महासमुन्द
वे संत रामपाल महाराज के अनुयायियों में से एक थे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 6 जुलाई। छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसलिए सोमवार को संत रामपाल के सानिध्य में उनके अनुयायियों ने एक शिष्य सुभाष दास की मौत के बाद मृतक के परिजनों की सहमति से उनका देहदान मेडिकल कॉलेज महासमुंद में किया।
संत रामपाल महाराज के अनुयायियों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के छात्रों को शोध कार्य व प्रैक्टिकल के लिए बच्चों को उन्हें शवों की आवश्यकता होती है। इसे देखते हुए देहदान किया गया है ताकि बच्चे चिकित्सक बनने की प्रक्रिया में मनुष्य की आंख, किडनी, लीवर जैसे अंग बहुत ही महत्वपूर्ण अंगों के बारे में जान सकें।
जानकारी अनुसार सुभाष दास ग्राम अमोरा में रहते थे और वे संत रामपाल महाराज के अनुयायी थे। अपने सतगुरु की प्रेरणा से वे लगातार रक्तदान करते रहते थे। मृत्यु के बाद उनकी इच्छा देहदान की थी। इसलिए सुभाष दास 52 साल की मौत के बाद उनके परिजनों की सहमति से मेडिकल कालेज महासमुंद को देहदान कर दिया गया।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉ.कुंज बिहारी पटेल के पास उनके शव को सुपुर्द किया गया। डा. पटेल के मुताबिक अब तक मेडिक कालेज महासमुंद को प्रैक्टिल के लिए कुल 9 बाडी मिले हैं। जिनमें से 2 दान के हैैं। सुभाष दास से पहले भी एक अन्य व्यक्ति के शरीर को उनके परिजनों ने दान दिया था।
सोसिएट प्रोफेसर एनॉटामी की दिप्ती गौतम ने बताया कि मेडिकल कॉलेज महासमुंद को दूसरी बार देहदान हुआ है।
इससे पहले रायपुर के एक व्यक्ति ने अपना देहदान किया था। बीते 3 जुलाई को ग्राम अमोरा निवासी सुभाष पिता भारत दास 52 साल का देहदान हुआ है। डा.दीप्ति ने अपील की है कि देहदान के लिए हम सभी को आगे आना चाहिए। यह देह उन बच्चों के काम आएगा, जो भविष्य में चिकित्सक बनने के लिए पढ़ाई करते हैं।