राष्ट्रीय
गाजीपुर बॉर्डर (दिल्ली/उप्र), 8 दिसंबर| कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के भारत बंद का असर दिखने लगा है। मंगलवार सुबह 11 बजे गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने गाजियाबाद मेरठ एक्सप्रेस-वे पर धरना दिया, जिसके चलते हाई-वे पर चल रही गाड़ियों को वापस लौटना पड़ा। हालांकि इस दौरान एम्बुलेंस को किसानों ने जगह देकर उन्हें उनके गंतव्य स्थान तक जाने दिया। मंगलवार सुबह से ही देश के अलग-अलग इलाकों में कई संगठन सड़कों पर उतरे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठनों ने सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक चक्का जाम की बात कही है।
किसान नेता बी.एम. सिंह भी गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंच चुके हैं, वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी बॉर्डर पर मौजूद हैं। बी.एम. सिंह ने आईएएनएस से कहा कि, किसान मेरा हौसला बढ़ा रहा है, सरकार को कहना चाहूंगा कि ये उत्तप्रदेश के किसानों का सिर्फ एक ट्रेलर है।
सरकार को उत्तरप्रदेश के किसानों से भी बात करनी होगी, हमें एमएसपी की गारंटी चाहिए। उत्तरप्रदेश के किसानों का ये प्रदर्शन चलता रहेगा।
गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों से आए किसान मौजूद हैं जो कि कृषि कानून के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।
किसानों के भारत बंद को देखते हुए बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद है जो कि हालात पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं। करीब 400 की संख्या में बॉर्डर पर पुलिस बल तैनात है। साथ ही पुलिस ड्रोन से किसानों पर निगरानी बनाए हुए हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 दिसंबर| तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे आंदोलनकारी किसानों का समर्थन कर रहे पंजाब के कई कांग्रेस सांसदों ने मंगलवार को दूसरे दिन भी जंतर-मंतर पर अपना धरना जारी रखा। 26 नवंबर से दिल्ली-हरियाणा और दिल्ली-यूपी सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में ये सांसद सोमवार सुबह से ही धरने पर बैठे हैं। रवनीत सिंह बिट्टू, कुलबीर सिंह जीरा, जसबीर सिंह गिल और गुरजीत सिंह औजला मंगलवार को मध्य दिल्ली में विरोध स्थल पर मौजूद थे।
औजला ने ट्वीट कर कहा, "हम कल सुबह से यहां बैठे हैं। किसानों को सपोर्ट करना हमारी जिम्मेदारी है .. हमने देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रधान मंत्री के सभी निर्देशों का पालन किया है लेकिन अब जबकि किसान सड़कों पर बैठे हैं, इसलिए कृपया 'भारत बंद' के आह्वान पर किसानों को एक दिन के लिए अपना समर्थन जरूर दें।"
उन्होंने आगे लिखा, "खडूर साहिब के सांसद जसबीर सिंह गिल और लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने जंतर-मंतर पर सुबह की चाय पर प्रेस वार्ता की।"
सांसद संसद के 'शीतकालीन सत्र' की भी मांग कर रहे हैं। इसे लेकर उन्होंने दावा किया कि सरकार इसे लेकर जानबूझ कर देरी कर रही है। अमृतसर से कांग्रेस सांसद औजला ने कहा कि जब किसान दिल्ली पहुंचे, तो उन्हें दिल्ली-हरियाणा सीमा पर रोक दिया गया। उन्हें रामलीला मैदान या जंतर मंतर जाने की अनुमति नहीं दी गई लिहाजा उन्हें इस तरह दिल्ली की सीमाओं पर अपना विरोध जारी रखना पड़ा।
पंजाब के विभिन्न राजनीतिक दलों के कई नेता दिल्ली में चल रहे किसानों के आंदोलन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए यहां आ रहे हैं। कई राजनीतिक दलों ने किसानों को अपना समर्थन दिया है।
किसानों ने कानूनों के विरोध में मंगलवार को 'भारत बंद' का आह्वान किया है। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 8 दिसंबर| विभिन्न किसान संगठनों के कार्यकतार्ओं ने मंगलवार को पंजाब और हरियाणा में नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हुए व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि ये कानून उनकी आजीविका को खत्म कर देंगे। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए दोनों राज्यों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। हालांकि खबर लिखे जाने तक हिंसा की कोई सूचना नहीं थी। यहां तक कि दोनों राज्यों के अधिकांश प्रमुख शहरों के दुकानदारों और पेट्रोल पंप मालिकों ने किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए अपने प्रतिष्ठान बंद रखे हैं।
खबरों के मुताबिक कुछ प्रदर्शनकारियों ने अमृतसर जिले में वाहनों की आवाजाही रोकने की कोशिश की। इसके अलावा पंजाब में लाखों सरकारी कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से अवकाश पर जाने का फैसला किया है, वहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने अपने सभी संस्थानों को पूरे दिन के लिए बंद रखा।
किसान संघों ने रेल यातायात को अवरुद्ध करने के अलावा राज्य में 60 जगहों पर धरना देने की घोषणा की। कुछ राजमार्गों और सड़कों को भी बंद कर दिया गया था। चंडीगढ़ और उसके आसपास का यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ।
पड़ोसी राज्य हरियाणा के हिसार, रोहतक, सोनीपत और अन्य शहरों में भी विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। हरियाणा सरकार ने मंगलवार के विरोध को देखते हुए एहतियात के तौर पर राज्य भर में सुरक्षा बंदोबस्त चुस्त रखने का आदेश दिया है। (आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर, 8 दिसम्बर | केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसान डटे हुए हैं। वहीं, किसानों ने आज 'भारत बंद' बुलाया है। भारत बंद पूर्वाह्न 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक रहेगा। जिसको लेकर गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा-व्यवस्था बनी रहे इसके लिए पूरी तैयारी हो चुकी है।
गाजीपुर बॉर्डर पर फिलहाल बम निरोधक दस्ते को भी बुलाया गया है, वहीं बॉर्डर पर लगी गाड़ियों को चेक किया जा रहा है और संदिग्धों से पूछताछ हो रही है। साथ ही बॉर्डर पर करीब 500 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है, ताकि हर स्थिति से निपटा जा सके।
किसान नेताओ ने साफ कर दिया है कि भारत बंद शांतिपूर्ण होगा और पूर्वाह्न 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक चक्का जाम रहेगा। इस दौरान आपातकालीन सेवाओं की अनुमति होगी।
