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भोपाल, 13 अगस्त (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में कुछ समय बाद 27 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बड़ी भूमिका रहने वाली है, इसके लिए संघ ने जमीनी स्तर पर स्वयंसेवकों को सक्रिय भी कर दिया है।
संघ के स्वयंसेवक कोरोना काल में लोगों की हर संभव मदद करने में लगे हैं और पार्टी की स्थिति के साथ उम्मीदवार के जनाधार का गणित भी तलाश रहे हैं।
राज्य में लगभग पांच माह पहले कांग्रेस के 22 विधायकों के एक साथ पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लेने से तत्कालीन कमल नाथ सरकार गिर गई थी और भाजपा को सत्ता में वापसी का मौका मिला था। इसके बाद कांग्रेस के तीन और विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया। वहीं दो सीटें दो विधायकों के निधन से खाली हुई हैं। कुल मिलाकर 27 विधानसभा क्षेत्रों में आगामी समय में उपचुनाव प्रस्तावित है। उपचुनाव सितंबर के अंत में हो सकते हैं, मगर चुनाव आयोग ने अभी तारीखों का ऐलान नहीं किया है।
राज्य की सियासत के लिहाज से 27 क्षेत्रों में होने वाले विधानसभा उपचुनाव काफी अहम हैं, क्योंकि राज्य विधानसभा की सदस्य संख्या 230 है, विधानसभा में पूर्ण बहुमत के लिए 116 विधायकों का समर्थन आवश्यक है। वर्तमान में भाजपा के पास 107, कांग्रेस के 89, सात निर्दलीय, बसपा और सपा के एक-एक विधायक हैं। भाजपा को पूर्ण बहुमत पाने के लिए कम से कम नौ सीटों पर जीत चाहिए।
सूत्रों का कहना है कि कुछ विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा के लिए सुखद सूचनाएं नहीं आ रही हैं। इस वजह से भाजपा संगठन जहां अपने स्तर पर उपचुनाव वाले क्षेत्रों में काम कर रहा है, वही संघ के स्वयंसेवक अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
इस समय कोरोना संक्रमण के कारण लोग मुसीबत में हैं और संघ के स्वयंसेवक इन लोगों की हर संभव मदद करने में लगे हैं। स्वयंसेवकों की सक्रियता से संघ को जमीनी फीडबैक भी मिल रहा और उसी के आधार पर आगे की रणनीति बनाई जा रही है।
पिछले एक माह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की मध्यप्रदेश में हुए दो दौरों को विधानसभा उपचुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। वैसे, संघ प्रमुख के इन दौरों के दौरान उनका भाजपा नेताओं से तो मुलाकात नहीं हुई, मगर संघ प्रमुख का स्वयंसेवकों से संवाद जरूर हुआ।
राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटैरिया का कहना है कि संघ सूचनाओं के आधार पर अपनी रणनीति बनाता है। अगर संघ को यह सूचना है कि कुछ क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति कमजोर है तो यह मान लीजिए कि संघ को उपचुनाव को लेकर खतरा जान पड़ रहा है। इसीलिए संघ प्रमुख एक माह के भीतर मध्यप्रदेश का दो बार दौरा कर चुके हैं और संघ के लोगों से फीडबैक ले चुके हैं।
सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) में जम्मू-कश्मीर के पहले टॉपर शाह फ़ैसल ने पिछले साल काफ़ी नाटकीय अंदाज़ में फैसला लेते हुए सरकारी नौकरी छोड़कर जम्मू-कश्मीर की उलझी हुई सियासत में कदम रखा. उन्होंने 10 साल पहले यूपीएससी परीक्षा में टॉप करके देशभर में चर्चा बटोरी थी और उसके बाद कश्मीर में ही अलग-अलग पदों पर काम किया.
पिछले साल इस्तीफ़ा देने के बाद उन्होंने जम्मू कश्मीर पीपल्स मूवमेंट नाम से अपनी राजनीतिक पार्टी की शुरुआत की. पार्टी की शुरुआत के वक़्त शाह फ़ैसल ने दो पन्नों का एक विजन डॉक्यूमेंट जारी किया था जिसमें लोगों को संवैधानिक मूल्यों के ज़रिए मज़बूत बनाने की बात कही गई थी.
कश्मीर की राजनीति में बतौर युवा नेता उनके उभरने के क़रीब दो महीने बाद ही भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर का 70 साल पुराना विशेष राज्य का दर्जा 5 अगस्त 2019 को ख़त्म कर दिया.
कश्मीर के भारतीय संघ में पूर्ण विलय और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने की प्रक्रिया के दौरान प्रशासन ने कश्मीर के सभी बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया. इनमें शाह फ़ैसल भी शामिल थे.
लंबे समय तक घर में नज़रबंद रहने के बाद इस सप्ताह 37 वर्षीय शाह फ़ैसल ने अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया. इसी के साथ उनके दोबारा प्रशासनिक सेवा में लौटने की अफवाहें भी उड़ने लगीं.
खुद को हिरासत में रखे जाने को वो एक सीख मानते हैं. उनका कहना है कि उन्होंने राजनीति इसलिए छोड़ी है क्योंकि वो जम्मू कश्मीर की परेशान जनता से किए गए अपने वादे को पूरा नहीं कर सकते.
बीबीसी संवाददाता रियाज़ मसरूर को ईमेल पर दिए गए एक इंटरव्यू में शाह फ़ैसल एक नौकरशाह से लेकर अल्पकालिक नेता और अब बतौर एक कश्मीरी अपनी बात कह रहे हैं, जिनका मानना है कि सियासी जगह पूरी तरह कभी ख़त्म नहीं की जा सकती.
सवाल: आपने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफ़ा देकर राजनीति का रास्ता चुना लेकिन आपका ये सफ़र 5 अगस्त 2019 को हुए एक बड़े बदलाव की वजह से बेहद छोटा रहा. क्या कश्मीर की आंशिक स्वायत्तता का अंत आपकी राजनीतिक परिकल्पना की भी हार थी?
हां. मुझे यह क़ुबूल करने में कोई झिझक नहीं है.
मैंने संविधान के दायरे में रहकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मज़बूत करने की बात कही थी. लेकिन पांच अगस्त के बाद ये सारा मामला इतना अधिक जज़्बाती हो गया कि अगर एक राजनेता कहता है कि हमें इस नई हक़ीक़त के साथ आगे बढ़ना है तो वो ईशनिंदा के जैसा समझा जाएगा
ज़मीनी हक़ीक़त बदल गई है और अब ये वो जगह बिल्कुल नहीं है. इसलिए मैं यहां के नए राजनीतिक हालात को लेकर अपनी समझ स्पष्ट करना चाहता हूं. राजनीतिक रूप से सही नज़र आए बिना यहां राजनीति करना बहुत मुश्किल है. मैं बहुत विनम्रता के साथ राजनीति छोड़ रहा हूं और लोगों को बता रहा हूं कि मैं झूठी उम्मीदें नहीं दिला सकता कि मैं आपके लिए ये करूंगा, वो करूंगा, जबकि मुझे पता है कि मेरे पास ऐसा कर पाने की ताक़त नहीं है.
आपका इस्तीफ़ा अब तक मंज़ूर नहीं हुआ, जिससे अफवाहें बढ़ रही हैं कि आप फिर से नौकरशाही में वापस जाना चाहते हैं. अपनी ही बनाई पार्टी छोड़कर आपने उन अफ़वाहों को और बल दे दिया है जिसे कश्मीर की जटिल राजनीति का एक दिन कहा जाता है.
मेरे इस्तीफ़े ने समस्याएं सुलझाने की बजाय और समस्याएं खड़ी कर दी हैं. जब इरादा असहमति जताने का था तो इसे देशद्रोह बता दिया गया. सिविल सेवाओं के नए प्रतिभागी भी काफ़ी हतोत्साहित हुए. मेरे सहकर्मी भी नाराज़ थे जब मैंने यह फैसला लिया.
मैं ऐसा कोई काम नहीं करते रहना चाहता जब मुझे पता कि इससे कुछ बदलने वाला नहीं है. इसलिए मुझे लगा रुक जाना ही अच्छा है.
भारतीय प्रशासनिक सेवा में आपकी एंट्री ने हज़ारों युवाओं को इस तरफ आकर्षित किया कि वो प्रशासनिक सेवा में करियर बनाएं. फिर आपने एक नारा दिया- "हवा बदलेगी" और फिर बहुत से लोगों को लगा कि राजनीति अभिव्यक्ति का एक माध्यम है. आपको क्या लगता है, आपकी इस उलझन का असर आपसे नाराज़ युवाओं पर किस तरह पड़ेगा?
मुझे नहीं लगता इससे युवाओं को परेशान होना चाहिए. दरअसल इससे उन्हें नई राजनीतिक परिस्थिति को और अधिक निष्पक्ष रूप से देखने की ताक़त मिलनी चाहिए.
जिंदगी चलती रहनी चाहिए. हमें नई चुनौतियों का सामना करना होगा और अपनी ज़िंदगी को सार्थक बनाना होगा. हम लंबे समय तक नकार नहीं सकते. इससे तनाव बढ़ता है. हमें सकारात्मकता के साथ भविष्य की ओर देखना चाहिए और जो ज़िंदगी में आ रहा है उसे स्वीकार करना चाहिए.
