धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरूद, 5 जुलाई। एनजीटी के नियमों को दरकिनार कर कुरूद से कुछ किलोमीटर दूर बहने वाली महानदी किनारे के गांवों में बड़े पैमाने पर रेत का अवैध उत्खनन बेरोकटोक के जारी है।
कुरूद व मगरलोड तहसील के नदी किनारे बसे गांवों से सियासी रसूखदार लोगों का संरक्षण पा रेत माफिया एनजीटी के नियम कायदों को ताक में रख बेदर्दी से नदी का सीना छलनी कर रहे हैं। 10 जून से रेत उत्खनन में प्रतिबंध लगा होने के बावजूद सोनेवारा, लड़ेर, मोहरेंगा की खदान से बेरोकटोक रेत उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है। इसके अलावा नारी, सौंगा, छोटी एवं बड़ी करेली, राजपुर आदि गांवों से ट्रेक्टरों से निकाल अवैध भंडारण किया जा रहा है। कुछ इसी तरह का काम ग्राम पंचायत परखंदा में भी चल रहा था, तब वहां के ग्रामीणों ने पिछले दिनों उग्र प्रदर्शन करने हुए कुरुद के एक नेता पर रेत माफिया को संरक्षण देने का खूला आरोप लगाया था।
थाना पहुंचे ग्रामीणों ने अवैध रेत निकासी बंद करने की मांग उठाई थी। तब से यहां उत्खनन नहीं हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि अंधाधुंध खुदाई से नदी के इस किनारे के मंदरौद,सेलदीप, जोरातराई, बारना, सिरसिदा, गुदगुदा, कठौली, चारभाठा, गाड़ाडीह, मेघा की खदान खाली हो गयी है।
बताया गया है कि बरसात में निर्बाध रेत तस्करी करने के इरादे से खनिज माफिया द्वारा मंदरौद से छोटे करेली तक नदी के बीच में पाइप डाल कर नया रैम्प बनाया जा रहा है। एनजीटी के नियमों को दरकिनार कर रेत खनन करने से पर्यावरण की बिगड़ती सेहत का असर नगर की पेयजल आपूर्ति पर पड़ा है। रेत उत्खनन के लिए एनीकट का पानी बहा देने से करीब 25 करोड़ की जल आवर्धन योजना बेकार सिद्ध हो रही है। जिसको लेकर नपं की बैठक में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने नया प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजा है।
तिहारु, रामदेव, हेमलाल,पंचम सहित आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि रेत निकालने के लिए नदी के बीच में बड़े-बड़े पाइप डालकर कई जगह कच्चे पुल बना नदी की धारा बदल दी गई है। नदी की प्राकृतिक बहाव बदलने एवं दिन रात हो रही खुदाई के चलते इलाके के सैकड़ों सब्जी उत्पादक किसानों ने नदी में फसल लगाना बंद कर दिया है। जिससे उन परिवारों के समक्ष रोजी रोटी का संकट गहरा गया है। इस बारे में माइनिंग अधिकारी से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।