राष्ट्रीय
कर्नाटक ने पिछले साल बिट्टी चाकरी पर प्रतिबंध लगा दिया था. इससे दलितों की हालत सुधरने की उम्मीद है क्योंकि वे जमींदारों के घरों में मामूली पैसे पर काम करने को मजबूर थे. हालांकि कई दलित अब भी कर्ज के बोझ तले दबे हैं.
इंदुमती शिवराज की दिनचर्या एक दशक से अधिक समय से एक जैसी है. तड़के वह उठकर अपने "मालिक" के घर जाती हैं और मवेशियों को बाड़े से बाहर करती हैं. वह अहाते और उपकरणों को साफ करती हैं. चार घंटे बाद वह घर की ओर लौट जाती हैं. हर दिन 45 वर्षीय शिवराज को एक कप चाय मिलती है. उन्हें साल में तीन हजार रुपये और कुछ बोरी अनाज बतौर मजदूरी मिलते हैं.
शिवराज उन हजारों दलितों में शामिल हैं जो कर्नाटक राज्य में ऊंची जाति के लोगों के घरों में बिना पैसे या ना के बराबर पैसे लिए "बिट्टी चाकरी" नामक एक प्रथा के तहत काम करते हैं, जिसे हाल ही में गैरकानूनी घोषित किया गया है. सरकार ने पिछले साल नवंबर में इस प्रथा पर लंबे अर्से की मांग के बाद प्रतिबंध लगा दिया था. गुलामी विरोधी समूह लंबे समय से "बिट्टी चाकरी" को बंधुआ मजदूरी करार देने की मांग कर रहे थे.
"बिट्टी चाकरी" के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली जीविका संस्था के किरण कमल प्रसाद कहते हैं, "तथ्य यह है कि आज भी इस तरह की बंधुआ मजदूरी हमारे देश में मौजूद है." भारत में बंधुआ मजदूरी के खात्मे के लिए पहली बार कानून 1976 में बना था. कानून में बंधुआ मजदूरी को अपराध की श्रेणी में रखा गया था. साथ ही बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराए गए लोगों के आवास व पुर्नवास के लिए दिशा निर्देश भी इस कानून का हिस्सा हैं.
लेकिन आज भी लाखों लोग बतौर बंधुआ मजदूर ईंट भट्टों, खेत, चावल मिलों में काम कर कर्ज चुकाने की कोशिश करते हैं. प्रसाद कहते हैं बिट्टी चाकरी में आमतौर पर चुकाने के लिए कर्ज नहीं होता है, बल्कि एक रिवाज को पूरा करने का दायित्व होता है. मुफ्त श्रम पीढ़ियों से चला आता रहता है, नतीजतन यह दशकों तक बंधुआ मजदूरी में बदल जाता है.
प्रसाद के मुताबिक, "गुलामी का यह रूप कर्ज से जुड़ा नहीं होता है जहां लोगों को काम करके अपना कर्ज चुकाना होता है. यहां पर तो कोई कर्ज ही नहीं होता है. यहां एक समझ है कि दलित व्यक्ति जमींदार के यहां काम करने को बाध्य है. वह भी व्यावहारिक रूप से मुफ्त में."
कर्नाटक में बंधुआ मजदूरी रोधी विभाग के निदेशक रेवनप्पा के कहते हैं, "यह सदियों पुरानी प्रथा थी जहां जमींदार निचली जाति के लोगों को काम करने के बदले में उन्हें अनाज दिया करते थे." थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से उन्होंने कहा, "आज के समय में हम इसको एक बंधुआ मजदूरी के रूप में देख रहे हैं. सिर्फ अनाज नहीं, उचित वेतन मिलना चाहिए."
शिकायत करने से डरते हैं
जीविका ने कर्नाटक के 15 जिलों में तीन हजार से अधिक दलित परिवारों को "मुफ्त में काम" करता पाया. संस्था की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 10 हजार लोग बिना मजदूरी के शादी, अंतिम संस्कार और अन्य कार्य करने को मजबूर थे. इसके बदले में उन्हें मक्का, गेहूं या दालें दी गईं और कुछ मौकों पर बहुत कम पैसे दिए गए. सामाजिक कार्यकर्ता इंदुमती सागर बीदर जिले के गांवों का दौरा करती हैं और दलितों के घर जाकर पूछती हैं कि वे कहां काम करते हैं और कितना कमाते हैं.
सागर कहती हैं, "बिट्टी चाकरी में अब भी बहुत लोग फंसे हुए हैं. वे जमींदारों के खिलाफ शिकायत करने से डरते हैं." बीदर से फोन पर सागर ने बताया, "वे जानते हैं कि उनका शोषण हो रहा है, वे अपने अधिकार को समझते हैं लेकिन परंपरा तोड़कर बाहर आना उनके लिए बहुत मुश्किल है."
शिवराज अपने "मालिक" के यहां काम करने के अलावा कम वेतन पर दूसरी जगह पर भी काम करती हैं. उनका कहना है कि बिट्टी चाकरी पर प्रतिबंध लगने के बाद उन्हें इस प्रथा से बाहर आने का रास्ता मिलेगा और परिवार को ज्यादा पैसे कमा कर कर्ज चुकाने का मौका मिलेगा. शिवराज कहती हैं, "हमने इसे वास्तविकता के रूप में स्वीकार कर लिया था लेकिन उम्मीद है कि प्रतिबंध से भविष्य में शायद चीजें बदल जाएंगी. अगर हमें उचित मजदूरी मिलती है तो हम फिर से कर्ज लेने के लिए मजबूर नहीं होंगे."
एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
दिल्ली में धरने पर बैठे किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए महाराष्ट्र के कई जिलों से किसान बड़ी संख्या में मुंबई में इकठ्ठा हो रहे हैं. तीन दिनों का यह धरना मुंबई के आजाद मैदान में होगा.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा-
पिछले दो महीनों से दिल्ली तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का केंद्र बनी हुई है, लेकिन अब मुंबई में भी किसानों के आंदोलन के स्वर गूंजेंगे. दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मुंबई के आजाद मैदान में महाराष्ट्र के कई जिलों से किसान बड़ी संख्या में जमा हो रहे हैं.
ताजा रिपोर्टों के अनुसार प्रदेश के 21 जिलों से किसान मुंबई पहुंच चुके हैं और कई और किसान अपने अपने जिलों से निकल चुके हैं. सोमवार 25 जनवरी को आजाद मैदान में एक बड़ी रैली आयोजित करने की योजना है, जिसे कई राजनीतिक पार्टियों के नेता भी संबोधित करेंगे. इनमें एनसीपी के अध्यक्ष और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार भी शामिल हैं.
पवार तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और प्रदेश के किसानों के बीच उन्हें काफी समर्थन प्राप्त है. उम्मीद की जा रही है कि उनकी उपस्थिति की वजह से रैली के काफी बड़ी संख्या में उनके समर्थक और किसान जुड़ेंगे.
रैली का आयोजन संयुक्त किसान मोर्चा ने किया है, जो दिल्ली में धरने पर बैठे किसानों के कई संगठनों का एक संयुक्त संगठन है. मुंबई में इस धरने का आयोजन अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर के तले किया जा रहा है. इसमें जुटने वाले किसान भी तीनों नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.
सोमवार को आजाद मैदान से एक जत्था राज भवन तक पदयात्रा भी निकालेगा और राज्यपाल को कृषि कानूनों के खिलाफ एक ज्ञापन सौंपेगा. धरने का अंत 26 जनवरी की सुबह राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद होगा.
दिल्ली में होगी किसान परेड
इस बीच दिल्ली में 26 जनवरी को किसानों को अपनी ही परेड निकालने की दिल्ली पुलिस ने अनुमति दे दी है. हालांकि पुलिस ने किसानों से कहा है कि वो गणतंत्र दिवस की आधिकारिक परेड को बाधित नहीं करेंगे और अपनी परेड उस परेड के खत्म हो जाने के बाद निकालें.
दो महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों को परेड के लिए पहली बार दिल्ली के अंदर प्रवेश करने का अवसर मिलेगा. किसानों को कहा गया है कि वो राष्ट्रीय राजधानी के अंदर आ सकते हैं लेकिन उन्हें एक तय मार्ग पर कुछ स्थानों से होते हुए फिर से दिल्ली की सीमाओं से बाहर निकल जाना होगा.
सिंघु बॉर्डर से दिल्ली आने वाले ट्रैक्टर 62 किलोमीटर की यात्रा तय करेंगे, टिकरी बॉर्डर से आने वाले 64 किलोमीटर और गाजीपुर बॉर्डर से 46 किलोमीटर. पुलिस का अनुमान है कि 10,000 से भी ज्यादा ट्रैक्टर किसान परेड में शामिल होंगे. संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी किसानों को परेड को शांतिपूर्ण रखने के लिए कहा है.
भारतीय सेना ने सिक्किम के नाकु ला में भारत-चीन सीमा के नज़दीक नाकुला में भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प होने की पुष्टि की है.
सेना ने इस पूरे मामले पर बयान जारी कर रहा है कि "उत्तर सिक्किम के नाकुला इलाके में 20 जनवरी को भारतीय सेना और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच मामूली झड़प हुई और ये मामला स्थानीय कमांडरों ने नियमों के मुताबिक़ सुलझा भी लिया है."
सेना ने मीडिया से कहा है कि वो इस संबंध में तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश करने से बचें.
इससे पहले समाचार एजेंसी एएफ़पी ने भारतीय मीडिया में छपी रिपोर्टों के हवाले से कहा है कि झड़प में दोनों पक्षों के ही सैनिक घायल हुए हैं.
कथित तौर पर ये घटना तीन दिन पहले की है जब उत्तरी सिक्किम के नाकुला सीमा पर कुछ चीनी सैनिक सीमा पार कर भारत की तरफ आ गए थे जिस कारण ये विवाद पैदा हुआ.
भारतीय मीडिया में आ रही ख़बरों के अनुसार क़रीब झड़प में 20 चीनी सैनिकों के घायल होने की बात की जा रही है. वहीं दूसरी ओर क़रीब चार भारतीय सैनिकों के घायल होने की बात की जा रही है.
इधर लद्दाख के पास बीते कई महीनों से जारी सीमा विवाद को सुलझाने के लिए बीते रविवार मोल्डो इलाके में कमांडर स्तर की 9वें दौर की बातचीत ख़त्म हुई है.
भारत और चीन दोनों पक्षों ने अलग-अलग फ्रिक्शन प्वॉइंट्स पर सेनाओं के बीच डिसइंगेजमेंट बढ़ाने को लेकर सैन्य कमांडरों के स्तर की और राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी है. लेकिन बताया जाता है कि इस समय वही स्थिति बनी हुई है जो कि अगस्त - सितंबर के महीने में थी.
गलवान घाटी मामला
बीते साल जून के महीने में देश के उत्तर में लद्दाख़ के नज़दीक लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के पास दोनों पक्षों में झड़प हुई थी जिससे तनाव की स्थिति पैदा हुई. 15 जून को हुई इस झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की मौत हुई.
भारत का कहना था कि गलवान घाटी इलाक़े को लेकर चीन लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल दोनों मुल्कों के बीच हुई सहमति का सम्मान नहीं कर सका और लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के ठीक नज़दीक निर्माण कार्य शुरु किया. जब उन्हें ऐसा करने से रोका गया तो उन्होंने हिंसक क़दम उठाए जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई.
झड़प के बाद भारत के चार अधिकारी और छह जवानों को अपने क़ब्ज़े में ले लिया था जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया.
लेकिन चीन ने इस मामले में दावा किया कि समूची गलवान घाटी उसके अधिकार क्षेत्र में है. चीन ने कहा भारतीय सैनिकों ने जानबूझकर उकसावे वाली कार्रवाई करते हुए प्रबंधन और नियंत्रण की यथास्थिति को बदल दिया.
