मनोरंजन
जयपुर, 9 दिसम्बर | विक्की कौशल और कैटरीना कैफ गुरुवार शाम राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के सिक्स सेंस होटल फोर्ट बरवारा में शादी के बंधन में बंध जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक दोपहर 1.00 बजे विक्की कौशल 'सेहरा' बांधेंगे, जिसके बाद वह बारात लेकर कैटरीना से शादी करने पहुंचेंगे।
कौशल और कैटरीना कैफ हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी करेंगे और होटल के शीश महल इलाके में बने विशेष कांच के मंडप में सात फेरे लेंगे। वीआईपी मेहमानों के लिए शीश महल के सामने खाने की व्यवस्था की गई है और पार्टी देर रात तक चलेगी।
चौथ का बरवाड़ा में स्थित किला राजपूत शासकों द्वारा 14वीं शताब्दी में बनवाया गया था जिसे सिक्स सेंस कंपनी ने एक आलीशान हेरिटेज होटल में तब्दील कर दिया है।
शादी समारोह में बॉलीवुड की कई हस्तियां शामिल हो रही हैं।
किले की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और किसी को भी होटल में मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं है। मोबाइल फोन रखने वालों के लिए डिजिटल मीडिया सुरक्षा स्टिकर का उपयोग किया जा रहा है। डिजिटल मीडिया सुरक्षा स्टिकर तकनीक का उपयोग करके हाई-प्रोफाइल शादी को गुप्त रखा जा रहा है ताकि आयोजन स्थल के अंदर से कोई फोटो या वीडियो लीक न हो। विवाह स्थल पर सभी के मोबाइल के कैमरे में डिजिटल मीडिया सुरक्षा स्टिकर लगाए जा रहे हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 दिसम्बर | बॉलीवुड अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज 'पीएमएलए' मामले में तीसरी बार अपना बयान दर्ज कराने ईडी कार्यालय पहुंची हैं। इससे पहले उनके वकील ने कहा था कि वह गुरुवार को जांच में शामिल नहीं हो पाएंगी। उनके वकील ने ईडी कार्यालय में आकर कहा था कि शायद जैकलीन जांच में न आएं। बाद में जैकलीन आई और जांच में शामिल हुईं।
ये मामला करोड़पति ठग सुकेश चंद्रशेखर के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का धन शोधन निवारण से जुड़ा हुआ है, जिसमें जैकलीन अपना बयान दर्ज कर रही है।
बुधवार को, मध्य दिल्ली में एमटीएनएल भवन में ईडी अधिकारियों की एक टीम द्वारा जैकलीन से छह घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई। जिस कमरे में उसका बयान दर्ज किया गया था, उस कमरे में पांच अन्य लोगों के साथ एक महिला अधिकारी भी मौजूद थी।
जैकलीन के अलावा बॉलीवुड की एक और एक्ट्रेस नोरा फतेही ने भी हाल ही में गवाह के तौर पर अपना बयान दर्ज कराया है।
बता दें कि, जैकलीन को पहले संबंधित अधिकारियों ने मुंबई एयरपोर्ट पर रोका था। वहां उससे घंटों पूछताछ की गई और फिर उसे छोड़ दिया गया। इसके बाद एजेंसी ने उन्हें मामले में तलब किया।
हाल ही में ईडी के अनुरोध पर संबंधित अधिकारियों द्वारा अभिनेत्री के खिलाफ लुक आउट सर्कु लर नोटिस जारी किया गया था। एजेंसी को संदेह था कि वह विदेश भाग सकती हैं। इसलिए उन्होंने अधिकारियों को यह आदेश दिया था। रविवार शाम वह दिल्ली आने के लिए फ्लाइट पकड़ने ही वाली थी कि उन्हें मुंबई एयरपोर्ट पर रोक दिया गया।
प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार को पीएमएलए के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था जिसमें जैकलीन सहित कुछ बॉलीवुड अभिनेत्रियों को गवाह के रूप में नामित किया गया है। चार्जशीट मामले में अगली तारीख 13 दिसंबर है। ईडी के अधिकारी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 दिसम्बर| प्रवर्तन निदेशालय ने बॉलीवुड अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज को करोड़पति ठग सुकेश चंद्रशेखर के खिलाफ दर्ज धन शोधन रोकथाम मामले में पूछताछ के लिए गुरुवार को फिर से तलब किया है।
मामले में गवाह के तौर पर अपना बयान दर्ज कराने के लिए जैकलीन बुधवार को ईडी की टीम के सामने पेश हुईं। यह पूछताछ का दूसरा दौर था, जिसका उसने सामना किया।
वह सुबह करीब 11 बजे मध्य दिल्ली में एमटीएनएल की इमारत में आईं, जहां ईडी का कार्यालय है। पांच अन्य के साथ एक महिला अधिकारी उस कमरे में मौजूद थीं, जहां उनका बयान दर्ज किया गया।
जैकलीन के अलावा बॉलीवुड की एक और एक्ट्रेस नोरा फतेही ने भी हाल ही में गवाह के तौर पर अपना बयान दर्ज कराया है।
अधिकारियों ने जैकलीन को रविवार को मुंबई एयरपोर्ट पर रोका, कुछ देर पूछताछ की और फिर जाने दिया।
ईडी ने सोमवार को उन्हें चल रही जांच में शामिल होने के लिए समन भेजा था, जिसके बाद वह एजेंसी के सामने पेश हुईं।
हाल ही में, ईडी के अनुरोध पर संबंधित प्राधिकरण द्वारा अभिनेत्री के खिलाफ एक एलओसी (लुक आउट सकरुलर) जारी किया गया था, जिसमें आशंका थी कि वह विदेश भाग सकती हैं।
ईडी ने शनिवार को पीएमएलए के तहत आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें जैकलीन सहित बॉलीवुड की कुछ अभिनेत्रियों को गवाह बनाया गया था। अदालत ने आरोप पत्र दाखिल होने के तुरंत बाद उसका संज्ञान लिया था और एजेंसी से सभी आरोपियों को एक प्रति उपलब्ध कराने को कहा था।
चार्जशीट मामले में अगली तारीख 13 दिसंबर को निर्धारित की गई है। (आईएएनएस)
जयपुर, 8 दिसम्बर| विक्की कौशल और कैटरीना कैफ के संगीत समारोह के बाद बुधवार को पारंपरिक हल्दी सेरेमनी की जाएगी। सूत्रों ने बताया है कि विक्की कौशल सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर विवाह स्थल पर पहुंचेंगे। मंगलवार रात को 'संगीत' समारोह का आयोजन किया गया।
युगल के अनुरोध पर, सवाई माधोपुर जिले में स्थित 700 साल पुराने सिक्स सेंस होटल किले को हेरिटेज लुक से सजाया गया है क्योंकि युगल कृत्रिम सजावट के अलावा कुछ और प्राकृतिक सजावट चाहते थे।
सूत्रों ने कहा कि विक्की कौशल सात सफेद रंग के घोड़ों के रथ पर सवार होंगे।
शादी समारोह स्थल की सुरक्षा का जिम्मा सलमान खान के बॉडीगार्ड शेरा की कंपनी देख रही है।
मंगलवार को संगीत समारोह में दूल्हा-दुल्हन ने ट्रेंडिंग डांस गानों पर जमकर ठुमके लगाए।
इस मौके पर परिवार और दोस्तों ने भी डांस किया। आतिशबाजी और रंग-बिरंगी रोशनी ने किले को जगमगा दिया।
इससे पहले सोजत की 'मेहंदी' से कैटरीना के हाथों को सजाया था। उनके परिवार और विक्की के परिवार वालों ने भी हाथों में मेहंदी लगवाई। करीब एक घंटे तक चले मेहंदी कार्यक्रम के बाद संगीत की रस्म शुरू हुई।
पूरे किले को खूबसूरत रोशनी से सजाया गया है।
बुधवार और गुरुवार को समारोह में अब तक लगभग 50 हस्तियों से अधिक शामिल होने की उम्मीद है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 दिसम्बर | बॉलीवुड अभिनेत्री जैकलीन फर्नाडीज करोड़पति कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश होंगी। वह मामले में गवाह के तौर पर अपना बयान दर्ज कराएंगी। ईडी इससे पहले भी इस मामले में फर्नांडीज से पूछताछ कर चुकी है।
पूछताछ मध्य दिल्ली के एमटीएनएल भवन में होगी जहां ईडी का कार्यालय है। पांच अन्य लोगों के साथ एक महिला अधिकारी अपना बयान दर्ज कराएगी।
फर्नांडीज को 5 दिसंबर को इमिग्रेशन अधिकारियों ने मुंबई हवाईअड्डे पर रोक दिया था, जब वह दिल्ली जा रही थीं। अधिकारी उनके खिलाफ ईडी द्वारा जारी लुक आउट सर्कु लर (एलओसी) पर काम कर रहे थे क्योंकि उन्हें डर था कि वह देश से भाग सकतीं हैं। मुंबई एयरपोर्ट पर उनसे घंटों पूछताछ की गई और फिर उन्हें जाने दिया गया।
ईडी ने सोमवार को एक बार फिर उन्हें चल रही जांच में शामिल होने के लिए समन भेजा है। प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार (4 दिसंबर) को पीएमएलए अधिनियम के तहत आरोप पत्र दायर किया था जिसमें फर्नांडीज समेत कुछ बॉलीवुड कलाकारों को गवाह के रूप में नामित किया गया था। अदालत ने आरोपपत्र पर संज्ञान लिया था और एजेंसी से सभी आरोपियों को आरोप पत्र की प्रति उपलब्ध कराने को कहा था।
चार्जशीट मामले में अगली तारीख 13 दिसंबर है। ईडी के अधिकारी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। इस मामले में जैकलीन के अलावा बॉलीवुड की एक और एक्ट्रेस नोरा फतेही ने भी गवाह के तौर पर अपना बयान दर्ज कराया है।(आईएएनएस)
मुंबई, 7 दिसम्बर | वेब सेवा याहू द्वारा जारी किया गया 'इयर इन रिव्यू 2021' रिपोर्ट में कहा गया है कि दिवंगत रियलिटी टेलीविजन स्टार और अभिनेता, सिद्धार्थ शुक्ला, इस वर्ष के सबसे अधिक सर्च किए जाने वाले पुरुष हस्ती हैं। शुक्ला के बाद बॉलीवुड मेगास्टार सलमान खान हैं, जो रियलिटी शो 'बिग बॉस' के होस्ट हैं, जिसने संयोग से दिवंगत अभिनेता को उनके जीवनकाल में प्रसिद्ध बनाया था।
सलमान खान के बाद तेलुगू अभिनेता, अल्लू अर्जुन, उसके बाद दिवंगत कन्नड़ सुपरस्टार पुनीत राजकुमार, और प्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार, जिनका पिछले जुलाई में निधन हो गया था।
2021 की सबसे अधिक खोजी जाने वाली महिला हस्तियों में करीना कपूर खान ने शीर्ष स्थान हासिल किया है।
करीना अपने बड़े बेटे तैमूर के साथ जेह की तस्वीरें पोस्ट करती हैं, जिससे वह अपने प्रशंसकों को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से जोड़े रखने में कामयाब रही।
कैटरीना कैफ, जिनकी विक्की कौशल के साथ शादी अब सुर्खियों में है, ने दूसरा स्थान हासिल किया, उसके बाद प्रियंका चोपड़ा, आलिया भट्ट और दीपिका पादुकोण हैं।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 दिसम्बर| बॉलीवुड अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज को करोड़पति ठग सुकेश चंद्रशेखर के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम मामले में 50 सवालों का सामना करना पड़ेगा। गवाह के तौर पर जैकलीन अपना बयान दर्ज कराएगी। यह पूछताछ का एक और दौर होगा। जैकलीन को पहले संबंधित अथॉरिटी ने मुंबई एयरपोर्ट पर रोका था। मुंबई एयरपोर्ट पर उनसे घंटों पूछताछ की गई और फिर उन्हें छोड़ दिया गया।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को एक बार फिर उन्हें चल रही जांच में शामिल होने के लिए समन भेजा। वह बुधवार को ईडी के सामने पेश होंगी। ईडी के अधिकारी केंद्र दिल्ली में एमटीएनएल कार्यालय में उसका बयान दर्ज करेंगे। पूछताछ पांच घंटे से अधिक समय तक चल सकती है।
ईडी के अनुरोध पर संबंधित प्राधिकरण द्वारा अभिनेत्री के खिलाफ एक एलओसी (लुक आउट सकरुलर) जारी किया गया था। एजेंसी को संदेह था कि वह देश छोड़कर भाग सकती है और इसलिए उन्होंने संबंधित प्राधिकरण को एक पत्र लिखा था।
रविवार शाम वह दिल्ली आने के लिए फ्लाइट पकड़ने ही वाली थी कि उन्हें मुंबई एयरपोर्ट पर रोक दिया गया।
ईडी ने शनिवार को पीएमएलए कानून के तहत आरोपपत्र दाखिल किया था जिसमें जैकलीन समेत कुछ बॉलीवुड अभिनेताओं को गवाह बनाया गया था। अदालत ने आरोपपत्र दाखिल होने के तुरंत बाद उसका संज्ञान लिया था और एजेंसी से सभी आरोपियों को आरोप पत्र की प्रति उपलब्ध कराने को कहा था।
चार्जशीट मामले में अगली तारीख 13 दिसंबर है। ईडी के अधिकारी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। (आईएएनएस)
सोनू सूद को नोटिस भेजा गया है. सोनू को ये नोटिस उनके जुहू स्थित हॉस्टल में हुए अवैध निर्माण को लेकर भेजा गया है. बीएमसी ने उन्हें जुलाई महीने में ही नोटिस भेजा था. उन्होंने एक रेजिडेंट्स बिल्डिंग को हॉस्टल में बदला था. नोटिस में बीएमसी ने सोनू को अवैध निर्माण हटाने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने अभी तक इसे नहीं हटाया था.
