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कुपवाड़ा, 8 जनवरी| भारतीय सेना के जवानों ने कश्मीर के कुपवाड़ा में बर्फ में फंसी एक गर्भवती महिला को बचा लिया और अस्पताल तक पहुंचाया। सेना के जवान दो किलोमीटर तक घुटने तक जमी बर्फ में पैदल चल कर गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाया। घटना मंगलवार देर रात की है। कुपवाड़ा के करालपुरा में सेना के पास मंजूर अहमद शेख नामक शख्स का फोन आया। उसने सेना से सहा कि उनकी पत्नी शबनम बेगम को प्रसव पीड़ा हो रही है और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाने की जरूरत है।
भारी बर्फबारी और खराब मौसम के कारण, ना तो सामुदायिक स्वास्थ्य सेवा वाहन और ना ही नागरिक परिवहन उपलब्ध था। सड़क पर जमी बर्फ साफ करना भी संभव नहीं था।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, सेना के जवान एक नसिर्ंग स्टाफ और चिकित्सा उपकरणों के साथ मौके पर पहुंचे।
सेना के जवानों ने महिला और परिवार को घुटने पर जमी बर्फ में दो किलोमीटर तक पहुंचाया, जहां से महिला को करालपुरा अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल पहुंचने पर महिला को तुरंत चिकित्सा कर्मचारियों ने देखभाल शुरू कर दी।
सेना ने एक बयान में कहा, पीड़ित परिवार और नागरिक प्रशासन ने मानवीय प्रयासों के लिए सेना की टुकड़ी को धन्यवाद दिया और संकट के वक्त सेना को अवाम के सच्चे दोस्त के रूप में सराहा। बच्चे के जन्म के बाद पिता सैनिकों को मिठाई बांटने ऑपरेटिंग बेस पर पहुंचे।
अब तक सेना के जवानों ने कश्मीर में दो दर्जन से अधिक गर्भवती महिलाओं को बफीर्ले इलाकों से बाहर निकाला है। (आईएएनएस)
बीजेंद्र प्रसाद ने इस साल साढ़े चार बीघे में धान की खेती की है। अभी तक उनका धान खलिहान में ही पड़ा हुआ है, लेकिन सरकार के नये फरमान से वह चिंता में पड़ गये हैं।
बिहार सरकार ने 6 जनवरी को एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटी (पैक्स) व व्यापार मंडलों के जरिये धान की खरीद 31 मार्च की जगह अब 31 जनवरी तक ही की जाएगी। इस साल बिहार में 6491 पैक्स व व्यापार मंडलों के जरिये धान की सरकारी खरीद हो रही है। खाद्य व आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने डाउन टू अर्थ को खरीद की अवधि घटाने की पुष्टि की है, लेकिन ऐसा फैसला क्यों लिया गया है, इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा।
नालंदा जिले के हिलसा प्रखंड के मिर्जापुर पंचायत निवासी बीजेंद्र ने डाउन टू अर्थ को बताया, “खरीद की समयसीमा कम कर देने से बहुत परेशानी होगी। हम अभी तक एक किलो धान भी पैक्स के जरिये नहीं बेच पाये हैं। मेरा धान अभी खलिहान में ही है। उसे लाकर पुआल अलग करना होगा। चूंकि बारिश भी हो गई है, तो धान में नमी ज्यादा है। उसे सुखाने में भी वक्त लगेगा। जिस तरह सरकार ने अचानक समय सीमा घटा दी है, मुझे मजबूर होकर स्थानीय व्यापारियों को ही धान बेचना होगा।”
गौरतलब है कि इस साल सरकार ने किसानों से 45 लाख मेट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 15 नवंबर से खरीद शुरू की गई थी और 31 मार्च तक धान खरीदा जाना था। पिछले साल अप्रैल तक धान की खरीद की गई थी। इस साल अचानक खरीद की अवधि घटा देने के सरकारी फैसले ने बीजेंद्र जैसे बिहार के सैंकड़ों किसान परेशान हो गए हैं। बहुत सारे किसान धान की नमी कम हो जाने के बाद पैक्स व व्यापार मंडलों में बिक्री करने का मन बना चुके थे। यही वजह भी रही कि अब तक धान अधिप्राप्ति की रफ्तार काफी सुस्त थी।
पटना जिले के मोकामा में संचालित एक पैक्स के अध्यक्ष मनोज कुमार ने डाउन टू अर्थ से कहा, “हर पैक्स को धान खरीद का एक निश्चित लक्ष्य दिया जाता है। लेकिन मार्च तक खरीदने का लक्ष्य था, इसलिए किसान भी निश्चिंत थे। मेरे यहां खरीद का जितना लक्ष्य था, उसके मुकाबले महज 5 प्रतिशत ही खरीद हो सकी है।”
“अब तारीख घटा देने से किसान हड़बड़ी में नमीयुक्त धान ही बेचेंगे, इससे उन्हें सही कीमत नहीं मिल पायेगी और आखिरकार किसानों को नुकसान उठाना होगा,” उन्होंने कहा।
अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य सचिव राजेंद्र पटेल ने कहा, “अभी तक अधिकांश किसानों का धान खलिहान में ही पड़ा हुआ है। सरकार के इस फैसले से किसानों को मजबूर होकर स्थानीय व्यापारियों को औने-पौने कीमत पर धान बेचने को मजबूर होना पड़ेगा।”
“सरकार को तो चाहिए था कि वह ज्यादा से ज्यादा धान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद लेती, लेकिन उल्टे सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि किसान एमएसपी पर धान बेच ही नहीं पायेंगे,” उन्होंने कहा।
अब तक 20% धान की ही हो सकी खरीद
बिहार सहकारिता विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 7 जनवरी तक 9,14,492.196 मेट्रिक टन धान की ही खरीद हो पाई है, जो लक्ष्य (45 लाख मेट्रिक टन) का करीब 20% है। अभी तक लगभग 1 लाख 20 किसानों से ही धान खरीदी जा सकी है। नालंदा, रोहतास, गया और औरंगाबाद में सबसे ज्यादा खरीद की गई है।
इस बार भी लक्ष्य से कम होगी खरीद
बिहार में हर साल औसतन 80 लाख मेट्रिक टन धान का उत्पादन किया जाता है, लेकिन सरकार 50 प्रतिशत से भी कम धान खरीदने का लक्ष्य रखती है।
आंकड़े बताते हैं कि पिछले 6-7 सालों में सरकार कभी भी धान की खरीद लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाई है। वर्ष 2013-2014 में सरकार ने 24 लाख मेट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 11.15 लाख मेट्रिक टन धान ही खरीद सकी थी। इसी तरह वर्ष 2014-2015 में 24 लाख मेट्रिक टन धान की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन 19.01 लाख मेट्रिक टन धान खरीदा था।
साल 2015-2016 में 27 लाख मेट्रिक टन धान की खरीद करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन सरकार 18.23 लाख मेट्रिक टन धान ही खरीद सकी थी। वर्ष 2016-2017, 2017-2018, 2018-2019 में सरकार ने 30-30 लाख मेट्रिक टन धान की खरीद करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन क्रमशः 18.42 लाख, 11.84 लाख और 14.16 लाख मेट्रिक टन धान ही खरीद सकी थी। वर्ष 2019-2020 में भी सरकार लक्ष्य से कम ही धान खरीद सकी थी।
ऐसे में माना जा रहा है कि इस साल भी धान की सरकारी खरीद लक्ष्य के मुकाबले कम हो सकती है क्योंकि पिछले लगभग दो महीनों में सरकार लक्ष्य का महज 20 प्रतिशत धान ही खरीद सकी है। और अब धान खरीद के लिए तीन हफ्ते ही बचे हुए हैं। (downtoearth)
एक नए शोध से पता चला है कि चरागाहों से होने वाले मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन 1750 के बाद 2.5 यूनिट बढ़ा है। शोध में इसके लिए जानवरों से होने वाले उत्सर्जन को जिम्मेदार माना गया है, क्योंकि जंगल में घास खाकर जीने वाले छोटे जानवरों की संख्या कम होती गई और चरागाहों में कार्बन सिकुड़ने का असर यह हुआ है कि दुनिया भर में उनके काॅर्बन सोंकने और उसे भूमि में वापस करने की क्षमता प्रभावित हुई है।
इसका आकलन वैसे तो पिछली सदी में ही हो गया था, लेकिन छितरे और प्राकृतिक चरागाहों को लेकर चीजें अब सामने आ रही हैं। क्लाईमेट वाॅच एंड द वल्र्ड रिसोर्सेस इंस्टीटयूट ने इससे संबंधित एक डाटा 2016 में प्रकाशित किया था।
