रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 26 जुलाई। एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी प्रांगण में चल रहे मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला में बुधवार को नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने कहा कि हम जब अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं, तो हमें हमारे माता-पिता का स्वभाव विपरीत लगने लगता है और हम उस स्वभाव को बदलने का प्रयास करते हैं। आप जन्म के बाद से अपने माता-पिता को देखते आ रहे हैं और आपके बचपने से ही उनका स्वभाव जैसा है पचपन में भी वैसा ही रहेगा, आप उसे आज बदल नहीं सकते हैं।
महात्मा गांधी ने जैन मुनि के समक्ष ली थी प्रतिज्ञा
साध्वीजी ने बताया कि आज हर शहर में हर नगर में महात्मा गांधी के नाम से चौक चौराहे होते हैं सडक़े होती हैं और उनकी प्रतिमाएं भी स्थापित की जाती हैं। उनकी मां पुतलीबाई ने उन्हें ऐसे संस्कार दिए थे जिसकी वजह से उन्हें महात्मा की उपाधि दी गई।
जब महात्मा गांधी ने विदेश जाने का फैसला किया तो उनकी मां सहन गई कि कहीं विदेश जाकर मोहनदास मांस आदि का भक्षण ना करने लग जाए। पुतलीबाई महात्मा गांधी को अपने साथ एक जैन मुनि के पास ले जाती है और उन्हें प्रतिज्ञा दिलवाती है कि वह विदेश जाकर इन तीन चीजों से दूर रहेंगे- मांस, मदिरा और पर स्त्री गमन। यह प्रतिज्ञा लेने के बाद मां के द्वारा गांधी जी को विदेश जाने की अनुमति मिली।
विजय संचेती का हुआ बहुमान
श्रीसंघ ने आज 29 मासश्रमण पूरा कर चुके विजय संचेती का बहुमान किया। आज उनका 25वें उपवास का पच्चखाण हुआ। उन्होंने 29 बार 1 महीने का मासश्रमण उपवास पूरा कर लिया है। इस बार उनका 30वां मासश्रमण है। आज विजय कांकरिया, प्रकाश मालू और प्रकाश सुराना ने विजय संचेती का बहुमान किया।