राष्ट्रीय
भोपाल, 7 दिसंबर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में मंगलवार आठ दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद का मध्य प्रदेश कांग्रेस ने समर्थन किया है। राज्य में कांग्रेस इस दिन जिला स्तर पर प्रदर्शन करेगी और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपेगी। कंग्रेस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि, केंद्र सरकार के काले कानूनों के विरोध में किसान संगठनों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। कांग्रेस ने भी देश भर में इस बंद को अपना समर्थन दिया है। उसी के मद्देनजर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी भी किसानों के आह्वान पर हो रहे इस बंद को अपना पूर्ण समर्थन देती है। प्रदेश की सभी जिला इकाइयों को निर्देश दिए गए हैं कि वह बंद के समर्थन में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर किसानों की मांगों का ज्ञापन दें।
कांग्रेस प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमल नाथ ने बताया कि, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा किसानों की बगैर सहमति से, उनसे बगैर चर्चा किए तीन नए कृषि कानून लागू किए गए हैं जो कि किसान विरोधी हैं और वो किसानों को पूरी तरह बर्बाद कर देंगे। इन कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की कोई गारंटी का जिक्र नहीं है। इन कानूनों से मंडी व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। इन कानूनों से सिर्फ कारपोरेट जगत को फायदा होगा और जमाखोरी व मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा। यह काले कानून पूरी तरह से किसान विरोधी हैं।
कमल नाथ ने आगे कहा कि, एक तरफ तो मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का और खेती को लाभ का धंधा बनाने का दावा किया था और वहीं वो इन काले कानूनों के माध्यम से खेती को व किसानों को बर्बाद करने पर और खेती को घाटे का धंधा बनाने पर तुली हुई है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 7 दिसंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों के साथ हुई उनकी हालिया बातचीत का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा कि भारत में कोविड-19 वैक्सीन की उपलब्धता में बहुत देरी नहीं होगी। हालांकि उन्होंने एक बार फिर अपने देशवासियों को आगाह करते हुए कहा कि वे सावधानी बरतते रहें और सभी आवश्यक कोविड-19 सुरक्षा उपायों का पालन करें जैसे कि सामाजिक सुरक्षा और मास्क का उपयोग। मोदी ने कहा कि जब तक टीका (वैक्सीन) नहीं आ जाता, तब तक हमें अपने हाथों की सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट के निर्माण का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।
प्रधानमंत्री ने कहा, "कोरोना के टीके की प्रतीक्षा कर रहा हूं। वैज्ञानिकों के साथ मेरी हालिया चर्चा के अनुसार, मुझे उम्मीद है कि अब और देरी नहीं होगी। लेकिन कोविड की रोकथाम के उपायों का पालन करने में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।"
प्रधानमंत्री का संदेश लगभग 10 दिनों के बाद आया, जब उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भारत के शीर्ष वैक्सीन हब का दौरा किया और कोरोनावायरस वैक्सीन और इसकी निर्माण प्रक्रिया के विकास की समीक्षा की।
मोदी ने 28 नवंबर को वैक्सीन के विकास और निर्माण प्रक्रिया की व्यापक समीक्षा करने के लिए तीन शहरों का दौरा किया था। उन्होंने अहमदाबाद में जायडस बायोटेक पार्क, हैदराबाद में भारत बायोटेक और पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का दौरा किया। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 7 दिसंबर | केरल में तीन चरणों में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिए पहले चरण का मतदान मंगलवार को होगा। राज्य के पांच दक्षिणी जिलों में होने वाले पहले चरण के चुनाव में 24,584 उम्मीदवारों का भविष्य तय होना है। तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पठानमथिट्टा, अलाप्पुझा और इडुक्की जिले में पहले चरण का मतदान सुबह सात बजे शुरू होगा और शाम छह बजे तक चलेगा।
प्रमुख प्रतियोगियों में तीन प्रमुख राजनीतिक मोचरें के उम्मीदवार शामिल हैं, जिनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाला वाम दल, कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ और भाजपा के नेतृत्व वाला राजग शामिल है।
राज्य में 2015 के स्थानीय निकाय चुनावों में वाम दलों ने लगभग 60 प्रतिशत सीटें जीती थीं। उस चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले गठबंधन का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था।
हालांकि भाजपा को इस चुनाव से काफी उम्मीदें हैं।
पांच जिलों में कुल 11,225 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इस दौरान कुल मतदाताओं में 41,58,341 पुरुष, 46,68,209 महिलाएं और 70 ट्रांसजेंडर शामिल हैं।
चुनाव प्रक्रिया 56,122 अधिकारियों द्वारा संचालित की जाएगी। सोमवार सुबह कर्मचारियों ने मतदान सामग्री एकत्र करना शुरू किया और दोपहर तक वे मतदान केंद्रों पर पहुंच जाएंगे।
बता दें कि दूसरे चरण के लिए 10 दिसंबर को मतदान होगा, जबकि तीसरे चरण के लिए 14 दिसंबर को मतदान होना है। तीन चरणों की वोटिंग के बाद मतों की गिनती 16 दिसंबर को होगी, जिसके बाद चुनाव परिणाम घोषित किया जाएगा। (आईएएनएस)
सिंघु बॉर्डर (दिल्ली/हरियाणा), 7 दिसंबर | कृषि कानून के खिलाफ 12वें दिन भी सिंघु बॉर्डर पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आए किसानों ने डेरा डाला हुआ है। वहीं आंदोलन की वजह से सिंघु बॉर्डर पर सुरक्षा के चलते पुलिस प्रशासन ने अपना पहरा बढ़ा दिया है। इसकी वजह से जहां आस पास मौजूद दुकानों पर काफी असर हुआ है, वहीं बॉर्डर पर किसानों की बड़ी संख्या होने की वजह से कुछ लोगों ने अपनी अस्थाई दुकानें भी लगा ली हैं। दिल्ली निवासी फुरकान (बदला हुआ नाम) 7 सालों से अपने घर मे छोटी सी फैक्ट्री लगा कर खुद अपने हाथों से नेहरू कट जैकेट बना रहे हैं। बीते 5 सालों से पंजाब के जालंधर शहर के ज्योति पार्क में इन जैकेट को बेचने का काम कर रहे थे।
हालांकि सिंघु बॉर्डर पर हो रहे विरोध प्रदर्शन की वजह से फुरकान ने अपनी अस्थाई दुकान अब बॉर्डर पर ही लगा ली है।
वो बीते 3 दिनों से सिंघु बॉर्डर पर रोजाना आते हैं और सड़क पर ही दुकान लगाकर नेहरू जैकेट बेचना शुरू कर देते हैं। आंदोलन में आए किसान भी नेहरू जैकेट में दिलचस्पी दिखा रहे हैं जिसके चलते फुरकान की अच्छी कमाई हो रही है।
फुरकान ने बताया, बीते 3 दिनों से मैं यहां नेहरू जैकेट बेच रहा हूं। मैं पहले जालंधर शहर में दुकान लगाता था, लेकिन कोविड-19 की वजह से वहां नहीं जा सका। लेकिन किसानों के विरोध प्रदर्शन की वजह से यहां आ गया हूं।
बॉर्डर पर हो रहे प्रदर्शन में काफी संख्या में लोग आए हुए हैं। जिसके चलते लोग रुक रुक कर जैकेट देखते भी हैं और खरीद भी रहे हैं।
हालांकि फुरकान की दुकान के अलावा और भी अस्थाई दुकान सिंघु बॉर्डर पर लग गई हैं जिनपर हाथों के ग्लव्स, मास्क और अन्य सर्दियो के आइटम बेचे जा रहे हैं।
कई सालों से शकील नरेला में सर्दियों के जैकेट बेचा करते थे लेकिन जब से सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है उसको देखते हुए बीते 5 दिनों से बॉर्डर पर ही अस्थाई दुकान लगा रखी है। जिसपर सर्दियों के जैकेट बेचे जा रहे हैं।
फुरकान और शकील के मुताबिक जब तक यहां ये प्रदर्शन रहेगा तब तक हम अपनी दुकान लगाए रखेंगे। (आईएएनएस)
