राष्ट्रीय
कारगिल, 26 जनवरी | अनुच्छेद 370 पर 6 अगस्त 2019 को लोकसभा में जोरदार भाषण देकर पूरे देश का ध्यान लद्दाख की तरफ खींचने के बाद से चर्चित चेहरा बन चुके 34 वर्षीय युवा सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल का मानना है कि अब कारगिल को वॉर जोन नहीं बल्कि पीस जोन के रूप में देखा जाना चाहिए। पाकिस्तान के साथ 1999 की लड़ाई के बाद कारगिल की पहचान दुनिया में एक युद्ध के मैदान(बैटलफील्ड) के रूप में में हो गई, इससे यहां की पहचान के साथ नकारात्मकता जुड़ गई। जिससे प्राकृतिक सुंदरता से समृद्ध होने के बावजूद कारगिल में पर्यटन को बढ़ावा नहीं मिल सका। हालांकि, सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल को उम्मीद है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जिस तरह से मोदी सरकार ने प्रयास तेज किए हैं, उससे पर्यटन के मानचित्र पर कारगिल की वैश्विक पहचान होगी।
लेह-लद्दाख और कारगिल में विंटर स्पोर्ट्स और एडवेंचर टूरिज्म की गतिविधियों के जरिए देसी-विदेशी पर्यटकों का ध्यान खींचने में केंद्र सरकार जुटी है। राष्ट्रीय पर्यटन दिवस पर इस सिलसिले में सोमवार को आयोजित एक समारोह में हिस्सा लेने के दौरान लद्दाख के युवा सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा, "लेह-लद्दाख और कारगिल में बर्फ में छुपे पोटेंशियल को निखारने की दिशा में केंद्र सरकार कार्य कर रही है। लेह-लद्दाख और कारगिल में पहली बार बड़े पैमाने पर विंटर टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। मोदी सरकार के मंत्री(प्रहलाद सिंह पटेल) ने यहां कारगिल में रात गुजारी, इससे पता चलता है कि सरकार के दिल में लद्दाख बसता है।"
सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल ने केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में विलेज टूरिज्म पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने यहां रूरल टूरिज्म को बढ़ावा देने का सुझाव दिया था। हम चाहते हैं कि लद्दाख में पर्यटन केवल लेह-कारगिल तक ही केंद्रित न रहे। बाहर से आने वाले लोग जंस्कार से लेकर द्रास और बटालिक सेक्टर तक जाएं। यह तभी संभव होगा, जब ग्रामीण इलाकों को टूरिज्म सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा। रूरल टूरिज्म से ग्रामीण आजीविका बढ़ेगी। टूरिज्म डिपार्टमेंट को गांवों में ज्यादा से ज्यादा होम स्टे की सुविधाएं बढ़ानी होंगी। गांव के लोगों को पर्यटकों को हैंडल करने की ट्रेनिंग देनी होगी।"
लद्दाख के सांसद ने आईएएनएस को बताया कि कारगिल में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सबसे जरूरी है एयर कनेक्टिविटी। कामर्शियल उड़ानों के लिए एयरपोर्ट के विस्तार से लेकर छोटे विमानों के संचालन का मुद्दा संसद में भी जामयांग उठा चुके हैं। उन्होंने कहा, "यहां आगे पहाड़ है, पीछे खाई है। इससे एयर कनेक्टिविटी में टेक्निकल बाधा होती है। लेकिन एटीआर जैसे छोटे एयरक्राफ्ट का संचालन हो सकता है। हमने सरकार से इसकी मांग भी की है। स्पाइसजेट ने रुचि भी दिखाई है, लेकिन ट्रैफिक कम होने के कारण बात आगे नहीं बढ़ पा रही है। ऐसे में पर्यटन मंत्रालय से हमने अनुरोध किया है कि वह एटीआर चलाने के लिए वह फंडिंग करे। एयर कनेक्टिविटी से न केवल टूरिस्ट बल्कि कारगिल के सिविलियन लोग पूरी दुनिया से आसानी से जुड़ सकेंगे।
भाजपा सांसद ने कहा कि ऑल वेदर कनेक्टिविटी के लिए जोजिला टनल की लंबे समय से मांग उठती रही। पहले की सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया, लेकिन मोदी सरकार ने कई बाधाओं के बावजूद टेंडर करवाकर जोरशोर से निर्माण शुरू कराया है। भाजपा सांसद ने कहा, "हमारी सरकार ने जोजिला टनल के लिए बार-बार कोशिश की। हमने हार नहीं मानी। अटल जी कहते थे हार नहीं मानूंगा रार नहीं ठानूंगा। टेंडर होने के बाद आज जोर-शोर से काम चल रहा है। कारगिल को इससे एक और बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी।"
--आईएएनएस
जम्मू, 26 जनवरी | जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में सोमवार शाम एक सेना के एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद दो पायलट घायल हो गए। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। सेना की एक एम्बुलेंस मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। दुर्घटनास्थल पर एक फायर टेंडर भी पहुंचा।
हेलिकॉप्टर के क्रैश लैंडिंग के कारणों का पता लगाया जा रहा है। प्रारंभिक रिपोर्टों ने सुझाव दिया कि यह तकनीकी खराबी के कारण हो सकता है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 26 जनवरी | लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को मरणोपरांत सोमवार को पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किए जाने पर उनके पुत्र और लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि यह पार्टी के हर सदस्य के लिए अत्यंत गर्व की बात है और परिवार के लिए एक भावुक लम्हा है। चिराग पासवान ने ट्वीट के जरिए कहा, "लोक जनशक्ति पार्टी के हर सदस्य के लिए पार्टी के संस्थापक को पद्मभूषण अवार्ड मिलना अत्यंत गर्व की बात है। परिवार के लिए भी यह भावुक लम्हा है। लोक जनशक्ति पार्टी इस सम्मान से मिली नई ऊर्जा के साथ पापा (रामविलास पासवान) के सपनों को पूरा करेगी।"
उन्होंने लोजपा परिवार के हर सदस्य को बधाई दी।
चिराग ने कहा, "पापा ने पूरा जीवन सामाजिक न्याय के लिए व वंचित दलित पिछड़ो की लड़ाई लड़ने के लिए समर्पित किया।भारत सरकार द्वारा पापा को 51 साल के बेदाग राजनीतिक जीवन के लिए पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है।"
लोजपा अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आभार जताते हुए कहा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पापा की अंतिम सांस तक उनके साथ खड़े थे। पापा के जाने के बाद भी प्रधानमंत्रीजी ने पापा को हमेशा सम्मान दिया। पद्मभूषण पुरस्कार के लिए मेरे परिवार और लोक जनशक्ति पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार।''
रामविलास पासवान मोदी सरकार में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री थे। पिछले साल अक्टूबर में उनका निधन हो गया। दलित नेता दिवंगत रामविलास पासवान को पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किए जाने पर चिराग पासवान ने ट्वीट के जरिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का आभार जताया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के साथ-साथ असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल को भी मरणोपरांत पद्मभूषण अवार्ड से नवाजा गया है।
--आईएएनएस
रांची, 25 जनवरी | बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के वकील ने सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू के लिए जमानत की मांग की। अपने जवाब में लालू प्रसाद के वकील देवर्षि मंडल ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने जेल में सजा की अवधि के आधे हिस्से को पूरा कर लिया है और उन्हें अब जमानत दी जानी चाहिए।
उन्होंने दलील दी कि लालू प्रसाद ने 42 महीने और 23 दिन जेल में बिताए हैं, जो उनकी सात साल की जेल की अवधि का आधा हिस्सा है। मंडल ने लालू की जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई की भी अपील की।
यह जवाब दुमका कोषागार धोखाधड़ी मामले के संबंध में दायर किया गया है, जिसमें लालू प्रसाद को सात साल की जेल की सजा मिली है।
सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि लालू प्रसाद को सात-सात साल की दो सजा मिली हैं, जो कि कुल 14 साल की अवधि होती है। सीबीआई इसी आधार पर जमानत याचिका का विरोध कर सकती है।
लालू प्रसाद को चार चारा घोटाला मामलों में 14 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई है।
राजद प्रमुख फिलहाल बीमार चल रहे हैं और उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ने के बाद उन्हें हाल ही में नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 25 जनवरी | गणतंत्र दिवस पर पुलिस पदक के लिए कुल 946 कर्मियों का चयन किया गया है, जिसमें सीआरपीएफ के एक एएसआई और झारखंड पुलिस के एक अन्य को मरणोपरांत वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक (पीपीएमजी) मिलेगा। झारखंड पुलिस के सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) बनुआ उरांव और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एएसआई मोहन लाल को मरणोपरांत पीपीएमजी के लिए चुना गया है।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंगलवार को 72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर इन पुरस्कारों को प्रदान करने को मंजूरी दे दी है।
दो पीपीएमजी पुरस्कारों के अलावा, वीरता के लिए 205 कर्मियों को पुलिस पदक, 89 कर्मी को उनके
प्रतिष्ठित सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक और 650 अन्य पुलिस कर्मी को मेधावी सेवा के लिए पुलिस पदक दिया जाएगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 25 जनवरी | राष्ट्रपति भवन ने सोमवार को सोशल मीडिया में तैर रहे उन अफवाहों का खंडन किया, जिसमें कहा गया है कि 'राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने नेताजी की 125वीं जयंती के अवसर पर जिस पेंटिंग का अनावरण किया था वह नेताजी का नहीं, बल्कि श्रीजीत मुखर्जी निर्देशित फिल्म में नेताजी की भूमिका वाली प्रसेनजीत चटर्जी की थी।' राष्ट्रपति भवन के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर आर्एएएनएस से कहा कि हम इस तरह के ट्वीट्स पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। यह पेंटिंग राष्ट्रपति भवन में बनाई गई थी और आप समझते हैं कि यह किसी एक्टर की पेंटिंग है? यह किस तरह का सवाल है? ट्विटर पर कुछ चलाया जा रहा है, लेकिन यह राजनीति से प्रेरित भी हो सकता है। इसके बारे में हम भला क्या कह सकते हैं?
