महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 23 जून। कबीरपंथी समाज बिरकोनी द्वारा महंत पोखन दास मानिकपुरी साहेब की अगुवाई में सद्गुरु कबीर प्राकट्य पर्व उत्सव धूमधाम से मनाया गया। महंत साहेब के निज निवास में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ प्रात: सद्गुरु कबीर साहेब के आह्वान आरती और पत्र पुष्प अर्पण के साथ हुई।
अंचल के प्रख्यात लोक गायक शीतल दास मानिकपुरी एवं साथियों ने कबीर भजनों की सुमधुर संगीतमय प्रस्तुति से सकल हंस को भाव-विभोर कर दिया। इस अवसर पर महंत पोखन दास साहेब ने सद्गुरु कबीर साहेब के वाणी-वचनों, शब्द-साखियों का मधुर गान करते हुए संत समाज को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि सद्गुरु कबीर साहेब ऐसे समय काल में आए जब समाज तमाम तरह की विसंगतियों से जूझ रहा था। भेदभाव चरम पर था। समाज में कुरीतियां हावी थीं। ऐसे समय में सद्गुरु कबीर मानव समाज को मानवता की राह दिखाने आए। सत्य का ज्ञान कराने आए। यह बताने आए कि इस संसार में कैसे जीना है।
महंत साहेब ने कहा कि कई लोग स्त्री को, बाल बच्चों को माया कह देते हैं। यह अज्ञानता है। यदि स्त्री पुरुष के लिए माया है, तो पुरुष स्त्री के लिए माया होगा। ऐसे में तो अलगाव, बिखराव होगा। वास्तव में माया तो परमात्मा की दासी है। जहां परमात्मा हैं वहां माया भी होगी। परमात्मा हमारे भीतर हैं तो माया भी हमारे भीतर है। माया बहुत शक्तिशाली है, वह ब्रह्मा, विष्णु, महेश त्रिदेवों को भी नाच नचाती है। माया के कारण ही लोगों ने अपने-अपने भगवान बना डाले। भगवान के नाम पर लड़ाई हो रही है। जबकि सबका मालिक एक है, चाहें जिस नाम से पुकारें।
उन्होंने कहा कि अज्ञानता को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिए स्वयं परमात्मा ही सद्गुरु के रूप में आते हैं।
सद्गुरु कबीर स्वयं परमात्मा ही थे, जो मानव समाज को सत्य का बोध कराने और जीने की सही राह दिखाने के लिए आए थे। सद्गुरु कबीर साहेब की आरती और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में बिरकोनी और आसपास के कबीरपंथी परिवारजन बड़ी संख्या में शामिल हुए।