राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 26 दिसंबर | सरकार डिजिटल मोड का उपयोग करके ऑनलाइन आवेदन करने वाले निवेशकों को अपनी आगामी गोल्ड बॉन्ड योजना में छूट देगी। इसी क्रम में, केंद्र, भारतीय रिजर्व बैंक के साथ परामर्श के साथ ही सदस्यता के लिए डिजिटल माध्यम का उपयोग करने वाले निवेशकों को इश्यू प्राइस से 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट देगा।
28 दिसंबर को खुलने वाली स्कीम में बॉन्ड का इश्यू प्राइस 5,000 रुपये प्रति ग्राम है। लेकिन छूट पाने वाले निवेशकों को 4,950 रुपये में बॉन्ड की सदस्यता लेने की अनुमति होगी। (आईएएनएस)
लखनऊ, 26 दिसम्बर | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में धान व गन्ना क्रय केंद्र के साथ गौ आश्रय स्थलों की निगरानी करने के वरिष्ठ अफसरों को निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री यहां लोक भवन में एक उच्चस्तरीय बैठक में विभिन्न विभागों के कार्यो की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नोडल अधिकारी जनपद में जाकर धान तथा गन्ना क्रय केंद्रों और गोआश्रय का निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि नोडल अधिकारीगण सम्बन्धित जनपद के गोआश्रय स्थलों की व्यवस्थाओं को देखें तथा विशेष वरासत अभियान के कार्यो का अनुश्रवण करें। उन्होंने नोडल अधिकारियों को किसानों से संवाद करने के निर्देश भी दिए हैं।
उन्होंने कहा कि नोडल अधिकारी जनपद स्तर पर विद्युत आपूर्ति व्यवस्था तथा किसानों को उपलब्ध कराई जा रही सिंचाई सुविधा की समीक्षा करें। उन्होंने निर्देश दिए कि नोडल अधिकारी भ्रमण के पश्चात आगामी मंगलवार की सांयकाल तक अपनी रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराएं।
योगी ने धान खरीद कार्य को पूरी सक्रियता से संचालित किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि धान क्रय केंद्रों पर अपनी उपज बेचने में किसानों को कोई असुविधा न हो। किसानों से धान की खरीद में कोई विलम्ब नहीं होना चाहिए तथा उन्हें उपज के मूल्य का भुगतान 72 घंटे के अन्दर सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 24 से 26 जनवरी, 2021 तक उत्तर प्रदेश दिवस का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर सम्पन्न किए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के सम्बन्ध में समय से सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित किए जाने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि अन्तर्विभागीय समन्वय के साथ उत्तर प्रदेश दिवस का आयोजन किया जाए।
योगी ने कहा कि माघ मेला एक महत्वपूर्ण आयोजन है। इसे प्रयागराज कुम्भ-2019 की भांति स्वच्छता, सुरक्षा एवं सुव्यवस्था के उच्च मापदण्डों के आधार पर आयोजित किया जाए। उन्होंने माघ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं विशेषकर कल्पवासियों व साधु-संतों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 26 दिसंबर | आयकर विभाग ने उत्तर-पूर्वी भारत के तीन प्रमुख ठेकेदारों के खिलाफ सर्च और सर्वे की कार्रवाई की, जिससे अब तक लगभग 100 करोड़ रुपये की अघोषित आय का खुलासा हुआ है। इनमें से एक समूह हॉस्पिटैलिटी बिजनेस में है। तलाशी दिल्ली और असम के गुवाहाटी, सिलापाथर और पाठसाला में 14 स्थानों पर की गई।
तीनों समूहों पर इस गतिविधि में असुरक्षित ऋण और कोलकाता स्थित शेल कंपनियों के प्रयोग का आरोप है।
विभाग ने एक बयान में कहा कि तीनों समूहों ने कथित तौर पर शुद्ध लाभ को भी छुपाया और गुवाहाटी और कोलकाता से बाहर इंट्री ऑपरेटरों के माध्यम से व्यापार में बेहिसाब कमाई की।
तलाशी के दौरान, यह पता चला कि जिन शेल कंपनियों से ऋण/प्रीमियम लिया गया था, वे केवल कागज पर मौजूद थे और उनका कोई वास्तविक व्यवसाय नहीं था।
पूछताछ करने पर इंट्री ऑपरेटरों ने स्वीकार किया कि शेल कंपनियों से समूहों के लिए असुरक्षित ऋण / शेयर प्रीमियम वास्तविक नहीं थे।
अब तक, 9.79 लाख रुपये के गहने और 2.95 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए हैं। 2 करोड़ रुपये से अधिक के शेष आभूषणों के अधिग्रहण के स्रोतों का अभी सत्यापन होना बाकी है।
विभाग ने कहा कि सर्च और सर्वे अभियान के दौरान अब तक लगभग 100 करोड़ रुपये की अघोषित आय का खुलासा हुआ है। एक लॉकर भी मिला है, जिसे खोला जाना बाकी है। (आईएएनएस)
पटना, 26 दिसम्बर | बिहार में शनिवार को 103 नई नगर पंचायत और आठ नए नगर परिषद बनाए गए। बिहार मंत्रिमंडल की शनिवार को हुई बैठक में 103 नए नगर पंचायत और आठ नए नगर परिषद के गठन को मंजूरी दी गई। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की हुई बैठक में वहीं 32 नगर पंचायत को नगर परिषद में अपग्रेड करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई तथा 12 नगर निकाय को अपग्रेड किया गया है। इसके अलावा पांच नगर परिषद को नगर निगम में भी परिवर्तित किया गया है।
बैठक में नगर परिषद, सासाराम, नगर परिषद, मोतिहारी सहित बेतिया, समस्तीपुर और मधुबनी नगर परिषद को नगर निगम में बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
बैठक में जिन 103 नगर पंचायत बनाए जाने के प्रस्ताव की स्वीकृति दी गई है, उसमें पटना के पुनपन और पालीगंज तथा नालंदा जिले के हरनौत, सरमेरा, रहुई, परवलपुर, गिरियक, अस्थावां, एकंगरसराय व चंडी शामिल हैं।
32 नगर पंचायतों के नगर परिषद में बदलने वाले क्षेत्रों में नालंदा की राजगीर नगर पंचायत अब नगर परिषद में बदल जाएगी, जबकि भोजपुर का पीरो, रोहतास का नोखा, पूर्वी चंपारण का चकिया व रामनगर नगर पंचायत अब नगर परिषद होंगे।
उल्लेखनीय है कि अगले साल राज्य में पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं, जिसके लिए मतदाता सूची बनने का काम जारी है। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 26 दिसम्बर | केरल के पलक्कड़ में एक 27 वर्षीय व्यक्ति पर कथित तौर से कुल्हाड़ी और हंसिया से हमला करने के आरोप में पुलिस ने दो लोगों को ऑनर किलिंग के एक संदिग्ध मामले में गिरफ्तार किया गया है। इसकी जानकारी पुलिस ने शनिवार को दी। पुलिस ने प्रभुकुमार और सुरेश को हिरासत में ले लिया गया है और उनसे पुछताछ की जा रही है।
पुलिस ने बताया कि पीड़ित अनीश शुक्रवार रात अपने भाई अरुण के साथ मोटरसाइकिल पर था, जहां घात लगाए पहले से ही बैठे प्रभुकुमार और सुरेश ने रास्ते में उनपर हमला कर दिया, जहां अनीश की अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई।
सूत्रों ने बताया कि तीन महीने पहले अनीश ने हरीथा से शादी की थी जो एक उच्च जाति से थी। उनका रिश्ता तब शुरू हुआ जब वे स्कूल में थे। इस रिस्ते से लड़की का परिवार कभी भी खुश नहीं था।
हालांकि, पुलिस ने कहा कि उन्हें अभी तक पता नहीं चल पाया है कि यह ऑनर किलिंग का मामला है या नहीं।
पलक्कड़ जिले के पुलिस प्रमुख सुजीतदास ने कहा कि पुलिस ने तब से कार्रवाई की है जब से अनीश के परिवार ने हरीथा के पिता और उसके चाचा के खिलाफ अनीश को धमकी देने के लिए शिकायत दर्ज की थी।
उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस ने हरिता के माता-पिता को फोन किया और उन्हें चेतावनी दी कि वे कानून को अपने हाथ में न लें।
पुलिस प्रमुख ने कहा, "हमें अभी तक यह पता नहीं चला है कि यह ऑनर किलिंग का मामला है या नहीं और हरीथा, उसके रिश्तेदारों और अनीश के रिश्तेदारों और दोस्तों समेत सभी के बयानों के बाद ही इसकी पुष्टि की जा रही है।" (आईएएनएस)
गुरूग्राम, 26 दिसम्बर | दिल्ली में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के समर्थन में शनिवार तक हरियाणा-राजस्थान सीमा पर 2,000 से अधिक किसान एकत्रित हुए हैं। पुलिस ने इसकी जानकारी दी है। यहां किसानों की संख्या में हर दिन इजाफा होता जा रहा है, ऐसे में हरियाणा पुलिस ने राज्य में इन्हें प्रवेश करने से रोकने के लिए एक भारी पुलिस बल की तैनाती किया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, हरियाणा-राजस्थान की सीमा पर आए हुए किसान अन्य किसान संगठनों के आने का इंतजार कर रहे हैं ताकि उनका विरोध और भी सशक्त हो सके।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "राष्ट्रीय राजमार्ग-48 पर दिल्ली-गुरुग्राम सीमा और आसपास के क्षेत्रों जैसे बिलासपुर, पंचगांव, खेड़की दौला टोल, डूंडाहेड़ा-दिल्ली सीमा और हरियाणा-राजस्थान सीमा पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।"
अधिकारी ने आगे बताया, "दिल्ली में जारी विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए किसानों द्वारा राष्ट्रीय राजधानी की ओर कूच करने के निर्णय के मद्देनजर हमने राष्ट्रीय राजमार्ग में बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों की तैनाती की है। अब तक किसी भी किसान समूह या संगठन ने रेवाड़ी या राजस्थान के माध्यम से गुरुग्राम में प्रवेश किया है या नहीं, इसकी हमें कोई जानकारी नहीं है।"
