राष्ट्रीय
प्रयागराज, 24 नवंबर | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने पिछले फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें उसने 'सिर्फ शादी के उद्देश्य से' धर्म परिवर्तन को अस्वीकार्य माना था। अदालत ने कहा कि अनिवार्य रूप से यह मायने नहीं रखता कि कोई धर्मातरण वैध है या नहीं। एक साथ रहने के लिए दो बालिगों के अधिकार को राज्य या अन्य द्वारा नहीं छीना जा सकता है। कोर्ट ने कहा, "ऐसे व्यक्ति की पसंद की अवहेलना करना जो बालिग उम्र का है, न केवल एक बालिग व्यक्ति की पसंद की स्वतंत्रता के लिए विरोधी होगा, बल्कि विविधता में एकता की अवधारणा के लिए भी खतरा होगा।"
कोर्ट ने कहा, जाति, पंथ या धर्म से परे एक साथी चुनने का अधिकार, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए संवैधानिक अधिकार के लिए स्वभाविक है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि शादी के उद्देश्य के लिए धर्मातरण पर आपत्ति जताने वाले दो पिछले फैसले उचित नहीं थे।
दो-न्यायाधीश पीठ द्वारा निर्णय 11 नवंबर को दिया गया था लेकिन सोमवार को सार्वजनिक किया गया।
निर्णय अब उत्तर प्रदेश सरकार के लिए एक कानूनी समस्या पैदा कर सकता है, जो कि दो पूर्व फैसलों के आधार पर अल-अलग धर्म के बीच संबंधों को रेगुलेट करने के लिए एक कानून की योजना बना रही है।
जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की पीठ ने एक मुस्लिम व्यक्ति और उसकी पत्नी की याचिका पर सुनवाई की, जिसने हिंदू धर्म से इस्लाम अपना लिया था। याचिका महिला के पिता द्वारा उनके खिलाफ पुलिस शिकायत को खारिज करने के लिए दायर की गई थी। (आईएएनएस)
शामली (उत्तर प्रदेश), 24 नवंबर | एक नवविवाहित जोड़े को अपनी शादी की रात उस वक्त जबरदस्त झटका लगा, जब दुल्हन को तोहफे में मिले सारे आभूषण और जिस गाड़ी में इन आभूषणों को सुरक्षित रखा गया था, दोनों ही गायब मिले। यह घटना शामली जिले के कांधला इलाके में रविवार देर रात को उस दौरान की है, जब दूल्हे के पिता कुरबान अहमद अपने बेटे के निकाह की तैयारियों में जुटे हुए थे।
परिवार ने आरोप लगाया है कि अहमद के भतीजे आजाद ने रात को आकर खबर दी कि सोने की ज्वेलरी सहित कार गायब हो गई है। इन आभूषणों की कीमत लाखों में थी।
गाड़ी शादी स्थल के बाहर खड़ी थी, जिसमें दूल्हा-दुल्हन रवाना होने वाले थे।
दुल्हन के परिवार के एक सदस्य हारून के मुताबिक, इस घटना से न केवल दूल्हा-दुल्हन सदमे में हैं, बल्कि दोनों के परिवारवाले और स्थानीय निवासी भी बेहद हैरान हैं।
दूल्हे के पिता ने कांधला पुलिस स्टेशन ने इस पर एक शिकायत दर्ज कराई है।
कांधला के एसएचओ रोजंत त्यागी ने कहा, "हम इस मामले की जांच कर रहे हैं। यह काफी संदेहजनक लग रहा है। लीड मिलते ही कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। समारोह के सभी पहलुओं पर गौर किया जा रहा है।" (आईएएनएस)
संदीप पौराणिक
भोपाल, 24 नवंबर | मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार की अवैध अतिक्रमण करने वाले और माफियाओं पर नजर टेढ़ी है और यही कारण है कि राज्य के कई हिस्सों में ताकतवर लोगों की इमारतों को ढहा दिया गया है। इस मुहिम के चलते सरकार पर पक्षपात के आरोप भी लगने लगे हैं।
राज्य में उपचुनाव के नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तेवर तल्ख हैं और वे अतिक्रमणकारियों और माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर सरकार के सख्त होने का संदेश देना चाह रहे हैं। उसी के तहत इंदौर, जबलपुर ग्वालियर के साथ अन्य स्थानों पर भी बुलडोजर चल रहा है।
राज्य में पहली बड़ी कार्रवाई इंदौर में गोम्मटगिरी क्षेत्र में बने कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर हुई थी। बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर बनाए गए आश्रम को न केवल ढहा दिया गया था बल्कि कंप्यूटर बाबा और उनके साथियों को गिरफ्तार भी किया गया था। इसके बाद कंप्यूटर बाबा के करीबी रमेश तोमर के ठिकानों को नेस्तनाबूद किया गया। इतना ही नहीं नगर निगम के दस्ते ने खजराना क्षेत्र के चार सूचीबद्ध गुंडों के अवैध अतिक्रमण को ढहा दिया।
इसके अलावा जबलपुर में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव रहे गजेंद्र सिंह सोनकर के भान तलैया स्थित कार्यालय और आलीशान बंगले के एक हिस्से को भी नगर निगम ने तोड़ दिया। गजेंद्र उर्फ गज्जू के घर पर पुलिस ने दबिश दी थी तो जुआ पकड़ा गया था और पुलिस ने साढ़े सात लाख रुपये भी जब्त किए थे।
इसी तरह ग्वालियर में भी पुलिस प्रशासन ने कांग्रेस नेता अशोक सिंह के परिजनों द्वारा संचालित मैरिज गार्डन के एक हिस्से को गिरा दिया, जिसका कांग्रेस ने सड़क पर उतर कर विरोध किया था।
मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों गृह विभाग को निर्देश दिए थे कि प्रदेश में किसी भी प्रकार के माफिया तथा जनता के साथ धोखाधड़ी करने वाली चिटफंड कंपनियों के विरूद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। किसी को भी बख्शा न जाएं। ताकि बदमाशों के मन में खौफ होना और अपराधी तत्वों के विरूद्ध निरंतर कार्रवाई हो। (आईएएनएस)
कांग्रेस ने प्रशासन द्वारा की जा रही कार्रवाइयों पर सवाल उठाए हैं। ग्वालियर की कार्रवाई पर तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के.के. मिश्रा ने तंज कसा है और ग्वालियर कलेक्टर की इस कार्रवाई को काबिल-ए-भारत रत्न करार दिया है।
नई दिल्ली, 24 नवंबर | बॉलीवुड स्टार कैटरीना कैफ की बहन इसाबेल कैफ ने हाल ही में दीप मनी द्वारा गाए गीत 'माशाअल्लाह' के साथ पंजाबी म्यूजिक वीडियो में अपना डेब्यू किया। उनका कहना है कि यद्यपि इसाबेल इंडस्ट्री में नई हैं, लेकिन वो बेहद पेशेवर हैं। दीप ने आईएएनएस को बताया, "मैं लोगों को सुझाव नहीं देता हूं। वह बेहद पेशेवर हैं और वीडियो में काफी अच्छा काम किया है। उन्हें गाना पसंद आया है और सबकुछ बहुत अच्छे से किया है।"
उन्होंने आगे कहा, "बेशक कई रीटेक हुए हैं, लेकिन ठीक है। एक नए चेहरे के साथ काम करने का अनुभव अच्छा है।"
गाने और इसके वीडियो के बारे में बताते हुए दीप ने कहा, "यह एक लड़की की खूबसूरती के बारे में है। मेरी नजर क्लब में एक लड़की पर पड़ती है और यहीं से गाने की शुरूआत होती है। यह कुछ ऐसा है जैसे कि उसकी खूबसूरती मुझे उसकी ओर खींच रही है।"
दीप इससे पहले 'रेस 3' में सुपरस्टार सलमान खान के साथ काम कर चुके हैं।(आईएएनएस)
जमुई (बिहार), 24 नवंबर | बिहार के जमुई जिले के खैरा थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति ने पारिवारिक विवाद में अपनी पत्नी और दो बच्चों की गला दबाकर हत्या कर दी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। खैरा के थाना प्रभारी सी. पी. यादव ने मंगलवार को बताया कि सोमवार की रात ललदैया गांव निवासी प्रकाश यादव का पत्नी समुद्री देवी (25) के साथ किसी बात को लेकर विवाद हो गया। इसके बाद प्रकाश यादव ने पत्नी और दो बच्चे सौरभ कुमार (5) एवं ज्योति कुमारी (3) की गला दबाकर हत्या कर दी और फरार हो गया।
उन्होंने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिये जमुई सदर अस्पताल भेज दिया है। इस सिलसिले में गुप्त सूचना के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। प्रथम ²ष्टया हत्या का कारण आपसी विवाद बताया जा रहा है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।(आईएएनएस)
वाराणसी (उप्र), 24 नवंबर | एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने पुलिस को उस लड़की के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया, जिसने बहुजन समाज पार्टी के सांसद अतुल राय के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाया था। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत ने कैंट पुलिस को राय और उसके दोस्त सत्यम प्रकाश राय के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली लड़की के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।
अतुल राय के भाई पवन कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि यह लड़की हनीट्रैप रैकेट चलाती है। अपने दावे के समर्थन में पवन ने लड़की की दो मार्कशीट की प्रतियां जमा कीं हैं, जिसमें अतुल राय और 2015 कॉलेज के एक छात्र नेता के खिलाफ दर्ज किए गए एक अन्य मामले में लड़की ने अपनी जन्म तारीखें अलग-अलग बताईं हैं।
अदालत ने आदेश दिया है कि विभिन्न मामलों में लड़की के द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों की उचित जांच की जानी चाहिए।
पवन के वकील अनुज यादव ने कहा, "लड़की और उसके दोस्त सत्यम प्रकाश राय के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत मामला दर्ज किया गया। पवन ने आरोप लगाया कि 2015 में उसी लड़की ने उप्र के एक छात्र नेता के खिलाफ शिवपुर पुलिस में यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया था। जिसमें उसने जो हाई स्कूल की मार्कशीट जमा की थी, उसमें उसकी जन्मतिथि 10 मार्च 1997 थी। जबकि इस बार उसे जो हाई स्कूल मार्कशीट जमा की, जिसमें उसकी जन्मतिथि 10 जून 1997 थी।"
यादव ने कहा, "पवन ने आरोप लगाया है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लड़की कानूनी लाभ लेने की कोशिश कर रही है।"
बता दें कि 26 अप्रैल, 2019 को बसपा प्रत्याशी के रूप में घोसी संसदीय क्षेत्र से नामांकन दाखिल करने के एक हफ्ते बाद अतुल राय पर बलिया की लड़की ने 2 मई को वाराणसी में उनके खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद राय भूमिगत हो गए और उनका पूरा चुनाव अभियान उनकी पत्नी ने चलाया।
चुनाव जीतने के बाद, 22 जून को उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए इस साल जनवरी में उन्हें 2 दिन की पैरोल दी गई थी।(आईएएनएस)
तिरुपति, 24 नवंबर | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मंगलवार सुबह आंध्र प्रदेश के रेनिगुन्टा हवाई अड्डे पर पहुंचे जहां आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी और राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन ने उनकी अगवानी की। राष्ट्रपति सुबह 10.45 बजे हवाई अड्डे पर उतरे। वो तिरुचानुरु मंदिर में श्री पद्मावती देवी और तिरुमाला मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करेंगे।