मुंबई, 5 दिसम्बर | सुष्मिता सेन-स्टारर 'आर्या 2' एक ऐसी सीरीज है जिसका दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है। इसके ट्रेलर को 30 मिलियन व्यूज के साथ जिस तरह की प्रतिक्रिया मिली है, उससे यह स्पष्ट है कि सीरीज का पार्ट 2 धमाल मचाने वाला है। श्रृंखला में मुख्य किरदार निभाने वाली सुष्मिता ने अपने इंस्टाग्राम पर दर्शकों को प्यार और सराहना के लिए धन्यवाद दिया।
दर्शकों का आभार व्यक्त करते हुए, अभिनेत्री ने तस्वीर साझा की और कैप्शन में लिखा, "आर्या 2 के सनसनीखेज ट्रेलर को सभी ने प्यार किया है! 30 मिलियन व्यूज का मील का पत्थर पार करना प्रशंसकों द्वारा बरसाए गए प्यार का प्रमाण है।"
राम माधवानी द्वारा निर्मित और निर्देशित 'आर्या' के सीजन दो में एक माँ की यात्रा है क्योंकि वह अपने परिवार और बच्चों की रक्षा के लिए अपराध और दुश्मनों की अंधेरी दुनिया से लड़ती है।
श्रृंखला, जिसमें सिकंदर खेर, विकास कुमार, मेयो साराओ, अंकुर भाटिया, आकाश खुराना और दिलनाज ईरानी भी हैं, 10 दिसंबर से डिजनी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम होगी। (आईएएनएस)
चेन्नई, 4 दिसम्बर | अभिनेता-राजनेता कमल हासन ने सोमवार को घोषणा की कि अस्पताल से उन्हें छुट्टी मिल गई है, उन्होंने घोषणा की कि वह काम पर लौट आए हैं और वह अब ठीक हैं। तमिल में जारी एक बयान में कहा, अस्पताल से लौटने के तुरंत बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर उन्होंने एक पोस्ट किया, जिसमें अभिनेता ने डॉक्टर जेएसएन. मूर्ति को उनके साथ भाई जैसा व्यवहार करने के लिए धन्यवाद किया।
कमल हसन कोविड -19 से संक्रमित हो गए थे और उनका इलाज चल रहा था। उन्होंने अस्पताल के नसिर्ंग स्टाफ और उनकी बेटियों श्रुति हासन और अक्षरा हासन को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "मेरे भाई महेंद्रन और मेरी टीम के सदस्यों को मेरा हार्दिक धन्यवाद, जिन्होंने अपना खाना और नींद छोड़कर मेरी देखभाल की।"
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन द्वारा उनके जल्द ठीक होने, साथी रजनीकांत को एक प्रिय मित्र और संगीत के दिग्गज इलैयाराजा को एक प्रिय भाई बताते हुए, कमल ने उनकी शुभकामनाओं के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने गीतकार वैरामुथु, अभिनेता सत्यराज, श्रीप्रिया और सरथकुमार सहित फिल्म जगत की कई अन्य हस्तियों को भी धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा उनकी अनुपस्थिति में निर्देशक लोकेश ने उनका काम संभाला, अभिनेता ने उनके प्रति भी आभार व्यक्त किया।
अभिनेता ने अपने प्रशंसकों के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया, जिन्होंने कहा कि उन्होंने मंदिरों, मस्जिदों और चर्चो में प्रार्थना की थी कि वह जल्द ही ठीक हो जाएं। अंत में, उन्होंने कहा, "मेरा तहे दिल से धन्यवाद उन लाखों तमिल लोगों को जाता है, जिन्होंने मुझे अपना मानते हुए जल्द ठीक होने के लिए प्रार्थनाएं कीं।" (आईएएनएस)
-मोहर सिंह मीणा
पिछले कई दिनों से मीडिया में बॉलीवुड के सितारों विक्की कौशल और कैटरीना कैफ़ की शादी की ख़बरें आ रही हैं. दोनों सितारों ने इसकी पुष्टि नहीं की है मगर राजस्थान में प्रशासन दोनों सितारों की शादी को लेकर क़ानून व्यवस्था बनाए रखने को लेकर तैयारी कर रहा है.
शुक्रवार को इस शादी को लेकर सवाई माधोपुर में ज़िलाधिकारी राजेंद्र किशन की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई. इसमें वेडिंग प्लानर्स, होटल मालिक, पुलिस अधीक्षक समेत सभी आला अधिकारी मौजूद रहे.
बैठक के बाद सवाई माधोपुर ज़िला कलेक्टर राजेंद्र किशन ने बीबीसी को बताया कि, "स्थानीय प्रशासन के साथ बैठक ली है. चौथ का बरवाड़ा में साफ़ सफ़ाई और क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए निर्देश दिए हैं. कोई घटना न हो और सुचारू रूप से ट्रैफिक और ट्रांसपोर्टेशन का मूवमेंट रहे, इसके लिए बात की गई है."
कलेक्टर ने बताया कि शादी समारोह 7 से 10 दिसंबर तक चलेगा और इसमें 120 मेहमान आएँगे. उन्होंने कहा कि इस दौरान कोरोना को लेकर जारी एहतियातों का ध्यान रखा जाएगा.
कलेक्टर राजेंद्र किशन ने कहा, "कोविड दिशानिर्देशों के पालन के लिए भी निर्देश दिए गए हैं. शादी में शामिल होने आ रहे मेहमानों के दोनों डोज़ लगे होने चाहिए. होटल प्रबंधन भी अपने स्टाफ के लिए हेल्प डेस्क लगा रहा है. मेहमानों को निर्देश दिए गए हैं कि उनके दोनों डोज़ लगी हुई हों और उनका आरटीपीसीआर टेस्ट ज़रूरी रहेगा. जिन्होंने वैक्सीनेशन नहीं कराया है उन्हें नहीं जाने देंगे."
इससे पहले सवाई माधोपुर ज़िले के जनसंपर्क अधिकारी सुरेश गुप्ता ने बीबीसी से बात करते हुए इस बैठक के बारे में सवाई माधोपुर के ज़िला कलेक्टर कार्यालय के एक पत्र की भी पुष्टि की.
सवाई माधोपुर के अतिरिक्त ज़िला कलेक्टर डॉ सूरज सिंह नेगी इस पत्र में स्पष्ट लिखा है कि - "अभिनेता श्री विक्की कौशल और अभिनेत्री कैटरीना कैफ़ के विवाह समारोह के आयोजन से पूर्व भीड़ नियंत्रण, क़ानून व्यवस्था एवं संभावित स्थितियों के आकलन एवं आवश्यक व्यवस्थाएँ सुनिश्चित किए जाने हेतु जिला कलेक्टर महोदय की अध्यक्षता में दिनांक 3.12.20121 को प्रातंः 10:15 बजे कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक का आयोजन रखा गया है."
राजस्थान में सवाई माधोपुर ज़िला मुख्यालय से क़रीब 18 किलोमीटर दूर चौथ का बरवाड़ा में एक पहाड़ी पर स्थित क़रीब 700 साल पुराने क़िले के होटल में तब्दील होने के बाद पहली बार यहां हो रही एक शादी की चर्चा देश भर में हो रही है.
हालांकि, शादी की घोषणा कैटरीना या विक्की कौशल की ओर से अभी तक नहीं की गई है. लेकिन, शादी के कार्यक्रमों को लेकर मेहमानों का चार दिसंबर से आना शुरू हो रहा है.
बरवाड़ा फोर्ट में शादी के लिए बड़ी संख्या में मेहमानों के लिए चार से बारह दिसंबर तक कमरों की बुकिंग की गई है.
शादी के लिए मेहमानों का आना चार दिसंबर से शुरू हो जाएगा. लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ कैटरीना कैफ़ और विक्की कौशल छह दिसंबर को सवाई माधोपुर पहुंचेंगे.
शादी को लेकर जब हमने होटल प्रबंधन से संपर्क किया मगर वो इस बारे में कोई ब्यौरा नहीं देना चाह रहे.
होटल में छह से आठ दिसंबर तक कमरा बुक करने के लिए फोर्ट में संपर्क करने पर प्रबंधन ने सात से बारह तक फोर्ट में बुकिंग नहीं होने की बात कहते हुए स्पष्ट मना कर दिया.
एक स्थानीय पत्रकार के अनुसार मेहमानों की सुरक्षा में लगे बाउंसर और गाड़ियों के ड्राइवरों के लिए नज़दीक ही होटल और धर्मशालाओं में बुकिंग की गई है.
700 साल पुराने क़िले में होगी शादी
राज्य में शाही शादियों की बात करें तो झीलों की नगरी उदयपुर में तमाम बड़े बिज़नेस टाइकून और बॉलीवुड सेलिब्रिटीज की शादियां हो चुकी हैं. लेकिन, सवाई माधोपुर पहली बार शाही शादी का गवाह बनने जा रहा है.
सवाई माधोपुर में चौथ का बरवाड़ा में बरवाड़ा फोर्ट अब एक आलीशान होटल में तब्दील हो चुका है. रिपोर्टों के अनुसार हाल ही में शुरू हुए इसी होटल में कैटरीना कैफ़ और विक्की कौशल की शादी होनी है.
इस होटल की शुरुआत इसी वर्ष अक्टूबर में हुई है. इसके उद्घाटन के लिए बॉलीवुड अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा वहाँ आई थीं.
इस फोर्ट की तरह ही सवाई माधोपुर में भी पहली बार ऐसी कोई शाही शादी होने जा रही है.
बताया जा रहा है कि कैटरीना और विक्की कौशल के मैनेजर की टीमों की मौजूदगी में होटल में शादी को लेकर तैयारियां चल रही हैं.