इस बीच, दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर दिल्ली पुलिस राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने वाले संदिग्ध वाहनों की जांच कर रही है। उन्होंने कई जांच बिंदुओं पर बैरिकेड्स भी लगा रखे हैं।
इसके अलावा, गुरुग्राम पुलिस ने दावा किया है कि उनके द्वारा जिले में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-48 पर विभिन्न बिंदुओं पर 1500 से अधिक पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 26 दिसम्बर | दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में सुरक्षा बलों के साथ रात भर हुई मुठभेड़ में दो अज्ञात आतंकवादी मारे गए। इसकी जानकारी अधिकारियों ने शनिवार को दी। शुक्रवार को मुठभेड़ तब शुरू हुई, जब सुरक्षा बलों ने एक विशेष सूचना के आधार पर छिपे हुए आतंकवादियों के ठिकानों को चारों तरफ से घेर लिया।
जैसे ही सुरक्षा बलों ने ठिकाने का घेराव किया, वहां मौजूद आंतकवादियों ने ताबड़तोड़ गोलीबारी करना शुरू कर दी, जिससे दोनों पक्षों में मुठभेड़ शुरू हो गई।
पुलिस ने कहा कि इलाके में तलाशी अभियान जारी है। (आईएएनएस)
पटना, 26 दिसम्बर | राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव ने शनिवार को भविष्यवाणाी करते हुए कहा कि बिहार में जल्द ही जनता दल (यूनाइटेड) का सफाया हो जाएगा। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के पुत्र तेजप्रताप यादव ने कहा, "जदयू का अब सफाया तय है। अरूणाचल प्रदेश से इसकी शुरूआत हो गई है। बिहार में भी जल्द ही इसका सफाया हो जाएगा।"
उन्होंने आगे कहा कि जदयू खंडित हो चुका है, टूट चुका है। उन्होंने कहा कि बिहार में भी नीतीश सरकार का भविष्य सही नहीं है।
उल्लेखनीय है कि अरूणाचल प्रदेश में जदयू के सात विधायकों में से छह के भाजपा में शामिल होने के बाद विपक्ष भाजपा और जदयू पर निशाना साधा रहा है।
गौरतलब है कि राजद के नेता तेजस्वी यादव भी जदयू के टूट की संभावना जताते रहे हैं। (आईएएनएस)
बांदा, 26 दिसम्बर | उत्तर प्रदेश के बांदा जिले स्थित मरका थाना के दुबे पुरवा मऊ में अलाव की चिंगारी से मां समेत तीन बच्चों की जलकर मौत हो गई है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेन्द्र प्रताप चौहान ने बताया, "जिले के मरका थाना स्थित दुबे पुरवा का रहने वाला कल्लू राजस्थान के जयपुर में मजदूरी करता है। उसकी पत्नी अपने तीन बच्चों के साथ यहां रहती थी। ठंड के कारण आग अलाव में से निकली चिंगारी ने पूरे घर को खाक कर दिया। आग कैसे लगी। अन्य भी कारणों का जांच में पता लगाया जा रहा है।"
स्थानीय लोगों के अनुसार दुबे का पुरवा मजरा निवासी कल्लू के घर में ग्रामीणों ने आग की लपटें निकलते देखीं तो शोर मचाया। आग की भयावहता देखकर कोई पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा सका। बाद में दरवाजा तोड़ा गया तो पूरा घर मलबे में तब्दील हो चुका था। हर तरफ केवल जला हुआ मलबा पड़ा था और धुआं उठ रहा था। सूचना मिलने पर पुलिस पहुंची और फायर ब्रिगेड भी पहुंची।
ग्रामीणों ने बताया कि अलाव की चिंगारी से कच्चे घर में लगी आग में मां व तीन मासूम बच्चों की जिंदा जलकर मौत हो गई। घर में भूसा भरे होने और लकड़ी की धन्नियां लगी होने से आग ने विकराल रूप ले लिया और किसी को बाहर निकलने तक का मौका नहीं मिला। आग की लपटें देखकर गांव वालों ने शोर मचाया लेकिन अंदर जाने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पाया। पुलिस और फायर ब्रिगेड पहुंची और आग बुझाने के बाद मलबे से शवों को खोजकर बाहर निकाला। मौके पर प्रशासन मौजूद है।
एसडीएम ने बताया कि आग लगने की पहली वजह सर्दी से बचाव को रखे गए अलाव की चिंगारी प्रतीत हो रही है। जांच के बाद हकीकत सामने आएगी। (आईएएनएस)
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 26 दिसम्बर | मौजूदा वित्तीय वर्ष में योगी सरकार का लक्ष्य 50 लाख युवाओं को रोजगार-स्वरोजगार उपलब्ध कराना है। इसके लिए सरकार ने 5 दिसम्बर से मिशन रोजगार की शुरुआत की है। इस क्रम में अब तक 21,75443 युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जा चुका है। इसमें नियमित नियुक्तियों से लेकर आउटसोर्सिग, संविदा, निजी क्षेत्र, कौशल प्रशिक्षण और स्वरोजगार एवं मानव दिवस सृजन के जरिए उत्पन्न रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर शामिल हैं। प्रदेश सरकार के विभिन्न विभाग, विकास एवं औद्योगिक विकास प्राधिकरण, अलग-अलग आयोग,निगम,परिषद एवं बोर्ड, निजी क्षेत्र के संस्थान और कौशल प्रशिक्षण देने एवं स्वरोजगार में मदद करने वाले संस्थान ये अवसर उपलब्ध कराएंगे।
अब तक एमएसएमई ( सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) ग्राम विकास, पंचायती राज, खेल, मत्स्य, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल, श्रम, बेसिक शिक्षा और लोकनिर्माण विभाग ने रोजगार और मानव दिवस सृजित करने में उल्लेखनीय प्रगति की है।
अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार मिले इसके लिए सरकार अभियान चलाकर जिला स्तर पर जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में जागरूकता कार्यक्रम के साथ लाभार्थी परक कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। अधिक से अधिक युवा इस अभियान से लाभान्वित हो इसके लिए इन कार्यक्रमों के पहले सूचना विभाग इनका व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करेगा।
स्थानीय स्तर पर कम पूंजी, न्यूनतम जोखिम और बुनियादी संरचना में सर्वाधिक रोजगार देने वाले एमएसएमई सेक्टर की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस सेक्टर में अधिक से अधिक नई इकाइयां खुलें, पुरानी इकाइयां तकनीकी अपग्रेडेशन के जरिए अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने के साथ अपने उत्पाद की गुणवत्ता बाजार की मांग के अनुरूप बेहतर कर सकें इसके लिए बैंकर्स से समन्वय कर अभियान चलाकर ऐसे उद्यमियों को लोन दे रहा है।
अपर मुख्य सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल ने बताया कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में 20 लाख नई और पुरानी इकाइयों को 75 हजार करोड़ रुपए ऋण देने का लक्ष्य है। अब तक 11 लाख से अधिक इकाइयों को करीब 30 हजार करोड़ रुपए के ऋण बांटे जा चुके हैं। अगर एक इकाई में औसत 4 से 5 लोगों को भी रोजगार मिले तो अकेले इसी सेक्टर में इस वित्तीय वर्ष में 80 लाख से एक करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 26 दिसम्बर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के 21 लाख परिवारों के लिए आयुष्मान भारत-सेहत स्कीम लांच की। इस योजना के तहत जम्मू-कश्मीर के सभी परिवारों का सालाना पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज हो सकेगा। जम्मू-कश्मीर के लोग राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में योजना का लाभ उठा सकेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल माध्यम से स्कीम लांच करते हुए कहा, "आज जम्मू कश्मीर आयुष्मान भारत- सेहत स्कीम शुरू की गई है। इस स्कीम से 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलेगा तो जीवन में कितनी बड़ी सहूलियत आएगी। अभी आयुष्मान भारत योजना का लाभ राज्य के करीब 6 लाख परिवारों को मिल रहा था। सेहत योजना के बाद यही लाभ सभी 21 लाख परिवारों को मिलेगा।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "इस स्कीम का एक और लाभ होगा जिसका जिक्र बार-बार किया जाना जरूरी है। आपका इलाज सिर्फ जम्मू कश्मीर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों तक सीमित नहीं रहेगा। बल्कि देश में इस योजना के तहत जो हजारों अस्पताल जुड़े हैं, वहां भी ये सुविधा आपको मिल पाएगी।"
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि आज से जम्मू कश्मीर के सभी लोगों को आयुष्मान योजना का लाभ मिलने जा रहा है। सेहत स्कीम-अपने आप में ये एक बहुत बड़ा कदम है। और जम्मू-कश्मीर को अपने लोगों के विकास के लिए ये कदम उठाता देख, मुझे भी बहुत खुशी हो रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने हालिया जिला विकास परिषद के चुनावों में राज्य की जनता के बढ़चढ़कर भाग लेने की सराहना की। उन्होंने कहा, "जम्मू कश्मीर के हर वोटर के चेहरे पर मुझे विकास के लिए, डेवलपमेंट के लिए एक उम्मीद नजर आई, उमंग नजर आई। जम्मू कश्मीर के हर वोटर की आंखों में मैंने अतीत को पीछे छोड़ते हुए, बेहतर भविष्य का विश्वास देखा। मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए भी बधाई देता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव को एक नया अध्याय बताया। उन्होंने कहा, "मैं चुनावों के हर फेज में देख रहा था कि कैसे इतनी सर्दी के बावजूद, कोरोना के बावजूद, नौजवान, बुजुर्ग, महिलाएं बूथ पर पहुंच रहे थे।"