राष्ट्रपति का स्वागत करने के बाद जगनमोहन रेड्डी राज्य की राजधानी अमरावती वापस चले गए जहां से वो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और दूसरे मुख्यमंत्रियों के साथ एक वीडियो सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
राष्ट्रपति कोविंद दिल्ली से चेन्नई की यात्रा के लिए एयर इंडिया वन-बी777 विमान का उपयोग किया।(आईएएनएस)
लखनऊ , 24 नवम्बर | बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने यूपी में जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर दोषी अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठाई है। मंगलवार को बसपा मुखिया मायावती ने ट्विटर के माध्यम से लिखा कि यूपी में जहरीली शराब पीने से गरीबों की मौत व परिवारों के उजड़ने की घटनाएं लगातार हो रही हैं, जो अति-दु:खद है। प्रयागराज की ताजा घटना में भी अनेक लोगों की मौत के बाद सरकारी कार्रवाई उचित, किन्तु इस समस्या के समाधान हेतु दोषी अफसरों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी बहुत जरूरी।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब पीने से लगातार हो रही मौतों को रोकने के लिए सूबे की योगी सरकार ने कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने जहरीली शराब बेचने वालों पर शिकंजा कसते हुए कहा है कि अब इन पर भी कड़ा रुख अपनाया जाएगा। कार्रवाई के साथ इन सबकी संपत्ति कुर्क कर जुर्माना वसूला जाएगा। बता दें, राज्य की राजधानी लखनऊ और प्रयागराज समेत कई जिलों में जहरीली देसी शराब पीने से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में जहरीली शराब से हुई मौतों को गंभीरता से लिया है। योगी ने जहरीली शराब बेचने में लिप्त लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए संपत्ति जब्त करने और जब्त संपत्ति को नीलाम कर उससे प्राप्त धनराशि से पीड़ित परिवारों की मदद करने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि सूबे के प्रयागराज जनपद के फूलपुर में जहरीली शराब पीने से 6 लोगों की मौत हो गई और अन्य पांच लोग गंभीर हालत में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हैं। इससे पहले राजधानी लखनऊ , मथुरा और फिरोजाबाद में जहरीली शराब से कई लोगों की मौतें हो चुकी हैं। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 24 नवंबर | बिहार विधानसभा अध्यक्ष को लेकर सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और विपक्षी दलों का महागठबंधन आमने-सामने आ गया है। बिहार विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव सत्ता पक्ष की ओर से चुने जाने की परंपरा रही है, लेकिन इस बार विपक्ष ने अपना प्रत्याशी उतार दिया है, जिससे अध्यक्ष पद को लेकर चुनाव तय माना जा रहा है।
महागठबंधन ने अध्यक्ष पद के के लिए सीवान के विधायक अवध बिहारी चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। इसके बाद यह तय हो गया है कि विधानसभा अध्यक्ष को लेकर इस बार चुनाव होगा।
राजद के विधायक दल के नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को यहां कहा कि महागठबंधन की ओर से अवध बिहारी चौधरी ने नामांकन का पर्चा भर दिया है।
उन्होंने चौधरी की जीत का दावा करते हुए कहा कि बिहार में विधानसभा में अध्यक्ष का पद अहम और जिम्मेदारी वाला पद होता है, जो पक्ष और विपक्ष को साथ लेकर चल सके, सबकी बातें सुने। इसके लिए अनुभव का होना बहुत जरूरी है।
एआईएमआईएम के समर्थन देने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे सभी विधायकों से अपील करेंगे कि वे अनुभवी को अध्यक्ष चुनने के लिए वोट दें। उन्होंने कहा कि चौधरी पहली बार 1985 में विधायक बने थे और अब तक पांच बार विधायक रहे हैं। उन्होंने राजग के विधायकों से भी अनुभवी नेता को अध्यक्ष बनाए जाने का आह्वान किया है।
इधर, प्रत्याशी बनने के बाद चौधरी ने कहा कि महागठबंधन ने उन्हें विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी बनाया है। उन्होंने विधायकों को विश्वास जताते हुए कहा कि वे अध्यक्ष बनने के बाद पूरे नियम से और बिना भेदभाव के सदन चलाने का काम करेंगे।
नवगठित विधानसभा अध्यक्ष के लिए बुधवार को चुनाव होना है।
इधर, राजग ने भाजपा के विधायक विजय कुमार सिन्हा को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने भी अपना नामांकन दाखिल कर दिया है।
सिन्हा ने मंगलवार को कहा, पार्टी नेतृत्व ने मुझपर जो विश्वास किया है, उसपर मैं पूरी ताकत के साथ खरा उतरने का प्रयास करूंगा। नेतृत्व का सम्मान और गौरव बढ़ाने के लिए मैं पूरी तन्मयता के साथ काम करूंगा।
लखीसराय के विधायक सिन्हा बिहार के मंत्री रह चुके हैं।
इधर, भाजपा के विधायक संजय सरावगी ने कहा कि राजग के पास बहुमत है और उनके प्रत्याशी की जीत तय है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र है कि सभी को प्रत्याशी उतारने का हक है, हालांकि राजग की जीत तय है।
उल्लेखनीय है कि बिहार की 243 सीटों में से राजग के पास 125 विधायक हैं जबकि महागठबंधन के पास 110 विधायक हैं। इसके अलावा एआईएमआईएम के 5, बहुजन समाज पार्टी व लोकजनशक्ति पार्टी के एक-एक और एक निर्दलीय विधायक है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 नवंबर (एजेंसी)। केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके आयुर्वेद के परास्नातक चिकित्सकों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण देने की अनुमति दे दी है। इसके बाद ये चिकित्सक सामान्य तरह के ट्यूमर और गैंग्रीन का विच्छेदन करने समेत नाक और मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर सकेंगे।
गैंग्रीन एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के ऊतक नष्ट होने लगते हैं। यह मुख्य रूप से चोट, संक्रमण या किसी अन्य समस्या के कारण शरीर के किसी भाग में खून नहीं जा पाने के कारण होता है। आयुष मंत्रालय के तहत आने वाली वैधानिक संस्था भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) की ओर से जारी अधिसूचना में 39 सामान्य ऑपरेशन प्रक्रियाओं और करीब 19 प्रक्रियाओं की सूची हैं जिनमें आंख, कान, नाक, गला आदि हैं। इसके लिए भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (परास्नातक आयुर्वेद शिक्षा), नियमन 2016 में संशोधन किया गया है।
ऑपरेशन की इजाजत हर परास्नातक को नहीं
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने स्पष्ट किया परास्नातक करने वाले सभी चिकित्सकों को ऑपरेशन करने की इजाजत नहीं है, बल्कि जिन्होंने शल्य और शल्क्य में परास्नातक किया है, सिर्फ वे ही ये ऑपरेशन कर सकेंगे। सीसीआईएम के संचालक मंडल के प्रमुख वैद्य जयंत देवपुजारी ने स्पष्ट किया कि आयुर्वेदिक संस्थानों में 20 साल से ऑपरेशन होते आए हैं और अधिसूचना उन्हें कानूनी जामा पहनाती है।
यह कोई नया फैसला नहीं
अधिसूचना के मुताबिक, पढ़ाई के दौरान शल्या और शल्क्य में पीजी कर रहे छात्रों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। कोटेचा ने कहा कि सीसीआईएम की अधिसूचना नीति में किसी तरह का बदलाव का सूचक नहीं है या कोई नया फैसला नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिसूचना आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए ऑपरेशन के सभी क्षेत्रों को नहीं खोलती है, बल्कि उन्हें कुछ विशिष्ट चीजों का ऑपरेशन करने की अनुमति देती है।
केंद्र आदेश वापस ले-आईएमए
आयुर्वेद के परास्नातक चिकित्सकों को ऑपरेशन करने का अधिकार देने के फैसले को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने प्रतिगामी कदम करार दिया है। आईएमए ने आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए सीसीआईएम से अनुरोध किया कि आयुर्वेद चिकित्सकों को प्राचीन पुस्तकों के जरिये खुद से अपनी सर्जिकल शाखा विकसित करने दिया जाए। आयुर्वेद चिकित्सकों को आधुनिक मेडिसिन की सर्जिकल विधियों को अपना नहीं बताना चाहिए। यह भी मांग की गई कि आयुर्वेद कॉलेजों में मॉडर्न मेडिसिन के किसी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की जाए। आईएमए ने सवाल किया कि नीट जैसी परीक्षा का क्या मतलब रह गया है, जब इस तरह के वैकल्पिक रास्ते तैयार कर दिए गए हैं।
नई दिल्ली, 24 नवंबर| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को तमिलनाड़ु और पुडुचेरी के मुख्यमंत्रियों से बात की, जहां से होकर बुधवार को चक्रवाती तूफान निवार गुजरेगा। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, "चक्रवाती तूफान निवार की स्थिति के मद्देनजर तमिलनाड़ु के मुख्यमंत्री श्री पलानीस्वामी और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री श्री वी नारायणसामी से बात की है। केंद्र की तरफ से हर संभव समर्थन देने का आश्वासन दिया है। मैं प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में रहने वालों की सुरक्षा और बेहतरी की कामना करता हूं।"
इससे पहले सोमवार को, केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पुडुचेरी के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आ रहे चक्रवात की स्थिति की समीक्षा करने के लिए राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी)की बैठक की अध्यक्षता की।
कैबिनेट सचिव ने इस दौरान अधिकारियों से कहा कि संकट प्रबंधन समिति प्रभावित इलाकों में जान-माल के शून्य नुकसान और सामान्य स्थिति की बहाली केलक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने दिशा-निर्देशों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है। मछुआरों को समंदर में जाने की मनाही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 नवंबर| पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि वह मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के.वी. सुब्रमण्यन द्वारा चालू खाता सरप्लस पर खुशी जताने को लेकर हैरान हैं। सुब्रमण्यन ने कहा था कि भारत सरकार द्वारा हाल ही में घोषित आर्थिक सुधारों के कारण चालू खाता सरप्लस में जा सकता है।
सीईए के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, चिदंबरम ने कहा, "सीईए ने मेरे संदेह की पुष्टि की है कि भारत के लिए चालू खाते के अधिशेष के साथ वर्ष 2020-21 समाप्त हो जाएगा। लेकिन मैं उनकी टिप्पणी के लहजे से हैरान हूं। क्या सीईए एक चालू खाता अधिशेष का जश्न मना रहा है?"