इस भारत बंद में शामिल होने के लिए किसी के साथ जोर-जबरदस्ती नहीं की जाएगी। साथ ही राजनीतिक दलों के समर्थन का किसानों ने स्वागत किया है। लेकिन ये भी साफ कर दिया है कि अपनी पार्टी के झंडों को घर छोड़ कर आए।
-- आईएएनएस
नई दिल्ली, 8 दिसम्बर | कृषि कानूनों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने मंगलवार को उनके द्वारा बुलाए गए भारत बंद के दौरान गाजीपुर के पास दिल्ली-मेरठ हाइवे को अभी भी ब्लॉक कर रखा है। पिछले दस दिनों से दिल्ली-उत्तर प्रदेश गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा जमाए हुए आंदोलनकारी किसानों ने मंगलवार सुबह को एक बार फिर से राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया है, जो गाजीपुर के रास्ते दिल्ली को मेरठ संग जोड़ती है। हालांकि, किसानों ने बताया है कि एम्बुलेंस या शादी की बारात जैसे आपातकालीन वाहनों को गुजरने की अनुमति दी जाएगी।
देशव्यापी विरोध के बीच उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों के किसान यहां गाजियाबाद सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसानों ने पिछले चार दिनों से गाजीपुर के पास एनएच-24 को जाम कर रखा है।
भारत बंद के मद्देनजर चंडीगढ़ का सफर करने वाले कई यात्रियों को हाइवे पर वाहनों के इंतजार में देखा गया। हालांकि यहां सुबह के वक्त ई-रिक्शा को चलते हुए देखा गया। इसी तरह से कई दुकानें भी बंद रहीं। गाजीपुर सब्जी मंडी में भी बहुत कम भीड़ दिखाई दी, जहां आमतौर पर भीड़ रहती है।
केंद्र सरकार द्वारा तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसानों के प्रतिनिधियों और सरकार दोनों पक्षों के बीच पांचवे दौर की बैठक भी बेनतीजा खत्म हो गई। सिर्फ इतनी सहमति बनी कि 9 दिसंबर को फिर से बैठक होगी।
--आईएएनएस
लखनऊ, 8 दिसम्बर | उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
लखनऊ पुलिस ने सोमवार देर रात, अखिलेश यादव और पार्टी के 28 अन्य नेताओं के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
अखिलेश यादव ने सोमवार को लखनऊ में एक प्रदर्शन का नेतृत्व किया था, जब पुलिस ने उन्हें कन्नौज की ओर बढ़ने से रोक दिया था, जहां वे किसान यात्रा की अगुवाई करने वाले थे।
इको गार्डन में अखिलेश को करीब पांच घंटे तक हिरासत में रखा गया।
अखिलेश के हिरासत की खबर फैलते ही विभिन्न जिलों में समाजवादी कार्यकर्ताओं ने पुलिस क साथ झड़प की।
--आईएएनएस
मुंबई, 8 दिसंबर | महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि ग्लोबल टीचर प्राइज लॉरिएट रंजीतसिंह दिसाले की मदद से राज्य के छात्रों के लिए एक शीर्ष शैक्षणिक ढांचा तैयार किया जाएगा। ठाकरे ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव पहल या प्रयोगों के साथ शिक्षाविदों को एक साथ लाएगी।
उन्होंने कहा, "हम ऐसे सभी शिक्षकों की मदद से एक रोडमैप तैयार करेंगे, जो छात्रों को विश्वस्तरीय शिक्षा प्राप्त करने में मदद करेगा, विशेषकर सरकारी और नगरपालिका स्कूलों में।"
दिसाले की वैश्विक उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए, सीएम ने कहा कि यह उनके 'शिक्षा के क्षेत्र में जुनून' को दर्शाता है और शिक्षा विभागों से आग्रह किया है कि वे इस तरह के तकनीकी-समझ रखने वाले और नए-नए दिमाग वाले शिक्षकों के साथ और अधिक निकटता से काम करें, क्योंकि इस समय विशेष रूप से आभासी कक्षाओं के दौरान काम किया जा रहा है।
--आईएएनएस
श्रीनगर, 8 दिसंबर | जम्मू एवं कश्मीर के मौसम विज्ञान केंद्र ने पहाड़ी इलाकों और लद्दाख में भारी बर्फबारी का पूवार्नुमान लगाते हुए सोमवार शाम को 'नारंगी' चेतावनी जारी की, जिससे राजमार्गो पर यातायात बाधित हो सकता है। कश्मीर के कुछ स्थानों और जोजिला क्षेत्र से अलग-अलग भारी बर्फबारी के साथ हल्की से मध्यम बर्फबारी की सूचना दी गई है।
दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में अगले 24-36 घंटों के दौरान मौसम खराब होने की संभावना है। इस अवधि के दौरान जम्मू के मैदानी इलाकों में व्यापक हिमपात या बारिश की संभावना सबसे अधिक है।
--आईएएनएस
अगरतला, 8 दिसंबर | भारत-बांग्लादेश सीमाओं के साथ सीमा पर बाड़ लगाने के काम में शामिल एक पर्यवेक्षक सहित तीन श्रमिकों को सोमवार को त्रिपुरा के आदिवासी गुरिल्लाओं ने अगवा कर लिया। उत्तरी त्रिपुरा में उग्रवादियों द्वारा एक छोटे व्यापारी का अपहरण किए जाने के 11 दिनों बाद यह अपहरणकांड हुआ है।
पुलिस ने कहा कि सोमवार को संदिग्ध नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) के अपराधियों ने पूर्वी त्रिपुरा के धलाई जिले के गंगानगर से तीन श्रमिकों का अपहरण कर लिया।
एनएलएफटी चरमपंथियों ने पर्यवेक्षक सुभाष भौमिक, जेसीबी चालक सुबल देबनाथ और कार्यकर्ता गणपति त्रिपुरा को बंदूक की नोक पर अपहरण कर लिया, जब वे काम पर थे।
पुलिस को संदेह है कि एनएलएफटी उग्रवादियों ने बंदियों को बांग्लादेश के इलाके में ले जाया गया है।
धालई जिले के पुलिस प्रमुख किशोर देबबर्मा के नेतृत्व में सुरक्षा बलों के विशाल दल ने सीमावर्ती क्षेत्र में मानव-गुरिल्लों को पकड़ने और तीन लोगों को बचाने के लिए तलाशी अभियान चलाया।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 8 दिसंबर | बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) ने सोमवार को विभिन्न किसानों की यूनियनों द्वारा किए गए भारत बंद के आह्वान को समर्थन देने का फैसला किया है। बीसीडी की एक्शन कमेटी के मुख्य सह-संयोजक राजीव खोसला ने एक बयान में कहा, "बार एसोसिएशनों के नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर किसानों को संबोधित किया और उन्हें बताया कि यदि किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो कानूनी बिरादरी अखिल भारतीय स्तर पर आंदोलन को तेज करेगी।
इस बीच, दिल्ली की बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति ने 8 दिसंबर को सभी अदालती परिसरों में खेत कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है।
बीसीडी ने कहा कि कानूनी बिरादरी किसानों की मांग का पूरी तरह से समर्थन करती है और सरकार से किसान समुदाय की वास्तविक मांगों पर विचार करने का आग्रह करती है।
खोसला ने कहा, "कानूनी बिरादरी चकित है कि कैसे सरकार किसानों के साथ चर्चा किए बिना बार के प्रतिनिधियों के साथ खेत कानूनों को लागू करने के लिए आगे बढ़ी।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि कानूनी बिरादरी ने कानूनों की जांच करने के बाद उन्हें अनुचित, मनमाना और अन्यायपूर्ण पाया है।
--आईएएनएस