प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर की जनता को संबोधित करते हुए कहा, "आप हैरान होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में ये आदेश दिया था। लेकिन वहां जो सरकार है, इस मामले को लगातार टाल रही है। साथियों, पुडुचेरी में दशकों के इंतजार के बाद साल 2006 में लोकल बॉडी पोल्स हुए थे। इन चुनावों में जो चुने गए उनका कार्यकाल साल 2011 में ही खत्म हो चुका है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने के बारे में हुए प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान भी यहां जम्मू-कश्मीर में करीब 18 लाख सिलेंडर रिफिल कराए गए। स्वच्छ भारत अभियान के तहत जम्मू कश्मीर में 10 लाख से ज्यादा टॉयलेट बनाए गए। लेकिन इसका मकसद सिर्फ शौचालय बनाने तक सीमित नहीं, ये लोगों के स्वास्थ्य को सुधारने की भी कोशिश है। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 26 दिसम्बर | तेलंगाना के आदिलाबाद शहर में 18 दिसंबर को मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के एक नेता द्वारा की गई गोलीबारी में घायल हुए एक व्यक्ति ने शनिवार को अपना दम तोड़ दिया। पुलिस ने यह जानकारी दी। आदिलाबाद के टाटीगुडा के पूर्व पार्षद 52 वर्षीय सैयद जमीर ने हैदराबाद में निजाम के आयुर्विज्ञान संस्थान (एनआईएमएस) में अंतिम सांस ली।
आदिलाबाद के टाटीगुडा इलाके में जब एमआईएम के नेता मोहम्मद फारूक अहमद ने अपने लाइसेंसी रिवाल्वर से फायरिंग शुरू कर दी, तो सैयद जमीर इस हमले में अपने भाई सैयद मन्नान और भतीजे सैयद मोहतेसिन के साथ घायल हो गए थे। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इन पर चाकू से भी हमला किया गया।
जहां जमीर और मोहतेसिन को गोलियां लगी हैं, वहीं मन्नान को चाकू के घाव लगे हैं। चूंकि जमीर की हालत सबसे ज्यादा गंभीर थी, तो उसे उपचार के लिए हैदराबाद में ले जाया गया।
आदिलाबाद नगरपालिका के पूर्व उपाध्यक्ष मोहम्मद फारूक ने टाटीगुडा इलाके में क्रिकेट खेल रहे दो समूहों के बीच हुई झड़प में अपने प्रतिद्वंद्वियों पर हमला किया।
इस हमले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें फारूक अपने एक हाथ से हवा में गोलीबारी करते और दूसरे हाथ में चाकू लिए नजर आ रहे हैं।
पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था और अब जमीर की मौत के साथ आरोपी पर हत्या का मामला दर्ज किया जाएगा। पुलिस ने आरोपी के बंदूक के लाइसेंस को रद्द करने के लिए कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट से भी सिफारिश की है। (आईएएनएस)
कानपुर , 26 दिसम्बर | अगर आप शहर में रहते हैं और चिड़ियों की चहचहाट से वंचित हो गए हैं, तो आपको कानपुर के चिड़िया घर आना चाहिए। यहां के निर्मित अनुभूति केन्द्र में आपके लिए चिड़ियों के 'कलरव' सुनने का पूरा प्रबंध किया है। बटन दबते ही चिड़िया घर परिसर पक्षियों के आवाज से गूंज उठता है। इतना ही नहीं यहां आपको कानपुर के इतिहास बारे में जानने का पूरा मौका मिलता है।
कानपुर चिड़िया घर के सहायक निदेशक अरविन्द सिंह ने आईएएनएस बताया कि डब्लूआइआई ने कानपुर के चिड़िया घर में एक अनुभूति केन्द्र की स्थापना की है। जिसमें गंगा किनारे रहने वाले पक्षी, कछुए, डाल्फिन और मछली के बारे में जानकारी दी जाती है।
तीन कमरों के बने कक्ष में इनकी जानकारी दी जाती है। इसमें एक बाक्स बना है जिसमें पक्षियों का नाम लिखा है इसमें प्री रिकॉर्डेड आवाज बच्चों को सुनाई देती है। उसके बारे में बताया जाता है। इसे भावी पीढ़ी के अवगत कराने के उद्देश्य से इसका निर्माण कराया गया है।
अरविन्द ने बताया कि यहां पर पांच से 16 साल के बच्चे खूब आना पंसद करते हैं। यहां पर उन चिड़ियों के बारे में बच्चे जान सकते हैं जो उनके इर्द-गिर्द घूमती रहती है। या ऐसे पक्षी जिनके बारे में वह सिर्फ किताबों ही पढ़ पाते हैं। कई दर्जन पक्षियों की आवाज एक बटन दबाकर सुनी जा सकती है। इसके अलावा इस केन्द्र में कानपुर के इतिहास व गंगा के महत्व भी बताया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद खुले इस केन्द्र में करीब 200 से 300 बच्चे आ रहे हैं। अभी इसमें एक गाइड रखा जाएगा। जो सुबह से लेकर शाम तक बच्चों को जानकारी दे। (आईएएनएस)
जयपुर, 26 दिसम्बर | हजारों की तादात में किसानों के साथ दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले एनडीए के सहयोगी और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा को अब अपना जवाब देना होगा। किसानों से संबंधित इस मुद्दे को अब एक महीने से अधिक लंबा वक्त होने को जा रहा है। शनिवार को 'दिल्ली चलो' के लिए तैयार हजारों की संख्या में किसान जयपुर के पास कोटपूतली में एकत्रित हुए । बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी केंद्र में भाजपा की सहयोगी है।
बेनीवाल ने आईएएनएस को बताया, "लगभग 2 लाख किसान मेरे साथ दिल्ली के लिए मार्च कर रहे हैं और इस दौरान हम एनडीए के साथ हमारे गठबंधन के बारे में भी निर्णय लेंगे। यदि कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते हैं, तो हम एनडीए के साथ अलग होने की घोषणा करेंगे।"
राष्ट्रीय राजधानी में वह केंद्र द्वारा पारित तीन किसान कानूनों को रद्द किए जाने के मांग को लेकर वह किसानों के प्रति एकजुटता दिखाएंगे।
आरएलपी के एक कार्यकर्ता ने आईएएनएस को बताया, "राज्य के विभिन्न हिस्सों से किसान यहां जमा हो रहे हैं। हम विवादास्पद कृषि कानूनों की वापसी की मांग के लिए एक महीने से विरोध कर रहे हमारे किसान भाइयों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए दिल्ली कूच करेंगे।"
आरएलपी की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि राजस्थान के विभिन्न जिलों से लोग और किसान कोटपूतली में एकत्र होंगे और सांसद हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में शाहजहांपुर सीमा की ओर कूच करेंगे। (आईएएनएस)
अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 से केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कॉमन (एक ही) परीक्षा होगी.
नए क़दम का मक़सद छात्रों पर 12वीं कक्षा में मिले अंकों के आधार पर तय होने वाल कटऑफ़ का दबाव कम करना है.
केंद्र सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2021-22 की प्रवेश परीक्षा के लिए सात सदस्यों वाली एक समिति बनाई है.
सरकार का कहना है कि ये समिति 'उच्च मानकों वाली प्रवेश परीक्षा' के नियम निर्धारित करेगी.
ग्रैजुएशन के लिए कंप्यूटर आधारित इस प्रवेश परीक्षा को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) आयोजित कराएगी और ये केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए अनिवार्य होगा.
उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने बताया कि इस परीक्षा में सामान्य अध्ययन के प्रश्न भी पूछे जाएंगे और ख़ास विषयों से जुड़े सवाल भी. (bbc.com)
भारत में लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए अगले हफ़्ते से चार राज्यों में 'ड्राई रन' (पूर्वाभ्यास) किया जाएगा.
भारतीय इतिहास का यह सबसे महत्वाकांक्षी पूर्वाभ्यास आंध्र प्रदेश, गुजरात, पंजाब और असम में दो दिनों के लिए होगा.
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार 28 और 29 दिसंबर को इन चारों राज्यों के दो ज़िलों में टीकाकरण का पूर्वाभ्यास किया जाएगा.
इस पूर्वाभ्यास के चार प्रमुख चरण होंगे और चारों पर केंद्र सरकार क़रीब से नज़र रखेगी. ये चार चरण हैं:
1. हर ज़िले के क़रीबी डिपो तक 100 लाभार्थियों के लिए डमी वैक्सीन पहुँचाई जाएगी.
2. डिपो से लेकर टीकाकरण की जगह तक के तापमान को ट्रैक किया जाएगा.
3. लाभार्थियों को टीकाकरण से पहले ही एक एसएमएस भेजा जाएगा जिसमें टीका लगाने वाले का नाम और टीका लगने की जगह के बारे में बताया जाएगा.
4. टीका लगने के अभ्यास के बाद हर शख़्स को आधे घंटे पर वहीं इंतज़ार करने को कहा जाएगा और उन पर नज़र रखी जाएगी. अगर इस प्रक्रिया में कोई कठिनाई आती है तो इसे सेंट्रल सर्वर के ज़रिए ट्रैक किया जाएगा.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस ड्राई रन में शामिल होने वाले कुल 2,360 लोगों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण दिलाया गया है. इनमें कोल्ड चेन से लेकर टीकाकरण अधिकारी तक शामिल हैं.
