक्स ऑफिस पर फिल्म के पहले दिन की कमाई का जिक्र था।
पोस्टर के साथ लिखा गया, ‘‘बॉक्स ऑफिस पर भौकाल। रिलीज के पहले दिन 13.25 करोड़ रुपये की कमाई।’’
‘‘बच्चन पांडे" का निर्देशन फरहाद सामजी ने किया है। फिल्म में अक्षय कुमार के अलावा कृति सैनन, जैकलीन फर्नांडीज और अरशद वारसी भी अहम भूमिका में हैं। (भाषा)
-रेहान फ़ज़ल
शशि कपूर के बारे में कहा जाता था कि वो अपने ज़माने में भारतीय फ़िल्म जगत के सबसे हैंडसम फ़िल्म अभिनेता थे.
शर्मिला टैगोर को अभी तक याद है जब शशि कपूर 'कश्मीर की कली' के सेट पर अपने भाई शम्मी कपूर से मिलने आए थे. वो कहती हैं, "मैं उस समय 18 साल की थी. मैंने अपने-आप से कहा था, 'ओ माई गॉड दिस इज़ शशि कपूर.' मैं उन्हें देखते ही रह गई थी. मैं काम नहीं कर पाई थी और निर्देशक शक्ति सामंत को मजबूर होकर शशि कपूर से सेट से चले जाने के लिए कहना पड़ा था."
शशि कपूर की सुंदरता पर एक बार मशहूर इटालियन अभिनेत्री जीना लोलोब्रिजीडा भी मोहित हो गई थीं.
मशहूर फ़िल्म निर्देशक इस्माइल मर्चेंट अपनी आत्मकथा 'पैसेज टू इंडिया' में लिखते हैं, "शशि कपूर की फ़िल्म 'शेक्सपियरवाला' बर्लिन फ़िल्म समारोह में दिखाई जा रही थी. शशि कपूर भी वहाँ पहुंचे हुए थे. एक शाम वो, उनकी हीरोइन मधुर जाफ़री और जीना लोलोब्रिजीडा इत्तेफ़ाक से एक ही लिफ़्ट में चढ़े और इस्माइल मर्चेंट के अनुसार जीना को शशि को देखते ही उनसे इश्क हो गया."
इस्माइल मर्चेंट लिखते हैं, "अगली सुबह उन्होंने शशि को गुलाब के फूलों का एक गुच्छा भेजा. लेकिन उन्हें ग़लतफ़हमी हो गई थी कि शशि का नाम मधुर है, इसलिए वो फूल मधुर जाफ़री के पास पहुंच गए. जीना को अपना प्रणय निवेदन ठुकराए जाने की आदत नहीं थी इसलिए समारोह के आख़िरी दिन उन्होंने शशि से पूछ ही डाला कि आपने मेरे फूलों का जवाब नहीं दिया. तब जाकर पता चला कि शशि तक जीना का बूके पहुँचा ही नहीं था. शशि कपूर को बहुत मायूसी हुई कि इस ग़लतफ़हमी की वजह से उनके हाथ से इतना अच्छा मौका निकल गया."
फ़ारुख़ इंजीनयर की वजह से चेहरा बचा
शशि कपूर और भारत के मशहूर विकेटकीपर रहे फ़ारुख़ इंजीनियर मुंबई के डॉन बॉस्को स्कूल में एक ही कक्षा में पढ़ा करते थे. एक बार वो उनकी बग़ल में बैठकर उनसे बातें कर रहे थे कि उनके टीचर ने लकड़ी का एक डस्टर खींचकर शशि कपूर के मुँह की तरफ़ मारा.
इंजीनियर बताते हैं, "वो डस्टर शशि की आँख में लगता, इससे पहले ही मैंने उसके चेहरे से एक इंच पहले उसे कैच कर लिया. शशि का चेहरा बहुत सुंदर था. मैं उससे मज़ाक किया करता था कि उस दिन अगर मैंने उसे वो डस्टर कैच नहीं किया होता तो तुम्हें सिर्फ़ डाकू के रोल ही मिलते."
शशि कपूर की साली फ़ेलिसिटी केंडल अपनी आत्मकथा 'वाइट कार्गो' में लिखती हैं, "शशि कपूर से ज़्यादा फ़्लर्ट करने वाला शख़्स मैंने अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा. इस मामले में वो किसी को बख़्शते नहीं थे, लकड़ी के लट्ठे को भी नहीं. वो बहुत दुबले-पतले शख़्स थे लेकिन उनकी आँखें बहुत बड़ी-बड़ी थीं. उनके बड़े बाल सबको उनका दीवाना बना देते थे. उनके सफ़ेद दाँतो और डिंपल वाली मुस्कान का तो कहना ही क्या! उस पर सफलता की अकड़ तो उनमें थी ही."
शबाना आज़मी का मानना है कि शशि कपूर को उनकी अच्छी शक्ल की वजह से नुकसान हुआ.
वे कहती हैं, "दरअसल इस असाधारण आकर्षक शख़्स को देखकर लोग ये भूल जाते थे कि वो कितने बेहतरीन अभिनेता भी थे."
श्याम बेनेगल ने शशि कपूर को जुनून और कलयुग में निर्देशित किया था. वे कहते हैं, "शशि असाधारण अभिनेता थे लेकिन उन्हें अमिताभ बच्चन की तरह की फ़िल्में नहीं मिल पाईं जिनसे उन्हें स्टार और अभिनेता दोनों का तमग़ा मिल पाता. उनको हमेशा एक रोमांटिक स्टार के रूप में देखा गया. लोगों की नज़रें हमेशा उनके चेहरे की तरफ़ गईं. भारतीय फ़िल्म जगत में उन जैसा ख़ूबसूरत अभिनेता उस समय नहीं था. नतीजा ये हुआ कि उनका अभिनय बैकग्राउंड में चला गया और वो सुपर हीरो नहीं बन पाए."
मशहूर निर्देशक कुमार शाहनी ने भी कहा था, "भारतीय निर्देशकों ने शशि कपूर का पूरी तरह से फ़ायदा नहीं उठाया. शशि कपूर में भी वो 'किलर इंस्टिंक्ट' भी नहीं था जो किसी अभिनेता को चोटी पर पहुंचाता है."
जैनिफ़र से शादी
शशि कपूर ने 1953 से 1960 तक अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के साथ पृथ्वी थियेटर में काम किया. इसी दौरान उनकी मुलाकात जैनिफ़र केंडल से हुई. वो उनसे चार साल बड़ी थीं. जैनिफ़र के पिता ज्योफ़री को ये रिश्ता पसंद नहीं था.
शशि के जैनिफ़र से विवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई शशि कपूर की भाभी और शम्मी कपूर की पत्नी गीता बाली ने.
उन दिनों जैनिफ़र हैदराबाद में थीं और शशि कपूर बंबई में. शम्मी शशि का लटका हुआ मुँह देखकर कहते, क्यों मुँह लटका रहा है? याद आ रही है क्या? ये कहकर वो 100 रुपये का नोट निकाल कर उन्हें पकड़ा देते. उन दिनों हैदराबाद का हवाई टिकट 70 रुपये का मिलता था.
शशि तुरंत उन्हीं पैसों से हैदराबाद जाने का टिकट खरीदते. शम्मी कपूर और गीता बाली ने ही शशि को प्रोत्साहित किया कि वो जैनिफ़र को बंबई लाकर अपने माता-पिता से मिलवाएं.
शशि कपूर अपनी किताब 'पृथ्वीवालाज़' में लिखते हैं, "मैं जैनिफ़र को अपने माता-पिता के पास न ले जाकर शम्मी कपूर और गीता बाली के पास ले गया. वो हमें अपनी कार और कुछ पैसे दे देतीं ताकि हम ड्राइव पर जाएं और साथ कुछ खा-पी लें. बाद में मेरे कहने पर शम्मी ने हमारे बारे में हमारे माता-पिता से बात की. उनके मनाने पर ही वो बहुत मुश्किल से हमारे रिश्ते के लिए राज़ी हुए."
जिस दिन जैनिफ़र से शशि कपूर की शादी होनी थी उनके पिता पृथ्वीराज कपूर जयपुर में 'मुग़ल-ए-आज़म' के क्लाइमेक्स की शूटिंग कर रहे थे.
फ़िल्म के निर्देशक के. आसिफ़ ने उनके लिए एक चार्टर डकोटा विमान की व्यवस्था की. जैसे ही विवाह संपन्न हुआ पृथ्वीराज उसी विमान से जयपुर लौट गए. उस समय जयपुर में नाइट लैंडिंग सुविधा नहीं थी, जैसे ही भोर हुई विमान ने जयपुर में लैंड किया और पृथ्वीराज हवाई अड्डे से सीधे शूटिंग के लिए चले गए.
जैनिफ़र और शशि कपूर साथ-साथ रखते थे करवाचौथ का व्रत
जैनिफ़र कपूर नास्तिक थीं लेकिन वो अपने सास ससुर को खुश करने के लिए सभी तरह के व्रत रखा करती थीं. उनकी ये भी कोशिश होती थी कि उनके बच्चों में भारतीय संस्कार आएँ.
मधु जैन अपनी किताब 'द फ़र्स्ट फ़ैमिली ऑफ़ इंडियन सिनेमा, कपूर्स' में लिखती हैं, "जैनिफ़र अपनी सास की तरह करवाचौथ का व्रत रखा करती थीं. दिलचस्प बात ये है कि पृथ्वीराज कपूर और शशि कपूर भी अपनी पत्नी के साथ करवाचौथ का व्रत रखते थे. जैनिफ़र ने अपनी सास की ज़िंदगी तक ये व्रत रखना जारी रखा."
जैनिफ़र ने इस्माइल मर्चेंट की मदद की
शशि कपूर ने मशहूर फ़िल्म निर्देशक इस्माइल मर्चेंट के साथ कई फ़िल्मों में काम किया. बॉम्बे टाकीज़ की शूटिंग के दौरान मर्चेंट के पास पैसों की कमी पड़ गई. कई अभिनेताओं की फ़ीस दी जानी थी और मर्चेंट के पास उन्हें देने के लिए पैसे नहीं थे.
इस्माइल मर्चेंट अपनी आत्मकथा में लिखते हैं कि वो इस मुसीबत से किस तरह बाहर निकले.
वे लिखते हैं, "मेरे पास शशि कपूर को देने के लिए भी पैसे नहीं थे लेकिन उनकी पत्नी जैनिफ़र का मेरे लिए सॉफ़्ट कॉर्नर था. उन्होंने मुझे कुछ पैसे उधार दिए. इस तरह मैंने शशि कपूर के खुद के पैसे उन्हें देकर अपना उधार चुकता किया. बाद में जब मेरे पास पैसे आ गए तो मैंने वो पैसे जैनिफ़र को लौटा दिए लेकिन शशि कपूर को हम दोनों ने इस बारे में कानोकान ख़बर नहीं होने दी."
इसी तरह की घटना शशि के पिता पृथ्वीराज कपूर के साथ भी हुई थी. उन्होंने एक प्रोड्यूसर के साथ इसलिए काम करने से इनकार कर दिया था कि उसने पिछली फ़िल्म के पाँच हज़ार रुपये उन्हें नहीं चुकाए थे. वो प्रोड्यूसर चुपचाप उनकी पत्नी के पास गया और उनसे पाँच हज़ार रुपये उधार ले आया. उस शाम पृथ्वीराज कपूर हँसी-खुशी अपने घर लौटे और वो पाँच हज़ार रुपये अपनी पत्नी को दे दिए.
राज कपूर ने दिया 'टैक्सी' नाम
1977 में जब राज कपूर 'सत्यम शिवम सुंदरम' बना रहे थे तो भारतीय सिनेमा के कई बड़े अभिनेता उनकी फ़िल्म के हीरो बनना चाहते थे. राज कपूर की इच्छा थी कि ये रोल शशि कपूर करें.
हालाँकि उस ज़माने में शशि बहुत व्यस्त थे लेकिन उन्होंने अपने सचिव शक्तिलाल वैद से कहा कि वो राज कपूर के सामने उनकी डायरी लेकर जाएं और वो जितनी डेट्स चाहें उन्हें दे दें.
शशि कपूर ने दीपा गहलौत को दिए इंटरव्यू में बताया, "शक्ति मेरे पास रोते हुए आए कि राज साहब ने वो सारी डेट्स ले ली हैं जो उन्होंने दूसरे प्रोड्यूसरों को दे दी थी. राज जी से किए वादे को पूरा करने के लिए मुझे कई दिनों तक करीब-करीब 24 घंटे काम करना पड़ा.