बेंगलुरु, 8 दिसंबर | स्थानीय पुलिस ने सोमवार को एक कैब ड्राइवर को गिरफ्तार कर उससे या बा और एक्सटैसी (एमडीएमए) गोलियां व हेरोइन बरामद की। ये नशीले पदार्थ एक टैडी बियर खिलौने में भरकर रखे गए थे। पुलिस के मुताबिक, आरोपी की पहचान 34 वर्षीय शाकिर हुसैन चौधरी के रूप में हुई है, जो असम के मोनाचेर्रा गांव का निवासी है।
पुलिस ने कहा कि आरोपी पिछले पांच साल से बेंगलुरु में रह रहा है और वह खुद भी या बा टैबलेट का आदी है।
पुलिस ने कहा कि या बा एक थाई नाम है जिसका शाब्दिक अर्थ 'पागल दवा' है और इसे या मा के नाम से भी जाना जाता है, जिसका थाई में अर्थ 'घोड़ा' होता है। इन गोलियों में मेथामफेटामाइन होता है।
पुलिस ने कहा कि इस दवा का अवैध इस्तेमाल बड़े पैमाने पर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे थाईलैंड और म्यांमार में देखा गया है, लेकिन अब यह बांग्लादेश में भी आसानी से उपलब्ध है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 8 दिसंबर | किसानों के आंदोलन को दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने समर्थन देने का ऐलान किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के अलावा भी कई अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों ने किसानों ने समर्थन दिया है। फेडरेशन ऑफ सेंट्रल यूनिवर्सिटीज टीचर्स एसोसिएशन ने समर्थन की घोषणा की है। केंद्रीय विश्वविद्यालय के अध्यापक किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का भी समर्थन कर रहे हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) के अध्यक्ष राजीव रे ने इस समर्थन की जानकारी देते हुए कहा, "टीचर्स, किसानों के आंदोलन और उनकी मांगों से सहमत हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक, किसानों द्वारा 8 दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद का भी समर्थन कर रहे हैं।"
दिल्ली विश्वविद्यालय के एक अन्य शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने भी किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। डीटीए में शामिल टीचर्स और प्रोफेसर्स ने आंदोलनरत किसानों की मांगों को जायज ठहराया। डीटीए का मानना है कि किसानों की समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार को बिना शर्त बात करनी चाहिए।
डीटीए का कहना है, "हम आंदोलनकारी किसानों की मांग के समर्थन में उनके साथ खड़े हैं। संगठन के पदाधिकारियों ने इस विषय पर अपनी एक अहम बैठक बुलाई। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया है।"
एसोसिएशन के प्रोफेसर हंसराज सुमन, डॉ. नरेंद्र कुमार पांडेय, डॉ. आशा रानी, डॉ. मनोज कुमार सिंह व डॉ. राजेश राव आदि ने बैठक में किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए हर संभव सहयोग देने को कहा है।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के प्रभारी प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा, "पिछले छह दिन से चल रहा किसानों का आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण है, लेकिन सरकार उनके साथ कठोर बर्ताव कर रही है। सरकार उनके आंदोलन को कुचलने, दबाने, उन्हें खदेड़ने के लिए उन पर आंसूगैस के गोले और ठंड में वाटर कैनन से पानी की बौछार कर उन्हें आंदोलन से हटाने की कोशिश रही है। मुद्दे हल करने के बजाय तारीख पर तारीख दे रही है।"
गौरतलब है कि कई किसान संगठन केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश की अनुमति न मिलने पर दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। किसानों के इस प्रदर्शन और भारत बंद के साथ अब दिल्ली विश्वविद्यालय समेत कई अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक भी जुड़ गए हैं।
--आईएएनएस
किसानों का 'भारत बंद' यूँ तो आज, 8 दिसंबर को है, लेकिन इसे लेकर राजनीतिक हलचल एक दिन पहले ही शुरू हो गई थी.
लखनऊ में उत्तर प्रदेश पुलिस समाजवादी पार्टी की गतिविधियों पर नज़र रख रही है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को ही कहा था कि 'वे किसानों की माँगों को वाजिब मानते हैं और वे किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का समर्थन करेंगे.' पर सोमवार सुबह यूपी पुलिस ने उनके घर के बाहर डेरा डाल दिया.
मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब और हरियाणा के किसान बीते 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाया हुआ है. साथ ही, देश के कई ज़िलों में किसानों का प्रदर्शन जारी है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को सिंघु बॉर्डर का दौरा किया, जहाँ इस वक़्त प्रदर्शनकारी किसानों का सबसे बड़ा डेरा है. उन्होंने दोहराया कि 'आम आदमी पार्टी किसानों के साथ है.'
केंद्र सरकार ने किसानों से अपील की थी कि वो ऐसे किसी बंद का आह्वान ना करें और बच्चों व बूढ़ों को प्रदर्शन स्थलों से घर भेज दें. सरकार ने कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए किसानों से यह अपील की थी.
लेकिन किसानों ने सरकार की यह अपील ठुकराते हुए 8 दिसंबर के भारत बंद का आह्वान किया है. किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार तीनों नये कृषि क़ानूनों को वापस ले. किसानों का कहना है कि इस नए क़ानून के कारण उन्हें अपना अनाज औने-पौने दाम पर बेचना होगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था ख़त्म हो जाएगी.
इसे लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत जारी है. पाँच चरण की वार्ता हो चुकी है जो अब तक बेनतीजा रही. बुधवार, 9 दिसंबर को यानी भारत बंद के ठीक एक दिन बाद, सरकार और किसान संगठनों में छठे चरण की वार्ता होनी है.
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार किसानों के प्रदर्शन से दबाव में है. किसानों से वार्ता में शामिल कुछ केंद्रीय मंत्रियों के बयानों से ऐसे संकेत मिले हैं कि सरकार पीछे हट सकती है.
प्रदर्शनकारी किसानों का केंद्र सरकार से अब यही सवाल है कि वो नये कृषि क़ानून वापस ले रही है या नहीं
इस बीच ना सिर्फ़ मुख्य विपक्षी दलों, बल्कि बीजेपी के कुछ सहयोगी दलों ने भी किसानों की माँगों का समर्थन किया है. उन्होंने कहा है कि वो मंगलवार को भारत बंद के समर्थन में रहेंगे.
भारत बंद को ध्यान में रखते हुए हरियाणा पुलिस और दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर, जो अब तक प्रदर्शन के सबसे बड़े केंद्र रहे हैं, वहाँ अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने की तैयारी की है.