इसके उलट, पिछले दशक में ऐसे चरागाह जिनका प्रबंधन खासतौर से इंसान करता आ रहा है, वे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत बन गए हैं। दरअसल इनसे उतना ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन हो रहा है, जितना वैश्विक स्तर पर फसल उगाई जाने वाली भूमि से होता है, जो ग्रीनहाउस गैसों का बड़ा स्रोत है।
द इंटरनेशनल इंस्टीटयूट फाॅर एप्लाइड सिस्टम एनालिसिस के थामस गैसर के मुताबिक, चरने लायक मैदानों और जानवरों की तादाद बढ़ते जाने से हम यह कयास लगा सकते हैं कि अगर भूमि में काॅर्बन बढ़ने और जगंल कटने से रोकने के लिए नीतियां नहीं बनाई गई तो वातावरण के लिए यह कितना चुकसानदायक होगा। गैसर इसी से संबंधित पांच जनवरी को प्रकाशित शोध 'अनकवरिंग हाउ ग्रासलैंडस चेंज्ड अवर क्लाइमेट' के सहलेखक भी हैं।
नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक शोध इस बारे में चर्चा करता है कि सारे चरागाहों का कुल रेडिएशन फिलहाल लगभग न्यूट्रल के करीब है, लेकिन यह 1960 के बाद से बढ़ रहा है।
इस तरह हम देखते हैं कि जिन चरागाहों का प्रबंधन किया जा रहा है, उनसे होने वाली ग्लोबल क्लाईमेट वार्निंग, छितरे और प्राक्रतिक मैदानों दवारा क्लाईमेट को ठंडा रखने और कॅार्बन सोंकने के उपायों को बेकार कर देती है. आने वाले समय में क्लाईमेट चेंज और जानवरों से जुड़े उत्पादों में वृद्धि को ध्यान में रखकर ये नतीजे ऐसे उपायों पर जोर देते हैं, जिनसे चरागाहों में कार्बन सोंकने की क्षमता बढ़े और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम किया जा सके।
नेचुरल कम्युनिकेशंस के लेखकों के शोध के मुताबिक, पेरिस समझौते के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी है कि हर देश में उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों की पूरी रिपोर्टिंग हो और इन देशों के उस बजट पर निगाह रखी जाए जो वे वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने पर खर्च करते हैं।
2020 में कई देशों ने क्लाईमेट पर काम करने के लिए अपना प्लान पेश किया है, जिसे राष्ट्रीय संकल्प पत्र नाम दिया गया है, इसमें देशों ने उन उपायों पर बात की है, जिनसे वे पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए किस तरह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करेंगे।
लैबोरेट्री फाॅर साइंसेस ऑफ क्लाइमेट एंड एनवायरनमेंट के सहलेखक फिलिप सियास के मुताबिक, लो वार्मिंग क्लाईमेट लक्ष्यों के संदर्भ में चरागाहों की भूमिका को कम करके या बढ़ाकर देखना कुछ कारकों पर निर्भर करता है। इसमें आने वाले समय में घास खाने वाले जानवरों की संख्या और चरागाहों में कार्बन सोंकने की संचित क्षमता भी शामिल है। साथ ही यह भी कि समय के साथ चरागाहों की काॅर्बन स्टोर करने की क्षमता बढेगी या स्थिर हो जाएगी, जैसा कि हमने पुराने प्रयोगों में देखा है। (downtoearth)
लंदन की वेंडज़वर्थ जेल में नीरव मोदी की बहन और बहनोई की ओर से सरकारी गवाह बनने की इच्छा ज़ाहिर करने के बाद उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं.
सोमवार को मुंबई में जस्टिस वीसी बार्डे की विशेष अदालत के सामने दोनों ने सरकारी गवाह बनने को लेकर आवेदन दिया है.
इस आवेदन में नीरव मोदी की बहन पूर्वी मेहता और उनके पति मयंक मेहता ने अदालत से कहा कि वो पंजाब नेशनल बैंक से जुड़े दो अरब डालर के ग़बन के मामले में जाँच करने वाले अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ मुहैया करा सकते हैं. दोनों ने अदालत के समक्ष क्षमा याचिका दायर करते हुए सरकारी गवाह बनने की इच्छा भी ज़ाहिर की है.
पूर्वी मेहता, हीरा कारोबारी नीरव मोदी की छोटी बहन हैं और वो बेल्जियम की नागरिक हैं जबकि उनके पति मयंक के पास ब्रितानी नागरिकता है.
सरकारी गवाह बनने के लिए आवेदन
प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस वीसी बार्डे की विशेष अदालत ने अपने निर्देश में स्पष्ट किया है कि दोनों ने ही क्षमा की प्रार्थना अदालत से की है और वे सरकारी गवाह बनना चाहते हैं.
अदालत ने दोनों को अपने सामने हाज़िर होने का भी निर्देश दिया है. लेकिन पूर्वी और मयंक ने अदालत से कहा है कि कोविड-19 के फैल रहे संक्रमण की वजह से वो यात्रा करने की स्थिति में नहीं हैं और वो अदालत की कार्यवाही में वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिये जुड़ना चाहते हैं.
इससे पहले ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने इस मामले में पूर्वी और और उनके पति को नीरव मोदी के साथ सह-अभियुक्त बनाया था और न्यूयॉर्क और लंदन स्थित उनकी सपत्ति को ज़ब्त भी कर लिया था.
वहीं नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को लेकर लंदन की अदालत में साल 2019 से मामला चल रहा है.
पंजाब नेशनल बैंक से 14000 करोड़ रुपये के ग़बन के संबंध में सीबीआई और ईडी ने अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं. सीबीआई ने नीरव मोदी के ख़िलाफ़ जो दो मामले दर्ज किए हैं उनमें पूर्वी और मयंक को अभियुक्त नहीं बनाया गया है.
लेकिन प्रवर्तन निदेशालय ने दोनों को अभियुक्त बनाया है क्योंकि आरोप है कि इन दोनों के ज़रिये ही नीरव मोदी ने 12000 करोड़ रुपये तक की रक़म को ठिकाने लगाने में कामयाबी हासिल की है. मामले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय ने जो आरोप पत्र दायर किया उसमें मयंक मेहता को भी अभियुक्त बनाया गया है.
पूर्वी और मयंक के वकील अमित देसाई के अनुसार दंपत्ति ने ख़ुद को नीरव मोदी की करतूतों से अलग कर लिया है. उनकी दलील है कि दोनों की निजी ज़िंदगी पर नीरव मोदी की करतूतों की वजह से बुरा असर पड़ा है.
नीरव मोदी की करतूतों से ख़ुद को अलग किया
यही बात देसाई ने अदालत में दायर हलफ़नामे में भी कही है और ये भी कहा है कि दोनों ही नीरव मोदी की आपराधिक करतूतों से तंग आ चुके हैं.
हलफ़नामे में कहा गया है कि नीरव मोदी की बहन होने के नाते पूर्वी मेहता, मामले से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और सुबूत के साथ-साथ नीरव मोदी की कंपनियों और उनके बैंक खातों की जानकारी अनुसंधानकर्ता अधिकारियों को दे सकती हैं.
हालांकि अदालत में प्रवर्तन निदेशालय के वकील ने पूर्वी और मयंक के प्रस्ताव का विरोध तो नहीं किया मगर उन्होंने कहा कि दूसरी किसी कंपनी या किसी व्यक्ति को अब इस मामले में सरकारी गवाह बनने की अनुमति अदालत ना दे.
क़ानून के जानकार मानते हैं कि भले ही नीरव मोदी की बहन और उनके पति सरकारी गवाह बनने के इच्छुक हैं, लेकिन उन्हें ज़्यादा राहत नहीं मिल पाएगी.
हिमाचल प्रदेश स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले क़ानून के जानकार चंचल सिंह कहते हैं कि 'लॉ ऑफ़ एविडेंस' के तहत दोनों को ये फायदा होगा कि उनकी सज़ा को कम करने के बारे में अदालत विचार कर सकती है.
उनका कहना था कि इससे जांच एजेंसियों को ही ज़्यादा फ़ायदा होगा क्योंकि वे नीरव मोदी के ख़िलाफ़ और ज्यादा पुख़्ता सबूत इकट्ठा कर सकते हैं. इससे नीरव मोदी के ख़िलाफ़ लंदन की अदालत में चल रहे प्रत्यर्पण के मामले के अलावा 'प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट' के तहत सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज किए गए मामलों में मदद मिलेगी.
