महासमुन्द

अग्नि चंद्राकर की अंतिम यात्रा में हजारों जुटे
24-Jun-2024 3:56 PM
अग्नि चंद्राकर की अंतिम यात्रा में हजारों जुटे

 तीन बार विधायक रहे, जिला निर्माण में भूमिका रही

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 24 जून। स्वच्छ राजनीति वाले सरल राजनेता के रूप में अपनी पहचान बनाए रखने वाले पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर का पार्थिव शरीर सोमवार की सुबह 10 बजे महासमुंद पहुंचा।

पत्नी, बेटे के अलावा परिवार के लोगों ने रेलवे स्टेशन रोड स्थित आवास पर उनका शव उसी स्थान पर रखा, जहां बैठकर वे लोगों से मुलाकात करते थे। उनके यहां पहुंचने से पहले सैकड़ों की तादात में लोगों का हुजूम पहुंच चुका था। इसके बाद उनके शव को कांग्रेस भवन ले जाया गया। जहां जिले भर के कांग्रेसी, समर्थक उनकी अंतिम दर्शन के लिए टूट पड़े। भीड़ के बीच ही ठीक सवा 11 बजे उनकी यात्रा उस गांव की ओर निकली, जहां उनका जन्म हुआ था। शहर के लोग अवाक थे कि महासमुंद को जिले का दर्जा दिलाने वाला शख्स आज महासमुंद को अलविदा कह रहा है, कभी वापस महासमुंद लौटकर नहीं आएंगे।    

आज सुबह से जन्मस्थली लभराकला को भी आज उनके आने का अंतिम इंतजार था। रात भी किसी घरों में चूल्हे नहीं जले। होली-दीपावली में कुछ लोग ही उनके साथ गांव जाते थे, लेकिन महासमुंद से लभराकला तक आज की भीड़ ऐतिहासिक रही।

लोग बताते हैं कि अग्नि चंद्राकर की अंतिम यात्रा में जितनी भीड़ आज एकत्र है, वह पहले कही नहीं देखी गई। इससे पहले किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को इतना सम्मान नहीं मिला। उनके दर्शन के लिए हर वर्ग के गरीब और अमीर लोग दिखे। सभी के आंखों में आंसू था।

अग्नि चंद्राकर को लेकर बरसों से एक बात प्रचलित थी कि उन्होंने किसी के मन को ठेस नहीं पहुंचाई और अपने पास सहयोग के लिए पहुंचे किसी भी जरूरतमंद को खाली हाथ नहीं लौटाया। वे स्व. श्यामाचरण शुक्ल और स्व. अजीत जोगी के काफी करीबी माने जाते थे।  

गौरतलब है कि पिछली बार कांग्रेस शासनकाल में अग्नि चंद्राकर को कैबिनेट मंत्री दर्जा मिला, छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के अध्यक्ष रहे। इससे पहले महासमुंद विधानसभा क्षेत्र से वे तीन बार विधायक रहे।

 रविवार शाम रायपुर के एक निजी अस्पताल में उनका निधन हो गया। वे कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। आज  रेलवे स्टेशन रोड स्थित आवास में प्रात: 10 बजे उनके पार्थिव शरीर को लाया गया। यहां से कांग्रेस भवन में दर्शनार्थ रखने के बाद नगर भ्रमण करते हुए उनका पार्थिव शरीर उनके गृहग्राम लभरा कला ले जाया गया। जहां दोपहर 1 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

करीब 40 साल तक राजनीति में सक्रिय रहने वाले अग्नि चंद्राकर अपने सरल, सहज स्वभाव, साफ सुथरी राजनीति और सेवा भावना के कारण पक्ष-विपक्ष में समान रूप से लोकप्रिय रहे। महासमुंद विधानसभा क्षेत्र से तीन तीन बार विधायक चुना जाना उनकी जन स्वीकार्यता और लोकप्रियता का प्रमाण है।

विकासखंड फिंगेश्वर के ग्राम सोरिद में दाऊ रमनलाल चंद्राकर के घर 1 जनवरी 1954 को जन्मे, बी. कॉम. एल एल बी उच्च शिक्षित अग्नि चंद्राकर ने व्यवसाय के रूप में कृषि को ही अपनाया। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत सन् 1986 में हुई, जब वे ग्राम पंचायत धनसुली के निर्विरोध सरपंच बने।

 वे बताते थे कि सरपंची कार्यकाल में ही श्यामाचरण शुक्ल का धनसुली दौरा हुआ। मुलाकात हुई और श्री शुक्ल भी अग्नि के व्यवहार से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने श्री चंद्राकर को राजनीति में आने का निमंत्रण दिया।

विधायक के लिए टिकट मिली और सन् 1993 में महासमुंद विधानसभा क्षेत्र से प्रथम बार विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद सन् 1998 में पुन: महासमुंद के विधायक बने। सन् 2000 से 2003 तक भूमि विकास बैंक अध्यक्ष रहे। सन् 2008 में तृतीय बार महासमुंद विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। सन् 2021 में अध्यक्ष छग राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लि. रायपुर मनोनीत किए गए। साथ ही उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान किया गया। 

 विधायक के रूप में अग्नि चंद्राकर महासमुंद क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई, बिजली, सडक़ जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए पूरी तरह समर्पित रहे। पासिद जलाशय, निसदा डायवर्सन सहित क्षेत्र की अधिकतर सिंचाई परियोजनाएं उनके प्रयासों से साकार हुई हैं। महासमुंद जिला निर्माण में उनका बड़ा योगदान रहा।

बुजुर्ग बताते हैं कि यहां की जनता महासमुंद को जिले का दर्जा मांग रही थी। लेकिन 1998 में अविभाजित मध्यप्रदेश में नए जिलों की घोषणा हुई तो उसमें महासमुंद का नाम नहीं था। रायपुर को विभाजित कर धमतरी को जिला बनाया गया। लेकिन महासमुंद की मांग अनसुनी कर दी गई।

जन आकांक्षा की अनदेखी से क्षुब्ध अग्नि चंद्राकर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अपने विधायक पद से इस्तीफा भेजा और अपनी ही सरकार के खिलाफ अनवरत धरने पर बैठ गए। मध्यप्रदेश की दिग्विजय सरकार को झुकना पड़ा और अंतत: महासमुंद जिला निर्माण की घोषणा की गई।

 इस बार अपना इस्तीफा भेजकर उन्होंने यह संदेश दे दिया कि विधायकी से बड़ी बात महासमुंद अंचल की आवाज होती है वे जनआकांक्षा के परे नहीं जा सकते। 6 जुलाई 1998 को मप्र के नक्शे पर महासमुंद 61वें जिले के रूप में दर्ज हुआ। इस तरह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर ने 1998 में महासमुंद का नक्शा बदकर जिला कर दिया।

अन्य पोस्ट

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news