उन दिनों मैं दिन में चार या पाँच शिफ़्ट करता था और अपनी कार में सोता था. जब राज कपूर को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने मेरा नाम 'टैक्सी' रख दिया. वो कहा करते थे तुम स्टार नहीं टैक्सी हो. कोई तुम्हारा मीटर डाउन करे और तुम चलने के लिए तैयार हो जाओ."
लेकिन इतना व्यस्त होने के बावजूद शशि कपूर कभी भी सेट पर देर से नहीं पहुंचे.
दीवार में 'मेरे पास माँ है' वाला डायलॉग
शशि कपूर का बहुत नाम हुआ जब उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ दीवार फ़िल्म की.
राजीव विजयकर 'ब़ॉलीवुड हंगामा' में लिखते हैं, "जावेद अख़्तर ने मुझे बताया था. हालाँकि, शशि अमिताभ से उम्र में बड़े थे लेकिन हम चाहते थे कि वो दीवार फ़िल्म में उनके छोटे भाई की भूमिका निभाएं. हमें इसके लिए प्रोड्यूसर गुलशन राय को मनाने में काफ़ी जद्दोजहद करनी पड़ी."
बाद में 'दीवार' के निर्देशक रमेश सिप्पी ने मधु जैन को बताया, "मेरी फ़िल्म में शशि के रोल का तकाज़ा था कि वो इस रोल को अंडरप्ले करें. अगर 'वो मेरे पास माँ है' वाले डायलॉग को स्टार की तरह बोलने की कोशिश करते तो वो उसके साथ न्याय नहीं कर पाते."
कलात्मक फ़िल्में भी बनाई शशि कपूर ने
शशि कपूर के बेटे कुणाल कपूर कहते हैं कि उनके पिता ने अपने जीवन में एक बार भी नहीं कहा कि वो स्टार बनना चाहते हैं. फ़िल्मों के प्रति उनके मोह ने उन्हें कलात्मक फ़िल्में बनाने के लिए प्रेरित किया.
इस सिलसिले में पहली फ़िल्म थी रस्किन बॉन्ड की कहानी 'फ़्लाइट ऑफ़ द पिजंस' पर बनी फ़िल्म जुनून. इस फ़िल्म में उन्होंने शादीशुदा पठान जावेद ख़ाँ की भूमिका निभाई जिसे एक युवा एंग्लो इंडियन लड़की से प्यार हो जाता है और वो उसका अपहरण कर लेता है.
शशि कपूर की जीवनी 'शशि कपूर द हाउज़ होल्डर, द स्टार' में असीम छाबड़ा लिखते हैं, "जुनून की शूटिंग के दौरान शशि कपूर सबसे पहले सेट पर पहुंचते थे. वो अपने सारे सहकर्मियों का दिल से सम्मान करते थे. दो महीने तक चली शूटिंग के दौरान उन्होंने अपनी यूनिट के सभी लोगों के लिए लखनऊ में क्लार्क्स अवध होटल के कमरे बुक किए थे. 1979 में जुनून को सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला और 1980 में उसे फ़िल्मफ़ेयर का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, निर्देशक और डायलॉग का पुरस्कार मिला."
उनकी बनाई बाकी सभी फ़िल्मों कलयुग, 36 चौरंगी लेन, विजेता और उत्सव ने कला के ऊँचे मापदंडों को छुआ लेकिन बॉक्स ऑफ़िस पर ये फ़िल्में ज़्यादा नहीं चल पाईं.
70 और 80 के दशक में बनी अधिकतर समानांतर कला फ़िल्मों पर या तो फ़िल्म फ़ाइनेंस कॉरपोरेशन ने पैसा लगाया था या नैशनल फ़िल्म डेवेलपमेंट कॉरपोरेशन ने.
शशि कपूर शायद अकेले प्रोड्यूसर थे जो इन कला फ़िल्मों पर अपना या उधार लेकर पैसा लगा रहे थे.
अंतिम समय में बीमारियों ने घेरा
वर्ष 1984 में जैनिफ़र कपूर के निधन के बाद बाद शशि कपूर की जीने की इच्छा ही जैसे ख़त्म हो गई. इसके बाद उनका वज़न बढ़ना शुरू हुआ तो वो रुका ही नहीं.
कुछ सालों बाद वो सूमो पहलवान जैसे दिखाई देने लगे. उन्होंने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया. अधिक वज़न के कारण उनके घुटनों ने जवाब दे दिया.
उन्ही दिनों जब उनकी भाभी नीला देवी ने उन्हें फ़ोन किया तो शशि कपूर ने उनसे पूछा 'अब वो किसके लिए जिएँ?'
उनके पुराने दोस्त और निर्देशक जेम्स आइवरी ने कहा, 'मोटे होना शशि कपूर के लिए शोक मनाने का एक तरीका था.'
अपने अंतिम दिनों में शशि की याददाश्त जाती रही. सिमी गरेवाल ने एक समारोह में उनको व्हील चेयर पर बैठे हुए देखा तो वो उनकी तरफ़ बढ़ीं. शशि की बेटी संजना ने उन्हें आगाह किया कि शशि को जिस्म के एक हिस्से में पक्षाघात हो चुका है. उनको दिल का दौरा भी पड़ चुका है. अगर वो आप को पहचानें नहीं तो बुरा मत मानिएगा.
सिमी इसके बावजूद उनके सामने गईं. वो झुकीं और उन्होंने उनके थके हुए चेहरे की तरफ़ देखा. शशि कपूर की आँखे उठीं और उन्होंने सिमी गरेवाल से कहा, 'हेलो सिमी.' सिमी ने भरी आँखों से शशि कपूर को गले लगा लिया. (bbc.com)
पॉपुलर कॉमेडी शो ‘भाभी जी घर पर हैं’ लोगों के फेवरेट शोज में से एक है. साल 2015 से प्रसारित हो रहे इस शो के लगभग सभी किरदारों को लोग खूब पसंद करते हैं. अंगूरी भाभी, विभूति नारायण मिश्रा, मनमोहन तिवारी और दरोगा हप्पू सिंह जैसे कैरेक्टर्स की अदाकारी लोगों को खूब हंसाती है. इन्हीं में से एक हप्पू सिंह का किरदार निभाने वाली योगेश त्रिपाठी अपने अभिनय से घर-घर अपनी पहचान बना चुके हैं. आज आपको इन्हीं से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं-
कहा जाता है कि योगेश त्रिपाठीका परिवार उन्हें अभिनय की दुनिया में नहीं भेजना चाहता था, क्योंकि उनके घर में ज्यादातर लोग टीचिंग प्रोफेशन से जुड़े हुए हैं, लेकिन वह अपनी फैमिली की मर्जी के खिलाफ जाकर इस दुनिया में आए थे.
पहले कई ऐड कर चुके हैं योगेश त्रिपाठी
योगेश त्रिपाठी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके करियर का सफर काफी संघर्ष भरा रहा. शुरुआत में उन्हें प्रोडक्शन हाउस के काफी चक्कर काटने पड़े. दो सालों की भागदौड़ के बाद उन्हें कई एडवर्टाइजमेंट में काम करने का मौका मिला, लेकिन इससे उन्हें कोई खास पहचान नहीं मिली.
एक्सपेरिमेंट के तौर पर जुड़े थे शो से
इसके बाद योगेश त्रिपाठी को चर्चित कॉमेडी शो FIR में काम करने का मौका मिला. इस शो में उनकी अभिनय क्षमता को देखते हुए डायरेक्टर शशांक बाली ने उन्हें ‘भाबी जी घर पर हैं’ का हिस्सा बनाया. कहा जाता है कि हप्पू सिंह को इस शो में एक एक्सपेरिमेंट के तौर पर जोड़ा गया था. इस शो के मेकर्स ने यह तय किया था कि अगर दर्शकों को हप्पू सिंह का किरदार पसंद आता है, तभी इसे जारी रखा जाएगा, नहीं तो इस किरदार को शो से हटा दिया जाएगा. लेकिन पहले ही दिन से हप्पू सिंह के किरदार को लोगों ने ऐसा पसंद किया कि यह किरदार इस शो का मुख्य हिस्सा बन गया.
एक एपिसोड की इतनी फीस लेते हैं हप्पू सिंह
अब तो योगेश त्रिपाठी की पहचान घर-घर में हप्पू सिंह के रूप में ही बन चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो योगेश त्रिपाठी को हप्पू सिंह के रोल के लिए एक एपिसोड के करीब 35,000 रुपये मिलते हैं. हप्पू सिंह के कई डायलॉग्स जैसे ‘अरे दादा’ 9-9 ठईया बच्चे और प्रेग्नेंट बीवी’ और बात-बात पर रिश्वत मांगने का उनका स्टाइल दर्शकों को काफी पसंद आता है.
रियल लाइफ में ऐसे हैं ‘हप्पू सिंह’
शो में ‘गोरी मैम’ पर फिदा रहने वाले हप्पू सिंह अपनी रियल लाइफ में काफी सरल स्वभाव के इंसान कहे जाते हैं. वह अपनी मैरिड लाइफ को लेकर काफी ओपन हैं और अक्सर अपनी पत्नी के साथ तस्वीरें भी पोस्ट करते रहते हैं. योगेश त्रिपाठी की रियल लाइफ पार्टनर का नाम सपना त्रिपाठी है और दोनों की केमिस्ट्री कमाल की है. सपना त्रिपाठी योगेश को काफी सपोर्ट करती हैं. ‘भाबी जी घर पर हैं’ में तो हप्पू सिंह के 8-9 बच्चे हैं, लेकिन रियल लाइफ में उनका एक बेटा है. वह अपनी फैमिली के साथ खूब ट्रैवल करते हैं और अपनी लाइफ को एंजॉय करते रहते हैं.
-मोहित कंधारी
फिल्म निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री की फ़िल्म 'द कश्मीर फ़ाइल्स' के चर्चा में आने के बाद से नगरोटा के पास जगती टाउनशिप में रहने वाले कश्मीरी पंडित परिवारों ने एक बार फिर अपनी 'घर वापसी' का सपना देखना शुरू किया है.
जगती टाउनशिप का निर्माण 2011 में किया गया था जहां इस समय लगभग 4000 विस्थापित परिवार रहते हैं.
लेकिन बहुचर्चित फिल्म को लेकर हो रही तीखी बहस के बीच यहाँ रह रहे परिवारों को अब इस बात की भी चिंता सताने लगी है कि क्या इस फिल्म की वजह से उनका घर वापस लौटने का रास्ता आसान होगा या उसमें और अधिक अड़चनें पैदा होंगी.
तीन दशक बीत जाने के बाद भी केंद्र और राज्य सरकारें कश्मीरी हिन्दुओं की घर वापसी सुनिश्चित नहीं करा पाई.
जहाँ एक तरफ जगती टाउनशिप में रहने वाले विस्थापित फिल्म की प्रशंसा करते हैं तो वहीं दूसरी ओर वो यह कहने से भी नहीं चूकते कि 1990 से लेकर आज तक उनके नाम पर फिल्में तो बहुत बनीं लेकिन उनके जीवन में कुछ भी नहीं बदला है.
'फिल्में बहुत बनीं, लेकिन बदला कुछ नहीं'
जगती कैंप में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सुनील पंडिता ने बीबीसी हिंदी से अपने दिल की बात करते हुए कहा 1990 से लेकर आज तक हमारे नाम पर सिर्फ फिल्मे बनीं हैं और कुछ नहीं हुआ है.
"आज भी एक फिल्म चर्चा में है. लेकिन मेरा यह मानना है सिर्फ एक फिल्म बनने से हमारी घर वापसी नहीं हो सकती. हमें 1990 से अब तक हर जगह सिर्फ एक 'पोलिटिकल टिश्यू पेपर' की तरह इस्तेमाल किया गया है. आज भी वही हो रहा है.
"सरकारी अफसर से लेकर मीडिया और सियासतदानों ने हमें हर जगह बेचा है. यह कब तक होता रहेगा. हम स्थाई समाधान चाहते हैं, अपने घर लौटना चाहते हैं, और कुछ नहीं."
सुनील पंडिता अपने अनुभव के आधार पर कहते हैं कि '1990 से लेकर आज तक हमारे ओर कश्मीर के लोगों के बीच जो दूरियां थी उसे सिविल सोसाइटी के लोगों ने कड़ी मेहनत करके कम करने का काम किया था लेकिन इस फिल्म की वजह से वो दूरियां और बढ़ गयी हैं.'
पंडिता इस समय कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडित परिवारों का हवाला देते हुए कहते हैं, 'कम से कम 5000 परिवार इस समय कश्मीर घाटी में रह रहे हैं और वे सब डरे हुए हैं, उन्हें इस बात का डर सता रहा है, कि कहीं कुछ अनहोनी घटना न हो जाये.'
उनका कहना था कि यहाँ जम्मू में उन्हें भी धमकियां मिल रही हैं.