अधिकारी ने ट्विटर पर खबर वायरल होने के बाद यह प्रतिक्रिया दी। (आईएएनएस)
फातोर्दा(गोवा), 25 जनवरी | हीरो इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के सातवें सीजन में अपने पिछले मैच में जमशेदपुर एफसी को हरा चुकी नॉर्थईस्ट युनाइटेड एफसी मंगलवार को फातोर्दा के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में मौजूदा चैम्पियन एटीके मोहन बागान की चुनौती का सामना करेगी। नॉर्थईस्ट को अगर प्लेआफ में पहुंचने की अपनी उम्मीदों को जिंदा रखना है तो उसे अब और अंक नहीं गंवाना होगा। रविवार को जमशेदपुर के खिलाफ खेले गए पिछले मैच में देशोर्न ब्राउन ने नॉर्थईस्ट के बेहतरीन प्रदर्शन किया था। ब्राउन हाल में बेंगलुरु एफसी से हाईलैंडर्स में पहुंचे हैं।
ब्राउन ने अपने अगले मैच से पहले कहा, " यह एक अलग शैली है जोकि बेंगलुरु खेलती है। मुझे लगता है कि हमें यहां अधिक गोल करने के मौके मिलेंगे। मुझे यहां की शैली पसंद है और यह लंबे समय तक मेरे लिए बेहतर होगा। बेंगलुरु की तुलना में अंतर यह है कि ये मिडफील्ड में ज्यादा कोशिश करते हैं। बेंगलुरु आउट साइड से और क्रॉस खेलने की कोशिश करते हैं, लेकिन क्रॉस की डिलीवरी अच्छी नहीं है जो स्ट्राइकर के लिए स्कोर करना वास्तव में कठिन बना देता है।"
ब्राउन ने कहा, " हम अपनी रणनीतियों के साथ उतरेंगे। वे एक अच्छी टीम है, लेकिन कोई भी टीम किसी भी टीम को हरा सकती है। हमें केवल नए सिरे से शुरूआत करनी है।"
अपने पिछले मैच में चेन्नइयन एफसी को हराने वाली एटीके मोहन बागान के कोच एंटोनियो लोपेज हबास का मानना है कि नॉर्थईस्ट युनाइटेड भी उनके लिए कड़ी चुनौती पेश करेगी।
हबास ने कहा, " मुझे लगता है कि चेन्नइयन के खिलाफ टीम पूरे 90 मिनट तक शानदार खेली थी। खिलाड़ी इस बात को समझते हैं कि मैच जीतने के लिए उन्हें क्या करने की जरूरत है। हमने अपने खेलने की शैली में बदलाव किया है और नई शैली से अधिक गोल करने की संभावना है।"
उन्होंने कहा, " हमें अपने प्रतिद्वंद्वी का सम्मान करना होगा और मैच जीतने के लिए हमारे पास हमारी बेस्ट टीम है। वे एक अलग प्रतिद्वंद्वी है। उनके पास अच्छे खिलाड़ी है और वे हमारे लिए मुश्किलें पैदा करेंगे।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 25 जनवरी, गणेश भट्ट | देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में शुमार आईआईटी दिल्ली जल्द ही कई नए आविष्कार देश को समर्पित करने जा रहा है। आईआईटी में प्लेसमेंट और नए कोर्सेज को लेकर क्या माहौल है। कोरोना महामारी के दौरान आईआईटी दिल्ली ने कैसे इसका सामना किया। आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर वी रामगोपाल राव ने यह सब आईएएनएस को एक विशेष इंटरव्यू में बताया है। प्रश्न- आईआईटी दिल्ली आने वाले दिनों में किन नए अविष्कार को लेकर सामने आएगा?
उत्तर- हम कोरोना की तुरंत जांच करने वाली एक नई प्रकार की किट विकसित कर रहे हैं। यह एक बेहद आधुनिक त्वरित किट होगी। लेकिन इसकी विश्वसनीयता बाजार में मौजूद एंटीजेट किट के मुकाबले कहीं ज्यादा होगी। बड़ी बात यह भी है कि इसकी कीमत बेहद कम है। यह अगले कुछ दिनों में उपलब्ध हो सकेगी। आईआईटी दिल्ली ने एक स्वदेशी एन 95 भी मास्क बनाया है। मात्र 40 रुपये में यह एन 95 मास्क पूरे देश में उपलब्ध कराया जा सकता है।
प्रश्न- क्या इस वर्ष आईआईटी दिल्ली नए कोर्स शुरू करने की स्थिति में है?
उत्तर- हां आईआईटी दिल्ली में कई नए कोर्स शुरू होने जा रहे हैं। डाटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मैनेजमेंट डिपार्टमेंट से संबंधित कोर्स शुरू किए जाएंगे। हम कई प्रकार के ऑनलाइन कोर्स भी शुरू करने जा रहे हैं। आईआईटी दिल्ली इसी महीने 10 ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है। इन कार्यक्रमों के पूरा करने वाले छात्रों को आईआईटी दिल्ली की ओर से सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा।
प्रश्न- कोरोना ने पूरे विश्व को प्रभावित किया। बीते 100 वर्षों में यह सबसे बड़ी महामारी रही। आईआईटी पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर - मार्च में हमें अपना संस्थान बंद करना पड़ा था। हालांकि हमने इस दौरान कहा कि संस्थान बेशक बंद रहेगा, लेकिन जो लोग कोरोना से संबंधित क्षेत्रों में काम करना चाहते हैं, चाहे वह उपचार हो, चाहे वह, डायग्नोस्टिक हो या फिर कोरोना रोकथाम के क्षेत्र से जुड़े शोध कार्य हों, उनके लिए प्रयोगशाला खुली रही। हमें इस दौरान इन क्षेत्रों में काम करने के लिए आवश्यक फंड भी मिले।
प्रश्न- कोरोना काल के दौरान आईआईटी दिल्ली ने कौन से बड़े शोध एवं अनुसंधान के कार्य किए हैं?
उत्तर- आईआईटी दिल्ली का हमारा टेक्सटाइल डिपार्टमेंट एक नई तकनीक के साथ आगे आया। यहां जरूरत के समय 'कवच' ब्रांड के नाम से मास्क बनाने का काम किया। इसमें हमने बड़ी कामयाबी हासिल की। अभी तक आईआईटी दिल्ली ने 5 मिलियन मास्क बनाए हैं, इनमें से 40 प्रतिशत एक्सपोर्ट किए गए हैं। दुनिया की सबसे किफायती आरटी पीसीआर किट हमने 399 रुपये में तैयार की है। इससे पहले देश में विभिन्न स्थानों पर 4500 रुपये में कोरोना का आरटी पीसीआर टेस्ट किया जा रहा था। आज आईआईटी दिल्ली की खोज के कारण आरटी पीसीआर टेस्ट 600 से 800 रुपये में संभव हो पाया है।
प्रश्न- आईआईटी दिल्ली ने इस दौरान शोध एवं रिसर्च कार्यो पर कितना फंड खर्च किया?