जम्मू, 7 दिसंबर| जम्मू एवं कश्मीर में सोमवार को जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चौथे चरण के मतदान में कई जिलों में 1 बजे तक 41.94 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। जम्मू डिवीजन के डोडा में सबसे ज्यादा 67.86 फीसदी मतदान दर्ज किया गया और कश्मीर डिवीजन के शोपियां में सबसे कम 1.76 फीसदी मतदान हुआ।
राज्य निर्वाचन आयुक्त के कार्यालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, कश्मीर संभाग में दोपहर 1 बजे तक कुपवाड़ा में 28.77 फीसदी, बांदीपुर में 44.82 फीसदी, बारामुला में 37.40 फीसदी, गांदरबल में 43.45 फीसदी, बडगाम में 36.36 फीसदी, पुलवामा में 5.66 फीसदी, कुलगाम में 6.59 फीसदी और अनंतनाग में 23.63 फीसदी मतदान दर्ज किया गया।
इसी प्रकार जम्मू संभाग में दोपहर 1.00 बजे तक किश्तवार में 59.29 प्रतिशत, राजौरी में 65.49, उधमपुर में 48.24 प्रतिशत, रामबन में 61.50 प्रतिशत, रियासी में 49.30 प्रतिशत, कठुआ में 54.23 प्रतिशत, सांबा में 59.64 प्रतिशत, जम्मू में 62.71 प्रतिशत, पुंछ में 59.15 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है।
दी गई जानकारी के अनुसार, कश्मीर संभाग में कुल 25.54 फीसदी मतदान दर्ज किया गया, जबकि जम्मू संभाग में दोपहर 1 बजे तक 59.38 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 दिसंबर | ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 'भारत बंद' को समर्थन करने से किनारा कर लिया है। इसके साथ ही किसानों के आंदोलन के समर्थन में उतरने वाले विभिन्न विपक्षी दलों के खेमे में दरार पड़ती नजर आ रही है। टीएमसी ने सोमवार को कहा कि वह 'भारत बंद' का समर्थन नहीं करेगी। पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को इससे दूर रहने के लिए कहा है।
टीएमसी संसद में कृषि कानूनों के विरोध में सबसे मुखर रहने वाली विपक्षी पार्टियों में से एक है। इसने किसानों की ओर से जताए जा रहे विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है, लेकिन मंगलवार के 'भारत बंद' के साथ नहीं जाने का फैसला किया है।
पार्टी सांसद सौगत राय ने सोमवार को कहा, "टीएमसी किसानों के साथ एकजुटता से खड़ी है, लेकिन पार्टी पश्चिम बंगाल में भारत बंद का समर्थन नहीं करेगी, क्योंकि यह हमारे सिद्धांतों के खिलाफ है।"
इससे पहले, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने ट्वीट किया था, "मैं किसानों, उनके जीवन और आजीविका के बारे में बहुत चिंतित हूं। भारत सरकार को किसान विरोधी विधेयकों को वापस लेना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो हम तुरंत पूरे राज्य और देश में आंदोलन करेंगे। हम शुरू से ही किसान विरोधी इन विधेयकों का कड़ा विरोध करते रहे हैं।"
बंद को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, द्रमुक, राजद, पीएजीडी, राकांपा, भाकपा, माकपा, भाकपा-माले, आरएसपी और एआईएफबी जैसे विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। रविवार को इन दलों के नेताओं द्वारा एक संयुक्त बयान जारी किया गया था, जिसमें बंद का समर्थन करने की बात कही गई थी।
बसपा, शिवसेना और टीआरएस ने भी बंद का समर्थन किया है।
केंद्र सरकार की ओर से तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
गतिरोध को खत्म करने के लिए सरकार और किसानों के बीच पांचवें दौर की वार्ता भी सफल नहीं हो सकी। अब दोनों पक्ष किसान प्रतिनिधियों और सरकार ने नौ दिसंबर को बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई है।
सरकार और किसान नेताओं के बीच शनिवार को हुई पांचवें दौर की बातचीत में कोई हल नहीं निकल सका। दोनों पक्ष तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर अपने रुख पर अड़े हुए हैं। किसान पूरी तरह से कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं, जबकि सरकार बीच का रास्ता निकालकर समस्या का हल करना चाह रही है। किसानों का कहना है कि सरकार जब तक तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।(आईएएनएस)
पणजी, 7 दिसंबर| गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सोमवार को कहा कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा बुलाए गए देशव्यापी 'भारत बंद' का राज्य में कोई असर नहीं होगा। देशव्यापी हड़ताल के आह्वान के मद्देनजर राज्य प्रशासन द्वारा की जा रही तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर पणजी में अपने सरकारी आवास के बाहर संवाददाताओं से सावंत ने कहा, "इसका कोई असर नहीं होगा।"
भारत में किसान संगठनों द्वारा भारत बंद का आह्वान किया गया है, जो हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
सावंत ने कहा कि तीनों कानून किसानों के हित में हैं।
उन्होंने कहा, "ये कानून किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने में मदद करेंगे।" (आईएएनएस)
लखनऊ, 7 दिसम्बर| उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से किसानों की भलाई के लिए कृषि कानून लागू किए गए हैं, तो विरोधी दल भोले-भाले किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी ने सोमवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा कृषि कानूनों का विरोध करने व आठ दिसंबर को भारत बंद का समर्थन करना, उनके दोहरे रवैया को दर्शाता है। कहा कि कांग्रेस जिस कानून का विरोध कर रही है, वही कानून यूपीए सरकार में लेकर आई थी। यह कांग्रेस का दोहरा चरित्र है। कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसानों की भलाई के लिए कृषि कानून लागू कर रही है, तो भोले-भाले किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर चलाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शासनकाल में तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार ने राज्यों को पत्र लिखा था और एपीएमसी एक्ट को किसानों के लिए बेहतर बताया था।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने भी एपीएमसी एक्ट का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने बातचीत के लिए सारे रास्ते खुले रखे हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले छह वर्षो में किसानों की भलाई के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए हैं और अब कांग्रेस और उसके सहयोगी दल किसानों को अपना हथियार बना रहे हैं। कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में भी एपीएमसी एक्ट लाने की बात कही थी। यूपीए शासन के दौरान सभी पार्टियों ने एपीएमसी एक्ट को लागू करने का समर्थन किया था पर अब वो इसका विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस कानून का विरोध करने वाले राजनीतिक दल जन विश्वास के साथ कुठाराघात कर रहे हैं।
इससे पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी किसान यात्रा में शामिल होने के लिए कन्नौज जाने वाले थे, लेकिन उन्हें लखनऊ में ही गिरफ्तार कर लिया गया। (आईएएनएस)
-विष्णु पोखरेल
ढाई साल पहले दो नेपाली नौजवानों को बुटवाल में पुराने राष्ट्रगान को गाने की वजह से पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था. पुलिस ने उन पर 'अभद्रता के प्रदर्शन' का आरोप लगाया था.
इन दोनों ही नौजवानों की गिरफ़्तारी के बाद काठमांडू में उनके साथियों ने देश भर में पुराने राष्ट्रगान को गाने का अभियान शुरू करने की घोषणा की. ये नौजवान नेपाल में फिर से राजतंत्र और हिंदू राज की स्थापना की मांग कर रहे थे.