लेकिन इस घटना के बाद मामले ने तूल पकड़ा और भारत ने सौ से अधिक चीनी मोबाइल ऐप्स पर पाबंदी लगा दी थी. (bbc.com)
लखनऊ, 25 जनवरी | बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने केंद्र सरकार से तीनों नए कृषि कानून वापस लेने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर किसी नई परम्परा की शुरूआत न हो। मायावाती ने सोमवार को ट्विटर के माध्यम से लिखा है, बसपा का केन्द्र सरकार से पुन: अनुरोध है कि आन्दोलित किसानों की मांगों में से खासकर तीन कृषि कानूनों को जरूर वापस ले लेना चाहिए, ताकि कल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर किसी नई परम्परा की शुरूआत न हो तथा न ही दिल्ली पुलिस के संदेह के मुताबिक कोई गलत व अनहोनी हो सके।
इससे पहले उन्होंने लिखा था कि काफी समय से दिल्ली की सीमाओं पर आन्दोलन कर रहे किसानों व केन्द्र सरकार के बीच वार्ता एक बार फिर से नाकाम रही, जो अति-चिन्ता की बात है। केन्द्र से पुन: अनुरोध है कि नए कृषि कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग को स्वीकार करके इस समस्या का शीघ्र समाधान करे।
ज्ञात हो कि कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को लंबी जद्दोजहद के बाद आखिर पुलिस ने कुछ शर्तों के साथ राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड निकालने की इजाजत दे दी। 26 जनवरी को राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड खत्म होने के बाद किसान दिल्ली के तय रूटों पर ही ट्रैक्टर परेड निकाल सकेंगे। सिर्फ सिंघु, टीकरी व गाजीपुर बार्डर पर परेड निकालने की इजाजत दी गई है। (आईएएनएस)
बरेली (यूपी), 25 जनवरी | उत्तर प्रदेश में बरेली के शीशगढ़ इलाके से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां पुरानी रंजिश को लेकर एक 45 वर्षीय शख्स को कंटीले तारों से बांधकर आग के हवाले कर दिया गया। धरमपाल के जले हुए शव की खबर शनिवार देर रात को लगी और रविवार देर शाम को दो लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई।
शीशगढ़ के स्टेशन हाऊस ऑफिसर (एसएचओ) राजकुमार भारद्वाज ने कहा, "हमारी फॉरेंसिक टीम ने नमूने इकट्ठे कर लिए हैं और जांच भी शुरू कर दी है। अब तक मिले सबूतों से मालूम पड़ता है कि आदमी को जबरदस्ती पेड़ से बांधकर आग के हवाले किया गया।"
रविवार को कराए गए पोस्टमार्टम के नतीजे में पाया गया कि मरने से पहले जलने के दर्दनाक घाव का अनुभव करने के एक सदमे के रूप में शख्स की मौत हुई है। इसका मतलब यह है कि धरमपाल को जिस वक्त आग के हवाले किया गया, उस वक्त वह जिंदा था।
मृतक के भाई भीषणलाल ने कहा कि धरमपाल का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी गई।
उन्होंने बताया, "शुक्रवार रात को खाना खाने के बाद वह सोने चले गए और इसके बाद कुछ घंटे तक लापता रहे। घर से करीब 800 मीटर की दूरी पर उनकी जली हुई बॉडी मिली। उनके पैरों में चप्पल नहीं थे।"
उनके साले मंगल देव ने कहा, "उनकी बॉडी पेड़ से कसकर बंधी हुई थी। निर्ममता से उनकी हत्या की गई।"
धरमपाल की बेटी ने हत्या के लिए पड़ोसियों को दोषी ठहराया है।
बरेली के एसएसपी रोहित सिंह सजवान ने कहा, "धरमपाल की मौत अभी भी एक रहस्य है। उनके परिवारवालों ने अभी भी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है। हमने उनके परिवार से लिखित में शिकायत दर्ज करने को कहा है। धरमपाल द्वारा छोड़ा गया नोट भी अस्पष्ट है। नोट में जिन दो लोगों का नाम शामिल हैं, वे इनके पड़ोसी हैं, जिन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ किया जा रहा है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 25 जनवरी | जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित देशों की सूची में भारत विश्व के शीर्ष दस देशों में शुमार है। इस आशय की जानकारी जर्मनी स्थित पर्यावरण संबंधी थिंकटैंक 'जर्मनवाच' द्वारा सोमवार को प्रकाशित ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2021 में दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि जलवायु परिवर्तन से होने वाले असर दुनियाभर में दिखाई दे रहे हैं, लेकिन तूफान, बाढ़ और भीषण गर्मी जैसी प्रतिकूल मौसम से जुड़ी परिस्थितियों का असर विकासशील देशों में रहने वालों पर अधिक पड़ा है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चक्रवाती तूफान 'इडाई' को तबाही की दृष्टि से 'अफ्रीका के इतिहास का सबसे भयावह तूफान' की संज्ञा दी है। यह तूफान दक्षिण-पश्चिम हिन्द महासागर क्षेत्र में सबसे खतरनाक एवं तबाही मचाने वाला तूफान माना जाता है। इस तूफान ने 2019 में मोजांबिक और जिम्बाबवे में भारी तबाही मचाई थी जिसमें जान-माल की भारी क्षति हुई थी।
इन दोनों देशों के अलावा एक तीसरा देश भी है जिसने प्रलयकारी तूफान का दंश झेला है। बहमास में 'डोरियन' नामक तूफान ने काफी नुकसान पहुंचाया था। अगर इस क्षेत्र में विगत दो दशकों (2000-2019) के मौसम संबंधी घटनाक्रमों पर हम नजर डालें तो पाते हैं कि पूर्तो रिको, म्यांमार और हैती जैसे देश इन घटनाओं से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं।
बहरहाल, ग्लोबल क्लाइमेट अडैप्टेशन समिट शुरू होने के कुछ घंटे पहले ही यह ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2021 रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। जर्मनवाच के डेविड एक्सटीन ने कहा कि ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स यह दर्शाता है कि इस तरह के जटिल मौसम संबंधी घटनाओं से गरीब देश इनके परिणामों से जूझने की चुनौतियों का सर्वाधिक सामना करते हैं। उन्हें तत्काल आर्थिक व तकनीकी सहायता प्रदान किए जाने की दरकार है।
उन्होंने आगे कहा कि यह एक चिंता की बात है कि हालिया कुछ अध्ययन यह दर्शाते हैं कि औद्योगिकृत देशों द्वारा प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर के संकल्प को पूरा कर पाना दुष्कर है। दूसरी अहम बात यह है कि आर्थिक सहायता के मद में इस राशि का केवल एक छोटा हिस्सा ही उन देशों तक पहुंचा है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वर्ष 2000 से 2019 के बीच सर्वाधिक प्रभावित दस देशों में से आठ विकासशील देश हैं जहां प्रति व्यक्ति आय बहुत ही कम है। वर्ष 2019 में सर्वाधिक प्रभावित देशों में भारत सातवें स्थान पर रहा।
जर्मनवाच की रैंकिंग पर अपनी प्रतिक्रिया में भारत इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी के रिचर्स डायरेक्टर अंजल प्रकाश ने कहा कि अगर भारत ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2021 में 10 सबसे प्रभावित देशों में शुमार है तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि एक वैज्ञानिक के तौर पर हम उन बिंदुओं पर विचार कर रहे हैं कि तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण एक बड़े बाजार के रूप में उभरते भारत पर इसका क्या प्रतिकूल असर हो सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर करती है और कृषि क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले प्रभावों की मार पड़ रही है। (आईएएनएस)
उत्तर प्रदेश के ग़ीज़ीपुर ज़िले में 17 साल के एक नाबालिग़ लड़के को धर्मांतरण विरोधी क़ानून और अपहरण के आरोप में हिरासत में लिया गया है।
उस पर इस हफ्ते की शुरुआत में 15 साल की एक लड़की को अगवा करने का आरोप है। आरोप है कि इस हफ्ते की शुरुआत में लड़की को उस समय अगवा किया गया, जब वह दवाइयां ख़रीदने बाज़ार गई थी।
धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत यह पहला मामला है, जिसमें एक नाबालिग़ के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने 22 जनवरी को लड़के को हिरासत में लिया, उस समय लड़की भी उसके साथ ही थी।
क्षेत्र के सर्किल अधिकारी ने कहा कि लड़के को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष पेश किया गया जहां से उसे संरक्षण गृह भेज दिया गया है। अभी मजिस्ट्रेट के समक्ष लड़की के बयान की जांच की जानी बाक़ी है।
अधिकारी का कहना है कि लड़की की चिकित्सकीय जांच की गई और कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद उसे उसके परिवार को सौंपा जाएगा।
घटना के अगले दिन लड़की की मां पुलिस स्टेशन गईं और पुलिस को बताया कि पड़ोस के गांव के एक लड़के ने शादी के बहाने उनकी बेटी को अगवा किया है।
लड़की की मां का कहना है कि लड़का उनकी बेटी का धर्म परिवर्तन करा सकता है।
ज्ञात रहे कि पिछले साल 24 नवम्बर को उत्तर प्रदेश सरकार तथाकथित ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए शादी के लिए धर्म परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 ले आई थी।
इसमें विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर विभिन्न श्रेणियों के तहत अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हज़सर तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है, जहां लव जिहाद को लेकर इस तरह का क़ानून लाया गया। (parstoday)
सिंघु बॉर्डर, 25 जनवरी | कृषि कानून को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का 2 महीने से प्रदर्शन जारी है। किसानों को 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड निकालने की इजाजत मिल गई है और इसके लिए रूट तय किए गए हैं। हालांकि इस परेड को शांतिपूर्ण तरह से करने के लिए किसान संगठनों ने कुछ हिदायतें जारी की हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से कहा गया, हम इतिहास बनाने जा रहे हैं। आज तक देश में गणतंत्र दिवस पर इस देश के गण यानी कि हम लोगों ने कभी इस तरह परेड नहीं निकाली है। हमें ध्यान रखना है कि इस ऐतिहासिक परेड में किसी किस्म का धब्बा ना लगने पाए। परेड शांतिपूर्वक और बिना किसी वारदात के पूरी हो इसमें हमारी जीत है। याद रखिए, हम दिल्ली को जीतने नहीं जा रहे, हम देश की जनता का दिल जीतने जा रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से साफ किया गया है, परेड में ट्रैक्टर और दूसरी गाड़ी चलेंगी, लेकिन ट्रॉली नहीं जाएगी। जिन ट्रॉलियों में विशेष झांकी बनी होगी, उन्हें छूट दी जा सकती है। पीछे से ट्रॉली की सुरक्षा का इंतजाम करके जाएं।
अपने साथ 24 घंटे का राशन पानी पैक करके चलें। जाम में फंसने पर ठंड से बचाव का इंतजाम भी रखें। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा की अपील है कि हर ट्रैक्टर या गाड़ी पर किसान संगठन के झंडे के साथ-साथ राष्ट्रीय झंडा भी लगाया जाए। किसी भी पार्टी का झंडा नहीं लगेगा।
अपने साथ किसी भी तरह का हथियार ना रखें, लाठी या जेली भी ना रखें। किसी भी भड़काऊ या नेगेटिव नारे वाले बैनर ना लगाएं। वहीं परेड में शामिल होने की सूचना देने के लिए आप मिस्ड कॉल लगा दें।
हालांकि मोर्चा ने परेड के दौरान कुछ हिदायतें भी दी हैं, जिनमे कहा गया है कि परेड की शुरुआत किसान नेताओं की गाड़ी से होगी। उनसे पहले कोई ट्रैक्टर या गाड़ी रवाना नहीं होगी। हरे रंग की जैकेट पहने हमारे ट्रैफिक वॉलिंटियर की हर हिदायत को मानें।
कहा गया कि परेड का रूट तय हो चुका है। उसके निशान लगे होंगे। पुलिस और ट्रैफिक वॉलिंटियर आपको गाइड करेंगे। जो गाड़ी रूट से बाहर जाने की कोशिश करेगी उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
संयुक्त किसान मोर्चा का फैसला है कि अगर कोई गाड़ी सड़क पर बिना कारण रुकने या रास्ते में डेरा जमाने कि कोशिश करती है, तो हमारे वॉलंटियर उन्हें हटाएंगे। सब गाड़ियां परेड पूरी करके वही वापस पहुंचेंगी जहां से शुरू हुई थी।