उन्होंने कहा, "यह देखते हुए कि हम पूंजी की जरूरत में एक विकासशील देश हैं, हम एक चालू खाता सरप्लस पर खुशी नहीं मना सकते।"
चिदंबरम ने कहा कि कई अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि चालू खाता सरप्लस का मतलब है कि भारत अपनी पूंजी विदेशों में निवेश कर रहा है! पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, "हमारी नीतियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निर्यात और आयात दोनों को मिलाकर चालू खाता घाटा मैनेजेबल हो।"
सीईआई के एमएनसीएस सम्मेलन 2020 में सोमवार को बोलते हुए, सीईए ने कहा था कि श्रम कानून सुधारों के कार्यान्वयन ने बढ़े हुए थ्रेसहोल्ड, एमएसएमई परिभाषा के परिवर्तन और आसान छंटनी मानदंडों के अनुपालन में ढील दी है।
उन्होंने कहा था कि सरकार द्वारा आर्थिक सुधार के उपायों के कारण, भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 संकट से निपटने के प्रयास के बावजूद चालू खाता सरप्लस देख सकती है।
सरकार ने कई बाजार उदारीकरण के उपाय किए हैं, जिसमें महामारी के बीच अर्थव्यवस्था को समर्थन देने की घोषणा की गई आर्थिक पैकेजों के हिस्से के रूप में रक्षा में एफडीआई सीमा को बढ़ाना, कोयला खनन, श्रम कानून में सुधार करना शामिल है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 नवंबर | पंजाब में रेल सेवाओं को बहाल किए जाने के एक दिन बाद ही मंगलवार को किसानों द्वारा अमृतसर जिले के जांडियाला रेलवे स्टेशन पर रेलवे ट्रैक को अवरुद्ध कर दिया गया, जिसके चलते रेल मार्ग को बदलने की नौबत आई। नाम न जाहिर करने की शर्त पर रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि किसानों ने जांडियाला रेलवे स्टेशन पर स्वर्ण मंदिर एक्सप्रेस की एंट्री रोक दी।
उन्होंने कहा, ट्रेन को तरन तारन स्टेशन के रास्ते से अमृतसर भेजा गया, जो कि अमृतसर स्टेशन पर सुबह 8.45 बजे पहुंची।
अधिकारी ने कहा कि अमृतसर जिला कलेक्टर और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक किसानों को शांत करने में विफल रहे। रेल मार्ग बाधित होने के चलते अमृतसर जाने वाली चार ट्रेनें भिन्न मार्गो से चलेगी।
उन्होंने आगे कहा कि आंदोलन में शामिल किसान केवल मालगाड़ियों को जालंधर-अमृतसर मार्ग से गुजरने की अनुमति दे रहे हैं। इस वक्त सिर्फ जालंधर-अमृतसर मार्ग पर ही समस्या देखने को मिल रही है, जबकि जम्मू-जालंधर मार्ग बिल्कुल साफ है।
संसद में पारित तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर किसान 24 सितंबर से पंजाब के कई हिस्सों में आंदोलन कर रहे हैं। उनकी मांग इन कानूनों को रद्द करने की है।(आईएएनएस)
लखनऊ, 24 नवंबर| कानपुर में लव जिहाद के मामलों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को विदेशी फंडिंग या सुनियोजित साजिश का कोई सबूत नहीं मिला है। टीम ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट इंस्पेक्टर जनरल (आईजी) को सौंप दी है।
एसआईटी ने 11 सहित कुल 14 मामलों की जांच की, जिसमें पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा, "कानपुर में कुल 14 मामले सामने आए थे जिसमें माता-पिता ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटियों को लड़कों ने धोखे से फंसाया है। एसआईटी ने सभी मामलों की जांच की। इन 11 मामलों में से कुछ में अपराध पाए गए और 11 लोगों को जेल भेजा गया।"
हालांकि, तीन मामलों में, बालिग युवतियों ने पुरुषों के बचाव में बयान दिया है, जिससे फाइनल रिपोर्ट तैयार करने में मदद मिली। इन तीनों मामलों में आगे कोई जांच नहीं हुई है।
अग्रवाल ने आगे कहा कि कथित लव जिहाद के इन मामलों में, एसआईटी ने पाया कि आरोपी पुरुषों में से चार एक-दूसरे के संपर्क में थे। इसके अलावा, तीन मामलों में, आरोपियों ने कथित तौर पर किसी और धर्म को दर्शाने वाला अपना नाम बताया था।
हालांकि, आईजी मोहित अग्रवाल ने यह भी बताया कि जांच में किसी गिरोह का हाथ होने या साजिश का खुलासा नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा, "जांच में अभी तक ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है जिससे यह पता चले कि वे कोई गिरोह है या उन्होंने एक संगठन बनाकर एक साजिश के तहत यह सब किया है। हालांकि, धोखाधड़ी की बात सामने आई है, उन्होंने अपना नाम बदलकर धोखा दिया है और उन्होंने कुछ नाबालिग लड़कियों के साथ भी ऐसा किया है।"
इसके अलावा, यह आरोप लगाया गया है कि अन्य धर्मों की लड़कियों से शादी करने के लिए, आरोपियों ने लड़कियों का नाम और धर्म भी बदल दिया। यह भी आरोप लगाया गया है कि नाम परिवर्तन और धर्मातरण की प्रक्रिया में कानून का पालन नहीं किया गया था। पुलिस द्वारा मामले में आगे की कार्रवाई करने की उम्मीद है।"
उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि राज्य में जल्द ही 'लव जिहाद' के खिलाफ एक सख्त कानून लाया जाएगा।
गृह विभाग ने इसी पर एक प्रस्ताव विधि विभाग को भेजा है। (आईएएनएस)
मुजफ्फरनगर (उप्र), 24 नवंबर| उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक ऐसे गिरोह के 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया है जो अमेरिका और यूरोपीय ब्रांडों के नाम वाले लेबल चिपकाकर नकली प्रोटीन पाउडर बनाकर बेच रहे थे। इस गिरोह में शामिल एक आरोपी अभी फरार है। सोमवार को कई जगहों पर हुई छापेमारी के बाद मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक यादव ने कहा, "हमें इस गिरोह की गतिविधियों के बारे में लगातार इनपुट मिल रहे थे। हमारी अपराध शाखा की टीमों ने जिले में कई स्थानों पर छापेमारी करने से पहले चुपचाप पर्याप्त विवरण इकट्ठा कर लिये थे। हमने डेढ़ लाख लेबल, 572 कंटेनरों में कई किलो नकली प्रोटीन सप्लीमेंट बरामद किए हैं, जिनमें 'यूनिवर्सल' जैसी प्रसिद्ध फर्मों के स्टिकर लगे हुए हैं। 9,500 से ज्यादा खाली बोतलें और बॉक्स, 28 बोरे काबोर्हाइड्रेट पाउडर, सैकड़ों प्रतिबंधित ड्रग्स और स्टेरॉयड भी बरामद किए हैं।"
पुलिस तीनों आरोपियों - जुबैर आलम, अर्शी और अमिल से पूछताछ कर रही है। पुलिस अधिकारी ने कहा, "इनकी सप्लाई चेन बड़ी और काफी फैली हुई है। यह हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में है।"
नकली सप्लीमेंट्स के बुरे प्रभावों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, "इन सप्लीमेंट्स में एनाबॉलिक स्टेरॉयड जैसे डेका ड्यूरोबोलिन, टेस्टोस्टेरोन और एंड्रॉस्टेरोन आदि का बहुत अनुपात अधिक होता है, जो मांसपेशियों को तुरंत पुष्ट और ताकतवर बनाता है। इनका उपयोग पूरी दुनिया में प्रतिबंधित है, विशेष रूप से खेल में। शरीर में इन पदार्थों की उपस्थिति को केवल मूत्र परीक्षण के जरिए पता लग सकता है। इन दवाओं के दुरुपयोग से गुर्दे की बीमारी और नपुंसकता भी होती है। इनका उपयोग ऐसे लोग करते हैं, जो लगातार जिम करते हैं।"
2015 में हुए एक अध्ययन केसकेड (कमेटी अगेन्स्ट स्मगलिंग एंड काउंटरफिटिंग एक्टिविटीज डिस्ट्राइंग द इकोनॉमी) के अनुसार बाजार में सभी पैकेज्ड फूड का लगभग 5 में से 1 हिस्सा नकली हो सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 नवंबर | भारत में चलने वाली पहली कॉरपोरेट सेक्टर की ट्रेन 'तेजस' पर कुछ समय के लिए ब्रेक लग गया है. आईआरसीटीसी ने दिल्ली-लखनऊ और मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलने वाली तेजस ट्रेन को अगली सूचना तक रद्द करने का फ़ैसला किया है. यह फ़ैसला दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस के लिए 23 नवंबर से और मुंबई-अहमदाबाद तेजस एक्सप्रेस के लिए 24 नवंबर से लागू है.
