सूरजपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
प्रतापपुर,29 जुलाई। शिव शिष्य परिवार जिला सूरजपुर के तत्वावधान में आयोजित शिव शिष्यता की जननी मां दीदी नीलम आनन्द के 71वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में वृक्षारोपण व सवा घण्टे का अखण्ड संकीर्तन-भजन का आयोजन माँ दुर्गा मंदिर प्रांगण सरहरी में किया गया। इस दौरान बहुत लोगों ने भगवान शिव को अपना गुरु माना।
कार्यक्रम में चन्द्रिका कुशवाहा, जानकी राम राजवाड़े, रामशरण राजवाड़े, घूरन सारथी, गोपाल देवांगन, हरिनारायण गुप्ता, संग्राम देवांगन, रामधारी सिंह, जयपाल सिंह, प्यारे लाल विश्वकर्मा, लालसाय सिंह पावले, सुखसागर राजवाड़े, वकील प्रसाद चौधरी, सुमित्रा रजक, सरस्वती कुशवाहा, कुसुम रजक, सुमित्रा रजवाड़े, कैलाश कसेरा, दीप राजवाड़े, मनीषा सिंह, कैलाश पाटिल, मोहरसाय देवांगन, रामसरन कुशवाहा एवं अन्य गुरु भाई-बहनों द्वारा शिव शिष्य परिवार सूरजपुर द्वारा सांसें हो रही है कम, आओ पेड़ लगाएं हम के स्लोगन के तहत पौधारोपण किया गया और संकल्प लिया गया कि लगाए गए सभी पौधों और वृक्षों का देखभाल करेंगे। सृष्टि में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है,जिसे मुक्त कराकर पर्यावरण को सुंदर बनाएं।
जिसके बाद 16 घंटे का संकीर्तन भजन का आयोजन किया गया तत्पश्चात सवा 5 किलो का केक काटकर जन्मदिन धूमधाम के साथ मनाया गया।
उपस्थित शिव शिष्य परिवार के जानकी राम राजवाड़े ने जन्मदिन समारोह को सम्बोधित कर कहा कि भगवान शिव की शिष्यता को सम्पूर्ण भारतवर्ष में स्थापित करने वाली इस कालखंड की प्रथम शिव शिष्या राजमणि दीदी नीलम आनन्द जी ने सन 1980 के दशक से बिहार के मघेपुरा जिला से साहब हरिन्द्रानंद जी के साथ लोगो को शिव का शिष्य बनने की प्ररेणा देती रही। प्रारंभिक दिनो मे भगवान शिव की शिष्यता के प्रभाव से लोग परिचित नहीं थे।
उपस्थित शिव शिष्य परिवार को बताया गया कि दीदी नीलम आनंद का जन्म झारखंड राज्य के पलामू जिला अन्तर्गत मनातू प्रखंड में 27 जुलाई 1953 को हुआ था। उनके पिताजी इलाके के बहुत ही बड़े जमींदार थे। बताया गया की शिव शिष्य परिवार की स्थापना दीदी नीलम व भैया हरिद्रानंद के द्वारा किया गया था। जिनके नेतृत्व मे आज इलाके मे हजारों-लाखों की संख्या मे शिव शिष्य हो गए हैं। उनके बताए गए तीन सूत्रों को हमेशा याद रखें। कहते है इष्ट मे सबसे बड़े देवों के देव महादेव ही है। जो दुनिया की रचयिता है,उनकी महिमा बड़ी ही निराली है।
उपस्थित शिव शिष्यों को बताया कि प्राणियों के सांस में शिव गुरु बसते हैं। यदि प्रत्येक पल को सजगता से जीये तो जीवन में आनंद ही आनंद है। जो व्यक्ति शिव को गुरू नहीं बनाते हैं,उनके जीवन में दुख ही दुख है। प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि उसे सभी प्रकार का सुख मिले। धन, परिवार, निरोग शरीर, दीर्घायु सहित अन्य सुखों को प्राप्त करे। शिष्य की भावना जिस प्रकार की होती है, गुरू का भी संबंध भी उसी प्रकार होता है।वहीं दीदी नीलम आनंद के जन्म दिन पर सभी गुरू भाईयों ने एक-एक पौधा भी लगाया। साथ ही परिचर्चा में उपस्थित लोगों से पौधा लगाने हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम का संचालन अजय साहू ने किया।