प्रत्यर्पण में मिलेगी मदद
सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि नीरव मोदी की बहन और बहनोई की जो संपत्ति इस मामले में जाँच एजेंसी द्वारा लंदन और न्यूयॉर्क में पहले ही ज़ब्त की जा चुकी है वो अब वापस नहीं मिल सकती.
बीबीसी से बात करते हुए वो कहते हैं, "सरकारी गवाह बनने का मतलब है कि उन्हें पहले तो अदालत के सामने अपना गुनाह क़बूल करना होगा. अगर वे गुनाह में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर लेते हैं तो फिर क़ानून के हिसाब से उन्हें सज़ा मिलेगी. हाँ, चूँकि वो जाँच में सरकार की मदद करेंगे इसलिए अदालत रियायत के रूप में सिर्फ़ उतना कर सकती है कि उनकी सज़ा कम कर सकती है या उन पर अगर कोई जुर्माना लगाया जाए तो उसकी रक़म भी कम कर सकती है."
वहीं लंदन में ज़िला जज सैमुएल गूज़ की अदालत में नीरव मोदी के प्रत्यर्पण से संबंधित मामले की सुनवाई चल रही है जिसका फ़ैसला अगले हफ़्ते सुनाया जा सकता है.
मामले की सुनवाई आठ जनवरी को पूरी हो जाएगी. यहाँ भी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के वकीलों ने नीरव मोदी को भारत लाने के लिए अदालत के सामने पंजाब नेशनल बैंक में हुए ग़बन से संबंधित दस्तावेज़ और सबूत पेश किए हैं.
सीबीआई के सूत्रों ने आशा व्यक्त की है कि जल्द वो नीरव मोदी को वापस भारत लाने में कामयाबी हासिल कर लेंगे क्योंकि उन्होंने लंदन की अदालत के समक्ष ठोस सबूत पेश किए हैं. (BBC)
लखनऊ, 8 जनवरी | उत्तर प्रदेश में लव जिहाद से जुड़े अध्यादेश को लेकर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। पहचान बदलकर लव जिहाद के माध्यम धर्मातरण पर रोक लगाने के लिए बने कानून की वैधता को बड़ी अदालत में चुनौती दी गई है।
कोर्ट में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई का हवाला देते हुए सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग की। अब इन याचिकाओं पर सुनवाई 15 जनवरी को होगी।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने दिया है। राज्य सरकार की तरफ से याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया और सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसी मामले को दाखिल याचिका पर कार्रवाई की जानकारी दी गई। बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कानून के क्रियान्वयन पर अंतरिम आदेश जारी नहीं किया है।
याचिकाओं में धर्मांतरण विरोधी कानून को संविधान के खिलाफ और गैरजरूरी बताते हुए चुनौती दी गई है। याची का कहना है कि यह कानून व्यक्ति की निजी पसंद व शर्तो पर व्यक्ति के साथ रहने व मत अपनाने के मूल अधिकारों के विपरीत है। यह निजी स्वतंत्रता के अधिकार का हनन करता है। इसे रद किया जाए। इस कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है।
राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन से कानून व्यवस्था की स्थिति खराब न हो इसके लिए कानून लाया गया है, जो पूरी तरह से संविधान सम्मत है। इससे किसी के मूल अधिकारों का हनन नहीं होता, वरन नागरिक अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया गया है। इससे छल-छद्म के जरिये धर्मांतरण पर रोक लगाने की व्यवस्था की गई है।
ज्ञात हो कि यूपी सरकार ने जो लव जिहाद से जुड़ा अध्यादेश लागू किया है, उसको लेकर याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने इस अध्यादेश को गैर-जरूरी और गैर-संविधानिक करार दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी लव जिहाद से जुड़े इस अध्यादेश को लेकर सुनवाई हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को इस मामले में नोटिस दिया है। सुप्रीम कोर्ट इन अध्यादेशों की सांविधानिकता को परखेगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया था।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 8 जनवरी | देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में चालू वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 7.7 फीसदी गिरावट का अनुमान है, जबकि पिछले वित्तवर्ष में देश की आर्थिक विकास दर 4.2 फीसदी दर्ज की गई थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा गुरुवार को चालू वित्तवर्ष की जीडीपी का पहला अग्रिम अनुमान जारी किया गया। एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, वित्तवर्ष 2020-21 में देश की वास्तविक जीडीपी यानी स्थिर कीमत (2011-12) के आधार पर जीडीपी 134.40 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि 31 मई 2020 को जारी पिछले वित्तवर्ष 2019-20 की जीडीपी का प्रोविजनल अनुमान 145.66 लाख करोड़ रुपये था।
इस प्रकार, वित्तवर्ष 2020-21 में जीडीपी में 7.7 फीसदी गिरावट रहने का अनुमान है जबकि पिछले वित्तवर्ष 2019-20 के दौरान जीडीपी वृद्धिदर 4.2 फीसदी दर्ज की गई थी।
एनएसओ द्वारा जारी प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार, वास्तविक सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) 2020-21 में 123.39 लाख करोड़ रुपये रहने का आकलन किया गया है, जबकि पिछले वित्तवर्ष के दौरान यह आंकडा 133.01 लाख करोड़ रुपये था। इस प्रकार चालू वित्तवर्ष में जीवीए में 7.2 फीसदी की गिरावट रहने का अनुमान है।
एनएसओ के मुताबिक, कोरोना महामारी की रोकथाम को लेकर 25 मार्च 2020 को लगाए गए प्रतिबंधों में हालांकि बाद में धीरे-धीरे ढील दी गई, लेकिन उससे आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ने के साथ-साथ डाटा संग्रह की प्रक्रिया भी प्रभावित रही।
जीडीपी के प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार, चालू वित्तवर्ष में व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण संबंधी सेवाओं के वास्तविक जीडीपी में 21.3 फीसदी की गिरावट रह सकती है, जबकि वित्तीय, रियल स्टेट और पेशेवर सेवाओं में 0.8 फीसदी और लोक प्रशासन, प्रतिरक्षा और अन्य सेवाओं में 3.7 फीसदी की गिरावट रहने का अनुमान है।
वहीं, कृषि, वानिकी और माहीगिरी के वास्तविक जीवीए में 3.4 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है, जबकि खनन और खदान के क्षेत्र में 12.4 फीसदी की गिरावट और विनिर्माण क्षेत्र में 9.4 फीसदी की गिरावट का अनुमान है।
--आईएएनएस
तिरुवनंतपुरम, 8 जनवरी | केरल के कोच्चि में पुलिस ने एक आवासीय परिसर में चल रही नकली सैनिटाइजर निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने इसकी जानकारी गुरुवार को दी। यूनिट का मालिक हाशिम फरार है।
पुलिस ने कहा, "लॉकडाउन अवधि के बाद से नेदुंबसेरी में नकली सैनिटाइटर रैकेट का काम चल रहा था और नकली उत्पादों को ब्रांडेड उत्पादों की आड़ में बेचा जा रहा था। यहां लगभग 1,000 लीटर नकली सैनिटाइजर का निर्माण किया गया था।"
पुलिस सूत्रों ने कहा कि वे हाशिम और उसके गुर्गो की तलाश में हैं, जो इस मामले में शामिल हैं।
--आईएएनएस
हैदराबाद, 8 जनवरी | तेलंगाना सरकार ने केंद्र से राज्य को कोविड-19 के टीकों की अतिरिक्त खुराक आवंटित करने का आग्रह किया है। स्वास्थ्य मंत्री ई. राजेंद्र ने गुरुवार को एक वीडियो कांफ्रेंस के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से आग्रह किया। उन्होंने राज्य में एक और कोविड वैक्सीन ड्राई रन करवाने की तैयारी की जानकारी दी।
राजेंद्र ने केंद्रीय मंत्री से कहा कि चूंकि हैदराबाद में टीके का निर्माण किया जा रहा है, इसलिए तेलंगाना को अधिक आवंटन प्राप्त करने की जरूरत है, और तेलंगाना को अतिरिक्त आपूर्ति से राज्य को अधिक उच्च जोखिम वाले समूहों को कवर करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि अतिरिक्त आपूर्ति से राज्य न केवल स्वास्थ्यकर्मियों, बल्कि अन्य अग्रिम कर्मियों जैसे अस्पतालों में ग्रेड फोर कर्मचारी, सफाई कर्मचारी, पुलिस कर्मियों और 60 वर्ष से ऊपर के लोगों को टीका लगा सकेगा।