एक स्थानीय पत्रकार के मुताबिक़ बरवाड़ा फोर्ट में 48 कमरे हैं. एक कमरे का एक दिन का किराया 50,000 से लेकर सात लाख रुपए तक है.
बताया जा रहा है कि कैटरीना और विक्की कौशल के लिए अलग-अलग सुईट बुक किए गए हैं, इसमें एक सुईट का एक दिन का किराया सात लाख रुपए है.
सवाई माधोपुर के कलेक्टर राजेंद्र किशन ने बीबीसी को बताया, "शादी में 120 मेहमानों के शामिल होने की जानकारी दी है और मुझे बताया है कि सात से दस दिसंबर तक इनकी शादी के कार्यक्रम हैं."
एक स्थानीय पत्रकार ने होटल के एक सूत्र के हवाले से बताया कि शादी की शुरुआत 7 दिसंबर को संगीत कार्यक्रम के साथ होगी, शादी 9 दिसंबर को होगी. उन्होंने ये भी बताया कि मेंहदी की रस्म 8 दिसंबर को होगी, जिसके लिए विश्वप्रसिद्ध सोजत की मेंहदी मंगाई गई है.
सोजत की मेंहदी के लिए मशहूर पाली ज़िले में नैचुरल हर्बल कंपनी के नीतीश अग्रवाल ने बीबीसी को बताया, "मैनेजर के पास जयपुर से एक इवेंट कंपनी का कॉल आया था. उन्होंने कैटरीना कैफ़ की शादी के लिए मेंहदी की बात की थी." उन्होंने इससे ज़्यादा कुछ भी बताने से इंकार कर दिया.
शादी में शारीक होने वालों के नाम तो सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए हैं, मगर समझा जाता है कि इसमें बॉलीवुड के साथ ही बिज़नेस जगत और राजनीति से जुड़ी हस्तियां भी मेहमान हो होंगे.
मेहमानों और वीआईपी की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाई माधोपुर के पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह ने बीबीसी को बताया, "अभी हमारे पास मेहमानों की लिस्ट नहीं आई है और न ही हमने कोई लिस्ट मांगी है. जो रूट रहेगा इस पर व्यवस्था की जाएगी."
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ शादी समारोह में शामिल होने जा रहे मेहमानों को भी सलाह दी गई है कि वह इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं करें. (bbc.com)
मुंबई: सलमान खान जैसे सुपरस्टार के साथ काम कर चुकीं रंभा 90 के दौर की मशहूर एक्ट्रेस हैं, जिन्होंने बॉलीवुड की कई यादगार फिल्मों में काम किया है. एक्ट्रेस के फैंस भला उनकी फिल्म ‘जुड़वां’ को कैसे भुला सकते हैं, जिसमें भाईजान के साथ उनकी केमिस्ट्री लोगों को खूब पसंद आई थी. वे फिल्म ‘बूंद’ में भी सलमान के साथ नजर आई थीं.
रम्भा की एक्टिंग की हुई थी तारीफ
रम्भा ने फिल्म ‘जुड़वा’ में रूपा का रोल निभाया था, जो आज भी लोगों के जेहन में ताजा है. 45 साल की रम्भा की एक्टिंग लोगों को खूब पसंद आई थी. यही वजह है कि उन्हें बॉलीवुड के अलावा मलयालम, तेलुगू, तमिल, कन्नड़, भोजपुरी और बंगाली भाषाओं में बनी फिल्मों में काम करने का मौका मिला. वे पिछले कई सालों से भले लाइमलाइट से दूर हैं, पर उनके फैंस अभी भी उन्हें खूब याद करते हैं.
मलयालम फिल्म से किया था डेब्यू
बहुत कम लोग जानते हैं कि एक्ट्रेस रंभा का असली नाम विजयलक्ष्मी है. वे बॉलीवुड के साथ-साथ साउथ फिल्म इंडस्ट्री में भी मशहूर थीं. रंभा ने 5 साल की उम्र में मलयालम फिल्म ‘सरगम’ से अपनी एक्टिंग सफर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने तेलुगू सिनेमा में फिल्म ‘आ ओक्कती अदक्कू’ से डेब्यू किया था.
शादी के बाद फिल्मों से बना ली थी दूरी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रंभा साउथ फिल्म इंडस्ट्री में साल 2010 तक एक्टिव रही थीं. वे 2010 में बिजनेसमैन इंद्रकुमार पथ्मनाथन के साथ शादी करने के बाद कनाडा जाकर बस गई थीं. वे टोरंटो में रहने लगी थीं. शादी के बाद रम्भा ने फिल्मों से दूरी बना ली थी. दरअसल, उन्हें फिल्मों में अच्छे रोल मिलने बंद हो गए थे. वे तमिल और तेलुगू टीवी के कई शोज जज कर चुकी हैं.
आज रम्भा तीन बच्चों की मां हैं. उनकी दो बेटियां और एक बेटा है. वे सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती हैं और अपनी जिंदगी की झलकियां फैंस के लिए शेयर करती रहती हैं. वे अपने बच्चों के बर्थडे जैसे खास मौकों पर इंस्टाग्राम पर फोटोज शेयर करती हैं, जिन्हें फैंस काफी पसंद करते हैं.
जयपुर, 2 दिसम्बर | राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित सिक्स सेंस फोर्ट बरवाड़ा में 9 दिसंबर को बॉलीवुड सितारों विक्की कौशल और कैटरीना कैफ के बीच बहुप्रतीक्षित शादी में शामिल होने वाले मेहमानों को शादी समारोह को पूरी तरह से गोपनीय रखने के लिए गुप्त कोड दिए जाएंगे। सूत्रों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है। मेहमानों को प्रदान किए गए गुप्त कोड के आधार पर विवाह स्थल में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी।
शादी में शामिल होने वाले विशिष्ट अतिथियों की पहचान गुप्त रखी जाएगी, इसलिए होटल ने सभी मेहमानों को नाम के बजाय कोड आवंटित किए हैं। इन कोडों के आधार पर मेहमानों को विभिन्न सेवाएं प्रदान की जाएंगी, जैसे रूम सर्विस, सुरक्षा आदि।
सूत्रों के अनुसार, भव्य विवाह समारोह के लिए निर्धारित एसओपी में शादी की उपस्थिति का खुलासा न करना, फोटोग्राफी नहीं करना, सोशल मीडिया पर तस्वीरें और स्थान साझा नहीं करना आदि शामिल हैं। साथ ही, मेहमानों का बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं होना चाहिए, जब तक वे कार्यक्रम स्थल से बाहर नहीं निकल जाते।
इस बीच, सवाई माधोपुर जिले के भव्य होटल में बहुचर्चित शादी की तैयारी शुरू हो गई है।
एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को बड़े दिन के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इसी के तहत होटल में दूल्हा-दुल्हन के लिए स्पेशल सुइट बुक किए गए हैं। विक्की जहां राजा मानसिंह सुइट में रहेंगे, वहीं कैटरीना रानी पद्मावती सूट में ठहरेंगी, दोनों होटल के सबसे महंगे सुइट हैं। एक रात के लिए सुइट्स का चार्ज 7 लाख रुपये है।
दोनों सुइट्स में निजी स्विमिंग पूल और उनसे जुड़े ग्रेड हैं, जबकि खिड़कियों से अरावली पहाड़ियों का भव्य ²श्य दिखाई देता हैं।
कैटरीना और विक्की के परिवार के सदस्यों के 6 दिसंबर को चेक-इन करने और 11 दिसंबर को प्रस्थान करने की उम्मीद है।
शादी की तैयारियों को छह अलग-अलग विक्रेताओं को सौंपा गया है, जो फूल, सजावट, सुरक्षा, परिवहन, भोजन और जंगल सफारी की व्यवस्था करेंगे।
सुरक्षा व्यवस्था के लिए 5 दिसंबर को जयपुर से 100 बाउंसर आएंगे। वीआईपी मेहमानों की सुरक्षा के लिए राजस्थान पुलिस के जवान भी तैनात रहेंगे।
'संगीत' समारोह 7 दिसंबर को होगा और उसके बाद अगले दिन 'मेहंदी' समारोह होगा।
10 दिसंबर को शादी समारोह के बाद स्पेशल रिसेप्शन रखा जाएगा। (आईएएनएस)
अमेरिकी अभिनेता और फ़िल्म निर्माता एलेक बाल्डविन का कहना है कि उन्होंने उस बंदूक का "ट्रिगर नहीं खींचा" जिससे उनकी फ़िल्म 'रस्ट' के सेट पर सिनेमैटोग्राफ़र हल्याना हचिन्स की मौत हो गई.
इस साल 21 अक्टूबर को हुए उस हादसे के बाद दिए गए अपने पहले इंटरव्यू में एलेक बाल्डविन ने ये दावा किया. 80 मिनट तक चले इस इंटरव्यू को मंगलवार को रिकॉर्ड किया गया. और अमेरिका में इसे आज (गुरुवार) शाम प्रसारित किया जाएगा.
एबीसी न्यूज़ के जॉर्ज स्टेफ़ानोपोलोस के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं कभी किसी को बंदूक नहीं दिखाऊंगा और न ही उसका ट्रिगर खींचूंगा. कभी नहीं."
इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार जॉर्ज स्टेफ़ानोपोलोस ने एलेक बाल्डविन के साथ हुई इस बातचीत को "स्वाभाविक" और "गंभीर" क़रार दिया. बुधवार को 'गुड मॉर्निंग अमेरिका' कार्यक्रम में इस इंटरव्यू पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बाल्डविन "टूटे हुए", फिर भी वो "बहुत साफ़" और "सुलभ" दिख रहे थे.
उन्होंने कहा, "एबीसी में पिछले 20 सालों में मैंने हज़ारों इंटरव्यू लिए पर यह अब तक का सबसे गंभीर इंटरव्यू था."
एलेक बाल्डविन को 'ग्लेनगैरी ग्लेन रॉस' और 'द हंट फॉर रेड अक्टूबर' जैसी फ़िल्मों में शानदार अभिनय करने के साथ अमेरिकी शो 'सैटरडे नाइट लाइव' में डोनाल्ड ट्रंप की नकल उतारने के लिए भी जाना जाता है.
इस इंटरव्यू में बाल्डविन ने पहली बार कैमरे के सामने उस हादसे पर बात की. हालांकि अक्टूबर में उन्होंने टीएमजेड को एक छोटा सा इंटरव्यू दिया था ताकि पापराज़ी उनका और उनके परिवार का पीछा करना छोड़ दें.
उस बातचीत में उन्होंने उस हादसे को "एक ट्रिलियन मामलों में से एक" क़रार देते हुए कहा कि ऐसी दुर्घटनाएं फ़िल्म सेट पर बहुत ही कम होती हैं. (bbc.com)
कॉमेडियन कुणाल कामरा ने बुधवार को कहा कि बेंगलुरु में उनका आगामी स्टैंड-अप शो रद्द कर दिया गया है.
उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि आयोजकों को धमकी मिली थी, इसके बाद इसे रद्द कर दिया गया.
इससे पहले एक और स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी को शो करने की अनुमति नहीं मिली थी. पुलिस ने मुनव्वर फ़ारूक़ी को विवादित व्यक्ति कहा था.
कुणाल कामरा मोदी सरकार की कई मुद्दों को लेकर आलोचना करते रहे हैं. उन्होंने अपने शो के रद्द होने सूचना व्यंग्यात्मक तरीक़े से ट्विटर पर दी है.
कुणाल कामरा को लोग स्टैंडअप कॉमेडियन के रूप में जानते हैं.
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर प्रोडक्शन असिस्टेंट की थी. वो एक विज्ञापन एजेंसी में प्रोडक्शन असिस्टेंट थे.
विज्ञापन के क्षेत्र में क़रीब 11 साल काम करने के बाद कुणाल ने बतौर स्टैंड-अप कॉमेडियन अपना करियर शुरू किया था.