उत्तर- कोरोना की रिसर्च पर आईआईटी दिल्ली में लगभग 10 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है। आईआईटी दिल्ली में हमने एक आरटी पीसीआर सेंटर बनाया है। कोरोना से बचाव के लिए उपकरण बनाने में हमें विभिन्न इंडस्ट्री से सात-आठ करोड़ रुपए का फंड मिला।
हमने केवल सस्ती आरटी पीसीआर टेस्ट किट ही नहीं बनाई बल्कि, भारत की परंपरागत दवाओं एवं औषधियों में कोरोना से लड़ने की खोज की। आईटी दिल्ली ने अपने शोध में पता लगाया कि कोरोना से लड़ने में अश्वगंधा किस प्रकार फायदेमंद है। यह हमारी एक बड़ी और अहम खोज रही।
प्रश्न- बीते वर्ष रिसर्च और पढ़ाई पर क्या असर पड़ा?
उत्तर- आईआईटी दिल्ली में 1500 विभिन्न प्रकार के कोर्स ऑनलाइन पढ़ाए जा रहे हैं। यह सब कुछ कर पाना बेहद कठिन था। जल्दबाजी में हमें तुरंत सारी प्रक्रिया को ऑनलाइन करना पड़ा। पहले सेमेस्टर में लगभग 20 फीसदी छात्रों के पास लैपटॉप कंप्यूटर जैसे उपकरण उपलब्ध नहीं थे। हमने छात्रों को विकल्प दिया कि आप जहां है, वहीं रहिए। हम आपको उसी स्थान पर इंटरनेट कनेक्शन और लैपटॉप मुहैया कराएंगे। जो छात्र ऐसे स्थानों पर थे, जहां इंटरनेट की कनेक्टिविटी संभव नहीं हो पा रही थी, उन्हें अपने कैंपस लौटने को कहा और आज लगभग 12 सौ छात्र हॉस्टल में रह रहे हैं।
प्रश्न- आईआईटी की परीक्षा किस प्रकार संभव होंगी?
उत्तर- इस बार फिजिकली कोई भी परीक्षा नहीं ली जा रही है। सभी परीक्षाएं ऑनलाइन माध्यमों से आयोजित कराई जाएंगी। शिक्षा ऑनलाइन होने के बावजूद हमारा मानना है कि अभी भी ऑनलाइन परीक्षाएं लेना एक बड़ी चुनौती है।
प्रश्न- आईआईटी दिल्ली को अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में बेहतर स्थान दिलाने के लिए आप क्या कर रहे हैं?
उत्तर- ओवर ऑल रैंकिंग और बेहतर करने के लिए हमें और अधिक व्यापक बनना होगा। उदाहरण के लिए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी को लीजिए। वहां एक विशाल मेडिकल स्कूल है। अगर आप स्टैनफोर्ड से आईटी दिल्ली की तुलना करें तो वहां फैकल्टी का एक विशाल नेटवर्क है। मेडिकल से लेकर हम्यूमैनिटी तक के पाठ्यक्रम हैं। वहीं आईआईटी दिल्ली इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अच्छा कर रहा है। बावजूद इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों से इसकी तुलना नहीं की जा सकती। हम इंजीनियरिंग और तकनीक से जुड़े क्षेत्र में दुनिया के 50 सबसे बेहतरीन शिक्षण संस्थानों में शामिल हैं। क्यूएस विश्व रैंकिंग में हमारा स्थान 47वां है।
प्रश्न- विश्व स्तर पर आईआईटी दिल्ली को और बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
उत्तर- आईआईटी दिल्ली को और अधिक व्यापक बनाने के लिए हमने शुरूआत कर दी है। अब हमारे पास एक स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी है। हमने डिपार्टमेंट ऑफ डिजाइन भी शुरू किया है। इसके साथ ही हम एम्स के साथ मिलकर ज्वाइंट डिग्री कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं।
प्रश्न- इस वर्ष आईआईटी दिल्ली में कैंपस प्लेसमेंट की क्या स्थिति है?
उत्तर- कैंपस प्लेसमेंट अच्छा है। इस मामले में आईआईटी दिल्ली को किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। सभी छात्रों को प्लेसमेंट मिली है। हां यह सच है कि पिछले वर्ष कैंपस प्लेसमेंट के मामले में आईटी दिल्ली ने एक ऊंची छलांग लगाई थी। बीते वर्षो के मुकाबले पिछले वर्ष कैंपस प्लेसमेंट सबसे शानदार रहा था। हालांकि इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले बढ़ोतरी नहीं है, लेकिन कैंपस प्लेसमेंट पिछले वर्ष के बराबर ही रहा है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 25 जनवरी | राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद गणतंत्र दिवस के अवसर पर 30 सीबीआई अधिकारियों को प्रतिष्ठित सेवा और उनके सराहनीय योगदान के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक और मेधावी सेवा के लिए पुलिस पदक से सम्मानित करेंगे। छह सीबीआई अधिकारियों को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक, जबकि अन्य 24 को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया जाएगा।
विशिष्ट सेवा के लिए सम्मानित होने वालों में संपत मीणा शामिल हैं, जो उत्तर प्रदेश के लखनऊ में सीबीआई संयुक्त निदेशक के रूप में तैनात हैं। इसके अलावा सम्मानित होने वालों में विनीत विनायक, जो वर्तमान में नई दिल्ली में संयुक्त निदेशक (चंडीगढ़) के रूप में तैनात हैं।
सरलादास मिश्रा, जो नई दिल्ली में सीबीआई के आर्थिक अपराध (ईओ)-3 में एएसपी के रूप में तैनात विवेक धीर, जो सीबीआई के एसीबी जम्मू में उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) के तौर पर तैनात हैं, शामिल हैं।
वहीं नई दिल्ली में सीबीआई के एसीयू-5 में डीएसपी के रूप में तैनात सुरेंद्र कुमार रोहिल्ला और सीबीआई मुख्यालय में तैनात हेड कांस्टेबल बसंत सिंह बिष्ट का नाम भी सम्मानित होने वाले अधिकारियों में शामिल है।
मेधावी सेवा के लिए पुलिस पदक एक डीआईजी, दो एसपी, तीन सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी), तीन डीएसपी, एक इंस्पेक्टर, एक सब-इंस्पेक्टर, दो असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (एएसआई), सात हेड कांस्टेबल, तीन कांस्टेबल और एक ऑफिस सुपरिटेंडेंट को दिए जाएंगे।
(आईएएनएस)
जम्मू/श्रीनगर, 25 जनवरी | केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में 72वें गणतंत्र दिवस के ठीक एक दिन पहले, सुरक्षा और बढ़ा दी गई है, ताकि यहां के नागरिक गणतंत्र दिवस शांतिपूर्वक मना सकें। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि पिछले वर्षो की तुलना में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य अधिक सुगम है, मंगलवार को होने वाले समारोहों के लिए विशेष रूप से श्रीनगर और जम्मू की जुड़वां राजधानी शहरों में बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
यात्रियों और निजी वाहनों की रेंडम चेकिंग के साथ-साथ, मोबाइल सिक्योरिटी बंकर, मेकशिफ्ट चेकपोस्ट, सीसीटीवी सर्विलांस, स्निफर डॉग, जम्मू और श्रीनगर में मुख्य परेड के आसपास के इलाकों में ऊंची इमारतों के ऊपर शार्पशूटर की तैनाती की गई है।
श्रीनगर के सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं को सील कर दिया गया है। शहर में आवाजाही की अनुमति वाहनों की पूरी तरह से जांच करने और रहने वालों की फ्रिस्किंग के बाद ही दी जाएगी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है।
मुख्य गणतंत्र दिवस समारोह जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा, जहां उपराज्यपाल मनोज सिन्हा तिरंगा फहराएंगे और परेड की सलामी लेंगे।
सभी 10 जिला मुख्यालयों पर राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया जाएगा, जहां संबंधित जिला विकास आयुक्त सलामी लेंगे। (आईएएनएस)
राजधानी लखनऊ में महिलाओं की सुरक्षा पर लगातार उठते सवालों के बीच पुलिस अब छेड़छाड़ जैसे मामलों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैमरों के जरिए नजर रखने की तैयारी कर रही है. इसके साथ प्राइवेसी के मुद्दे भी उठ रहे हैं.
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र का लिखा-
बीजेपी के शासन वाली उत्तर प्रदेश पुलिस का एंटी-रोमियो स्क्वैड कार्यक्रम विवादों में आया और कहां गायब हो गया, पता नहीं चला. अब हाल ही में हाथरस, बलरामपुर और अन्य इलाकों में हुई कथित बलात्कार की घटनाओं के बाद योगी आदित्यनाथ ने 'मिशन-शक्ति' अभियान की घोषणा की है. लखनऊ पुलिस अब ऐसे मामलों पर त्वरित कार्रवाई के लिए शहर के चुनिंदा स्थानों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस कैमरे लगवाने जा रही है जिससे कि छेड़छाड़ जैसी घटनाओं के दौरान उस जगह की तस्वीरें सीधे कंट्रोल रूम तक भेजी जा सकें और पुलिस तत्काल पहुंच कर अभियुक्तों पर कार्रवाई कर सके.
