महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 16 नवंबर। भारत सरकार द्वारा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। इसी उपलक्ष्य में शासकीय महाप्रभु वल्लभाचार्य पीजी कॉलेज महासमुंद में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन साहित्यिक सांस्कृतिक समिति एवं इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।
प्रतियोगिता का विषय जनजातीय नायकों का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान था। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ ई पी चेलक ने अपने उद्बोधन में बिरसा मुंडा के योगदान को बताते हुए कहा कि जनजाति किसी क्षेत्र के मूल निवासी एवं वंशज होते हैं और अपनी जमीन की लड़ाई लड़ते हैं व अपनी संस्कृति, सभ्यता व समाज की रक्षा के लिए तत्पर रहते हंै।
विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र डॉ. नीलम अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में बिरसा मुंडा के बारे में बताया कि किस प्रकार उन्होंने कम आयु में अपने जनजातियों की रक्षा की। जागरूकता फैलाई और भारत के स्वतंत्रता में योगदान दिया। साहित्यिक सांस्कृतिक समिति प्रभारी हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापक सीमारानी प्रधान ने अपने उद्बोधन में समाज में जनजातियों के महत्व को बताया। आशुतोष पुरी गोस्वामी सहायक प्राध्यापक अंग्रेजी ने अपने उद्बोधन में बताया कि बिरसा मुंडा ने ना केवल स्वतंत्रता संग्राम में परंतु समाज सुधार में भी योगदान दिया है। संचालन मृणाली चंद्राकर अतिथि व्याख्याता इतिहास विभाग ने किया।
इस अवसर पर नरेश मिरी, रोशनी ध्रुव, कुमारी कुसुम चौहान एवं महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक उपस्थित रहे। प्रज्ञा ठाकुर, बसंती तांडे, मनोहर सोनवानी, निलेश महापात्र, विनेश जांगड़े पंकज साहू, कुमारी जीनस कोसरिया, नैना सोरी व अन्य विद्यार्थी उपस्थित थे।