नौजवानों के इस समूह ने राजा ज्ञानेंद्र और महारानी कोमल की तस्वीर वाली टी-शर्ट भी लोगों के बीच में बांटनी शुरू की.
टी-शर्ट बांटने के दौरान वे पुराने राष्ट्रगान को भी गाते थे. नौजवानों के इस ग्रुप का नाम है 'वीर गोरखाली अभियान.'
कमल थापा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी से असंतुष्ट नौजवानों ने इस अभियान की शुरुआत की थी.
टी-शर्ट बांटने और राष्ट्रगान गाने से आगे बढ़ते हुए राजतंत्र की मांग करने वाला यह अभियान अब विरोध-प्रदशर्नों की शक्ल लेने लगा है. देश भर में अब इसे लेकर आंदोलन खड़े होने लगे हैं.
कई गैर मान्यता प्राप्त पार्टियाँ इस आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं. खास तौर पर बड़े शहरों में नौजवान मोटर बाइक पर रैलियाँ निकाल रहे हैं और 'राजा ही आकर देश को बचाएंगे' का नारा दे रहे हैं.
लोग अपनी इन गतिविधियों को सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर प्रचारित-प्रसारित करने में भी लगे हुए हैं.
हालांकि आंदोलन की शक्ल लेते इन विरोध प्रदर्शनों को लेकर लोकतंत्र समर्थकों का कहना है कि यह मौजूदा सरकार के प्रति लोगों के अंसतोष की वजह से हैं. इसकी वजह से राजतंत्र की हिमायत करने वाले लोगों को मौका मिल गया है.
आंदोलन का नेतृत्व
देश के कई हिस्सों में चलने वाले ये विरोध-प्रदर्शन विभिन्न समूहों की ओर से आयोजित किए जा रहे हैं.
विरोध प्रदर्शनों को आयोजित करने वालों में से एक सौरभ भंडारी के मुताबिक हाल में हुए इन विरोध-प्रदर्शनों की 'वीर गोरखाली अभियान' के बैनर तले 8 सितंबर से शुरुआत हुई है.
उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से इसे दबा देने की वजह से यह हमारे उम्मीदों के हिसाब से नहीं हो पाया और हमें कुछ समय के लिए अपना आंदोलन रोकना पड़ा.
लेकिन इसके बाद 30 अक्तूबर को बुटवाल में मोटर बाइक रैली के रूप में इसकी फिर से शुरुआत की गई.
माना जाता है कि उसमें बड़े पैमाने पर लोगों ने हिस्सा लिया था. इसके बाद से ही कई बैनरों के तले अब तक राजतंत्र की फिर से बहाली को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो चुके हैं.
इन विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व राष्ट्रवादी नागरिक समाज, नेपाल विद्वत् परिषद्, स्वतन्त्र देशभक्त नेपाली नागरिक, पश्चिमांचलबासी नेपाली जनता, नेपाल राष्ट्रवादी समूह, राष्ट्रिय शक्ति नेपाल, 2047 का संविधान पुनर्स्थापना अभियान जैसी संस्थाएँ कर रही हैं.
हालांकि सौरभ भंडारी का कहना है कि वीर गोरखाली अभियान के माध्यम से जिन नौजवानों को इकट्ठा किया जा रहा है वो इन सभी संगठनों के विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं.
राष्ट्रीय नागरिक आंदोलन की ओर से शनिवार को काठमांडू में विरोध-प्रदर्शन आयोजित किया गया जबकि दूसरे ग्रुप्स ने देश के दूसरे हिस्सों में धरना-प्रदर्शन किया.
कोरोना वायरस महामारी को लेकर नेपाल की सरकार ने इन विरोध-प्रदर्शन के खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी दी है. लेकिन सरकार की चेतावनी को अनसुना कर देश के कई हिस्सों में मोटर बाइक रैली और विरोध-प्रदर्शन किए जा रहे है.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनके आंदोलन का कोई अकेला नेता नहीं है और न ही कोई एक ताक़त इसका नेतृत्व कर रही है.
'राष्ट्रिय नागरिक आन्दोलन' के को-ऑर्डिनेटर बालकृष्ण न्यौपाने कहते हैं, "यह नागरिकों की ओर से शुरू होने वाला तात्कालिक आंदोलन है. इसमें कोई नेता नहीं है. कल की तारीख़ में लोग इसके नेतृत्व का फ़ैसला करेंगे."
पत्रकार और लेखक युवराज गौतम नेपाल में राजतंत्र की ज़रूरत की वकालत करते हैं. वे कहते हैं, "इस आंदोलन का कोई नेता नहीं है लेकिन एक नीति ज़रूर है इसलिए इससे कोई नेता निकल सकता है."
BISHNU POKHAREL / BBC
आंदोलनकारियों की मांग
आंदोलन में हिस्सा लेने वाले प्रदर्शकारी मुख्य तौर पर पुराने संविधान की बहाली की मांग कर रहे हैं. आंदोलन में शामिल सभी समूह राजतंत्र की फिर से बहाली को लेकर तो एकमत है लेकिन हिंदू राष्ट्र के मुद्दे पर उनके विचार अलग-अलग हैं. कुछ समूह जहाँ धर्मनिरपेक्ष हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे हैं वहीं कुछ हिंदू साम्राज्य की स्थापना चाहते हैं.
इन प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाला वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन हिंदू सम्राज्य की मांग कर रहा है.
वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन की इंटरनेशनल कमिटी की महासचिव अस्मिता भंडारी कहती हैं, "हम हिंदू साम्राज्य में यकीन रखते हैं. इसलिए हम इस आंदोलन का समर्थन और सहयोग कर रहे हैं."
'राष्ट्रिय नागरिक आन्दोलन' के को-ऑर्डिनेटर न्यौपाने कहते हैं कि नेपाल को हिंदू, बौद्ध और किरंत आधारित धार्मिक राज्य होना चाहिए.
वो कहते हैं, "हम इस बात को मानते हैं कि नेपाल को सिर्फ़ हिंदू राज्य नहीं बल्कि बौद्ध और किरंत धर्मों वाला भी होना चाहिए."
क्यों चाहते हैं राजतंत्र
पत्रकार युवराज गौतम का कहना है कि राजनीतिक दलों के द्वारा देश को बर्बाद किया जा रहा है. जो लोग एक मजबूत राष्ट्रवाद की जरूरत की वकालत करते हैं, वो इस आंदोलन के साथ जुड़ते हुए नज़र आ रहे हैं. वे एक मज़बूत विकल्प की तलाश कर रहे हैं.
वे कहते हैं कि नेपाल के युवा इस बात को लेकर काफ़ी नाराज़ हैं कि नेपाल राष्ट्र हित के नाम पर विदेशियों और नेताओं के हाथ की कठपुतली बनता जा रहा है.
वहीं दूसरी ओर प्रोफ़ेसर कृष्ण खनाल जैसे लोग लोकतंत्र के मज़बूत पैरोकार हैं. वे कहते हैं कि इस आंदोलन के प्रति युवाओं का आकर्षण मौजूदा सरकार के कामकाज के तरीकों की वजह से बढ़ रहा है.
वे कहते हैं कि सरकार लोगों की उम्मीदों पर खड़ा नहीं उतर पाई है.
वे कहते हैं, "सरकार की नाकामी और सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव इस आंदोलन के बढ़ने की वजह मालूम होती है."
वे राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के ऊपर भी संदेह जताते हैं कि इस आंदोलन के पीछे उनका हाथ है.
वे कहते हैं, "यह देखते हुए कि राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी कोई खास असर नहीं पैदा कर पा रही है ऐसा लगता है कि सिविल मूवमेंट के सहारे इसे करने की कोशिश की जा रही है."