राजनीति से आपका विदा होना क्या इस बात का संकेत है कि कश्मीर के मौजूदा राजनीतिक ढांचे से आपका भरोसा उठ चुका है?
मेरे अलग होने का मतलब भरोसा उठना नहीं है. इसका मतलब है नई राजनीतिक परिस्थिति को समझना और मुश्किलों का अहसास होना. अगर मेरे पास कुछ बदलने की ताक़त नहीं होगी तो मैं वहां जाऊंगा ही क्यों.
लोकलुभावन राजनीति से मेरे बहुत से चाहने वाले हो जाएंगे लेकिन उससे मैं कश्मीर में कुछ बदल नहीं पाऊंगा.
फ़ारूक़ अब्दुल्ला के सामने आप एक नौसिखिए थे. क्या फ़ारूक़, उमर और महबूबा को भी पीएसए के तहत बंद किए जाने पर आपको राजनीति में आने पर पछतावा हुआ था?
पीएसए के तहत मेरी ख़ुद की हिरासत भी मेरे लिए एक बड़ा सबक थी. इससे मुझे ज़िंदगी को अलग ढंग से देखने का मौका मिला. इससे मुझे अहसास हुआ कि स्थिति कितनी जटिल है.
ऐसा कहा जा रहा है कि आपका परिवार आपके प्रशासनिक सेवा में लौटने को लेकर बातचीत कर रहा है. आप क्या कहेंगे?
मेरा परिवार मेरे लिए ऐसी कोई बातचीत क्यों करेगा? मेरा परिवार बेहद मामूली पृष्ठभूमि का है और अगर मुझे कुछ बातचीत करनी होगी तो वो मैं खुद करूंगा और खुलेआम करूंगा.
राजनीति में आपका पहला साल पांच अगस्त 2019 के मद्देनज़र बुरी सार्वजनिक प्रतिक्रिया और कठोर सरकारी प्रतिक्रिया के साथ शुरू हुआ. अब क्या इससे बाहर निकलकरआप ये स्वीकार कर रहे हैं कि कश्मीर की राजनीति में यहां के मूल निवासियों की भूमिका को आंकने में आपसे चूक हुई?
किसी अन्य संघर्ष क्षेत्र की तरह कश्मीर की त्रासदी ये है कि यहां जीवन के छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर सर्वसम्मति का अभाव है. हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां भरोसा बहुत कम है. जब मैंने राजनीति चुनी तो मुझे कठपुतली कहा गया. जब मैं राजनीति छोड़ रहा हूं तब मुझे वही लोग फिर से कठपुतली कह रहे हैं. ऐसे लोगों पर मैं हंसता हूं. इससे मुझे फ़र्क नहीं पड़ता.
क्या आपको लगता है कि 5 अगस्त 2019 के बाद से कश्मीर पूरी तरह गैर-राजनीतिकरण के दौर से गुज़र रहा है, इसलिए आपने छोड़ दिया?
नहीं, मुझे लगता है मुख्यधारा की राजनीति जो कि चुनावी राजनीति है वो कभी ख़त्म नहीं हो सकती. हो सकता है राजनीतिक प्रक्रिया शुरू होने में वक़्त लगे लेकिन आप देखेंगे कि आखिरकार लोकतांत्रिक राजनीति शुरू होगी. मैं रहूं या ना रहूं.
क्या फिर से उसी सिस्टम में लौटना चाहते हैं जहां से आप कुछ बड़ा करने के लिए बाहर निकले थे?
मैंने कभी सिस्टम नहीं छोड़ा. मैं एक छोटे सिस्टम से दूसरे में शिफ्ट हुआ था. मेरी विशेषज्ञता लोक प्रशासन है और मुझे सरकार के साथ काम करने में कोई परेशानी नहीं है. लेकिन वो कब और कैसे होगा मुझे फिलहाल नहीं पता.(bbc)
लगाया तुष्टीकरण का आरोप
नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)| बेंगलुरू में आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट को लेकर भड़की हिंसा की घटना पर सियासत गरमा गई है। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष ने कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि " पार्टी अपने ही विधायक के घर हमले की घटना की खुलकर निंदा करने की जगह तुष्टीकरण करने में जुटी है"।
दरअसल, कांग्रेस विधायक के एक रिश्तेदार की ओर से कथित आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट पर मंगलवार शाम को पूर्वी बेंगलुरु में हिंसा भड़क उठी। उपद्रवियों की ओर से किए गए पथराव में करीब 60 पुलिसकर्मियों को चोटें आईं। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को फायरिंग के लिए मजबूर होना पड़ा। हिंसा के दौरान तीन लोगों के मारे जाने की खबर है।
इस पूरे घटनाक्रम पर बुधवार को बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि " कम से कम अपने दलित विधायक के घर में तोड़फोड़ को आपको संज्ञान में लेना चाहिए था। पुलिस थाने को तबाह कर दिया गया जब आपके ही विधायक को निशाना बनाया गया, तो इतना तुष्टीकरण क्यों। बीएल संतोष ने यह प्रतिक्रिया कांग्रेस नेता दिनेश गुंडू राव के ट्वीट पर दी"।
बीएल संतोष ने आगे कहा कि "कई घंटे बाद कांग्रेस की कर्नाटक यूनिट जागी भी तो उसने फेसबुक पोस्ट करने वाले नवीन और एक्शन में देरी पर पुलिस को कसूरवार ठहराया। क्या कांग्रेस इस तरह के दंगों का समर्थन करती है। कांग्रेस दंगों की निंदा करने में क्यों संकोच करती है"।
बीजेपी की नेशनल यूनिट में आने से पहले बीएल संतोष कर्नाटक में लंबे समय तक संघ के प्रचारक और भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री भी रहे हैं। ऐसे में उनकी कर्नाटक की राजनीति पर बारीक नजर रहती है।
रांची, 12 अगस्त (आईएएनएस)| झारखंड के पलामू जिले में बुधवार को ट्रेन के आगे कूदकर एक महिला ने अपने सात वर्षीय बेटे के साथ आत्महत्या कर ली। पुलिस ने इसकी जानकारी दी।
सगौना गांव की प्रियंका देवी, जिनकी उम्र 30 साल की थी, वह रात को अपने पति नागेंद्र राम से हुई झड़प के बाद अपने तीन बच्चों के साथ बुधवार सुबह पास के रेलवे ट्रैक पर चली गई, जहां से गुजर रही मालगाड़ी के सामने अपने तीन बच्चों के साथ पटरियों पर कूद गई।
महिला और उसके बेटे आकाश की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसकी पांच साल की बेटी और तीन महीने का बेटा गंभीर रूप से घायल हो गया है।
शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। घायलों को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इंदौर, 12 अगस्त (आईएएनएस)| यह सुनने में थोड़ा अचरज हो सकता है कि मुस्लिम परिवार में किसी बच्चे का नाम कृष्णा है, मगर हकीकत यही है। लगभग 12 साल पहले जन्माष्टमी के दिन अजीज खान के घर बेटे ने जन्म लिया तो उन्होंने उसका नाम कृष्णा रख दिया। परिवार के सदस्यों ने विरोध भी किया मगर अजीज खान अपनी बात पर कायम रहे।
जन्माष्टमी पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है। इंदौर के मुस्लिम परिवार में भी खुशी का माहौल है क्योंकि अजीज खान के घर जन्माष्टमी को बेटे का जन्म हुआ था और उन्होंने उसका नाम कृष्णा रखा था। यह परिवार साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल के तौर पर चर्चाओं में रहता है।
लगभग 12 साल पुराने वाक्या केा याद करते हुए अजीज खान बताते है कि 23 अगस्त, 2008 केा उनकी पत्नी को ऑपरेषन से बच्चा हुआ। डॉ. प्रवीण जड़िया ने ऑपरेशन किया था और फार्म भरने के लिए बेटे का नाम पूछ लिया। मुस्लिम परंपरा के अनुसार नाम का चयन परिवार के सदस्य मिलकर करते है।
अजीज खान के मुताबिक डॉ. जड़िया के सवाल का जवाब देने के लिए कुछ देर वे ठिठके मगर उसी बीच डा जड़िया से कहा दिया कि आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है, तो कृष्णा लिख दीजिए। डॉ. जड़िया भी हैरत में पड़ गए।
अजीज बताते है कि डॉ. जड़िया ने कहा कि आप मुसलमान है और बेटे का नाम कृष्णा, इस पर आपको दिक्कत तो नहीं जाएगी। तब उन्होंने डॉ. जड़िया से कहा था कि पिता को बेटे का नाम रखने का अधिकार है।
अजीज खान का बेटा अब 12 साल का है और उसे कृष्णा नाम दिया गया है। अजीज बताते हैं कि इस नाम को लेकर उनकी मां यानिकी कृष्णा की दादी ने आपत्ति भी की थी और अजीज को काफिर तक कह दिया, फिर भी नाम नहीं बदला।
अजीज की पत्नी का कहना है कि उनकी दो बेटियां थी और छोटी बेटी के जन्म के आठ साल बाद बेटे का जन्म हुआ। उसके लिए उन्होंने हर धार्मिक स्थल पर जानकर मन्नत मांगी थी।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)| फेसबुक ने साल की दूसरी तिमाही में इंस्टाग्राम से हिंसा मूलक सामग्री और चित्रों सहित वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से संबंधित तस्वीरें व ऐसी चीजें हटा दी हैं। साल की पहली तिमाही में यौन गतिविधियों से संबंधित सामग्रियों की संख्या 81 लाख थी जो दूसरी तिमाही में बढ़कर 1.24 करोड़ तक पहुंच गई थी।