वे कहते हैं, "मैं भारत सरकार से पूछना चाहता हूँ कि 1990 में जब हमारा पलायन हुआ तब उसकी जिम्मेदार भी सरकार थी. उस समय उन्होंने हमारी रक्षा क्यों नहीं की". उस समय कहाँ से हमारे गांव में 30,000 से लेकर 50,000 लोग आते थे. नारेबाजी होती थी, कश्मीर की आज़ादी के नारे बुलंद किये जाते थे, लेकिन सरकार कहीं नज़र नहीं आती थी. यह सिर्फ भारत सरकार की नाकामयाबी थी."
पंडिता सवाल पूछते हैं, "कैसे इतनी बड़ी मात्रा में सीमापार से हथियार भारत की सीमा के अंदर आये. सरकार कुछ भी कहे, 32 साल से हम जो अपने घोंसले को ढूंढ़ रहे हैं, वो इतनी जल्दी हमें नसीब नहीं होगा और अगर ऐसी फिल्में बनेंगी वो सिर्फ दोनों तरफ के लोगों के बीच दूरियां पैदा करेंगी ओर कुछ नहीं."
उम्मीद की किरण
12 साल की उम्र में अंजलि रैना अपने परिवार के साथ कश्मीर घाटी से जम्मू आयी थीं. उन्होंने एक टेंट में रहते हुए अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की.
वे याद करते हुए कहती हैं कि उन्हें याद हैं कि कड़कती धूप में दिन के 2 बजे क्लास होती थी. मुझे नहीं पता आखिर हमें ऐसी जिंदगी क्यों जीने को मिली, हमने क्या कसूर किया था. 32 सालों के बाद अंजलि को आशा की किरण नज़र आ रही है.
अगर इस सरकार ने अनुच्छेद 370 हटा दिया है तो वह हमें अपने घर वापस भी भेज देगी. इसमें समय लग सकता है लेकिन अब उम्मीद है ऐसा होगा.
बीबीसी हिंदी को अंजलि ने बताया 'द कश्मीर फाइल्स' एक सच्ची कहानी पर आधारित फिल्म है. वे मानती हैं कि इस फिल्म में पंडितों के विस्थापन के सही कारणों और इसके बाद उनकी आवाज़ को किस तरह से दबाया गया, यह सब बताया गया है.
अंजलि कहती हैं , "उस समय हम लोगों के साथ जो हुआ उस पर तब की सरकार ने पर्दा डाला था. सच दुनिया के सामने नहीं आने दिया. हमारी आवाज़ को दबा दिया गया. जब तक कश्मीर के अंदर जमा किया गया, बारूद बाहर नहीं निकलेगा कश्मीरी पंडित की घर वापसी नहीं होगी. अगर सरकार हमें वापस भेजना चाहती है और ऐसे हालात पैदा करती है तो मैं सिर्फ अपने घर वापिस जाने के लिए तैयार हूँ लेकिन किसी ट्रांजिट कैंप में रहना मुझे मंजूर नहीं होगा."
अंजलि बताती हैं कि इतने वर्षों में वो सिर्फ एक बार अपने घर गयी थी लेकिन वहां उन्होंने देखा कि किसी और ने कब्ज़ा कर रखा है. मुझ से वो सब नहीं देखा गया. आज भी रोना आता हैं.
'अधूरी कहानी बयां करती है फ़िल्म'
प्यारे लाल पंडिता जो अपने परिवार के साथ 2011 से जगती टाउनशिप में रह रहे हैं, उन्होंने बीबीसी हिंदी को बताया कि इस फिल्म में कश्मीर की अधूरी कहानी बयान की गयी है.
कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ कश्मीर के मुस्लिम और सिख समुदाय से जुड़े लोग भी विस्थापित हुए थे लेकिन इस कहानी में उनका कहीं ज़िक्र नहीं है.
उन्होंने सरकार से अपनी मांग दोहराते हुए अपील की कि इतना लम्बा समय बीत जाने के बाद अब सरकार को उनके परमानेंट सेटलमेंट के बारे में कड़ा फैसला लेना चाहिए ताकि दोबारा उन्हें भारत के नाम पर कश्मीर घाटी से नहीं भगाया जाये.
पंडिता कहते हैं कि सरकार कोई पॉलिसी बनाने से पहले दिल्ली में बैठकर फैसला न करें, बल्कि जो लोग विस्थापित कैंपों में, जगती टाउनशिप में रहते हैं, उनकी पीड़ा को देखते हुए उनके हक़ में फैसला करे न कि उन लोगों के साथ बैठकर फैसला करे, जो कभी कैंपों में रहे ही नहीं और दिल्ली में बैठकर उनकी रिप्रजेंटेशन करते हैं.
एक कश्मीरी विस्थापित शादी लाल पंडिता ने बीबीसी हिंदी को बताया कि कश्मीरी पंडितों के साथ ज़ुल्म हुआ जिसकी वजह से हमें वहां से निकलना पड़ा.
भाजपा सरकार से तीखा सवाल पूछते हुए पंडिता ने बीबीसी हिंदी से साफ़ लफ़्ज़ों में कहा, 'हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि आप कहते थे, पहले की सरकारों ने कश्मीरी पंडितों को उजाड़ा लेकिन जब से केंद्र में आप की सरकार चल रही है आप ने भी कश्मीरी पंडितों की सुध नहीं ली है. कश्मीरी पंडितों का शोषण किया. हम रिलीफ मांग रहे हैं, जवानों के लिए नौकरियां मांग रहे और सुरक्षा की मांग कर रहे लेकिन हमारी कोई नहीं सुनता.'
फिल्म का हवाला देते हुए पंडिता ने कहा कि यह 2024 के चुनावों की तैयारी हो रही है. यह दुनिया को बताएँगे कि कश्मीरी पंडितों के साथ ज़ुल्म हुआ है.
पंडिता पूछते हैं, '1990 में पाकिस्तान ने हमें उजाड़ा, पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित दहशतगर्दों में हमें टारगेट बनाया न कि कश्मीर के रहने वाले मुसलमानों ने. बीजेपी वाले कुछ दिनों से सब को बता रहे हैं, यह सब कांग्रेस ने किया है लेकिन क्या किसी ने उनसे पूछा उस समय केंद्र में सरकार आप की थी. जनता दल को भाजपा ने बाहर से समर्थन दिया था और वी पी सिंह प्रधानमंत्री थे. उस समय की नेशनल फ्रंट की सरकार ने हमारी रक्षा क्यों नहीं की?' (bbc.com)
बॉलीवुड की जिस फिल्म की अभी सबसे ज्यादा चर्चा है वह ‘द कश्मीर फाइल्स’ है। भले ही फिल्म का प्रमोशन बहुत ज्यादा नहीं हुआ हो लेकिन इसे जबरदस्त माउथ पब्लिसिटी मिल रही। इसी का नतीजा है सिनेमाघरों में फिल्म को देखने के लोग उमड़ पड़े हैं। सोशल मीडिया पर कंगना रनौत, अक्षय कुमार, आर माधवन, परिणीति चोपड़ा सहित दूसरे सेलिब्रिटीज फिल्म की तारीफ करते दिखे और मेकर्स को बधाई दे रहे हैं। 14 मार्च को अपने जन्मदिन के मौके पर आमिर खान मीडिया के सामने आए। उन्होंने पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए। इसी दौरान उनसे ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर पूछा गया।‘
आमिर का रिएक्शन
आमिर खान 57 साल के हो गए हैं। वह पपराजी के सामने और केक काटा। इसी बीच आमिर ने अपनी आने वाली फिल्म और निजी जिंदगी को लेकर बात की। द कश्मीर फाइल्स के बारे में उन्होंने कहा, ‘असल में अभी तक मैं फिल्म नहीं देख पाया। मैंने सुना है यह बहुत सफल हुई है। मेरी ओर से पूरी टीम को बधाई।‘
कंगना ने साधा निशाना
बीते दिन ही कंगना रनौत ने बॉलीवुड पर निशाना साधा था। उनका कहना था कि फिल्म सफल रही है लेकिन इंडस्ट्री में बिल्कुल सन्नाटा पसरा हुआ है। कंगना ने लिखा कि फिल्म ने बड़े बजट की फिल्मों का मिथक तोड़ दिया। अगर फिल्म के बजट और कलेक्शन को देखें तो इसे साल की सबसे बड़ी फिल्म कहा जा सकता था। इसके साथ उन्होंने कहा फिल्म पूरी दुनिया देख रही है लेकिन जो चमचे है वो एक शब्द भी नहीं लिख रहे।
अभी तक कितना रहा कलेक्शन
‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें बताया गया है कि फिल्म ने वर्ल्डवाइड 31.6 करोड़ कमा लिए है। फिल्म ने पहले दिन 4.25 करोड़, दूसरे दिन 10.10 करोड़ और तीसरे दिन 17.25 करोड़ का कलेक्शन कर लिया है।
मुंबई, 10 मार्च | निर्देशक मनीष शर्मा का कहना है कि जब उन्हें सलमान खान और कैटरीना कैफ-स्टारर 'टाइगर 3' का काम दिया गया था, तो उनका एक ही सपना था कि हाई-ऑक्टेन एक्शन के लिए एक नया मानदंड स्थापित करना है। निर्देशक कहते हैं कि जब मुझे टाइगर 3 की बागडोर सौंपी गई, तो मेरा एक ही सपना था कि इस व्यापक रूप से लोकप्रिय और प्रिय फ्रैंचाइजी को एक ऐसे स्तर पर ले जाना जो एक नया बेंचमार्क स्थापित करे।
"लॉन्च की घोषणा के साथ, हम चाहते थे कि टाइगर और जोया की बहुचर्चित जोड़ी के व्यक्तित्व चमकें। दर्शकों का उत्साह बढ़ाने के बाद, मैं केवल इतना कह सकता हूं कि फिल्म इंतजार के लायक होगी।"
यह फिल्म 21 अप्रैल, 2023 को रिलीज होने वाली है।
'टाइगर 3' मनीष शर्मा द्वारा निर्देशित 'टाइगर' फ्रेंचाइजी का तीसरा पार्ट है।
कबीर खान द्वारा निर्देशित पहली किस्त 'एक था टाइगर' 2012 में रिलीज हुई थी। दूसरी 'टाइगर जि़ंदा है' 2017 में रिलीज हुई थी और इसका निर्देशन अली अब्बास जफर ने किया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली: संजय लीला भंसाली की आलिया भट्ट स्टारर ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ कुछ दिनों पहले ही रिलीज हुई है. इस फिल्म में आलिया भट्ट के प्रेमी रमणीक लाल का किरदार निभाने वाले शांतनु माहेश्वरी की खूब तारीफ हो रही है. उन्होंने फिल्म में शानदार एक्टिंग कर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. शांतनु माहेश्वरी आज अपना 31वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर सोशल मीडिया पर उनके फैंस उन्हें लगातार बधाई दे रहे हैं. शांतनु माहेश्वरी टीवी की दुनिया के जाने माने नाम हैं.
पहले भी मिले थे आलिया भट्ट-शांतनु माहेश्वरी
इस फिल्म में भले शांतनु माहेश्वरी ने आलिया भट्ट के साथ काम किया है लेकिन उनकी मुलाकात पहले भी एक रियलिटी शो के दौरान हुई थी. और मजेदार बात यह है कि तब आलिया भट्ट ने शांतनु माहेश्वरी को ‘Hottie’ कहते हुए उनकी तारीफ की थी. संयोगवश सालों बाद शांतनु माहेश्वरी ने आलिया भट्ट के ही साथ ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ में काम किया. दरअसल, दोनों की मुलाकात ‘झलक दिखला जा सीजन 9’ के सेट पर हुई थी. झलक दिखला जा में वो ट्रेंड कोरियोग्राफर थे.
जब आलिया ने कहा था Hottie
शांतनु की परफॉर्मेंस को देख आलिया भट्ट ने कहा था, ‘शांतनु मुझे पता है लोग आपको क्यूट कहते हैं. लेकिन मैं आपको कहना चाहती हूं कि आप हॉट भी हो.’ तब शांतनु को भी अंदाजा नहीं था कि एक दिन वो आलिया भट्ट के साथ स्क्रीन शेयर करेंगे. शांतनु माहेश्वरी ने एक्टिंग में डेब्यू शो ‘दिल दोस्ती डांस’ से किया था. उनके परफॉर्मेंस को गाने में लोगों ने काफी पसंद किया था. उनकी अच्छी खासी फैन फॉलोइंग बढ़ गई थी. शांतनु माहेश्वरी नच बलिये से लेकर खतरों के खिलाड़ी जैसे शोज में भी नजर आ चुके हैं.