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने कोवक्सीन विकसित किया है, जिसे पांच दिन पहले ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है।
स्वास्थ्य अधिकारियों को उम्मीद है कि यह टीका एक सप्ताह में उपलब्ध हो जाएगा। उन्होंने टीकाकरण के पहले चरण के लिए करीब 80 लाख लाभार्थियों की पहचान की है।
राजेंद्र ने पहले कहा था कि इस बात के संकेत हैं कि केंद्र सरकार ड्राई रन के बाद पांच लाख डोज जारी करेगी। इसके बाद 10 लाख डोज और फिर एक करोड़ डोज मिलेंगे।
इस बीच राज्य में शुक्रवार को दूसरे चरण की ड्राई रन के सभी इंतजाम कर लिए गए हैं। यह प्रक्रिया प्रदेशभर में करीब 1,200 केंद्रों पर आयोजित की जाएगी।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 7 जनवरी | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने गुरुवार को कहा कि आगामी बजट में कृषि क्षेत्र का विशेष ध्यान रखा जाएगा। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसान अपने हितों को लेकर करीब डेढ़ महीने से आंदोलनरत है, ऐसे में कृषि राज्यमंत्री का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि आगले वित्तवर्ष का बजट आने में अब एक महीने से भी कम समय बचा है। कैलाश चौधरी का यह बयान इसलिए भी काफी मायने रखता है, क्योंकि किसानों के मसले का समाधान तलाशने और आंदोलन समाप्त कराने के प्रयास के तहत अगले दिन शुक्रवार को सरकार के साथ किसान नेताओं की आठवें दौर की अहम वार्ता होने जा रही है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नए कृषि कानून किसानों के हितों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं, फिर भी किसानों को अगर कोई आपत्ति है तो सरकार उनकी आपत्ति व संदेह को दूर करने के लिए कानून में संशोधन करने को तैयार है।
आंदोलनरत किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नए कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने आईएएनएस से कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी किसान विरोधी नहीं हो सकते। अब बात आती है सरकार की नीतियों की, तो मैं खुद एक किसान का बेटा हूं और मैंने खेती को जिया है। हल चलाने से लेकर फसले बोने तक मैं खेती-किसानी की हर बारीकी को जानता हूं, क्योंकि खुद मैंने वर्षो तक खेत में काम किया है। हमने कानूनों का समर्थन करने वाले और विरोध करने वाले, दोनों ही तरह के किसानों से मुलाकात की है। मुझे यकीन है कि आंदोलन कर रहे किसान यूनियन किसानों के हितों का खयाल रखेंगे और वे तत्परता के साथ समाधान में लगे हुए हैं।"
कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि कोरोना काल के भयंकर संकट के बावजूद कृषि क्षेत्र की विकास दर उत्साहवर्धक रही है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार भारतीय कृषि को वैश्विक बाजार से जोड़ने की दिशा में काम करने के साथ ही संकट से घिरे कृषि क्षेत्र को सुधारों के जरिये नई ऊंचाई पर पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए व्यापक योजनाएं लागू की हैं, जिसका लक्ष्य 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करना है।
कैलाश चौधरी ने कहा कि जहां तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद का सवाल है तो सरकार इसके लिए लिखित में आश्वासन देने को तैयार है, इसलिए इसमें किसी प्रकार की भ्रांति नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पराली दहन से संबंधित अध्यादेश को लेकर किसानों की जो आपत्ति थी और बिजली अनुदान को लेकर जो आशंका थी, सरकार ने दोनों विषयों पर किसानों की बात मान ली है। इसलिए किसानों के मन में अब यह शंका नहीं होनी चाहिए कि मोदी सरकार किसानों के हितों को कभी नजरंदाज कर सकती है। (आईएएनएस)
आशीष श्रीवास्तव
नई दिल्ली, 7 जनवरी | देश में कोविड -19 के खिलाफ बहुप्रतीक्षित टीकाकरण कार्यक्रम 12 जनवरी से शुरू होने की उम्मीद है। सरकारी सूत्रों ने आईएएनएस को यह जानकारी दी।
वैक्सीन वितरण में शामिल एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "सभी संभावनाओं को देखते हुए, कोविड टीकाकरण अभियान अगले सप्ताह की शुरुआत में शुरू होने की उम्मीद है। तैयारियों को देखते हुए, रोल-आउट 11 जनवरी या 12 जनवरी तक शुरू हो सकता है।"
सूत्रों ने यह भी बताया कि सरकार ने देश भर में स्थित विभिन्न हबों तक वैक्सीन की शीशियों को ले जाने की तैयारी शुरू कर दी है। वैक्सीन रोल-आउट कार्यक्रम में शामिल एजेंसियां गुरुवार और उसके बाद से वैक्सीन की शीशियों को भेजना शुरू कर देंगी।
अधिकारियों ने कहा, "डिस्पैच गुरुवार की देर शाम या शुक्रवार सुबह से शुरू होने की उम्मीद है।"
प्राप्त जानकारी के अनुसार, विनिर्माण इकाइयों से आने वाले टीकों को पुणे में केंद्रीय हब में ले जाया जाएगा। वहां से, उन्हें देश भर के विभिन्न स्थानों पर स्थित क्षेत्रीय केंद्रों में ले जाया जाएगा।
आईएएनएस को बताया गया कि हरियाणा में करनाल और दिल्ली, देश के उत्तरी भाग में टीकों के भंडारण और रोल-आउट के लिए क्षेत्रीय हब के रूप में काम करेगा। चेन्नई और हैदराबाद दक्षिण भारत में टीकों के वितरण के लिए क्षेत्रीय केंद्र के रूप में काम करेंगे। पूर्वी भाग के लिए, कोलकाता को वितरण बिंदु के रूप में नामित किया गया है, जबकि देश के पश्चिमी क्षेत्र में वितरण केवल सेंट्रल हब द्वारा कवर किया जाएगा।
हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, सिवाय इसके कि टीकाकरण की मंजूरी की तारीख से 10 दिनों के भीतर टीकाकरण अभियान शुरू हो जाएगा।
इस बीच, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ प्रोफेसर सुनीला गर्ग, जो दिल्ली में टीकाकरण को संभालने वाले टास्क फोर्स की एक प्रमुख सदस्य हैं, ने कहा कि सरकार को टीकाकरण अभियान 12 जनवरी तक शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि प्रारंभिक तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 7 जनवरी | भारत सरकार के स्वास्थ्य अधिकारियों का एक दल शुक्रवार को कोरोनावायरस के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर केरल का दौरा करेगा। टीम क्रमश शुक्रवार और शनिवार को कोट्टायम और अलाप्पुझा जिलों में स्थिति का अध्ययन करेगी।
टीम अगले सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री के.के शैलजा के साथ अपनी समीक्षा पर विस्तृत चर्चा करेगी। (आईएएनएस)
अब तक यही माना जाता रहा है कि यह वायरस शरीर के जिस जिस हिस्से में पहुंचता है, वहां ही नुकसान पहुंचाता है. लेकिन अब रिसर्चरों ने पाया है कि दिमाग में घुसे बिना भी कोरोना दिमाग को नुकसान पहुंचाता है.
नई दिल्ली, 7 जनवरी | कोरोना वायरस नाक या मुंह के रास्ते सांस की नली में पहुंचता है और वहां से फेफड़ों में घुस जाता है. यही वजह है कि कोरोना टेस्ट के लिए नाक या गले से सैंपल लिया जाता है. इसी कारण सांस में दिक्कत भी आती है. अधिकतर मौतों का कारण भी यही होता है कि फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं.
रिसर्चरों ने ऐसे 19 लोगों के मस्तिष्क पर शोध किया जिनकी मौत कोविड-19 के कारण हुई है. इन्होंने पहले शरीर की उन कोशिकाओं पर ध्यान दिया जिन्हें कोरोना वायरस के कारण सबसे ज्यादा नुकसान होता है. इसमें ओल्फैक्ट्री बल्ब शामिल है जो गंध को समझने के लिए जिम्मेदार होता है. इसके बाद उन्होंने ब्रेनस्टेम की जांच की, जो सांस लेने और दिल के धड़कने का काम कराता है.
19 में 14 मरीजों में ये दोनों या फिर इनमें से किसी एक को नुकसान हुआ था. किसी मरीज में दिमाग के इन हिस्सों की रक्त कोशिकाएं जम गई थीं, तो किसी में कोशिशकाओं में लीकेज देखा गया. दिमाग में जहां जहां भी ऐसा लीकेज मिला, वहां इम्यून सिस्टम में खराबी भी दर्ज की गई. लेकिन रिसर्चर ये देख कर हैरान थे कि इस सारे नुकसान के बावजूद वहां वायरस बिलकुल भी मौजूद नहीं था.