अब तक क़रीब 18 राजनीतिक पार्टियों ने कहा है कि वो किसानों के भारत बंद के समर्थन में हैं.
सोमवार सुबह बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, "कृषि से संबंधित तीन नये क़ानूनों की वापसी को लेकर पूरे देश भर में किसान आंदोलित हैं. उन्होंने 8 दिसंबर को जिस भारत बंद का ऐलान किया है, बीएसपी उसका समर्थन करती है. साथ ही केंद्र सरकार से अपील करती है कि वो किसानों की माँगों को माने."
इससे पहले शिवसेना ने भारत बंद के समर्थन की घोषणा की थी. पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने कहा था कि 'किसानों के प्रति हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी के नाते देश की जनता को किसानों के बंद में स्वेच्छा से हिस्सा लेना चाहिए.'
इससे पहले, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, डीएमके चीफ़ एम के स्टालिन, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के चीफ़ अखिलेश यादव, लेफ़्ट फ़्रंट के सीताराम येचुरी और डी राजा समेत भारत के 11 बड़े राजनेताओं ने किसानों के भारत बंद के समर्थन की बात कही थी.
एक संयुक्त बयान जारी करते हुए, भारत की 11 राजनीतिक पार्टियों ने कहा कि मोदी सरकार ने 'ग़ैर-लोकतांत्रिक तरीक़े से' इन क़ानूनों को संसद में पास किया जिनपर कोई चर्चा नहीं की गई.
इन दलों ने अपने बयान में दावा किया है कि इससे भारत में खाद्य संकट बढ़ेगा, किसानों की परिस्थितियाँ और बिगड़ जायेंगी, साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ना मिलने की वजह से भारतीय कृषि क्षेत्र की दशा बिगड़ेगी.
वहीं शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति, अकाली दल, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के सहयोगी - असम गण परिषद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी किसानों के भारत बंद का समर्थन किया है. हालांकि, संयुक्त बयान पर इन पार्टियों के नेताओं के हस्ताक्षर नहीं हैं.
रविवार को दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि आम आदमी पार्टी के संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पार्टी कार्यकर्ताओं और अधिकारियों से 8 दिसंबर को किसानों के नेतृत्व में भारत बंद का समर्थन करने के लिए कहा है.
कांग्रेस ने कहा है कि 8 दिसंबर को पार्टी भारत के हर ज़िले में प्रदर्शन करेगी. पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी किसानों की माँगों का समर्थन किया है और कहा है कि मोदी सरकार को किसानों की माँगें माननी चाहिए.
26 नवंबर को किसानों के आंदोलन की शुरुआत हुई थी. केंद्र सरकार समझती है कि किसानों को नये कृषि क़ानूनों पर भटकाया गया है और सरकार कहती रही है कि बातचीत से किसानों के 'सभी भ्रम दूर' किये जा सकते हैं.
शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में क़रीब पाँच घंटे लंबी वार्ता हुई. इस बैठक में सरकार ने किसानों को यह आश्वासन दिया कि "कृषि क़ानूनों से एमएसपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा, ये राज्य का विषय है और केंद्र सरकार राज्यों की मंडियों को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं करेगी."
लेकिन किसानों ने कहा है कि भारत बंद का कार्यक्रम योजना के अनुसार ही रहेगा.
देश की दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी इस बंद का समर्थन किया है.
किसानों ने कहा है कि भारत बंद के दौरान वो दिल्ली को जाने वाली सभी सड़कें ब्लॉक करेंगे. सभी टोल प्लाज़ा रोके जायेंगे और वहाँ प्रदर्शन किया जायेगा.
वामपंथी पार्टियों ने ना सिर्फ़ इस बंद का समर्थन किया, बल्कि अन्य विपक्षी दलों से भी इसका समर्थन करने की अपील की.
सीपीआई, सीपीआई (एम), सीपीएम (एम-एल) और ऑल इंडिया फ़ॉरवर्ड ब्लॉक ने एक संयुक्त बयान में किसान आंदोलन का समर्थन करने की बात कही है.
इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद मज़दूर सभा, सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन्स, ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर और ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर ने भी किसान आंदोलन और किसानों द्वारा बुलाये गए भारत बंद का समर्थन किया है.
पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी भारत बंद के दिन प्रदर्शन होने की उम्मीद है. दिल्ली सीमा (सिंघु बॉर्डर और गाज़ीपुर) पर डटे किसानों ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों से उनके समर्थन में आने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि सभी मिलकर दिल्ली को घेरें और दिल्ली की सीमाओं को सील करने में उनकी मदद करें. (bbc)
नई दिल्ली, 7 दिसंबर | हरियाणा के करीब 1.20 लाख किसानों ने नये कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार से इन्हें वापस नहीं लेने की मांग की है। इन किसानों ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को सोमवार को एक पत्र लिखकर नये कानून का समर्थन किया। केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषि कानूनों का सबसे ज्यादा विरोध पंजाब और हरियाणा में हो रहा है और किसान संगठनों के नेता तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। तीनों कानूनों के समर्थन में केंद्र सरकार को यह पत्र हरियाणा के किसान उत्पादक संगठनों से जुड़े व प्रगतिशील किसानों ने लिखा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री के नाम इस पत्र में इन किसानों ने लिखा है कि, "हम हरियाणा के 70 हजार एफपीओ से जुड़े किसान (50,000 किसान जो एफपीओ से हुड़े हैं) और 50 हजार से अधिक प्रगतिशील किसान भारत सरकार द्वारा लाए तीनों कृषि कानूनों के समर्थन में हैं।"
हालांकि उन्होंने किसान संगठनों द्वारा दिए गए सुझावों के अनुरूप इनमें संशोधन जारी रखने की मांग की है।
उन्होंने कहा, हम किसान संगठनों की ओर से एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद और मंडी व्यवस्था (एपीएमसी मंडी) जारी रखने के पक्षधर हैं।
