दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 31 दिसंबर । भिलाई- समीप ग्राम परेवाडीह में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन प्रवचन करते हुए पं संतोष अवस्थी महाराज ने कहा कि वृदावन प्रेम एवं भक्ति की भूमि है जहां सहज ही प्रेम व भक्ति का प्रादुर्भाव देखने को मिलता है गोपियां सहज भक्ति करती है। घर में ही रहकर ईश्वर की आराधना करना अति उत्तम है अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होना श्रेष्ठता का प्रमाण है।
परमात्मा की प्राप्ति तो प्रेम की पराकाष्ठा में होती है प्रेम में समर्पण होता है गोपियां प्रेम की आचार्या है भगवान श्री कृष्ण की माधुरी लीला सबको आंनद प्रदान करने वाली है
स्व डालेश यादव एवं पूर्वजों की स्मृति में डॉ. भागवत यादव , माधुरी यादव एवं मोंगरा यादव आयोजित इस ज्ञान यज्ञ में गोवर्धन पूजन का सम सामयिक परिवेश में व्याख्या करते हुए पं. अवस्थी महाराज ने कहा कि हम अपने पर्यावरण की रक्षा करें उन्हें सहेज कर रखे उनका संरक्षण करे तभी मानव जीवन उत्तम होगा।रूखमणि परिणय की व्याख्या करते हुएआचार्य ने कहा कि यह एक साधक की कथा है, परमात्मा तभी मिलते है जब पूर्ण समर्पण की भावना होती है ईश्वर साधन-साध्य नहीं कृपा साध्य है, । प्रातदिन बड़ी संख्या में उपस्थित होकर श्रद्धालुओ ने कथा रसपान कर इस यज्ञ मे अपनी भावपूर्ण भावना से प्रभु को स्मरण किया।