ब्रिटेन, अमेरिका और फ़्रांस समेत कई देशों में कोरोना वायरस की वैक्सीन लगने लगी है. अब भारत भी इससे कुछ ही क़दम दूर नज़र आ रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि टीकाकरण के पूर्वाभ्यास के बाद जल्दी ही असल में टीकाकरण भी शुरू हो जाएगा.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले एक करोड़ से भी ज़्यादा हैं और अमेरिका के बाद यह महामारी से सबसे ज़्यादा प्रभावित दूसरा देश है.
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डायरेक्टर और नेशनल टास्क फ़ोर्स ऑन कोविड मैनेजमेंट के सदस्य डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि कोरोना वायरस के म्यूटेशन की ख़बरों से घबराने की ज़रूरत नहीं है.
उन्होंने कहा, ''कोरोना वायरस अब तक कई बदलावों से गुज़र चुका है लेकिन औसतन देखा जाए तो हर महीने इसमें दो म्यूटेशन हुए हैं. ऐसे में वायरस के नए वैरिएंट्स से बेवजह घबराने की ज़रूरत नहीं है."
डॉक्टर गुलेरिया ने कहा, "म्यूटेशन के कारण कोविड-19 के लक्षणों में कोई बदलाव नहीं आया है.इसलिए इसके इलाज की रणनीति में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है. अभी तक मौजूद डेटा के अनुसार जो वैक्सीन भारत में ट्रायल के दौर में हैं, वो कोरोना वायरस के नए वैरिएंट्स पर भी असर करेंगी."
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में मिले नए वैरिएंट की वजह से चिंताएं इसलिए बढ़ी हैं क्योंकि ये तेज़ी से फैलता है न कि इससे अस्पताल में भर्ती होने की आशंका बढ़ती है.
इस बीच, ब्रिटेन के अलावा फ़्रांस और दक्षिण अफ़्रीका में भी कोरोना वायरस के नए वैरिएंट्स मिले हैं जिन्हें ज़्यादा संक्रामक बताया जा रहा है.
इस ख़बर को टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है. (bbc.com)
जयपुर, 26 दिसम्बर | राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने ऐलान किया है कि वह किसान आंदोलन के समर्थन में शनिवार को जयपुर से लेकर दिल्ली तक हजारों की तादात में किसानों को लेकर मार्च करेंगे। केंद्र में भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक बेनीवाल ने अपनी एक सभा में दावा किया था कि वह 2 लाख से अधिक किसानों को लेकर दिल्ली कूच करेंगे।
राष्ट्रीय राजधानी में वह केंद्र द्वारा पारित तीन किसान कानूनों को रद्द किए जाने के मांग को लेकर वह किसानों के प्रति एकजुटता दिखाएंगे।
आरएलपी के एक कार्यकर्ता ने आईएएनएस को बताया, "राज्य के विभिन्न हिस्सों से किसान यहां जमा हो रहे हैं। हम विवादास्पद कृषि कानूनों की वापसी की मांग के लिए एक महीने से विरोध कर रहे हमारे किसान भाइयों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए दिल्ली कूच करेंगे।"
आरएलपी की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि राजस्थान के विभिन्न जिलों से लोग और किसान कोटपूतली में एकत्र होंगे और सांसद हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में शाहजहांपुर सीमा की ओर कूच करेंगे। (आईएएनएस)
प्रमोद कुमार झा
नई दिल्ली, 26 दिसम्बर (आईएएनएस)| आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख करीब आने पर आयकर विभाग ने रिटर्न फाइलिंग को आसान बनाने के लिए 'झटपट प्रोसेसिंग' शुरू की है। अगर आपने अभी तक आयकर रिटर्न दाखिल नहीं की है तो इस नई सुविधा का उपयोग करके जल्द रिटर्न दाखिल करें क्योंकि विलंब होने पर आपको जुमार्ना भरना पड़ सकता है। खासतौर से वेतनभोगियों के लिए यह सुविधा काफी उपयोगी साबित हो सकती है क्योंकि उनके लिए आयकर रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर ही है। चार्टर्ड अकाउंटेंट चंद्रकांत मिश्रा ने बताया कि आयकर रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर वेतनभोगी लोगों के लिए है जो बिजनेस से नहीं जुड़े हैं। उन्होंने बताया किऐसे आयकरदाता अगर 31 दिसंबर तक आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करेंगे तो उनको 10,000 रुपये तक जुमार्ना भरना पड़ सकता है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट चंद्रकांत मिश्रा ने बताया कि आयकर रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर तक उन लोगों के लिए है जो वेतनभोगी हैं या बिजनेस से भी जुड़े हैं लेकिन उनका टैक्स ऑडिट नहीं है। उन्होंने बताया कि ऐसे आयकरदाता अगर 31 दिसंबर तक आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करेंगे तो उनको 10,000 रुपये तक जुमार्ना भरना पड़ सकता है।
ऐसे में झटपट प्रोसेसिंग का उपयोग करके आप जल्द आयकर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। आयकर विभाग की वेबसाइट पर आपको विभाग की ओर से शुरू की गई इस पहल का स्लोगन 'फाइल करो झट से, प्रोसेसिंग होगी पट से' देखने को मिलेगा। इसमें बताया गया है कि आप आईटीआर-1 और आईटीआर-4 कैसे दाखिल कर सकते हैं।
आईटीआर-1 एक सरलीकृत एक पेज का फॉर्म होता है जो उन आयकरदाताओं के लिए है जो वेतन या पेंशन व एक हाउस प्रोपर्टी से सालाना 50 लाख रुपये की आय प्राप्त करते हैं।
आईटीआर-4 उन आयकर दाताओं के लिए है जो व्यवसायी या पेशेवर हैं। इसमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्होंने आयकर अधिनियम के सेक्शन 44एडी, सेक्शन 44एडीए और 44एई के अनुसार संभावित आय स्कीम का विकल्प लिया है।
चंद्रकांत मिश्रा ने बताया, "आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर उन लोगों के लिए है जो वेतनभोगी हैं और उनकी आय की ऑडिट नहीं होती है। लेकिन अगर आप बिजनेस से जुड़े हैं और आपकी बैलेंस शीट ऑडिट होती है तो आपके लिए बिना जुमार्ना आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जनवरी 2021 है।"
विलंब से आयकर दाखिल करने पर आयकर विभाग ने अलग-अलग जुर्माने का प्रावधान किया है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट मिश्रा ने बताया कि जिन व्यक्तियों की कर योग्य आय 50,0000 रुपये यानी पांच लाख रुपये तक है उनको 31 दिसंबर के बाद रिटर्न दाखिल करने पर 1,000 रुपये जुमार्ना भरना पड़ेगा। वहीं, जिनकी कर योग्य आय अगर पांच लाख रुपये से अधिक है उनको 31 दिसंबर के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करने पर 10,000 रुपये जुमार्ना भरना पड़ेगा।
ये वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आयकर भरने के प्रावधान हैं और जुमार्ने के साथ 31 मार्च 2021 तक आयकर रिटर्न दाखिल किया जा सकता है।
इसलिए, अगर आप जुमार्ना भरने से बचना चाहते हैं तो अब विलंब मत कीजिए क्योंकि आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख करीब है।
मनोज पाठक
पटना, 26 दिसम्बर | बिहार से कोसों दूर भले ही अरुणाचल प्रदेश में जनता दल (यूनाइटेड) के छह विधायक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए हों, लेकिन वहां के सियासत की तपिश के कारण बिहार की राजनीति गर्म हो गई है। वैसे, बिहार में सत्तारूढ़ जदयू और भाजपा के नेता इस गर्मी को ठंडा करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन विपक्ष इस तपिश में ठंड के मौसम में अपना हाथ सेंकने से पीछे नहीं है।
भाजपा और जदयू अन्य दो छोटे दलों के साथ हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में साथ उतरे थे, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद बिहार में पहली बार भाजपा अधिक सीट लाकर 'बड़े भाई'की भूमिका में पहुंच गई है। कहा जा रहा है कि लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के कारण जदयू को कम सीटें मिली है। इसे लेकर भले ही जदयू के नेता मुखर नहीं हैं, लेकिन इस बात को लेकर उनके मन में बेचैनी जरूर महसूस की जाती रही है।
बिहार मंे मंत्रिमंडल का विस्तार में भी भाजपा का 'अड़ंगा' माना जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पूछे एक प्रश्न पर कहा था कि भाजपा का प्रस्ताव आने के बाद इसपर विचार किया जाएगा।
इस बीच, अरुणाचल प्रदेश की घटना के बाद जदयू के नेता तिलमिला गए हैं। प्रदेश के नेता इस संबंध में कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। जदयू के महासचिव के. सी. त्यागी इस मामले को लेकर कहते हैं राज्य में सरकार को कोई खतरा नहीं था, ऐसा करके गठबंधन धर्म का उल्लंघन किया है।
त्यागी भले ही जो कह रहे हों लेकिन इसी बहाने राजद नीतीश कुमार को इशारों ही इशारों में साथ आने का न्योता भी दे रहा है।
राजद के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी कहते हैं, "भाजपा ने गठबंधन धर्म के साथ घात किया है। इससे संदेश स्पष्ट है कि भाजपा को नीतीश कुमार की कतई परवाह नहीं है।"