देखे स्ट्रग्ल भरे दिन भी
शांतनु साथ ही एक शानदार डांसर भी हैं. उन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर कई जगहों पर अपनी परफॉर्मेंस दी है. लेकिन टीवी इंडस्ट्री में अपना नाम स्थापित करने से पहले शांतनु माहेश्वरी ने भी स्ट्रगल देखा है. बॉम्बे टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उनकी मां डांसर बनाना चाहती थी लेकिन उन्हें परिवार का सपोर्ट नहीं मिला. इसके बाद शांतनु और उनके भाई डांसर बन गए. उन्होंने बताया था, ‘तब परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. मेरी मां घर पर ट्यूशन पढ़ाती थी ताकि वो डांस क्लास की फीस भर सकें.’
जब मां के लिए खरीदी कार
शांतनु माहेश्वरी ने इस इंटरव्यू में शेयर किया था कि जब वो सफल हुए तो उन्होंने अपनी मां को खरीदकर एक कार दी. आज उनकी खुशियों की कोई सीमा नहीं है. शांतनु माहेश्वरी पहले भी कई म्यूजिक वीडियो और शोज का हिस्सा रह चुके हैं.
-सुप्रिया सोगले
हम दिल दे चुके सनम, देवदास, गोलियों की रासलीला रामलीला, बाजीराव मस्तानी और पद्मावत जैसी भव्य और बड़ी फ़िल्में बनाने वाले निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली की हाल ही में रिलीज़ हुई फ़िल्म गंगूबाई काठियावाड़ी दर्शकों को पसंद आ रही है और उन्हें सिनेमाघर तक खींच रही है.
फ़िल्म ने 60 करोड़ से अधिक की कमाई कर ली है और बॉक्स ऑफ़िस पर अपना दबदबा बनाए हुई है. गंगूबाई काठियावाड़ी की सफलता से संतुष्ट संजय लीला भंसाली बीबीसी से रूबरू हुए हैं और अपनी फ़िल्मों पर चर्चा की है.
'गुस्से का नतीजा गंगूबाई काठियावाड़ी'
गंगूबाई काठियावाड़ी की कहानी संजय लीला भंसाली के ज़हन में 'हम दिल दे चुके सनम' के समय से थी. लेकिन वो फ़िल्म के लिए बतौर निर्देशक तैयार नहीं थे पर वो इस कहानी के साथ जी रहे थे.
इस बीच उन्होंने कई फ़िल्में बनाईं जैसे ब्लैक, गुज़ारिश, सावरिया.. पर वो नहीं चलीं.
पद्मावत के बाद संजय लीला भंसाली सलमान खान के साथ इंशाअल्लाह बनाने के लिए तैयार थे. फ़िल्म का भव्य सेट भी बन चुका था पर शूटिंग से पहले ही अचानक संजय लीला भंसाली और सलमान खान के बीच अनबन की खबरें आई और फ़िल्म नहीं बनी. संजय लीला भंसाली ने बताया की जब इंशाअल्लाह नहीं बनी तो उन्हें बहुत गुस्सा आया.
वो सोचने लगे कि ऐसा क्यों हुआ. पद्मावत के बाद एक भव्य सेट बनाने के बाद उसे बंद करना पड़ा. वो करीब एक हफ़्ते गुस्से में रहे. फिर संजय लीला भंसाली गंगूबाई काठियावाड़ी की स्क्रिप्ट पर लग गए.
इंशाअल्लाह के समय उनकी आलिया भट्ट से मुलाकात हो चुकी थी. बाद में संजय लीला भंसाली ने आलिया को गंगूबाई काठियावाड़ी ऑफर की.
आलिया भट्ट को शुरुआत में हिचकिचाहट थी पर वो बाद में तैयार हो गईं. इंशाअल्लाह के बंद होने के डेढ़ महीने बाद गंगूबाई की शूटिंग शुरू हो गई. भव्य सेट, भव्य कॉस्ट्यूम बनाए गए. संजय लीला भंसाली का मानना है कि उन्होंने अपने गुस्से का सबसे बेहतर इस्तेमाल किया है.
संजय लीला भंसाली ने सुपरस्टार सलमान खान के साथ अपने शुरुआती दौर में दो फ़िल्में कीं- ख़ामोशी और हम दिल दे चुके सनम.
उसके बाद सलमान खान और संजय लीला भंसाली के रिश्तों में दूरियां आईं. करीब दो दशक के बाद निर्देशक-अभिनेता की ये जोड़ी इंशाअल्लाह से एक बार फिर सामने आने वाली थी लेकिन शूटिंग शुरू होने से पहले ही ये फ़िल्म बंद हो गई.
संजय लीला भंसाली से जब इसकी वजह पूछी गई तो वो कहते हैं,"जो बात नहीं बनी तो उस पर क्या बात करें?"
वो आगे कहते हैं ,"जब नहीं बनाना होता है तो नहीं बनती. बाजीराव-मस्तानी नहीं बनी जब सलमान थे, ऐश्वर्या थीं, करीना थीं. फ़िल्म का भाग्य नहीं होता है तो वो उस समय नहीं बनती. ये इस फ़िल्म की नियति थी, गंगूबाई की रूह थी जो बोली कि इसे बनाओ. मुझे खुद समझ नहीं आया कि फ़िल्म बंद कर मैं कैसे आगे निकल गया. महबूब स्टूडियो में सेट बना था, आलिया गाने पर डांस की रिहर्सल कर चुकी थीं, लाइटिंग हो चुकी थी फिर मेरे मुँह से निकल गया कि बंद कर दो ये नहीं करना."
संजय लीला भंसाली का मानना है कि जो किस्मत में लिखा हुआ है वही होता है. जैसे रणवीर और दीपिका की किस्मत में थी बाजीराव मस्तानी, जब इस फ़िल्म की भंसाली ने घोषणा की थी तब दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह स्कूल में थे.
गंगूबाई, रमणीक और फ़िल्म में न्यूड सीन
अपनी फ़िल्मों के माध्यम से दर्शकों को अलग दुनिया में ले जाने वाले संजय लीला भासली ने गंगूबाई काठियावाड़ी की कहानी लेखक हुसैन ज़ैदी की किताब ''माफ़िया क़्वीन'' से ली है. उन्होंने किताब से गंगूबाई और उनको धोखा देने वाले पति रमणीक की कहानी में बड़े बदलाव किए हैं.
इस बदलाव पर टिप्पणी करते हुए संजय लीला भंसाली कहते है,"मुझे रमणीक और गंगूबाई के संबंध में वक्त नहीं खपाना था. उनकी नाम की शादी, नज़दीकी संबंध, रेप का सीन मुझे नहीं दिखाना था. ये सब दिखाकर मुझे दर्शकों को अनकंफ़र्टेबल नहीं करना था. मुझे गंगूबाई की रूह को वापस से बेचैन नहीं करना था और ये न्यूडिटी मुझे दिखानी ही नहीं थी. इसलिए रमणीक को धोखेबाज प्रेमी के रूप में पेश किया."
संजय लीला भंसाली के मुताबिक़, रमणीक फ़िल्म का सबसे घृणित किरदार है जिसे इंसानियत को देखना ही नहीं चाहिए, क्योंकि जो मासूम ज़िंदगी को बर्बाद कर देते हैं ऐसे लोगों के लिए धरती पर उनके लिए जगह नहीं है.
भंसाली ने ये मुक़ाम अब तक नहीं किया हासिल
संजय लीला भंसाली की फ़िल्मों में संगीत बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. वो अपनी फ़िल्मों का संगीत खुद ही तैयार करते हैं. आज के बदलते दौर में जहां फ़िल्मों में गानों का महत्व घटता जा रहा है, संजय लीला भंसाली का कहना है कि उनकी फिल्मों में गाने नहीं होना मुश्किल है.
भंसाली कहते हैं कि आज की पीढ़ी ईरानी फ़िल्में, कोरियाई फ़िल्में और पश्चिम की फ़िल्मों से काफी प्रभावित है, जहां फ़िल्मों में गानों की जगह नहीं होती पर यही एक चीज़ है जो बॉलीवुड फ़िल्मों को उनसे अलग करती है.
वो आगे कहते हैं, "हिंदुस्तान में हर चीज़ के लिए गाना है. गीत-संगीत हमारे भारतीय सिनेमा की विरासत है. बड़े-बड़े निर्देशक राज कपूर साहब, महबूब ख़ान साहब, नौशाद साहब और शंकर जयकिशन क्या उनके काम का मोल नहीं है, हम उन्हें मिटा देंगे? मेरी फ़िल्मों में गाने तो रहेंगे. मुझे गाने बहुत पसंद है."
संगीत के अपने झुकाव को साझा करते हुए संजय लीला भंसाली कहतें है, "मैं फ़िल्म की शुरुआत ही गाने से करता हूँ. गंगूबाई लिखते समय ही मेरे मन में 'झूमे रे गोरी' गाना आ गया था. वहीं से फ़िल्म शुरू हुई उसे कैसे छोड़ दूं! मैं राज कपूर, विजय आनंद, के. आसिफ़, गुरु दत्त जैसे गाने शूट करना चाहता हूँ. मैंने बहुत अच्छे-अच्छे गाने शूट किए हैं लेकिन मुझे वो मुक़ाम पाना है जो इन निर्देशकों ने हासिल किया है."
वो आगे कहते हैं, ''ऐसा वाला काम मैं ढूंढ रहा हूं जैसे 'मेरी जान' गाड़ी में शूट हुई थी, गुरु दत्त साहब एक बिस्तर पर पूरा गाना शूट कर लेते थे, जैसे विजय आनंद साहब 'दिल का भंवर' एक सीढ़ी में शूट कर लेते थे. वो जीनियस लोग थे. जब तक मुग़ल-ए-आज़म का 'प्यार किया तो डरना क्या' जैसा गाना न शूट कर लूं, मैं गाने शूट करता रहूंगा."
महिलाओं को सलाम
संजय लीला भंसाली की फ़िल्मों में महिलाओं के किरदार बेहद दमदार होते हैं.
भंसाली कहते हैं, "महिलाएं भगवान का प्रतिनिधित्व करती हैं क्योंकि वो ज़िंदगी देती हैं."