साल 2013 में उन्होंने अपना पहला कार्यक्रम पेश किया था. (bbc.com)
दीपिका पादुकोण, बॉलीवुड की एक ऐसी एक्ट्रेस हैं, जिन्हें हमेशा फैशनेबल लुक के लिए जाना जाता है. वहीं, दीपिका के हसबैंड रणवीर सिंह आमतौर पर अजीबोगरीब कपड़े पहने हुए दिखाई देते हैं, जिसकी वजह से उन्हें अक्सर सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाता है. मगर अब ऐसा लग रहा है कि दीपिका पादुकोण पर रणवीर सिंह के फैशन का असर होने लगा है. इन दिनों एक्ट्रेस का एयरपोर्ट लुक जमकर वायरल हो रहा है. सोशल मीडिया यूजर्स उनकी इस फोटो पर दिलचस्प कमेंट कर रहे हैं.
दीपिका पादुकोण को लोग जमकर रहे हैं ट्रोल
वायरल हो रहे इस तस्वीर में दीपिका पादुकोण ओवरसाइज्ड प्रिंटेड डेनिम जैकेट और डेनिम जींस पहनी हुई नजर आ रही हैं. साथ ही वह ब्लैक किटेन हाई हील्स के साथ व्हाइट मोजे भी पहनी हुई हैं. जो बिल्कुल भी मैच नहीं कर रहा है. ऐसे में सोशल मीडिया यूजर्स को बैठे-बिठाए दीपिका को ट्रोल करने का भरपूर मसाला मिल गया. यूजर्स ने मजेदार कमेंट्स की झड़ी लगा दी. एक यूजर ने सबसे दिलचस्प कमेंट किया, ‘रणवीर के कपड़े पहन लिए क्या दीदी?’ वहीं दूसरे ने लिखा, ‘सैंडल और मोजे बहुत बुरे लग रहे हैं. इन्हें नए स्टाइलिस्ट की जरूरत है. सच कहें तो दोनों पति-पत्नी को है. प्लीज, ऐसा फैशन फॉलो मत कीजिए, यह जरा भी क्लासी नही हैं.’
दीपिका के सैंडल और मोजे का लोग उड़ा रहे हैं मजाक
सोशल मीडिया यूजर्स ने खासकर दीपिका के सैंडल और मोजे का जमकर मजाक उड़ा रहे हैं. एक यूजर ने कमेंट किया, ‘दीपिका को क्यों लगता है कि हील्स के साथ मोजे पहनना स्टाइल है.’ वहीं दूसरे यूजर ने कमेंट किया ,’ सैंडल के साथ मोजे भयंकर लग रहे हैं’. वहीं एक ने लिखा ,‘दीपिका पर रणवीर का असर हो गया है, अब तो लगता है कि डिजाइनर भी सेम है इनका’.
फिल्म ’83’ में दीपिका के लुक की तारीफ
एक तरफ जहां सोशल मीडिया पर दीपिका पादुकोण को ट्रोल किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ रणवीर सिंह के साथ वाली उनकी फिल्म ‘83’ के ट्रेलर को जमकर तारीफ मिल रही है. फिल्म के ट्रेलर को आज (30 नवंबर) सुबह ही रिलीज किया गया है. इस फिल्म में रणवीर सिंह कपिल देव की भूमिका में हैं.
वैसे तो दीपिका-रणवीर ने साथ-साथ में कई फिल्में की हैं, मगर शादी के बाद दोनों पहली बार किसी फिल्म में एक साथ काम किया है. फिल्म ‘83’ में दीपिका पादुकोण, कपिल देव की पत्नी रोमी का रोल प्ले कर रही हैं. फिल्म में दीपिका-रणवीर के लुक्स की जमकर तारीफ हो रही है. फिल्म ‘83’ के अलावा दीपिका शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ में भी नजर आने वाली हैं.
-अपर्णा अल्लुरी
तुम लोग शाहरुख़ खान को इतना पसंद क्यों करते हो?
हाल ही में मैंने जब यह सवाल अपने कुछ दोस्तों से पूछा तो वे हैरान रह गए. शाहरुख़ को लेकर ऐसे सवाल भी पूछे जा सकते हैं, यह कभी उन्होंने सोचा ही नहीं था. मैंने भी ऐसे सवाल के बारे में कभी नहीं सोचा था. लेकिन एक नई किताब 'डेस्पेरटली सीकिंग शाहरुख़' ने मुझे इस सवाल पर सोचने को मजबूर कर दिया है.
दोस्तों ने कहा कि शाहरुख़ प्यारे लगते हैं. हीरो के तौर पर वह ऐसे दिखते हैं, जिनसे आप खुद को जोड़ सकते हैं. वह मज़ाकिया हैं. इंटरव्यू में साफ बात करते हैं. नाम और दाम का पीछा करने के अपने सफर को लेकर खुल कर बोलते हैं. झूठी विनम्रता नहीं दिखाते.
जब मैंने थोड़े और गहरे सवाल किए तो उन्होंने फिल्मों में किए गए उनके अलग-अलग रोल के बारे में थोड़ी और संजीदगी से सोचना शुरू किया. उनके जवाब थे कि कैसे उन्होंने कभी 'माचो' रोल नहीं किया. वे हमेशा संवेदनशील हीरो के तौर पर दिखे और जिन महिलाओं से प्रेम का दावा किया उनके प्यार में पूरी तरह डूबे नज़र आए.
मेरी एक दोस्त ने कहा कि यह सच है कि हम उन्हें महिलाओं से उनके इश्क़ की वजह से पसंद करते हैं. अपने इस अहसास से मेरी यह दोस्त खुद चकित थी .
लेखिका शरण्या भट्टाचार्य ने जब शाहरुख़ के दर्जनों महिला फैन्स से ये सवाल किए थे तो उन्हें भी ऐसे ही जवाब मिले थे. लेकिन यह बड़े आश्चर्य की बात थी कि शाहरुख़ की महिला प्रशंसको की जो दुनिया था, वो दरअसल आर्थिकअसमानता की कहानी कह रही थी.
'अनोखे सहयोगी शाहरुख़'
शरण्या लिखती हैं, "जब वे मुझे यह बता रही होती थीं कि शाहरुख़ ख़ान की ओर वो कब और कैसे मुड़ीं तो वे हमें यह भी बता रही होती थीं कि दुनिया ने उनका दिल कब, कैसे और क्यों तोड़ा? इन कहानियों में महिलाओं के उस दुनिया के सपने, चिंताएं और रोमांटिक पसंदगी का बखान था, जो हमेशा उन्हें कमतर बनाए रखती है.
लेखिका के सामने ये जवाब पिछले दो दशकों में उन तमाम सिंगल, शादीशुदा और इन दोनों स्थितियों के बीच की महिलाओं से उनकी मुलाकात, बातचीत और दोस्ती के दौरान सामने आए. इनमें हिंदू महिलाएं हैं. मुस्लिम और ईसाई भी. इनमें वो कामकाजी महिलाएं भी हैं जो वक्त के आगे हार मान चुकी हैं और कुछ में अब भी बेचैनी है. लेकिन एक चीज सबको जोड़ती है. और वह यह कि ये सारी महिलाएं शाहरुख़ की फैन हैं.
शाहरुख़ हमारी दुनिया में 1990 के दशक में आए. कोका-कोला, केबल टीवी उस दौर में एक नए युग का सबूत हुआ करता था. यह वह दौर था जब एक के बाद एक कई आर्थिक सुधारों ने भारत को एक नई दुनिया में पहुंचा दिया था. यह दुनिया आर्थिक उदारीकरण की थी.
शरण्या कहती हैं, "मैं उदारीकरण के बाद के दौर के बाद की महिलाओं की कहानी बताना चाहती थी और इस कोशिश में मुझे शाहरुख़ एक अनोखे सहयोगी के तौर पर दिखे. " उन्होंने अपनी इस कहानी को बयां करने का तरीका भी बताया.
वह 2006 के दौरान देश के पश्चिमी इलाक़े की स्लम बस्तियों में अगरबत्ती बनाने वाली महिलाओं के बीच सर्वे कर रही थीं. उन्होंने पाया कि ये महिलाएं अपनी मज़दूरी के बारे किए जाने वाले सवालों से बोर हो चुकी हैं.
लिहाजा एक ब्रेक के दौरान उन्होंने परिचय बढ़ाने के लिए उनसे बातचीत शुरू की. लेकिन मज़दूरी के बजाय यह पूछा कि हिंदी फिल्मों का कौन हीरो उन्हें सबसे ज्यादा पसंद है.
शरण्या कहती हैं, " जो चीज़ उन्हें सबसे ज्यादा ख़ुशी देती थी, उनके बारे में बातचीत करने के प्रति वे काफ़ी उत्सुक दिखीं."
यह सवाल झिझक तोड़ने के काफ़ी काम आया. शरण्या को पता चला कि सिर्फ़ इन महिलाओं को सिर्फ शाहरुख़ ही नहीं जोड़ते. बल्कि मज़दूरी और घरों की ज़िंदगी का संघर्ष भी उन्हें जोड़ता है.
सब शाहरुख़ की दीवानी थीं. मिडिल क्लास महिला से लेकर अमीर महिलाओं तक से बातचीत में एक चाह साफ़ उभर कर सामने आती थी. वह यह कि हमारे ज्यादातर लड़के और पुरुष पर्दे पर दिखने वाले शाहरुख़ ख़ान जैसे क्यों नहीं हो सकते.
शरण्या कहती हैं, " दरअसल महिलाएं शाहरुख़ को बना रही हैं- वे सभी महिलाएं उन्हें बनाने में लगी हैं. यह बनावट खुद महिलाओं की वास्तविकताओं और आकांक्षाओं पर आधारित है."
शाहरुख़ का नायिका के प्रति घोर समपर्ण यह बताता है कि जो पुरुष महिलाओं की परवाह करता है वह वास्तव में उन्हें ठीक से सुनता भी है.
महिलाओं के आदर्श पार्टनर
शाहरुख़ की कई भूमिकाओं की एक ख़ास पहचान है. इनमें हीरो अपनी क़िस्मत को लेकर चिंतित दिखता है. उनकी इन भूमिकाओं की इस खासियत ने उन्हें महिलाओं का एक आदर्श पार्टनर बना दिया, क्योंकि उन महिलाओं में शायद ही किसी की किस्मत उनके हाथ में थी. यहां महिलाओं को कुछ मिलता-जुलता दिखता है.
पर्दे पर शाहरुख़ जो किरदार निभा रहे थे, उनकी कमज़ोरी साफ़ दिखती थी. वे अक्सर रोने-धोने की भूमिकाओं में होते थे. बॉलीवुड में यह दुर्लभ था कि नायक रोता-धोता दिखे. इसका मतलब ये कि शाहरुख़ ने पर्दे पर कभी अपनी भावनाएं नहीं छिपाईं और न ही नायिकाओं की भावनाओं से बेपरवाह दिखे.
एक युवा मुस्लिम गारमेंट वर्कर ने कहा, " काश! मेरे पति मुझे उस तरह छूते या मुझसे उस तरह बात करते, जैसे "कभी खुशी, कभी गम" में शाहरुख़ ने काजोल से की थी. लेकिन मैं जानती थी कि ऐसा कभी नहीं होने वाला. मेरे पति का हाथ और मूड इतना रुखा होता था कि ऐसी उम्मीद ही बेमानी थी.
अपनी शादी से नाखुश गुज़रे ज़माने के एक राजघराने की महिला ने कहा कि वह अपने बेटे को एक "अच्छा आदमी" बनाना चाहती हैं. ऐसा आदमी जो रो सकता है और जिसके साथ पत्नियां प्यार और सुरक्षा का अहसास कर सकें. ठीक ऐसा ही अहसास तो शाहरुख़ खान पर्दे पर अपनी नायिकाओं को कराते हैं.