आईआरसीटीसी के प्रवक्ता सिद्धार्थ सिंह का कहना है कि कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन में ट्रेन चलाने के लिए यात्री नहीं मिल रहे थे. बीबीसी से बातचीत में उन्होंने बताया कि दिल्ली-लखनऊ रूट पर औसतन 25 फ़ीसद यात्री भी सफ़र नहीं कर रहे थे, जबकि मुंबई-अहमदाबाद रूट पर ट्रेन औसतन 35 फ़ीसद ही भर पा रही थी.
तेजस ट्रेन उन पहली ट्रेनों में शुमार थी जिनको देश भर में लगने वाले लॉकडाउन के पहले ही 19 मार्च 2020 को बंद कर दिया गया था. इसके बाद त्योहारों के सीज़न को देखते हुए 17 अक्तूबर 2020 को इन्हें दोबारा से शुरू किया गया था.
लेकिन महीने भर बाद इसे दोबारा बंद करने की नौबत आ गई.
दिल्ली-लखनऊ के बीच तेजस ट्रेन अक्तूबर 2019 से शुरू हुई थी. मुंबई-अहमदाबाद तेजस ट्रेन इसी साल जनवरी में शुरू की गई थी.
कुल मिला कर देखें तो दिल्ली-लखनऊ तेजस ट्रेन पिछले एक साल में केवल छह महीने ही पटरी पर दौड़ी.
तेजस ट्रेन - नया प्रयोग
तेजस एक्सप्रेस भारतीय रेल और आईआरसीटीसी का एक नया प्रयोग माना जा रहा था. चर्चा इस बात की थी कि अगर ये प्रयोग सफल हुआ तो अन्य रूट पर भी दोहराया जाएगा.
इस रेल सेवा को भारत की पहली निजी या कॉरपोरेट सेवा भी कहा जाता है. आईआरसीटीसी ने तेजस को रेलवे से लीज़ पर लिया है और इसका कमर्शियल रन किया जा रहा है. आईआरसीटीसी अधिकारी इसे प्राइवेट के बजाए कॉरपोरेट ट्रेन कहते हैं.
आईआरसीटीसी के मुताबिक़ इन ट्रेनों को इतनी कम सीटों पर चलाने से ट्रेन के लिए ज़रूरी ख़र्च निकालना मुश्किल हो रहा था.
आईआरसीटीसी की दलील है कि कोविड-19 बीमारी का क़हर ख़त्म होने के बाद ये रेलगाड़ियां पटरी पर लौट सकती हैं.
लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि औसतन ये ट्रेन कभी भी 100 फ़ीसद सीटें भर कर नहीं चलीं.
आईआरसीटीसी के अनुमान के मुताबिक़ अगर ट्रेन 70 फ़ीसद सीट भर कर चलती हैं तो उनका 'ब्रेक इवन' हासिल किया जाता है.
'ब्रेक इवन' यानी ट्रेन चलाने के लिए ज़रूरी ख़र्च यात्रियों से निकालना.
कितने का नुक़सान, कितने की बचत
दरअसल, इन ट्रेनों को आईआरसीटीसी ने कॉरपोरेट अंदाज़ में चलाने के लिए तीन साल के लिए लीज़ पर लिया था. इसमें केटरिंग के लिए थर्ड पार्टी को कॉन्ट्रेक्ट दिया गया था. बाक़ी का ऑपरेशन जैसे बुकिंग, ट्रेन लाना ले जाना वगैरह ख़ुद आईआरसीटीसी देख रही थी.
ट्रेन चलाने के लिए आईआरसीटीसी को एक 'ऑपरेटिंग कॉस्ट' रेलवे को देना होता था, जिसका एक बड़ा हिस्सा होता है 'हॉलेज़ चार्ज'.
रेलवे की पटरियों, स्टेशन और दूसरी सुविधाओं का इस्तेमाल जब कोई दूसरी पार्टी करती है तो उसके एवज़ में रेलवे प्राइवेट पार्टी से 'हॉलेज़ चार्ज' वसूल करती है.
आईआरसीटीसी को 'हॉलेज़ चार्ज' के रूप में 950 रुपये प्रति किलोमीटर प्रति दिन के हिसाब से रेलवे को देना पड़ता था.
दिल्ली से लखनऊ रूट पर चलने वाली तेजस एक्सप्रेस का ही उदाहरण ले लीजिए. 511 किलोमीटर एक तरफ़ की दूरी है. जाना और आना मिला लें तो लगभग 1022 किलीमीटर की दूरी है. यानी लगभग 10 लाख रुपये तो आईआरसीटीसी को केवल 'हॉलेज़ चार्ज' के रूप में एक तेजस ट्रेन के लिए देने पड़ रहे थे.
इसके अलावा ड्राईवर, गार्ड और दूसरे स्टॉफ़ की सैलरी है अलग से.
सूत्रों के मुताबिक़ एक दिन का 'ऑपरेटिंग कॉस्ट' तक़रीबन 15 लाख रुपये बैठ रहा था. जो ट्रेन बंद होने की सूरत में आईआरसीटीसी को अब रेलवे को नहीं देना होगा.
तेजस ट्रेनें रद्द करके आईआरसीटीसी अपना यही 'ऑपरेटिंग कॉस्ट' बचाना चाहती है.
केटरिंग और बाक़ी कान्ट्रेक्ट के कर्मचारियों का क्या?
तेजस पहली ऐसी ट्रेन थी, जिसमें एयर होस्टेस की तर्ज़ पर ट्रेन होस्टेस की व्यवस्था की गई थी. उन्हें थर्ड पार्टी कॉन्ट्रेक्ट के ज़रिए रखा गया था.
इसी अतिरिक्त सेवा के नाम पर ट्रेन का किराया भी दूसरी ट्रेनों के मुक़ाबले ज़्यादा रखा गया था.
दिल्ली से लखनऊ के बीच 511 किलोमीटर का सफ़र इस ट्रेन से साढ़े छह घंटे में पूरा किया जा सकता है. इस ट्रेन का किराया भी इस रूट पर चलने वाली शताब्दी ट्रेन से तक़रीबन 400-500 रुपये ज़्यादा ही था.
राजधानी की तर्ज़ पर इसमें भी 'डायनमिक प्राइसिंग' लगता था. 'डायनमिक प्राइसिंग' यानी पचास फ़ीसद सीटें भर जाने के बाद डिमांड के हिसाब से किराया बढ़ जाया करता था.
लेकिन कोरोना के दौर में तो पचास फ़ीसद सीटें भरने के भी लाले पड़े थे.
तेजस एक्सप्रेस के दस डिब्बों में 20 कोच क्रू तैनात होते थे. ये सभी आईआरसीटीसी की कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि एक अन्य प्राइवेट कंपनी के ज़रिए इनकी सेवाएं ली जा रही थीं.
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आख़िर उन ट्रेन होस्टेस का अब क्या होगा?
इस पर आईआरसीटीसी के अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं और ना ही प्राइवेट कंपनी वाले. दोनों का कहना है फ़िलहाल ये क्रू मेंबर प्राइवेट कंपनी के साथ ही हैं. ऐसे स्टॉफ़ जो आईआरसीटीसी के इस फ़ैसले से प्रभावित होंगे उनकी संख्या मुश्किल से 50-60 लोगों की होगी.
लेकिन सवाल है कि आगे कितने दिन तक ऐसे क्रू मेंबर्स को बैठा का सैलरी दी जाएगी?
नाम ना बताने की शर्त पर एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि केटरिंग के लिए जो लाइसेंस फ़ीस आईआरसीटीसी ने ले रखी थी, आपात स्थिति में वो फ़ीस केटरिंग कॉन्ट्रेक्ट वालों को वापस की जा सकती है.
प्राइवेट ट्रेन चलाने के मॉडल पर सवाल
तेजस ट्रेन को रद्द करने की ख़बर को अब रेलवे के कर्मचारी रेलवे के निजीकरण की आगे की योजना से जोड़ कर भी देख रहे हैं.
ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी शिव गोपाल मिश्रा ने तेजस के रद्द होने को लेकर एक तंज़ भरा ट्वीट किया है.
उनका कहना है कि रेलवे कर्मचारियों की यूनियन ने पहले ही प्राइवेट पार्टनर को ट्रेन चलाने देने का विरोध किया था.
उन्होंने सरकार को एक बार फिर से आगाह किया कि यही हाल 150 दूसरी ट्रेनों का भी होगा.
दरअसल, जुलाई 2020 में भारतीय रेलवे ने 109 रूटों पर ट्रेन चलाने के लिए निजी कंपनियों से 'रिक्वेस्ट फ़ॉर क्वालिफ़िकेशन' यानी आरएफ़क्यू आमंत्रित किया था. ये रेलगाड़ियां अप्रैल 2023 में शुरू किए जाने का प्रस्ताव है.
लेकिन अब सवाल खड़ा हो रहा है कि पहली प्राइवेट ट्रेन 'तेजस' का हश्र देख कर अब दूसरी प्राइवेट कंपनियाँ ट्रेन चलाने के लिए कितना आगे आएंगी.