हर बड़े निर्देशकों की कहानियों में महिलाओं के बड़े किरदार होते हैं. जैसे बिमल रॉय, सत्यजीत रे, राज कपूर, ऋत्विक घटक जैसे लोगों का उनपर प्रभाव रहा है, वो अपने माध्यम से औरतों को अभिवादन करना चाहते हैं. (bbc.com)
नई दिल्ली, 2 मार्च | सूत्रों के मुताबिक, अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय ड्रग साजिश से जुड़े होने का कोई सबूत नहीं मिला है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच में यह पाया गया है।
सूत्रों ने आगे कहा कि इसका भी कोई सबूत नहीं मिला कि खान एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट का हिस्सा है।
हालांकि संपर्क करने पर अधिकारियों ने इस मामले में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि गोवा जाने वाले कॉर्डेलिया याचैट पर की गई छापेमारी में कुछ अनियमितताएं थीं।
इस मामले की अभी भी एसआईटी जांच कर रही है।
तत्कालीन मुंबई जोन के प्रमुख समीर वानखेड़े के नेतृत्व में एक एनसीबी टीम ने कॉर्डेलिया क्रूज यॉट पर छापा मारा था, जहां कथित तौर पर 2 और 3 अक्टूबर की दरम्यानी रात को एक ड्रग पार्टी चल रही थी।
आर्यन खान और कुछ अन्य को टीम ने नशीली दवाओं की साजिश और ड्रग्स लेने के आरोप में हिरासत में लिया था।
खान को एनसीबी की टीम ने 3 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। निचली अदालत ने उनकी पहली जमानत खारिज कर दी थी। बाद में, खान ने अपने वकील के माध्यम से बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने उन्हें 28 अक्टूबर को जमानत दे दी थी। कानूनी प्रक्रियाओं के कारण, उन्हें 30 अक्टूबर को जेल से रिहा कर दिया गया था।
एनसीबी ने अब तक दो नाइजीरियाई नागरिकों समेत 20 लोगों को गिरफ्तार किया है।
एनसीबी की एसआईटी इस मामले में चार्जशीट दाखिल करेगी और फिलहाल कानूनी राय ले रही है।
(आईएएनएस)
मुंबई, 2 मार्च| पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान ने अपनी बिना शीर्षक वाली वेब सीरीज की शूटिंग पूरी कर ली है। सीरीज एक जिंदगी ऑरिजनल है जिसे भारतीय ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज किया जाएगा। शो में सनम सईद भी हैं और इसका निर्देशन ऑस्कर नामांकित पाकिस्तानी निर्देशक असीम अब्बासी ने किया है।
शूटिंग खत्म करने के बारे में बात करते हुए, असीम ने कहा कि यह मेरे लिए एक बहुत ही व्यक्तिगत परियोजना है। पांच महीने से अधिक की शूटिंग मेरे जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण अनुभव रहा है, लेकिन यह सबसे पुरस्कृत भी है। कलाकारों की टुकड़ी ने एक सुंदर काम किया है।
" शूटिंग का आखिरी दिन विशेष रूप से एक्शन से भरपूर था। मुझे याद है कि जिस कार से हमें शूट करना था, वह काम नहीं कर रही थी, इसलिए हमने इसके बजाय अपनी निजी कार का इस्तेमाल किया।"
उन्होंने आगे कहा, "शॉट के दौरान, फवाद को वास्तव में रबर जलाना पड़ा, क्योंकि उन्हें सिंगल-लेन सड़क पर यू-टर्न लेना था। यह एक सही शॉट था लेकिन अब मुझे नए टायर चाहिए होंगे"
सीरीज की शूटिंग कराची और हुंजा वैली में हुई है।
सीरीज एक जादुई स्पर्श के साथ प्यार, लॉस और सुलह की खोज करती है। (आईएएनएस)
मुंबई, 28 फरवरी| बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद युवाओं पर आधारित रियलिटी शो 'रोडीज 18' के होस्ट के रूप में अपने सफर को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने अभिनेता-वीजे रणविजय की जगह ली है, जो पिछले कई सालों से इस शो को होस्ट कर रहे हैं।
रियलिटी शो का सीजन 18 दक्षिण अफ्रीका के विभिन्न लोकेशंस पर आधारित होगा। इसे लेकर अपने उत्साह को साझा करते हुए, सोनू कहते हैं, "मैं 'रोडीज' की शूटिंग शुरू करने को लेकर बहुत खुश हूं।"
उन्होंने कहा, "यह एक ऐसा रियलिटी शो है, जिसे मैं वर्षों से बहुत करीब से देख रहा हूं, और मैं इसमें अपना फ्लेवर जोड़ने के लिए बहुत उत्साहित हूं। मुझे यकीन है कि यह एक ऐसा सफर होगा, जैसा पहले कभी नहीं रहा होगा।"
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शो का कॉन्सेप्ट भी थोड़ा बदल गया है और हो सकता है कि गैंग लीडर्स का आइडिया मौजूद न हो। नेहा धूपिया, प्रिंस नरूला और अन्य को पिछले सीजन में गैंग लीडर के रूप में देखा गया था। शो के मार्च में एमटीवी इंडिया पर शुरू होने की उम्मीद है।
फिल्मों के मोर्चे पर बात करें तो सोनू सूद के पास चंद्रप्रकाश द्विवेदी की ऐतिहासिक एक्शन ड्रामा, 'पृथ्वीराज' और कोराताला शिव की 'आचार्य' है। वह 'फतेह' के साथ एक विशेष भूमिका में भी दिखाई देंगे। (आईएएनएस)
शाहरुख खान और गौरी खान की बेटी सुहाना खान की अत तक की सबसे खूबसूरत फोटो सामने आई है, जिसे फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट शेयर किया है. फोटो में सुहाना ह्वाइट चिकनकारी लहंगा कैरी हुई दिख रही हैं. उनकी फोटो सामने आती ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है.
शाहरुख खान और गौरी खान की बेटी सुहाना खान बी-टाउन में अपने फैशन से वह हमेशा लाइमलाइट बटोरती रहती हैं. हसीना की स्टाइलिश तस्वीरें फैन्स को खूब पसंद आती हैं। यही कारण है कि बेहद कम उम्र में सुहाना ने इतनी पॉपुलैरिटी हासिल करने में सक्सेस रही हैं. अकटलों की मानें तो सुहाना खान जहां जल्द ही डिजिटल प्लेटफॉर्म से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखेंगी. हालांकि उनके डेब्यू से एक बार फिर से इस स्टार किड का एक बेहद ग्लैमरस लुक सामने आया है, जिसने इंटरनेट पर धूम मचा दी. जी हां! 21 साल की सुहाना ने फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा द्वारा डिजाइन की गई चिकनकारी लहंगा में फोटोशूट करवाया है.
सुहाना खान की फोटो को फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा ने अपने इंस्टाग्रां हैंडल से शेयर किया है. इसमें सुहाना ने मनीष की सिग्नेचर सीक्वन कलेक्शन से इस खूबसूरत ह्वाइट चिकनकारी लहंगा कैरी किया, जिसमें उनका जलवा देखने लायक है.
डिजाइनर से सुहाना की फोटो अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर करते हुए कैप्शन में कुछ दिल इमोजी के साथ 'क्लासिक ह्वाइट चिकनकारी 'लिख कर शेयर किया है.
फोटोशूट के दौरान सुहाना के ओवरऑल लुक की बात करें तो आप फोटोज में देख सकते हैं कि सुहाना बालों में पोनी डाले हुए दिख रही हैं. माथे पर ब्लैक छोटी बिंदी, कानों में ओवरसाइडज झुमके और चेहरे पर परफेक्ट लाइट न्यूड मेकअप में वह वह हसीन दिख रही हैं.
सुहाना का ये ट्रेडिशन अंदाज इंटरनेट पर वायरल हो गया है. उनके चाहने वाले लोग डिजाइन के पोस्ट पर कॉमेंट कर सुहाना पर खूब प्यार बरसा रहे हैं. फैन्स को सुहाना किलर, स्टनर, गॉर्जियस और मासूम लग रही हैं.
सुहाना की इस फोटो में सबसे अट्रैक्टिव उनका स्लीवलेस डीप नेक ब्लाउज है, जिस पर सीक्वेंस का काम नजर आ रहा था। क्रॉप ब्लाउज में यू नेकलाइन के साथ उसे बैकलेस रखा गया था। वहीं पतली स्ट्रैप्स पर बीड्स का काम दिखाई दे रहा था। फोटो में सुहाना साइड कर्व्स और टोन्ड टमी शो होती दिख रही हैं।
बता दें कि इस फोटोशूट से पहले अभी कुछ दिनों पहले सुहाना मनीष मल्होत्रा की रेड साड़ी पहनकर दिलकश फोटोशूट फोटोशूट कराया था. जिसकी कई सारी फोटो सोशल मीडिया पसंद की गई।
बता दें कि इस फोटोशूट से पहले अभी कुछ दिनों पहले सुहाना मनीष मल्होत्रा की रेड साड़ी पहनकर दिलकश फोटोशूट फोटोशूट कराया था. जिसकी कई सारी फोटो सोशल मीडिया पसंद की गई।
मधु पाल
टीवी के सबसे विवादित शो में से एक 'बिग बॉस' जैसा ही एक और शो ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर आ रहा है. इसका नाम है 'लॉकअप: बैडास जेल...अत्याचारी खेल'.
ये शो बनाया है टेलीविज़न कंटेंट की क्वीन मानी जाने वाली एकता कपूर ने और इसे होस्ट कर रही हैं अभिनेत्री कंगना रनौत.
ये कंगना रनौत का डिजिटल डेब्यू भी है. शो के कंटेस्टेंट का चुनाव खुद कंगना रनौत ने किया है.
इस शो की घोषणा के दौरान कंगना रनौत ने कहा था कि उनके ऊपर बीते दो सालों में कई एफ़आईआर हो चुकी हैं और वो पुलिस थाने के कई चक्कर भी लगा चुकी हैं. वहीं एकता का कहना था कि शो के कंटेंट को लेकर वो ज़िम्मेदार नहीं हैं. एकता ने कहा कि उन्हें यकीन है कि इस शो को लेकर उनके ऊपर कई एफ़आईआर होंगी.
ओटीटी पर ये पहला ऐसा शो है जो रिलीज़ होने से पहले ही बहुत ज़्यादा विवादों और सुर्ख़ियों में बना हुआ है. इसकी मुख्य वजह है शो का फ़ॉर्मेट और उसके कंटेस्टेंट. शो में अधिकतर ऐसे प्रतियोगी हैं, जिनका विवादों के साथ बहुत गहरा रिश्ता रहा है.
क्या है शो का फ़ॉर्मेट
'लॉकअप' नामक इस शो में 16 कंटेस्टेंट्स होंगे. इन सभी प्रतियोगियों को लॉकअप में 72 दिनों के लिए बंद कर दिया जाएगा. उन्हें बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना होगा और तक़रीबन हर कदम पर टास्क दिए जाएंगे. कंगना रनौत जेलर की भूमिका में नज़र आएंगी. एकता कपूर ने बताया कि शो में पसंदीदा कंटेस्टेंट्स को ऑडियंस वोट कर सकती है, लेकिन 50 फ़ीसदी वोटिंग पावर कंगना के पास होगी.
शो में टिके रहने के लिए कंटेस्टेंट्स को अपनी जिंदगी से जुड़े कई राज़ खोलने होंगे. ये शो ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म एमएक्सप्लेयर और ऑल्ट बालाजी पर प्रसारित होगा. 'बिग बॉस' की तरह दर्शक 'लॉकअप' में भी कंटेस्टेंट्स की हरकतों को 24 घंटे लाइव देख सकते हैं.
शो के प्रतियोगी
पहला नाम है मॉडल पूनम पांडेय का. वर्ष 2011 में पहली बार पूनम चर्चा में आई थी जब उन्होंने ये कहा था कि अगर भारत वर्ल्ड कप जीतता है तो वह पूरी टीम को चीयर करने के लिए स्ट्रिप हो जाएंगी. हालांकि बीसीसीआई की ओर से उन्हें ऐसा करने की मंज़ूरी नहीं मिली थी. पूनम एक बार और सुर्ख़ियों में रहीं जब उन्होंने 2020 में शादी की और इसके 12 दिन बाद ही उन्होंने अपने पति पर यौन शोषण का आरोप लगाया जिसके बाद गोवा पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार किया था.
शो में शामिल दूसरा नाम जो सामने आया है वो हैं अभिनेत्री निशा रावल का. निशा ने पिछले साल अपने पति और सीरियल 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' फ़ेम करण मेहरा पर मारपीट का आरोप लगाया था.
तीसरे प्रतियोगी गुजरात के जूनागढ़ निवासी और स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूकी हैं. बीते साल मुन्नवर फ़ारूकी के महज़ 2 महीने के अंदर 12 शो कैंसिल हो गए थे. हिंदू देवी-देवताओं पर कथित विवादित टिप्पणी की वजह से फ़ारूकी को कई दिनों तक जेल में रहना पड़ा था.
'लॉकअप' में दिखेंगे खिलाड़ी
कंगना के 'लॉकअप' में खेल जगत के सितारे भी नज़र आने वाले हैं. इनमें पहला नाम बबीता फोगाट का है. फोगाट बहनों की ज़िंदगी पर ही आमिर ख़ान ने 'दंगल' फ़िल्म बनाई थी. कुश्ती चैंपियन बबीता फोगाट ने 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला कुश्ती में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीता था.
उन्होंने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स, 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल और 2012 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और बाद में 2019 में राजनीति में कदम रखा.
फ़िल्म और ओटीटी समीक्षक सोनुप सहदेवन इस नए एकता कपूर के शो लॉकअप का ज़िक्र करते हुए कहते हैं कि ऑल्ट बालाजी को एक बड़े शो का इंतज़ार था क्योंकि उनके पास बहुत कम ऐसे शो हैं जिनके लिए इस ओटीटी प्लेटफॉर्म को याद किया जाता है.
ऑल्ट बालाजी कुछ नया नहीं दिखा रहा है. अगर ऑल्ट बालाजी की टारगेट ऑडियंस की बात करें तो फोकस युवाओं पर है. उनके ज़्यादातर शो परिवार के साथ देखने वाले होते ही नहीं.