ऐसा नहीं है कि शाहरुख़ की दीवानी ये महिलाएं उनके हर रोल को स्वीकार किए बैठी हैं. जिन भूमिकाओं में वे महिलाओं का पीछा करते हैं या उनके ख़िलाफ़ हिंसा करते हैं, उन्हें वो रिजेक्ट भी करती हैं.
ये महिलाएं भले ही पर्दे पर निभाए गए शाहरुख़ के रोल के ग्लैमर या ड्रामा का आनंद लेती हों लेकिन उनके जेहन में ये चीजें ज्यादा देर तक नहीं टिकतीं. उनके जेहन में वो चीजें टिकी रहती हैं, जो छोटी लगती हैं या फिल्मों में अक्सर छिप जाती हैं .
दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे शाहरुख़ की सबसे बड़ी हिट में से एक है और शायद बॉलीवुड की सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली रोमांटिक फिल्म. लेकिन शाहरुख़ की फैन एक लड़की की मां ने जो कहा, उस पर शायद ही मैंने कभी ध्यान दिया था . उन्होंने कहा, " मैंने पर्दे पर पहली बार कोई ऐसा हीरो देखा जो गाजर छीलते हुए घर की महिलाओं के साथ किचन में इतना वक्त दे रहा हो."
उनके लिए यह अद्भुत रोमांटिक दृश्य था. ऐसा नहीं है कि शाहरुख़ की प्रशंसक इन महिलाओं ने कामुकता या यौन आकर्षण की बात नहीं की. लेकिन उन्होंने इससे आगे भी ढेर सारी बातें कीं.
राहत का अहसास कराते शाहरुख़
शाहरुख़ इन महिलाओं को उनकी सुस्त जिंदगी से थोड़ा दूर ले जाते हैं. दिल टूटने या रोजाना की नाइंसाफी से गुजरते हुए शाहरुख़ का साथ उन्हें थोड़ी राहत का अहसास कराता है. वे शाहरुख़ से शादी करने के सपने पालती थीं. इसलिए नहीं कि वे बॉलीवुड स्टार हैं. बल्कि इसलिए कि वह दूसरों को समझने की कोशिश करते दिखते हैं.और दूसरे की भावनाओं को समझने या उसका ध्यान रखने वाला शख्स ही आपको काम करने, पैसे बचाने और कम से कम आपके सपनों को जिंदा रखने की इजाज़त देगा- चाहे इसका मतलब सिर्फ़ यही क्यों न हो कि आप शाहरुख़ की किसी अगली फ़िल्म को देखने के लिए सिनेमा हॉल तक जा सकें.
शाहरुख़ की प्रशंसकों में हर तरह की महिलाएं शामिल हैं- चाहे वे किशोर उम्र में झूठ बोल कर शाहरुख़ की फिल्म देखने के 'अपराध' में मां से थप्पड़ खाने वाली ब्यूरोक्रेट हों या फिर अपनी मेहनत की कमाई से भाई को कुछ पैसे देकर फिल्म हॉल तक पहुंचाने का अनुरोध करने वाली गारमेंट वर्कर. या फिर टीवी पर शाहरुख़ की फिल्म देखने के लिए पादरी से झूठ बोल कर लगातार चार रविवार को चर्च की प्रार्थना से गायब रहने वाली घरेलू सहायिका. इन सभी महिलाओं के लिए फिल्म देखने का वह सामान्य सा आनंद चुराई हुई आज़ादी की तरह था. जैसे किसी ने अपना कुछ पल जी लिया हो.
कुछ गरीब महिलाओं ने तो अपनी जिंदगी में काफ़ी बाद तक शाहरुख़ ख़ान की कोई फिल्म नहीं देखी थी लेकिन उन फिल्मों के गानों ने ही उन्हें उनका प्रशंसक बना दिया था. हालांकि इन महिलाओं के लिए इन गानों का आनंद लेना भी इतना आसान नहीं होता था.
शरण्या कहती हैं, " महिलाएं मस्ती कर सकें यह भी इस समाज में काफी मुश्किल काम है. कोई गाना सुनना या किसी एक्टर को देखने को भी अलग नजरिये से देखा जाता है. अगर कोई महिला कहे कि फलां एक्टर उसे पसंद है या फिर उसका लुक उसे भाता है तो उसके प्रति धारणा बनाए जाने की आशंका रहती है. "
जब शाहरुख़ गाड़ी की डिक्की में छिप गए
शरण्या लिखती हैं, भले ही ये महिलाएं बहुत आज़ादख़याल न हों लेकिन अपनी इन छोटी खुशियों और आनंद के लिए उन्होंने विद्रोह किया. बिस्तर के नीचे शाहरुख़ के पोस्टर छिपा कर, उनकी फिल्मों के गाने सुनकर और उन पर नाचकर उन्होंने इसे जाहिर किया. क्योंकि इन छोटी-छोटी बगावतों ने ही उन्हें अहसास कराया कि ज़िंदगी से उन्हें क्या चाहिए था.
मसलन, इस कहानी में जिस ब्यूरोक्रेट महिला का जिक्र किया गया है उन्होंने खुद अपना रास्ता बनाने का मंसूबा बांधा था ताकि उन्हें जिंदगी में दोबारा शाहरुख़ की कोई फिल्म देखने को लिए दूसरों से इजाज़त न लेनी पड़े.
एक युवा महिला की शादी तय करने की कोशिश चल रही थी. शाहरुख़ की ही फिल्म देखने के दौरान होने वाले पति से पता चला कि वह उनके फैन नहीं हैं. साथ में यह भी कि होने वाले पति को उनका शाहरुख का फैन भी होना भी पसंद नहीं है. रिश्ता नहीं हुआ क्योंकि लड़की भाग गई.
(अब वह लड़की फ्लाइट अटेंडेंट बन चुकी है. उसने वैसे ही लड़के से शादी की जो शाहरुख़ जैसा अहसास दिलाता है.)
शाहरुख़ ख़ान मेरी दोस्तों और मुझ जैसी अपेक्षाकृत ज्यादा सुविधासंपन्न और स्वतंत्र महिलाओं के लिए इस तरह का कोई ख़ूबसूरत वादा या वर्जित सपने की तरह नहीं थे. लेकिन जब मैंने यह किताब पढ़ी तब मुझे यह अहसास हुआ कि मैंने कभी अपनी मां और मौसियों को अपनी ख़ुशी हासिल करने के लिए की गई उस शांत बग़ावत को तारीफ के काबिल नहीं माना था. चुपचाप की जाने वाली यह बग़ावत हर शुक्रवार के लेट नाइट शो के लिए उन्हें सिनेमाघरों में पहुंचा देती थी. मुझे भी साथ ले जाया जाता था. शायद ही मुझे उस दौरान अपनी अच्छी किस्मत का अहसास था.
हालांकि फिर भी हमारे (इस कहानी में जिन महिलाओं का जिक्र हुआ है) अलग-अलग बचपन के बावजूद शाहरुख एक साझा सूत्र बने हुए हैं.
एक महिला ने बताया कि उन्होंने उनके इंटरव्यू देख कर अच्छी अंग्रेजी सीखी.
शरण्या कहती हैं कि शाहरुख़ अपने समय के एक स्तंभ हैं. हालांकि बॉलीवुड में उनकी एंट्री के बाद से लेकर अब तक काफी कुछ बदल चुका है.
"युवा महिलाएं शाहरुख़ से शादी नहीं करना चाहती हैं. वह वैसा बनना चाहती हैं. वे उनकी स्वायत्तता और उनकी सफलता चाहती हैं."
शरण्या भट्टाचार्य की किताब Desperately Seeking Shah Rukh: India's Lonely Young Women and the Search for Intimacy and Independence हार्पर कॉलिन्स इंडिया से प्रकाशित हुई है. (bbc.com)
मुंबई, 29 नवंबर| बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान इन दिनों अपनी हालिया रिलीज फिल्म अंतिम : द फाइनल ट्रुथ के प्रमोशन के लिए अहमदाबाद में हैं। इस दौरान उन्होंने प्रसिद्ध साबरमती आश्रम का भी दौरा किया।
अपनी फिल्म के प्रमोशन के दौरान ही सलमान सोमवार को साबरमती स्थित महात्मा गांधी आश्रम पहुंचे, जहां उन्होंने चरखा भी चलाया। सलमान खान गांधी आश्रम की यह फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।
हल्के हरे रंग की टी-शर्ट के साथ जीन्स पहने नजर आ रहे सुपरस्टार बेहद स्मार्ट लग रहे हैं। सामने आई तस्वीरों में दबंग स्टार को फर्श पर बैठे देखा जा सकता है, जिसमें वह चरखा कैसे काम करता है, उसे निहारते हुए दिखाई दे रहे हैं। तस्वीर में वह कताई करने की कोशिश कर रहे हैं।
सलमान गेस्ट बुक में एक खास मैसेज भी लिखते नजर आए।
अंतिम : द फाइनल ट्रुथ दो साल के लंबे इंतजार के बाद सिल्वर स्क्रीन पर आ चुकी है और दर्शक भी सलमान खान की वापसी को लेकर उत्साहित हैं। मेगास्टार को इससे पहले राधे फिल्म में देखा गया था, जिसकी हाइब्रिड रिलीज ओटीटी पर हुई थी।
सलमान खान, आयुष शर्मा और महिमा मकवाना अभिनीत अंतिम : द फाइनल ट्रुथ महेश मांजरेकर द्वारा निर्देशित, सलमा खान द्वारा निर्मित और सलमान खान फिल्म्स द्वारा प्रस्तुत की गई है। (आईएएनएस)
पणजी, 28 नवंबर| प्रसिद्ध गीतकार और रचनात्मक लेखक प्रसून जोशी ने रविवार को कहा कि यदि सभी वर्गो के लिए अपनी कहानियां बताने के लिए कोई मंच नहीं होता, तो भारतीय सिनेमा में समृद्ध विविधता नहीं दिखाई देती। भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 52वें संस्करण के समापन समारोह में 'फिल्म पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर' पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद प्रख्यात गीतकार ने 75 क्रिएटिव माइंड्स के माध्यम से ऐसा मंच प्रदान करने के प्रयास के लिए आईएफएफआई की सराहना की।
उन्होंने कहा, आईएफएफआई एक अवार्ड शो से ज्यादा रहा है, यह एक त्योहार रहा है। मुझे लगता है कि ये 75 क्रिएटिव माइंड देश के लिए जो कर सकते हैं, वह वास्तव में मुझे आशा देता है।
यह बताते हुए कि वह उत्तराखंड के एक छोटे से शहर से हैं, प्रसिद्ध लेखक ने कहा, मैं जानता हूं कि किसी छोटे शहर से आने वाले किसी व्यक्ति के लिए सिनेमा का अनुभव प्राप्त करना कितना मुश्किल होता है।
जोशी ने कहा, हमारे पास इस देश में जाने के लिए बहुत सारे शानदार दिमाग हैं जो महान फिल्में बनाना चाहते हैं।
यह बताते हुए कि वह भारतीय सिनेमा के भविष्य के बारे में बहुत आशान्वित हैं, जोशी ने कहा, इस देश में हमारे पास जो विविधता है वह वास्तव में अद्भुत है, लेकिन अगर हमें विविधता के लिए एक मंच नहीं मिलेगा, तो यह विविधता हमारे सिनेमा में प्रतिबिंबित नहीं होगी। यह केवल तभी प्रतिबिंबित होगा, जब ये सभी लोग जिन्हें हमने देश के विभिन्न हिस्सों से आते हुए देखा है, अपनी कहानियां सुनाना शुरू कर दें।"
इससे पहले केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने प्रसिद्ध गीतकार और रचनात्मक लेखक को 'वर्ष की फिल्म व्यक्तित्व' पुरस्कार प्रदान किया। (आईएएनएस)
पणजी, 28 नवंबर| निर्देशक वेत्रिमारन की तमिल फिल्म 'असुरन' में अभिनेता धनुष के शानदार प्रदर्शन ने उन्हें ब्रिक्स फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिलाया, जो भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के 52वें संस्करण के साथ आयोजित किया गया था, जो रविवार को यहां समाप्त हुआ। दिलचस्प बात यह है कि धनुष ने इस साल की शुरूआत में इसी फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था।
जहां धनुष को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना गया, वहीं लारा बोल्डोरिनी को ब्राजील की फिल्म 'ऑन व्हील्स' में उनके प्रदर्शन के लिए उत्सव में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (महिला) से सम्मानित किया गया।
सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार दो फिल्मों - दक्षिण अफ्रीकी फिल्म 'बराकत' और रूसी फिल्म 'द सन एबव मी नेवर सेट्स' द्वारा साझा किया गया था। 'बराकत' का निर्देशन एमी जेफ्ता ने किया है, जबकि रूसी फिल्म का निर्देशन हुसोव बोरिसोवा ने किया है।
चीनी निर्देशक यान हान को समारोह में उनकी फिल्म 'ए लिटिल रेड फ्लावर' के लिए स्पेशल मेंशन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
यह पहली बार है, जब आईएफएफआई के साथ ब्रिक्स फिल्म महोत्सव का आयोजन किया गया है। ब्रिक्स महोत्सव में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की फिल्मों ने भाग लिया था। (आईएएनएस)
-अनघा पाठक
गहने चोरी करने के एक मामले के अभियुक्त की पुलिस हिरासत में पिटाई होने से मौत हो जाती है. इसके बाद पुलिस इस मौत को छिपाने की कोशिश करती है और फिर न्याय हासिल करने की एक लंबी लड़ाई शुरू होती है.
