महासमुन्द

विश्व शांति हथियारों से नहीं, अपने मन की शांति से मिलेगी-दलाई लामा
09-Sep-2023 2:26 PM
विश्व शांति हथियारों से नहीं, अपने मन की शांति से मिलेगी-दलाई लामा

वीडियो में कहा-सिरपुर में महानदी के किनारे रेत पर चलते मुझे एक शंख मिला, जो अब तक मेरे साथ है

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 9 सितंबर।
पुरातात्विक स्मारकों, समृद्ध परम्परा, सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध सिरपुर में आयोजित तीन दिवसीय विश्व संगीति कार्यक्रम के दूसरे दिन शुक्रवार दोपहर मेला मैदान में आयोजित सभा में उपस्थित जनसमूह ने तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का संबोधन वाला वीडियो देखा और सुना। 

इसमें उन्होंने कहा-मैं पहली बार 2013 में छत्तीसगढ़ का सिरपुर आया। सुना था सिरपुर हमारे गुरु नागार्जुन की भूमि है। मैं वायुयान से रायपुर में उतरा और सिरपुर आया तो यहां महानदी के किनारे-किनारे रेत पर चलते चलते मुझे एक शंख मिला। मैं उस शंख को माथे पर लगा प्रणाम किया। क्योंकि नदी किनारे शंख मिलना काफी शुभ माना जाता है। मैं उसे लेकर सुरंग टीला गया। जहां मेरे गुरु नागार्जुन ने तप किया था। मैं अपने गुरू का प्रसाद मान उस शंख को अपने साथ ले आया और आज तक वह मेरे साथ ही रहता है। 

दलाई लामा ने वीडियो के जरिए अपने संदेश में कहा कि मैं नागार्जुन के मौलिक छंद शून्य मार्ग का बचपन से पठन करते आया हूं। मैं उका अनुयायी हूं। उनकी पवित्र स्थली सिरपुर में सम्मेलन को लेकर काफी उत्सुक हूं और उपस्थित सभी लोगों को इसकी सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने कहा कि विश्व शांति हथियारों से नहीं मिलेगी बल्कि अपने मन की शांति से मिलेगी। इसीलिए मैं हर दिन नागार्जुन और चंद्रमोलि की किताबें पढ़ता हूं। अहंकार की भावनाएं मन की शांति भंग करती है। जब आप शून्य में एकाग्र हो जाते हैं तोमानसिक शांति को प्राप्ति होती है। 

इससे पहले सभा को संविधान रचियता बाबा साहब अंबेडकर के पौत्र भीमराव यशवंत बाबा साहब अंबेडकर ने संबोधित किया। वे इस वक्त मुंबई में रहते हैं और द बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। 

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की भूमि में कई बौद्ध विहार मिल रहे हैं। राज्य सरकार को चाहिए कि इन विहारों का संरक्षण करें। पुरातत्व विभाग ने बिहार के गया के बाद यहां बौद्ध विहार खोज निकाले हैं। मैं देश दुनिया में बुद्ध का अनुयायी बनकर जाता हूं। मैं जहां भी जाऊंगा, वादा करता हूं कि अपने साथ सिरपुर की तमाम अनुभवों को भी अपने साथ ले जाऊंगा ताकि सिरपुर का नाम विश्व पटल पर ला सकूं।  

सभा को राजस्थान खाटू श्याम से पहुंचे अतिथि श्याम सिंग चौहान ने भी संबोधित किया। सभा को सरायपाली विधायक किस्मत लाल नंद ने संबोधित करते हुए कहा कि सिरपुर को राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक का सफर करना जारी है। पहले सिरपुर के बारे में लोगों को पता नहीं था। जब खुदाई हुई तो सिरपुर को पर्यटन स्थल का दर्जा मिलने लगा। हमारा सिरपुर वही धरती है जहां एक सौ बौध्य विहार हैं। यहां कभी 10 हजार बौध्द भिक्षु प्रशिशण लिया करते थे। लुंबिनी का गौतम बुध्द हमारे सिरपुर में आ बसे हैं। गौतम बुद्ध और विज्ञान के नियम साथ साथ चलते हैं। 

गौरतलब है कि सिरपुर में कल 7 सितंबर से विश्व संगीति कार्यक्रम आयोजित है। कल शुरुआती दिन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वन, आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर थे। विशेष अतिथि के रूप में वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय, नागार्जुन फाउंडेशन के अध्यक्ष भदन्त आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई, कल्चरल सेंटर ऑफ एचएच दलाई लामा तिब्बत हाउस डायरेक्टर गेशे दोरजी दामदुल, पुरातत्वविद नागपुर महाराष्ट्र लेखक डॉ. सत्यजीत चन्द्रिकापुरे, ट्रेव्हल एंड टूरिज्म विभाग महाराष्ट्र डायरेक्टर डॉ. प्रियदर्शी एम खोब्रागड़े उपस्थित थे। 

आज इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज भी शामिल होने वाले थे, लेकिन अपरिहार्य कारणों से वे सिरपुर नहीं पहुंचे सके।  

इस कार्यक्रम के संयोजक सिरपुर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण अध्यक्ष सतीश जग्गी ने आज कार्यक्रम उपरांत इस कार्यक्रम में शामिल होने वालों का सम्मान किया, साथ ही अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया। उक्त कार्यक्रम में बौद्ध धर्म के सैकड़ों अनुयायी शामिल हुए।
 

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