जहां तक बात हिंसक सामग्री या तस्वीरों की है तो इनकी संख्या पहली तिमाही में 28 लाख थी जो दूसरी तिमाही में बढ़कर 31 लाख हो गई।
फेसबुक ने मंगलवार को अपनी सामुदायिक मानक प्रवर्तन रिपोर्ट के छठे संस्करण में कहा, "हम इंस्टाग्राम पर ऐसी सामग्रियां परोसे जाने की अनुमति नहीं देंगे जो यौन शोषण से संबंधित हो और जिससे बच्चों में मनोविकार पैदा होने की संभावना हो। हमें जब कभी इस तरह की चीजें मिलती हैं, हम उसे हटा देते हैं। हम इस बारे में नहीं सोचते कि किसी ने किस संदर्भ में किस मनोभाव के चलते इन्हें साझा किया है।"
इंस्टाग्राम पर की डाली गईं चाइल्ड न्यूडिटी और यौन शोषण से संबंधित सामग्रियां पहली तिमाही में 10 लाख से घटकर दूसरी तिमाही में 479.4 तक आ गई है।
फेसबुक ने कहा, "हमने ऐसी ही कुछ पुरानी सामग्रियों पर भी ठोस कदम उठाए हैं। इसी संदर्भ में हमारी सक्रियता की दर 68.9 प्रतिशत से बढ़कर 74.3 प्रतिशत हो गई है।"
नई दिल्ली, 12 अगस्त (वार्ता)। देश में कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच इससे निजात पाने वालों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है और पिछले 24 घंटों के दौरान 56 हजार से ज्यादा लोगों के स्वस्थ होने के बाद अब तक करीब 16.40 लाख मरीज संक्रमणमुक्त हो गये हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में 56,110 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं जिससे स्वस्थ होने वालों की कुल संख्या 16,39,600 हो गयी है। इसी अवधि में 60,963 लोग संक्रमित हुए हैं जिससे संक्रमितों की संख्या 23,29,639 हो गयी है तथा 834 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या 46,091 हो गयी। देश में सक्रिय मामले 4019 बढक़र 6,43,948 हो गये हैं।
देश में अब सक्रिय मामले 27.64 प्रतिशत, रोगमुक्त होने वालों की दर 70.38 प्रतिशत और मृतकों की दर 1.98 प्रतिशत है।
कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में सक्रिय मामलों की संख्या 818 बढक़र 1,48,860 हो गये तथा 256 लोगों की मौत होने से मृतकों का आंकड़ा 18,306 हो गया। इस दौरान 10014 लोग संक्रमणमुक्त हुए जिससे स्वस्थ हुए लोगों की संख्या बढक़र 3,68435 हो गयी। देश में सर्वाधिक सक्रिय मामले इसी राज्य में हैं।
आंध्र प्रदेश में मरीजों की संख्या 176 कम होने से सक्रिय मामले 87,597 हो गये हैं। राज्य में अब तक 2203 लोगों की मौत हुई है, वहीं 9113 लोगों के स्वस्थ होने से कुल 1,54,749 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं।
दक्षिणी राज्य कर्नाटक में पिछले 24 घंटों के दौरान मरीजों की संख्या 302 घटी है और यहां अब 79614 सक्रिय मामले हैं। मरने वालों का आंकड़ा 86 बढक़र 3398 पर पहुंच गया है। राज्य में अब तक 1,05,599 लोग स्वस्थ हुए हैं।
तमिलनाडु में सक्रिय मामलों की संख्या 289 कम होकर 52810 हो गये हैं तथा 5159 लोगों की मौत हुई है। वहीं राज्य में अब तक 2,50,680 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं।
आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों के दौरान मरीजों की संख्या 1120 बढ़ी है जिससे सक्रिय मामले 48998 हो गये हैं तथा इस महामारी से 2176 लोगों की मौत हुई है जबकि 80,589 मरीज ठीक हुए हैं।
सक्रिय मामलों में इसके बाद बिहार का स्थान है, जहां यह संख्या 29,291 हो गयी है। राज्य में 413 लोगों की मौत हुई है जबकि 56,709 लोग संक्रमणमुक्त भी हुए हैं।
देश के पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस के 25,846 सक्रिय मामले हैं तथा 2149 लोगों की मौत हुई है, वहीं अब तक 73,395 लोग स्वस्थ हुए हैं।
तेलंगाना में कोरोना के 22,596 सक्रिय मामले हैं और 654 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 61,294 लोग इस महामारी से ठीक हुए हैं।
गुजरात में सक्रिय मामले 92 कम होकर 14024 हैं तथा 2,695 लोगों की मौत हुई है। राज्य में 56,444 लोग इस बीमारी से स्वस्थ भी हुए हैं।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले 24 घंटों में सक्रिय मामले 522 बढक़र 10,868 हो गये हैं। वहीं संक्रमण के कारण मरने वालों की संख्या 4139 हो गयी है तथा अब तक 1,32,384 मरीज रोगमुक्त हुए हैं।
कोरोना महामारी से अब तक मध्य प्रदेश में 1033, राजस्थान में 811, पंजाब में 636, हरियाणा में 500, जम्मू-कश्मीर में 490, ओडिशा में 296, झारखंड में 192, असम में 155, उत्तराखंड में 136, केरल में 120, छत्तीसगढ़ में 104, पुड्डुचेरी में 91, गोवा में 86, त्रिपुरा में 43, चंडीगढ़ में 26, अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 21, हिमाचल प्रदेश में 18, मणिपुर में 12, लद्दाख में नौ, नागालैंड में आठ, मेघालय में छह, अरुणाचल प्रदेश में तीन, दादर-नागर हवेली एवं दमन-दीव में दो तथा सिक्किम में एक व्यक्ति की मौत हुई है।
बेंगलुरु, 12 अगस्त (आईएएनएस)| पूर्वी बेंगलुरु के कुछ हिस्सों में आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई आगजनी में तीन लोगों की मौत होने की जानकारी सामने आई है। वहीं कई अन्य के घायल होने की सूचना है। पुलिस ने बुधवार को कहा कि 100 से अधिक उपद्रवी गिरफ्तार किए गए हैं।
बीते दिन यानी मंगलवार शाम को भड़की हिंसा के दौरान आगजनी और उपद्रवियों द्वारा किए गए पथराव में करीब 60 पुलिसकर्मियों को चोटें आई हैं। पुलिस को स्थिति पर काबू पाने के लिए फायरिंग का सहारा लेना पड़ा।
शहर में निषेधात्मक आदेश लागू कर दिया गया है, वहीं डी.जे. हल्ली और के.जी. हल्ली थानाक्षेत्र की सीमा में मंगलवार को कर्फ्यू लगा दयिा गया।
शहर के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने कहा कि हिंसा के संबंध में 110 उपद्रवी गिरफ्तार किए गए हैं। उन्होंने साथ ही ट्वीट कर यह जानकारी भी दी कि आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट करने के आरोपी स्थानीय विधायक के भतीजे को गिरफ्तार कर लिया गया है।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस वैन पर बोतल फेंक कर हमला किया।
अयोध्या, 12 अगस्त (आईएएनएस)| अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का डिजाइन कुछ इस तरह से किया गया है, जिससे ये करीब 1,000 वर्षों तक सलामत रहेगा है। साथ ही अधिक तीव्रता वाले भूकंप में ही इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा, "नींव के खंभे मजबूत और गहरे होंगे, जो ऊपर के विशालकाय पुलों को पकड़े रहेंगे, इससे संरचना मजबूत और भूकंप प्रतिरोधी बनेगी।"
अयोध्या में कारसेवकपुरम में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राम मंदिर हजारों वर्षों तक किसी भी प्राकृतिक आपदा का सामना करने में सक्षम होगा। डिजाइन का विवरण जल्द ही तैयार हो जाएगा।
राय ने आगे कहा कि सदियों पुराने अवशेषों सहित मंदिर स्थल की खुदाई और समतलन के दौरान सामने आई सभी कलाकृतियों का प्रदर्शन मंदिर परिसर में किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मंदिर का अंतिम नक्शा अयोध्या विकास प्राधिकरण द्वारा पारित किया जाएगा और अपेक्षित शुल्क का भुगतान किया जाएगा। उन्होंने कहा, "हम शुल्क में कोई छूट नहीं मांग रहे हैं।'
राय ने कहा कि ट्रस्ट के खाते में वर्तमान में 42 करोड़ रुपये का बैलेंस है और यह 1 रुपये से 1 करोड़ रुपये तक के दान से प्राप्त हुआ है।
एक प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "मंदिर के आंदोलन में पूरे भारत से करीब 20,000 संतों ने भाग लिया और सभी को आमंत्रित करना संभव नहीं था। हम अयोध्या के बाहर के 90 संत और मंदिर के शहर से सिर्फ 52 संतों को ही निमंत्रण भेज सकते थे।"
श्रीनगर, 12 अगस्त (आईएएनएस)| कश्मीर में बुधवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का एक अधिकारी अपनी सर्विस राइफल से कथित तौर पर खुद को गोली मारने के बाद घायल हो गया। उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी हालत स्थिर बताई गई है।