द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी इस रिपोर्ट में डॉ अवींद्र नाथ ने लिखा है, "हम भौचक्के रह गए." अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स एंड स्ट्रोक के डॉक्टर नाथ ने बताया कि उनकी रिसर्च टीम ने दिमाग में जिस तरह का नुकसान देखा, वैसा आम तौर पर स्ट्रोक या फिर न्यूरो-इंफ्लेमेटरी रोगों में ही देखा जाता है, "अब तक हमारे नतीजे यह दिखाते हैं कि शायद यह नुकसान सार्स-कोव-2 वायरस ने सीधे तौर पर नहीं किया है. भविष्य में हम यह पता लगाने की योजना बना रहे हैं कि कोविड-19 किस तरह से मस्तिष्क की रक्त कोशिकाओं पर असर करता है और क्या इससे मरीजों में छोटे और लंबे समय के अलग अलग लक्षण पैदा होते हैं."
महामारी के दौरान ज्यादा गिर रहे हैं बाल
एक अन्य शोध में यह भी पाया गया है कि कोरोना महामारी के दौरान न्यूयॉर्क शहर में लोगों के बाल पहले से ज्यादा झड़ रहे हैं. शहर के एक ऐसे इलाके में जहां अश्वेत लोगों की आबादी अधिक है, वहां बालों के रोग टेलोजेन इफ्लूवियम (टीई) में 400 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. यह शोध अमेरिका के जर्नल ऑफ द अमेरिकन अकैडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी में छपा है. इसके अनुसार नवंबर 2019 से फरवरी 2020 के बीच टीई के मात्र 0.4 प्रतिशत ही मामले थे, जबकि अगस्त तक यह बढ़कर 2.3 प्रतिशत हो चुका था.
रिपोर्ट में लिखा गया है, "अभी यह साफ नहीं है कि टीई की असली वजह कोरोना महामारी के कारण लोगों में मनोवैज्ञानिक रूप से हुए बदलाव हैं या फिर यह अत्यंत भावुक तनाव का नतीजा है." डॉक्टरों का कहना है कि अकसर किसी सदमे के करीब तीन महीने बाद लोगों में टीई के लक्षण दिखते हैं. ऐसे में मुमकिन है कि न्यूयॉर्क में बड़े स्तर पर कोरोना फैलने से लोगों को भीषण तनाव हुआ हो, जिसके तीन महीने बाद बाल गिरने के मामलों में वृद्धि देखी गई.
आईबी/एके (रॉयटर्स)
भारत में 25 फरवरी को 'गौ-विज्ञान' पर राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा आयोजित की जाएगी. परिक्षा का आयोजन गौ-कल्याण के लिए काम करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई संस्था राष्ट्रीय कामधेनु आयोग करेगा.
आयोग के अध्यक्ष वल्लभभाई कठीरिया ने बताया कि परीक्षा एक घंटे लंबी और निशुल्क होगी और इसमें बच्चे, वयस्क और विदेशी नागरिक भी हिस्सा ले पाएंगे. परीक्षा में 100 बहु-विकल्प वाले सवाल पूछे जाएंगे. सवाल हिंदी, अंग्रेजी और 12 प्रांतीय भाषाओं में पूछे जाएंगे. कठीरिया के अनुसार परीक्षा का उद्देश्य गाय के बारे में आम लोगों के ज्ञान के स्तर के बारे में पता लगाना और उन्हें "सिखाना और संवेदनशील बनाना" है.
परीक्षा में भाग लेने वाले सभी व्यक्तियों को सर्टिफिकेट दिए जाएंगे और सफल परीक्षार्थियों को इनाम भी दिए जाएंगे. कठीरिया का कहना है, "गाय के अंदर विज्ञान और अर्थशास्त्र भरा हुआ है. लोग इस पशु के सच्चे आर्थिक और वैज्ञानिक मूल्य के बारे में नहीं जानते हैं." कामधेनु आयोग ने इस परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम भी जारी किया. इसमें गाय की अलग अलग नस्लों पर जानकारी और जानवरों को मारने से भूकंप आता है जैसी धारणाएं भी शामिल हैं.
भारत के बहुसंख्यक हिन्दू समाज में कई लोग गाय को पूज्य मानते हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद गाय राजनीतिक और संप्रदायवादी झगड़ों का कारण बन गई है. मोदी सरकार ने गायों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी हुई है और उसे बचाने और उसके गोबर और मूत्र के इस्तेमाल पर शोध पर लाखों रुपए खर्च कर दिए हैं.
सांस्कृतिक विविधता और संवैधानिक तौर पर धर्म-निरपेक्षता की नीति में विश्वास करने वाले देश के कई हिस्सों में गाय को मारना और बीफ खाना गैर-कानूनी बना दिया गया है, जब कि कहीं पर इसके खिलाफ मिलने वाली सजा को बढ़ा दिया गया है. कानून को अपने हाथ में लेने वाले कई हिंदूवादी संगठनों ने मुसलमानों और तथाकथित नीची-जाति वाले हिन्दुओं पर कई हमले किए हैं क्योंकि ये समूह या तो पारंपरिक रूप से बीफ खाते रहे हैं या मरी हुई गायों के कंकालों को ठिकाने लगाते रहे हैं.
मंगलवार 5 जनवरी 2021 को कर्नाटक में गौ संरक्षण कानून में बदलाव करके पुलिस को गौ-हत्या का शक होने पर कहीं भी तलाशी लेने और किसी को भी गिरफ्तार करने की और शक्तियां दी गई हैं. राज्य में बीजेपी की सरकार है जिसने इस कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए सजा को बढ़ाकर सात साल कारावास और जुर्माने को बढ़ा कर 10 लाख रुपये कर दिया है.
सीके/एए (एएफपी)
नई दिल्ली, 7 जनवरी | नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ज्ञानार्जन के अवसरों के लिए उच्च शिक्षा में अंर्तविषयी अध्ययन और एकीकृत पाठ्यक्रम पर जोर देती है। इसका उद्देश्य मूल्य-आधारितसमग्र शिक्षा प्रदान करना और वैज्ञानिक स्वभाव का विकास करना है। साथ ही भारत के युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है। यह बात गुरुवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कही। दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय अखंड कॉन्फ्रेंस 'एडुकॉन 2020' को संबोधित करते हुए निशंक ने कहा, "21वीं सदी को पूरे विश्व में ज्ञान की सदी के रूप में जाना जाता है। अखण्ड अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का यह प्रयास सराहनीय है। निश्चित तौर पर यह सम्मलेन हमें इस बात का बोध कराता है कि किसी भी समस्या के निराकरण हेतु उच्च शिक्षा का विशेष महत्व है।"
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के लिए उपयुक्त और प्रासंगिक विषय चुनने के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी पंजाब के कुलपति प्रोफेसर राघवेंद्र प्रसाद तिवारी को बधाई दी। उन्होंने कहा, "हमें अपने छात्रों के साथ-साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कार्यान्वयन के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। यह नीति सभी प्रकार से क्रांतिकारी है, क्योंकि यह प्राथमिक स्तर पर मातृ-भाषा को बढ़ावा देने और माध्यमिक स्तर पर छात्रों के लिए व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने जैसे कई पहलुओं पर केंद्रित है।"
उन्होंने आगे कहा कि यह नीति शिक्षण प्रक्रिया में तकनीकी के और अधिक उपयोग के लिए रूपरेखा तैयार करने, ऑनलाइन पाठ्यक्रम सामग्री के विकास, अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की शुरूआत और राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच की स्थापना सरीखे नवीन सुधारों पर जोर देती है। यह वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में भारतीय विद्वानों को लाभान्वित करेगी। (आईएएनएस)
गुरुग्राम, 7 जनवरी | किसानों ने गुरुवार को तीन कृषि कानूनों के विरोध में कुंडली-मानेरस-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे पर मार्च निकालने का फैसला किया था, लेकिन बाद में उन्होंने अपने मार्च को टिकरी बार्डर की ओर स्थानांतरित कर दिया। केएमपी एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर मार्च का आह्वान संयुक्ता किसान मोर्चा द्वारा दिया गया था, जो कि दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसान संघों का संगठन है।
पहले उन्होंने धनसा से मानेसर तक रैली निकालने की पुष्टि की थी, लेकिन बाद में मानेसर के बजाय टिकरी सीमा पर रैली का समापन करने का फैसला किया।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अध्यक्ष वीरेंद्र डागर ने कहा, "पहले हमारे पास धनसा से मानेसर तक विरोध की योजना थी, लेकिन बाद में धनसा और टिकरी के बीच मार्ग बदल दिया गया।
ट्रैक्टर रैली के मद्देनजर गुरुग्राम और दिल्ली पुलिस ने सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी थी।
