महासमुन्द

कोसरंगी के आर्ष ज्योति गुरुकुल के हर छात्र आसानी से करते हैं टिट्टिभासन योग
22-Jun-2024 9:37 PM
कोसरंगी के आर्ष ज्योति गुरुकुल के हर छात्र आसानी से करते हैं टिट्टिभासन योग

इस गुरुकुल में वर्ण के आधार पर नहीं बल्कि कर्म के आधार पर शिक्षा दी जाती है

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 22 जून। कल जिले में अनेक स्थानों पर योग कार्यक्रम हुआ। लेकिन महासमुंद के कोसरंगी स्थित आर्ष ज्योति गुरुकुल की छवि कुछ और थी। मालूम हो कि यहां छात्रों को आधुनिक शिक्षा के साथ ही संस्कृत, कर्मकांड और सेल्फ डिफेंस सिखाया जाता है। इनमें भी जो सबसे खास है, वह योग की शिक्षा है। लिहाजा गुरुकुल में पढऩे वाले छात्र योग सीखते नहीं, बल्कि उसे जीते हैं और शरीर और आर्थिक स्थिति दोनों को मजबूत कर रहे हैं। शुक्रवार भी सुबह-सुबह यहां के योगियों ने टिट्टिभासन, वृक्षासन, शीर्षासन, पद्मासन, चक्रासन, ध्रुवासन, एकपाद ग्रीवासन और वृश्चिकासन जैसे योग आसानी से किया। इस गुरुकुल में 10 साल उम्र के बच्चों से लेकर कॉलेज में पढऩे वाले छात्र तक पढ़ते हैं और सभी येग विद््या में पारंगत है।

जानकारी अनुसार इस गुरुकुल में 68 छात्र हैं। कल योग दिवस पर पता चला कि इस गुरुकुल में जाति-वर्ण नहीं बल्कि कर्म प्रधान है। गुरुकुल के आचार्य पंचानन प्रधान ने बताया कि छात्रों को इस गुरुकुल में वर्ण के आधार पर नहीं, बल्कि कर्म के आधार पर शिक्षित किया जाता है। हर वर्ण हर जाति के छात्र को यहां पर संस्कृत, पूजा-पाठ, योग शिक्षा और आत्मरक्षा का गुर सिखाया जाता है। हम गुरुकुल के संस्थापक स्वामी धर्मानंद सरस्वती द्वारा बताए गए नियमों का पालन करते हंै।

उन्होंने बताया कि सभी छात्र योग के टिट्टिभासन, वृक्षासन, शीर्ष पद्मासन, चक्रासन, ध्रुवासन, एकपाद, ग्रीवासन और वृश्चिकासन जैसे योग आसानी से करते हैं। इनमें 10 साल के बच्चों से लेकर कॉलेज में पढऩे वाले छात्र शामिल हैं। गुरुकुल आश्रम के प्राचार्य मुकेश कुमार ने बताया कि कोसरंगी में गुरुकुल की स्थापना 2004 में स्वामी रामदेव ने की थी। जब इस आश्रम की शुरुआत हुई तो सिर्फ  8 बच्चे यहां थे। वर्तमान में इस गुरुकुल में 125 छात्रों की सीट है। 2004 से लेकर अब तक छात्रों को दानदाताओं की मदद से मुफ्त शिक्षा दी जा रही है।

 

गुरुकुल के एक अन्य आचार्य पंचानन प्रधान ने बताया-यहां से पास आउट छात्रों को संस्कृत, कर्मकांड, योग और आत्मरक्षा का ज्ञान होने की वजह से रोजगार आसानी से मिल जाता है। गुरुकुल के प्राचार्य मुकेश कुमार बताते हैं कि जिस तरह से शरीर की सेहत के लिए खाना जरूरी है, उसी तरह से मन, मस्तिष्क और शरीर विकास के लिए योग बेहद जरूरी है। हमें रोज योग करना चाहिए। जैसे हम सेवा कार्य के लिए लगे हैं, वैसे ही यहां पढऩे वाले और यहां से पढ़ चुके विद्यार्थी भी सेवा कार्य में लगे हुए हैं।

गुरुकुल के छात्रों ने बताया कि वो सुबह 4 बजे उठते और रात 9.30 बजे सोते हैं। प्रबंधन ने उनके लिए नियम बनाए हैं। इन नियमों का पालन सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक किया जाता है। गुरुकुल में पढऩे वाले छात्रों के साथ भेदभाव ना हो, इसलिए प्रबंधन ने सबको एक सामान व्यवस्थाएं मुहैया करवाई हैं।

इस गुरुकुल में छत्तीसगढ़ के अलावा असम, नगालैंड, झारखंड और ओडि़शा के छात्र शिक्षा लेने के लिए पहुंचे हैं। गुरुकुल की दूसरे राज्यों में स्थित शाखाओं से ये छात्र एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत छत्तीसगढ़ आते हैं। गुरुकुल के आचार्यों का कहना है कि अलग-अलग राज्यों में छात्रों को इसलिए भेजा जाता है, ताकि वो नई-नई चीजें सीखें। उनके अंदर से हिचक दूर हो। छात्रों के अलावा आचार्यों को भी एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत भेजा जाता है।

इस गुरुकुल में पढऩे वाले बसना निवासी विपिन आर्य ने बताया कि योग करने से आलस नहीं आता। आचार्य के बताए अनुसार  बुद्धि के विकास के लिए योग करना जरूरी है। इससे शरीर स्वस्थ्य रहता है। सुबह से लेकर शाम तक दिनचर्या का पालन करना पड़ता है।

बागबहारा निवासी जितेश्वर आर्य बताते हैं कि दो साल से हर दिन योग कर रहा हूं। योग में टिट्टिभासन, वृक्षासन, शीर्ष पद्मासन, चक्रासन, ध्रुवासन, एकपाद ग्रीवासन और वृश्चिकासन आसानी से कर सकता हूं। छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों के कार्यक्रमों में योग कर चुका हूं।

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