बीबीसी से बातचीत में शिव गोपाल मिश्रा कहते हैं, "छठ, दिवाली, दशहरा जैसे त्योहारों को छोड़ कर इन ट्रेनों की हालत ज़्यादातर समय ऐसी ही रहती है. प्राइवेट ट्रेन वाले किराया महँगा रखते हैं और सुविधाओं के नाम पर कुछ देते नहीं हैं. ट्रेन होस्टेस के नाम पर ग्लैमर दिखाने की एक कोशिश की गई थी, लेकिन भारत में ऐसी कोशिशें नहीं चल सकती."
ऐसा क्यों है कि भारतीय रेल दिल्ली से लखनऊ तक की दूसरी गाड़ियाँ चला पा रही है, लेकिन प्राइवेट ट्रेन नहीं चल पा रही हैं?
इस सवाल के जवाब में शिव गोपाल मिश्रा कहते हैं कि किराया ज़्यादा देकर बिना बेहतर सुविधाओं के दूसरी ट्रेन पर जनता क्यों सफ़र करेगी?
शिव गोपाल मिश्रा की माने तो चूंकि ट्रेन चलाने में प्राइवेट ट्रेनों को ज़्यादा ख़र्च करना पड़ता है इसलिए वो किराया ज़्यादा वसूलती हैं और यही है प्राइवेट हाथों में ट्रेन का परिचालन देने का नुक़सान. (bbc)
नई दिल्ली, 24 नवंबर | भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत उर्फ़ जय पंडा और उनकी पत्नी जगी मंगत पंडा के ऊपर अब ख़तरे के बादल मंडराने लगे हैं.
दलितों की ज़मीन हड़प करने के कथित आरोप में ओडिशा पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने दोनों के ख़िलाफ़ एक केस दायर किया है. पंडा दंपति ने इस मामले में ओडिशा हाईकोर्ट में पुलिस के केस के ख़िलाफ़ एक याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने शुक्रवार को ख़ारिज कर दिया.
साथ ही अदालत ने पाँच नवंबर को जय और जगी को दी गई अंतरिम सुरक्षा हटा दी. हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद जय और जगी की गिरफ़्तारी का रास्ता साफ़ हो गया है.
क्या है मामला?
31 अक्तूबर को ओडिशा पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और ओडिशा भूसंस्कार क़ानून के तहत ओडिशा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड (ओआईपीएल) के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की थी. जय और जगी इस कंपनी के प्रमोटर हैं.
ओआईपीएल पर आरोप है कि 2010 से 2013 के बीच कंपनी ने खुर्दा ज़िले के सारूआ गांव में ग़ैर-क़ानूनी ढंग से 22 दलितों से 7.924 एकड़ ज़मीन ख़रीदी.
ग़ौरतलब है कि ओडिशा में आदिवासियों और दलितों की ज़मीन को ग़ैर-आदिवासी/दलित नहीं ख़रीद सकते हैं. केवल विशेष परिस्थितियों में और ज़िलाधीश की अनुमति मिलने पर ही एक दलित, किसी ग़ैर-दलित को अपनी ज़मीन बेच सकता है. लेकिन ऐसी अनुमति मिलना आमतौर पर काफ़ी मुश्किल होता है.
ओआईपीएल पर आरोप है कि उसने इस क़ानून से बचने के लिए रवि सेठी नाम के अपने एक दलित कर्मचारी का इस्तेमाल किया, जो पंडा परिवार के ओड़िया टीवी चैनल 'ओटीवी' में ड्राइवर की नौकरी किया करते थे.
एफ़आईआर के अनुसार ओआईपीएल ने रवि के ज़रिए 22 दलितों से ज़मीन ख़रीदवा कर अपने नाम करवा लिया. आरोप ये भी है कि ख़रीद-फ़रोख़्त के दस्तावेज़ में तो यह दिखाया गया है कि रवि ने यह ज़मीन 22 लाख में ख़रीदी और फिर उस ज़मीन को ओआईपीएल को 65 लाख में बेच दिया लेकिन असल में रवि और ओआईपीएल के बीच पैसे का कोई लेनदेन नहीं हुआ.
केवल ज़मीन संबंधी काग़ज़ात पर उसके हस्ताक्षर लिए गए. एफ़आईआर में बताया गया है कि रवि का वेतन सिर्फ़ आठ हज़ार रुपये प्रति महीना था और 22 लाख देकर ज़मीन ख़रीदने की उनकी हैसियत नहीं थी.
एफ़आईआर दर्ज करने के अगले ही दिन यानी एक नवंबर को पुलिस ने ओआईपीएल के तत्कालीन निदेशक और ओटीवी के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफ़ओ) मनोरंजन सारंगी को गिरफ़्तार कर लिया था.
मामला हाईकोर्ट में
पुलिस केस को चुनौती देते हुए जय और जगी ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें इस संदर्भ में दर्ज एफ़आईआर को ख़ारिज किए जाने की अपील की गई थी.
पाँच नवंबर को मामले की पहली सुनवाई में जय और जगी ने यह कहकर कोर्ट से सुरक्षा माँगी थी कि पुलिस उन दोनों को गिरफ़्तार कर सकती है क्योंकि वे दोनों इस कंपनी के प्रमोटर हैं.
हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी और मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 नवंबर की तारीख़ मुक़र्रर की.
13 नवंबर की सुनवाई में मनोरंजन सारंगी ने उन्हें मुक़दमे से बाहर रखे जाने की अपील की क्योंकि वे इस बीच ओआईपीएल के निदेशक पद और ओटीवी के सीएफ़ओ पद से भी इस्तीफ़ा दे चुके हैं.
हाईकोर्ट ने उनके आवेदन को स्वीकार किया और उन्हें इस मामले से बाहर रखने का आदेश जारी कर दिया. लेकिन मुख्य याचिका पर अपनी राय संरक्षित रखते हुए पाँच नवंबर को पंडा दंपति को दी गई अंतरिम सुरक्षा की अवधि मामले पर अंतिम फ़ैसला होने तक बढ़ा दी गई थी.
पिछले शुक्रवार को मामले पर अपना फ़ैसला सुनाते हुए न्यायाधीश बीपी राऊतराए की खंडपीठ ने पंडा दंपति द्वारा दायर याचिका को यह कहकर ख़ारिज कर दिया कि इस समय मामले की जाँच में कोर्ट के हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने उनकी इस दलील को स्वीकार नहीं किया कि यह मामला सत्तारूढ़ पार्टी के द्वेष और ग़लत मंशा का नतीजा है .
कोर्ट ने कहा कि इस आरोप को साबित करने के लिए आवेदनकारियों की ओर से कोई दस्तावेज़ पेश नहीं किया गया. साथ ही खंडपीठ ने उन्हें दी गई अंतरिम सुरक्षा भी हटा दी.
इस फ़ैसले के बाद अब जय और जगी की गिरफ़्तारी के लिए रास्ता साफ़ हो गया है. हालांकि उन्हें सचमुच गिरफ़्तार किया जाएगा या नहीं, इस बारे में पुलिस आर्थिक अपराध शाखा ने अभी तक कोई संकेत नहीं दिया है .
पंडा दंपति की प्रतिक्रिया
मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जगी पंडा ने बीबीसी से कहा कि सारे आरोप ग़लत और निराधार हैं.
उन्होंने कहा, "असल में जिस क़ानून के तहत एफ़आईआर दर्ज की गई है, वह क़ानून इस मामले में लागू नहीं होता क्योंकि जिस इलाक़े में यह ज़मीन ख़रीदी गई वह औद्योगिक इलाक़ा है. वहाँ हमने 100 एकड़ से अधिक ज़मीन ख़रीदी है और उसपर एक 'इको फ़्रेंडली' और सौर ऊर्जा चालित फ़िल्म सिटी बनाई है जहां सैकड़ों लोग काम करते हैं. यहाँ सिनेमा और टीवी सीरियल बनाए जाते हैं. जिस सात एकड़ की बात की जा रही है वह इस फ़िल्म सिटी का एक छोटा सा हिस्सा है. यह ज़मीन ख़रीदते समय हमने सारे क़ानून और नियमों का पालन किया है. हम इस मामले की निष्पक्ष जाँच की माँग करते हैं और हमें पूरा विश्वास है कि अंत में हम सही साबित होंगे."
जगी ने कहा कि ओटीवी ने जिस तरह नवीन पटनायक सरकार में हुए भ्रष्टाचार को उजागर किया है, उससे नाराज़ होकर सरकार ने पिछले कुछ हफ़्तों में उनकी कंपनियों, कर्मचारियों और परिवार के सदस्यों पर लगभग 20 मामले दायर किए हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि 'सभी मामलों में पुलिस ने पक्षपात किया है और सारे नियमों को ताक पर रखा.'
कौन हैं जय पंडा और क्या है राजनीति
एक समय था जब जय पंडा, बीजू जनता दल अध्यक्ष और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के सबसे क़रीबी दोस्तों में से एक थे. वैसे तो इस मित्रता के कई कारण थे लेकिन सबसे बड़ा कारण यह था कि नवीन के स्वर्गीय पिता और पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक और जय के पिता और जाने माने उद्योगपति डॉक्टर बंशीधर पंडा अच्छे मित्र थे और दोनों में पारिवारिक संबंध थे.
जय बीजू को बीजू अंकल पुकारा करते थे. ऐसे में यह स्वाभाविक था कि नब्बे के दशक के अंत में जब नवीन पटनायक अपने पिता के देहांत के बाद राजनीति के मैदान में उतरे तो जय उनके क़रीबी मित्र बन गए. यह मित्रता क़रीब डेढ़ दशक तक चली.
साल 2000 से लेकर 2014 तक जय पंडा, राजधानी दिल्ली में बीजेडी का 'चेहरा' हुआ करते थे और लगभग हर टीवी बहस में पार्टी का प्रतिनिधित्व करते थे. नवीन से मित्रता के कारण जय दो बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा सदस्य बने और केंद्रापड़ा लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.
रिश्तों में दरार
लेकिन 2014 के चुनाव के आसपास दोनों के रिश्तों में दरार नज़र आने लगी. दोनों के बीच फूट का सही कारण किसी को नहीं पता. लेकिन इस मामले को क़रीब से देखने वालों की मानें तो जय की राजनीतिक महत्वकांक्षाएं और पार्टी में किसी दूसरे का क़द बढ़ने को लेकर नवीन पटनायक की असहिष्णुता के कारण ही दोनों में अनबन शुरू हुई.