यह भी बताया गया कि एक ट्रैक्टर पर ज्यादा से ज्यादा ड्राइवर समेत पांच लोग सवार होंगे। बोनट, बंपर या छत पर कोई नहीं बैठेगा। सब ट्रैक्टर अपनी लाइन में चलेंगे, कोई रेस नहीं लगाएगा। परेड में किसान नेताओं की गाड़ियों से आगे या उनके साथ अपनी गाड़ी लगाने की कोशिश नहीं करेगा।
यह हिदायत भी दी गई कि ट्रैक्टर में अपना ऑडियो डेक नहीं बजाएं। इससे बाकी लोगों को मोर्चा की ऑडियो से हिदायतें सुनने में दिक्कत होगी। परेड में किसी भी किस्म के नशे की मनाही रहेगी। अगर आपको कोई भी नशा करके ड्राइव करते हुए दिखाई दे तो उसकी सूचना नजदीक के ट्रैफिक वॉलिंटियर को दें।
किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा, हमें गणतंत्र दिवस की शोभा बढ़ानी है, पब्लिक का दिल जीतना है। इस बात का खास ख्याल रखें कि औरतों से पूरी इज्जत से पेश आएं। पुलिस का सिपाही भी यूनिफॉर्म पहने हुए किसान है, उससे कोई झगड़ा नहीं करना।
मीडिया वाले चाहे जिस भी चैनल से हों, उनके साथ किसी तरह की बदतमीजी ना हो। कोई सड़क पर कचरा ना फेंके। अपने साथ कचरे के लिए एक बैग अलग से रखें।
संयुक्त किसान मोर्चा ने हर किस्म की इमरजेंसी का इंतजाम किया है, इसलिए कोई दिक्कत होने पर घबराएं नहीं, बस इन हिदायतों का पालन करें जिनमें, किसी भी अफवाह पर ध्यान ना दें। अगर कोई बात चेक करना हो तो संयुक्त किसान मोर्चा की फेसबुक पर जाकर सच्चाई की जांच कर लें।
परेड में बीच-बीच में एंबुलेंस रहेंगी अस्पतालों के साथ इंतजाम किया गया है कोई मेडिकल इमरजेंसी हो तो हेल्पलाइन नंबर पर फोन करें या नजदीकी वालंटियर को बताएं।
ट्रैक्टर या गाड़ी खराब होने की स्थिति में उसे बिल्कुल साइड में लगा दें और वॉलिंटियर से संपर्क करें या हेल्पलाइन पर कॉल करें। संयुक्त किसान मोर्चा का हेल्पलाइन नंबर इस परेड के लिए 24 घंटे खुला रहेगा कुछ भी पूछना हो या बताना हो तो तुरंत फोन करें। अगर कोई वारदात हो तो उसकी खबर पुलिस कंट्रोल रूम को 112 नंबर पर दे सकते हैं।
--आईएएनएस
कारगिल, 25 जनवरी | केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद से लेह-लद्दाख और कारगिल का तेजी से विकास हो रहा है। केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के अंतर्गत आने वाले कारगिल को पर्यटन के मोर्चे पर दुनिया में पहचान दिलाने का लक्ष्य है। पर्यटकों की सुविधा के लिए सभी जरूरी आधारभूत संसाधनों के विकास का खाका तैयार हो रहा है।
उन्होंने कहा कि कारगिल इतना आकर्षक है कि यहां आने के बाद अपने देश के लोग विदेश जाना भूल जाएंगे।
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, वैश्विक स्तर की अपार संभावनाओं के बावजूद पर्यटन के नक्शे पर कारगिल को उतनी ख्याति नहीं मिल सकी, जितनी मिलनी चाहिए थी। लेकिन, अब युद्धस्तर पर कार्य शुरू हुआ है। लेह-लद्दाख और कारगिल में सभी तरह की संभावनाओं को तराशने में पर्यटन और संस्कृति दोनों मंत्रालय जुटे हैं। कारगिल को लेकर लोगों की धारणा भी बदल रही है।
केंद्रीय मंत्री ने आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में कहा, भारत से 2.20 करोड़ लोग बाहर (विदेश) घूमने के लिए जाते हैं और बाहर से 1.80 करोड़ हमारे यहां आते हैं। कारगिल में क्या नहीं है हमारे पास? शायद हम लोगों की इसकी खूबसूरती के बारे में बता नहीं पाए। इसका परसेप्शन बिगाड़ने की कोशिश हुई, जिसे अब सुधारा जा रहा। पूरे केंद्रशासित प्रदेश के लिए विकास योजनाओं का पिटारा खोलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभिनंदन के पात्र हैं।
यहां नेशनल लेवल इवेंट्स ऑफ एडवेंचर टूरिज्म (नीट कारगिल 2021) का उद्घाटन करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री ने आईएएनएस से बातचीत में कारगिल की खूबसूरती को दुनिया को दिखाने के लिए अपना प्लान साझा किया। उन्होंने कहा कि ग्लोबल मीडिया प्लान के तहत वीडियो बनाकर मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले जा रहे हैं।
कारगिल के खूबसूरत इलाकों के बारे में दुनिया के लोगों को जानकारी देने की दिशा में कार्य चल रहा है। यहां आने वाले लोग अपने वीडियो बनाकर मंत्रालय की वेबसाइट पर डाल सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कोरोना से पहले वह संस्कृति और पर्यटन दोनों मंत्रालयों के अफसरों को लेकर लद्दाख लाए थे। उन्होंने अफसरों को हिदायत दी थी कि यहां के लोगों को किसी कार्य के लिए दिल्ली का चक्कर न काटना पड़े, बल्कि मंत्रालय खुद स्थानीय निवासियों तक पहुंचे और उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य करे। इसका नतीजा है कि आज कारगिल में साहसिक खेलों की ट्रेनिंग देने वाले इंस्टीट्यूट को खोलने की दिशा में कवायद शुरू हो पाई है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, लद्दाख के लोगों ने एडवेंचर टूरिज्म की तरफ हमारा ध्यान दिलाया तो गुलमर्ग की तरह अब कारगिल में भारतीय स्कीइंग एवं पर्वतारोहण संस्थान (आईआईएसएम) खोलने की दिशा में कार्य शुरू हुआ है। हफ्तेभर में जमीन मिल जाएगी। इसके बाद बजट जारी होगा और कुछ समय में यहां इंस्टीट्यूट बनकर तैयार हो जाएगा। यहां लोगों को स्कीइंग और पर्वतारोहण की ट्रेनिंग मिलेगी और वे इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भाग लेंगे। इंस्टीट्यूट बनने से एडवेंचर टूरिज्म इंडस्ट्री तैयार होगी।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 25 जनवरी | गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को देश की राजधानी दिल्ली में किसान परेड निकालने की अनुमति मिलने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार को प्रदर्शनकारी किसानों से शांतिपूर्ण तरीके से परेड निकालने की अपील की और परेड को लेकर उन्हें कुछ निर्देश दिए। तीन कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शनकारियों से कहा, "हम दिल्ली को जीतने नहीं जा रहे हैं, हम देश की जनता का दिल जीतने जा रहे हैं।"
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा परेड की तैयारी को लेकर दिए गए निर्देश :
1. परेड में ट्रैक्टर और दूसरी गाड़ी चलेंगी, लेकिन ट्रॉली नहीं जाएगी। जिन ट्रालियों में विशेष झांकी बनी होगी उन्हें छूट दी जा सकती है। पीछे से ट्रॉली की सुरक्षा का इंतजाम करके जाएं।
2. अपने साथ 24 घंटे का राशन पानी पैक करके चलें। जाम में फंसने पर ठंड से बचाव का इंतजाम भी रखें।
3. हर ट्रैक्टर या गाड़ी पर किसान संगठन के झंडे के साथ-साथ राष्ट्रीय झंडा भी लगाया जाए। किसी भी पार्टी का झंडा नहीं लगेगा।
4. अपने साथ किसी भी तरह का हथियार ना रखें, लाठी या जेली भी ना रखें। किसी भी भड़काऊ या नेगेटिव नारे वाले बैनर ना लगाएं।
5 परेड में शामिल होने की सूचना देने के लिए आप 8448385556 पर एक मिस्ड कॉल लगा दें।
परेड के दौरान हिदायतें :
1. परेड की शुरुआत किसान नेताओं की गाड़ी से होगी। उससे पहले कोई ट्रैक्टर या गाड़ी रवाना नहीं होगी। हरे रंग की जैकेट पहने हमारे ट्रैफिक वॉलिंटियर की हर हिदायत को माने।
2. परेड का रूट तय हो चुका है। उसके निशान लगे होंगे। पुलिस और ट्रैफिक वॉलिंटियर आपको गाइड करेंगे। जो गाड़ी रूट से बाहर जाने की कोशिश करेगी उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
3. संयुक्त किसान मोर्चा का फैसला है कि अगर कोई गाड़ी सड़क पर बिना कारण रुकने या रास्ते में डेरा जमाने की कोशिश करती है, तो हमारे वॉलंटियर उन्हें हटाएंगे। सभी गाड़ियां परेड पूरी करके वहीं वापस पहुंचेंगी जहां से चली थी।
4. एक ट्रैक्टर पर ज्यादा से ज्यादा ड्राइवर समेत पांच लोग सवार होंगे। बोनट, बंपर या छत पर कोई नहीं बैठेगा।
5. सब ट्रैक्टर अपनी लाइन में चलेंगे कोई रेस नहीं लगाएगा। परेड में किसान नेताओं की गाड़ियों से आगे या उनके साथ अपनी गाड़ी लगाने की कोशिश नहीं करेगा।
6. ट्रैक्टर में अपना ऑडियो डेक नहीं बजाएं। इससे बाकी लोगों को मोर्चा की ऑडियो से हिदायतें सुनने में दिक्कत होगी।
7. परेड में किसी भी किस्म के नशे की मनाही रहेगी। अगर आपको कोई भी नशा करके ड्राइव करते हुए दिखाई दे तो उसकी सूचना नजदीक के ट्रैफिक वॉलिंटियर को दें।
8. हमें गणतंत्र दिवस की शोभा बढ़ानी है, पब्लिक का दिल जीतना है। इस बात का खास ख्याल रखें कि औरतों से पूरी इज्जत से पेश आएं। पुलिस का सिपाही भी यूनिफॉर्म पहने हुए किसान है, उससे कोई झगड़ा नहीं करना। मीडिया वाले चाहे जिस भी चैनल से हों, उनके साथ किसी तरह की बदतमीजी ना हो।
9. कचरा सड़क पर ना फेंकें। अपने साथ कचरे के लिए एक बैग अलग से रखें।
इमरजेंसी की हिदायतें :
संयुक्त किसान मोर्चा ने हर किसम की इमरजेंसी का इंतजाम किया है, इसलिए कोई दिक्कत होने पर घबराएं नहीं, बस इन हिदायतों का पालन करें :
1. किसी भी अफवाह पर ध्यान ना दें। अगर कोई बात चेक करना हो तो संयुक्त किसान मोर्चा की फेसबुक पर जाकर सच्चाई की जांच कर लें।
2. परेड में बीच-बीच में एंबुलेंस रहेंगी अस्पतालों के साथ इंतजाम किया गया है कोई मेडिकल इमरजेंसी हो तो हेल्पलाइन नंबर पर फोन करें या नजदीकी वालंटियर को बताएं।
3. ट्रैक्टर या गाड़ी खराब होने की स्थिति में उसे बिल्कुल साइड में लगा दें और वॉलिंटियर से संपर्क करें या हेल्पलाइन पर कॉल करें।
4. संयुक्त किसान मोर्चा का हेल्पलाइन नंबर इस परेड के लिए 24 घंटे खुला रहेगा। कुछ भी पूछना हो या बताना हो तो तुरंत फोन करें।
5. अगर कोई वारदात हो तो उसकी खबर पुलिस कंट्रोल रूम को 112 नंबर पर दे सकते हैं।
--आईएएनएस
जम्मू, 25 जनवरी | जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव बी.वी.आर. सुब्रमण्यम ने रविवार को श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) की उच्चस्तरीय समिति की 10वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए सुरक्षित और परेशानी मुक्त यात्रा 2021 के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा की। विशेष रूप से, जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग और बालटाल और चंदनवाड़ी यात्रा के साथ-साथ गुफा मंदिर तक तीर्थयात्रियों की सुरक्षित, सुचारु और सुरक्षित आवाजाही की सुविधाओं की विस्तार से समीक्षा करते हुए उन्होंने प्रशासन से इस वर्ष 6 लाख यात्रियों के संभावित पैदल मार्ग की तैयारियां शुरू करने को कहा।
तीर्थयात्रियों के सुरक्षित मार्ग को सुनिश्चित करने के लिए बालटाल से पटरियों पर पूर्व-निर्मित सीमेंट टाइल्स बिछाने पर विशेष ध्यान देते हुए चलने वाले पटरियों को उचित रूप से चौड़ा करने, रेलिंग स्थापित करने और बनाए रखने वाली दीवारों का निर्माण करने के निर्देश जारी किए गए थे।
सुब्रहमण्यम ने जम्मू-कश्मीर के मंडलायुक्तों को निर्देश दिए कि वे यात्रा मार्ग के साथ-साथ विशेषकर कठुआ, सांबा, जम्मू, ऊधमपुर, रामबन, बालटाल और चंदनवाड़ी में ट्रांजिट कैम्पों में किए जा रहे प्रबंधों पर बारीकी से नजर रखें।
उन्होंने लखनपुर से मंदिर और वापस जाने वाले मार्ग में यात्रियों के मार्ग को विनियमित करने के लिए एक योजना तैयार करने को कहा, जिसमें विशेष रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग की मौसम प्रेरित नाकेबंदी की स्थिति में स्थानीय यातायात और कश्मीर जाने वाले लोड वाहकों/ट्रकों की आवाजाही पर उचित ध्यान दिया गया।
--आईएएनएस
शुरैह नियाज़ी
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से ताल्लुक़ रखने वाली एक संस्था की ज़मीन का मामला विवादों में आ गया है.
