कोण्डागांव
केंद्रीय विद्यालय में दादा-दादी, नाना नानी दिवस कार्यक्रम
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंडागांव, 4 नवम्बर। केंद्रीय विद्यालय कोंडागांव में दादा-दादी , नाना नानी दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि ननकी वैष्णव एवं विद्यालय के प्राचार्य आर. जांगड़े के द्वारा मां सरस्वती के छायाचित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इसके बाद विद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया।
श्री जांगड़े ने मुख्य अतिथि ननकी वैष्णव को श्रीफल एवं साल भेंटकर उन्हें सम्मानित किया। स्वागत गीत के बाद श्री जांगड़े ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि दादा दादी नाना नानी परिवार की जड़ें हैं , जिन्हें हम अपने बीच पाकर गौरवांवित महसूस कर रहे हैं। परिवार को एक साथ जोडक़र रखने में दादा दादी, नाना नानी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अपने संतान से अधिक प्यार वे अपने पौत्र पौत्री नाती नातिन को देते हैं। उनकी दुलार पाकर जो बच्चे बड़े होते हैं, वे सांस्कारित एवं ज्यादा जिम्मेदार बनते हैं ।
तत्पश्चात कार्यक्रम में आए समस्त दादा-दादी और नाना नानी को पुष्प और बच्चों के द्वारा बनाए गए ग्रीटिंग कार्ड देकर उनका स्वागत किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम की कड़ी में जैसी करनी तैसी भरनी नाटक कक्षा आठवीं की छात्राओं ने प्रस्तुत किया। दादा दादी हमारे साथ रहना , नाना नानी हमारे पास रहना, हमको लोरी गाके सुलाना गीत की प्रस्तुति कक्षा पांचवीं की छात्र छात्राओं ने प्रस्तुत कर सभी के मन को मोह लिया।
कार्यक्रम में सम्मिलित कई मेहमानों के द्वारा भी गीत , कविता , कहानी प्रस्तुत किया गया तथा उन्होंने बच्चों को आशीर्वाद दिया । दादा दादी नानी नानी ने खेल का भरपूर आनंद लिया। सभी मेहमानों ने इस आयोजन को सफल बताया। अपने आप को गौरवान्वित महसूस किए तथा इसके लिए उन्होंने प्राचार्य का सहृदय धन्यवाद किया ।
ननकी वैष्णव ने सभी दादा दादी नाना नानी को संबोधित किया, नौनिहालों को आशीर्वाद दिया। धन्यवाद ज्ञापन मनोज कुमार धुर्वे संगीत शिक्षक ने प्रस्तुत किया।
स्वाति बोस प्रभारी प्राथमिक विभाग एवं प्राचार्य के मार्गदर्शन में कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन आलम साय तिग्गा ने किया।
संजीव कुमार स्वाति बोस, सत्यनारायण पटेल, अमित कुमार, सौम्या मिश्रा, जागृति सिन्हा, हिमानी पटेल , उमेश कुमार , धनेश्वरी देवांगन , ओरीलाल कावरे, सृष्टि बोस आदि शिक्षक शिक्षिकाओं ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।