उन्होंने कहा कि भाजपा ने चुनाव में भी लोजपा का इस्तेमाल किया, यह बात अब सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अगर साहस दिखाकर कोई फैसला लेते हैं तो हम उसका स्वागत करेंगे।
इधर, कांग्रेस भी जदयू को आईना दिखा रही है। कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौड़ कहते हैं कि भाजपा का इतिहास रहा है कि वह जिसके साथ गठबंधन करती है वह उसे ही निगलने की कोशिश करती है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में भाजपा पूर्ण बहुमत में थी, इसके बावजूद जदयू के सात में से छह विधायकों को तोड़कर नीतीश कुमार को आईना दिखाया है और क्रिसमस का गिफ्ट दिया है।
इधर, भाजपा के प्रवक्ता अरविंद सिंह कहते हैं कि बिहार में भाजपा और जदयू का गठबंधन है। यहां भाजपा, जदयू सहित चार दलों के गठबंधन की सरकार मजबूती से चल रही है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश की घटना का यहां कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है।
इस बीच, पटना में जदयू की शनिवार से प्रारंभ दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही है। संभावना जताई जा रही है कि जदयू और भाजपा के रिश्ते को लेकर भी इस बैठक में चर्चा जरूर होगी। अब यह देखना होगा कि इस बैठक में इसे लेकर क्या होता है और अरुणाचल की राजनीति का कितना असर बिहार की राजनीति पर पड़ता है। (आईएएनएस)
जयपुर, 26 दिसम्बर | ब्रिटेन में सामने आए नए कोरोना स्ट्रेन ने राजस्थान सरकार को परेशानी में डाल दिया है क्योंकि पिछले एक सप्ताह में 800 से अधिक ब्रिटिश पर्यटकों ने राज्य के 28 जिलों में प्रवेश किया है। उन्हें ट्रैक करना आसान नहीं है।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि सबसे ज्यादा 333 ब्रिटिश जयपुर आए हैं। इसके बाद जोधपुर (73), अजमेर (70), अलवर (48), उदयपुर (43), कोटा (39), झुंझुनू (24), गंगानगर (38), राजसमंद (35) और कई अन्य हैं।
राजस्थान वायरस फैलाने वाले पर्यटकों का शिकार रहा है। राजस्थान में पहला कोविड मामला एक इतालवी पर्यटक का था, जो उस समय भारत के दौरे पर आया था जब उसका देश महामारी की चपेट में था। यह पहला मामला 2 मार्च को रिपोर्ट किया गया था, जब 69 वर्षीय इतालवी पर्यटक जो 23 पर्यटकों के समूह का हिस्सा था, जांच में कोरोना पॉजिटिव निकला था।
जयपुर के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी नरोत्तम शर्मा ने कहा, "इन ब्रिटिश पर्यटकों की स्क्रीनिंग और सैंपलिंग का काम शुरू हो गया है। हम उन सभी लोगों की निगरानी कर रहे हैं जो ब्रिटेन से आए हैं। तीन-चार दिनों में, हम ब्रिटेन के हर एक पर्यटक तक पहुंच जाएंगे, जिन्होंने गुलाबी नगरी जयपुर में प्रवेश किया था।"
अतिरिक्त निदेशक (स्वास्थ्य) रविप्रकाश शर्मा ने कहा कि उन्होंने जिला कलेक्टरों को विवरण भेज दिया है और उन्हें निर्देश दिया है कि वे पर्यटकों का आइसोलेशन और परीक्षण सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि विभाग पूरी तरह से सर्तक और सक्रिय है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
सभी सीएमएचओ को रैपिड रिस्पॉन्स टीम बनाने और ब्रिटिश पर्यटकों को ट्रैक कर सर्वे करने का निर्देश दिया गया है।
अधिकारी ने कहा कि इस विचार का मकसद उनह्ें जल्द से जल्द क्वारंटीन करना है।
10 महीनों में, राज्य में कोविड मामलों की संख्या 3,03,732 तक पहुंच गई है। शुक्रवार तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 2,657 थी।
राज्य में सक्रिय मामले 11,700 हैं जबकि ठीक हुए मरीजों की संख्या 2,89,375 है। (आईएएनएस)
टीएमसी के बाग़ी नेताओं को थोक भाव में पार्टी में शामिल करने की बढ़ती मुहिम से बीजेपी के स्थानीय नेताओं में असंतोष बढ़ रहा है.
इसके ख़िलाफ़ मुँह खोलने के जुर्म में दो नेताओं सायंतन बसु और अग्निमित्र पाल को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है.
टीएमसी के बाग़ी नेताओं को शामिल करने पर पार्टी के भीतर लगातार सवाल उठ रहे हैं.
पूछा जा रहा है कि जिन इलाक़ों में पार्टी मज़बूत है वहाँ के नेताओं को क्यों शामिल किया जा रहा है? वहाँ जिन बीजेपी कार्यकर्ताओं ने ज़मीनी स्तर पर जूझते हुए पार्टी को मज़बूत किया था उनकी अनदेखी क्यों की जा रही है?
बाबुल सुप्रियो की नाराज़गी की वजह से ही बीजेपी नेताओं ने आसनसोल के टीएमसी प्रमुख और पांडवेश्वर के विधायक जितेंद्र तिवारी को लाल झंडी दिखा दी थी और उनको टीमसी में लौटना पड़ा था.
लेकिन बाक़ी नेता बाबुल जितने ताक़तवर नहीं हैं. इसलिए उनकी बातों से प्रदेश और केंद्रीय नेता डिगे नहीं.
बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प
बांकुड़ा ज़िले के बिष्णुपुर के बीजेपी सांसद सौमित्र खां की पत्नी सुजाता मंडल खां ने इसी सप्ताह टीएमसी में शामिल होने के बाद आरोप लगाया था कि बीजेपी टीएमसी नेताओं को मलाईदार पद का लालच देकर अपने पाले में खींचने का प्रयास कर रही है.
उनका कहना था, "मौक़ापरस्त और दलबदलुओं को पार्टी में शामिल किया जा रहा है. इससे पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं और नेताओं में असंतोष तेज़ी से बढ़ रहा है."
इस सप्ताह नए बनाम पुराने के विवाद की वजह से पश्चिम मेदिनीपुर और दुर्गापुर में बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें भी हो चुकी हैं. इलाक़े में कई जगह टीएमसी के बाग़ी नेताओं को बीजेपी में शामिल करने के विरोध में पोस्टर भी लगाए गए थे.
टीएमसी विधायक जितेंद्र तिवारी को पार्टी में शामिल करने का सार्वजनिक तौर पर विरोध करने की वजह से बीजेपी के दो नेताओं-प्रदेश महासचिव सायंतन बसु और और महिला मोर्चा प्रमुख अग्निमित्र पाल को कारण बताओ नोटिस दिया जा चुका है. अब इन दोनों नेताओं ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
कुछ नेता खुलकर जता रहे हैं विरोध
अगले विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी में शामिल होने वाले टीएमसी नेताओं की कतार लगातार लंबी हो रही है. बीजेपी के ज़मीनी नेता इसके ख़िलाफ़ पार्टी के भीतर और बाहर खुल कर विरोध जताते रहे हैं.
उनको लगता है कि राज्य में बीजेपी की जड़ें जमाने और जान हथेली पर लेकर टीएमसी से मुक़ाबला करने के बाद अब टीएमसी से आने वाले नेताओं को मलाईदार पद सौंपे जाएंगे और टिकटों बँटवारे में भी तरजीह दी जाएगी.
लेकिन पार्टी में बढ़ते असंतोष के बावजूद बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व टीएमसी का घर तोड़ने की रणनीति पर अडिग है. पार्टी में उठने वाले विरोध की आवाज़ों को दबाने के लिए कारण बताओ नोटिस को ही हथियार बनाया जा रहा है. अब तक कुल चार नेताओं को कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में कारण बताओ नोटिस भेजी जा चुकी है.
प्रदेश बीजेपी नेतृत्व कारण बताओ नोटिस के साथ असंतुष्टों को कड़ी चेतावनी भी दे रहा है. प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता शमीक भट्टाचार्य कहते हैं, "सांगठनिक गोपनीयता, आदर्शों के प्रति दृढ़ भरोसा और नेतृत्व के प्रति निष्ठा किसी राजनीतिक पार्टी का सदस्य होने की प्राथमिक शर्त है.''
प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, "पार्टी के पुराने नेता हों या नए, अनुशासन का पालन करना सबके लिए अनिवार्य है. पार्टी लाइन के ख़िलाफ़ जाने की स्थिति में कार्रवाई ज़रूर की जाएगी."
लेकिन आसनसोल के टीएमसी नेता जितेंद्र तिवारी को पार्टी में शामिल करने का सबसे मुखर विरोध तो स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने किया था.
ऐसे में सिर्फ़ सायंतन और अग्निमित्रा के ख़िलाफ़ ही कार्रवाई क्यों की गई है? इस सवाल पर घोष का कहना था, "बाबुल को काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. किसको शामिल करना है और किसको नहीं, इसका फ़ैसला पार्टी ही करेगी, कोई व्यक्ति नहीं."
वैसे, प्रदेश बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं, "सायंतन और अग्निमित्रा को कारण बताओ नोटिस भेज कर बाबुल को परोक्ष संदेश दे दिया गया है."
पार्टी में बढ़ते असंतोष पर सार्वजनिक तौर पर भले बीजेपी के नेता कुछ कहने से बच रहे हों, दूसरे दलों से आने वाले नेताओं के ट्रैक रिकार्ड ने प्रदेश नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं. मिसाल के तौर पर उत्तर बंगाल में नागराकाटा के टीएमसी विधायक सुकरा मुंडा के चुनाव क्षेत्र में बीते लोकसभा चुनावों में वोटों के लिहाज से बीजेपी पहले स्थान पर रही थी.
