महासमुन्द
कृषि यंत्रों की पूजा, बच्चे और युवा गेंड़ी का आनंद ले रहे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 17 जुलाई। आज हरेली का त्यौहार है और छत्तीसगढ़ में हरेली त्यौहार का विशेष महत्व है। हरेली छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार है। अत: आज ग्रामीण क्षेत्रों में यह त्यौहार परंपरागत रूप से उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। बरसते पानी में सुबह होते ही गांवों में किसान ठाकुर देव को मनाने पहुंचे और खेती-किसानी में उपयोग आने वाले कृषि यंत्रों की पूजा की। गांव में बच्चे और युवा गेड़ी का आनंद ले रहे हैं।
मालूम हो कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर लोक महत्व के इस पर्व पर सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया है। मुख्यमंत्री की पहल पर राज्य शासन के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने लोगों तक गेड़ी की उपलब्धता के लिए जिला मुख्यालयों में स्थित सी-मार्ट में किफायती दर में गेड़ी बिक्री के लिए व्यवस्था की है।
महासमुंद जिले के गांवों में आज हरेली पर्व के दिन पशुधन के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए औषधियुक्त आटे की लोंदी खिलाई गई है। परंपरा है कि गांवों में यादव समाज के लोग वनांचल जाकर कंदमूल लाकर किसानों को पशुओं के लिए वनौषधि उपलब्ध कराते हैं। गांव के सहाड़ादेव अथवा ठाकुरदेव के पास यादव समाज के लोग जंगल से लाई गई जड़ी.बूटी उबाल कर किसानों को देते हैं। इसके बदले किसानों द्वारा चावल, दाल आदि उपहार में देने की परंपरा रही हैं।
सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाए जाने वाले इस पर्व के पीछे आशय हरियाली ही है। कहा जाता है कि वर्षा ऋ तु में धरती हरियाली की चादर ओढ़ लेती है। वातावरण चारों ओर हरा-भरा नजर आने लगता है। हरेली पर्व आते तक खरीफ फसल आदि की खेती-किसानी का कार्य लगभग हो जाता है। माताएं गुड़ का चीला बनाती हैं। कृषि औजारों को धोकर, धूप-दीप से पूजा के बाद नारियल, गुड़ का चीला भोग लगाया जाता है। गांव के ठाकुर देव की पूजा की जाती है और उन्हें नारियल और फूल अर्पण किया जाता है।