लेकिन प्रदर्शनकारी इन आरोपों को ख़ारिज करते हैं.
न्यौपाने कहते हैं, "राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी की वजह से ही इस तरह के हालात पैदा हुए हैं और उन्होंने राजतंत्र को ख़त्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हमने कहा कि हर किसी की संपत्ति की जांच होनी चाहिए. राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेताओं की संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए."
बीबीसी से पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के निजी सचिव सागर तिमिलसिनिया साफ़ करते हैं कि राजतंत्र के लिए पूरे देश में चल रहे मौजूदा आंदोलन में राजा की कोई भूमिका नहीं है.
वे कहते हैं, "हमारा कुछ भी लेनादेना नहीं है लेकिन हम आंदोलन पर नज़र बनाए हुए हैं."
ये आंदोलन अभी ज़ोर पकड़ रहा है इसके पीछे कुछ दूसरी वजहें भी हैं.
बीबीसी को दिए इंटरव्यू के दौरान इतिहासकार महेश राज पंत ने कहा था कि नेपाल में पहली बार मंदिरों में पूजा बंद की गई है.
कोरोना वायरस के संक्रमण के ख़तरे को देखते हुए सरकार ने मंदिरों को बंद करने का फ़ैसला लिया है.
ऐसा माना जा रहा है कि पशुपतिनाथ मंदिर को बंद करने के फ़ैसले ने हिंदुओं को काफ़ी नाराज़ किया है. ये लोग अब राजतंत्र की मांग कर रहे हैं और प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक जनकपुर में 26 नवंबर को नेपाल नेशनलिस्ट ग्रुप की ओर से आयोजित कार्यक्रम का प्रबंधन मंदिर के पुजारियों ने ही किया था.
वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन की अस्मिता भंडारी का कहना है कि कई धार्मिक समूह इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं क्योंकि नेपाल की संस्कृति को बदलने की कोशिश की जा रही है.
सरकार का पक्ष
देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर गृह मंत्रालय का कहना है कि इनके लिए स्थानीय प्रशासन से किसी भी तरह की अनुमति नहीं ली गई है.
मंत्रालय ने इस हफ़्ते ये सारे विरोध-प्रदर्शन कोरोना वायरस का हवाला देते हुए बंद करने को कहा है.
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता चक्र बहादुर बुढा ने कहा है, "अगर विरोध-प्रदर्शन बंद नहीं होते हैं तो क़ानून के हिसाब से प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की जाएगी."
सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने कहा कि लोकतंत्र, संघवाद और धर्मनिरपेक्षता के ख़िलाफ़ ये आंदोलन कामयाब नहीं हो पाएगा. वो इसे 'प्रतिक्रियावादियों की ओर से दिन में सपने' देखने जैसा बता रहे हैं.
सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के प्रवक्ता नारायणकाजी श्रेष्ठ ने इसी सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि प्रतिगामी ताक़तें फिर से कामयाब होने की उम्मीद न करें.
उन्होंने कहा, "हम लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में आने वाली किसी भी बाधा की समीक्षा करते हुए आगे बढ़ रहे हैं लेकिन प्रतिगामी ताक़तें खुद को फिर से स्थापित करने के बारे में न सोचे." (bbc.com)
नई दिल्ली, 7 दिसंबर| सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रिपब्लिक टीवी की विभिन्न मांगों को 'महत्वाकांक्षी' करार दिया। दलील में अपने सभी कर्मचारियों को सभी मामलों में गिरफ्तारी से बचाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। साथ ही सभी मामलों को सीबीआई को हस्तांतरित करने और मुंबई पुलिस कमिश्नर के खिलाफ जांच की मांग की गई है। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने रिपब्लिक टीवी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मिलिंद साठे से कहा, "यह याचिका बहुत महत्वाकांक्षी है। आप चाहते हैं कि महाराष्ट्र पुलिस किसी भी कर्मचारी को गिरफ्तार न करे .. मामलों को सीबीआई को हस्तांतरित करे। बेहतर है कि आप इसे वापस ले लें।"
साठे ने पीठ से कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने टीवी चैनल और कर्मचारियों को पुलिस द्वारा परेशान करने से रोकने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया है। तब जस्टिस ने फिर दोहराया कि पीठ याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है।
साठे ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि वह अन्य उपाय करने की अनुमति दें। मामले में एक संक्षिप्त सुनवाई के बाद, शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दी। पीठ ने उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता को सक्षम अदालत से संपर्क करने की अनुमति देने के लिए याचिका वापस ली गई है। (आईएएनएस)
जम्मू, 7 दिसंबर| जम्मू-कश्मीर में सोमवार को जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चौथे चरण में सुबह 11 बजे तक 26.02 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। कश्मीर संभाग (डिवीजन) में आने वाले बांदीपुर में सबसे अधिक मतदान हुआ, जबकि शोपियां में सबसे कम मतदान दर्ज किया गया है।
जम्मू में मतदाताओं की उत्साही भागीदारी देखने को मिली है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त के कार्यालय द्वारा जारी कश्मीर संभाग के आंकड़ों के अनुसार, सुबह 11 बजे तक कुपवाड़ा में मतदान प्रतिशत 14.80 प्रतिशत, बांदीपोरा में 27.49 प्रतिशत, बारामूला में 21.12 प्रतिशत, गांदरबल में 25.15 प्रतिशत, बड़गाम में 21.14 प्रतिशत, पुलवामा में 3.79 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। इसके अलावा शोपियां में 1.24 प्रतिशत, कुलगाम में 3.58 प्रतिशत और अनंतनाग में 16.28 प्रतिशत मतदान हुआ है।
इसी प्रकार जम्मू संभाग में आने वाले किश्तवाड़ में सुबह 11.00 बजे तक 36.49 प्रतिशत, डोडा में 43.52 प्रतिशत, उधमपुर में 28.65 प्रतिशत, रामबन में 36.39 प्रतिशत, रियासी में 26.61 प्रतिशत, कठुआ में 35.37 प्रतिशत, सांबा में 38.58 प्रतिशत, जम्मू में 42.93, राजौरी में 42.35 प्रतिशत और पुंछ में 37.09 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है।
इसके अलावा, यह जानकारी दी गई है कि चौथे चरण के शुरुआती चार घंटों के दौरान कश्मीर संभाग में कुल मतदान प्रतिशत 14.87 प्रतिशत दर्ज किया है, जबकि जम्मू संभाग में 37.88 प्रतिशत मतदान हुआ है। (आईएएनएस)
पटना, 7 दिसंबर | वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन के बीच भाजपा के बिहार प्रमुख संजय जायसवाल ने सोमवार को कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि पार्टी 'जोंक की तरह है जो रक्त नहीं मिलने पर बेचैन हो जाती है' और किसानों को उकसा रही है। किसानों द्वारा मंगलवार को भारत बंद के आह्वान के बाद सोमवार को जायसवाल का बयान आया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के पीछे कांग्रेस का हाथ है।
जायसवाल ने कहा, "कांग्रेस पार्टी के नेता एमएसपी पर किसानों को भड़का रहे हैं। मैं यह बताना चाहता हूं कि 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान इसी कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि अगर वे सत्ता में आएंगे तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अधिनियम को हटा देंगे। घोषणा पत्र के पेज नंबर 17 में इसका उल्लेख है। अब, कांग्रेस नेता और उनके समर्थक एनडीए सरकार की आलोचना कर रहे हैं।"