ओटीटी पर कामयाबी का पैमाना
ओटीटी में कैसे तय किया जाता है कि कौन सा शो हिट और कौन फ्लॉप, इस पर सोनुप कहते हैं कि ओटीटी में हिट या फेल का मापदंड नहीं होता या तो सब कुछ हिट है या तो सब कुछ फ्लॉप है. ना बॉक्स आफिस है और ना ही टीआरपी की रेटिंग इसलिए ऐसी कोई बात नहीं हैं जिससे पता चल सके. (bbc.com)
हैदराबाद, 25 फरवरी | प्रभास और पूजा हेगड़े-स्टारर 'राधे श्याम' दुनिया भर में रिलीज के लिए तैयार है, निर्माता आगामी फिल्म को बढ़ावा देने के लिए एक मंच तैयार कर रहे हैं। जल्द ही फिल्म का प्रचार शुरू करने की योजना के साथ, प्रभास, पूजा हेगड़े, राधा कृष्ण कुमार और अन्य लोग राष्ट्रव्यापी दौरों में भाग लेने के लिए निकलेंगे। प्रचार के लिए मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, कोच्चि और बैंगलोर सूची में शीर्ष पर हैं। कई तारीखें टलने के बाद 'राधे श्याम' की रिलीज डेट 11 मार्च तय की गई है।
राधे श्याम की टीम प्रेस मीट आयोजित करके मीडिया के साथ बातचीत करेगी और फिल्म के आसपास मौजूदा प्रचार को बनाए रखने के लिए प्रचार और बीटीएस वीडियो भी जारी करेगी।
'राधे श्याम' में प्रभास विक्रमादित्य के रूप में हैं और पूजा हेगे ने प्रेरणा की भूमिका निभाई है। विक्रमादित्य एक हस्तरेखाविद् हैं जो भविष्यवाणी करते हैं और अतीत को भी बताते हैं।
मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने 'राधे श्याम' के लिए अपनी आवाज दी हैं और बॉलीवुड अभिनेत्री भाग्य श्री फिल्म में प्रभास की मां का किरदार निभाएंगी।(आईएएनएस)
पराग छापेकर
एक ज़माना था जब हिंदी पट्टी के सिनेमाप्रेमी 'मद्रासी पिक्चरों' के बहाने रजनीकांत, कमल हासन या चिरंजीवी को ही जानते थे. कभी-कभार नागार्जुन या वेंकटेश को भी. आज गाँव-गाँव गली-मुहल्लों में प्रभास और अल्लू अर्जुन जैसे सितारों का नाम गूंज रहा है.
धनुष, अजित, मोहन बाबू, विजय देवराकोंडा, चिंया विक्रम, खिचा सुदीप, पवन कल्याण, नागा चैतन्य, रामचरण तेजा, जूनियर एनटीआर, सूर्या, समान्था, रश्मिका मन्दाना. आप नाम लेते जाइये, यूपी, बिहार, बंगाल से लेकर एमपी और गुजरात तक इनका जादू चल रहा है.
हिंदी सिनेमा में दक्षिण की पैठ हीरोइनों के मामले में वैजयंती माला के ज़माने से रही है, हेमा मालिनी जयाप्रदा, मीनाक्षी शेषाद्रि से लेकर आज श्रुति हासन तक, दक्षिण की अभिनेत्रियाँ हिंदी फ़िल्मों में काम करके मशहूर होती रही हैं, लेकिन यह दौर बिल्कुल अलग है जब दक्षिण के सितारे अपनी ही फ़िल्मों से पूरे देश में चमक रहे हैं.
भरपूर मनोरंजन, दर्शकों की नब्ज़ पर पूरी पकड़ और इन सब से बढ़कर पिछले 20 साल से अमल में लाई जा रही सोची-समझी रणनीति जिसने आज बॉलीवुड पर अपना रोब जमा लिया है. बॉलीवुड का किला फ़तह करने के लिए आज साउथ वालों ने अश्वमेध का घोड़ा दौड़ा दिया है. दक्षिण भारतीय सिनेमा के सेनापतियों की पूरी फ़ौज बॉलीवुड में राज करने का सपना साकार करने के बहुत क़रीब है.
अब ये मत समझिए कि सिर्फ़ एक 'पुष्पा' के देश भर में फैले तूफान और करोड़ों की कमाई की वजह से ऐसा नतीजा निकाला जा रहा है.
बॉलीवुड कलाकारों के सहारे दर्शकों तक पहुंचने की रणनीति
साउथ के इस प्लान में हिंदी-पट्टी के दर्शकों को रिझाने के लिये एक 'चारा फेंकने' वाली स्ट्रैटेजी भी है. साउथ ने बॉलीवुड के बड़े सितारों को छोटे-छोटे रोल देना जारी रखा है. सिलसिला इंदिरन (रोबोट) में ऐश्वर्या राय से लेकर अमिताभ बच्चन और आने वाली फिल्म आरआरआर में आलिया भट्ट और अजय देवगन तक पहुंचा है और आगे भी जारी रहेगा.
दरअसल, साउथ वाले इस बात को जान चुके हैं कि हिंदी फ़िल्म के कलाकारों के ज़रिए वो उस बड़े मार्केट को आसानी से क़ब्ज़े में ले चुके हैं जिसके लिए उन्होंने बरसों मेहनत की है.
वैसे डिप्लोमेसी यहां भी कम नहीं है. 'पुष्पा' के अल्लू अर्जुन कहते हैं कि 'बॉलीवुड वालों का हमारी इंडस्ट्री में खुले दिल से स्वागत है', लेकिन दिक़्क़त तो ये है कि साउथ में सितारों का स्टारडम इतना ज़्यादा है कि यहां के दर्शक बाहर वालों को हज़म ही नहीं कर पाते .
साउथ का ये 'हमला' क़रीब 15-20 साल से जारी है जिसमें पहले के फ़िल्ममेकर्स ने कभी-कभार बॉलीवुड वालों के साथ फ़िल्में बनाकर 'मद्रासी फ़िल्मों' का चस्का लगाया. फिर श्रीदेवी और जयाप्रदा जैसी अभिनेत्रियाँ बॉलीवुड की मेनस्ट्रीम में आईं.
साउथ वालों ने अपनी भाषा की फ़िल्मों में हिंदी फ़िल्मों के कलाकारों को लिया भी, लेकिन वो भी ज़्यादातर कैरेक्टर आर्टिस्ट के रूप में. राहुल देव, सोनू सूद, चंकी पांडे, विनीत कुमार, मुरली शर्मा अक्सर ही किसी साउथ की डब फ़िल्म में नज़र आते रहे.
दक्षिण भारतीय फ़िल्मों के निर्माताओं और वहां की बड़ी फ़िल्म कंपनियों ने टीवी पर साउथ की डब फ़िल्मों का चस्का लगाना भी क़रीब दो दशक पहले ही शुरू कर दिया था. आज तो मूवी चैनल्स का ज़्यादातर एयर टाइम इन्हीं डब फ़िल्मों की वजह से गुलज़ार है.
एक समय था जब साउथ की फिल्मों के टीवी राइट्स एक से डेढ़ लाख रुपये तक में मिल जाते थे, यानी सस्ते में चैनल्स का खाली समय भरो. अब डील करोड़ों में होती है.
अपनी-अपनी टेरिटरी या भाषाई क्षेत्रों के इन बादशाहों नें बॉलीवुड के क़िले को क़ब्ज़े में लेने के लिए जिस 'डब मार्केट' का हथियार चलाया था वो आज सही जगह पर लग चुका है.
'बॉलीवुड को दक्षिण की फ़िल्मों से ख़तरा'
जाने माने फ़िल्मकार मेहुल कुमार कहते हैं, "ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. आज जो हो रहा है ये निश्चित रूप से बॉलीवुड के लिए ख़तरे की घंटी है. उनका डब का फ़ॉर्मूला हिट हो चुका है."
मेहुल कुमार इसकी वजह बताते हुए कहते हैं, "बॉलीवुड 100 फ़ीसदी ख़तरे में है क्योंकि यहां कॉन्टेंट को साइड में कर दिया गया है. बस स्टार मिल गया तो पिक्चर बनाओ. बड़े स्टार्स का इंटरफ़ियर बहुत हो गया है. डायरेक्टर को अपने मुताबिक़ काम करने का मौका नहीं मिलता. आज पुष्पा 10वें हफ़्ते में आ गई. मैं किसी का नाम नहीं लूंगा, लेकिन एक बड़ी कंपनी है जो गाने ख़रीद लेती है और फिर डायरेक्टर को बोलती है कि मेरे पास ये 10-12 गाने हैं, जो अच्छा लगे डाल दो. ये क्या है? साउथ वालों को ये पहले से पता था कि बॉलीबुड में कॉन्टेंट पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है इसलिए उन्हें दर्शकों की पसंद को देखते हुए कहानी और गानों पर फ़ोकस किया. हम कॉन्टेंट ही नहीं दे पा रहे हैं."
बीते वर्षों में साउथ की डब की हुई फ़िल्मों का बोलबाला इतना था कि कभी कोरियन या हॉलीवुड फ़िल्मों की रीमेक बनाने वाला बॉलीवुड तमिल, तेलुगू और मलयालम पर ज़्यादा भरोसा करने लगा. सलमान ख़ान और अक्षय कुमार इसमें काफ़ी आगे रहे.
अक्षय कुमार की लाइफ़ में साउथ की रीमेक से 'राउडी राठौर' बनकर जो मोड़ आया वो किसी से छिपा नहीं है. निश्चित रूप से बॉलीवुड के लिए साउथ की रीमेक का सौदा फ़ायदे का ही रहा है, लेकिन ये बात उन्हें बाद में समझ में आई.
इसी कारण हाल ये है कि 'पुष्पा' ने 14 दिन में 234 करोड़ रुपये कमा लिए और भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही. इससे पहले 'मास्टर' ने भी अपनी झोली में 209.60 करोड़, 'वकील साहब' ने 119.90 करोड़, 'अखंड' ने 103 करोड़, 'अन्नात्थे' ने 102.50 करोड़, 'उप्पेना' ने 93.30 करोड़ और 'डॉक्टर' ने 81.60 करोड़ रुपए डाले.
बाहुबली ने की हिंदी पट्टी पर क़ब्ज़े की शुरुआत
ये मानने में कोई गुरेज़ नहीं कि पैसों का पूरा समन्दर समेटकर ले जाने वाली भव्य-दिव्य 'बाहुबली' (दोनों भाग) ने हिंदी पट्टी में दमदार क़ब्ज़े की शुरुआत की. वैसे ये सिर्फ़ कॉन्टेंट के कारण ही नहीं बल्कि फ़िल्म का 'लार्जर दैन लाइफ़' होना भी था और फिर कटप्पा मामा भी तो थे. 'कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?' यह सवाल 'शोले' के डायलॉग जैसा अमर हो गया है.
देश भर के फ़िल्मों के बिज़नेस पर पैनी नज़र रखने वाले ट्रेड एक्सपर्ट अतुल मोहन कहते हैं, "इसकी बुनियाद तो 10-15 साल पहले ही रख दी गई थी जब साउथ की फ़िल्में डब होकर टीवी पर आने लगी थीं. लोगों को सिनेमा का एंटरटेनमेंट टीवी पर फ़्री में मिलने लगा था और दूसरी तरफ़ हम यानी बॉलीवुड वाले रियलिस्टिक सिनेमा की तरफ़ जाने लगे थे. मल्टीप्लेक्स और अर्बन ऑडियंस पर फ़ोकस करने लगे और साउथ वालों को यूट्यूब का हथियार मिल गया."
अतुल समझाते हैं, "साउथ का कॉन्टेन्ट देखने के लिए भी व्यूवरशिप करोड़ों में होती है. टीवी से उनके शोज़ की टीआरपी भी बढ़ी जिससे अल्लू अर्जुन, महेश बाबू, विजय, अजित वगैरह लोकप्रिय होने लगे थे. हम 'क्लास' बनाने में लगे थे उन्होंने 'मास' एंटरटेनमेंट पर फ़ोकस किया. सिंगल स्क्रीन वालों को यही चाहिए होता है और फिर 'बाहुबली' ने तो अलग लेवल पर ही पहुँचा दिया."
वो कहते हैं, "अब सिर्फ तेलुगू को ही देखिये. उनके पास आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की टेरिटरी है और सिर्फ़ उसी से 100 करोड़ तक का कलेक्शन मिल जाता है और हमारे एक्टर्स पूरे देश भर से 100 करोड़ लाने में स्ट्रगल करते हैं. अनुपात के हिसाब से साउथ से 20 गुना ज़्यादा बॉलीवुड का बिज़नेस होना चाहिए."
अतुल मोहन को लगता है कि "साउथ वाले अपने-आप को अपग्रेड करते गए हैं और हम डीग्रेड करते गए हैं."
वो कहते हैं, "इन्टेलिजेन्ट कॉन्टेंट चाहिए तो मलयालम सिनेमा देखिए. मास एंटरटेनमेंट चाहिए तो तमिल-तेलुगू देखिए. लेकिन इधर सलमान-अक्षय जैसे स्टार उन्हीं की फ़िल्मों का रीमेक कर रहे हैं. वो ओरिजनल बना रहे हैं तो हम क्लासिक या आर्टी टाइप की फ़िल्में ही बना रहे हैं. बाहुबली बॉलीवुड में कभी नहीं बना, इस फ़िल्म ने सारे बांध तोड़ दिए. आप कह सकते हैं कि वो हिंदी बेल्ट को कैप्चर करने आ गए हैं. ये 10 साल से चल रहा था, धीरे-धीरे. हमको पता ही नहीं चला."