पुलिस सूत्रों ने कहा कि 141 बटालियन के सीआरपीएफ इंस्पेक्टर एम. दामोदर ने श्रीनगर शहर में अपनी सर्विस राइफल से खुद को गोली मार ली।
श्रीनगर के सीआरपीएफ पीआरओ पंकज सिंह ने आईएएनएस से कहा कि, "उन्होंने अपने सर्विस राइफल से खुद को गोली मारी। उनकी हालत स्थिर है।"
इस मामले में जांच शुरू कर दी गई है।
साई के बेंगलुरू केंद्र में चार अगस्त को राष्ट्रीय शिविर के लिए एकत्रित हुए खिलाड़ियों का कोविड-19 पॉजिटिव टेस्ट कराया गया था जिसमें यह खिलाड़ी पॉजिटिव पाए गए।
मुंबई, 12 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोना के टीके रूस में बनाए जाने की खबर के बाद सोने और चांदी में भारी गिरावट आने लगी है। घरेलू वायदा बाजार में सोना 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे आ गया और चांदी का भाव रिकॉर्ड स्तर से 17,000 रुपये प्रति किलो टूट चुका है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव रिकॉर्ड स्तर से 200 डॉलर प्रति औंस लुढ़क गया और चांदी में भी छह डॉलर प्रति औंस से ज्यादा की गिरावट आई है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर बुधवार की सुबह 10.14 बजे सोने के अक्टूबर वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 1600 रुपये यानी 3.08 फीसदी की गिरावट के साथ 50,329 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले कारोबार के दौरान सोने का भाव 49,955 रुपये तक टूटा। बीते शुक्रवार को एमसीएक्स पर सोना रिकॉर्ड 56,191 रुपये प्रति 10 ग्राम तक उछला था तब से 6,200 रुपये प्रति 10 ग्राम से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है।
वहीं, एमसीएक्स पर चांदी के सितंबर एक्पायरी अनुबंध में पिछले सत्र से 5,244 रुपये यानी 7.83 फीसदी की गिरावट के साथ 61,690 रुपये प्रति किलो पर कारोबार चल रहा था जबकि कारोबार के दौरान चांदी का भाव 60,910 रुपये प्रति किलो तक टूटा। बीते शुक्रवार को एमसीएक्स पर चांदी का भाव 77,949 रुपये प्रति किलो तक उछला था जिसके बाद अब तक चांदी 17,000 रुपये प्रति किलो से ज्यादा लुढ़क चुकी है।
अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर सोने के दिसंबर वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 5.90 डॉलर यानी 2.72 फीसदी की गिरावट के साथ 1,893.40 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोना 1,876.50 डॉलर प्रति औंस तक टूटा। कॉमेक्स पर सोने का वायदा अनुबंध शुक्रवार को 2078 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर तक उछला था जिसके बाद अब तक सोने का भाव 200 डॉलर प्रति औंस से ज्यादा टूट चुका है।
चांदी के सितंबर वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 6.82 फीसदी की गिरावट के साथ 24.27 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले भाव 23.59 डॉलर प्रति औंस टूटा। बीते सप्ताह चांदी का भाव 29.91 डॉलर प्रति औंस तक उछला था जिसके बाद अब तक चांदी छह डॉलर प्रति औंस से ज्यादा टूट चुकी है।
रूस द्वारा कोरोना का टीका बनाने का दावा करने के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने और चांदी की तेजी पर ब्रेक लग गया है। रूस ने कहा है कि टीके का परीक्षण पूरा हो चुका है और अक्टूबर में यह व्यापक स्तर पर टीकाकरण शुरू होगा। भारत में भी रूसी कोरोना टीके उपलब्ध कराने पर विचार चल रहा है। जानकारी के अनुसार, इस पर विचार के लिए विशेषज्ञों की एक समिति की बुधवार को एक बैठक होने जा रही है।
लखनऊ, 12 अगस्त (वार्ता)। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की एक मात्र सीट के लिये जय प्रकाश निषाद 13 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में अपना पर्चा दाखिल करेंगे। राज्यसभा की यह सीट समाजवादी पार्टी के बेनी प्रसाद वर्मा के निधन से रिक्त हुई है। इस सीट का कार्यकाल पांच मई 2022 तक है। भाजपा ने मंगलवार को श्री निषाद को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। श्री निषाद गोरख्सपुर क्षेत्र से पार्टी के उपाध्यक्ष हैं ।
लखनऊ, 12 अगस्त (आईएएनएस)| लखनऊ जेल के 100 से अधिक कैदी गलत दवा खाने के कारण बीमार हो गए हैं। इनमें से 22 कैदियों की हालत गंभीर बताई जा रही है। इन कैदियों को जेल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। महानिदेशक (जेल) के अनुसार, "फार्मासिस्ट आनंद कुमार ने कैदियों को सेट्रिजिन के बजाय हेलोपेरिडोल नाम की एक एंटीसाइकोटिक दवा दे दी जिसका उपयोग स्किजोफ्रेनिया के उपचार में किया जाता है।"
इसके बाद कैदियों को सुस्ती और नींद आने की शिकायत होने लगी।
जेल सूत्रों ने बताया कि जेल के डॉक्टर एन. के. वर्मा ने कैदियों को एलर्जी की समस्या के लिए सेट्रिजिन दवा तय की थी, लेकिन फार्मासिस्ट ने उन्हें गलत दवाएं दे दीं।
फार्मासिस्ट आशीष वर्मा को नोटिस देकर इस मामले में स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है।
डीआईजी (जेल) संजीव त्रिपाठी ने इस मुद्दे पर लखनऊ जेल अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है।
लखनऊ, 12 अगस्त (आईएएनएस)| लखनऊ में बीते 24 घंटे में कोविड-19 के सर्वाधिक 831 नए मामले सामने आए हैं और इसी के साथ यहां संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 14,000 के पार पहुंच गया है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा है कि अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो राज्य की राजधानी में जल्द ही एक दिन में 1,000 से अधिक मामलों के आने की संभावना है। मंगलवार को सामने आए मरीजों की संख्या के साथ यहां संक्रमितों की कुल संख्या 14,221 तक पहुंच गई जिनमें से 42 फीसदी (6,043 मामले) र्सिफ अगस्त में दर्ज किए गए हैं।
अब तक लगभग 7,317 मरीज ठीक हो चुके हैं, लेकिन चूंकि संक्रमण दर रिकवरी से अधिक है इसलिए सक्रिय रोगियों की संख्या 6,743 हो गई है। हालांकि स्पशरेन्मुख (एसिम्टोमैटिक) मामलों में होम क्वॉरंटाइन में रहने की अनुमति दी गई है। सक्रिय मामलों में बढ़ोत्तरी के चलते कोविड अस्पतालों पर दबाव बढ़ गया है।
एसजीपीजीआई के वरिष्ठ वाइरोलॉजिस्ट और पूर्व प्रोफेसर टी.एन. ढोले ने कहा है कि मानसून के मौसम में वातावरण में नमी वायरस के प्रसार को बढ़ा रही है।
उन्होंने बताया, "यह वृद्धि जारी रहेगी और अगस्त के खत्म होने तक हमें रोज के हिसाब से 1,000 से अधिक मामले देखने को मिल सकते हैं। संक्रमण की दर अक्टूबर में सर्वाधिक होगी।"
विशेषज्ञों ने संक्रमण की बढ़ती दर के बढ़ने के तीन कारण बताए - बरसाती मौसम, सुरक्षा प्रोटोकॉल की लापरवाही और संपर्क में आए लोगों की देरी से पहचान।
हालांकि चीफ मेडिकल ऑफिसर ने इस बात से इनकार किया कि कांटैक्ट ट्रेसिंग में किसी तरह की सुस्ती बरती जा रही है । उन्होंने कहा कि नमूनों की जांच पांच हजार दैनिक कर दी गई है।
कानपुर, 12 अगस्त (आईएएनएस)| दस साल के एक छात्र को अश्लील वीडियो दिखाने वाले एक निजी ट्यूटर को कानपुर पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया है। छात्र के माता-पिता ने ट्यूशन शिक्षक सुनील के खिलाफ बर्रा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि वह ट्यूशन के दौरान अपने मोबाइल फोन पर बच्चे को अश्लील वीडियो दिखा रहा था।
आरोपी के पास से सेल फोन बरामद कर लिया गया है। अब फोन में लोड की गई आपत्तिजनक सामग्री के साथ मोबाइल के बाकी डेटा की जांच की जाएगी।
बर्रा के इंस्पेक्टर हरमीत सिंह ने कहा, "आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया गया है और माता-पिता की शिकायत के बाद पॉक्सो अधिनियम के अलावा आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मामले को लेकर जांच चल रही है।"
20 साल बाद मिले और पत्नी वापस घर ले गई