जायसवाल ने आगे कहा, "वर्तमान में बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं। वे कांग्रेस पार्टी द्वारा समर्थित, अच्छी आर्थिक स्थिति वाले और आर्थिक रूप से मजबूत लोग हैं। हमारे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने बार-बार स्पष्ट किया है कि एमएसपी रहेगी। हमारा उद्देश्य कृषि क्षेत्र में बिचौलियों की अवधारणा को खत्म करना है।"
जायसवाल ने आगे कहा, "देश के लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की गुणवत्ता पर बहुत विश्वास है, लेकिन कुछ व्यक्तिगत परिवार जैसे 'फेक गांधी परिवार''और बिहार में लालू प्रसाद का परिवार एनडीए को हजम नहीं कर पा रहा है। इसलिए, वे सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। मैं उनके ध्यान में लाना चाहता हूं कि वे हमारे धैर्य की परीक्षा न लें।"
उन्होंने आगे कहा, "यह उन दलों और नेताओं के लिए चेतावनी है जो किसानों के पीछे बैठकर राजनीति कर रहे हैं। हम देश के खिलाफ साजिश नहीं होने देंगे। हम देश को बचाने के लिए चाणक्य की नीति 'साम, दाम, दंड, भेद' की रणनीति का उपयोग करेंगे।"(आईएएनएस)
मुरादाबाद (उप्र), 7 दिसंबर (आईएएनएस)| दूल्हे सहित दो भाइयों पर उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 के तहत मुरादाबाद के कांठ तहसील में मामला दर्ज कराया गया है। मुरादाबाद पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) ने कहा कि बेटी की मां की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस के अनुसार, बिजनौर की एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई कि उसकी बेटी का धर्म परिवर्तन कर उसकी शादी की जा रही है। इस शिकायत पर दो भाइयों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है जो मुरादाबाद में कांठ के निवासी हैं।
दोनों व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और जांच जारी है।
इसी बीच युवती ने कहा, "मेरी उम्र 22 साल है और मैंने अपनी इच्छा के अनुसार पांच महीने पहले राशिद से शादी की थी। उसने मुझे शादी करने और धर्म-परिवर्तन के लिए मजबूर नहीं किया है।"
गौरतलब है कि पिछले महीने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 को मंजूरी दे दी थी।
अगर शादी के लिए जबरदस्ती धर्मांतरण के लिए दोषी ठहराया जाता है तो आरोपी को नए कानून के तहत 15,000 रुपये जुमार्ने के साथ एक से पांच साल की जेल की सजा का प्रावधान है।
इस बीच लड़के के परिवार ने कहा कि पुलिस उन्हें सिर्फ इसलिए परेशान कर रही है, क्योंकि वे एक विशेष समुदाय के हैं।
अपना नाम न उजागर करने की शर्त पर लड़की के एक रिश्तेदार ने कहा, "लड़की की मां पांच महीने तक चुप क्यों रही और अब नया धर्मांतरण विरोधी कानून लागू होने के बाद ही उन्होंने शिकायत दर्ज क्यों कराई है।"
संदीप पौराणिक
भोपाल, 7 दिसंबर | मध्यप्रदेश में विधान-सभा के उपचुनाव होने के बाद अब नगरीय निकाय चुनाव की आहट तेज हो गई है क्योंकि 9 दिसंबर को नगर निकायों के महापौर और अध्यक्षों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने वाली है। संभावना इस बात की जताई जा रही है कि नगरीय निकाय के चुनाव जनवरी में हो सकते हैं।
राज्य में हुए विधानसभा के उपचुनाव में जीत मिलने के बाद भाजपा की सरकार स्थाई हो गई है क्योंकि उसे पूर्ण बहुमत हासिल हो चुका है। अब नगरीय निकायों की चर्चाओं ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। भाजपा और कांग्रेस ने अपने स्तर पर इसकी तैयारियां भी तेज कर दी हैं।
बताया गया है कि प्रदेश के नगर पालिक निगमों, नगर पालिका और नगर परिषदों के आगामी सामान्य निर्वाचन के लिये महापौर व अध्यक्ष पद के आरक्षण की कार्यवाही नौ दिसम्बर को भोपाल में की जायेगी। महापौर और अध्यक्ष पद के आरक्षण की कार्यवाही 407 नगरीय निकायों के लिये की जाएगी। इनमें 16 नगरपालिका निगम, 99 नगरपालिका और 292 नगर परिषद हैं।
राज्य में नगरीय निकाय के चुनाव जनवरी में होने की संभावना बनी हुई है। नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भी कहा है कि नगरीय निकाय के चुनाव नए साल के पहले महीने में हो सकते हैं। प्रदेश में नगरीय निकायों के लिए महापौर का चुनाव सीधे जनता के द्वारा ही होगा और इस सिलसिले में प्रदेश सरकार पहले ही अध्यादेश ला चुकी है और अगले विधानसभा सत्र जो 28 से 31 दिसंबर के बीच होने वाला है, उसमें अध्यादेश को विधेयक के रूप में पेश कर पारित कराया जाएगा।
कुल मिलाकर देखा जाए तो नगरीय निकाय के चुनाव जनवरी में होने की संभावना बनी हुई है। यही कारण है कि भाजपा इन चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार, मंडल निगमों के अध्यक्ष के साथ पार्टी की कार्यसमिति को अंतिम रुप दे देना चाहती है ताकि जो अन्य सक्षम नेता इन स्थानों पर समायोजित होने से रह जाएं उन्हें नगरीय निकाय के चुनाव में मौका दिया जाए।
कांग्रेस के प्रवक्ता अजय यादव का कहना है कि पार्टी पूरी ताकत से नगरीय निकायों के चुनाव लड़ेगी, इस बार उम्मीदवार क्षेत्रीय स्तर पर ही तय किए जाएंगे। इसके लिए पार्टी ने खास रणनीति बनाई है। प्रदेश स्तर पर पार्टी अपना होमवर्क पूरा कर चुकी है। इसके साथ ही जिला इकाईयों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं और स्थानीय स्तर पर उम्मीदवार तय करने के लिए भी व्यवस्था की गई है।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि भाजपा का नगरीय इलाके में वोटबैंक है और पार्टी की केाशिश रहेगी कि यह बना रहे। केंद्र व राज्य में पार्टी की सरकार है, इसलिए वह शहरों में भी अपनी सरकार अर्थात नगरीय निकाय के चुनाव जीतने पर जोर लगाने से पीछे नहीं रहेगी। कांग्रेस के लिए भी यह बड़ी चुनौती रहने वाले है क्योंकि पार्टी अब भी अंर्तद्वंद के दौर से गुजर रही है।(आईएएनएस)
लखनऊ, 7 दिसंबर | किसान यात्रा में शामिल होने कन्नौज जा रहे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को सोमवार को राजधानी लखनऊ में पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। उन्हें ईको गार्डेन ले जाया गया है। इसके पहले अखिलेश यादव लखनऊ स्थित घर से कन्नौज में प्रस्तावित किसान यात्रा में शामिल होने के लिए निकले तो पुलिस ने उनके गाड़ियों का काफिला रोक दिया, जिसके बाद अखिलेश यादव पैदल ही चल पड़े। उन्हें आगे बढ़ने से रोका गया तो वह सड़क पर ही धरने पर बैठ गए, जिस पर पुलिस ने धारा 144 के उल्लंघन पर उन्हें हिरासत में ले लिया।
