महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 12 नवंबर। बच्चों के भावनात्मक विकास हेतु महासमुंद जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में संगीत पर आधारित गतिविधियां शुरू होने
वाली है। इसकी कार्ययोजना जिला महिला बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले ने तैयार की है। महासमुंद जिले में इस कार्ययोजना के क्रियान्वयन की शुरुआत जिला स्तरीय 1 दिवसीय कार्यशाला से की गई है। इस कार्यशाला के प्रतिभागी जिले के समस्त बाल विकास परियोजना अधिकारी एवं सेक्टर पर्यवेक्षक थे।
इस कार्ययोजना के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को भारतीय संगीत के प्रसिद्ध संगीतज्ञों यथा पंडित शिव कुमार शर्मा संतूर, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया बांसुरी, पंडित रविशंकर सितार द्वारा बजाए गए संगीत को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपनी मोबाइल से 5-7 मिनट तक बच्चों को सुनाएंगी। इसको सुनने के बाद बच्चों के मन में जो भी बातें आएंगी उनकी चर्चा कार्यकर्ता बच्चों के साथ करेंगी। फिर पर कोरे कागज पर रंगों के प्रयोग से बच्चे अपनी भावनाओं को चित्र रूप में उतारेंगे। बच्चे इससे जुड़ी कहानी बताएंगे जिसे लिखकर संरक्षित किया जाएगा। सुधाकर बोदले का कहना है कि संगीत का हमारी भावनाओं से गहरा सम्बन्ध होता है। अच्छा संगीत मन को सुकून देता है।
शोर या कर्कशता वाली संगीत मन में खीझ पैदा करती हैं। संगीत की अपनी एक भाषा है।'
उन्होंने बताया है कि नवजात बच्चों से लेकर 3 वर्ष तक के बच्चों के पालकों की मीटिंग लेकर उन्हें भी इस कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा। उन्हें कहा जाएगा कि घर पर जब नवजात बच्चा सोने को हो, तब लगभग 30 मिनट के लिए यह संगीत धीमी आवाज में शयनकक्ष में चलाएं। यह क्रम निरन्तर बच्चे की 3 साल की उम्र होते तक चले। ताकि जब बच्चा आंगनबाड़ी में आए और उसे यह संगीत सुनाकर इससे संबंधित गतिविधियां करवाई जाएं तो बच्चा इसे सम्पूर्ण रूप से आत्मसात कर सके। इस प्रकार जन्म से लेकर 6 साल तक ये गतिविधियां चरणबद्ध ढंग से बच्चे के भावनात्मक विकास में एक सकारात्मक योगदान देंगी। इससे बच्चे का सर्वांगीण विकास सम्भव होगा और हमारे बच्चे बड़े होकर अच्छे नागरिक के रूप में सामने आएंगे।