लखनऊ के पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर का कहना है कि राजधानी लखनऊ में ऐसी 200 जगहों की पहचान की गई है जहां महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं ज्यादा होती हैं. उनके मुताबिक, सबसे पहले इन्हीं जगहों पर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से युक्त कैमरे लगाए जाएंगे ताकि इन इलाकों पर हर वक्त नजर रखी जा सके. पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर ने बताया कि इन कैमरों की खासियत यह होगी कि ये चेहरे के हाव-भाव से ही किसी महिला के साथ हो रही छेड़छाड़ का पता लगा लेंगे.
छेड़छाड़ के चालीस तरीके
पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर ने मीडिया को बताया, "यदि कोई मनचला किसी लड़की का पीछा कर रहा है तो महिलाओं के एक्सप्रेशन चेंजेस को कैमरा कैप्चर कर लेगा और फिर यह कैमरा यूपी पुलिस के ‘डायल 112' के वाहन को सतर्क कर देगा. इससे आस-पास मौजूद पुलिस की टीम सक्रिय हो जाएगी और छेड़खानी करने वाले मनचलों को पकड़ लेगी. लखनऊ में ऐसे दो सौ हॉट स्पॉट्स चिह्नित किए गए हैं और हर हॉट स्पॉट पर 5-5 कैमरे होंगे.” उन्होंने बताया कि पुलिस ने छेड़-छाड़ करने के चालीस से ज्यादा तरीकों का अंदाजा लगाया है और यदि उन हाव-भाव में से कुछ भी दिखाई पड़ता है तो आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस वाले कैमरे उसे तुरंत पकड़ लेंगे.
लखनऊ पुलिस का अभी यह प्रस्तावित मॉडल है लेकिन इस पर काम तेजी से शुरू किया जा चुका है. लखनऊ पुलिस की एक वरिष्ठ अधिकारी नीलाब्जा चौधरी ने बताया कि इसे अमली-जामा कैसे पहनाया जाना है, इस पर अभी तैयारी चल रही है. हालांकि अभी लखनऊ पुलिस के पास करीब 280 ऐसे कैमरे हैं जबकि योजना के क्रियान्वयन के लिए कम से कम एक हजार कैमरों की जरूरत होगी. संयुक्त पुलिस आयुक्त नीलाब्जा चौधरी के मुताबिक, करीब 1500 कैमरों का इंतजाम जल्द ही कर लिया जाएगा ताकि इस योजना को शुरू किया जा सके.
छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाएं
महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए यूपी सरकार और पुलिस इससे पहले भी कई अभियान चला चुकी है लेकिन महिला सुरक्षा को लेकर सरकार अक्सर विपक्ष के निशाने पर रहती है. पिछले दिनों सरकार ने ‘ऑपरेशन दुराचारी' नामक अभियान चलाने की भी बात कही थी जिसके तहत महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म या अन्य अपराध करने वालों के पोस्टर चौराहों पर लगाने की बात कही गई थी. यही नहीं, यूपी में बीजेपी सरकार ने सत्ता में आते ही महिला सुरक्षा को लेकर एंटी रोमियो स्क्वैड्स का गठन किया था लेकिन न तो अपराधों में कमी आई और न ही एंटी रोमियो स्क्वैड्स की सक्रियता कभी जमीन पर दिख पाई.
पिछले दिनों हाथरस, बलरामपुर और कुछ अन्य जगहों पर बलात्कार और हत्या की लगातार कई घटनाओं के बाद यूपी की योगी सरकार ने 'मिशन-शक्ति' अभियान की घोषणा की लेकिन यह अभियान भी महज कुछ कार्यक्रमों और महिलाओं को सुरक्षित रहने के गुर सिखाने जैसे औपचारिक आयोजनों तक ही सिमट कर रह गया है.
अपराधों में कमी नहीं
इनके बावजूद महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों में कोई कमी नहीं आ रही है. यही वजह है कि लखनऊ पुलिस की इस नई पहल को लेकर न सिर्फ सोशल मीडिया पर चुटकी ली जा रही है बल्कि राजनीतिक दल भी सवाल उठा रहे हैं. समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह तो पहला सवाल यही करती हैं कि ‘अब तक की योजनाओं में योगी जी की पुलिस ने कितने मनचलों को पकड़ा है, पहले ये तो बता दें.' जूही सिंह कहती हैं, "शिकायत करने पर तो कार्रवाई हो नहीं रही है, एफआईआर होती नहीं है और ये नया शिगूफा दे रहे हैं कि एक्सप्रेशन से पकड़ लेंगे. यूपी सरकार में रोमियो स्क्वॉ-ड के बारे में भी खूब चर्चा हुई थी, कहां गए वो सब? क्या किया उन्होंने? पहले तो ये बताया जाए.”
हालांकि जानकारों का कहना है कि यूपी में चाहे कोई भी सरकार हो, बलात्कार या महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले सामने आते रहे हैं और यह भी कि बड़ी घटनाओं के बाद ही सरकारें सक्रिय होती हैं. वरिष्ठ पत्रकार अमिता वर्मा कहती हैं, ''पहले हमें ये देखना होगा कि क्या महिला पुलिसकर्मी इतनी संख्या में थानों में हैं और क्या वो प्रशिक्षित हैं. हां, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या अन्य किसी तकनीक का इस्तेमाल अच्छी बात है लेकिन पुलिस भी सक्रिय और संवेदनशील होनी चाहिए. तभी इन सबका फायदा है.” (dw.com)
मिस्र में अरब वसंत की क्रांति के 10 साल बाद भी जेलों में हजारों लोग बुरे हाल में फंसे हुए हैं. क्षमता से ज्यादा भीड़ वाली जेलों में लोग अमानवीय स्थिति में महीनों या सालों से रह रहे हैं.
दुनिया में मानवाधिकारों पर नजर रखने वाली संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अरब वसंत के 10 साल बीतने पर मिस्र के जेलों की दुर्दशा को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कैदियों को अस्वास्थ्यकर खाना दिया जाता है और उन्हें ऐसे अंधेरे कमरों में रखा गया है जिसमें ठीक से ताजी हवा भी नहीं आती जाती. इन कमरों की साफ सफाई का भी बुरा हाल है, ना तो पर्याप्त शौचालय हैं और ना पानी.
एमनेस्टी का आरोप है कि स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण कैदी अनावश्यक रूप से तकलीफें झेल रहे हैं और कई कैदियों की इन्हीं वजहों से मौत भी हुई है. इन कैदियों को इनके परिजनों से मिलने भी नहीं दिया जाता या फिर बहुत कम मुलाकात कराई जाती है. रिपोर्ट में तो यह भी कहा गया है कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए कोई ठोस और सबके लिए एकसमान नीति भी नहीं अपनाई गई है.
दर्जनों लोगों के अनुभव
अपनी रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 67 लोगों के अनुभवों का दस्तावेज पेश किया है. इनमें से 10 लोगों की तो हिरासत में ही मौत हो गई, जबकि दो लोग 2019 और 2020 में रिहाई के तुरंत बाद मौत के शिकार हुए. इस रिपोर्ट के लिए फरवरी 2020 से नवंबर 2020 के बीच की गई रिसर्च में मिस्र की 16 जेलों में कैदियों की स्थिति पर नजर डाली गई है.
एमनेस्टी के महासचिव मार्कुस बीको के मुताबिक संस्था के पास इस बात के सबूत हैं कि जेल अधिकारियों ने "सरकार के आलोचकों को निशाना बनाया और उन्हें पर्याप्त भोजन या उनके परिजनों से मुलाकात की सुविधा" नहीं दी गई. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि मिस्र की जेलों में करीब 114,000 लोग बंद हैं. सरकार कैदियों की खराब स्थिति और उत्पीड़न की खबरों से इनकार करती है. सरकारी समाचार एजेंसी अल अहराम ने इन खबरों को "नकारात्मक अफवाह" करार दिया है.
मिस्र सरकार की पीआर की कोशिश
पिछले हफ्ते मिस्र के गृह मंत्रालय ने एक वीडियो जारी किया था. इस वीडियो में काहिरा की कुख्यात तोराह जेल में कैदियों का आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं से इलाज होते दिखाया गया. इसके साथ ही कैदी वहां जेल के भीतर पढ़ते, पेंटिंग करते या फिर बेकिंग करते नजर आए.