साल 2014 से लेकर 2019 के आम चुनाव के पहले तक दोनों के बीच रस्साकशी चलती रही. इस दौरान जय, नवीन के ख़िलाफ़ खुलकर सामने नहीं आये. लेकिन चुनाव के ठीक पहले जब जय ने भाजपा से नज़दीकियां बढ़ानी शुरू की, तब दोनों के बीच की लड़ाई खुलकर सामने आ गई.
साल 2019 के चुनाव में जब भाजपा ने जय को केंद्रापड़ा लोकसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी चुना तो उन्हें हराने के लिए नवीन और बीजेडी ने सब कुछ झोंक दिया. नतीजा यह हुआ कि जय जिस लोकसभा क्षेत्र का लगातार दो बार प्रतिनिधित्व कर चुके थे, वहीं से वे क़रीब डेढ़ लाख वोट से हार गए और सिने स्टार अनुभव मोहंती वहाँ से सांसद बन गए.
आगे क्या होगा?
चुनाव के बाद नवीन और जय के बीच लड़ाई और भी तीखी हो गई.
जय पंडा पर कभी चिलका झील के ऊपर हेलिकॉप्टर उड़ाने के लिए मामला दर्ज कर उनके हेलिकॉप्टर को ज़ब्त किया गया. कभी पंडा परिवार की कंपनी इंफा द्वारा क्रोम खनिज परिवहन के रास्ते पर पर्याप्त सिंचाई न करने के आरोप में कंपनी द्वारा खनन का काम बंद किया.
जय पंडा की कंपनियों के ख़िलाफ़ 20 मामले दर्ज किए गए हैं. दलित ज़मीन हड़प का मामला भी इसी क्रम में आता है. लेकिन मामले से संबंधित तथ्यों के आधार पर यह ज़रूर कहा जा सकता है कि शायद इस मामले से पीछा छुड़ाना आसान नहीं होगा. (bbc)
नई दिल्ली, 24 नवंबर | रविवार को भारत में कोविड-19 संक्रमण के 44,413 नए मामले दर्ज किए गए हैं. साथ ही इस वायरस से मरने वालों की संख्या 511 रही.
बीते पाँच दिनों में पहली बार संक्रमितों की संख्या 45 हज़ार से कम रही है.
रविवार को देश में अब तक कोरोना संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 91 लाख के आंकड़े को पार कर गए हैं. साथ ही इस महामारी से मरने वालों की तादाद 1.34 लाख के क़रीब पहुँच गई है.
पिछले कुछ हफ़्तों से देश में कोरोना के मरीज़ों की तादाद में अचानक से बढ़ोतरी शुरू हुई है.
त्योहार के सीज़न के साथ ही अक्तूबर और नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव और कई दूसरे राज्यों में उपचुनाव भी हुए हैं. बिहार चुनावों में रैलियों में उमड़ी भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने जैसे कोविड-19 के नियमों की कोई परवाह नहीं दिखी. सर्दियों का आगमन भी संक्रमण बढ़ने की एक वजह हो सकती है.
त्योहारों के दौरान दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में बाज़ारों में जमकर भीड़भाड़ रही और लोग संक्रमण से बचाव के उपायों की अनदेखी करते दिखाई दिए.
तभी से इस बात की आशंका बार-बार जताई जा रही थी कि देश में कोविड-19 के हालात तेज़ी से बिगड़ सकते हैं. कई एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि देश कोरोना की तीसरी लहर से गुज़र रहा है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी राज्य में कोविड मामलों में हो रही तेज़ बढ़ोतरी को तीसरी लहर बता चुके हैं.
पब्लिक हेल्थ फ़ाउंडेशन की उपाध्यक्ष डॉ. प्रीति कुमार कहती हैं, “हम इसे किसी लहर के तौर पर नहीं देखते हैं क्योंकि देश में अलग-अलग वक़्त पर अलग-अलग जगहों पर केस बढ़े या घटे हैं. पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स या महामारी विशेषज्ञों के लिए इन्हें अलग-अलग लहर का नाम देना मुश्किल है.”
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ पब्लिक हेल्थ, गांधीनगर के डायरेक्टर डॉ. दिलीप मावलंकर का मानना है कि सर्दियां, त्योहार और लोगों की लापरवाही, इन वजहों से कोविड-19 में फिर से तेज़ी आई है.
वे कहते हैं, “देश के अलग-अलग हिस्सों में यह लहर अलग-अलग चरणों में है. दिल्ली में साफ़तौर पर यह तीसरी लहर है. गुजरात में दूसरी लहर जैसा लग रहा है.”
रविवार को दिल्ली में कोविड-19 के 6,746 नए मरीज़ मिले हैं, जबकि इस महामारी से मरने वालों की तादाद 121 रही है.
सुप्रीम कोर्ट सख़्त
सोमवार को सर्वोच्च अदालत ने कोविड-19 संकट के प्रबंधन और इससे मरने वाले लोगों के शवों की कुव्यवस्था को लेकर संज्ञान लिया.
सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया कि कोविड-19 के हालात से लड़ने के लिए सभी राज्यों को तैयार रहने की ज़रूरत है. कोर्ट ने कहा है कि कोरोना के और बिगड़ने की आशंका है और राज्यों को तत्काल ज़रूरी क़दम उठाने होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के बिगड़ते हालात के लिए गुजरात और दिल्ली सरकारों की खिंचाई भी की है.
जस्टिस अशोक भूषण, आर एस रेड्डी और एम आर शाह की बेंच ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से कहा, “दिल्ली में ख़ासतौर पर नवंबर में हालात ज़्यादा बिगड़ गए हैं. आप एक स्टेटस रिपोर्ट दाख़िल कर बताएं कि क्या क़दम उठाए गए हैं.”
कोर्ट ने सभी राज्यों को दो दिन के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाख़िल करने के लिए भी कहा है. इस मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.
केंद्र सरकार एक्शन में
दूसरी ओर, दिल्ली के बाद यूपी समेत कुछ दूसरे राज्यों में कोविड-19 संक्रमण में तेज़ी को देखते हुए केंद्र सरकार भी हरकत में आ गई है.
कोविड-19 से निपटने में मदद के लिए केंद्र ने एक हफ़्ते पहले पाँच राज्यों में उच्च-स्तरीय टीमें भेजी थीं. अब केंद्र सरकार तीन अन्य राज्यों में एक्सपर्ट्स भेजने की तैयारी में है.
ये तीन सदस्यीय एक्सपर्ट टीमें उत्तर प्रदेश, पंजाब और हिमाचल प्रदेश भेजी जाएंगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और अन्य प्रतिनिधियों के साथ वर्चुअल बैठक कर सकते हैं ताकि कोविड-19 के मौजूदा हालात और वैक्सीन के आने के बाद इसके वितरण की रणनीति पर चर्चा की जा सके.
माना जा रहा है कि मोदी की एक बैठक संक्रमण के ज़्यादा मामलों वाले आठ राज्यों के साथ होगी, जबकि दूसरी बैठक में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ वैक्सीन वितरण रणनीति पर चर्चा होगी.
सरकारों के सामने मुश्किल
सरकारों की कोविड-19 से निपटने की नीतियां भी बार-बार सवालों के घेरे में रही हैं. मसलन, कई जगहों पर फिर से रात का कर्फ़्यू लगा दिया गया है. लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह उपाय कारगर साबित होगा.
इसी तरह से दिल्ली सरकार ने रविवार को पश्चिमी दिल्ली के दो बाज़ारों को बंद करने का आदेश जारी कर दिया. इन बाज़ारों में कोविड-19 की सावधानियां नहीं बरते जाने को देखते हुए सरकार ने यह फ़ैसला लिया था. लेकिन, बाज़ार बंद करने का आदेश जारी करने के कुछ घंटों के भीतर ही इस फ़ैसले को वापस ले लिया गया.
कोरोना के बिगड़ते हालात पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने बिना मास्क पहने बाहर निकलने वाले लोगों पर जुर्माने को 500 रुपये से बढ़ाकर दो हज़ार रुपये कर दिया है. उनके इस फ़ैसले की भी आलोचना हुई है.
दिल्ली सरकार शादियों में 200 तक मेहमानों को बुलाने की इजाज़त देने के आदेश को भी वापस ले चुकी है. दिल्ली सरकार ज्यादा भीड़भाड़ वाले बाज़ारों को बंद करने का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को दे चुकी है.
दिल्ली में कोरोना के प्रबंधन को लेकर केंद्र और राज्य की आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच बीते कई महीनों में तीखे आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला है. दिल्ली में संक्रमण पर लगाम लगने पर बीजेपी और आप दोनों ही क्रेडिट लेने में आगे आ जाती हैं.
क्यों बढ़ रहे हैं मामले?
पिछले कुछ हफ़्तों में दिल्ली में कोविड-19 के हालात बिगड़े हैं. 11 नवंबर को दिल्ली में कोरोना संक्रमितों के आठ हज़ार से ज़्यादा नए मामले आए थे जो कि एक दिन का रिकॉर्ड था.
दिल्ली में हालात इस वजह से भी चिंताजनक हैं क्योंकि यहां मामलों की संख्या ऐसे वक़्त पर बढ़ रही है जब पूरे देश में कोविड मामलों में गिरावट दर्ज की जा रही है.
डॉक्टर प्रीति कुमार कहती हैं कि हालिया दिनों में मामले बढ़ने के कई कारण हैं. वे कहती हैं कि सर्दियां आने से लोग घरों में ज़्यादा रह रहे हैं और एयर सर्कुलेशन कम हुआ है. इसके साथ ही त्योहारों के चलते बाज़ारों में भीड़ बढ़ी है.
डॉक्टर प्रीति कहती हैं, “सही तरीक़े से और लगातार मास्क पहनना बेहद ज़रूरी है. इसमें लोगों ने लापरवाही बरती है. त्योहारों के दौरान आवागमन बढ़ने से संक्रमण बढ़ा है.”
