महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सरायपाली, 5 नवंबर। राज्य सरकार द्वारा किसानों को भीड़भाड़ से बचने व उनकी सहूलियत के लिए समर्थन मूल्य पर खरीफ फसल का धान बेचने वाले किसानों के लिए निकालें टोकन तुंहर हाथ ऐप से किसानों को समस्या भी होने लगी है, 4 नवंबर शुक्रवार के लिए टोकन कटवाए किसानों को धान बेचने में बड़ी समस्या हुई, दरअसल देवउठनी एकादशी के चलते अधिकांश खरीदी केंद्रों के मजदूर छुट्टी पर थे, टोकन कटवाने वाले किसानों को स्वयं मजदूर लेकर धान तौल कर बेचना पड़ा। जबकि कुछ किसानों का धान में अधिक नमी के कारण भी घर बैठे ऐप के माध्यम से टोकन कटवाने वाले किसानों का धान को वापस किया गया जा रहा है।
इस बार खरीफ विपणन 2022-23 में किसानों को धान बेचने के लिए मनचाहे तिथि को घर बैठे मोबाइल के माध्यम से टोकन कटवाने राज्य सरकार के द्वारा लांच किए गए टोकन तुंहर हांथ ऐप का जहां एक ओर किसान फायदा उठा रहे हैं, तो वहीं उन्हें दूसरी ओर इस ऐप से कटवाए टोकन से किसानों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। धान खरीदी के चौथे दिन आज उपार्जन केन्द्रो में किसानों को धान बेचने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, अंचल के अधिकांश किसान धान बेचने गुरुवार को टोकन कटवाना नहीं चाहते, क्योंकि कार्तिक के गुरुवार को हिंदू धर्म के मानने वाले लोग विशेष रुप से लक्ष्मी माता के पूजा का दिन मानते हैं, इस दिन किसान धान को बेचने के बजाय घर में धन की देवी लक्ष्मी कि आने की चाहत रखते हैं, यही कारण है कि किसान गुरुवार को टोकन न कटवा कर शुक्रवार को ऑनलाइन टोकन कटवाए, लेकिन गुरुवार को सभी खरीदी केंद्रों में हेमाल खरीदी करने पहुंचे हुए थे।
शुक्रवार को देवउठनी एकादशी को अंचल में धूमधाम से छोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है, जिसके कारण अधिकांश खरीदी केंद्रों में हेमाल छुट्टी पर थे, जिसका खामियाजा दिनांक को टोकन कटवाने वाले किसानों को भुगतना पड़ा, जो किसान 4 तारीख शुक्रवार को धान बेचने के लिए टोकन कटवाने उपार्जन केंद्र पहुंचे हुए थे उन्हें तो दिनांक को मजदूर छुट्टी में रहने की जानकारी दे दी गई थी, जिसके चलते वे तिथि के लिए टोकन नहीं कटवाऐ, और असुविधा से बच गए, लेकिन खरीदी केंद्र बिना पहुंचे घर बैठे टोकन कटवाने वाले किसान जब निर्धारित समय पर खरीदी केंद्र पहुंचे तो देखे कि हेमाल गायब थे, उपार्जन केंद्र के प्रभारियों ने बताया कि त्यौहार के चलते वे छुट्टी पर है, तो किसानों ने स्वयं मजदूर लगाकर तौल करवाकर स्टेक तक लगवाए, अगर किसान मजदूर के अभाव के कारण धान को अन्य दिन लाने की इच्छा जताते तो कल शनिवार को खरीदी बंद रहती है, रविवार को तो अवकाश रहता है।
फिर ऐसी स्थिति में टोकन संशोधित कर अगले दिन धान बेचना भी संभव नहीं था, मजबूरी बस टोकन को निरस्त होने से बचाने किसी तरह धान बेचे, अगर धान नहीं बेच पाते तो किसानों का एक टोकन निरस्त हो जाता और उन्हें एक टोकन का नुकसान उठाना पड़ता।