रांची, 12 अगस्त (आईएएनएस)| दुनिया भर में बढ़ते कोरोनावायरस मामलों और मौतों के बीच, कोयला शहर धनबाद से एक दिल को छू लेने वाली कहानी सामने आई है, जहां एक व्यक्ति 20 साल बाद अपनी पत्नी और बच्चे के साथ फिर से मिला है। कोडरमा के बेलगढ़ गांव के निवासी गजाधर सोनार 20 साल पहले अपनी पत्नी से झगड़े के बाद घर से निकल गए और धनबाद जिले के झरिया लिलोरीपात्रा में सत्यनारायण के नाम से रहने लगे। घर से निकलने के 20 साल बाद अब कोविड-19 के प्रसार के साथ, जब गजाधर सोनार को सर्दी और बुखार हुआ तो उनके पड़ोसियों ने उनके परिवार के सदस्यों के बारे में पूछताछ की।
पड़ोसियों ने संदेह किया कहीं वह कोविड-19 पॉजिटिव तो नहीं हैं। वहीं जब गजाधर ने अपने परिवार के सदस्यों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी तो उनके पड़ोसियों ने पुलिस को सूचित किया।
पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान, गजाधर ने पूरी कहानी बताई। इसके बाद धनबाद पुलिस ने कोडरमा के अपने समकक्षों से संपर्क किया, जिसके बाद गजाधर की पत्नी अनीता देवी और पुत्र चंद्रशेखर कुमार सोमवार को धनबाद जिले पहुंचे। दंपति 20 साल बाद मिले और गजाधर की पत्नी उन्हें वापस कोडरमा स्थित अपने घर ले गई।
झारखंड के सभी 24 जिलों में सोमवार को कोरोनावायरस के कुल 531 नए मामलों का पता चला, जिसके बाद राज्य में कोविड-19 रोगियों की कुल संख्या 18,786 तक पहुंच गई।
वहीं राज्य में पिछले 24 घंटों में 700 कोविड-19 से अधिक मामलों का पता चला है और अब यहां संक्रमित रोगियों की कुल संख्या 19,000 है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, राज्य में सक्रिय (एक्टिव) मामलों की संख्या 9,010 है, जबकि महामारी की वजह से होने वाली मौतों की संख्या 189 है।
राज्य भर में कोरोनावायरस मामलों में बड़े पैमाने पर वृद्धि के बावजूद रोगियों के ठीक होने की दर में काफी सुधार हुआ है और यह एक बार फिर 50 प्रतिशत से अधिक हो गया है और वर्तमान में यह दर 51.88 प्रतिशत है।
राज्य में अब तक 3,93,472 नमूने एकत्र किए गए हैं, जिनमें से 3,87,184 का परीक्षण किया गया है और 3,68,398 नमूनों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
इंदौर। मध्य प्रदेश पुलिस (विशेष शाखा इंदौर) में तैनात एक पुलिस कांस्टेबल सोशल मीडिया पर एक लड़की को झूठे प्यार के जाल में फंसा रहा था। उसने न केवल प्यार जताया बल्कि शारीरिक संबंध बनाने के लिए लड़की को डेट पर इनवाइट भी किया। चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस कांस्टेबल सोशल मीडिया पर जिस लड़की से प्यार जता कर डेट पर बुला रहा था असल में वह लड़की उसकी पत्नी थी। वह फेक प्रोफाइल से अपने पति के चरित्र की जांच कर रही थी। पुलिस कांस्टेबल खुद जाल में फंस चुका है। डीआईजी ने इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई करने के लिए कहा है।
शादी के तीन महीने बाद ही अनबन शुरू हो गई
सुखलिया निवासी मनीषा के मुताबिक उसकी पिछले वर्ष 22 फरवरी को आरोपित पुलिस कांस्टेबल से शादी हुई थी। वह विशेष शाखा (एसबी) में पदस्थ है। शादी के तीन महीने बाद ही दोनों में अनबन शुरू हो गई। पुलिस कांस्टेबल उससे रुपयों, गाड़ी की मांग कर परेशान करने लगा। पुलिसवाला होने की धौंस देकर वह मनीषा से मारपीट भी करने लगा। परेशान होकर मनीषा मायके आ गई।
सोशल मीडिया पर ही प्यार में पागल हो गया, संबंध बनाने के लिए डेट फिक्स की
कई दिन तक बातचीत नहीं करने पर मनीषा को शक हुआ और पति की जानकारी जुटानी शुरू की। उसने रूही मेहर के नाम से फेसबुक पर फर्जी आइडी बनाई और पति से चेटिंग शुरू की। पति ने प्यार का इजहार किया, फिर शारीरिक संबंधों के लिए मिलने बुलाया। मनीषा उसे टालती रही और वह भी द्विअर्थी बातें करती रही। जब पुलिस कांस्टेबल ने मिलने का दबाव बनाया तो उसे असलियत बताई। इसके बाद छह अगस्त को स्क्रीन शॉट्स सहित डीआइजी हरिनारायणाचारी मिश्र को शिकायत दर्ज करवा दी। डीआइजी ने महिला थाना को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
पति कहता था: तुम दासी हो, मेरे सामने झुककर रहा करो
मनीषा के मुताबिक पिता ने शादी में गृहस्थी का सारा सामान, रुपए, जेवर और गिफ्ट दिए थे। कुछ समय बाद ही पति और उसकी बहन और सास दोपहिया वाहन और रुपयों की मांग करने लगे। मनीषा का फोन छीन लिया और अखबार पढ़ने, टीवी देखने पर रोक लगा दी। सहायिकाओं की तरह नियम बना दिए। उससे कहा घरवालों के सोने के बाद ही सोना। पति जूते और बाथरूम साफ करवाने लगा। उसका कहना था कि तुम दासी हो, मेरे सामने झुककर रहा करो। विरोध करने पर कहा कि मैं पुलिसवाला हूं। झूठे केस में फंसा दूंगा। परेशान होकर मनीषा मायके आ गई। कुछ समय बाद मौसेरी बहन ने बताया कि सत्यम मुझे घर से बाहर मिलने का बोल रहा था। इससे उसका शक गहराया और उसकी जासूसी शुरू कर दी।(bhopalsamachar)
पटना, 12 अगस्त (आईएएनएस)| भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने यहां मंगलवार को इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि "बिहार चुनाव को देखते हुए हमारी पार्टी सभी सीटों पर मजबूत तैयारी कर रही है।" पटना में एक संवाददाता सम्मेलन बुलाकर आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी उन सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जहां पार्टी मजबूत है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि पार्टी सभी सीटों पर तैयारी कर रही है।
उन्होंने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में अब झूठ की राजनीति नहीं चलेगी। बिहार का आज भी करीब आधा हिस्सा बाढ़ में डूबा हुआ है और यहां रोजगार की बड़ी समस्या है। यहां के अधिकांश युवक अन्य राज्यों में रोजगार के लिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि यहां के स्वास्थ्य और शिक्षा की समस्या को भी लोगों ने देख लिया है।
चंद्रशेखर ने दावा करते हुए कहा, "इस चुनाव में हमारी भूमिका अहम होने वाली है। इस बार हमारी पार्टी 'डबल इंजन' वाली सरकार को बिहार में रोकने में सफल होगी।"
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के मुताबिक़, कोरोना वायरस महामारी से हुए नुकसान से निबटने के लिए भारत को तत्काल तीन क़दम उठाने चाहिए.
बड़े तौर पर भारत में आर्थिक सुधार कार्यक्रम का श्रेय डॉ. सिंह को दिया जाता है. मनमोहन सिंह ने इस हफ़्ते बीबीसी से ईमेल के ज़रिए बातचीत की है. कोरोना वायरस के चलते आमने-सामने बैठकर चर्चा की गुंजाइश नहीं थी. हालांकि, डॉ. सिंह ने एक वीडियो कॉल के ज़रिए इंटरव्यू से इनकार कर दिया.
ईमेल के ज़रिए हुई बातचीत में मनमोहन सिंह ने कोरोना वायरस संकट को रोकने और आने वाले वर्षों में आर्थिक स्थितियां सामान्य करने के लिए ज़रूरी तीन क़दमों का ज़िक्र किया है.
क्या हैं डॉ. सिंह के सुझाए तीन क़दम?
वे कहते हैं, पहला क़दम यह है कि सरकार को "यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोगों की आजीविका सुरक्षित रहे और अच्छी-ख़ासी सीधे नक़दी मदद के ज़रिए उनके हाथ में खर्च लायक पैसा हो."
दूसरा, सरकार को कारोबारों के लिए पर्याप्त पूंजी उपलब्ध करानी चाहिए. इसके लिए एक "सरकार समर्थित क्रेडिट गारंटी प्रोग्राम चलाया जाना चाहिए."
तीसरा, सरकार को "सांस्थानिक स्वायत्तता और प्रक्रियाओं" के ज़रिए वित्तीय सेक्टर की समस्याओं को हल करना चाहिए.
महामारी शुरू होने से पहले से ही भारत की अर्थव्यवस्था सुस्ती की चपेट में थी. 2019-20 में देश की जीडीपी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद) महज 4.2 फ़ीसदी की दर से बढ़ी है. यह बीते क़रीब एक दशक में इसकी सबसे कम ग्रोथ रेट है.
लंबे और मुश्किल भरे लॉकडाउन के बाद भारत ने अब अपनी अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोलना शुरू किया है. लेकिन, संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है और ऐसे में भविष्य अनिश्चित जान पड़ रहा है.
गुरुवार को कोविड-19 केसों के लिहाज से भारत 20 लाख का आँकड़ा पार करने वाला तीसरा देश बन गया.