अखिलेश ने कहा कि जब किसान धरने पर बैठ सकते हैं तो मैं क्यों नहीं बैठ सकता। मेरा कन्नौज जाने का कार्यक्रम था। मुझे पुलिस के दम पर वहां नहीं जाने दिया जा रहा है। करीब 45 मिनट तक धरना देने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव को हिरासत में ले लिया गया। इसके साथ ही अखिलेश यादव ने लोकसभा अध्यक्ष को विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी दिया है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव बंदरियाबाग चौराहे पर सड़क के बीच में धरने पर बैठे। उन्होंने कहा कि भाजपा ने कोरोना वायरस को एक बहाना बनाया है। भाजपा के लिए किसी भी कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए कोरोना वायरस कहीं पर भी नहीं है, लेकिन विपक्ष अगर कहीं पर भी कुछ करता है तो सरकार कोरोना का बहाना बना लेती है। अब तो यह सरकार भरपूर तानाशाही कर रही है। हर जगह पर पुलिस के दम पर हमें रोका जा रहा है। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है। सरकार किसानों की नहीं सुन रही है। किसान, गरीब, मजदूर सब परेशान हैं।
इससे पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को लखनऊ में विक्रमादित्य मार्ग पर उनके आवास में ही नजरबंद किया गया था। अखिलेश यादव के आवास के साथ ही विक्रमादित्य मार्ग पर सपा कार्यालय को भी बैरिकेडिंग लगाकर सील कर दिया गया था। गौतम पल्ली थाना की फोर्स के साथ ही लखनऊ के अन्य थाना क्षेत्र की फोर्स को अखिलेश यादव के आवास के पास में तैनात किया गया।
अखिलेश यादव से मिलने उनके आवास पर जा रहे रहे पार्टी के दो एमएलसी उदयवीर सिंह तथा राजपाल कश्यप को भी पुलिस ने सड़क पर ही रोक दिया। दोनों नेताओं ने अपना परिचय देने के साथ ही अपना आई कार्ड भी दिखाया, इसके बावजूद भी उन्हें रोका गया। एमएलसी राजपाल कश्यप और आशु मलिक को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पार्टी ऑफिस में जाने के लिए पुलिस से धक्का-मुक्की के बाद दोनों को हिरासत में लिया गया।(आईएएनएस)
लखनऊ , 7 दिसंबर । कन्नौज में किसान यात्रा रवाना करने से रोके गए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सोमवार को भाजपा पर जमकर निशाना साधा और अपनी गिरफ्तारी दी। अखिलेश यादव ने कहा कि विपक्ष अगर कहीं पर भी कुछ करता है तो सरकार कोरोना का बहाना बना लेती है। इससे पहले लखनऊ में नजरबंद रहे अखिलेश यादव ने अपने आवास के पास विक्रमादित्य मार्ग पर धरना दिया और मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा ने कोरोना वायरस को एक बहाना बनाया है। भाजपा के लिए किसी भी कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए कोरोना वायरस कहीं पर भी नहीं है, लेकिन विपक्ष अगर कहीं पर भी कुछ करता है तो सरकार कोरोना का बहाना बना लेती है। अब तो यह सरकार भरपूर तानाशाही कर रही है। हर जगह पर पुलिस के दम पर हमें रोका जा रहा है। इसके बाद अखिलेश यादव ने गिरफ्तारी दी।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही थी लेकिन अब कृषि कानून लाकर उन्हें कमजोर कर रही है। अखिलेश ने कहा कि हम कन्नौज जा रहे हैं। अगर हमें जेल भेजा जाएगा तो हम उसके लिए भी तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसानों के लिए बने कानून से किसान ही खुश नहीं हैं, तो फिर सरकार इन्हें वापस ले। किसानों की आवाज को सरकार सुन नहीं रही है।
अखिलेश यादव ने कहा कि उनके कार्यकर्ता प्रदेश के कई जिलों में गिरफ्तारियां दे रहे हैं, लेकिन हमें अब कन्नौज नहीं जाने दिया जा रहा है। अगर इन्हें जेल में डालना है, तो ये हमें भी जेल में डाल सकते हैं। यादव ने कहा कि मैं कन्नौज जा रहा हूं, गाड़ी रोक दी गई है लेकिन जहां तक हो सकेगा मैं पैदल ही चल दूंगा। अखिलेश ने कहा कि सरकार ने किसानों की दोगुनी आय करने का वादा किया था, लेकिन आज किसानों को बर्बाद करने वाला कानून लाया गया है।
इससे पहले समाजवादी पार्टी के राष्टÑीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को लखनऊ में विक्रमादित्य मार्ग पर उनके आवास में ही नजरबंद किया गया। अखिलेश यादव के आवास के साथ ही विक्रमादित्य मार्ग पर सपा कार्यालय को भी बैरिकेडिंग लगाकर सील कर दिया गया है। कन्नौज में सपाइयों को रोकने के लिए प्रशासन तैयार है।
सपा कार्यकर्ता पार्टी कार्यालय के सामने प्रदर्शन के लिए पहुंचे तो पुलिस ने उन पर हल्का बल प्रयोग कर दिया। लखनऊ में सोमवार सुबह सपा कार्यालय से लेकर अखिलेश यादव के घर तक पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया। विक्रमादित्य मार्ग पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और किसी भी प्रदर्शन से निपटने की पूरी तैयारी की गई। हालांकि, सपा कार्यालय के सामने पहुंचे कार्यकर्ताओं से पुलिस की भिड़त हो गई जिसके बाद पुलिस ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ तीन विधान परिषद सदस्यों -- उदयवीर सिंह, राजपाल कश्यप और आशु मलिक को हिरासत में ले लिया है।
वहीं, कन्नौज में जिलाधिकारी ने अखिलेश यादव के किसान मार्च को मंजूरी नहीं दी। दरअसल, किसान आंदोलन की आग पूरे देश में फैल चुकी है। देश के 12 से ज्यादा सियासी दलों ने किसानों का समर्थन किया है जो कि दिल्ली में केंद्र द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के साथ सरकार की पांच दौर की वार्ता बेनतीजा रही है जिस पर किसानों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कन्नौज में किसान मार्च करने वाले हैं लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र ने कहा कि अभी कोरोना वायरस खत्म नहीं हुआ है लिहाजा भीड़ जुटाने की अनुमति किसी भी स्थिति में नहीं दी जा सकती। सपा मुखिया को पत्र भेजकर इस पर अवगत करा दिया गया है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 दिसंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया। शहरी मामलों के केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य गणमान्य लोगों ने आगरा के 15 बटालियन पीएसी परेड मैदान में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में भाग लिया। यह प्रोजेक्ट आगरा के लोगों की जिंदगी आसान करेगा और आगरा आने वाले पर्यटकों के लिए भी मददगार होगा।
यह मेट्रो परियोजना दो गलियारों में फैली हुई है। जिनकी कुल लंबाई 29.4 किमी है और यह ताजमहल, आगरा किला, सिकंदरा जैसे पर्यटकों के प्रमुख आकर्षण वाले रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंड से कनेक्टेड है।
इस प्रोजेक्ट से शहर की 26 लाख आबादी को लाभ होगा और यह 60 लाख से अधिक पर्यटकों के लिए भी होगा जो हर साल इस शहर में आते हैं। यह ऐतिहासिक शहर आगरा को पर्यावरण के अनुकूल मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम देगा। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 8,379.62 करोड़ रुपये होगी और इसके 5 साल में पूरा होने की उम्मीद है।
पिछले साल 8 मार्च को प्रधानमंत्री ने सीसीएस हवाई अड्डे से मुंशीपुलिया तक 23 किलोमीटर लंबे उत्तर-दक्षिण गलियारे पर लखनऊ मेट्रो के कमर्शियल ऑपरेशन की शुरूआत के साथ-साथ आगरा मेट्रो परियोजना का उद्घाटन किया था।(आईएएनएस)
श्रीनगर, 7 दिसंबर | मौसम विभाग ने सोमवार को बताया कि उत्तर पश्चिमी कश्मीर, पीरपंजाल, गुलमर्ग, सोनमर्ग जोजिला द्रास में मंगलवार को शुरू होने वाली बर्फबारी धीरे-धीरे जम्मू के क्षेत्र और लद्दाख के कुछ हिस्से विशेष रूप से कारगिल, जांस्कर और लेह के ऊंचे इलाके को प्रभावित करेगी। जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख क्षेत्रों में सोमवार को न्यूनतम तापमान में वृद्धि जारी रही, वहीं दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में भारी बर्फबारी के पूवार्नुमान के बाद अधिकारियों ने सामने आने वाली चुनौतियों के मद्देनजर अपनी तैयारी पूरी कर ली है।
