सूरजपुर
ग्रामीणों को बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं मिली, नाश्ता के लिए भी तरसे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
प्रतापपुर, 22 जून। संस्कृति भवन प्रतापपुर में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के खंडपीठ द्वारा शिविर लगाया गया, जिसमें आधे लोगों की सुनवाई नहीं हुई और वे बैरंग वापस घर आ गए। बताया जाता है कि ग्रामीणों को बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं मिली न ही नाश्ता।
यह कार्यक्रम जिला प्रशासन सूरजपुर के सहयोग से किया गया था। शिविर का मुख्य उद्देश्य यह था कि बच्चे को उन्हें उनका अधिकार मिल सके और भविष्य सुरक्षित करने में भी सहयोग मिल सके। पढ़ाई छोड़ कचरा बीनने या भीख मांगने का काम न करें, गरीबी के कारण पढ़ाई करने को वंचित न हो, दिव्यांग बच्चा छात्रवृत्ति आ अन्य योजना से वंचित नहीं हो, कोरोना में अनाथ हुए बच्चे अन्य तरीके से गरीब व शोषित बच्चे न हो।
शिविर स्थल पर ग्रामीणों व सरपंचों से मिली जानकारी अनुसार स्थल पर बैठने का प्रयाप्त कुर्सियां नहीं थी, चिलचिलाती धूप में ग्रामीण भटक रहे थे। ब्लॉक मुख्यालय शिविर में लगभग 30 किलोमीटर दूरी तय करके आये ग्रामीणों को भोजन या नाश्ता नसीब नहीं हुआ, जिससे जनप्रतिनिधि, ग्रामीणों में काफी आक्रोश है।
छत्तीसगढ़ दिव्यांग संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुमन्त प्रजापति ने कहा कि इस शिविर में स्वयं कलेक्टर संजय अग्रवाल एवं जिला पंचायत सीईओ उपस्थित थे, इसके बाद भी ग्रामीणों को नाश्ता तक नसीब नहीं हुआ है, यह बहुत ही निंदनीय है। आज के दिन ही दिव्यांग प्रमाण पत्र देना था, लेकिन नहीं दिया गया।
इस शिविर में जिला प्रशासन ने जनपद सीईओ को निर्देश दिया था कि संबंधित प्रकरण जितने भी हैं, अपने पंचायत स्तर पर फार्म भरकर तैयार कर लेवे, ताकि शिविर में कलेक्टर के पास टोकन नम्बर से खड़ा कराकर उनकी समस्या सुन सके, लेकिन आधे लोगों की सुनवाई तक नहीं हुई, बैरंग वापस घर आ गए। इस शिविर में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि या मीडिया को भी बुलाने की सूचना नहीं दी गई थी।