2011 की अरब क्रांति के नतीजे में मिस्र से तानाशाह होस्नी मुबारक की विदाई हो गई. हालांकि उसके बाद से देश अनिश्चितता और अव्यवस्थाओं में घिरा है. स्थिर सरकार नहीं बनने और बार बार चुनाव के कारण देश में पर्यटन से लेकर तमाम दूसरे उद्योग धंधे और अर्थव्यवस्था बुरे हाल में पहुंच गई है. पिरामिडों के लिए पूरी दुनिया में विख्यात देश अकसर आतंकवादी हमलों, राजनीतिक उठापटक और विरोध प्रदर्शनों के कारण खबरों में रहता है.
एनआर/एमजे (डीपीए)
-सौतिक बिस्वास
हाल में ही एक फ़िल्म स्टार की लॉन्च की गई राजनीतिक पार्टी ने वादा किया है कि अगर वह सत्ता में आती है तो घर-गृहस्थी संभाल रही महिलाओं को वेतन दिया जाएगा.
एक क़द्दावर सांसद ने भी इस आइडिया का समर्थन किया है. उन्होंने कहा है कि गृहस्थी संभाल रही महिलाओं को उनकी सेवाओं के लिए पैसे देने से उनकी ताक़त और स्वायत्तता बढ़ेगी और इससे एक यूनिवर्सल बेसिक इनकम पैदा होगी.
ख़ासतौर पर ऐसे वक़्त में जबकि महिलाएं नौकरियों में जगह गंवा रही हैं, इस वादे से एक बड़ी बहस पैदा हो गई है.
पूरी दुनिया में महिलाएं घर-गृहस्थी के कामों में अपने घंटों लगाती हैं और इसके लिए उन्हें कोई पैसा नहीं मिलता है. इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइज़ेशन (आईएलओ) के मुताबिक़, बिना किसी पगार वाले काम करने में सबसे ज़्यादा इराक़ में महिलाएं हर दिन 345 मिनट लगाती हैं, वहीं ताइवान में यह आंकड़ा सबसे कम 168 मिनट है. दुनिया के बाक़ी देशों में महिलाओं के अवैतनिक श्रम पर ख़र्च होने वाला वक़्त इन्हीं दोनों के बीच बैठता है.
औसतन पुरुष बिना पगार वाले घरेलू कामों पर 83 मिनट लगाते हैं, जबकि महिलाएं इसका तीन गुना वक़्त यानी 265 मिनट ऐसे कामों पर ख़र्च करती हैं.
तो क्या महिलाओं को उनके घरेलू कामकाज के लिए पैसे मिलने चाहिए?
भारत में ऐसी महिलाओं की संख्या क़रीब 16 करोड़ है जो कि घर-गृहस्थी संभाल रही हैं. दुनिया के बाक़ी देशों की महिलाओं की तरह से ये भी साफ़-सफ़ाई, खाना पकाना, कपड़े धोने और परिवार के वित्तीय इंतज़ाम देखने का काम करती हैं.
इसके अलावा, महिलाएं बच्चों और अपने सास-ससुर की देखरेख भी करती हैं.
भारत में महिलाओं को घरेलू कामकाज पर 297 मिनट ख़र्च करने पड़ते हैं, जबकि पुरुष केवल 31 मिनट ही ऐसे कामों पर लगाते हैं. पुरुषों का केवल एक-चौथाई हिस्सा ही ऐसे बिना पगार वाले कामकाज करता है, जबकि महिलाओं के मामले में हर पाँच में से चार महिलाएं इन कामों में लगी हुई हैं.
क़ानूनी जानकार गौतम भाटिया तर्क देते हैं कि बिना पगार वाला घरेलू कामकाज "जबरन मज़दूरी" है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थी अर्पण तुलस्यान कहते हैं कि बिना वेतन वाले घरेलू कामकाज को पहचानने की ज़रूरत है.
ज़्यादातर लोगों को हालांकि यह बात पता नहीं होगी कि पिछले 50 से ज़्यादा वर्षों से भारतीय अदालतें वास्तविकता में महिलाओं के बिना पगार वाले कामों पर मुआवज़े के आदेश देती आई हैं. लेकिन, ऐसा केवल उनकी मौत के बाद ही होता है.
किंग्स कॉलेज लंदन में लॉ एंड जस्टिस की प्रोफ़ेसर प्रभा कोटिस्वरण ने 1968 से 2021 के बीच क़रीब 200 मामलों की पड़ताल की है. ये मामले एक ऐसे भारतीय क़ानून के तहत दायर किए गए थे जो कि सभी रोड ट्रांसपोर्ट वाहनों और ख़राब गाड़ी चलाने समेत दूसरी चीज़ों पर पेनाल्टी लगाने से जुड़ा हुआ है.
उन्होंने पाया कि जजों ने घरेलू कामकाज के लिए अच्छी पगार से संबंधित एक बेहतरीन क़ानूनी फ्रेमवर्क विकसित कर लिया था. जज सड़क हादसों में मारी गईं महिलाओं के बिना पगार वाले घरेलू कामकाज की एक वैल्यू निकालते हैं और उनके परिवारजनों को मुआवज़ा दिलाते हैं.
घरेलू कामकाज की वैल्यू तय करते वक़्त जजों ने अवसर की लागत पर नज़र डाली है. यह कुछ ऐसे है कि अगर महिला घर के काम करने की बजाय कुछ और करती तो वह कितना कमा लेती.
इसमें स्किल्ड और अनस्किल्ड वर्कर्स की न्यूनतम मज़दूरी के मानकों और महिला की पढ़ाई-लिखाई को देखते हुए महिलाओं के श्रम का निर्धारण किया जाता है. इसके बाद अदालत मुआवज़े की रक़म तय करती है. इसमें महिला की उम्र और उनकी संतान हैं या नहीं, इन चीज़ों पर भी ग़ौर किया जाता है.
दिसंबर 2020 में एक अदालत ने सड़क हादसे में मारी गई एक 33 साल की घरेलू महिला के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवज़ा दिए जाने का आदेश दिया. इस आदेश में अदालत ने महिला की मासिक सैलरी 5,000 रुपये महीने मानी थी.
सुप्रीम कोर्ट 34 से 59 साल के बीच की मृतक पत्नी के लिए 9,000 रुपये महीने तक की अनुमानित तनख़्वाह के आधार पर मुआवज़ों के आदेश दे चुका है. 62 से 72 साल की आयु की महिलाओं के लिए यह रक़म कम होती है क्योंकि कोर्ट मानता है कि चूंकि इन महिलाओं के बच्चे बड़े हो चुके होते हैं, ऐसे में बच्चों की देखरेख की उनकी ज़िम्मेदारी कम हो जाती है.
अदालतों ने महंगाई के साथ भी मुआवज़े का सामंजस्य बैठाने की कोशिश की है.
एक फ़ैसले में जजों ने शादियों को एक "समान आर्थिक भागीदारी" के तौर पर देखा है और इस तरह से घरेलू महिला की सैलरी पति की सैलरी की आधी बैठती है.
इस तरह के मुआवज़े का सबसे पहला मामला प्रोफे़सर कोटिस्वरण को 1966 के आदेश का मिला है.
इस मामले में कोर्ट ने आदेश दिया था कि पति का अपनी पत्नी के रखरखाव का ख़र्च पत्नी की अनुमानित सैलरी के बराबर होती. ऐसे में उन्हें कोई मुआवज़ा नहीं दिया गया.
अदालतों द्वारा तय की गई कुछ मामलों में मुआवज़े की रक़म नगण्य रही है. लेकिन प्रो. कोटिस्वरण कहती हैं कि बिना पगार वाले काम की किसी पेशे से तुलना करना और मान्यता दिया जाना ही अपने आप में एक बड़ी चीज़ है.
ऐसे में यह सवाल पैदा होता है कि अगर किसी परिवार को महिला के मरने के बाद उसके द्वारा किए जाने वाले बिना पगार के कामकाज के लिए मुआवज़ा मिल सकता है, तो महिला के जिंदा रहने पर उसे तनख़्वाह क्यों नहीं मिल सकती है?
वकील इन फै़सलों का इस्तेमाल घरेलू महिलाओं के बिना पगार वाले कामकाज को मान्यता दिलाने में कर सकते हैं. प्रो. कोटिस्वरण कहती हैं, "केवल विपदा के वक़्त के बजाय इसे सामान्य वक़्त में भी किया जाना चाहिए."
महिलाओं को उनके बिना वेतन वाले घरेलू कामकाज के लिए पैसे मिलने से भारत की गिरती महिला श्रम हिस्सेदारी दर को भी बढ़ाने में मदद मिल सकती है.