वे कहती हैं, “कोविड-19 में संक्रमण के मामलों के साथ बड़ी या छोटी लहरें आती हैं. इनमें ग्राफ़ ऊपर-नीचे होता रहता है. हालांकि, पिछले कुछ दिनों से संक्रमण के मामलों में इज़ाफ़ा हुआ है.”
15 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दिल्ली में कोविड-19 के बढ़ते मामलों और इससे निपटने के उपायों की समीक्षा कर चुके हैं. इस बैठक में दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन मौजूद थे.
दिल्ली में मामले ज़्यादा बढ़ने की वजह के बारे में डॉक्टर प्रीति कुमार कहती हैं कि इसकी एक वजह यह हो सकती है कि उत्तरी भारत में शीत लहर का प्रकोप बढ़ा है जो कि दक्षिणी राज्यों में नहीं है. वे कहती हैं, “इसके चलते संक्रमण बढ़ रहा है. साथ ही दिल्ली में ट्रैफ़िक और आवागमन भी काफ़ी ज़्यादा है, इसका असर भी हो सकता है.”
दूसरी ओर, कोविड-19 के बाद हुई दिक़्क़तों के चलते ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल की पत्नी सुशीला देवी की रविवार रात को मृत्यु हो गई है. वे 74 साल की थीं. राज्यपाल, उनकी पत्नी और परिवार के चार अन्य सदस्यों को दो नवंबर को कोरोना संक्रमित पाया गया था. सुशीला देवी को कोविड के बाद हुई दिक़्क़तों और पहले से चली आ रही स्वास्थ्य समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
सोमवार को राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा कोविड-19 पॉज़िटिव पाए गए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर उनके जल्द ठीक होने की कामना की है.
डॉक्टर मावलंकर कहते हैं कि ऐसे इलाक़ों पर फ़ोकस किया जाना चाहिए जहां ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं. साथ ही लोगों को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए ताकि वे उन जगहों पर अपनी आवाजाही कम कर सकें.
क्या आने वाले दिनों में मामले और बढ़ सकते हैं?
डॉक्टर प्रीति कुमार कहती हैं कि संक्रमण का एक साइकिल होता है. संक्रमित होने के 15-20 दिन के बाद इनमें से 85 से 90 फ़ीसद लोग ठीक हो जाते हैं जबकि क़रीब 15 फ़ीसद गंभीर मामलों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है. इनमें से भी क़रीब पाँच फ़ीसद को ही ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ती है.
वे कहती हैं, “यह पूरा साइकिल 3 से 4 हफ़्ते का होता है. आगे चलकर रिकवरी की दर फिर से बढ़ने लगेगी. मास्क लगाने, कम आवाजाही करने से संक्रमण को फैलने से रोकने में काफ़ी मदद मिल सकती है.”
रात के कर्फ़्यू या लॉकडाउन जैसे उपायों से कितनी मदद मिल सकती है?
डॉक्टर प्रीति कुमार कहती हैं, “कोविड-19 की शुरुआत को क़रीब 9-10 महीने हो चुके हैं और हमारे पास इसका अच्छा-ख़ासा अनुभव है. लेकिन, लंबे लॉकडाउन जैसे दूसरे फ़ैसलों में हमें बैलेंस करना होगा. किसी भी सरकार के लिए संक्रमण को फैलने से रोकना और आर्थिक गतिविधियां बरक़रार रखना, इन दोनों में संतुलन बनाना आसान नहीं है. छोटे लॉकडाउन या रात के कर्फ़्यू के ज़रिए यह कोशिश है कि किसी तरह से साइकिल को ब्रेक किया जाए.”
वे कहती हैं, “इस महामारी का पीक चाहे कितना भी ऊंचा हो, अहम चीज़ यह है कि हम मृत्यु दर को कैसे कम रख सकते हैं.”
पिछले एक-डेढ़ महीने के दौरान लोग भी थोड़े बेपरवाह दिखाई दिए हैं. मास्क पहनने या सामाजिक दूरी जैसे नियमों को लेकर लोगों की सतर्कता कम हुई है और इसका असर साफ़तौर पर दिखाई दे रहा है.
डॉक्टर मावलंकर कहते हैं कि जब तक लोग सावधानी नहीं बरतेंगे, मामलों में तेज़ी आती रहेगी.
वे कहते हैं, “इस महामारी में मृत्यु दर को नीचे रखने के लिए ख़ासतौर पर बुज़ुर्ग लोगों और पहले से दूसरी बीमारियों से पीड़ित लोगों को सुरक्षित रखना ज़रूरी है.”
डॉ. मावलंकर कहते हैं कि बाज़ार बंद करने या लॉकडाउन जैसे उपाय कारगर तो हैं, लेकिन ये अस्थाई उपाय हैं. वे कहते हैं, “स्वीडन का तरीक़ा ज़्यादा ठीक है. लोगों को ख़ुद अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी.”
स्वीडन में सरकार ने कोविड-19 से जुड़ी सभी पाबंदियां हटा ली हैं, लेकिन वहां लोग ख़ुद ज़िम्मेदारी भरा व्यवहार कर रहे हैं.
डॉक्टर मावलंकर कहते हैं कि अच्छी बात यह है कि अभी मृत्यु दर काफ़ी कम है.
हालांकि, पब्लिक हेल्थ से जुड़े एक एक्सपर्ट मृत्यु दर के आंकड़ों पर सवाल उठाते हैं. नाम न छापने की शर्त पर वे कहते हैं कि इस बात की पूरी संभावना है कि कोरोना से होने वाली मौतों को छिपाया जा रहा हो. वे कहते हैं कि मौतों के पिछले कुछ महीनों और वर्षों के आंकड़ों की तुलना होनी चाहिए.
उनका यह भी कहना है कि केवल किसी के कोरोना पॉज़िटिव होने का आंकड़ा काफ़ी नहीं है.
वे कहते हैं, “ऐसे लोगों का आंकड़ा रखना चाहिए जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है. साथ ही रैपिड टेस्ट और आरटीपीसीआर टेस्ट के आंकड़े भी देखे जाने चाहिए. रैपिड टेस्ट ज्यादा भरोसेमंद नहीं है.” (bbc)
नई दिल्ली, 24 नवंबर | राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को कोविड-19 के कारण 121 मौतें दर्ज की गईं, जो अब तक की दूसरी सबसे अधिक मौतें हैं। सिर्फ नवंबर में होने वाली मौतों की संख्या 1,950 तक पहुंच गई है, जिससे मौतों की कुल संख्या बढ़कर 8,1212 हो गई। दिल्ली सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में 7,216 रिकवरी के मुकाबले 4,454 नए मामले सामने आए।
पिछले चार दिनों में यह तीसरी बार है जब ठीक होने वालों की संख्या ने नए मामलों की संख्या को पार कर लिया है। शनिवार को शहर में 5,879 नए मामले आए और 6,963 मरीज डिस्चार्ज किए गए।
दिल्ली में कोरोना के कुल मामलों की संख्या 5,34,317 हो गई है।
सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, 1 नवंबर से 23 नवंबर तक, राष्ट्रीय राजधानी में 1,950 लोगों की मौत हुई, जो कि दिल्ली में वायरस के कारण होने वाली कुल मृत्यु का 22.9 प्रतिशत है। शहर में शुक्रवार को 118 मौतें हुई थीं, जबकि शनिवार को 111 मौतें हुई थीं।
इस बीच, संक्रमण की दर 11.94 प्रतिशत रही जबकि मामले की मृत्युदर 1.59 प्रतिशत रही।
--आईएएनएस
जयपुर, 24 नवंबर | राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने सोमवार को कहा कि राज्य में पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 के प्रतिदिन 3,000 से अधिक मामले आ रहे हैं। इसे राज्य में कोरोनोवायरस की दूसरी लहर कहा जाता है। स्वास्थ्य मंत्री ने खुद कोविड-19 की जांच कराई और सोमवार को रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर यहां के आरयूएचएस अस्पताल में भर्ती हो गए।
शर्मा ने कहा कि इस महामारी से खुद को बचाने के लिए एहतियात एकमात्र तरीका है।
कोविड मामलों की संख्या बढ़ने के कई कारण हैं- नगर निगम के चुनाव, पंचायत चुनाव, मौसम में बदलाव, त्योहार और शादी के मौसम वगैरह। उन्होंने कहा कि लोग लापरवाह हैं, जिसके कारण कोविड-19 फैल रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि टीकों के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की जा रही है, हालांकि इसे जनता तक पहुंचने में समय लगेगा और इसलिए कोविड-19 को खाड़ी में रखने के लिए एहतियात एकमात्र तरीका है।
उन्होंने लोगों से मास्क पहनने, नियमित रूप से हाथ धोने और सामाजिक दूरी बनाए रखने का भी आग्रह किया।
राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 मामलों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। सोमवार को राज्य में कोरोना के 3,232 नए मामले आए और 18 मौतों की सूचना मिली। जबकि रविवार को 3,260 नए मामले आए थे और 17 मौतें हुई थीं।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि राजस्थान में कोरोना के अब तक 2,47,168 मामले आए और 2,181 मौतें हुई हैं।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 24 नवंबर | सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को गुजरात सरकार को एक दलित व्यक्ति की हत्या के मामले में एक आरोपी को दी गई जमानत के खिलाफ अपील पर अपना जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया। दलित की राजकोट के पास एक कारखाने में कथित रूप से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। जस्टिस अशोक भूषण, आर.एस. रेड्डी और एम.आर. शाह की पीठ ने गुजरात सरकार के वकील से पूछा कि राज्य ने पिछले साल के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील पर अपना जवाबी हलफनामा क्यों नहीं दायर किया, जिसने आरोपी को जमानत दे दी।
फरवरी 2019 में, उच्च न्यायालय ने तेजस कनुभाई जला को उसके खिलाफ कमजोर सबूत का हवाला देते हुए आरोपी को जमानत दी थी। पिछले साल नवंबर में शीर्ष अदालत ने मामले में नोटिस जारी किया था।
जाला और चार अन्य ने कथित रूप से 35 वर्षीय दलित रैगपिकर मुकेश वानिया पर पाइप और एक बेल्ट से मशीन से उस हद तक हमला किया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