इन्होंने किसान संगठनों के सुझावों के अनुरूप कानून में संशोधन के साथ तीनों कानूनों को जारी रखने की मांग की है। उन्होंने सरकार से उनकी बात सुनने के लिए उन्हें भी समय देने का अनुरोध किया है।
केंद्र सरकार द्वारा लागू ये तीन कानून हैं:
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020
2. कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020
3. आवश्यक वस्तु (संशोधन कानून) 2020
पंजाब, हरियाणा समेत देश के अन्य प्रांतों के किसान संगठनों से जुड़े लोग देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस मसले को लेकर केंद्र सरकार के साथ उनकी पांच दौर की वार्ता हो चुकी है और अगले दौर की वार्ता नौ दिसंबर को होने वाली है। इस बीच किसान नेताओं ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 दिसंबर | प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने 10 दिसंबर को लंदन, न्यूयॉर्क और टोरंटो में स्थित भारतीय दूतावासों की कार्यप्रणाली ठप करने की योजना बनाई है। इसके बाद खुफिया एजेंसियों ने विदेश मंत्रालय (एमईए) को सतर्क कर दिया है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टड्रो, ब्रिटेन के सांसदों और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रतिनिधि ने भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है। इस बीच परमजीत सिंह पम्मा, गुरमीत सिंह बग्गा, हरदीप सिंह निज्जर और गुरपतवंत सिंह पन्नू की खालिस्तान समर्थक चौकड़ी ने भारतीय वाणिज्य दूतावासों की कार्यप्रणाली ठप करने (शट डाउन) की घोषणा की है।
एजेंसियों को विभिन्न इंटरनेट साइटों के माध्यम से एसएफजे की घोषणा के बारे में जानकारी मिली, जहां समूह ने लंदन, बर्मिघम, फ्रैंकफर्ट, वैंकूवर, टोरंटो, वाशिंगटन डीसी, सैन फ्रांसिस्को और न्यूयॉर्क में 10 दिसंबर को भारतीय वाणिज्य दूतावासों को ठप करने से संबंधित एक मेल पोस्ट किया है।
एसएफजे के जनरल काउंसिल पन्नून ने विश्वास जताया है कि खालिस्तान ही पंजाब के किसानों की दुर्दशा का एकमात्र समाधान है। एसएफजे के अलगाववादी नेता ने कहा, "हमने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार दिवस पर भारतीय वाणिज्य दूतावासों को बंद करने का आह्वान किया है, ताकि विश्व समुदाय के सामने सिखों के जनसंहार से लेकर किसानों के शोषण की भारत की 70 साल की नीति को उजागर किया जा सके।"
कनाड़ा आधारित वांछित आतंकवादी निज्जर ने कहा, "हम कनाडा के चार्टर की ओर से दिए गए हमारे अधिकारों का उपयोग करेंगे और वैंकूवर और टोरंटो में भारतीय वाणिज्य दूतावासों की घेराबंदी करेंगे।" निज्जर कनाडा में पंजाब रेफरेंडम अभियान की अगुवाई भी कर रहा है।
ब्रिटेन स्थित पम्मा, जर्मनी स्थित बग्गा, कनाडा स्थित निज्जर और अमेरिका स्थित पन्नू सभी भारत में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने का काम कर रहे हैं। इन्होंने अलगाववादी 'पंजाब इंडिपेंडेंस रेफरेंडम' अभियान चला रखा है, जिसकी मदद से वह भारत में फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं।
यह इनपुट ऐसे समय आया है, जब 26 नवंबर से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।
एसएफजे इस समय पर आहत किसानों की भावनाओं के साथ खेलना चाहता है। हाल ही में एसएफजे ने किसानों को लुभाने के लिए एक ओर घोषणा की थी। अलगाववादी संगठन ने कहा था कि हरियाणा में पुलिस की कार्रवाई का सामना करते हुए जिन किसानों को चोट पहुंची है या उनके वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें संगठन 10 लाख डॉलर की सहायता देगा।
सूचना ने सुरक्षा एजेंसियों को चिंता में डाल दिया है। यही वजह है कि एहतियात के तौर पर विदेश मंत्रालय में संबंधित अधिकारियों को सतर्क कर दिया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि एसएफजे के संदेश में 30 नवंबर को अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी में 24 घंटे के कॉल सेंटर खोलने की इसकी योजना का उल्लेख किया गया है, ताकि पंजाब और हरियाणा के किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए और खालिस्तान रेफरेंडम के लिए ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किए जा सकें।
अमेरिका में रह रहे एसएफजे के जनरल काउंसिल और ग्रुप के प्रमुख नेता गुरपतवंत सिंह पन्नून द्वारा जारी संदेश का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि एसएफजे 15 अगस्त, 2021 को लंदन से पंजाब की स्वतंत्रता के लिए खालिस्तान रेफरेंडम वोटिंग की शुरुआत कर रहा है। पन्नून को भारत सरकार ने आंतकी घोषित कर रखा है।
पंजाब और हरियाणा के किसानों को यह आश्वासन देते हुए कि एसएफजे उनके सभी नुकसानों की भरपाई करेगा, पन्नून ने कहा कि एक बार पंजाब के भारत से अलग हो जाने के बाद, किसानों का ऋण माफ कर दिया जाएगा और उन्हें मुफ्त बिजली दी जाएगी।
समूह ने धमकी दी है, अगर भारत सरकार ने सितंबर में लागू किए गए अपने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया तो वह इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाएगा।
पन्नून ने संदेश में कहा, अगर मोदी सरकार किसानों की मांग के अनुसार कृषि बिलों को नहीं निरस्त करती है, तो एसएफजे विभिन्न किसान संगठनों का समर्थन करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ कानूनी मुहिम शुरू करेगा।
एसएफजे पहले से ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की रडार पर है। सितंबर की शुरुआत में, एनआईए के इनपुट के आधार पर गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पन्नून और एसएफजे के कनाडा को-ऑर्डिनेटर हरदीप सिंह निज्जर की संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश जारी किया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 दिसंबर | जीएसटी भुगतान करने वालों को अगले साल एक जनवरी से 12 रिटर्न भरने के बजाय एक साल में केवल चार जीएसटीआर-3 बी रिटर्न भरने की जरूरत होगी। एक बड़े सुधार की ओर कदम बढ़ाते हुए सरकार ने जीएसटी करदाताओं के लिए रिटर्न फाइलिंग का अनुभव आसान कर दिया है, जो तिमाही रिटर्न दाखिल करने और करों के मासिक भुगतान (क्यूआरएमपी) योजना की शुरुआत के साथ करदाताओं के लिए फायदेमंद रहेगा।