प्रो. कोटिस्वरण कहती हैं, "मैं केवल घरेलू महिलाओं के लिए वेतन की माँग नहीं कर रही हूं. इसकी बजाय यह घरेलू कामकाज के लिए वेतन की एक ज़्यादा व्यापक मुहिम से जुड़ा हुआ है. यूएन विमिन जैसे संस्थान इस बात पर बेहद ज़्यादा केंद्रित हैं कि किस तरह से बिना वेतन वाला काम वेतन वाले काम की राह में एक रोड़ा है."
वे कहती हैं, "फ़ोकस इस बात पर ज़्यादा दिखाई देता है कि किस तरह से ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं को वेतन वाले कामों में लाया जाए. भारतीय महिलाओं का संघर्ष कई अहम मसलों से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसमें यह मुद्दा नहीं उठाया जा रहा है कि शादीशुदा जीवन में किस तरह से श्रम का आकलन किया जाएगा."
वे कहती हैं कि इस मसले पर घरेलू महिलाएं कोई बड़ा आंदोलन नहीं तैयार कर पाई हैं.
वे कहती हैं, "ज़्यादातर प्रभुत्वशाली लोग मानते हैं कि घरेलू महिलाओं के लिए वेतन चलने लायक़ चीज़ नहीं है. वे इसे पिछड़ेपन में धकेलने वाला भी मानते हैं. लेकिन, इस मामले पर व्यापक राजनीतिक बहस खड़ी होनी चाहिए कि कैसे घरेलू कामकाज को मान्यता दिलाई जा सकती है. मुझे लगता है कि भारत की करोड़ों घरेलू महिलाएं उन्हें घर चलाने के बदले में मिलने वाली सैलरी के प्रस्ताव का समर्थन करेंगी."
लेकिन, इसे लागू करने को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.
घर में जलाने के लिए लकड़ी का इंतेजाम करके ले जाती हुई एक भारतीय महिला
क्या घरेलू कामकाज के बदले दी जाने वाली पगार नक़द ट्रांसफर से आएगी या यह सरकारी सब्सिडी होगी या यह एक यूनिवर्सल बेसिक इनकम होगी?
क्या महिलाओं के बिना वेतन वाले कामकाज को मान्यता दिलाने के लिए पारिवारिक क़ानूनों में बदलाव होना चाहिए?
क्या घरेलू कामकाज करने वाले पुरुषों को भी पगार मिलनी चाहिए?
क्या ट्रांसजेंडर महिलाओं को भी इन पेमेंट स्कीमों में शामिल किया जाना चाहिए?
घरेलू महिलाओं को सैलरी देने के दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं?
प्रो. कोटिस्वरण कहती हैं, "घरेलू महिलाओं के लिए सैलरी का मसला तय किए जाते वक़्त हमें सभी तरह के संवाद और पहलुओं पर विचार करना होगा." (bbc.com)
रजनी शर्मा
पटना: आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की तबियत ज्यादा खराब होने के बाद रिम्स से उन्हें दिल्ली एम्स रेफर किया गया.इन दिनों लालू प्रसाद यादव का इलाज दिल्ली एम्स में इलाज चल रहा है. जहां उन्हें सीसीयू में भर्ती किया गया मिल रही जानकारी के अनुसार उनकी हालत अब पहले से बेहतर बताई जा रही है निमोनिया संक्रमण में भी कमी आई है.हालांकि,अभी भी स्थिति गंभीर बनी हुई है.इस बीच उनका इको कराया गया है.उनके लिए यहां डॉक्टरों की एक टीम भी बनाई गई है. दिल्ली एम्स में लालू यादव का इलाज विशेषज्ञों की निगरानी में चल रहा है.
गुरुवार की रात रांची रिम्स में लालू प्रसाद की तबियत अचानक ज्यादा बिगड़ गई. बीमारी की खबर मिलते हीं उनकी बड़ी बेटी सांसद मीसा भारती तुरंत दिल्ली से रांची पहुंची,फिर पटना से पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी दोनो पुत्र नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव रांची पहुंचे जहां से उन्हें बेहतर इलाज के लिए दिल्ली एम्स ले जाया गया.
फिलहाल लालू यादव की सेहत को लेकर पूरा परिवार दिल्ली में मौजूद है. इधर,लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ्य की कामना को लेकर उनके समर्थक लगातार हवन पूजन कर रहे हैं. इन सबके बीच अब उनकी रिहाई को लेकर उनकी बेटी रोहिणी आचार्या ने एक नई महिम शुरु कर दी है.
रोहिणी आचार्या ने शुरु की है ये मुहिम
लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्या ने अपने ट्वीटर पर जानकारी साझा करते हुए लिखा है कि आज महामहिम राष्ट्रपति को एक पत्र “आज़ादी पत्र” ग़रीबों के भगवान आदरणीय लालू प्रसाद यादव जी के लिए.... इस मुहिम से जुड़े और अपने नेता के आज़ादी के लिए अपील करे.....जिसने हमें ताक़त दिया आज वक्त उनके ताक़त बनने का... हम और आप बड़े साहब की ताक़त हैं.....
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 23 जनवरी को विक्टोरिया मेमोरियल में हुई घटना का ज़िक्र आज अपनी एक रैली में किया.
हुगली के पुरसुरा में एक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “विक्टोरिया मेमोरियल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में मज़ाक़ उड़ाया गया और अपमान हुआ.”
न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने इस सभा का एक वीडियो पोस्ट करते हुए ममता बनर्जी के हवाले से लिखा है, "नेताजी सुभाष चंद्र बोस सभी के नेता हैं. वे मुझे प्रधानमंत्री के सामने (विक्टोरिया मेमोरियल कार्यक्रम के दौरान) चिढ़ा रहे थे. मैं बंदूक़ों में यक़ीन नहीं रखती, मैं राजनीति में भरोसा करती हूं. भाजपा ने नेताजी और बंगाल का अपमान किया है."
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, ममता बनर्जी ने इस मौक़े पर कहा कि बीजेपी पहले भी बंगाली महानुभावों का अपमान करती रही है और अब भी ऐसा कर रही है.
ममता ने बीजेपी पर हमला करते हुए काफ़ी कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया.
उन्होंने कहा कि बीजेपी का नाम बदलकर 'भारत जलाओ पार्टी' कर देना चाहिए.
बीते दिनों टीएमसी के कई नेता बीजेपी में शामिल हुए हैं. इस संबंध में अपनी बात रखते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि जिन लोगों को टीएमसी छोड़कर जाना है उन्हें जल्द से जल्द चले जाना चाहिए. (bbc.com)
नई दिल्ली, 25 जनवरी | पाकिस्तान लगभग 50,000 करोड़ पीकेआर (पाकिस्तानी मुद्रा) का ऋण प्राप्त करने के लिए इस्लामाबाद के सबसे बड़े पार्क को गिरवी रखवाने की दिशा में सोच-विचार कर रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्ताव को मंगलवार को आयोजित होने वाले संघीय कैबिनेट की बैठक के एजेंडे में शामिल किया गया है।
वीडियो लिंक कॉन्फ्रेंस सिस्टम के जरिए आयोजित इस बैठक को प्रधानमंत्री के आवास और कैबिनेट प्रभाग की एक समिति कक्ष में व्यवस्थित किया जाएगा।
कुछ आर्थिक परेशानियों के चलते प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने एफ-9 या फातिमा जिन्ना पार्क को गिरवी रखवाने का फैसला लिया है, ताकि इसके जरिए बॉन्ड जारी कर ऋण प्राप्त किया जा सके।
इस्लामाबाद के विकास प्राधिकरण ने इस संबंध में एक अनापत्ति प्रमाण पत्र को जारी कर दिया है।
इससे पहले भी यहां की सरकार द्वारा अपने-अपने कार्यकाल के दौरान संस्थानों, इमारतों, सड़कों इत्यादि को गिरवी रखवाकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बॉन्ड्स के माध्यम से लोन प्राप्त किया गया है।
यह एक सार्वजनिक मनोरंजन पार्क है, जो 759 एकड़ की जमीन पर फैला हुआ है। यह पार्क पाकिस्तान के सबसे बड़े हरे-भरे इलाकों में से एक है, जिसका नामकरण फातिमा जिन्ना के नाम पर किया गया है, जो मोहम्मद अली जिन्ना की छोटी बहन हैं। (आईएएनएस)
-आशीष कुमार भार्गव
नई दिल्ली: मीडिया व्यवसाय के खिलाफ शिकायतों के लिए स्वतंत्र निकाय बनाने पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा. SC ने इस संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने मीडिया-व्यवसायों के खिलाफ दर्शकों द्वारा दायर शिकायतों की शीघ्र सुनवाई के लिए एक स्वतंत्र, नियामक मीडिया ट्रिब्यूनल की स्थापना की याचिका पर ये नोटिस जारी किया है. गौरतलब है कि नीलेश नवलखा ने याचिका दाखिल कर कहा है कि सरकार प्रोग्राम कोड के उल्लंघन से निपटने में सक्षम नहीं है और इस तरह के उल्लंघन की जांच करने का अधिकार एक स्वतंत्र निकाय को दिया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता ने कहा है कि मीडिया-व्यवसायों के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और नागरिकों के सूचना के अधिकार व अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा का अधिकार व प्रतिष्ठा के अधिकार के बीच संतुलन लाने के लिए और साथ ही साथ राष्ट्र में शांति और सद्भाव के संरक्षण के हितों में यह जरूरी है. पिछले कुछ वर्षों में, मीडिया ट्रायल, हेट स्पीच, प्रचार समाचार, पेड न्यूज, दिन का क्रम बन गए हैं जिससे पीड़ितों के निष्पक्ष ट्रायल
का अधिकार और निष्पक्ष और आनुपातिक रिपोर्टिंग का अधिकार बाधित हो गया है.
