महासमुन्द

परिणाम के पहले या बाद में बच्चों को निराश होने जरूरत नहीं है
05-May-2024 2:26 PM
 परिणाम के पहले या बाद में बच्चों को निराश होने जरूरत नहीं है

 कम नंबर लाने का मतलब यह नहीं है कि आपको नॉलेज कम है-कलेक्टर 

छत्तीसगढ़ संवाददाता
महासमुंद, 5 मई।
माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर द्वारा कक्षा 10वीं एवं 12वीं के परीक्षा परिणाम प्रतिवर्ष घोषित किए जाते हैं। जिसमेंअपेक्षित परिणाम नहीं आने से विद्यार्थी प्राय: तनाव में रहते हैं तथा कुछ विद्यार्थी तो डिप्रेशन में चले जाते हैं। अत: जिला प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए जिले के हाई और हायर सेकेण्डरी स्कूल के सभी प्राचार्यों का प्रशिक्षण आयोजित किया। 

प्रशिक्षण में कलेक्टर प्रभात मलिक ने उदबोधन में कहा कि बोर्ड परीक्षा परिणाम घोषित होने वाले हंै। परीक्षा परिणाम घोषित होने के पहले या बाद में विद्यार्थियों को निराश होने या तनाव लेने की आवश्यकता नहीं है। पालकों को भी बच्चों से बहुत अधिक एक्सपेक्टेशन नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी बच्चे में यह प्रवृत्ति पायी जाती है या इस संदर्भ में कोई भी सूचना मिलती है तो स्वास्थ्य विभाग के टोल फ्री नंबर 10414416 आरोग्य सेवा नि:शुल्क परामर्श पर सूचित किया जा सकता है। यह टोल फ्री नंबर चौबीसों घंटे संचालित रहेगा। इसके अलावा जिले के 07723299858 पर भी संपर्क किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि सूचना प्राप्त होने पर विद्यार्थियों के हित में तत्काल समाधान उपलब्ध कराया जा सकेगा। कई बच्चे अपेक्षा अनुसार परिणाम नहीं ला पाते इस स्थिति में तनाव नहीं लेना चाहिए। कम नंबर लाने का मतलब यह नहीं है कि नॉलेज कम है। कई व्यक्तित्व ऐसे हैं जो अपने बचपन में अच्छे नंबर नहीं ला पाए पर आगे जाकर उन्होंने बहुत ख्याति प्राप्त की। 

श्री मलिक ने शिक्षा विभाग के सभी शिक्षकों व अधिकारियों को विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के संबध में सतत काउंसलिंग करने के आवश्यक निर्देश दिए। ब्लाक स्तर पर भी इसी तरह का ट्रेनिंग आयोजित किए जाएंगे। अपर कलेक्टर रवि साहू ने अपने अनुभव और नवजीवन के बारे में विस्तार से बताते हुए पालक व जन सहयोग आधारित कार्यक्रम, स्वयंसेवी की मदद लेने की प्रक्रिया और क्रियान्वयन के बारे में प्रशिक्षणार्थियों को मार्गदर्शन दिया।

स्वास्थ्य विभाग से पहुंचे विषय विशेषज्ञ ने कुछ ऐसे व्यक्तित्व का उदाहरण दिया जिनके प्रारंभिक जीवन में चुनौतियां थी। परंतु बाद में भी सफल हुए। उदाहरण के लिए बिल गेट्स, अल्बर्ट आइंस्टीन, थॉमस अल्वा एडिसन। साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों को हमेशा इनकरेज करना चाहिए। फैमिली एनवायरमेंट हमेशा पॉजिटिव होना चाहिए। बच्चों को अन्य बच्चों के साथ कंपेयर नहीं करना चाहिए और हमेशा बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना चाहिए।

विशेषज्ञों ने अपने उद्बोधन में बताया कि बहुत बार ऐसा देखा गया है कि बहुत अच्छे रिजल्ट लाने वाले बच्चों का परिणाम खराब हो जाता है। तो ऐसे बच्चे अपने रिजल्ट को एक्सेप्ट नहीं कर पाते। ऐसे बच्चे तनाव ग्रसित हो जाते हैं। कभी-कभी अपने बड़े भाई या बहनों के साथ कंपैरिजन करने पर भी वह अपने आप को कुंठित महसूस करते हैं।

करियर काउंसलर ने अपने उद्बोधन में बताया कि कैरियर काउसिंलिंग विद्यार्थियों के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में बच्चों के लिए 5000 से अधिक करियर के ऑप्शन है तथा बच्चों में 21 वीं सदी सेंचुरी स्किल विकसित करने की अत्यंत आवश्यकता है। जिला शिक्षा अधिकारी मोहन राव सावंत ने कहा कि परीक्षा के बाद बच्चे तनाव ग्रसित हो जाते हैं तथा गलत रास्ते पर चले जाते हैं। अत: इस हेतु तनाव प्रबंधन करना अत्यंत आवश्यक है।

गौरतलब है कि पहली बार राज्य में परीक्षा परिणाम से विद्यार्थियों में उत्पन्न विभिन्न अवसाद और अन्य जानलेवा समस्याओं से निजात पाने तथा उन्हें पहचान कर नियंत्रित करने, समाज, पालक, स्वयसेवियों, शिक्षकों के माध्यम से निगरानी प्रणाली विकसित करने यह मानसिक विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी पी कुदेशिया सहित शिक्षा विभाग के बीइओ एबी आर सी और जिले भर के हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल के प्राचार्य और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौजूद थे।

 

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