कोण्डागांव
उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ होगा पारण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंडागांव,19 नवंबर। सूर्य उपासना का महापर्व छठ आस्था के साथ मनाया गया। डूबते सूर्य को अघ्र्य अर्पित कर व्रती महिलाओं ने परिवार की सुख-समृद्धि की मंगल कामना की। सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य देकर छठव्रतियां पारण करेंगी।
चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन शनिवार की शाम खरना पूजन किया गया। छठ व्रती महिलाओं ने मिट्टी के बने नए चूल्हे पर खरना का विशेष प्रसाद खीर और पूरी बनाकर फलों के साथ खरना पूजा की। छठ व्रती के साथ परिवार के सभी सदस्यों ने अटूट आस्था के साथ खीर-पूरी का प्रसाद ग्रहण किया।
खरना पूजा का प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठ व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। रविवार की शाम अस्ताचलगामी और सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देने के बाद लोक आस्था के महापर्व का समापन होगा।
मिथिला समाज के वरिष्ठ समाज सेवी जितेंद्र सिंह ने बताया कि चार दिवसीय छठ महापर्व के दूसरे दिन व्रती शुद्ध मन से छठ माता की पूजा करके गुड़ की खीर का भोग लगाती हैं। खरना के दिन प्रसाद नए चूल्हे पर बनाने की परंपरा है। इस दिन व्रती महिलाएं सिर्फ एक ही समय भोजन करती हैं।
शहर के बांधा तालाब पर सबसे अधिक व्रती सूर्य को अघ्र्य दिए। जिसके चलते यहां पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। शांति और समृद्धि बने रहे, इसकी कामना की गई।
सुरक्षा को लेकर रहा इंतजाम
रविवार को व्रतियों ने नदी, तालाब के साथ अन्य जलाशयों के पानी में खड़े रहकर अस्तलचलगामी (डूबते) सूर्य को अघ्र्य देकर पूजन किया गया। यह परंपरा शहर के बंधा तालाब, नारंगी नदी के घाट पर हुआ। छठ पर्व के लिए जरूरी पूजन सामग्री उत्तर भारत से मंगवाई गई है। बंधा तालाब के घाट पर सफाई के साथ ही पंडाल और बिजली की व्यवस्था भी की गई है। साथ ही मिथिला समाज के द्वारा भोजपुरी आर्केस्टा का आयोजन किया गया। पूजा पाठ की सुरक्षा को लेकर जवानों की तैनाती रही। हर जगह पर सुरक्षा के इंतजाम रहा। इस साल अघ्र्य देने वालों की संख्या 500 से अधिक होने की बात कही जा रही है।