'नॉर्थ-साउथ सिनेमा का अंतर अब ख़त्म हो गया'
अतुल मोहन के मुताबिक़, "ये बॉलीवुड के लिए मुश्किल टाइम है. अब प्रोजेक्ट हिंदी में बन रहे हैं. मल्टीस्टार मसाला ही चलेगा वो जान चुके हैं. इस पर तेज़ी से काम शुरू हो गया है और इसका रिज़ल्ट अगले दो-तीन साल में दिखेगा. मेरा मानना है बॉलीवुड स्टार्स ने अपने को ओवर-एक्सपोज़ कर दिया है. उन्हें रिज़र्व रहना होगा तभी स्टारडम बनेगा जैसा साउथ स्टार्स का है."
फ़िल्म विश्लेषक कोमल नाहटा कहते हैं, "बॉलीवुड का कॉम्पीटिशन बॉलीवुड से ही था. अब हॉलीवुड, तमिल-तेलुगू से भी है और ओटीटी कॉन्टेन्ट से भी है. कॉम्पीटिशन बिल्कुल बढ़ गया है और इन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. कुछ नया लाना पड़ेगा. कुछ भी बना लो, थोड़ा लोकप्रिय तड़का डाल दो, ये नहीं चलेगा. एवरेज माल के लिए अब जगह कम हो गई है. औसत से ऊपर के दर्जे में काम करना पड़ेगा. लॉक डाउन से सारे समीकरण बदल चुके हैं. अब बॉलीबुड को बहुत सजग होना पड़ेगा.
अब साउथ की नदी का फाटक खुला है तो बाढ़ तो आएगी ही. पहले से ही अपने इलाके और दुनिया भर में नाम कमा चुके दक्षिण भारतीय सितारे हिंदी बेल्ट के दर्शकों के दिलों पर राज करने को तैयार हैं. दर्शक तो जैसे इसी के लिए तैयार बैठे हैं. कई फ़िल्में पाइप लाइन में हैं. फ़िल्मों में अब नॉर्थ और साउथ का अंतर ख़त्म हो गया है, केवल इंडियन सिनेमा बचा है, और वही चलेगा." (bbc.com)
फरहान अख़्तर और शिबानी दांडेकर ने खंडाला के एक फार्म हाउस में 19 फरवरी को शाद कर ली. दोनों एक दूसरे को लंबे अरसे से डेट कर रहे थे.
बॉलीवुड के एक्टर-डायरेक्टर फरहान अख़्तर और उनकी गर्लफ्रेंड शिबानी दांडेकर एक दूसरे का हाथ थाम कर शादी के बंधन में बंध गए.
खंडाला के एक फार्म हाउस में 19 फरवरी को आयोजित शादी समारोह में फ़िल्म जगत की कई चर्चित हस्तियां शरीक हुईं.
मेहमानों ने फहान और शिबानी को बधाई तो दी ही, समारोह के दौरान खूब मज़ा भी किया. तस्वीरों में देखिए इस समारोह की कुछ खूबसूरत झलकियां. ये तस्वीरें फरहान अख़्तर ने ही जारी की हैं.
फरहान अख़्तर और शिबानी दांडेकर की शादी ईसाई रीति-रिवाज से हुई. खंडाला के एक फार्म हाउस में आयोजित समारोह में शादी से पहले की तैयारी.
शादी समारोह में बॉलीवुड की कई हस्तियां शामिल हुईं. इस दौरान ऋतिक रोशन और फराह ख़ान ने जमकर ठुमके लगाए. फरहान की मां शबाना आजमी भी खूब नाचीं.
फरहान को शादी से पहले उनकी सालियों ने उन्हें जम कर उछाला. फरहान ने फोटो शेयर करते हुए लिखा ये सेलिब्रेशन तब तक अधूरा है जब तक इसकी कुछ अनमोल झलक आपके साथ शेयर न कर लें.
शिबानी अपने ससुर जावेद अख़्तर के साथ डांस करते हुए.
फरहान और शिबानी अपने दोस्तों के साथ
शिवानी के माता-पिता के साथ फरहान
शादी समारोह के दौरान गाना गाते हुए बॉलीवुड के मशहूर गायक और संगीतकार शंकर महादेवन
शादी समारोह के दौरान फरहान अख़्तर अपने पूरे परिवार के साथ. (bbc.com)
-पराग छापेकर
फ़िल्म 'बधाई दो' में राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर के किरदार दुनिया की नज़र में पति पत्नी होते हैं, पर वे हैं समलैंगिक.
"आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूँ". फिल्म 'पहचान' के लिए जब गोपालदास नीरज ने ये गाना लिखा था तो उनके लिए आदमी का मतलब इंसान था लेकिन मज़ाक-मज़ाक में इसे समलैंगिकता से जोड़कर खूब चुटकियाँ ली गईं. ज़माना बदला और एलजीबीटीक्यू पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समलैंगिकों को लेकर मुँह दबाकर हंसने वाला सिनेमा अब कुछ हद तक सीरियस हो गया है.
पिछले एक दशक में समलैंगिकता के मुद्दे पर कई फिल्में बनीं और पसंद भी की गईं. समय के साथ इन फिल्मों को अब 'ए' ग्रेड कमर्शियल आर्टिस्ट भी संजीदगी से लोगों के सामने पेश करने लगे हैं.
हाल ही में आई हर्षवर्धन कुलकर्णी की 'बधाई दो ' इसका ताजा उदाहरण है. इस फ़िल्म में राजकुमार राव और भूमि पेडणेकर मुख्य भूमिकाओं में हैं.
समलैंगिकों का तिरस्कार और उनका मज़ाक उड़ाने की परम्परा अब तक पूरी तरह से बंद तो नहीं हुई है लेकिन गंभीरता नज़र आने लगी है.
यहाँ ग़ौर करने वाली एक दिलचस्प बात ये भी है कि ये ऐसे समय में हो रहा है जबकि धार्मिक, जातीय और सांस्कृतिक मामलों में सिनेमा में दिखाए जाने वाले दृश्यों को लेकर लगातार हंगामा होता रहा है. पिछले कुछ सालों में 'पद्मावत' जैसी फ़िल्म से लेकर 'जश्न-ए-रिवाज़' वाले विज्ञापन तक लगातार विवाद सामने आते रहे हैं.
हिंदी फिल्मों में जब भी दो पुरुषों की नज़दीकियों की बात आती तो ...'चल हट..मैं वैसा नहीं हूँ'... कहकर किरदार उस पर नाक-भौं सिकोड़ लेता और बात हंसी में उड़ जाती.
फिर वो चाहे फिल्म 'कल हो ना हो' में सैफ औऱ शाहरूख के बीच की नजदीकी पर कांता बेन का कन्फ्यूज़न हो या दोस्ताना में अभिषेक बच्चन और जॉन अब्राहम का साथ.
मधुर भंडारकर की 'पेज थ्री' और 'फ़ैशन' में समलैंगिकता के कुछ दृश्य दिखे थे. फिल्मों में दो महिलाओं के प्यार को मज़ाक में उड़ाने की जगह उसका ज़ोरदार विरोध हुआ है.
दीपा मेहता की 'फायर' की शूटिंग के दौरान बनारस सहित देश के कई हिस्सों में जो हंगामा हुआ था, वो किसी से छिपा नहीं है. फ़िल्म के प्रदर्शन के दौरान देश के कई हिस्सों में तोड़फोड़ की घटनाएँ भी हुई थीं.
करण राजदान की फिल्म 'गर्लफ्रेड' को लेकर भी जमकर विवाद हुआ था क्योंकि कहानी दो महिला समलैंगिक किरदारों के प्यार की थी जो रोल ईशा कोप्पिकर और अमृता अरोड़ा ने निभाया था. साल 2004 में तब आई इस फिल्म को लेकर कई लोग सदमे में थे.
करण कहते हैं, "भले ही विरोध में मेरे पुतले जले हों लेकिन मैंने अपनी बात पहुंचा दी थी. मेरी फिल्म में यातनाएँ झेल रहा ईशा का वो किरदार इस बात को बताता है कि समाज और कानून उसे स्वीकार कर ले. गर्लफ्रेंड के बाद होमोसेक्शुआलिटी को लेकर खुलापन आने लगा, थोड़ी स्वीकार्यता दिखने लगी और धीरे-धीरे तो कुछ वेबसीरिज़ में उन्हें आम जिंदगी की तरह इसे दिखाना शुरू किया. कुछ लोगों ने इसे मज़ाकिया बनाया, कुछ ने घिनौने तरीके से भी दिखाया. और ये दोनों ही ग़लत है. जो नेचर ने बनाया है उसे आप ग़लत कैसे ठहरा सकते हैं. लोगों की निजी पसंद को तो आपको मान्यता देनी ही होगी."
सीरियस सिनेमा
बीते दशकों में समलैंगिकता को लेकर सीरियस बहस छेड़ने वाली कई फिल्में बनी हैं.
ओनीर की 'माई ब्रदर निखिल', संजय शर्मा की 'डोंट नो वाई', फिल्म 'बॉम्बे टॉकीज़' में करण जौहर की कहानी में रणदीप हुड्डा और साकिब सलीम का प्रसंग, 'कपूर एंड सन्स' में फव्वाद ख़ान का किरदार, कल्कि की 'मार्गरीटा विद स्ट्रॉ' सहित कई फिल्मों में रिश्तों को गंभीरता से दिखाया गया.
सोनम कपूर और रेजिना कसान्ड्रा की लेस्बियन लव स्टोरी 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' में इस रिश्ते को लेकर स्पष्टता और निडरता दिखी. आयुष्यमान खुराना और जितेन्द्र कुमार की 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' भी इसी दिशा में एक कदम आगे रही.
साल 2015 में आई मनोज बाजपेयी की अलीगढ़ ने समलैंगिकता पर चल रही बहस को न सिर्फ एक नया मोड़ दिया बल्कि यह इस मामले में सिनेमा के सीरियस हो जाने की दिशा में एक बड़ा कदम था.
प्रोफ़ेसर रामचंद्र सिरस के किरदार में मनोज बाजपेयी का अभिनय काफ़ी चर्चित रहा था.
मनोज बाजपेयी मानते हैं कि "अलीगढ़ जैसी फिल्म ने इस बहस को छेड़ा और सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट में भी अलीगढ़ का ज़िक्र आया है. जब अलीगढ़ जैसी फिल्म ऐसी बहस को छेड़ती है तो राजनीति और कानून वापस देखने को मजबूर होते हैं समाज के इस नजरिये को."
पर क्या ऐसी फिल्मों से ही समाज बदल रहा है, इस पर मनोज बाजपेयी कहते हैं, "मैं ये मानता ही नहीं कि सिनेमा समाज को बदलता है . समाज अपने हिसाब से बदलाव करता है. मेरा सारा ज्ञान , शिक्षा इस बात की गवाही ही नहीं देते. समाज अब उस जगह आ चुका है कि वो बदलाव को स्वीकार कर रहा है. ये इसकी प्रकृति में आ चुका है. लेकिन होता क्या है कि राजनीति और समाज को हम समझ नहीं पाते और उसे समझने में थोड़ा समय लगता है."
उनका कहना है, "कानून बदलना या राजनीति का रुख़ बदलने का ये मतलब नहीं है कि समाज सिनेमा के ज़रिए बदलता है. सिनेमा के ज़रिए दर्शक यदि किसी मुद्दे को स्वीकारते हैं तो उसका एकमात्र कारण होता है कि आपने उस मुद्दे को कैसे दिखाया. दर्शक मनोरंजन चाहते हैं. जब वो सिनेमा हॉल में या ओटीटी के सामने बैठते हैं तो वो एंटरटेन होना चाहते हैं. और जब वो कहानी उसको बांधती है तभी वो मुद्दा असर करता है या वो उस पर बात करते हैं. कहानी खराब होगी तो मुद्दे का नुकसान होगा."
मनोज बाजपेयी एक और दिलचस्प बात कहते हैं, "अगर आप ग्रामीण भारत में जाएँ तो समलैंगिकता को लेकर वहाँ के लोगों का रुख़ शहरियों के मुकाबले बहुत प्रोग्रेसिव है. मैं अपने ही गांव की बात करूँ तो हमारे यहां नटुआ नाच होता है . पुरुष महिलाओं के कपड़े पहनकर नाचते हैं, इसे गलत नहीं माना जाता. अलीगढ़ जैसी फिल्म आई तो इस मुद्दे पर बहस आगे बढ़ी."
एक बात तो तय है कि समलैंगिकता को लेकर हटी कानूनी कठोरता ने इन रिश्तों को लेकर संजीदगी से फिल्मों को बनाने की झिझक खत्म कर दी है.
फ़िल्म 'बधाई दो' के डायरेक्टर हर्षवर्धन कुलकर्णी कहते हैं, "सोसाइटी मैच्योर हुई है. जब समाज ऐसे विषयों पर इनटालरेन्ट हो जाता है ऐसे जोक्स उन्हें ही पसंद नहीं आते और फिर वो इस तरह के जोक्स बंद कर देते हैं. समाज को बदलाव में टाइम लगता है लेकिन जब हो जाता है तो इसका असर दिखने लगता है."