याचिकाकर्ता के अनुसार, जवाबदेही के बिना इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा रिपोर्ट, बिना किसी कल्पना के, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा आनंदित बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार में पढ़ा जा सकता है. वर्तमान याचिका मीडिया-व्यवसाय के मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाने के लिए नहीं है बल्कि केवल गलत सूचना, भड़काऊ कवरेज, फर्जी समाचार, निजता के उल्लंघन आदि के लिए कुछ जवाबदेही लाने के लिए है. उन्होंने एक स्वतंत्र उच्चाधिकार समिति की स्थापना की मांग की जिसकी अध्यक्षता एक सुप्रीम कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश करें और विभिन्न क्षेत्रों/व्यवसायों और केंद्र सरकार के संबंधित हितधारकों से प्रतिष्ठित नागरिकों को शामिल किया जाए जो मीडिया-व्यवसाय विनियमन से संबंधित संपूर्ण कानूनी ढांचे की छानबीन और समीक्षा करे और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित उचित दिशानिर्देशों की सिफारिश करे.
मुंबई, 25 जनवरी (आईएएनएस)| प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को मुंबई में ओंकार ग्रुप के बिल्डरों और इसके अधिकारियों -- बाबूलाल वर्मा और कमल किशोर गुप्ता से जुड़े 10 ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की। ईडी के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, आज ईडी के छापे में मुंबई के प्रमुख बिल्डरों में से एक ओंकार ग्रुप के सात आवासीय और तीन कार्यालय परिसर शामिल थे।
अधिकारी ने कहा कि जिन ठिकानों पर छापेमारी की गई वो वर्मा और गुप्ता से जुड़े हैं।
अधिकारी ने कहा कि समूह पर एसआरए योजनाओं के तहत दी गई विभिन्न अनुमतियों के दुरुपयोग करने का आरोप है। समूह ने यस बैंक से ऋण के रूप में लिए गए लगभग 450 करोड़ रुपये भी डायवर्ट किए थे।
पटना, 25 जनवरी | कृषि कानून को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का दो महीने से प्रदर्शन जारी है। आंदोलनरत किसान 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड निकालने जा रहे हैं। इन्हीं किसानों के समर्थन में बिहार भाकपा (माले) ने भी राज्य के ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की है। भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि 26 जनवरी को बिहार के ग्रामीण इलाकों में जिला और प्रखंड मुख्यालयों पर पार्टी व अखिल भारतीय किसान महासभा के संयुक्त बैनर से ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा।
उन्होंने बताया कि राज्य के अरवल, पूर्वी चंपारण के छौड़ादानो, अररिया, मसौढ़ी, पालीगंज, बेगूसराय, बक्सर सहित कई स्थानों पर ट्रैक्टर मार्च की तैयारी चल रही है।
उन्होंने आगे कहा कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, बिहार में एपीएमसी एक्ट पुनर्बहाल करने की मांग को लेकर 30 जनवरी को महागठबंधन के आह्वान पर आहूत मानव श्रृंखला की तैयारी पूरे जोर शोर से चल रही है।
उन्होंने कहा कि 25 जनवरी पटना सहित सभी जिला मुख्यालयों पर मशाल जुलूस भी निकाला जाएगा। (आईएएनएस)
गजीपुर बॉर्डर, 25 जनवरी | कृषि कानूनों पर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी है। ऐसे में गाजीपुर बॉर्डर पर हजारों की संख्या में ट्रैक्टर आ चुके हैं, जो गणतंत्र दिवस पर परेड में शामिल होंगे। हालांकि किसानों ने परेड के लिए अपनी व्यवस्था बनानी शुरू कर दी है। गाजीपुर बॉर्डर पर परेड को शुरू करने का समय मंगलवार को करीब 11 बजे तय किया गया है।
किसानों ने इस ट्रैक्टर परेड के किए ड्रोन कैमरे का इंतजाम किया है, वहीं किसानों ने अपनी तरफ से कुछ कैमरा पर्सन भी बुला लिए हैं जो हर व्यक्ति पर नजर बनाए रखेंगे।
किसान नेताओं ने परेड के लिए सैंकड़ों वॉलंटिअर्स तैयार किये हैं जो 26 जनवरी की परेड में व्यवस्था बनाएंगे। साथ ही नेशनल हाईवे 24 पर सिर्फ ट्रैक्टर चलेंगे, वहीं नेशनल हाईवे 9 पर मीडियाकर्मी और वोलंटियर्स रहेंगे, ताकि व्यवस्था बनी रहे और शांतिपूर्ण तरीके से परेड की जा सके।
परेड के लिए 12 जोन बनाए गए है जिनमें परेड जहां से शुरू होगी वहीं से आखिरी पॉइंट तक बीच में कोई कट नहीं दिया जाएगा। गाजीपुर बॉर्डर से परेड शुरू होने के बाद मेरठ पर कट दिया जाएगा ताकि जिसको निकलना है वो निकल सके। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 25 जनवरी | कृषि सुधार पर तकरार के बीच देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर ट्रैक्टरों की झांकी निकलेगी। इसे 'किसान गणतंत्र परेड' नाम दिया गया है। किसानों का यह परेड गणतंत्र दिवस का मुख्य समारोह संपन्न होने के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा चिन्हित मार्गों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात के बीच निकलेगा और इसकी मुकम्मल तैयारी हो चुकी है। नये केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सभी फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की अगुवाई करने वाले किसान संगठनों का संघ संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान गणतंत्र परेड निकलेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा का घटक भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने बताया कि किसान परेड की तैयारी मुकम्मल हो चुकी है और सोमवार को मोर्चे की बैठक में इस तैयारी की फिर समीक्षा की जाएगी। किसान परेड में कितने ट्रैक्टर शामिल होने का अनुमान है, इस सवाल पर हरिंदर सिंह ने कहा कि इस परेड में लाखों ट्रैक्टर के साथ किसान हिस्सा लेने जा रहे हैं।
किसानों का मुख्य प्रदर्शन स्थल सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर दो महीने से डेरा डाले किसानों में इस किसान गणतंत्र परेड को लेकर काफी उत्साह है। ऑल इंडिया किसान सभा के पंजाब के जनरल सेक्रेटरी मेजर सिंह पुनावाल ने बताया कि किसान इस परेड को लेकर काफी उत्साहित हैं क्योंकि देश की राजधानी की सड़कों पर यह पहला मौका है जब किसान गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टरों की झांकी निकालेंगे।
दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को तीन मार्गों पर ट्रैक्टर रैली निकालने की अनुमति दी है। पहला रूट सिंघु बॉर्डर से आरंभ होकर संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर होते हुए बवाना तक निर्धारित किया गया है। वहीं, दूसरा रूट टिकरी बॉर्डर से आरंभ होकर नागलोई, नजफगढ़ झरोदा ढांसा, बादली और तीसरा रूट गाजीपुर बॉर्डर से आरंभ करके अप्सरा बॉर्डर से हापुड़ रोड तक निर्धारित किया गया है।
मेजर सिंह ने कहा, हम भीतरी रिंग रोड पर परेड निकालने की मांग कर रहे थे, लेकिन सुरक्षा कारणों से वहां इजाजत नहीं मिली। हालांकि जिन मार्गों पर हमें परेड निकालने की अनुमति दी गई है उन पर हम शांतिपूर्ण तरीके से पूरे अनुशासन के साथ झांकी निकालेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा ने एक दिन पहले ही ट्रैक्टर रैली में शामिल होने वाले किसानों को निर्देश व हिदायतें देते हुए कहा, हम दिल्ली को जीतने नहीं जा रहे हैं, हम देश की जनता का दिल जीतने जा रहे हैं।
मेजर सिंह ने बताया कि 26 जनवरी पर दिल्ली में होने जा रहे किसान परेड में देशभर के किसान हिस्सा ले रहे हैं और पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के तमाम राज्यों के किसान अपने-अपने गांवों से ट्रैक्टर के साथ यहां पहुंचे हैं।
भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने भी बताया कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान समेत देश के अन्य प्रांतों से भी किसान दिल्ली की सीमाओं पर स्थित मुख्य प्रदर्शन स्थलों पर पहुंचे हैं।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने और एमएसपी पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से किसान डेरा डाले हुए हैं।