पीठ ने राज्य सरकार के वकील से सवाल किया कि कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दायर की गई और चेतावनी दी गई कि ऐसी चीजों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पीठ ने कहा, ऐसा क्यों हो रहा है और अन्य मामलों में भी (कोई बात नहीं), कोई हलफनामा दायर नहीं किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्विस ने पीठ के समक्ष घटना का विवरण और मेडिकल रिपोर्ट भी दी, जिसमें कहा गया था कि पीड़ित पर 24 गंभीर चोट के निशान थे।
मई 2018 में, एससी/एसटी प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटी एक्ट के तहत पुलिस ने रेडिया इंडस्ट्रीज के मालिक सहित पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया, जहां यह घटना कथित रूप से हुई थी। पुलिस ने हत्या और गलत कारावास से संबंधित आरोप भी जोड़े। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था, और कथित तौर पर दो लोगों को एक छड़ी के साथ वानिया को पीटने के लिए ले जाता हुआ दिखाया गया था।
अस्पताल ले जाते समय रास्ते में मृत्यु हो जाने के बाद वानिया की पत्नी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
पीठ ने राज्य सरकार को जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए अंतिम अवसर के रूप में एक सप्ताह का समय दिया।
--आईएएनएस
मुंबई, 23 नवंबर | कोराना के कहर से निजात दिलाने वाले वैक्सीन के आने की दिशा में हो रही प्रगति की खबर से सोमवार को फिर सोना यानी पीली धातु की चमक फीकी पड़ गई। घरेलू वायदा बाजार में सोने का भाव फिर 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के नीचे आ गया है और चांदी भी करीब तीन फीसदी फिसलकर 60,300 रुपये प्रति किलो के करीब आ गई। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोना सोमवार को दो फीसदी से ज्यादा टूटा जबकि चांदी में तीन फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई।
कोरोना वौक्सीन की प्रगति की खबर से सोने और चांदी में गिरावट आई है। इससे पहले नौ नवंबर को भी अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर सोने का भाव एक दिन में करीब 100 डॉलर यानी पांच फीसदी टूटा था। उस समय भी सोने के भाव में कोरोना वैक्सीन की प्रगति की खबर से ही गिरावट आई थी।
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता ने बताया कि वैक्सीन की प्रगति की खबर आने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने और चांदी में आई गिरावट के कारण घरेलू बाजार में महंगी धातुओं के भाव टूटे हैं।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोमवार रात 9.16 बजे सोने के दिसंबर अनुबंध में बीते सत्र से 784 रुपये यानी 1.56 फीसदी की गिरावट के साथ 49,428 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले भाव 49,360 रुपये तक टूटा।
एमसीएक्स चांदी के दिसंबर अनुबंध में बीते सत्र से 1,677 रुपये यानी 2.70 फीसदी की गिरावट के साथ 60,481 रुपये प्रति किलो पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले भाव 60,334 रुपये प्रति किलो तक टूटा।
कॉमेक्स पर सोने के दिसंबर अनुबंध में बीते सत्र से 39 रुपये यानी 2.08 फीसदी की गिरावट के साथ 1,833.40 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था। वहीं, कॉमेक्स पर चांदी के दिसंबर अनुबंध में 3.29 फीसदी की गिरावट के साथ 23.56 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था।
दुनियाभर कोरोना के गहराते कहर पर लगाम लगाने के उपाय के तौर पर लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने के चलते निवेशकों ने निवेश के सुरक्षित उपकरण के तौर पर सोने को अपनाया जिससे पीली दाम में जबरदस्त उछाल आया। कॉमेक्स पर सोना 2,089 डॉलर प्रति औंस की ऐतिहासिक ऊंचाई तक उछला था और भारत में 7 अगस्त को सोने का भाव 56,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऊपर चला गया था।
जानकार बताते हैं कि कोरोना के कहर से मिल रही आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए राहत पैकेज की उम्मीदों से जहां सोने को सपोर्ट मिल रहा है, वहीं कोरोना वैक्सीन की प्रगति की रिपोर्ट से सोने के भाव पर दबाव बना हुआ है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 23 नवंबर | केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने पत्रकारिता के छात्रों को सनसनीखेज और टीआरपी केंद्रित पत्रकारिता में न फंसने का सुझाव दिया है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि टीआरपी-केंद्रित पत्रकारिता अच्छी नहीं है। 50,000 घरों में स्थापित मीटर से 22 करोड़ की राय को नहीं माप सकते। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने भारतीय जनसंचार संस्थान(आईआईएमसी) में सत्र 2020-21 के ओरिएंटेशन प्रोग्राम का शुभारंभ करते हुए कहा, "पत्रकारिता एक जिम्मेदारी है, न कि लोगों को गुमराह करने का उपकरण। अगर आपकी कहानी तथ्यों पर आधारित है तो किसी नाटक या सनसनी की जरूरत नहीं है।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा समाज में जो कुछ भी अच्छा हो रहा है, उसे भी समाचार में जगह मिलने की बात कहते हुए स्वस्थ पत्रकारिता के कौशल को सुनिश्चित करने पर जोर दिया।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने मीडिया में सकारात्मक कहानियों के सामने न आने पर अफसोस जाहिर किया। उन्होंने कहा कि समाज में बहुत सारी रचनात्मक कहानियां हैं, लेकिन दुख की बात है कि मीडिया में किसी के पास उन्हें प्रकाशित करने का समय नहीं है।
केंद्रीय मंत्री ने रचनात्मक पत्रकारिता के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि, "नीम कोटिंग शुरू होने के बाद से उर्वरकों की कालाबाजारी नहीं होती। मानव रहित रेलवे फाटकों पर नियमित दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिली है। स्वच्छता के मोर्चे पर भी रेलवे में भारी बदलाव है। लगभग 5000 रेलवे स्टेशनों में अब वाई-फाई की सुविधा है और देश भर में करीब 100 एयरपोर्ट लाभकारी साबित हो रहे हैं। क्या ये सब खबर नहीं है?"
इससे पूर्व आईआईएमसी के डायरेक्टर जनरल प्रो. संजय द्विवेदी ने केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर का कार्यक्रम में स्वागत किया। एडीजी के सतीश ने छात्रों को आईआईएमसी के बारे में अवगत कराया।
--आईएएनएस
गुरुग्राम, 23 नवंबर | गुरुग्राम के चक्करपुर गांव में रविवार रात को एक 17 साल की किशोरी ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। किशोरी की पहचान वंदना के तौर पर किया गया है, जो बिहार की निवासी है और यहां अपने परिवार के साथ किराए के मकान में रहते हुए कक्षा 11वीं में पढ़ती थी।
वंदना के पिता छोटे लाल ने पुलिस को बताया कि रविवार रात को खाना खाने के बाद वह अपने कमरे में गई थी। सुबह उसने जब दरवाजा नहीं खोला तब शक हुआ। खिड़की से झांककर देखा तो वह पंखे से लटकी हुई है। हमने दूसरे किराएदारों की मदद से दरवाजा तोड़ा और उसके शरीर को नीचे उतारा।
पुलिस को इसके बाद सूचित किया गया। पुलिस ने वंदना के पार्थिव शरीर को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि मौत के कारणों का अब तक पता नहीं चला है। जांच जारी है।(आईएएनएस)
पटना, 23 नवंबर | बिहार विधानसभा चुनाव के बाद सोमवार से प्रारंभ नए विधानसभाा के पहले सत्र में विपक्ष ने अपने तेवर दिखाए, वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पार्टी के विधायक अख्तरुल इमाम, जिन्होंने शपथ लेते समय देश के नाम हिंदुस्तान के नाम पर ही आपत्ति जता दी, जिससे सत्ता पक्ष नाराज नजर आया। विधानसभा के पहले दिन प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने सभी नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलवा रहे थे। इसी दौरान असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल इमान ने शपथ लेते वक्त उसमें देश के नाम के लिए लिखे हिंदुस्तान शब्द के स्थान पर भारत कहने की इजाजत मांगी। इमान ने उर्दू में शपथ लेने की अनुमति मांगी थी।
इमान ने कहा कि संविधान में देश का नाम भारत लिखा हुआ है। बाद में उन्होंने उर्दू भाषा में शपथ लेते हुए देश का नाम भारत ही पढ़ा।
इधर, इमान की इस आपत्ति पर सत्ता पक्ष के तेवर कड़े हो गए। भाजपा के विधायक नीरज कुमार बबलू ने कहा कि, "जिन लोगों को हिंदुस्तान शब्द बोलने से इतनी ही आपत्ति हो रही है, तो उन्हें यह देश छोड़कर पाकिस्तान चले जाना चाहिए।" उन्होंने कहा कि अब देश का नाम बोलने से ही लोगों को परेशानी हो रही है।
एआईएमआईएम विधायक इमान का कहना है कि, "शपथ संविधान के अनुसार ग्रहण की जाती है, जिसमें देश के लिए हर जगह भारत लिखा हुआ है। हम विधायक हैं, हमें संविधान को सबसे ऊपर रखना चाहिए।"
जदयू के विधायक मदन सहानी ने कहा कि नए विधायक, सभी का ध्यान खींचने के लिए कुछ अलग करना चाहते हैं। उन्होंने हालांकि इसे गैरजरूरी बताते हुए कहा कि शपथ ग्रहण समारोह के दौरान हिंदुस्तान का इस्तेमाल करने में कोई बुराई नहीं है।
इससे पहले सदन की कार्यवाही प्रारंभ होने के पहले कांग्रेस और वामपंथी दलों के विधायकों ने सदन के बाहर विभिन्न मुद्दों पर प्रदर्शन किया।
पांच दिनों तक चलने वाले इस सत्र में पहले दो दिनों तक नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी। (आईएएनएस)