गहरी और लंबी चलने वाली आर्थिक सुस्ती
अर्थशास्त्री तब से ही चेतावनी दे रहे हैं कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ में गिरावट आ सकती है और इसके चलते 1970 के दशक के बाद की सबसे बुरी मंदी देखने को मिल सकती है.
डॉ. सिंह कहते हैं, "मैं 'डिप्रेशन' जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहता, लेकिन एक गहरी और लंबी चलने वाली आर्थिक सुस्ती तय है."
वे कहते हैं, "मानवीय संकट की वजह से यह आर्थिक सुस्ती आई है. इसे महज़ आर्थिक आँकड़ों और तरीक़ों की बजाय हमारे समाज की भावना के नज़रिए से देखने की ज़रूरत है."
डॉ. सिंह कहते हैं कि अर्थशास्त्रियों के बीच में भारत में आर्थिक संकुचन (इकनॉमिक कॉन्ट्रैक्शन यानी आर्थिक गतिविधियों का सुस्त हो जाना) को लेकर सहमति बन रही है. वे कहते हैं, "अगर ऐसा होता है तो आज़ादी के बाद भारत में ऐसा पहली बार होगा."
वे कहते हैं, "मैं आशा करता हूं कि यह सहमति ग़लत साबित हो."
बिना विचार किए लागू किया गया लॉकडाउन
भारत ने मार्च के अंत में ही लॉकडाउन लागू कर दिया था ताकि कोरोना वायरस को फैलने से रोका जा सके. कई लोगों का मानना है कि लॉकडाउन को हड़बड़ाहट में लागू कर दिया गया और इसमें इस बात का अंदाज़ा नहीं लगाया गया कि लाखों प्रवासी मज़दूर बड़े शहरों को छोड़कर अपने गाँव-कस्बों के लिए चल पड़ेंगे.
डॉ. सिंह का मानना है कि भारत ने वही किया जो कि दूसरे देश कर रहे थे और "शायद उस वक़्त लॉकडाउन के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था."
वे कहते हैं, "लेकिन, सरकार के इस बड़े लॉकडाउन को अचानक लागू करने से लोगों को असहनीय पीड़ा उठानी पड़ी है. लॉकडाउन के अचानक किए गए ऐलान और इसकी सख़्ती के पीछे कोई विचार नहीं था और यह असंवेदनशील था."
डॉ. सिंह के मुताबिक़, "कोरोना वायरस जैसी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों से सबसे अच्छी तरह से स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य अफसरों के ज़रिए निबटा जा सकता है. इसके लिए व्यापक गाइडलाइंस केंद्र की ओर से जारी की जातीं. शायद हमें कोविड-19 की जंग राज्यों और स्थानीय प्रशासन को कहीं पहले सौंप देनी चाहिए थी."
90 के दशक के आर्थिक सुधारों के अगुवा रहे डॉ. सिंह
एक बैलेंस ऑफ पेमेंट्स (बीओपी यानी किसी एक तय वक़्त में देश में बाहर से आने वाली कुल पूंजी और देश से बाहर जाने वाली पूंजी के बीच का अंतर) संकट के चलते भारत के तकरीबन दिवालिया होने की कगार पर पहुंचने के बाद बतौर वित्त मंत्री डॉ. सिंह ने 1991 में एक महत्वाकांक्षी आर्थिक सुधार कार्यक्रम की अगुआई की थी.
वो कहते हैं कि 1991 का संकट वैश्विक फैक्टर्स के चलते पैदा हुआ एक घरेलू संकट था. डॉ. सिंह के मुताबिक़, "लेकिन, मौजूदा आर्थिक हालात अपनी व्यापकता, पैमाने और गहराई के चलते असाधारण हैं."
वे कहते हैं कि यहां तक कि दूसरे विश्व युद्ध में भी "पूरी दुनिया इस तरह से एकसाथ बंद नहीं हुई थी जैसी कि आज है."
सरकार पैसों की कमी कैसे पूरी करेगी?
अप्रैल में नरेंद्र मोदी की बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार ने 266 अरब डॉलर के राहत पैकेज का ऐलान किया. इसमें नकदी बढ़ाने के उपायों और अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए सुधार के क़दमों का ऐलान किया गया था.
भारत के केंद्रीय बैंक रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने भी ब्याज दरों में कटौती और लोन की किस्तें चुकाने में छूट देने जैसे क़दम उठाए हैं.
सरकार को मिलने वाले टैक्स में गिरावट आने के साथ अर्थशास्त्री इस बात पर बहस कर रहे हैं कि नक़दी की कमी से जूझ रही सरकार किस तरह से डायरेक्ट ट्रांसफर के लिए पैसे जुटाएगी, बीमारू बैंकों को पूंजी देगी और कारोबारियों को क़र्ज़ मुहैया कराएगी.
क़र्ज़ लेना ग़लत नहीं
डॉ. सिंह इसका जवाब उधारी को बताते हैं. वे कहते हैं, "ज़्यादा उधारी (बौरोइंग) तय है. यहां तक कि अगर हमें मिलिटरी, हेल्थ और आर्थिक चुनौतियों से निबटने के लिए जीडीपी का अतिरिक्त 10 फ़ीसदी भी खर्च करना हो तो भी इससे पीछे नहीं हटना चाहिए."
वे मानते हैं कि इससे भारत का डेट टू जीडीपी रेशियो (यानी जीडीपी और क़र्ज़ का अनुपात) बढ़ जाएगा, लेकिन अगर उधारी लेने से "ज़िंदगियां, देश की सीमाएं बच सकती हैं, लोगों की आजीविकाएं बहाल हो सकती हैं और आर्थिक ग्रोथ बढ़ सकती है तो ऐसा करने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए."
वे कहते हैं, "हमें उधार लेने में शर्माना नहीं चाहिए, लेकिन हमें इस बात को लेकर समझदार होना चाहिए कि हम इस उधारी को कैसे खर्च करने जा रहे हैं."
डॉ. सिंह कहते हैं, "गुज़रे वक़्त में आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक जैसे बहुराष्ट्रीय संस्थानों से क़र्ज़ लेने को भारतीय अर्थव्यवस्था की कमज़ोरी माना जाता था, लेकिन अब भारत दूसरे विकासशील देशों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा मज़बूत हैसियत के साथ लोन ले सकता है."
वे कहते हैं, "उधार लेने वाले देश के तौर पर भारत का शानदार ट्रैक रिकॉर्ड है. इन बहुराष्ट्रीय संस्थानों से क़र्ज़ लेना कोई कमज़ोरी की निशानी नहीं है."
पैसे छापने से बचना होगा
कई देशों ने मौजूदा आर्थिक संकट से उबरने के लिए पैसे छापने का फैसला किया है ताकि सरकारी खर्च के लिए पैसे जुटाए जा सकें. कुछ अहम देशों ने यही चीज़ भारत को भी सुझाई है. कुछ अन्य देशों ने इसे लेकर चिंता जताई है कि इससे महंगाई बढ़ने का ख़तरा पैदा हो जाएगा.
1990 के दशक के मध्य तक फिस्कल डेफिसिट (वित्तीय घाटा) की भरपाई सीधे तौर पर आरबीआई करता था और यह एक आम बात थी.
डॉ. सिंह कहते हैं कि भारत "वित्तीय अनुशासन, सरकार और रिज़र्व बैंक के बीच संस्थागत स्वतंत्रता लाने और मुक्त पूंजी पर लगाम लगाने" के साथ अब कहीं आगे बढ़ चुका है.
वे कहते हैं, "मुझे पता है कि सिस्टम में ज़्यादा पैसे आने से ऊंची महंगाई का पारंपरिक डर शायद विकसित देशों में अब नहीं है. लेकिन, भारत जैसे देशों के लिए आरबीआई की स्वायत्तता को चोट के साथ ही, बेलगाम तरीक़े से पैसे छापने का असर करेंसी, ट्रेड और महंगाई के तौर पर भी दिखाई दे सकता है."
डॉ. सिंह कहते हैं कि वे घाटे की भरपाई करने के लिए पैसे छापने को ख़ारिज नहीं कर रहे हैं बल्कि वे "महज़ यह सुझाव दे रहे हैं कि इसके लिए अवरोध का स्तर बेहद ऊंचा होना चाहिए और इसे केवल अंतिम चारे के तौर पर तब इस्तेमाल करना चाहिए जब बाक़ी सभी विकल्पों का इस्तेमाल हो चुका हो."
संरक्षणवाद से बचे भारत
वे भारत को दूसरे देशों की तर्ज़ पर ज़्यादा संरक्षणवादी (आयात पर ऊंचे टैक्स लगाने जैसे व्यापार अवरोध लगाना) बनने से आगाह करते हैं.
वे कहते हैं, "गुजरे तीन दशकों में भारत की ट्रेड पॉलिसी से देश के हर तबके को बड़ा फ़ायदा हुआ है."
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर आज भारत 1990 के दशक की शुरुआत के मुक़ाबले कहीं बेहतर स्थिति में है.
डॉ. सिंह कहते हैं, "भारत की वास्तविक जीडीपी 1990 के मुक़ाबले आज 10 गुना ज़्यादा मज़बूत है. तब से भारत ने अब तक 30 करोड़ से ज्यादा लोगों को ग़रीबी से बाहर निकाला है."