हालांकि, यहां के स्थानीय नेताओं ने गुरुवार को चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में एक ट्रैक्टर मार्च निकाला। उन्होंने दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेस-वे पर राजीव चौक के पास सभी सर्विस लेन को 20 मिनट के लिए बंद कर दिया, जिससे जेल रोड, सोहना रोड और सिविल लाइंस में यातायात की आवाजाही बाधित हुई।
किसानों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर पुलिस की जांच के कारण भी दिल्ली-गुरुग्राम सीमा में भी ट्रैफिक धीमा रहा।
एसपी(क्राइम) प्रीत पाल सानवान ने कहा, "हमने गुरुग्राम में यातायात को सुगम बनाने के लिए अतिरिक्त बल के साथ कई पुलिसकर्मियों को तैनात किया है। इसके अलावा, हम किसी भी किसान को केएमपी ई-वे पर ट्रैक्टर मार्च आयोजित करने से नहीं रोकेंगे, लेकिन किसी को भी कानून और व्यवस्था का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।" (आईएएनएस)
जम्मू, 7 जनवरी | एक बड़े फैसले में केंद्र सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर के लिए नई औद्योगिक विकास योजना को मंजूरी दे दी है, जो इस क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास के युग की शुरुआत करने के साथ ही लोगों की आकांक्षाओं को भी पूरा करती है। गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा ने योजना का विवरण देते हुए कहा कि इस योजना से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था काफी मजबूत होगी और इससे लोगों को रोजगार के बड़े अवसर मिलेंगे।
योजना का मुख्य उद्देश्य विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों में सरकारी नौकरियों से परे रोजगार के अवसर पैदा करना है। इससे क्षेत्र का सामाजिक व आर्थिक विकास होगा।
सिन्हा ने कहा कि इस योजना को इस दृष्टि से कार्यान्वित किया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के उद्योग और सेवा-आधारित विकास को नए निवेश आकर्षित करने और मौजूदा लोगों को पोषण करने के लिए रोजगार सृजन, कौशल विकास और सतत विकास पर जोर देने की आवश्यकता है।
यह योजना वर्ष 2037 तक 28,400 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ अनुमोदित है। (आईएएनएस)
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), 7 जनवरी | इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य के औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) के मुख्य अभियंता अरुण कुमार मिश्रा की जमानत याचिका खारिज कर दी है। मिश्रा पर जनता के पैसे के दुरुपयोग का आरोप है। मिश्रा को बीते वर्ष 26 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था और आरोप है कि उन्होंने सड़क निर्माण के लिए सरकारी खजाने से एक करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया, जबकि वास्तव में कोई काम नहीं हुआ था।
जमानत अर्जी को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति ओम प्रकाश ने कहा, "यह रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि सड़क निर्माण के संबंध में सरकारी खजाने (सार्वजनिक धन) से आवेदक द्वारा भुगतान किया गया था, जबकि वास्तव में कोई काम नहीं किया गया था।"
अदालत ने आगे कहा कि "मामले के पूरे तथ्यों और अपराध के सबूत, अभियुक्त की जटिलता और मामले की योग्यता को ध्यान में रखते हुए, अदालत का विचार है कि आवेदक जमानत के लिए योग्य नहीं है।"
इससे पहले, आवेदक के वकील ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि आवेदक ने अपराध नहीं किया है।
उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में एफआईआर वर्ष 2012 में दर्ज की गई थी और आवेदक का नाम एफआईआर में नहीं था। लगभग आठ साल के अंतराल के बाद, उन्हें 26 अक्टूबर, 2020 को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था।
उन्होंने कहा कि इंजीनियरों द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के आधार पर सड़क के निर्माण के लिए भुगतान किया गया था। तीसरे पक्ष का निरीक्षण भी किया गया। इसलिए, इस मामले में आवेदक किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है।
ट्रायल कोर्ट ने अपर्याप्त सबूतों के आधार पर आवेदक की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
उनके वकील ने कहा कि आवेदक का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। वह 26 अक्टूबर, 2020 से जेल में बंद है और अगर वह जमानत पर रिहा हो जाता है, तो वह जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा और मुकदमे में सहयोग करेगा।
दूसरी ओर, राज्य सरकार के लिए पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता कृष्णा पहल ने जमानत के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि वास्तव में इस मामले में सड़क के निर्माण के संबंध में धन जारी की गई थी, लेकिन निर्माण नहीं किया गया था।
यह भी प्रस्तुत किया जाता है कि यद्यपि आवेदक का नाम एफआईआर में नहीं है, फिर भी जांच के दौरान उसकी संलिप्तता सामने आई। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 7 जनवरी | तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का गुरुवार को हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में डायाग्नोस्टिक टेस्ट किया गया। सिकंदराबाद के यशोदा अस्पताल के डॉक्टरों ने 66 वर्षीय राव पर एमआरआई, सीटी स्कैन और अन्य परीक्षण किए।
मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, राव ने फेफड़ों में जलन की शिकायत की थी।
उनके निजी चिकित्सकों ने उनका प्रारंभिक परीक्षण किया।
उन्होंने मुख्यमंत्री को यशोदा अस्पताल में एमआरआई, सीटी स्कैन और अन्य परीक्षणों से गुजरने की सलाह दी।
इससे पहले दिन में मुख्यमंत्री ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति हेमा कोहली के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था।
यह समारोह राजभवन में आयोजित किया गया, जहां राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन ने नए मुख्य न्यायाधीश को शपथ दिलाई। (आईएएनएस)
कोयंबटूर, 7 जनवरी | जाने-माने फैशन डिजाइनर सत्य पॉल का स्ट्रोक आने के चलते तमिलनाड़ु के कोयंबटूर में निधन हो गया है। वह 79 साल के थे। कपड़ों के मशहूर ब्रांड 'सत्य पॉल' के मालिक पॉल ने गुरुवार को यहां स्थित ईशा योग सेंटर में अपनी आखिरी सांस लीं।
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने ट्विटर पर इसकी पुष्टि करते हुए लिखा, "सत्य पॉल असीम उत्साह और अनेक व्यस्तताओं के साथ जीने वाले एक शख्स का बेहतर उदाहरण हैं। भारतीय फैशन उद्योग में आपके द्वारा लाया गया विशिष्ट ²ष्टिकोण आपके प्रति एक खूबसूरत श्रद्धांजलि है। हमारे बीच आपका होना एक सौभाग्य है। संवदेदना और आशीर्वाद।"
पॉल के बेटे पुनीत नंदा ने फेसबुक पर अधिक जानकारी साझा करते हुए लिखा, "2 दिसंबर को उन्हें एक स्ट्रोक आया था। अस्पताल में रहकर वह धीरे-धीरे ठीक हो रहे थे। उनकी हमेशा यही इच्छा रही थी कि उन पर रखी जा रही निगरानी या किसी भी तरह की रोक-टोक (अस्पताल में) से उन्हें मुक्ति दिलाई जाए, ताकि वह पुन: अपने घर वापस जा सके। हमें भी आखिरकार चिकित्सकों से उन्हें ईशा योग सेंटर में वापस भिजवाने की मंजूरी मिल गई, जहां वह साल 2015 से रह रहे हैं।" (आईएएनएस)
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 7 जनवरी | बिहार में सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) अब अपना विस्तार उत्तर प्रदेश में भी करने जा रही है। यूपी में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव 2022 में जदयू भी ताल ठोकने की तैयारी में है। जनवरी माह की 23-24 तारीख को जननायक कपर्ूी ठाकुर की जयंती पर लखनऊ में एक समारोह में इसका आगाज होगा।