कुछ दिन पहले ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ हुई फिल्म इसी कहानी पर आधारित है. और रिलीज़ के बाद से ये फिल्म हर जगह धूम मचा रही है.
फ़िल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है. बीते साल अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद आम लोग भी "पुलिस बर्बरता" के बारे में जानने समझने लगे हैं.
पुलिस के अत्यधिक बल प्रयोग से काले शख़्स जार्ज फ्लॉयड की मौत हो गई थी. पुलिस हिरासत के दौरान उत्पीड़न के तमाम मामले सामने आते रहे हैं.
लेकिन जिस तरह इस फिल्म में पुलिस हिरासत के दौरान अभियुक्त की मौत को दर्शाया गया है, क्या इसी अंदाज़ में पुलिस हिरासत में अभियुक्त की मौत हो सकती है?
अगर ऐसा है तो पिछले कुछ सालों ऐसी कितनी मौतें हुई हैं? हिरासत में मौत होने का मतलब क्या है और ऐसे मामलों में क़ानून क्या कहता है, ऐसी मौतों पर पुलिस प्रशासन का रवैया क्या होता है?
इन्हीं सवालों की पड़ताल करती है ये रिपोर्ट.
सरल शब्दों में कहें तो पुलिस हिरासत में किसी अभियुक्त की मौत को 'हिरासत में मौत' का मामला माना जाता है. चाहे वह अभियुक्त रिमांड पर हो या नहीं हो, उसे हिरासत में लिया गया हो या केवल पूछताछ के लिए बुलाया गया हो.
उस पर कोई मामला अदालत में लंबित हो या वह सुनवाई की प्रतीक्षा कर रहा हो, पुलिस की हिरासत के दौरान अभियुक्त की मौत हो तो उसे 'हिरासत में मौत' माना जाता है.
इसमें पुलिस हिरासत के दौरान आत्महत्या, बीमारी के कारण हुई मौत, हिरासत में लिए जाने के दौरान घायल होने एवं इलाज के दौरान मौत या अपराध कबूल करवाने के लिए पूछताछ के दौरान पिटाई से हुई मौत शामिल है.
पुलिस हिरासत में उत्पीड़न और मौत के मामलों का ज़िक्र भारत के मुख्य न्यायाधीश एन. वी रमन्ना ने भी किया है.
अगस्त, 2021 में उन्होंने एक संबोधन में कहा, "संवैधानिक रक्षा कवच के बावजूद अभी भी पुलिस हिरासत में शोषण, उत्पीड़न और मौत होती है. इसके चलते पुलिस स्टेशनों में ही मानवाधिकार उल्लंघन की आशंका बढ़ जाती है."
उन्होंने यह भी कहा, "पुलिस जब किसी को हिरासत में लेती है तो उस व्यक्ति को तत्काल क़ानूनी मदद नहीं मिलती है. गिरफ़्तारी के बाद पहले घंटे में ही अभियुक्त को लगने लगता है कि आगे क्या होगा?"
सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में डीके बसु बनाम बंगाल और अशोक जौहरी बनाम उत्तर प्रदेश मामले में फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि हिरासत में मौत या पुलिस की बर्बरता "क़ानून शासित सरकारों में सबसे ख़राब अपराध" हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद हिरासत में हुई मौतों का विवरण दर्ज करने के साथ-साथ संबंधित लोगों को इसकी जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया.
शीर्ष अदालत ने मौत के इन मामले में नियमों का पालन करने का निर्देश दिया.
पुलिस की बर्बरता को लेकर एक गैर सरकारी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भी लिखा था. और पुलिस की बर्बरता और पुलिस हिरासत में हुई मौतों की गंभीरता को देखते हुए शीर्ष अदालत ने भी स्वत: संज्ञान लिया था.
तब सर्वोच्च अदालत ने राज्यों को नोटिस भेजकर पूछा था कि इस मामले में राज्य सरकारें क्या कर रही हैं?
इस फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी व्यक्ति की गिरफ़्तारी के दौरान पुलिस के व्यवहार को लेकर नियम निर्धारित किए थे.
ये नियम सिर्फ पुलिस पर ही नहीं बल्कि रेलवे, सीआरपीएफ, राजस्व विभाग सहित उन सभी सुरक्षा एजेंसियों पर लागू होते हैं जो अभियुक्तों को पूछताछ के लिए गिरफ़्तार कर सकती हैं.
क्या क्या नियम हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 'बिना वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ़्तार करने और चोरी के मामलों में पूछताछ के दौरान उत्पीड़न के कई मामले देखने को मिले हैं. अक्सर इसी पिटाई से अभियुक्त की मौत हो जाती है. यदि किसी व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मृत्यु हो जाती है, तो ऐसी मौतों को छिपाया जाता है या पुलिस हिरासत से रिहा होने के बाद व्यक्ति की मृत्यु को दिखाया जाता है.'
'यदि पीड़ित परिवार शिकायत दर्ज कराने की कोशिश करता है तो पुलिस शिकायत दर्ज नहीं करती क्योंकि पुलिस एक - दूसरे का समर्थन करती हैं. एफ़आईआर तक दर्ज नहीं होती है.'
'अगर मामला अदालत में पहुंच भी जाता है, तो भी पुलिस के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं होता क्योंकि अपराध पुलिस हिरासत में हुआ है. ऐसे में गवाह या तो पुलिसकर्मी हैं या फिर लॉकअप में बंद अन्य अभियुक्त.'
'पुलिस एक-दूसरे के ख़िलाफ़ गवाही नहीं देती और अभियुक्त डर के मारे मुंह नहीं खोलते. इसलिए अक्सर इस अपराध को करने वाली पुलिस बरी हो जाती है.'
1. अभियुक्त को गिरफ़्तार करने गए पुलिसकर्मी वर्दी पर अपना बैज, नाम का टैग और पहचान ठीक से लगाकर जाएं ताकि यह स्पष्ट रूप से नज़र आए. एक रजिस्टर में स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए कि कौन अधिकारी या पुलिसकर्मी अभियुक्त से पूछताछ करेंगे.
2. अभियुक्त की गिरफ़्तारी के बाद, एक मेमो तैयार होना चाहिए. यह अभियुक्त के साथ-साथ अभियुक्त के परिवार के किसी सदस्य या किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए. मेमो में गिरफ़्तारी की तारीख और समय का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए.
3. अभियुक्त की हिरासत में गिरफ़्तारी के बाद अभियुक्त को अपने परिवार के सदस्य, मित्र या किसी अन्य शुभचिंतक को जल्द से जल्द अपने बारे में जानकारी देने का अधिकार है.
4. यदि अभियुक्त को किसी दूसरे शहर में गिरफ़्तार किया गया है, तो आठ से दस घंटे के भीतर परिवार को गिरफ़्तारी की सूचना देना अनिवार्य है.
5. गिरफ़्तारी के समय अभियुक्त को उसके अधिकारों की जानकारी दी जानी चाहिए.
6. गिरफ़्तार अभियुक्त के जिन रिश्तेदारों या दोस्तों को गिरफ़्तारी की जानकारी दी गई है और जिस अधिकारी की हिरासत में अभियुक्त है, दोनों के नाम थाने की डायरी में दर्ज होने चाहिए.
7. अभियुक्त के अनुरोध पर गिरफ़्तारी के समय उसके शरीर पर सभी चोटों की जांच की जानी चाहिए और उन्हें दर्ज किया जाना चाहिए. इस तरह के निरीक्षण के रिकॉर्ड पर अभियुक्त और गिरफ़्तार करने वाले अधिकारी दोनों के हस्ताक्षर होने चाहिए और एक प्रति अभियुक्त को मिलनी चाहिए.
8. हिरासत के बाद प्रत्येक 48 घंटे पर अभियुक्त की मेडिकल जांच होनी चाहिए. इस जांच की रिपोर्ट के साथ-साथ अन्य सभी ज्ञापनों को मजिस्ट्रेट के रिकॉर्ड के लिए भेजा जाना चाहिए.
9. पूछताछ के दौरान समय-समय पर अभियुक्त को अपने वकील से मिलने देना चाहिए.
इन नियमों का पालन नहीं करने वाले पुलिस अधिकारियों एवं पुलिसकर्मियों को विभाग के भीतर ही दंडित करने का प्रावधान है, साथ ही न्यायालय की अवमानना के लिए भी दंडित किया जा सकता है.
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि अगर किसी व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत हो जाती है तो ऐसे व्यक्ति के परिवार को मुआवजा दिया जा सकता है.
अपराध संहिता अपराधिक मामलों पर मुक़दमा चलाने के बारे में नियम और निर्देश प्रदान करती है. इसमें 2005 में संशोधन किया गया है और नए नियम जोड़े गए हैं.
पुलिस हिरासत में किसी की मौत हो जाए तो तत्काल प्राथमिकी दर्ज की जाए. साथ ही, सीआरपीसी की धारा 176 के तहत, मजिस्ट्रेट को हिरासत में हुई मौत पर पुलिस जांच से अलग एक स्वतंत्र जांच अनिवार्य तौर पर करानी है.
मृत्यु के 24 घंटे के अंदर 'जांच मजिस्ट्रेट' को पोस्टमार्टम के लिए शव को जिला सर्जन के पास भेजना चाहिए.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुताबिक मृतक के पोस्टमॉर्टम का वीडियो भी बनाया जाना चाहिए.
पुलिस हिरासत में कितने लोगों की मौत?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) भारत में विभिन्न तरह के अपराधों से संबंधित आंकड़े जारी करता है.
इसकी रिपोर्ट के मुताबिक हिरासत में सभी मौतें पुलिस की पिटाई या यातना के कारण नहीं होती हैं, कुछ मौतें बीमारी या अन्य कारणों से होती हैं.
बीबीसी ने बीते दस साल के एनसीआरबी के आंकड़ों का अध्ययन किया है. इसके जो आंकड़े सामने आए वह इस तरह से हैं -
- 2011 में पुलिस हिरासत में कुल 123 लोगों की मौत हुई थी. इनमें से 29 की मौत रिमांड (अदालत द्वारा अभियुक्त को दी गई पुलिस हिरासत) में हुई, जबकि 19 की मौत अदालत परिसर में या ले जाते समय हुई.
