महासमुन्द
स्कूल परिसर में जर्जर कुआं खतरे को कर रहा आमंत्रित, रसोई कक्ष से भी बना हुआ है खतरा
रामकुमार पटेल
सरायपाली, 4 नवंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। समीपस्थ ग्राम बोंदा की स्कूल में कई अव्यवस्थाओं के बावजूद कक्षाएं संचालित हो रहे हैं, स्कूल परिसर ही असुरक्षित है, जर्जर आहता, रसोई कक्ष, व परिसर में स्थित जर्जर कुआं से विद्यार्थियों को खतरा बना हुआ है, प्रधान पाठक, शाला विकास समिति की ओर से कई बार शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को भी इन सब परेशानियों से अवगत कराया जा चुका है,बावजूद विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर शिक्षा विभाग ने आँख मूंद दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार ग्राम बोंदा कि शासकीय प्राथमिक शाला सन 1954 से, पूर्व माध्यमिक शाला 1980 से संचालित है, स्कूल परिसर लगभग 75 डिसमिल में फैला है और एक ही परिसर में प्राथमिक व मिडिल स्कूल की कक्षाएं संचालित हो रही हैं, जहां लगभग 300 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं,विद्यार्थियों, शिक्षकों को स्कूल में जर्जर कुआं से, रसोइयों को जर्जर रसोई कक्ष से, व सफाई कर्मचारी व विद्यार्थियों को असामाजिक लोगों द्वारा स्कूल में फैलाई गंदगी से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, विद्यार्थियों,शिक्षकों व रसोइयों की सुरक्षा को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा कोई कदम उठाया नहीं जा रहा है, विद्यार्थियों,शिक्षकों कि कागजों में ही दब गई है,जिसके चलते वर्षों से समस्या जस की तस बनी हुई है, शाला विकास समिति की ओर से मांग की गई है कि शिक्षकों विद्यार्थियों व रसोइयों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जर्जर कुऑ को डिस्मेंटल कर,रसोई कक्ष की मरम्मत व नये आहता का निर्माण करें जिससे सभी की समस्या का समाधान हो सकेगा।
जर्जर रसोई कक्ष से रसोइयों को जान माल का बना हुआ है खतरा
स्कूल परिसर में ही प्राथमिक व मिडिल के लिए बनने वाली मध्यान्ह भोजन कक्ष भी अति जर्जर हो चुका है,बरसात के दिनों में भोजन बनाने रसोइयों को भारी मशक्कत करना पड़ता है, खाना बनाने कहीं पर भी जगह नहीं है ऊपर से लगे टीन शेड व खपरैल जगह-जगह छेद हो गए हैं जो सामान्य दिनों में नीचे जमीन तक धूप, बरसात के दिनों में वर्षा का पानी सीधा चूल्हा में गिरता है, यहां तक का भोजन रखने तक के लिए छत नहीं है जर्जर भवन के नीचे मध्यान्ह भोजन बनाने की मजबूरी है, तेज हवा आंधी तूफान या बंदरों के आतंक से छत कभी भी भरभरा कर खाना बनात समय चूल्हे में गिर सकता है,इससे कभी भी रसोइयों के साथ गंभीर हादसा हो सकता है,उन्हें भी जर्जर छत से जान-माल का खतरा बना हुआ है,बावजूद किसी तरह जगह अभाव के चलते जर्जर भवन में मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए रसोइए मजबूर है।
गेट के अभाव व टूटे आहता के चलते स्कूल में लगे पौधे असुरक्षित,गोठान बना स्कूल परिसर
मूल शाला भवन के साथ 30 वर्ष पूर्व बने आहता जीर्ण-शीर्ण हो चुका है,साथ ही मुख्य गेट का भी अभाव है,जिससे स्कूल परिसर में लगे पौधा सुरक्षित नहीं है व स्कूल असुरक्षित है, गेट के अभाव में कोई भी समय आवारा मवेशी घुस जाते हैं,स्कूल मैदान को गोठान बना रखे हैं, भारी मात्रा में मवेशियों का जमावड़ा स्कूल में देखने को मिलता है,आहता टूट जाने के कारण व गेट के अभाव के चलते स्कूल असामाजिक तत्वों का भी डेरा बन गया है, और उनके द्वारा फैलाए जिंदगी को सफाई कर्मचारी,विद्यार्थियों को साफ करना पड़ता है।
स्कूल परिसर का जर्जर कुऑ खतरे को कर रहा आमंत्रित
स्कूल परिसर में लगभग 50 वर्ष पुरानी जर्जर कुऑ है जो खतरे को आमंत्रित कर रही है, कुएं के चारों ओर घेराव तो जरूर है,लेकिन कुएं के गड्ढे के चारों ओर अंदर तक खोखला हो जाने के कारण समीप जाते ही ढंसने का डर व गंभीर हादसा होने का भी खतरा बना हुआ है, अगर भारी बरसात या वजन चीज या किसी अपरिहार्य कारणों से कुआं कि आस-पास की मिट्टी धंस जाती है तो समीप में स्थित प्रधान पाठक कक्ष के भी गिरने का खतरा बना हुआ है, जिससे वहां बैठने वाले शिक्षकों के साथ भी कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है,
स्कूल की सभी समस्याओं को लेकर शिक्षा विभाग को करवाया जा चुका है अवगत - प्रधान पाठक
मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक अरुण प्रधान ने बताया कि स्कूल की सभी समस्याओं को शाला विकास समिति कि ओर से शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है,लेकिन बच्चों की सुरक्षा को लेकर शिक्षा विभाग गंभीर नहीं है, जबकि जर्जर रसोई कक्ष व कुआं से हमेशा जान माल का खतरा बना हुआ है।