लेकिन, इस ग्रोथ का एक अहम हिस्सा भारत का दूसरे देशों के साथ व्यापार रहा है. भारत की जीडीपी में ग्लोबल ट्रेड की हिस्सेदारी इस अवधि में क़रीब पाँच गुना बढ़ी है.
इस संकट ने सबको सकते में डाला
डॉ. सिंह कहते हैं, "भारत आज दुनिया के साथ कहीं ज़्यादा घुलमिल गया है. ऐसे में दुनिया की अर्थव्यवस्था में घटने वाली कोई भी चीज़ भारत पर भी असर डालती है. इस महामारी में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बुरी चोट लगी है और यह भारत के लिए भी एक चिंता की बात है."
फ़िलहाल किसी को भी यह नहीं पता कि कोरोना वायरस महामारी का पूरा आर्थिक असर क्या है. न ही किसी को यह पता कि देशों को इससे उबरने में कितना वक़्त लगेगा. लेकिन, एक बात स्पष्ट है कि इसने डॉ. सिंह जैसे पुराने अर्थशास्त्रियों के अनुभव को भी मात दे दी है.
वे कहते हैं, "पिछले संकट मैक्रोइकनॉमिक संकट थे जिनके लिए आजमाए हुए आर्थिक टूल मौजूद हैं. अब अहम एक महामारी से पैदा हुए आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं जिसने समाज में अनिश्चितता और डर भर दिया है. इस संकट से निबटने के लिए मौद्रिक नीति को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना कारगर साबित नहीं हो रहा है."(bbcnews)
पटना, 11 अगस्त। बिहार में भले ही अभी कुछ नदियों के जलस्तर में पहले के मुकाबले कमी आई है, लेकिन अभी भी राज्य के 16 जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। राज्य में अभी भी कई प्रमुख नदियां उफान पर हैं।
वहीं, राज्य के 16 जिलों के 126 प्रखंडों में अभी भी बाढ़ का पानी फैला हुआ है, बाढ़ की वजह से अब तक 24 लोगों की मौत हो चुकी है। बिहार आपदा प्रबंधन विभाग ने राहत और बचाव कार्य जारी रहने का दावा किया है। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया है। सीएम नीतीश कुमार सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बाढ़ प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई वर्चुअल बैठक में अपने राज्य की समस्याएं रख चुके हैं।
बिहार जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि कोसी के जलस्तर में कमी आ रही है। वीरपुर बैराज के पास सुबह छह बजे कोसी का जलस्तर 1़82 लाख क्यूसेक था, जो आठ बजे घटकर 1़75 लाख क्यूसेक हो गया।
इधर, गंडक नदी का जलस्तर में भी कमी हुई है। गंडक का जलस्तर बाल्मीकिनगर बैराज पर सुबह छह बजे 1़80 लाख क्यूसेक था, जो आठ बजे घटकर 1़77 लाख क्यूसेक पहुंच गया है।
इस बीच राज्य की कई नदियां अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला, बलान और गंगा कई इलाकों में खतरे के निशान से उपर बह रही हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने बताया कि बिहार के 16 जिलों के कुल 126 प्रखंडों की 1,240 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हुई हैं। इन क्षेत्रों में करीब 74 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इन इलाकों में 7 राहत शिविर खोले गए हैं, जहां करीब 12 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित इलाकों में कुल 1,239 सामुदायिक रसोई घर चलाए जा रहे हैं, जिसमें प्रतिदिन करीब 9़39 लाख लोग भोजन कर रहे हैं।
रामचन्द्र डू के मुताबिक, बाढ़ के दौरान इलाकों में 24 लोगों की मौत हुई है, इसमें सबसे ज्यादा 10 लोगों की मौत दरभंगा जिले में हुई है। साथ ही बढ़ा की वजह से 66 पालतू पशुओं की भी मौत हुई है।
बाढ़ प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 33 टीमें राहत एवं बचाव का काम कर रही हैं। अब तक पांच लाख से ज्यादा लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकालकर सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया गया है।
अपर सचिव ने बताया कि बाढ़ प्रभावित परिवारों को 6,000 रुपये की राशि दी जा रही है। अभी तक 6,31,295 परिवारों के बैंक खाते में कुल 37,8़77 करोड़ रूपये जीआर की राशि भेजी जा चुकी है। ऐसे परिवारों को एसएमएस के माध्यम से सूचित भी किया गया है।(ians)
नई दिल्ली, 11 अगस्त। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह उस याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानें, जिसके अंतर्गत एक कंपनी पर उत्पाद बेचकर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है और कंपनी ने दावा किया है कि यह भोजन और पीपीई किट को किटाणुरहित बनाता है। न्यायमूर्ति डी.एन. पाटिल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ ने ग्रीन ड्रिम फाउंडेशन की एक याचिका का निपटारा करते हुए कहा, "याचिका को प्रतिनिधि के तौर पर मानें और कानून, नियम और दिशानिर्देश के अनुसार निर्णय करें।"
याचिकाकर्ता के वकील नीलेश बिलानी ने जनहित याचिका में अदालत से नोवल कोरोनावायरस को मारने और उत्पादों को किटाणुरहित बनाने का दावा करने वाले उत्पादों के टेस्टिंग, लांचिंग और प्रमाणित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का आग्रह किया।
सुनवाई के दौरान, अधिवक्ता समीर नंदवानी ने अदालत के समक्ष कहा कि 'लोग 9 मेटेरियल प्राइवेट लिमिटेड' ने दावा किया है कि इसके उत्पाद 'कोरोना ओवन' भोजन को किटाणुरहित बना सकता है।
उन्होंने कहा कि कंपनी ने यह भी दावा किया है कि यह पीपीई किट को भी किटाणुरहित बना सकता है, जिससे स्वास्थ्यकर्मी कोरोना रोगियों के इलाज के लिए फिर से प्रयोग मे ला सकते हैं।
याचिकाकर्ता ने अपने वकील के जरिए कहा, "उत्पाद को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद बेचा जा रहा है, जिसके पास ऐसे किसी भी उत्पाद के लिए सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार नहीं है।"
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें ऐसे किसी भी संगठन या संस्थान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी, जो उत्पाद की बिना समुचित जांच के सर्टिफिकेट जारी करते हैं और बाद में इन रिपोर्टों का उपयोग हुआ या नहीं, यह पता नहीं लगाते।(ians)
हाजीपुर, 11 अगस्त। बिहार के वैशाली जिले के चांदपुरा सहायक थाना क्षेत्र में मंगलवार को एक महिला ने अपने दो पुत्रों की कथित रूप से गला दबाकर हत्या करने के बाद खुद को आग लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के पीछे घरेलू विवाद बताया जा रहा है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि भिखनपुरा वार्ड संख्या 1 के रहने वाले सुनील राय के पत्नी रेखा देवी का सोमवार की रात किसी बात को लेकर परिवार से विवाद हुआ था, जिससे नाराज रेखा ने मंगलवार को सुबह अपने ही कमरे में दो मासूम बच्चों की गला घोंटकर हत्या कर दी और खुद के शरीर में आग लगा ली।
घटनास्थल पर ही दोनो बच्चों -- आदित्य (4) और आरुष (3) की मौत हो गई जबकि आग से पूरी तरह जली रेखा को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
महनार के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी रजनीश कुमार ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह मामला आत्महत्या का लग रहा है। उन्होंने बताया कि तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल, हाजीपुर भेज दिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद घटना की सही जानकारी मिल पाएगी।(ians)
नई दिल्ली, 11 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कोविड-19 महामारी की चपेट में आए 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों व प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठक की और सलाह दी कि देश में संक्रमण के प्रभावी प्रबंधन के लिए कंटेनमेंट, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और सर्विलांस सबसे प्रभावी हथियार हैं। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुई बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि जिन राज्यों में टेस्टिंग कम और पॉजिटिव केस ज्यादा हैं, वहां टेस्टिंग बढ़ाने की जरूरत की बात सामने आई है। बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना में टेस्टिंग बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारत में 80 प्रतिशत कोविड-19 मामले इन 10 राज्यों में दर्ज किए गए हैं।
यह बैठक भारत में वर्तमान कोरोनावायरस की स्थिति पर चर्चा करने और महामारी से निपटने के लिए आगे की योजना बनाने के लिए आयोजित की गई थी।
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा दिल्ली और आस-पास के राज्यों के सहयोग से कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए एक रोडमैप तैयार किए जाने का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने कोरोना से निपटने की रणनीति में मुख्य तौर पर कंटेनमेंट जोन का पृथक्करण और स्क्रीनिंग पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया।