- बिना रिमांड में मरने वालों की संख्या 75 थी, जिसमें सबसे ज़्यादा 32 मौतें महाराष्ट्र में हुई थीं.
- इन मामलों में नौ लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल की गई थी लेकिन किसी को दोषी नहीं ठहराया गया था.
- 2012 में कुल 133 लोगों की मौत हुई थी. रिमांड में 21, गैर-रिमांड में 97 (अधिकांश महाराष्ट्र में - 34) और 15 की मौत अदालत परिसर में लाने- ले जाने के दौरान हुई.
- इस साल एक पुलिसकर्मी के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल की गई थी और उसे दोषी ठहराया गया था.
- 2013 में, गैर-रिमांड श्रेणी में महाराष्ट्र में सबसे अधिक 34 मौतें हुईं. इस साल कोई चार्जशीट दाख़िल नहीं की गई है और न ही किसी पुलिसकर्मी को दोषी ठहराया गया है.
- 2014 में पुलिस हिरासत में 93 लोगों की मौत हुई थी. इस साल 11 पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल की गई है लेकिन किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया है.
- 2015 में, पुलिस हिरासत में 97 लोगों की मौत हो गई, जिसमें 24 पुलिसकर्मी आरोप पाए गए लेकिन किसी को दोषी नहीं ठहराया गया.
- साल 2016 के आंकड़े एनआरसीबी साइट पर उपलब्ध नहीं हैं.
मानवाधिकार उल्लंघन के मामले
2017 से अलग-अलग आंकड़े दिए गए हैं. इसमें पुलिस हिरासत में अभियुक्त के मानवाधिकारों के उल्लंघन को भी शामिल किया गया है. इनमें मुठभेड़, मारपीट, प्रताड़ना, चोट पहुंचाना और फिरौती की मांग आदि शामिल हैं.
- 2017 में हिरासत में 100 मौतें दर्ज हुईं. इन मामलों में 22 पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की गई थी लेकिन किसी को दोषी नहीं ठहराया गया था.
- 2017 में मानवाधिकार उल्लंघन के 57 मामले सामने आए. इन मामलों में 48 लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल की गई थी और तीन को दोषी ठहराया गया था.
- 2018 में 70 लोग मारे गए. इनमें 13 को अभियुक्त बनाया गया लेकिन किसी को दंडित नहीं किया गया.
- मानवाधिकार उल्लंघन के कुल 89 मामले दर्ज किए गए. इन मामलों में 26 को अभियुक्त बनाया गया और एक को दोषी ठहराया गया.
- इसी श्रेणी में 2019 में 49 अपराध दर्ज किए गए और आठ लोगों को अभियुक्त बनाया गया और इनमें एक को सजा मिली.
- 2019 में हिरासत में 75 मौतें हुईं. इन मामलों में 16 पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की गई और एक पुलिसकर्मी को दोषी ठहराया गया.
- पिछले साल 2020 में हिरासत में 76 मौतें हुई थीं. सात पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल की गई लेकिन किसी को सजा नहीं मिली.
पिछले कुछ महीनों के लॉकडाउन के दौरान, पुलिस के ख़िलाफ़ मानवाधिकार उल्लंघन के 20 मामले दर्ज किए गए. इन मामलों में चार को अभियुक्त बनाया गया और किसी को दोषी नहीं ठहराया गया.
डीके बसु मामले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि हिरासत में मौत के मामले में पुलिस को दंडित करना मुश्किल होगा. यह आंकड़ों से भी स्पष्ट होता है.
पुलिस हिरासत में मौत की वजहें
पुलिस हिरासत में हो या फिर गिरफ़्तारी के बाद थाने में, पूछताछ के दौरान, आगे की जांच के लिए अदालत द्वारा दी गई पुलिस रिमांड में या जेल में, सरकारी दस्तावेज़ों में हर तरह की मौत का कारण दर्ज किया जाता है.
हिरासत में होने वाली इन मौतों की वजह क्या हैं?
एनआरसीबी के मुताबिक, मौतें अस्पताल में भर्ती होने, इलाज, जेल में मारपीट, अन्य अपराधियों द्वारा हत्या, आत्महत्या, बीमारी या प्राकृतिक कारणों से हुई हैं.
2020 में प्रति सप्ताह एक आत्महत्या
नेशनल कैंपेन अगेंस्ट टॉर्चर संस्थागत उत्पीड़न के ख़िलाफ़ काम करता है. दुनिया भर में काम करने वाले इस संगठन ने मार्च में भारतीय पुलिस हिरासत में आत्महत्याओं पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में लॉकडाउन के बावजूद भारत में हिरासत में होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान हर सप्ताह एक व्यक्ति ने पुलिस हिरासत में आत्महत्या की है.
ग़रीबों पर सबसे ज़्यादा चोट
नेशनल कैंपेन अगेंस्ट टॉर्चर के ही एक दूसरे सर्वेक्षण के मुताबिक पुलिस हिरासत में सबसे ज़्यादा ग़रीब और उपेक्षित समुदाय के लोग मरते हैं.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 1996 से 2018 के आंकड़ों को संकलित करने के बाद बताया है कि इस दौरान पुलिस हिरासत में मरने वाले 71.58 प्रतिशत लोग ग़रीब थे.
आयोग के संयोजक सुहास चकमा ने कहा, "अगर कोई ग़रीब आदमी कुछ उठाता है, तो उसे तुरंत चोर घोषित कर दिया जाता है और लोग अक्सर उसकी पिटाई करते हैं. पिटाई के चलते मौतें भी होती हैं." (bbc.com)
मुंबई, 28 नवंबर| आनंद गांधी ने 'शिप ऑफ थीसस', 'तुंबड', 'एन इनसिग्निफिकेंट मैन' और 'ओके कंप्यूटर' जैसे अपने निर्देशन और प्रोडक्शन वेंचर से हिंदी सिनेमा का परिदृश्य बदल दिया है। ऑफबीट विषयों पर एक अलग तरह के सिनेमा के लिए जाने जाने वाले फिल्म निर्माता ने अपने अगले शीर्षक 'द फ्यूचर ऑफ लिविंग टेरा' की घोषणा की है, जो 1 मिनट की रील प्रारूप की शॉर्ट फिल्म है।
आनंद ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्टर के साथ फिल्म की घोषणा की। उन्होंने तस्वीर को कैप्शन दिया, "मंगल से पृथ्वी तक। बंजर भूमि से लेकर पुनर्योजी शहरों तक। मानव सभ्यता का भविष्य हैशटेग इनदमेकिंग इंस्टाग्राम के सिनेमा रील फिल्म (एक 1 मिनट का) मेरे द्वारा निर्देशित टेरा है।" वूट इंस्टाग्राम और वूट पर जल्द ही आ रहा है।
पोस्टर में एक अंतरिक्ष यात्री को मंगल की लाल परत की तरह चलने पर दिखाया गया है, जिसकी पीठ सूर्य की ओर है। इसके तुरंत बाद, आनंद के लिए प्रशंसकों और दर्शकों ने उत्साह व्यक्त करना शुरू कर दिया। फिल्म रीलों की अवधारणा को घुमाती है और कम से कम समय-सीमा में एक सम्मोहक कहानी बताने का लक्ष्य रखती है। (आईएएनएस)
मुंबई, 26 नवंबर| देश में 13 साल पहले हए आतंकी हमले को देश कभी नहीं भूलेगा। 13 साल पहले आज ही के दिन पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा मारे गए बेखौफ नागरिकों की कहानियों को फिल्मों और वेब सीरीज के रूप में पेश किया गया है। फिल्में
द अटैक ऑफ 26/11: यह राम गोपाल वर्मा निर्देशित यह उस भयावह रात की कहानी बताती है। यह वास्तव में भारतीय मुख्यधारा के सिनेमा का एकमात्र हिस्सा है जो हमलों को क्रॉनिकल करता है। हमलों की योजना, पारगमन और निष्पादन से लेकर आतंकवादियों के निष्प्रभावी होने और अजमल कसाब, जीवित पकड़े जाने वाले एकमात्र अपराधी की कहानी बताती है।
2013 की फिल्म में नाना पाटेकर ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त, राकेश मारिया की भूमिका निभाई है और कहानी कहने के लिए एक गैर-रेखीय ²ष्टिकोण का पालन करते हैं, क्योंकि अधिकारी एक आधिकारिक जांच के दौरान घटनाओं को याद करता है।
वर्मा ने इससे पहले आईएएनएस से कहा था, "दुनिया के इतिहास में 9/11 को न्यूयॉर्क में हुए हमले से ज्यादा भयानक हमले कभी नहीं हुए। लेकिन उसे फांसी देने की हिम्मत से मुझे लगा कि मुंबई पर हमला कहीं ज्यादा चौंकाने वाला था।"
ताजमहल: निकोलस सादा द्वारा निर्देशित और 2015 में रिलीज हुई फ्रेंच-बेल्जियम की थ्रिलर-ड्रामा, कहानी एक पीड़ित के ²ष्टिकोण से सामने लाती है - एक युवा लड़की, जो अपने माता-पिता के साथ मुंबई आती है, जब उसके पिता की पोस्िंटग होती है। परिवार ताजमहल पैलेस में रहने का विकल्प चुनता है जब तक कि उनका आवास स्थापित नहीं हो जाता। तभी एक हैरान करने वाला मोड़ आता है, लड़की होटल के अंदर फंस जाती है, जबकि उसके माता-पिता रात के खाने के लिए बाहर होते हैं। इसकी कहानी और कथा के कारण, फिल्म को वेनिस फिल्म फेस्टिवल में भी प्रदर्शित किया गया था।
वन लेस गॉड: लिलियम वथिर्ंगटन की 2017 की फिल्म आतंकियों और होटल के मेहमानों के ²ष्टिकोण से ताजमहल पैलेस होटल पर हुए हमलों की भयावहता को दर्शाती है, जिन्हें बंदूक की नोक पर बंधक बना लिया गया था। हालांकि फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है, लेकिन दोनों ²ष्टिकोण काल्पनिक हैं।
होटल मुंबई: ऑस्ट्रेलियाई फिल्म निर्माता एंथनी मारस द्वारा निर्देशित 2018 की एक्शन थ्रिलर ताजमहल पैलेस होटल के कर्मचारियों के साहस की कहानी बताती है, जिन्होंने बचाव कार्यों में मदद करके मेहमानों की सेवा करने के अपने कर्तव्य को आगे बढ़ाया और सभी के साथ खड़े रहे। देव पटेल, अनुपम खेर, आर्मी हैमर, नाजनीन बोनियादी और जेसन इसाक अभिनीत फिल्म 'सर्वाइविंग मुंबई' नामक डॉक्यूमेंट्री पर आधारित है।
फिल्म के बारे में बात करते हुए, मारस ने आईएएनएस को बताया, "यह सब तब शुरू हुआ, जब मैंने 'सर्वाइविंग मुंबई' देखी। हमें ट्रांसक्रिप्ट और इसके माध्यम से रहने वाले लोगों तक पहुंच बहुत आसान हो गई। हमने सिर्फ सुनने में काफी समय बिताया। उन्हें और उनकी कहानियों पर ध्यान केंद्रित किया। हम उनसे व्यक्तिगत रूप से या वीडियो कॉल के माध्यम से सिर्फ यह जानने के लिए मिले थे कि इस तरह के अनुभव के माध्यम से जीना क्या है।"