इसका पूरा जिम्मा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी को दिया है। त्यागी यूपी एवं बिहार से चार बार सांसद रह चुके हैं। उनके पास पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, वी.पी. सिंह, मुलायम सिंह यादव समेत कई वरिष्ठ नेताओं के साथ यूपी में काम करने का अनुभव रहा है। संगठन की क्षमता भी है। दरअसल, यूपी में पार्टी अपने हर तरह के समीकरण का आकलन कर रही है।
त्यागी ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) 2022 में यूपी का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। अगर भाजपा गठबंधन करेगी तो ठीक है। वरना हम अकेले ही मैदान में उतरेंगे। इसके अलावा अन्य किसी भी दल से अभी ताल-मेल करने की नहीं सोच रहे हैं।
उन्होंने बताया कि यूपी में पहले भी हमारे एमपी एमएलए रह चुके हैं। 2004 में मैं खुद भी चुनाव लड़ चुका हूं। जॉर्ज फर्नान्डिस जब एनडीए के कन्वीनर थे, तब हमारे कई मंत्री भी थे। बाद मे राजग से हमारा गठबंधन टूट गया। टूट फूट में हमारी पार्टी कमजोर हो गयी। गठबंधन नहीं हो पाया। हलांकि 2017 में पार्टी ने माहौल गर्म किया था। नीतीश कुमार दर्जनों सभाएं भी की थी। लेकिन बाद में पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि यूपी का बड़ा हिस्सा जो बिहार से सटा है। वहां पर हमारी पार्टी के विस्तार की बड़ी संभावना है। 23 और 24 को राज्य कार्यकारिणी की बैठक है। इसमें जिलाध्यक्ष भी भाग लेंगे। इस दिन कपर्ूी ठाकुर का जन्मदिन है। वह समाजिक न्याय आन्दोलन के बड़े नेता रहे हैं। बिहार में एक प्रयोग किया गया था 'कोटा विदिन कोटा' जो पिछड़ी जातियों में जो अति पिछड़ी जातियां हैं उनको आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। लिहाजा उनको कोटे के अंदर कोटा दिया जाए। इसके लिए मांग की है। बिहार में नीतीश कुमार ने इसे लागू भी किया है। इसके अलावा किसानों के सवाल हैं। पुराने समाजवादी आंदोलन की हेरीटेज भी यूपी में है। इन्हीं सब बातों का ध्यान में रखते हुए पार्टी अपनी रणनीति बना रही है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि जदयू चाहती है कि बिहार से सटे यूपी के जिले में अपनी पैठ बनी रहे। भोजपुरी भाषी लोगों के बीच पार्टी अपना संपर्क का दायरा बढ़ाकर अपनी पहुंच बनाना चाहती है। पिछले एक दशक से पार्टी यह प्रयास कर रही है। लेकिन अभी इसमें ज्यादा सफलता नहीं मिली है। हलांकि यहां पर जेडीयू का कोई संगठन नहीं है। इसीलिए अभी इसके कोई राजनीतिक निहितार्थ निकालने के कोई मायने नहीं है। (आईएएनएस)
यूपी, 7 जनवरी | कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 43वें दिन भी जारी है। किसानों और सरकार के बीच अभी तक इस मसले पर कोई हल नहीं निकल सका है। विरोध प्रदर्शन को आगे बढ़ाते हुए किसानों ने गुरुवार को ट्रैक्टर मार्च निकाला। वहीं मार्च के दौरान जब किसानों को भूख लगी तो ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर ही किसानों ने अपना लंगर शुरू कर दिया। दरअसल किसानों के ट्रैक्टर मार्च में अलग से गाड़ियों में किसानों के लिए खाने का इंतजाम किया गया है। इन गाड़ियों में पानी की व्यवस्था, खाने के लिए रोटी सब्जी और फल रखे गए हैं।
किसानों के एक जत्थे ने ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर ही अन्य किसान भाइयों के लिए खाने की व्यवस्था करते हुए बीच मार्ग पर ही लंगर सेवा शूरु कर दी। किसानों ने जमीन पर बैठ कर खाना खाया और फिर अपने अन्य साथियों के मार्च में शामिल हो गए।
दरअसल गुरुवार सुबह 11 बजे गाजीपुर से किसान नेशनल हाईवे-24 से होकर डासना से पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से पलवल पहुंचे। हालांकि इस मार्च को देखते हुए पुलिस प्रसाशन भी सख्त दिखा।
प्रशासन द्वारा किसानों के इस मार्च पर पूरी नजर बनी रही, पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी भी किसानों के साथ इस मार्च में साथ साथ चलते रहे। (आईएएनएस)
प्रमोद कुमार झा
नई दिल्ली, 7 जनवरी (आईएएनएस)| कोरोना की मार से देश की पोल्ट्री इंडस्ट्री अब तक पूरी तरह उबर भी नहीं पाई थी कि अब बर्ड फ्लू के प्रकोप का शिकार बन गई है। बर्ड फ्लू के हालिया प्रकोप की खबर के बाद देश में चिकन और अंडे की मांग करीब 60 फीसदी घट गई है जिसका असर इनके दाम पर तो पड़ा ही है, पोल्ट्री कारोबार से जुड़ी कंपनियों के शेयर में भी बीते दो दिनों में गिरावट आई है।
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट रमेश खत्री ने आईएएनएस को बताया कि बीते दो दिनों में पोल्ट्री उत्पाद यानी चिकन और अंडे की मांग करीब 60 फीसदी गिर गई है जिससे इनकी कीमतों पर दबाव बना हुआ है। उन्होंने बताया कि बीते हफ्ते जहां एक बर्ड यानी मुर्गा का थोक भाव 100 रुपये किलो था, वो अब घटकर 60 रुपये प्रति किलो पर आ गया है।
बर्ड फ्लू की रिपोर्ट मध्यप्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और केरल में आई है जहां मुर्गों में अब तक बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन चिकन और अंडे की बिक्री पर पूरे देश में असर पड़ा है।
बिहार के सीवान जिले के पोल्ट्री फार्म संचालक दूध किशोर सिंह ने बताया कि तीन दिन पहले तक अंडे का भाव 570 से 585 रुपये प्रति सैकड़ा था जो घटकर बुधवार को 535 रुपये प्रति सैकड़ा पर आ गया है और अभी बिक्री तकरीबन ठप पड़ गई है जिससे कीमतों में और गिरावट हो सकती है। उन्होंने बताया कि बर्ड फ्लू के डर से खुदरा विक्रेता चिकन और अंडे नहीं खरीद रहे हैं क्योंकि उनकी भी बिक्री नहीं हो रही है।
यही नहीं, पोल्ट्री कारोबार से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में भी बीते दो दिनों से गिरावट आई है। भारत में पोल्ट्री कारोबार से जुड़ी एक बड़ी कंपनी वेंकी का शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर गुरुवार दोपहर हालांकि 1.45 बजे बीते सत्र से 0.36 फीसदी की रिकवरी के साथ 1,565 रुपये प्रति शेयर पर बना हुआ था जबकि इससे पहले 1,524.80 रुपये पर खुलने के बाद 1,495.10 रुपये तक लुढ़का। मौजूदा भाव को भी देखें तो दो दिनों में कंपनी के शेयर में 100 रुपये से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) से नमूनों की पुष्टि होने के बाद चार राज्यों में 12 जगहों पर बर्ड फ्लू यानी एवियन एन्फ्लूएंजा (एआई) की रिपोर्ट आई है जबकि हरियाणा के बरवाला में भी बीते 25 दिनों में 43,0267 पक्षियों की मौत हुई है और परीक्षण के लिए नमूने प्रयोगशाला में भेजे गए हैं मगर परीक्षण के नतीजे नहीं आए हैं। यह जानकारी केंद्रीय पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी मंत्रालय ने बुधवार को दी।
राजस्थान में बारां, कोटा और झालावार में कौव्वों में बर्ड फ्लू की रिपोर्ट है वहीं, मध्यप्रदेश के मंदसौर, इंदौर और मालवा में भी कौव्वों में ही बल्र्ड फ्लू की रिपोर्ट है। जबकि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में प्रवासी पक्षियों में बर्ड फ्लू की रिपोर्ट है। दक्षिण भारत स्थित केरल के कोट्टायम और आलापुझा में चार जगहों पर पोल्ट्री डक यानी घरेलू बत्तख में बर्ड फ्लू की रिपोर्ट है।
मंत्रालय के अनुसार इन राज्यों में बर्ड फ्लू की रोकथाम के उपायों को अमल में लाया जा रहा है जिसके तहत पक्षियों को मारने का काम जारी है। इसके अलावा अन्य राज्यों को भी पक्षियों की असमान्य मौत पर निगाहें रखने और आवश्यक कदम उठाने के लिए शीघ्र रिपोर्ट करने को कहा गया है।
मंत्रालय की ओर से एक बात और स्पष्ट की गई है कि संदूषित पोल्ट्री उत्पाद खाने से मानव में एआई वायरस के संचरित होने का कोई सीधा प्रमाण नहीं है। हालांकि सफाई व स्वच्छता बनाए रखना और रसोई बनाने व प्रसंस्करण के मानक एआई वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए प्रभावकारी है।
