महासमुन्द
12 दिन बीते पर हड़तालियों पर कोई कार्रवाई नहीं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 25 फरवरी। राज्य शासन के आदेश का महासमुंद जिले में भी पालन नहीं हो रहा है। आंगनबाड़ी हड़तालियों को जारी सख्त आदेश विभागीय फाइलों में कैद हैं। जिले की तमाम आंगनबाडिय़ों में ताले लटक रहे हैं। आंगनबाड़ी महिलाएं सडक़ों पर आंदोलन कर रही हैं। अब न तो आंगनबाड़ी केंद्रों में टीकाकरण होती हैं। न ही गर्भवतियों की जांच, पोषण आहार का वितरण होता है। महीने भर से आंगनबाड़ी के भरोसे पेट पाल रहे बच्चों की जिम्मेदारी उनके परिवार वालों ने ले ली है। वहीं गर्भवती महिलाओं ने सरकारी अस्पतालों में जांच की दिशा चुन ली है। इस तरह आंगनबाड़ी के बंद रहते न तो बच्चों को कोई नुकसान सामने आया है और न ही गर्भवती महिलाओं को। चौक-चौराहों में सरकारी आदेश पर लोग चुटकुले कहने से नहीं चूक रहे हैं।
मालूम हो कि जिले की आंगनबाडिय़ों में छोटे बच्चों को पोषण आहार,गर्भवतियों की जांच जैसे प्रमुख कार्य संचालित होते हैं। लेकिन बीते एक महीने से आंगनबाड़ी महिलाओं की हड़ताल में चले जाने से यह सारे काम बंद हैं। इनकी हड़ताल को खत्म करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग संचालनालय छत्तीसगढ़ ने आदेश जारी कर हड़ताल में गए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं के विरुद्ध सख्त कार्रवाई के आदेश जारी किए थे। इस आदेश को 12 दिन बीत गए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
ज्ञात हो कि महासमुंद में भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं की अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी है। फिर भी महिला एवं बाल विकास विभाग की सेवाएं बाधित नहीं हैं। आने वाले 28 फरवरी को 250 जोड़ों की शादी भी बगैर आंगनबाड़ी महिलाओं के सहयोग से कराने की व्यवस्था विभाग ने कर ली है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि 10 बिंदुओं में जारी सरकारी निर्देश संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ से मिला है। जिसमें प्रमुख रूप से हड़ताली कर्मचारियों के मानदेय रोकने, अनुशासनात्मक कार्रवाई करने तथा उन्हें पद से हटाने सहित कई कार्यवाहियों का जिक्र है। साथ ही आंगनबाड़ी केंद्र की सेवाएं जारी रखने हेतु आवश्यक बंदोबस्त करने भी निर्देश दिए गए हैं।
बताना जरूरी है कि सरकार ने गरीबी का वास्ता पोषण के नाम से गर्भवती महिलाओं-बच्चों को आंगनबाड़ी का रास्ता दिखाया था। इन आंगनबाडिय़ों में महीने भर से ताले पड़े हुए हैं। ताले बंद करते किसी को निकी सेहत की याद नहीं आई। लेकिन परिवार ने वापस महिलाओं और बच्चों की जिम्मेदारी बखूबी निभाई है। यह अच्छी बात है कि पूरे एक महीने में किसी भी गर्भवती अथवा छोटे बच्चों के बीमार होने अथवा मौत की खबर नहीं आई है। अब लोगों को लगने लगा है कि आंगनबाड़ी महज एक छलावा है। अपनी आय बढ़ाने के लिए यहां काम करने वाले जब मन करे हड़ताल कर देते हैं और सरकार का क्या? सरकार को तो वोट चाहिए। बच्चों और महिलाओं के नाम पर दोनों का खेल जारी है।