इस ज़मीन के टुकड़े को लेकर शनिवार को वक्फ़ ट्राइब्यूनल में सुनवाई हुई, जिसमें सभी पक्षों ने अपनी बात रखी.
इसके बाद सुनवाई की अगली तारीख़ 27 जनवरी की तय की गई है, जब ट्राइब्यूनल अपना फ़ैसला देगी.
विवाद की वजह 2.88 एकड़ ज़मीन है जिसमें क़ब्रिस्तान होने का दावा भी किया जाता रहा है.
इस ज़मीन की ख़ास बात यह है कि इस पर आरएसएस से जुड़े ट्रस्ट को अधिकार दिलवाने के लिये पुराने शहर के तीन थाना क्षेत्रों में 17 जनवरी को कर्फ़्यू लगाया गया था. अभी भी यहाँ पुलिसबल को तैनात कर आम लोगों की आवाजाही रोकी गई है.
संघ से जुड़ा राजदेव जनसेवा ट्रस्ट इस विवादित ज़मीन पर चारदीवारी बनवा रहा है. यहाँ पर संघ एक छात्रावास भी बनाना चाहता है. इस जगह पर तीन पुरानी क़ब्रें भी हैं.
SHURAIH NIYAZI/BBC
वक्फ़ की संपत्तियों की निगरानी करने वाली संस्था औकाफ़ यहां पर क़ब्रिस्तान होने का दावा करती रही है.
वहीं इस जगह पर मिली क़ब्र को संघ ने कवर करा दिया है और कहा है कि उतनी जगह पर निर्माण नहीं किया जाएगा.
भोपाल के कलेक्टर अवनीश लवानिया ने 16 जनवरी को एक आदेश जारी कर तीन थाना क्षेत्रों में कर्फ़्यू और उससे लगे आठ थाना क्षेत्रों में धारा-144 लगा दी थी.
नतीजन, शहर का लगभग आधा हिस्सा, जिसे 'पुराना भोपाल' भी कहा जा सकता है, पूरी तरह से बंद नज़र आ रहा था. इन इलाकों में लोगों के आने-जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई थी.
भोपाल के डीआईजी इरशाद वली ने कहा, "ये सारे क़दम ऐहतियात के तौर शहर में किसी भी तरह से क़ानून व्यवस्था को ख़राब होने से बचाने के लिये लगाए गए थे."
SHURAIH NIYAZI/BBC
मगर एक ख़ास संस्था को ज़मीन का हक़ दिलाने के तरीके को लेकर भी एक वर्ग को आपत्ति है.
मुस्लिम विकास परिषद के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद माहिर ने बीबीसी से कहा, "ये सब बताता है कि किस तरह से सरकार एक संस्था के पक्ष में खड़ी होती है और पूरे शहर में ख़ौफ़ का माहौल पैदा कर देती है.''
उन्होंने कहा, "अभी जो मध्य प्रदेश में चल रहा है वो बताता है कि किसी तरह बहुसंख्यकों के हित में काम किया जा रहा है और एक वर्ग विशेष को राजनीतिक कारणों से नज़रअंदाज़ किया जा रहा है."
प्रशासन का दावा है कि साल 2001 में भी ऐसी स्थिति पैदा हुई थी, जब इस ज़मीन को लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने आ गये थे.
इस पूरे मामले को लेकर मोहम्मद सुलेमान ने वक़्फ ट्राइब्यूनल का रुख़ किया और वहाँ हो रहे निर्माण को रोकने और आदेश पर स्टे लगाने की माँग की.
वक़्फ ट्रिब्यूनल ने शनिवार को इस मसले पर सभी पक्षों की बातें सुनीं.
SHURAIH NIYAZI/BBC
राजदेव जनसेवा ट्रस्ट में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता सदस्यों के तौर पर मौजूद हैं.
एक पक्ष का आरोप है कि यह ज़मीन सरकार ने दबाव में दूसरे पक्षों को उस वक़्त सौंप दी, जब पहले ही मामला वक़्फ कोर्ट और हाई कोर्ट में चल ही रहा है
हालाँकि प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि भोपाल सिविल कोर्ट ने ज़मीन का फ़ैसला ट्रस्ट के पक्ष में सुनाया है और उस पर किसी भी तरह का कोई स्टे नहीं है. इसलिये ज़मीन देने में कोई दिक्क़त नही थी.
ज़मीन के रिकॉर्ड बताते है कि साल 1964-65 में यह ज़मीन फ़य्याज़ अली शाह के नाम पर थी, जिन्होंने इसे विशंभर लाल को बेच दी थी.
यहाँ पर कुछ क़ब्रें भी मौजूद थीं. सरकारी रिकॉर्ड बताते है कि वहाँ पर कॉब्रिस्तान की मौजूदगी लिखी हुई थी. लेकिन उसमें कितना क्षेत्र क़ब्र का है, ऐसा कोई रिकॉर्ड मौजूद नही है.
वहीं, ट्रस्ट के वकील बंसीलाल इसरानी ने बीबीसी को बताया, "इस मामले में साल 2001 में हुए विवाद के बाद सब डिविज़नल मैजिस्ट्रेट(एसडीएम) ने दोनों पार्टियों से कहा था कि वो मामले को सिविल कोर्ट के ज़रिए सुलझा लें और इस मद्देनज़र रिसीवर की नियुक्ति भी कर दी गई थी."
इसरानी के मुताबिक़, "इसके बाद साल 2002 में ट्रस्ट को मामले को कोर्ट में ले जाना पड़ा. साल 2003 में फ़ैसला ट्रस्ट के पक्ष में आ गया. फिर साल 2018 में मोहम्मद सुलेमान ने वक्फ़ ट्राइब्यूनल से स्टे चाहा लेकिन उन्हें कोई राहत नही मिली."
इसरानी ने बताया कि उसके बाद उन्होंने एसडीएम से रिसीवर को हटाने के लिए कहा क्योंकि फैसला उनके पक्ष में आ चुका था. उन्होंने ज़िला कलेक्टर से आग्रह किया गया कि ट्रस्ट को उस जगह को अधिकार में लेने के लिये सुरक्षा मुहैया कराई जाए.
दूसरी तरफ़ मोहम्मद सुलेमान के वकील रफ़ी ज़ुबैरी ने बीबीसी को बताया, "रिकॉर्ड बताते है कि यहाँ पर क़ब्रिस्तान था और फ़य्याज़ अली शाह उसकी देखरेख करते थे लेकिन उन्हें इस कब्रस्तान को बेचने का कोई हक़ नही था. "
ज़ुबैरी के मुताबिक़ अगर यहाँ क़ब्रिस्तान है तो वो किसी की भी मिल्कियत नही हो सकती है. ऐसे में कोई इसे बेच कैसे सकता है?
उन्होंने कहा, "यह क़ब्रिस्तान साल 1974 में वक़्फ में पंजीकृत हो गया था. उस वक़्त इन्होंने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई. वक़्फ की संपत्तियों पर फ़ैसले करने का अधिकार किसी भी तरह से सिविल कोर्ट को नही है."
ज़ुबैरी के मुताबिक़ यह संपत्ति ट्रस्ट को सौंपा जाना सही नही हैं, ख़ासकर ऐसे समय में, जब मामला पहले से ही हाई कोर्ट में चल रहा हो. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 24 जनवरी। कांग्रेस नेता अजय माकन ने आज कहा कि पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस का खेल ध्यान से समझिए. एक ओर अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल के दाम कम होते जा रहे हैं, वहीं भाजपा सरकार पेट्रोल व डीजल के दामों में लगातार बढ़ोतरी कर रही है. अब तो पेट्रोल व डीजल के दाम देश में शीर्ष पर पहुंच गए हैं, जिसका सीधा असर किसान, आम जनता व ट्रांसपोर्टरों पर पड़ रहा है और महंगाई चरम पर पहुंच गई है.