नई दिल्ली, 7 जनवरी | केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन गुरुवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 8 जनवरी को कोविड-19 वैक्सीन के देशव्यापी ड्राइ रन की तैयारी को लेकर समीक्षा कर रहे हैं। केंद्र सरकार देशभर में कोविड-19 वैक्सीन के रोलआउट के लिए कमर कस रही है। उत्तर प्रदेश और हरियाणा को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 700 से अधिक जिलों में अब शुक्रवार को ड्राई रन का एक और दौर आयोजित किया जाएगा।
प्रत्येक जिला तीन प्रकार के सत्र स्थलों की पहचान करेगा, जो पिछले ड्राई रन के समान है, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा जैसे जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज, निजी स्वास्थ्य सुविधा और ग्रामीण या शहरी आउटरीच साइट शामिल हैं।
मॉक ड्रिल के माध्यम से कोविड-19 रोलआउट के सभी पहलुओं पर राज्य, जिला, ब्लॉक और अस्पताल स्तर के अधिकारियों को परिचित कराया जाएगा।
यह गतिविधि प्रशासकों को नियोजन, कार्यान्वयन और रिपोटिर्ंग मेकैनिज्म के बीच संबंधों को मजबूत करने, वास्तविक कार्यान्वयन से पहले किसी भी संभावित चुनौतियों की पहचान करने और वैक्सीनेशन अभियान के सुचारू क्रियान्वयन के लिए सभी स्तरों पर कार्यक्रम प्रबंधकों को विश्वास प्रदान करने में मदद करेगी।
संपूर्ण वैक्सीनेशन प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा वैक्सीन स्टॉक की वास्तविक जानकारी, उनके भंडारण के तापमान और कोविड-19 वैक्सीन के लिए लाभार्थियों के व्यक्तिगत ट्रैकिंग के लिए एक सॉफ्टवेयर को-विन विकसित किया गया है।
यह सॉफ्टवेयर वैक्सीनेशन सत्रों के संचालन में सभी स्तरों पर कार्यक्रम प्रबंधकों की सहायता करेगा। इसके साथ ही को-विन ऐप के यूजर्स के तकनीकी प्रश्नों के लिए एक समर्पित 24 घंटे चलने वाला कॉल सेंटर भी स्थापित किया गया है।
कोविड-19 वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू करने के लिए वॉक-इन-फ्रीजर, वॉक-इन-कूलर, आइस-लाइन्ड रेफ्रिजरेटर, डीप फ्रीजर के साथ-साथ सिरिंज और अन्य लॉजिस्टिक्स की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की गई है।
वैक्सीनेशन स्थलों पर इस प्रक्रिया में लगभग 1.7 लाख वैक्सीनेटर और तीन लाख वैक्सीनेशन टीम के सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है, जिसमें लाभार्थी सत्यापन, वैक्सीनेशन, कोल्ड चेन और लॉजिस्टिक्स प्रबंधन, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन, एईएफआई प्रबंधन और को-विन सॉफ्टवेयर की रिपोटिर्ंग शामिल है।
कोविड-19 वैक्सीन रोल-आउट के सभी पहलुओं पर विस्तृत परिचालन दिशानिर्देश (सत्र नियोजन और प्रबंधन, सेशन साइट लेआउट और इसके संगठन, एईएफआई प्रबंधन, आईईसी मैसेज, संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण प्रैक्टिस आदि शामिल हैं) पहले ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा किए जा चुके हैं।
बीते 2 जनवरी को लगभग सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने देश के दूरदराज इलाकों सहित कई लाखों लोगों को दिए जाने वाले वैक्सीनेशन के संबंध में जागरूक और प्रशिक्षित करने के संबंध में अधिकारियों की क्षमता और तत्परता का आकलन करने के लिए 125 जिलों में फैले 285 सत्र स्थलों पर ड्राई रन का आयोजन किया था।
वहीं पहला ड्राई रन 28 और 29 दिसंबर को आंध्र प्रदेश, राजकोट और गुजरात के गांधीनगर जिले, पंजाब के लुधियाना और पंजाब के शहीद भगत सिंह नगर और असम के सोनितपुर और नलबाड़ी जिलों में आयोजित किया गया था।
केंद्र सरकार ने ड्राइव के पहले चरण में लगभग 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की योजना बनाई है। यह एक करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ, 2 करोड़ फ्रंटलाइन और आवश्यक वर्कर्स और 27 करोड़ बुजुर्गों को दिया जाएगा, इनमें ज्यादातर वो लोग शामिल हैं, जो किसी तरह के बीमारी से ग्रसित हैं, या जिनकी उम्र 50 साल से अधिक है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को घोषणा की कि 13 जनवरी तक वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया जाएगा। (आईएएनएस)
आशीष श्रीवास्तव
नई दिल्ली, 7 जनवरी (आईएएनएस)| हैदराबाद स्थित वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने अपने कोविड वैक्सीन, कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षणों के लिए स्वयंसेवकों की भर्ती गुरुवार को संपन्न कर ली है। कंपनी ने कुल स्वयंसेवकों की लक्षित संख्या हासिल कर ली है, जो कुल 25,800 प्रतिभागियों की हैं।
इस भर्ती का समापन 31 दिसंबर तक होना था, लेकिन उस समय 4,000 स्वयंसेवकों की कमी के कारण इसे एक सप्ताह बढ़ा दिया गया था।
सामुदायिक चिकित्सा के प्रमुख और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ट्रायल के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर संजय कुमार राय ने आईएएनएस को बताया कि चरण के अध्ययन के लिए भर्ती अभी बंद है।
निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हैदराबाद में कोवैक्सिन के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के मुख्य इंवेस्टिगेटर डॉ. सी. प्रभाकर रेड्डी ने कहा कि कुछ साइट कुछ संख्याओं की वजह से अपने अपने व्यक्तिगत लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाए।
उन्होंने कहा, हालांकि, जिन साइटों ने अपना लक्ष्य हासिल किया, उन्होंने इसके लिए मुआवजा दिया गया।
जबकि कई साइटों ने चरण 3 के अध्ययन के लिए स्वयंसेवकों को खोजने के लिए संघर्ष किया, कुछ साइटों ने उन्हें बहुतायत में पंजीकृत किया। एम्स पटना ने कौवैक्सीन के लिए क्लिनिकल साइटों के लिए तय 1000 व्यक्तिगत लक्ष्य के बावजूद लगभग 1,400 विषयों को लिया।
आईएएनएस ने पहले बताया था कि एम्स दिल्ली और कई अन्य क्लिनिकल साइट स्वयंसेवकों की कमी का सामना कर रहे हैं क्योंकि लोग इस अभ्यास में भाग लेने के लिए तैयार नहीं थे।
कोवैक्सीन के तीसरे चरण के अध्ययन के लिए शुरू में देशभर में 25 क्लिनिकल साइटों का चयन किया गया था, लेकिन स्वयंसेवकों की संख्या की कमी की वजह से दिसंबर के आखिरी महीने में इसकी संख्या को बढ़ाया गया।
गोवा के रेडकर अस्पताल में परीक्षण के को-इंवेस्टिगेटर डॉ. धनंजय लाड ने आईएएनएस को बताया कि परीक्षण लगभग 30 क्लिनिकल साइटों तक बढ़ाया गया है।
उन्होंने कहा, कई कारणों की वजह से कुछ साइटों को भी हटा दिया गया था। इसका एक कारण यह था कि यहां प्रतिभागियों की न्यूनतम संख्या भी पूरी नहीं हो पा रही थी।"
कोवैक्सीन को भारत के ड्रग रेगुलेटर द्वारा प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी गई है। हालांकि वैक्सीन की प्रभावकारिता का निर्धारण किया जाना बाकी है, लेकिन इसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) द्वारा सार्वजनिक हित का हवाला देते हुए आगे बढ़ाया गया है।
चेन्नई, 7 जनवरी | कोविड-19 की चपेट में आए तमिलनाड़ु के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री आर. कामराज को जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। गुरुवार को एक निजी अस्पताल के अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है, जहां उन्हें भर्ती कराया गया था। अपने एक बयान में एमआईओटी हॉस्पिटल ने कहा कि आरटी-पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए कामराज को 5 जनवरी को ऑब्जर्वेशन के लिए एडमिट कराया गया था।
हॉस्पिटल ने कहा, "उनका सीटी स्कैन नॉर्मल है। उनमें किसी तरह का कोई लक्षण नहीं है, कमरे के वातारण में खुद को सहज महसूस कर रहे हैं और उन्हें किसी भी तरह से अलग से ऑक्सीजन दिए जाने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें जल्द ही डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।" (आईएएनएस)