आपस में शादी कर चुकी जोड़े की रिलेशनशिप को दिखाने वाले हर्षवर्धन कहते हैं , "यंग जनरेशन में स्वीकार्यता है. उनके दोस्त जो पहले बंद दरवाजों में रहते थे. लोग उनका मजाक उडाते थे. लेकिन अब इतना बड़ा बदलाव आया है कि हम जैसे हैं वैसा संजीदगी से दिखा सकते हैं. अगर हम अब इस समाज के लोगों को साइड कैरेक्टर या जोक्स के रूप में दिखाएँ तो लोग गुस्से में आ सकते हैं."
उनका कहना है , "आर्टिकल 377 हटने के बावजूद अब भी बहुत संघर्ष बाकी है. कई स्टोरीज़ आ रही हैं और जैसे-जैसे हम फिल्मों के ज़रिए इन कहानियों को लोगों के बीच ले जाएँगे, उतना ज्यादा हम नॉर्मल होने की तरफ़ बढ़ते जाएँगे." (bbc.com)
मुंबई, 17 फरवरी | लोकप्रिय एंकर, अभिनेता, कॉमेडियन और आरजे मनीष पॉल को आगामी रियलिटी शो 'स्मार्ट जोड़ी' की मेजबानी के लिए अनुबंधित किया गया है। यह शो रियल लाइफ सेलेब्रिटी कपल्स और उनकी अनदेखी केमिस्ट्री, कहानियां और रोमांटिक पल लेकर आएगा। शो की मेजबानी पर, मनीष कहते हैं कि जिस चीज ने मुझे तुरंत शो में आकर्षित किया, वह थी इसकी दिलचस्प अवधारणा। अपने अब तक के करियर के दौरान, मैं विभिन्न रियलिटी शो, फिल्मों और परियोजनाओं से जुड़ा रहा हूं, मुझे होस्टिंग करने में मजा आता है।
मनीष का कहना है कि 'स्मार्ट जोड़ी' का प्रारूप काफी अलग है और इसे होस्ट करना मजेदार होने के साथ-साथ एक चुनौतीपूर्ण कार्य भी होगा।
उन्होंने आगे कहा कि इस शो की मेजबानी करना चुनौतीपूर्ण और मजेदार होने वाला है, साथ ही शो का प्रारूप अपरंपरागत है और कुछ ऐसा जो हमने हिंदी टेलीविजन पर पहले कभी नहीं देखा है।
'स्मार्ट जोड़ी' में बॉलीवुड एक्ट्रेस भाग्यश्री पटवर्धन और उनके पति हिमालय दासानी जैसे कुछ फेमस पावर कपल होंगे।
'बिग बॉस' के पूर्व प्रतियोगी राहुल महाजन और उनकी पत्नी नताल्या इलिना, 'गुम है किसी के प्यार में' के अभिनेता और वास्तविक जीवन के जोड़े नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा, अर्जुन बिजलानी और उनकी पत्नी नेहा स्वामी बिजलानी और ऐसे कई जोड़े शो में नजर आएंगे।
फ्रेम्स प्रोडक्शन द्वारा निर्मित 'स्मार्ट जोड़ी' का प्रीमियर 26 फरवरी को रात 8 बजे स्टार प्लस पर होगा।
(आईएएनएस)
हैदराबाद, 16 फरवरी | 'गोल्डन मैन' कहे जाने वाले बप्पी लाहिड़ी ने कई तेलुगु गीतों की रचना की, जिसने उन्हें भारत में 1986-2020 के दौरान सर्वश्रेष्ठ संगीतकारों में से एक बना दिया। बप्पी लाहिड़ी 14 फिल्मों के लिए एक संगीत निर्देशक थे, जिसमें कुछ अच्छे संगीत हिट शामिल हैं- 'वाना वाना वेल्लुवाय', 'आकाशम लू ओका थारा' जैसे सुपरहिट गाने आज भी महान संगीतकारों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले गानों में से हैं।
'गैंग लीडर', 'राउडी अल्लुडु', 'निप्पू रव्वा', 'स्टेट राउडी' और 'राउडी इंस्पेक्टर' कुछ ऐसी फिल्में हैं जिनके लिए बप्पी लाहिड़ी ने संगीत तैयार किया था।
बप्पी लाहिड़ी की तेलुगु रचनाओं में ज्यादातर मेगास्टार चिरंजीवी ने अभिनय किया था और उनके संयोजन के अधिकांश गीत उस समय चार्टबस्टर थे।
बप्पी ने चिरंजीवी की 'स्टेट राउडी', 'गैंग लीडर', 'राउडी अल्लुडु' और 'बिग बॉस' फिल्मों के लिए संगीत दिया था । मोहन बाबू और वेंकटेश दग्गुबाती के लिए भी उनकी अन्य रचनाएँ भी सुपरहिट रहीं।
उन्होंने आखिरी तेलुगु फिल्म 2020 की फिल्म 'डिस्को राजा' के लिए संगीत दिया था। लेकिन बप्पी लाहिरी को श्री कृष्ण और रवि तेजा के साथ 'रम पम बम' गाने के लिए लाया गया था, गीत सिरीवेनेला सीताराम द्वारा लिखे गए थे।
(आईएएनएस)
मुंबई, 16 फरवरी | बॉलीवुड हस्तियों ने भारत के 'डिस्को किंग' बप्पी लाहिरी के निधन पर शोक व्यक्त किया हैं। उनका 69 वर्ष की आयु में मुंबई के जुहू इलाके के एक उपनगरीय अस्पताल में बुधवार तड़के निधन हो गया। अक्षय कुमार ने ट्वीट किया, "आज हमने संगीत उद्योग से एक और रत्न खो दिया, बप्पी दा, आपकी आवाज मेरे सहित लाखों लोगों के नृत्य का कारण थी। अपके संगीत के माध्यम से जो खुशी मिली, उसके लिए धन्यवाद। मेरी परिवार के लिए हार्दिक संवेदना। ओम शांति।"
अजय देवगन ने ट्विटर पर यह भी कहा, "बप्पी दा व्यक्तिगत रूप से बहुत प्यारे थे। लेकिन उनके संगीत में एक धार थी। उन्होंने 'चलते चलते', 'सुरक्षा' और 'डिस्को डांसर' के साथ हिंदी फिल्म संगीत के लिए एक और समकालीन शैली पेश की। ओम शांति दादा, आपकी कमी खलेगी।"
विद्या बालन पर फिल्म 'डर्टी पिक्च र' में बप्पी लाहिरी के लोकप्रिय नंबर 'ऊह ला ला' का फिल्मांकन किया गया था। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया, "मैं चाहती हूं कि आप जहां भी जाएं वहां आनंद में रहे बप्पी दा, क्योंकि आप अपने संगीत के माध्यम से दुनिया को खुशी दी हैं।"
प्रसिद्ध फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने बप्पी लाहिड़ी के साथ अपने व्यक्तिगत जुड़ाव को याद किया और कहा, "एक और दिग्गज चला गया। उनके साथ मिलकर काम करने का सौभाग्य मिला जब मैंने पी एंड जी के लिए एक विज्ञापन की शूटिंग की और फिर जब मैंने संजय गुप्ता के लिए व्हाइट फेदर फिल्म्स के साथ काम किया।"
संगीतकार विशाल ददलानी ने पीढ़ी के लिए बात की, जब उन्होंने ट्वीट किया, "बप्पी दा एक दिग्गज से अधिक थे। वह एक दोस्त थे। वह हमेशा शेखर और मेरे प्रति दयालु थे और हम परस्पर सम्मान और प्रशंसा साझा करते थे। विश्वास नहीं कर सकता कि वह हमारे साथ नहीं है।"
एक व्यक्तिगत नोट पर, उन्होंने कहा, "पहले मेरे पिताजी, फिर लताजी, फिर बप्पी दा। 2022 वास्तव में कठिन है। बहुत कठिन। बप्पा, रेमा, श्रीमती लाहिरी और पोते-पोतियों के प्रति मेरी गहरी संवेदना।"
भूमि पेडनेकर ने ट्वीट किया, " महान बप्पी लाहिड़ी जी के निधन से दिल टूट गया। वास्तव में एक बड़ी क्षति है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदना। आपका संगीत हमेशा जीवित रहेगा, सर।" (आईएएनएस)
हैदराबाद, 14 फरवरी| महेश बाबू और कीर्ति सुरेश स्टारर 'सरकारू वारी पाटा' का एक रोमांटिक नंबर 'कलावती', यूट्यूब पर बड़े पैमाने पर हिट हो गया है। सबसे प्रसिद्ध गायक सिड श्रीराम द्वारा गाया गया, गीत 'कलावती' रविवार को निर्माताओं द्वारा जारी किया गया था।
गाने के शुरूआती लीक होने के बावजूद महेश बाबू और कीर्ति सुरेश के रोमांटिक गाने ने धमाल मचा दिया। इस गाने ने रिकॉर्ड 12 प्लस मिलियन व्यूज को पार कर लिया है।
निर्माताओं ने ट्वीट किया, "कलावती गीत रिकॉर्ड यूट्यूब पर 12 प्लस मिलियन व्यू के साथ ट्रेंड गो रहा है"।
'कलावती' वैलेंटाइन्स डे पर रिलीज होने वाला था, लेकिन रिलीज से पहले गाने के ऑनलाइन लीक होने से मेकर्स ने एक दिन पहले इस गाने को रिलीज कर दिया। फिल्म 12 मई को रिलीज होगी। (आईएएनएस)
मुंबई, 13 फरवरी | '83' के निर्देशक कबीर खान ने अपने काम के अनुभव को याद किया और बताया कि कैसे फिल्म ने भारत की सबसे बड़ी खेल उपलब्धियों में से एक को दिखाने के लिए प्रशंसा बटोरी। क्रिकेट पर इस फिल्म ने भारत को रणवीर सिंह द्वारा निभाए गए कपिल देव के नेतृत्व में प्रतिष्ठित 1983 विश्व कप जीतने पर प्रकाश डाला।
हाल ही में निदेशक को ब्रिटेन के वारविक विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों के साथ बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया गया था, ताकि यह बात की जा सके कि '83' बनाने के पीछे क्या था।
कबीर ने कहा, "'83' उन जीवन भर के अनुभवों में से एक है और मैं उस प्यार और प्रशंसा के लिए अधिक खुश नहीं हो सकता जो दुनिया भर से मिल रहा है। मैं प्रतिष्ठित वारविक विश्वविद्यालय के छात्रों से फिल्म के बारे में बात करने के लिए उत्सुक हूं। मुझे हमेशा छात्रों के साथ बात करने में मजा आता है, क्योंकि यह मुझे दिल से बोलने की अनुमति देता है।"
उन्होंने आगे कहा, "मुझे दुनिया भर के छात्रों से सैकड़ों संदेश प्राप्त हुए हैं जो '83' जैसे ऐतिहासिक क्षण को विस्तार से ध्यान देने की प्रक्रिया के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। मैं वास्तव में इस बातचीत के लिए उत्सुक हूं।"(आईएएनएस)
बिग बॉस कंटेस्टेंट राखी सावंत और उनके पति रितेश सिंह अलग होंगे. टीवी अभिनेत्री राखी सावंत ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस बात की जानकारी दी है.
राखी सावंत और रितेश सिंह के रिश्ते को लेकर बिग बॉस के पिछले सीज़न्स में भी चर्चा हो चुकी है, जब राखी ने खु़द बताया था उनके पति का नाम रितेश सिंह है.
रियलिटी शो के हालिया सीजन में रितेश सिंह और राखी सावंत एक साथ सामने आए. वो बिग बॉस का हिस्सा भी रहे और दोनों के बीच के रिश्तों को लेकर कई टिप्पणियां भी सामने आईं.
ख़ुद शो के एंकर सलमान ख़ान ने रितेश सिंह को राखी सांवत के साथ अच्छी तरह से पेश आने की चेतावनी दी थी. शो में कई बार दोनों के पति-पत्नी के रिश्ते पर सवाल भी उठाए गए थे.
अब राखी सावंत ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा है कि दोनों ने अलग रहने का फैसला किया है.
राखी ने अपने पोस्ट में लिखा है कि बिग बॉस से बाहर आने के बाद दोनों ने मतभेदों को दूर करने की काफी कोशिश की लेकिन बात नहीं बन सकी. ऐसे में दोनों ने अलग रहने का फैसला किया है.
राखी सावंत ने आगे की ज़िंदगी के लिए रितेश सिंह को शुभकामनाएं दी हैं, साथ ही ये भी कहा है कि उन्हें अभी इस वक्त अपने काम, ज़िंदगी और फैमिली पर फोकस करना है.(bbc.com)