अजय माकन ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारे देश में और देश की राजधानी में पेट्रोल 85 रुपए 70 पैसे के ऊपर बिक रहा है। डीजल 75 रुपए 88 पैसे पर बिक रहा है, जो आज तक के इतिहास में सबसे ज्यादा है। ये बड़े दुख और शर्म की बात है कि ऐसे समय के ऊपर अगर हम लोग तुलना करें 2014 के साथ, जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी, तो अंतर्राष्ट्रीय खुदरा मूल्य तेल का मूल्य 108 डॉलर प्रति बैरल था और आज ये घट कर के 55 डॉलर के करीब प्रति बैरल है। तो 108 डॉलर प्रति बैरल 2014 में और 55 डॉलर प्रति बैरल अब, लगभग आधा अंतरार्ष्ट्रीय खुदरा मूल्य हो गया है, लेकिन बावजूद इसके पेट्रोल हमारे समय में 71 रुपए 51 पैसे था और अब आज रिकॉर्ड हाई 85 रुपए 70 पैसे और डीजल हमारे समय में, जिसका प्रयोग किसानों द्वारा खेती के लिए, ट्रांसपोर्टर द्वारा ट्रांसपोर्टेशन के लिए और रोजमर्रा का सामान लाने- ले जाने के लिए होता है, क्योंकि इसका महंगाई के ऊपर सीधा असर पड़ता है। तो हम लोगों के समय में डीजल 57 रुपए 28 पैसे के ऊपर था, जब 108 डॉलर प्रति बैरल था, तो वही डीजल आज जब अंतरार्ष्ट्रीय खुदरा मूल्य आधा हो गया है, वही डीजल बढ़कर 57 रुपए 28 पैसे से बढ़कर 75 रुपए 88 पैसे हो गया है तो आप खुद अंदाजा कर सकते हैं कि किस प्रकार से साधारण लोगों की कमर के ऊपर, उनकी जेब के ऊपर केन्द्र सरकार ये वार कर रही है।
यही नहीं, जो इसका मुख्य कारण है, इसका मुख्य कारण ये है कि केन्द्र सरकार ने पिछले 6 वर्षों में 8 गुना एक्साइज ड्यूटी डीजल के ऊपर बढ़ाया है और ढाई गुना पेट्रोल के ऊपर एक्साइज बढ़ा है। तो जब 8 गुना एक्साइज डीजल पर बढ़ जाएगा, तो चाहे अंतरार्ष्ट्रीय मूल्य आधा हो गया हो, लेकिन उसका फायदा साधारण जनता तक नहीं पहुंच रहा है, उसका फायदा सरकार अपनी जेब भरने के अंदर कर रही है और साधारण जनता के ऊपर अभी भी महंगाई का वार लगातार हो रहा है, जो कि नहीं होना चाहिए। जो एडीशनल एक्साइज डीजल के ऊपर अभी प्रति लीटर, जैसे मैंने कहा कि डीजल का इस वक्त 75 रुपए 88 पैसे रेट है, उसमें से 28 रुपए 37 पैसे प्रति लीटर तो डीजल के ऊपर एडीशनल एक्साइज है, जो एडीशनल एक्साइज पिछले 6 वर्ष में लगाया गया और उसी प्रकार से पेट्रोल में 23 रुपए 78 पैसे एडीशनल इसके अंदर पेट्रोल के ऊपर एक्साइज बढ़ा है, जो कि पिछले 6 वर्षों में लगाया गया है। डीजल में मैं फिर बताऊं आपको कि 8 गुना ज्यादा बढ़ा दिया गया है और पेट्रोल के ऊपर ढाई गुना आगे बढ़ा दिया गया है। इतनी बड़ी तादाद के अंदर एक्साइज ड्यूटी केन्द्र सरकार ने इसके अंदर बढ़ाई है।
अब केन्द्र सरकार ने पिछले 6 वर्षों में, आप लोगों को हैरानी होगी कि 20 लाख करोड़ यानि 200 खरब रुपया से ज्यादा केन्द्र सरकार ने इस एडीशनल एक्साइज से कमाया है, 200 खरब रुपया! अब 200 खरब रुपया जो सेंट्रल गवर्मेंट ने इसमें कमाया है, हम केन्द्र सरकार ये सीधे-सीधे ये पूछना चाहते हैं कि वो पैसा गया कहाँ है? 200 खरब रुपया केन्द्र सरकार ने एडीशनल, जो इसके अंदर पैसा एक्साइज में कमाया है, वो किसकी जेबों के अंदर जा रहा है? आज अगर आप देखें, तो सेना के जवान हमारे, उनका डीए कट रहा है। केन्द्र सरकार के कर्मचारी हैं, तो उनका डीए कट रहा है। आज अगर छोटे कारोबारियों से बात करें, तो वो परेशान हैं, उनके ऊपर टैक्स का बोझ आ रहा है, उनके ऊपर बैंक से इंस्टॉलमेंट का बोझ उनके ऊपर आ रहा है। तो ये पैसा 200 खरब रुपया पिछले 6 वर्षों में गया कहाँ हैं? आज अगर सबसे ज्यादा फायदा किसी को हो रहा है, तो वो सरकार के, मोदी जी के जो पूंजीपति मित्र हैं, जो बड़े-बड़े सरमायेदार हैं, उन लोगों को फायदा केवल पहुंच रहा है। साधारण लोगों को, आम जनता को इसका कोई फायदा नहीं हो रहा है, उनको नुकसान इसके अंदर हो रहा है। 200 खरब रुपया का रेवेन्यू सरकार ने केवल एक्साइज से पेट्रोल और डीजल के ऊपर बढ़ाकर कमाया है।
मैं आपको साथ-साथ याद दिलाना चाहता हूं कि एलपीजी सिलेंडर के ऊपर, 12 एलपीजी के सिलेंडर हम लोगों के टाइम पर सब्सिडाइज्ड रेट पर मिला करते थे और एक बार बीच में 12 के 9 हो गए, तो हाहाकार मचा दिया इन लोगों ने कि इसके अंदर जो है 9 क्यों कर दिए? 2014 में जब हम छोड़ कर गए थे तो 12 हमारे समय के ऊपर सब्सिडाइज्ड रेट के ऊपर सिलेंडर मिला करते थे। आज वो पूरी की पूरी सब्सिडी एलपीजी के ऊपर लगभग समाप्त कर दी गई है और आज अगर हमारे समय से तुलना किया जाए, हमारे समय के ऊपर जो सब्सिडाइज्ड जो 12 सिलेंडर मिलते थे, उसके तो बहुत कम दाम होते थे। लेकिन without सब्सिडी भी, कोई भी मार्केट से सिलेंडर खरीद सकता था बगैर सब्सिडी के भी, तो वो सिलेंडर 414 रुपए में मिलता था, आज वो बढ़कर लगभग 700 रुपए हो गया है। सब्सिडी के साथ तो 12-12 गैस सिलेंडर हैं, सब्सिडी वाले, वो अलग हैं। जो सिलेंडर 414 रुपए का मिलता था, वो लगभग 700 रुपए का हो गया है और ये बावजूद इसके कि अंतरार्ष्ट्रीय स्तर पर गैस के प्राइस कम हो रहे हैं और ये अंतरार्ष्ट्रीय गैस के प्राइसेस के साथ में सीधे लिंक्ड हैं, तो अंतरार्ष्ट्रीय गैस के प्राइस जब कम हो रहे हैं तो क्यों ऐसा हो रहा है कि हमारे देश के अंदर सब्सिडी वाला सिलेंडर जो 414 रुपए में मिलते थे, वो 700 रुपए हो रहा है, हम ये सरकार से जानना चाहते हैं?
तो आज हमारा ये कहना है कि अगर सरकार केवल एडीशनल एक्साइज जो इन्होंने लगाया है, उसको अगर बंद कर दे, तो पेट्रेल 61 रुपए 92 पैसे में मिलेगा और डीजल 47 रुपए 51 पैसे में मिलेगा तो अगर आज केवल सरकार एडीशनल एक्साइज, जो इन्होंने अपने समय में बढ़ाया है इसको कम कर दें, तो इतना बड़ा फर्क हमारे पेट्रोल और डीजल के दामों में पड़ जाएगा।
तो आज हमारे देश के अंदर कोरोना काल के बाद में जिस तरह से सरकार ने अर्थव्यवस्था के साथ में डील किया है, उससे पहले नोटबंदी, उससे पहले जिस तरह से जीएसटी लगाई, तो सरकार ने पूरे हमारे देश की अर्थव्यवस्था का एकदम से बंटाधार एक तरह से कर दिया है। आज की स्थिति के अंदर सरकार को हमारे देश के अंदर चाहिए कि साधारण लोगों के ऊपर बोझ कम हो तो इसलिए एक्साइज एडिशनल लगाया है, उसको एकदम से वापस लिया जाए और कांग्रेस पार्टी सरकार से मांग करती है कि 200 खरब रुपया, जो एडीशनल सरकार ने एडिशनल एक्साइज से जो कमाया है, 200 खरब से भी ज्यादा, वो कहाँ पर खर्च किया जा रहा है, वो किन-किन जेबों के अंदर जा रहा है, उसके बारे में भी सरकार देश की जनता को बताए? हमारी मांग है सरकार द्वारा पिछले 6 सालों में बढ़ाई गई एक्साइज ड्यूटी कांग्रेस सरकार के समान करके पेट्रोल- डीजल के दामों में राहत दी जाए।
सरकार द्वारा पेट्रोल- डीजल से जुटाए गए 200 खरब रुपए के प्रयोग के बारे में पूछे एक प्रश्न के उत्तर में श्री अजय माकन ने कहा कि ये जो है, अमाउंट छोटा अमाउंट नहीं है। जैसे मैंने कहा कि 200 खरब रुपया, 20 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक अमाउंट है। जो सबसे इसमें अजीब बात ये है कि सरकार में पारदर्शिता नाम की कोई चीज ही नहीं है। तो जो सरकार हमारे समय के ऊपर जो पारदर्शी सरकार रहती थी, हमारे समय के ऊपर जो ऑयल कंपनी थी, वो कंपेरेटिव रेट देती थी यहाँ तक कि दक्षिण एशियाई देशों के साथ हमारे पेट्रोल – डीजल के मूल्यों की तुलना वेबसाइट्स पर उपलब्ध रहती थी पाकिस्तान के साथ में, बांग्लादेश के साथ में, श्रीलंका के साथ में, हम लोगों की प्राइस कहाँ है। वो अब आब लोगों को कहीं नहीं मिलेगा। हमारे समय के ऊपर डेली अपडेट होते थे कि कितना रेवेन्यू उसके अंदर आ रहा है, ये सब चीजें उसके अंदर जो है पारदर्शी तरीके से हमारे सरकार के समय में होता था, जो पारदर्शिता अब एकदम खत्म हो गई है और जब पारदर्शिता खत्म हो गई है, तो फिर ये सरकार संदेह के घेरे में आती ही आती है। इसलिए हम लोग जानना चाहते हैं कि एक तरफ जब हमारे यहाँ पर देश के अंदर सेना के जवान, पूर्व सैनिक, सरकारी कर्मचारी उनके डीए काटे जा रहे हैं, अगर आप पूरी दुनिया के अंदर देख लें, जिस तरह से कोरोना काल के दौरान अंतर्राष्ट्रीय देशों के अंदर जिस तरह से सरकारों ने अपने लोगों की आर्थिक तौर पर मदद की, इससे पार आने में, हमारे यहाँ पर कोई मदद नहीं हुई। तो ये पैसा, इतना बड़ा अमाउंट गया कहाँ पर है, तो ये पैसा किनकी जेबों में जा रहा है? क्या इनसे मित्र पूंजीपति मित्र जो फंसे हुए हैं बैंकों के लोन के अंदर, बड़े-बड़े पूंजीपति मित्र, क्या उनकी मदद करने के लिए पैसा इस्तेमाल हो रहा है? जबकि हमारे किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं, हमारे छोटे कारोबारियों के ऊपर लगातार दबाव बैंकों का आ रहा है, तो ये पैसा जा कहाँ रहा है?
एक अन्य प्रश्न पर कि इसके लिए क्या कदम उठाने की जरुरत है? श्री माकन ने कहा कि मैंने जैसा कहा कि अगर मान लीजिए एडीशनल एक्साइज और एडीशनल एक्साइज पैट्रोल और डीजल के ऊपर हटा लें, तो पेट्रोल 61 रुपए 92 पैसे के ऊपर और डीजल 47 रुपए 51 पैसे के ऊपर बिक सकता है। तो ये एडीशनल एक्साइज जो है, डीजल के ऊपर 8 गुना बढ़ाया गया और पेट्रोल के ऊपर ढाई गुना बढ़ाया गया है। 820% एग्जेक्ट डीजल के ऊपर और पेट्रोल के ऊपर 258 % एक्साइज बढ़ाया गया है। तो अगर मान लीजिए ये एडीशनल एक्साइज ही सिर्फ हटा दिया जाए तो आप समझ सकते हैं कि पेट्रोल 61 रुपए 92 पैसे और डीजल 47 रुपए के आस-पास बिकेगा और ये बहुत बड़ी राहत हमारे देश के अंदर होगी और इससे मंहगाई भी कम होगी। क्योंकि आप ये समझ सकते हैं कि डीजल सिर्फ ट्रांसपोर्टेशन के लिए नहीं होता है, डीजल जो है पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी इस डीजल से होता है, कैरियर ट्रांसपोर्ट भी डीजल से होता है और किसान भी डीजल का इस्तेमाल करते हैं। तो डीजल के ऊपर रेट बढ़ने से ओवर ऑल महंगाई के ऊपर फर्क पड़ता है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि कटौती से संबंध, क्यों हो, इसको स्थापित किया जा रहा है? इंटरनेशनल प्राइस तो कम हो गए हैं, हमारी सरकार की तुलान में । हमारे समय में कच्चा तेल 108 डॉलर प्रति बैरल था, क्या 108 डॉलर प्रति बैरल जाएगा क्या? तो अंतरार्ष्ट्रीय प्राइसेस के ऊपर तो आप कंपेयर करें, तो हमारे समय पर कंपेयर करें जो अब है। कटौती तो होगी ही, उस समय भी कटौती होती थी। उस समय भी एक्सेस प्रोडक्शन होता था। दोनों चीजें होती थी। ये कोई अभी थोड़े ही एकदम से शुरु से हुआ है कि कभी कटौती हुई, कभी एक्सेस प्रोडक्शन हुआ है। हमेशा से कटौती होती है तो प्राइसेज थोड़े बढ़ते हैं। हमेशा के जिस वक्त एक्सेस प्रोडक्शन होता है तो प्राइस थोड़े घटते-बढ़ते रहते हैं। लेकिन जब हमारे समय पर 108 डॉलर प्रति बैरल जिस वक्त हम लोगों के समय के ऊपर अंतर्राष्ट्रीय खुदरा मूल्य था, तो उस वक्त हम लोग जब 71 रुपए 51 पैसे दे रहे थे, तो अब क्यों नहीं दे सकते? तो इसमें एडिशनल और जबकि रेट आधे हो गए हैं? मुझे ये बताएं कि इसमें सउदी अरब के अंदर एडिशनल प्रोडक्शन हो गई, कटौती हो गई, इससे 8 गुना एक्साइज बढ़ाने से क्या मतलब? इससे 8 गुना डीजल पर एक्साइज बढ़ाने से क्या मतलब है? सउदी के अंदर कटौती हो गई या सऊदी के अंदर उन्होंने एडीशनल प्रोडक्शन करनी शुरु कर दी, तो क्या 8 गुना इससे हमारे एक्साइज में बढ़ाने का क्या मतलब, दोनों का आपस में क्या लेना-देना?
