सूरजपुर

अजय चतुर्वेदी की लोक कथा राज्य की 16 मातृ भाषाओं में प्रकाशित
10-Apr-2024 10:16 PM
अजय चतुर्वेदी की लोक कथा राज्य की 16 मातृ भाषाओं में प्रकाशित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

प्रतापपुर,10 अप्रैल। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद छत्तीसगढ़ रायपुर द्वारा छत्तीसगढ़ के 36 कथाकारों का चयन कर उनकी कहानियों को भाग - एक प्राथमिक स्तर एवं भाग - दो पूर्व माध्यमिक स्तर के लिए 2023-24 से शामिल किया गया है। जिसमें सरगुजा अंचल के साहित्यकार राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता अजय कुमार चतुर्वेदी की लोक कथा- लालच का फल का चयन  भाग- दो 6वीं से 8वीं तक के लिए किया गया है।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद छत्तीसगढ़ रायपुर द्वारा चयनित लोक कथाओं को राज्य की 16 मातृ भाषाओं (बोलियों) में प्रकाशित कर छत्तीसगढ़ के सभी विद्यालयों में भेजा गया है। जिसमें पूर्व माध्यमिक स्तर पर अजय चतुर्वेदी की कहानी लालच का फल को शामिल किया गया है। प्रत्येक कहानियों को आकर्षक चित्र के साथ अलग-अलग पुस्तकों में 16 मातृ भाषाओं (क्षेत्रीय बोली) में प्रकाशित किया गया है।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद छत्तीसगढ़ रायपुर के पूर्व लेखन प्रभारी विद्यावती चंद्राकर ने बताया कि राज्य की प्रचलित बोली छत्तीसगढ़ी रायपुर, छत्तीसगढ़ी बिलासपुर, गोंडी बस्तर, गोंडी कांकेर, गोंडी दंतेवाड़ा, भतरी, बघेली, कुडूख, कमारी, माडिय़ा, सादरी, बैगानी सरगुजिहा, दोरली क्षेत्री बोलियों में सभी कहानियों का अनुवाद कराकर पूर्व माध्यमिक स्तर पर 155 और प्राथमिक स्तर पर 55 कहानी पुस्तकों का सेट छत्तीसगढ़ राज्य के सभी विद्यालयों के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को भेज दी गई है।

 लेखक चतुर्वेदी ने बताया कि मेरी लोक कथा में बताया गया है कि लालच का फल हमेशा बुरा होता है। इसलिए लालच कभी नहीं करना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि इन शिक्षाप्रद लोक कथाओं से विद्यार्थी निश्चित रूप से लाभान्वित होंगे। सरगुजा अंचल के साहित्यकार शिक्षक अजय कुमार चतुर्वेदी की रचनाएं इसके पूर्व शिक्षा सत्र 2010 से प्राथमिक स्तर पर कक्षा तीसरी से पांचवी तक के पाठ्यक्रम में शामिल है, जो वर्तमान में भी पढ़ाई जा रही है। इनके शोध पत्रों को पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में शामिल कर प्रकाशित भी किया गया है। जिससे पी.एच.डी. के छात्र लाभान्वित हो रहे हैं। वर्तमान शिक्षा सत्र में नई शिक्षा नीति के तहत सरगुजिहा बोली पर पाठ्य पुस्तक लेखन किया जा रहा है। जिसमें सरगुजिहा बोली विशेषज्ञ के रूप में अजय चतुर्वेदी को शामिल किया गया है।

अजय चतुर्वेदी ने सरगुजिहा कला, संस्कृति, बोली, इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, श्रीराम वनगमन परिपथ, पुरातत्व, पर्यटन, लोकगीत और लोक वाद्यों पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध पत्र प्रस्तुत कर सरगुजा अंचल को गौरवान्वित किया है।

फरवरी 2024 में मानव संग्रहालय भोपाल में आयोजित संगोष्ठी में सरगुजा अंचल के लोक वाद्यों पर शोध पत्र प्रस्तुत कर यहां की लोक संस्कृति से जन समुदाय को अवगत कराया।

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