बीजेपी को कितना फ़ायदा होगा?
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि मुंडा से पार्टी को कितना फायदा होगा? ठीक यही सवाल मालदा ज़िले के गाजोल से टीएमसी विधायक दीपाली विश्वाल को लेकर भी उठ रहा है.
प्रदेश बीजेपी के एक नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, "बीते लोकसभा चुनावों के आँकड़ों को ध्यान में रखें तो दीपाली के शामिल होने से पार्टी को कोई ख़ास फ़ायदा नहीं होगा."
पुरुलिया के कांग्रेस विधायक सुदीप मुखर्जी के बीजेपी में शामिल होने के बाद अब पार्टी के स्थानीय नेता दलील दे रहे हैं कि बीते लोकसभा चुनावों में वहां बीजेपी को लगभग 53 फ़ीसदी वोट मिले थे और कांग्रेस को महज 4.6 फ़ीसदी.
ऐसे में उनके आने से कितना भला होगा? अगर इन नेताओं को शामिल करने से राजनीतिक रूप से कोई फ़ायदा नहीं होने वाला है तो आख़िर बीजेपी तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं को तोड़ने की बदनामी क्यों मोल ले रही है?
इन सवालों पर प्रदेश बीजेपी नेताओं ने मुँह बंद कर रखा है. प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, "पार्टी संगठन को मज़बूत करने के लिए ही दूसरे दलों के नेताओं को बीजेपी में शामिल किया जा रहा है."
लेकिन राज्य के ज़्यादातर नेता उनकी इस दलील से सहमत नहीं हैं. उनको अंदेशा है कि इन नेताओं को पार्टी में शामिल करने के बाद बीजेपी के मूल नेता और कार्यकर्ता चुप्पी साध कर बैठ सकते हैं. इससे फ़ायदे के बजाय नुकसान होने का अंदेशा ही ज़्यादा है.
पार्टी-विरोधी गतिविधियों के तहत कार्रवाई के डर से कोई भी नेता सार्वजनिक रूप से कुछ कहने को तैयार नहीं है. एक असंतुष्ट नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, "बंगाल बीजेपी में फ़िलहाल केंद्रीय नेतृत्व का शासन चल रहा है. किसको पार्टी में शामिल किया जाएगा और किसे नहीं, इसका फ़ैसला दिल्ली में ही किया जाता है. हमारी राय की कोई अहमियत नहीं है."
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता सौगत राय कहते हैं, "दूसरी राजनीतिक पार्टियों को तोड़ने की इस रणनीति से बीजेपी को फ़ायदा के बजाय नुकसान ही होगा. टीएमसी छोड़ कर बीजेपी में जाने वाले किसी भी नेता को इस बार टिकट मिलने की संभावना नहीं थी.
अब यह लोग बीजेपी में जाकर असंतोष की आग में घी डालने का काम कर रहे हैं." टीएमसी महासचिव और संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी कहते हैं, "बीजेपी दूसरे का घर तोड़ रही है, अब ख़ुद उसके घर में विवाद बढ़ रहा है. दरअसल, अपना कोई संगठन नहीं होने की वजह से ही वह दूसरे दलों के नेताओं के ज़रिए अपने पैर मज़बूत करना चाहती है."
दूसरी ओर, राजनीतिक हलकों में सवाल उठने लगा है कि क्या दो सौ से ज्यादा सीटें जीतने का दावा करने वाली बीजेपी सिर्फ़ दागियों और बागियों के सहारे ही टीएमसी का मुकाबला करेगी?
यह सवाल निराधार नहीं हैं. दो साल पहले टीएमसी से नाता तोड़ कर बीजेपी के पाले में जाने वाले मुकुल रॉय हों या फिर अमित शाह के दौरे के समय शनिवार को अपने दल-बल के साथ भगवा झंडा थामने वाले शुभेंदु अधिकारी, किसी का दामन उजला नहीं है.
शारदा चिटफंड घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझने वाले इन दोनों नेताओं में से मुकुल रॉय पर तृणमूल कांग्रेस विधायक सत्यजित विश्वास की हत्या तक के आरोप हैं. हत्या की जांच करने वाली सीआईडी की टीम ने हाल में अदालत में जो पूरक आरोप पत्र दायर किया है उसमें रॉय का नाम शामिल है.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि दूसरे दलों से आने वाले नेताओं की वजह से बीजेपी को भले ख़ास फ़ायदा नहीं हो, दूसरे दलों को थोड़ा-बहुत नुकसान तो हो ही सकता है.
राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, "बीजेपी फ़िलहाल खु़द को मज़बूत करने के बजाय दूसरे दलों को कमज़ोर करने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है. दागियों के पार्टी में शामिल होते ही उनके भ्राष्टाचार के पुराने रिकार्ड धूल जाते हैं. मिसाल के तौर पर शुभेंदु के पार्टी में शामिल होने के अगले दिन ही बीजेपी ने सोशल मीडिया से वह वीडियो हटा लिया जिसमें नारदा स्टिंग मामले में वे (शुभेंदु) पैसे लेते नज़र आ रहे थे. शायद वह प्यार, युद्ध और राजनीति में सब कुछ जायज वाली कहावत को चरितार्थ करने पर तुली है." (bbc)
पश्चिम बंगाल में चुनाव अगले साल होने वाले हैं और सरगर्मियां अभी से तेज़ हैं.
एक तरफ़ जहाँ बीजेपी के राष्ट्रीय नेता आए दिन बंगाल का दौरा करने में लगे हैं, दूसरी तरफ टीएमसी भी बीजेपी को जवाब देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
इस बीच कांग्रेस और लेफ़्ट पार्टी ने भी अगले विधानसभा में अपने गठबंधन का एलान कर दिया है.
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार को ट्विटर पर लिखा कि इस गठबंधन के लिए कांग्रेस के आलाकमान ने मंजूरी दे दी है.
यानी पश्चिम बंगाल में आने वाले विधानसभा चुनाव में अब मुक़ाबला त्रिकोणीय होने जा रहा है. टीएमसी, बीजेपी और लेफ़्ट-कांग्रेस गठबंधन के बीच.
ऐसा नहीं कि लेफ़्ट और कांग्रेस पश्चिम बंगाल में पहली बार साथ आए हों. इससे पहले 2016 का विधानसभा चुनाव भी दोनों पार्टियों ने साथ मिल कर लड़ा था. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वो अलग हो गए थे. अब 2021 के विधानसभा चुनाव में वो एक बार फिर से साथ आ रहे हैं.
इसलिए दोनों पार्टियों के 'मिलन-बिछोह-मिलन' की राजनीति और रणनीति दोनों को समझना ज़रूरी है.
लेफ़्ट-कांग्रेस का मेल, किसका बिगाड़ेगा खेल
साल 2011 में जब से तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई है उसके पहले तक पश्चिम बंगाल को लेफ़्ट पार्टी का गढ़ माना जाता था. लेकिन धीरे-धीरे उनकी साख़ ऐसी घटी की विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी भी नहीं रह पाई. आज नौबत अस्तित्व बचाने तक पहुँच गई है.
पश्चिम बंगाल की राजनीति पर पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार जयंतो घोषाल कहते हैं, "बंगाल में फिलहाल कांग्रेस और लेफ्ट मुख्य विपक्षी दल है. ममता बनर्जी सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही हैं. अगर उनके साथ मिल कर गठबंधन करते तो शायद कांग्रेस और लेफ़्ट का राजनैतिक अस्तित्व बिल्कुल ही ख़त्म हो जाता. यही वजह है कि दोनों पार्टियों ने तृणमूल को चुनौती देने के लिए एक होना सही समझा."
वो आगे कहते हैं, "इस गठबंधन के सामने लेकिन सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उनके लिए बीजेपी सबसे बड़ी चुनौती है या फिर तृणमूल कांग्रेस. गठबंधन को इस बारे में तय करना होगा."
फिलहाल गठबंधन दोनों पार्टियों से ही समान दूरी बना कर चलने की रणनीति पर काम कर रहा है. लेकिन उनकी इस रणनीति से तृणमूल को नुक़सान होगा या फिर बीजेपी को ये अभी कह पाना मुश्किल है.
जयंतो घोषाल कहते हैं, "बीजेपी का हिंदू वोट है और कांग्रेस का भी है. उसी तरह से तृणमूल कांग्रेस के पास भी मुस्लिम वोट लेफ़्ट के पास भी मुस्लिम वोटर है. ये गठबंधन दूसरी पार्टी के वोट काटेंगे या फिर अपने अस्तित्व को बचाने में कामयाब हो पाएंगे? ये सबसे बड़ा सवाल है. राज्य में बीजेपी की बढ़त ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है."
विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तस्वीर
दरअसल पिछले पांच सालों में पश्चिम बंगाल में राजनैतिक समीकरण तेजी से बदले हैं.
साल 2016 के विधानसभा चुनाव में कुल 293 सीटों में से तृणमूल कांग्रेस 211 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. कांग्रेस को 44 सीटें, लेफ़्ट को 32 सीटें और बीजेपी को 3 सीटों पर जीत मिली थी.
वोट शेयर की बात करें तो तृणमूल कांग्रेस को तकरीबन 45 फीसद वोट शेयर मिले थे.
लेफ़्ट के पास वोट शेयर 25 फीसद था, लेकिन सीटें कांग्रेस से कम थीं. कांग्रेस के पास 12 फीसद के आसपास वोट शेयर था लेकिन उसे लेफ़्ट से ज़्यादा सीटें मिली थी. बीजेपी का वोट शेयर तकरीबन 10 फीसद था.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ये सारे समीकरण धरे के धरे रह गए. कुल 40 सीटों में से तृणमूल ने 22 सीटें जीतीं, बीजेपी ने 18 और कांग्रेस 2 पर सिमट गई. लेफ़्ट का खाता भी नहीं खुल पाया.