एक प्रश्न पर कि सेंसेक्स में तो लगातार उछाल आ रहा है, इस पर क्या कहेंगे? श्री अजय माकन ने कहा कि अगर सब चीजें सेंसेक्स से हैं तो आप अपनी जेब भी टटोल के देख लें। आप अपने घर जब वापस जाएंगे तो आप अपने स्कूटर या गाड़ी पर जाएं, तो सेंसेक्स को देखकर खुश होते रहिएगा, आपकी जेब पर 100 रुपए फालतू लगेंगे इस बार। तो आप अपनी जेब देखेंगे या सेंसेक्स देखेंगे?
एक अन्य प्रश्न पर कि सरकार द्वारा विपक्ष के विरोध के बावजूद पेट्रोल-डीजल में राहत नहीं क्यों नहीं दी जा रही के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि सरकार की एरोगेंस है और ये सरकार की एरोगेंस है, जिसकी वजह से ये सरकार इतने महत्वपूर्ण विषय को नहीं सुन रही है। आज कहीं पर भी आप किसी भी पेट्रोल पंप पर खड़े हो जाएं, आप वहाँ पर जब डीजल भरवाने वाले लोग आते हैं, तो आप चर्चा करें तो देखें वो क्या कहते हैं। आप अगर कहीं पर भी गृहणी से बात करें तो किस तरह से गैस की कीमत बढ़ी है, आप उसका इंपैक्ट देखें। मैं आप लोगों से अनुरोध करता हूं मीडिया के लिए भी ये बहुत बड़ा मुद्दा होना चाहिए। हमारे समय के ऊपर अगर दो रुपए या तीन रुपए भी बढ़ जाता था, उसको छोड़िए 50 पैसे भी बढ़ जाता है, तो आपकी ब्रेकिंग न्यूज होती थी, सारा दिन चलती थी। तो अब जो है आज तक के इतिहास में सबसे ज्यादा है। हम आपको आंकड़े दे रहे हैं। हम आपको कह रहे हैं कि ये 200 खरब रुपए इन्होंने एडीशनल कमाए हैं, तो आप भी तो उसको दिखाएं, आप भी तो लोगों को बताइए।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि नहीं, हम लोग तो लगातार कभी ऐसा जब भी रेट्स बढ़ते हैं मैं तो खुद as PCC President, हम पेट्रोल पंप पर हम लोग 10 लाख सिग्नेचर करवाते थे। अभी भी, कभी भी हम लोग, इस तरह से जब रेट्स बढ़ते हैं, हमारे देश के अंदर अलग-अलग यूनिट्स सड़क पर उतर कर उसका प्रदर्शन करते हैं। इसी तरह से हम लोग मीडिया से भी अनुरोध करते हैं कि ये बहुत महत्वपूर्ण विषय है, लोगों की जेब पर डाका डाला जा रहा है औऱ लोगों की जेब पर डाका डालकर वो पैसा कहाँ जा रहा है, इस चीज का किसी को मालूम ही नहीं है, तो इस चीज को भी मीडिया को बताना चाहिए, उसी तरीके से बताइए। आप ज्यादा मत दिखाइए, उतना ही दिखा दीजिए जितना हमारे समय पर दिखाते थे, तो लोग अपने आप चेत जाएंगे।
किसान आंदोलन से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि देखिए, अगर किसान आंदोलन नहीं है, तो जो ट्रैक्टर भर-भरकर पूरे देश भर से किसान निकल कर दिल्ली में आ रहे हैं तो क्या वो ट्रैक्टर्स कहीं और से, बाहर से आ रहे हैं? किसानों के ही ट्रैक्टर हैं। ऐसा नहीं है कि जो किसान नहीं हैं, वो भी घर में अपने ट्रैक्टर रख रहे हैं। तो ट्रैक्टर भर-भरकर किसान खुद अपने आप आ रहे हैं, और ये किसानों का मूवमेंट है, पॉलिटिकल मूवमेंट नहीं है, किसानों का मूवमेंट है। कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ में खड़ी है। कांग्रेस पार्टी किसानों के हितों के लिए लड़ रही है औऱ कोई आज से नहीं, चाहे भट्टा पारसौल के जमाने से किसानों के लिए भूमि अधिग्रहण के मामले से। राहुल गांधी जी, चाहे दिसम्बर, 2014 के अंदर जो तीन अध्यादेश लेकर आए थे, उसके खिलाफ सड़क और पार्लियामेंट में उतरे लड़ने के लिए, जब से लेकर अब तक चाहे ट्रैक्टर के ऊपर चलकर, पंजाब में, हरियाणा में सब जगह के ऊपर लड़ाई सड़क के ऊपर लड़ने में कांग्रेस पार्टी सबसे अग्रणी रही है। कांग्रेस पार्टी हमेशा किसानों के साथ खड़ी है। न केवल जमीन पर ही हम लड़े हैं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के शासन काल के दौरान इतिहास गवाह है कि किसानों को हमेशा न्याय मिला है, किसानों को हमेशा ऐसे कानून मिले हैं, जिनसे किसानों को मदद हो, और छोटे किसानों की मदद हो। तो कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से प्रतिबद्ध है किसानों की रक्षा के लिए, किसानों के सम्मान के लिए और किसानों को कानूनी हक दिलाने के लिए और ये पूर्णतः किसानों का आंदोलन है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि जय श्री राम के नारे के ऊपर मुझे नहीं लगता कि ममता जी को या किसी और को उस पर कोई आपत्ति होगी, लेकिन जिस तरीके से ममता जी के साथ में, बोलने के वक्त, कुछ लोगों ने, एक सेक्शन ने जिस तरीके से हूटिंग करने की कोशिश की, हो हल्ला करने की कोशिश की, मैं समझता हूँ कि प्रधानमंत्री जी को हस्तक्षेप करके, इसके अंदर उनको रोकना चाहिए था। जय श्री राम के नारे के ऊपर किसी को भी कोई आपत्ति नहीं हो सकती। जय श्री राम का नारा तो सभी का नारा है। लेकिन अगर मान लीजिए, एक संवैधानिक संस्था मुख्यमंत्री का प्रधानमंत्री के सामने उस संवैधानिक संस्था को उन्हीं के राज्य के अंदर नीचा दिखाने की कोशिश की।
-अमित राणा
गाजियाबाद. नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है. इसी कड़ी में गाजियाबाद में रविवार को भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों को ट्रैक्टरों में डीजल नहीं दिया जा रहा है. मुरादाबाद, गाजीपुर सहित अन्य जगहों से किसानों के आये फोन. राकेश टिकैत का कहना है किसान जहां भी हैं, सड़कों को जाम कर बैठ जाए.
बता दें कि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने दावा किया है कि गणतंत्र दिवस पर करीब 3 लाख ट्रैक्टर दिल्ली की सड़कों पर उतरेंगे. उन्होंने कहा कि यूपी गेट बॉर्डर पर किसानों का जत्था लगातार आ रहा है. किसान नेता ने बताया कि आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए अराजकतत्वों पर खास नजर रखी जा रही है. इधर किसानों ने भी चेतावनी दे दी है कि दिल्ली पुलिस अनुमति नहीं देगी तब भी रैली निकलेगी. किसान लंबे समय से आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर मार्च निकालने की योजना बना रहे हैं.
वहीं, दिल्ली पुलिस ने इस रूट पर रैली के साफ मना कर दिया है. इसपर किसान संगठनों ने ऐतराज जताया है. पंजाब किसान संघर्ष कमेटी के नेता सतनाम सिंह पन्नू ने कहा है कि दिल्ली पुलिस अनुमति दे या न दे आउटर रिंग रोड पर रैली निकालेंगे. उन्होंने जानकारी दी कि इस रैली का हिस्सा बनने की लिए बड़ी संख्या में किसान दिल्ली पहुंच रहे हैं.
-सत सिंह
हरियाणा में कुंडली इंडस्ट्रियल एरिया (केआईए) के ख़िलाफ़ प्रवासी मज़दूरों के लंबित वेतन के लिए आवाज़ उठा रहीं 24 साल की नवदीप कौर पिछले 11 दिनों से जेल में हैं. केआईए सिंघु बॉर्डर से सटा सोनीपत का इलाका है.
हरियाणा पुलिस ने उन पर 12 जनवरी को कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए हैं.
एफआईआर के मुताबिक, नवदीप कौर मूल रूप से पंजाब की रहने वाली हैं, लेकिन वे केआईए में काम करती थीं. इसमें कहा गया है कि वे कथित रूप से अवैध धन वसूली का काम कर रही थीं और जब पुलिस अधिकारियों की एक टीम उनके पास पहुंची तो पुलिसवालों पर लाठियों से हमला किया गया.
पुलिस ने आरोप लगाया है कि इस हमले में कई पुलिसवाले घायल हो गए थे. 12 फरवरी को पुलिस ने कौर को अरेस्ट कर लिया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. मामले की अगली सुनवाई 25 जनवरी को है.
COURTESY - SAT SINGH
नवदीप की बड़ी बहन राजवीर कौर का कहना है कि पुलिस ने नवदीप के साथ मारपीट की थी. राजवीर कौर का कहना है कि नवदीप दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी किए हुए हैं. उन्होंने दावा किया कि उनकी बहन केआईए में मौजूद एक यूनिट में काम कर चुकी हैं, लेकिन वे प्रवासी मजदूरों की आवाज़ भी उठा रही थीं.
राजवीर कौर ने कहा कि प्रवासी मज़दूर लॉकडाउन के दौरान संकट में फंस गए थे और इंडस्ट्रियल यूनिट्स ने उन्हें बकाया पैसों का भुगतान नहीं किया था. नवदीप मज़दूर अधिकार संघर्ष (एमएएस) का हिस्सा रह चुकी हैं और वे मजदूरों के बकाया वेतन के मसले पर यूनिट्स के गेट्स पर प्रदर्शनों में शामिल रही हैं.
सिंघु बॉर्डर पर किसानों के धरना देने के बाद केआईए के मजदूरों ने भी इस विरोध को अपना समर्थन दे दिया. वे कहती हैं, "किसान आंदोलन को सपोर्ट करने की वजह से मेरी बहन की नौकरी चली गई."
राजवीर कौर कहती हैं कि बकाया भुगतान की मांग को लेकर मजदूरों के प्रदर्शन रोकने के लिए केआईए ने एक त्वरित कार्रवाई दस्ता (क्यूआरटी) बना लिया था.
बीते साल 28 दिसंबर को जब मज़दूर प्रदर्शन कर रहे थे, तब एक क्यूआरटी ने प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया.
इस बाबत क्यूआरटी के सदस्यों के ख़िलाफ़ एक शिकायत सोनीपत के एसएसपी से की गई थी, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
COURTESY - SAT SINGH
वो कहती हैं कि 12 जनवरी को नवदीप को पुलिस ने पकड़ लिया. पुलिस ने उन्हें जानबूझकर पकड़ा है क्योंकि वे मजदूरों की एक मुखर आवाज़ बनकर उभरी हैं.
उनका कहना है कि पुरुष पुलिसवालों ने उन्हें अरेस्ट किया और कस्टडी में पुरुष पुलिसवालों ने उनके साथ मारपीट की. नवदीप 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं.
दूसरी ओर सोनीपत के डिप्टी एसपी राव वीरेंदर ने बीबीसी को बताया कि अभियुक्त लड़की और 50 अन्य पुरुषों ने पुलिस पर हमला किया था.
डीएसपी वीरेंदर सिंह ने कहा कि उन्हें अरेस्ट किए जाने के बाद महिला थाने ले जाया गया था और उसी शाम उन्हें जज के सामने पेश किया गया था.
पुलिस ने कहा है, "अगर उनके साथ मारपीट की गई थी तो उन्हें जज के सामने इस बात को बताना चाहिए था. सभी आरोप झूठे हैं."
'धमकियों के बावजूद पीछे नहीं हटी थीं नवदीप'
मज़दूर अधिकार संगठन की कार्यकर्ता रजीत ने बताया कि जिस दिन नवदीप कौर की गिरफ़्तारी हुई थी, उस दिन वो लोग शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन पुलिस का एक दल आया और बेरहमी से पीटने लगा.