राजस्व विभाग (डीओआर) के सूत्रों ने बताया कि यह योजना लगभग 94 लाख करदाताओं को प्रभावित करेगी, जो जीएसटी के कुल कर आधार का लगभग 92 प्रतिशत है और जिनका वार्षिक सकल कारोबार पांच करोड़ रुपये तक है।
डीओआर के सूत्रों के अनुसार, जीएसटी में तिमाही स्कीम को लागू करने के लिए जनवरी से छोटे करदाता को एक वित्तीय वर्ष में वर्तमान में भरी जाने वाली 16 रिटर्न के बजाय केवल आठ रिटर्न (चार जीएसटीआर-3बी और चार जीएसटीआर-1 रिटर्न) दाखिल करने की जरूरत होगी।
साथ ही, रिटर्न फाइलिंग पर करदाताओं के पेशेवर खर्च में काफी कमी आएगी, क्योंकि उन्हें वर्तमान में 16 के स्थान पर सिर्फ आधी रिटर्न ही दाखिल करनी होगी।
यह योजना जीएसटी के सामान्य पोर्टल पर उपलब्ध होगी।
सूत्रों ने कहा कि अब नकली चालान (इनवॉयस) धोखाधड़ी के खतरे पर अंकुश लगाने का काम भी किया जाएगा।
फर्जी चालान धोखाधड़ी के खिलाफ चल रहे देशव्यापी अभियान में, सीजीएसटी आयुक्तों के साथ जीएसटी इंटेलिजेंस विंग डीजीजीआई ने अब तक 114 धोखाधड़ी करने वाले व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा 3,778 फर्जी जीएसटीआईएन संस्थाओं के खिलाफ 1,230 मामले दर्ज किए गए हैं।
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि क्यूआरएमपी योजना में छोटे और मध्यम करदाताओं के लिए व्यापार से संबंधित कठिनाइयों को कम करने के लिए चालान फाइलिंग सुविधा (आईएफएफ) की वैकल्पिक सुविधा है। (आईएएनएस)
कोलकाता, 7 दिसंबर | पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को मांग की कि केंद्र सरकार को 'जनविरोधी' कृषि कानूनों को तुरंत वापस ले लेना चाहिए या फिर इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार को किसानों के अधिकारों को नष्ट करके सत्ता में नहीं रहना चाहिए।
ममता ने मिदनापुर कॉलेज ग्राउंड में एक बड़ी रैली को संबोधित करते हुए कहा, "भाजपा सरकार को तुरंत कृषि विधेयकों को वापस लेना चाहिए या फिर केंद्र की सत्ता से हट जाना चाहिए। किसानों के अधिकारों को नष्ट करने के बाद भी सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।"
ममता जिस मंच से भाषण दे रही थीं, वहां सब्जियां भी रखी हुई थीं।
सिंगूर में टाटा मोटर्स की नैनो कार फैक्ट्री के लिए जबरन खेती की जमीन के अधिग्रहण पर साल 2006 में अपनी 26 दिनों की लंबी भूख हड़ताल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "मैं सिंगूर को नहीं भूली हूं, नंदीग्राम को नहीं भूली हूं। किसानों को मेरा पूरा समर्थन है।"
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि वह चुप रहने या भाजपा के कुशासन के खिलाफ चुप्पी साधने के बजाय जेल में रहना पसंद करेंगी।
ममता ने भाजपा पर निशाना साधते हुए उसे बाहरी लोगों की पार्टी बताया। उन्होंने कहा, "मैं कभी भी भगवा खेमे को बंगाल पर नियंत्रण करने की अनुमति नहीं दूंगी। मैं बंगाल के लोगों से बाहरी लोगों द्वारा इस तरह के किसी भी प्रयास का विरोध करने की अपील करती हूं।"
उन्होंने कहा कि अगर तृणमूल कांग्रेस एक बार फिर लगातार तीसरी बार सत्ता में आती है, तो उनकी सरकार मुफ्त राशन देना जारी रखेगी।
ममता की रैली का आयोजन मिदनापुर शहर में उस समय किया गया, जब उनकी पार्टी और राज्य के पूर्व परिवहन मंत्री सुवेंदु अधिकारी के बीच अनबन चल रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा उनकी पार्टी के प्रतिनिधियों को लुभाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा, "तृणमूल कांग्रेस ईमानदार लोगों की एक राजनीतिक पार्टी है। हम भाजपा की तरह नहीं हैं, जो विभिन्न राज्यों में विपक्षी-संचालित सरकारों को गिराने के लिए अपने धनबल का उपयोग कर रही है।"
मुख्यमंत्री ने अधिकारी के अगले कदम पर लगाई जा रही अटकलों के बीच कहा, "भाजपा सभी विपक्षी दलों को तोड़ने की कोशिश कर रही है। जो भ्रष्ट हैं, वे अब भाजपा के खेमे में शामिल हो रहे हैं।"
ममता ने यह भी आरोप लगाया कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) समर्थकों ने भी पाला बदल लिया है और वे अब बंगाल में भाजपा के साथ काम कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में होने की संभावना है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 दिसंबर | राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोविड-19 के दैनिक मामलों में नवंबर की शुरुआत से उछाल के बाद अब गिरावट देखी जा रही है। जहां दैनिक मामलों की संख्या 7,000 के आसपास थी, अब ये औसतन 3,500 से नीचे आ गई है। लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन कोरोनावायरस का अगला 'सुपरस्प्रेडर' हो सकता है। एक सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है। दिल्ली की सीमाओं पर पहले से ही विरोध कर रहे 3,00,000 से अधिक किसानों के साथ, भारत के अन्य शहरों में भी विरोध प्रदर्शन बढ़ रहे हैं। नई रिपोर्ट से पता चला है कि दिल्ली में विरोध स्थल पर 40 से अधिक किसानों में कोविड के लक्षण दिख रहे हैं, जैसे कि तेज बुखार, खांसी और थकान। ये लोग कोविड का टेस्ट करवाने से भी मना कर रहे हैं।
लोकल सर्किल्स ने दिल्ली में किसानों के आंदोलन को लेकर नागरिकों की राय को समझने के लिए एक सर्वेक्षण किया है, और उनसे ये भी पूछा है कि मंगलवार को भारत बंद के बारे में वे क्या सोचते हैं।
सर्वे में भारत के 211 जिलों में 17,000 से अधिक लोगों की राय पूछी गई।
बता दें कि कृषि कानूनों विरोध में किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है, जिसे कई राजनीतिक दलों ने भी समर्थन दिया है।
पूछे गए सवालों में से एक है- "क्या आप मानते हैं कि किसान 8 दिसंबर को दिल्ली को जोड़ने वाली सभी सड़कों और टोल प्लाजा को बंद कर और भारत बंद का आह्वान कर सही कर रहे हैं?"