मारस और उनके सह-लेखक जॉन कोली के पास साक्षात्कार, कसाब के मुकदमे के दस्तावेज, पीड़ित के बयान, और पुलिस और स्थानीय अधिकारियों द्वारा प्रदान किए गए आतंकवादियों और उनके आकाओं के बीच उपग्रह संचार के टेप के रूप में उनके निपटान में ठोस स्रोत सामग्री थी।
वेब सीरीज
स्टेट ऑफ सीज - 26/11: जी5 पर आठ-एपिसोड की सीरीज पत्रकार संदीप उन्नीथन की आधिकारिक पुस्तक 'ब्लैक टॉरनेडो: द थ्री सीज ऑफ मुंबई 26/11' पर आधारित है। मैथ्यू ल्यूटवाइलर और प्रशांत सिंह द्वारा निर्देशित, सीरीज में अर्जन बाजवा, अर्जुन बिजलानी, ज्योति गौबा, विवेक दहिया, तारा अलीशा बेरी और मुकुल देव हैं।
'स्टेट ऑफ सीज - 26/11' को इसके समकक्षों से अलग करता है कि यह एनएसजी कमांडो के लेंस के माध्यम से कहानी बताता है, जिन्होंने 27 नवंबर को मुंबई पुलिस से स्थिति पर नियंत्रण कर लिया और 29 नवंबर तक आतंकवादियों को बेअसर कर दिया था।
मुंबई डायरीज 26/11: अभी हाल ही में, निखिल आडवाणी द्वारा निर्देशित प्राइम वीडियो सीरीज 'मुंबई डायरीज 26/11' हमारे पास आई थी। आठ-एपिसोड की सीरीज में मोहित रैना, कोंकणा सेन शर्मा, प्रकाश बेलावाड़ी, सोनाली कुलकर्णी, श्रेया धनवंतरी और सत्यजीत दुबे का एक समूह हैं और चिकित्सा पेशेवरों की कहानी बताती है।
आडवाणी ने आईएएनएस से कहा, "मैं हमेशा 'ईआर', 'शिकागो होप' और 'कोड ब्लैक' जैसे शो का बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूं। जीवन बचाने के कार्य में काफी मुश्किल होता है। डॉक्टरों और नर्सों के जीवन का पता लगाने के लिए गुमनाम नायक से मिलने का मौका मिलता है।
डॉक्यूमेंट्रीज
टेरर इन मुंबई: यह एचबीओ डॉक्यूमेंट्री प्रशासनिक कमियों और सुरक्षा विफलताओं पर कई ²ष्टिकोणों को ध्यान में रखता है। सीएनएन के फरीद जकारिया द्वारा लिखित, 'टेरर इन मुंबई' पाकिस्तान में दस आतंकवादियों और उनके नियंत्रकों के बीच प्रत्यक्षदर्शी साक्षात्कार, निगरानी वीडियो और इंटरसेप्टेड कॉल एक्सचेंजों के साथ कहानी को एक साथ करने के लिए सबसे अच्छे डॉक्यूमेंट्री में से एक है।
मुंबई नरसंहार: डॉक्यूमेंट्री 'सेकेंड्स फ्रॉम डिजास्टर' का एक एपिसोड, जो स्टेन ग्रिफिन द्वारा निर्देशित यूएस-यूके के साथ बनाया गया है, यह सुरक्षा विफलताओं को उजागर करता है जिसने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों को अपनी इच्छा से मारने की अनुमति दी थी। इस एपिसोड में उन बचे लोगों के बारे में बताया गया है, जो अपने अनुभव बताते हैं और बताते हैं कि मुंबई की उन लंबी, अंधेरी और भयानक रातों में क्या हुआ था।
अन्य फिल्में
सर्वाइविंग मुंबई: विक्टोरिया मिडविन्टर पिट के निर्देशन में 2009 में प्रसारित, 'सर्वाइविंग मुंबई' एक टेलीविजन फिल्म है, जो डॉक्यूमेंट्री की कथा शैली का अनुसरण करती है और बचे लोगों के ²ष्टिकोण से कहानी बताती है, जो बताते हैं कि कैसे उन्होंने बाधाओं से जूझते हुए अपने आप को काबू किया।
शाहिद: हंसल मेहता द्वारा निर्देशित 2012 की जीवनी नाटक वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता शाहिद आजमी के जीवन पर आधारित है। राजकुमार राव अभिनीत, फिल्म फहीम अंसारी के मामले को ध्यान में रखती है, जिस पर 26/11 के हमलों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था, लेकिन बाद में सबूतों की कमी के कारण सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। हमलावरों द्वारा मारे जाने से पहले फहीम आजमी का आखिरी मामला था।
एमब्रेस: लॉस एंजिल्स स्थित गालिब शिराज ढल्ला द्वारा 2014 में बनाई गई 15 मिनट की शॉर्ट फिल्म, एक अमेरिकी दंपति की कहानी बताती है जो एक छुट्टी के लिए मुंबई आते हैं लेकिन आतंकवादी हमलों के बाद ताजमहल पैलेस में फंस जाते हैं। जब वे अपने दोस्तों का कत्लेआम होते हुए देखते हैं। जब सभी आशा खो जाती है और उन्हें पता चलता है कि मदद उनके रास्ते में नहीं आ रही है, तो वे अपने बेटे के साथ फिर से जुड़ने के लिए एक जीवन बदलने वाला निर्णय लेते हैं, जिसे उन्होंने अपनी मातृभूमि में छोड़ दिया था।
फैंटम: कबीर खान 2015 फिल्म 26/11 के हमलों के बाद की है। इसमें सैफ अली खान को एक पूर्व सैनिक के रूप में दिखाया गया है, जिसे रॉ द्वारा उन लोगों से बदला लेने के लिए दबाव डाला जाता है, जिन्होंने हमलों की योजना बनाई, समन्वय किया और उन्हें अंजाम दिया। (आईएएनएस)
कोच्चि, 20 नवंबर | अपराध शाखा की नवनियुक्त जांच टीम ने 1 नवंबर को हुई कार दुर्घटना के रहस्य को उजागर करने के लिए कमर कस ली है, जिसमें दो पूर्व मॉडलों की मौत हो गई थी। पुलिस टीम के नाराज होने का एक कारण यह भी है कि जिस होटल में कार दुर्घटना से पहले डीजे पार्टी आयोजित की गई थी, उसके मालिक और उसके पांच स्टाफ सदस्यों को गिरफ्तार किए जाने के बाद 24 घंटे के बाद उन्हें मामले में सबूत के अभाव में जमानत मिल गई थी।
हालांकि पुलिस को कर्मचारियों से यह बयान मिला है कि महिलाओं के डीजे पार्टी छोड़ने तक की सीसीटीवी हार्ड डिस्क के महत्वपूर्ण सबूत नष्ट कर दिए गए हैं और उन्होंने स्वीकार किया है कि इसे पास के बैकवाटर में फेंक दिया गया था।
लेकिन चीजों की जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार एक ²ढ़ निश्चयी पुलिस ने हार्ड डिस्क को दोबारा हासिल करने की कोशिश करने के लिए हरसंभव प्रयास करने का फैसला किया है और अंडरवाटर डाइविंग विशेषज्ञों से बात कर रही है।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि रिमांड रिपोर्ट में पुलिस ने संदेह व्यक्त किया कि क्या इस घटना में ड्रग्स ने कोई भूमिका निभाई है। ब्लैकमेलिंग के एंगल से भी जांच की जरूरत है।
वायलातिन को तब गिरफ्तार किया गया था, जब उसने पुलिस को बताया कि जिस सीसीटीवी हार्ड डिस्क में पार्टी की फुटेज थी, उसे नष्ट कर दिया गया है, लेकिन वह 24 घंटे के भीतर जमानत पाने में सफल रहा।
इस बीच एक शीर्ष पुलिस अधिकारी द्वारा निभाई गई कथित भूमिका के बारे में ताजा मीडिया रिपोर्टों में भी सामने आई हैं।
जबकि दुर्घटना में 25 वर्षीय एंसी कबीर और 24 वर्षीय अंजना शाजन की तुरंत मृत्यु हो गई थी, एक तीसरे व्यक्ति - आशिक ने कुछ दिनों बाद दम तोड़ दिया था, जिसके बाद कार चलाने वाले अब्दुल रहमान एकमात्र गवाह रह गए।
पुलिस ने रहमान को 'अनैच्छिक हत्या' के आरोप में गिरफ्तार किया है।
हालांकि जांच दल ने होटल में सीसीटीवी फुटेज की हार्ड डिस्क बरामद की, लेकिन यह पार्टी के किसी भी सबूत को हासिल करने में विफल रही।
कई दिनों की जांच के बाद, पुलिस टीम को पता चला कि पार्टी के दौरान कहासुनी हुई थी। इससे पहले कि मामला बिगड़ता, युवक होटल से निकल चुके थे।
सूत्रों के मुताबिक रहमान शराब के नशे में गाड़ी चला रहा था।
वापस जाते समय कार एक दोपहिया वाहन से टकराने के बाद नियंत्रण खो बैठी और पलट गई।
हालांकि, पुलिस ने पाया कि दो महिलाओं को ले जा रही कार के पीछे एक वाहन आ रहा था। पूछताछ में चालक ने बताया कि पीड़िता की कार बेहद तेज गति से चलाई जा रही थी।
रिपोटरें के अनुसार, दूसरी कार का पीछा करने वाली कार के चालक शाइजू ने फोन किया और होटल मालिक को दुर्घटना के बारे में सूचित किया था। हालांकि उसने अग्रिम जमानत याचिका भी दायर की है।(आईएएनएस)
मुंबई, 18 नवंबर| भारत के 52वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) की उलटी गिनती शुरू होने के साथ ही, प्राइम वीडियो ने घोषणा की है कि वह देश के शोपीस सिनेमा कार्यक्रम में सत्यजित रे की क्लासिक फिल्में दिखाएगा। आईएफएफआई पहली बार महोत्सव की सामग्री को दुनियाभर के दर्शकों तक ले जाने के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म के साथ सहयोग कर रहा है।
रे की फिल्में 20 नवंबर से 28 नवंबर तक यानी पूरे महोत्सव की अवधि में, उनके जन्म शताब्दी वर्ष में श्रद्धांजलि के रूप में प्रदर्शित की जाएंगी।
प्राइम वीडियो के दर्शकों को रे की ये फिल्में देखने का मौका मिलेगा- 'अभिजन', 'अपराजितो', 'अशनि संकेत', 'चारुलता', 'चिड़ियाखाना', 'हीरक राजार देशे', 'जलसागर', 'पाथेर पांचाली', 'सीमाबद्ध', 'सोनार केला' और 'शतरंज के खिलाड़ी'।
प्राइम वीडियो ने 'छोरी' का विशेष विश्व प्रीमियर भी तैयार किया है, जिसे महोत्सव में दिखाया जाएगा। इसके अलावा स्टार-स्टड मास्टरक्लास 'द फैमिली मैन' 21 नवंबर को और शूजीत सरकार निर्देशित 'सरदार उधम' 23 नवंबर को दिखाई जाएगी।
'फैमिली मैन' मास्टरक्लास श्रीकांत तिवारी जैसे चरित्र को डिजाइन करने पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसे मनोज बाजपेयी ने बहुत ही शानदार ढंग से निभाया था। इसका संचालन शो के निर्माता और कलाकार करेंगे। इसमें शो के निर्माता राज और डीके, मनोज बाजपेयी, सामंथा रूथ प्रभु और अमेजन प्राइम वीडियो में इंडिया ओरिजिनल्स की प्रमुख अपर्णा पुरोहित शामिल हैं।
शूजीत सरकार और रोनी लाहिरी 'सरदार उधम' का संचालन करेंगे, जहां वे कहानी की यात्रा और 'सिनेमाई सफलता' के निर्माण पर चर्चा करेंगे।
'छोरी' का प्रीमियर 25 नवंबर को होना निर्धारित किया गया है। विशाल फुरिया द्वारा निर्देशित यह फिल्म उनकी मराठी फिल्म 'लपछापी' की रीमेक है और इसमें मीता वशिष्ठ, राजेश जैस, सौरभ गोयल, पल्लवी अजय और यानिआ भारद्वाज के साथ नुसरत भरूचा भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। (आईएएनएस)