वो बताती हैं, "पुलिस वाले आए और तनख्वाह के लिए प्रदर्शन करने वाले मज़दूरों को पीटने लगे. पुलिस वालों ने क्यूआरटी सदस्यों की मदद से प्रदर्शनकारियों का पीछा कर नवदीप कौर को पकड़ लिया."
COURTESY - SAT SINGH
नवदीप कौर के साथ काम करने वाली रजीत बताती हैं कि नवदीप प्रवासी मज़दूरों के हक के लिए होने वाले विरोध-प्रदर्शनों में काफी सक्रिय थीं. करीब छह सौ ऐसी शिकायतें मिली थीं जिसमें कहा गया था कि उन्हें तनख्वाह नहीं दी जा रही हैं.
वो कहती हैं, "नवदीप को मजदूरों की आवाज़ उठाने के लिए लगातार धमकियाँ मिल रही थीं लेकिन वो मजदूरों को न्याय दिलाने को लेकर संकल्पित थीं. इसकी क़ीमत उसे चुकानी पड़ी है."
कुंडली इंडस्ट्री में काम करने वाले एक मज़दूर राज कुमार ने बताया कि नवदीप मज़दूरों के पैसे दिलवाने के लिए दबाव डालने में अहम भूमिका निभा रही थीं.
वो बताते हैं कि, "सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन के पहुँचने के बाद वो काफी सक्रिय हो गई थीं. किसान भी मजदूरों की मांग का समर्थन कर रहे थे. "
राज कुमार का कहना है कि कंपनी के मालिकों ने पुलिस को अपने साथ मिला रखा है ताकि मज़दूर उनके ख़िलाफ़ आवाज़ नहीं उठा सके. (bbc.com)
गाजीपुर बॉर्डर, 24 जनवरी | कृषि कानून पर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का 2 महीने से प्रदर्शन जारी है। इसी सिलसिले में किसानों ने हर जगह कृषि संबंधी अपने बैनर व पोस्टर लगाए हुए हैं। यहां तक कि नेशनल हाइवे पर लगे साइन बोर्ड जिनकी मदद से लोगों को अपने गंतव्य स्थान तक जाने में मदद मिलती है, उन्हें भी बैनर-पोस्टर से पाट दिया गया है। गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड से आए किसान डेरा डाले हए हैं। वहीं बॉर्डर पर हर जगह किसान अपने संगठन के बारे में और सरकार के विरोध में बैनर-पोस्टर लगाए हुए हैं।
बॉर्डर से गुजर रहे नेशनल हाइवे 24 और इसी हाईवे से सटे नेशनल हाइवे 9 पर लगे साइन बोर्ड पर किसानों ने सरकार के विरोध में एक पोस्टर टांगा है, जिस पर लिखा है- "कॉरपोरेट भगाओ, देश बचाओ और काले कानून वापस लो।"
दरअसल, दिल्ली से गाजियाबाद, मेरठ एक्सप्रेस-वे से गुजरने वाले लोगों के लिए इन साइन बोर्ड पर स्थानों के नाम लिखे रहते हैं, जिनकी मदद से यात्रियों को सही मार्ग पर चलने का पता चलता है।
हालांकि अब गुजरने वाले लोगों के लिए ये तीन संदेश मिलते हैं, जो किसानों की तरफ से लगाए गए हैं।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने और तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर, 2020 से किसान डेरा डाले हुए हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 जनवरी | अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के उपनिदेशक (प्रशासन) सुभाषीश पांडा ने कहा है कि प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिका लैंसेट के अध्ययन के बाद कोविड की पहली स्वदेशी कोवैक्सीन के प्रभावों के बारे में जो विवाद उत्पन्न हुआ है, उन भ्रांतियों का कोई औचित्य नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि टीकाकरण अभियान को लेकर उपजी आशंकाओं पर भी विराम लगना चाहिए। पांडा एम्स में विगत तीन वर्षो से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। फिलहाल वह प्रतिनियुक्ति पर हैं। रविवार को एम्स में कोवैक्सीन का टीका लगवाने वाले वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के पहले अधिकारी हैं। वह हिमाचल प्रदेश कैडर के 1997 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वह नागरिक खाद्य आपूर्ति विभाग में संयुक्त सचिव भी रह चुके हैं।
खबरों के मुताबिक, लैंसेट ने शुक्रवार को अपने एक अध्ययन में कहा था कि टीकाकरण के पहले चरण में कोवैक्सीन के परिणामस्वरूप सहनशीन सुरक्षा परिणाम सामने आए और इसने प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को भी बढ़ाया।
लैंसेट की इस स्टडी पर पांडा ने आईएएनएस को बताया कि भारत ने एक सुरक्षित वैक्सीन तैयार किया है। कोवैक्सीन पर लैंसेट की स्टडी के परिप्रेक्ष्य में डेटा, आंकड़े और सत्यापन प्रक्रिया को भी मंजूरी प्रदान की गई है।
उन्होंने लोगों से टीका लगवाने की अपील करते हुए कहा कि अब उन्हें टीकाकरण अभियान से जुड़ी आशंकाओं पर विराम लगाना चाहिए।
गौरतलब है कि टीकाकरण के पहले चरण में फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाई गई थी। हालांकि 16 जनवरी को शुरू हुए टीकाकरण अभियान के समय से अब तक 10 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है, लेकिन कोविड-19 की वैक्सीन को लेकर चिंताएं अभी भी पूरी तरह से दूर नहीं हुई हैं।
सरकार को वैक्सीन को लेकर कई भ्रामक खबरों जैसी चुनौतियों से भी मुकाबला करना पड़ रहा है। इन भ्रामक खबरों के कारण लोगों के मन में वैक्सीन लगवाने को लेकर भ्रांतियां भी पैदा हो रही हैं। सरकार द्वारा बार-बार आश्वासन दिए जाने के बाद भी लोगों को पूरी तरह आश्वस्त करना दुष्कर हो रहा है।
पांडा ने कहा कि टीका लगवाने को लेकर लोगों के मन में झिझक होना कोई नई बात नहीं है। जब हमने पोलियों के लिए खुराक पिलाने का अभियान चलाया था तो उस समय भी ऐसी ही स्थिति थी, लेकिन धीरे-धीरे यह समाप्त हो गया। मैंने भी आज कोविड का टीका लगवाया और मैं पूरी तरह से फिट हूं। उन्होंने कोविड वैक्सीन को पूरी तरह सुरक्षित बताते हुए कहा कि वैक्सीन लगवाने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को स्वेच्छा से आगे आना चाहिए। (आईएएनएस)
संदीप पौराणिक
भोपाल, 24 जनवरी | मध्यप्रदेश में एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की सक्रियता बढ़ गई है और उन्होंने इसके लिए जनता से जुड़े शराबबंदी के मुद्दे को बड़ा हथियार बनाया है। उमा भारती की इस सक्रियता के सियासी मायने भी खोजे जाने लगे हैं और कयास लगाया जा रहा है कि वह एक बार फिर मध्य प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने की तैयारी में तो नहीं है।
राष्ट्रीय राजनीति के फलक पर उमा भारती की पहचान तेज-तर्रार नेता के तौर पर रही है और मध्य प्रदेश में भाजपा की जड़ों को जमाने में उनकी अहम भूमिका को कोई नकार नहीं सकता। उन्होंने वर्ष 2003 में भाजपा को सत्ता में लाया था, मगर हुबली तिरंगा कांड के चलते उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद वे राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हुई और अपनी सियासी जमीन उत्तर प्रदेश में तैयार की। वर्तमान में वे तो ना तो भाजपा की सक्रिय राजनीति का हिस्सा है और न ही निर्वाचित जन प्रतिनिधि।
उमा भारती ने पिछले दिनों शराबबंदी का नारा बुलंद किया है और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक से भाजपा शासित राज्यों में शराबबंदी की मांग कर डाली। इतना ही नहीं वह शराबबंदी का नारा बुलंद करने के लिए मध्यप्रदेश पहुंची और यहां बेबाकी से अपनी बात रखी। उमा भारती कहती हैं कि उनके पास शराबबंदी से होने वाले राजस्व की भरपाई का विकल्प भी है इस संदर्भ में वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात भी करेंगी।
उमा भारती की मध्य प्रदेश में बढ़ती सक्रियता के सियासी मायने भी खोजे जाने लगे हैं। राज्य में उनके समर्थक बड़ी संख्या में हैं। उमा भारती के प्रभाव को वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के उपचुनाव में देखा जा सकता है, जब उनके चार करीबियों को भाजपा ने उम्मीदवार नहीं बनाया तो चारों ने भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की थी। उनमें से दो बड़ा मलहरा से प्रद्युम्न सिंह लोधी और दमोह से राहुल लोधी कांग्रेस को छोड़कर फिर भाजपा में आ गए हैं। प्रद्युम्न लोधी तो मलहरा से निर्वाचित हो चुके हैं और अब दमोह से राहुल लोधी को उम्मीदवार बनाए जाने की कवायद जारी है। राहुल का विरोध भी हो रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया भी उमा भारती के शराबबंदी वाले बयान को सियासी तौर पर महत्वपूर्ण मानते हैं। उनका कहना है कि उमा भारती ने शराबबंदी के बयान के जरिए आधी आबादी की आवाज उठाई है, वे हमेशा ही व्यवस्था के खिलाफ (एंटी स्टेबलिशमेंट) आवाज उठाने वाली नेता के तौर पर पहचानी जाती रही हैं। आदर्श स्थिति में शराबबंदी होनी भी चाहिए। यह बात अलग है कि ये हो नहीं पाती। उन्होंने इस बयान के जरिए यह बता दिया है कि उनकी सक्रियता बनी हुई है और वे महिला की बड़ी पैरोकार बनकर सामने आई हैं। यही कारण है कि मध्य प्रदेश सरकार को दो कदम आगे बढ़ाकर पीछे करना पड़ा है। वहीं वे असहमति के स्वर का भी नेतृत्व कर रही हैं। इतना ही नहीं अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुआ हाथरस प्रकरण हो या किसान आंदोलन, दोनों ही मामलों में उन्होंने अपनी आवाज बुलंद की थी।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 जनवरी | भारत का चुनाव आयोग 11वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने के लिए तैयार है। इस बार कार्यक्रम का थीम 'मेकिंग आवर वोटर्स एम्पावर्ड, विजिलेंट, सेफ एंड इंफॉर्मेड' है। सोमवार को आयोजित होने वाले कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद वर्ष 2020-21 के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करेंगे और ईसीआई के वेब रेडियो: 'हैलो वोटर्स' को लॉन्च करेंगे। यह कार्यक्रम अशोक होटल में आयोजित किया जाएगा और राष्ट्रपति इस अवसर पर वर्चुअली राष्ट्रपति भवन से जुड़ेंगे।
केंद्रीय कानून और न्याय, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद भी समारोह में अतिथि के रूप में भाग लेंगे।
इस साल मतदाता दिवस का विषय, 'मेकिंग आवर वोटर्स एम्पावर्ड, विजिलेंट, सेफ एंड इंफॉर्मेड' है, जो चुनाव के दौरान सक्रिय और सहभागी मतदाताओं की परिकल्पना उजागर करता है। यह कोविड-19 महामारी के दौरान सुरक्षित रूप से चुनाव कराने की ईसीआई की प्रतिबद्धता पर भी केंद्रित है।
साल 1950 में 25 जनवरी को भारत के चुनाव आयोग के स्थापना दिवस को चिह्न्ति करने के लिए 2011 से हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। एनवीडी उत्सव का मुख्य उद्देश्य नए मतदाताओं को प्रोत्साहित करना, सुविधा प्रदान करना, अधिकतम नामांकन करना है। देश के मतदाताओं को समर्पित, दिन का उपयोग मतदाताओं में जागरूकता फैलाने और चुनावी प्रक्रिया में सूचित भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। नए मतदाताओं को एनवीडी कार्यों में उनके निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) सौंपे जाते हैं।
इस अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किए जाने वाले राष्ट्रीय पुरस्कारों में वे राज्य और जिला स्तर के अधिकारी शामिल हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों जैसे आईटी पहल, सुरक्षा प्रबंधन, चुनाव प्रबंधन के दौरान कोविड-19, सुलभ चुनाव और मतदाता जागरूकता और आउटरीच के क्षेत्र में योगदान दिया। मतदाताओं की जागरूकता के लिए उनके बहुमूल्य योगदान के लिए राष्ट्रीय चिह्न्, सीएसओ और मीडिया समूहों जैसे महत्वपूर्ण हितधारकों को राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिए जाएंगे।
ईसीआई का वेब रेडियो: 'हैलो वोटर्स' एक ऑनलाइन डिजिटल रेडियो सेवा है जो मतदाता जागरूकता कार्यक्रमों को संचालित करेगी। यह भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर एक लिंक के माध्यम से उपलब्ध होगा। रेडियो हैलो वोटर्स की प्रोग्रामिंग शैली लोकप्रिय एफएम रेडियो सेवाओं की तरह होगा। यह देशभर से हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में गीत, नाटक, चर्चा, स्पॉट, चुनाव की कहानियों आदि के माध्यम से चुनावी प्रक्रियाओं की जानकारी और शिक्षा प्रदान करेगा।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ई-ईपीआईसी कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे और पांच नए मतदाताओं को ई-ईपीआईसी और निर्वाचक फोटो पहचान पत्र वितरित करेंगे। ई-ईपीआईसी निर्वाचक फोटो पहचान पत्र का एक डिजिटल संस्करण है और इसे वोटर हेल्पलाइन ऐप के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है।
आयोजन के दौरान प्रसाद चुनाव आयोग के तीन प्रकाशन भी जारी करेंगे। इन दस्तावेजों की प्रतियां राष्ट्रपति को प्रस्तुत की जाएंगी। (आईएएनएस)
-राहुल सिंह
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर रविवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं और मोदी सरकार कर इकट्ठा करने में व्यस्त है. एक सप्ताह में चौथी बार कीमतों में वृद्धि के बाद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों के अब तक की सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंचने के एक दिन बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने यह टिप्पणी की है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट किया, ‘‘मोदी जी जीडीपी- गैस, डीजल और पेट्रोल में बेतहाशा वृद्धि लाए हैं.''
