महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 9 सितंबर। महासमुंद के नजदीक एक छोटा सा गांव है मालीडीह। यहां के किसान अरूण चंद्रकार वैसे तो एक परम्परागत किसान हैं। लेकिन कुछ साल पहले प्रायोगिक तौर पर कुछ अलग करने की सोंची और फूलों की खेती की तरफ हाथ बढ़ाया।
उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर गुलाब की खेती करना प्रारम्भ किया। शुरुआत में 400 गुणा 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में गुलाब के पौधे लगाए। इसके लिए उद्यानिकी विभाग से पॉली हाऊस योजना का लाभ भी लिया। अरुण के पुत्र अमर चंद्राकर दूसरे राज्य में इंजीनियर थे। पिता को फूलों की खेती करते देख इंजीनियरिंग का काम चोड़ गांव लौट आया। आवश्यक मार्गदर्शन और प्रशिक्षण लेकर उसने भी फूलों की खेती को व्यावसायिक रूप देकर आगे बढ़ाने का काम शुरू किया।
अमर ने भी उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत पैक हाऊस निर्माण का लाभ लिया। साथ ही समय.समय पर तकनीकी मार्गदर्शन लेते रहे। फूलों में आमदनी को देखते हुए युवा किसान अमर चंद्राकर ने एक.एक एकड़ क्षेत्र के दो स्थानों पर झरबेरा फूल की खेती 2020.21 में प्रारम्भ किया। आज झरबेरा की खेती से वे प्रति माह लगभग एक लाख रुपए की बचत कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि लगभग 6 एकड़ क्षेत्र में फूलों की खेती की योजना है। आज 35 मजदूर उनके पॉली हाऊस में काम कर रहे हैं। जो प्रतिदिन कटाई.छटाई और दवाई देने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके फूल प्रति नग कम से कम ढाई रुपए से लेकर 17 रुपए तक की दर से रायपुर,मुम्बई, नागपुर, कोलकाता, बेंगलुरु आदि महानगरों में विक्रय किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अभी एक क्षेत्र में सेवंती फूल लगाया गया है। जिसका नवम्बर माह से उत्पादन शुरू हो जाएगा। अमर चंद्राकर वैसे तो बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग हैं लेकिन नौकरी का मोह त्याग कर मुनाफे की इस खेती को ही नौकरी मानकर कार्य कर रहे हैं। साथ में सामाजिक कार्यां में भी हाथ बंटा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गांव में रहकर ही गांव की सेवा कर एवं फूलों की खेती से मैं संतुष्ट हूं। उन्होंने राज्य शासन को इस अवसर के लिए धन्यवाद भी दिया है।