तृणमूल कांग्रेस का वोट शेयर 43 प्रतिशत था, वहीं बीजेपी का 40 प्रतिशत. यानी दोनों के बीच मात्र तीन फीसद वोट शेयर का अंतर रह गया था. कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी का वोट शेयर 10 फीसद से नीचे आ गया.
यही वजह है कि इस बार के बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजपी के हौसले बुलंद हैं और अमित शाह 200+ सीट जीतने का नारा दे रहे हैं.
चुनाव आँकड़ों का विश्लेषण करने वाले और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज में प्रोफ़ेसर संजय कुमार कहते हैं, "अमूमन पार्टी का वोट शेयर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बराबर नहीं रहता है. ये ज़्यादातर बराबर तब रहते हैं जब लोकसभा और विधानसभा चुनाव छह महीने के अंतराल में हो. विधानसभा चुनाव में वोटों का बंटवारा भी लोकसभा के चुनाव के मुक़ाबले कम होता है. इसलिए विधानसभा चुनाव में पार्टी के वोट प्रतिशत में गिरावट देखने को मिलता है."
ऐसे में लेफ़्ट-कांग्रेस गठबंधन का थोड़ा चिंतित होना लाज़मी है.
गठबंधन के बीजेपी के लिए मायने
लेकिन वरिष्ठ पत्रकार महुआ चटर्जी के मुताबिक़ 2019 के लोकसभा चुनाव के आँकड़ों पर बीजेपी को खुश होने की ज़रूरत नहीं है. 2019 में बीजेपी की जीत उनकी अकेले की नहीं थी बल्कि लेफ़्ट की मदद से उन्हें मिली थी. ऐसा महुआ का दावा है.
इस बात को विस्तार से समझाते हुए वो कहती हैं, " लेफ़्ट के कार्यकर्ताओं में अकेले तृणमूल कांग्रेस का मुक़ाबला करने की क्षमता नहीं थी. इसलिए उन्होंने बीजेपी के सहारे ममता को सीमित करने की कोशिश की. अंदरखाने पार्टी के ज़मीनी कार्यकर्ताओं का नारा था '19 में हॉफ़, 21 में साफ़'. मतलब 2019 में चुनाव में ममता बनर्जी आधे पर सिमट जाएंगी और 21 में साफ़ हो जाएंगी. आधिकारिक तौर पर इस बात को किसी पार्टी ने कभी स्वीकार नहीं किया."
महुआ ने 2019 में इस बारे में टाइम्स ऑफ इंडिया में एक ख़बर भी छापी थी. जिसके बाद लेफ़्ट पार्टी की तरफ़ से उनकी ख़बर का खंडन भी किया गया था.
लेकिन आज लेफ़्ट पार्टी का वही दाव उनके लिए उलटा पड़ रहा है. आज पश्चिम बंगाल में लेफ़्ट-कांग्रेस गठबंधन के सामने ना सिर्फ़ ममता बनर्जी को हराने की चुनौती है, बल्कि बीजेपी से ख़ुद को बचाने की मज़बूरी भी है, ताकि कम से कम वो मुख्य विपक्षी पार्टी तो बने रहें.
वो कहती हैं, "2016 में लेफ़्ट और कांग्रेस का गठबंधन चुनाव के कुछ ही दिन पहले हुआ था. देरी की वजह से लेफ़्ट के काडर में नीचे तक ये बात नहीं पहुँची थी. कांग्रेस को लेफ़्ट का वोट तो मिला लेकिन लेफ़्ट को कांग्रेस का वोट ट्रांसफर नहीं हो पाया था. इसलिए कांग्रेस की सीटें लेफ़्ट से ज़्यादा आई थीं."
महुआ की माने तो बीजेपी के पास आज भी बंगाल में अपनी ज़मीनी ताक़त उतनी नहीं है जितना बढ़-चढ़ कर वो बताते हैं. बंगाल में लेफ़्ट के पास अपना एक वोट बैंक पहले भी था और आज भी है. कांग्रेस भले ही कुछ एक जगह ही मज़बूत हो. अगर सही से गठबंधन अपने कार्यकर्ताओं और वोट बैंक का इस्तेमाल करे, तो उनका प्रदर्शन बेहतर हो सकता है.
किसान आंदोलन - कितना बड़ा मुद्दा
उदाहरण के तौर पर महुआ कहतीं है कि किसानों के मुद्दे पर लेफ़्ट - कांग्रेस गठबंधन बंगाल में अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकती है.
बंगाल में 70 फीसद आबादी कृषि पर ही निर्भर करती है.
तो क्या दिल्ली में पिछले एक महीने से चल रहा किसानों का आंदोलन बंगाल चुनाव में मुद्दा बन सकता है?
जयंतो घोषाल कहते हैं, "कोई भी चुनाव किसी एक मुद्दे पर नहीं लड़ा जाता. बहुत सारे मुद्दे होते हैं. नए कृषि क़ानून उनमें से एक मुद्दा ज़रूर है."
यहाँ एक बात जिस पर ध्यान देने की ज़रूरत है वो ये कि चाहे तृणमूल कांग्रेस हो या फिर लेफ़्ट दोनों की पृष्ठभूमि में 'लैंड रिफॉर्म' एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है.
ज़मीन आंदोलन से निकली पार्टियाँ
साल 1960 के दशक में लेफ़्ट पार्टी ने ब्रिटिश शासन के समय से चले आ रहे पुरानी ज़मीनदारी प्रथा, पर्मानेंट सेटलमेंट जैसे क़ानून का विरोध शुरू किया था. साल 1977 में जब वो सत्ता में आए तो छोटे किसानों को उनकी ज़मीन का मालिकाना हक़ दिलाया.
बंगाल में लेफ़्ट पार्टी की सफलता के लिए अनेक कारणों में से इस जमीन सुधार के कार्य को एक अहम वजह माना जाता है. उनके सबसे बड़े नेता बिनॉय चौधरी को बंगाल के लोग आज भी लैंड रिफॉर्म मिनिस्टर के तौर पर ही याद करते हैं.
आगे चल कर यही छोटी-छोटी ज़मीन के टुकड़े और उनके अलग-अलग मालिकाना हक की वजह से लेफ़्ट को औद्योगिकरण में दिक़्क़त का सामना करना पड़ा. किसानों की इसी ज़मीन अधिग्रहण की लड़ाई को सिंगूर में ममता बनर्जी ने लड़ा और अपनी राजनीतिक ज़मीन तैयार की.
लेकिन दिल्ली में जो किसान आंदोलन चल रहा है उसके मुद्दे बंगाल के किसानों से थोड़े अलग है.
बंगाल में धान के साथ-साथ साग-सब्ज़ियाँ ज़्यादा उगाई जाती है. पंजाब-हरियाणा के किसानों के मुकाबले बंगाल के किसानों की आर्थिक स्थिति थोड़ी कमज़ोर है. फिलहाल दिल्ली में बैठे किसानों का मुख्य मुद्दा एमएसपी से जुड़ा है.
लेकिन इस मुद्दे का फायदा लेने के लिए ममता बनर्जी पूरी कोशिश कर रही है. शरद पवार उनका साथ भी दे रहे हैं. आने वाले दिनों में कांग्रेस और दूसरे विपक्षी पार्टी को साथ ला कर एक ग़ैर राजनीतिक लड़ाई लड़ने की कोशिश भी हो रही है. बीबीसी से बातचीत में जयंतो घोषाल ने ये बात कही.
बीजेपी जिस तरह से बंगाल में खुल कर राजनीति का खेल, खेल रही है उस पिच पर केवल किसानों का ही एक मुद्दा है जिस पर उसे बैकफुट पर धकेला जा सकता है. ऐसा ममता बनर्जी और लेफ़्ट दोनों को लगता है. दोनों विपक्षी पार्टियों ने इस दिशा में हाल के दिनों में काम करना शुरू भी कर दिया है.
तृणमूल के साथ गठबंधन
अगर बीजेपी के ख़िलाफ़ तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी एक ही मुद्दा उठा रही है, तो फिर तीनों पार्टियाँ एक साथ क्यों नहीं आ जाती? ऐसा करके बीजेपी के ख़िलाफ़ वो ज़्यादा सीटें भी जीत सकती हैं.
इस पर जयंतो घोषाल कहते हैं, "तीनों पार्टियां साथ लड़तीं तो लेफ़्ट-कांग्रेस को फ़ायदा होता. कांग्रेस के दिल्ली के नेता चाहते थे कि कांग्रेस ममता बनर्जी के साथ गठबंधन करें. लेकिन इसके लिए अधीर रंजन चौधरी और बंगाल कांग्रेस के स्थानीय नेता तैयार नहीं हुए."
दूसरी तरफ़ ममता बनर्जी भी कांग्रेस और लेफ्ट के साथ गठबंधन के लिए तैयार नहीं थी. उन्हें अब भी लगता है कि तृणमूल अकेले बीजेपी के लिए काफी है."
ये सब जानते हैं कि अधीर रंजन और ममता बनर्जी की आपस में नहीं पटती लेकिन सोनिया गांधी और ममता बनर्जी के बीच की केमेस्ट्री अच्छी है. फिर 2024 भी बहुत दूर नहीं है जब नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए विपक्ष को एकजुट होना होगा.