मौसम कार्यालय द्वारा एक सलाह के बाद सोमवार को जम्मू और कश्मीर के उच्चतर इलाकों वाले लोगों को हिमस्खलन की चेतावनी जारी की गई थी। वहीं सोमवार दोपहर से लद्दाख क्षेत्र के घाटी और कारगिल जिले में मध्यम से भारी बर्फबारी की संभावना है।
श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग में वाहनों को जम्मू की ओर से नगरोटा और घाटी की ओर से खानबल से दोपहर 2 बजे से पहले पार करने की सलाह दी गई है, ताकि वे खराब मौसम के कारण राजमार्ग पर न फंसे।
सभी कश्मीर जिला मुख्यालयों में बर्फ की सफाई की मशीनें तैनात है और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कर्मचारियों को सूचित किया गया है कि वे संभावित चुनौतियों का सामना करने के लिए कड़ी निगरानी रखें।
मौसम विभाग के निदेशक सोनम लोटस ने कहा, "हमें उम्मीद है कि बर्फबारी उत्तर पश्चिमी कश्मीर, पीरपंजाल, गुलमर्ग, सोनमर्ग जोजिला द्रास अक्ष से शुरू होगा, जो धीरे-धीरे पूरे कश्मीर, जम्मू के पहाड़ी क्षेत्र और लद्दाख के कुछ हिस्सों विशेष रूप से कारगिल, जांस्कर और लेह जिले के उच्चतर हिस्सों को प्रभावित करेगा।"
श्रीनगर में न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस, पहलगाम में 1.5 और गुलमर्ग में शून्य से 3.5 डिग्री नीचे दर्ज किया गया।
लेह में न्यूनतम तापमान शून्य से 5.3 नीचे और कारगिल में शून्य से 4.6 नीचे दर्ज किया गया।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 दिसंबर | सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन के निर्माण की शुरूआत करने के लिए किए जाने वाले समारोह की घोषणा को लेकर केंद्र सरकार पर कड़ा असंतोष व्यक्त किया। इस रीडेवलपमेंट प्लान से जुड़े कई मुद्दे शीर्ष अदालत में विचाराधीन हैं। जस्टिस ए.एम. खानविलकर ने कहा कि अदालत को उम्मीद थी कि वह एक विवेकपूर्ण मुकदमे पर सुनवाई कर रही है लेकिन प्रतिवादी ने इससे अलग ही नजरिया दिखाया। पीठ ने कहा, "आप कागजी कार्रवाई करें या नींव का पत्थर रखें, इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन कोई निर्माण नहीं होना चाहिए।"
बता दें कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने नए संसद भवन के गुरुवार को भूमिपूजन की योजना की घोषणा की थी। इसे लेकर बेंच ने कहा कि ऐसा नहीं सोचा था कि केन्द्र इसके निर्माण के लिए इतने आक्रामक तरीके से आगे बढ़ेगा।
केन्द्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को यह निर्देश स्पष्ट तौर पर समझना चाहिए कि जब तक मामला अदालत द्वारा तय नहीं किया जाता है, तब तक कोई निर्माण कार्य नहीं होगा।
मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि जब तक कि अदालत अपना फैसला नहीं दे देती तब तक सेंट्रल विस्टा में कोई निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ों की शिफ्टिंग नहीं होगी।
बता दें कि 5 नवंबर को शीर्ष अदालत ने इस प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था, जिनमें आरोप लगाया गया था कि भूमि के उपयोग में अवैध रूप से बदलाव किया गया है और अदालत से इस प्रोजेक्ट को रद्द करने का आग्रह किया। याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विकास के लिए भूमि उपयोग में बदलाव को लेकर 21 दिसंबर, 2019 को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना को चुनौती दी है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 दिसंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 'सशस्त्र सेना झंडा दिवस' पर सुरक्षा बलों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, "भारत को वीर सेवा और सशस्त्र बलों के निस्वार्थ बलिदान पर गर्व है।" प्रधानमंत्री ने ट्वीट में कहा, "'सशस्त्र सेना झंडा दिवस' हमारे सशस्त्र बलों और उनके परिवारों के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है। भारत को उनकी वीर सेवा और निस्वार्थ बलिदान पर गर्व है। हमारी सेनाओं के लिए कल्याण में योगदान दें। यह पहल हमारे कई बहादुर कर्मियों और उनके परिवारों की मदद करेगा।"
देश के सम्मान की रक्षा के लिए सीमाओं पर लड़ाई लड़ चुके और अभी भी सीमाओं पर लड़ रहे शहीदों और वर्दीधारियों को सम्मानित करने के लिए पूरे देश में 1949 के बाद से 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है।(आईएएनएस)
नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे किसानों और सरकार के बीच गतिरोध का कोई समाधान नहीं निकला है. किसानों ने मंगलवार आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है.
डायचेवेले पर चारु कार्तिकेय का लिखा
12 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का कहना है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अलावा कई दूसरे राज्यों के किसानों भी प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं और सब मिलकर मंगलवार आठ दिसंबर को भारत बंद लागू करवाएंगे. उनका कहना है कि वो तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग से पीछे नहीं हटने वाले हैं.
कम से कम 18 विपक्षी पार्टियों ने भी 'भारत-बंद' को समर्थन देने की घोषणा की है. इनमें कांग्रेस, वामपंथी पार्टियां, एसपी, बीएसपी, एनसीपी, आरजेडी, शिव सेना, तृणमूल कांग्रेस, टीआरएस, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल और नेशनल कांफ्रेंस जैसी पार्टियां शामिल हैं. यहां तक कि बीजेपी के सहयोगी दल एजीपी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी भारत-बंद को समर्थन देने की घोषणा की है.
कांग्रेस पार्टी ने देश भर में अपने राज्य और जिला मुख्यालयों में भी कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित करने का फैसला किया है. आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल किसानों से दिल्ली और हरियाणा के बीच सिंघु बॉर्डर पर मिलेंगे.
भारत बंद के आह्वान को देखते हुए राज्य सरकारें भी स्थिति से निपटने की तैयारी कर रही हैं. केंद्र सरकार के निर्देश पर दिल्ली पुलिस ने दिल्ली की उन सभी सीमाओं को बंद कर रखा है जहां से किसान दिल्ली में प्रवेश करना चाह रहे हैं. सिंघु,औचंदी, पियाउ मनियारी, मंगेश, चिल्ला, गाजीपुर, टिकरी, झरोडा जैसे सभी स्थानों पर सीमाएं बंद हैं. नोएडा प्रशासन ने पूरे नोएडा में धारा 144 लागू कर दी है. हरियाणा प्रशासन भी बंद से निपटने की तैयारी कर रहा है.
दुनिया के कई देशों में बड़ी संख्या में पंजाब से गए लोगों की मौजूदगी की वजह से किसान आंदोलन की गूंज विदेश में भी सुनाई दे रही है. रविवार को किसानों के समर्थन में लंदन में हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया. पुलिस ने 13 लोगों को हिरासत में भी लिया. अमेरिका में भी सैन फ्रांसिस्को में अप्रवासी भारतीयों ने किसानों के समर्थन में रैली निकाली.