मोदी ने कहा कि देश में दैनिक तौर पर किए जा रहे परीक्षण लगभग सात लाख तक पहुंच गए हैं और लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे कोरोना संक्रमणों और उनके नियंत्रण की जल्द पहचान में मदद मिली है।
देश में औसत मृत्युदर दुनिया में सबसे कम है और लगातार नीचे जा रही है।
मोदी ने कहा, "सक्रिय (एक्टिव) मामलों का प्रतिशत कम हो रहा है, जबकि ठीक होने की दर बढ़ रही है।"
उन्होंने कहा, "हमारे प्रयासों ने बेहतर परिणाम दिए हैं, जिससे लोगों का विश्वास बढ़ा है और भय कम हुआ है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि घातक दर को एक फीसदी से नीचे लाने का लक्ष्य जल्द ही हासिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, "आरोग्य सेतु एप के साथ, हम अपना काम बेहतर तरीके से कर सकते हैं। इस वजह से होम क्वारंटीन सुविधा को बेहतर तरीके से लागू किया जा रहा है।"
देश में अब तक कुल 22,68,675 कोरोनावायरस मामले सामने आए हैं, जिनमें 15,83,489 मरीज ठीक हो चुके हैं। देश में अभी तक 2,52,81,848 नमूनों का परीक्षण किया गया है।
बैठक में भाग लेने वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार, गुजरात, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल थे।
मुख्यमंत्रियों ने स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सीरो-निगरानी के संचालन के लिए और मार्गदर्शन देने का अनुरोध किया, साथ ही देश में एक एकीकृत चिकित्सा अवसंरचना स्थापित करने का भी सुझाव दिया।
उन्होंने अपने-अपने राज्यों में जमीनी स्थिति पर प्रतिक्रिया भी दी। उन्होंने महामारी के सफल प्रबंधन में मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की और उनके निरंतर मार्गदर्शन और समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
उन्होंने कोरोना परीक्षणों के बारे में, परीक्षण को बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम, टेलीमेडिसिन के उपयोग और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में बदलाव के प्रयासों के बारे में प्रधानमंत्री को सूचित किया।
बैठक में मौजूद लोगों में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन शामिल थे।(ians)
नई दिल्ली, 11 अगस्त। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने और घटिया आयातित माल पर नकेल कसने के मद्देनजर केंद्र सरकार के सख्त कदमों से चीन से इलेक्ट्रॉनिक और प्लास्टिक के सामान समेत सजावटी चीजों के आयात पर लगाम कस गई है। कारोबारी बताते हैं कि चीन से इन उत्पादों का आयात 50 से 60 फीसदी तक घट गया है और आने वाले दिनों में और लगाम लग सकती है क्योंकि हर कोई चाहता है कि घरेलू उत्पाद फले-फूले।
चीनी कस्टम विभाग के हालिया आंकड़े भी बताते हैं कि बीते सात महीने में चीन से भारत का आयात पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 24.7 फीसदी घटकर 32.2 अरब डॉलर रह गया है। खासतौर से लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई में आयात में भारी कमी आई। आंकड़ों पर गौर करें तो जून और बीते महीनों के मुकाबले जुलाई में चीनी आयात बढ़ा है लेकिन पिछले साल के मुकाबले कम है।
आयातक बताते हैं कि दिवाली के तीन महीने पहले ही सजावटी सामानों के ऑर्डर बुक हो जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक व प्लास्टिक के सामान के ऑर्डर बहुत कम मिल रहे हैं।
ऑल दिल्ली कंप्यूटर ट्रेडर एसोसिएशन के प्रेसीडेंट महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि चीन से कंप्यूटर और इसके पार्ट्स का आयात 50 से 60 फीसदी कम हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार भारतीय मानक ब्यूरो यानी बीआईएस के मानक अनिवार्य करने की शर्तों को लागू करने जा रही है, जिसके बाद मानकों पर खरा उतरने वाली वस्तुओं के आयात की अनुमति होगी। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी वजह है जिससे चीन से आयात मांग कम है। अग्रवाल ने कहा कि गलवान घाटी की घटना के बाद आयातकों में सरकार की नीतियों में बदलाव होने और आयात शुल्क बढ़ने की भी आशंका बनी हुई है।
इसी प्रकार, प्लास्टिक के सामान के आयातक दिनेश गुप्ता ने कहा कि चीन से अभी आयात बंद नहीं हुआ है, लेकिन इसमें 50 फीसदी तक कमी जरूर आ गई है। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक के पायदान समेत घरों में इस्तेमाल होने वाले चीनी सामान काफी सस्ते होते हैं, लेकिन उनका आयात इस बार बहुत कम हो रहा है। उन्होंने बताया कि भारतीय उत्पाद की तुलना में उनकी क्वालिटी अच्छी नहीं होती है, लेकिन सस्ता होता है।
चीन से प्लास्टिक के सामान का आयात घटने की वजह पूछने पर गुप्ता ने कहा कि पहली वहज आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और दूसरी घटिया व सस्ते चीनी सामान का बहिष्कार है। उन्होंने कहा कि सीमा पर चीन और भारत की सेना के बीच झपड़ की घटना के बाद राष्ट्रीय भावना से चीनी वस्तुओं के इस्तेमाल के प्रति लोगों की दिलचस्पी कम हुई है।
लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ हुई झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई है।
कारोबारी बताते हैं कि चीन से भारत 4,000 से ज्यादा तरह के उत्पादों का आयात करता है, जिनमें ज्यादातर उत्पादों का आयात दूसरे देशों से महंगा होता है, इसलिए इनके लिए चीन पर निर्भरता बनी हुई है। मगर, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने पर आत्मनिर्भरता लाई जा सकती है। हालांकि हाल के दिनों में बैटरी, मोबाइल फोन, स्पीकर, इलेक्ट्रिक के सामान आदि की आयात मांग काफी कम हो गई है।
इंडियन इंपोर्ट्स चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के डायरेक्टर टी. के. पांडेय ने कहा कि इस समय गैर-जरूरी वस्तुओं का आयात चीन से नि:संदेह घट गया है, लेकिन जो जरूरी चीजें हैं उनका आयात हो रहा है। पांडेय ने कहा कि चीन से आने वाले कच्चे माल को नहीं रोका जा सकता है क्योंकि उससे घरेलू विनिर्माण की लागत बढ़ जाएगी और चीजें महंगी हो जाएंगी।
वाणिज्य मंत्रालय ने 371 आयातित मदों को चिन्हित किया है, जिनके लिए बीआईएस द्वारा मानक तय किए जाएंगे। इनमें बिजली के सामान, फार्मास्युटिकल्स, केमिकल्स व स्टील के सामान और खिलौने समेत कई अन्य उत्पाद शामिल हैं।
भारत सबसे ज्यादा खिलौने चीन से ही आयात करता है, लेकिन भारत सरकार द्वारा फरवरी में जारी खिलौना, गुणवत्ता नियंत्रण आदेश एक सितंबर से प्रभावी होने वाला है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग जारी इस आदेश के अनुसार, खिलौने पर भारतीय मानक चिन्ह यानी आईएस मार्क का इस्तेमाल अनिवार्य होगा। इससे चीन से सस्ते खिलौने के आयात पर रोक लगेगी।(ians)
नई दिल्ली, 11 अगस्त। राजस्थान में कांग्रेस सरकार को बचाने और बागी नेता सचिन पायलट और उनके समर्थकों की पार्टी में वापसी सुनिश्चित कर दिग्गज कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पार्टी नेतृत्व को संकट से निकालने का उनका कौशल क्यों जबरदस्त और जरूरी है। जब भी कांग्रेस के लिए समस्या पैदा होती है सभी की निगाहें पटेल पर टिक जाती हैं। साल 2004 और 2014 के बीच कई दलों के साथ गठबंधन में दो बार यूपीए सरकार के सुचारु रूप संचालन में उनकी अहम भूमिका रही।
वह अभी भी कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण वातार्कार हैं, जो उन्होंने मध्य प्रदेश में पार्टी के बुरे अनुभव के बाद राजस्थान में गहलोत सरकार को गिराने के भाजपा के प्रयासों को विफल करके साबित किया।
कांग्रेस मध्यप्रदेश में सत्ता खोने के छह महीने के भीतर दूसरा राज्य नहीं खोना चाहती थी और इसलिए अपने दिग्गज नेता की बातचीत के कौशल पर भरोसा जताया।
सचिन पायलट के मामले में, यह कांग्रेस के कोषाध्यक्ष थे, जिन्होंने तत्कालीन राजस्थान के उपमुख्यमंत्री द्वारा बगावत के पहले दिन चार विधायकों की वापसी कराने में कामयाबी हासिल की थी।
राज्यसभा सदस्य पटेल ने पार्टी के बागियों के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया और राज्य सरकार को बचाने के लिए अशोक गहलोत का समर्थन किया। यह लड़ाई कई मोर्चो पर लड़ी गई।
कांग्रेस की कानूनी टीम ने इसे अदालतों में लड़ा, गहलोत ने अपने विधायकों पर पकड़ बनाए रखी, और साथ ही कुछ भाजपा विधायकों पर जीत हासिल करने का प्रयास किया।
पार्टी के एक नेता ने कहा कि पटेल की कार्यशैली ने लड़ाई में जुटे गुटों के बीच सेतु बनाने में मदद की। वह पार्टी में अलग-अलग आवाजें उठा सकते हैं और फिर भी बड़े राजनीतिक ऑपरेशन करते हुए पर्दे के पीछे रह सकते हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पायलट खेमे में 'ट्रोजन हॉर्स' भी मौजूद थे जो कांग्रेस नेतृत्व के साथ नियमित संपर्क में थे। एक बार जब पायलट खेमे ने बातचीत शुरू की, तो कांग्रेस द्वारा पहला कदम राजस्थान पुलिस एसओजी द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए राजद्रोह के आरोपों को हटाने के लिए उठाया गया था।(ians)