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘लोग महंगाई से परेशान हैं और मोदी सरकार कर इकट्ठा करने में व्यस्त है. मोदी जी ने ‘GDP' यानी गैस-डीज़ल-पेट्रोल के दामों में ज़बरदस्त विकास कर दिखाया है. जनता महँगाई से त्रस्त, मोदी सरकार टैक्स वसूली में मस्त.''
गौरतलब है कि कीमतों में वृद्धि के बाद दिल्ली में पेट्रोल के दाम 85.70 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 92.28 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं. इसी प्रकार से दिल्ली में डीजल के दाम 75.88 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 82.66 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं.
नई दिल्ली, 24 जनवरी (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर 'राष्ट्र की बेटियों' को सलाम किया और बालिका सशक्तीकरण की दिशा में काम करने वाले सभी लोगों की प्रशंसा की। मोदी ने ट्वीट कर कहा, राष्ट्रीय बालिका दिवस पर, हम विभिन्न क्षेत्रों में हमारी हैशटैगदेशकीबेटी और उनकी उपलब्धियों को सलाम करते हैं। केंद्र सरकार ने कई पहल की है, जो बालिकाओं को सशक्त बनाने पर जोर देती है, जिनमें शिक्षा तक बेहतर पहुंच, स्वास्थ्य सेवा और लिंग संवेदनशीलता में सुधार शामिल है।
आज का दिन विशेष रूप से बालिकाओं को सशक्त बनाने की दिशा में काम करने वाले सभी लोगों की सराहना करने और यह सुनिश्चित करने का दिन है कि वो लड़कियों का सम्मान करें और उन्हें अवसर दें।
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने 2008 में राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरूआत की थी, ताकि भारतीय समाज में व्याप्त विषमताओं पर लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके।
नई दिल्ली, 24 जनवरी | देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर चले रहे किसान आंदोलन को दो महीने पूरे हो गए हैं और इस समय सबकी नजर गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शनकारियों द्वारा पूर्व घोषित दिल्ली में ट्रैक्टरों के साथ किसान परेड निकालने पर है। नए कृषि कानून के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों के आंदोलन का रविवार को 60वां दिन है और आंदोलनकारी इस समय ट्रैक्टर रैली निकालने की तैयारी में जुटे हैं। पंजाब के मालवा क्षेत्र के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन एकता (उग्राहां) के अध्यक्ष योगिंदर सिंह ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान समेत देश के अन्य प्रांतों से भी किसान रैली में शामिल होने के लिए ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि किसान परेड के लिए वोलेंटियर लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि एक लाख से अधिक ट्रैक्टर परेड में उतारने की तैयारी है और महिलाएं खुली ट्रॉलियों में जाएंगी।
किसान नेताओं ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के भीतर आउटर रिंग रोड पर किसान गणतंत्र परेड निकालने की तैयारी है। पंजाब के ही किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के जनरल सेक्रेटरी परमिंदर सिंह पाल माजरा ने बताया कि किसान गणतंत्र परेड में लाखों किसान शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 100 किलोमीटर के दायरे में यह रैली निकलेगी।
किसान यूनियनों ने शांतिपूर्ण ढंग से किसान गणतंत्र परेड निकालने की बात कही है। इस संबंध में दिल्ली पुलिस के साथ शनिवार को हुई वार्ता में यूनियन के नेताओं ने ट्रैक्टर रैली निकालने की अनुमति मिलने का दावा किया जबकि पुलिस ने कहा कि बातचीत अंतिम चरण में है।
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल किसान नेताओं ने बताया कि किसान गणतंत्र परेड आउटर रिंग रोड पर तय रूट पर निकालने की तैयारी चल रही है।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने और तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से किसान डेरा डाले हुए हैं।
किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर सरकार के साथ किसान यूनियनों की 11 दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं। किसान यूनियनों के साथ 11वें दौर की वार्ता में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नये कानूनों के अमल पर डेढ़ साल तक रोक लगाने के सरकार के प्रस्ताव पर किसानों को पुनर्विचार करने को कहा।
इस संबंध में पूछे गए सवाल पर योगिंदर सिंह ने कहा, सरकार जब नये कृषि कानूनों में संशोधन करने और इनके अमल पर रोक लगाने को तैयार है, तो फिर निरस्त करने के बारे में भी सोचना चाहिए। (आईएएनएस)
काईद नजमी
मुंबई, 24 जनवरी | भारत 30 जनवरी को महात्मा गांधी की हत्या की 73वीं वर्षगांठ मनाने के लिए तैयार है, उनके वंशजों ने एक पुरानी परंपरा को बहाल करने की अपील की है, जिसके तहत राष्ट्रपिता की गोली मारकर हत्या करने के समय सायरन बजा कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती थी।
महात्मा गांधी के परपोते, तुषार ए. गांधी और अन्य लोगों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से आग्रह किया है कि वे अपने कार्यालय का उपयोग करें और 30 जनवरी को हर साल 'बापू' को श्रद्धांजलि के रूप में 'सायरन बजाने' की परंपरा को फिर से बहाल करें।
तुषार गांधी ने आईएएनएस से कहा, "इसे उस ठंड में (शाम 5.17 बजे) हत्या किए जाने के तुरंत बाद शुरू किया गया था। एक नाराज राष्ट्र के 'बापू' को मौन श्रद्धांजलि पेश की थी। उद्देश्य सरल था - सभी को स्वेच्छा से उन्हें शांति से याद करना था।"
हालांकि, स्कूल और सरकारी या निजी कार्यालय शाम 5 बजे तक बंद हो जाते थे, इसलिए लोगों के लिए नियम का पालन करना संभव नहीं था।
कुछ समय बाद, हर साल 30 जनवरी को सुबह 11 बजे श्रद्धांजलि अर्पित करने का निर्णय लिया गया, ताकि सभी संस्थान इसका अनुपालन कर सकें क्योंकि इसे 'शहीद दिवस' घोषित किया गया था।
यह कई दशकों तक जारी रहा, लेकिन 1980 के दशक के अंत या कहें तो 1990 के दशक की शुरूआत में, इस परंपरा को धीरे-धीरे समाप्त कर दिया गया।
तुषार गांधी ने कहा, "इस नए दशक की नई शुरूआत करने के लिए, मैं राष्ट्रपति कोविंद जी से विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूं कि वे सोमवार को अपने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या भाषण में राष्ट्र और देशवासियों से इसके संबोधन के बारे में विचार करें।"
82 वर्षीय श्रीकांत मातोंडकर ने कहा, "एक छात्र के रुप में मुझे अच्छी तरह से याद है कि, सायरन बजता था और हम इसके बंद होने से पहले दो मिनट का मौन रखते थे।"
अभिनेत्री और शिवसेना नेता उर्मिला मातोंडकर के पिता श्रीकांत मातोंडकर ने कहा कि फिर यह परंपरा चुपचाप समाप्त हो गई, लेकिन उम्मीद है कि इसे जनता के लिए फिर से बहाल किया जाएगा।
मुंबई के एक प्रमुख व्यवसायी, प्रताप एस. बोहरा (66) ने कहा, "केवल सायरन ही क्यों? आधुनिक तकनीक के साथ, सरकार मोबाइल फोन पर, टीवी, रेडियो चैनलों और सोशल मीडिया पर भी सभी लोगों को एक रिमाइंडर दे सकती है। यह एक अच्छा राष्ट्रवादी अभ्यास होगा, और नई पीढ़ियों को इससे निश्चित ही अवगत कराना चाहिए।"
तुषार गांधी ने कहा, "हर साल शाम 5.17 बजे लोग स्वेच्छा से खड़े हो सकते हैं और मन ही मन यह संकल्प ले सकते हैं कि शांति की इस धरती पर इस तरह के जघन्य अपराध दोबारा नहीं होने चाहिए।"
जब एक शीर्ष महाराष्ट्र पुलिस अधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि शहीद दिवस पर 'यह रिवाज अभी भी जिंदा है', लेकिन अब बड़े पैमाने पर सरकारी कार्यालयों में इसका अभ्यास किया जाता है।
अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, "समय-समय पर, गृह मंत्रालय (एमएचए) सरकारी, निजी कार्यालयों, शैक्षिक संस्थानों, वाणिज्य और उद्योग के मंडलों और अन्य सभी संगठनों के लिए विस्तृत निर्देश जारी करता है।" (आईएएनएस)
-मुकेश सिंह सेंगर
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में संसद मार्ग पर स्थित आकाशवाणी भवन की पहली मंजिल पर रविवार सुबह आग लग गई. आग पर काबू पाने के लिए दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं. समय रहते आग पर काबू पा लिया गया है. फिलहाल, इस हादसे में किसी के घायल होने की जानकारी नहीं है.
दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह करीब पांच बजकर 57 मिनट पर आग लगने की सूचना मिली. इसके बाद घटनास्थल पर दमकल के आठ वाहनों को भेजा गया. आग पर काबू पा लिया गया है. आग से किसी के झुलसने या घायल होने की खबर नहीं है.
डीएफएस के निदेशक अतुल गर्ग ने कहा कि आग कमरा संख्या 101 से शुरू हुई थी. यहां बिजली के कुछ उपकरणों की वजह से आग लगी थी.
(भाषा के इनपुट के साथ)
-सुनील कुमार सिंह
मुंबई: मुंबई के ड्रग्स फैक्टरी केस में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने पांचवी गिरफ्तारी की है. पांचवे गिरफ्तार आरोपी का नाम विक्रांत जैन उर्फ विक्की जैन है. विक्की को भिवंडी से गिरफ्तार किया गया है. NCB के मुताबिक विक्की राहुल वर्मा और चिंकू पठान का फायनांसर है. इससे पहले NCB ने सलमान नासिर उर्फ सलमान पठान को पकड़ा था.
चार दिन पहले (बुधवार को) नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने दक्षिणी मुंबई के डोंगरी क्षेत्र में एक लैब पर छापा मार कर 12 किलो से अधिक मादक पदार्थ , 2.18 करोड़ रुपये की नकदी और एक रिवॉल्वर की बरामदगी की थी. इस कार्रवाई में ब्यूरो ने भगोड़े माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम के गुर्गे परवेज खान उर्फ चिंकू पठान समेत तीन लोगों को ड्रग्स रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
NCB के एक अधिकारी ने बताया कि अंडरवर्ल्ड द्वारा संचालित मादक पदार्थ के कारोबार की जांच एनसीबी कर रही है और उसने पहले चिंकू पठान उर्फ परवेज खान को भगोड़े माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम की कथित तौर पर मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने बताया कि दो अन्य की भी मामले में गिरफ्तारी की गई है.
-----