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से भी किसानों के समर्थन की खबरें आ रही हैं.
फिरोजाबाद (उप्र), 7 दिसंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में एक बैंक मैनेजर पर अपनी दूसरी पत्नी की गोली मारकर हत्या करने का आरोप है। दोनों के बीच हुई बहस के दौरान पति ने एक देसी पिस्तौल से उसे गोली मार दी। पुलिस के अनुसार, घटना शनिवार और रविवार के बीच की रात है। शिकोहाबाद में रमेश नगर बैंक कॉलोनी निवासी आशाराम, फिरोजाबाद रोड के एक बैंक शाखा में मैनेजर हैं। उन्होंने अपनी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद आगरा के परसोटी इलाके में रहने वाली विनीता से शादी की थी। पहली पत्नी से आशाराम के दो बेटे हैं और विनीता का एक बेटा है।
जानकारी के मुताबिक, विनीता के बेटे और आशाराम की पहली पत्नी के बेटे के बीच हुए झगड़े के बाद आशाराम और विनीता में बहस हो गई थी। फिर आशाराम ने विनीता को गोली मारी और घर में ताला लगाकर अपनी पहली पत्नी के बेटे के साथ फरार हो गया। बाद में एक पड़ोसी को शक हुआ कि विनीता काफी देर से नहीं दिखी।
गड़बड़ी की आशंका देख उसने पुलिस को सूचित किया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। मृतक महिला के बेटे अंकित कुमार ने अपने पिता और सौतेले भाई सुमित पर हत्या का आरोप लगाया है।
अंकित ने कहा कि हर रोज उसके माता-पिता के बीच झगड़ा होता था।
शिकोहाबाद सर्कल अधिकारी बलदेव सिंह ने कहा, "पीड़िता के बेटे द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर आशाराम और सुमित के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया है। दोनों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।"
मेरठ (उप्र), 7 दिसंबर| उत्तर प्रदेश में मेरठ के एक ज्वेलर ने अब तक की सबसे ज्यादा हीरों वाली एक अंगूठी बनाकर गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में जगह पा ली है। इससे पहले यह रिकॉर्ड हैदराबाद के एक ज्वेलर कोटी श्रीकांत के नाम था, जिन्होंने 7,801 हीरों वाली अंगूठी बनाई थी। लेकिन मेरठ के हर्षित बंसल ने 'मैरीगोल्ड डायमंड रिंग' बनाकर ये रिकॉर्ड तोड़ दिया। 8 लेयर वाली 165.45 ग्राम की अंगूठी में 38.08 कैरेट के 12,638 हीरे जड़े हुए हैं।
हर्षित ने कहा, "मेरी पत्नी और मैंने 2018 में 6,690 हीरे वाली एक अंगूठी के गिनीज रिकॉर्ड बनाने के बारे में पढ़ा था। उस वक्त मैं मेरठ में अपना स्टोर खोल रहा था। मैंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया क्योंकि मेरा मकसद हमेशा कस्टमाइज्ड ज्वेलरी बनाने का रहता है।"
इस शानदार अंगूठी को लेकर उन्होंने 2018 में ही काम शुरू कर दिया था और फरवरी 2020 में इसे पूरा किया। हर्षित ने मेरठ में एसआरएम यूनिवर्सिटी से बीबीए और एमबीए करने के बाद सूरत से ज्वैलरी डिजाइनिंग सीखी है।
हर्षित ने बताया कि हमने हर हीरे का विशेष परीक्षण किया था और वे सभी ईएफ कलर वाले और वेरी वेरी स्लाइटली (वीवीएस) क्लेयरिटी वाले हैं जो कि दुनिया भर में आभूषणों में इस्तेमाल होने वाले हीरों की सबसे अच्छी गुणवत्ता है।
यह अंगूठी इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल लेबोरेटरी (आईजीआई) द्वारा प्रमाणित है जो वैश्विक स्तर पर हीरे के ज्वेलरी का सर्टिफिकेशन करने वाली सबसे प्रतिष्ठित लैब में से एक है।
डिजाइन को लेकर हर्षित ने कहा, "मैं लंबे समय तक इसके लिए डिजाइन तलाशता रहा और आखिरकार यह मुझे मेरे बगीचे में मिली। एक गेंदे के फूल ने मुझे आकर्षित किया और मैंने इसे अपनी उंगलियों के बीच डालकर देखा कि यह कैसा दिखेगा। बस तभी फैसला किया कि यही मेरा डिजाइन होगा।"
अंगूठी में प्रत्येक पंखुड़ी विशिष्ट आकार की है और इनमें से कोई भी दूसरे जैसी नहीं है जो इसे और बेमिसाल बनाती है। अंगूठी की कीमत को लेकर उन्होंने कहा, "यह अनमोल है। अभी हम इसे अपने पास रखेंगे क्योंकि हम इससे भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं।" (आईएएनएस)
लखनऊ , 7 दिसंबर| कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के भारत बंद के समर्थन में विपक्षी दल भी उतर आए हैं। यूपी से कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी के बाद अब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी भारत बंद को समर्थन देने की घोषणा की है। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को ट्विटर के माध्यम से लिखा कि, कृषि से सम्बंधित तीन नये कानूनों की वापसी को लेकर पूरे देश भर में किसान आंदोलित हैं व उनके संगठनों ने दिनांक 8 दिसंबर को "भारत बंद" का जो एलान किया है, बसपा उसका समर्थन करती है। साथ ही, केन्द्र से किसानों की मांगों को मानने की भी पुन: अपील।
उधर, समाजवादी पार्टी किसान यात्रा के कार्यक्रम से पहले पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को लखनऊ में विक्रमादित्य मार्ग पर उनके आवास पर ही नजरबंद किया गया है। सरकार कोरोना संक्रमण का हवाला देकर उनको घर से बाहर नही निकलने दे रही है। अखिलेश यादव के आवास के साथ ही विक्रमादित्य मार्ग पर सपा कार्यालय को भी बैरिकेडिंग लगाकर सील कर दिया गया है। कन्नौज में सपाइयों को रोकने के लिए प्रशासन तैयार है। वहां पर किसी को भी नहीं जाने दिया जा रहा है। अखिलेश यादव को सोमवार को कन्नौज जाना है, अखिलेश यादव की गाड़ी के साथ ही सिक्योरिटी को भी बैरीकैडिंग के बाहर ही रोक दिया गया है। उनको भी अखिलेश यादव के घर में प्रवेश नहीं दिया गया है। गौतम पल्ली थाना की फोर्स के साथ ही लखनऊ के अन्य थाना क्षेत्र की फोर्स को अखिलेश यादव के आवास के पास तैनात किया गया है। (आईएएनएस)
जम्मू, 7 दिसंबर | जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक सड़क दुर्घटना के बाद सेना के समय पर बचाव अभियान के चलते पांच नागरिकों की जान बच गई। डिफेंस पीआरओ द्वारा यहां जारी एक बयान में सोमवार को कहा गया कि सेना ने जम्मू के रामबन इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर नागरिकों को उस समय बचाया जब एक ट्रक पलट गया।
भारतीय सेना 6 दिसंबर की शाम 7 बजे रामबन के पास एक ट्रक दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद एनएच-44 पर नागरिकों के बचाव में आई।
सेना की टीमों ने तुरंत कार्रवाई की, यातायात को नियंत्रित किया और दुर्घटनास्थल से पांच घायलों को निकाल कर अस्पताल पहुंचाया।
सेना ने कहा कि बचाए गए नागरिकों का अस्पताल में इलाज चल रहा है।(आईएएनएस)