इस प्रश्न को 8,837 प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिसमें 77 प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि किसानों की आवाज सुनने के लिए बंद सही तरीका नहीं है। बंद से आम नागरिकों को कई तरह की असुविधाएं होती हैं और यदि इतिहास को देखें तो अतीत में राजनीतिक दलों को बंद से कुछ खास हासिल नहीं हुआ है।
जैसा कि कोविड-19 महामारी अभी भी है, देश में रोजाना 30,000-45,000 के बीच नए मामले आ रहे हैं।
सर्वे में एक अन्य सवाल जो नागरिकों से पूछा गया- "क्या आप मानते हैं कि किसानों का विरोध प्रदर्शन कोविड-19 संक्रमण को और फैलाएगा?" इस पर 85 प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि विरोध प्रदर्शन से कोविड-19 और फैलेगा। 43 फीसदी ने कहा कि यह कोविड-19 के प्रसार को और ज्यादा बढ़ा देगा।
रिपोर्टों से पता चलता है कि प्रदर्शनकारी किसानों का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि कोविड उन्हें बहुत कुछ नहीं कर सकता और नए कृषि कानूनों का प्रभाव कोविड की तुलना में ज्यादा बुरा होगा। दूसरी ओर नागरिकों का मानना है कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें इस बात की भी चिंता है कि विरोध स्थलों पर सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क का उपयोग और साफ सफाई का उल्लंघन हो रहा है।
नागरिकों को यह भी चिंता है कि कई प्रदर्शनकारी किसान वायरस को अपने साथ पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और भारत के विभिन्न राज्यों में ले जा सकते हैं। (आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 7 दिसंबर | ओडिशा सरकार ने सोमवार को कहा कि विद्यार्थियों द्वारा शारीरिक रूप से कक्षाओं में शामिल होकर पाठ्यक्रम को पूरा किए जाने के बाद ही स्नातक (यूजी) और स्नातकोत्तर (पीजी) परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। उच्च शिक्षा सचिव शाश्वत मिश्रा ने विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर और कॉलेजों के प्रिंसिपलों को पत्र लिखकर कोविड-19 के मद्देनजर यूजी और पीजी की परीक्षाओं को आयोजित न कराए जाने के अपने निर्णय से अवगत कराया है।
उन्होंने कहा कि केवल ऑनलाइन शिक्षण के आधार पर परीक्षाएं आयोजित करना उचित नहीं है।
उन्होंने कहा, "महामारी से इस बार का शैक्षणिक सत्र काफी बुरी तरीके से प्रभावित हुआ है। हालांकि ऑनलाइन कक्षाएं भी चल रही हैं, लेकिन विभिन्न कारणों से ज्यादातर छात्र इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।" (आईएएनएस)
भोपाल, 7 दिसंबर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में मंगलवार आठ दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद का मध्य प्रदेश कांग्रेस ने समर्थन किया है। राज्य में कांग्रेस इस दिन जिला स्तर पर प्रदर्शन करेगी और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपेगी। कंग्रेस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि, केंद्र सरकार के काले कानूनों के विरोध में किसान संगठनों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। कांग्रेस ने भी देश भर में इस बंद को अपना समर्थन दिया है। उसी के मद्देनजर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी भी किसानों के आह्वान पर हो रहे इस बंद को अपना पूर्ण समर्थन देती है। प्रदेश की सभी जिला इकाइयों को निर्देश दिए गए हैं कि वह बंद के समर्थन में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर किसानों की मांगों का ज्ञापन दें।
कांग्रेस प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमल नाथ ने बताया कि, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा किसानों की बगैर सहमति से, उनसे बगैर चर्चा किए तीन नए कृषि कानून लागू किए गए हैं जो कि किसान विरोधी हैं और वो किसानों को पूरी तरह बर्बाद कर देंगे। इन कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की कोई गारंटी का जिक्र नहीं है। इन कानूनों से मंडी व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। इन कानूनों से सिर्फ कारपोरेट जगत को फायदा होगा और जमाखोरी व मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा। यह काले कानून पूरी तरह से किसान विरोधी हैं।
कमल नाथ ने आगे कहा कि, एक तरफ तो मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का और खेती को लाभ का धंधा बनाने का दावा किया था और वहीं वो इन काले कानूनों के माध्यम से खेती को व किसानों को बर्बाद करने पर और खेती को घाटे का धंधा बनाने पर तुली हुई है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 7 दिसंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों के साथ हुई उनकी हालिया बातचीत का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा कि भारत में कोविड-19 वैक्सीन की उपलब्धता में बहुत देरी नहीं होगी। हालांकि उन्होंने एक बार फिर अपने देशवासियों को आगाह करते हुए कहा कि वे सावधानी बरतते रहें और सभी आवश्यक कोविड-19 सुरक्षा उपायों का पालन करें जैसे कि सामाजिक सुरक्षा और मास्क का उपयोग। मोदी ने कहा कि जब तक टीका (वैक्सीन) नहीं आ जाता, तब तक हमें अपने हाथों की सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट के निर्माण का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।
प्रधानमंत्री ने कहा, "कोरोना के टीके की प्रतीक्षा कर रहा हूं। वैज्ञानिकों के साथ मेरी हालिया चर्चा के अनुसार, मुझे उम्मीद है कि अब और देरी नहीं होगी। लेकिन कोविड की रोकथाम के उपायों का पालन करने में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।"
प्रधानमंत्री का संदेश लगभग 10 दिनों के बाद आया, जब उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भारत के शीर्ष वैक्सीन हब का दौरा किया और कोरोनावायरस वैक्सीन और इसकी निर्माण प्रक्रिया के विकास की समीक्षा की।
मोदी ने 28 नवंबर को वैक्सीन के विकास और निर्माण प्रक्रिया की व्यापक समीक्षा करने के लिए तीन शहरों का दौरा किया था। उन्होंने अहमदाबाद में जायडस बायोटेक पार्क, हैदराबाद में भारत बायोटेक और पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का दौरा किया। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 7 दिसंबर | केरल में तीन चरणों में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिए पहले चरण का मतदान मंगलवार को होगा। राज्य के पांच दक्षिणी जिलों में होने वाले पहले चरण के चुनाव में 24,584 उम्मीदवारों का भविष्य तय होना है। तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पठानमथिट्टा, अलाप्पुझा और इडुक्की जिले में पहले चरण का मतदान सुबह सात बजे शुरू होगा और शाम छह बजे तक चलेगा।
प्रमुख प्रतियोगियों में तीन प्रमुख राजनीतिक मोचरें के उम्मीदवार शामिल हैं, जिनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाला वाम दल, कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ और भाजपा के नेतृत्व वाला राजग शामिल है।