चुनाव के बाद क्या समीकरण बनते हैं, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा. (bbc)
हैदराबाद, 26 दिसम्बर | ब्रिटेन से तेलंगाना लौटने वाले 9 और लोग कोरोनावायर जांच रिपोर्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं, जिससे लौटने वाले पॉजिटिव यात्रियों की संख्या 16 हो गई है। इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को दी। 16 संक्रमित व्यक्तियों के पॉजिटिव सैंपल कोरोना के नए स्ट्रेन का पता लगाने के लिए सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) को जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजे गए हैं। कुछ दिनों में उनकी रिपोर्ट आने की उम्मीद है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक डॉ जी श्रीनिवास राव ने कहा कि संक्रमित पाए गए लोगों को विभिन्न अस्पतालों में विशेष वाडरें में रखा गया है।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने सभी पॉजिटिव मामलों के 76 संपर्कों का पता लगाया है, उन्हें आईसोलेशन में रखा गया है और उनकी स्वास्थ्य स्थिति की बारीकी से निगरानी की जा रही है।
--आईएएनएस
यूपी में गैरकानूनी धर्मांतरण अध्यादेश के लागू होने के बाद से धड़ाधड़ मामले दर्ज हो रहे हैं. कुछ मामलों में अभियुक्तों को कोर्ट से जमानत भी मिल गई लेकिन पिज्जा खाने गए दोस्तों पर धर्मांतरण का मामला तो हैरान करने वाला है.
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र का लिखा-
यूपी, 25 दिसंबर | कथित लव जिहाद को रोकने के लिए लाए गए अध्यादेश के बाद से यूपी में कई मामले दर्ज हुए हैं. दो दिन पहले एटा जिले में भी इस तरह का केस दर्ज हुआ और अब तक पुलिस इस मामले में अभियुक्त बनाए गए युवक से संबंध रखने वाले 14 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. हालांकि अभी युवक पुलिस की पकड़ में नहीं आ सका है. युवक पर आरोप है कि उसने एक लड़की को अगवा किया, फिर जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराकर उसे निकाह किया.
यूपी पुलिस की सक्रियता
हालांकि पुलिस ने गुरुवार को उस लड़की को भी दिल्ली से बरामद कर लिया जिसे अगवा करने का उस युवक पर आरोप है. अभी तक युवती ने अपनी ओर से ऐसी कोई शिकायत नहीं की है. पुलिस का कहना है कि लड़की को पुलिस अभिरक्षा में एटा के महिला थाने में रखा गया है. मेडिकल जांच के बाद अदालत में उसके बयान दर्ज किए जाएंगे.
एटा के जलेसर क्षेत्र में 21 वर्षीय एक लड़की के पिता ने आरोप लगाया था कि 17 नवंबर को उनकी बेटी को किडनैप किया गया था. परिजनों के मुताबिक, बाद में दिल्ली में लड़की का धर्म परिवर्तन कराकर उसका निकाह जावेद नाम के एक युवक से करा दिया गया.
लड़की के पिता की तहरीर पर जलेसर थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 366 और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम(कथित लव जिहाद रोकने के लिए लाया गया कानून) के तहत 6 नामजद और दो अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गई. पुलिस अभी तक इस मामले में दो महिलाओं समेत 14 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. हालांकि मुख्य अभियुक्त जावेद समेत पांच नामजद अभियुक्त अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. इन सभी पर पुलिस ने 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा है और कोर्ट से इनकी कुर्की वारंट भी ले लिए हैं.
जलेसर के पुलिस उपाधीक्षक रामनिवास सिंह के मुताबिक, "जावेद और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आईपीसी के सेक्शन 366 के साथ ही उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश के तहत केस दर्ज कर किया गया. मुख्य आरोपी 25 साल के मोहम्मद जावेद फरार है जबकि 14 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. जावेद के साथ उसके चार नजदीकी रिश्तेदार भी फरार हैं. पुलिस ने अब पांचों पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है.”
यूपी में बीते 28 नवंबर को राज्यपाल ने गैरकानूनी धर्मांतरण अध्यादेश को अपनी मंजूरी दी थी जिसके बाद से यह कानून के तौर पर अस्तित्व में आ गया. राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद से ही अब तक इन मामलों में दर्जनों एफआईआर दर्ज की गई हैं और कई गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं. कई मामले ऐसे भी हैं जिनमें पुलिस की सक्रियता को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
लड़की मुस्लिम तो दूसरा कानून
इस अध्यादेश के तहत पहला मामला बरेली जिले में दर्ज हुआ जिसमें पुलिस ने अभियुक्त को एक हफ्ते के भीतर ही गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. इसी जिले में एक हफ्ते बाद जब एक लड़की के परिजनों ने एफआईआर दर्ज कराई तो पुलिस ने नए अध्यादेश के तहत धाराएं दर्ज करने से मना कर दिया. दिलचस्प बात यह है कि उसी दिन ऐसे ही एक मामले में पड़ोसी जिले मुरादाबाद में इसी अध्यादेश के तहत मामला दर्ज किया गया.
बरेली जिले के प्रेमनगर के रहने वाले शाहिद मियां ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनकी 22 वर्षीया बेटी को तीन लोगों ने अगवा कर लिया है. परिजनों ने सिद्धार्थ सक्सेना, उनकी बहन चंचल और दोस्त मनोज कुमार सक्सेना पर केस दर्ज कराया.
शाहिद मियां बताते हैं, "एक दिसम्बर को बेटी बाहर गई थी लेकिन वापस नहीं आई. फिर हमने 5 दिसम्बर को प्रेमनगर थाने में तहरीर दी की मेरी बेटी का मनोज और अमन ने अपहरण कर लिया है. पुलिस ने अगले ही दिन लड़की को बरामद तो कर लिया लेकिन हम लोगों से ना तो बात कराई और ना ही मिलने दिया गया. हमें डर है कि उसे कुछ हो ना जाए.”
इस मामले में पुलिस का कहना था कि लड़की ने अपनी मर्जी से शादी की थी और उसने स्वेच्छा से पति के साथ रहने की बात कही, इसलिए उसे उसके पति के साथ जाने दिया गया. जबकि मुरादाबाद में ऐसे ही मामले में पुलिस की कार्रवाई बिल्कुल इसके उलट थी.
मां बाप साथ में लेकिन पुलिस नहीं मानी
मुरादाबाद जिले में 22 वर्षीय एक युवक राशिद अली को कांठ क्षेत्र में उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह अपनी पत्नी के साथ शादी का रजिस्ट्रेशन कराने जा रहा था. राशिद के साथ उनके भाई सलीम को भी गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने यह गिरफ्तारी लड़की के परिजनों की इस शिकायत पर की थी कि राशिद ने जबरन धर्मांतरण करके उनकी बेटी के साथ शादी की है. जबकि वहां मौजूद पत्रकारों से लड़की ने खुद कहा कि उसने राशिद के साथ अपनी मर्जी से शादी की है. बाद में कोर्ट ने राशिद और उनके भाई सलीम को रिहा करने के आदेश दिए.
यही नहीं, दिसंबर महीने में ही लखनऊ में ऐसी ही एक शादी पुलिस ने रुकवा दी थी जिसमें लड़की और लड़के के परिजन भी शामिल थे और उन्हें इस शादी से कोई आपत्ति भी नहीं थी. पुलिस ने यह शादी कुछ संगठनों की शिकायत पर रुकवाई थी. मुरादाबाद में भी पुलिस ने जो कार्रवाई की, उसके पीछे बजरंग दल के कुछ लोगों की आपत्ति थी जिन्होंने कोर्ट में हंगामा किया था और पुलिस पर राशिद को गिरफ्तार करने का दबाव बनाया था.
पिज्जा खाने साथ गए तो धर्मांतरण का केस
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी एक फैसले में भी कहा है कि अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहना और उससे शादी करना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, बावजूद इसके इस अध्यादेश के तहत कई मामले दर्ज हो रहे हैं. यही नहीं, कुछेक मामलों में पुलिस को अदालत की फटकार सुनने को भी मिली लेकिन मामले दर्ज होने का सिलसिला जारी है. हालत ये हो गई है कि छात्रों का पढ़ाई के सिलसिले में या फिर घूमने जाने पर भी केस दर्ज हो जा रहे हैं.
बिजनौर में तो अभी एक दिन पहले हैरान करने वाला मामला सामने आया. यहां हिन्दू लड़की के साथ पिज्जा खा रहे एक मुस्लिम युवक पर पुलिस ने कथित तौर पर गैरकानूनी धर्मांतरण अध्यादेश के तहत मामला दर्ज कर लिया. यही नहीं, युवक नाबालिग है, लेकिन उसके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट, पॉक्सो एक्ट और गैरकानूनी धर्मांतरण कानून के तहत मामला दर्ज करके जेल भेज दिया गया.
लड़की के पिता ने स्थानीय मीडिया को बताया है कि इस मामले में पुलिस वालों ने खुद उसे थाने बुलवाया, घटना की जानकारी दी और फिर एफआईआर लिखवाई. लड़के के परिजनों का कहना है कि अभियुक्त साकिब नाबालिग है और उसकी उम्र अभी 17 साल ही है.
धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती
यूपी सरकार के इस अध्यादेश को कोर्ट में भी चुनौती दी जा चुकी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस अध्यादेश के खिलाफ तीन जनहित याचिकाएं दाखिल की गई हैं जिनमें इसे नैतिक और संवैधानिक रूप से अवैध बताते हुए रद्द करने की मांग की गई है.
इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब तलब किया है. यूपी सरकार को हाईकोर्ट के सामने चार जनवरी तक अपना विस्तृत जवाब पेश करना है. कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 7 जनवरी तय की है. हालांकि चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगाए जाने से फिलहाल इंकार कर दिया है. (dw.com)