मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

सरकारी अस्पताल में घायल की मौत से भडक़ा जनाक्रोश, हंगामा
22-Jul-2023 7:33 PM
सरकारी अस्पताल में घायल की मौत से भडक़ा जनाक्रोश, हंगामा

जान बचाने सीएमएचओ अस्पताल छोडक़र भागे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

मनेन्द्रगढ़, 22 जुलाई। बीती रात सडक़ हादसे में एक घायल की जिला मुख्यालय मनेंद्रगढ़ स्थित शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में समय पर उपचार नहीं मिलने की वजह से जान चली गई। घायल की मौत के बाद गुस्साए परिजनों ने सैकड़ों लोगों के साथ अस्पताल से लेकर सिटी कोतवाली तक में आधी रात तक जमकर हंगामा मचाया।

भडक़े जनाक्रोश का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मनेंद्रगढ़ के इतिहास में पहली बार किसी डॉक्टर को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा है। पूरे घटनाक्रम की जानकारी मिलने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने सीएमएचओ डॉ. सुरेश तिवारी को सस्पेंड करने का मौखिक निर्देश दिया है, लेकिन समाचार लिखे जाने तक इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई थी।

जानकारी के अनुसार मनेन्द्रगढ़ शहर के मौहारपारा वार्ड क्रमांक 6 निवासी नारायण पतवार शुक्रवार की दोपहर एक सडक़ दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल को लेकर उसके परिजन शाम लगभग 4 बजे सीएचसी पहुंचे। यहां मौजूद मेडिकल स्टाफ ने उनका प्राथमिक उपचार तो किया, लेकिन परिजन बार-बार डॉ. सुरेश तिवारी को फोन लगाते रहे और वे एक बार भी मरीज को देखने के लिए अस्पताल नहीं पहुंचे। इसी बीच घायल नारायण पवार ने अस्पताल में दम तोड़ दिया।

घायल नारायण पतवार की मौत की खबर मिलते ही मृतक के परिजनों ने अस्पताल में हंगामा मचाना शुरू कर दिया। इस बीच हंगामे की खबर सुनकर आनन-फानन में अस्पताल पहुंचे सीएमएचओ डॉ. सुरेश तिवारी को देखकर मरीज के परिजन उन्हें मारने के लिए दौड़ाने लगे, तब किसी तरह भाग कर डॉ. तिवारी सिटी कोतवाली पहुंचे और अपनी जान बचाई।

 डॉ. तिवारी के कोतवाली पहुंचते ही भारी संख्या में मरीज के परिजनों के साथ आसपास के लोग भी कोतवाली में जमा होने लगे और सभी डॉ. सुरेश तिवारी के इस्तीफे की मांग करते हुए विधिक कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाने लगे।

मामले की गंभीरता को देखते हुए एडिशनल एसपी निमेष बरैया, प्रभारी अपर कलेक्टर अभिलाषा पैकरा एवं खडग़वां एसडीएम विजेंद्र सारथी पुलिस बल के साथ थाना परिसर पहुंचे। स्थिति को देखते सिटी कोतवाली का चैनल गेट बंद कर दिया गया।

देर रात तक मृतक के परिजन और भीड़ डॉ. तिवारी को अस्पताल से हटाए जाने की मांग को लेकर थाना के सामने जमा रहे, वहीं दूसरी ओर जब इसकी खबर अस्पताल के स्टाफ को लगी तो पूरा स्टाफ अस्पताल छोडक़र बाहर भाग गया, जिसके चलते अस्पताल में भर्ती मरीज और उनके परिजन परेशान होते रहे।

मृतक के परिजन इस दौरान काफी आक्रोशित दिखाई दिए। उनका कहना था कि डॉ. सुरेश तिवारी का पूरा ध्यान उनके अपने निजी अस्पताल में रहता है। यही वजह है कि अस्पताल में आने वाले मरीजों को बेहतर उपचार नहीं मिल पाता।

बहरहाल शनिवार की सुबह मौखिक सस्पेंड के संदेश के बाद परिजनों द्वारा शासन की निगरानी में पीएम के लिए शव को ले जाया गया है।

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