राज्य में 2015 के स्थानीय निकाय चुनावों में वाम दलों ने लगभग 60 प्रतिशत सीटें जीती थीं। उस चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले गठबंधन का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था।
हालांकि भाजपा को इस चुनाव से काफी उम्मीदें हैं।
पांच जिलों में कुल 11,225 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इस दौरान कुल मतदाताओं में 41,58,341 पुरुष, 46,68,209 महिलाएं और 70 ट्रांसजेंडर शामिल हैं।
चुनाव प्रक्रिया 56,122 अधिकारियों द्वारा संचालित की जाएगी। सोमवार सुबह कर्मचारियों ने मतदान सामग्री एकत्र करना शुरू किया और दोपहर तक वे मतदान केंद्रों पर पहुंच जाएंगे।
बता दें कि दूसरे चरण के लिए 10 दिसंबर को मतदान होगा, जबकि तीसरे चरण के लिए 14 दिसंबर को मतदान होना है। तीन चरणों की वोटिंग के बाद मतों की गिनती 16 दिसंबर को होगी, जिसके बाद चुनाव परिणाम घोषित किया जाएगा। (आईएएनएस)
सिंघु बॉर्डर (दिल्ली/हरियाणा), 7 दिसंबर | कृषि कानून के खिलाफ 12वें दिन भी सिंघु बॉर्डर पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आए किसानों ने डेरा डाला हुआ है। वहीं आंदोलन की वजह से सिंघु बॉर्डर पर सुरक्षा के चलते पुलिस प्रशासन ने अपना पहरा बढ़ा दिया है। इसकी वजह से जहां आस पास मौजूद दुकानों पर काफी असर हुआ है, वहीं बॉर्डर पर किसानों की बड़ी संख्या होने की वजह से कुछ लोगों ने अपनी अस्थाई दुकानें भी लगा ली हैं। दिल्ली निवासी फुरकान (बदला हुआ नाम) 7 सालों से अपने घर मे छोटी सी फैक्ट्री लगा कर खुद अपने हाथों से नेहरू कट जैकेट बना रहे हैं। बीते 5 सालों से पंजाब के जालंधर शहर के ज्योति पार्क में इन जैकेट को बेचने का काम कर रहे थे।
हालांकि सिंघु बॉर्डर पर हो रहे विरोध प्रदर्शन की वजह से फुरकान ने अपनी अस्थाई दुकान अब बॉर्डर पर ही लगा ली है।
वो बीते 3 दिनों से सिंघु बॉर्डर पर रोजाना आते हैं और सड़क पर ही दुकान लगाकर नेहरू जैकेट बेचना शुरू कर देते हैं। आंदोलन में आए किसान भी नेहरू जैकेट में दिलचस्पी दिखा रहे हैं जिसके चलते फुरकान की अच्छी कमाई हो रही है।
फुरकान ने बताया, बीते 3 दिनों से मैं यहां नेहरू जैकेट बेच रहा हूं। मैं पहले जालंधर शहर में दुकान लगाता था, लेकिन कोविड-19 की वजह से वहां नहीं जा सका। लेकिन किसानों के विरोध प्रदर्शन की वजह से यहां आ गया हूं।
बॉर्डर पर हो रहे प्रदर्शन में काफी संख्या में लोग आए हुए हैं। जिसके चलते लोग रुक रुक कर जैकेट देखते भी हैं और खरीद भी रहे हैं।
हालांकि फुरकान की दुकान के अलावा और भी अस्थाई दुकान सिंघु बॉर्डर पर लग गई हैं जिनपर हाथों के ग्लव्स, मास्क और अन्य सर्दियो के आइटम बेचे जा रहे हैं।
कई सालों से शकील नरेला में सर्दियों के जैकेट बेचा करते थे लेकिन जब से सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है उसको देखते हुए बीते 5 दिनों से बॉर्डर पर ही अस्थाई दुकान लगा रखी है। जिसपर सर्दियों के जैकेट बेचे जा रहे हैं।
फुरकान और शकील के मुताबिक जब तक यहां ये प्रदर्शन रहेगा तब तक हम अपनी दुकान लगाए रखेंगे। (आईएएनएस)
जम्मू, 7 दिसंबर| जम्मू एवं कश्मीर में सोमवार को जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चौथे चरण के मतदान में कई जिलों में 1 बजे तक 41.94 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। जम्मू डिवीजन के डोडा में सबसे ज्यादा 67.86 फीसदी मतदान दर्ज किया गया और कश्मीर डिवीजन के शोपियां में सबसे कम 1.76 फीसदी मतदान हुआ।
राज्य निर्वाचन आयुक्त के कार्यालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, कश्मीर संभाग में दोपहर 1 बजे तक कुपवाड़ा में 28.77 फीसदी, बांदीपुर में 44.82 फीसदी, बारामुला में 37.40 फीसदी, गांदरबल में 43.45 फीसदी, बडगाम में 36.36 फीसदी, पुलवामा में 5.66 फीसदी, कुलगाम में 6.59 फीसदी और अनंतनाग में 23.63 फीसदी मतदान दर्ज किया गया।
इसी प्रकार जम्मू संभाग में दोपहर 1.00 बजे तक किश्तवार में 59.29 प्रतिशत, राजौरी में 65.49, उधमपुर में 48.24 प्रतिशत, रामबन में 61.50 प्रतिशत, रियासी में 49.30 प्रतिशत, कठुआ में 54.23 प्रतिशत, सांबा में 59.64 प्रतिशत, जम्मू में 62.71 प्रतिशत, पुंछ में 59.15 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है।
दी गई जानकारी के अनुसार, कश्मीर संभाग में कुल 25.54 फीसदी मतदान दर्ज किया गया, जबकि जम्मू संभाग में दोपहर 1 बजे तक 59.38 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 दिसंबर | ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 'भारत बंद' को समर्थन करने से किनारा कर लिया है। इसके साथ ही किसानों के आंदोलन के समर्थन में उतरने वाले विभिन्न विपक्षी दलों के खेमे में दरार पड़ती नजर आ रही है। टीएमसी ने सोमवार को कहा कि वह 'भारत बंद' का समर्थन नहीं करेगी। पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को इससे दूर रहने के लिए कहा है।
टीएमसी संसद में कृषि कानूनों के विरोध में सबसे मुखर रहने वाली विपक्षी पार्टियों में से एक है। इसने किसानों की ओर से जताए जा रहे विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है, लेकिन मंगलवार के 'भारत बंद' के साथ नहीं जाने का फैसला किया है।
पार्टी सांसद सौगत राय ने सोमवार को कहा, "टीएमसी किसानों के साथ एकजुटता से खड़ी है, लेकिन पार्टी पश्चिम बंगाल में भारत बंद का समर्थन नहीं करेगी, क्योंकि यह हमारे सिद्धांतों के खिलाफ है।"
इससे पहले, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने ट्वीट किया था, "मैं किसानों, उनके जीवन और आजीविका के बारे में बहुत चिंतित हूं। भारत सरकार को किसान विरोधी विधेयकों को वापस लेना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो हम तुरंत पूरे राज्य और देश में आंदोलन करेंगे। हम शुरू से ही किसान विरोधी इन विधेयकों का कड़ा विरोध करते रहे हैं।"
बंद को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, द्रमुक, राजद, पीएजीडी, राकांपा, भाकपा, माकपा, भाकपा-माले, आरएसपी और एआईएफबी जैसे विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। रविवार को इन दलों के नेताओं द्वारा एक संयुक्त बयान जारी किया गया था, जिसमें बंद का समर्थन करने की बात कही गई थी।
बसपा, शिवसेना और टीआरएस ने भी बंद का समर्थन किया है।
केंद्र सरकार की ओर से तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
गतिरोध को खत्म करने के लिए सरकार और किसानों के बीच पांचवें दौर की वार्ता भी सफल नहीं हो सकी। अब दोनों पक्ष किसान प्रतिनिधियों और सरकार ने नौ दिसंबर को बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई है।
सरकार और किसान नेताओं के बीच शनिवार को हुई पांचवें दौर की बातचीत में कोई हल नहीं निकल सका। दोनों पक्ष तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर अपने रुख पर अड़े हुए हैं। किसान पूरी तरह से कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं, जबकि सरकार बीच का रास्ता निकालकर समस्या का हल करना चाह रही है। किसानों का कहना है कि सरकार जब तक तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।(आईएएनएस)