महासमुन्द
वाल्व खुलते ही मिनटों में आग बुझाएगा
महासमुंद, 4 मई। मेडिकल कॉलेज बनने के बाद से जहां अस्पताल में अनेक विद्युत चलित स्वास्थ्य उपकरणों की सुविधाएं बढ़ी हैं। यहां मरीजों सहित अस्पताल की आगजनी से सुरक्षा को लेकर ऑटोमेटिक फायर सेफ्टी सिस्टम स्प्रिंकलर लगाया गया है। यदि पूरे अस्पताल में आगजनी की घटना होती है, तो वाल्व खुलते ही मिनटों में यह सिस्टम आग को बुझाने में सफल हो जाएगा। चूंकि अब जिले के कई अस्पतालों में अनेक वार्ड और भी स्थापित हो चुके हैं। फलस्वरूप यहां भी इस फ ायर सेफ्टी सिस्टम को लगाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के कुछ अस्पतालों में आगजनी के घटनाओं को ध्यान में रखते हुये यहां फ ायर सेफ्टी स्प्रिंकलर सिस्टम लगाया गया। जिनमें से एक महासमुंद भी है। हालांकि जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों सहित संवेदनशील संस्थाओं जैसे कलेक्टोरेट न्यायालय, तहसील कार्यालय सहित शराब दुकानों में भी इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है।
जानकारी के अनुसार पिछले कुछ वर्षों की बात करें तो महासमुंद प्रदेश में आगजनी की अनेक घटनाएं हुई हैं, जिसमें हाल ही में 100 करोड़ की ट्रांसफार्मर राजधानी में अग्नि की भेंट चढ़े हैं।
मालूम हो कि महासमुंद में भी कुछ साल पहले स्वामी चौक स्थित प्रीतम प्राइड में आग से लाखों के नुकसान हो चुके हैं, वहीं पिटियाझर में इलेक्ट्रॉनिक व्यवसायी के गोदाम में शॉर्ट सर्किट की घटना से करोड़ों के सामान जलने के अलावा दो मासूमों समेत चार लोगों की मौत हुई है। ऐसे में इस सिस्टम से बड़ी आगजनी को रोका जा सकता है।
महासमुंद मेडिकल कॉलेज में कुल 365 से भी अधिक बेड हैं। साथ ही 100 से अधिक कमरे हैं, यहां प्रत्येक कमरों में यहां तक शौचालयों आदि में भी फायर स्प्रिंकलर का जाल बिछाया गया है। 50 हजार लीटर पानी टंकी से इसे कनेक्ट किया गया है। प्रत्येक स्प्रिंकलर में सेंसर वाल्व लगा है, जो हल्की आग पाते ही फ ट जाता है तथा आग वाले स्थान पर बारिश शुरू हो जाती है।
अग्नि स्प्रिंकलर उच्च ताप स्प्रिंकलर प्रणाली को चालू कर देता है। जब कोई आग भडक़ती है, तो उसके ठीक ऊपर की हवा तेजी से गर्म होती है। यह गर्म हवा ऊपर उठती है और छत तक फैल जाती है। जब हवा पर्याप्त गर्म होती है और स्प्रिंकलर हेड तक पहुंचती है, तो यह एक श्रृंखला प्रतिक्रिया शुरू कर देती है।
अस्पताल सलाहकार निखिल गोस्वामी ने बताया कि अधिकांश स्प्रिंकलर हेड में ग्लिसरीन आधारित तरल से भरा एक ग्लास वाल्व होता है। यह तरल 135 से 165 डिग्री तक गर्म हवा के संपर्क में आने पर फैलता है। जब तरल फैलता है, तो यह अपने कांच के घेरे को तोड़ देता है और स्प्रिंकलर हेड सक्रिय हो जाता है। प्रत्येक स्प्रिंकलर हेड एक पाइप से जुड़ा होता है जो इमारत के बाहर एक विश्वसनीय जल स्रोत से जुड़ता है। जब गर्मी स्प्रिंकलर हेड को सक्रिय करती है, तो एक वाल्व खुल जाता है। जिससे पाइप सिस्टम से दबाव युक्त पानी बाहर निकल जाता है। यह आग को अधिक अच्छी तरह से बुझाने और इसे फिर से भडक़ने से रोकने के लिए पानी को एक चाप में बाहर की ओर स्प्रे करता है।
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