तीनों कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि फिलहाल रोक लगा दी है और शीर्ष अदालत द्वारा गठित विशेषज्ञों की कमेटी इन कानूनों पर देशभर के किसान संगठनों व हितधारकों से मशविरा कर रह रही है।
किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर सरकार के साथ किसान यूनियनों की 11 दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं। सरकार ने किसान यूनियनों को इन कानूनों के अमल पर डेढ़ साल तक रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों को यह प्रस्ताव मंजूर नहीं है और वे तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं। (आईएएनएस)
गाजीपुर (उत्तर प्रदेश), 25 जनवरी | गाजीपुर पुलिस ने किसानों के आंदोलन के तहत 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के मद्देनजर पेट्रोल पंपों से ट्रैक्टरों को ईंधन देने से रोकने के आदेश को वापस ले लिया है। समाजवादी पार्टी ने ट्विटर पर इससे संबंधित एक खबर साझा की थी जिसमें कहा गया था कि 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली में भाग लेने से रोकने के लिए उप्र पुलिस द्वारा किसानों को घर में नजरबंद रखा गया है।
गाजीपुर पुलिस अधीक्षक, ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि, वह सुहवल और सैदपुर पुलिस थानों के प्रभारियों द्वारा जारी किए गए आदेशों के बारे में जानकर चौंक गए और एएसपी (ग्रामीण) से मामले की जांच करने को कहा है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिले में इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
एसपी ने कहा कि उन्होंने सड़क सुरक्षा माह के मद्देनजर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सड़कों, विशेष रूप से राजमार्गों पर पूरी तरह से फिट ट्रैक्टरों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए थे, लेकिन दो पुलिस स्टेशनों के पुलिस द्वारा इस आदेश की गलत व्याख्या की गई थी।
सुहवल पुलिस स्टेशन के पुलिस अधिकारियों ने एक आदेश जारी कर पेट्रोल पंपों को ट्रैक्टरों को ईंधन नहीं देने को कहा।
इस आदेश में कहा गया है, "26 जनवरी को देखते हुए, राज्य में हाई अलर्ट लगा दिया गया है और धारा 144 सीआरपीसी के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश प्रभावी हैं। किसानों द्वारा ट्रैक्टर रैली निकालने की संभावना के मद्देनजर, ट्रैक्टरों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया है। आपको शांति बनाए रखने के लिए 22 जनवरी से 26 जनवरी तक ट्रैक्टर, ड्रम या कंटेनर में तेल देना बंद करने के लिए निर्देशित किया गया है।"
दूसरी ओर, सैदपुर पुलिस ने 26 जनवरी तक राजमार्ग पर ट्रैक्टरों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।
सैदपुर इंस्पेक्टर ने ट्रैक्टर मालिकों को यह कहते हुए नोटिस जारी करना शुरू कर दिया कि, राष्ट्रीय त्योहार, फ्लैग मार्च और सड़कों पर स्कूली बच्चों की आवाजाही को देखते हुए ट्रैक्टरों की आवाजाही की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि सड़क सुरक्षा सप्ताह के भाग के रूप में जांच के दौरान कोई भी ट्रैक्टर सड़क पर पाया जाता है, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।
यह मामला तब सामने आया जब समाजवादी पार्टी ने ट्विटर पर लिखा, "26 जनवरी को होने वाली किसान ट्रैक्टर परेड को रोकने के लिए, भाजपा सरकार पूर्वांचल के किसानों को घर में नजरबंद करके रख रही है और पेट्रोल पंप वालों को उन्हें डीजल न देने को कह रही है। कॉपोर्रेट के लालच में अंधी सरकार अन्नदाता पर तमाम तरह के अत्याचार कर रही है।" (आईएएनएस)
लखनऊ, 25 जनवरी | उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है और कहा है कि वह 'दानव संस्कृति' से पीड़ित हैं और उनका डीएनए 'खराब' है। बलिया विधायक का यह बयान कोलकाता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में शनिवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान 'जय श्रीराम' के नारे लगाए जाने पर ममता बनर्जी की नाराजगी व्यक्त करने के बाद आया।
बीजेपी विधायक ने संवाददाताओं से कहा, ममता बनर्जी के डीएनए में दोष है, वो राक्षसी संस्कृति की हैं। कोई भी राक्षस भगवान राम से प्रेम नहीं कर सकता है। वो एक बेईमान और दुष्ट ('शैतान') व्यक्ति हैं। भगवान राम के लिए उनकी नफरत स्वाभाविक है।''
सिंह ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल के सदस्यों द्वारा की गई हिंसा और हत्या उनके 'बुरे' कृत्य का सबूत देती है।
विवादास्पद बयान देने के लिए जाने जाने वाले भाजपा विधायक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और बसपा अध्यक्ष मायावती को भी निशाना बनाते रहे हैं। (आईएएनएस)
पटना, 25 जनवरी | गणतंत्र दिवस के दिन बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में इस साल बिहार के पर्यटनस्थलों की तो झांकी दिखेगी ही साथ ही लोगों को कोरोना से बचाव और 'ऑनलाइन शिक्षा, वक्त की जरूरत' का संदेश भी दिया जाएगा। इस साल प्रस्तुत झांकियां अन्य सालों से कम दिखेंगी। पटना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया कि इस वर्ष 10 विभागों द्वारा विभिन्न विषयों पर झांकियां प्रस्तुत की जाएंगी। गणतंत्र दिवस के मौके पर यहां राज्यपाल फागू चौहान झंडोत्तोलन करेंगे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसारद, रेणु देवी सहित कई अन्य लोग मौजूद रहेंगे।
इस वर्ष कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा बुद्घ सम्यक दर्शन संग्रहालय और स्मृति स्तूप, पर्यटन निदेशालय द्वारा वैशाली कोल्हुआ से जुड़े मुख्य पर्यटक स्थल झाकियों के माध्यम से दिखेंगे। इसके अलावा भवन निर्माण विभाग द्वारा बापू टावर, कृषि विभाग द्वारा बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति 2020 और शिक्षा विभाग द्वारा 'ऑनलाइन शिक्षा वक्त की जरूरत' पर झांकी निकाली जाएगी।
गणतंत्र दिवस के मौके पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा 'जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं', महिला विकास निगम एवं जीविका द्वारा सशक्त महिला, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग और वन विभाग द्वारा इको टूरिज्म, जल संसाधन विभाग एवं लघु सिंचाई विभाग के हर खेत को पानी और उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान व उद्योग विभाग द्वारा आत्मनिर्भर बिहार की थीम पर आधारित झांकी बिहार के भविष्य को दिखाती निकाली जाएगी।
कारोना के कारण इस साल गणतंत्र दिवस के मौके पर गांधी मैदान में लोगों की संख्या अधिक नहीं होगी। प्रवेश द्वार पर भी भीड़ नहीं लगाने का निर्देश दिया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 25 जनवरी | सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 22वें विधि आयोग की स्थापना के लिए इसके चेयरपर्सन और सदस्यों की मांग करने वाले एक जनहित याचिका पर केंद्र और कानून मंत्रालय से जवाब मांगा है। अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में दावा किया गया है कि वर्तमान में विधि आयोग के काम न करने से केंद्र कानून के विभिन्न पहलुओं पर इस निकाय के लाभ से वंचित हैं। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर संक्षित सुनवाई के बाद नोटिस जारी किया।
याचिका के मुताबिक, 31 अगस्त, 2018 को जस्टिस बीएस चौहान के कार्यकाल के समाप्त होने के बाद पिछले 2 साल, 5 महीने से चेयरपर्सन की कुर्सी खाली है।
कमीशन द्वारा कानून में अनुसंधान का काम किया जाता है और साथ ही मौजूदा कानूनों की भी समीक्षा की जाती है, ताकि उनमें बदलाव लाया जा सके या नए कानूनों का निर्माण किया जा सके। (आईएएनएस)