बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 21 जुलाई। गोधन न्याय योजना को पूरे तीन साल हो गए। इस योजना को राज्य में आज ही के दिन 20 जुलाई 2020 को (हरेली तिहार) से शुरू किया था। छत्तीसगढ़ के पशुपालकों से दो रुपए किलो की दर से गोबर खरीदा जा रहा है जिससे बिहान समूह की महिलायें वर्मी कंपोस्ट तैयार करती हैं। तैयार किए गए वर्मी कम्पोस्ट को 10 रुपए प्रति किलो की दर से किसानों और जरूरतमंदों को बेचा जाता है। इससे ग्रामीण व महिलाओं की आमदनी में इजाफा हो रही है और उनकी आर्थिक स्थित में भी पहले से अधिक सुधार हो रही है।
वही पशुपालक भी गोबर बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। जिले की ग्रामीण महिलाओं ने गौठानों में गोबर बेच कर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त की है। वहीं स्वसहायता समूह की महिलाओं ने वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर अपनी आमदनी में इजाफा कर रही है। उनकी आर्थिक स्थिति पहले से और बेहतर हुई हैं। जिले में 19 जून की स्थिति में 3 लाख 20 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। वहीं 1 लाख 11 क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन हुआ। जिसका किसानों, सरकारी गैर सरकारी संस्थाओं ने क्रय किया है।
जिले के विकासखण्ड साजा के ग्राम बनियाडीह के सीमांत कृषक परिवार में भी ऐसा बदलाव आया है। गोधन न्याय योजना शुरू होने से पहले संतोषी बाई साहू के घर में मवेशियों के गोबर का कोई हिसाब किताब नहीं था न ही गोबर एकत्र करने में कोई खास जतन किया गया। गोधन न्याय योजना शुरू होने से इन मवेशियों के गोबर का महत्व बढ़ गया है, अब वे अपने 7 मवेशियों का गोबर, गांव के जय मां दुर्गा महिला स्व सहायता समूह गौठान में नियमित रूप से बेच रही है। इसके एवज में हर 15 दिन में उनके बैंक खाते में पैसे भी समय पर आ जाता है। अब तक संतोषी बाई साहू ने 98842 किलो गोबर बेचा और इसके लिए 197684 रुपये उनके खाते में आ चुका है और 64 क्विंटल चारा समूह द्वारा भी विक्रय किया। इस आमदानी ने पूरे परिवार को काफी सुकून दिया।